भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

ऐ ई-पत्रिकामे कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

 

(c) २००-२०२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.htmlhttp://www.geocities.com/ggajendra  आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha  258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/  पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

Friday, December 23, 2011

'विदेह' ९७ म अंक ०१ जनवरी २०१२ (वर्ष ५ मास ४९ अंक ९७) PART I


                     ISSN 2229-547X VIDEHA
'विदेह' ९७ म अंक ०१ जनवरी २०१२ (वर्ष ५ मास ४९ अंक ९७)NEPALINDIA  
                                               
 वि  दे   विदेह Videha বিদেহ http://www.videha.co.in  विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine   नव अंक देखबाक लेल पृष्ठ सभकेँ रिफ्रेश कए देखू। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA. Read in your own script Roman(Eng)Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam Hindi
ऐ अंकमे अछि:-

१. संपादकीय संदेश


२. गद्य





















३. पद्य














३.७.१. प्रवीण नारायण चौधरी २.डॉ॰ शशिधर कुमर ३.नवीन कुमार "आशा" ४.मनीष झा बौआभाई 





४. मिथिला कला-संगीत-१.ज्योति सुनीत चौधरी २.श्वेता झा (सिंगापुर) ३.गुंजन कर्ण ४.राजनाथ मिश्र (चित्रमय मिथिला) ५. उमेश मण्डल (मिथिलाक वनस्पति/ मिथिलाक जीव-जन्तु/ मिथिलाक जिनगी)

 

५. गद्य-पद्य भारती: श्री काशीनाथ सिंहरेहनपर रग्घू”- (हिन्दीसँ मैथिली अनुवाद श्री विनीत उत्पल) असगर वजाहत- हम हिन्दू छी हिन्दी कथाक मैथिली रूपान्तरण विनीत उत्पल द्वारा-


 

६.बालानां कृते-१.कणकमणि दीक्षित- भगता बेङक कथा- नेपालीसँ मैथिली अनुवाद: श्रीमती रूपा धीरू आ श्री धीरेन्द्र प्रेमर्षि द्वारा २.डॉ॰ शशिधर कुमर विदेह” - दक्षिणी ध्रुव पर मनुक्खक पएरक सए वर्ष अर्थात्- खिस्सा अण्टार्कटिका केर

 

७. भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैथिली], [विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.]





विदेह ई-पत्रिकाक सभटा पुरान अंक ( ब्रेल, तिरहुता आ देवनागरी मे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक लेल नीचाँक लिंकपर उपलब्ध अछि। All the old issues of Videha e journal ( in Braille, Tirhuta and Devanagari versions ) are available for pdf download at the following link.

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विदेह रेडियो:मैथिली कथा-कविता आदिक पहिल पोडकास्ट साइट


मैथिली देवनागरी वा मिथिलाक्षरमे नहि देखि/ लिखि पाबि रहल छी, (cannot see/write Maithili in Devanagari/ Mithilakshara follow links below or contact at ggajendra@videha.com) तँ एहि हेतु नीचाँक लिंक सभ पर जाऊ। संगहि विदेहक स्तंभ मैथिली भाषापाक/ रचना लेखनक नव-पुरान अंक पढ़ू।
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example

भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी कवि, नाटककार आ धर्मशास्त्री विद्यापतिक स्टाम्प। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन कालहिसँ महान पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला लोकनिक चित्र 'मिथिला रत्न' मे देखू।

example

गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि। मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र, अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू 'मिथिलाक खोज'


मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना, सम्पर्क, अन्वेषण संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ न्यूज सर्विस आ मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट सभक समग्र संकलनक लेल देखू "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"
विदेह जालवृत्तक डिसकसन फोरमपर जाऊ।
"मैथिल आर मिथिला" (मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय जालवृत्त) पर जाऊ।

 ऐ बेर मूल पुरस्कार(२०१२) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन मूल मैथिली पोथी उपयुक्त अछि ?

ऐ बेर बाल साहित्य पुरस्कार(२०१२) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन मूल मैथिली पोथी उपयुक्त अछि ?


ऐ बेर युवा पुरस्कार(२०१२)[साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन कोन लेखक उपयुक्त छथि ?

ऐ बेर अनुवाद पुरस्कार (२०१३) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे के उपयुक्त छथि?


फेलो पुरस्कार-समग्र योगदान २०१२-१३ : समानान्तर साहित्य अकादेमी, दिल्ली
)

 

१. संपादकीय

अनुवाद अंकक अतिथि सम्पादकीय
ओना तँ विदेहमे अनुवादपर शुरुहेसँ ध्यान देल जाइ छै आ एकर गद्य-पद्य भारती आ अंग्रेजी कॉलम तही लेल समर्पित अछि, मुदा आब ऐपर आर बेसी ध्यान देल जाएत- आ से दू दृष्टिए- एक- दोसर साहित्यक उत्कृष्ट कृति आर बेसी मात्रामे आबए आ दोसर- मैथिलीक उत्कृष्ट कृति दुनियाँक समक्ष जाए- ई दुनू काज विदेह पहिनहियो कइये रहल अछि आब ई आर बेसी मात्रा आ गतिसँ हएत।
ऐ अंकमे असगर वजाहतक हिन्दी कथा, काशीनाथ सिंह जीक हिन्दी उपन्यास (धारावाहिक रूपमे), परिचय दास जीक भोजपुरी कविता आ  कणकमणि दीक्षित जीक नेपाली बाल साहित्यक रूपा धीरू आ धीरेन्द्र प्रेमर्षिजी द्वारा कएल अनुवाद देल जा रहल अछि। संगमे शेफालिका वर्मा आ राजदेव मंडल जीक मैथिली कविताक अंग्रेजी अनुवाद सेहो देल जा रहल अछि।
नीचाँमे गजेन्द्र ठाकुरजीक मैथिली अनुवाद विषयपर आलेख उद्घृत कऽ रहल छी।
पाठकगणकेँ नव बर्खक शुभकामना।

विनीत उत्पल
(सम्पादक- विदेह अनुवाद विभाग)

मैथिली लेल एकटा अनुवाद सिद्धान्त: गजेन्द्र ठाकुर
मैथिली लेल एकटा अनुवाद सिद्धान्त: अनुवादक इतिहास बड्ड पुरान छै। कोनो प्राचीन भाषा जेना संस्कृत, अवेस्ता, ग्रीक आ लैटिनक कोनो कालजयी कृति जखन दुरूह हेबऽ लागल तँ ओइपर चाहे तँ भाष्य लिखबाक खगताक अनुभव भेल आ कनेक आर आगाँ ओकरा दोसर भाषामे अनुवाद कऽ बुझबाक खगताक अनुभव भेल। प्राचीन मौर्य साम्राज्यक सम्राट अशोकक पाथरपर कीलित शिलालेख सभ, कएकटा लिपि आ भाषामे, राज्यक आदेशकेँ विभिन्न प्रान्तमे प्रसारित केलक। भाष्य पहिने मूल भाषामे लिखल जाइत छल आ बादमे दोसर भाषामे लिखल जाए लागल।

मैथिलीसँ दोसर भाषा आ दोसर भाषासँ मैथिलीमे अनुवाद लेल सिद्धान्त: मैथिलीसँ सोझे दोसर भाषामे अनुवाद अखन धरि संस्कृत, बांग्ला, नेपाली, हिन्दी आ अंग्रेजी धरि सीमित अछि। तहिना ऐ पाँचू भाषाक सोझ अनुवाद मैथिलीमे होइत अछि। ऐ पाँच भाषाक अतिरिक्त मराठी, मलयालम आदि भाषासँ सेहो सोझ मैथिली अनुवाद भेल अछि मुदा से नगण्य अछि। मैथिलीमे अनुवाद आ मैथिलीसँ अन्य भाषामे अनुवाद ऐ पाँचू भाषाकेँ मध्यस्थ भाषाक रूपमे लऽ कऽ होइत अछि।  अहू पाँच भाषामे हिन्दी, नेपाली आ अंग्रेजीक अतिरिक्त आन दू भाषाक मध्यस्थ भाषाक रूपमे प्रयोग सीमित अछि। अनुवादसँ कने भिन्न अछि रूपान्तरण, जेना कथाक नाट्य रूपान्तरण वा गद्यक पद्यमे पद्यक गद्यमे रूपान्तरण। ऐ मे मैथिलीसँ मैथिलीमे विधाक रूपान्तरण होइत अछि आ अनुवाद सिद्धान्तक ज्ञान नै रहने रूपान्तरकार अर्थ आ भावक अनर्थ कऽ दैत अछि। मैथिलीमे आ मैथिलीसँ अनुवादमे तँ ई समस्या आर विकट अछि।
उत्तम अनुवाद लेल किछु आवश्यक तत्त्व: शब्दशः अनुवाद करबा काल ध्यान राखू जे कहबी आ सन्दर्भक मूल भाव आबि रहल अछि आकि नै। श्ब्द, वाक्य आ भाषाक गढ़नि अक्षुण्ण रहए से ध्यानमे राखू। मूल भाषाक शब्द सभ जँ प्राचीन अछि तँ अनूदित भाषाक शब्द सभकेँ सेहो पुरान आ खाँटी राखू। मूल आ अनूदित भाषाक व्याकरण आ शब्द भण्डारक वृहत् ज्ञान एतए आवश्यक भऽ जाइत अछि। मूल भाषामे मुँह कोचिया कऽ बाजल रामनाथ, उमेशक प्रति सम्बोधनकेँ रामनाथो, उमेशोक बदलामे रामनाथहुँ, उमेशहुँ कऽ अनुवाद कएल जाएब उचित हएत मुदा सामान्य परिस्थितिमे से उचित नै हएत। से शब्द, भाव, प्रारूपमे सेहो आ मूल कृतिक देश-कालक भाषामे सेहो समानता चाही। अनुवादककेँ मूल आ अनूदित कएल जाएबला भाषाक ज्ञान तँ हेबाके चाही संगमे दुनू भाषा क्षेत्र इतिहास, भूगोल, लोककथा, कहबी आ ग्रम्य-वन्य आ नग्रक संस्कृतिक ज्ञान सेहो हेबाक चाही। ई मध्यस्थ भाषासँ अनुवाद करबा काल आर बेसी महत्वपूर्ण भऽ जाइत अछि। ऐ परिस्थितिमे दुनू भाषा क्षेत्रक इतिहास, भूगोल, लोककथा, कहबी आ ग्रम्य-वन्य आ नग्रक संस्कृतिक ज्ञानसँ तात्पर्य अनूदित आ मूल भाषा क्षेत्रसँ हएत मध्यस्थ भाषा क्षेत्रसँ नै। कखनो काल मूल भाषाक कोनो भाषासँ सम्बन्धित तत्त्व वा गएर भाषिक तत्व (सांस्कृतिक तत्त्व) क सही-सही उदाहरण अनूदित भाषामे नै भेटैत अछि आ तखन अनुवादक गपकेँ नमराबऽ लगैत छथि वा ओइ लेल एकटा सन्निकट शब्दावली (ओइ नै भेटल तत्त्वक) देमए लगैत छथि। ऐ परिस्थितिमे सन्निकट शब्दावली देबासँ नीक गपकेँ नमरा कऽ बुझाएब वा परिशिष्ट दऽ ओकरा स्पष्ट करब हएत। ऐ सँ मूल भाषासँ मध्यस्थ माषाक माध्यमसँ कएल अनुवादमे होइबला साहित्यिक घाटाकेँ न्यून कएल जा सकत।
कथा, कविता, नाटक, उपन्यास, महाकाव्य (गीत-प्रबन्ध), निबन्ध, स्कूल-कॉलेजक पुस्तक, संगणक विज्ञान, समाजशास्त्र, समाज विज्ञान आ प्रकृति विज्ञानक पोथीक अनुवाद करबा काल किछु विशेष तकनीकक आवश्यकता पड़त। निबन्ध, स्कूल-कॉलेजक पुस्तक, संगणक विज्ञान, समाजशास्त्र, समाज विज्ञान आ प्रकृति विज्ञानक अनुवाद ऐ अर्थेँ सरल अछि जे ऐ सभमे विस्तारसँ विषयक चर्चा होइत अछि आ सर्जनात्मक साहित्य {कथा, कविता, नाटक, उपन्यास, महाकाव्य (गीत-प्रबन्ध)} क विपरीत भाव आ संस्कृतिक गुणांक नै रहैत अछि वा कम रहैत अछि। संगे एतए पाठक सेहो कक्षा/ विषयकक अनुसार सजाएल रहैत छथि। केमिकल नाम, बायोलोजिकल आ बोटेनिकल बाइनरी नाम आ आन सभ सिम्बल आदि जे विशिष्ट अन्तर्राष्ट्रीय संस्था सभ द्वारा स्वीकृत अछि तकर परिवर्तन वा अनुवाद अपेक्षित नै अछि। सर्जनात्मक साहित्यमे नाटक सभसँ कठिन अछि, फेर कविता अछि आ तखन कथा, जँ अनुवादकक दृष्टिकोणसँ देखी तखन। नाटकमे नाटकक पृष्ठभूमि आ परोक्ष निहितार्थकेँ चिन्हित करए पड़त संगहि पात्र सभक मनोविज्ञान बूझए पड़त। कवितामे कविताक विधासँ ओकर गढ़निसँ अनुवादकक परिचित भेनाइ आवश्यक, जेना हाइकूक मैथिलीसँ अंग्रेजी अनुवाद करै बेरमे मैथिलीक वार्णिक ५/७/५ क मेल जँ अंग्रेजीक अल्फाबेटसँ करेबै तँ अहाँक अनूदित हाइकू हास्यास्पद भऽ जाएत कारण अंग्रेजीमे ५/७/५ सिलेबलक हाइकू होइ छै आ मैथिलीमे जेना वर्ण आ सिलेबलक समानता होइ छै से अंग्रेजीमे नै होइ छै। ऐ सन्दर्भमे ज्योति सुनीत चौधरीक मैथिलीसँ अंग्रेजी अनुवाद एकटा प्रतिमान प्रस्तुत करैत अछि। कविताक लय, बिम्बपर विचार करए पड़त संगहि कविता खण्डक कविताक मुख्य शरीरसँ मिलान करए पड़त। कथामे कथाकारक आ कथाक पात्रक संग कथाक क्रम, बैकफ्लैशक समय-कालक ज्ञान आ वातावरणक ज्ञान आवश्यक भऽ जाइत अछि। आब महाकाव्यक अनुवाद देखू, रामलोचन शरणक मैथिली रामचरित मानस अव्धीसँ मैथिलीमे अनुवाद अछि मुदा दोहा, चौपाइ, सोरठा सभ शास्त्रीय रूपेँ अनूदित भेल अछि।
संस्कृत भाषाक अनुवादक माध्यमसँ पाठन आंग्ल शासक लोकनि द्वारा प्रारम्भ भेल। ऐ विधिसँ ने लैटिनक आ नहिये ग्रीकक अध्यापन कराओल गेल छल। ऐ विधिसँ जँ अहाँ संस्कत वा कोनो भाषा सीखब तँ आचार्य आ कोविद कऽ जाएब मुदा सम्भाषण नै कएल हएत। जँ कोनो भाषाकेँ अहाँ मातृभाषा रूपेँ सीखब तखने सम्भाषण कऽ सकब, संस्कृति आदिक परिचय पाठ्यक्रममे शब्दकोष; आ लोककथा आ इतिहास/ भूगोलक समावेश कऽ कएल जा सकैत अछि।
संगणक द्वारा अनुवाद: सर्जनात्मक वा निबन्ध, स्कूल-कॉलेजक पुस्तक, संगणक विज्ञान, समाजशास्त्र, समाज विज्ञान आ प्रकृति विज्ञानक अनुवाद संगणक द्वारा प्रायोगिक रूपमे कएल जाइत अछि मुदा कोल्ड ब्लडेड एनीमलक अनुवाद हास्यास्पद रूपेँ नृशंस जीवकएल जाइत अछि। मुदा संगणकक द्वारा अनुवाद किछु क्षेत्रमे सफल रूपेँ भेल अछि, जेना विकीपीडियामे ५०० शब्दक एकटा बेसी प्रयुक्त शब्दावलीआ २६०० शब्दक शब्दावलीक अनुवाद केलासँ, गूगलक ट्रान्सलेशन अओजार आदिमे आधारभूत शब्दक अनुवाद केलासँ आ आन गवेषक जेना मोजिला फायरफॉक्स आदिमे अंग्रेजीक सभ पारिभाषिक संगणकीय शब्दक अनुवाद केलासँ त्रुटिविहीन स्वतः मैथिली अनुवाद भऽ जाइत अछि।
सूचना:
नीचाँमे श्री रामभरोस भ्रमरजीक पत्र दऽ रहल छी, "नीलम फिल्म्स आ गोपाल पाठकक करतूत"- ई पंकज पराशर, सुशीला झा, डॉ. योगनाथ झा (उर्फ योगनाथ सिन्धु उर्फ सिन्धुनाथ झा)क कड़ीमे एकटा आर चोरक चोरिक शृंखला अछि जकर विदेह द्वारा पर्दाफास कएल जा रहल अछि।

( विदेह ई पत्रिकाकेँ ५ जुलाइ २००४ सँ अखन धरि ११६ देशक १,५०२ ठामसँ ७२,०४३ गोटे द्वारा ३५,४५२ विभिन्न आइ.एस.पी. सँ ३,३६,७०७ बेर देखल गेल अछि; धन्यवाद पाठकगण। - गूगल एनेलेटिक्स डेटा। )

गजेन्द्र ठाकुर

ggajendra@videha.com
 
http://www.maithililekhaksangh.com/2010/07/blog-post_3709.html

 

२. गद्य



















नवेंदु कुमार झा-साकेतानन्दजीक मृत्यु/ पुरस्कारक बजार मे लागि रहल बोली/ पर्यटक स्थल बनल विस्फी, महिषी पर सेहो अछि नजरि/ अन्धरा ठाढ़ी मे बनत स्मारक, सरकार केँ याद अयलनि वाचस्पति मिश्र/ साहित्यिक जौहरी छथि अकादमीक मैथिली परामर्शी/ शताब्दी वर्ष मे प्रकाशित होयत सय पोथी/ विधान परिषद्क शताब्दी वर्षक अवसर पर आयोजित होयत विशेष बैसक/ बिहार मे खादी ग्रामोद्योग संस्था सभक विकास।
साकेतानन्दजीक मृत्यु कैन्सरसँ २२ दिसम्बर २०११ केँ एक बजे दिनमे पूर्णियाँ मे भऽ गेलन्हि।

साकेतानन्दक जीवनी1940-2011

वरिष्ठ कथाकार, गणनायक (कथा-संग्रह) लेल साहित्य अकादेमी पुरस्कारसँ सम्मानित। 1962 सँ सक्रिय । गोड़ेक चालिस-पचास टा कथा, रिपोर्ताज-संस्मरण, यात्रा-विवरण। पहिल मैथिली कथा ग्लेसियर” 1962मे मिथिलामिहिरमे प्रकाशित । हिन्दियोमे दू दर्जन कथा आदि प्रकाशित । सन 99मे छपल पहिल कथा-संग्रह गणनायककेँ ओही वर्ष साहित्य अकादमी पुरस्कार। पैघ बान्धसँ अबैबला विपत्तिकेँ रेखांकित करैत, पर्यावरण केँ कथा वस्तु बना कऽ राजकमल प्रकाशन सँ प्रकाशित एवं अत्यंत चर्चित उपन्यास (डौकूमेंट्री फिक्शन’) “सर्वस्वांत। आकाशवाणीक राष्ट्रीय कार्यक्रममे प्रसारित दू टा उल्लेखनीय वृत्त रूपक- ‘महानन्दा अभयारण्यपर आधारित जंगल बोलता हैएवं झारखंड क ग्रामीण क्षेत्रक ज्वलंत डाइनक समस्या पर आधारित वृत्तरूपक नैना जोगनचर्चित एवं प्रसिद्ध । पत्रकारिताक नाम : बृहस्पति. (2) असली नाम : साकेतानन्द सिंह, पिता : स्व. श्री विजयानन्द सिंह, माता- स्व.श्रीमती राधारमा जी, जन्म : 27 फरवरी 1940 क कुमार गंगानन्द सिंहक तत्कालीन आवास सचिव_सदन” 5, गिरीन्द्र मोहन
रोड, दरभंगा, मृत्यु 22 दिसम्बर 2011 पूर्णियाँमे। शिक्षा: क्रमशः राज स्कूल दरभंगा/ बुनियादी स्कूल श्रीनगर, पूर्णियाँ/ विलियम्स मल्टीलेटरल स्कूल,सुपौल। पश्चात पटना एवं मगध विश्वविद्यालय सँ अंग्रेजी औनर्स आ मैथिलीमे स्नात्कोत्तर। आजीवन आकाशवाणीक चाकरी। आठ राज्यक नौ केन्द्रमे विभिन्न पद पर काज । लटे-पटे 40 वर्षक कार्यकाल। पटना, दरभंगा एवं भागलपुरमे बीसो साल तक मैथिली कार्यक्रमक आयोजन, प्रस्तुतिकरणमे लागल। ओतबे दिन क्रमशः आकाशवाणी पटनाक ग्रामीण कार्यक्रम चौपाल
दरभंगाक गामघरकार्यक्रम क मुख्य स्वर जीवछ भाइक रूपमे ख्यात। आकाशवाणी दरभंगाक
संस्थापक स्टाफ । मैथिली नाटकक कैकटा लैंडमार्कयथा डा.रामदेव झा विरचित दू टा नाटक विद्यापतिहरिशचन्द्र’ ; डा. मणिपद्मक चुहड मल्लक मोछ’ , सल्हेस, दीनाभद्री, विदापत आदि लोक गाथा, लोक-नृत्य सभकेँ लोक गायकक मध्य जा कऽ, मूल वस्तुक ध्वन्यंकन एवं ओकर संपादन आ प्रसारण गणनायककथा-संग्रह क राजस्थानी अनुवाद, राजस्थानी साहित्यक जानल-चीन्हल नाम श्री शंकरसिंह राज पुरोहित एवं हिन्दी अनुवाद ख्यातनामा अनुवादिका श्रीमती प्रतिमा पांडे केलनि। सन 2001मे आकाशवाणी हज़ारीबाग सँ केन्द्र-निदेशक क पद सँ अवकाश प्राप्त केलाक बाद पूर्ण रूपेण मैथिली लेखन, मिथिला क्षेत्रक समस्या सब पर वृत्तचित्र बनेबाक, मैथिलीक किछु नीक कथा सभक फिल्म रूपांतरणक गुनान-धुनानमे लागल रहथि
श्रद्धांजलि..
 

पुरस्कारक बजार मे लागि रहल बोली
देशक प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था साहित्य आकदमी अपन वार्षिक पुरस्कारक घोषणा कऽ देलक मुदा एहि वर्ष सेहो मैथिली भाषा पुरस्कारक घोषणा नहि भेल। एकर कारण ओना तऽ परामर्शदात्री समितिक बैसक नहि होयब जनाओल गेल अछि जे किछु हद धरि सही सेहो अछि मुदा जे चर्चा अछि ओकर मोताबिक एहि बैसक मे संभावित नाम पर सहमति नहि बनि सकल तेॅ एखन एकरा टारि देल गेल अछि। दरअसल भारि-भरकम टाकाक पुरस्कार एहि भाषाक लेल बाधा बनल अछि। संभावित उम्मीदवार सभक नजरि तऽ एहि पर अछिए परामर्शी सभक नजरि सेहो एहि पर लागल रहैत अछि। साहित्यिक क्षेत्र मे भऽ रहल चर्चाक अनुसार मैथिली भाषाक साहित्यक अकादमी पुरस्कारक लेल बजार लागि गेल अछि आ एहि पर कब्जा करबाक लेल बोली लागि रहल अछि। साहित्यक एहि शेयर बाजार मे सूचकांक उतार चढ़ावक मध्य एखन धरि योग्य शेयर पर अपन मोहर लगैबाक प्रति परामर्शी अनिश्चयक स्थिति मे छथि।
अकादमीक प्रसादक लेल दरभंगा आ दरभंगा सॅ बारहक दू टा योग्य विद्वान मे होड़ लागल अछि। एक दिस लक्ष्मीक त्यागक बात भऽ रहल अछि तऽ दोसर दिस लक्ष्मी कऽ त्यागक संगहि कुबेरक आह्वान कयल जा रहल अछि। तऽ दोसर दिस पुरस्कारक लाइन मे ठाढ़ एकटा पोथीक मूल लेखक अपन लक्ष्मीक लेल गोहारि कऽ रहल छथि। आश्चर्य ई अछि जे जाहि पोथीक भूमिका लिखबा सॅ दरभंगाक पैघ विद्वान ई कहि आपस कऽ देलनि जे ई पोथी लेखकक अपन लेखनी नहि अछि तथापि ओ ताल ठोकि दावेदारी कऽ लाइन मे अछि।
दरअसल मैथिलीक परामर्शी साहित्यक जौहरी छथि। हुनक चमत्कार सँ केओ साहित्यकार भऽ अकादमीक साहित्यिक यात्रा कऽ सकैत छथि। से पुरस्कारक दावेदार सभ सेहो जनैत छथि आ तेँ मैदान मे डटल छथि। मुदा मैदान मे दूटा डटगर दावेदारक कारण एहि बेर परामर्शी सेहो चित भेल छथि। ओ एखन अनिर्णयक स्थिति मे छथि। शायद हुनका एहि बातक आभास अछि जे ई दूनू दावेदार पुरस्कारक कुस्तीक मैदान मे शकि जयताह तऽ हुनक काज आसान भऽ जायत। तेॅ नाम केँ गोपनीय आ राशि पुरस्कारक बाजार खोलि कऽ रखने छथि। जहिना एकटा दाबेदार मैदान मे कमजोर पड़ला आ हुनक सूचकांक खसल कि परामर्शी पुरस्कारक घंटी बजा देताह। आब ककर शेयर ओंघरायल आ ककरा साहित्यक ताज भेटत एहि लेल मैथिली साहित्य प्रेमी केँ एखन धैर्य राखऽ पड़त।
साहित्य अकादमी मे सम्मिलित सभ भाषाक पुरस्कारक लेल मापदंड आ ओकर प्रक्रिया तय अछि। वर्षक अंतिम सप्ताह मे प्रायः पुरस्कारक घोषणा कऽ देल जाइत अछि। एहि लेल पोथीक चयनकक प्रक्रिया वर्ष भरि चलैत अछि। सभ भाषा परामर्शदात्री समिति एहि प्रक्रिया केँ समय सीमाक भीतर पूरा करबा मे सक्षम अछि तऽ भला मैथिली परामर्शी सभकेँ एहि मे विलम्ब होयबाक कारण नहि बुझि पड़ैत अछि। एकर कारण ई भऽ सकैत अछि जे या तऽ विद्वान परामर्शी सभक स्तरक पोथी पुरस्कारक लाइन मे नहि रहैत अछि अथवा जे पोथी पुरस्कारक लाइन मे रहैत अछि ओहि स्तरक विद्वान परामर्शी नहि छथि। ई दूनू कारण जँ नहि अछि तऽ भला समय सीमाक भीतर अंतिम निर्णय किएक नहि सोझा अबैत अछि। अकादमी प्रसाद येन-केन-प्रकारेन प्राप्तिक इच्छा मैथिली साहित्य केँ नोकसान पहूचा रहल अछि। मात्र प्रसादक प्राप्तिक वास्ते साहित्य सृजन करब कोनो भाषाक साहित्यक लेल लाभदायक नहि अछि। एहि सॅ साहित्यिक स्तर मे ह्रास होयत। साहित्य समाजक ऐना अछि। जँ स्तरहीन साहित्य सृजन केँ प्रश्रय देल गेल तऽ सामाजिक दशा-दिशा प्रभावित होयत। साहित्य संसार केँ पुरस्कारक बाजार बनायब किन्नहु उचित नहि अछि। पुरस्कार छोट होकि पैघ ओकर चयन प्रक्रियाक सीमाक पालन होयब आवश्यक अछि। अन्यथा कतेको आशंका केँ जन्म दऽ सकैत अछि। जेना एखन मैथिली साहित्य जगत मे व्याप्त अछि।
मैथिली साहित्य संसार मे कतेको विद्वान पुरस्कारक चिन्ता कयने बिनू अपनी लेखनीक छाप छोड़ि अपन अमर कृति दऽ विदा भऽ गेलाह। मुदा वर्तमान मैथिली साहित्य जेना पुरस्कारक जाल मे फँसि गेल अछि। हजर टकिया सॅ लखटकिया पुरस्कारक लेल साहित्य सृजनक होड़ लागल अछि। पुरस्कारक बजारवाद मैथिली साहित्य केँ नोकसान पहुँचा रहल अछि। तेॅ पुरस्कारक लालसा छोड़ि साहित्यक स्तर पर ध्यानदेब आवश्यक अछि। पुरस्कार देब विद्वान परामर्शी सभक काज अछि आ जँ हुनका फ्री हैण्ड छोड़ल गेल तऽ संभव अछि जे स्तरीय पोथी केँ सम्मान भेटि सकत।


पर्यटक स्थल बनल विस्फी, महिषी पर सेहो अछि नजरि
मिथिलांचलक महापुरुष सभक जन्म स्थली केँ पर्यटन स्थलक रूप मे विकसित करबाक योजना पुरस्कार काज प्रारंभ कऽ देलक अछि। सरकारक योजना महाकवि विद्यापति आ विद्वान तथा दार्शनिक मंडन मिश्रक जन्म स्थली केँ पर्यटन स्थलक रूप मे विकसित कऽ एहि दिस पर्यटक सभ केँ विशेष रूपे विदेशी पर्यटक केँ आकर्षित करबाक योजना अछि। एहि वास्ते महाकवि विद्यापतिक जनमस्थल राजधानी पटना सॅ 110 किलोमीटर दूर मधुबनी जिलाक विस्फी मे पर्यटक काम्पलेक्स, आडियोटोरियम आ पुस्तकालय बनैबाक योजना केँ पर्यटन विभाग अंतिम रूप देलक अछि जाहि पर 47 लाख टाका खर्च होयत। विभागक सूत्रक अनुसार ई सभ पर करक लेल आधारभूत संरचना उपलब्ध करायब विभागकक प्राथमिकतामे अछि। बिहार राज्य पर्यटन निगम सेहो एहि सभ जगह दिस पर्यटक केँ आकर्षित करबाक लेल प्रयास कऽ रहल अछि। पर्यटन मंत्री सुनील सभ जन्मस्थली केँ पर्यटन स्थलक रूप मे विकसित करबाक योजना बनौलक। श्री पिन्टु जनौलनि जे विद्यापति देशक प्रख्यात व्यक्ति आ बिहारक गौरव छलाह। हुनक जन्मस्थली केँ पर्यटन स्थल बनेबाक मांग कतेको दिन सॅ भऽ रहल छल जे आब साकार भऽ रहल अछि जहिना पश्चिम बंगालक पर्यटन विभाग कवि गुरु रविन्द्र नाथ ठाकुर सॅ संबोधित स्थल सभक दिस पर्यटक केँ खींचि आमदनी अर्जित करैत अछि तहिना बिहार पर्यटन अपन योजना बनौलक अछि।
एकरा संगहि आठम शताब्दीक प्रख्यात विद्वान आ दार्शनिक मंडल मिश्रक जन्मस्थली दिस विशेष रूप सॅ विदेशी पर्यटक केँ आकर्षित करबाक लेल एहि सॅ संबंधित जनतब पर्यटन विभाग, वेबसाइट पर उपलब्ध कराओल गेल अछि। मंडन मिश्र आदि शंकराार्यक संग सहरसा जिलाक महिषि गाम मे हिन्दू दर्शन गुण दोष पर शास्त्रार्थ मे हारल छलाह। पर्यटन मंत्री जनतब देलनि जे पर्यटक सभ केँ आकर्षित करबाक लेल विभाग सहरसा मे कोसी महोत्सवक आयोजित करैत अछि आ जल्दीए आन कतेको तरहक गतिविधि प्रारंभ कयल जायत।
एहि मध्य, मधुबनी मे स्थापित होमय बाला मिथिला चित्र कला संस्थान पर संग्रहालयक लेल 3.10 एकड़ जमीनक व्यवस्था मधुबनी नगर परिषद् द्वारा कऽ लेल गेल अछि। बिहार विधान परिषद्क सभापति ताराकांत झाक कला संस्कृति मंत्री डॉ0 सुखदा पाण्डेय आ पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिन्टुक संग भेल बैसार मे एहि योजनाक स्वीकृति दऽ देल गेल। एहि संस्थानक निर्माण पर गोटेक 6 करोड़ टाका खर्च होएबाक उम्मीद अछि। ताराकांत झा जनतब देलनि अछि जे एहि संस्थान मे मिथिला चित्रकलाक एक वर्षीय डिप्लोमा आ दू वर्षीय डिग्रीक पाठ्यक्रम पढ़ाई प्रशिक्षण प्रारंभ होयत। परिसर मे निदेशक आ शिक्षक सभक नियुक्ति कयल जायत। एहि संस्थानक भवन निर्माणक लेल विशेष परियोजना प्रतिवेदन तैयार कयल जा रहल अछि।




अन्धरा ठाढ़ी मे बनत स्मारक, सरकार केँ याद अयलनि वाचस्पति मिश्र
बिहारक शताब्दी वर्षक अवसर पर चुनल गेल बिहार गौरव गीत मे मिथिलाक उपेक्षाक भरपाइ करबा मे नीतीश सरकार लागि गेल अछि। मिथिलावासीक आक्रोश केँ दबबऽ लेल पहिने जानकी नवमी छुट्टी पर मोहर लगौलाक बाद मधुबनी मे चित्रकला संस्थान खोलब, महाकवि विद्यापति आ मंडल मिश्रक जन्मस्थली केँ पर्यटन स्थल बनैबाक योजनाके मूर्त रूप दऽ अपना आप केँ पैघ मैथिल हितैषी होएबाक लेल बेचैन अछि आ आब नवम् शताब्दीक संस्कृत प्रख्यात विद्वान पंडित वाचस्पति मिश्रक जन्म स्थली मधुबनी जिलाक अन्धराठाढ़ी मे स्मारक बनैबाक घोषणा कयलक अछि। भामतीक लेखक पंडित मिश्रक स्मारक स्थल लग एकटा पर्यटक काम्पलेक्स आ पुस्तकालय सेहो बनाओल जायत। एहि वास्ते ग्रामीण सभ दू एकड़ सॅ बेसी जमीन उपलब्ध करौलनि अछि। एहि क्षेत्र क सौंदर्यींकरण सेहो कयल जायत। जाहि पर 37 लाख टाका खर्च होयत संगहि गाम मे स्थित म्यूजियमक आधुनिकीकरण पर दू लाख टाका खर्च कयल जायत।



साहित्यिक जौहरी छथि अकादमीक मैथिली परामर्शी

      साहित्य अकादमीक महिला लेखिका सभक शीतकालीन दक्षिण भारतक मात्रा समाप्त भऽ गेल अछि। एहि यात्रा मे मैथिली साहित्यक परामर्श दात्री समिति जहि तरह महिला मैथिली लेखिका सभ चयन कयने छल एहि सॅ तऽ परामर्शदात्री सभक विद्वता पर प्रश्न चिन्ह लगायब आवश्यक बुझि पड़ैत अछि। मैथिली साहित्यक संग जाहि तरहे अपना आप केँ विद्वान कहय वाला परामर्शी मजाक कऽ रहल छथि ओहि सॅ साहित्यक गरिमा कम भऽ रहल अछि। एकर प्रभाव सभक सोझा अछि। आम मैथिल जन अपन भाषा सॅ दूर भऽ रहल छथि। आ अपना घर-परिवार मे मैथिली छोड़ि आन भाषाक बेधड़क प्रयोग करय वाला सभ साहित्य अकादमीक यात्राक आनन्द उठा रहल छथि। वर्तमान मे सम्पन्न मैथिली लेखिकाक शीत यात्रा मे जाहि तरहे मानवाधिकारक सहधर्मी केँ महिला मैथिली साहित्यकारक सहकर्मी बनाओल गेल एहि सॅ मैथिली साहित्यक परामर्शी सभक साहित्यिक दिवालियापन सोझा आबि गेल अछि। ई एहि बातक संकेत करैत अछि जे मैथिली भाषाक मे बढ़ैत अवसर मे चाटुकारिताक अवसर सेहो बढ़ि रहल अछि। प्रदेश मे महिला सशक्तिकरणक चलि रहल अभियानक क्रम मे मिथिलाक प्रतिनिधि सामाजिक सांस्कृतिक संस्था मे मैथिल महिला केँ स्थान देबाक नाम पर सक्रियता देल गेल आ आब एहि अधिकारक उपयोग मैथिल साहित्यक सहकर्मी बनैबाक लेल करब कतेक उचित अछि एकर निर्णय तऽ विद्वान साहित्यकार लोकनि करताह। एहि यात्राक क्रम मे आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी मे गोटेक 30टा महिला अपन आलेख पढ़लनि। मुदा किछु एहनो मैथिल महिला साहित्यकार छलीह जे अपन परमेश्वरक कयल परिश्रमक वाचन करबा मे थकमकाइत छलीह। खैर कोनो बात नहि देशक सभ तरहक संस्था सुख-सुविधाक उपयोगक लेल बनल अछि। जँ साहित्य अकादमीक एहि सुख-विलासक अनुभव मैथिली परामर्शी किछु मैथिलीक महिला साहित्यकारक करौलनि तऽ एहि मे हर्जे कोन। आखिर किछु साहित्यकारक खुट्टा मजगूत छनि आ परामर्शी सभक परामर्शक अवधि समाप्त भेलाक बाद ई परामर्शी सभक ओहि खूटा मे बन्हि पाउज करबाक जोगार भऽ सकैत अछि। ई परामर्शी सभ कतेको जागरूक छथि एकर प्रमाण सोझा अछि। साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित पोथी विद्यापति जकर लेखक रमानाथ झा छथि। ओकर हिन्दी अनुवाद बजार मे उपलब्ध अछि जकर मुख्य पृष्ठ पर लेखकक नाम रामनाथ झा लिखल अछि। एहि विद्वान सभकेँ एहि बातक कोनो चिन्ता नहि अछि। अकादमी सँ एहि पोथीक मुख्य पृष्ठ बदलबाक लेल शायद एखन धरि कोनो प्रयास नहि कयलनि अछि। मुदा मैथिली महिला साहित्यकारक चयन ओ जौहरी जकाँ कयलनि। मुदा प्रकाशित पोथी मे गड़बड़ी भेल तऽ कोनो चिन्ताक बात नहि अछि। वर्तमान मशीनी युग मे सय प्रतिशत शुद्धताक गारंटी तऽ हॉलमार्क गहना मे सेहो नहि अछि तऽ भला साहित्यकार आ पोथीक चयन मे शुद्धताक कोन गारंटी। ओना मैथिली साहित्यकारक ई परामर्शी दल एहि सॅ पहिने मैथिली युवा साहित्यकारक यात्राक नाम पर सेहो अपन जादुगरी देखा चुकल छथि। जँ परामर्शी अपन जादू नहि देखौताह तऽ दर्शक साहित्यकारक भीड़ कोना जुटत। खैर एहि यात्राक दरमियान पुरस्कारक सीजन सेहो अंतिम चरण मे छल मुदा एक बेर फेर साहित्य अकादमी मे मैथिलीक नाम रौशन भेल। मिथिलांचलक ठंडा सॅ दूर दक्षिण प्रदेशक शीत यात्रा पर मैथिली महिला साहित्यकारक संग परामर्शी दल सेहो रहल होयत मुदा विशेषज्ञ सभक फराक फराक रायक कारण परामर्शीक चकरा गेलाह आ पुरस्कारक लॉलीपापक कवर केँ नहि खोललनि।

शताब्दी वर्ष मे प्रकाशित होयत सय पोथी
बिहारक स्थापना शताब्दी वर्ष पर शिक्षा विभाग सय वर्ष सय पोथी नामक योजना बनौलक अछि। एहि योजनाक अंतर्गत विभाग नेना सभक लेल सय टा पोथी प्रकाशित करत। नेना सभ पर केन्द्रित एहि पोथी मे नेना सभ दुनियाँ, सामाजिक योद्धा आ नदी सॅ संबंधित रोचक कथा रहत। सभ कथा तीन सॅ चारि सय शब्द मे रहत। एहि वास्ते एकटा कार्यशाला सम्पन्न भेल जाहि मे नेना सभक लेल सृजनात्मक लेखन करय वाला सरकारी शिक्षक, स्वतंत्र बाल लेखक आ चित्रकार सहित 45 प्रतिभागी भाग लेलनि। एहि कार्यशाला मे प्रतिभागी सभ नव पाण्डुलिपिक रचना कयलनि अछि। संगहि विशिष्ठ लोकसभ सॅ सेहो कथा लिखैबाक योजना अछि। एहि सभ पोथीक लोकार्पण अगिला वर्ष बिहारक स्थापना दिवस पर आयोजित शताब्दी समारोह मे कयल जायत।
एहि मध्य शताब्दी समारोहक नव प्रतीक चिन्ह जारी कयल गेल अछि जकर लोकार्पण शिक्षा मंत्री पी के शाही कयलनि। ई प्रतीक चिन्ह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयक छात्र अपूर्व सुशांत निःशुल्क तैयार कयलनि अछि।



विधान परिषद्क शताब्दी वर्षक अवसर पर आयोजित होयत विशेष बैसक।
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बिहार विधान परिषद्क स्थापनाक शताब्दी वर्षक अवसर पर अगिला वर्ष विशेष सत्र आयोजित कयल जायत। 20 जनवरी 2012 केँ एक दिवसीय विशेष सत्र पटना कॉलेज मे आयोजित कयल जायत। 20 जनवरी 1913 केँ विधान परिषद्क पहिल सत्र पटना कॉलेज मे सम्पन्न भेल छल। सर वाल्टर मोरेक सभापतित्वक पहिल सत्र मे पांच बैसक भेल छल। एहि विशेष बैसक मे भाग लेबाक लेल सभापति ताराकांत झा बग्घी पर सवार भऽ बैसक स्थल पर जयताह। एहि मे परिषद्क सदस्यक संगहि पूर्व सदस्य केँ सेहो आमंत्रित कयल गेल अछि। बैसकक अवसर पर प्रसिद्ध गायक छज्जु लाल मिश्रक गायन सेहो होयत। परिषद्क गठन इंडियन काउंसिल एक्ट (18611909) क अन्तर्गत एकरा गर्वर्मेंट ऑफ बिहार-उड़ीसाक लेफ्टिनेंट गवर्नरक परिषद् कहल जाइत छल। 17 फरवरी 1921 केँ बिहार-उड़ीसा विधान परिषद् गठित कयल गेल छल। खादी संस्थाक विकासक लेल सरकार बनौलक योजना।


बिहार मे खादी ग्रामोद्योग संस्था सभक विकास
बिहार मे खादी ग्रामोद्योग संस्था सभक विकासक लेल उद्योग विभाग 57 करोड़ टाकाक विकास योजना बनौलक अछि। एहि योजनाक माध्यम सॅ प्रदेशक 85 खादी ग्रामोद्योग संस्थाक विकास मे मदति देल जायत। ई प्रस्ताव बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग संस्थाक विकास मे मदति देल जायत। ई प्रस्ताव बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड सरकार केँ देने छल। ई टाका अगिला मास खादी संस्था सभकेँ उपलब्ध करा देल जायत। बोर्ड अपन स्तर सॅ संस्थाक चयन कऽ ओकर विकास पर टाका खर्च करत। सरकार खादी ग्रामोद्योग संस्था मे अत्याधुनिक तकनीकक उपयोग पर जोर दऽ रहल अछि। विकास योजनाक अंतर्गत 14 हजार बुनकर केँ रोजगार देबाक प्रावधान कयल गेल अछि। बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्डक अध्यक्ष त्रिपुरारी शरण विकास योजनाक स्वीकृतिक पुष्टि करैत जनतब देलनि अछि जे विभाग द्वारा उपलब्ध कराओल गेल टाका सॅ अति आधुनिक मॉडल चरखाक खरीद कयल जायत। सरकारक योजनानुसार खादीक क्षेत्र मे अति आधुनिक तकनीकिक उपयोग सॅ खादी ग्रामोद्योग संस्था सभक तेजी सॅ विकास होयत। एहि सॅ खादी संस्था सँ जुड़ल लोक सभक सेहो आर्थिक विकास होयत आ हुनक परिवारक जीवन स्तर मे सेहो सुधार होयत।



    
ऐ रचनापर अपन मंतव्य ggajendra@videha.com पर पठाउ।
  १.प्रा.परमेश्वर कापड़ि- जनकपुरमे कथागोष्ठी सम्पन्न २.सुजितक अनुभव रिपोर्टर डायरीमे ३.सुमित आनन्द- मैथिलीशोध-पत्रिकाक लोकार्पण

१.
 
प्रा.परमेश्वर कापड़ि
गोष्ठी संयोजक
श्रीरामानन्द युवा क्लव, जनकपुरधाम
 
जनकपुरमे कथागोष्ठी सम्पन्न

श्रीरामानन्द युब क्लव जनकपुरधामक २६म् वार्षिकोत्सवक उपलक्ष्यमे मिति २०६८ पौष ४ गते १९ लिसम्वर सोमदिन प्राध्यपक परमेश्वर कापड़िक संयोजकत्वम सम्पन्न मैीथली कथाक परिवेश आ प्रवृति विमर्श विषयक एकदिवसीय कथा गोष्ठी, बहुते अर्थे विशिष्ट आ सब अर्थे उल्लेख्य रहल अछि ।
 
कार्यक्रमक आयोजकीय प्रवाह डेङी करीनक उछलैत आहर जकाँ आरिधूरके नङहैत तोड़ैत आनआन खेतके हानि नोकसानी नहि क’, सैतले सिटले, दमकलक पाइप सनके रहौक, जाहिसजै खेत, कियारीमे जतबे जेहन पानिक खगताबेगरता होइक, ततबे पाइन पटौक, एहन सनके, कार्यक्रमक उद्देश्य आ आयोजनक औचित्यके अनमन अनुशन्धान प्रारुपक साँचमे सँिचि,एना शब्दरुप देल गेल रहए
 
मैथिली कथाक परिवेश आ प्रवृति विमर्श

आजुक अपरिहार्य आवश्यकता अछिनेपालक मैथिली कथाक प्रभाव आ प्रभुत्वपर, एकर विस्तृत परिधि आ पहुँचके सन्दर्भमे, एकर परिवेश आ प्रकृतिपर जमिक’, जुटिकविमर्श करब ।
मैथिली कथाक ऐतिहासिकता आ रचनाधर्मिताक समग्र आयाम बहुत विस्तृत आ परम ऐतिहासिक रहनहुँ, एकर
पाठकीय समस्या तथा समीक्षात्मक मूल्याँकनक संकट,
बदलैत परिप्रेक्ष्यमे, मोह भंगक स्थितिवोध,
आधुनिक, उत्तरआधुनिकताक चुनौती आ मूल्य संक्रमणक स्थिति,
युग परिवत्र्तन आ परिवत्र्तित परिप्रेक्ष्यमे मूल्य संघर्षक दिशा,
प्रमाणिक परिवेश आ लोकसरोकारी आवाजक आवेग,
समयसंग साक्षात्कार आ सृजनात्मक रचना प्रक्रियापर, खुलिकबात करब ।
०००


एहि कथागोष्ठीक उद्देश्यक आवेग महत्वाकाँक्षी रहल अछि आ बहुत किछु उपलव्धीमूलक पाबए चाहैत अछि । एहनमे बड़ नीक रहत जे मैथिली कथाक

सामाजिक सन्दर्भ     - Social      Context      _

सांस्कृतिक सन्दर्भ     -Cultural               ''       _

राजनैतिक सन्दर्भ     { -Political              ''       _

वैचारिक सन्दर्भ - Ideological          ''       _
समसामयिक सन्दर्भ - Contemporaneous context _
प्राायोगिक सन्दर्भ - Experimental  context _ पर

ठाठसठठिक’, जमिकजाँघ जोड़िकएकठौहरी एकमुहरी भएकर समग्र मुद्दा आ विषयपरिदृशयके एहन सानिमथिकनिष्कर्षपर पहुँची जे एकर रचनाधर्मिता आ लेखनप्रक्रियाके समेकित ऊर्जा आ उत्साह दैक आ एकटा ठोस दिशानिर्देश ई पाबए ।
समकालीन मैथिली कथालेखनक अवलोकन आ पठित कथाके प्रतिक्रियात्मक टिप्पणीसकथाकारके रचनात्मक ऊर्जा आ विश्वास प्रदान करबाक हेतुए अपन धारणा सहित, अपन विचारात्मक निर्देशकीय भूमिकासउत्साहजनक स्थितिपरिस्तिथि निमार्ण करैत, गोष्ठीके ऐतिहासिकता प्रदान कएल जाय !


गोष्ठीक संयोजक प्रा. परमेश्वर कापड़िक अध्यक्ष्ता एवं नेपाल संगीत नाट्य प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्य प्राज्ञ रमेश रंजनक प्रमुख आतिथ्यमे सम्पन्न ओहि कथागोष्ठीक व्यवस्थापकीय सुसंचालन प्रा. श्याम शशि कएलन्हि ।
एके दर्जन कथा पाठ भसकनहुँ, कथासब उपराउपरीके तरहबे करए, दूदू तीनतीनटाककथा एकएक चक्रमे पाठ कएल जाइत छल आ पठित कथासबपर कमसकम दस÷दसटाकसुन्दर आ साधल प्रतिक्रिया, टिप्पणीसब अबैत छल जे कथके माजि चमकाकसुन्दर अर्थबता आ धारि दैत छल । ईएह शुभ बात आ भाव छल जे एहि गोष्ठीके सराहल गेल सएह नहि, एकर अनिवार्य खगता बेगरताके अगामीयो दिनमे देखैत एकर झमटगर निरन्तरताक आग्रही माङ सब मुहे कएल गेल ।
जिनकर जे कथा पाठ भेल ओ एना रहए
 
डा.सुरेन्द्र लाभ नोरक व्यथा
रमेश रंजन नियन्त्रण अनियन्त्रण
अयोध्यानाथ चौधरी मद्घम
श्याम शशि बयिया
बृज कुमार यादब करोट फेरैत समय
अशोक दत्त बेटी
सुजीत झा जिद्दी
नित्यानन्द मण्डल चौ
विजय दत्त मणि घटैत बढ़ैत शेखी
रोशन कुमार झा घर भाड़ा
धनश्याम झा पता नै की भेल !अलिखित )
अमरकान्त झा सेवा व्यस्त छ ( गप्प )

नेपालक विशिष्ट कथाकारकं उत्कृष्ट कथा जे विभिन्न माध्यमसप्राप्त भइयोकसमयाभाव आ जड़ाएल ठिठुरैत बिकठाह परिस्थितिक कारणे आ स्वंय कथाकार अपने उपस्थित नइ भसकने, पाठ आ समीक्षासबँचित रहि गेल । ओना नियारल बात ई स्वीकारल गेलै जे ब्लवसप्रकाशित हुअबला संकलनमे ओकरा अवश्य सामेल कएले जाएत । आ ओहन महामना कथाकारमेसछथि
 
रामभरोस कापड़ि भ्रमर
धर्मेन्द्र झा विह्वल
कृष्णशंकर मिश्र
चन्द्रकिशोर (बीरगंज)
देबेन्द्र मिश्र (राजविराज)
पुनम ठाकुर (राजविराज)
पुनम झा
कुमार पृथु
 
लौल आ कचोट अहू बातके रहि गेलै जे हिनको सबके कथा जँ एहि गोष्ठीमे आबि, अपन स्थान सृजनात्मकत, ऐतिहासिकता पाबि, कथासंसारके झमटगर बनबितए, सेहे नइ कथासमीक्षाके आओर उर्जाबान बना गोष्ठा्ीक गरिमाके आओर निखारितथि
 
डा. राजेन्द्र विमल
धीरेन्द्र प्रेमर्षी
रुपा झा
सुनिल मल्लिक
परमेश्वर कापड़ि, आदि ।
 
ओहू पानिके कथाकारलोकनि जँ रहितथि तसोनमे सुगन्ध लागि जईतए ।
 
समीक्षा आ टिप्पणीकर्तामे रमेश रञ्जन, सुदीप झा, श्याम शशि, अशोक दत्त, सुजित झा, अजय झा, अजय अनुरागी घनश्याम झा, रोशन झा, नित्यानन्द मंडल अमरचन्द्र अनिल अमरकान्त झा जीवनाथ चौधरी, परमेश्वर कापड़ि आदि रहैथ ।
 
असलमे अरकान्तक कथा गप्प आ घनश्यामक कथा अलिखित रहने तत्काल एकरा बागि बेरा दी तबाँकी दसेटा कथा ओहिमे जे पाठ भेल रहए ओ प्रतिनिधिमूलक आ समसामयिक तदशावतारी भाव धाराक, दशोदिशाक समयसन्दर्भसबहुत भेलपाँचक लागल । मैथिली कथाक अपन पहचान आ पहुँचयुक्त परम ऐतिहासिक विस्तृति रहल अवस्थामे एहि दशेगोट कथाक धार आ भाव खोजने, खोधियारने एकर विस्तृत परिधिक बहुत उच्च आयाम अवश्य देखाइ देत अछि ।
 
बहुत कथा बदलैत समाजिकसांस्कृतिक परिवेश आ राजनैतिक पृष्ठभूमिसखूब नीक जकाँ परिचित करबैत, जीवनक ऐतक लगक कथा रहए जे शब्दभाव निर्मित्त संंसार होइतहुँ समानान्तर जिनगीक प्रत्यथ आ प्रमाणिक वोध तकरएबे करए किछु कथा अपन आधुनिक सन्दर्भके, समसामयिक यथार्थक मुद्दाके खूब नीकजकाँ सम्बोधन करैत आक्रमक तावतेवरम,े परिवत्र्तन आ रुपान्तरणक पक्षमे, विष्फोटक रुपसआवाज दैत देखल गेल अछि ।
 
श्याम शशिक बगिया लोक श्याम नइ, लैपटौपधारी श्याम शशिक मुँहसकहल गेल कथामे लोकभाषा आ लोक मनोविज्ञानक अभाव रहनहँु, परम्परागत ओहि बगिया लोककथाके नवयुगीन सन्दर्भमे किछु फूट अभिप्रायक संग कहल गेल अछि आ ओहिमेके मनुषमारि, मरखौकी बूढ़िया आ ओकर बेटीके मारिकखिस्सा खतमक जे चमत्कारी कथा अछि, आबक लोकके ओ जे सुनाएल जाय त’, कहतै जे असली बगिया खिस्सा ईहे छै । एकर मूलमे नवयुगीन सन्दर्भ सहितक पाठान्तरक सोझ सपाट प्रभाव अछि आ प्रयोग एतसिझल सपरल अछि । डा. सुरेन्द्र लाभक नोरक व्यथा कथा नेतघटू निपनियाँ नेताक बेठुआ चरित्र आ मूल्यहीन किरदानीके धन्नीचुन्नी बखिया एहनकउघारैत देखाएल गेल अछि, जे सिहराककँपकपाकहाड़ हिलाकराखि देबबला नव मिथक गढ़ैत अछि । गर धएने समाजिक यथार्थके, सरोकारी लोक संवेगके, नव अकारप्रकारमे बढ़ैतबदलैत परिवेश आ परिवत्र्तनक परिप्रेक्ष्यसठोकराकनव आयाम कायम करैत युगवोधके बहुत साधलसिटल भाषाभावमे, उत्कृष्ट रुपसआवेगित संवेगित करैत बृजकुमार यादवक करोट फेरैत समय कथा मैथिलीक महनीय उपलव्धी मानले गेल ।
 
आनोआन कथासब उपराउपरीक रहबे करए, जकरा आधारपर जीनगीके जोख’–परेखआ समसामयिक सामाजिकसांस्कृतिक परिवेशक सम्पूर्णताके नापिताैिल अजमाक’, आ एकर साहित्यिक तथा कलात्मक भाषाभाव पक्षसमेल नइ खाइत ऐगुण उबानिपनके बागि बेराक’,आधुनिक विश्व परिप्रेक्ष्य आ समकालीनतासमेल खाइत दिशानिर्देश आ सृजनाऊर्जाक आवेग देबाक काज ओतए समीक्षात्मक टिप्पणीसबसभरि पोख भेटल रहैक ।
 
सबसमुनलबान्हल आ सम्हरल बात ओत ई स्वीकरल गेल जे एतबेटा, कठुआएल गोष्ठी जँ एतेक ऊर्जावाल, प्रमाणिक आ संवेगित संवाद उत्पन्न कसकैछ तआओर सम्हरल आ झमटगर गोष्ठी आओर उत्पादक आ उत्साहवर्धक रहत, तएँ एकरा निरन्तरता देव बहुत आवश्यक अछि ।

 

२.
सुजितक अनुभव रिपोर्टर डायरीमे
प्रस्तुतिः जितेन्द्र झा

जनकपुरधाममे हाल पत्रकारिता सक्रिय सुजीत कुमार झाक अनुभव आ विचारसभ समेटल रिपोर्टर डायरी नामक संस्मरण प्रकाशित भेल अछि । मैथिली भाषामे प्रकाशित एहि कृतिक प्रकाशक आफन्त नेपाल नामक गैर सरकारी संस्था अछि । ओ जनकपुरमे काज करबाक क्रममे रिपोर्टिंग, घुमफिर आदिके क्रममे कएल अनुभवके डायरीमे समेटने छथि । संस्मरणमे जनकपुरक आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक मुद्दासभके समेटबाक प्रयास कएल गेल अछि । लेखक मिथिला डट कम मैथिली पत्रिकाक सम्पादक छथि । डायरीमे संग्रहित संस्मरण डट कममे विभिन्न समयमे प्रकाशित भऽ चुकल अछि । प्रस्तुत अछि डायरीक किछु महत्वपुर्ण अंश ।

मैथिलीक विकास ट्रष्ट ः नाम उच्च काम तुच्छ
मिथिला नाट्य कला परिषदक २०६८ साउन महिनामे भेल साधारण सभामे मैथिली विकास ट्रष्ट कोषपर हम कसिकऽ बजलहु। हमरा एहिपर जोड देवाक आशय छल, एहि विषयपर बहस होइक । अहु दूआरे जे ओहि समारोहमे ट्रष्ट कोषक सदस्य सचिव आ दू गोट सदस्य उपस्थित छलथि । मुदा ओसभ किछु नहि वजलथि । किएक नहि वजलथि ? हमरा नहि बुझल अछि ।
ट्रष्ट कोष नहि चलला सँ ककरा फाइदा भऽ रहल अछि ? या त एकरा पूर्णतः बन्द कऽ देल जाए, नहि तऽ काज शुरु कएल जाए । एहि दूनुपर वहस आवश्यक अछि । बन्द करव कोनो दृष्टि सबढिया नहि हैत । एक तऽ मैथिलीक नामपर कतहु सपैसा अवैत नहि अछि, जँ एवो कएल तऽ काज नहि भेल आ पैसा फिर्ता चलि जाएत । एहि सँ दुर्भाग्य आओर की भऽ सकैत अछि !
मैथिली विकास ट्रष्ट कोषकेँ संयोजक छथि मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार डा.राजेन्द्र विमल, सदस्य सचिवमे नेपाल संगीत तथा नाट्य प्रज्ञा प्रतिष्ठानक प्राज्ञ रमेश रंजन, सदस्यमे पूर्वाञ्चल विश्व विद्यालयक उपकुलपति डा. रामावतार यादव, मिथिला नाट्य कला परिषदक अध्यक्ष सुनिल मल्लिक, नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक प्राज्ञ राम भरोष कापड़ि भ्रमर, जिल्ला विकास समिति धनुषाक पूर्व सभापति राम चरित्र साह, एकीकृत नेकपा माओवादीक नेता रोशन जनकपुरी, मिथिला राज्य संघर्ष समितिक संयोजक परमेश्वर कापड़ि आ रामानन्द युवा क्लवक पूर्व अध्यक्ष जीवनाथ चौधरी । ई सभ असफलताक मुंह कहियो देखवे नहि कएने छथि । हिनकासभक निष्ठापर प्रश्ने नहि उठाओल जा सकैत अछि । मुदा कोषके काज देखलापर मस्तिष्कमे वनल सभ प्रभाव समाप्त भऽ जाइत अछि । जिल्ला विकास समितिक कोषक ई हाल अछि तऽ सरकारक कोषके की हाल हैत ? मैथिलीक विकास किएक नहि भऽ रहल अछि । एकर छोट उदाहरण अहु सँ लेल जा सकैत अछि । किओे कहता पैसा नहि अछि तएं काज नहि होइत अछि । मुदा एहि ठाम तऽ पैसो अछि तैयो काज नहि भऽरहल अछि ।

के सुनत बेचनके राग ?
बेचन पासवान मिथिलाक चर्चित गायक । धनुषा होइ, महोत्तरी होइ वा काठमाण्डूए, सभ ठामक लोक हिनका चिन्हैत छन्हि । कनिकोमनिकोमे बेचन गीत गाबि देतोक सोँचि लोक हिनका बजालैत अछि । काठमाण्डूक बडका लोकसभके गीत सुनयकेँ मन भेल तऽ बेचनकेँ बजा लैत अछि । मुदा, बेचन आइ कोन अवस्थामे जी रहल छथि, ककरो नहि बुझल हैत । ओ पैसाक लेल घरघर भटकि रहल छथि । फुटल तबलाके छराबय हेतु देला महिनो भऽ गेल छन्हि । मुदा पैसा नहि छन्हि जे चमरा लग सँ तबला अनता । खायो पर आफत छन्हि । बिना साजक कें गीत सुनत ! बेचन आ गायक उदित नारायण झा मित्र रहथि । आर्थिक स्थिति तहिया दूनुकेँ समाने छल । काठमाण्डूमे कतेको ठाम दूनु सँगे गीत गएने छथि । काठमाण्डूमे संर्घष करैत काल बेचन नेतासभके चम्चागिरीकेँ प्राथमिकता देलन्हि आ उदित नारायण करियरकेँ । आइ उदित नारायण सँगे रहितथि तऽ बेचनोके एहन स्थिति नहि रहैत ?

घरघरमे दारु भठ्ठी !

धनुषा जिल्लामे अवैध दारुक भठ्ठी सञ्चालित अछि ई वात हमरा मात्र नहि बहुतो गोटेके बुझल अछि । गोरख यादवके सोहनी सिंगरजोरामे रहल भठ्ठी तोडयगेल पुलिस टोली सँग रिपोर्टिङ्गके लेल हमहुगेल छलहु। ओहि ठाम पुलिस दारुसभ नष्ट कऽ भठ्ठीमे आगि सेहो लगौने छल । मुदा एहिवेर धनुषाक धनौजी गबिसक धनौजी आ भररिया तहिना औरही कप्टौलमे दारु देखलहुत चकित रहि गेल छलहु। विश्वास नहि भऽ रहल अछि जे धनुषामे अवैध दारुक कारोवार एहि रुप सवढि गेल अछि । हमरा एहि तीनू गाममे जाय सपूर्व लगैत छल गोरख यादव, सवैलाक जयसवाल, इनरवाक राजा गोइत, फुलगामाक किछु व्यक्ति मात्र ई कारोवार करैत छथि । मुदा सत्य एहि सँ फरक अछि । कतेको घरमे पुलिस दारु नष्ट कएलक । ओ घर सभ बाहर सँ बहुत सम्भ्रान्त जकालगैत छल मुदा भितर गेलाकवाद किछु आओर छल । धनुषाक तत्कालीन प्रहरी उपरीक्षक दिनेश आमात्य टोलीक नेतृत्व कएलाक कारण दारु नष्ट करव औपचारिकता नहि रहि गेल छल । एकटा घरमे पुलिस दारु नष्ट करय लेल पहुचल तऽ गृहणी बरियातीकेँ पियावयके लेल दारु किन कऽ अनने जानकारी देलन्हि । मुदा भितर गेलाकवाद तऽ माहोले किछु आओर छल । ओहि घरमे मात्र पाँच सय लिटर सँ वेसी तैयारी दारु आ ओतवे संख्यामे कच्चा दारु भेटल छल ।



पत्रकारक चुनाव सुन्धारामे सुरापान

नेपाल पत्रकार महासंघक राष्ट्रिय अधिवेशन २०६८ बैशाख २०÷२१ गते सम्पन्न भेल । केन्द्रीय पार्षदक रुपमे हमहुसहभागी भेल छलहु। पार्षदक रुपमे हमर ई पहिल सहभागिता छल से नहि मुदा जे आनन्द एहिबेर लागल से कहियो नहि लागल छल । सुन्धारामे ठहरबाक व्यबस्था कएल गेल छल । सभ पत्रकारकेओहि एरियामे रखलाक कारण विशेषे चहलपहल होयव स्वभाविक छल । भोजन कएलाकवाद किछु गोटे, दाइ दोहरी हेर्न जाउ“ ..कहय बला सभ सेहो भेटलथि । चुनावमे भोट पएबाक लेल किछु गोटे मुह सपोलहा रहल छलथि तऽ किछु उम्मेदवार दारुकेबोतल लऽ कऽ आएल छलथि ।
काश हमहुदारु पिवैत रहितहुतऽ कतेक पिबतहु“ – कतेक । दिनमे टेक्सीपर काठमाण्डू घुमावयवला सभ सेहो भेटल । दोहरी डिस्को फाइव स्टारक भोजनक किछु गोटे मित्रसभ लाभ उठौलन्हि । ओहो सभ अपनअपन खेत बेच कऽ ओना कऽ रहल छलथि से नहि । हुनको सभकेकिओ आओर फण्डीङ्ग कएने छल । व्यापारी, तस्कर, गलत कमायवला नेतासभ दाता रहथि । काठमाण्डूमे लगैत छल एहिना भोट होइत रहितैक आ हमसभ ऐश करैत रहितहु। अपना आपकेसमीक्षा करैत छी तऽ काठमाण्डूमे वितायल आनन्द प्रश्न कऽ रहल अछि की पत्रकारक इहे काज अछि ? किए एतेक महग भऽ रहल अछि पत्रकारक चुनाव ? सभ्य समाजक कल्पना करयवला कलमजीविसभ स्वयं विकृति बढावयमे तऽ नहि लागल अछि । एक दू दिनक ऐश अरामलेल पत्रकारक संस्था बदनाम तऽ नहि भऽ रहल अछि ?




बैकुण्ठ जी, महन्थक गरिमा बुझियौ

रत्न सागर स्थानक छोटे महन्थ बैकुण्ठ दास २०६८ अखारमे जिल्ला अदालत धनुषाक एक न्यायधिशक निर्णय सँ भलेही साधारण तारेखमे
रिहा भऽ गेल होइथ मुदा समाज एखनो हुनका बहुतो केशमे अपराधी मानैत अछि । जाहि व्यक्तिकेदेखि कऽ मोनमे श्रद्धा जगवाक चाही ओ व्यक्तिकेदेखि कऽ लोककेडर लगैत अछि । हमरा जहिया बैकुण्ठ जी सपरिचय भेल छल त ओ कहलथि, ‘पाकिस्तान सँ डाक्टरी पढने छी ।डाक्टर भऽ कऽ बाबाजीबला काज कनीकाल लेल उटपटांग अवश्य लागल छल । हुनका जनकपुरक सर्वशक्तिमान होवयकेलालसा छन्हि । मन्दिरमे पैसाके कनेको अभाव नहि अछि । मुदा खेतपर खेत किया विका रहल अछि ? ओ अपन मन्दिरक जमीन बेचैतबेचैत जमीनक दलाल भऽ गेल छथि । कतेको मन्दिर जमीनक कारण बरबाद भेल अछि । फेर ओहन बरबाद करयमे किछु महन्थमे हुनको हाथ अबैत अछि । पहिने हुनका सभेट होइत छल तऽ ओ मन्दिरकेएना सुधार करव ओना सुधार करव कहैत छलाह मुदा बादमे बाबाजीसभपर टिप्पणी करय लगला । ओ पुलिससकेकर पकडाएबाक आ ककरो छोड़एबामे लागल रहल छथि ।
ओ न्यायालय केप्रभावित कऽ सकैत छथि । पत्रकारकेअपन पक्षमे लिखावय मात्रे नहि मिडिया हाउस सेहो खोलि सकैत छथि । हुनकर निवासमे दिनभरि चटुकारसभक भीड लागल रहैत अछि । ओ सभ चाहैत अछि बैकुण्ठ जी आओर जमीन बेचौथि, आओर दलाली करौथि, चटुकारितो करव आ ऐशो हैत । जनकपुरक बहुतो मन्दिर एखन घर वा दोकानमे परिणत भऽ गेल । इहो भऽ जाएत । चटुकारसभकेकोनो लेनादेना नहि अछि । सम्भवतः बैकुण्ठ जी विवाहो नहि कएने छथि । जे धियापुताकेबहुतो रुपैया छोड़ि कऽ जाइ एकर लोभ हेतन्हि । फलाके पीट, फलाके मार बला बात छोड़ि इम्हर ध्यान मात्र देला सदेखथुन कतेक प्रसन्नता होइत छन्हि ।

जनकपुरिया आम कत्तऽ गेल ?
जनकपुरमे उपलब्ध आमसभ जनकपुरक नहि रहैत अछि । एहि ठाम भारत सँ आएल आम प्रायः बिक्री होइत अछि । नेपालक कतहुँकतहुँ बिक्रियो भेल तऽ ओ उदयपुरक । जनकपुरक आम, बजार तक पहुँचिये नहि रहल अछि । एक समय छल जनकपुरक आम नेपालके सभ ठाम बिक्रिक लेल जाइत छल । कतेक व्यापारी तऽ भारत धरि सेहो सप्लाई करैत छल ।
२० वर्ष पूर्व एहि ठाम ततेक आम होइत छल जे व्यापारीसभ मालोमाल भऽजाइत छल । ओहि उमेरक सभ लोक देखने अछि । कहल जाइत छ्रैक मनुष्य की कुकुर नढिया सेहो आमक महिनामे मोटा जाइत छल ।
परिक्रमा सडक हुए वा जनकपुरजलेश्वर, जनकपुरढल्केबर, सभ सडकके बगलमे आमक गाछ रहैत छल । तिरहुतिया गाछी, पहाडी गाछीमे ततेक आम फरैत छल जे लोक तोड़ि नहि सकैत छल । राम मन्दिरकेँ आगामे रहल राम पार्कमे सेहो आमक गाछ छल । जानकी मन्दिरक पाछुमे राम बाग छल ओतहुँ विभिन्न जातिक पूmलक अतिरिक्त आमक गाछ छल । जनकपुरक सभ मन्दिरके अलगअलग आमक बगान छल ।
आम खाएकें लेल बहुतो लोक आमक महिनामे जनकपुर अबैत छल । मुदा आब नहि आमक बगान रहि गेल आ नहि आम । जनकपुर सँ बाहर जायबला बससभमे आम महिनामे आम भरल रहैत अछि मुदा ओ आम भारत सँ आएल रहैत अछि । काठमाण्डूमे जहिना बाहरके माछ राखि जनकपुरक माछ कहि ठकैती होइत अछि तहिना आमोमे ।

जुडशीतलके जोगाड
एहि सँ पहिने कहियो जुड़ शीतलमे थालमाटि नहि खेलने छलहुँ । पहिने थालक ठोप मात्र लगबैत छलहुँ । राम युवा कमिटी २ बर्षसँ थालमाटि खेलक कार्यक्रम रखैत आवि रहल अछि । ओना कही हमरे प्रयास सँ ई थालमाटि राखल गेल अछि । हम पहिने थालमाटिक रिपोर्टिङ्ग करबाक लेल धनुषाक गंगुली जाइत छलहुँ । कलाकार गुड्डु गंगुलीक नेतृत्वमे ओतय थालमाटिकेँ विशेष उत्सव होइत छल । एहि कार्यक्रमक सम्बन्धमे रामयुवा कमिटीक अध्यक्ष सोहन ठाकुरके आग्रह कएलिएन्हि जे राम युवा कमिटी सेहो एकर आयोजना किएक नहि करैत अछि ? एहि पर ओ सहमत भऽ गेलथि आ दू वर्षसँ ई पाबनि भऽ रहल अछि । कहियो ई पावनिकेँ पूरे मिथिलाञ्चलमे एक हप्ता पहिने सँ धुम रहैत छल मुदा सरकारी उदासिनता मात्र नहि एकरा समाप्त करबाक एकटा बडका प्रयास भेल । किछु वर्ष पूर्वधरि एहि दिन सँ नेपाालक एसएलसी परीक्षा शुरु होइत छल । जाहि सँ एहि पावनिकेँ बहुत हदधरि असर कएलक वा कही बसिया बड़ीभात खायमे सिमित कएलक । एकरा बचाबय परत । अहि पावनिमे रंग भरय परत । एक बेर फेर सँ मिथिलाकेँ शीतल शीतल करय परत ।

पैसा दिअ भोट लिअ
धनुषा निर्वाचन क्षेत्र नम्बर ५ क उपनिर्वाचनक प्रचारप्रसार कोना चलि रहल अछि, ई बुझबाक लेल २०६५ चैत १६ गते सखुवा महेन्द्रनगर पहुचल छलहुकी, तीनचारि गोटे हमरा लग आबि कहैत अछि, ‘भाइजी, कोन पार्टीक प्रचारमे आएल छियै ? हम सभ तऽ निर्णय कयने छी, जे बेसी पैसा देत ओकरे भोट देबै ।
पैसा ?’
। अहि बेर हम सभ खोलि कऽ पैसा मँगैत छियैक ।
इन्ट्रेष्टिङ्ग !
ओ सभ हमरा कोनो उम्मेदवार छी बुझिरहल छल । हम हुनका सभ सचाहलहुजे पैसा के की खेल भऽ रहल छैक से बुझबामे चलि आबए । तएबातके बढ़बैत हुनकँ सभ संगे रहल एक महिला सपुछलियन्हि, ‘की अहुके पैसा चाही ?’
ओ कनी क्रोधित होइत बजली, ‘किएक नहि, अहासभ जखन हमर भोट लऽ कऽ ढौआढाकी कमा सकैत छी तऽ किए नहि हम सभ पैसा मागु ?’
कतेक गोटे देलक अछि ?’ हमर जिज्ञासा पर ओ कहली, ‘प्रचार शुरु होबय सँ पहिने बहुत किछु सुनने छलहुजे फलामहासेठ, फलायादव, फलाडाक्टर ठाड़ भेल छैक । बहुते पैसा भेटत मुदा एकटा स्वतन्त्र उम्मेदवार पचास रुपैया देलक तकरबाद किओ नहि देलक अछि ।
ओ महिला सगे रहल एकटा वृद्धा सेहो हमरा दिस ललचायल मुद्रामे ताकि रहल छली । हमरा लागल जे हुनक मुखाकृति कहि रहल अछि जे हम हुनका बिड़ी पिय लेल सेहो जँ पैसा नहि देबैक तऽ ओ हमरा कपडा फारि देती । तथापि हम हुनका दिस तकैत पुछलहु“, ‘दाइ अहाके किओ पैसा देलक अछि की नहि ?’
एक दु गोटे कहलक अछि । मुदा की कहुअगो बेर ठैकि लेलक, अहुँ तऽ कम्तीमे एकरा सभके नहि ठकियौ ?’




 

सुमित आनन्द
मैथिलीशोध-पत्रिकाक लोकार्पण


मैथिली’ (शोध-पत्रिका) - 6 केर लोकार्पण दिनांक 24-12-2011 केँँ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालयक माननीय कुलपति डाँ एस. पी. सिंहक कर-कमलसँ विश्वविद्यालय मैथिली विभागमे भेल। ई शोध-पत्रिका महाकाव्यपर आधारित अछि जाहिमे पचास गोट विद्वानक शोधपरक आलेख संकलित अछि। एहि अंकमे महाकाव्यक सूचीक संग शोध-संबन्धी सूचना सेहो देल गेल अछि।
एहि अंकक लोकार्पण करैत माननीय कुलपति बजलाह जे स्नातकोत्तर विभागसँ शोध-पत्रिकाक प्रकाशन एकटा नीक परम्परा थिक जकर सभ ठाम प्रशंसा होएबाक चाही। ओ कहलनि जे मिथिलाक विभूतिपर सम्पूर्ण देश गौरवान्वित अछि आ मैथिलीक क्षेत्र धीरे-धीरे बढ़ैत जा रहल अछि। हमरा सभके ँ मिलि कए आगाँ बढ़ए पड़त। डॉ. रमण झाक संचालनमे आयोजित एहि कार्यक्रमक मुख्य अतिथि डॉ. सुरेश्वर झा बजलाह जे ई शोध-पत्रिका बहुत उपयोगी अछि। विभागाघ्यक्षा डॉ. वीणा ठाकुर आगत अतिथिके ँ स्वागत करैत संकेत देलनि जे अगिला अंक सेहो विशेषांके रहत मुदा शोधकर्त्ता लोकनिके ँ ध्यानमे रखैत हुनका लोकनिक शोधसँ सम्बद्ध आलेख सेहो आमंत्रित कएल जाएत। डॉ. भीमनाथ झा अन्य विभागक शोध-पत्रिकास ँ एकरा एकैस कहलनि संगहि उपयोगिताक दृष्टिए ँ एहिमे विभिन्न शोधपरक सामग्रीक समावेश करबाक परामर्श देलनि। डॉ. पं. शशिनाथ झा एहि शोध-पत्रिकामे तिरहुतामे लिखल आलेखक समावेश करबाक सेहो मन्तव्य देलनि। एहि अवसरपर डॉ. मित्रनाथ झा, डॉ. कृष्णचन्द्र झा मयंकएवं डॉ. धीरेन्द्र नाथ मिश्र सेहो अपन-अपन विचार रखलनि। समारोहमे अनेक गणमान्य व्यक्तिक संग-संग विभागीय शिक्षक डॉ. नीता झा एवं डॉ. विभूति चन्द्र झा तथा विभागक छात्र-छात्रा लोकनि सेहो उपस्थित रहथि।
कार्यक्रमक शुभारम्भ शोध-छात्रा कुमारी अमृता चौधरी तथा अर्चना कुमारी एवं एम. ए.क छात्रा शीतल कुमारी तथा सुनीता कुमारी द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरणस ँ भेल। प्रो. कृष्णानन्द मिश्र स्वागत गान प्रस्तुत कयलनि तथा कार्यक्रमक समापन डॉ. रमण झाक धन्यवाद ज्ञापनस ँ भेल।

 
 
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पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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