भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Friday, May 08, 2009

आशीष अनचिन्हार

आशीष अनचिन्हार


मनुख

मनुख काज करैत जान अरोपि कए

आफिसमे, रोडपर

वा कतौ

भरि लैए टका जेबीमे

निकलि जाइए मार्केटिंग करबाक लेल

कीनि लबैए

रेडीमेड खुशी वस्तु-जातक रूपमे

की मनुख

रेडीमेड भेल जा रहल अछि?

गजल

जीवनमे दर्दक सनेश शेष कुशल अछि

नहि कहब विशेष शेष कुशल अछि

 

अन्हरा सरकार चला रहल राजकाज

छैक बौकक ई देश शेष कुशल अछि

 

देह बदलैए आत्मा नहि सूनि लिअ

एहने छैक सरकारक भेष शेष कुशल अछि

 

मुक्का आ थापड़क उपयोग के करत

खाली आँखिए लाल टरेस शेष कुशल अछि

 

गजल कहब असान नहि एतेक आशीष

आब चलैत छी बेश शेष कुशल अछि


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