भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Tuesday, December 13, 2011

'विदेह' ९५ म अंक ०१ दिसम्बर २०११ (वर्ष ४ मास ४८ अंक ९५) PART_II


१.सत्यनारायण झा- पलट २.  जवाहर लाल कश्यप- अर्धसत्य

सत्यनारायण झा
पलट
बेटाक ब्याहक तैयारी मे लागल रही |पत्नीक संग बाजार सं डेरा पहुँचलौ |डेराक गेटक ताला खोलबाक प्रयास करय लगलौ |मोबाइल पर रिंग होमय लगलैक |ताला खोलब छोरि मोबाइलक स्क्रीन पर देखय लगैत छी |मन्नुक कॉल रहैन ||सोचय लगैत छी जे कतेक समयक बाद मन्नू फोन केलनि अछि |याद नहि परल जे एहि सं पहिने ओ कहिया फोन केने छलाह | पटना मे सासुर छनि |साल मे तीन चारि बेर अबैत जाइत रहैत छलाह मुदा कहियो कोनो संपर्क नहि केलनि ,अचानक फोन देखि भेल जे प्रायः धोखा सं नंबर डायल भगेल हेतनि ,तै पुनः ताला खोलय लगलौ | जहिना रूम मे पायर रखैत छी की लैंड लाइन पर फोनक घंटी फेर घन घनाय लागल |
हेलो ---? बाबूजी ,हम मन्नू गाँधी नगर सं बाजि रहल छी आ मन्नू जोर- जोर सं कानय लगलाह |हमरा भेल जे तीन चारि साल सं कोनो संपर्क नहि रखबाक कारणे पश्चातापे कना गेलनि अछि |आखिर हमहू तपितिये छियैन |
हमरा मन्नू सं कतेक स्नेह छल |ओहो कतेक शांत स्वभावक लोक छलाह |कतेक सुकुमार छलाह |बाजब तएहन रहनि जेना मिश्री घोरि कपीने रहथि | मन्नू सं बहुत लगाव छल |
मन्नुक ब्याह मन्नुक पिताश्री ठीक केलखीन्ह |  ब्याह जेतय ठीक भेल रहैक ओ कोनो तरहे ने मन्नू लेल आ ने परिवार लेल उपयुक्त रहैक, तै हम ओहि ब्याहक समर्थन मे नहि रही |ब्याह तदु परिवारक कड़ी कजोरैत छैक मुदा एहि ब्याह सं परिवार टूटबाक ख़तरा रहैक |बाद मे सैह भेलैक | हमर इच्छा रहय मन्नू एहि ब्याह करोकि देथि |मन्नू कोनो साधारण ब्यक्ति नहि छलाह |योग्य अभियंता छलाह |नीक आ बेजाय ओ बुझैत छलाह तथापि बियाहक लोभे ओ चुप भअपन मौन स्वीकृत ददेलखिन्ह | ओ नहि सोचलनि जे आखिर हमरा नहि मेकी निहितार्थ छैक | मन्नू सं जे आशा छल ओकर बिपरीति अपन रूप देखेलनि | मोन तृष्णा सं भरि गेल |मन्नुक ब्याह सं कात भगेलौ | आब तब्याहो ककइएक बरख भ गेलैक | मन्नू आ मन्नुक पिताश्री पलट सं संपर्क टूइ  ट गेल |मोन बहुत खिन्न रहैत छल |मुदा धीरे धीरे सभटा बिसरि गेलौ आ हमहू अपन काज मे लागि गेलौ | प्रारम्भ मे पलट सेहो हमरा सं दूरी बढ़ा लेलनि मुदा जखन एहि ब्याहक कुपरिणाम धीरे धीरे सामने आबय लगलनि तहन हुनका आँखि फुजलनि |आब बुझाय लगलनि जे भाई कियैक मना करैत रहथिन | आब कोन मुहें ओ हमरा सामने अओताह |लाजे दुरे रहैत छलाह |  कइएक ठाम बजैत छलाह जे भाईक बात नहि मानि अनर्थ कलेलौ | एक दु बेर फोनो केलाह मुदा हम अपना कदुरे रखलौ | कतेक स्नेह पलट सं छल | पलट हमरा सं दु बरखक  छोट छलाह | पलट एके मासक छलाह  माय मरि गेलखिन्ह |हमरे माय पलट कपालि पोशि कठाढ़ केलखिन्ह |पलट आ हमरा में कोनो अंतर नहि छल |पलटक पढाई लिखाई हमरा संगे भेलैक |एम्० कम० कपलट नीक प्रतिष्ठित शिक्षक बनि गेलाह |पलट सं अंतरंगता हमरा बच्चे सं छल |एके संग स्कूल जाइत छलौ |हर समय संग रहैत छलौ |पलटक उन्नति सं हमरा आत्म सुख भेटैत छल | मुदा मन्नुक ब्याह हमरा दुनूक बीच दूरी बढ़ा देलक |
हमरा जेना पलट सं वितृष्णा भगेल तै हम हटले रहैत छलौ |ओना पलट कहियो कअपन भौजी सं बात कलैत छलाह आ हमहू कहियो हिनका मना नहि करैत छलियैन | आखिर संबंधक डोरी त कतौ बान्हल रहैक जाहि सं हमरो आत्मसंतोष भेटैत छल |हिनके द्वारा पता चलइत छल पलट अपन पारिवारिक समस्या सं परेशान रहैत छलाह |
              मन्नू ककनैत देखि क्षण भरि तचुप रहलौ मुदा तत्क्षण कहलियैन ---मन्नू कियैक कनैत छी |जिनगी मे कतेक गलती होयत छैक |अहाँकपश्चाताप भेल ,बुझू सबटा गलती माफ भगेल | हम हुनका बुझबैत रहलियनि आ ओ आओर जोर जोर सं कनैत रहलाह |हम कहलियैन मन्नू चुप भजाउ | कहलनि ,चुप कोना भजाउ| पापा आब एहि दुनिया मे नहि रहलाह |-------------
जबरदस्त झटका लागल |पूरा शरीर थर थर काँपय लागल | पसीना देबय लागल |हृदय पर जेना बज्र खसि परल | की ?पलट आब दुनिया मे नहि छथि ?की भेलनि ?मात्र एतबे सुनलौ जे हार्ट अटैक भेलनि | अय सत्ते पलट चलि गेलाह |आब हुनका सं एहि जन्म मे भेट नहि होयत |मोनक बात मोने रहि गेल | पलट हमरा सं छोट छलाह ||हम जिबिते छी आ ओ एहि दुनिया सं चल गेलाह | ओ कहिया सं बीमार छलाह सेहो कहाँ बुझलियै |मोन कहम सम्हारि नहि सकलौ | लागल जेना आँखिक आगू अन्हार भगेल |तत्क्षण पलटक चेहरा दिमाग मे घुमय लागल |पलटक चालि ढालि ,बाजब भूकब सभटा चल चित्र जका आँखिक आगू घुमय लागल | भगबान की दय एहि संसार मे पलट कपठेलखिन्ह |ओ अपना जिनगी मे कतेक दुःख सहलनि ?हम आ ओ एक दोसर क पर्यायवाची छलौ |पलट हमर कतेक आत्मीय छलाह से पलट आई हमरा छोरि एहि दुनिया सं चलि  गेलाह |दुखक अथाह सागर मे डूबि गेलौ |बेटा ब्याहक सभ अरमान हवा मे उधिया गेल | बिछावन पर एकाएक खसि परलौ |बेहोश भगेलौ |घर मे सभ कडर भगेलैक |कियो बुझि नहि सकलैक जे हम केकरा सं गप्प करैत छलौ | ‘हुनकरआवाज सुनि सभ धीया पुता अगल बगल सं दौरल | सभ पूछय लागल मुदा हमरा आँखि सं अविरल अश्रुपात भरहल छल |मोन घूमि फिरि क पलटक चेहरा पर चल जाइत छल |जीवनक एक एक क्षण मानस पटल पर उभरय लागल |हृदयक गति असामान्य भगेल छल |संज्ञा शून्य भगेल रही |केकरो बातक जबाब नहि दैत छलियैक |एक टक सं शून्य मे तकैत रही |सभ कबुझा गेलैक जे कोनो पैघ दुर्घटना भेलैक अछि | सभ हमरा झकझोरि  पूछय लागल |की भेलैक ? बजइ कियैक नहि छी ?केकर फोन आयल अछि ?पत्नी जोर जोर सं हमर देह पकरि पुछय लगलीह | एक क्षण कलेल तंद्रा टुटल |कनेक होश भेल ?देखलियइ घर मे सभ बिचलित अछि | हमरा आँखि सं नोर रुकबाक नाम नहि लैत छल आ ओही अबस्था मे मुँह सं एक शब्द निकलल जे, पलट आब एहि दुनिया मे नहि छथि |हमरा सं ई शब्द निकलिते पूरा घर निःशब्द भगेल |सभ कजेना एके बेर काठ मारि देलकै |हमहू अपना क सम्हारि नहि सकलौ आ ओछावन पर बेहोश भखसि परलौ
|जखन होश भेल तदेखैत छी ,हम एकटा अस्पतालक बेड पर परल छी |लग मे कियो नहि छल |शुन्य दिस एक टक सं ताकि रहल छी |मानस पटल पर पलट देखा रहल छथि आ देखा रहल अछि पलटक सम्पूर्ण ब्यक्तित्व |छत दीस तकैत तकैत नींद भगेल | नींद मे जेना कियो कहि रहल अछि भाई अहाँ सुतल छी |हमरा दीस ताकू |लागल जेना नींद फुजि  गेल | आगू मे पलट ठाढ़ छलाह |केस पैघ पैघ ,दाढ़ी बढल ,मैल खटखट ,फाटल चिटल कपड़ा पहीरने | हाथ मे एक मुठ्ठी बालु ,आ बालू सं चेन्ह पारैत ओ बिदा भगेलाह | पाछू पाछू हमहूँ बिदा भेलौ | बहुत दुर गेलाक बाद जंगल आबि गेलैक | जंगल बहुत डरावना रहैक |बाघ ,सिंह प्रच्छन्न भघूमि रहल छलैक |पलटक पाछू पाछू हमहू आगा बढैत गेलौ | आगू बहुत पैघ पहाड़ रहैक | पहाड़ पार केलाक बाद एकटा कन्दरा भेटलैक | कन्दरा बड पिच्छर रहैक |ओकर बाद एकटा पैघ नदी अयलै|नदी मे  बहुत उफान रहैक | भसियाति भसियाति बहुत दुर गेलौ तेकर बाद पलट नदी मे डुबकी लगेलनि| हमहू हुनके पाछू पाछू डुबकी लगेलौ |कतेक कालक बाद एकटा मंदिर भेटल जेकर चारु दरबाजा फुजल रहैक |मंदिर खूब सजायल रहैक |चारु कात दीप जरैत रहैक |बीच मे स्वर्ण रचित  दुटा आसन लागल रहैक |हम आ पलट ओहि घर मे एक कोन मे ठाढ़ भेलौ | तखने एकटा चमत्कार भेलैक |जगतनंदनी लक्ष्मी जी संग हमर मातेश्वरी ओहि आसन्न पर बैस रहलीह | मातेश्वरी कदेखि हम तअबाक भगेलौ |मातेश्वरी  देखि पलट बजलाह | मातेश्वरी हम अहाँक भेट करय आयल छी | मातेश्वरी टुकुर टुकुर पलट दिस तकैत छलीह |मातेश्वरी अपना लग सं हमरा नहि हटाऊ | हमर जीबन आहाँ बिना शुन्य अछि | भाई कहम सेहो नेने आयल छी |ई कहि पलट जोर जोर सं कानय लगलाह | हमहू कानय लगलौ | सत्ते कानय लगलौ | कनैत हमर आँखि फुजि गेल |सामने पलटक निर्जीव शरीर परल छैक आ सभ लोक कानि रहल छैक |


 जवाहर लाल कश्यप
अर्धसत्य
( एकटा युवक इंटरभ्यु देबय लेल आँफिस मे प्रवेश करैत अछि /अप्पन बायोडाटा आँफिस मे बैसल व्यक्ति के दैत छथि /)
 व्यक्ति  ;  बायोडाटा दिस देखैत अहॉके नाम ?
 युवक  ;  देवकीनन्दन /
 व्यक्ति ; केवल;  देवकीनन्दन आओर कोनो सरनेम नहि? (ई कहि बायोडाटा पर नजर गडा दैत छथि) बायोडाटा मे पिताक नाम नहि अछि / केवल माता के नाम अछि देवकी ताहि कारण अहॉ  देवकीनन्दन
युवक  ;    जी  हॉ. .
व्यक्ति  ;   मुदा पिताक नाम आवश्यक अछि /
युवक  ;  ईसामसीह केर् माता मरियम के सब जनैत् अछि./ क्रिश्णक नाम   देवकीनन्दन  तखन हम्मर किएक नहि?
व्यक्ति  ;   ओ विशिष्ट व्यक्ति छथि / साधारण लेल पिताक नाम आवश्यक. . .
युवक  ;  (बीच मे टोकैत) हमरा पता अछि हम भारत मे रहि रहल छी, आर्याव्रत मे नहि /
 व्यक्ति  ;  हम नहि बुझलहुँ अहॉ कि कहय चाहैत छी/
युवक  ;   आर्याव्रतक अर्थ आर्यजतिक लोक के रहय वाला स्थान /चाहे ओ स्त्री हो वा पुरुष /ओहि समय समाज मे दुनु के समान स्थान प्राप्त छल, दुनु मे कोनो भेद नहि छल / कालांतर मे पुरुषवादी मानसिकता हावी भेल आ मात्रिभुमि के नाम एकटा पुरुष भरत के नाम पर राखि देल गेल (बीच मे सॉस लेवय लेल रुकैत अछि) हमरा पता अछि अहि तरहे जवाव देवा के कारण हमरा ई नौकरी नहि भेट सकैत अछि /मुदा हम पूर्ण सत्य के स्थान पर अर्धसत्य के स्वीकार नहि क सकैत छी /
  
ऐ रचनापर अपन मंतव्य ggajendra@videha.com पर पठाउ।
ओमप्रकाश झा                                                
  
डीहक जमीन

ट्रेन सकरी टीशन सँ फूजल आ पूब दिस घुसक' लागल। नरेश एकटा बोगी मे अपना सीट पर बैसल अपन गामक बात सब मोन पाडैत विचारमग्न भ' गेल। बहुत दिनक बाद ओ अपन गाम जा रहल छल। भरिसक १० बरखक बाद। ओ एखन भोपाल मे शिक्षा विभाग मे नौकरी करैत छल अधिकारीक पद पर। गाम जाय लेल चिकना टीशन उतरि क' जाय पडै छलै। सकरी तक बडी लाईनक ट्रेन चलैत अछि। ओतय सँ फेर छोटी लाईनक ट्रेन सँ। ओकरा बोगी मे पूरा लोक कोंचल छल। चारि पसिन्जरक सीट पर सात-आठ लोक बैसल छल। हो-हल्ला आओर गप-शप सँ पूरा डिब्बा मे कोलाहल जकाँ छलै। मुदा ओकर दिमाग मे अपन पुरनका दिन घुरिया लगलै। सबटा दृश्य चलचित्र जकाँ ओकर आँखिक आगाँ घूम' लगलै। ओ अपना केँ २० बरख पहिनुका स्कूल मे देख' लागल। बस्ता ल' के नित भोरे पाठशाला जेबाक दृश्य आगाँ मे नाच लगलै। ओकर पिता फेंकन मरड हरवाह छला आओर गाम मे भुटकुन बाबू ओतय खेतीक आ माल-जालक काज करै छला। किछ बटाई पर खेती सेहो करै छला। अपन जमीनक नाम पर पाँच कट्ठा खेतीक जमीन आ आठ धूरक घरारी छलैन्हि। हुनकर माय 'मरौनावाली' केर नाम सँ जानल जाईत छलीह। भरि दिन मरौनावाली भुटकुन बाबू ओतय घरेलू काज मे मदति करैत छलीह आ साँझे घर आबै छलीह। नरेश बच्चा छलाह आ भरि दिन एम्हर ओम्हर खेलाइत रहैत छलाह। एक दिन भुटकुन बाबू फेंकन केँ कहलखिन्ह जे नरेशवा भरि दिन टौआइत रहै छौ, कियाक नै ओकरा हमरा एहिठाम चरवाही मे पठा दैत छी। फेंकन बजलाह- "गिरहत, ई गप नै कहियौ, ओ एखन मात्र चारि बरख के छै। ओकरा अगिला बरख सँ स्कूल पठेबै।" भुटकुन बाबू व्यंग्य मे बजलाह- "तौं त' एतबे टा सँ हमरा एहिठाम चरवाही करै छलैं। तखन तोहर बाबू हरवाही करै छलखुन्ह, मोन छौ ने।" फेंकन कहलक- "जी ओ जमाना आब नै छै गिरहत। मरौनावाली एकदम जिद केने छै जे नरेशबा केँ स्कूल पठबियो। किछ दिन पहिने बिसेसर बाबू मास्टर साहब भेंटल छलाह। ओ कहलथि जे पढेनाई बड्ड जरूरी छै तैं नरेशबा केँ स्कूल पठाबहक।" भुटकुन बाबू- "जे तोहर इच्छा। हम त' तोरे दुआरे कहलियो। तोहर काज किछ हल्लुक भ' जइतो।" फेंकन- "गिरहत, हम जा धरि सकब, ता धरि अहाँ केँ काज करैत रहब।"
अगिला साल नरेशक नाम स्कूल मे लिखाओल गेल। नरेश पढै मे नीक छलाह आ जल्दिये मास्टर सबहक प्रिय भ' गेलाह। दसवीं बोर्ड मे ओकरा अस्सी प्रतिशत अंक आयल। ओ काओलेज मे पढै लेल दरिभंगा चलि आयल आओर ट्यूशन पढा केँ अपन खर्च निकालैत पढ' लागल। ओम्हर गाम मे फेंकन आओर मरौनावाली भुटकुन बाबूक काज मे लागल रहल। नरेशक पढाई पूरा भेलै आ मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोगक इम्तिहान पास क' के शिक्षा विभाग मे नौकरी भेंटलै। नियुक्ति पत्र गामक पता पर आयल छल आओर सौंसे गाम अनघोल भ' गेल रहै। ओहि दिन नरेश अपना केँ आकाश मे उडैत पाओलक। भुटकुन बाबू जे आब वृद्ध भ' गेल छलाह ओहो नरेश केँ बजा के आशीर्वाद देलखिन्ह। मरौनावाली त' कानैत बेहाल छल जे बेटा आब नजरि सँ दूर भ' जायत। किछ दिनक बाद नरेशक बियाह भ' गेलै। किछ दिन कनियाँ गामे मे रहलैन्हि। फेर जयबाक जिद क' देलकै। नरेश कनियाँ केँ ल' के भोपाल चलि गेल। मरौनावाली ओहि दिन बड्ड कानल रहै। नरेश अपन माता पिता कैँ संगे रहै लेल बहुत आग्रह केलक, मुदा फेंकन साफ मना क' देलकै। ओकर कहनाई रहै जे पुरखाक डीह छोडि नै जायब। नरेश कहलक जे ई आठ धूर डीह अहाँ केँ एतेक प्रिय भ' गेल जे अपन एकलौता संतान संगे रहै लेल तैयार नै छी। ओतय नाना प्रकारक सुविधाक गप सेहो नरेश कहलकै, मुदा फेंकन अपन जिद पर अडल रहलाह। मरौनावाली कनी जिद केलखिन्ह, ' फेंकन खिसिया गेला आओर कहलखिन्ह जे अहाँ चलि जाउ, हम असगरे रहब। मरौनावाली धर्मसंकट मे पडि गेली आ अंत मे गामे मे रहै केँ निर्णय लेलथि। नरेश नियमित रूप सँ गाम पाई पठबैत रहै आओर फेंकन के हरबाही जबरदस्ती छोडा देलक। फेंकन साल दू साल पर नरेश लग जाइत रहै छलाह आओर नरेश काजक अधिकता आओर बच्चा सबहक पढाई दुआरे गाम कहियो नै आबैत छलाह। आब मोबाइलक जमाना मे नरेश फेंकन केँ मोबाइल सेहो कीन देने छलखिन्ह, जाहि सँ ओ सब नियमित रूप सँ सम्पर्क मे रह' लगलाह। एक दिन फेंकन मोबाइल सँ नरेश केँ फोन केलखिन्ह आ कहलखिन्ह- "बौउआ, अपन डीह सँ सटल भुटकुन बाबू केर दू कट्ठा जमीन परती पडल छै। ओ ओहि जमीन केँ बेच' चाहैत छैथ। हमरा कहलैथ जे तौं ओ जमीन कीनब' ' हम तोरा पच्चीसे हजार मे द' देब'। बौउआ ओहि जमीनक कीमत चालीस हजार सँ कम नै छै। नीक मौका छै। पाई पठा दितहक त' हम तोरे नाम सँ वा तोहर कनियाँक नाम सँ जमीन कीन दितिय'।" नरेश चोट्टे खिसिया गेल आ बाजल- "हमरा गाम सँ कोनो मतलब नै अछि। अहाँ बलौं जमीन कीन' चाहै छी। हम त' सोचै छी जे आठ धूरक डीह आ पाँच कट्ठा खेतीवाला जमीन बेची आओर गाम सँ पिण्ड छोडाबी।" फेंकन- "हमरा जीबैत ई काज नै हेतौ। पुरखाक जमीन बेचबाक बात तोहर मोन मे कोना केँ एलौ। तू ओहि गाम सँ पिण्ड छोडेबाक गप करै छ, जतय नेना मे खेलेलह, जतुक्का पानि पीबि केँ नमहर भेल', जतय तोहर बाप-दादा केर सारा छ। तू डीहक नबका जमीन नै कीन, मुदा पुरनका बेचै केँ गप नै कर।" अस्तु नबका घरारी कीनबाक गप एतहि खतम भ' गेल।
एक दिन नरेशक बडकी बेटी सुनन्दा, जे चौथा मे पढै छल, नरेश केँ कहलक- "पापा, जेना हम अहाँ संगे रहै छी, अहूँ त' बच्चा मे बाबा संगे रहैत हैब।" नरेश- "हाँ, रहैत छलहुँ। सब रहैत अछि।" सुनन्दा- "अहाँ के सब गप मानैत हेता बाबा।" नरेश- "हाँ यथासम्भव मानैत छलाह।" सुनन्दा- "अहाँ बड्ड नीक छी पापा। हमर सब गप पूरा करै छी। हमहुँ नमहर भ' केँ अहाँक सब गप जरूर मानब।" ई कहैत ओ खेलाई लेल चलि गेल। ओकर अन्तिम वाक्य सुनि नरेश धक् रहि गेल। ओकरा अपन नेनपनक सब गप मोन पडय लागलै, जे कोना फेंकन फाटल धोती पहिरैत रहल, कोना मरौनावाली फाटल नुआ पहिरैत रहलीह, मुदा नरेशक पढाई मे कोनो बिथुत नै हुअ देलखिन्ह। एक बेर त' नरेश केँ फार्म आ किताब लेल पाँच सय टका भुटकुन बाबू सँ पैंच लेबा मे कोन कोन गप नै फेंकन केँ सुन' पडल छलै। नरेशक मोन मे विचारक तूफान उठि गेल। ओ घर सँ बाहर निकलि केँ घूम' लागल। घूमैत पार्क दिस चलि गेल। ओतय एकटा गाछ पर एकटा चिडै अपन बच्चा सब केँ चोंच मे दाना दैत छल। ओकर हृदय फाट' लागलै। पण्डितजी केर संस्कृतक कक्षा मोन पड' लागलै जाहि मे ओ "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसि" पर लगातार दू घन्टी पढबैत रहि गेल छलखिन्ह। ओ कक्षा नरेश केँ बड्ड नीक लागल रहै। कतेक दिन धरि ओ एहि श्लोकक पाठ करैत रहै छल। एहि विषय पर वाद विवाद प्रतियोगिता मे सेहो ओ नीक बाजल छल आओर जिला स्तर पर पुरस्कार सेहो भेंटल छलै। ओ एकटा निर्णय लेलक आओर डेरा आबि केँ कनियाँ सँ कहलक- "हमर अटैची तैयार क' दिय'। हम गाम जायब।" कनियाँ बाजलैथ- "इ की बाजै छी। ओतय एखन जा क' की करब? दस बरख सँ उपर भेल गाम गेला। के चिन्हत? बाबूजी सँ नित गप होयते अछि।" नरेश- "डीहक जमीन कीनै लेल जाइत छी।" कनियाँ- "इ कोन बतहपनी धेलक अहाँ केँ।" नरेश- "बताह त' एखन धरि छलहुँ। आब ठीक भ' गेलौं। जाहि मातृभूमि केर माटि-पानि सँ हमर देह पोसल अछि, जे मातृभूमि हमरा हमर पहचान देलक, ओकरा हम बिसरि गेल छलौं। माय-बाबूक आकांक्षा आ मनोरथ बिसरि गेल छलौं। एतय भोपाल मे सब सुविधा अछि, मुदा जे अपनैती हमरा गाम मे भेंटैत रहै तकर अभाव बुझाइत रहै ए। आब गाम साल मे एक बेर त' जरूर जायब।" कनियाँ कनी काल घमर्थन केलकैन्हि, मुदा हुनकर जिद आ दृढताक आगाँ चुप भ' गेलै।
एकाएक नरेशक भक् टूटल। बगलक यात्री, जिनका सँ सकरी मे परिचय भेल रहैन्हि, हुनका हिलबैत कहैत रहै जे श्रीमान् चिकना आबि गेलै, कतेक सुतब, उतरू नै त' ट्रेन फूजि जैत। मुस्की मारैत नरेश बजलाह- "नै यौ, आब जागि गेल छी। एखन धरि सुतल छलहुँ।" इ कहैत ओ टीशन पर उतरि गेल आ गाम दिस चलि देलक। डेग जेना हल्लुक भ' गेल रहै आ तुरन्ते गाम पहुँचि गेल। फेंकन एकाएक नरेश केँ देखलक त' आश्चर्य भेलै आओर मरौनावाली भरि पाँज मे बेटा केँ पकडि कान' लागल। नरेश फेंकन के गोर लागि केँ कहलक- "बाबू, हम आबि गेलौं डीहक जमीन कीनबाक अछि ने।"
साँझ मे दुनू बापूत भुटकुन बाबू लग गेलाह। भुटकुन बाबू नरेश केँ आशीर्वाद दैत कहलखिन्ह- "गाम केँ कोना बिसरि गेलहक?" नरेश- "नै बाबा, बिसरल नै छलौं, कतौ हरा गेल छलौं। आब आबि गेलौं। डीहक जमीन कीनै लेल।" भुटकुन बाबू हँसैत बजलाह- "चल काल्हिये रजिस्ट्री क' दैत छियो। पाई आगाँ पाँछा द' दिह'।" नरेश- "पाई आनने छी बाबा।"
साँझ मे फेंकनक छोट दलान लोक सँ भरल छल। मरौनावाली रहि रहि के चाह बनाबैत छल। नरेशक गाम मे आओर ओकर घर मे जेना पावनि-तिहारक चुहचुही छलै।


 
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१.मनोज झा मुक्ति- विद्यापति स्मृति समारोह वास्ते हमर दरभंगा यात्रा २. नरेन्‍द्र मि‍श्र ३.नवेंदु कुमार झा- मिथिला राज्यक विरोध मे उतरलाह डा॰ मिश्र/ पर्यटनक उद्योग पर सरकारक बढ़ल जोर विकसित होएत हलेश्वर पुनौरा आ पंथपाकर/ लोकायुक्तक मामिला मे सत्ता आ विपक्ष मे गतिरोध/ मनाओल गेल दरभंगा महाराजक जन्म दिवस/ प्रदेश मे खूजत पशु विश्वविद्यालय/ टाका नहि खर्च कएला पर बंद होएत आवंटन ४.प्रभात राय भट्ट- रोटी रोजीक खोजी

 मनोज झा मुक्ति
विद्यापति स्मृति समारोह वास्ते हमर दरभंगा यात्रा

एहिवेर विद्यापति स्मृति दिवसकलेल सरहद ओहिपारक यात्रा हमर आ हमर किछु मित्र सबहक पहिनहिसँ तय छल । जाहि अनुसारे पहिने विद्यापतिक जन्मस्थली मधुवनी जिल्लक विस्फी गाम हमर सबहक पहिल गन्तव्य छल ।

विस्फीमे त्रिदिवसीय विद्यापति स्मृति समारोहक आयोजना लगभग १० वर्षसँ होइत आएल अछि । ताँए हम आ हमर दूगोट मित्र महोत्तरी जिल्लाक पिपरा गामके दिनेश चौधरी आ शीतलाल साह) कार्तिक धवल एकादशीक दिन ३.०० बजे जलेश्वरसँ दूटा मोटर साइकलपर प्रस्थान केलहुँ । जलेश्वरमे अवस्थित रातो नदीक किनार होइत खुड़पेरिया बाटसँ हमसब सरहद ओहिपार भिट्ठागाम होइत हमसब आगा बढ़ैत गेलहुँ । सिमरी,कोरियाही,चरौत,साहरघाट होइत हमसब उच्चैठ भगवतिक स्थान अर्थात दूर्गास्थान पहुँचलहुँ । दूर्गास्थानमे विभिन्न विद्वान सभहक प्रतिमाके मोटर साइकलेपरसँ एकटा फोटो लैत हम सब आगा बढ़ैत गेलहुँ । आगा बढैत हमसब बेनिपट्टी पहुँचलहुँ । बेनिपट्टीक बीच बजारमे विद्यापतिक एकटा पुराने प्रतिमाक स्तम्भके सरिएवाक काज भऽरहल छल । बेनिपट्टीमे किछु जलखै कऽ आगा बढबाक विचारसँ हमसब अपन मोटरसाइकलकेँ किछुकालकलेल कात लगा बन्द केलहुँ । छपरियाक भुज्जा दोकानमे बैसि भुज्जा फँकलहुँ, पान खेलहुँ आ पुन ः हमर सबहक मोटर साइकल अपन गनतव्य दिस बढऽ लागल । संभवत ः ओ गाम अरेर छल, जतऽ एकटा बोर्ड टाँगल छल जाहिपर मूर्धन्य साहित्यकार, कवियात्रीजीक उत्सव मनाओल जेबाक सूचना देलगेल छल । दूर्भाग्यक बात जे सम्मेलनक दिन ओहिसँ एकदिन पहिने बितिगेल छल । मनके मसोह्रैत हमसब आगा बढलहुँ । आगा बाटमे रहिका गाम आएल । रहिकामे अबिते मैथिलीक एकगोट योद्धा स्व.चुनचुन मिश्रके याद आवि गेल । चुनचुन मिश्रक ओ व्यवहार मोन पड़ल जे एकबेर हम आ अनुज जितेन्द्र झा रहिका गेल छलौं, हूनकासँ भेंट होइते भरिपाँज कऽ धरैत हमरा सबके कहलाह जे कियो मैथिली कर्मीके हम देखैत छी त हमर छाती फुलि जाइत अछि । ओ मैथिली प्रति एतेक समर्पित छलाह से हूनक एहि वाक्यसँ सहजहिं अनुमान लगाओल जा सकैया–‘मैथिलीक काज केओ कतौ करैत छथि त हमर कान्ह मजबुत करैत छथि ।मोनहिमोन मैथिली पुत्र चुनचुनके श्रद्धाञ्जली दैत हमसब आगा बढलहुँ । बेर लुकझुकाए लागल छल । हमसब जिरो माइल पहुँचिकऽ ओतऽसँ पश्चिम विस्फीक बाट धएलहुँ । अन्हार भऽगेल छल मुदा सडक नीक होएबाक कारने हमरा सबके कनिको कठिनाई नहि भेल । विस्फी थानाक बगलमे धज्बा बजारपर रुकि पान खेलहुँ आ विस्फीए गामक काठमाण्डूमे काज कएनिहार मित्र भरत शर्माके दोकानदारेक मोबाइल माँगिकऽ फोन कएलहुँ । बातचितक बाद तय भेल जे पहिने विस्फीक गोबराही टोल जाई जतऽ मित्रक घर छल । हमसब गोबराही टोल पहुँचलहुँ । सबगोटे बहुत प्रसन्न भेलाह । विस्फी गोबराही टोलक लगभग ४०/५० गोटे ३०/३५ वर्षसँ काठमाण्डूमे काठक काज करैत छथि । काठमाण्डूमे हूनका सबहक अपने मजलिस छन्हि । ओसब कलाप्रेमी छथि, काठमाण्डूक शान्तिनगरमे होरीक कार्यक्रम हुए वा भजन किर्तन ओसब तत्पर रहैत छथि ।

खानपिन करैत ९.०० बाजिगेल छल । हमसब चारिटा मोटर साइकलपर विद्यापतिक डीहपर जेवाकलेल प्रस्थान केलहुँ । जखन डीहपर पहुँचलहुँ त भाषणभूषणक कार्यक्रम समाप्त भऽगेल छल आ विद्यापतिक जीवनपर आधारित विद्यापति फिल्म पर्दापर देखाओल जा रहल छल । आयोजकसँ जखन कार्यक्रमक सन्दर्भमे पुछल गेलनि त ओसब कहलाह जे प्रख्यात उद्घोषक एवं मैथिली एकादमीक अध्यक्ष कमलाकान्त जीक ग्रुपक प्रस्तुति आजुक राति तय छल, मुदा कालाकार सब नहि आबि सकलाक कारणे हूनक कार्यक्रम रद्द भऽगेलनि आ पर्दा चलाओल जा रहल अछि । काल्हि अर्थात धवल द्वादशीक रातिमे कवि गोष्ठी आ नाटकक कार्यक्रम अछि । हमसब किछुकाल विलमि ओतऽ स्मृति भवनमे रहल पुस्तकालयक आलमिराके देखऽ लगलहुँ, जतऽ एकौहुटा पुस्तक नहि छल । जिज्ञासा रखलापर जानकारी भेल जे पहिने लाखोसँ अधिक पुस्तक छल मुदा के,कहिया आ कतऽ लगेल से जानि नहि । फेरसँ पुस्तकालयक जोरजाममे लागल बात ओसब बतौलाह । रातिएमे पुन ः गोबराही टोल घुरि एलहुँ ।

प्रात भिने भोरे विद्यापतिक जन्म नगरी घुमबाक कार्यक्रम बनल । हमसब पैदल गाम घुरबाक विचारसँ १०
÷१२ गोटे भिनसरे निकलहुँ । गामक सब चौरि चाँचर देखिकऽ छाती फटैत जकाँ लगैछल, कारन एहिबेरुका बाढ़िसँ विस्फी लगायत परोपट्टा ४०/५० कोस धरि एक्कहु कनमा धान नहि रहिगेल छल । खेतमे धानक झुर्राठ ठाढ़ छल मुदा बालिमें छुच्छे खँखड़ी । किसान सब खेत खालि करेबालेल माथ हँसोथैत छल । हमसब बाढ़िसँ क्षतविक्षत विस्फी घुमिकऽ घर एलहुँ । पुन ः भोजन कऽ कमतौल स्टेशनसँ कनि दूरपर रहल अहिल्या स्थान आ गौतम मुनिक आश्रम, गौतम कुण्ड देखबाकलेल ३ टा मोटर साइकलपर ७ गोटे प्रस्थान केलहुँ । बाढ़िमे कमलाक लील देखैत अहिल्या स्थान पहुँचलहुँ जतऽ श्रीराम द्वारा गौतम मुनिक पत्नि अहिल्याके उद्धार कएलगेल छल ।

अहिल्या स्थानके जाहिरुपे विकास होएबाक चाही ओना नहि बुझि पड़ल । सरकारद्वारा स्थानक जमीनमे पावर हाउस बनाएब एवं स्थानीय वासीद्वारा सेहो स्थानक जमीन दख्खल करब स्थानके दयनीय अवस्था उजागर कऽरहल छल । मन्दिरके जर्जर अवस्था, अहिल्या कुण्डमे स्थानिय वासीद्वारा फैलाओल जाऽरहल गन्दगी कोनो यात्रीके मोन खिन्न कऽदेत । ओतऽसँ हमसब गौतम कुण्ड दिसि प्रस्थान केलहुँ । चारुकात बाढिसँ जलमग्न रहल भूमि आ बीचमे गौतम मुनिक आश्रम ।
बाढिक पानिक कारणे गौतम कुण्ड डुबले छल । गौतम कुण्डमे बनैत विशाल धर्मशाला एहि स्थानके सुन्दर भविष्य दिसि इशारा कऽ रहल छल । हमसब पुन ः घुरि एलहुँ विस्फीक गोबराही टोल । द्वादशीक रातिके कनि सबेरे हमसब डीह दिस प्रस्थान केलहुँ । ओतऽ कवि गोष्ठीक कार्यक्रम चालु छल । ताहिके बाद नाटकक कार्यक्रम शुरु भेल । एकटा कालाकार होएबाक नाते हमरो प्रस्तुति ओतऽ भेल । रातिमे विश्राम कऽ प्रात भिने अर्थात धवल त्रयोदसीक दिन भोरे मित्र दिनेश आ शीतलाल विशेष कारणवस नेपाल घुरि गेलाह । हम आ मित्र भरत एवं विजय दरिभंगाकलेल प्रस्थान केलहुँ । दरिभंगा स्टेशनके बगलमे रहल पैघ पोखरिक किनारपर अवस्थित एकटा काँलेजमे त्रिदिवसिय विद्यापति विभूति पर्व समारोहक आयोजना कएलगेल छल । पहिल दिन नेपालक दिसिसँ सुनिल यादव निर्देशित, राम भरोस कापडिकजनचेतनानाटक छल, त्रयोदशीक दिन कवि गोष्ठी आ पूर्णिमाक दिन रंगारंग मैथिली कार्यक्रमक कार्यक्रम राखल गेल छल । त्रयोदशीक दिन होमयबला कवि गोष्ठीमे कविसब पहिनहिंसँ आमन्त्रित छलाह । हमहुँ अपन एकटा कविता वाचन करबाक वास्ते गेल छलहुँ । मुदा आमन्त्रित कवि नहि भेलाक कारणे मौका भेटब कठीन छल । मुदा आतऽ प्रख्यात कालाकार एवं उद्घोषक राम सेवक ठाकुर भेटलाह, हुनका सब बात कहिलियैन त ओ आयोजक के हमर परिचय दैत मौका देवाक आग्रह केलखिन्ह आ हमरो मौका देल गेल । कवि गोष्ठीमे मैथिलीक वरिष्टवरिष्ट साहित्यकार, कविजी सबसँ साक्षात्कार होयबाक मौका भेटल । ओहि राति कूल ४८ टा कवि लोकनि अपनअपन रचना ओहि मञ्चपर प्रस्तुत कएने छलाह । मञ्चपर उद्घोषणक भार भेटल रहनिजनकजीके जे करमान लागल दर्शक÷श्रोताके लोटपोट कऽदेल्खिन्ह । रचना पाठ कएनिहार कविसाहित्यकार सबमे बालेश्वर मिश्र, कौशलेश, परमानन्द प्रभाकर, बबलु कुमार, चन्द्रेश, हजरत हाफी मन्नान, रामकुमार, रामराजा मिश्र, उमेश कर्ण, दिलिप, विष्णुदेव झा, शम्भूनाथ मिश्र, शम्भूजी सौरभ, विद्याधर मिश्र, दिनेश, अशोक कुमार मेहता, विभूति आनन्द, बुचनू पासवान,, अशोक झा, शंकर देव, महेन्द्र नारायण राम, डा.जय प्रकाश चौधरीजनकजी’, मन्जर सुलेमान, चन्द्रमणि सिंह, शैलेन्द्रानन्द, गणेश झा, जयजय गोपाल, चन्द्रमोहन झापड़वा’, बुद्धिनाथ झा बोकारो, डा.राजेन्द्र झा, डा.चन्द्रदेव झा, हरिश्चन्द्र झाहरित’, मनोज झा मुक्ति, सक्रु पासवान, दिलिप कुमार झा, टुनटुन झा, शम्भूकान्त झा, श्याम विहारी रायसरस’, शम्भूनाथ मिश्र, रमाजी, मणिकान्त झा, कश्यपजी, अमलेन्द्र शेखर पाठक, अशोक चंचल, धनिक मण्डल, विनय विश्ववन्धु, जय नारायण झा, गंगाप्रसाद झा, डा.आर.के. रमण, सन्तोष झा आ फूलचन्द्र झाप्रविण। दरभंगामे भेल विद्यापति विभूति पर्वकलेल सबसँ पैघ जँ कियो धन्यवादक पात्र छथि त वैजुकान्त चौधरी । कवि गोष्ठीक तुरत्तवाद मधुवनी ग्रुपक नाटक मञ्चन भेल । कविगोष्ठीक बाद हमसब दरिभंगाक लगेमे रहल गौंसाघाटपर भूतक आ भगताक मेला देखबाकलेल प्रस्थान कएलहुँ ।

 
नरेन्‍द्र मि‍श्र

दुर्गापूजा-2011 केर अवसरपर मैथि‍ली-नाटक मंचन भेल- अप्‍पन कर्मक फल
स्‍थान- दुर्गापूजाक मेला परि‍सर बेरमा (उत्तरवारि‍ पार) जि‍ला- मधुबनी

नाटककार- नरेन्‍द्र मि‍श्र
ि‍नर्देशक- माधव आनन्‍द आ नरेन्‍द्र मि‍श्र

पात्र-               कलाकार-            पि‍ताक नाओं-  पता-

1. भि‍षन भायजी         मंजल आलम            मो. मुशलीम,            बेरमा
2. कल्‍लू               वि‍जय झा              श्री प्रेमचन्‍द्र झा           बेरमा
3. शुकन               टोनी झा               स्‍व. मि‍थि‍लेश झा         बेरमा
4. चाहबला             धर्मेन्‍द्र मि‍श्र              श्री सदानंद मि‍श्र          बेरमा
5. कल्‍लू केर पत्नी        धर्मेन्‍द्र मि‍श्र             श्री सदानंद मि‍श्र          बेरमा
6. शराब दोकानदार       प्रमोद साहु              श्री गणेश साहु           बेरमा
7. समदि‍या             वि‍काश ठाकुर            श्री ब्रह्मदेव ठाकुर         बेरमा
8. चाेर-1              प्रमोद साहु                     श्री गणेश साहु           बेरमा
9. चोर-2              आशीष ठाकुर            श्री ललन ठाकुर          बेरमा
10. मुन-मुन काका        वि‍काश ठाकुर            श्री ब्रह्मदेव ठाकुर        बेरमा
11. मास्‍टरजी           माधव ठाकुर            स्‍व. बेचन ठाकुर          बेरमा

सहयोगकर्त्ता-

अमरेन्‍द्र मि‍श्र
मधुकान्‍त झा
ललन ठाकुर
लक्ष्‍मीकान्‍त झा
अंकि‍त ठाकुर
तबरेज आलम
ओमप्रकाश मण्‍डल
दीपक मण्‍डल
शि‍वम मण्‍डल
दि‍नेश मुखि‍या
शंकर पासवान
गुलशन अली
राघव मि‍श्र

नवेंदु कुमार झा
मिथिला राज्यक विरोध मे उतरलाह डा॰ मिश्र


मिथिलांचल के सभ दिन खतरा मिथिला पुत्र सॅ रहल अछि। स्वातंत्राक 64 वर्ष मे आधा समय बिहारक नेतृत्व मिथिला पुत्रक हाथ मे रहल मुदा मिथिलांचलक दुर्गति आ विकास सभक सोझा अछि। मिथिलांचल मे राजनीति रोटी सेकबाला मैथिलांचलक राजनीतिज्ञ मिथिला हितक रक्षाक समय स्वयं मुद्रा मे आबि जाति छथि। उ
Ÿार प्रदेशक मुख्यमंत्री मायावतीक छोट प्रदेशक घोषणाक बाद बिहारक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार छोट प्रदेशक समर्थनक बाद ई आशा जागल छल जे मिथिला पुत्र सभ एहि दिशा मे डेंग बढ़ौताह मुदा मिथिला आ मैथिलीक झण्डा उठैबाक ढाबा करएबाला नेता सभ राजनीतिक चुसनीक मजबूरी मे जाहित रहे अलग मिथिल राज्यक विरोध मे ठाढ़ भेला एहि सॅ हुनक राजनीतिक चरित्र सोझा आबि गेल अछि।
मिथिलाक सभ सॅ पैघ हितैषी कहए बाला बिहारक पूर्व मुख्यमंत्री डा॰ जगन्नाथ मिश्र अपन मुख्य मंत्रित्वकाल मे मैथिलीक उपेक्षाक उर्दू के प्रदेशक द्वितीय भाषाक दर्जा देलनि। विकासक नाम पर मिथिलाक कोना ठगलनि से तऽ हुनक प्रतिनिधित्व बाला झंझारपुर विधानसभा क्षेत्र के देखि कऽ सहजहि पता चलैत अछि। आ आब जिनगीक तेसर चरण मे बादो मिथिलाक विकासक परोक्ष एजेन्डा सॅ पाछा नहि हटि रहल छथि। एक दिस देश भरि मे छोट प्रदेशक लेल संघर्ष चलि रहल अछि आ मिथिला प्रदेशक लेल अनुकूल वातावरण बनैबाक समय आएल अछि तऽ डाक्टर मिश्र अलग मिथिला राज्यक विरोधक झण्डा उठा स
Ÿााक आगा अपन माथ झुका लेलनि अछि। दरअसल हुनक नजरि राज्य सभाक चुनाव पर अछि। अगिला वर्ष्ज्ञ राज्य सभाक कतेको सीट बिहार सॅ खाली भऽ रहल अछि आ डा॰ मिश्र एहि उम्मीद मे नीतीश कुमार के खुश करबाक लेल अलग मिथिला राज्यक विरोध मे उतरि गेलाह अछि। डा॰ मिश्र भने कतबो नाक रगरथि जदयू आ भाजपाक गठबंधन मे हुनका राज्य सभा देखबाक अक्सर भेटत एकर आशा कम अछि। डॉ॰ मिश्र राजनीतिक शक्तिक केन्द्र बनलाक दरमियान तऽ मिथिलाक उद्वारक लेल कोनो प्रयास तऽ नहिए कएलनि आ आब जखन उचित अवसर बुझि पड़ैत अछि तऽ मिथिलाक जन आंकाक्षा के गला दबऽ मे लागि गेलाह अछि।
दरअसल मिथिलाक ई दुर्भाग्य अछि जे प्रदेशक स
Ÿाा के सब सॅ बैसी दिन नेतृत्व करबा अवसर मिथिला पुत्र सभके भेटल मुदा विकास नहि होएबाक सौभाग्य मिथिलांचल के भेटला मिथिला राज्य आन्दोलन मिथ्लिांचलक नेताक लेल ‘‘राजनीतिक पर्यटन’’ बनि गेल अछि। एहि सॅ पहिने भाजपा सॅ निष्काषित भेलाक बाद पण्डित ताराकांत झा सेहो मिथिला राज्य अभियान चलौने छलाह। एकर राजनीतिक लाभ सेहो हुनका भेटल। पंडित झाक भाजपा मे आपसी बाद हुनका उच्च सदनक सदस्य बनाओल गेल आ संवैधानिक पद सेहो देल गेल अछि। लगैत अछि जे पंडित झा एहि मात्र एहि मादे मिथिला राज्य अभियान चलौने छलाह। पद भेटैत मिथिला राज्य अभ्यिानक हवा निकलि गेल आ एक बेर फेर मिथ्लिावासी आ मिथिलांचल ठगल गेल। केन्द्र मे राजग सरकारक मंत्री पद सॅ हटैलाक बाद भाजपाक प्रदेश अध्यक्ष डॉ॰ सी.पी. ठाकुर सेहो मैथिलीक संविधानक अष्टम् अनुसूची मे देबाक लेल दरभंगा, पटना आ दिल्ली धरि फोटो खिलौलनि। मैथिलीक मांग पूरा भेल। डॉ॰ ठाकुरक चापलूस मंडली एकर खूब प्रचार मिथिलांचल मे कएलक जेना मात्र किछुए मासक हुनक प्रयास सॅ ई सफल भेला एकर लाभ चापलूस मंडली वाम विचारक मिथिला राज्यक मठाधीश के भेल आ ओ वामपंथी सॅ दक्षिणपंथी भऽ गेलाह। भाजपाक वर्तमान कार्यकारिणी मे ओ विराजमान छथि। खैर, एहि बेर सभ सॅ मुखर विरोध डॉ॰ सी.पी. ठाकुर दिस सॅ भेल अछि तऽ पंडित ताराकांत झा मौन छथि। आब सभ राजनीति नेताक मिथिला प्रति हुनक सोच सोझा आबि गेल अछि तऽ जनताक सेहो अपन संकल्प एहि मिथिला विरोधी नेता सभक सोझा आनए पड़त। नहि तऽ जगत जननी मां सीता, लोरिक सलहेस, दीना भद्री, मंडन आ विद्यापतिक धरती एहिन कुहरेत रहत।
पर्यटनक उद्योग पर सरकारक बढ़ल जोर विकसित होएत हलेश्वर पुनौरा आ पंथपाकर

प्रदेश मे पर्यटनक संभावना के देखैत बिहार सरकार पूर्व राष्ट्रपति डा0 ए.पी.जे. अब्दुल कलामक सुझाव पर अमल करब प्रारंभ कऽ देलक अछि। सरकार पर्यटन उद्योग के बढ़ावा देबाक लेल कतेको योजना बनौलक अछि। सरकारक योजना जगत जननी मां सीता आ मर्यादा पुरुषो
Ÿाम श्रीराम सॅ प्रदेश मे जुड़ल जगह सभक रामायण सर्किटक रूप मे विकसित करबाक अछि। एहि वास्ते सीतामढ़ीक पुनौर हलेश्वर स्थान, पंथपाकर, बक्सर जिलाक रामजानकी मठ आ आन प्रमुख स्थान के विकसित कऽ एहि ठाम पर्यटन के आकर्षित करबाक योजना बनाओल गेल अछि। दोसर दिस आई मुख्य मंत्री नीतीश कुमार बिहारशरीफ मे आयोजित एकटा राष्ट्रीय सेमिनार मे सूफी सर्किट बनैबाक घोषणा सेहो कएलनि अछि। रामायण सर्किटक अंतर्गत प्राचीन शास्त्र मे मर्यादा पुरुषोŸाम श्रीरामक बरियातिक बिहारक जाहि जाहि जगह होइत मिथिला नरेश राजा जनकक घर पर पहूंचत ओहि सभ जगह आ जगत जननी सीता सॅ सरोकार राखए बाला जगह सभके पर्यटनक दृष्टि सॅ विकसित कएल जायत। वाल्मीकि रामायण आ राम चरितमानस मे सीता स्वयंवरक बाद श्री रामक बरियातीक मनोरम वर्ण प्रस्तुत कएल गेल अछि।
श्रीराम आ लक्ष्मण विश्वमित्रक संग अयोध्या सॅ हुनक आश्रम आयल छलाह। आ एहि ठाम सॅ विश्वामित्रक संग मिथिला नरेश द्वारा जगत जननीक विवाह वास्ते आयोजित स्वयंवर मे भाग लेने छलाह। श्रीराम एहि स्वयंवर मे शिवक धनुष तोड़ि जगत राजा जनकक संकल्प के साकार कएलनि आ राजा जनकक निमंत्रण पर अयोध्या सॅ राजा दशरथ श्रीरामक बरियाती लऽ मिथिला आएल छलाह। एहि क्रम मे प्रदेशक कतेको जगहक सॅ होइत मिथिला पहूचल छलाह। एहि मे सरयू गंगाक संगम छपरा से 8 किलोमीटर दूर सीधी, तारका वध करबाक स्थान चरित्रवन (बक्सर) गिरिव्रज (राजगीर) फतुहा, विशाला नगर (वैशाली) आदि श्री रामक बरियाती आ विश्वामित्रक संग शिक्षा ग्रहणक काल सॅ जुड़ल जगह अछि तऽ सीतामढ़ीक हलेश्वर स्थान जतए राजा जनक हर चलौने छलाह तऽ पुनौरा सीतामढ़ी मे माताक जन्म भेल छल। पंथपाकर सीतामढ़ी मे श्री रामक बरियाती रूकल छल। एहि मे दरभंगा जिलाक अहिल्या स्थान सेहो प्रमुख अछि जतए अहिल्याक उद्यार श्रीराम कएने छलाह। एहि ठाम गौतम ऋषिक आश्रम आ गौतम कुण्ड सेहो अछि। एहि सभ जगह के रामाण सर्किटक रूप मे विकसित कऽ प्रदेश मे पर्यटनक उद्योग के भजगूति देबाक सरकार कऽ रहल अछि। एहि दिशा मे सरकार डेग सेहो उठा देलक अछि। सीतामढ़ी हलेश्वर स्थान के विकसित करबाक लेल 47 लाख टाका आ बक्सरक रामजानकी मठ के विकसित करबाक लेल सेहो 52 लाख टाका जारी कऽ देल गेल अछि।


लोकायुक्तक मामिला मे सत्ता आ विपक्ष मे गतिरोध
 प्रदेश मे मजगूत लोकायुक्त बनैबाक लऽकऽ सरकार आ विपक्ष मे विरोधाभास सोझा आबि गेल अछि। एक दिस सरकारक प्रस्तावित विधेयक पर टीम अन्ना के विरोध पर सरकारक कड़गर प्रतिक्रिया आ दोसर दिस कॉग्रेस, भाकपा माले आ लोजपा सहित आन विपक्षी दलक एहि मामिला मे सरकार पर लगाओल जा रहल निशानाक मध्य एहि विधेयक पर आम जनता सॅ राय लेबाक समय सीमा आई समाप्त भऽ गेल। सरकार एहि विधेयक के बिहार विधान मंडलक शीतकालीन सत्रक दरमियान 7 दिसम्बर के प्रस्तुत करबाक लेल तैयार अछि। एहि विधेयक पर विचारक लेल 26 नवम्बर के सर्वदलीय बैसक सेहो आयोजित कएल गेल। आम लोक सॅ भेटल सुझाव आ सर्वदलीय बैसक मे आएल सुझाव पर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदीक अध्यक्षता बाला मंत्री समूह विचार कऽ एहि विधेयक के अंतिम रूप देत। मुख्यमंत्री के एकर अंतर्गत आनए आ लोकायुक्त नियुक्ति मे सरकारक हस्तक्षेपक बिन्दु पर सामान्य रूपे सभ सॅ बेसी आपति उठि रहल अछि। ओना सरकार स्पष्ट कएलक अछि जे सभ मामिला पर विचार कऽ एकटा मजगूत लोकायुक्त विधेयक आनल जाएत। दोसर दिस, मुख्यमंत्री के लोकायुक्तक दायरा मे अनबाक विरोध कड़ैत पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर जगन्नाथ मिश्र सरकार के खुश करबाक प्रयास कएलनि अछि जाहि सॅ कि दिल्लीक रास्ता खूजि सकए।


मनाओल गेल दरभंगा महाराजक जन्म दिवस

 महाराजा कामेश्वर सिंहक 105म जन्म दिवस पर दरभंगा मे समारोहपूर्वक मनाओल गेल। एहि अवसर पर प्रख्यात समाज शास्त्री आ जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालयक पूर्व प्रोफेसर डाक्टर दीपंकर गुप्ता ‘‘कामेश्वर स्मृति व्याख्यान माला’’ मे अपन व्याख्यान प्रस्तुत कएलनि। समरोह मे बिहारक पूर्व पुलिस महानिदेशक डी.एन. गौतम विशिष्ट अतिथि छलाह जखन कि सामाजिक विज्ञान अध्ययन केन्द्र कोलकाताक प्रोफेसर डाक्टर पी.के. बोस अध्यक्षता कएलनि। महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह कल्याणी फाउंडेशन द्वारा आयोजित एहि समारोहक जनतब दैत प्रबंधक ट्रस्टी डा0 हेतुकर झा जनौलनि जे एहि अवसर पर कामेश्वर सिंह बिहार हेरिटेज श्रृंखलाक अंतर्गत प्रकाशित पुस्तकक विमोचन सेहो कएल गेल।

प्रदेश मे खूजत पशु विश्वविद्यालय

प्रदेश मे वर्ष 2012 सॅ प्रारंभ होमए वाला आगिला पांच वर्षक लेल पशु आ मत्स्य संसाधन विभाग अपन रोड मैप तैयार कएल अछि। जाहि मे प्रदेश मे पशु विश्वविद्यालय, पशु मित्रक नियुक्ति आ कॉलेज खोलब प्राथमिकताक सूची मे अछि। पशु आ मत्स्य संसाधन विभाग सॅ भेटल जनतबक अनुसार प्रस्तावित पशु विश्वविद्यालयक अंतर्गत एकटा नव पशु महाविद्यालय, डेयरी महाविद्यालय आ मत्स्य महाविद्यालय खोलल जायत। विभाग पशु संसाधन, डेयरी आ एहि सॅ संबंधित आन क्षेत्रक विस्तृत पढ़ाई, आ शोध आदि पर 70,000 टाका अगिला पांच वर्ष मे खर्च करत। एकर अलावा प्रदेश सभ 8442 पंचायत मे पशु मित्रक बहाली होएत। पशु मित्रक चयनक बाद हुनका प्रशिक्षित कऽ अनुबंधक आधार पर नियुक्ति होएत। वर्ष 2012-13 मे 1720, वर्ष 2013-15 मे 1720 , वर्ष 2016-17 मे 1562 पशु मित्र के तकनीकि मदति उपलब्ध कराओल जाएत जाहि सॅ ओ किसान के मदति करबाक संगहि पशु चिकित्सालय आ प्रखंड स्तर पर पशु चिकित्सक के सहयोग करताह। विभागक रोड मैपक अनुसार दुग्ध उत्पादन समिति मे नीजि जन भागीदारी (पीपीपी) क आधार पर पशु चारा आ पाल्ट्र प्लांट प्रत्येक प्रखंड मे लगैबाक योजना अछि। पशु चारा आ पशुक प्रदेशक सभ अड़तीस जिला मे 3800 लाखक टाकाक खर्च सॅ आधुनिक पशु वद्यशाला सेहो खोलल जायत। पशु संस्थान के मजगूत कएल जायत प्रखंड पशु सेवा केन्द्र सभ 534 प्रखंड मे खोलल जायत जाहि पर 53400 लाख टाका खर्च होएत।


टाका नहि खर्च कएला पर बंद होएत आवंटन
 
राष्ट्रीय कृषि विकास योजनाक नहि खर्च करयवाला चीनी मिल मालिक सभके विŸाीय वर्ष 2011-12क लेल टाका आवंटित नहि कएल जायत। वर्ष 2010-11क लेल एहि योजना मद सॅ आवंटित टाका मे सॅ बगहा चीनी मिल मे 35.97 लाख, नरकटियागंज मे 41.72 लाख, रीगा मे 90 लाख, लौरिया मे 65.53 लाख, मझौलिया मे 17 लाख, प्रतापुर मे 72.49 लाख, सुगौली मे 56.56 लाख, सिधवलिया मे 46 लाख आ गोपालपुर चीनी मिल मे 19.68 लाख टाका बाचल अछि।

प्रभात राय भट्ट
रोटी रोजीक खोजी

नेपालक मधेस प्रान्तमे महोतरी जिलाक धिरापुर गामक बर्ष ३० भोला एकटा निम्नबर्गीय परिवामे 
जन्म लेलक, हुनक माए बाबु बड मुस्किलसँ मेहनत मजदूरी कऽ  भोलाक पालन-पोषण केलक, 
भोलाक माए-बाबु गरीब हेबाक कारण भोला प्रारम्भिको  शिक्षासँ वन्चित रहल। जेन-तेन समय 
बितैत गेल  समयानुसार भोला पैघ सेहो भऽ गेल !

समयक संग संग हुनक दाम्पत्य जीवनक शुभारम्भ सेहो भऽ गेलै, भरल जुवानीक अबस्थामे दाम्पत्य जीवनक 
रसास्वादन एवं आन्नदमे  पूर्ण रूपेण  डुबि गेलाह।

ओ अपन आर्थिक स्थितिकेँ नजैर अंदाज करैत गेलाह मुदा बिना अर्थसँ जीवनक गाड़ी कतेक दिन चलि सकैए !

 कनियाक सौख श्रींगारक सामिग्रीः भोजन भातक बेबस्था वृद्ध माए बाबुकेँ दबाइ दारू सभक अभाव चारू दिशसँ
अखड़ऽ लगलै।

तकर बाद भोलाकेँ अपन जिमेवारीक  बोध भेलै।

हुनका किछु नै सुझाइ  जे की करू  नै करू। राति दिन बेचारा भोला घरक लचरल बेबस्था देखि कऽ बड चिंतित 
रहऽ लागल ! एक दिन  अपन मिता सुरेश कापरकेँ अपन सभटा दु: सुनैलक ! सुरेश बड नीक सलाह देलकै-देखू मिता अइ नेपाल देशमे स्वरोजगारीक कोनो ब्यबस्था नै छै, पढलो लिखल मनुखकेँ नोकरी नै भेटै छैक तहन  हम अहाँ कोन जोकरक छी! हम एकैटा सलाह देब, सउदी अरब चलि जाउ, ओइ ठाम बड़ पैसा भेटै छैक, अहाँक सभटा दु:ख दूर भऽ जाएत। सुरेशक गप सुनि कऽ भोलाकेँ माथमे चक्कर देबऽ लगलै !!मुदा किछु देरक बाद भोला सहमती जनौलक आ सुरेशसँ बिदा लैत घर तरफ प्रस्थान केलक!
              
सुरेश घर पहुचैत बजैए- कनियाँ कतऽ गेली यै- हमरा बड़ जोरसँ भूख लागल अछि, किछु खाइले दिअ ने । कनियाँक कोनो जवाब नै एला उपरांत ओ भानस घरमे गेल। कनियाँकेँ देखलक। माथ हाथ धएने आ सिशैक सिशैक कऽ कानैत। अहां किए कनै छी यै अतराढंवाली? की भेल, किछु बाजब तब ने हम बुझबै! कनियाँ कहलकै....हम की बाजु आ बाजल बिनु रहलो नै जाइए, अहाँ जे कोनो काम धंधा नै करबै तहन ई चुल्हाचौका कोना चलत। एक पाउ चाबल छल जेकर मरसटका भात बना कऽ माए-बाबु आ बच्चा सभमे परसादी जकाँ बाँटि देलौं आ हम तँ उपबासो कऽ लेब मुदा अहाँकेँ तँ भूख बर्दास्त नै होइए तइसँ हमर छाती फटि रहल अछि मुदा अहाँकेँ तँ कोनो चिंता फिकिर रहबे ने करैए! तपेश्वर मालिक सेहो बड़ खिसिया कऽ द्वारपर सँ गेल। कहै छल जे ५०० टकाक हमर सूद ब्याज सहित २५००० भऽ गेल मुदा ई भोलबा अखन धरि देबऽ के नाम नै लैए।

हे यै अतराढंवाली, अहां आब जुनि चिंता  करू,  हमरापर भरोसा रखू। सभ ठीक भऽ जेतै। ई किछु दिनक दु:ख थीक। एकटा कहाबत छै जे भगवानक घरमे देर छै मुदा अंधेर नै। अतराढंवालीक मोन अति प्रसन्न भेलै आ झटसं पुछि बैठैए- आइयौ रामपुकारक पापा- ई की बात अछि जे अहां एतेक पुरुषार्थ वाला गप करैत छी? की बजली यए अतराढंवाली एकर मतलब अहुं हमरा निकम्मे बुझैत छी? तँ कान खोलि कऽ सुनि लिअ। हम आब सउदी अरबिया जा रहल छी  ढेर पैसा कमा कऽ अहां लेल भेजब! अतराढंवाली ई बात सुनिते घबरा गेल आ कहऽ लागल- की बज्लौं? कने फेरसं बाजु तँ। अहांकेँ जे मोनमे अबैए सएहे बाजि दैत छी। एहन बात आब बजैत नै होइब से कहि दै छी हम................

मोन तँ भोलाक सेहो उदास भऽ जाइए मुदा हिमत करि कऽ कनियाँकेँ समझाबक कोशिश करैए। देखियौ कनियाँ, हम जनैत छी जे हम कोनो काम धंधा नै करैत छी। तइयो अहां हमरासं खूब प्रेम करैत छी। आ हमहूँ अहां बिनु एकौ घडी नै रहि सकैत छी। ई सभटा जनैत बुझैत हम मजबूरी बस एहन निर्णय लेलहुं आ अइके अलाबा दुसर कोनो रस्तो नै अछि ! आखिर ई जीवन तँ प्रेम आ स्नेहसँ मात्र नै चलत। नै जीवनमे दुःख सुख भूख रोग शोक पीड़ा ब्यथा वेदना संवेदना प्रेम स्नेह विवाह बिदाई जीवन मृत्यु समाज सेवा घर परिवार इस्ट मित्र कर-कुटुंब नाता गोता मान सम्मान प्रतिष्ठा घर मकान, खेत खलिहान बगीचा मचान, सत्कार तिरिस्कार, मिलन बिछोड, ई सभटा जिनगीक अभिन्न अंग अछि, आ ई सभटाक जड़ि एकैटा थीक जेकर नाम अछि पैसा............तैँ हमरा परदेश जाहिटा पड़तै- अहां कनिको मोन मलाल नै करू सबहक प्रियतम पाहून परदेश खटै छैक ! हे-यौ रामपुकारक पापा। ई बात सुनि कऽ हमर छाती फटैए..तहन अहां बिनु हम कोना रहि सकै छी? नै नै, हमरा नै चाही पैसा कौड़ी महल मकान। हम नुने रोटी खेबै। सेहो नै भेटत तँ साग पात खायाकऽ जिनगी काटि लेब। कहैत भोलाकेँ भरि पांज पकड़ि कऽ सिशैक सिशैक नोर बहबैत कानऽ लागैए....मुदा भोला कुलदेवताकेँ सलामी राखैत माए-बाबुसं आशीर्वाद लैत घरसं प्रस्थान भऽ गेल.....................!

रोजी रोटिक खोजी भाग


भोला साउदी अरबक एकटा कंस्ट्रक्सन कम्पनीमे राइतक ११ बजे पहुंचल आ भिन्सरमे ७ बजे आफिसमे हाजिर भऽ गेल। कम्पनीक मैनेजर साहब भोलासं कबूलनामा कागजपर साइन करबौलक आ भोलाकेँ उक्त कबूलनामाक विवरण सुनौलक :-

१.मासिक वेतन ५०० रियाल ड्यूटी ८ घण्टा २.करार अवधि ३ वर्ष !

भोला ई बात सुनि कऽ हतप्रभ भऽ गेल जेना मानू भोलाक माथपर बज्रपात गिर गेल। फेर भोला अपने आपकेँ सम्हारैत मैनेजर साहबसं कहलक- नेपालक मेनपावरक कबूलनामा अनुसार हमर पगार ६०० रियाल + खाना +२०० ओभर टाइम आ दू वर्षमे ३ मासक छुटीक सर्त भेल छल। मुदा मैनेजर भोलाक एकोटा बात नै सुनलक। तहन भोला कहलक हम सुखा ५०० मे काम नै करब। २०० खानामे खर्च भऽ जाएत। बचत ३०० रियाल ३०० रियालक नेपाली टाका ६०० हजार मात्र होइत अछि। तइ हेतु हमरा वापस भेज दिअ! मैनेजर भोलाक सामने साम दंड भेदक सूत्र अनुसरण करैत कड़ा रूपसं प्रस्तुत भेल। बेचारा भोला मैनेजरकेँ चंडाल रूप आ कड़ा चेताबनीक सामने निरीह बनि गेल आ काम करबा लेल तैयार भऽ गेल!
             
भोला अपन भाग्यक साथ समझौता करैत कम्पनीक काजमे इमानदारी पुर्बक सरिक भऽ गेल, मुदा महिना लागैत पगार हाथमे आबिते भोला हिसाब किताबमे लागि जाइत छल। खाना नास्ताक खर्च निकालैत बाद मुस्किलसं ३०० रियाल बचैक। आब भोला घरक बारेमे सोचै लागल। ३०० रियालक सिर्फ ६००० नेपाली होइत अछि जाइसं घर परिवार चलत की रु.१००००० कर्जा सधत जेकर सिर्फ ब्याज ३०० हजार चलि रहल अछि। यएह बात सोचैत सोचैत प्रात: भऽ गेल। फेर बेचारा भोला अपन दैनिक काम काजमे तटस्थ रूपसं लागि जाए। यएह क्रम लगभग ५/६ महिना चलैत गेल। तेकर बाद भोला किछु टाका घर भेजलक, जइसं हुनक घर खर्च चलि रहल छल! १ साल बितला बाद भोलाक घरसं चिठ्ठी आएल। भोला उक्त चिठ्ठी पढ़ि कऽ मर्माहित भऽ गेल। चिठ्ठीमे लिखल रहैक- रामपुकारक बाबु घरक स्थिति बड़ नाजुक अबस्थासं गुजरि रहल अछि आ अहां जे कर्जा लऽ कऽ गेल छी ओकर ब्याज ३६०० हजार भऽ गेल। महाजन आएल छल। कहि कऽ गेल जे आब मूल धन रु. १३६००० भऽ गेल। ऐ बातपर ध्यान दिअ।

भोला चिठ्ठी पढैत फेर घरक चिंतामे डुबि गेल। कर्जा कोना सधत?  भोलाकेँ उदास देख हुनक संघतिया पुछि बैठल। आइयो मिता अहां एना सदिखन एतेक उदास किए रहैत छी यौ?  भोलाक ध्यान भंग भेल आ संघतियाकेँ अपन सभटा दु:ख सुनौलक! संघतिया हाथमे खैनी मलैत कहलक- रुकू, कने ई खैनी खाय दिअ, तहन हम कुनु उपाय बताबै छी। खैनी ठोरमे धरैत झटसं एकटा गप भोलाकेँ सुनौलक। देखू हम जे कहैत छी से ध्यानसं सुनू। चुप-चाप हम आर अहां दुनु गोटे ई कम्पनी छोड़ि कऽ भागि चलू। कतौ दोसर ठाम जतए नीक कमाइ होइत होइक! मुदा भोलाकेँ संघतियाक गप कनियो निक नै लागल। भोला कहलक- देखू ई दोसरक देसमे भागि कऽ कतए जाएब। कहीं देहि नै भऽ गेल तहन के मदत करत आ दोसर ऐ देसक कानून बड़ कडा छैक। पकड़ा गेलापर जेलमे चक्की चलबऽ पड़त। तहन धोबीक कुत्ता नै घर नै घाटक। होइत अछि से बुझि लिअ।  हम तँहि नै जाएब। अहाँ जाएब तँ जाउ !
             
भोला फेर अपन काम काजमे जुइट गेल आ भोलाक संघतिया मासिक १५०० पगारमे दोसर ठाम काम करै लागल। देखते देखते दुइ साल बित गेल ! भोलाक घरसं फेर एकटा चिठ्ठी आएल। भोला चिठ्ठी पढ़लक। चिठ्ठी पढ़ि कऽ खुसी होमय बजाय पुनः उदास भऽ गेल आ गंभीर सोचमे डुबि गेल। भोलाकेँ सभसँ बड़का परेशानी रहैक कर्जा, जे ओ साउदी आबऽ बेरमे लेने रहैक। भोला सोचलक जे एतबा न्यूनतम पगारमे कर्जा कोना सधत। अंतत: भोला कम्पनी छोड़ि भागऽक निर्णय लेलक! भोला कम्पनीसं भागि संघतियाक कम्पनीमे चलि गेल आ मासिक १५०० सय पर काज करै लागल। भोला ५ महिनामे रु १००००० टाका घर सेहो भेज देलक आ कनियासं फोन मार्फत गप केलक। कनियासं कहलक- ई एक लाख टाका महाजनक खतामे जमा कऽ दिअ। आ हुनका कहि दिअ जे   महिनाक बाद हम हुनकर सभटा पाइ चुकता कऽ देबै! आब भोला किछु प्रसन्न मुद्रामे रहै लागल आ अति प्रसन्नताक साथ सोचै लागल। लोक ठीक कहैत छै जे भगवानक घर देर छै मुदा अंधेर नै। आब हमरो बिपतिक घडी टड़ि रहल अछि मुदा बेचारा भोलाकेँ की पता जे भाग्य रेखा कियो नै देखने छैक। कखन की हेतै से मनुखक कल्पनासं बहुत दूरक चीज छैक। समयचक्र कखन कुन रूप लेत ई एकैटा परमात्मा जनैत छथि! बड़ मुस्किलसं भोलाक ठोरपर मुस्कान आएल छल मुदा दैबकेँ ई रास नै एलै। भोलाक जीवनमे तेज गतिसं एकटा बड़ भारी बज्रपातक आगमन भेलै। भोला अपन ड्यूटी खतम कऽ डेरा तरफ जाइके क्रममे रोड पार करैत समयमे भोलाक देहपर तेज गतिमे कालरुपी एकटा गाड़ी चढ़ि गेल। भोला जीवन आ मृत्युक बिच एक घण्टा लादैत रहल। अंतत: भोला अपन  चेतना गुमा बैठल। ताइ समयमे उद्धार टोली आबि कऽ भोलाकेँ अस्पतालमे भरती कऽ देलक! ऐ दुखद घटनाक २० दिन बाद भोलाक घरमे खबड़ि गेल जे भोला आब ऐ दुनियामे नै रहि गेल। रोड एक्सीडेंटमे हुनक मृत्यु भऽ गेल। ई बात सुनैत बेचारी भोलाक कनिया मूर्छित पड़ि गेल आ गाम घरक महिला सब भोला कनियाक चूड़ी फोड़ि मांगक सिंदूर धोबि विधवा बनाबक काजमे एकमत भऽ गेल।  तखने समाजसेवी एकटा महिला ऐ बातक घोर विरोध केलनि आ सब महिलाकेँ सम्झौलन- जा धरि कुनु ठोस पुष्टि नै भेटैए ताधरि रूकि जाउ। कहीं ई समाचार गलत होइक आ भोला जिन्दा होइक! गायत्री देवी जीक सुपुत्र प्रभात राय सेहो साउदी अरबमे रहथि ओ फोन सं सभटा बात सुनैलथि आ प्रभात राय अस्वासन देलथि जे अहां सभ हमर फ़ोनक प्रतीक्षामे रहू हम अखने वास्तविकता की अछि से कहै छी।

प्रभात भोलाक घटना प्रति जानकारी हासिल करैमे लागि गेल! अस्पताल, पुलिस, एम्बुलेंस, ट्राफ्फिक सभ ठाम पता लगौलाक बाद प्रभातक मेहनत रंग लौलक। भोलाकेँ जिबिते अबस्थामे रियाद स्थित एकटा अस्पतालक कोमामे भरना भेल देखलक। प्रभात तुरत गाममे फोनसँ आँखि देखल पुख्ता जानकारी देलन्हि। ई बात सुनैत धिरापुर गाममे हर्सौल्लासक माहौल बनल आ गामक सबलोक प्रभातकेँ धन्यबाद दैत एकटा विनम्र अनुरोध केलथि। जते खर्चा लागतै हम सभ चंदा उठा कऽ देब मुदा भोलाक जान बचा दियौ! प्रभात अस्वासन देलथि, अहां सभ जुनि चिंता करी, हमरासं जते बनि पड़त हम जरुर करब। आब भोलाक उद्धार कार्यमे प्रभात दिन राति एक कऽ देलक। तीन मासक बाद भोला अर्धचेतन अबस्थामे आएल। फेर एक महिना उपचारक बाबजूदो किछु आंशिक सुधार मात्र भेल। एम्हर अस्प्तालक खर्च सेहो जीवन बीमाक हद पार कऽ गेल। प्रभातक प्रयासमे भोलाकेँ बैधानिक कम्पनी आ जीवन बीमा अस्पतालक खर्च चुकता केलाक बाद डिस्चार्ज भेल आ नेपाल पठाउल गेल! भोलाकेँ जिबिते अबस्थामे गाम आबक खबरि सुनि कऽ भोलाकेँ परिवार लगाइत समूचा गामक लोक एकबेर पुनः खुश भेल। २ दिनक बाद भोला अपन मातृभूमिमे पहुंचल आ सबहक प्रतीक्षाक घड़ी ख़त्म भेल! भोलाकेँ जीवित देखैला समूचा गामक लोक आबि गेल मुदा भोला ई सभ बातसं बहुत दूर जा चुकल रहैक। ओ ऐ काबिल नै रहैक जे किनकोसं मिलनक खुसी बाँटि सकए। भोलाकेँ अपंग आ अर्धचेतन अबस्था देख सभक मुहसं आह निकलि गेलै! भोलाक कनिया अपन सोहागरूपी पति परमेश्वरकेँ अपंगो अबस्थामे भेट गेलै तेँ खुसी जरुर भेलै मुदा किछु दिन बाद अतराढवालीक लेल ओकर सोहाग एकटा दीर्घकालीन बोझ बनि गेलै, ओइ बोझक भार उठेनाइ बड़ मुस्किल भऽ रहल छै, किए तेँ आजीवन अपंग आ अर्धपागल रही गेलाह !!

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३. पद्य










३.७.१.डॉ॰ शशिधर कुमर २ नवीन कुमार "आशा"

१.गुलसारिका २. भावना नवीन

गुलसारिका,  भोपाल
बांहि केर डारि सँ खसला पर
जँ देह में खोंच लागियो जाए त
संतोख अछि
सम्हारबाक चेष्टा त कएलहुँ अहाँ
भरिसक हमरे जकाँ अहिना
कोनो युग में
धरा उधियाएल होएतीह
आ अम्बर हुनक डेन धरबाक चेष्टा मे
हुनकहिं उपर ओंघरा गएल होएताह
क्षितिज देखि त अहिना लगैये
क्षितिज भ्रम नहिं
अनुपम सत्य थिक
किएक त क्षितजक पार
कोनहुँ सत नहिं कोनहुँ असत नहि
सृष्टि नहिं ब्रम्हांड नहिं अतः
विध्वंसो नहिं
तें हमर हे सनातन अधिष्ठाता
तर्क छोड़ू
तर्कक गाछ पर सिद्धांक फॉड़ पकै छै
सेहो आस्था विश्वास आ प्रेमक पात
झड़ि गेलाक बाद
तें आब जखन हम प्रश्नशून्य छी
त आँखिक आगू
उत्तरोत्तर उत्तरक बाढि अछि
भसिया ने जाई तें
आँखि मुनने स्वयं मे लीन
संकल्प दोहरबति छी ठाढि
जे आब एकहु डेग आगाँ नहि
एकहु डेग पाछाँ नहि अहीं त छी हमर पूर्णविराम
 
 
जाहि वयस हमर बहिना फूल लोढ़ै छलीह
केसक जुट्टी में हम तारा गुहलहुँ
जाहि वयस हमर बहिना गौर पुजलनि
हमहुँ अपन सीथ मे सेनुरक बान्ह बन्हलहुँ
ओ ईनार सँ हम अकासगंगा सँ
घैलक घैल भरलहुँ तैयो
रौदीमे जेना पियास सुखा गेल आ
आ साओनमे आँखिक धरनि चूबए लागल
एहि बेरका जाड़ सोचने छी किछु आर
हमर बहिना सुएटर बुनतीह
हम दू जोड़ बाँहि आ एक जोड़ साँस बुनब
 

                                             
भावना नवीन
ग़ज़ल
जिनगी एकटा दुखक गीत अछि, सदिखन गुनगुनाबय पडत
दर्द बड्ड भारी अछि मुदा, एहि में हमरा मुस्कुराबय पडत !

बुझि रहल अछि दिया प्रेमक,बैढ़ रहल अछि अन्हार बड्ड
ई नेहजोत आब हमरा लहूलुहान दिल सँ जराबय पडत !

रूसलों किएक अहीं बुझैत छी , हम तं एतबे जनैत छी 
रुसि गेलों जे अहाँ हमरा सं हमरे अहांके मनाबय पडत !!!

लाज रखवा लेल अपन प्रेमक तोडब हम सभ बंधन
दिल नै खाली हमरा, बाजीयो जान केर लगाबै पडत !!!

उदास भ अहाँक अंगना से जे, हमरा उठि के जाय पडत
अपन "भावना" के अर्थी अपनहि उठाबय पडत !!!!

गजल 

अहाँ सँ मिलवा लेल आयल छलों 
आबि बहुत पछ्तेलहूँ हम 

सोचि दूरी एहि असगरपन कें 
ओहि राति बड देर धरि जागलों हम 

पुरबैया केर झोंक जकां लोग कतेक 
आयल, कतेको सँ ओकतायलहूँ हम 

जाहि सोच में ओ डूबल छलाह 
ओहि 'भावना' सँ घबरेलहूँ हम ...

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ओमप्रकाश झा

 
गजल
पता नै कोन आगि मे जरैत रहल करेज हमर।
पानि नै खाली घीए टा चाहैत रहल करेज हमर।

आनक मरल आत्मा केँ जीया केँ राखैक फेर मे फँसि,
नहुँ-नहुँ सुनगैत मरैत रहल करेज हमर।

एतेक मारि खेलक झूठ प्रेमक खेल मे जमाना सँ,
कियो देखलक नै कुहरैत रहल करेज हमर।

फेर कतौ नै कियो बम फोडि केँ अनाथ करै ककरो,
सूर्योदय होइते धडकैत रहल करेज हमर।

अपना केँ नित जीयाबै मे करेजक खून करैत छी,
खसि-खसि केँ देखू सम्हरैत रहल करेज हमर।

दुख आ सुख मे अंतर करै मे नै ओझरा केँ कखनो,
नब गीत सदिखन गबैत रहल करेज हमर।
---------------- वर्ण २० -----------------------
गुरूदेव आशीष जी केँ सादर समर्पित।


2
आईना सदिखन हमरा सत्ते कहै छै।
हमर रूप हमरे देखबैत रहै छै।

चलि गेलौं त' बूझलौं अहाँ हमर नै छी,
बनल विश्वासक किला एहीना ढहै छै।

धार केँ कोन मतलब भूमिक दर्द सँ,
जेम्हरे मोन भेल धार ओम्हरे बहै छै।

देखू प्रेमक अकाल नै छै एहि गाम मे,
उधारक प्रेमक बाढि सँ गाम दहै छै।

ककरो मारबाक चोट सहि लेत "ओम",
मुदा बूझै नै प्रेमक मारि कोना सहै छै।
-------------- वर्ण १५ ---------------
3
गजल
आइ-काल्हि सदिखन हम अपने सँ बतियाईत रहै छी।
लोक कहै ए जे हम नाम अहींक बडबडाईत रहै छी।

सब बैसार मे आब चर्चा कर' लागलौं अहींक नाम केर,
सुनि केँ कहै छै सब जे निशाँ मे हम भसियाईत रहै छी।

हमरा लागै ए निशाँ आब टूटि गेल छै पीबि लेला केँ बाद,
सोझ रहै मे छलौं अपस्याँत, आब डगमगाईत रहै छी।

एते बेर नाम लेलौं अहाँक हम, कहियो त' सुनने हैब,
कोन कोनटा मे नुकेलौं अहीं केँ ताकैत बौआईत रहै छी।

एक चुरू अपने हाथ सँ आबि केँ पीया दितिये जे "ओम" केँ,
मरि जइतौं आराम सँ हम, जाहि लेल टौआईत रहै छी।
----------------------- वर्ण २२ -----------------------
4
गजल
नित पूछै छै किछ सवाल इ जिनगी।
करै सदिखन नब ताल इ जिनगी।

कखनो बनि दुखक घुप्प अन्हरिया,
लागै मारि सँ फूलल गाल इ जिनगी।

सुखक राग कखनो सुनाबै एना केँ,
रंगल बनि कतेक लाल इ जिनगी।

कहै जिनगी होइत छै जीबैक नाम,
ककरो लेल होइ ए काल इ जिनगी।

जिनगी केँ बूझै मे "ओम" ओझरायल,
जतबा बूझलौं लागै जाल इ जिनगी।
------------- वर्ण १४ -------------
5
गजल
एकटा खिस्सा बनि जइते अहाँ संकेत जौं बुझितहुँ।
हमही छलहुँ अहाँक मोन मे कखनो त' कहितहुँ।

लोक-लाजक देबाल ठाढ छल हमरा अहाँ केँ बीच,
एको बेर इशारा दितियै हम देबाल खसबितहुँ।

अहाँक प्रेमक ठंढा आगि मे जरि केँ होइतौं शीतल,
नहुँ-नहुँ भूसाक आगि बनि केँ किया आइ जरितहुँ।

सब केँ फूल बाँटै मे कोना अपन जिनगी काँट केलौं,
कोनो फूल नै छल हमर, काँटो त' अहाँ पठबितहुँ।

जाइ काल रूकै लेल अहाँ "ओम" केँ आवाज नै देलियै,
बहैत धार नै छलहुँ हम जे घुरि केँ नै अबितहुँ।
------------------ वर्ण २० ---------------------
6
गजल
हमर नजरि मे पैसि केँ हमर नजरि बनि फडकि रहल छी।
पोर-पोर मे अहीं समेलौं, सीना मे हमर अहीं धडकि रहल छी।

विरह-विष सँ मोन पीडित छल, अहाँक प्रेमक अमृत भेंटल,
प्रेम-सुधा सँ मोन नै भरै, जतबा पीबि ओतबा परकि रहल छी।

हृदयक छल बाट सुखायल, जेकरा सिनेह अहाँक भीजायल,
छन-छन भीजि प्रेमक बरखा मे, तखनो किया झरकि रहल छी।

जिनगीक रौदी केँ अहीं भगेलौं, अहाँ प्रेम-मेघ केर छाहरि केलौं,
भरल हमर आकाश प्रेम सँ, अहाँ छी बिजुरि तडकि रहल छी।

भाव-शून्य "ओम"क छल जे अंतर, जिनगी मे आबि मारि केँ मंतर,
अहीं बनलौं गजल कविता, बनि भाव मोन मे बरकि रहल छी।
--------------------------- वर्ण २५ ---------------------------
7
गजल
भेंटलै जखने नबका मीत पुरना केँ कोना छोडि देलक।
जकरा सँ छल ठेहुँन-छाबा, हमर मोन के तोडि देलक।

सपथक नै कोनो मालगुजारी, सपथक नै बही बनल,
संग जीबै-मरैक सपथ खा केँ जीबतै डाबा फोडि देलक।

ओकरा लग छै ढेरी चेहरा, हमरा लग बस एके छल,
अपन भोरका मुँह पर नब मुँह साँझ मे जोडि देलक।

जिनगी-खेत मे विश्वास-खाद द' प्रेमक बीया हम बुनल,
धोखा केर कोदारि चला केँ देखू लागल खेती कोडि देलक।

"ओम" प्रेमक घर बनेलक, ओकरा बिन छै सून पडल,
बाट जे जाइ छल ओहि घर मे, कोनो जोगारे मोडि देलक।
---------------------- वर्ण २२ --------------------
8
गजल
कतौ छै रौदी प्रचंड, कतौ बरखा सँ हरान छै।
कतौ छै फूजल मोन, कतौ बन्न पेटी मे प्राण छै।

ककरो भेल अपच, कियो देखू भूखले मरल,
कतौ छै होइत भोज, कतौ उजडल दोकान छै।

एके कलम सँ लिखलक किया भाग्य नै विधाता,
कतौ छै तृप्त हृदय, कतौ छूछे टा अरमान छै।

कियो मुट्ठी मे समेटने कते इजोत छै बैसल,
कतौ छै जे सून घर, कतौ भरल इ दलान छै।

अचरज सँ देखै छै "ओम" लीला एहि दुनियाक,
कतौ छै इ मौनी खाली, कतौ बखारी भरि धान छै।
------------------- वर्ण १८ ------------------

9
गजल
पिया जुनि करू बलजोरी, लोक की कहत।
प्रेम करू मुदा चोरी-चोरी, लोक की कहत।

तन्नुक शरीर मोरा यौवन उफनायल,
चुप्पे बान्हू अहाँ प्रेम-डोरी, लोक की कहत।

थमल नै डेग, अहाँ प्रेम-नोत पठाओल,
हम आब बनलौं चकोरी, लोक की कहत।

श्याम रंग मे अहाँक मोर अंग रंगायल,
दीयाबाती मे खेललौं होरी, लोक की कहत।

"ओम"क प्रिया इ आतुर मोन केँ बुझाओल,
कतेक कहब कर जोडि, लोक की कहत।
-------------- वर्ण १६ --------------
10
गजल
ओ हमरा बिसरि गेल जे गाबैत रहै छल हमर गीत।
शहरक हवा लागि गेलै आब भेल शहरी हमर मीत।

मोनक कोनटा मे नुकेलक नेनपनक सभ क्रीडा-खेल,
खाइ छलै संगे पटुआ, ओकरा लागै मधुर हमर तीत।

छल जुटल जकरा संग हृदय हमर, रहितो काया दू,
हमरा हरबैथ आब, अपमान बूझैथ ओ हमर जीत।

दोस्तीक सपथ खाइत नै छलै अघाइत ओ हमरा संग,
भसकेलक घर दोस्तीक, द्वेषक बनि गेल हमर भीत।

मीत घुरि आबू, एखनहुँ "ओम"क हृदय मे अहींक वास,
फेर बहाबियो धार दोस्तीक, जे छल अहाँक हमर रीत।
-------------------- वर्ण २२ ---------------------
(हमर नेनपनक मीत केँ समर्पित, जे हमरा बिसरि गेला)



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 १. जगदीश चन्द्र ठाकुर अनिल२.मिहिर झा ३.जगदानंद झा 'मनु'



जगदीश चन्द्र ठाकुर अनिल

ई जे पोथी पतरा थीक
सभटा कनियां-पुतरा थीक ।

परिजन-पुरजन, हीत-अपेक्षित
जाल बहुत,एक मकरा थीक ।


दूर सं देखल नदी बुझायल
लग जा देखल,डबरा थीक ।


फूलक माला बहुत पहिरलहुं
कांटहु हमरहि बखरा थीक ।


धोती लाल, घुनेस माथ पर
चलल कटैले, बकरा थीक ।


भोंट ने एकरा दियएकहुटा
इ तं चिन्हले लबरा थीक ।


करनी देखब मरनी बेरिया
गारि ने थिक इ फकरा थीक ।




पहिने एकटा काज करू
सभकें बांटू ,राज करू ।

सदनमे जा कऽ सूति रहै छी
किछु तं बौआ लाज करू ।

अहांक पुरखा छथि विद्यापति
हुनका पर तं नाज करू ।

जाति,धर्म सब जेल बनल अछि
अपना कें आजाद करू ।

कहि गेलाह हरिमोहन बाबू
शिक्षित अपन समाज करू ।

पचपनमे बचपन नहि आओत
कतबो अहां रियाज करू ।

अपनहि माय-बहिन सन बूझू
हमरा जुनि बरबाद करू ।


मिहिर झा
बदरा घुमि घुमि आउ

बदरा घुमि घुमि आउ
हरियर हरियर दूबि क बिछौना
अहां आबि भिजाउ
बदरा घुमि घुमि आउ |

देश अयला हमर सजना
चंचल भेल हमर नयना
और नहि तडपाउ
बदरा घुमि घुमि आउ |

पिया छथि हमर एखने आएल
बरख से आगि अछि देह मे लागल
आबि अहां मिझाउ
बदरा घुमि घुमि आउ |

जगदानंद झा 'मनु',
पिता- श्री राज कुमार झा, जन्म स्थान  पैत्रिक गाम : हरिपुर डिहटोल ,जिला  मधुबनी, शिक्षा :प्राथमिक -ग्राम  हरिपुर डिहटोल मे, माध्यमिक आ उच्च माध्यमिक -सी बी एस ई, दिल्ली, स्नातक -देशबंधु कालेज ,दिल्ली बिश्वविद्यालय
 (१) मायक भूमि बजा रहल अछि 
     
जुनि हमरा जकरु महामाया, मायक भूमि बजा रहल अछि 
जाहि माटी कए देह  बनल हमर,ओमाटी  बजा  रहल अछि

रुन-झुन  संगी-साथीक  हमरा, याद बहुत  शता रहल अछि
काका-ककिक मधुर वोल ओजे,कानमें घंटी बजा रहल अछि 

जुनि हमरा जकरु महामाया, मायक भूमि बजा रहल अछि 
सोंधी-सोंधी  मुरहीक खुशबु,गामक हमरा खीच रहल अछि

कनियाँ-काकीक कडकड कचड़ी,मोन कए डोला रहल अछि 
लहलह  झुमैत खेतक धान, शीश हिलाके  बजा रहल अछि  

चौरचन,  छैठक सनेसक स्वाद, हमरा कचोत  रहल अछि  
हुक्का-लोलिक उक जे फेकल,सुमैर हमरा कना रहल अछि 

नै सैहसकै  छी दुरी एते आब,  ह्रदय-बांध  टूट रहल अछि 
जुनि हमरा जकरु महामाया,मायक भूमि बजा रहल अछि 
                                         
--------------------------------------------------------------------

      (२) कविता 
         पाई
आई पाई सँ प्यार 
खरीदल जाएत छैक 
सम्मान खरीदल जाएत छैक   
वस् ! जेबी में हेबाक चाहि 
पाई 
हमरा नहि चाहि 
ई पाईयक दुनियाँ
हमरा नहि चाहि 
ई भाराकए दुनियाँ 

हम तs वसायव् 
अपन एक नव आशियाँ 
जाहिठाम प्यार कए अहमियत होई 
सम्मान कए पूजा होई 
जाहिठाम 
ठोड पर हँसी लावैक लेल  
ह्रदय सँ आह! नहि निकलै
शब्द बजैक सँ पाहिले 
लाबा में नहि बदलै
जाहिठाम 
अर्थ कए अर्थ समझल जाए 
सबके भीतर 
एक प्यारक आशियाँ 
बसायल जाई  | 
           
------------------------------------------
 
                       एक दिन हमहूँ मरब 
एक दिन हमहूँ मरब 
दुनियाँ कए सुख-दुख छोइर कए 
निश्चिन्त हेवा हेतु 
देखै हेतु दुनियाँ में अपन प्रतिमिम्ब 
कए ख़ुशी होइए कए दुखी होइए 
                            
                       एक दिन हमहूँ मरब 
                       देखै लेल समाज में 
                       हमर की स्थान छल 
                       देखै लेल किनका ह्रदय में 
                       हमर की स्थान छल 

 एक दिन हमहूँ मरब 
करए लेल अपन पापक हिसाब 
हमर पाप सँ कए कुपित छल 
कए क्रोधित छल 
कए द्रविल-चिंतित छल 
कए खुसी छल 
कए दुखी-व्यथित छल 

                         एक दिन हमहूँ मरब 
                         परखै हेतु अपन ह्रदय 
                         अपन स्नेही-स्वजनक ह्रदय 
                         अपन मितक ह्रदय 
                         अपन अमितक ह्रदय 
                                   
 

कविता 
         पाई
आई पाई सँ प्यार 
खरीदल जाएत छैक 
सम्मान खरीदल जाएत छैक   
वस् ! जेबी में हेबाक चाहि 
पाई 
हमरा नहि चाहि 
ई पाईयक दुनियाँ
हमरा नहि चाहि 
ई भाराकए दुनियाँ 

हम तs वसायव् 
अपन एक नव आशियाँ 
जाहिठाम प्यार कए अहमियत होई 
सम्मान कए पूजा होई 
जाहिठाम 
ठोड पर हँसी लावैक लेल  
ह्रदय सँ आह! नहि निकलै
शब्द बजैक सँ पाहिले 
लाबा में नहि बदलै
जाहिठाम 
अर्थ कए अर्थ समझल जाए 
सबके भीतर 
एक प्यारक आशियाँ 
बसायल जाई  | 

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"विदेह" प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका http://www.videha.co.in/:-
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"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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