भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor:
Gajendra Thakur
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मिथिलाक विकासक बात अछि जे मिथिलाक विकास कोना होएत। मिथिलाक विकासक लेल विषय-वस्तुक बारेमे एकजुट हेबेक चाही , एक दोसरकेँ साथ चलबाक विषय हो, जे विकास नेतागण अपन राजनीतिक रोटी नहि सेकथि आर मुद्दा सिर्फ विकासक होबक चाही ! आइ बिहारमे मिथिलाक भूमि विकाससँ वंचित आछि ! आइ हम सभ अपन रोजी रोटीक तलासमे दिल्लीमे छी, कियो पंजाब आ कियो मुम्बयमे कोपक शिकार होइत अछि ! यदि मिथिलामे रोजगार होइत तखन दिल्ली तँ दूर होइत। लोकमे दम होइत, कोशी कमलाक जल संसाधनकेँ मजबूत तटबन्ध रहितै आ गाम आइ जीवित होइत। सरकारक नीति जे बिहारक नामपर घोषना तँ होइत अछि लेकिन पैसा आँखिक नोर सुखलाक बाद जाइत अछि ! फेर जर्जर के जर्जर।एकताक जरूरत आछि आर नितिश जी के नीति सही अछि जे पुनः बिहार बचेबाक नीति विकासक नीति रोजगारक नीति मिथिलाक चौतरफा विकासक नीति !
हम की हमर पहचान की
मिथिलाक पहचान माछ, पान ओ मखान ,
धोती कुर्ता ओ डोप्टाओ मुँहमे पान ,
धैर्यय ओ बलबान सभसँ भेटय सम्मान ,
आह नहि किनको हरदम मुहपर मुस्कान !
ई हमर मिथिलाक पहचान !!
सभसँ पछुआयल छी ओ जग नाम ,
खान पान हो सबकेँ देता समान ,
नहि कियो अपन नहि कियो आन ,
सभकेँ सुआगत एक समान !
ई हमर मिथिलाकपहचान !!,
गंगा कोसी जीबछ धार ,
सभकेँ लगबथि बेर पार ,
धन समानक कुबेर के अवतार,
सगरुओ मिथिलाक महिमा अपरम पार,
ई मिथिलाक पहचान !!
घर ने पथार अछि टुटल मरैया,
भैयानेने अएला सुन्दर बहुरिया ,
बुढ़ो जवान भेल देखी कऽबहुरिया ,
नेनाक चालि चले नवकीकनियाँ ,
दिन हो राति बैसल सदिखनलाबैतरहतबात ,
निकलथि जखन बजार तखन सिटी बाजे हजार ,
घर ने पथारी अछिटुटल मरैया ,
सभ मिल ताना मारय , ई जुल्मीनजरिया ,
रातिकेँ सिटी बजबैए , पीबि तारी ओर दारू ,
माता के चरण कमलमे आरती प्रस्तुत जय अम्बे जय अम्बे जय जय अम्बे जय अम्बे नूतन सघन सजल नीरद छवि शंकर नाम लेबैया , योगनी कोटि आंगन डाकनी नाचतता ता थैया जय अम्बे जय अम्बे जय जय अम्बे जय अम्बे !! मुंडमाल उर बियाल बिराजित बसन बाघम्बर राजे , कर खप्पर अरुकोसल सित अति कति किंकिन अति बाजे, जय अम्बे जय अम्बे जय जय अम्बे जय अम्बे !! संसार पयोनिधि पार उतारिन सभ आसन सुख देया ! डीमिक डीमिक कर डमरू बाजे नाचत ता ता थैया , जय अम्बे जय अम्बे जय जय अम्बे जय अम्बे !! शिवसनकादि आदि मुनि सेवक शुम्भ निशुम्भ बेधैया , रमा कान्त करू बिनतीआरती जय जय तारिणी मैया , जय अम्बे जय अम्बे जय जय अम्बे जय अम्बे !!
जय श्यामा माताक आरती
जय श्यामाजय श्यामा जय जय श्यामा जय श्यामा ,
पनाचान्न वाहन महिष बिनासिनी नीरद छवि अभिरामा ,
चंड मुंड महिषासुर मर्दनी त्रिभुवन सुन्दर नामा .
जय जय जय श्यामा जय जय श्यामा .......................!!
शंभु धरनी समसान निवासिनी जग जननीअभिरामा ,
सुम्भ निसुम्भ रक्क्त भव मर्दनी श्री गंगाधर बामा ,,
जय जय जय श्यामा जय जय श्यामा .......................!!
नारायणनरसिंहबिनोदिनीबिन्ध्य शिखर बिश्रामा ,
चमुंडा चंडासुर घातिनी पूर्ण निज मन कामा ,
जय जय जय श्यामा जय जय श्यामा .......................!!
तुअ गुण वेद पुराण बखानत को नहि जानत नामा ,
सेवक अधम रमा कान्तपुकारत पुरहु सकल मन कामा
जय जय जय श्यामा जय जय श्यामा .......................!!
की गलती हमरासँ भेल
ओकर सजा किए बेटाकेँ बजालेलहुँ,
हमरासँ दूर किए केलहुँ ,
आप्रद यदि हमरासँ भेल ,
तँ हमर किए नहि कष्ट देल,
छ्ल आसरा एकटा तकरो ,
अहाँ राखमे समा लेलहुँ ,
सभटा अहाँ जानै छी,
एना किए नुठुर अहाँ भेलहुँ ,
पूजा हम करै छी पाठ हम करै छी ,
नाम अहाँक लय सभ दिन उठी ,
आँखि खोलू हे माता आन्हर किए ,
हमर जीबनकेँ साकार करु , बेटाक संग ,
हमरो ओधर करु जीबन ,
ककरा मुँह देखि बितायब हम जिन्दगी ,
आब तँ पहर बनि जाएत जिन्दगी ,
एकटा कृपा करु माता सभ दुःखहरू ,
माया जंजालक फंदासँ पार आब करू
चल चल रे हवा ,पूब दिसा
मिथिला राज्य बनाबी ,
जतएसीताक नगरी ,
ओतहि खिलए सबरंग फुल ,
चाहु दिस हरियर होयत खेत ,
नहि तूँ करिहऽ ककरोसँ भेँट ,
चल चल रे हवा मिथिला देस ,
गंगा कोसी कमला बलान ,
नहि करती ककरो कलेस ,
सभक कमाना पूरा करती,
मिथिलाक नरेस ,
सभ दिन पूजब अहाँकभेस ,
चल चल हवा मिथिला देस!
बिबाह ने भेल एकटा सोगातक संग भेटल
बिबाहकेँ एखन धरि झेल रहल छी ,
जेना बछड़ू बिना महिस बेकार तहिना खेल , भए रहल अछि,
सास तँ बुझु जे राँचीक काँके रिटायर
आर ससुर बुझू जे सगरु भारतसँ अवकाश प्राप्त ,
कहैले महिस स्कूलसँ बी.ए. पास ,
सास इंटर पास कनिया भेटली एम.ए.पास
सारकेँ पठेला देसे पार , छोटकी सारि सदिखन मुँहे फइर,
परिचय:- वर्तमानमे आकाशवाणी दिल्लीमे संवाददाता सह समाचार वाचक रूपमे कार्यरत छी। हिंदी आ मैथिलीमे लेखन। शिक्षा- एम. फिल पत्रकारिता व जनसंचार कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्रसॅं।जन्म:- कलकतामे । मूल निवासी:-ग्राम -मंगरौना, भाया -अंधराठाढ़ी जिला-मधुबनी बिहार।
"विदेह" प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका http://www.videha.co.in/:- सम्पादक/ लेखककेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, जेना:- 1. रचना/ प्रस्तुतिमे की तथ्यगत कमी अछि:- (स्पष्ट करैत लिखू)| 2. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो सम्पादकीय परिमार्जन आवश्यक अछि: (सङ्केत दिअ)| 3. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो भाषागत, तकनीकी वा टंकन सम्बन्धी अस्पष्टता अछि: (निर्दिष्ट करू कतए-कतए आ कोन पाँतीमे वा कोन ठाम)| 4. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो आर त्रुटि भेटल । 5. रचना/ प्रस्तुतिपर अहाँक कोनो आर सुझाव । 6. रचना/ प्रस्तुतिक उज्जवल पक्ष/ विशेषता| 7. रचना प्रस्तुतिक शास्त्रीय समीक्षा।
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"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/ पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि। मुदा ई तँ मात्र प्रारम्भ अछि। अपन टीका-टिप्पणी एतए पोस्ट करू वा अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाऊ।
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