भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

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ऐ ई-पत्रिकामे कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

 

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Tuesday, February 14, 2012

'विदेह' १०० म अंक १५ फरबरी २०१२ (वर्ष ५ मास ५० अंक १००)part 1

                     ISSN 2229-547X VIDEHA
'विदेह' १०० म अंक १५ फरबरी २०१२ (वर्ष ५ मास ५० अंक १००)NEPALINDIA
                                               
 वि  दे   विदेह Videha বিদেহ http://www.videha.co.in  विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine   नव अंक देखबाक लेल पृष्ठ सभकेँ रिफ्रेश कए देखू। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA. Read in your own script Roman(Eng)Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam Hindi

२०म विश्व पुस्तक मेला २०१२, प्रगति मैदान, नव दिल्ली
२१म विदेह मैथिली पोथी प्रदर्शनी (अवसर बीसम नव दिल्ली विश्व पुस्तक मेला २०१२ जखन भारतीय सिनेमाक सए बर्ख, दिल्लीक राजधानी रूपमे सए बर्ख आ रवीन्द्रनाथ टैगोरक १५०म जयन्ती संगे पड़ि रहल अछि, एकर आयोजक रहैत अछि नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत, सौजन्य अंतिका प्रकाशन) २५ फरबरी २०१२ सँ ०४ मार्च २०१२,प्रतिदिन भोर ११ बजेसँ ८ बजे राति धरि, स्थान- अंतिका प्रकाशन , स्टाल 80-81, हॉल 11, प्रगति मैदान,२०म विश्व पुस्तक मेला 2012 नव दिल्ली। ई विश्व पुस्तक मेला दू सालमे एक बेर होइत अछि आ ४० साल पहिने १९७२ ई. मे एकर पहिल आयोजन भेल छल।
http://www.antikaprakashan.com/ (अंतिका प्रकाशनक साइट- मैथिली प्रकाशक)
http://www.shruti-publication.com (श्रुति प्रकाशनक साइट- मैथिली प्रकाशक)
http://esamaad.blogspot.in/2012/02/blog-post_25.html (समदिया, पहिल मैथिली न्यूज पोर्टल २००४ ई.सँ)

ऐ अंकमे अछि:-

१. संपादकीय संदेश


विदेहक अंक १००

२. गद्य












३. पद्य













३.७..डॉ॰ शशिधर कुमर २.नवीन कुमार "आशा"



४. मिथिला कला-संगीत१.वनीता कुमारी २.राजनाथ मिश्र (चित्रमय मिथिला) ३. उमेश मण्डल (मिथिलाक वनस्पति/ मिथिलाक जीव-जन्तु/ मिथिलाक जिनगी)

 

.बालानां कृते-डॉ॰ शशिधर कुमर विदेह”- अन्तर्राष्ट्रिय मातृभाषा दिवस-(21 फरबरीक अवसरि पर विशेष)

 

. भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैथिली], [विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.]



८. भारोपीयभाषासन्दर्भे ध्वनिविमर्शः-विद्यावाचस्पति डा. सदानन्द झा-



विदेह ई-पत्रिकाक सभटा पुरान अंक ( ब्रेल, तिरहुता आ देवनागरी मे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक लेल नीचाँक लिंकपर उपलब्ध अछि। All the old issues of Videha e journal ( in Braille, Tirhuta and Devanagari versions ) are available for pdf download at the following link.

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विदेह रेडियो:मैथिली कथा-कविता आदिक पहिल पोडकास्ट साइट


मैथिली देवनागरी वा मिथिलाक्षरमे नहि देखि/ लिखि पाबि रहल छी, (cannot see/write Maithili in Devanagari/ Mithilakshara follow links below or contact at ggajendra@videha.com) तँ एहि हेतु नीचाँक लिंक सभ पर जाऊ। संगहि विदेहक स्तंभ मैथिली भाषापाक/ रचना लेखनक नव-पुरान अंक पढ़ू।
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 VIDEHA ARCHIVE विदेह आर्काइव

example

भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी कवि, नाटककार आ धर्मशास्त्री विद्यापतिक स्टाम्प। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन कालहिसँ महान पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला लोकनिक चित्र 'मिथिला रत्न' मे देखू।


example

गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि। मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र, अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू 'मिथिलाक खोज'



मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना, सम्पर्क, अन्वेषण संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ न्यूज सर्विस आ मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट सभक समग्र संकलनक लेल देखू "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"

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 ऐ बेर मूल पुरस्कार(२०१२) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन मूल मैथिली पोथी उपयुक्त अछि ?
श्री राजदेव मण्डलक अम्बरा” (कविता-संग्रह)  13.28%   
 
श्री बेचन ठाकुरक बेटीक अपमान आ छीनरदेवी”(दूटा नाटक)  9.59%   
 
श्रीमती आशा मिश्रक उचाट” (उपन्यास)  6.27%   
 
श्रीमती पन्ना झाक अनुभूति” (कथा संग्रह)  5.9%   
 
श्री उदय नारायण सिंह नचिकेतानो एण्ट्री:मा प्रविश (नाटक)  5.9%   
 
श्री सुभाष चन्द्र यादवक बनैत बिगड़ैत” (कथा-संग्रह)  5.9%   
 
श्रीमती वीणा कर्ण- भावनाक अस्थिपंजर (कविता संग्रह)  5.9%   
 
श्रीमती शेफालिका वर्माक किस्त-किस्त जीवन (आत्मकथा)  7.38%   
 
श्रीमती विभा रानीक भाग रौ आ बलचन्दा” (दूटा नाटक)  6.64%   
 
श्री महाप्रकाश-संग समय के (कविता संग्रह)  5.9%   
 
श्री तारानन्द वियोगी- प्रलय रहस्य (कविता-संग्रह)  5.9%   
 
श्री महेन्द्र मलंगियाक छुतहा घैल” (नाटक)  7.01%   
 
श्रीमती नीता झाक देश-काल” (कथा-संग्रह)  6.64%   
 
श्री सियाराम झा "सरस"क थोड़े आगि थोड़े पानि (गजल संग्रह)  7.38%   
 
Other:  0.37%   
 

ऐ बेर बाल साहित्य पुरस्कार(२०१२) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन मूल मैथिली पोथी उपयुक्त अछि ?

श्री जगदीश प्रसाद मण्डल जीक तरेगन”(बाल-प्रेरक कथा संग्रह)  54.35%   
 
श्री जीवकांत - खिखिरक बिअरि  26.09%   
 
श्री मुरलीधर झाक पिलपिलहा गाछ  17.39%   
 
Other:  2.17%   
 

 

ऐ बेर युवा पुरस्कार(२०१२)[साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन कोन लेखक उपयुक्त छथि ?

श्रीमती ज्योति सुनीत चौधरीक अर्चिस” (कविता संग्रह)  25.64%   
 
श्री विनीत उत्पलक हम पुछैत छी” (कविता संग्रह)  7.69%   
 
श्रीमती कामिनीक समयसँ सम्वाद करैत”, (कविता संग्रह)  6.41%   
 
श्री प्रवीण काश्यपक विषदन्ती वरमाल कालक रति” (कविता संग्रह)  6.41%   
 
श्री आशीष अनचिन्हारक "अनचिन्हार आखर"(गजल संग्रह)  17.95%   
 
श्री अरुणाभ सौरभक एतबे टा नहि” (कविता संग्रह)  6.41%   
 
श्री दिलीप कुमार झा "लूटन"क जगले रहबै (कविता संग्रह)  7.69%   
 
श्री आदि यायावरक भोथर पेंसिलसँ लिखल” (कथा संग्रह)  6.41%   
 
श्री उमेश मण्डलक निश्तुकी” (कविता संग्रह)  12.82%   
 
Other:  2.56%   
 

 

 

ऐ बेर अनुवाद पुरस्कार (२०१३) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे के उपयुक्त छथि?

श्री नरेश कुमार विकल "ययाति" (मराठी उपन्यास श्री विष्णु सखाराम खाण्डेकर)  34.33%   
 
श्री महेन्द्र नारायण राम "कार्मेलीन" (कोंकणी उपन्यास श्री दामोदर मावजो)  11.94%   
 
श्री देवेन्द्र झा "अनुभव"(बांग्ला उपन्यास श्री दिव्येन्दु पालित)  14.93%   
 
श्रीमती मेनका मल्लिक "देश आ अन्य कविता सभ" (नेपालीक अनुवाद मूल- रेमिका थापा)  11.94%   
 
श्री कृष्ण कुमार कश्यप आ श्रीमती शशिबाला- मैथिली गीतगोविन्द ( जयदेव संस्कृत)  11.94%   
 
श्री रामनारायण सिंह "मलाहिन" (श्री तकषी शिवशंकर पिल्लैक मलयाली उपन्यास)  13.43%   
 
Other:  1.49%   
 

 

 

फेलो पुरस्कार-समग्र योगदान २०१२-१३ : समानान्तर साहित्य अकादेमी, दिल्ली

श्री राजनन्दन लाल दास  55.32%   
 
श्री डॉ. अमरेन्द्र  19.15%   
 
श्री चन्द्रभानु सिंह  23.4%   
 
Other:  2.13%   
 

 

१. संपादकीय

विदेहक सएम अंक
( सम्पादकीय उमेश मण्डल, सह-सम्पादक, बेरमा, तमुि‍रया, मधुबनी।)

मैथि‍लीमे ई-पत्रकारि‍ता- उमेश मंडल
ई-पत्रकारि‍ताक प्रारम्‍भ भेने लेखक ओ पाठक वर्गमे काफी वृद्धि‍ देखल जाइत अछि‍। एकर अनेक कारणमे महत्‍वपूर्ण अछि भौगोलि‍क दूरीक अंत। जइसँ वि‍श्वमे पसरल मैथि‍ली भाषी, साहि‍त्‍य प्रेमी सभ सोझा एलाह। ऐठाम अपन वि‍चार व्‍यक्‍त करबाक पूर्ण स्‍वतंत्रा लेखको आ पाठकोकेँ भेटैत छन्‍हि‍। रचनापर त्‍वरि‍त टि‍प्‍पणी-समीक्षा-समालोचनाक सुवि‍धा सेहो इन्‍टरनेटपर अछि‍।
इन्टरनेटपर मैथिलीक पहिल उपस्थितिक रूपमे विदेहक पूर्व-रूप "भालसरिक गाछ" ५ जुलाइ २००४ सँ http://gajendrathakur.blogspot.com/ लिंकपर उपलब्ध अछि। ओना याहू जियोसिटीजपर २००० ईं.सँ ई साइट रहए, जे याहू द्वारा जियोसिटीज बन्द कऽ देलाक बाद आब उपलब्ध नै अछि। मैथिली ई-पत्रकारिताक आरम्भक श्रेय विदेहकेँ छै आ तँए एकर नाओं अछि‍ वि‍देह प्रथम मैथि‍ली पाक्षि‍क ई-पत्रि‍कावर्तमानमे ९९म अंक ई-प्रकाशि‍त अछि‍। १५ फरवरी २०१२केँ १००म अंक ई-प्रकाशि‍त होएत। गूगल एनेलेटिक्स डेटा केर मोताबि‍क विदेह ई पत्रिकाकेँ ५ जुलाइ २००४ई.सँ अखन धरि ११६ देशक १,५०२ ठामसँ ७२,०४३ गोटे द्वारा ३५,४५२ विभिन्न आइ.एस.पी. सँ ३,३६,७०७ बेर देखल गेल अछि।
विदेह मैथिली पोथी डाउनलोड  http://sites.google.com/a/videha.com/videha-pothi पर उपलब्ध अछि। लगभग २०० सँ बेशी मैथिली पोथी देवनागरी, तिरहुता आ ब्रेल तीनू लिपिमे जे पी.डी.एफ. फाइलमे फ्री डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि अनेक रचनाकारक अलाबे जगदीश प्रसाद मंडलक 2टा कथा संग्रह, 2टा एकांकी संग्रह, 3टा नाटक, 2टा कवि‍ता संग्रह, पाँचटा उपन्‍यासक सेहो उपलब्‍ध अछि‍। एकर अतिरिक्त ११००० सँ बेशी, तिरहुतामे लिखल, ५०० बर्ख पुरान तालपत्र, विदेह द्वारा स्कैन कऽ ओकर देवनागरी लिप्यंतरणक संग ऐ साइटपर डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि। सरकारी आ गएर सरकारी संस्था सभ द्वारा अखन धरि कएल समस्त प्रयाससँ ई लगभग १०० गुणा बेसी अछि। ऐ समस्त कार्यमे लगभग १०,००० घण्टाक श्रम लगाओल गेल अछि आ एतए तिरहुता, ब्रेल आ अन्‍तर्राष्‍टीय फोनेटिक अल्‍फाबेट (आइ्. पी. ए) सिखबाक सेहो बेबस्‍था कएल गेल छै आ तइ संबंधी पोथी जे श्री गजेन्‍द्र ठाकुर द्वारा ि‍लखित अछि‍ ओ फ्री डोनलोड लेल सेहो उपलब्‍ध अछि।   
विदेह मैथिली ऑडियो संकलन http://sites.google.com/a/videha.com/videha-audio, एतए विविध विधाक ऑडियो जेना कथा, कवि‍ता, गजल, हाइकू, टनका, हैबून, हैगा इत्‍यादि‍, देल गेल अछि। ऐठामक मुख्य आकर्षण अछि ५० घण्टाक ऑडियो संकलन जे मिथिलाक सभ जाति आ धर्मक संस्कार, लोकगीत आ व्यवहार गीत जे मैथिलीकेँ जाति आधारित भाषा हेबाक अवधारणापर मारक प्रहार सिद्ध कए रहल अछि।
मैथिली वीडियोक संकलन http://sites.google.com/a/videha.com/videha-video, एतए नाटक, सेमीनार, वर्षकृत्य, रसनचौकी, सामा-चकेबा, कवि-सम्मेलन, विदेहक नाट्य आ साहित्य उत्सवक वीडियो, मिथिलाक खोज, गीत-ंसंगीत, मैथिली वीडियो, वोकल आर्काइव, सगर राति दीप जरए, साक्षात्कार, विद्यापति पर्व, मैथिली गजल आदिक वीडियो उपलब्ध अछि। ऐठामक मुख्य आकर्षण अछि, मिथिलाक सभ जाति आ धर्मक संस्कार, लोकगीत आ व्यवहार गीतक वीडियो, आ पहिल बेर विदेहक सौजन्यसँ सतमा कक्षाक दीक्षा भारतीक गाओल गोविन्ददासक गीत। ऐमे लगभग ५००० घण्टाक मेहनति विदेहक सदस्यगण द्वारा लगाओल गेल अछि।
विदेह मिथिला चित्रकला/आधुनिक चित्रकला आ चित्र- http://sites.google.com/a/videha.com/videha-paintings-photos/ लिंकपर उपलब्ध अछि मिथिला चित्रकला, आधुनिक चित्रकला, रंगमंच, चौबटिया-सड़क नाटक सहित कएक हजारसँ ऊपर फोटो अछि जइमे २०० सँ ऊपर ि‍मथि‍लाक वनस्पति, १०० सँ ऊपर मि‍थि‍लाक जीव-जन्तु आ १०० सँ ऊपर मिथिलाक जनजीवनक किसानी आ कारीगरी संस्कृतिक फोटो सेहो अछि‍ जइमे ५००० घण्टाक मेहनति वि‍देह सदस्यगण द्वारा लगाओल गेल अछि।
विदेह मैथिली जालवृत्त एग्रीगेटर : http://videha-aggregator.blogspot.com/ पर मैथिलीक सभ वेबसाइटक विवरण सहजताक लेल उपलब्ध अछि।
विदेह द्वारा मैथिली साहित्य अंग्रेजीमे अनूदित कए http://madhubani-art.blogspot.com/ साइटपर राखल गेल अछि। एतए सत्तरि‍टा पोस्ट अछि जकरा माध्यमसँ मैथिलीक श्रेष्ठ साहित्य विश्वक समक्ष राखल गेल अछि। ऐ अनुवादमे लगभग ७०० घण्टासँ बेसी समैक श्रम खर्च कएल गेल अछि।
विदेह:सदेह- पहिल तिरहुता (मिथिला़क्षर) जालवृत्त (ब्लॉग) http://videha-sadeha.blogspot.com/ ई मैथि‍ली भाषाक मि‍थि‍लाक्षरमे सज्‍जि‍त पहि‍ल वेबसाइट अछि‍।
विदेह:ब्रेल- मैथिली ब्रेलमे : पहिल बेर विदेह द्वारा http://videha-braille.blogspot.com/ पर मैथिलीक पहिल साइट अछि जे क्रमश: मिथिलाक्षर आ ब्रेलमे अछि जेकारा स्‍पेशल स्‍क्रीन टच माॅनि‍टरसँ संबंधि‍त आदमी पढ़ि‍ सकै छथि‍ तहि‍ना स्‍पेशल प्रि‍ंटरसँ प्रि‍ंट सेहो नि‍कालि‍ सकै छथि‍। जइ दुनूमे लगभग हजार-हजार (१०००-१०००) घण्टाक मेहनति लागल अछि।
नेना भुटका साइट मैथिलीमे बच्चा सबहक लेल एक मात्र साइट अछि जे संगीतज्ञ माँगनि खबासक नामपर- http://mangan-khabas.blogspot.com/ राखल गेल अछि। बाल साहि‍त्‍य जेना बाल कथा, प्रेरक कथा, बाल कवि‍ता आदि‍ समस्‍त बाल साहि‍त्‍यकेँ आधुनि‍क-वैज्ञानि‍क दृष्‍टकोणसँ लि‍खल श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डलक १२५ गोट प्रेरक कथाक अलाबे वि‍भि‍न्न लेखक केर साहि‍त्‍य ऐपर सहजताक संग उपलब्‍ध अछि‍ जेकरा वि‍श्वमे पसरल नेना, बढ़ैत नेना आ कि‍शोरक लेल फ्री डॉनलोड हेतु उपलब्‍ध अछि‍।
विदेह रेडियो: मैथिली कथा-कविता आदिक पहिल पोडकास्ट साइट- ऐठामसँ मैथि‍लीमे गीत-संगीत, कथा-कवि‍ता, गजल-हाइकू, टनका-हैबूनक संग अनेक परि‍चर्चा प्रसारि‍त कएल जाइत अछि‍। साइटक नाओं अछि‍- http://videha123radio.wordpress.com/
विदेहक फेसबुक चौबटिया- http://www.facebook.com/groups/videha/ ऐ चौबटि‍यापर ७७००सँ बेसी मैथिली भाषी सदस्य द्वारा गत एक सालमे १०,००० पोस्ट आ ११०० सँ बेसी फोटो पोस्ट कएल गेल अछि। प्रति‍दि‍न १५० टासँ ऊपर कॉमेट पोस्‍ट सभपर अबैए जइमे मि‍थि‍ला-मैथि‍ली वि‍कासपर स्‍वस्‍थ्‍य परि‍चर्चा होइए।
विदेह मैथिली नाट्य उत्सव- मैथिली रंगमंचकेँ वैश्विक स्तर प्रदान केलक अछि जे श्री बेचन ठाकुरजी द्वारा http://maithili-drama.blogspot.com/ पर उपलब्ध अछि। एतए मैथिली आ अंग्रेजीमे मैथिली रंगमंचक चित्र-आ वीडियोक माध्यमसँ विस्तारसँ वर्णन १७५ पोस्टमे देलगेल अछि, ई मैथिलीक अखन धरिक  स्लैपस्टिक ह्यूमर बला रंगमंचक विरुद्ध विदेह मैथिली समानान्तर रंगमंचक प्रारम्भ केलक अछि। लगभग २००० घण्टाक मेहनति ऐ वेबसाइटपर अखन धरि भऽ चुकल अछि। एतए मिथिलाक गम-गाममे होइत मैथिली रंगमंचक अतिरिक्त, कोलकाता, जनकपुर, राजबिराज, पटना, दिल्ली आदिक रंगमंचक विवरण सेहो उपलब्ध अछि।
समदिया- http://esamaad.blogspot.com/ पर पूनम मण्डल आ प्रियंका झा द्वारा २००४ ई.मे शुरू भेल, साहित्यिक पत्रकारिताक लीकसँ हटि कऽ न्यूज पोर्टलक वा ई-पेपरक रूपमे मैथिली पत्रकारिताकेँ एतएसँ प्रारम्भ भेल। अखन धरि ५२५ सँ बेसी पोस्ट ऐठाम भेल अछि। सर्वश्रेष्ठ न्यूजकेँ मासक समदिया पुरस्कार देल जाइत अछि। अगस्‍त २०१२मे सर्वश्रेष्‍ठ मैथि‍ली पत्रकारकेँ विदेह मैथिली पत्रकारिता सम्मानसँ सम्मानित करबाक घोषणा अछि‍ जे आब साले-साल सेहो देल जाएत। ऐ वेबसाइटपर अखन धरि ५५०० घण्टाक मेहनति पूनम मण्डल आ प्रियंका झा टाइपसँ लऽ कऽ समाचार अपलोड करबाक कार्यमे कऽ चुकल छथि आ ई साइट श्री रामभरोस कापड़ि भ्रमरक सीरियल चोरिक भण्डाफोड़क अतिरिक्त ढेर रास उद्घाटन कऽ साहसिक सोद्देश्य मैथिली पत्रकारिताक परिचए दऽ चुकल अछि।
मैथिली फिल्म्स http://maithilifilms.blogspot.com/ श्री गजेन्द्र ठाकुर, श्री बेचन ठाकुर, श्री विनीत उत्पल, श्री सुनील कुमार झा आ श्री आशीष अनचिन्हार द्वारा संचालित साइट अछि, ऐपर मैथिली, अंगिका, वज्जिका आ सुरजापुरीक पूर्ण विवरण उपलब्ध अछि। एतए अखन पचाससँ ऊपर पोस्ट उपलब्ध अछि।
अनचिन्हार आखर http://anchinharakharkolkata.blogspot.com/ एेपर ४८१टा गजल, २२टा कता, बन्द, नात, १२४टा रुबाइ, ७०टा करीब आलेखक अलाबे शेरो-शाइरीसँ संबंधित विडियो सेहो उपलब्‍ध अछि‍। 
मैथिली हाइकू http://maithili-haiku.blogspot.com/ ऐ वेबसाइट मैथिलीक साहित्यिक पत्रकारिताक प्रतिमान प्रस्तुत करैत अछि। मैथिली हाइकू (प्राकृत दृश्‍यपर ५/७/५) टनका (प्राकृत दृश्‍यपर ५/७/५/७/७) हैबून (प्राकृत दृश्‍यपर गद्यक एक-दू या तीन अनुच्‍छेदक अंतमे ओतबे हाइकू या टनका) हैगा (तत् संबंधी चि‍त्र), शेनर्यू आदिक थ्योरी आ प्रैक्टिस सभ एतए भेट जाएत।  
मानक मैथिली http://manak-maithili.blogspot.com/- ऐ वेबसाइटपर मैथिलीक अन्तर्जालपर मानकीकृत स्वरूप नेपाल आ भारतक मैथिली भाषाशास्त्री लोकनिक मतक अनुसार। मैथिलीक साहित्यिक पत्रकारिताक प्रतिमान प्रस्तुत करैत अछि।
नि‍ष्‍कर्षत: ऐ ई-पत्रकारितामे साहित्यिक आ राजनैतिक दुनू पत्रकारिता शामिल अछि जतए, दृश्य आ श्रव्य माध्यमक प्रचुर प्रयोग कएल गेल अछि।


ि‍नर्मली
, सुपौल, (बि‍हार)- मि‍िथलांचलक प्राथमि‍क आ मध्‍य वि‍द्यालयी शि‍क्षाक माध्‍यम् मैथि‍ली हेतु वि‍देहवि‍चार गोष्‍ठी श्री राहुल कुमार जीक संयोजकत्‍वमे स्‍थानीय अशर्फी दास साहु समाज इण्‍टर महि‍ला कॉलेज परि‍सरमे दुपहर 2 बजेसँ कएल गेल जेकर अध्‍यक्षता केलनि‍- उपन्‍यासकार श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल, दीप प्रज्‍वलन सह गोष्‍ठीक उद्घाटन केलनि‍ ि‍नर्मली महावि‍द्यालयक इति‍हास वि‍भागक वरीय व्‍याख्‍याता प्रो. जयप्रकाश साह, संचालन प्रो. हेम नारायण साह।
प्रो. कपि‍लेश्वर साह, मरौना केर पूर्व जि‍ला पार्षद श्रीमती आशा देवी, अधि‍वक्‍ता रामलखन यादव, कवि‍ श्री राजदेव मण्‍डल, अधि‍वक्‍ता वीरेन्‍द्र कुमार वि‍मलवि‍शि‍ष्‍ठ अति‍थि‍ रहथि‍।
ऐ अवसरपर उपस्‍थि‍त छलाह ि‍नर्मली महावि‍द्यालय ि‍नर्मलीक मैथि‍ली वि‍भागक वरीय व्‍याख्‍याता  प्रो. श्रीमोहन झा, प्रो. मुकुल कुमार वर्मा, श्री वि‍नय कुमार रूद्र, अधि‍वक्‍ता भोला प्रसाद यादव, अवकाश प्राप्‍त शि‍क्षक श्रीकृष्‍ण राम, ि‍नर्मली महावि‍द्यालय केर हि‍न्‍दी वि‍भागक वरीय व्‍याख्‍याता डॉ. शि‍वकुमार प्रसाद, प्रो. उपेन्‍द्र   अनुपम, साहि‍त्‍यकार नन्‍द वि‍लास राय, मध्‍य वि‍द्यालय ि‍नर्मलीक प्रधानाध्‍यापक सत्‍य नारायण कामति‍, शि‍क्षक रामावतार साहु, शि‍क्षक अहमद कमाल मंजूर, मध्‍य वि‍द्यालय ि‍नर्मलीक सहायक शि‍क्षक जवाहर लाल गुप्‍ता, प्रो. सुशील कुमार, गणि‍त वि‍भागक व्‍याख्‍याता प्रो. दुर्गालाल साहु, इण्‍टर महि‍ला कॉलेजक प्राचार्य प्रो. मनोज कुमार साह, भौति‍की वि‍भागक प्रो. लालबाबू साह, रामप्रकाश सि‍ंह, जि‍तेन्‍द्र प्रसाद यादव, चुन्नीलाल साह, मदन प्रसाद साह, वि‍ष्‍णुदेव कुमार मंडल, वि‍नोद कुमार साह, मुकुल साह, डीलर यदुराम, पुनि‍त लाल साहु, देवराम साह, वीरेन्‍द्र ठाकुर, चन्‍द्रशेखर मंडल जलेश्वर प्रसाद साहु आदि‍।
सर्वसम्‍मति‍सँ ि‍नर्णय भेल माननीय मुख्‍यमंत्री श्री नीतीश कुमार जीकेँ जे कोसी महासेतुक उद्घाटन लेल 08 फरवरी 2012केँ ि‍नर्मली आबि‍ रहलाहेँ ओही अवसरपर उपरोक्‍त वि‍षय-वस्‍तुक स्‍मार पत्र प्रदान कएल जाए जइमे अधि‍क-सँ-अधि‍क लोकक हस्‍ताक्षर रहए।

तै अनुसार स्मार-पत्र देल गेल http://esamaad.blogspot.in/2012/02/blog-post_08.html

[-जयकांत मिश्रक याचिका (CWJC No. 7505/98) पर बिहार सरकार हाई कोर्टमे सेहो हारल छल 

-मुदा बिहार सरकार सुप्रीम कोर्टमे केने छल अपील (Civli Appeal No. (s)7266 of 2004, न्यायमूर्ति बी.सुदर्शन रेड्डी आ सुरिन्दर सिंह निज्झर ३० सितम्बर २०१० केँ सुनवाइ केलन्हि आ अपन निर्णयमे बिहार सरकारक अपील ठोकरा देलक।

-बिहार आ झारखण्डक भागमे [बिहारक सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, खगड़िया, बेगूसराय, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, वैशाली (हाजीपुर), मुंगेर, बाँका,  भागलपुर, मुजफ्फरपुर, मोतीहारी, किशनगंज, आ कटिहार जिला आ रिटक समय १९९८ ई. मे बिहार मुदा आब झारखण्डक देवघर, गोड्डा आ साहेबगंज जिला]  मैथिली अलग भाषा रूपमे बाजल जाइत अछि। जँ वर्गमे कमसँ कम १०टा छात्र आ स्कूलमे ४० टा   छात्र मैथिली माध्यमसँ शिक्षा प्राप्त करऽ चाहताह तँ सरकारकेँ से व्यवस्था करए पड़तैक।]

[बिहार मे मिथिलांचल क्षेत्रमे प्राथमिक आ मध्य विद्यालयी शिक्षाक माध्यम मैथिली करबा लेल बिहार सरकारपर द्वाब बनेबा लेल ३ फरबरी २०१२ केँ विदेह द्वारा विचार गोष्ठीक आयोजन कएल जा रहल अछि आ संगमे हस्ताक्षर अभियान सेहो शुरू कएल जाएत, आ ८ फरबरी २०१२ केँ मुख्यमंत्री नीतिश कुमारकेँ ज्ञापन देल जाएत। श्री राहुल कुमार आ श्री अमरेन्द्र कुमार साहक संयोजकत्वमे विदेह विचार गोष्ठी  ३ फरबरी २०१२ केँ २ बजे अपराह्णसँ अशर्फी दास साहू समाज इण्टर महिला महाविद्यालय, निर्मली (जिला सुपौल) मे आयोजित हएत। सुप्रीम कोर्ट सेहो बिहार सरकारक अपीलकेँ खारिज कऽ देने अछि आ कोनो बाधा नै बचल अछि (http://esamaad.blogspot.in/2011/11/blog-post_14.html ) बिहारक मुख्यमंत्रीकेँ १४ अक्टूबर २०११केँ श्री जगदीश प्रसाद मण्डल आ श्री राजदेव मण्डलक ६ टा पोथी देल गेल छलन्हि आ ई मुद्दा उठाओल गेल छल (http://esamaad.blogspot.in/2011/10/blog-post_15.html)]

[Indian Constitution has given special importance to primary education through the mother tongue. Article 350(A) of the Constitution spells out:
"It shall be the endeavour of every State and of every local authority within the state to provide adequate facilities for instruction in the mother tongue at the primary stage of education to, children belonging to linguistic minority groups; and the President may issue such directions to any State as he considers necessary or proper for securing the provision of such facilities."]

नाटक, गीत, संगीत, नृत्य, मूर्तिकला, शिल्प आ चित्रकला क्षेत्रमे विदेह सम्मान २०१२

अभि‍नय- मुख्य अभिनय ,

सुश्री शि‍ल्‍पी कुमारी, उम्र- 17 पि‍ता श्री लक्ष्‍मण झा

श्री शोभा कान्‍त महतो, उम्र- 15 पि‍ता- श्री रामअवतार महतो,

हास्‍य-अभिनय

सुश्री प्रि‍यंका कुमारी, उम्र- 16, पि‍ता- श्री वैद्यनाथ साह

श्री दुर्गानंद ठाकुर, उम्र- 23, पि‍ता- स्‍व. भरत ठाकुर

नृत्‍य

सुश्री सुलेखा कुमारी, उम्र- 16, पि‍ता- श्री हरेराम यादव

श्री अमीत रंजन, उम्र- 18, पि‍ता- नागेश्वर कामत

चि‍त्रकला
श्री पनकलाल मण्डल, उमेर- ३५, पिता- स्व. सुन्दर मण्डल, गाम छजना
श्री रमेश कुमार भारती, उम्र- 23, पि‍ता- श्री मोती मण्‍डल

संगीत (हारमोनियम)

श्री परमानन्‍द ठाकुर, उम्र- 30, पि‍ता- श्री नथुनी ठाकुर

संगीत (ढोलक)

श्री बुलन राउत, उम्र- 45, पि‍ता- स्‍व. चि‍ल्‍टू राउत

संगीत (रसनचौकी)

   श्री बहादुर राम, उम्र- 55, पि‍ता- स्‍व. सरजुग राम

शिल्पी-वस्तुकला

    श्री जगदीश मल्लिक,५० गाम- चनौरागंज

मूर्ति-मृत्तिका कला

श्री यदुनंदन पंडि‍त, उम्र- 45, पि‍ता- अशर्फी पंडि‍त


काष्ठ-कला

श्री झमेली मुखिया,पिता स्व. मूंगालाल मुखिया, ५५, गाम- छजना


किसानी-आत्मनिर्भर संस्कृति

श्री लछमी दास, उमेर- ५०, पिता स्व. श्री फणी दास, गाम वेरमा


( सम्पादकीय उमेश मण्डल, सह-सम्पादक, बेरमा, तमुि‍रया, मधुबनी।)



गजेन्द्र ठाकुर

ggajendra@videha.com
 
http://www.maithililekhaksangh.com/2010/07/blog-post_3709.html

 

२. गद्य








अरुण कुमार सिंह
तीन दिवसीय कार्यशालाक आयोजन
विगत 19 सँ 21 सितम्बर 2011धरि भारतीय भाषाक भाषा वैज्ञानिक सांख्यिकी संकाय’( एल.डी.सी.आई.एल.), भारतीय भाषा संस्थान मैसूर-6 द्वारा तीन दिवसीय कार्यशालाक आयोजन कएल गेल। मैथिली, हिन्दी, उर्दू विषयक पार्टस आफ स्पीच सँ संबंधित कार्यशालाक विषय छल लेक्चर कम वर्कशाप आन पी. ओ. एस.-मार्फ: उर्दू, हिन्दी एण्ड मैथिली। एहि कार्यशालामे उक्त विषयक विशेषज्ञक रूपमे छओ गोटए व्याख्यान देलन्हि। एतय ध्यातव्य अछि जे मैथिली भाषाक लेल नेचूरल लेंग्वेज प्रोसेसिंगक क्षेत्रमे पहिल बेर मैथिलीक पार्टस आफ स्पीच एवं ओकर एट्रीव्यूटस (विशेषता) पर विस्तारसँ चर्चा कएल गेल। एल.डी.सी.आई.एल.क दिससँ मैथिलीक लेल पार्टस आफ स्पीच एवं ओकर एट्रीव्यूटस पर डा. अरूण कुमार सिंह एवं एल.डी.सी.आई.एल.टीम द्वारा बनाओल मैथिली टेग सेट पर मैथिली भाषा वैज्ञानिक डा. गिरीश नाथ झा (जे.एन.यू.), डा संजीब चौधरी (बीट्स पिलानी,राजस्थान), डा. कमल चौधरी(आई. आई. टी.रोपर,पंजाब) एवं डा. अनिल ठाकुर(बी.एच.यू.,बनारस)क संग सम्पूर्ण एल.डी.सी.आई.एल. परियोजनाक विषय प्रतिनिधिक संग-संग मैथिलीक विषय प्रतिनिधि डा. अरूण कुमार सिंह, दिनेश मिश्र एवं अतुलेश्वर झा परिचर्चामे भाग लेलन्हि ।
 विगत 12 एवं 13 दिसम्बर 2011केँ भारतीय भाषाक भाषा वैज्ञानिक सांख्यिकी संकाय भारतीय भाषा संस्थान मैसूरक तत्त्वधानमे राष्ट्रीय संगोष्ठीक आयोजन कएल गेल जकर विषय छल पार्टस आफ स्पीच एनोटेशन फार इण्डियन लेंग्वेजस: इसू एण्ड प्रोस्पेक्टीभस। जाहिमे डा. पी. पी. गिरिधर,ए. डी. आई., भारतीय भाषा संस्थानक अध्यक्षतामे आयोजित एहि राष्ट्रीय संगोष्ठीमे सर्वप्रथम स्वागत भाषण डा. एल. रामामूर्त्ति(प्रोजेक्ट डाइरेक्टर,  एल.डी.सी.आई.एल.)क द्वारा कएल गेल। पछाति बीज भाषण डा. गिरिश नाथ झा (जे.एन.यू.) देलनि। देशक विभिन्न भागसँ बीसगोट विद्वान एहि सेमिनारमे अपन आलेखक पाठ कएलन्हि। एहि अवसर पर डा. अरूण कुमार सिंह टूवार्डस मैथिली पार्टस आफ स्पीच टेगिंगविषय पर आलेख पढलन्हि।
 
विगत 22 दिसम्बर 2011केँ राष्ट्रीय अनुवाद मिशन द्वारा भाषा-दिवसक रूपमे मैथिली,बोडो, संथाली एवं डोगरीक संवैधानिक मान्यता प्राप्त करबाक विशिष्ट दिवसक अवसर पर एकगोट कार्यक्रम भारतीय भाषा संस्थान मैसूरक प्रीभ्यू थियेटरमे दुई सत्रमे आयोजित कएल गेल। एकर पहिल सत्र शैक्षिक सत्र छल जकर अध्यक्षता भारतीय भाषा संस्थानक कार्यवाही निदेशक डा.के.कफो कएलन्हि, मुख्य अतिथिक रूपमे निवर्त्तमान निदेशक डा. सचदेवा उपस्थित छलाह।  उपर्युक्त भाषा प्रतिनिधिक रूपमे डोगरीक डा. बीणा गुप्ता, बोडोक डा. अनिल बोडो ओ संथालीक डा. के. सी. टूडू आएल छलाह। मैथिलीक अतिथिक रूपमे डा. श्रुतिधारी सिंहकेँ अएबाक छलन्हि मुदा फ्लाइटक केन्सिलेशनक कारणेँ नहि आबि सकलाह।मंच संचालनक काज डा. अजीत मिश्र, स्वागत भाषण पवन चौधरी एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. नरजरी कएलन्हि। मंचासीन विद्वान द्वारा अपन-अपन भाषाक विशेषता एवं कठिनाईक चर्चा कएल गेल। डा. सचदेवा एवं डा. कफो अपन-अपन विद्वतापूर्ण विचारमे भाषाक सर्वांगिण विकास पर चर्चा कएलन्हि। दोसर सत्रमे सांस्कृतिक कार्यक्रमक अवसर पर मैथिली, बोडो, संथाली, डोगरी एवं किछु दोसरो भाषा- भाषी अपन-अपन भाषामे कविता, गीत,गजल,लधुकहानी आदिक पाठ कएलन्हि। एहि अवसर पर डा. अजित मिश्र गोसाउनिक गीत गावि मैथिलीक कल्याणक कामना कएलन्हि तँ डा. अरूण कुमार सिंह मैथिलीकेँ उचित विस्तार नहि भेटल अछि तकरा आधार बना भारतीय भाषाक हम बेटी मैथिलीकविताक पाठ कएलन्हि।आन-आन भाषा-भाषीक संग दिनेश मिश्र सेहो मैथिली कविताक पाठ कएलनि। ज्ञातव्य हो जे भारतीय भाषा संस्थान मैसूरमे भाषा दिवस मनएबाक स्वथ्य परंपराक श्रीगणेश करबाक सम्पूर्ण श्रेय राष्ट्रीय अनुवाद मिशनक प्रोजेक्ट डाइरेक्टर डा. अदिति मुखर्जीकेँ जाइत छन्हि किऐकतँ हुनकहि संरक्षणमे भाषा दिवस कार्यक्रम संभव भए सकल।
 
विगत 16 सँ 19 दिसम्बर 2011धरि नवम् इन्टरनेशनल कांफ्रेंस आन नेचूरल लेंग्वेज प्रोसेसिंग’(आइकान-2011), अन्ना विश्वविद्यालय, चैन्नईमे आयोजित कएल गेल। भारतीय भाषाक भाषा वैज्ञानिक सांख्यिकी संकाय भारतीय भाषा संस्थान मैसूरक दिससँ मैथिली भाषाक सहभागीक रूपमे डा. अरूण कुमार सिंह गेल छलाह।
 
विगत 07 सँ 16 जनवरी 2012धरि भारतीय भाषाक भाषा वैज्ञानिक सांख्यिकी संकाय’( एल.डी.सी.आई.एल.), भारतीय भाषा संस्थान मैसूर आओर भाषा विज्ञान विभाग’, काशी हिन्दु विश्वविद्यालयक संयुक्त तत्वाधानमे दस दिवसीय ओरिएनटेशन कम ट्रेनिंग प्रोग्राम(कार्यशाला) आन नेचूरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग मैथिली एवं हिन्दी भाषाक आयोजन भेल। काशी हिन्दु विश्वविद्यालयक कला सेकायक एनी बेसेन्ट सभागारमे नेचूरल लैंग्वेज प्रोसेसिंगक प्रशिक्षण कार्यशालाक उद्धाटन समारोहक मुख्य अतिथि डा. रवि भूषण मिश्रा,विभागाध्यक्ष संगणक अभियंत्रिकी, प्राद्यौगिकी संस्थान, काशी हिन्दु विश्वविद्यालय छलाह आओर संयोजक डा. अनिल ठाकुर प्रवक्ता, भाषा विज्ञान विभाग, काशी हिन्दु विश्वविद्यालय छलाह। उद्‍घाटन समारोहक अध्यक्षता प्रो. कमल शील, कला संकायाध्यक्ष, काशी हिन्दु विश्वविद्यालय द्वारा कएल गेल। धन्यवाद ज्ञापन डा. संयुक्ता घोष, प्रवक्ता, भाषा विज्ञान विभाग, काशी हिन्दु विश्वविद्यालय कएलन्हि।

एहि कार्यशालाक मुख्य उद्देश्य भाषा विज्ञानक उभरैत अनप्रयुक्त क्षेत्र, भाषा प्रौद्योगिकी क्षेत्रमे विद्यार्थी एवं शोधार्थीकेँ प्रशिक्षित करब अछि। कार्यशालामे देशक दोसर संस्थानसँ लगभग 15 शोधार्थी सहित काशी हिन्दु विश्वविद्यालयक भाषाविज्ञान संगणक अभियंत्रिकी एवं आन-आन भाषाविभागक 15 शोधार्थी एवं विद्यार्थी सम्मिलित कएल गेलाह।

प्रशिक्षण देब बलामे डा. अनिल कुमार सिंह, डा. संयुक्ता घोष, प्रो.(डा.) रामबक्स मिश्रा, डा. अनिल ठाकुर, डा.रवि भूषण मिश्रा, डा. जितेन्द्र कुमार सिंह, डा. अरूण कुमार सिंह, अरूणधति, डा. सत्येन्द्र अवस्थी, अतुलेश्वर झा,अदितिदेव शर्मा एवं राजेश आदि कार्यशालामे उपस्थित शोधार्थी एवं विद्यार्थीकेँ नेचूरल लेंग्वेज प्रोसेसिंगक सब भागसँ अवगत करबैत कोना काज कएल जाइछ तकरा वाचिक एवं प्रायोगिक रूपमे बुझाओल गेल। ज्ञातव्य अछि जे मैथिली भाषाकेँ एहि तरहक कार्यशालामे सहभागिताक अवसर बहुत कम प्राप्त होइत रहलैक अछि, तेँ एहन-एहन कार्यशालासँ मैथिली भाषा ओ ओकर अध्यवसायीकेँ बहुतो लाभ होएबाक सम्भावना बनैत अछि।                 

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आशीष अनचिन्हार
विहनि कथा 
1

लक्ष्मी

परिछन-----------भगवती गीत---------हास-परिहासक गीत। बच्चा सभ अनेरो औना रहल छल। दरवज्जा पर धमगज्जर मचल। तुमुल हास-ध्वनि। नाना प्रकारक गप्प-सरक्का। बरक बाप कन्याक बापसँ कहलथिन्ह----" आह बूझि लिअ समधि जे हमरा घरमे लक्ष्मी देलहुँ अहाँ----। कन्याक बाप कहलखिन्ह " हँ से तँ ठीके" आ कहिते आँखि झुकि गेलन्हि आ मोने-मोन बजलथि--" एखन तँ लाखक-लाख टका संगमे अनलीहए ने लक्ष्मी तँ बुझेबे करतीह। जखन खत्म भए जाएत तखन इएह लक्ष्मी कुलच्छनी बनि जाएत।"------

2

अंतर

किछु बर्खक पछाति मैरिज सेरेमनीक शुभ अर्धनिशाभाग रातिमे बर अपन कनियाँसँ पुछलखिन्ह----- कहू तँ हमर सासुर आ अहाँक सासुरमे की अंतर भेटल ?

कनियाँ औंघाएल मुदा चोटाएल स्वरे कहलखिन्ह------"इएह जे अहाँ अपन सासुरमे मालिक रहैत छी आ हम अपन सासुरमे बहिकिरनी"

इ दूनू विहनि कथा मुन्ना जहीकेँ समर्पित छन्हि।

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 राजेन्‍द्र कुमार प्रधान
जन्‍म- 03/09/1970
पि‍ता स्‍व. बैद्यनाथ प्रधान
गाम- मरूकि‍या, पोस्‍ट अन्‍धड़ाठाढ़ी, जि‍ला-मधुबनी।
पि‍न- 847401

योग्‍यता- एम.ए. पटना वि‍श्ववि‍द्यालय, पटना
शोधरत्त (पीएच.डी) ल.ना.मि‍.वि‍.वि‍. दरभंगा,
अन्‍य योग्‍यता- संगीत गायणमे जेड.एल. कम्‍युनि‍केशन द्वारा आयोजि‍त ऑल बि‍हार फि‍ल्‍म संगीत प्रति‍योगि‍तामे प्रथम स्‍थान प्राप्‍त। रि‍सर्च स्‍कॉलर, ललि‍त नारायण मि‍थि‍ला वि‍श्ववि‍द्यालय- दरभंगा।

२१म शताब्दीक पहिल दशकक मैथिली उपन्यासमे राजनीतिक चेतना- राजेन्‍द्र कुमार प्रधान

उपरोक्‍त शीर्षक 21म शताब्‍दीक पहि‍ल दशकक उपन्‍यासमे राजनीति‍क चेतना- कोनाे सामाजि‍क उपन्‍यासमे प्रस्‍तुत वि‍षय-वस्‍तुक हएब प्राय: स्‍वभावि‍क अछि‍। उपन्‍यास एक एहन वि‍धा थि‍क जइमे सम्‍पूर्ण जि‍नगीक वर्णन रहैत छैक। जि‍नगीक एकटा अहम अंग राजनीति‍ होइछ। जाहि‍सँ उपन्‍यासमे मोड़ आनल जाइत अछि‍ आ दि‍शाकेँ बदलि‍ दैत छैक। व्‍यक्‍ति‍ भलहि‍ं व्‍यक्‍ति‍गत स्‍थि‍ति‍केँ द्योतक हुअए मुदा जि‍नगी एकटा एहन वि‍शाल परि‍क्षेत्रक नाओं थि‍क जे समाजक बीच पसरि‍ जाइत अछि‍। मनुख जखने समाजसँ जुड़त तँ ओइमे राजनीति‍ स्‍वत: एक अंग बनि‍ जाएब स्‍वभावि‍क अछि‍।

पहि‍ल दशकमे प्रकाशि‍त उपन्‍यास तँ बहुतो होएत मुदा हम जेतबा पढ़ि‍ वा देखि‍ सकल छी मात्र तेकरे वर्णन एे आलेखमे कऽ रहलौं अछि‍।
जगदीश प्रसाद मण्डल- जीक उपन्यासकेँ मैथिली साहित्यमे सार्थक राजनैतिक चेतना जगेबाक प्रारम्भक रूपमे देखि सकै छी, मौलाइल गाछक फूल उपन्‍यासमे राजनीति‍क चेतना ओत-प्रोत अछि‍। जाहि‍मे ग्रामीण जीवनमे पसरल समस्‍याक यर्थाथ चि‍त्रण केलनि‍ अछि‍। प्रस्‍तुत उपन्‍यासमे सुबुध नामक एकटा पात्र जे शि‍क्षक छथि‍ ओ अध्‍यापन कार्यमे लागल रहैत छलाह। गाम-समाजक चि‍न्‍तासँ मुक्‍त छलाह। जखन रमाकान्‍त बाबू मद्राससँ घुरि‍ अपन गाम एलाह आ हुनकामे ई चेतना भेलनि‍ जे अनेरे जमीन हम कि‍अए रखने छी तखन अपन 2 सए बीघा जमीन समुच्‍चा ग्रामीणमे बाॅटि‍ समाजकेँ परि‍वार रूपमे देखए केर नजरि‍क पता शि‍खक सुबुधकेँ लगलनि‍ तखन हुनकामे सेहो चेतना एलनि‍ आ अपन नौकरीसँ ति‍याग पत्र दपुन: आपस आबि‍ जाइ छथि‍।  गाम-समाजक बीच ऐबाक लक्षण एकटा राजनीति‍क चेतनाक अपूर्व कृति‍मान उपस्‍थि‍त करैत अछि‍। तहि‍ना जिनगीक जीत उपन्‍यामे समाज दशा-दि‍शाक यर्थाथ चि‍त्रण करैत अर्थनीति‍ केर मूल रहस्‍यकेँ उद्घाटि‍त करबाक जे प्रयास मंडलजी केलनि‍ अछि‍ ओ एक अद्भुत राजनीति‍क प्रमाण उपलब्‍ध करबैत अछि‍। जगदीश प्रसाद मंडलक अगि‍ला उपन्‍यास उत्थान-पतन एहि‍ उपन्‍यासक माध्‍यमे सामंती सोचकबला समाज आ समाजि‍क सोचक समाज बीच आधुनि‍क वैज्ञानि‍क समन्‍वयवादी सोचक यर्थाथ चि‍त्रण तेहन मार्मिक आ इमानदारीसँ मंडलजी केलनि‍ अछि‍ जे एक तेहन राजनीति‍क चेतनाक संवाहक बनैए जे प्रत्‍येक मनुखकेँ उत्‍थान आ पतनक मार्ग दर्शन रूपमे सि‍द्ध करैत अछि‍।जीबन-मरनउपन्‍यासक लेखक जगदीश प्रसाद मंडल जी छथि‍- एहि‍ उपन्‍यासक मूल पात्र छथि‍ रघुनंदन। रघुनंदनक मृत्‍यु जइ दि‍न भेलनि‍ ओही दि‍नसँ उपन्‍यासक प्रारम्‍भ होइत अछि‍। मि‍थि‍लाक समस्‍यामे बाढ़ि‍, रौदी आदि‍ प्राकृतक समस्‍या केर अलाबे आर बहुत रास समस्‍या छैक जे मानव द्वारा अक्‍ति‍यार कसमाजकेँ जकरने छैक। प्रस्‍तुत वि‍षय केर चि‍त्रण ताहि‍ रूपे मंडलजी अपन जीबन-मरन उपन्‍यासमे केलनि‍ अछि‍ जे एक खास राजनीति‍क चेतनाक जन्‍म दैत अछि‍। हि‍नक अगि‍ला उपन्‍यास अछि‍ जीवन-संघर्षअध्‍यात्‍मक मूल उद्देश्‍य थि‍क मानव-मानवक बीच अगाध प्रेमक जन्‍म देनाइ जइसँ सभ कि‍यो सहमत छी। प्रस्‍तुत उपन्‍यास जीवन-संघर्ष केर माध्‍यमसँ मंडलजी सम्‍प्रदाय आ धर्म कोना व्‍यक्‍ति‍सँ समाज धरि‍केँ तोड़ैए आ कोना लोक अपनाकेँ महामानवक वाटपर चलि‍ सकैए ताहि‍ परि‍पेक्ष्‍यमे चि‍त्रण भेल अछि‍ ओ एक अद्भुत राजनीति‍क चेतनाक द्योतक अछि‍। नि‍ष्‍कर्षत: ऐ सभ उपन्यासमे जीवन आ राजनैतिक चेतना समाहित अछि। लोकक कार्यक प्रति मण्डल जीक विश्वास जिनगीक प्रति विश्वास बिनु राजनैतिक चेतनाक सम्भव नै। 
श्री गजेन्द्र ठाकुर जीक उपन्यास- सहस्रबाढ़नि ढेर रास रजनैतिक आ ब्यूरियोक्रेटिक उथाल-पुथलक गबाह अछि, तँ हुनकर सहस्रशीर्षा दलित गबैय्या मोहनक भारतक स्वतंत्रतासँ सूचनाक अधिकार धरि गीतक माध्यमसँ राजनैतिक चेतना पसारबाक अद्भुत सफल प्रयास अछि, तँ एकर बीचमे सन्हिआएल गामक आ बाढ़िक राजनीति गामसँ दिल्ली धरि पसरल अछि।

राजदेव मण्डल जीक हमर टोलधारावाहिक रूपेँ विदेहमे ई-प्रकाशित भऽ रहल अछि आ ई मैथिलीक सभसँ बेसी पठित उपन्यासक रूपमे उभरि रहल अछि। ओना तँ ई उपन्यास अखन छपिये रहल अछि मुदा घृणा आ प्रेम दुनूसँ सराबोर राजनैतिक घटनाक्रमक लेखक द्वारा जे प्रस्तुतीकरण भऽ रहल अछि से अतुलनीय अछि।
केदारनाथ चौधरी- जीक चमेलीरानी आ एकर सेक्वेल माहुर  वर्तमान राजनैतिक स्थितिक सुन्दर प्रस्तुतिकरण अछि आ अपराधीक राजनीतिमे प्रवेशक सुन्दर विवरण अछि, जतए पाठक चमेलीरानीसँ प्रेम करए लगैए आ ओकर अपराधकेँ स्वीकृति करबा लेल विवश भऽ जाइए।

आशा मिश्रक- उचाट आ अशोक कुमार ठाकुरक निशांत आ वसुधाक संसार सेहो ठाम-ठीम एकर विवरण करैत अछि।
श्याम चन्द्रक "रूपा दीदी" लेखकक कलाक प्रति उदासीनतासँ ओतेक निस्सन प्रभाव उत्पन्न नै करैए मुदा विषय-वस्तुक दृष्टिए ई राजनैतिक चेतनाकेँ आधार लऽ लिखल गेल अछि।

साकेतानन्दक सर्वस्वान्त बाढ़ि आ राहतक राजनीतिक डोक्यूमेन्ट्री फिक्शन अछि।

अनिलचन्द्र ठाकुरकआब मानि जाउ उपन्यासमे एक एहन युवतीक संघर्ष-गाथा अंकित अछि जे अपन लगनसँ जीवन बदलैत अछि। असंख्य गामक ई कथा कुलीनताक अधःपतनक कथा, संस्कार विहीनताक उद्घाटन आ भविष्यक पीढ़ीकेँ बचएबाक चेतौनी छी।
वीणा ठाकुरक भारती उपन्‍यासमे सेहो राजनीति‍क चेतना झलकैत अछि‍।


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जगदानन्द झा 'मनु'

                                                                                   चोनहा 
(धारावाहिक मैथिली कथा )

चोनहा 

एक गोट एहन स्वाभिमानी किशोरक मर्म कथा,जए अपन माय-बाप कए कनिक लापरवाही कए कारण घोर अन्हार एवं अपार दर्दक दुनियाँ मे चलि गेल | मुदा अपन सहाश व् कुषार्ग वुधि कए द्वारा ओ ओहि घोर अन्हार एवं दर्दक छाया सँ बाहर निकलि,एक सुखद एवं प्रकाशमान जिवन मे चरण बधेलक |   

पहिल दु भाग मे अपने पढलौंह - कोना मासूम किशोर संजय कए असहाय माथक पीरा सँ नित्य सामना करय परैक | सब कए सब होएतो ओ निदान्त एसगर, कियोक ओकर इलाज अथवा कष्ट निवारण हेतु प्रयास नहि कएलथि | गाम सँ दिल्ली आएल मुदा सब कए सब  ओनाहि, दिल्लीक गर्मी सँ पीरा मे आओर वृद्धि, अपार कष्ट, मुदा सब किछ असगर सहैक लेल बाध्य | अंत मे ओकरा स्वं एही बताक ज्ञान भेलैक जए ओकर आँखि बहुत कमजोर  छैक परञ्च  ओकर सहायता करै कए जगह ओकरा कोना 'चोनहा' नाम सँ अलंकृत कएल गेलैक | कोना एक गोट  मसुम बच्चा  डॉक्टर सँ चश्मक नम्बर आनि अपन बाबुजी  कए देलक, ओकर बादो चश्मा नहि बनि पएलै | अनायास  एक दिन चश्मा दुकान देखला बाद ओ कोना स्वं चश्मा बनाबैक निश्चय  केलक | कोना ओ वर्तमानक सुख व् सोख कए मारि कs एक-एक पाई चश्मा बास्ते जमा करै लागल |  आब आँगा ----    
******************************

                                                               भाग-३ 
सब मिला कs डेढ़ सय रुपैया जमा करै मे संजय कए  पाञ्च महिना लागि गेलै | नम्बर लेलाक एक डेढ़  महिना बाद सँ ओकर मोन मे पाई जमा करैक बात एलै | कुल मिला कs चश्मक नम्बर अनला छ महिना भs गेलै | मुदा संजय लग एखन तक मात्र  डेढ़ सय रुपैया जमा भेलै | ओकर लक्ष्य त दु सय रुपैयाक रहै, मुदा आगुक पचास रुपैयाक बास्ते पता नै कतेक समय आरो लगै | ताँइ ओ निश्चय कएलक जए एतबे सँ दुकान जए, कम भेलै तs आगु देखल जेतै |

अगिला दिन संजय स्कूलक तिफिने मे, स्कुल सँ लालकिला कए बस पकैर कs चाँदनी चौक चश्मा दुकान कए हेतु बीदा भेल | पाञ्च महिना पहिले आएल छल, ताहि कारण किछु दिक्कत सेहो भेलै मुदा पहुँच गेल |
जाहिखन दुकानदार कए चश्माक नम्बर बला पुर्जा देलकै तs दुकानदार देखते बाजल  -
"इ तs बड्ड पुरान नम्बर अछी, डॉक्टर सँ नबका पुर्जा बनबा कs लय आबु, किएक त नम्बर बढ़ैत रहैत छैक आ छह महिना तs बहुत बेसी समाय भेलैक |"
दुबारा पुर्जा बनाबै  कए निश्चय करैत संजय दुखी मोने   ओहिठाम सँ चलि आएल | आई प्रथमे कएतौ  बाहर असगरे निकलल रहए, असुबिधो भेलैक | सब सँ बेसी ओकरा बसक नम्बरे नहि सुझाई तैं रैह-रैह कs सब सँ पुछअ  परै, कोनोना घर तक सकुशल आएल |  

पुनः भोरे-भोर संजय पाहिले जकाँ, रोट्री क्लब संचालित आँखिक अस्पताल त्रिलोकपुरी तिन ब्लोक पहुँचल | तिन दिनक हरानी कए बाद चश्माक नव नम्बर भेटलैक, मुदा जए छह महिना पाहिले माइनस तिन रहैक से आब ठामे दुगुन्ना माइनस छह भs गेलैक | छह महिना मे एतेक नम्बर बढ़नाइ एही बताक अंदाजा लगाएल जा सकै छै जए ओकर आँखि कतेक बेसि खराब रहैक वा कतेक बेसि गति सँ खराप भय रहल छैक |
डॉक्टर तs संजय कए एही बात सँ पहिले अबगत करा देने रहथि आ चश्मा तुरँत बनाबैक हिदायत से देने रहथि | मुदा  बिधि कए जए मन्जुर |
अगर  आबो अपने नहि सचेत होयते तs आगुक छह महिना मे आन्हरे भs जाएत | संजय कए आब बरहल नम्बर कए जानि बर चिंता होबए   लगलै | अगिला दिन ओ स्कुलो किएक जाएत, किताबक झोरा लेन्हें सोझें चाँदनी चौक चश्माक दुकान पर पहुँचल | चश्माक नव नम्बरक पुर्जा दुकानदार कए देलक | ओकर आँखिक एतेक नम्बर देखि  दुकानदार आश्चर्य सँ -
"हाँ एतेक बेसि नम्बर, अहींक छी की ? "
"हाँ" - संजय धीरे सँ बाजल |
दुकानदार - "किएक एहि सँ पाहिले नहि देखेने रहि की ? इ त साफ-साफ लापरबाहि कए लक्षण थिक - - - माँ बाबुजी नहि छथि की ? ओ हो भगवान एहेन ककरो- - -"
"नै-नै एहन कोनो बात नहि "- दुकानदारक  बात बिचे मे रोकैत संजय बाजल |
दुकानदार सेहो अपन बात कए विराम दैत, अलग-अलग डिजाईन कए फ्रेम निकालि-निकालि s देखाबय  लागल आ संगे-संगे ओकर दाम सेहो बताबय लागल | फ्रेम सब पर एक नजैर दैत संजय बाजल -
"हम बिद्यार्थी छी आ  हमरा लग कुल डेढ़ सय रुपैया अछी, एही दाम मे कोनो मजबूत आ टिकाऊ फ्रेम देखाबु |"
"ठिक छै " - कहैत, दुकानदार सेफ कए एक कोना सँ एकटा साधारण परञ्च मजबूत फ्रेम निकालि कs दैत बाजल -
"इ लिय अहाँ  एहेन बच्चा लेल इ बहुत उचित छै, मजबूत टिकाऊ आ दामो मात्र पछ्तरे रुपैया, पचास रुपैया कए सीसा अर्थात कुल सबा  सय रुपैया लागत |"
"ठिक छै एकरे बना दिय |"- संजय खुसि सँ बाजल, किएक तs ओकरा अंदेसा छलैक रुपैया कम होएत, आ कतय पचीस रुपैया बैंचे गेलैक |
दुकानदार - "ठीक छै तs पाई जमा कय दियोउ, काइल्ह आबि कs चश्मा लय जायब |"
संजय दुकानदार कए एक सय पचीस रुपैया देलाबाद बिल लय ओहिठाम सँ बिदा भs गेल | बिल पर देखलक दुकानक नाम 'लक्ष्मी आप्टिकल' लिखल रहैक | साइन-बोर्ड पर लिखल नाम तs ओकरा सुझले नहि रहै |
बस पकैर घर आएल | आई ओकर मोन किछ शांत रहैक | घर पर इ बात सब केकरो लग नहि बाजल | ओकर मोन मे तs हलचल मचल रहैक कखन भोर होई आ जल्दी-जल्दी चश्मा आने  |
भोरे संजय उठी सब दिन जेकाँ नहा-सुना कs स्कुल गेल | स्कुल कए छुट्टी भेला बाद, सोझे स्कूले सँ लालकिला कए बस पकैर कs  चश्मा लेल चाँदनी चौक  बिदा भs गेल | चश्मा दुकान पहुँचल, ओकर चश्मा बनि चुकल छलै | चश्मा देखला बाद दुकानदार कए कहलाउत्तर लगाओ कs देखलक |
इ की चश्मा लगेला सँ ओकरा एक नव दुनियाँक दर्शन भेलैक | सब किछु नव-नव | ओ सामने रोडक ओई पारक दुकान सब, दुकान कए भीतर राखल समान सब, दुकान सबहक साईन-बोर्ड  पर लिखल अक्षर सब एकदम साफ-साफ बिलकुल स्पस्ट देखा रहल छलैक | एके मिनट मे आई ओकरा ज्ञात भेलैक जए इ महानगर कतेक सुन्नर छैक, जए की आई सँ पहिले कहियो नहि देखने छलै |
लगले ओ अपन  आँखि सँ चश्मा निकालि कs खोल मे रखैत जेबी मे राखि लेलक | किएक तs बिना चश्माक आ चश्मा पहिरलाक बादक दुनियाँ कए सन्तुलन करै मे किछु तs समाय लगतै | चश्मा पहिरला बाद सबटा नव-नव लगै, जए-जए बस्तु सब देखाई से-से सब कहियो ओ अनुभबो नहि केने | एही दुरी कए भरै मे तs किछ समय, एक दु दिन तs लगबे करतै | दोसर, दुकान तक बिना चश्मा कए आएल छल आब पहिर कs नव दुनियाँ संगे जए मे असुबिधा छलै | दुकान सँ बाहर निकैल बिना चश्मेक बस स्टेंड तक आयल |
आब कोन बस पर चढ़े ? की ओकरा चश्माक यादि एलेक, चश्मा निकालि कs लगेलक, की ओकर आश्चर्यक सीमा नै रहलैक जतए बिना चश्मा कए  सामने ठार बसक नम्बरों नै सुझै छलैक ततए चश्मा पहिर कs समूचा रोड पर जतेक बस गाड़ी रहैक सबहक नम्बर पैढ़ सकै छल | 
ओकर मोन इ नव बस्तु सब देखक आनन्दबिभोर भय गेलैक |  पाँछा घुमि कs देखलक त सामने छाती तन्ने ठार, विशालकाय लाल पाथर सँ निर्मित सुन्नर लालकिला देखलक, लालकिला कए सुन्नरता एवं मनमोहकता देखकय ओ मन्त्रमुग्ध  रहि गेल | किएक त पहिले बिना चश्मा कए  त खाली लाल-लाल धुंद जकाँ किछु छैक सेहटा देखाई दै | असली लालकिला त आई चश्मा पहिरलाबाद देखलक | ताबत सामने दूर सँ ओ देखलक, ओकर बस आबि रहल छै, मुदा चश्मा पहिरबाक आदत नहि रहबा कए कारण चलै मे असुबिधा  होई तैं फेर सँ चश्मा खोलि जेबी मे रखलक आ बस पर बैसल |   बस पर बैसला बाद फेर सँ चश्मा निकालि, एकबेर लगाबे एकबेर निकाले अन्त मे चश्मा निकालि खोल मे दय, बस्ता मे राखि लेलक ताबत मे बस सेहो चलय लगलै |

बस चैल रहल छलैक, आ संजय कए मोन मे सोचक भंवर उठय लगलै -
"एही सबा सय रुपैयाक चश्मा कए अभाबे हमरा  एतेक कष्टक सामना करय परल  | नहि  खला सकै छलौंह , नहि बस पर चैढ़  सकैत छलौंह , नहि ब्लैक बोर्ड पर लिखल हिसाब देख सकैत छलौंह, नहि  नीक जँका किताब पैढ़ सकै छलौंह , नहि टी वि देख सकै छलौंह  | पढ़ाईयो मे दिन-दिन पिछरल जा रहल छलौंह  |  मुदा माँ बाबुजी एही बात पर कोनो ध्यान नहि देलनि  | एक बेर तs चश्माक  नम्बरों आनि कय  देलियैंह मुदा धन-सन कोनो कान-बाट नहि | कोना- कोना कुन-कुन हिसाबे अपने एक -एकटा पाई जोरि कs पाञ्च  महिना मे इ रुपैया जमा केलहुँ |"   
बिचारक मंथन मे डुबल कोना समय बीत गेलै, कोना बस अपन गंतब्य स्थान तक आबि गेलैक, संजय कए किछु ज्ञात नहि ओ तs अपन ध्यान मे डुबल रहे, जखन  सब बस सँ  उतैर गेलैक तखन ओकर ध्याकं खुजलै आ ओ बस सँ उतरल |

बस सँ उतरला बाद, पएरे चलैत ओकर मोन एक बेर फेर सँ नव समस्या मे ओझरए लगलै -
"चश्मा त लय अनलौं, आब घर मे की कहबै? कतए सँ चश्मा अनलौं? रुपैया कतए सँ अनलौं? कए बना देलक ? "
आन-आन सबाल-जबाब सब ओकरा मोन मे अबै जाई | रस्ता ख़त्म घर आबि गेलै | खेलक-पिलक मुदा ओकर मोन त एही प्रश्नक उत्तर खोजै मे लागल रहैक की -"घर मे चश्मा की कहि कs देखएबै ?"
समय बितलैक, साँझ परलै संजय सेहो   नव मोर्चा सम्भालैक किछु उपाय सोचलक | 
संजय कए बाबुजी सेहो  ड्यूटी सँ एलाह, नितकर्म सँ निवृत भेलाबाद माँझ आँगन मे खाट पर बैसलाह | संजयक  माय व् छोट दुनु भाई हुनके चारुकात बैसल | संजय सेहो अपन जेबी मे चश्मा रखने ओहिठाम बैसल, मुदा बाहर निकालि कs देखेतै से हिम्मत कए अभाब | आन-आन गप सब होइत रहैक, ताहि बिचमे संजय बहुत आत्ममंथन व आत्मदृढ़ता कए बाद अपन सम्पूर्ण सहास कए जुटाबैत जेबी सँ चश्मा निकालि बाबुजी कए देलकैन्ह  |
बाबुजी चश्मा कए हाथ मे लैत -"की छैक "
"चश्मा" संजय धिरे सँ माथ झुकोने बाजल, आगु अपन सेफ कए गरदैन सँ निचा घोंटैट बाजल - "आइ फेर सँ स्कुल मे डॉक्टर आएल  रहैक, हमर चश्मा नै बनल ताहि कारण बहुत बाजल, कहलक पहिले सँ दुगुना बेसि आँखि  खराब भय  गेलैए, अंत मे ओहे डॉक्टर अपने लग सँ चश्मा देलक |" इ बात ओ एतेक फटाफट बाजल जेना कियो गोटा ड्रामा मे रटल- राटायल शब्द फटाफट बाजि जाइये | 
हलाँकि ओ उपरोक्त सब बात फुसिए बाजल, किएक त बच्चाक मोन अपने ओतेक कस्ट सहि चश्मा बनबेलक मुदा ओकरा सामने आनै  लेल  किछु नै किछु तs कहैए परतैक |    झूठो बाजि कs अपन आँखिक रक्षा केलक | जए काज ओकर माय-बाबु कए करए चाहियैंह से काज ओ मासुम बच्चा अपने कएलक मुदा इ कोनो एतेक भारी झूठ नहि भेलै जए पकरल नहि जए | चश्माक खोल पर साफ-साफ दुकानक नाम पत्ता लिखल रहैक, लक्ष्मी ओप्टिकल, दुकान नम्बर फलाँ-फलाँ - - - चाँदनी चौक दिल्ली छह | आ इ कियो एक गोट सामान्य बुद्धिक व्यक्ति जनै छै जए एक निजी दुकान मंगनिमे चश्माक वितरण किएक करतैक, कोनो सरकारी या धर्मार्थ संस्थाक नाम होएतैक तs कनि बिस्बासो कएल जा सकै छलैक | मुदा एहिठाम एहन कोनो बात नहि |
दोसर चश्मा बनेनाइ कोनो चुटकी कए काज तs नहि छैक ? नम्बरक सीसा कए काटि-छाँटि कs,घैन्स कs फ्रेम कए मुताबिक बनेनाइ,जए की एक गोट वर्क-शॉप मे भय  सकैत छैक, नै  की कोनो डॉक्टरक जेबी मे | परञ्च बाबुजी कए संजयक बात पर बिश्बास भय गेलैन | सैदखन पहिरै कए निर्देश दैत, बस ! आगू कोनो बात-चित नहि |
कनिकाल लेल मानि लेल जए, छह महिना पहिले जखन संजय हुनका हाथ मे चश्मा कए नम्बर दएने रहैन तखन ओ कोनो कारने चश्मा नहि बना पएलनि, मुदा आबो त सामने देख रहल छथिन जए कतेक मोटक सीसा कए चश्मा ओकर आँखिक  उपर छै | आबो त अपन पहिलुक गलती सुधारि सकै छलैथ | कतौ कनि निक डॉक्टर सँ ओकर आँखिक इलाज करा सकै छलैथ | दिल्ली मे त एक सँ एक पैघ-पैघ अस्पतालक लाइन लागल छैक | कतय धिया-पुता कए आँखि मे एकटा कीड़ा पैर जाएत छैक त  ओकर माय-बाप कए आत्मा तर्पय लगै छैक, आ कतय एक गोट माय-बाप कए बच्चाक आँखिक ऊपर माइनस छह कए चश्मा लागि गेलै आ धन-सन |
आब संजय सैदखन आँखि सँ चश्मा लगोने रहे, स्कुल, हाट-बाजार,रस्ता-घाट कतोउ बिना चश्माक नहि जए | पहिले दु-चारि दिन किछु असुबिधो भेलैक, मुदा  बाद मे अभ्यास भय गेला पश्चात सब ठिक | चौबीस घंटा मे जेतबे काल राति मे सुतल तत्बेकाल  ओकर आँखि सँ चश्मा निकलै, कहियो क त चश्मे पहिरने सुतियो रहे |

संजय कए चश्मा लेला पुरे दु वर्ष भय गेलैक, आ आइये ओकर दसम वर्गक परीक्षा परिणाम घोषित भेलैक ओ नीक अंक सँ पास केलक | परीक्षा परिणाम जनलाबाद ओकर मोन रिजल्टक चिंता सँ किछु हल्लुक भेलैक,किछु शांति सँ बैसल रहए की ओकर मोन रूपी घोरा, जीवनक सात-आठ वर्ष पाछु चैल गेलैक | कोना- कोना ओकरा कष्टकारी माथ दर्द होई, कोना गाम पर माथ दर्द सँ अँगना मे ओंघडिया मारए आ कियो ओकरा देखनाहर नहि | दिल्ली आएल मुदा दिल्लीयो मे  इ जानलेबा असहाय  माथ दर्द कोनो कम नहि, दिन सँ दिन बेसिए परेसान केलकै | 
कि एकाएक ओकर  मानसपटल पर कतौ सँ अबाज एलै - 
" ई की  बहुतो दिन सँ तs माथ दुखेबे नहि केलक, कहिया सँ, दु वर्ष सँ, हाँ -हाँ दुवे वर्ष सँ, जहिया सँ चश्मा लेलौंह तहिये सँ, हाँ-हाँ जखन सँ चश्मा पहिरब सुरु कएलौंह तखने सँ इ असहाय जानलेबा माथ दर्द ठिक अछी | इ दु वर्ष मे एको बेर माथ दर्द नहि भेल | त कि जए एतेक असहाय माथ दर्द सात-आठ वर्ष वा ओहु सँ पहिले सँ होई छल से आँखिक कमजोरिक कारने, हाँ ! शायद -- शायद कि पक्का - -  पक्का  हाँ ! आँखिक कमजोरिक कारने ओतेक माथ दर्द होएत छल |"
जान लेबा माथ दर्द ओकर सुमरण मात्र सँ सनजय  कए समुचा देह मे कपकपी भय गेलै | जेना-जेना आँखिक कमजोरी बढ़ल जए तेना-तेना ओकर माथक दर्द बिकराल रूप धारण केने गेल रहै | मुदा कियो कोनो डॉक्टर सँ देखाबय बला नहि | इ बात सब सुमैरते ओकर दुनु आँखि सँ नोरक धारा बहए लगलैक | मुदा तैयो ओकर सोचक बिराम नहि होई छैक, ओकर बिचार रूपी घोरा लगातार अपन पथ पर सरपट दौर रहल छैक - 
"आह ! अगर सात-आठ वर्ष पहिले, कम सँ कम दिल्लीयो एला बाद कोनो नीक डॉक्टर सँ हमर माथ दर्दक इलाज भेल रहिते, त किएक ओ ओतेक कष्ट व् पीड़ा सहय  परितए, आ किएक आई एतेक मोट सिसाक चश्मा आँखि पर पहिरए परितए, जएकर बिना कि एक तरहे आन्हरे छी | इ कएकर  दोष ? हमर ? हमर समाज कए ? हमर माय-बाप कए ? कि हमर कपार कए ? यदि एतबो पर हम अपने नहि सचेत भेल रहितौं त आई दसवी पास करै कए जगह एक भयंकर अन्हारक दुनियाँ मे विलीन भय गेल रहितौ |"
संजय  कए विचारक घोरा बिराम लेलकै कि नहि ? मुदा समाज कए सामने एकटा यक्ष प्रश्न छोरि गेलैक-
माय-बाप कए कर्तव्य अपन संतानक प्रति की हेबा चाहि ? भोजन,कपड़ा-लत्ता - - -की आगुओ किछ ? आगु की -की  ? ? ?- - -

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4. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो आर त्रुटि भेटल ।
5. रचना/ प्रस्तुतिपर अहाँक कोनो आर सुझाव ।
6. रचना/ प्रस्तुतिक उज्जवल पक्ष/ विशेषता|
7. रचना प्रस्तुतिक शास्त्रीय समीक्षा।

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"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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