भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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Monday, May 04, 2009
एक विलक्षण प्रतिभा जिनका हम सदिखन याद करैत छी(आठम कड़ी)
जाहि दिन हमर विवाह भेल छलs ओहि समय हमर बडकी दियादिन केर सेहो द्विरागमन नहि भेल छलैन्ह। आ ओ राँची अपन नैहर मे छलिह। दोसर दिन साँझ मे इ कहलाह जे काल्हि भौजी सs भेंट करय लेल जयबाक अछि आ ओकर बाद परसु मुजफ्फरपुर चलि जायब। आजु चलु राँची(राँची केर मुख्य बाज़ार मेन रोड के लोग राँची कहैत छैक) दुनु गोटे घूमि कs अबैत छी। बरसातक मास आ बादल सेहो लागल छलैक तथापि हम सब निकलि गेलहुँ। रिक्शा किछुएक दूर आगू गेला पर भेंट गेल। घर सs मेन रोड जयबा मे करीब आधा घंटा लागैत छलैक। हम सब आगू बढ़लहुं ओकर १५ मिनट केर बाद सs पानि भेनाइ आरम्भ भs गेलैक। विष्णु सिनेमा हॉल सs किछु पहिनहि हम दूनू गोटे पूरा भीजि गेलहुँ। सिनेमा हॉल लग पहुँची इ कहलाह, भीजि गयबे केलहुं,चलू सिनेमा देखि लैत छी तs आपस घर जायब, कपड़ा सिनेमा हॉल में सुखा जायत।
राति में अचानक माथक दर्द आ प्यास सs नींद खुजि गेल, बुझायल जेना हमर देह सेहो गरम अछि। उठि कs पानि पीबि फेर सुति गेलहुँ। भोर में मोन ठीक नहि लागैत छलs मुदा हम किनको सs किछु कहलियैन्ह नहि, भेल कहबैक तs बेकार में सब के चिंता भs जयतैन्ह। मोन बेसी खराब लागल तs जा कs सुति रहलहुं। जखैन्ह आँखि खुजल तs देखैत छी डॉक्टर हमरा सोंझा मे अपन आला लेने ठाढ़ छलथि। हमरा ततेक बुखार छल जे चादरि ओढ़ने रही तथापि कांपति छलहुँ।डॉक्टर की कहलैथ से हम किछु नहि बुझलियैक। हमरा थोर बहुत बुझय मे आयल जे कियो हमर तरवा सहराबति छलथि, आ कियो गोटे पानिक पट्टी दs रहल छलथि , मुदा हम बुखारक चलते आँखि नहि खोलि पाबति छलहुँ, हम बुखार मे करीब करीब बेहोश रही। जखैन्ह हमरा होश आयल आ आँखि खुजल तs प्यास सs हमर ओठ सुखायत छल, मुदा साहस नहि छलs जे उठि कs पानी पिबतहुं। जहिना करवट बदललहुं तs हिनका पर नजरि गेल। हिनका हाथ मे एकटा रुमाल छलैन्ह आ बिना तकिया सुतल छलथि। हमरा इ बुझैत देरी नहि भेल जे इ हमरा रुमाल सs पट्टी दैत दैत सुति रहल रहथि। हमरा हिम्मत तs नहि छल तथापि हम चुप चाप उठि जहिना हिनकर माथ तर तकिया देबय चाहलियय इ उठि गेलाह। हमरा बैसल देखि तुंरत कहि उठलाह अहाँ कियाक उठलहुं अहाँ परल रहु। इ सुनतहि हम फेर तुंरत परि रहलहुं।
भोर मे उठलहुं त कमजोरी तs छलs मुदा बुखार बेसी नहि छल। मौसी सs पता चलल जे चाय पिबय के लेल जखैन्ह मधु उठाबय गेलीह तs हम बुखार सs बेहोश रही। इ देखि तुंरत डॉक्टर के बजायल गेलैक। डॉक्टर के गेलाक बाद बड राति तक माँ आ इ दूनू गोटे बैसल रहथि आ ठंढा पानी सs पट्टी दs बुखार उतारबाक प्रयास मे लागल रहथि। माँ के बाद मे इ सुतय लेल पठा देलथि आ अपने भरि राति जागल रहथि कियाक तs बुखार कम भेलाक बादो हम नींद में बड़ बड़ करैत छलियैक। दोसर दिन सs हमर बुखार कम होमय लागल मुदा हमरा पूर्ण रूप सs ठीक होयबा में एक सप्ताह लागि गेल। हिनका कतबो कहलियैन अहाँ चलि जाऊ, क्लास छूटैत अछि मुदा इ कहलाह, अहाँ ठीक भs जाऊ तखैन्ह हम जायब।
एक सप्ताह इ कतहु नहि गेलाह हमरे कोठरी में बैसि कs अपन पढ़ाई करथि। साँझ में काका लग बैसि कs खूब गप्प होयत छलैन्ह। ओहि एक सप्ताह में काका सेहो हिनका सs बहुत प्रभावित भs गेलथि आ इहो काका के स्वभाव सs परिचित भेलाह। साँझ में परिचित सब हिनका सs भेंट करय लेल आबथि। एहि तरहे पूरा सप्ताह बीमार रहितहुँ हमरा खूब मोन लागल।
आइ भोर सs हमरा एको बेर बुखार नहि भेल। काल्हि भोर मे हिनका मुजफ्फरपुर जयबाक छैन्ह भरि दिन इ हमरा सँग गप्प करैत रहलाह। साँझ मे काका ऑफिस सs अयलाह तs इ हुनका लग बैसि हुनका सs गप्प करय लगलाह आ हम अपन कोठरी मे छलहुँ। माँ मौसी जलखई के ओरिआओन करैत छलिह बाकी भाई बहिन सब बाहर खेलाइत छलैथ। हमरा इ सोचि कs एको रति नीक नहि लागैत छलs जे काल्हि इ चलि जेताह आ ओकर किछु दिनक बाद माँ सेहो चलि जयतीह।
राति मे सुतय काल इ कहलाह भोरे तs हम जा रहल छी मुदा हमर ध्यान अहीं पर ता धरि रहत, जा धरि अहाँक चिट्ठी नही भेंटत जे अहाँ पूरा ठीक भs गेलहुँ अछि। एहि बेर माँ के जाय काल नहि कानब, ओ बड दूर रहति छथि हुनको अहिं पर ध्यान लागल रह्तैन्ह। अहि बेर रोज एकटा कs चिट्ठी अवश्य लिखब, आ हमरा दिस देखैत आ मुस्की दैत कहलाह आब तs अहाँ के चिट्ठी लिखय मे सेहो कोनो तरहक दिक्कत नहि हेबाक चाहि। हमहु हिनकर मुस्कीक जवाब मुस्की सs दs देलियैन्ह।
क्रमशः ......
6 comments:
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"भालसरिक गाछ" Post edited multiple times to incorporate all Yahoo Geocities "भालसरिक गाछ" materials from 2000 onwards as...
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ee bhag seho bad nik lagal, shubhkamna ehina ee srinkhla chalait rahay
ReplyDeleteई संस्मरणात्मक श्रृंखला बहुत नीक जेकाँ आगाँ बढ़ि रहल अछि। अहाँक स्मृतिक तीक्ष्णता सेहो ई सूचित करैत अछि कारण कोनो छोटसँ छोट घटना एतेक विस्तारसँ वर्णित भेल अछि।
ReplyDeletedhanyavaad gajendra ji aa pathak lokain.
ReplyDeletepadhi ke mon hariyar bhay jai ye
ReplyDeletebad nik ee bhag seho
ReplyDeleteपहिल बेर हुनक जीवन मे हमर महत्व आ स्थान केर आभास भेल आ हमरा मोन मे संकोचक जे देबार छलs से ओहि दिन पूर्ण रूपेण हटि गेल। नहि जानि कियाक, बुझायल जेना एहि दुनिया में हमरा सब सs बेसी बुझय वाला व्यक्ति भेंट गेलैथ।
ee bhag manmohak
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