आशीष अनचिन्हार
मनुख
मनुख काज करैत जान अरोपि कए
आफिसमे, रोडपर
वा कतौ
भरि लैए टका जेबीमे
निकलि जाइए मार्केटिंग करबाक लेल
कीनि लबैए
रेडीमेड खुशी वस्तु-जातक रूपमे
की मनुख
रेडीमेड भेल जा रहल अछि?
गजल
जीवनमे दर्दक सनेश शेष कुशल अछि
नहि कहब विशेष शेष कुशल अछि
अन्हरा सरकार चला रहल राजकाज
छैक बौकक ई देश शेष कुशल अछि
देह बदलैए आत्मा नहि सूनि लिअ
एहने छैक सरकारक भेष शेष कुशल अछि
मुक्का आ थापड़क उपयोग के करत
खाली आँखिए लाल टरेस शेष कुशल अछि
गजल कहब असान नहि एतेक आशीष
आब चलैत छी बेश शेष कुशल अछि
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