जयकान्त मिश्र आ मैथिली शब्दकोश
मैथिलीक पुरोधा जयकान्त मिश्र (१९२२-२००९) क ३ फरबरी २००९ केँ सात बजे साँझमे निधन भऽ गेलन्हि। मैथिली साहित्यक एकटा बड़ पैघ विद्वान डॉ. जयकांत मिश्र १९८२ ई. मे इलाहाबाद विश्वविद्यालयक अंग्रेजी आ आधुनिक यूरोपियन भाषा विभागक प्रोफेसर आ हेड पद सँ सेवा निवृत्त भेल छलाह। तकरा बाद ओ चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालयमे भाषा आ समाज विज्ञानक डीन रूपमे कार्य कएलन्हि। स्व. मिश्र अखिल भारतीय मैथिली साहित्य समिति, इलाहाबादक अध्यक्ष, गंगानाथ रिसर्च इंस्टीट्यूट, इलाहाबादक अवैतनिक सचिव आ सम्पादक, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयागक प्रबन्ध विभागक संयोजक आ साहित्य अकादमी, नई दिल्लीक मैथिली प्रतिनिधि आ भाषा सम्पादक रहल छलाह। मैथिली साहित्यक इतिहास, फोक लिटेरेचर ऑफ मिथिला, कीर्तनिया ड्रामा सभक क्रिटिकल एडीशन, लेक्चर्स ऑन थॉमस हार्डी, लेक्चर्स ऑन फोर पोएट्स आ द कॉम्प्लेक्स स्टाइल इन एंगलिश पोएट्री हिनक लिखित किछु ग्रंथ अछि। हिनकर वृहत मैथिली शब्द कोषक मात्र दू खण्ड प्रकाशित भए सकल, जाहिमे देवनागरीक संग मिथिलाक्षर आ फोनेटिक अंग्रेजीमे सेहो मैथिली शब्दक नाम रहए। ई दुनू खण्ड मैथिली शब्दकोष संकलक लोकनिक लेल सर्वदा प्रेरणास्पद रहत। विदेह डाटाबेसक आधारपर सोलह खण्डमे गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा आ पञ्जीकार विद्यानन्द झाक मैथिली अंग्रेजी शब्दकोष जाहिमे मिथिलाक्षर आ अंतर्राष्ट्रीय फोनेटिक रोमन आ देवनागरीमे शब्द आ शब्दार्थ देल गेल अछि जयकांत मिश्र , दीनबन्धु झा-गोविन्द झा, भवनाथ मिश्र-मतिनाथ मिश्र ‘मतंग’ आ युगलकिशोर मिश्रकेँ समर्पित कएल गेल अछि।
मैथिलीमे शब्दकोश निर्माण देरीसँ शुरू भेल आ पहिल गम्भीर प्रयास दीनबन्धु झाक मिथिला भाषा विद्योतनमे उपस्थित ११२५ टा धातु-रूप अछि (१९४६ ई.) आ फेर हुनके द्वार संकलित मिथिलाभाषाकोषः शब्दकोश (१९५२ ई.) अछि। एहिसँ पहिने भव नाथ मिश्रक मिथिला शब्द प्रकाशक पहिल खण्ड आएल (१९१४ ई.), मुदा ओ बड्ड संक्षिप्त रहए आ ओकरा शब्दकोश नहि वरन ग्लॉसरी कहि सकैत छी।
अलाइस इरवीन डेविसक बेसिक कलोक्विअल मैथिली – अ मैथिली-नेपाली-इंगलिश वोकाबुलेरी (१९८४ ई.) सेहो अति संक्षिप्त अछि। मैथिली अकादमीक मैथिली शब्दकोश (१९९३, मूल संग्रहकर्त्ता-युगल किशोर मिश्र) पहिल बेर एकटा विराट संकल्पक संग सोझाँ आएल, मुदा संयोजक , सम्पादक, कार्यकारी सम्पादक, सम्पादन उपसमिति आदि-आदि मध्य हुनकर नाम बीचमे मूल संग्रहकर्ताक रूपमे मात्र घोसिआएल देखबामे अबैत अछि।
एहि मध्य जयकांत मिश्रक बृहत् मैथिली शब्दकोशक पहिल खण्ड १९७३ ई. मे आ दोसर खण्ड १९९५ ई. मे आएल। एहि दुनू खण्डमे स्वर वर्णमालाक अ सँ औ एतबहि वर्णसँ शुरू भेल शब्दक वर्णन आबि सकल आ क सँ शुरू भेल शब्दक मात्र पहिल पृष्ठ आएल। जयकांत बाबूक मृत्युक संग एकर आगामी खण्ड सभक आएब आब सम्भव नहि अछि।
भव नाथ मिश्रक पुत्र मतिनाथ मिश्र ‘मतंग’क मैथिली शब्द कल्पद्रुम १९९८ ई. मे आएल जे दोसर बेर एकटा विराट संकलनक संग (युगल किशोर मिश्रक मैथिली अकादमी,पटनाक कोशक बाद) सोझाँ आएल। एहिमे भवनाथ मिश्रक मिथिला शब्द प्रकाशक पहिल खण्ड सेहो प्रारम्भमे देल गेल अछि।
दीनबन्धु झाक पुत्र गोविन्द झाक मैथिली-अंग्रेजी शब्द कोश (कल्याणी कोश, १९९९) जयकांत बाबूक कोशक समान द्विभाषी छल जाहिमे मैथिलीक संग अंग्रेजीमे शब्दार्थ अछि। एम्हर २००७ ई. मे उमेश चन्द्र झाक संक्षिप्त चातुर्भाषिक शब्दकोश (मैथिली, संस्कृत, हिन्दी एवं अंगरेजी) सेहो आएल अछि।
एकर सभक अतिरिक्त साझा प्रकाशन, नेपाल द्वारा सेहो एकटा बृहत् मैथिली शब्दकोश प्रस्तावित अछि।
अंग्रेजी शब्दकोशक डाटाबेस आधारपर बनल शब्दकोश सभ:
अंग्रेजी शब्दकोशक ऐतिहासिक महत्त्वक शब्दकोशक अतिरिक्त जे आधुनिक समयमे डाटाबेस/ कम्प्युटरीकृत लिखित-मौखिक कोर्पस (पत्र-पत्रिका, पोथी, मौखिक वार्तालाप, रेडियो-टी.वी. कार्यक्रममे प्रयुक्त आ पाण्डुलिपि आधारित शब्द) आधारित वैज्ञानिक सिद्धांत आधारित शब्दकोश आएल अछि, ओहिमे तीन टा शब्दकोश उल्लेख योग्य अछि:
१.ऑक्सफोर्ड एडवान्स्ड लर्नर्स डिक्शनरी (१९४८ प्रथम संस्करणसँ सातम संस्करण १९९५),
२.लॉन्गमेन डिक्शनरी ऑफ कन्टेमपरोरी इन्गलिश (१९७८ प्रथम संस्करणसँ पाँचम संस्करण २००९) आ
३.कोलिन्स कोबिल्ड एडवान्स्ड लर्नर्स इंग्लिश डिक्शनरी (१९९५ प्रथम संस्करणसँ छठम संस्करण २००८)।
एकर अतिरिक्त सी.डी.पर आ ऑनलाइन उपलब्ध माइक्रोसॉफ्ट एनकार्टा डिक्शनरी उच्चारणक ध्वनि रेकार्डिंग सेहो दैत अछि (ऑक्सफोर्ड एडवान्स्ड लर्नर्स डिक्शनरीक आ दोसरो कोशक सी.डी.वर्सन उच्चारणक ध्वनि रेकार्डिंग दैत अछि)।
कोनो कोशक उत्कष्टताक निर्धारण ओहिमे सम्मिलित शब्दक संकलनसँ लगाओल जएबाक चाही। पहिल ई जे पाठक जाहि शब्दक ताकिमे छथि से हुनका भेटन्हि आ ई ओहि शब्दकोशक अद्यतन, फील्डवर्क आधारित (मिथिलाक सभ क्षेत्रसँ आ प्रवासी मैथिलक नव-नव प्रयोगसँ) आ नव-नव विषय (जेना अन्तर्जाल, विज्ञान-कला-वाणिज्य, संगणक आ नूतन घटनाक्रम आधारित)केँ समाहित कएने बिना सम्भव नहि। विद्वताक संग तकनीकक प्रयोग विषय वस्तु चयनमे होएबाक चाही, एहिमे खेल-धूप, गप-शप आ लिखित साहित्यक संग मौखिक साहित्य सेहो रहए। तखन ताहि शब्दक परिभाषा सेहो ततबे महत्वपूर्ण- ओहि चयनित शब्दक भाषायी विश्लेषण ततेक सूक्ष्मतासँ होएबाक चाही जाहिसँ भाषाक कोनो सन्दर्भ/ कोनो अर्थ छूटि नहि जाए। एहि क्रममे ई उल्लेखनीय अछि जे दीनबन्धु झाक ११२५ टा धातुरूपकेँ जे आर कनेक परिवर्धित आ संशोधित कए देल जाए आ एकरा लगभग २००० आधारभूत शब्द धरि बढ़ा देल जाए तँ ओ सभ मैथिली भाषी, जिनका भाषापर नीक पकड़ नहि छन्हि, ५००००-१००००० शब्दक मैथिली कोशक सभ शब्दक अर्थ आ संदर्भ बुझि सकताह।
कोशमे देल शब्द सभक अर्थ बेशी प्रयुक्तसँ कम प्रयुक्त अर्थक क्रममे होएबाक चाही। एतए मौखिक उच्चारण आ प्रयोगपर ध्यान सेहो आवश्यक अछि। पाठककेँ ईहो बुझाऊ जे कोन शब्द बेशी आ कोन शब्द कखनो-काल प्रयुक्त होइत अछि। लोकोक्तिक प्रयोग सेहो उदाहरण दए ठाम-ठाम होएबाक चाही।
संयुक्त शब्द, लोकोक्ति आधारित मिश्रित संयुक्त शब्द, कोनो शब्दसँ निकलल शब्द, पर्याय-विपर्याय एहि सभक संकलन शब्दक संग आवश्यक। कोनो शब्द-मोहाबराक संग दोसर शब्द सभक जुड़ब आ समान वा तेहन-सन अर्थमे प्रयुक्त होएब सेहो देखाएब आवश्यक।
व्याकरणीय विवेचन-समानता-असमानता दुनू देखबैत, सेहो स्थान-स्थानपर करू। वाक्यमे प्रयोग अनुसारेँ शब्दक अर्थमे परिवर्तन दर्शित करू।
कोश मध्य बुझेबाक लेल चित्रक प्रयोग सेहो आवश्यक। आधुनिक वैज्ञानिक शब्दकोशमे उच्चारण भिन्नताक निरूपण सेहो होएबाक चाही।
मोहाबरा आ लोकोक्तिक सापेक्ष सन्दर्भमे प्रयोग (जेना ब्राह्मण कहैत छथि- दस ब्राह्मण दस पेट, दस राड़ एक पेट; मुदा तथाकथित जाति-व्यवस्थाक निचुलका सीढ़ीक लोक कहैत छथि- दस बाभन एक पेट, दस राड़ दस पेट), यदि एहन प्रयोग उपलब्ध अछि, सेहो दर्शित करू।
शब्दक वाक्यमे प्रयोग- अर्थ मात्र किछु शब्दमे देने बहुत रास गलत प्रयोग देखबामे अबैत अछि आ एकर निराकरण शब्द अर्थक संग पूर्ण वाक्यमे प्रयोगसँ कएल जा सकैत अछि (कवितामे सेहो पूर्ण वाक्यक प्रयोग कएल जा रहल अछि से ओतहुसँ उदाहरण संभव)।
तंत्रांश-शब्दकोश- सॉफ्टवेयर (तंत्रांश) आधारित कोशक विकास होअए, जाहिसँ एकर सी.डी. वा अन्तर्जालपर निरूपण भऽ सकए आ ध्वन्यात्मक-मौखिक उदाहरण देल जा सकए।
फोनेटिक ट्रांसक्रिप्शन- अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला -इन्टरनेशनल फोनेटिक अल्फाबेट-आइ.पी.ए.- सभसँ लोकप्रिय फोनेटिक ट्रांसक्रिप्ट लिपि अछि आ एकर प्रयोग द्विभाषी वा बहुभाषी शब्दकोशक संदर्भमे करब आवश्यक।
जयकान्त मिश्र आ मैथिली शब्दकोश:
जयकान्त मिश्रक मैथिली शब्दकोशक प्रथम खण्डक आत्म-निवेदनमे जयकान्त मिश्र लिखैत छथि जे- मैथिलीक सर्वश्रेष्ठ भाषाविज्ञानवेत्ता डॉ. सुभद्र झा (वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालयक भूतपूर्व पुस्तकालयाध्यक्ष) कोशक प्रधान सम्पादकक कार्यभार लेबासँ तहिना विरक्ति देखाओल जहिना १९६५ ई. मे साहित्य अकादमीमे मैथिलीकेँ भारतक सत्रहम साहित्यिक भाषाक रूपमे स्थान देआबए काल हुनका भेलन्हि। सुभद्र झाक “फॉर्मेशन ऑफ द मैथिली लंग्वेज” (१९५८ ई.) क प्रयोग मैथिली शब्दक व्युत्पत्तिक टिप्पणी देबामे जयकान्त मिश्र प्रयोग केने छथि- जेना सुनीति कुमार चाटुर्ज्या जयकान्त मिश्रक मैथिली शब्दकोशक प्रथम खण्डक उपोद्घातमे लिखैत छथि। जयकान्त मिश्रक मैथिली शब्दकोश आर बहुत रास कारणसँ एकटा कीर्तिमान स्थापित करैत अछि। जेना:-
१.तत्कालीन शब्दावलीक संयोजन:- दीनबन्धु झाक-मिथिलाभाषा शब्दकोश, बदरीनाथ झाक-मैथिली-संस्कृत शब्दकोश, सर जार्ज ए.ग्रिअर्सनक-बिहार पीजेन्ट लाइफ आ मैथिली शब्दकोश-मैथिली क्रेस्टोमएथी-१८८२, डॉक्टर श्री सुभद्र झा सर्वानन्दकृत अमरकोशटीका, म.म.डॉक्टर उमेश मिश्र, रुचिपति, जगद्धर, विद्यापति शब्दावली, एन.एन.वसु सम्पादित चर्यागीतिसँ शब्दावली, सुनीति कुमार चाटुर्ज्या आ बबुआजी मिश्र सम्पादित वर्णरत्नाकरसँ शब्दावली, खगेन्द्रनाथ मित्र ओ मजुमदार सम्पादित विद्यापति पदावलीसँ शब्दावली, सर जार्ज ग्रिअर्सन सम्पादित कृष्णजन्मसँ शब्दावली, सुरेन्द्र झा “सुमन”, ऋद्धिनाथ झा आ रामेश्वर झा सम्पादित कहबी संग्रह।
२.संदर्भ रूपमे प्रकाशित पोथी आ प्रकाशित हस्तलिखित पाण्डुलिपिक प्रयोग:ज्योतिरीश्वरक १३२४ ई.क मैथिली धूर्तसमागम, विद्यापतिक १४१५ ई.क गोरक्षविजय, कान्हारामक १८४२ ई.क गौरी स्वयम्बर, लोचन, गोविन्ददास, चन्दा झा, हर्षनाथ झा, लालदास, हरिमोहन झा, सुमन, यात्री आदि।
३.दीर्घायु समस्त पत्र-पत्रिकाक संदर्भ रूपमे प्रयोग: मिथिला मिहिर, मिथिला मोद, वैदेही।
४.ध्वनि-कॉर्पोरा- टेपरेकार्डरसँ शब्द सभक वाच्य वा उपभाषाक रूप सभक संग्रह, खेती आ मल्लाहक शब्दावलीक संग्रह मुदा एहिमे धान-आम-मूलग्राम-पाँजि सभक शब्दावली छूटि गेल।
५.शब्द सभक प्रथम-प्रयोगक कॉर्पोराक आधारपर निर्धारण आ तकर शब्दकोशमे प्रदर्शन एहिमे मिश्र टोलाक श्री शशिनाथ चौधरीक योगदान ।
६.राजाराम टाइप फाउन्ड्री प्रेस, कटघर, इलाहाबाद द्वारा बनाओल म.म. डॉ. उमेश मिश्रक निर्देशनमे तिरहुता काँटाक प्रयोग कोशमे भेल, संगहि रोमन फोनेटिक ट्रांसक्रिप्शनक प्रयोग उच्चारण बोध लेल कएल गेल।
७.जयकान्त मिश्रक कोशमे डॉ सर गंगानाथ झा, डॉ. अमरनाथ झा आ म.म. डॉ. उमेश मिश्र ग्रंथ-पत्रिकाक संकलनमे सहयोग देलन्हि। प्रो. हरिमोहन झा, बाबू श्री लक्ष्मीपति सिंह, प्रो. बुद्धिधारी सिंह रमाकर, प्रो. सुरेन्द्र झा “सुमन” आ काञ्चीनाथ झा “किरण” अवैतनिक परामर्शदाताक कार्य कएलन्हि। सहायक सम्पादकक कार्य कएलन्हि- श्री राघवाचार्य शास्त्री, डॉक्टर उमाकान्त तिवारी, श्री जयगोविन्द मिश्र, प्रो. सुशील चन्द्र चौधरी, श्री जीवेश्वर झा , श्री यशोधर झा, डॉक्टर किशोरनाथ झा, प्रो. रुद्रकान्त मिश्र
८.व्याकरण विवेचन: शब्दक अर्थक प्रयोगक अनुसारेँ १.२ कए विवरण, व्याकरण-विवरण-शब्दक स्थिति लुप्त, काव्य प्रयोग, शब्दक देशज-विदेशज व्युत्पत्ति, तुलनात्मक शब्द-विलोम-पर्यायक ठाम-ठाम उदाहरण, शब्दक अर्थ निर्दिष्ट करबाक लेल कॉर्पोरासँ लेल ओहि शब्दयुक्त वाक्य-प्रयोग।
दीनबन्धु झाक मिथिलाभाषा विद्योतनक धातुपाठ मे अर्थक व्युत्पत्ति बड्ड नीकसँ देल गेल अछि, जेना- (१०) डिक- अधिकक अँटकब। ई जगह गहीँड़ अछि तेँ एहिठाम पानि डिकल अछि- अधिक अँटकल अछि। मिथिला भाषा विद्योतनक दुनू खण्डमे उपस्थित ४३ टा सारणी मे मैथिली शब्दक व्युत्पत्ति विस्तृत रूपमे देल गेल अछि दीनबन्धु झाक मिथिला भाषा कोषक भूमिकामे सेहो ढेर रास शब्दक अन्वय, उच्चारण, लिङ्ग-निर्णय आ व्याकरणक विवेचन कएल गेल अछि। मूलकोषमे सेहो सभ शब्दमे तँ नहि, मुदा अधिकांशमे शब्द, ओकर सन्धि-विच्छेद, व्याकरणगत विशेषता आ अर्थ देल गेल अछि। यत्र-तत्र शब्दक भिन्न-रूप आ शब्दक संग क्रियादि जुटबासँ अर्थक भिन्नता सेहो देखाओल गेल अछि। मैथिली अकादमी, पटनाक युगल किशोर मिश्र बला शब्दकोशमे शब्द, तकर बाद व्याकरणगत विशेषता आ अर्थ देल गेल अछि। अलाइस इरवीन डेविसक बेसिक कलोक्विअल मैथिली – अ मैथिली-नेपाली-इंगलिश वोकाबुलेरी (१९८४ ई.) मात्र रोमन आ फोनेटिक रोमन वर्णमालाक प्रयोग करैत अछि आ मैथिली शब्द, ओकर व्याकरणगत विशेषता आ तकर अर्थ नेपाली आ अंग्रेजीमे दैत अछि। तकर बाद किछु संरचनात्मक टिप्पणीक बाद नेपाली आ अंग्रेजी इंडेक्स देल गेल अछि जाहिमे नेपालीसँ मैथिली आ अंग्रेजीसँ मैथिली अर्थ देल गेल अछि। भवनाथ मिश्रक मिथिला शब्द प्रकाशमे मिथिलाभाषामे शब्द, फेर ओकर हिन्दी आ संस्कृतमे अर्थ, तखन लिङ्ग आ अन्तमे संस्कृतमे ओकर प्रमाण देल गेल अछि। मति नाथ मिश्र “मतंग”क मैथिली शब्द कल्पद्रुममे मैथिली शब्द, ओकर व्याकरणगत विशेषता आ तकर अर्थ आ अन्तमे शब्द मैथिली, देशज, तत्सम वा तद्भव अछि तकर वर्णन देल गेल अछि। गोविन्द झाक कल्याणी कोश- अ मैथिली-इंग्लिश डिक्शनरी मे प्रस्तावनामे देल किछु संरचना आ उच्चारणक विश्लेषणक संग एपेन्डिक्समे क्रियापदीय प्रत्यय, नाम-प्रत्यय आ एकक, सौरमास ओ नक्षत्र, चान्द्रमास, विभिन्न संवत, भार-मान, नपना, रैखिक मान, वर्ग-मान, मुद्रा आ प्रकीर्ण गणनाक सारणी देल गेल अछि। मूल कोशमे देवनागरीमे मैथिली शब्द, फेर रोमन फोनेटिक वर्णमालामे ओकर ट्रांसक्रिप्शन, व्याकरणगत विशेषता आ मैथिली आ अंग्रेजीमे तकर अर्थ देल गेल अछि। यत्र-तत्र शब्दक भिन्न अर्थ आ संदर्भ सेहो देल गेल अछि। उमेश चन्द्र झाक चातुर्भाषिक शब्दकोशमे मैथिली शब्द आ तकर संस्कृत, हिन्दी आ अंग्रेजी अर्थ देल गेल अछि। सी-डैकक तंत्रांश-शब्दकोश मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी-मैथिली डिक्शनरीमे मैथिली टाइप केलासँ अंग्रेजीमे अर्थ आ अंग्रेजी टाइप केलासँ मैथिलीमे अर्थ अबैत अछि। विदेह डाटाबेसक आधारपर गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा आ पञ्जीकार विद्यानन्द झाक मैथिली-अंग्रेजी शब्दकोष आ अंग्रेजी-मैथिली शब्दकोश विदेह-कॉर्पोराक आधारपर बनल अछि आ प्रिंट आ ऑनलाइन, (http://www.videha.co.in/ पर) दुनू रूपमे उपलब्ध अछि आ निरन्तर संवर्धनशील अछि। एहि कोशमे अन्तर्जाल, संगणक आ विज्ञान शब्दावली आन आधुनिक विषयक संग सम्मिलित कएल गेल अछि। एखन मैथिली-अंग्रेजी शब्दकोषमे अन्तर्राष्ट्रीय फोनेटिक अल्फाबेटमे मैथिली शब्द, फेर ओहि शब्दक देवनागरी आ मिथिलाक्षरमे ट्रांसलिटेरेशन, फेर अन्तर्राष्ट्रीय फोनेटिक अल्फाबेट, देवनागरी आ मिथिलाक्षरमे ओकर अर्थ आ अन्तमे अंग्रेजीमे अर्थ आ व्याकरणगत विशेषता देल गेल अछि। विदेह-कॉर्पोराक आधारपर बनल अंग्रेजी-मैथिली शब्दकोशमे अंग्रेजी शब्द आ ओकर व्याकरणगत विशेषता, फेर अन्तर्राष्ट्रीय फोनेटिक अल्फाबेट, देवनागरी आ मिथिलाक्षरमे ओकर अर्थ आ अन्तमे अंग्रेजीमे अर्थ देल गेल अछि। सम्पूर्ण डाटाबेस प्रिंट भेलाक बाद कोशमे देल शब्द सभक अर्थ बेशी प्रयुक्तसँ कम प्रयुक्त अर्थक क्रममे, संयुक्त शब्द, लोकोक्ति आधारित मिश्रित संयुक्त शब्द, कोनो शब्दसँ निकलल शब्द, पर्याय-विपर्याय शब्द, मोहाबराक संग दोसर शब्द सभक व्याकरणीय विवेचन-समानता-असमानता दुनू देखबैत, कोश मध्य बुझेबाक लेल चित्रक प्रयोग, मोहाबरा आ लोकोक्तिक सापेक्ष सन्दर्भमे प्रयोग, शब्दक वाक्यमे प्रयोग (विदेह कॉर्पोरासँ) क संग दोसर संस्करणमे तंत्रांश-शब्दकोश सी.डी.मे उपलब्ध करेबाक योजना अछि, जाहिमे ध्वन्यात्मक रेकार्डिंग रहत। ओना http://www.videha.co.in/ केर आर्काइवमे उच्चारणक ऑडियो फाइल डाउनलोड/ श्रवण लेल ऑनलाइन राखल गेल अछि।
जयकान्त मिश्र आ मैथिली शब्दकोश:विवेचना:
कोनो शब्दकोश लिखल नहि जाइत अछि वरन संग्रीहीत कएल जाइत अछि। मुदा जे विषय नव अछि तखन ओहि लेल मौखिक-साहित्यिक परम्पराकेँ देखैत शब्दक निर्माण करए पड़त आ विदेशज शब्दकेँ सेहो ठाम-ठाम स्वीकार करए पड़त। ओना शब्दकोशक लक्ष्य मात्र संग्रहण अछि मुदा ई देखल जाइत अछि जे नहि चाहियो कऽ ई मानकीकरण प्रसंगकेँ आगाँ बढ़बैत अछि आ लोक-व्यवहारकेँ प्रभावित करैत अछि। एहि कारणसँ कोशक सम्पादकक दायित्व आर बढ़ि जाइत अछि।
एहि तरहेँ श्री जयकान्त मिश्रक शब्दकोश आधुनिक कोनो शब्दकोशसँ कोनो तरहेँ न्यून नहि अछि। ई एक तरहेँ एक डेग आगाँ बढ़ैत अछि, जखन शब्दक अर्थ निर्दिष्ट करबाक लेल कॉर्पोरासँ लेल ओहि शब्दयुक्त वाक्य-प्रयोगमे प्राचीन(८म शताब्दी सँ १३२४ ई.पर्यन्त-चर्यापद, ज्योतिरीश्वर आदि), पूर्वकालीन मध्ययुग (१३२४ ई-१५०० ई., विद्यापति आदि), मध्ययुग (१५०० ई-१८६० ई.,लोचन गोविन्ददास आदि) आ आधुनिक मैथिली (१८६० ई.-१९६० ई., चन्दा झा, हरिमोहन झा आदि) सँ संदर्भ सहित उदाहरण दैत अछि।
जयकान्त मिश्रक मैथिली शब्दकोश आ जयकान्त मिश्र आ मैथिली शब्दकोश एहि तरहेँ एक दोसराक पूरक भए सकत जखन हुनकर कार्यकेँ आगाँ बढ़ाओल जाए आ पूर्ण कएल जाए।
इन्फॉरमेशन सोसाइटी किंवा सूचना-आधारित-समाज एकटा ओहेन समाज अछि जाहिमे सूचनाक निर्माण, वितरण, प्रसार, उपयोग, एकीकरण आ संशोधन, ई सभ एकटा महत्त्वपूर्ण आर्थिक, राजनीतिक आ सांस्कृतिक क्रिया होइत अछि। आ एहि समाजक भाग होएबामे समर्थ लोक अंकीय वा डिजिटल नागरिक कहल जाइत छथि। एहि उत्तर औद्योगिक समाजमे सूचना-प्रौद्योगिकी उत्पादन, अर्थव्यवस्था आ समाजकेँ निर्धारित करैत अछि। उत्तर-आधुनिक समाज, उत्तर औद्योगिक समाज आदि संकल्पना सँ ई निकट अछि। अर्थशास्त्री फ्रिट्ज मैचलप एकर संकल्पना देने छलाह। हुनकर ज्ञान-उद्योगक धारणा शिक्षा, शोध आ विकास, मीडिआ, सूचना प्रौद्योगिकी आ सूचना सेवाक पाँचटा अंगपर आधारित छल। प्रौद्योगिकी आ सूचनाक समाजपर भेल प्रभाव एतए दर्शित होइत अछि। ई वएह समाज थिक जाहिमे आइ-काल्हि हमरा सभ रही रहल छी।
दुनू विश्वयुद्ध आ फासिज्मक चुनौतीक बाद १० दिसम्बर १९४८ केँ संयुक्त राष्ट्रसंघक महासभा द्वारा मानवाधिकारक सार्वभौम घोषणाक उद्घोषणा कएल गेल आ एकरा अंगीकार कएल गेल। ई घोषणा राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक आ धार्मिक भेदभावरहित एकटा सामान्य मानदण्ड प्रस्तुत करैत अछि जे सभ जन-समाज आ सभ राष्ट्र लेल अछि।
सूचना समाजपर पहिल संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन दू खेपमे भेल। पहिल १०-१२ दिसम्बर २००३ मे जेनेवा, स्विटजरलैंड मे आ दोसर खेप १६-१८ नवम्बर २००५ मे ट्युनिस, ट्यूनिसियामे। एतए मानवाधिकार आ सूचना प्रौद्योगिकीक बीचमे सम्बन्धकेँ मान्यता देल गेल छल।
मानवाधिकारक सार्वभौम घोषणाक निम्न बिन्दु सभ सूचनाक समाजसँ सम्बन्धित अछि। (मानवाधिकारक सार्वभौम घोषणाक मैथिली अनुवाद डॉ. रमानन्द झा ‘रमण’)
अनुच्छेद १२
केओ व्यक्ति कोनो आन व्यक्तिक एकान्तता, परिवार, निवास वा संलाप (पत्राचारादि) मे स्वेच्छया हस्तक्षेप नहि करत आने ओकर प्रतिष्ठा आ ख्याति पर प्रहार करत। प्रत्येक व्यक्तिकेँ एहन हस्तक्षेप वा प्रहारसँ कानूनी रक्षा पएबाक अधिकार छैक।
अनुच्छेद १८
प्रत्येक व्यक्तिकेँ विचार, विवेक आ धर्म रखबाक अधिकार छैक। एहि अधिकारमे समाविष्ट अछि धर्म आ विश्वासक परिर्वतनक स्वतन्त्रता, एकसर वा दोसराक संग मिलि प्रकटतः वा एकान्तमे शिक्षण, अभ्यास, प्रार्थना आ अनुष्ठानक स्वतन्त्रता।
अनुच्छेद १९
प्रत्येक व्यक्तिकेँ अभिमत एवं अभिव्यक्तिक स्वतन्त्रताक अधिकार छैक, जाहिमे समाविष्ट अछि बिना हस्तक्षेपक अभिमत धारण करब, जाहि कोनहु क्षेत्रसँ कोनहु माध्यमेँ सूचना आ विचारक याचना, आदान प्रदान करब।
अनुच्छेद २७
१. प्रत्येक व्यक्तिकेँ समाजक सांस्कृतिक जीवनमे अबाध रूपेँ भाग लेबाक, कलाक आनन्द लेबाक
तथा वैज्ञानिक विकासमे आ तकर लाभमे अंश पएबाक अधिकार छैक।
२. प्रत्येक व्यक्तिकेँ अपन सृजित कोनहु वैज्ञानिक, साहित्यिक अथवा कलात्मक कृतिसँ उत्पन्न,
भावनात्मक वा भौतिक हितक रक्षाक अधिकार छैक।
अंकीय वा डिजिटल विभाजन एकटा ज्ञानक विभाजन, सामाजिक विभाजन आ आर्थिक विभाजन देखबैत अछि आ बिना भेदभावक एकटा सूचना समाजक निर्माणक आवश्यकता देखाबैत अछि, जाहिसँ सूचना प्रौद्योगिकीपर विकासशील देशक सार्वभौम अधिकार रहए।
मानवाधिकार आ सूचना प्रौद्योगिकीक मध्य व्यक्तिक एकान्तक अधिकार सेहो सम्मिलित अछि। विद्वान, मानवाधिकार कार्यकर्ता आ आन सभ व्यक्ति द्वारा अभिव्यक्तिक स्वतंत्रता, सूचनाक अधिकार, एकान्तता, भेदभाव-रहित, स्त्री-समानता, प्रज्ञात्मक संपत्ति, राजनीतिक भागीदारी आ संगठनक मेलक संदर्भमे आ सूचना आ जनसंचार प्रौद्योगिकीक सन्दर्भमे एहि गपपर चरचा शुरू भेल अछि, जे सूचना-समाजमे मानवाधिकारकेँ बल देत आकि ओकरा हानि पहुँचाओत।
ऑनलाइन पत्राचारक गोपनीयताक अधिकार, अन्तर्जालक सामग्रीक सांस्कृतिक आ भाषायी विविधता आ मीडिया शिक्षा। सूचना समाजक तकनीकी अओजार ओकर अधिकार आ स्वतंत्रतासँ लाभान्वित होइत अछि आ समाजक समग्र विकास, अधिकार आ स्वतंत्रताक सार्वभौमता, अधिकारक आपसी मतभिन्नता, स्वतंत्रता आ मूल्य निरूपणमे सहभागी होइत अछि।
एहिसँ सूचना, ज्ञान आ संस्कृतिमे सरल पइठक वातावरण बनैत अछि आ ई उपयोगकर्ताकेँ वैश्विक सूचना समाजक अभिनेताक रूपमे परिणत करैत अछि। कारण ई उपयोगकर्ताकेँ पहिनेसँ बेशी अभिव्यक्तिक स्वतंत्रता आ नव सामग्री आ नव सामाजिक अन्तर्जाल-तंत्र निर्माण करबाक सामर्थ्य दैत अछि। एहिसँ एकटा नव विधि, आर्थिक आ सामाजिक मॉडेलक आवश्यकता सेहो अनूभूत कएल जा रहल अछि जाहि मे साझी कर्तव्य, ज्ञान आ समझ आधार बनत। बच्चाक हित एकटा आर चिन्ता अछि जे पैघक हितसँ सर्वदा ऊपर रखबाक चाही।
आधुनिक समाजक आर्थिक, सामाजिक आ सांस्कृतिक धन एकत्र करबाक प्रवृत्ति सूचना समाजमे बढ़ल अछि आ प्रौद्योगिकी एकटा आधारभूत बेरोजगारी अनलक अछि।
गरीबी, मजदूरक अधिकार आ कल्याणकारी राज्यक संकल्पना, लाभ-हानिक आगाँ कतहु पाछाँ छूटल जा रहल अछि। आब मात्र किछुए अभिनेता चाही, प्रकाशक लोकनि सेहो मात्र किछु बेशी बिकएबला पोथीक लेखकक प्रचार करैत छथि। यैह स्थिति रंगमंच, पेंटिंग , सिनेमा आ आन-आन क्षेत्रमे सेहो दृष्टिगोचर भऽ रहल अछि। सूचना सर्वदा लाभकारी नहि होइत अछि। ई मात्र कला, ग्रंथ धरि सीमित नहि अछि वरन सट्टा बाजार आ प्रायोजित सर्वेक्षण रपट सेहो एहिमे सम्मिलित अछि। समय आ स्थानक बीचक दूरीकेँ ई कम करैत अछि आ दुनूक बीचमे एकटा सन्तुलन बनबैत अछि।
मानवक गरिमा मानवक जन्म आधारित सामाजिक स्थानसँ हटि कऽ मानवक गरिमाक अधिकारपर बल दैत अछि। मुक्ति आ स्त्री-मुक्ति आन्दोलन एहि दिशाक प्रयास अछि।
सूचनाक स्वतंत्र उपयोग सीमित अछि, लोकक एकान्त खतम भऽ रहल अछि। बिल गेट्ससँ जखन हुनकर भारत यात्राक क्रममे पूछल गेल छलन्हि जे माइक्रोसॉफ्टक एक्स-बॉक्स भारतमे पाइरेसीक डरसँ देरीसँ उतारल गेल तँ ओ कहने रहथि जे माइक्रोसॉफ्ट कहियो कोनो उत्पाद पाइरेसीक डरसँ देरीसँ नहि आनलक। स्पैम आ पाइरेसीक डर खतम होएबाक चाही।
सूचना समाज वैह समाज छी जकर बीचमे हम सभ रहि रहल छी। लोकतंत्र आ मानवाधिकारक सम्मान सूचना-समाज आ उत्तर सूचना-समाजमे होइत रहत। अभिव्यक्तिक स्वतंत्रता, एकान्तक अधिकार, सूचना साझी करबाक अधिकार आ सूचना धरि पहुँचक अधिकार जे सूचनाक संचारसँ सम्बन्धित अछि, ई सभ राज्य द्वारा आ सूचना-समाजक बाजारवादी झुकावक कारण खतराक अनुभूतिसँ त्रस्त अछि।
अन्तर्जाल लोकक मीडिआ अछि आ एकटा एहन प्रणाली अछि जे लोकक बीच सम्वाद स्थापित करैत अछि। एहिसँ संचार-माध्यमक मठाधीश लोकनिक गढ़ टुटैत अछि।
अन्तर्जालमे सामान्य रूपसँ सम्पादक नहि होइत छथि। एतए लोक विषयक आ सामग्रीक निर्माण कए स्वयं ओकर संचार करैत छथि। एहिसँ कतेक रास सामाजिक सम्वादक प्रारम्भ होइत अछि। मुदा कतेक रास समाज-विरोधी सामग्री सेहो अबैत अछि। तँ की ओहिपर प्रतिबन्ध होएबाक चाही। मुदा जे सॉफ्टवेयरक माध्यमसँ मशीनकेँ सामग्रीपर प्रतिबन्ध लगेबाक अधिकार देब, तखन ई अभिव्यक्तिक स्वतंत्रतापर पैघ आघात होएत।
बौद्धिक सम्पदाक अधिकार लेखककेँ मृत्युक ६० बरख बादो प्रकाशन आ वितरणक अधिकार दैत अछि। अन्तर्जालमे सेहो पाइरेसीकेँ प्रतिबन्धित करए पड़त आ कमसँ कम लेखकक मृत्युक २० बरख बाद धरि लेखकक अधिकार ओकर सामग्रीपर रहए, से व्यवस्था करए पड़त। मुदा पेटेन्टक बेशी प्रयोग विकाशसील देशक सूचना अभिगमनमे बाधक होएत आ प्रौद्योगिकीक विकासमे सेहो बाधा पहुँचाओत।
कॉपीराइटसँ सांस्कृतिक विकास मुदा होएत, जेना संगीत, फिल्म, आ चित्र-शृंखला(कॉमिक्स)क विकास। डिजिटल वातावरणमे प्रतिकृतिक बिना अहाँ अन्तर्जालपर सेहो सामग्री नहि देखि सकब, से ऑफ-लाइन कॉपीराइट आ ऑनलाइन कॉपीराइट दुनू मे थोड़बेक अन्तर अछि। ऑनलाइन कॉपीराइट प्रतिकृतिकेँ सेहो प्रतिबन्धित करैत अछि। आ प्रतिकृति कएल सामग्रीकेँ दोसर वस्तुमे जोड़ब वा संशोधित करब सेहो बड्ड सरल अछि। से नाम आ चित्र बिना ओकर निर्माताक अनुमतिक नहि प्रयोग होअए, दोसराक व्यक्तिगत वार्तालाप-चैटिंग-मे हस्तक्षेप नहि होअए आ दोसराक विरुद्ध कोनो एहन बयानबाजी नहि होअए जाहिसँ कोनो व्यक्तिक विरुद्ध गलत धारणा बनए। तहिना नौकरी-प्रदाता कोनो प्रकारक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अपन कर्मचारीक नियन्त्रण लेल लगबैत अछि तँ से अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संघक दिशा-निर्देशक अनुरूप होएबाक चाही। ई-पत्रमे अनपेक्षित सन्देश आ चिकित्सकीय रिपोर्टक अनपेक्षित संग्रह आ उपयोग सेहो मानवाधिकारक हनन अछि।
अन्तर्जालक उपयोग मुदा सीमित अछि, कारण बहुत रास सामग्री आ तंत्रांश मंगनीमे उपलब्ध नहि अछि आ महग अछि, डिजिटल विभाजन शिक्षाक स्तरकेँ आर बेशी देखार करैत अछि। शारीरिक श्रमक बदलामे मानसिक श्रमक एतए बेशी उपयोग होइत अछि, से ई आशा रहए जे स्त्री-असमानता सूचना-समाजमे घटत। मुदा सर्वेक्षण देखबैत अछि जे महिलाक पइठ सूचना प्रौद्योगिकीमे कम छन्हि।
इलेक्ट्रॉनिक लाइब्रेरी आ ब्रेल-इनेबल कएल/ ध्वनि-इनेबल कएल कम्प्यूटर स्क्रीन/ इलेक्ट्रॉनिक लाइब्रेरी विकलांग आ अन्ध विकलांग लेल घर पर रहि ई-वाणिज्य करबामे सहायता दैत, मुदा एहि क्षेत्रमे कएल शोध आ ओकर परिणाम महग रहबाक कारणसँ ओतेक लाभ नहि दऽ सकल अछि।
बाल, वृद्ध, विकलांग, स्त्री, कामगार, प्रवासी-कामगार आ दोसर सामाजिक रूपसँ अब्बल वर्ग सूचना समाजमे सेहो अपनाकेँ अब्बल अनुभव करैत छथि।
सार्वभौम मानवाधिकार घोषणाक अनुच्छेद १२ एकान्तता, अनुच्छेद १८ एकान्तमे शिक्षण आ विचारक स्वतंत्रता, अनुच्छेद १९ कोनहु क्षेत्रसँ कोनहु माध्यमेँ सूचना आ विचारक याचना, आदान प्रदान करबाक अधिकार आ अनुच्छेद २१ वैज्ञानिक विकासमे आ तकर लाभमे अंश पएबाक अधिकार दैत अछि, संगे प्रत्येक व्यक्तिकेँ अपन सृजित कोनहु वैज्ञानिक, साहित्यिक अथवा कलात्मक कृतिसँ उत्पन्न, भावनात्मक वा भौतिक हितक रक्षाक अधिकार सेहो दैत अछि। एहि आधारपर सूचना-समाजमे मानवाधिकार केँ देखैत सूचना आ प्रसारण प्रौद्योगिकी द्वारा सामग्री निर्माण तेना होएबाक चाही आ कॉपीराइट आ बौद्धिक सम्पदा अधिकार सेहो ताहि तरहेँ होअए जे ओहिसँ सार्वभौम मानवाधिकार घोषणाक बिन्दु सभक अवहेलना नहि होअए वरन ओकर आदर होअए।
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