भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Friday, May 08, 2009

सुशांत झा

सुशांत झा

ग्राम+पत्रालय-खोजपुर

सम्प्रति सुशांत जी इंडिया न्यूजमे कॉपी राईटर छथि,-मिथिला विश्वविद्यालयसँ स्नातक (इतिहास), तकर बाद आईआईएमसी (भारतीय जनसंचार संस्थान) जेएनयू कैम्पससँ टेलिविजन पत्रकारितामे डिप्लोमा (2004-05) ओकरबाद किछु पत्र-पत्रिका आ न्यूज वेबसाईटमे काज, दूरदर्शनमे लगभग साल भरि काज। संप्रति इंडिया न्यूजसँ जुड़ल| सम्‍पादक


की बलिराज गढ़ मिथिलाक प्राचीन राजधानी अछि?

हमर गाम खोजपुरसँ करीब एक किलोमीटर दक्षिण दिस बलिराजपुर नामक एकटा गाम छैक। ई गाम मुधुबनी जिला मुख्यालयसँ करीब 34 किलोमीटर उत्तर-पूब दिसामे छैक। एतय एक टा प्राचीन किला छैक जे 365 बिगहामे पसरल छैक आ एकर देखभाल भारत सरकारक पुरातत्व विभाग क रहल अछि। किलाक खुदाई भेलापर एहिमे सँ मृदभांड आ विभिन्न तरहक बस्तु निकलल आ सोनाक सिक्का सेहो भेटलैक। किलाक बाहर जे बोर्ड लागल छैक ताहि के मुताबिक ई किला मौर्यकालीन हुअक चाही। किला के कात करोटमे जे गाम छैक ओहिमे भाँति-भाँतिक किंवदन्ति पसरल छैक, किलाक विषयमे। जतेक लोक, ततेक तरहक बात। किछु लोकक कथन छन्हि जे ई किला राक्षस राज बलिक राजधानी छलै -आ किछु गोटा तँ राजा बलिकेँ देखबाक सेहो दावा केलन्हि अछि। साँझ भेलाक बाद लोक सभ किला दिस जाइसँ बचए चाहैत छथि। भऽ सकैत अछि जे ई अफवाह सरकारी कर्मचारी लोकन्हि फैलेने हुएआए-कारण जे ओकरा सभकेँ ड्यूटी करएमे कनी आराम भऽ जाइत छैक। लोक सभ राजा बलिक डरे किछु चोरबऽ नञि चाहए छैक।

किला अद्भुत छैक। किलाक देबार भग्नावस्थामे रहितहु अपन यौवनक याद दिआ रहल अछि। किलाक देबार एतेक चाकर छैक जे ओदृपर तँ आसानी सँ एकटा रथ निकलिये जाइत हेतैक। देबारमे लागल ईंटा दू-दू फीट नमहर आ लगभग गोटेक फुट चाकर छैक। चीनक देबारसँ कम मोट नहि हेतैक ई अपन यौवन कालमे। किलामे एकटा पोखरि छैक, ककरो नहि बूझल छैक, जे कहिया खुनाएे ई पोखरि। बूढ़-पुरानक कहब छन्हि जे ई पोखरि राक्षसक कोरल अछि। किछु लोकनिक तँ ई मत छन्हि जे एहिमे एकटा सुरंग सेहो छैक-जकर रस्ता कतओ आर निकलैत छैक। सुनैत छियैक जे घ्राज-परिवारक सदस्यकेँ आपातकालमे बाहर निकालैक लेल एहन सुरंग बनायल जाइत छलैक। किलाक कात-करोटमे जे गाम छैक तकर नाम सेहो ऐतिहासिक। किलाक पूब दिस छैक फुलबरिया नामक गाम आ ओकर बगलमे सटल छैक गढ़ी गाम..जे आब अप्रभ्रंश भऽ कऽ गरही भऽ गेलैए। किलाक पच्छीम दिस छैक रमणी पट्टी नामक गाम आ ओहिसँ सटल छैक भुपट्टी। किलाक दक्षिणमे छैक बिक्रमशेर, जतय प्राचीन सूर्य मंदिरक अवशेष भेटलैए। ई बात ध्यान देबाक जोग जे सूर्य मंदिर देशमे बड्ड कम जगह छैक। बलिराज गढ़क खुदाई पहिल बेर 1976 मे भेलैक, जखन केन्द्रमे साइत डॉ0 कर्ण सिंह एहि बिभागक मंत्री छलाह। गढ़क उद्धारक लेल मधुबनीक पूर्व सांसद भोगेन्द्र झा आ कुदाल सेनाक अध्यक्ष सीताराम झाक बड्ड योगदान छन्हि। किछु इतिहासकार लोकनिक कहब छन्हि, जे ई किला बंगालक पालवंशीय राजा लोकनिक किला भ सकैत अछि वा फेर मौर्य सम्राटक उत्तरी सुरक्षा किला भऽ सकैत अछि। ओना किछु गोटेक कहब छन्हि जे एकर बड्ड संभावना- जे ई किला मिथिलाक प्राचीन राजधानी सेहो भऽ सकैत अछि।

एकर पाछू ओ ई तर्क दैत छथिन्ह, जे एखुनका जे जनकपुर अछि, ओ नव जगह अछि आ ओतुक्का मंदिर १८हम शताव्दीमे इंदौरक महाराणी दुर्गावतीक द्वारा बनबाएल गेल अछि। विद्वान लोकनि जनकपुरक ऐतिहासिकताक संदिग्ध मानैत छथि। हमरा एहि संबंधमे एकटा घटना मोन पड़ि रहल अछि। १० साल पहिने पटनामे वैशालीक एकटा सज्जन हमरा भेटलाह आ कहलन्हि जे बलिराज गढ़ वास्तबमे मिथिलाक प्राचीन राजधानी अछि। हुनकर कहब छलन्हि जे ह्वेनसांगक एकटा विवरणक मुताबिक पाटलिपुत्रँस एकटा खास दूरी पर वैशाली अछि, वैशालीसँ एतेक दूरीपर काठमांडू (काष्ठमंडप) अछि आ काठमांडूक दच्छिन आ पूब दिशामे मिथिलाक प्राचीन राजधानी छैक। एखुनका जनकपुर ओहि मापदंडपर सही नञि उतरि रहल अछि। पता नञि एहि बातमे कतेक सत्यता छैक। एकर अलावा, रामायणमे सेहो मिथिलाक प्राचीन राजधानीक संदर्भमे किछु संकेत छैक। रामायणक संकेत सेहो बलिराजपुरकेँ मिथिलाक राजधानी होएबाक संकेत कय रहल अछि।

सांसद भोगेन्द्र झाक मुताबिक, राजा बलिक राजधानी महाबलीपुरम भर सकैत अछि, जे दच्छिन भारतमे छैक। सभसँ पैघ बात ई जे पूरा मिथिलामे बलिराजपुरसँ पुरान कोनो किला नहि अछि, जे मिथिलाक प्राचीन राजधानी होएबाक दावा कय सकए। किलाक भीतर उबड़-खाबड़ मैदान छैक, जे राजमहलक जमीनक भीतर धँसि जएबाक प्रमाण अछि। एतय एकाध जगह खुदाई भेलैए आ ओहीमे काफी कीमती धातु आ समान भेटलैक अछि। अगर एकर ढ़ंगसँ खुदाई कएल जाय तँ नञि जानि कतेक रहस्य परसँ आवरण उठि जायत। एखन धरि सरकारक तरफसँ कोनो ठोस प्रयास नहि भऽ पाओल अछि, जञिसँ बलिराज गढ़क प्राचीनताकेँ दुनियाक सोझाँ रखबाक कोसीस कएल जाय। बस एकटा कामचलाऊ सड़कसँ एकरा बगलक गाम खोजपुरसँ जोड़ि देल गेलैक आ इतिश्री कय देल गेलैक।

यदि बलिराज गढ़क खुदाई ढ़ंगसँ कएल जाय आ एतय एकटा नीक संग्रहालय बना देल जाय तँ बढ़िया काज होयत। मिथिलांचलक हृदयस्थलीमे रहबाक कारणेँ एतय मिथिला पेंटिंगक कोनो संस्थान वा आर्ट गैलरी सेहो खोलल जा सकैत अछि। एकटा नीक(चाकर आ चिक्कन हाईवे) क संग नीक विज्ञापन बलिराजगढ़क पर्यटक सभकेँ निगाहमे आनि सकैत अछि। एहिसँ इलाकाक गरीबी दूर करबामे सेहो मदद भेटत। यदि एकरा बुद्धा सर्किट वा रामायण सर्किटक अंग बना लेल जाय तँ आर उत्तम।

मिथिला मंथन

१.

मिथिलांचल क्षेत्र बिहार मे सबसँ पिछड़ल मानल जाइत अछि, अगर प्रतिव्यक्ति आय, साक्षरता और प्रसवकाल मे जच्चा-बच्चा के मृत्यु के मापदंड बनायल जाय तोप्रँ मिथिलांचल देश के सबस गरीब आ पिछड़ल इलाका अछि। एकर किछु कारण त अहि इलाका के भौगोलिक बनावट अछि लेकिन ओहियो सँ पैघ कारण एहि इलाका मे कोनो नीक नेतृत्व के आगू नै एनाई अछि। आजादी लगभग 60 वर्ष बीत गेलाक बाद देश में जहि हिसाब स आर्थिक असमानता बढ़ि गेलैक अछि ओहि में बिहार आ खासकए मिथिला सामने एकटा बड्ड पैघ संकट छैक जे ई आआंर पाछू नै फेका जाय। उदाहरण के लेल ई आंकड़ा आंखि खोलि दै बला अछि जे एकटा गोआ मे रहय बला औसत आदमी के प्रतिव्यक्ति आमदमी एकटा औसत बिहारी सं सात गुना बेसी छैक आ एकटा पंजाबी के आमदनी पांच गुना बेसी छैक। बिहारो मे अगर क्षेत्रबार आंकड़ा निकालल जाय त बिहार के दक्षिणी( एखुनका गंगा पार मगध आ अंग) एवम पश्चिमी ईलाका बेसी सुखी अछि, आ ओकर जीवनशैली सेहो दू पाई नीक छैक। त एहन में सवाल ई जे फेर रस्ता की छैक। की मिथिलांचल के लोक एहिना दर-दर के ठोकर खाईके लेल दुनियां में बौआईत रहता अथवा हुनको एक दिनि विकास के दर्शन हेतन्हि।

मिथिलांचलक ई दुर्भाग्य छैक जे एकर एकटा पैघ हमरा हिसाब सँ आधा सँ बेसी इलाका बाढ़ि में डूबल रहैत छैक। बाढ़ि के समस्या निदान सिर्फ राज्य सरकार के मर्जी सँ नहि भ सकैत बल्कि अहि में केंद्रसरकार के सहयोग चाही। पिछला साठि साल मे बिहार क नेतागण अहिपर कोनो गंभीर ध्यान नहि देलन्हि जकर नतीजा अछि जे बाढ़ एखन तक काबू मे नहि आबि रहल अछि। प‍‍छिला कोसी के आपदा एकर पैघ उदाहरण अछि, आब नेतासब के आँखि कनी खुललन्हि अछि, लेकिन एखन सँ मेहनत केल जायत त अहि मे कमस कम 20 साल लागत।

बाढ़ि सिर्फ संपत्ति के नाश नहि करैत छैक, बल्कि आधारभूत ढ़ांचा जेना सड़करक्षेवे आ पुल के खत्म क दैत छैक। एहन हालत मे कोनो उद्योग के लगनाई सिर्फ दिन मे सपना देखैक बराबर अछि।

किछु गोटाके कहब छनि जे बिहार मे उद्योग धंधा कएल जाल बिछाकएकर विकास केल जा सकैछ। लेकिन जखन सड़क आ विजलिये नहि अछि त केना उद्योग आओत। दोसर बात ई जे प‍छिला अविकासक चक्रक फलस्वरुप आबादीक बोझ एतेक बढ़िगेल अछि जे पूरा इलाका मे कोनो खाली जमीन नहि अछि जतय पैघ उद्योग लगायल जा सकय। सिंगूर के उदाहरण सामने अछि। महाशक्तिशाली वाममोर्चा के सरकार के जखन बंगाल मे 1000 एकड़ जमीन नै ताकल भेलैक त एकर कल्पना व्यर्थ जे दरभंगा आ मधुबनी मे सरकार कोनो पैघ उद्योग के जमीन दै। दोसर बात इहो जे पूरा मिथिला के पट्टी मे, मुजफ्फरपुर सँ ल क कटिहार तक कोनो पैघ संस्था-चाहे ओ शैक्षणिक होई या औद्योगिक- नै छै जे एकमुश्त 3-4 हजार लोक के रोजगार द सकै। हमरा इलाका मे शहरीकरण के घनघोर अभाव अछि। जतेक शहर अछि ओ एकटा पैघ चौक या एकटा विकसित गाँव स बेसी नहि।एकटा ढंग के इंजिनियरिंग या मेडिकल कालेज नहि, एकटा यूनिवर्सिटी नहि। कालेज सब केहन जे 4 साल में डिग्री द रहल अछि। एक जमाना मे प्रसिद्ध दरभंगा मेडिकल कालेज मे टीचर के अभाव छैक आ कालेज जंग खा रहल अछि। हम सब एहन अकर्मण्य समाज छी जे कोसी पर एकटा पुल बनबैक मांग तक नै केलहुँ,हमर नेता हमरा ठेंगा देखबैत रहला। आब जा क रेलवे आ रोड पुल के बात भ रहल अछि।कुल मिलाकरइलाका मे सिर्फ 8-10 प्रतिशत लोक शहर में रहैत छथि,   लोक छथि जिनका सरकारी नौकरी छन्हि। ई शहर कोनो उद्योग के बल पर नहि विकसित भेल। बाकी आबादी-लगभग 40 प्रतिशत दिल्ली आ पंजाब मे अपन कीमती श्रम औने-पौने दाम मे बेच रहल अछि। मिथिला के श्रम पंजाब मे फ्लाईओवर आ शापिंग माल बनाब मे खर्च भ रहल अछि, कारण कि हमसब एहेन माहौल नहि बनौलिएकि जे ओ श्रम अपन घर मे नहर या सड़क बनब मे खर्च होअए।

तखन सवाल ई जे फेर उपाय की अछि। हमरा ओतय पैघ उद्योग नहि लागि सकैछ, रोड नहि अछि बाढ़ि के समस्या विकराल अछि, त हमसब की करी। लेकिन नहि, मिथिला के विकास एतेक पाछू भ गेलाक बाद एखनों कयल जा सकैछ। आ अहि विषय मे कय टा विचार छैक।

किछु गोटा के कहब छन्हि जे एखुनका बिहारक सरकार मगध आ भोजपुर के विकास पर बेसी ध्यान द रहल छैक। एकर वजह जे सत्ता मे पैघ नेता ओही इलाका के छथि, लेकिन दोसर कारण इहो जे ओ इलाका बाढ़िग्रस्त नहि छैक। पैघ प्रोजेक्ट के लेल ओ इलाका उपयुक्त छैक। उदाहरणस्वरुप-एनटीपीसी, नालंदा यूनिवर्सिटी आ आयुध फैक्ट्री-ई तमाम चीज मगध मे अछि। दोसर बात ई जे नीक कनेक्टिविटी भेला के कारणे भविष्य मे जे कोनो निवेश बिहार मे हेतैक ओ सीधे एही इलाका मे जेतैक। कुलमिलाक आबै बला समय मे बिहार मे क्षेत्रीय असमानता बढ़य बला अछि। एहि हालत मे किछु गोटा अलग मिथिला राज्यक मांग क रहल छथि, आ हमरा जनैत संस्कृति स बेसी-अपन
आर्थिक विकास के लेल ई मांग उचित अछि।

मिथिला विकास माडेल की हुअके चाही।मिथिला के जमीन दुनिया के सबस बेसी उपजाऊ जमीन अछि। हमसब पूरा भारत के सागसब्जी आ अनाज सप्लाई क सकैत छी। लेकिन ओ सब्जी दरभंगा सं दिल्ली कोना जायत। एहिलेल फोरलेन हाईवे आ रेलवे के रेफ्रजेरेटर डिब्बा चाही। दोसर गप्प हमर इलाका के एकटा पैघ रकम दोसर राज्य मे इंजिनियरिंग आ मेडिकल कालेज चल जाईत अछि। हमरा इलाका मे 50 टा इंजिनीयरिंग कालेज आ 10 टा मेडिकल कालेज चाही। ई कालेज भविष्य में विकास के रीढ़ साबित होयत। हमरा इलाका मे छोट-छोट उद्योग जेना स़ाफ्टवेयर डेवलपमेंट या पार्टपुर्जा बनबै बला फैक्ट्री चाही जहि मे 100-200 आदमी के रोजगार भेटि जाय। लेकिन एहिलेल 24 घंटा विजली चाही। ई कतेक दुर्भाग्य के बात जे बगल के झारखंडक कोयला के उपयोग त पंजाब में बिजली बनबैक लेल भ जाय छैक लेकिन हमसब एकर कोनो उपयोग नहि क रहल छी। आई अगर हमरा अपन इलाका मे 24 घंटा बिजली भेटि जाय़ त पंजाब जाय बला मजदूर के संख्या में कम सं कम आधा कमी त पहिले साल भ जायत। भारत के दोसर राज्य सिर्फ आ सिर्फ अही इलाका के सस्ता श्रम के बले तरक्की क रहल अछि। हमसब ई जनितो किछु नहि क रहल छी, ई दुर्भाग्य के गप्प। 

मिथिला मे पढ़ाई लिखाई के प्राचीन परंपरा रहलैक अछि लेकिन सुविधा के अभाव मे ई धारा हाल मे कमजोर भेल अछि। खासकए महिला शिक्षा के दशा-दिशा त आर खराब अछि। एकटा लड़की कतेको तेज कियेक ने रहेए ओ 10 सं बेसी नहि पढ़ि सकैत अछि कारण घरक क्षेत्र कालेज नहि छैक। हमरा अगर तरक्की करय के अछि त इलाका मे एकटा महिला यूनिवर्सिटी त अवश्ये हुअके चाही, संगहि सरकार के ईहो दायित्व छैक जे हरेक ब्लाक में कमस कम एकटा डिग्री कालेज के स्थापना होअए। देश के विकास मे अहि इलाका के संग कतेक भेदभाव कएल गेलैक आ हमर नेतागण कतेक निकम्मा छथि-एकर पैघ उदाहरण त ई जे इलाका मे एकहुटा केंद्रीय संस्थान नहि छैक। एकटा यूनिवर्सिटी नहि, एकटा कारखाना नहि। आब जा क कटिहार मे अलीगढ यूनिवर्सिटी, दरभंगा में आईआईटी आ बरौनी मे फेर सं खाद कारखाना के पुनर्जीवित करैक बात कयल जा रहल अछि। हमरा याद अछि जे साल 1996 तक दरभंगा तक मे बड़ी लाईन नहि छलैक। हमसब कुलमिलाकर, कोनो तरहक संपत्ति के निर्माण नहि करैत छी। हमसब अपन आमदनी दोसर राज्य भेज दै छियैक-बेटा के बंगलोर मे इंजिनीयरिंग करबै सँ ल क दियासलाई तक खरीदै मे। हमर पूंजी अपन राज्य, अपन इलाका के विकास में नहि लागि रहल अछि। एहि स्थिति के जाबत काल तक नहि बदलल जायत हम किछु नहि क सकैत छी। 

२.

प्रवीण आई अमेरिका चलि गेल। ओकरा एल एंड टी के प्रोजेक्ट पर शिकागो पठा देल गेलै। लेकिन ओकरा संग पढ़ैवाली पूनम के भाग्य ओहन नहि छलैक। ओ दू बच्चा के मां बनि अपन स्वामी के सेवा में अपन जिंदगी बिता रहल अछि। बितला समय याद करैत छी त लगैत अछि जे पूनम के संग बड़्ड अन्याय भेलैक। बात सन् 95 के हतैक, हमर बोर्ड के रिजल्ट आबि गेल छल। ओहि समय पूनम आ प्रवीण छट्ठा भे पढैत छल। जाहि स्कूल में पढ़ैत छल ओहि में चारि टा मास्टर छलैक जे बेसीकाल खेतिए बारी भे लागल रहैत छलैक।

पूनम क्लास में फर्स्ट अबैत छल आ प्रवीण सेकेंड...लेकिन छट्ठा के बाद प्रवीण के बाबू जी ओकरा ल क कटक चलि गेलखिन्ह जतय ओ एकटा दुकान में काज करैत छलखिन्ह। पूनम केँ घरक हालत अपेक्षाकृत ठीक छलैक, ओकर बाबूजी सरकारी सेवा में छलखिन्ह, लेकिन पूनम दसवीं से आगू नहि पढि सकल। ओकरा इंटर में मधुबनी के झुमकलाल महिला कालेज
में नामो लिखा देल गेलैक लेकिन बाद में ओ आगू नै पढ़ि सकल।
लेकिन प्रवीण राउरकेला सं इंजीनरिंग केलाक  बाद एल एंड टी में प्लेस्ड भ गेल आ कंपनी ओकरा शिकागो पठा देलकै।

एक दिन हमर दीदी पूनम के पूछवो केलकैक जे ओ कियेक ने बीए में नाम लिखेलक, त पनमक जवाब छलैक जे ओकर मां-पप्पा के बीच ओकर पढ़ाई के ल क नित दिन घोंघाउज होइक। ओकर बेसी पढ़नाई पूनम के विवाह में बाधा बनि रहल छलैक। तीन बहिन में सबस पैघ पूनम के दहेज एकटा बड्ड पैघ समस्या छलैक। दू साल के बाद पूनमक विवाह भ गैलैक आ जे पूनम क्लास भे फर्स्ट अबैत छल ओ जीवन के दौड़ भे सदा के लेल सेकेंड भ गेल। पूनम के तमाम टैलेंट आब सिलाई-कढ़ाई आ स्वेटर के नब डिजाइन सीख में खप मे लगलैक। 

आई हमरा गाम में प्रवीण के टैलेंट के धूम मचल छैक। मिथिला के तमाम दहेजदाता ओकर दरवाजा पर आबि चुकल छथि, लेकिन सवाल ई जे कि पूनम के आगू नै पढ़ि पबै में कि सिर्फ दहेज टा एकटा कारण छलैक या किछू आउर...? मानि लिय जे दहेज नहियों रहितैक त की पूनम के अपन घर लग नीक कालेज भटि जयतैक ? हम सोचैत छी जे यदि पूनम के जन्म  कर्नाटक या केरल में भेल रहितैक त भ सकैछ ओ इंजिनीयर बनि जाईत आ एल एंड टी ओकरो शिकागो भेजि दैतैक। लेकिन ई सवाल एखनो नीतीश कुमार अथवा अर्जुन सिंह के एजेंडा में नहि छन्हि। नै जानि कतेको लाख पूनम आई चिचिया-चिचिया क ई सवाल अहि व्यवस्था सं पूछि रहल अछि। 

हमर ई पोस्ट हिंदी के हमर ब्लाग आम्रपाली(amrapaali.blogspot.com)...ओहि पर एकटा टिप्पणी अछि जे सब साधन सबके नहि देल जा सकैत छैक, आगू बढ़य बला के खुदे के जिजीविषा हुअके चाही। लेकिन हमर कथन ई अछि जे प्रवीण के संग कोनो जीजिविषा नहि छलैक-ई पुरुष प्रधान समाज के एकटा दुखद अध्याय छैक जे हजारो प्रवीण के त कोटा स ल क बंगलोर तक डोनेशन पर भेज देल जाइत छैक लेकिन लाखों पूनम एखनों आशाके बाट जोहि रहल अछि। की ई सरकार के कर्तव्य नहि छैक जे ओ पूनम सब के उचित पढ़ाई के व्यवस्था करैक..?.

 ई कतेक दुर्भाग्य केर बात अछि जे बिहार में एखन हाईस्कूल खोलै पर प्रतिबंध लागल छैक। एखन 5 किलोमीटर के दायरा में बिहार में एकटा हाईस्कूल छैक। कोनो लड़की के लेल ई कोना संभव छैक जे ओ पांच किलोमीटर पढ़य लेल हाईस्कूल जाय। आब बिहार सरकार हाईस्कूल में लड़की सबके साइकिल द रहल छैक लेकिन की सिर्फ हाईस्कूल तक के पढ़ाई उपयुक्त छैक..? दोसर बात ई जे बिहार सनहक राज्य में जतेक सामान्य ग्रेजुएशन के सीट नै छैक, कर्नाटक आ महाराष्ट्र में ओहि स बेसी इंजिनीयरिंग के सीट छैक।

एखन तक राज्य में एकोटा महिला विश्वविद्यालय आ तकनीकी विश्वविद्यालय नै छैक। हुअके तँ ई चाही छल जे बिहार में 20-25 साल पहिनहि हर जिला- आ ब्लाक में एकटा कॉलेज खोलि देबाक चाही छलैक। आब के जमाना त इंजिनीयरिंग आ एमबीए कॉलेज खोलक छैक। एहन हालत में ओहि खाई के के भरत जे बिहार आ दोसर राज्य के बीच में बनि गेलैक अछि। फेर ओएह सवाल सामने अछि- की अबैयो बला समय में पूनम इंजिनीयरिंग कालेज में जेती....?


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पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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