भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

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(c) २००-२०२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.htmlhttp://www.geocities.com/ggajendra  आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha  258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/  पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

Sunday, October 30, 2011

'विदेह' ९२ म अंक १५ अक्टूबर २०११ (वर्ष ४ मास ४६ अंक ९२) PART II


अतुलेश्वर
किछु विचार टिप्पणी
भाषाक प्रति एक नव सोच
हेमनिमे एकटा गोष्ठीमे गेल छलहुँ जाहि मध्य एक नव बात उड़ीसाक एकटा भाषावैज्ञानिक कहलैथ जे यदि हमर सभक भाषा सभमे कोनो प्रकारक नब शब्द अबैत अछि, तँ ओकर स्वागत होयबाक चाही। हुनक कहब छलन्हि जे कोनो विदेशी शब्द हमर भाषाक वाक्य संरचना मे कोनो प्रकारक परिवर्तन नहि आनि सकैत अछि। ई गप्प ठीक छैक जे वाक्य संरचनामे एहि सँ कोनो प्रभाव नहि पड़त, मुदा एहिसँ भाषाक विकास हमर होयत वा हुनकर? एहि ठाम ई प्रसंग हम एहि कारणे उठाओल अछि जे मैथिलक बहुतो पत्रिकामे कथाकारलोकनि एहि सिद्घान्तकें अपनौने छथि। हुनका लोकनिक कथा, जे मिथिलामे रहनिहार लोकक कथा हैत अछि, मुदा ताहूमे मैथिलीसँ इतर शब्दक प्रयोग निधोख भए कएल जाए रहल अछि। ई किएक?उदाहरणक लेल किछु शब्द अछि जेना बेडरुम, किचेन आदि। आश्चर्यक गप्प ई जे जँ हमसभ ओहन शब्दकेँ आयातित करैत छी जे अपना घरमे नहि अछि तखनि तँ ठीक, मुदा अपन भण्डारमे रहैत अनका लग हाथ पसारब कतए धरि उचित?  हमरा सभकेँ बुझल अछि जे उपर्युक्त शब्दक लेल मिथिला आ मैथिलीमे बहुत सहज शब्द भनसाघर, सुतबाक कोठरी उपलब्ध छैक। अपन शब्दक अछैत ई भीखमंगनी किएक? एहने स्थितिक हेतु आदरणीय गोविन्द बाबू कहने छथिन जे अपन कोठीमे धान रहैत पैंच लेब उचित नहि। की अहिना अपन भाषामे बाहरी शब्द अनैत रहब आ पछाति कहबैक जे भाषाक विकास नहि भ रहल अछि, ई कतय धरि उचित? अपन संस्कृति, अपन भाषाक छोट सँ छोट विषयकेँ अपनायब हमर अहाँक परम कर्त्तव्य बनैत अछि, भाषाक विकासकेर मतलब ई किन्नहुँ नहि थिक जे अपन विषय-वस्तुकेँ रहैत दोसरक वस्तुसँ अपन घर भरि ली। तेँ हम अपन क्षुद्र बुद्धियेँ आजुक सजग साहित्यकारलोकनिसँ आग्रह-अनुरोध करैत छियनि जे आवश्यकता रहले पर हाथ पसारब उचित अन्यथा अपना सङ्ग-सङ्ग भाषाक प्रति अन्याय होयत।
भाषाक मानकीकरण आ साहित्यक राजनीति-
जखनि-जखनि साहित्यक स्तरीयताक विवेचना होइत अछि तखनि-तखनि भाषाक मानकीकरणक प्रश्‍न ठाढ़ क हौआ बना देल जाइछ। हेमनिमे एहि प्रकारक समस्या आयल अछि। विदेह इ पत्रिकाक सम्पादक आदरणीय गजेन्द्र ठाकुरजी सेहो किछु एहने परिदृश्यक निर्माण कएलनि अछि।  प्रसंग छल कथाक स्तर पर आ प्रश्न उठाओल अछि भाषाक मानकीकरण पर। एही परिप्रेक्ष्यमे गजेन्द्रजी भारतीय भाषा संस्थानक द्वारा मैथिली काजक लेल अपनाओल गेल भाषीक स्तरीयता पर प्रश्न चिन्ह लगाओल अछि। ओना गजेन्द्रजीक मानकीकरणक पक्षधर हमहुँ छी मुदा मानकीकरणक नाम पर चलाओल जाएबला गोलैसी सँ आहत आ असहमत सेहो छी। कारण एहि सँ परिणाम तँ किछु नहि आओत मुदा भाषाक गति अवश्य बाधित होएत। मैथिली भाषाक मानकीकरण नहि भेल अछि ई कहब छनि भाषा वैज्ञानिकलोकनिक, तखन मानकीकरणक राजनीति किऐक? एखनुक जे मैथिलीक मानकीकरणक परिस्थिति अछि ओहिमे अहाँ जे लिखैत छी सेहो ठीक आ दोसर जे लिखि रहल छथि सेहो ठीक। तैँ हमर कहब अछि जे सम्प्रति एकरा मैथिली भाषाक विशेषते बुझल जाए आ ओकरा कोनो एक खुंटामे बान्हब ठीक नहि। कारण कोन-कोन परेशानीक बीच केओ बंधुआ मजदूर जेकाँ मैथिलीक काज कए रहल छथि से गजेन्द्रजीकें नीक जकाँ बुझल छनि, मैथिली भाषामे साहित्यकार तँ भरल छथि मुदा अपन रचनाकेँ प्रकाशित करबासँ पूर्व कतेक गोटए प्रकाशनसँ पूर्व ओकर उचित स्व-समीक्षा करैत छथि? अन्तमे जे मानकीकरणक प्रश्‍न अपने उठबैत छियैक ओ मात्र मैथिलीऐमे नहि, अपितु आनो भाषामे समाने रुपकेर छैक आ एकर समाधान जल्दी भए जाएत तकरो दूर-दूर तक सम्भावना नहि बनैत अछि। एही कारणें कहब जे मैथिली भाषाक मानकीकरणक लेल ठोस आ निरपेक्ष भावक आवश्यकता छैक, जाहि हेतु मैथिलकेँ बहुत बेसी संयमी बनबाक आवश्यकता छनि। अन्तत: कहबाक तात्त्पर्य जे भाषाक मानकीकरणक नाम पर राजनीति कएनिहार आ करौनिहार दुनू गोटे अपनाकेँ संयमित करथु, नहि तँ असली स्वर दबले रहि जाएत ठीक ओहिना जहिना बिनु बरखाक खेतक उर्वरता।

 

मैथिली साहित्य आ मुसलमान भाई -
मैथिली भाषामध्य मुसलमान जातिक साहित्यकारक उपेक्षा मिथिला आ मैथिली लेल नीक नहि। हेमनिमे देखल जा रहल अछि जे मुसलमान भाई काल्हि धरि मैथिलीकें अपन मातृभाषा स्वीकार कएने रहथि ओ लोकनि शनैःशनैः मैथिलीसँ विमुख भ रहल छथि, तकर सोलहो आना कारण अछि हुनका लोकनिक उपेक्षा। एहि बीच साहित्यकार आ पत्रकार श्याम सुन्दर शशि कहलथि जे काल्हि धरि ओ लोकनि अपन मातृभाषा मैथिली लिखबैत छलाह, ओ लोकनि अपन उपेक्षाक कारणेँ आइ मैथिली भाषासँ मूँह मोड़ि रहल छथि। हुनका अनुसारेँ एकर मुख्य कारण अछि हुनकालोकनिक प्रति उपेक्षा-भाव। ठीक एहने चिन्ता आदरणीय नचिकेताजी सेहो उठौने छथि। हमरा एहि ठाम शशिजी आ नचिकेताजीक चिन्ता एक रंग लागल, कारण एक दिस हमरा लोकनि कहैत छिऐक जे मिथिलामे बसनिहार सभ जातिक भाषा मैथिली थिक आ दोसर दिस एहन उपेक्षा? ई दुनू गप्प कोना भ सकैत अछि। ई प्रसंग एहि कारणेँ उठाओल अछि जे मैथिलीमे के के मुसलमान भाई साहित्यकेर निर्माण कए रहल छथि से आंगुर पर गनल जाए सकैछ। हेमनिमे आदरणीय हाशमीजीक देहावसान भेल मुदा धीरेन्द्र प्रेमर्षि छोड़ि केओ हुनका प्रति लिखबाक घृष्टता नहि कयलनि। एकर कारण की?  मैथिली साहित्य गुट-गोत्र-जाति मात्रक गोलैसी सँ जुड़ल अछि। एहना स्थितिमे आदरणीय नचिकेताजीक शब्द मोन पड़ैत अछि प्रायः 51,229 मैथिली मुसलमान भाइ छथि जनिका मैथिली सांस्कृतिक आ साहित्यिक जगत मे हमरा सभकें स्थान देमै-टा पड़त, नहि तऽ इतिहास हमरा क्षमा नहि करत।

चिड़ै आ ओकरे लाथेँ नेपालीय मैथिली कथाक स्वर-

नेपालमध्य मैथिली साहित्यमे 1990 ई॰क बादक आयल पीढ़ीमे सँ ककरो कथा संग्रह प्रकाशित नहि भेल छल(ओना एकगोट कथा संग्रह संतोष मिश्रक प्रकाशित भेल छल मुदा ओ चर्चामे नहि आबि सकल, एकर कारण पता नहि)। हेमनिमे सुजीत कुमार झाक कथा संग्रह चिड़ै प्रकाशित भेल अछि। जे एहि पीढ़ीक प्रथम कथा संग्रह थिक। सुजीत कुमार झाक कथा संग्रह तखनि प्रकाशित भेल अछि जखनि नेपालक जनता नव नेपालक निर्माणमे लागल छथि, आ एहि क्रममे नव-नव बातक स्थापना हएबाक संभावना अछि। मुदा जखनि चिड़ै कथा संग्रह प्रकाशित भेल त मिडियामे जे प्रतिक्रियासभ आएल ताहिसँ ई स्पष्ट नहि भए सकल जे चिड़ै कथा संग्रह नेपालक परिस्थितिक कथा कहैत अछि वा नहि, मुदा एकर चर्चा बहुत भेल। एहि परिप्रेक्ष्यमे देखला पर पता चलैत अछि जे हुनक कथा संग्रहक शीर्षक कथा चिड़ैकथा, जे कथाकार दृष्टिमे एक नव विम्वक कथा थिक, क मूल उद्देश्य नेपालीय मैथिली कथा साहित्यक समकालीन स्वर परिभाषित करब थिक। एकरा पुष्ट करैत अछि नेपालसँ प्रकाशित कथा यात्रा नामक कथा संग्रहमे एकर प्रकाशन होएब। यदि सुजीत कुमार झाक आरो कथा एहि स्वरक अछि तँ ई कथा समकालीन स्वरक कथा नहि भए मात्र वर्त्तमान कालमे लिखल गेल कथामात्र भेल। कारण नेपालीय मैथिली कथामे समकालीन विम्ब आ नव शिल्पक कथा रमेश रंजन आ धीरेन्द्र प्रेमर्षिक कथामे मात्र देखल जाइत अछि। बाद बांकी कथाकारमे एकर अभाव देखल जाइछ कारण एहि पीढ़ीक सभसँ श्रेष्ठ कथाकार रहितहुँ श्याम सुन्दर शशि सेहो समकालीन स्वरमे पाछुऐ छथि, कारण ई कथाकार लोकनि नारी देह धरि अपनाकेँ सीमित कए कथाक शिल्प आ विम्बक निर्माण करैत छथि। तैँ आशा नहि क सकैत छी जे सुजीत कुमार झा एहि सँ फराक हेताह। ओना चिड़ै कथा पढ़ि हुनक कथाक समीक्षा करब आसान नहि। तथापि प्रशंसाक पात्र अवश्य छथि अपन पीढ़ीक प्रथम कथा संग्रह प्रकाशित करबाक लेल।

(बिन्दु २: अतुलेश्वरजी, अहाँक टिप्पणीपर हमर टिप्पणीपर एकटा मेलमे असहमति आएल छल। तकर जे जवाब हम देने रही  से १/२/३/४ बिन्दुमे नीचाँमे जोड़ने रही, कारण ओ पत्र हमर ई-मेलपर आएल छल तेँ प्रश्नकर्ताक नाम आ प्रश्नावली हम सायास नै देने रही, तेँ प्रायः तारतम्य नै रहल हएत। मुख्य मुद्दा छै जे किछु गोटे सगर रातिसँ लऽ कऽ सभ ठाम जगदीश प्रसाद मण्डल जीक लेखन शैलीपर सवाल उठा रहल छथि, कथाक स्तरपर गप होइते कहाँ अछि, मात्र जे "करैत" आ "जाइत" क बाद अछि किए नै अछि; रामनाथहुँ किए नै अछि रामनाथो किए अछि, शब्द सभ ई कोड़ि कऽ अनै छथि (एकटा दोसर पाठकक पत्र छल!)। मुदा अहाँ सही कहलौं जे जतेक लेखक छथि ततेक मानकीकरण अछि तखन कथाक स्तरपर गप किए नै होइए? विषय-वस्तुपर गप किए नै होइए? जखन की हुनकर कथा विषय-वस्तु आ भाषा दुनू दृष्टिकोणसँ (मानकीकरण सेहो हुनकामे अछि) श्रेष्ठ अछि, सगर राति दीप जरए, सुपौलमे जे जातिवादी स्वर उठल आ पुरोधा सभ चुप रहलाह, मुन्नाजीक ऐ सम्बन्धमे प्रश्नावलीक अखन धरि पुरोधा लोकनि उत्तर नै देलन्हि, ओइसँ लगैए जे सभटा साजिशक तहत भऽ रहल अछि।सी.आइ.आइ.एल. कएक साल बितलोपर किए मानकीकरणक कोनो खाका नै दऽ सकल, कएकटा मीटिंग टा भेल। जखनकि ओकर कमेटी एकछाहा छै आ ओइमे वएह लोकनि छथि जे सभ सगर राति आदिमे सक्रिय छथि आ मानकीकरणक आधारपर जगदीश प्रसाद मण्डलक आलोचना हास्यास्पद रूपेँ करै छथि!--गजेन्द्र ठाकुर, सम्पादक
बिन्दु-३: अतुलेश्वरजी, मैथिलीक पहिल दुर्भाग्य तखन देखा पड़ैत अछि जखन एतए गजलकेँ मुस्लिम धर्मसँ जोड़ि कऽ देखल जाए लगलै आ मुस्लिम धर्म आ ओकर साहित्यकेँ अछोप मानि लेल गेलै। आ तखन मुस्लिम अहाँसँ कोना जुड़त। मुदा आब जखन गजलक जीवन युगक समाप्ति भऽ गेल अछि (जीवन युग- ऐ युगक प्रारंभ हम जीवन झासँ केने छी जे आधुनिक मैथिली गजलक पिता मानल जाइ छथि मुदा ओ कम्मे गजल लीख सकला। मुदा हुनका बाद मायानंद, इन्दु, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, सरस, रमेश, नरेन्द्र, राजेन्द्र विमल, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, रौशन जनकपुरी, अरविन्द ठाकुर, सुरेन्द्र नाथ, तारानंद वियोगी आदि गजलगो सभ भेलाह।) आ अनचिन्हार युगक प्रारम्भ भऽ गेल अछि, जइमे गजलक परिभाषिक शब्द आ बहरक निर्धारणक आधारपर सुनील कुमार झा, दीप नारायण "विद्यार्थी", रोशन झा, प्रवीन चौधरी "प्रतीक", त्रिपुरारी कुमार शर्मा, विकास झा "रंजन", सद्रे आलम गौहर, ओमप्रकाश झा, मिहिर झा, उमेश मंडल आदि गजलकार गजल लिख रहल छथि तखन मुस्लिमक प्रवेश मैथिलीमे हेबे करत। हम शेख मोहम्मद शरीफक तेलुगु कथाक अंग्रेजी माध्यमसँ मैथिलीमे अनुवाद केने रही (जुम्मा - कथा- विदेह:सदेह:१ मे सेहो प्रकाशित) आ विदेहमे सद्रे आलम गौहर आ मो. गुल हसन छपि रहल छथि। संगमे मैथिलीमे आब कसीदा, मसनवी, फर्द, बन्द, कता, रुबाइ, हम्त, नात, मनकबत, मर्सिया, मुस्तजात, नज्म, मुजरा, कौवाली आदिपर लेख (देखल जाए आशीष अनचिन्हार -http://anchinharakharkolkata.blogspot.com/2011/10/blog-post_07.html)क बाद मुस्लिम लेखक मैथिलीसँ कतिआएल अनुभव नै कऽ रहल छथि। मिथिलाक खोजमे मुस्लिम आ क्रिश्चियन धार्मिक स्थलक वर्णन छै (देखू http://www.videha.co.in/favorite.htm ) आ मिथिला रत्नमे सेहो यथासम्भव उल्लेख भेट जाएत (देखू http://www.videha.co.in/photo.htm)। अहाँक टिप्पणी हरबड़ीमे लिखल आ चारि-साल पुरान बुझा रहल अछि । हाशमीजीक विषयमे अहाँक टिप्पणी ओइ गोलैसी, गोत्र, जातिकेँ बढ़ावा दैत लागि रहल अछि जकर अहाँ विरोध केने छी। हुनकरदेहावसानपर विदेहमे सम्पादकीय  आएल छल, आ हुनकर देहावसानपर सैकड़ोक संख्यामे टिप्पणी/ श्रद्धांजलि आएल छल तकर किछु अंश एतए देल जा रहल अछि। आनो मैथिली पत्रिका सभ हुनका श्रद्धांजलि देलक (सरकारी तंत्र छोड़ि कऽ)। लोकमे आब गोलैसी नै छै, हमरा क्षेत्रक राजनेता सेहो आब जाति, गोत्रक आधारपर नै मुदा काजक आधारपर वोट माँगि रहल छै। मुदा ओइ युगक साहित्यकार/ नाटककार जिनका सी.आइ.आइ.एल., साहित्य अकादेमी, एन.एस.डी. आदिसँ मान्यता चाहियन्हि, तखने ओ साहित्यकार कहेताह- से गोलैसी नै करताह तखन हुनकर छद्म अस्तित्व कोना रहतन्हि, कारण जइ युगक ओ छथि से युग तँ कहिया ने खतम भऽ गेलै। फातमी वा कोनो कालजयी लेखकक अस्तित्व ऐ सरकारी संस्था सभक मोहताज नै अछि।
-मुसलमानक मातृभाषा उर्दू किए भेलै,  हिन्दूक मातृभाषा हिन्दी किए से प्रश्न मात्र मैथिलीक नै अछि। बांग्लाआ तमिलकेँ बंगाल आ तमिलनाडुक मुसलमान अपन मातृभाषा किए मानै छथि। मिथिलाक मुसलमानेकेँ मात्रकिए दोष देल जाए? मिथिलाक अधिकांश हिन्दू सेहो मैथिलीकेँ नै हिन्दीकेँ अपन मातृभाषा मानै छथि मुदा हुनकासाम्प्रदायिक नै देशभक्त मानल जाइए! दोसराकेँ छोड़ू, हम तँ दरभंगाक पोथी बेचनिहारसँ मैथिली बाजैत थाकिगेलौं मुदा  हिन्दीमे जवाब देलक! प्रश्न ओतेक सरल नै छै जतेक सरलतासँ अहाँ निर्णय दै छी। मिथिलाक तँछोड़ू कर्णाटक , जतए अहाँ रहि रहल छी, ओतुक्का मुसलमान किए कन्नडक बदला उर्दूकेँ अपन मातृभाषा मानिरहल अछि, जखनकि बगलमे तमिलनाडुक मुसलमान अपन मातृभाषा तमिल घोषित करैए (कन्नडकउपन्यासकार भैरप्पाक उपन्यासक संस्कृत अनुवाद "आवरणम" हम पढ़ने छी, ओइमे ऐपर सेहो चर्चा छै,कर्णाटकमे  उपन्यासपर कतेक हंगामा भेल रहै अहाँकेँ बुझले हएत)
मण्डलजी वा मानकीकरणक लेल कोनो हल्ला नै छै,  मात्र ओइ अपठित मैथिली साहित्यक साहित्यकारकहल्लाक उत्तर छै जिनका ई  सफलता अबूझ बुझाइ छन्हि , जे वास्तविकतासँ दूर छथि  जे मैथिलीक सरकारीकार्यक्रममे (छद्म धरातली कार्यक्रम!) एक दोसराक ढोल पीटै छथि। जगदीश प्रसाद मण्डलक १३ टा पोथीमैथिलीक सर्वश्रेष्ठ नाटककार बेचन ठाकुरक एक टा पोथी  राजदेव मण्डलक अम्बरा (जकरा हम २१मशाताब्दीक पहिल दशकक सर्वश्रेष्ठ कविता संग्रह कहने छी) केँ मैथिली पाठक जे स्थान देबाक छलै इन्टरनेटेपर नैधरातलोपर दऽ देने छै।  सभ पोथी सभ प्रिन्टक संग  लिंकपर सेहो उपलब्ध छै, देखल जाएhttps://sites.google.com/a/videha.com/videha-pothi/ । ७४म सगर रातिमे १५ गोटेकथा पाठ भेलै जइमे जगदीश प्रसाद मण्लक नेतृत्वमे  गोटे गेल रहथि,  शेष मात्र  गोटे रहथि, जेँ जगदीश प्रसाद मण्डल तेँ ई सगर राति आइयो चलि रहल छै। मुदा साहित्य अकादेमी आसी.आइ.आइ.एल. प्रायोजित धरातली कार्यक्रममे से अनुपात नै छै , किएक? कारण  संस्था सभ जमीनीवास्तविकतासँ दूर अछि।

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नेट मध्य एशियामे की केलकै अहाँकेँ बुझले हएत। जमीनी स्तरपर निर्मलीमे जे "विदेह समानान्तर साहित्यअकादेमी मैथिली कवि सम्मेलन" आयोजित भेल छलै ओकर सफलतासँ अहाँ भिज्ञ हएब, तहिना विदेह द्वारा जेसमानान्तर साहित्य अकादेमी पुरस्कारक घोषणा भेलै से काल्हि धरि अपठित मैथिली साहित्यक साहित्यकारक मध्य जे अहलदिली अनने छै तहूसँ अहाँ भिज्ञ हएब।
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मिथिलाक  मैथिलीक विकासक जे वातावरण अखुनका सरकारमे छै की  दरभंगा आ आन जमीन्दारी राजवा मैथिल मुख्यमंत्रीक कालमे कहियो रहै? १४ अक्टूबर २०११ केँ मुख्यमंत्री नीतिश कुमारकेँ निर्मलीमे जगदीश प्रसाद मण्डलक ५ टा आ राजदेव मण्डलक एकटा पोथी देल गेलन्हि, मुदा जखन चेतना समितिक बैसकीमे श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल, पटनामे ओ मैथिलीक ऐ संस्थाकेँ मैथिल ब्राह्मणक संस्था बुझने रहथि आ बाजलो रहथि (बड़ाइयेमे सही, वोटक उद्देश्येसँ सही) तँ कियो सांकेतिको करेक्शन नै केने रहथि?  १४ अक्टूबर २०११ धरि ओ  मैथिलीकेँ मैथिल ब्राह्मणक भाषा बुझै छलाह!! 
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नवीनजीकेँ नवारम्भ पत्रिकामे चांग्ला कहल गेल छलन्हि, श्रीनिवासजी  नवीनजीकेँ "हम पियाला हमनिवाला"  आर की-की कहल गेल छलन्हि। की हुनका प्रत्युत्तर देबाक हक नै छन्हि? नवीन जीक कोन पाँतीमेगारि छै से बताएल जाए, तखन हम आर फरिछा कऽ ओकर सन्दर्भ दऽ सकब।
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अहाँक  कथन जे हम .सी.मे रहि कऽ मिथिलाकेँ नै बुझि पाबि रहल छी आदिपर हमर यएह उत्तर अछि जे ऐ सभसँ हम भविष्यमे "असत्यकेँ सत्य" कहनाइ नै शुरू कऽ देब।
- सी.आइ.एल.एल. सभ निअम वेबसाइटपर उपलब्ध छै,  ओकर कोन प्रावधान लक्ष्मीनाथ झा द्वारालिखित हिन्दीक पोथी "बिहार की सांस्कृतिक चित्रकला" निर्लज्ज चोरि कएल पोथी सुशीला झाक "अरिपन"केँपूर्वप्रकाशन ग्रान्ट दै छै से हमरा नै बुझल अछि। अहाँ तँ मुस्लिमक गप उठेने छी मुदा हिन्दूक मात्र एक जातिएकर सभ कार्यशालासँ लऽ कऽ सभ ग्रान्ट/ असाइनमेन्ट प्राप्त कऽ रहल छै,  कोन प्रावधानक अन्तर्गत छै?निअममे कोनो कमी नै होइ छै, यएह निअम तँ दोसरो भाषामे छै, ओतए किए एतेक समस्या नै छै?  -गजेन्द्र ठाकुर, सम्पादक)


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फजलुर रहमान हासमीक आइ २०-०७-२०११ केँ मृत्यु भऽ गेलन्हि। जन्म -पटना जिलाक बराह गाममे। वृत्ति अध्यापक। हिन्दी कविता संग्रह "रश्मि राशि" आ मैथिली कविता संग्रह "निर्मोही" प्रकाशित। १९९६मे अबुलकलाम आजाद- अब्दुलकवी देसनवी, उर्दूसँ मैथिली अनुवादपर साहित्य अकादमीक मैथिली अनुवाद पुरस्कार।

(
हिनकर एकटा कविता)

हे भाइ

हे भाइ

हमरा जुनि मारह

तोँ हमरा

दोसर जाति

दोसर धर्म्मक बूझि रहल छह-

मुदा हम छी

तोरे भ्राता

अग्रज वा अवरज!

हमरा सभकेँ एके माता

नहि मारह

गैर जानि कऽ

संसारक दृष्टिमे

तोँ पार्थ

आओर

हम राधेयबनल छी

मुदा पृथाजानि रहल अछि

हदय कानि रहल अछि

चुप अछि

मजबूरीसँ

बेवसीसँ

हे भाइ हमरा नहि मारह...।

(
साभार:by Gajendra Thakur)
By: Kumar Umesh Mahto
Like · · Share · See Friendship · 16 minutes ago · 
Gajendra Thakur July 20
You, Ramashankar Jamayyar,
रवि भूषण पाठक, Om Prakash Jha and 27 others like this.

Vijay Kumar Jha shradhanjali..
July 20 at 9:21pm · Unlike · 10 people

Ranjeet Jha humar sader pranam
July 20 at 9:26pm · Unlike · 10 people

Raman Dutt Jha
फोटो में कविता से रूबरू करावै लेल बहुत बहुत धन्यवाद |
July 20 at 9:27pm · Unlike · 9 people

Dhirendra Premarshi
हाशमीजीक प्रति हमर हार्दिक श्रद्धासुमन। हम अपन गीत एतबए दुआ मङै छी अल्लाह एकरा कबूल कइए लिहऽ मे हुनकर सन्दर्भ राखि हुनक ई कविता सेहो रखने छियनि-प्रलयंकारी भूकम्पसरकारक दिससँ राहतठीक ओसक बुन्नजकाँहाथी तँ ठाढेठाढ नहा गेलआ चिडइपिआसलक पिआसले रहि गेल

कृपया हुनक जीवनी रखबाक प्रयत्न करब उमेशजी।
धीरेन्द्र प्रेमर्षि
July 20 at 9:31pm via · Unlike · 11 people

Nagendra Kumar Jha hamro dis se shradhanjali
July 20 at 9:35pm · Unlike · 11 people

Shiv Kumar Jha
हमर जन्म मातृक मालीपुर मोड़तरमे भेल, हाशमीजी ओइ गामक बगलमे शिक्षक छला, मालीयेपुर गाममे रहै छला, हमर बाबूजी स्व. कालीकान्त झा बूच सँ साहित्य साधनाक क्रममे बड्ड अन्तरंगता भऽ गेल छलनि, पारिवारिक सम्बन्ध जकाँ, हमर बाल्यकालक उपनाम "टिल्लू" हिनके राखल छलनि, जखन हम नेना छलौं (४-५ बर्खक) तँ ओ हमरा कहै छला- "टिल्लू मियाँ राही, पेटमे कराही, आ दौरऽ हो सिपाही"-- हुनका हमरादिससँ श्रद्धांजलि..
July 20 at 9:44pm · Unlike · 9 people

Rajdeo Mandal shradhanjali
July 20 at 10:04pm · Unlike · 6 people

Manoj Kumar Mandal ekta sunya..ee sunya bharat?
July 20 at 10:11pm · Unlike · 4 people

Nand Vilas Roy dukhad ,, muda jeevanak satya
July 20 at 10:14pm · Unlike · 5 people

Priyanka Jha ekta maithilik lel samarpit vyaktitvak nidhan
July 20 at 11:36pm · Unlike · 4 people

Kaushal Kumar Karej paigh bh' gel het maithili ke dushmansab ke
July 21 at 12:42pm · Like · 1 person

Binit Thakur dukhak ghot pibi har 1 gyani badhe jeevan ke or. jakhan apan keo teje duniya shradha sa bahe nor. e sansar maaya ke nagri kahait achhi shastra puran. shradh suman rahamaaj jee k. hamar apan kichh pait sa. BINIT THAKUR
July 21 at 2:41pm · Unlike · 2 people

Sanjay Kumar Mandal
श्रधान्‍जली....
July 21 at 11:50pm · Unlike · 1 person

Shiv Kumar Jha HASMEE JEEK DEHANT SAN MAITHILI KEN JE KSHATI BHEL OKAR VIVECHAN SAMBHAV NAH.
July 22 at 2:54pm · Like
14 minutes ago · Like
Arvind Ranjan Das Atyant prabhaavkaari prashn ....
·  Gajendra Thakur fatmijik mrityuk baad hunka del shradhanjali..मैथिली साहित्यक प्रसिद्ध हस्ताक्षर फज़लु रहमान हासमीक आइ दिनक ३ बजे देहावसान
' गेलनि...बेगुसराय निवासी हासमी जी कें मैथिली मे अनुवाद लेल साहित्य अकादेमी पुरस्कार
सेहो भेट चुकल छनि....हिनक कविता सभ बाद चर्चित रहल अछि....हुनके पांति सँ हुनका श्रद्धांजलि ....
सरकारी रिलीफ ...हाथी नहा गेल आ छुट्टी पियासले रहि गेल....
Unlike · · Unfollow Post · July 20 at 4:28pm
You, Prabhat Ray Bhatt Uyfm, Deepak Ranjan, Sanjay Jha and 20 others like this.

Pradeep Chaudhary mata rani hunka aatma ke shantee pradan karaith
July 20 at 11:11am · Unlike · 5 people

Ashish Anchinhar dukhad samachar.........
July 20 at 4:30pm · Unlike · 5 people

Bhaskar Jha maithili sahitya ke bhari kshati!!!!!
July 20 at 4:30pm · Unlike · 6 people

Umesh Mandal
दुखद समाचार...
July 20 at 4:31pm · Unlike · 5 people

Vinit Utpal
श्रद्धांजलि
July 20 at 4:31pm via · Unlike · 5 people

Pawan Jha
दु:ख भेल... मैथिली के एक्टा और क्षति ................
July 20 at 4:32pm · Unlike · 5 people

Shefalika Verma Fajlu rahman Hashmi jik dehawsan s Maithili sahitya ker apurniya kshati bhel....MAITHILIK EKTA STAMBHA..... HARDIK SHRADHANJALI....
July 20 at 4:34pm · Unlike · 5 people

Daya Jha Mithilanchali ati dukhad samachar.
July 20 at 4:37pm · Unlike · 5 people

Pankaj Jha
श्रद्धांजलि.
July 20 at 4:38pm · Unlike · 5 people

Poonam Mandal
दुखद समाचार... श्रद्धांजलि‍...
July 20 at 4:39pm · Unlike · 6 people

Sanjay Kumar Mandal
बहुत दु:ख भेल......
July 20 at 4:41pm · Unlike · 5 people

Raman Dutt Jha Hardik sardhanjali...
July 20 at 4:49pm · Unlike · 5 people

Dhanakar Thakur
हमर सभक श्रद्धानाजली हस्मीजी 
के
धनाकर ठाकुर 

Dr. Dhanakar Thakur
Spokesman,
Antarrashtriya Maithili Parishad
July 20 at 4:50pm via · Unlike · 6 people

Amarendra Yadav ke karat ehi kshati ke purti ?
July 20 at 4:51pm · Unlike · 5 people

Kumar Shailendra Hasmiji Succha maithilipremi rahathi.Hunak vinamrata aakarsit karaet chal aa aakhi me ekta ajeeb san dard rahaet chal. Allaha hunak samasta prijan ke e dukh sahabak sahas dethu.Hunka Jannat nasib honi.Hardik SRADHANJALI.
July 20 at 5:00pm · Unlike · 5 people

Arvind Thakur
जाहि किछु लोकक उपस्थितिसँ मैथिलीक उदार छवि बनैत छल,ओहिमे सँ हासमी एक छलाह|एहि क्षति आ शुन्यक पुर्ति नहि भए सकत|सृजन-यात्राक एक सहयात्री घटि गेल|अश्रुपुर्ण श्रद्धांजलि|
July 20 at 5:48pm · Unlike · 7 people

Daya Jha Mithilanchali aai ekata aar kurshi sunn bha gel,hamar manak vina ke tar tuti gel.
July 20 at 5:55pm · Unlike · 5 people

Daya Jha Mithilanchali shradhanjali arpit.
July 20 at 5:56pm · Unlike · 5 people

Kumar Umesh Mahto dukhad samachar
July 20 at 8:08pm · Unlike · 5 people

Daman Kumar Jha hamro ekhene pata lagal achhi,hunak chehara pratyksha bha aayal achhi,katek din hunka lel ....... anane chhi.shradhanjali
July 20 at 8:23pm · Unlike · 8 people

Prity Thakur shradhanjali
July 20 at 8:31pm · Unlike · 7 people
·  Gajendra Thakur फजलुर रहमान हासमीक जन्म -पटना जिलाक बराह गाममे। वृत्ति अध्यापक। हिन्दी कविता संग्रह "रश्मि राशि" आ मैथिली कविता संग्रह "निर्मोही" प्रकाशित। १९९६मे अबुलकलाम आजाद- अब्दुलकवी देसनवी, उर्दूसँ मैथिली अनुवादपर साहित्य अकादमीक मैथिली अनुवाद पुरस्कार।

(
हिनकर एकटा कविता)

हे भाइ

हे भाइ

हमरा जुनि मारह

तोँ हमरा

दोसर जाति

दोसर धर्म्मक बूझि रहल छह-

मुदा हम छी

तोरे भ्राता

अग्रज वा अवरज!

हमरा सभकेँ एके माता

नहि मारह

गैर जानि कऽ

संसारक दृष्टिमे

तोँ पार्थ

आओर

हम राधेयबनल छी

मुदा पृथाजानि रहल अछि

हदय कानि रहल अछि

चुप अछि

मजबूरीसँ

बेवसीसँ

हे भाइ हमरा नहि मारह...।
July 20 at 8:53pm · Like · 8 people

Vijay Kumar Jha fazlur ji ke aatma ke khuda jannat dai..shradhanjali
July 20 at 9:19pm · Unlike · 8 people

Daman Kumar Jha HAASHMIJIk prasidha kavita thik THARMASAK CHAAH"' E THARMAS ACHHI/AEHI ME CHAAH ACHHI/GARAM-GARAM CHAAH/EYAH ACHHI HAMMAR JEEVAN/EYAH BHA-SAKAIT ACHHI/HAMMAR MREETYU/ JKHAN DHARI BHARAL RAHAIT ACHHI/THARMAS ME CHAAH/TA DHARI BHEER RAHAIT ACHHI MEETRAK/THARMAS RIKT HOITE /BHEER CHHANTI JAITACHHI/HAMRA RAAKHA PARAIT ACHHI/DHIYAN/DEG DEG PAR/THARMASK/MEETRAK/THARMASAK RIKT HOITANHI/HAMAR MEETRA BANI JAYIT/DOSARAK MEETRA............'' HAASHMI
July 20 at 9:23pm · Unlike · 7 people

Vijay Kumar Jha bah daman bhai,,ahank nebok chah seho achhi...
July 20 at 9:24pm · Unlike · 6 people

Vijay Kumar Jha hashmi ji nnek lok rahathi, bahute gote ke maithili me anlanhi
July 20 at 9:25pm · Unlike · 6 people

Nagendra Kumar Jha neek kavita raakhlahu daman ji, he bhai bala kavita hamra sabhak class x maithili me rahay, hashmi ji ke shradhanjali
July 20 at 9:36pm · Unlike · 7 people

Shiv Kumar Jha
हमर जन्म मातृक मालीपुर मोड़तरमे भेल, हाशमीजी ओइ गामक बगलमे शिक्षक छला, मालीयेपुर गाममे रहै छला, हमर बाबूजी स्व. कालीकान्त झा बूच सँ साहित्य साधनाक क्रममे बड्ड अन्तरंगता भऽ गेल छलनि, पारिवारिक सम्बन्ध जकाँ, हमर बाल्यकालक उपनाम "टिल्लू" हिनके राखल छलनि, जखन हम नेना छलौं (४-५ बर्खक) तँ ओ हमरा कहै छला- "टिल्लू मियाँ राही, पेटमे कराही, आ दौरऽ हो सिपाही"-- हुनका हमरादिससँ श्रद्धांजलि..
July 20 at 9:42pm · Unlike · 8 people

Bechan Thakur fazlur ji ke hamar shradhanjali
July 20 at 10:00pm · Unlike · 5 people

Dhirendra Kumar fazlur bhai nai rahlah sahsa vishwas nai hoiye..naman oei aatma ke
July 20 at 10:02pm · Unlike · 5 people

Durganand Mandal hashmi ji ke aatmak sadgati lel parmatma se prarthana
July 20 at 10:07pm · Unlike · 4 people

Kapileshwar Raut mrit aatma ke shradhanjali
July 20 at 10:16pm · Unlike · 4 people

Avinash Jha bahut dukhad samachar, hasmi jee k nidhan s maithali bhasha aa sahitya k bahut paigh aaghat
July 20 at 10:27pm · Unlike · 4 people

Priyanka Jha hashmi ji ke shraddha suman arpit karai chhi
July 20 at 11:36pm · Like · 2 people

Anshuman Satyaketu Ekta setu je jorait chhal du ta dhara k , je banhait chhal samanantar baanh k . Tuti gel. Kshati ehi lel je sambhav vishmigat bha' gel.
July 21 at 7:30am via mobile · Unlike · 2 people

Anshuman Satyaketu Ekta setu je jorait chhal du ta dhara k , je banhait chhal samanantar baanh k . Tuti gel. Kshati ehi lel je sambhav vishmigat bha' gel.
July 21 at 7:30am via mobile · Unlike · 2 people

Anshuman Satyaketu Ekta setu je jorait chhal du ta dhara k , je banhait chhal samanantar baanh k . Tuti gel. Kshati ehi lel je sambhav vishmigat bha' gel.
July 21 at 7:30am via mobile · Unlike · 2 people

Shiv Kumar Jha VIDEHA SAMPOONA GROUPAK DISH SAN MAHAAN KAVI KEN SHRADHANJALI.
July 21 at 3:10pm · Unlike · 2 people

Sanjay Kumar Mandal
अफसोस...!
July 21 at 11:48pm · Unlike · 1 person

·  about an hour ago ·
·   
Amit Jha bahoot nik jaankaqri delau apne.,,........ mithila samagra maithil evm vishwa ke kuno bhi bhag me rahai bala maithil premi lokak chhi, hamra taraf se har maithil sapoot je sat sat naman
43 minutes ago via mobile ·
·   
Amit Jha haasim jee ke hunak yogdaan ke kaaran samagra maithil sasradha naman kay rahal chhainh
40 minutes ago via mobile ·


ऐ रचनापर अपन मंतव्य ggajendra@videha.com पर पठाउ।
चन्द्रेश, मनमीत कुटीर , राजपुत कलाँनी, मौलागंज दरभंगा।

यर्थाथक अनुभुतिमे ऐतिहासिक दिनः झिझिया नृत्य महोत्सव

२०६८ साल आसीन १४ गते , नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान आ जनचेतना अभियान नेपालक संयुक्त अभियानमे झिझिया महोत्सव मनाओल गेल । एहि कार्यक्रमक सभापति रहथि श्री रामभरोस कापडि भ्रमर, उद्घाटक श्री विमलेन्द्र निधि, नेपाली कांग्रेसक केन्द्रिय सदस्य एवं सभासद आ मंच संचालक श्रीअशोक दत्त ।
उद्घाटन भाषण करैत प्रमुख अतिथि श्रीविमलेन्द्र निधि कहलनि जे डाइन जोगिन प्रथा पर आधारित झिझिया मुख्यत ः महिला लोकनिक थिक । मैथिली भाषा ओ साहित्यमे संस्कृतिक संरक्षण आवश्यक अछि । एहिसं सामाजिक समरसत्ता बढैत अछि । आइ जे झिझिया नृत्य संस्कृति विलुप्तक कगार पर अछि तकरा बचयबाक ओ अस्मिताके ई जगयबाक सार्थक प्रयास थिक । ओ एहि कार्यक्रमक उद्घाटन दीप प्रज्वलित क कयलनि ।

विषय प्रवर्तनक क्रममे स्वागत भाषण करैत श्रीराम भरोस कापडि भ्रमर , नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक परिषद सदस्य, प्राज्ञ कहलनि जे झिझिया नृत्य आइ सं बारहतेरह सय वर्ष पहिने शुरु भेल होयत । डाइन जोगिनसं बच्चा बुतरुके बचयबाक हेतु मिथिलाक महिला लोकनि द्धारा ई नृत्य होइत छल । जेकि ई हमरा लोकनिक सभ्यता संस्कृतिक अंग थिक तें आइ एकरा बचयबाक बेगरता अछि । नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानद्धारा आयोजित ई कार्यक्रम वस्तुतः अपन संस्कृतिके बचयबाक ओरियाओन थिक । आई सात गोट टीम झिझिया नृत्य प्रस्तुत करत आ एहि सभ संस्थाके कोनो ने कोनो रुपमे प्रोत्साहित करबाक एवं सम्मानार्थ पुरस्कृत करबाक अछि । विभिन्न स्थानक पुरस्कार राशि भिन्न भिन्न अछि । अंक पत्रक आधार पर क्रमश ः प्रथम, द्धितीय ओ तृतीय श्रेणीक बिजेता टीम घोषीत कयल जायत । निर्णायक मण्डलमे तीन गोट व्यक्तित्वक चयन कयल अछि सर्वश्री डा. प्रफुल्ल कुमारसिंह मौन, डा. रेवती रमणलाल आ अयोध्यानाथ चौधरी । अंक पत्रमे पचास अंक विभिन्न क्षेत्रवेशभुषा मौलिक नृत्य, मौलिक गीत, घैलक बनावटि आ समग्र । जनकपुरमे एहि तरहक आयोजन पहिल थिक । ओ नेपाल प्रज्ञा प्रष्ठिानद्धारा कयल गेल काजके सविस्तार उल्लेख कयलनि । डा. राजेन्द्र प्रसाद विमल जनाओल जे तन्त्र मन्त्रक परम्परा वैदिक कालसं अछि । ई झिझिया नृत्य वैदिक ऋचासं लेल गेल अछि । ई एकटा आनुष्ठानिक यज्ञ बुझी तं थिक । एक तरहे लोक जागरणक प्रभाव थिक । डाइनक विभिन्न मुद्रा आ क्रियाकलाप होइत अछि । मुइल बच्चाके जिया क नंगटे नाचब, नगर कोतबालके देखब अर्थात तन्त्र मन्त्रक प्रभाव कोनो ने कोनो रुपमे पड्तिे अछि । एहिसं लोक मुक्ति चाहैत अछि । समष्टि चेतनाक अन्तर्गत व्यक्ति चेतना समाहित भ जाइत अछि । शिव स्वयं अनादिक देवता छथि । परम्पराक निरंतरता तंत्र थिक । पितृपक्षमे पितरक बौआइत आत्मा सभ अबैत रहैत छथि ताहि क्षुधित आत्माक तृप्ति एहि झिझिया नृत्यमे होइत अछि । वैदिक परम्पराक निरंतरता घट नृत्यमे होइत अछि । इन्द्रियक ओ भाग जे पकडमे नहि अबैक से चेतना आ चेतनाक ओ भाग जे पकड्मे नहि अबैक से देव आ एहि दुनुक मध्य थिक तन्त्र । चेतनाक उध्र्वीकरणक लेल समाजक आवश्यकता छैक । झिझिया नृत्य बुझी त वैदिक, तान्त्रिक आ लौकिक परम्पराक समन्वित रुप थिक । एहिमे समयक अनुकुल परिष्कार आ भविष्यके देखैत वर्तमान स्तर पर विकासक रुप देबाक थिक ।

प्रो. परमेश्वर कापडिक कथन छल जे झिझिया मात्र नृत्येटामे नहि अछि आ ने गीत मे । ई जीवन सं जुडल बात थिक । तें मनुख्खक जीवन केन्द्रित ई नृत्य अक्षुण्ण रहबाक चाही । 
मंच संचालक अशोक दत्त जनाओल जे ई नृत्य महिला सशक्तिकरणक घोतक थिक । विशिष्ट अतिथि डा. प्रफुल्ल कुमारसिंह अपन आलेख प्रस्तुत करैत झिझिया नृत्यक परम्परा, विकास ओ सम्भावना पर अपन विचार प्रस्तुत करैत अतीतक कथा उदाहरणक रुपमे प्रकट कयलनि । ओ जनौलनि जे एहिमे दू तरहक भावना प्रकट होइत अछि पहिल जे डानिके डानिपनक विरोधस्वरुप गारि पढब आ दोसर डाइनपनसं मुक्तिक बाट । सहस्र छेदबला घैलके लऽ कऽ नृत्य करव जाहिमे दीप बरैत होअय । ओ इहो स्पष्ट कयलनि जे बखरीक बकरियो डाइन होइत अछि । बाल रुच कथा ( चित्र सेन महाराजक भागिन ) माध्यमे ओ अपन बातके सिद्ध करैत एहि अनुष्ठानिक यज्ञके सामाजिक समरसताक आधार पर सिद्ध कयलनि । ओ व्यक्त कयलनि जे आलेखमे बहुत किछ झिझियाक विषयक विचारक उल्लेख अछि जे पढित भेला पर बहुत किछु शंकाक समाधान होयत ।

डा.रेवती रमणलाल जनाओल जे झिझिया नृत्य लोक पारम्परिक थिक । एहिमे महिला वर्गक सक्रियता होइत अछि । ई महिला जागरणक प्रतीक थिक आ संस्कृतिक आस्था पर्व । 
तदुपरान्त झिझिया नृत्य हेतु सात गोट टीमक प्रदर्शन भेल जाहिमे छल १. मां जानकी झिझिया टीम २. भैरव झिझिया टीम ३. जन चेतना अभियान झिझिया टीम ४.मिथिला मीडिया हाउस झिझिया टीम ५. नारी विकास केन्द्र झिझिया टीम ६.मां जानकी झिझिया टीम जानकी नगर ७. ज्वालामुखी झिझिया टीम सिनुरजोडा ।

निर्णायक मंडलद्धारा निर्णीत परिणामके घोषित कयलनि श्री रामभरोस कापडि भ्रमर सभापति जे प्रथम स्थान जन चेतना अभियान झिझिया टीम, द्धितीय भैरव झिझिया टीम आ तृतीय मिथिला मिडिया हाउस आ क्रमशः प्राप्त अंक छल १०१, ९९ एवं ९४ आ चारिटा टीमके सान्त्वना पुरस्कार सं पुरस्कृत कयल गेल । प्रथम पुरस्कार ३००० टाका, द्धितीय २००० टाका एवं तृतीय १००० टाका आ सान्त्वना पुरस्कार ५०० टाकाक छल ।

तदुपरान्त श्री रामभरोस कापडि भ्रमर लिखित भैया अएलै अपन सोराज नाटक जनचेतना अभियान मुजेलियाद्धारा मंचित भेल । एहिमे भाग लेलनि सर्वश्री राम विहारी रायदीना, नरेश मण्डलभद्री, सुनिल कुमार यादवजोरावर सिंह, हरबाहमिथुन यादव, रेवियासुनिल राउत, लठैतभोला मण्डल आ जयकरन, बुढीपुष्पा यादव, कहारसुरज मण्डल, महेश धनकार, पाश्र्व गायकरामदेव सदा, बेचन सदा, भोला मण्डल, प्रकाशनरेश मण्डल, ध्वनि विस्तारसंजय झा, रुपसज्जाभोला मण्डल, निर्देशक सुनिल कुमार यादव अछि । 
एकि कायक्रम पर टिप्पणी करैत राजेश्वर नेपाली कहलनि जे कार्यक्रमक जतेक प्रशंसा कयल जायत थोड होयत । ई बहुत पैघ काज भेल अछि । संस्कृतिके बचयबाक प्रयास भेल अछि । नाटकक सफल मंचन भेल अछि जे हृदयके छुलक अछि । सामाजिक जागरण होयत से विश्वास झलकैत अछि । 
समग्रतामे टिप्पणी करैत चन्द्रेश स्पष्ट कयल जे धर्मअधर्म ओ अन्ध विश्वाससं जुडल तन्त्र मन्त्र पर आधारित ई झिझिया नृत्य महिला चेतनाक प्रतीक थिक । एहिमे शारीरिक ओ मानसिक स्तर पर विकास होइत अछि । ई गतिशील मुद्रामे होइत अछि । देहक नसमे शोणितक प्रवाह आ एकाग्रतामे ध्यान केन्द्रित कऽ ई नृत्य अवस्से मानसिक चेतनाके जगबैत अछि आ स्नायुतन्त्रके झंकृत कऽ स्वस्थ्य मानसिकताक विकास करैत अछि । 
ओ नाटक पर विचार केन्द्रित करैत जनाओल जे सामन्ती शोषणक विरोध स्वरुप ई नाटक सामाजिकराजनैतिक चेतनाक संग लोक चेतनाके जगबैत अछि । वस्तुतः ई नाटक ओ लुत्ती थिक जकर पसाहीमे धुधु जरैत सामन्ती मनोवृतिक नाश होयत आ नव उमंगमे लोक जीवनक नव संस्कार होयत । खासकऽ अभिनयकर्ता लोकनि अपनअपन स्वभाविक ओ यथार्थ अभिनयमे रंगमंचक सार्थकता सिद्ध कयल अछि से एहि नाटकक सफलता ओ सबलता थिक । हमरा विशेषकऽ मिथुन यादव, हरबाहक अभिनय ततेक निक लागल अछि जे आनो आन कलाकार गणसं एहिसं सीखबाक थिक जे अभिनयक सजीवता मर्म स्थल धरि उतरि सकय । ओना कोनो पात्रक अभिनय ककरो सं कम नहि, सभ उपराउपरी । मुदा बुढीपुष्पा यादवक अभिनयमे आरो निखार होयबाक थिक । 
श्री अयोध्यानाथ चौधरी कहलनि जे स्वाभाविकतामे पनुगैत ई नाटक वस्तुतः समाजमे लोकजागरण आनत । डा.रेवती रमणलाल एहि नाटकक भरपुर प्रशंसा कयलनि । ओ एहनएहन नाटक खेलयबा पर जोड देलनि ।
डा. प्रफुल्ल कुमारसिंह मौन कहलनि जे भैया अएलै अपन सोराज नाटकक कथानक ओ उदेश्य पूर्णतः जीवन्त अछि । अभिनयकर्ताक अभिनयमे बुझायल जे सभ केओ स्वयं भोक्ता छथि । एहिमे सामन्तवादक प्रखर विरोध भेल अछि । 
डा. राजेन्द्र प्रसाद विमलक कथन जे ई नाटक दलित चेतनाक प्रतीक थिक । अन्र्राष्ट्रिय जगतमे एहन नाटकक मांग अछि तें एकरा अंग्रेजीमे अनुदित होयबाक चाही । संगहि ओ एहि नाटकके काठमाण्डुक गुरुकुलमे प्रदर्शन पर जोड देलनि । नाटकमे किछ एहन दृश्यक संयोजन अछि जे जीवन्तताक प्रतीक थिक आ हम ई नाटक देखि भाव विभोर भऽ गेलहु ।
अन्तमे सभापति भ्रमर जनाओल जे एहि कार्यक्रमके सम्पादित कऽ आ दर्शकक उत्साह देखि हम गौरवान्वित बोध करैत छी आ नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानसं आरो काज करबाक लेल हम संकल्पित छी । 
निष्कर्ष
१. कार्यक्रम पूर्ण रुपेण सफल रहल । 
२.सयोसं बेसी महिलाक उपस्थिति दर्शक वृन्दमे महिला जागरणक प्रतीक बनि उभरिकऽ आयल ।
३. झिझिया नृत्यक संयोजन पहिल बेर जनकपुर की नेपाल परिसरमे भेल खासकऽ नृत्य प्रतिगागिताक रुपमे सम्पादित । 
४.ई एतिहासिक महत्वक दिन कहल जायत जे अपन अस्मिता ओ संस्कृतिक उत्थानक लेल भेल । 
५. सात गोट झिझिया टीमक उपस्थितिबोध अवस्से महिला वर्गके पहिल खेप मंचपर आयब आ अपन नृत्य प्रस्तुत करब अबस्से महिला वर्गक प्रतिनिधित्वक सुूचक बनल । खासकऽ निम्नेतर महिला वर्गक प्रतिनिधित्व होयब समाजमे नारी जागरणक प्रतीक थिक । 
६. उद्योग वाणिज्य संघक हाँल खचाखच भरल रहल । झिझिया नृत्य आ नाटक होयबा धरि दर्शकगण नहि हिललडोलल । 
७. भैया अएलै अपन सोराजक प्रस्तुत कैक ठाम भेल अछि । मुदा एहि ठामक प्रस्तुतिमे सजीवता ओ जीवन्तता प्रदर्शित भेल । 
८. सभ वयसक लोकके ई कार्यक्रम प्रभावित कयलक । 
९. एहिमे निम्नेतर वर्गक प्रतिनिधित्व त भेवे कयल आ विशेष कऽ ओहि वर्गक लोकके अपन समारोह जे बुझायल से सभक मोनके जीति लेलक । खासकऽ बुढ पुराणक संगहि बूढि महिला सभ सेहो खुशीमे उठि बैसल । 
१०. नाटकमे किछु विसंगति अबस्से खटकल खासकऽ संगीत पक्षक क्रमबद्धतामे, मुदा अभिनय पक्ष ओ गीतक माधुर्यमे सभटा बिला गेल । 
११. अभिनयकर्ताके आरो अभिनयके उचाई पर कलात्मकतामे लऽ जायब आवश्यक । मुदा प्रस्तुतिक सफलता निस्सन्देह सफल थिक । 
१२. कार्यक्रम सुस्थिर, सुनियोजित आ व्यावहारिक रहल । 
१३. ई सत्य थिक जे एहि नाटकक गमैया परिवेशमे जे अभिनयकर्ताद्धारा सजीवता प्रस्तुत कयल गेल अछि से प्रशंसनीय थिक । 
१४. झिझिया नृत्यमे महिला वर्ग प्रदर्शित कऽ अपन उद्गार व्यक्त कयलनि से देखिते बनैत छल । कारण नृत्यकर्मी वर्गक मनुहार स्पष्ट झलकि उठल । खासकऽ पुरस्कृत होयबाक काल महिला वर्गक उत्साह देखवायोग्य छल । 
१५. जे महिला वर्ग भाग नहि लेलनि से अगिला महोत्सवमे भाग लेबाक हेतु उत्साहित भाव प्रकट कयलनि ।
१६. समग्रतामे लोक कल्याणपरक कार्यक्रम उध्र्वमुखी भेल आ अपन विशिष्टतामे अमिट तिथि साबित केलक । 




 
ऐ रचनापर अपन मंतव्य ggajendra@videha.com पर पठाउ।
       जवाहर लाल कश्यप (१९८१- ), पिता श्री- हेमनारायण मिश्र , गाम फुलकाही- दरभंगा।                                                                 
एक टा विहनि कथा
भगवानक भाग्य 
  हम  हम्मर दोस्त चौक पर चाह पिबैत रही / बात पर बात चलैत रहै / कर्म आभाग्य पर बात चललै / कर्म प्रधान विश्व रचि राखा ,जो जस करहि सो तस फल चाखा /तुलसी दासक पंक्ति कहि एकटा बुढा कर्मक प्रशंसा केलथि /
हम्मर दोस्त कहलक -एकर मतलब अहां भाग्य के नहि मानैत छी ?
नहि / बुढा कह्लथि।
दोस्त कहलक - मानयौ बा नहि , भाग्य  भगवानो के होयत छैन्ह / अपनो गाम मेएकटा हनुमान जी छथि जे पाखैर गाछ केर नीचा मे वरखा मे भीजैत, जाड़मे ठिठुरैत आगर्मी मे अपस्यांत भेल रहैत छथि / चाउर मे दुटा दाना चिनी मिला भोग लगैत छन्हि /एकटा पटना मे हनुमानजी के मन्दिर अछि जिनका सवामन लड्डु एक दिन मे भोगलागैत छैन्ह /
हुनकर गप्प सुनि सब चुप भऽ गेलाह/

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श्यामसुन्दर शशि,जनकपुरधाम

कोजग्रा धूमधाम संग मनाअ‍ोल जा रहल

पान एलैए । मखान एलैए । धिया पूताके खायके सामान एलैए ।
आई कोजाग्रत पूर्णिमा । नव दम्पतिक घरमे हर्ष वधाई भ रहल अछि । पान मखान आ मिष्ठान्नक खर्च बढि गेल अछि । सन्ध्या वतासा लुटाओल जाएत ।

एहि अवसरपर जानकी मन्दिरमे एक सय एक भाड आएल । असलमे रतौलीक महेन्द्रप्रसाद ठाकुरके परिवार विगत एक सय छ वर्षस
कोजाग्रत पूर्णीमाक दिन जानकी मन्दिरमे भाड पठवैत आएल छथि । असलमे ठाकुर परिवार भगवती सीताके बेटी मानैत अछि आ बेटिए जकॉ आजुक दिन पान,मखान,मिष्ठान्न आ कपडा लत्ताक भाड पठवैत आएल छथि ।
आई सन्ध्या जानकी मन्दिरमे सेहो भव्यताकसग कोजाग्रत पूर्णिमा मनाओल जाएत । मैथिलानीलोकनि राम सीताक चुमाओन करौतीह । महन्थ रामतपेश्वर दास वैष्णव सीताक पिताक रुपमे मखान आ बतासा लूटौताह ।
 

(चित्र श्यामसुन्दर शशि)



 
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जगदीश प्रसाद मण्‍डल- .वीरांगना
तामक तमघैल


वीरांगना
एकांकी


जगदीश प्रसाद मण्‍डल

पहि‍ल दृश्‍य-

            (अपन-अपन आंगनसँ नि‍कलि‍ रस्‍ताक भकमोड़ीपर ठाढ़ भऽ...)

सोमना काका   : सुनै छी जे रमफलबा आएल हेन?

रूपनी दादी    : सएह ते सुनलौं मुदा तेहन लोकक मुँहे सुनलौ जे सुनि‍यो कऽ अनवि‍सवासे अछि‍। तँए दोसर गोटेसँ भाँज लगबए वि‍दा भेलौं।

चेथरू        : नै-नै बात ठीके छि‍ऐ।

सोनमा काका   : से तूँ केना बुझै छहक?

चेथरू        : ओहन लेाकक मुँहे सुनलौं जेकरा मुँहसँ असत् बात नि‍कलि‍ते ने छै।

सोनमा काका   : जेकरा मुँहे ओ सुनने हएत वएह जँ असत् कहने होय, तखन?

रूपनी दादी    : से तँ भऽ सकै छै। मुदा तहूमे भाँज छै।

सोनमा काका   : से की भाँज छै?

चेथरू        : से अहाँ नै बुझै छि‍ऐ काका, जे देखलाहा बजैए ओ सत होइ ैछ आ जे सुनलाहा रहै छै ओइमे दुनू होइ छै।

सोनमा काका   : हँ से भऽ सकैए। केहेन लोकक मुँहे सुनने छेलह?

चेथरू        : दूधवाली मुँहे सुनने छलौं। वएह जे दूध बेचि‍ कऽ ओइ टोलसँ आएल छलै, बाजलि‍ रहए।

सोनमा काका   : उ ते दूध बेचैमे लागल हएत आकि‍ बात बुझै पाछू।

चेथरू        : ओकरा अहाँ नीक जकाँ नै चि‍न्‍है छि‍ऐ। कोनो की माछ-कौछ बेचैवाली छी जे पएरक औंठासँ पलड़ा दाबि‍ उठा देबै आ घट्टी जोखि‍ देबै।

सोनमा काका   : दूधो बेचैवाली तँ पोखरि‍क पानि‍ये मि‍ला दै छै, से।

चेथरू        : हँ, से तँ होइ छै। मुदा ओकर कारोवार रहै छै कएक दि‍न। बाढ़ि‍क पानि‍ जकाँ आएल आ पड़ाएल।

रूपनी दादी    : हँ, से तँ देखै छि‍ऐ जे जहि‍यासँ काज धेलक तहि‍यासँ ने ओकर दूध नप्‍पा फुच्‍ची फुटल आ ने नाप-जोखक बदनामी कहि‍यो लगलै।

चेथरू        : (अपन पक्ष मजबूत होइत देखि‍, मुसकि‍या..) दादी, बुढ़ि‍या देखैमे ने एक चेराक बुझि‍ पड़ैए मुदा गामेक नै, घर-घरक रत्ती-बत्ती बात बुझैए।

सोनमा काका   : की सभ कहलकह?

चेथरू        : बाजलि‍ जे दि‍ल्‍लीसँ मालि‍क अपना गाड़ीपर लादि‍ कऽ पहुूँचा गेलहेँ।

सोनमा काका   : एतबे कहलकह आकि‍ आगूओ कि‍छु बजलह?

चेथरू        : एतबे बजैमे तँ ओ अपन डाबासँ दूध नापि‍ लोटामे दऽ“” देलक आ उठि‍ कऽ“”वि‍दा भेि‍ल।

सोनमा काका   : एहेन-एहेन बात तँ सरि‍या कऽ ने बुझि‍ लेबाक चाही।

चेथरू        : जाइत काल एते बात भनभनाइत सुनलि‍ऐ जे एकटा टाँग काटि‍ कऽ पठा देलकै आ पान साउ रूपैयासँ नोइस हेतै?

सोनमा काका   : एते पैघ बात आ कनि‍यो अॅटका कऽ नै पुछि‍ लेलहक?

चेथरू        : काका, ओइ बुढ़ि‍याकेँ की बुझै छि‍ऐ, कोनो की हमरे ऐठामटा अबैए जे नि‍चेनसँ गप-सप्‍प करब।

सोनमा काका   : तखन?

चेथरू        : ओ बुढ़ि‍या फुच्‍चि‍ये-फुच्‍ची दूधेटा लोककेँ दइ छै आकि‍ मि‍सरि‍यो घोड़ै छै।

सोनमा काका   : से की?

चेथरू        : हम की ओते बूझै छी जे तेना भऽ कऽ बुढ़ि‍याक सभ बात बुझि‍ लेबै, तखन तँ जते काज रहैए ओते तँ भइये जाइए दादी लगमे सभ दि‍न बैसैत देखै छि‍ऐ।

रूपनी दादी    : हँ, से तँ बैसबो करैए आ गामक तीत-मीठ गपो कहैए। मुदा घुरैकाल बैसैए, तँए अखन भेँट नै केलकहेँ।

सोनमा काका   : ऐ तत-मतीसँ नीक जे ओकरा घरेपर पहुँच मुँहा-मुँही गप कऽ ली।

चेथरू        : काका, तइले तीनू गोरे कि‍अए जाएब। असकरे जाइ छी, सभ बात बुझि‍ कऽ सुनाओ देब?

रूपनी दादी    : सभ दि‍न तोँ चेथरू-के-चेथरूऐ रहि‍ गेलेँ। पोता-पोती भेलौ से होश नै छौ।

चेथरू        : दादी, एक ढाकीक के कहए जे सत्तरह ढाकी पोता-पोती भऽ जाएत तैयो अहाँ लगमे चेथरूए रहब। कोनो बात-वि‍चारक जे जरूरत हएत तँ अहाँसँ नै पुछब, सोनमा काकासँ नै पुछबनि‍ तँ की बगुरक गाछ आ पसीद काँटक गाछसँ पुछबै?

रूपनी दादी    : देखहक चेथरू, हम अपना नजरि‍ये देखबो करब आ पुछबो करबै, तहि‍ना तोहूँ सोनाइ भेलह कि‍ने?

चेथरू        : तइ नजरि‍ये कहाँ कहलौं। तीनू गोटे जे एकेटा काजमे बड़दैतौं, तइ दुआरे कहलौं।

रूपनी दादी    : से बड़ बेस। मुदा काजक आँट-पेट नै बुझै छहक। कहैले सभ काजे छी, मुदा ओहूमे छोट-पैघ, नीक-अधला होइ छै।

चेथरू        : कनी परि‍छा कऽ कहि‍यौ?

सोनमा काका   : ठीके चेथरू, तूँ कहि‍यो पुरूख नै हेबह?

चेथरू        : काका, अहाँ सने जे कोनो पुरूखपना काज करबै तइसँ पुरूख नै हेबै।

सोनमा काका   : पुरूखक संगी हेबहक। पुरूख तखन हेबह जखन अपने ठाढ़ भऽ आगूक डेग बढ़ेबह। अखन दोसर-तेसर बात छोड़ह आ रमरूपाक भाँज नीक-नहाँति‍ लगावह।

चेथरू        : जखन अहाँ सबहक वि‍चार अछि‍ तखन तीनू गोरे चलू।

            (तहीकाल आगूसँ जुगेसर अबैत..)

सोनमा काका   : जुगे कि‍महर-कि‍महरसँ एलह?

जुगेसर       : काका, की कहब (गुम्‍म होइत...)

चेथरू        : मुँहक बात दबलह कि‍अए? कि‍छु भेलौं तँ हम सभ समाज भेलौं। न्‍यायालय भेलौं। अगर हमरा समाजक अंगक संग कोनो अन्‍याय दोसर समाज करत तँ ओ बरदाससँ बाहर अछि‍। की सोनमा काका..?

सोनमा काका   : चेथरू जे बात तूँ बजलह वएह गामक प्रति‍ष्‍ठा छी। मुदा, पाकल आम भेलि‍यह, सभ दारो-मदार तँ तोरे सभपर छह।

चेथरू        : जुगे भाय, अहाँ तँ आँखि‍क देखल बाजब। रामरूपक कि‍...?

जुगेसर       : देखैबला दृश्‍य नइए। अपने रामरूप ओछाइनपर ओंघराएल अछि‍ आ घरवाली ओछाइनि‍क नि‍च्‍चाँमे ओंघरनि‍या दऽ रहल अछि‍। तीन सालक बच्‍चा झाँपल कपड़ा हटा-हटा पएर तकैए।

रूपनी दादी    : बाप रे बाप! समाजक एकटा घर उजड़ि‍ गेल।

जुगेसर       : दादी, अहाँ नै जाउ। सोनमा काका अहूँ नै जाउ।

सोनमा काका   : कि‍अए?

जुगेसर       : ओहन दृश्‍य देखैक करेज आब नै रहल। हो-न-हो पहि‍लुके नजरि‍मे ने अपने...?

चेथरू        : दादी, कहने तँ पहि‍ने छलौं, मुदा हमरा गपक मोजरे ने देलौं। आब कहू जे कोनो अनरगल कहने रही?

सोनमा काका   : हँ, से तँ बात मि‍लि‍ऐ गेलह। मुदा एते बात बुझि‍ कऽ तँ नै बाजल छलह?अच्‍छा, एतै बैस कऽ सभ बात कहह।

जुगेसर       : एतए तँ लोकक करमान लागल छै। तहूमे धि‍या-पूता आ आ झोटहा भरि‍ देने अछि‍। चुट्टी ससरैक जगह नै छै।

सोनमा काका   : गप कि‍छु कहह ने?

जुगेसर       : कोनो बात की सोझ डारि‍ये चलए दइए। एक तँ कारकौआक जेर जकाँ धि‍या-पूता काँइ-काँइ करैए तइपर सँ जनि‍जाति‍ भि‍न्ने छाती पीटैए।

चेथरू        : तैयो तँ भाँजपर कि‍छु गप चढ़ले हेतह?

जुगेसर       : हँ, एते उड़नति‍ये सुनलौं जे डरेवर जाइ काल बाजल जे कारखाना मालि‍क इलाजमे तीन लाख रूपैया खर्च केलखि‍न। पाँच सए खाइ-पीऐले, आ लत्ता-कपड़ा सेहो देलखि‍न।

रूपनी दादी    : पान सए रूपैआ कते दि‍न चलतै। तहूमे सभटा लोथे भेल। जहि‍ना रामरूप तहि‍ना बच्‍चाक संग बच्‍चाक माइयो। केना बेचारी दुनूकेँ छोड़ बोनि‍-दुख करए जाएत।

चेथरू        : से तँ ठीके। मुदा दादी झोटहा सबहक वि‍सवास कोन। बेटाकेँ जहर-माहूर खुआ देत आ घरबलाकेँ छोड़ि‍ पड़ा दोसर घर चलि‍ जाएत।

रूपनी दादी    : सेहो होइए चेथरू। तोरो बात कटैबला नहि‍ये छह मुदा एक्के दाबि‍ये केना खि‍चड़ि‍यो रान्‍हवह आ खीरो। एकटामे नून पड़त एकटामे चि‍न्नी।

चेथरू        : से तँ ठीके कहै छि‍ऐ दादी। एहि‍ना ने भालेसरोकेँ भेल। ओहो जे जौमक गाछपर सँ खसि‍ जाँघ तोड़लक आ डाक्‍टरो बुट्टी भि‍ड़ा कऽ काटि‍ देलकै। फेर ओ बेचारी (भालेसरक पत्नी) केना छह मसुआ बेटीक संग रहि‍ ता जि‍नगी घरबलाक सेवा केलक।

सोनमा काका   : सोझे सभ गप खि‍स्‍सा जकाँ सुनने नै हेतह चेथरू। ओना जुगेसर ठीके कहलकह। अखन छोड़ि‍ दहक। बेरू पहरमे चलब।

रूपनी दादी    : हँ, हँ, एहेन-एहेन जगहपर नै गेने समाजक रसे की रहत। समाज तँ तखने ने समाज जखन सबहक सुख-दुख सेगे पोखरि‍मे नहाइ।

चेथरू        : कनि‍ये-कनि‍ये जे सोचै छी दादी तँ बुझि‍ पड़ैए जे समाजपर एकटा भार पड़ि‍ गेल।

(())

क्रमशः..



गतांशसँ आगाँ...
एकांकी

तामक तमघैल

जगदीश प्रसाद मण्‍डल

दोसर दृश्‍य-

(खैर-चून मि‍ला, रागि‍नी अल्‍मुनि‍यम डेकचीक पेनमे लगबैत..)

रागि‍नी        : कपार फुटने लोकक सभ कि‍छु फुटए लगै छै आ जुटने सभ कि‍छु जुटए लगै छै। जखन नूनो-तेल जोड़ैमे भीड़ पड़ैए तखन डेकची कीनब असान अछि‍। कत्ते दि‍न चून-खैर साटि‍ काज चलत। जखन फुटि‍ गेल तखन आरो बेसि‍ये होइत जाएत की दढ़ हएत।

(बाड़ि‍ये देने झटकल बलाटवाली अबैत...)

रागि‍नी        : कि‍अए सि‍ताएल नढ़ि‍या जकाँ बाड़ि‍ये-बाड़ी पड़ाएल एलह हेन?

बलाटवाली     : (हँफैत) की कहबनि‍ दीदी, ई की कोनो नै जनै छथि‍न जे जेहने बेटा अछि‍ तेहने पुतोहू। बीचमे हम दुश्‍मन।

रागि‍नी        : की करबहक, जखन बेटे माएकेँ नै चि‍न्हलक, जेकरा नअ मास पेटमे रखलक तखन पुतोहू तँ सहजहि‍ दोसराक बेटी छी।

बलाटवाली     : कहै तँ दीदी ठीके छथि‍न, मुदा होइए इहए कहथु जे ओइ घर-दुआरमे हमर कि‍छाे ने अछि‍। हम कतौसँ दहा-भसा कऽ आएल छी।

रागि‍नी        : से के कहै छह! लोकक मति‍ये मरा गेल अछि‍। जे माए-बाप दादा-दादी एतेटा जि‍नगी बि‍ता एते देखलक ओ कि‍छु ने आ छौड़ा-छौड़ी कि‍छु ने देखलक ओ बुिद्धयार भऽ गेल अछि‍। से नै देखै छहक।

बलाटवाली     : हँ, से तँ देखै छि‍ऐ। सभ कहैए जे जुग-जमाना बदलि‍ गेल आ कि‍छो देखबे ने करै छि‍ऐ तँ केना वि‍सवास हएत।

रागि‍नी        : जहि‍ना दि‍शांस लगने लोक पूबकेँ पछि‍म आ उत्तरकेँ दछि‍न बुझए लगैए तहि‍ना भऽ गेल अछि‍।

बलाटवाली     : नै बुझलि‍यनि‍?

रागि‍नी        : जुग-जमाना बदलल नै आगू डेग बढ़ौलक हेन। बदलैक माने होइ छै एकटाकेँ हटा दोसर आनब। से नै भेलहेँ। जँ से होइते तँ देखतहक सभ कि‍छु आगि‍मे जड़ि‍ गेल आ बाढ़ि‍मे दहा गेल आ फेरसँ सभ कि‍छु नवका भऽ गेल।

बलाटवाली     : छोड़थु ऐ मगजमारी गपकेँ। अपन बात वि‍सरि‍ जाएब। अनकर गप सुनने मगज भरि‍येबे करै छै। जाबे अपन बात नै बुझब ताबे माथ हल्‍लुक केना हएत?

रागि‍नी        : की भेलह हेन जे एते....?

बलाटवाली     : ि‍क कहबनि‍ खेलरा-खेलरीक गप, दुनू एके रंग अछि‍। एते दि‍न मौगीक गप नीक लगै छलै, आब जे हुकुम चलबए लगलै तँ बकछुहुल लगै छै।

रागि‍नी        : तूँ तँ केहन बढ़ि‍या जीबै छह। दुनू पहर दू पथि‍या घास अनै छह आ दुनू साँझ खाइ छह। बेटा-पुतोहू जे घर दफानि‍ये लेलक तँ आते जाने हल्‍लुक केलकह कि‍ने?

बलाटवाली     : हँ, से तँ भेल। मुदा से देखल जाइए। जते काल बाधमे रहै छी ततबे काल ने, जखन अंगनामे रहै छी तखैन केना देखल जाएत।

            (तही बीच सुनरलाल ललकैत अबैए..)

सुनरलाल      : दादी, ऐ बुझ़ि‍याकेँ पूछि‍यौ जे कि‍अए छि‍टकल घुरैए।

बलाटवाली     : दीदी, ऐ छौड़बाकेँ पूछि‍यौ जे हमरा माए बुझैए। तखन ते अपन बनाओल घर छी, लछमीक (गाए) सेवा करै छी वएह पार लगौताह।

सुनरलाल      : हम तोरा माए नै बुझलि‍यौ आकि‍ अपने पुतोहूकेँ कपारपर चढ़ा लेलेँ। जे तोरा कपारपर चढलौ ओ कुदि‍ कऽ हमरा कपारपर नै चढ़ि‍ जाएत।

बलाटवाली     : हँ रौ, चारू कातसँ हारलेँ हेँ तखैन तूँ हमरा बुझबै छेँ। आइ तक एक्को दि‍न भेलौ जे माएकेँ कोनो तीरथ करा दि‍ऐ। ई तँ धैन दीदी जे लाटमे जनाकोपुर, सि‍ंहेसरो आ कुशेसरो देखलौं।

रागि‍नी        : (बलाटवालीकेँ चोहटैत) तोहूँ बेड़े बजै छह, अखैन तक अपन उमेरोक ठेकान नै छह। कि‍अए बुढ़ि‍यापर बि‍गड़ल छहक बौआ?

सुनरलाल      : माएपर कि‍अए बि‍गड़ब। देखि‍यौ जे हाथपर ओते पाइ नइए जे पनरहम दि‍न बेटाक नाआें कोचि‍ंगमे लि‍खाएब तइपर सँ कन्‍यादानी नौत सासुरसँ चलि‍ आएल हेन?

बलाटवाली     : दीदी, बात छि‍पा कऽ बजै छन्‍हि। ई दुनूटा चाहैए जे गाए बेचि‍ भोज खा आबी।

रागि‍नी        : कनी फरि‍छा कऽ कहह?

बलाटवाली     : ऐ धड़कटहाकेँ पुछथुन जे मात्रि‍क उसरि‍ गेल आकि‍ अछि‍। इज्‍जत बँचबै दुआरे भाति‍ज सभकेँ कहि‍ देलि‍ऐ जे बौआ, आब ओते चलि‍-फि‍र नै होइए जे आएब-जाएब करब। ओहो सभ परदेशि‍या, गाम अबैए तँ दस-बीस रूपैइयौ आ लत्तो-कपड़ा दऽ जाइए। एकरा पुछथुन जे एक बीत नुओ कीन कऽ दइए।

रागि‍नी        : तोहूँ बड़ रगड़ी छह बलाटवाली। कनी फरि‍छा कऽ कहह बौआ?

सुनरलाल      : दादी, ननौरवालीक बहीन बेटीक बेटीकेँ वि‍आह छी। सभटा परदेशि‍या भऽ गेल नवका-नवका वि‍धि‍ बेबहार सभ करैए। पुरना गामक लोक लए छोड़ि‍ देने अछि‍। रमेशक सभ संगी झंझारपुर कोचि‍ंगमे नाअों लि‍खाओत, ओकरा हम नै लि‍खेबै से केहेन हएत?

रागि‍नी        : ऐ काजमे के मुहछी मारतह। भगवान करथुन चारि‍यो अक्षर जे पढ़ि‍ लेतह ओते नीके हेतह कि‍ने। अहूना लोक बजैए जे पढ़ल-लि‍खल हरो जोतत तँ सि‍रौर सोझ हेतै। कनि‍याँक की वि‍चार छन्हि‍?

सुनरलाल      : ओ कहैए जे सबहक ठाठ-बाठ बजरूआ रहतै तइठीन जे हम जाएब से केना जाएब। हमरा देख ओ सभ हँसत नै।

रागि‍नी        : बौआ, जाबे असथि‍र मनसँ घरक नीक-अधला नै बुझबहक ताबे एहि‍ना हेतह। तोरा जे कहबह से अपने नै देखै छह। बेटा-पुतोहू शरहमे खेत कीनलहेँ। घर बनाओत। आ हम ऐठाम नून-तेल ले मरै छी।

सुनरलाल      : अखनो जे एक रती चुहचुही अछि‍ से अही बुढ़ि‍यापर। खेत-पथारक कोनो लज्‍जति‍ अछि‍। गोटे बेर बाढ़ि‍ये चलि‍ अबैए तँ गोटे बेर रौदि‍ये भऽ जाइए। गोटे साल हबे तेहेन बहैए जे दने भौर भऽ जाइ छै। कीड़ी-फतीगि‍ंक चरचे कोन।

रागि‍नी        : बौआ, घरक पुरूख तँ तोंही ने छहक? तोंही ने गारजन भेलहक?

सुनरलाल      : हँ, से तँ छि‍ऐ मुदा कि‍यो मोजर देत तखैन ने। ई बुढ़ि‍या अखनो बेदरे बुझैए तँ घरवाली की बुझत?

बलाटवाली     : थूक देथुन एहेन छौंड़बाकेँ?

रागि‍नी        : दुनि‍याँमे माइयक सेवा बेटाक लेल ओहन होइत जेकर जोड़ा नै छै। तखन रंग-बि‍रंगक माए-बाप, बेटा-बेटी भऽ गेल अछि‍। तँए दुनि‍याँ दि‍स नै देख अपन ऐनामे माएकेँ देखि‍ हृदैमे समुचि‍त जगह देबाक चाही।

बलाटवाली     : दीदी, पैघ फड़क पैघ लत्ती होइ छै, मुदा छोटक तँ छोटे होइ छै।

रागि‍नी        : हँ से तँ होइ छै। अच्‍छा बौआ, एते दूरक लत्ती केना पकड़ि‍ लेलकह। नैरह-सासुर धरि‍क लत्ती तँ ठीक छै मुदा नोनी साग जकाँ केना एते चतरि‍ गेलह।

सुनरलाल      : दादी, की कहब। ई सार मोबाइल जे ने करए। मोबाइलेपर नौत-पि‍हान, ए.टी.एम.सँ लेन-देन तेहन रस्‍ता धड़ा देलक हेन जे फुदि‍योसँ बेसी लोक उड़ए लगल हेन।

रागि‍नी        : बौआ, अनकर की कहबह, अपना पोताकेँ दस बर्ख भऽ गेल अछि‍, अखैन तक एक नैन देखलौं तक नै। तखन ते छातीमे मुक्का मारनहि‍ छी जे जखैन बेटे नै तखन पुतोहुए आ पोते-पोती कतए।

सुनरलाल      : तखन की करी दादी?

रागि‍नी        : बौआ, कि‍छु जे धाँइ दे कहि‍ देबह से नीक नै हएत। कि‍अए तँ घरमे (परि‍वारमे कते) कते रंगक लोक रहैए। अपना रंगे सभ देखै छै। तँए एके बात एककेँ नीक लगै छै दोसरकेँ अधला। जेकरा अधला लगतै ओ तँ अधले कहत।

सुनरलाल      : दादी, अहाँक बात माइयो मानैए। अहाँ जे कहब सएह करब।

रागि‍नी        : बौआ, देखहक जखने कमाएत कोइ आ खर्च करत कोइ तखने कि‍छु-ने-कि‍छु गड़बड़ हेबे करत।

सुनरलाल      : तखन?

रागि‍नी        : यएह जे परि‍वारकेँ सभ संस्‍था बुझि‍ इमनदारीसँ जीबाक चाही।

सुनरलाल      : ननौरवाली केना सुढ़ि‍आएत?

रागि‍नी        : बौआ, बेटा तोरे नै ननौरोवालीक छि‍ऐक। स्‍कूलमे की खर्च होइ छै से तँ तूँ बुझै छहक। मुदा माए नै बुझै छै। तँए कहक जे रमेशक नाओं स्‍कूल जा लि‍खा दि‍औ।

बलाटवाली     : बेस कहलि‍ऐ दीदी। बैसल-बैसल देह पोसैए आ बात गढ़ैए। भने कहलि‍ऐ?

सुनरलाल      : कहने थोड़े चलि‍ जाएत। कहत जे बुझले ने अछि‍ बौआ जाएब।

रागि‍नी        : (मुस्‍कुराइत) बौआ, यएह बात सभकेँ बुझए पड़तै। सोझे कौआ जकाँ अकासमे कुचड़ने नै हेतै।

बलाटवाली     : दादी कहथुन ने, जे हाटपर दू सेर सीम भट्टा कीनत तँ सेगे दुनू गोरे जाएत। आ स्‍कूलमे जा कऽ नाओं लि‍खा देतै, से नै हेतै। तइकाल पाग उतड़ि‍ जेतै।

रागि‍नी        : बेस तँ कहलहक।

(())

क्रमश: .......



  
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नवेंदु कुमार झा
१.जन चेतना यात्रा मोदी सॅ सचेत अछि भाजपा २.प्रधानमंत्री भाजपा

जन चेतना यात्रा मोदी सॅ सचेत अछि भाजपा

भारतीय जनता पार्टीक वरिष्ठ नेत लाल कृष्ण आडवाणीक जन चेतना यात्राक लऽकऽ पार्टीक प्रदेश इकाई दिन-राति एक कएने अछि। सिताबदियारा सॅ लऽ कऽ बक्सरक उ
Ÿार प्रदेश सॅ सरल सीमा धरि श्री आडवाणीक स्वागत मे कोनो कसरि नहि नहि छोड़लक अछि। छोट सॅ पैघ सभ नेताक पोस्टर आब नजरि आबए लागल अछि। भाजपाक एहि पोस्टर मे सभ नेताक फाटो तऽ अछि मुदा प्रधानमंत्रीक दावेदार मानल जाए बाला गुजरातक मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदीक फोटो एहि पोस्टर मे नजरि नहि आबि रहल अछि। पार्टीक सूत्र सॅ भेटल जनतबक अनुसार पार्टी नेतृत्व एहि वास्ते सभके कड़गर निर्देश देने अछि जे एहि मात्रा मे कोनो तरहक विवाद नहि हो ते श्री मोदीक फोटो सॅ नेता आ कार्यकर्ता परहेज करथि। ओना गुजरातक विकास आ मोदी सरकारक कामकाज पर गर्व करऽ बाला भाजपाक अपन कार्यक्रम मे अपन नेता सॅ परहेज करबा सॅ भाजपा कार्यकर्ता भीतरे-भीतर मायूस छलाह। 
दरअसल भाजपा सॅ दोस्ती हाथ मिलौने बिहारक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नीक लगैत अछि मुदा नरेन्द्र मोदी संग हाथ मिलैबा सॅ हुनका रंज भऽ जाइत अछि ते नीतीश कुमार के खुश रखबाक लेल बिहार भाजपा श्री मोदी सॅ दूरी बना कऽ राखऽ चाहैत अछि। नरेन्द्र मोदी आ नीतीश कुमारक विवाद बिहार मे भेल पार्टीक राष्ट्रीय कार्यकारिणीक भेल बैसक मे खुलिक सोझा आएल छल आ मुख्यमंत्री द्वारा भाजपा नेता सभके देल गेल भोजक न्योत बिजो होमए सॅ पहिनहि रद्द कऽ डेग उठौनेरहल अछि। जन चेतना यात्रा सॅ पहिनहि भाजपा अचेत नहि भऽ जाए ते मोदीक फोटो सॅ परहेज कऽ हुनका सचेत करबाक प्रयास पार्टी कएलक अछि। ओना श्री आडवाणीक एहि प्रस्तावित यात्रा सॅ मोदी नाराज बुझि पड़ैत छथि। राष्ट्रीय कार्यकारिणीक बैसक मे नवरात्राक बहन्ने अनुपस्थित भऽ एकर स्पष्ट संकेत दऽ देलनि अछि। मोदीक नाराजगीक कारण आडवाणी गुजरात सॅ यात्रा प्रारंभ करबाक योजना के बदलि सम्पूर्ण क्रान्तिक प्रणेता जय प्रकाश जन्म भूमि सिताबदियारा सॅ यात्रा प्रारंभ करबा पर विवश भेलाह अछि।
 
नीतीश कुमारक नरेन्द्र मोदी सॅ दूरी बनाएल रखबाक बीत लऽ बुझि पड़ैत अछि मुदा भाजपाक मोदी सॅ परहेज करब कार्यकर्ता सभके सेहो नहि गला सॅ नहि उतरि रहल अछि
, मुदा पार्टी नेतृत्वक निर्देश मानब हुनक मजबूरि अछि। ओना पार्टीक एकटा आर वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी आ बिहार मे भाजपाक मजगूत स्तम्भ कैलाशपति मिश्र सेहो एहि बेर पोस्टर सॅ गायब छलाह। कहियो पार्टीक नारा छल भारत मॉ के तीन धरोहर अटल आडवाणी मुरली मनोहर। हालांकि अटल आ आडवाणीक प्रासंगिकता पार्टीक एखनो बुझा रहल अछि मुदा जोशी पार्टीक पेटारक धरोहर बनि गेल छथि। 
वास्तव मे नरेन्द्र मोदी पार्टीक कतेको नेताक लेल खतरा बनि गेल छथि। तें वातानुकूलित कमरा मे बैसि भाजपाक राजनीति कएनिहार दिल्ली ब्रान्ड नेता सभ हुनका राष्ट्रीय राजनीति मे दखल सॅ रोकबाक लेल एकजूट छथि। हालांकि पार्टी लग मोदीक फोटो नहि देबाक मजगूत तर्क सेहो अछि। ई तर्क अछि जे पार्टीक पोस्टर मे भाजपा शासित प्रदेशक कोनो मुख्यमंत्रीक फोटो नहि अछि तें मोदीक फोटो सेहो नहि अछि। यानि भाजपा मोदी के मात्र मुख्यमंत्री मनैत अछि। पार्टीक राष्ट्रीय नेताक रूप मे मान्यता देबाक साहस नहि कऽ रहल अछि कि एक तऽ एहि सॅ दिल्लीक कुर्सी पर कब्जा करबा मे बाधा आबि सकैत अछि। मोदीक भाजपाक पोस्टर बाय बनला सॅ राजगक कूनबा ठनमना जयबाक आशंका भाजपा के सेहो अछि।
 

प्रधानमंत्री भाजपा
भाजपाक वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणीक जन चेतना यात्रा प्रदेश सॅ बिदा भऽ उत्तरप्रदेश मे प्रवेश कऽ गेल अछि। दू दिवसीय ई यात्रा बिना कोनो विवाद सफलतापूर्वक सम्पन्न भेला पर प्रदेशक भाजपाई चैनक सांस लेलनि अछि। यात्राक विरोध करबाक घोषणा मात्र घोषणा साबित भेल आ प्रधानमंत्री पदक उम्मीदवारी आ नरेन्द्र मोदी प्रकरण पर सेहो कोनो विवाद नहि आएब पार्टीक लेल राहत देबऽ बाला रहल। स्वयं आडवाणी सहित भाजपाक कोनो नेता सिताबादि यारा सॅ लऽ कऽ उ
Ÿार प्रदेशक सीमा धरि गोटेक 298 किलोमीटर यात्राक दरमियान नरेन्द्र मोदी शब्द धरि मूॅह सॅ नहि निकाललनि। हालाकि श्री आडवाणी प्रधानमंत्री पद पर अपन दावेदारीके खारिज करैत सफाई देलनि जे एकर निर्णय पार्टी करत मुदा उत्तर प्रदेश मे यात्रा प्रारंभ भेलाक संगहि प्रधानमंत्री पदक मामिला एक बेर फेर गर्म भऽ गेल अछि। महादेवक नगरी वाराणसी मे भाजपाक फायर ब्रान्ड नेत्री उमा भारती एहि मामिला पर अपन मूॅह कि खोललनि। पार्टीक भीतर घमासान प्रारंभ भऽ गेल। 
उत्तर प्रदेश मे भाजपाक जड़ि मजगूत करऽ मे लागत उमा भारती वाराणसी मे कहलनि जे जन जागरण यात्रा श्री आडवाणी के प्रधानमंत्री बनाओत आ देशक अगिला प्रधानमंत्री होएब तय अछि। आडवाणीक मतभेदक बाद पार्टी दोड़ि अपन अलग पार्टी बना राजनीतिक हैसियत बुझि चूकल सुश्री भारती एहि बेर आडवाणीक समर्थन मे मैदान मे कूछि गेला सॅ आडवाणी विरोधी खेमाक निन्द उड़ि गेल अछि। जखन बात प्रधानमंत्रीक हो तऽ भला केओ कोना चुप रहि सकैत अछि। राजनीति कोनो तपस्या नहि अछि। एहि मे सभक हित छोड़त अछि। ते देशक सर्वोच्च राजनीतिक पदक उम्मीदवारीक बाजार जखन खुजि गेल अछि तऽ सभ अपन-अपन शेयरक भाव बढ़बऽ मे लागि गेल छथि। सुश्री भारतीक आडवाणीक समर्थन मे देल गेल बयानक बाद वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हाक सक्रियता ई संकेत दडरहल अछि जे पार्टीक भीतर एक अनार सय बिमार क स्थिति अछि। श्री सिन्हा स्पष्ट कएलनि जे पार्टी मे प्रधानमंत्री पदक लेल कतेको योग्य नेता छथि। एहिये ओ अपना आपके सेहो सम्मिलित करैत कहलनि जे एहि पर अंतिम निर्णय पार्टी करत। हालाकि जन चेतना यात्रा के हरियर झण्डी देखा विदा करऽ बाला बिहारक मुख्यमंत्री नीतीश कुमारक राजनीतिक इंजीनियरिंग सेहो तेजी सॅ चलि रहल अछि।
 
संसदक चुनाव मे एखन दू वर्ष अछि मुदा पदक लेल शह-मात करवेल एसनहि सॅ प्रारंभ भऽ गेल अछि। हिरेन पण्ड्या
, संजीव भट्ट आ लोक पालक मामिला पर आलोचना सहि रहल गुजरातक मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के सद्भावना मिशन मे खुलि कऽ समर्थन देबऽ बाला कतेको भाजपाईक आडवाणीक यात्राक समर्थन मे उतरला सॅ मोदीक दावेदारी एखन कमजोर भेल अछि आ शायद एहि कारण यात्रा पूर्व संध्या पर मोदी आडवाणीक समर्थन कऽ एखन तत्काल एहि विवाद पर विराम लगैबाक संकेत देलनि अछि मुदा आडवाणीक यात्राक सफलता स ॅप्रधानमंत्री पदक लेल हुनक दावेदारी मजगूत होएत। एहि वास्ते आडवाणीक पारिवारिक कूनबा सेहो मैदान मे उतरल अछि। श्री आडवाणीक बेटी प्रतिभा आडवाणी यात्राक संग-संग चलि पूरा व्यवस्था पर गहिर नजरि रखने अछि। आडवाणी एण्ड कम्पनी एहि बेर कोनो चूक नहि होमए देबऽ चाहैत अछि आ पीएम इन वोटिंगक सीट जनताक न्यायालयक माध्यम सॅ कान्फार्म करैबाक बेचैन अछि तऽ दोसर दिस राजगक दोसर घटक जदयू सेहो एहि पर नजरि रखने अछि। ज्यो राजग सताक लऽग पहूंचल तऽ भाजपाक भीतर आडवाणी मोदीक संघर्ष मे नीतीश कुमार राजगक सर्वसम्मति पसंद भऽ सकैत छथि। आ एहि मे आडवाणी खेमाक समर्थन सेहो भेटि सकैत अछि। ओना भाजपाक दशा आ दिशा ओकर मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तय करैत अछि ओहि दशा मे संघक पहिलआ अंतिम पसंद भाजपाक राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीन गडकरी भऽ सकैत अछि। श्री गडकरी पार्टीक नेता सभ के जोड़क झटका धीरे सॅ ओजन बढ़ैबाक तैयारी मे लागि गेल छथि। 
 
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नवीन ठाकुर, गाम- लोहा (मधुबनी ) बिहार, जन्म -१५-०५-१९८४, सिक्षा - बी .कॉम (मुंबई विद्यापीठ), रूचि - कविता ,साहित्यक अध्यापन एवं अपन मैथिल सांस्कृतिक कार्यकममे रूचि। कार्यरत - Comfort Intech Limited (malad) (R.M. )

चंदा मामा -  - चंद्रमा


चंदा मामा दूर के ,
पूरी पकाए गुर के
अपने खाए थारी में ...............!
  कोनो नया मुहाबरा नै अछि, मुदा एकर अर्थो किछु आब जिनगीमे बाँचल नै रहल......नेना सभकेँ बहकाबऽ  फुसलाबऽ केँ छोड़ि कऽ !
किएक ठकैत छिऐ बचबा केँ, हमरो ठकने रही बच्चामे सभ मिल कऽ , नै-नै,  बच्चासभकेँ चुप करबाक रामबाण इलाज छै........, के कहलक अहाँकेँ  की अनुभव अछि....अंजाद नै अछि ठीक ठीक।
शायद दुनु भऽ सकैत अछि ! मुदा चंदा मामा कहिया चंद्रमा भऽ गेल बुझल नै अछि , शायदनमहर भऽ गेलौं हम , नै तँ  वैज्ञानिक दृष्टिकोणक दोष छै ...!
जहिया सँ बुझलिऐ जे चंदा मामा एगो ग्रह छै तहिया सँ रिश्ता टूइट गेल मामा भगिनाक ....!चौरचनक दिन जे हृदय कोणमे कनी श्रद्धा बाँचल रहैत अछि  उमरि अबैए ! वैज्ञानिकदृष्टिकोणक तर्कसँ बहुत व्यक्तिक आस्था सेहो डगमगाइत देखलियेए जिनगीमे ! भौतिकज्ञानसँ मोनमे जोर -घटा चलऽ लागैत छै ......किछु शेष बचलापर दौर गेलौं मंदिर दिस नै तँत भरि जिनगी टाइम रहितो सबहक पास टाइमक अभाव होइ छै............!

आइयो वएह चाँद छै मुदा ओइमे कोनो बुढ़िया चरखा चलबैत नजरि नै आबि रहल अछि !बौवाकेँ खेलबैत रही ....एना ता अनचिन्हारक कोरामे नै जाएत जल्दी , जावत तक चंदामामाक रेफेरेंस नै देबै ! चांदनीक शीतल  शांतिक परिवेशमे बैसल रही छत पर,वास्तविकतासँ दूर ..........कने दू -चारि डेग आगाँ बढेने रही ..........तखने लागल जेपाछाँसँ कियो टीक पकड़ि कऽ झीक देलक ........!

सुनैत छिऐ............नीचाँ आउ -कनियाँ सोर पारलक।

लागल जे कियो चंद्रलोकसँ मृत्युलोकमे बजा रहल अछि .......मोनक तराजूपर बटखरा राखिदेलक कियो ....डगमगा गेल कनी काल लेल एकबैग मोन !
असलियत जनलाक बाद कतेक चीजसँ लोकक नाता टूइट जाइ छै .....किछु सजीवसँ, किछुनिर्जीवसँ ......., कतेक ज्ञानवस् कतेक अज्ञानतावस् ........., समयपर जरूरत पड़लापरकमी खलै छै !
 ज्ञान कोन काजक जेकरा जनितो आदमी जिनगी भरि अज्ञानी बनल रहैए , मोनमेअंतर्द्वन्द्व रहैत छै भरि जीवन , सही गलतक फैसला लेबऽ मे असमर्थ रहैत अछि !

 
सभ कहैत छै जे बच्चाकेँ भगवान देखाइ दैत छै ....किए ? हम बच्चा नै बनि सकैत छी ,मुदा बचपना तँ राखि सकैत छी........कखनो काल कऽ अज्ञानी बनबोमे बहुत बड़का फायदाहोइ छै खाली सामंजस्य स्थापित करक कला एबाक चाही। भऽ सकैत अछि जे समाजक दृष्टि बदलि जाएत अहाँ प्रति। शायद नीक बुझत की ख़राब  कहि नै सकैत छी,  तँ दृष्टि आव्यवहारक बात छिऐक !
मुदा समयक संग फायदा हएत  निश्चित अछि ! समयक अनुसार चलबामे नफ्फा छैक ,चंदा मामा रहथि आकि चंद्रमा, की फरक पड़ैत छै ! छिऐ तँ एकैगो 



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