भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Wednesday, September 16, 2009

आरक्षीत सीट -दयाकांत

बस में सुई ससरवाक जगह नहि छल ड्यूटी के टाइम जे छलैक ओहो में हप्ताहक पहिल दिन लागैत छल जेना विदेश्वरक मकर के मेला लागल अछि | हरेक स्टैंड के एके हल बस लाजपत नगर सँ नागलोई जायत छलैक ब्लू लाइन बस बाला के संतोष ते हेबे नहि करैत छैक, चाहे जतेक सवारी चढ़ी जाय ओकरा कम बुझना जायत छैक सवारीक के जानवर जेना ठुसैत रहैत अछि आओर ओकरा संग जनवारे जँका ब्यबहारो करैत अछि | हमहू ओही बस पछिला गेट के पाछू दुबकल रही |

एतबा में बस सफदरजंग में रुकल और सवारीक संग ओही में एकटा बृद्ध लगभग ७०-७५ के उम्र के चढ़ल देखवा में लागैत छल जे शायद कतेको महिना सँ अस्पताल में भर्ती छल | बेचारा कहुना कय ते गेट पर लटकल अन्दर हेवाक शाहस नहि होयत छलैक मुदा कि कैरता दोसर रास्ता नहि छलैक | कतेक निहोरा पांति केलाक बाद कंडक्टर सीट तक पहुचल कंडक्टर के हाथ जोरी के निहोरा विनती केलक जे हम बहुत दिन सँ बीमार छी अपना सीट पर हमरो बैसा ले मुदा ओ कान नहि सुनलक उल्टे बाजय लागल "धरतीक बोझ चढ़ क्यों गया मरने को यही बस सूझी" नीचा में ते पायर रखवाक जगह नहि छल बैसता कोना एकटा सीटक लोहा पकरी के ऊपर माथ राखी देलकैक | एतवाक में बस अगिला स्टैंड में रुकल ओतय एकटा १८-१९ सालक लड़की चढ़ल जे अर्ध वस्त्र में छल ओकर चुस्त टी-सर्ट आओर जींस बेर-बेर एक-दोसराक संग मिलवाक कोशिस करैत छलैक मुदा दुनु के मिलन नहि भय पबैत छलैक ओकरा देखतहि कंडक्टर बाजी उठल आओ मैडम आपके लिए ही सीट रखा हूँ आओर मैडम आराम से ओही बृद्ध के धक्का दैत सीट पर बैस गेल और पुरा बस तमासा देखैत रहल |

3 comments:

  1. Manav Mishra2:51 PM

    ee yuva peerhik badlait soch aa sambedan heentak udahran thik. khed achhi muda satya yeh je mahanagrak ausat uvak pratinidhitwa blue line basak ahi tarhak udand khalasie ke rahal achhi. ona ekhno pratibaddh yuva banchal chhathi.

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  2. Rama Jha9:31 AM

    nik laghukatha

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