डा. राम दयाल राकेश
अन्तर्वार्ता
सरकारके ध्यान छठि पावनिपर देवाक चाही.....डा. राम दयाल राकेश (सँस्कृति विद)
छठि पावनि मधेसक संस्कृति किएक मानल जाईत अछि ?
–छठि पावनिक अपने मौलिक विशेषता छइ,, ई पावनि शुरु होबऽ सँ एकमहिना पहिने सँ पावनि कयनिहार सब तैयारी मे लाईग जाईत छथि । एकर तैयारी आ पूजाके जौं देखल जाय त अईमे विशुद्ध मधेसी संस्कृति पाओल जाईत अछि। पावनि केनिहार सँ लएकए ओहि तैयारीमे लागल हरेक व्यक्ति ओ संस्कृतिमे भीजल रहल पाओल जाइत अछि। ओकर प्रसाद सँ लऽक हरेक सामगी्रमे मधेसक संस्कृति देखल जाईत छक, ओ पावनिके अवसरमे गावै वाला विभिन्न धुन तथा गीत सब मैथिल संस्कृतिमे गाओल जाईत अछि।
ई पावनि कियाक मनाओल जाईत अछि ?
–एकर अपने पहिचान आ विशेषता छैक। सब पावनि सँ अई पावनिके अपने इतिहास छैक किया त कोनो पावनि एसगरे अपना घर परिवार मे रहिकऽ मनाओल जाइत अछि मुदा ई एकटा एहन पावनि अछि जे खुला जगहमे सामूहिक रुप सँ मनाओल जाइत अछि। अई पावन के मात्रे लोकतान्त्रीक पावनि कहल जा सकैय कियाक त अई पावनि मे कोनो भेदभाव उच्च नीच, जात भात नई देखल जाइत अछि। अई पावनिमे सूर्यके पुजा भेलाके कारण आओर एकर गरीमा के उच्च देखल जा सकैय। सूर्य जहिना ककरो पर भेदभाव नई क कऽ सम्पूर्ण जगतके रोशनी प्रदान करैत अछि, तहिना छठि पावनि सब के एक समान रुप सँ देखैत आईव रहल छैक।
ई पावनि अपना परीवार के सुख समृद्धिके लेल तथा कोनेा रोग व्यधा नई लागै से मनोकामना सँ मनाओल जाइत अछि। भोर आ साँझक सूर्यके किरणमे एक प्रकारके गरीमा होईत अछि जकरा रोशनी सँ शरीरमे रहल विभिन्न विमारी फैलाब वाला किटाणु सबके नष्ट सेहो करैत चर्मरोग सँ बचाबैत अछि। चर्म रोगके अचुक दवाई मानल जाईत अछि छठि पावनि।
छठि पर्व मे महिला सब अपना आचरा पर नटुवा कियाक नचवैत छैथ ?
–एकरा एकटा श्रद्धाके रुपमे लेल जा सकैय, छठि माताके ध्यानमे राखि क कोनो किसीमके मनोकमना केला सँ जौं ओ पुरा भ जाईछै त ओई देवता पर आरो श्रद्धा बैढ जाईछै आ ओहि किसीमके कौबुला क क अपना आँचर पर नटुवा नचवैत छैथ।
छठिक घाट पर चमार जाईत सब ढोल( डुगडुगीया) बजावैत छथि, ओकर कि विशेषता अछि ?
–ओकरो जातिय तथा संस्कृति परिचयके रुपमे लेल जा सकैय, ओ जाईत सब अपन संस्कृति आ संस्कारके बचएबाक लेल ओ काज क रहल अछि। ओ ढोल बजला सँ घाट पर कतेक मधुरता आ रौनक महशुस होईत रहैत अछि, ओना त कते लोक सब अग्रेजी वाजा बाजा क पावैन मानावैत छैथ मुदा जतेक ढोल पीपही के आवाजमे संस्कृति के झलक भेटैत अछि ओते कोनो बाजामे नई।
अई पावनि मे सूर्यके पुजा होईतो पर छठि माता या छईठ परमेश्वरीके नाम सँ कियाक जानल जाईत अछि ?
–सूर्यके अर्थ उषा होईत अछि, उषा भगवतिके रुपमे पुजलाके कारण एकरा छठी माताके रुपमे सम्बोधन कायल जाइत छैक। ओना त स्पष्ट रुपमे कतौ ने अई विषयमे चर्चा भेल अछि लेकीन किछ शास्त्रमे महाभारत के कुन्ति शुरुमे छठि पावनि केनेे रहैथ ओही दिन सँ छठि पावनि शुरु भेल अछि से कतौ कतौ उल्लेख पाएल जाईत अछि।
दिनकर के आ जलके कि सम्बन्ध अछि ?
–जल के आ दिनानाथके बहुत गहिर सम्बन्ध अछि, बिना जलके दिनकरके पुजे नई भऽ सकैय हुनका खुश करबाक लेल जल चाहबेटा करी। छठिएके उदाहरणके रुपमे लऽ लिय, ओ पावनि बिना जल के नई भऽ सकैय कोनो जलासय नई भेला पर अपना घरमे खधिया खनि क ओइमे जल राईख क पावनि सम्पन्न करैत अछि, कियाक त दिनानाथे सूर्य छथि। एकटा एहो कहि सकै छि कि सूर्य मे बहूत गर्मी भेला के कारण जल के अर्घ देला सँ ओ किछ ठन्ढा होइत छैथ।
लोकतान्त्रिक गणतन्त्रमे छठि पावनिके संस्कृतिके बारे मे अपने कि कहब अछि ?
–हम गणतन्त्र नई कहिक लोकतन्त्रके चर्चा करैत ई कहव कि छठि एकटा विशुद्ध लोकतान्त्रिक पावन अछि, समानुपातिक ढगं सँ एकरा मनाओल जाइत अछि। सामूहिक रुपमे मनबाक सँगहि अई मे कोनो भेद भाव नई होइत अछि। गरीब सँ लक धनीक तक सब एकरा समान ढगं मनावैत अछि।
जनता गणतन्त्रके रस्ता चलनाई शूरु कदेलक मुदा सरकार अखुनोे पाछा परल अछि। अखनोे मधेसी पहाडी बीच , दलित गैर दलित बीच, गरीब धनीकके बीच भेदभाव अछि, कि एकरे गणतन्त्र कहबै ? नवका नेपाल बनाबऽ लागल नेेतागण सबके छठि पावनि सँ किछ सिखवाक चाहि।
No comments:
Post a Comment
"विदेह" प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका http://www.videha.co.in/:-
सम्पादक/ लेखककेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, जेना:-
1. रचना/ प्रस्तुतिमे की तथ्यगत कमी अछि:- (स्पष्ट करैत लिखू)|
2. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो सम्पादकीय परिमार्जन आवश्यक अछि: (सङ्केत दिअ)|
3. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो भाषागत, तकनीकी वा टंकन सम्बन्धी अस्पष्टता अछि: (निर्दिष्ट करू कतए-कतए आ कोन पाँतीमे वा कोन ठाम)|
4. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो आर त्रुटि भेटल ।
5. रचना/ प्रस्तुतिपर अहाँक कोनो आर सुझाव ।
6. रचना/ प्रस्तुतिक उज्जवल पक्ष/ विशेषता|
7. रचना प्रस्तुतिक शास्त्रीय समीक्षा।
अपन टीका-टिप्पणीमे रचना आ रचनाकार/ प्रस्तुतकर्ताक नाम अवश्य लिखी, से आग्रह, जाहिसँ हुनका लोकनिकेँ त्वरित संदेश प्रेषण कएल जा सकय। अहाँ अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।
"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
मुदा ई तँ मात्र प्रारम्भ अछि।
अपन टीका-टिप्पणी एतए पोस्ट करू वा अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाऊ।