भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
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अछि आवि गेल श्रृंगार सेज पर ज्वलित मसानक रौद्र रूप वर दंत दलक हासक विलास मे - वनल विभत्सक अंधकूप भ‘ गेल सुवर्णक शौर्य शिखर पर - शांति सागरक सुलभ जीत ।।
ओ हमर जीवनक ठिठकल वर्ष सब छल जखन समय मुदा कैलेंडरे टा मे बदलैत रहै बिना उपद्रव बिना हॊ-हल्ला आ कही कि कम-सँ-कम हमरा एकर सूचना नहि छल मुदा एहनॊ नहि रहै जे नेना-भुटका सब पैघ नहि हॊइत छल जै केओ आबि गेल छल ओ विकसितॊ हॊइते रहै चाहे दिशा जे रहल हॊ ओकर आ चलू ईहॊ मानि लैत छी कि जे नहि आयल रहथि हुनका मे आबि जयबाक छटपटाहटि हेतैह्न फेर एहनॊ नहि छल जे बेटाक बेरॊजगारी पर पिता लॊकनि क्रॊध वा खौंझ नहि देखेबाक मॊन बनेने छलथि राग-विराग ओहिना पूर्ववत चलैत छल बिना उपद्रव बिना हॊ-हल्ला नॊर चुपचाप ढबढबा अबैत रहै आँखि सँऽ हर एकांत क्षण सँऽ गठजॊर करबा लय आतुर
आ ई हमर जीवनक कलकल बहैत वर्ष अछि आ हमरा चाहला सँऽ की हॊइत छैक वा ककरॊ चाहला सँऽ समय वा नदीक प्रवाह तऽ नहि थमैत छैक मुदा चाहना तऽ रहैत अछि जे एना धड़-धड़ा कऽ जुनि बितौ ई समय मुदा सुखद क्षणक तीव्र प्रवाह मे कैलेंडरे फर्र-फर्र उड़ि रहल अछि आ कही कि हमरा पहिने नहि बूझल छल जे ककरॊ जन्मदिन एकहि साल मे कएक बेर आबि जाइत छैक कम-सँ-कम हमरा तऽ एहिना बुझना जाइत अछि हम मृत्यु दिश गत्वरता सँऽ धकिओल जा रहल छी कखनॊ काल एहन लगैत अछि जखन खूब आसमर्द उठल रहैत छैक कतहु जेना मेट्रॊ रेल मे ऑफिस सँऽ घर घुमैत काल मुदा आश्चर्य ! नेना-भुटका सब पहिनहि सन शनैःशनैः पैघ भऽ रहल अछि हाँ, बेटिक मादे हम ई नहि कहि पायब काल्हि भॊर जखन ओ स्कूल जाइत छल तऽ रहरहाँ गुलजार जीक एकटा पांति आँखिक नॊर बनि कऽ उतरि गेल
- 'बाजरे के सिक्कॊं जैसे बेटी हॊ जवां'
फेर एम्हर जे केओ आबि गेल छै से विकसित भऽ नहि रहल छै कएल जा रहल छै तेँ सबहिक दिशा एकहि छैक सब बजार लेल आ बजार दिश धकिऔल जा रहल छथि आ ईहॊ सत्य कि जे नहि आयल छथि हुनका मे आबि जयबाक छटपटाहटि सँऽ बेसी डॉक्टर केँ माइक गर्भ परीक्षण करबाक वा ओकरा चीर देबाक धड़फड़ी छैन्हि सुयॊग समय मे बच्चा जनबाक कामना मे जननी सेहॊ कैक बेर सहमतिए मे रहैत छथि बेटाक कुपात्र हॊयबाक भय माता सब मे बढ़ल अछि फेर एहनॊ नहि जे बेटाक बेरॊजगारी पर पिता लॊकनि क्रॊध वा खौंझ नहि देखेबाक मॊन बनेनै छथि आब हुनका मे पहिने सन सामर्थ नहि छॊड़लह्नि बेटा सब राग-विराग ओहिना चलि रहल छै पूर्ववत हाँ आब विज्ञापन सेहॊ जरूरी भऽ गेल छै तेँ हँसी आ नॊर समय देख के निकालब लॊक सीखि रहल छथि तेजी सँऽ बदलि रहल छै समय मुदा एखनॊ चुपचाप ढबढबा अबैत अछि आँखि सँऽ नॊर प्रत्येक एकांत क्षण से गठजॊर करबा लय आतुर एक गॊट बेस संभावना बनि कऽ !
२
मुन्नी वर्माक कविता
बेटी
जनम भेल तँ कहलक दाइ
भेल दू हाथ धरती तर
कोइ नहि सोचलक हमहुँ जान छी
कहलक दही नून तरे-तर।
बावू कपार पीटलनि
माय भेल बेहोश
जँ हम जनितौं तँ
नहि अबितौं एहि लोक
ऑंखि अखन खुलल नहि
कान अखन सुनलक नहि
आ बना देलक हमरा आन
कहलक कोनो अट्ठारह बरख रखबिहि एकर मान
ने केकरो किछु लेलौं हम
ने केकरो किछु देलौं हम
जे माय हमरा जनम देलक
ओकरो मुँह नहि देखि पबलौं हम
अजब दुनियॉं अछि ई
अछि गजबक लोक
किएक करैत अछि एना
किएक भेजैत अछि बेटीकेँ परलोक
अबैत एहि धरतीपर
इजोतसँ पहिल भेल अन्हार
हमहुँ डुबि गेलौं
आ डुबि गेल संसार
समाज बनल हत्यारा
बाप बनल जल्लाद
बसैसँ पहिने उजारि देलनि
बेटीक संसार।
डॉ. बचेश्वर झा, जन्म- १५ मार्च १९४७ईं
एम.ए.-पी.एच.डी.
पूर्व प्रधानाचार्य,
निर्मली महाविद्यालय निर्मली।
डॉ. बचेश्वर झाक दूटा कविता-
1 भेँट
की कहू केहन लोकसँ भेल भेँट,
उम्र सियानी मधुरी वाणी,
तिनकर थिक ई किरदानी,
लारि चुगली काटि रहल छथि,
सबहक घेंट
की कहू केहन लोकसँ भेल भेंट।
कार्य कलापसँ पकिया नारद,
अपन हित छन्हि अनका मारब,
उजर केश, दया-धर्मक नहि लेश,
छथि कंजूश व्यवहारमे ठेंढ़ाश
की कहू केहन लोकसँ भेल भेंट।
विद्या बल नहि प्रखड़,
तरक भरकमे छथि अग्रसर
रंग विरंगी परिधान वान भए
रखने छथि ई समएक टेक
पीवि उम्रकेँ बनल युवक छथि,
गामक पीपरहुँसँ जेठ
की कहू केहन लोकसँ भेल भेँट।
अपन प्रशंसा अपने करबामे
नहि छथि ककरोसँ झूस
आदर पएवा लए बजैत सदिखन सूच्चा झूठ
की कहू केहन लोकसँ भेल भेँट।
भगवान ने करथि एहन लोकसँ हो पुन: भेँट।
2भावान्जली
चिर प्रतीक्षित मैथिलक छल सतत् मांग,
जकरा हेतु कतेको गमओलक जान।
राजनेता सभ मिथिलाक नहि देलनि घियान,
माय मैथिलीक ऑचल सतत् रहल म्लान।
निज मातृभाषाक सभ तरहेँ भेल अपमान,
तथापि मैथिलीक स्तित्वक नहि भेल अवसान।
धन्य! धन्य! वाजपेयी जे मैथिलीक कएल सम्मान,
आइ मैथिली पओलक अष्टम् सूचीमे स्थान।
समए तुलाइल अछि सभ मिलि करू मैथिलीक उत्थान,
कवि, लेखक ओ साहित्यकार वन्धु करू योगदान
कोटि मैथिल निज मातृभाषाक बढ़ाउ सान!
सबहक जिह्वापर बसथि मैथिली ई हो अरमान,
पूब-पछिम बँटल मिथिलाक जोड़ल नीतिश देल अवदान,
तेँ विकास पुरूष कहबैत ओ छथि महान्
हुनक अमर कीर्ति सतत् रहए दुनू एहिठाम
पुलकित कहल धरा धाम जय मिथिला!
जय मैथिल! स्वीकार करी
बचेश्वरक सत्-सत् प्रणाम।
१.चन्द्रशेखर कामति- दुनू परानी फूकि-फूकि पी २.कृष्ण कुमार राय ‘किशन’-कन्या भू्रण हत्या पर एकटा विशेष-हमरो जीबऽ दिअ
१
चन्द्रशेखर कामति
दुनू परानी फूकि-फूकि पी
सारि नाम लड्डू सरहोजि नाम घी
सासु ससुरकेँ कहबनि की
बकरीक दूधमे चाहो बनैत छैक
दुनू परानी फूकि-फूकि पी॥
सूति उठि लिअ श्रीमतीजीक नाम
छोड़ू कहनाइ बाबिइ जय सियाराम
छुच्छे फुटानी इजोरियामे टॉर्च
सठि गेल अन्हरियामे सभ बैटरी॥
मोट-मोट रोटी खेसारीक दालि
जलखैमे तोड़ै छलहुँ मकइक बालि
घिवही कचौड़ीपर चोटे करै छी
मौगीक बड़द बेकार बनै छी॥
भऽ गेल दुरागमन की ठेही भेल दूर
देखू गृहस्थी आ फाँकू चनाचूर
राति दिन तेरहो तरेगन गनै छी
कनै अछि मौगी मेटाएलि सिनूर
देखू ने चेहरापर तेरह बजै अय
रोटीपर नीमक अचार गनै छी॥
२
कृष्ण कुमार राय ‘किशन’
परिचय:- वर्तमानमे आकाशवाणी दिल्लीमे संवाददाता सह समाचार वाचक रूपमे कार्यरत छी। हिंदी आ मैथिलीमे लेखन। शिक्षा- एम. फिल पत्रकारिता व जनसंचार कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्रसॅं।जन्म:- कलकतामे । मूल निवासी:-ग्राम -मंगरौना, भाया -अंधराठाढ़ी जिला-मधुबनी बिहार।
।कन्या भू्रण हत्या पर एकटा विशेष।
हमरो जीबऽ दिअ
कोइखे मे छटपटा रहल छी हम ई दुनियॉं हमरो देखऽ दिअ बेटी भऽ के जनम लेनहि कोनो अपराध नही बाबू यौ, ई जिनगी हमरो जिबऽ दिअ।
डाक्टरक आला कहि रहल अछि नहि बचतहु आब तोहर प्राण अल्ट्रªासाउण्डक रिपोट, किछूएक काल मे आब लए लेतहु तोहर जान।
भ््राष्टाचार पर आरोपक ईच्छा छल
लेखनी पकड़लहुँ ताहि कारणे
कतय सऽ प््राारम्भ करू से समस्या
अकर समावेश लागल सब क्षेत्रमे
खेती बारी सऽ जोगाकऽ अपन पेट काटिकऽ
एक गरीब किसानक पूँजी निपटल बेटाक पढ़ाईमे
ने प््रायासमे कमी आ ने बुद्धी कम विलक्षण
पैघ लोलक पैरवी चाही महाविद्यालयमे नामांकन में
पढ़ाई तक कहुना पार लागल तऽ
अतिरिक्त मुद्रा आवश्यक नौकरी के बहालीमे
अतेक तरहदूतक बाद जऽ नौकरी लागल
माता पिता भिड़ला नगद वसूलीमे
एक संस्कारी पुतहु के प््रातीक्षा करैत
बस हेराफेरी संस्काारक परिभाषामे
एहेन संस्कारजे घर बदलि दियै
सब प््रागति रूकल दहेजक आशामे
२
नन्द विलास राय
कविता-
जनसंख्या
बढ़ल जनसंख्यासँ
स्थिति भेल विकराल,
सभ क्षेत्रमे पड़ि गेल
भयंकर आकाल
पैघ-पैघ घर सबहक
हाल भेल बेहाल
जे खाइत छलाह तीनसला चाउर
आब लगैत छन्हि नै
पूरा साल।
लोक बढ़ैत गेल
जोत कमैत गेल
जे छल गोरहा खेत
उ भेल घरारी
जे करैत छलाह लगानी, भिरानी
आ खाइत छथि बेसाह उधारी
बढ़ल जनसंख्यासँ बढ़ि गेल बेकारी।
तेँ परिवार नियोजनक साधन अपनाउ
आ परिवारकेँ छोट बनाउ
महिला बन्ध्याकरण
आ पुरूष नसवदी कराउ
से नै करब तँ
पुरूष निरोध अपनाउ
आ महिला कॉंपर टी लगाउ।
छोट परिवार सुखक आधार
नहि खाएव बेसाह
नै लेव उधार।
परिवारकेँ छोट बनाउ
धिया-पुताकेँ पढ़ाउ-लिखाउ
आ स्वच्छ नागरिक बनाउ
समाजकेँ बचाउ
देशकेँ बढाउ।
३
शिव कुमार झा‘‘टिल्लू‘‘,
नाम : शिव कुमार झा, पिताक नाम: स्व0 काली कान्त झा ‘‘बूच‘‘, माताक नाम: स्व. चन्द्रकला देवी, जन्म तिथि : 11-12-1973, शिक्षा : स्नातक (प्रतिष्ठा), जन्म स्थान ः मातृक ः मालीपुर मोड़तर, जि0 - बेगूसराय,मूलग्राम ः ग्राम + पत्रालय - करियन,जिला - समस्तीपुर, पिन: 848101, संप्रति : प्रबंधक, संग्रहण, जे. एम. ए. स्टोर्स लि., मेन रोड, बिस्टुपुर, जमशेदपुर - 831 001, अन्य गतिविधि : वर्ष 1996 सॅ वर्ष 2002 धरि विद्यापति परिषद समस्तीपुरक सांस्कृतिक गतिवधि एवं मैथिलीक प्रचार- प्रसार हेतु डा. नरेश कुमार विकल आ श्री उदय नारायण चौधरी (राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक) क नेतृत्वमे संलग्न।
!! पावस !!
लगिते आतप अनल ज्वाल सॅ, पसरल सगरो हाहाकार तरूण - वरूणक अग्निवेश सॅ जीव - अजीव मे अशंातिक ज्वार मोन विरंजित हृदय सशंकित वनल सरोवर कलुष मसान सूखल किसलयक कोमल कांति धधकि रहल नव लता वितान नष्ट करब एहि प्रलय भयंकर प्रकट भेलन्हि अपने देवेश घन घन घटाक संग आगमन शीतल पावस बूनक वेश नव रंग नव धुन नव मुस्कान घुरल सृष्टि मे नवल जान पुष्प खिायलि कांचन उपवन फूरल भ्रमर केॅ मधुर गान मंातलि सरोवर कलकल सरिता नूतन नीरक खहखह धारा आयल कृषक मे दिव्य चेतना भागल वेदनाक पुरा अॅधियारा पंकज प्रस्फुटित भेल सरोवर वकः काक चित शांतसोहनगर भरल घटा मे मोर मजूरक नाच मधुर वड़ लागय रूचिगर गोधूलिक पवन वेग मे चहकि उठल भगजोगिनी वयः ताप मे उमड़ि गेलि मिलनक वियोग मे तरूणी उन्मत्त घटा संग मधुर प्रेम मे नर-नारी भ‘ गेल विभोर दुई मासक ई रूचिगर पावस उमड़ाओल नव सृष्टिक जोर
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"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/ पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि। मुदा ई तँ मात्र प्रारम्भ अछि। अपन टीका-टिप्पणी एतए पोस्ट करू वा अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाऊ।
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