भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Thursday, May 14, 2009

'विदेह' ३२ म अंक १५ अप्रैल २००९ (वर्ष २ मास १६ अंक ३२)- part II

१. कामिनी कामायनी - चुमाैन आ २.कुमार मनोज काश्यप-परजा

कामिनी कामायनी: मैथिली अंग्रेजी आ हिन्दीक फ्रीलांस जर्नलिस्ट छथि।

चुमाैन
माेन मे त’ बङ कचाैट भेल रहैए ़़ ़ ़ ़मुदा नीक कद काठी के स्वस्थ शरीरक’ भीतर
एकटा सबल करेज सेहाे छल सुलेखा माए के ़़ ़ताहि लेल सब किछु बिसरि क’ लागि गेलीह अपन सूतल मनाेरथ के पूर्ण करए लेल ़़ ़ ़ ़ ़ चुमाैन क’ ब्याेंत मे ।
छाेटकी दियदिनी के फाेन केलीह त’ आे तुरंते हाजिर ।हुनका घर सॅ दूइर्ए डेग प
रहैत छलीह आे ।़़
“छाेट छिन डाला नीक रहतै ़़ ़़ ़ल जाए में ़ ़ ़उठबए बैसबए में सुभीता हेतए।
कनि धान ़सूपारी ़़़ ़़ ़लटखूट वस्तू के एक पाेटरी में बाॅधि दियाै।’ ‘दीदी ़कनि दूइर्ब सेहाे राखि लैथ़़़़़ ़़़़़़़़।’छाेटकी मृदूला के अहि सलाह प’ हुनक मलिन मुॅह प’ सेहाे
हॅसि आबि गेल छल’ । ‘दुर बताहि ़़़ ़़ कि पढबैत हेबए अहाॅ विद्यार्थी सब के विज्ञान ।सूखल दूइर्ब सॅ कत्ताे चुमाैन हाेइर्त छैक ।’ ‘जनेऊ आ’ डराडाेरि तए भेटबै नहि कलए ़़ ़ ़ ।’कनि हङबङाति सन आे बजलीह त मृदूला हुनक परेशानी के निवारण करैत बाजि पङलीह ‘हम अप्प न घर सॅ आनि दैत छियैन्ह ़़ ़ ़ ढेर रास
हमर माॅ पठा देने रहै बाैआ के उपनैन में ।आर कि सब चाहियन्हि ़़ ़ ़ देख लाैथ एक बेर फेर नीक सॅ ़़़़़ ़ ।’आ’ छुटलाहा समान सबहक लिस्ट बनाक’ आे फुरती देखबैत तुरंत बाहरि निकलि गेल छलीह ।
सब टा समान जुटा क’ नब एकरंगा लाल वस्त्र में बान्हि ़ फेर आेकरा डाला सहित वस्त्र में बान्हि क’ स्वतंत्रता सेनानी ट्रेन में चढा देल गेल छल ।
सुलेखाक बाबू रिटायरमेन्ट के बाद कन्सलटेंसी करैत छलाह ़़ ़़।बेटी दुनु के कहियाकत्त न्ैा विवाह दान भ चुकल छल ़ ़़ ़ इर् सब सॅ छाेट बालक दुखहरण ़़ ़ ।कत्तेक कबूला पाॅति के बाद जनम नेने छलाह ।दादा दादी पाैत्रक’ लालसा मे कतेक तीर्थ व्रत ़ गंगा अराधऩ सब केन्ेा छलखिन्ह ़़ ़ हुनके सबक’ आसीरबादक फल छल इर् ़ ़ ़कत्तेक मनाेरथ ़़ ़ ़ कत्तेक ़़ ़ ़ खैर छाेङू इर् गप्‍प ।आ’
घरवला सॅ आे आन आन विषय प’ गप करि हुनका अहि विचित्र परिस्थिति सॅ उबरए लेल बङ प्रयत्नेशील भ’ गेल छलीह ।
दिल्ली में हुनक दू टा भाय आ’ पितियाैत दियर सेहाे रहैत छलैन्ह ।फाेन
नंमर छैन्हिए ़़ ़ बजा लेती सबके ।आेतेक मैथिल सब छै आेतए गीत नाद ़ ़़ ़ विध
बाध ़़ ़ ़ माेने माेन भरि बाट अपन विचार करैथ ़़़ ़ ़ ़झपकी लैत रहलीह ़ ़ ़ ़नींद कत्तए ़़ ़ ़ ़आ काेना ़ ़ ़।सुलेखाके बाबू मिसरजी त’ नींदक गाेटी के अभ्यस्त ़ ़ ़ नै त’ हुनकाे दिक्कआत हाेइतन्हि ।रहि रहि क माेन मे इ टीस त उठबे करै एक बेर
माए बाबू सॅ विचार त क लैतथि ़ ़ आ’ आॅखि सॅ नाेर झरि जाए ़़़़़़।़ ़ ़
दिल्ली कएक बेर आयल छलीह ़़ ़ ़कखनाे वैष्णाे देवी ़़ ़ ़ कखनाें हरिद्वार ़़ ़ ़कखनाे केदार बद्री ़़़़कखनाे दिल्लीए घूमए ़ ़ ़ ़ आब त बेटा सेहाे बङका
मल्टीनेशनल में नीक पद प’ लागि क’ दिल्लीए मे आबि गेल अछि ।मुदा अहि बेर
दिल्ली सरिपहुॅ एकदम बदलल बदलल सन लगैत छल ़ ़़एक त’ मानसिक द्वन्द ़़ ़उपर सॅ सम्पूर्ण दिल्ली के बदलल भाैगाेलिक नक्शा़ ़ ़़ ़बङका बङका गगन चुंबी इमारत ़ ़़ धङाधङि दाैङैत मेट्राे ़ ़ ़ ़आ’ बङका गाेल गाेल फ्ला इर् आेवर ़़ ़ ़ बङ
अनठिया सन लगलैन्ह ़़ ़ काेन देस पहुॅच गेलहूॅ ़ ़ ़ ।बेटा टीसन प आएल छला ।
धक सॅ रहि गेल माएक करेज पूतक’ मूॅह देखिक। ‘साेना ़ ़़नीके छी नै ़ ़ ़ ।’आॅखि डबडबा गेलन्हि ़ ़ ़ काेढ त पहिने सॅ फाटि रहल छलैन्ह ़ ़़ भरि बाट त’ कानिते आयल छलीह । ‘ इर् की ़़ ़अहाॅ किएक विह्वरल भ’ रहल छी।’साेना
हुनका भरि पाॅज लैत बाजल ।
बाबूजी पहिने सॅ कनि फराक फराक ़एसगर एसगर रहए वला ़ ़़कनि
कम बाजए वाला लाेक ़ ़ ़ गुमसुम माथ झुकाैने ़हुनका सब सॅ कनि दूर चलैत रहला आगाॅ आगाॅ ।
घर मे विवाहक काेनाे रमन चमन नै । ‘कत्त हेतए विवाह ़़ बङी
काल धरि माेने माेन मंथन करैत आे बजलीह ़़़़़ ़ ़़त’ साेनू प्रफुल्लित हाेबैत बजलाह ‘
फाइर्व स्टार हाेटल हयात रिजेंसी में विवाह हेतए ़़ ़ ़ तीन दिनक आयाेजन रखने छै लङकी वाला सब ़ ़ ़ ़नामी बिल्डरक बेटी छै न ़ ़ ़ ़।’
चुप्प़ ़़ ़ ।आे साेनू के दुनु चमकैत आॅखि देखैत रहि गेल छलीह ़़ ़।
ंमाेन पङि गेल सुलेखा ़ ़ ़़जे सदिखन हुनका टाेकैन्ह ़ ़़ ‘हे ़ ़़अहाॅ साेना साेना
केने रहैत छी ़़मुदा हमरा आेकर लक्षण नीक नहि लगैत अछि ।सदिखन छाैङी सबसॅ गप्प़ करैत रहैत अछि पढत की ़़ ़ ।’आ’ पुत्र प्रेम मे आन्हर माॅ बेटी के चुप
कराबैथ कहथि ‘जाए दही ताेरा की हाेएत छाै ़़ ़घी के लडडु टेढाे भला ़ ़ ़ ़कतबाे किछ करतै तैयाे बेटिए वला दरवज्जा के धूरि उङबए लेल एतय ।मरब त मूॅह मेउक यएह देत ़़ ़ तरि जायब हम ़़ ़।’आ’ बेटी भनभनाइत हटि जाए छल आेतए सॅ ।़ ़ ़ ़ चलू ़़़़़़़ ़ ़माॅ भगवति के कीरपा सॅ इर् प्रसन्न त अछि ।एकर खुशी अहिना बनल रहाै़ ़ ़ ।अतीत सॅ वर्त्तमान मे आबि साेचलीह ।
मेंहदी ़़विवाह रिसेप्सकन सब तीन दिनक भीतर तङातङि सम्पन्न करि
नव जाेङा हनीमूनक लेल स्वीटजर लैंड उङि गेल छलाह ़तखन अपन डाेली खाेबी
नेने इहाे दुनु व्यक्ति् वापस ट्रेन पकङि दङिभंगा चलि आयल छलाह ।
मृदुला दाैङल एलीह ।बङका कंपाउंड़ ़ ़ ़ ़ साॅय साॅय करैत ।गमला आ’ फूलक कियारी के फूल पत्ता सूखायल ़जेना आेकरा सब के मूरछा मारि देने रहैय ।
बरामदा प टाॅमी अपन अगला दूनू टाॅग प’ मूॅह गङाैने सूस्त सन सूतल ़़ ़ ़।
म्ंाुख्यन ़़ ़दरवाजा सॅ प्रवेश करैत ़ ़़ ़गलियारा के बाॅया कात पूजाघर ़ ़ ़
उज्जर झक झक संगमर के फर्श प’ भगवति के साेझा आेहिना बाॅधिक राखल
चुमाैनक डाला देखि ़मृदूला के माेन किछु शंकित भेलए मुदा आगाॅ बढि आे दीदी के
बेडरूम मे पहुचली ।पलंग प’ पङल ़ ़ ़ ़छत निहारैत ़ ़ ़मूॅह सूखायल ़ ़ ़ ़आॅखिक
नीचा कारीस्याह जेना कियाे काजरि मलि देने हाेय ़ ़ ़ ़कतेक दिनक बीमार सन ।
‘माेन त नीक छन्हि नै ।’ आॅचरि सॅ गाेङ लगैत मृदुला बजलीह ‘ विवाह दान शुभ शुभ सम्पन्न भ गेलन्हि ।’ ‘ हॅ सब बङ उत्तम भेलए ।बङका फाइर्व
स्टार हाेटल में लाखाें रूपीया खर्च़ करिक’ विवाहाेत्साव मनाआेल गेलय ़ ़ ़ ़ ।बङका बङका लाेक ़ ़ प्रधान मंत्री सेहाे आयल छलाह ़ ़ ़ ़फिल्मी हीराे अभिषेक बच्चन आ आर किछु नबका हिराेइन सब सेहाे आयल छल।बङ थकान भ गेल ।सप्तााह भरि के भीतर एनाय जेनाए ़ ़।’ किछु इम्हर उम्हर के गप्प करैत करैत बजलीह ‘अपन जाति में करितथि त कत्तेक नीक ़ ़़ ़ आन जाति आन संस्कार ़़ ़ ़ ़ मुदा खुश रहथि ।’
बाेल भराेस दइत ़मृदुला कहलीह “आब जाॅति पाॅजि के के पूछैत अछि ।समय
बदलि रहल छै ़ ़ ़ अहिठाम कतेक पैघ लाेक सब आन जाति सॅ विवाह केने छथि ।
इर् सब बेकारक गप्प़ नै साेचथु।’
मृदुला चलि गेलीह किछु कालक बाद ।सुलेखा के माॅ ़जे अपन छाेट दियादिनी के छाेट बहिने बूझैत छलीह ़ ़ मुदा तखन हुनका मुॅह सॅ आेहि क्षण
इर् गप्पब नै निकलि सकलै ़़ ़ ़ जै विवाह सॅ पहिने फाइव स्टार हाेटलक सूट में
जखन आे अपन लाल कपङा में बान्हल डाला खाेलए लेल आगाॅ बढली त’ भावी
पुत्रवधु काेना अंगरेजी में डपतैत बजली़ ‘आइ डाेन्ट लाइक दीज रस्टीक रिचुअल्स ़़ ़ ़
आस्क हर ़ ़़ ़ ़’आ माॅडल पुरूषाकृति ़़ ़ ़छह फूट सॅ कनिए कम ़़ ़़ मस्तानी चाल
सॅ ़ ़ ़ निर्लज्ज भाव सॅ ़ ़ ़अपन लाख टका के डिजाइनर लहंगा संभारैत ़ ़़ साेनू
के एक हाथ सॅ खींचैत बाहर निकलि गेल ़ ़ ़ ़।
आेकरा भेल हेतैक ़ ़ ़ ़इर् देहाती रीति रिवाज करए वाली साैस मूर्ख
हेतैक ़़ ़अंगरेजी की बूझतै़ ़ ़ ़ ़मुदा आे अपना समय के अंगरेजी मे एम ए पीएचडी ़़़़़़़़़
आ युनिवर्सिटी मै पढाैने छलीह ़़ ़ ़ ़पहिने सॅ टूटल ़़ माेन भैलन्हि कत्ताे एकांत मे जाकए फूटि फूटि क’ कानि । ़ ़ ़ चाराेकात जाटक माहाैल
़ ़ ़ ़ आेकर घर पेलवारक स्त्रीगण सब ़ ़ ़ ़ ़फुटबाॅलक गेंद जकाॅ ़़ ़ गाेल गाेल ़ ़़ गुङैक रहल ़़ ़़ खाली चमकैत वस्त्र आ” आभूषण सॅ लगैक जे इर् सब पाए बला लाेक अछि ़ ़ ़ ़ मुदा संस्कार बात व्यवहार ़ ़ ़ ़ ़ कत्त फॅसि गेला साेन ़ ़ ़ ।
ं ंमाेन मारने एक काेन मे अछूत सन बैसल रहि गेल छला दुनु व्यक्ति ़ ़ ़ ़कियाे अपन लाेक नै ़़ ़ नै माम नै पित्ती ़ ़़ किनकाे नहि बजाैला साेना ़ ़ ़ कि
जिान किएक ़ नै
़़ कहुना क’ धीरज धरि हजार हजार माेन क’ बाेझ अपन करेज प नेने
आे अपन नग्र वापस चलि आएल छलथि ।जे कन्याके विवाह सॅ पूर्व सेहाे अपन
भावी साैस ससुरक’ प्रति एकाेरती इज्जत आ’ श्रद्वा नै छै आे बाद में की देखाैत ़़ ़ ़
हुनका पुताैह सॅ काेन सेवा सुश्रुषा करबाब’ केछलैन्ह ़ ़ ़ ़ आे त अपने चीफ इंजीनियर क
घरवाली ़ ़़ एखनाे चारि टा खवास लागल छलैन्ह ़़ ़ ़।आे त पूताैह के भालरिक
फूल जकाॅ तरहत्त्थीे प’ राखए लेल तैयार छलीह ़़ ़ ़ ़ ।मुदा इर् की ़ ़ ़ ़ ।
माएक जी गाय सन ।तैयाे सदि खन अपन माेन के परतारैत एतबै कहैथ “जाए
दही हमरा सब के नै अपमान केलक ़ ़ ़ साेनू के त खुश रखतै न ़ ़ ़ ।भ गेलए
आर की चाही हमरा ़ ़ ़ ।हमर बच्चा के माॅ भगवति खुश राखैथ ़ ़ ़ ।’
कामिनी कामायनी 6।4।09



कुमार मनोज कश्यप
जन्‌म मधुबनी जिलांतर्गत सलेमपुर गाम मे। बाल्य काले सँ लेखन मे आभरुचि। कैक गोट रचना आकाशवानी सँ प््रासारित आ विभिन्न पत्र-पत्रिका मे प््राकाशित। सम्प््राति केंद्रीय सचिवालय मे अनुभाग आधकारी पद पर पदस्थापित।
परजा

बड़का भैयाक दलान; दलान नहिं गामक चौक बुझू़़़़देश-दुनियाँ, खेत-पथार, नीति-राजनीति सभ पर गर्मागरम बहस एतऽ सुनबा लेल भेटत । चुनावक समय मे कोनो आन टॉपिक पर बहस हुअय ; से कने अनसोहाँत होयत । सभ जुटल लोक चुनावक एक-एक मुद्दा पर तेना बिक्षा-बिक्षा कऽ खोईंछा छोरा रहल छलाह जे कोनो सेफोलोजिस्ट टी०वी० पर की करताह । बौवूᆬबाबूक कहब रहनि जे एहि बेर सत्ता परिवर्तन हेबे टा करत़़़़सभ सत्तारूढ सरकार सँ नाखुश आछ ; तकर औल ओ सभ एहि बेर चुकेबे करतनि । एहि पर नन्हवूᆬ बमकैत बाजल जे 'कक्का आहाँ कतऽ छी़़़लोकक आँखि नहि बट्टम छियै जे चहुँकात होईत विकास के नहि देखतै़़़अपने गाम मे देखियौ ने जे कतेक के सरकार पक्का मकान बना देलकै़़क़तेक कऽल गड़ा गेलै़़ग़ामक लेल रोडो तऽ सैंक्शन भईये गेल आछ । बौवूᆬबाबू प््रातिवाद केलनि--'कोन घर आ कऽलक बात करैत छह? जा कऽ ओकरा सभ सँ पुछहक गऽ ने जे कतेक जोड़ी पनही घसा कऽ आ कतेक घूस दऽ कऽ घर आ कऽल भेलैयै?'पेᆬर बजलाह--' हौ ई सरकार पाँच साल तक जनता के मुर्ख बना कऽ अपन धोधि बढ़बैत रहल । भल होअय लोक तऽ ई चोरबा सभ के जमानत जब्त करा दिअय। ' ई वाद-प््रातिवाद चलिये रहल छल कि मखना बिचहिं मे बाजल--'यौ मालिक! आहाँ आउर कथि लै बेकारे मे बतकटाझु करैत जाईत छी। हमर मुर्खहा बुद्धि तऽ एतबे बुझैत आछ जे केयो जीतऽ; केयो हारऽ़़़हम सभ तऽ परजा छी, परजे रहब। ' दलान पर कनी काल लै चुप्पी पसरि गेल छलै।



अपन टीका-टिप्पणी दिअ।
https://www.blogger.com/comment.g?blogID=7905579&postID=513633139662640904

नवेन्दु कुमार झा, समाचारवाचक सह अनुवादक (मैथिली), प्रादेशिक समाचार एकांश, आकाशवाणी, पटना

पन्द्रहम लोक सभा – छोट आ क्षेत्रीय दल पर रहत नजरि- फेर गठबंधनक सरकार बनबाक अछि सम्भावना
- नवेन्दु कुमार झा
पन्द्रहम लोकसभा गठनक लेल होमएबाला आम-चुनावमे स्पष्ट मुद्दा गायब होयब आ कोनो तरहक लहरिक अभावक कारण चुनावक बाद त्रिशंकु स्थितिक हालति बढ़ि गेल अछि। आ एहन परिस्थितिमे क्षेत्रीय आ छोट दलक भूमिका बढ़बाक प्रबल सम्भावना अछि।

पछिला दू दशकसँ देशक सत्तामे कोनो एक दलक प्रभुत्व समाप्त भेलाक बादसँ चुनावमे क्षेत्रीय दलक ताकत आ भूमिका बढ़ि रहल अछि आ पछिला किछु चुनाव जकाँ अहू बेर सरकार गठनमे हुनक निर्णायक भूमिका होयबाक उम्मीद अछि। कांग्रेस भने ई दावा करैत हो कि हुनका लग मजगूत संगठन आ चाक-चौबंद रणनीति अछि मुदा ओकरा चुनावमे अपनहि सहयोगी दलसँ जूझऽ पड़ि सकैत अछि। जाहिमे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी सम्मिलित अछि। एहनमे ई कहब जे राजनीतिक हवा कांग्रेसक प़अमे होयत जल्दीबाजी होएत।
वर्तमानमे केन्द्रमे सत्ताक प्रमुख दावेदार संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (सप्रग) आ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) दुनूक स्थिति नीक नहि बुझि पड़ैत अछि। सप्रगक घटक दलक मध्य वर्चस्वक कारण ई गठबंधन अनौपचारिक रूपसँ छिड़िया गेल अछि तऽ राजगक किछु सहयोगी सेहो कात भऽ गेल छथि। एहि दुनू गठबंधनक अस्थिरतासँ उत्साहित भऽ एम्हर वाम मोर्चाक नेतृत्वमे तेसर मोर्चा गठित करबाक प्रयास तेजीसँ चलि रहल अछि तऽ दोसर दिस लालू प्रसाद, राम विलास पासवान आ मुलायम सिह यादव एक ठाम जुटि अपन ताकत बढ़बऽमे लागल छथि। ओना चुनाव परिणाम अयलाक बाद आर किछु दल तेसर मोर्चामे सम्मिलित भऽ सकैत अछि आ ज्यो कांग्रेस अथवा भाजपाक नेतृत्व बाला गठबंधन सरकार बनबऽके स्थितिमे आयल तऽ संभव अछि जे तेसर मोर्चा सेहो छिड़िया सकैत अछि।
पछिला लोक सभा चुनावक बाद कांग्रेस अपन एक सए पचपन सांसदक संग कतेको विचारधाराक संग जे गठबंधन बनौलक ओहिमे सँ वामपंथी विचारधाराक दल अलग भऽ गेल छथि आ कांग्रेसक नेतृत्व बाला सप्रग एखनो अस्तित्वमे अछि। कांग्रेस एक सय एकावन सीटमे सँ तीस टा सीट आन्ध्र प्रदेशमे भेटल छल जतय लोक सभाक बयालीस टा सीट अछि। कांग्रेस संसदीय दलमे एखन आन्ध्रप्रदेशक पैघ हिस्सेदारी अछि आ फेरसँ शासनमे अयबाक लेल ई प्रदर्शन दोहराबऽ पड़त। सप्रगक दोसर पैघ सहयोगी अछि द्रविड़ मुनेत्र कषगमक अगुआई बाला डेमोक्रेटिक फ्रंट जे तमिलनाडुक सभ उनचालीस सीटपर कब्जा कएने अछि मुदा एहि गठबंधनक सहयोगी पी.एम.के.क अलग भेलासँ ई प्रदर्शन प्रभावित भऽ सकैत अछि। ज्यों ई प्रदर्शन फेर नहि भेल तऽ सप्रग लेल दिल्लीक रस्ता बन्द भऽ सकैत अछि। एहि गठबंधनक दोसर घटक राष्ट्रीय जनता दल अछि जे बिहारमे पछिला बेर लोजपा आ कांग्रेसक संग मिलिकऽ लड़ल छल ओ ओहिमे राजदक चालीस टा सीटमे सँ तेइस सीटपर सफलता भेटल छल। एहि बेर लोजपा-राजद गठबंधन द्वारा कांग्रेसकेँ कात लगा देबाक कांग्रेस सभ चालीस सीटपर चुनाव लड़बाक जे साहस देखौलक अछि ओहिसँ कांग्रेसी उत्साहित छथि मुदा एहिसँ एहि गठबंधनक प्रदेशमे पछिला प्रदर्शन दोहरेबापर संशय लागि रहल अछि। कुल मिलाकऽ पछिला लोकसभा चुनावमे गोटेक एक सय सीट सप्रगकेँ बिहार, आन्ध्र प्रदेश आ तमिलनाडुसँ भेटल छल जकर पुनरावृत्ति आवश्यक अछि। पन्द्रहम लोकसभाक चुनावक बाद सरकार गठनक चाभी एहि तीनू प्रदेशक हाथमे अछि। चाहे राजग हो कि सप्रग एहि तीनू प्रदेशमे अपन प्रदर्शनक बादे सत्ता धरि पहुँचि सकैत अछि। आन्ध्र प्रदेशमे दू टा नव राजनीतिक शक्ति तेलंगाना राष्ट्रीय समिति आ अभिनेता चिरंजीवीक प्रजा राज्यम् पार्टी सप्रगक लेल रोड़ा अटका सकैत छथि।
तमिलनाडुमे चुनावमे थोकमे वोट देबाक परम्परा अछि। चाहे लोक सभाक चुनाव हो कि विधान सभाक एहि ठाम सत्तारूढ़ दल आ गठबंधनक विरुद्ध एक तरफा मतदान होइत अछि। कांग्रेसक समस्या अहू ठाम अछि। एक तऽ पहिनहिसँ ओकर गठबंधनसँ पी.एम.के.अलग भऽ गेल अछि आ दोसर वामपंथी दल आ अन्नाद्रुमुकक गठबंधनमे सम्मिलित भऽ गेल अछि। वर्ष २००४क लोकसभा चुनावमे दक्षिणी क्षेत्रमे कांग्रेसक नीक सफलता आ एहि क्षेत्रसँ भेटत मजगूत सहयोगीक सहारे सप्रग केन्द्रमे सत्तारूढ़ भऽ सफल छल। एहि बेर दक्षिण क्षेत्रमे स्थिति किछु कमजोर बुझि पड़ैत अछि मुदा चुनावक बाद ओकर नव सहयोगीक संभावनाक द्वार खुजल अछि।
पन्द्रहम लोकसभाक लेल होमए बाला चुनावमे मुख्य रूपसँ दू टा गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन आ कांग्रेसक नेतृत्व बाला छिड़ियायल संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सत्ताक दावेदारक रूपमे अछि। एहि दुनूक चाभी अपन हाथमे रखबाक लेल वाम मोर्चाक नेतृत्व बाला तेसर फ्रंट आ लालू-रामविलास-मुलायमक गठजोड़ कसरत कऽ रहल अछि। ओना तेसर फ्रंटक अभाव दक्षिणी राज्यमे बुझि पड़ैत अछि मुदा राजगक घटक बीजू जनता दलक एहिमे सम्मिलित भेलासँ ओकर असरि उत्तर क्षेत्रमे पड़ि सकैत अछि। कांग्रेसक नजरि सेहो एहि बेर उत्तर भारतपर अछि। पार्टीक हिन्दी भाषी क्षेत्रमे एहि बेर नीक सफलता भेटबाक उम्मीद अछि। लालू आ मुलायमसँ अलग भऽ चुनाव लड़बाक कांग्रेसक निर्णयसँ पार्टीमे नव उत्साह तऽ आयल अछि संगहि जनताक नजरि सेहो पार्टी दिस जा रहल अछि। विशेष रूपसँ पार्टी महासचिव राहुल गाँधीक ध्यान बिहार आ उत्तर प्रदेशमे अछि। राजग द्वारा टिकट वितरणमे किछु जाति विशेषक कयल गेल उपेक्षाक कोप भाजन भाजपा आ जद (यू) केँ भऽ सकैत अछि आ सभ चालीस सीटपर चुनाव लड़ि रहल कांग्रेसकेँ एकर लाभ भेटि सकैत अछि। वर्तमान स्थितिमे कांग्रेस राजग आ लालू-रामविलास गठबंधनक नोकसान पहुँचेबाक स्थितिमे अछि आ ज्यो पार्टी एकटा व्यापक रणनीतिक तहत चुनाव अभियान चलओलक तऽ भऽ सकैत अछि जे ओकरा पछिला बेरसँ बेसी सीट भेटि सकैत अछि।
राष्ट्रीय जनतांत्रिकिअ गठबंधन जतए बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर-प्रदेश, राजस्थानमे नीक प्रदर्शनक आशमे अछि तऽ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन बिहार, आन्ध्र्प्रदेश आ तमिलनाडुमे सैंधमारी भेलापर कर्णाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र आ उड़ीसासँ उम्मीद लगौने अछि। एम्हर तेसर मोर्चा पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश आ उड़ीसापर अपन ध्यान केन्द्रित कऽ दिल्लीक चाभी अपना हाथमे रखबाक प्रयास कऽ रहल अछि तऽ दोसर दिस लालू-रामविलास-मुलायमक गठजोड़ बिहार आ उत्तर प्रदेशमे बेसीसँ बेसी सीट जीति सत्ताक केन्द्र बनबाक लेल ऐड़ी चोटी लगा रहल छथि। एहि सभक मध्य सोशल इन्जीनियरिंगक करिश्मा देखबऽ लेल मायावतीक नेतृत्व बाला बसपाक पूरा तैयारी अछि आ उत्तर प्रदेश सहित बिहार आ महाराष्ट्रपर ध्यान लगौने अछि जाहिसँ मायावतीक दिल्लीक कुर्सीक सपना साकार भऽ सकय।
मुद्दाविहीन एहि बेरक चुनावमे कोनो दल अथवा गठबंधन आश्वस्त नहि अछि। ओना ’वरुणास्त्र’क सहारा लऽ भाजपा अपन ताकत देखेबाक तैयारी कऽ रहल अछि मुदा ओकर सहयोगी दलक एहि मामिलामे कड़गर रुखसँ ओ दू डेग चलि तीन डेग पाछाँ भऽ जा रहल अछि। तऽ कांग्रेस अपन पाँच बरखक शासनकाल आ राहुल गाँधीक करिश्माक भरोसे मैदानमे अछि। वर्तमान परिदृश्यमे त्रिशंकु लोकसभाक होयब निश्चित अछि आ एहन परिस्थितिमे छोट आ क्षेत्रीय दल दिल्लीक सत्ताक चाभी अपना हाथमे राखि सकैत छथि।


अपन टीका-टिप्पणी दिअ।

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डॉ.शंभु कुमार सिंह
जन्म : 18 अप्रील 1965 सहरसा जिलाक महिषी प्रखंडक लहुआर गाममे। आरंभिक शिक्षा, गामहिसँ, आइ.ए., बी.ए. (मैथिली सम्मान) एम.ए. मैथिली (स्वर्णपदक प्राप्त) तिलका माँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार सँ। BET [बिहार पात्रता परीक्षा (NET क समतुल्य) व्याख्याता हेतु उत्तीर्ण, 1995] “मैथिली नाटकक सामाजिक विवर्त्तन” विषय पर पी-एच.डी. वर्ष 2008, तिलका माँ. भा.विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार सँ। मैथिलीक कतोक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिका सभमे कविता, कथा, निबंध आदि समय-समय पर प्रकाशित। वर्तमानमे शैक्षिक सलाहकार (मैथिली) राष्ट्रीय अनुवाद मिशन, केन्द्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर-6 मे कार्यरत।


अवसरक निर्माण
(1)

धनमाक थुथूने देखि हम बुझि गेलहुँ, जे आई फेर ओकर कुहबा पाबनि भेल छैक।
प्रो. साहेबक ओहिठाम नोकरी करबाक ई धनमाक चरिम मास छलैक। ओकर बड़का भाय सेहो हिनकहि ओहिठाम दूइ बरखसँ नोकरी करैत रहैक, पछिले मास ओकर ट्राँसफर प्रो. साहेबक छोट भाय लग झरिया भ' गेलैक। धनमाक भाइये तीन मास सँ ओकरा ट्रेनिंग दैत छलैक बर्तन-बासन सँ ल’ कए रसोई बनाएब, बोरहनि पोछा, कपड़ा-लत्ता साफ करब आदि-आदि। सभ लूरि तँ धनमा सीखि नेने रहय, खाली ओकरा तरकारी मे नून देबाक ठेकान नहि रहैक आ ताहि कारणेँ ओकरा कहियो-कहियो कुहबा पाबनि सहय पड़ैक।
बारह बरखक धनमा देख’ मे एकदम गोर-नार। उज्जर दग-दग अँगाकेँ जखन ओ सिलेठिया रंगक हाफ-पेन्टक तर बिना बेल्टहिक डोराडोरि चढ़ा अंडरसेटिंग करैक त’ बुझाइक जे कोनो अंगरेजी स्कूलक चटिया हो। छौंड़ा चौथा किलास धरि पढ़लो रहैक, बाप कहलकै “गरीबक बेटा आब एहिसँ बेसी पढ़ि कए की करतैक? जो नोकरी कर ग’ घरमे दू पाइक मदति भ’ जाएत।”

ने जानि किएक हमरा धनमासँ सिनेह भ’ गेल छल। तैं जहिया-जहिया हम प्रो. साहेबक बासा पर रातिकेँ ठहरी, भरिपोख धनमासँ गप्प-सप्प करी। नेना जाति, पहिल बेर घरसँ निकलल रहैक, से जखन-जखन ओकरा अपन माय-बापक यादि आबैक ओ कपसि-कपसि कए कानय लागय। ओकर कानब आ मनोदशा देखि हमरा ओकरा पर दया आबि जाइत छल। ओकरा प्रति दया हेबाक कारण हमरा आ धनमा मे एकटा सामानता रहैक। धनमो अपन परिवारक लेल नोकरी करैत रहय आ हमहुँ अपन परिवारक खातिर नोकरी करैत छलहुँ। अंतर यैह छलैक जे धनमाक उमिर रहय 13बरख आ हम रही 25 बरखक। धनमा अपन सभटा दरमाहा अपन-माय-बापकेँ द’ दैत छल आ हम दरमाहा मे सँ किछु बचा कए पढ़ितो छलहुँ। एखन हम एम.ए. क छात्र रही।
ओना तँ धनमा सभ दिन ड्राइंग हॉलमे सूतैत छल मुदा ओहिदिन ओ हमरहि पलंगक नीचाँ अपन पटिया-दरी बिछा पड़ि रहल। जखन राति निशबद भ’ गेलैक, प्रो. साहेब आब सूति गेल हेताह, ई जानि धनमा हमरा टोकलक। “अइं यौ भाइजी, टाटाक नून आर नूनसँ बेसी नूनगर होइत छैक की?”
“नहि त’!”
नहि यौ भाइजी हम से नहि मानब, एहिसँ पहिने हमरा ओहिठाम ‘कैप्टन कूक’ नून अबैत रहैक, तरकारी मे दूई चम्मच दियैक तखनो मालिक आ मलिकाइन किछु नहि बाजय। ई सार टाटाक नून जहियासँ आएल छैक हमरा एकर अंदाजे नहि रहै यै। डेढ़ चम्मच दिऔक तखनो जहर आ एक चम्मच द’ दिऔक तखनो जहर। अही नूनक खातिर हम एतेक मारि खाइत छी।
अच्छा एकटा बात कह धनमा, “तोरा ओहिठाम टाटाक नून कहिया सँ अबैत छौक?”
“एक मास सँ।“
“एहि एक मासमे तोरा कैक बेर मारि लागलौ?”
“अही बेर।”
“बस । एकर माने भेलैक जे गलती तोहर छौक नूनक नहि।”
आ हमरा मालिकक कोनो गलती नहि? ओ नहि बुझि सकैत छथि जे धिया-पुता छैक एक दिन गलतीए भ’ गेलैक त’ की हेतैक, एहन छोट-सन गलतीक लेल एहन मारि? हुनक बेटो तँ हमरे तुरिया छैक, ओकरा किएक नहि मारै छथिन? जानै छी भाइजी काल्हिए गणेश हमर 30 टा टका चोरा क’ आइसक्रीम खा’ लेलक, मुदा चोरि-सन अपराधक बाबजुदो मालिक ओकरा किछु नहि कहलथिन।
“तोहर 30 टका चोरा लेलकौक! तोरा कत सँ टका एलौ?”
हुँ-हुँ भाइजी, हमरा 93 गो टका छैक। मालिकक ओहिठाम जे पर-पाहुन सभ अबैत छथिन से हुनका सभक अटैची आ बैग जे नीचाँ धरि ल’ जाइत छियैक तँ ओ सभ कहियो-कहियो हमरा पाँच-दस टका द’ दैत छथि। हम ई टका अपना मालिकीनिकेँ द’ दैत छियैक राख’ लेल। ओहि घरमे टेबुल पर एसनो वला एकटा उजरा डिब्बा देखने छिऐक? ओहिमे हमर सभटा टका रहैत छैक। 100 सय टका पूरि जतैक तँ हम अपना छोटकी बहिन लए फराक कीनबै। काल्हि गणेश ओहिमे सँ टका चोरा नेने छलैक।
अच्छा कोनो बात नहि, प्रो. साहेब गणेशकेँ किछु नहि कहलथिन एकर माने भेलैक जे आगू चलि कए ओकर संस्कार खराब भ’ जेतैक। तोँ चोरि नहि करैत छैं एहि लेल तोहर संस्कार नीक भ’ जेतौक। एखन तो नेना छैँ ई सभ बात नहि बुझबेँ।
हँ यौ भाइजी, हम सभ बात बुझै छियै। गणेश पढ़ै लिखै छैक ओकर संस्कार कतबो खराब हेतैक तैयो ओ बाबूए कहौताह आ धनमा धनमे रहि जाएत।
एहन बात नहि छैक धनमा, गुलटोपीकेँ चिन्हैत छही? ओ कतेक पढ़ल-लिखल छैक से जानैत छही? नहि ने! ओ औंठा छाप छैक, औंठा छाप, आ केहन चमचम करैत गाड़ी पर चढ़ैत छैक? ओकर मुंसी बी.ए.पास छैक। गुलटोपी ठिकेदार छियै। लोकमे बस मेहनति, लगन आ इमानदारी हेबाक चाही ओ कहियो किछु क’ सकैत अछि। ई सभ बात तोँ एखन नहि बुझि सकबेँ कने आर चेठनगर भ’ जो तखन अपनहि बुधि भ’ जेतौक।
..............................
“अइँ यौ भाइजी! अहुँ गरीब छियै?”
“के कहलकौ?”
प्रो. साहेब बाजैत रहथिन जे “विवेक बड्ड गरीब छैक। कमा क’ घरो देखै छैक आ पढ़बो करै छैक।”
“हँ, ठीके कहलथुन।”
तँ अहाँ मैथिली किएक पढ़ैत छी, साइंस किएक नहि पढ़ैत छी? साइंस पढ़िकए लोक डागदर, इंजीनियर बनैत छैक। प्रो. साहेब कहैत रहथिन “बेचारा साइंस कत’ सँ पढ़तैक? ट्यूशनक टका कत’ सँ आनतैक तैं मैथिली पढ़ैत छैक।” अइं यौ भाइजी मैथिली बड़ खराप विषय होइत छैक?
नहि रौ बकलेल। भाषा कोनहुँ खराप नहि होइत छैक। भाषाक विषयमे सोचएबला खराप होइत छैक। अच्छा एकटा बात बता “तोरा जँ मैथिली बाज’ नहि आबितौक तँ तू हमरा सँ बात क’सकितेँ?”
नहि यौ भाइजी! प्रो. साहेब फूसि बाजैत रहथिन। मैथिली सन सरस आ नीक आन कोनो भाषा भइये नहि सकैये। हुनका देखैत छियैन जे ओ प्रो. सभक संगे मैथिली बाजैत-बाजैत अंगरेजीमे किदन कहाँ गिटिर-पिटिर, गिटिर-पिटर बाज’ लागैत छथिन।
अच्छा ई बताउ मैथिली पढ़ि कए अहाँ प्रो. बनि सकै छी?
हँ, किएक तहि!
तखन तँ अहाँ प्रो. अवश्ये बनब भाइजी।
धुर, पकलाहा नहितन।
भाइजी एकटा बात आर कहू, “गरीब लोक कहियो धनिक बनि सकैत अछि?”
“एकदम बनि सकैत अछि?”
धनमा कने काल चुप रहल, आ चुप्पे-चुप सुति रहल।




(2)

हम साल भरिसँ दिल्लीक एकटा प्राइवेट कम्पनीमे काज करैत छी। प्रेमनगर सँ लाजपतनगर धरि प्रायः बस सँ आन-जान होइत अछि, कहियो काल लोकल ट्रेनसँ सेहो चलि जाइत छी। आइ कम्पनीमे कने बेसी काल रुक’ पड़ल से भूख सँ छोहाटल रही, तैं पापड़-पापड़’क शब्द सुनि पापड़वलाकेँ बजेलिए – “ऐ पापड़वाले! एक पापड़ देना।” पापड़ वला सोझाँ आएल, पापड़ देलक। पाय देब’ लागलिऐक की ओ पापड़ वला हमरा पयर पर खसि पड़ल आ बड़ दुखी स्वरेँबाजल—“भाइजी हमरा नहि चिन्हलियै? हम धनमा।” धियान सँ देखलहुँ ओ धनमे छल। हमरा कने ग्लानिओ भेल। हम तत्क्षण उठि धनमाकेँ हृदय लगा लेलिऐक दुनू गोटे भाव-विभोर भ’ गेलहुँ। हम धनमाकेँ अपन कातमे बैसाबैत पूछलिऐक, “कह धनमा की हाल-चाल, एतय कोना?”
ओ बाजल भाइजी अपनेकेँ स्मरण अछि हमर ओ मारि? ओ राति? हम ओतए मारि खाइत-2 तंग भ’गेल रही। तरकारीमे नून बेसी भ’ गेल त’ मारि, नून कम भ’ गेल त’ मारि, कपड़ामे दाग रहि गेल त’ मारि......। भाइजी अंतिम रातिकेँ जे हमरा अपनेसँ भेंट भेल छल तकर परातेक बात छियै, प्रो. साहेबक डेराक नीचाँ जे चाहक दोकान रहैक हलाल खान केर, तकरहि बेटा दिल्ली मे दरजीक काज करैत रहैक, ओकरे सँ हमर भेंट भेल तँ ओ कहलक—“चल हमरा संगे दिल्ली, ओतए कपड़ा मे काज-बुटाम लगबिहें बैसल-2, खेनाय-पिनाय आ पाँच सय टका महिना देबौ।” हमरा लग भाड़ा जोगड़ पाय रहबे करए, ओहिदिन भागि गेलहुँ ओतए सँ। तीन मास धरि ओकरहि दोकान पर रहलहुँ। ओहि दोकानक बगलहिमे एकटा पापड़वला रहैक जकरा ओहिठाम सँ नितदिन देखिऐक हमरे सभक तुर केर बच्चा सब थाकक-थाक सेदल पापड़ ल’ जाइक। एक दिन हम ओहि दोकान पर गेलिऐक तँ भाइसाहेब (पापड़वला) हमरा कहलक- “पापड़ बेचोगे? देखते हो ये लोग तुम्हारी ही उम्र के हैं 100 रुपया रोज कमाता है। पूंजी भी तुम्हारी नहीं लगेगी, बस यहाँ से सेंका हुआ पापड़ ले जाओ, दिन भर घूम-घूमकर बेचो और शाम को पैसा जमा कर दो। एक पापड़ का तुमको 50 पैसा देना होगा उस पापड़ को दो रुपये में बेचो। मतलब एक पापड़ पर तुमको 1.50 पैसा बचेगा, जितना बेचोगे उतना ही कमाओगे।” हमरा ई बिजनेस जँचि गेल। हम दोसरहि दिनसँ पापड़ बेच’लागलहुँ। पहिने किछु दिनतँ करोलेबाग धरि रहैत छलहुँ, मुदा आब तँ ततेक ने उडाँत भ’ गेल छी जे दिल्लीक साइते कोनो एहन कोन हेतैक जतय हम नहि गेल छी। एखन हमर दू टा बिजनेस चलै यै भाइजी। भोर 8 बजे सँ 11 बजे धरि राम मनोहर लोहिया अस्पतालक गेट पर नारियर बेचैत छी, ओहुमे एक पीस पर सरपट आठ अनाक बचत छैक। दू सय पीस तँ निदान बिकिए जाइत छैक। सय टका रोज हमरा ओहिसँ अबैत अछि। साँझ चारि बजे सँ राति नओ बजे धरि बस, ट्रेन, पार्क सभमे पापड़ बेचैत छी तँ ओतहुँ निदान 4-5 सय पीस पापड़ बेचिये लैत छी। हम मोने-मोन हिसाब लगब’ लागलहुँ, “नारियर मे 100 सय टका आ पापड़ मे 400 डयोढे 600 टका। एकर माने धनमाक कमाय एखन 700 सँ 800 टका रोज छैक।”
धनमा आगू बाजल—भाइजी, हम तीन साल धरि ने घरमे कोनो चिठ्ठी-पत्री देलिऐक आ ने ककरो जान’ देलिऐक जे हम कत’ छी। हमर माय-बाप आ गाम समाजक लोक बुझय जे “धनमा मारि-हरि गेल।”
तीन सालक बाद गाम गेलहुँ। ओतए दू कोठलीक पक्का ढोकलहुँ। तीन बिगहा खेत किना, देलिऐक बाउकेँ। एक जोड़ बड़द आ एकटा पम्पिंगसेट सेहो कीनि देलिऐक। अगिला मास एकटा टेक्टर किन’ चाहैत छी। हमर बड़का भाइ आब गामहिमे रहिकए खेती-बारी करै यै। ओकरो प्रो. साहेबक भायक ओहिठाम सँ चाकरी छोड़ा देलिऐक। हमर बहिन मिल्लत स्कूल दरिभंगा मे पढ़ैत अछि। ओ एखन दसमा मे छैक। पढ़’ मे बड़ चन्सगर, सभ साल अपन कक्षामे फस्टे करैत छैक। कहैत छैक “हम डाकदर बनब”। हमरा विश्वास अछि भाइजी हम ओकरा डागदर बना देबैक। धनमा आगू बाजल—“अहाँ अप्पन कहू भाइजी अपने एत कोना?”
हम एतए एक बरखसँ छी, एकटा प्राइवेट कम्पनी मे काज क’ रहल छी । 5000 हजार टका दरमाहा अछि हमर।
“बस पाँच हजार! एहिमे कोना गुजर करै छी यौ भाइजी?”
रौ धनेसर तोरा बुझल छौक ने जे हम मैथिली सँ एम.ए. केने रही। मैथिलीक सर्टिफिकेट ल’ क’ सौंसे दिल्ली धांगि देलिऐक? एतए भाषा नहि टेक्निकल ज्ञान चाही।
धनमा कनेकाल चुप भ’ गेल..... ओ बाजल-- भाइजी अहाँ तेँ तेहन ने बात हमरा कहि देलिऐक जे हमरा किछु फुरिते नहि यै? आब आइ हम अहाँ केँ नहि छोड़ब, अहाँ केँ हमरा बासा पर जाय पड़त।

धनमा हमरा विवश क’ देलक, ओहि दिन हम करोले बाग टीसन पर उतरि गेलहुँ।
धनमाक बासा करोलबाग टीसन सँ लगीचे रहैक।
ओहि छोट-सन घरक एक हिस मे रसोई बनएबाक बरतन-बासन रहैक, दोसर दिस मे ओकर कपड़ा–लत्ता, ओछाओन आदि आ शेष भाग मे एकटा बड़का-टा रैक रहैक जाहिमे किताब सभ ढाँसल। ओकरा ओछाओन पर सेहो कैक टा मैथिलीक पत्र-पत्रिका सभ छिड़िआएल रहैक, से देख हमरा कने अचरज भेल। धनमा हमर मनोदशाकेँ भाँपि लेलक। ओ बाजल—“भाइजी ई हमरे डेरा थिक निश्चिन्त रहू। हम अहाँ केँ एतय नहि अनितहुँ, अहाँ जतबे बाजि देलियैक जे मैथिली सँ एम.ए.....। भाइजी हमरा अहाँक ओ उपदेश सभ एखन घरि स्मरण अछि। अही ने हमरा एकदिन कहने रही जे, प्रेमचंद गणितमे फेल भ’ गेल छलाह, जयशंकर प्रसाद पचमे धरि पढ़ने छलाह, गुलटेन औंठा छाप अछि आ...., भाषा कोनो नहि खराप होइत छैक, मेहनति, लगन, इमानदारी सँ.......। भाइजी अहाँ मैथिलीक धनेसार कामति केँ जनैत छियैन?”
हँ, हुनकर किछु रचना सभ पढ़ने छी, चेहरा सँ हम हुनका नहि चिन्हैत छियनि।
ओ बाजल त’ लिअ आइ चेहरो देखिए लिअ – हमहीं छी अहाँक धनेसर कामति। भाइजी हम अही सँ प्रेरणा ल’ क’ आइ स्वाध्यायक बलेँ मैथिली साहित्य मध्य धनेसर कामतिक नामे ख्यात् छी। यौ आइ हम प्रतिमास ओतेक टका कमा लैत छी जतेक प्रो. साहेबक दरमाहा छनि। भाइजी अहाँ पढ़ल-लिखल लोक छी, 5000 केँ 50000 मे कोना बदलल जाय ? से अहाँ सोचि सकैत छी। माफ करब भाइजी! छोट मुँह पैघ बात। हमरा जनिते अहाँ अवसरक प्रतीक्षा क’ रहल छी, किछु नहि भेटत, किछु नहि क’ सकब, भाइजी अवसरक निर्माण करू, निर्माण.....।
हम मोने-मोन सोच’ लेल बाध्य भ’ गेलहुँ जे 18 बरखक अनपढ (?) धनमा नीक आकि हमरा सन 30 वर्षीय मैथिलीक स्नातकोत्तर?

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अपन टीका-टिप्पणी दिअ।
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३. पद्य

३.१. लल्लन ठाकुर जीक किछु रचना
३.२. कामिनी कामायनी: आखिर कहिया धरि
३.३. निमिष झा- जीवन एकटा दुरुह कविता
३.४. सतीश चन्द्र झा- भ्रमित शब्दा
३.५ आयल फेरो समय लगनक- रूपेश
३.६. ज्योति-कलमक टाेह
३.७. विवेकानंद झा



श्रीमती सुभद्रा देवी आ श्री हीरानंद ठाकुरक द्वितीय बालक श्री लल्लन प्रसाद ठाकुरक जन्म ५ फरबरी १९५१, नरकनिवारण चतुर्दशी कs मुंगेर मे भेल छलैन्ह।हिनक ग्राम- समौल,जिला-मधुबनी, आ कर्म स्थली जमशेदपुर छैन्ह। स्कूल-वॉट्सन हायर सेकेंडरी स्कूल ,कॉलेज -एम .आई .टी मुजफ्फरपुर। स्कूली शिक्षा मधुबनिक वॉट्सन स्कूल सs केलाक बाद मुजफ्फरपुर इंजीनियरिंग कॉलेज सs सिविल इंजीनियरिंग केलाह। नेन पनि सs हिनक अभिरुचि कला आ साहित्य कs प्रति रहलैंह आ अनेको कार्यक्रम मेभाग लैत रहलाह। अपनहीं लिखल नाटकक मंचन ओ अपन स्कूले सs करैत रहलाह। कॉलेज कs पहिले बरख मेअपन कॉलेजक सांस्कृतिक कार्यक्रमक भार हिनका दs देल गेलैंह। कॉलेजक द्वितीय बरख सs लs कs अन्तिम बरख तक अपन कॉलेजक छात्र संघक जेनेरल सेक्रेटरी रहलाह। कॉलेजक पढ़ाई पूर्ण भेला पर टाटा स्टील मेकार्यरत भेलाह। ऑफिसक व्यस्तताक बावजूद ओ अपन साहित्यिक गतिविधि कs आगू बढ़ाबति रहलाह। ओ सदिखन अपने लिखल नाटकक मंचन करैत छलाह आ ओहि मेहुनक मुख्यभूमिका रहैत छलैन्ह। प्रकाश झा कs फ़िल्म "कथा माधोपुर की "मेमुख्य भुमिका सेहो केने छथि। हुनक लिखल सब नाटक मिथांचल मेअखैनो खेलायल जायत छैक। हुनक लिखल किछु प्रसिद्ध मैथिलि नाटक छैन्ह:१ - बडका साहेब २ - मिस्टर निलो काका ३ - लोंगिया मिरचाई ४ - बकलेल ५ - आदि वा अंत
लल्लन ठाकुर जीक किछु रचना पाठक लोकनिक समकक्ष प्रस्तुत अछि।

साढूनामा (कव्वाली, तेसर कड़ी )
कैयक साल सौराठ सभा गेलाक बाद बsरक विवाह भs जायत छैन्ह, आ ओकर बाद होली मे हुनक साढू सब सेहो पहुँचति छथि। होली मे सब साढूक जुटान होइत छैक। विवाहक बादक साढूक व्यथा :


साढूनामा


सासुर थिक कैलाशे ........दूर हो कि पासे ,
सारि सारक गप्प कोन सास ससुर दासम दासे।
तs अहीं कियाक अघुतायल छी यौ साढू ,
एखैन्ह तs भेल एके मासे।

बहुत जतन सs होइत छैक विवाह मनुख के,
सुखक आरम्भ आ अंत दुःख के।
आ...भक्तक लेल जेना मन्दिर -मस्जिद गुरुद्वारा,
मैथिलक लेल मोहिनी मुरतिया संs सुशोभित ससुर द्वारा।

तs प्रेमक व्यापार करू,
छप्पन तरहक व्यंजन मुफ्तहिं उदरस्थ करू।
लगैत नहिं छैक कोहबर घरक कोनो भाड़ा,
संठी सन जे अबैत छथि, मोटा कs मोटा कs भs जायत छथि पाड़ा।
तs अहीं कियैक अघुतायल छी .......................एके मासे।


नय गाम परहक झंझट , नय बाबू के फटकार ,
बाबू खुश भेला लय हजारक हजार। ........2
जिन्दगी मे आयल बहारे बहार,
चान सनक सारि आ फूल सनक सार।


स्वर्णिम अक्षर संs लिखायत ऑ चातुर्थिक राति,
जखन नॉन देल भोजन पर सोन सन मुखराक दर्शन भेल छल।
मोन मे इ झंकार भेल छल आ ह्रदय मे ई गर्जन भेल छल।
की गर्जन भेल छल ?


हमरा तs लूटि लिया मिलके हुस्न वालों ने,
गोरे गोरे गालों ने, काले काले बालों ने।


हम छोरि चलल छी सासुर के, हमरा कथि लेल रोकय छी।
मुश्किल सs कतेक जतरा कयलहुं, पाछू सs कथि लेल टोकय छी।


नय चान सनक सारि, नय सार गुलाबक फूल,
विवाह जे कs लेलहुँ, से भेल भारी भूल।
नय छप्पन तरहक भोजन, ससुर के लाचारी,
यौ डेढ़ आंखि वाली सासु गाबथी नचारी।
यौ कठ्खोधी सन मुँह वाली हमर घरवाली,
सड़क पर जोँ चलती तs कहतैन मदारी। बच्चों बजाओ ताली ....२
नय चतुर्थिक राति नय होली नय बरसाति,
यौ कर्मक लिखल कहल गेल छय सुआति।
जिन्दगी संs साढू हम मानि गेलौं हारी,
गेलौं नेपाल सँग गेलय कपार ।


पहिने सs अधिक दुखी छी हम,
छूरा कथि लेल भोंकय छी।
हम छोरि चलल छी सासुर के .................पाछू सs कथि लेल टोके छी........ ।

गीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर
संगीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर


सभागाछी सौराठ (कव्वाली, दोसर कड़ी)

एकटा बsरक बाप सब साल अपन बेटा के लs कs सौराठ सभा जायत छथि मुदा ओहिना आपस भs जायत छथि।विवाह नहि भs पबैत छैन्ह।बsर के इ नीक नय लागैत छैन्ह। इ ओहि बरक व्यथा छैन्ह। :



सभागाछी सौराठ

बsर - आ ...आ...आ...
चारिम बरख थिक जे आपस जायब ,जायब जं आपस त फेर नय आयब
सुनि लिय बाबू यो सुन लिय भैया , जतबो भेटैया नय भेटत रुपैया
मुदा हमरे ....तs हमरे करम कियाक एहेन भs गेल ......२

सब - चारि बेर एला बियाहे नय भेल .........2
पिता - आ ....आ....आ....अगुताउ जुनि,घबराऊ जुनि
अगुताउ जुनि घबराऊ जुनि हेबे करत , क्यो नय क्यो माल देबे करत .......2
बौआ एकरे कहे छय कर्मक खेल, कहेनो ठाम कोना दिय ढकेल
अगुताउ जुनि .........................................................माल देबे करत....
सहयोगी - मुदा हिनके .......मुदा हिनके करम .................बियाहे नय भेल.........२
बsर - कोना नय अगुताइ अहिं सब कहू,
तिसम बरख वयस अछि, आब कते दिन असगर रहू ।
चतुर्थिक सौजन स्वप्न बनल जाइत अछि ,छप्पन तरहक व्यंजन कोना लोक खाइत अछि,
बाबू अहांक गप्प आब नय सोहाइत अछि , हाय रे हमर करम नय जानि कतs ओ बौआयति अछि।
सहयोगी- मुदा हिनके ...................................................................बियाहे नय भेल ..........२
बsर - कहलियै करम के रे कहने तो आन, आंखि से आन्हर हो कि बहिर हो कान
कहेनो तो देबैं सब अछि कबूल, पैर सs नांगुर हो वा हो कोनो लूल
मुदा हमरे ...................................................... बियाहे नय भेल......१
सहयोगी- मुदा हिनके ......................................बियाहे नय भेल.......२
पिता - एतेक जे अगुतायल छी जे आन्हर बहिर, जेहेन तहेन कनियाँ चाहैत छी,
जीबैत जीबैत जाँ नर्क भोगs चाहैत छी,
तs उढ़डि जाउ ककरो संग
हमरा किछु नय कहू,
बुझि लिय जे बाप मरि गेला,माय मरि गेली
ओकरे संग कतौ जा कs रहू ..............
सहयोगी - मुदा हिनके ..............................................बियाहे नय भेल-.....२
पिता - आ.........आ.......आ..........
हमारा सs पैघ शुभ चिन्तक के भs सकैत अछि
जे टाकाक संग -संग नीक लोक नीक घsर तकैत अछि
आ.....आ....ससुर एहेन जे खूब मालदार हो,
कोनो छोट मोट थानाक हवालदार हो।
एक अदद मात्र दुलरुआ सार हो सुंदर सुंदर सारिक जतय भरमार हो .....
सहयोगी- मुदा हिनके ..........................................................बियाहे नय भेल......२
बsर - मुदा हमरे ......................................................................बियाहे नय भेल ......२
पिता - सासु अहांक चलवा फिरवा मे लाचार हो,
अहींक कनियाँक हाथ मे घरक सब कारोबार हो,
कहैत छियैन्ह भगवान् के जल्दी पठा दिय,
जेकरा लग रुपैया पचास हजार हो ....
बsर - आ....आ....बाप हमर खुश होथि आ ...स्वप्न हमर साकार हो
मुदा हमरे ...................................................................बियाहे नय भेल ...२
सहयोगी - मुद्दा हिनके ............................................................बियाहे नय भेल....२
(एक घटकक प्रवेश )

बsर - बाबू..... बाबू...कियो आबि रहल अछि, बचि कs ई जा नय पाबय
सभा सेहो आब उठि रहल अछि, आबि रहल अछि....बाबू.... ... आबि रहल अछि।
पिता - चोप ...चोप गधा चोप ....
घटक - नमस्कार
पिता - चोप
घटक - की?
पिता - नमस्कार
घटक - हे हे हे हे नमस्कार ......नमस्कार
की पढ़ल छी ?
पिता - ABCD
घटक - की करय छी ?
बsर - EFGH
घटक - हूँ ....हूँ....कतेक टाका...?
पिता - पचास हजार .....
घटक - बाप रे बाप ......बहुत महग अछि .....
बहुत महग अछि .......बाप रे बाप ...बाप रे बाप ...(प्रस्थान )
बsर - इहो चलि गेल .....सभा उठी गेल ....
प्राण पर हमर बनल बाबू ......अहांक लेल खेल ....
सहयोगी - इहो चलि गेल .....सभा उठि गेल, प्राण पर हिनक बनल अहांक लेल खेल ...
इहो चलि गेल .....
पिता - चोप ...चोप....गधा चोप ......
बsर - तमसाउ जुनि,.... खिसाउ जुनि ...
तमसाउ जुनि , खिसिआउ जुनि बाप हमर .....क्यो नय फंसैया की ई दोख हमर.....२
कनियाँ ............हे ये कनियाँ कतय छी हमर हुजूर ....
लोक तकैत अछि बsर के हम तकय छी ससुर ...
सहयोगी - कनियाँ...हे यै कनियाँ कत छी हमर हजूर
लोक तकैत अछि बsर के ई तकै छथि ससुर .........ई तकै छथि ससुर .... ।


गीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर
संगीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर ठाकुर

घटकैती (पहिल कड़ी)
"श्री लल्लन प्रसाद ठाकुर" रचित कव्वाली जे कि तीन श्रृंखला मे छैक, आ गीत नाटिका के रूप मे प्रस्तुत कायल जा सकैत अछि :

1-ghatakaiti (घटकैती)
2-sabhagachhi(सभागाछी)
3-sadhunama(साढूनामा)



घटकैती :

एक व्यक्ति अपन बेटा के लs कs सौराठ सभा जायत छथि। ओ घटकैती कोना करैत छथि से अहि गीत नाटिका मे छैक। :


घटकैती


घटक- पॉँच हजार
पिता - नय।
घटक - दस हजार
पिता - नय नय।
घटक - बीस हजार
पिता - कनि आगू बढू।
घटक - पचीस हजार
पिता -हाँ ........
पिता - अपने एलियै तकरे विचारि कs
पच्चिसे पर हम कहलहुं हाँ,
हमरा बौआ सन क्यो नय मिथिला मे
दियो लs कs ताकब जं।
मैट्रिक पढ़लकय, आई ए केलकय,
सोँचलों विवाह कs दियै त।
ससुर पढोथिन, नोकरी दिओथिन
बेटी सs अपन स्नेह हेतैन्ह जओं,
पच्चिसे पर तैं कहलौं हाँ ।

घटक - आगू पढेबय नोकरी दिएबय,
हमरे ऊपर मे भार हेतय जं।
अपने की केलियय,
कोन बाघ मारलियय,
बौआ के सिर्फ़ जन्मेला सs।
एतेक टका के मांग करयछी,
सोचियो कने तs अपने सs।
माथ मे दर्द कोनाक होइछय,
बुझतीये होइत बेटी जं।,
मानि जइयो कने कम्मे सं........।
पॉँच हजार ................................2

पिता - हम की केलियय,
कोन खर्च केलियय,
तकर हिसाब देखबय जं।
हॉस्पिटलक खर्चा दूधक पाई,
मास्टर स्कूल के दिलियय जे।
लमनचूस किताब आ कोपी,
हजार हजार के किनलौं जे।
आ बौआ के माय के कष्ट जे भेलैंह,
तकर हिसाब करतय के ।
पच्चिसे पर हम कहलों हाँ ..............२
घटक - अपने महान अर्थशास्त्रक विद्वान,
सबटा हिसाब जोड़ने छी।
हमर सलाह मानि लिय,
आब जे हम कहय छी।
अपनहूँ माय के कष्ट भेल हेतैन्ह,
अपनहूँ के जनमेवा मे।
तकरो हिसाब जोड़ी लिय,
बेटा के सूली चढेबा मे।
गप्प बेकार , जी सरकार,
हमरा बूते नय लागत पार,
अपने के बडका व्यापार,
हम चलैत छी नमस्कार....नमस्कार ......... ।

गीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर
संगीतकार : लल्लन प्रसाद ठाकुर

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कामिनी कामायनी: मैथिली अंग्रेजी आ हिन्दीक फ्रीलांस जर्नलिस्ट छथि।

आखिर कहिया धरि ़़
आखिर कहिया धरि
कूटैत रहब ढेकी में धान
आ’ बैसल बैसल करब नैहरक बखान
आखिर कहिया धरि
विषहरा के देबै दूध आ’ लावा
आ’ गेातिया के देख साेन्हाति रहब आवा
आखिर कहिया धरि
मैथिल आ’काेबरा के मानैत रहब सत्ये
आ’ इरखा द्वेष के बनेने रहब लक्ष्य
आखिर कहिया धरि
कहिया धरि सीता के हेतैन्ह गुणगान
आ आजुक सीता रहती गुमनाम
आखिर कहिया धरि काेसकी करती नांगट भ’ नाच
उजाङती बगीचा पाकल आ’ काॅच
आखिर कहिया धरि
कहिया धरि रहब एना छिटकल छिटकल
तनसॅ बेराम आ’ माेन सॅ विकल
आखिर कहिया धरि
कहिया धरि नबका पुल टुटल रहत
आ’ कहिया धरि निकम्मा सब जुटल रहत
आखिर कहिया धरि
कहिया धरि रघुबर के हेतै चुमान
आ पाग पहिरा करब फुइसक बखान
आखिर कहिया धरि
कहिया धरि उगना खबास रहता
आ कहिया धरि शंकर उपास करता
आखिर कहिया धरि
कहिया धरि पान मखान बिसरब
कहिया धरि खेती के शान बिसरब
आखिर कहिया धरि
कहिया धरि आपस में करब कटाैज
कहिया धरि लङत ननदि आ भाैज
आखिर कहिया धरि
कहिया धरि अप्पलन गाम बिसरब
बाङी में फङल लताम बिसरब
आखिर कहिया धरि
कहिया धरि कहबै मिथिला महान
आ तरे तरे काटबै अपने बान्ह
आखिर कहिया धरि
कहिया धरि करैत रहब शैव्या विलाप
आ मददि केनिहार के देब गारि आ सराप
आखिर कहिया धरि
कहिया धरि अनकर करब सत्कारर
आ’ अप्परन लाेक के देबै दुत्काुर
आखिर कहिया धरि
कहिया धरि मिथिला एना सुने रहतै
आ” कहिया धरि मैथिल सब दूखे सहतै
आखिर कहिया धरि
‘कामिनी कामायनी’
3।4।09
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निमिष झा


जीवन एकटा दुरुह कविता




अर्थहीन शब्दरक
अर्थ खोजबाक अभिलिप्साकमे
अनायास थमि जाइत अछि आँखि
फारि दैति छियै
पन्नादक पन्नाक
चेतनाक शब्दिकोश
आ भोगैत छी
एकटा पराजयक थकान
जत्त नहि भेटैत छै
जीवनक यर्थाथक अर्थ
आ तएँ
बुझाइत अछि
जीवन एकटा दुरुह कविता छै ।

बजैत छै
लयात्मैक गीत
जीवनक मधुर सङ्गीत
आ छम...छम...कऽ नचैत सङ्गीतसँग
असंख्यम कलात्म क पएर
आ प्रस्फु.टित भऽ जाइत छै जीवन उपवनमे
मुदा
अनायास फेर
बन्दा भऽ जाइत छै सङ्गीतक धुन
थाकि जाइत छै पएर
मुरझा जाइत छै उपवनक फूल
आ तएँ
बुझाइत अछि
जीवन एकटा सारहीन सङ्गीत छै ।

आन्न द छै
माछ जकाँ
जीवन सरोबरमे हेलब
उल्लासस छै
एकटा गुड्डि जकाँ
आकाशमे उड़ब
मुदा उड़ि नहि सकैत अछि
हमर आल्हा़दित मोन
आ अनायास
उल्लायसक धरातलसँ
दुर्गतिक चट्टान पर
अनवरत खसैत छै मोन
आ डुबि जाइत छै
सरोबरमे
आ तएँ
बुझाइत अछि
गुड्डि जकाँ उड़ि नहि सकबाक
आ माछ जकाँ
हेलऽ नहि सकबाक
नियतिक भोग छै
जीवन ।
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सतीश चन्द्र झा,राम जानकी नगर,मधुबनी,एम0 ए0 दर्शन शास्त्र
समप्रति मिथिला जनता इन्टर कालेन मे व्याख्याता पद पर 10 वर्ष सँ कार्यरत, संगे 15 साल सं अप्पन एकटा एन0जी0ओ0 क सेहो संचालन।

भ्रमित शब्द

हेरा गेल छल हमर शब्द किछु
फेर आइ घुरिया क’ आयल।
बास भेलै नहि कतौ जगत मे
थाकि हारि क’ अपने आयल।
नुका गेल सब रही नीन्न मे
मोनक कागत सँ उड़िया क’।
केना ? कखन ? सब के ल’ भगलै
आन - आन भाषा फुसिया क’।
आतुर मोन उचटि क’ ताकय
बैसल बाट दूर धरि कखनो।
राति बिराति द्वार के खोलत
छी जागल अबेर धरि एखनो।
पसरल देखि हमर निर्धनता
भागि गेल छल सब उबिया क’।
खोजि रहल छल सुख जीवन केँ
भोग वासना मे बौआ क’।
अर्थ बाँटि सम्मान समेटब
छलै मोन मे इच्छा जागल।
मान प्रतिष्ठा के इजोत मे
भ्रमित भेल सबटा छल भागल।
शब्द अभागल चीन्हि सकल नहि
हम बताह कवि छी वसुधा मे।
बिसरि जाइत छी हम जीवन भरि
की अंतर छै गरल - सुधा मे।
नहि अछि लोभ अर्थ के हमरा
नहि चाही सम्मान जगत के।
निज भाषा केँ स्नेह,कलम सँ
निकलत धार रत्त अमृत के।
हम कविता सँ दिशा दैत छी
दृष्टिहीन व्याकुल समाज के।
जगा रहल छी जे अछि सूतल
गीत गावि क’ बिना साज के।
नहि छपतै कविता जनिते छी
पत्रा पत्रिाका के पन्ना मे।
छपतै नग्न देह नारी के
मुख्य पृष्ट ,अंतित पन्ना मे।
मुदा केना हम कलम छोड़ि क’
मौन भेल आँगन मे बैसू।
केना हेतै किछु व्यथा देखि क’
द्रवित मोन मे नहि किछु सोचू।
कोमल हृदय अपन अंतर सँ
प्रतिक्षण आगि उगलिते रहतै।
पढ़तै कियो लोक नहि तैयो
कलम हाथ केँ चलिते रहतै
अपन टीका-टिप्पणी दिअ।
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रूपेश कुमार झा "त्यो‍थ"ग्राम+पत्रालय-त्योंथा/ भाया-खिरहर, थाना-बेनीपट्टी/ जिला-मधुबनी/ सम्प्रतिकोलकाता मे स्नातक स्तर मे अध्यनरत, साहित्यिक/ गतिविधि मे सेहो सक्रिय, दर्जन भरि रचना पत्र-पत्रकादिमे प्रकाशित।

आयल फेरो समय लगनक

दलान पर किछु लोक छथि बैसल,
ककरो मोन खनहन, ककरो मुंह लटकल,
सभ करैत छथि गप्प-सरक्का,
कखनो काल कऽ हँसी-ठट्ठा,
ताहि बीच कखनो चलैछ चटक-मटक,
आयल फेरो समय लगनक।

क्यो दऽ रहल छथि मोंछ पर ताव,
तऽ किनको हृदय मे छनि पैघ घाव,
बेटाक बाप करैछ अपन बेटाक बड़ाइ,
ओ लेबे करता खूब ऐंठि कऽ पाइ,
नहि चलैछ बेटी बापक सकपक,
आयल फेरो समय लगनक।

दरवज्जे पर सँ होइछ कथा,
केऽ आब जायत सौराठ सभा,
ओतय कखनो लागि जेतै घटा,
तऽ फेर कखनो हेतै खूब नफा,
पेटो तऽ चलै छै, ओतय बियाह होइ छलै चटपट,
आयल फेरो समय लगनक।

खूब फरैछ एखन झूठक खेती,
भाँड़ मे जाओ दोसरक बेटी,
बुद्धि खटाउ भेटत कमीशन,
एक्के बेर तऽ चाही परमीशन,
मनुक्ख बिकाइछ हाथे दलालक,
आयल फेरो समय लगनक।

ककरो कुहरेने क्यो भऽ जाइछ ने सुखी,
ठीके कहै छी हम, तकै छी की ?
होइछ थोड़हि ने किछु दहेजक टका सँ,
खेत नहि पनियाइछ बैसाखक घटा सँ,
मेटाऊ समाज सँ नाओ एहि कुकृत्यक,
आयल फेरो समय लगनक

दहेज लेब थिक घोर पाप,
समाज केर ई कारी छाप,
मेटाऊ आदर्शक मेटौना सँ,
देखू आयल घट्टक बेतौना सँ,
बेर अछि एखने दहेज दमनक,
आयल फेरो समय लगनक।

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ज्योति
कलमक टाेह
बार्टबटाेही टाेकै ने लागय
देखिकऽ एहेन एकान्तक माेह
आमक समय तऽ दूर छल
हमरा लागल कलमक जाेह
अतेक दिनसऽ बिलटल पड़ल
गाछ सबके लितहुॅं कनिक खाेज
आहि हिम्मत केने छलहुॅं जायके
माेन तऽ बनाबैत छलहुॅं राेज
काेयल के कुहुक सुनऽ गेलहुॅं
आकि भेल छल टिकलाक लाेभ
आठ दसटा झटकारिकऽ आनब
करब संगि सन झक्खाआक भाेज
झाेपड़ी टूटल़ कल सुखायल
घास पात सब बढ़ल सब आेर
जाेन सब छप्पढर ठीक करत
घास लेल कुजरनीके करब साेर
जल्दिये फेर सऽ मेला लागत
भाइर् बहिन सबहक लागत हाेड़
अहिबेरका गर्मी छुट्टीमे भागब
कलम दिस राेज भाेर्रेभाेर
अपन टीका-टिप्पणी दिअ।
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5. रचना/ प्रस्तुतिपर अहाँक कोनो आर सुझाव ।
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"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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