एकटा गाम | मननपुर | भोरक समय | गामक बीच दुर्गा मंदिर सँ उठैत नारी स्वर , गीतक एहन प्रवाह लगे छल जे स्वयं सरस्वती कमलक आसन पर बैस अपन हाथक वीणा संग मधुर भजन गाबि रहल छथिन | यैह भजन " जय जय भैरबी .........." सँ ऐ गामक मनुष्य आ अपन अंखि खोलै छथि | आब फरिच्छ भs गेल छै | किसान अपन बरदक संग खेत दिश चललाह |बरदक घेट मे बान्हल घंटी , ओही मधु भरल स्वर संग ताल -में ताल मिलायवाक भरिसक कोशिश कs रहल छै | भोर सात बजे एहि गाम सँ ओही नारी के पहिल भेंट होई छै | किरण , जी हाँ ,किरण नाम छै ओकर | सोलह -सत्रह वर्ष के घेट लगेने , मानु कोनो आधा खिलल गुलाबक कली | यौवनक चिन्ह आब उजागर होबs लागल छै | सुन्दरताक चलैत-फिरैत दोकान । ककरो सँ कोनो उपमा नै अनुपम । एकदम मासुम मुँह ,समाजक रीति-रिवाज सँ अंजान ।गाम मे सबहक चहेती ।कोनो काज एहन नै जे ओ नै क' सकैए ।सब काज मे पारंगत ,किरण ।
" किरण ,गै किरण ,कतS चल गेलही ,स्कुलक देर भs रहल छौ ", सुलोचना टिफिन बन्न करैत किरण कए सोर केलखिन ।
" आबै छियौ ,बस दू मिनट ", कहैत किरण घर सँ बहरायल ।कनेक काल ठमकि ठोर पर मुस्की नचबैत बाजल ," माँ आइ कने देर सँ एबौ ,आइ ने हमर सहेली पिंकी कए जनमदिन छै ,"
आ इ कहैत साइकिल लs स्कूल दिश चल देलक ।
स्कूल मे एकटा लड़का छलैए ,राकेश, पढ़ै-लिखै मे गोबरक चोत ,मुदा पाइबाला बापक एकलौता बेटा ,से पाइ कए गरमी जरूर छलैए ।सब साल मास्टर कए दु टा हजरीया दs दै आ वर्ग मे प्रथम कs जाए ।एक नम्मर कए उचक्का ।ओ जखन-तखन किरण कए देखैत रहैए ।आब किरण गरीब घरक सुधरल बेटी ,ओ की जानS गेलै ,जे कनखी कए अर्थ की होइ छै ।जहिना आन सब छात्र-छात्रा राकेशक किनल चाँकलेट ,मलाइबर्फ ,बिस्कुट आदि अनेको चिज सब खाइ छल ओहिना किरणो बिना छल-प्रपंच कए राकेशक संग रहै छल ।इम्हर किछ दिन सँ राकेश मंहगा सँ मंहगा आ सुन्नर सँ सुन्नर चिज-बित सब आनि कs किरण कए
चुप्पे-चाप दै छलै ।जै अवस्था मे एखन किरण छल ओहि मे विपरीत लिंगक प्रति आकर्षण भेनाइ स्वभाविक छै ,आ जौँ पैसा कए गमक लागि जाए तs फेर बाते कोन छै । इएह कारण छै जे राकेशक संग आब नीक लागS लागलै । राकेशक जादु एहन चलले जै मे फँसि पढ़ाइ-लिखाइ सब पाछु छुटि गेलै आ मस्ती हावी भ' गेलै । ऐ आकर्षण कए नाम देलक "प्रेम" । प्रेम ,जाहि शब्दक एखन धरि कोनो उपयुक्त परिभाषा नै भेटल । प्रेम ,जकरा बेरे मे जतेक लिखब ततेक कम ।प्रेम ,शायरक तुकबंदी ,दिल कए मिलन ।प्रेम , जे मौत सँ लड़बाक साहस दै छै । लैला-मजनु बाला प्रेम भेल छलै अकी किछु और जानी नै ।
" आउ ,आउ , आइ बड़ देर कs देलियै ," किरण कए आबैत देख राकेश बाजल ।
" हाँ ,की करब साइकिल पंगचर भ' गेल छल " किरण जबाब देलक ।
राकेश मक्खन लगाबैत बाजल ," आहा , हम्मर जान कए आइ बुलैत आबS पड़लै . . . काल्हि चलब नवका स्कुटी किन देब . . . तखन नै ने कोनो दिक्कत ।"
किरण मुस्कुराइत बाजल ," दुर जाउ ,स्कुटी पर चढ़बै त' गामक लोग की कहतै । कहतै जे छौड़ी बहैस गेलै ।"
" लोग किछु कहैए कहS दियौ ,अहाँ बताबू वेलेंटाइन डे अबि गेल छै गीफ्ट की लेबै ," राकेश एक्के साँस मे बाजल ।
" हम किछु नै लेब ,जखन प्रेम केलौ आ बियाह करबे करब तखन अहाँक सब किछ अपने आप हम्मर भ' जेतै ," किरण विश्वास के साथ बाजल ।
कनेक काल मौन ब्रत कए पालन केला कए बाद राकेश किरणक हाथ पकरैत बाजल ," किरण ,हम चाहै छी ऐ बेर वेलेंटाइन डे पर दरभंगा घुमै लेल चलब । जौं अहाँ कहब त' एखने होटल बुक करबा दै छी " फेर कने और लग आबि बाजनाइ शुरू केलक ." ओतS खुब मस्ती करब ,फिलम देखब आ राज मैदान मे पिकनिक मनायब आओर बहुतो रास गप्प करब ।"
किरण अपन हाथ छोड़बैत बाजल ," नै नै हम असगर अहाँ संग दरभंगा नै जायब । माँ हम्मर टाँग तोड़ि देत , अहाँ जायब त' जाउ हम एतै ठिक छी ।"
" हे . . .हे . . . हे . . . हे . . . एना जुनी बाजु " राकेश किरण कए पँजियाबैत बाजल ," हम अहाँ होइ बाला घरबाला छी आ पति संग घुमै मे कोन हर्ज छै , मात्र एक्के दिन कए त' बात छै , अहाँ कोनो बहाना बना लेब ।"
जेना-तेना क' राकेश अप्पन बात मना लेलक ।तय दिन किरण आ राकेश शिवाजीनगर सँ बस पकैड़ दरभंगा दिश चल देलक । भरि रस्ता प्यार-मोहब्बत कए बात बतियाइत रहल । दरभंगा आबि राज किला देखलक ,श्यामा मंदिर ,मनोकामना मंदिर मे पुजा केलक , टावर चौक सँ शाँपिँग केला कए बाद साँझ होटल मे आयल ।
आब एक कमरा ,एक बेड ,दु जन ।बड़ मुश्किल घड़ी छलै ।
राकेश कहलक ."आउ कने सुस्ता लै छी ,काल्हि भोरे एहि ठाम सँ विदा हएब ।"
किरण प्यार कए कारी पट्टी सँ अपन आँखि बान्हि लेने छलै ।बिना किछु बाजने ओ सब करैत गेल जे राकेश चाहै छलै ।जौं कखनो बिरोधो करै त' प्रेमक दुहाई दs राकेश मना लै छलैए ।और अन्ततः ओ भेलै जे नै हेबाक चाही ।प्रेमक मायाजाल मे फसल प्रेमक मंत्र सँ वशिभुत कएल किरण किछु नै बाजल .शायद अप्पन प्रेम पर हद सँ बेसी विश्वास छलै । भोरे नीन खुजलै तs अपना आप कए असगर देखलक । कनेक काल प्रतिक्षा केलक मुदा राकेशक कोनो अता-पता नै छलै । काउन्टर पर सँ पता चललै जे राकेश तs तीन बजे भोरे चल गेल छलै ।
आब बुझु किरण पर बिपत्ती कए पहाड़ टुटि पड़लै । बिभिन्न तरहक बात मोन मे आबै ।माँ कए की कहब .आगु जीवन कोना काटब ,लोग की कहतै ।सोचैत-सोचैत मोन घोर भs गेलै । गाम दिश जायबाक लेल डेगे नै उठै । कतS जायब ,की करब । चलैत-फिरैत लहाश भs गेल छलै किरण । भीड़-भाड़ मे रहितो एकदम तन्हा ।मनक तुफान रूकबे नै करै । बेकार , जीवन बेकार भs गेलै ।सबटा सोचल सपना क्षण मे टुटि गेलै । सोचै ,माँ कए अफसर बनि कs के देखेते , भगबती कए गीत के गेतै ।
एतेक दिन दुर्गा माँ कए पुजा केलौ... तकर इनाम इ भेटल ।....सब झुठ छै ,... देवी-देवता सब बकबास छै ..... गरीबक साथ कोनो देवी-देवता नै दै छै ।...... सब कहै छै ,. प्रेम बड़ नीक शब्द छै ,..........प्रेम सँ पत्थर दिल मोम भs जाइ छै ,.....मुदा नै....... ,प्रेम तs जहर छै ,जहर ... जै सँ केवल मौत भेटै छै ,मौत कए सिवा किछु और नै ,मौत . . . मृत्यु . . . .मौत . . .जहर . . . । हम जानि-बुझी कs इ जहर पिलौँ ।........ हम अपवित्र छी , हम कुलक्षणी छी ......., हम धरती परक बोझ छी ......हमरा जीबाक कोनो अधिकार नै । हमरा सन के लेल ऐ दुनिया मे कोनो जगह नै । ............हम माँ-बाप कए इज्जत और निलाम नै करब ।......हम मरि जायब , ककरो किछु खबर नै हेतै । ......हम अप्पन बलिदान करब ।अनेको रास बात सँ माँथ लागै फाटि जेतै । ओ एक दिश दौड़ल ,किम्हर .से ओकरो नै पता , ओ कतS जा रहल छै ....., नै जानी । ....दोड़ैत-दौड़ैत भीड़ मे कत्तो चल गेलै । अप्पन अन्जान मंजील दिश ।
भोरे आखबारक मुख्य पृष्ट पर मोट-मोट अक्षर मे लिखल छल " सोलह-सतरह साल कए एकटा गोर-नार युवती रेलवे पटरी पर दू टुकड़ी मे भेटल ।नाम-गाम कए पता नै चलल अछि । पोस्टमार्टम कए लेल लाश भेज देल गेलै यै । अंतिम दाह-संस्कार पुलिसक निगरानी मे होयत . . . । ।
३
मिथिला आ मैथिलीक विकास क्यो रोकि नहि सकैत अछि। आवश्यकता अछि मिलि कए कार्य करबाक। जे मिथिला क्षेत्रमे रहैत छथि सभ मैथिल थिकाह। ई गप्प दिनांक 10-02-2012 के यू. जी. सी. प्रायोजित राष्ट्रीय सेमिनारक उद््घाटन करैत विधान परिषद्् अध्यक्ष पं. ताराकान्त झा बजलाह। अपन अध्यक्षीय भाषणमे ल.ना. मिथिला विश्वविद्यालय केर माननीय कुलपति डॉ. एस. पी. सिंह कहलनि जे ‘‘ एकैसम शताब्दीक पहिल दशकमे मैथिलीक स्थिति आ अपेक्षा विषयपर केंन्द्रित ई सेमिनार मैथिलीक विकासमे मीलक पाथर सिद्ध होयत। प्रति कुलपति डॉ. ध्रुव कुमार मैथिली भाषा एवं संस्कृतिक प्रशंसामे कहलनि जे एतयकेर लोक बहुत उदार होइत अछि। पूर्व विधान पार्षद डॉ. दिलीप कुमार चौधरी जोर दैत कहलनि जे मैथिली अनिवार्य विषय होअए आ बच्चासभक संग संवाद मैथिली माध्यमे होयबाक चाही। विशिष्ट अतिथि डॉ. वीणा ठाकुर कहलनि जे साहित्य एवं समाजक कल्याणक हेतु भाषा एवं साहित्यकँे बचायब आवश्यक अछि। मैथिलीक वरीष्ठ साहित्यकार डॉ. भीमनाथ झा कहलनि जे मैथिली साहित्यक प्रति उदासीनता जगजाहिर अछि। भाषणमे बहुत किछु कहल जाइत अछि मुदा प्रयोगमे नहि अबैत अछि। आइ.आइ.टी. मद्रासक अंग्रेजीक प्रोफेसर डॉ. श्रीश चौधरी सेहो अपन मंतव्य देलनि। कार्यक्रमक शुभारम्भ शिल्पा,निशा एवं भावनाक द्वारा ‘जय जय भैरवि’ गायनसँ भेल। स्वागत भाषण प्रधानाचार्य डॉ. आर. के. मिश्र कयलनि आ कार्यक्रमक रूपरेखा सेमिनारक सचिव डॉ. अशोक कुमार मेहता कयलनि। उद्घाटन सत्रक समाप्ति डॉ. दमन कुमार झाक घन्यवादज्ञापनसँ भेल।
एहि कार्यक्रममे तीनू दिन मिलाय चारिगोट अकादमिक सत्र चलल जाहिमे प्रमुख वक्ता लोकनि छलाह-डॉ. महेन्द्र झा-सहरसा, डॉ. केष्कर ठाकुर-भागलपुर, डॉ. ललितेश मिश्र-मधेपुरा, डॉ. फूलो पासवान- मधुबनी, डॉ. देवेन्द्र झा-मुजफफ्रपृुर, डॉ. कमला चौधरी- मुजफफरपुर, डॉ. रमण झा- दरभंगा, डॉ. विभूति चन्द्र झा- दरभंगा, डॉ. वासुकी नाथ झा- पटना, डॉ. नीता झा-दरभंगा, डॉ. सत्यनारायण मेहता-पटना, डॉ. राजाराम प्रसाद- सहरसा, एवं डॉ. दमन कुमार झा, मधुबनी।
एकर अतिरिक्त अनेक विश्वविद्यालयसँ आयल लगभग चारि दर्जनसँ अधिक शिक्षक, जे.आर.एफ.,एवं छात्र-छात्रा लोकनि एहि राष्ट्रीय पावनिमे अपन-अपन शोधपत्रक संग विचार रखलनि जाहिमे वि. मै. विभागक छात्र-छात्रा लोकनि सेहो छलथि। विचार व्यक्त कयनिहारमे छलाह- सोनू कुमार झा, शीतल कुमारी, सोनी कुमारी, पुड्ढलता झा, अरुणा चौधरी-पटना, डॉ. शिव प्रसाद यादब-भागलपुर, बिष्णु प्रसाद मंडल, अमृता चौधरी, अर्चना कुमारी, राधा कुमारी, राम नरेश राय, निक्की प्रियदर्शिनी-भागलपुर,भाग्य नारायण झा-मधेपुरा,सुरेन्द्र भारद्वाज, श्यामानन्द शाण्डिल्य एवं अन्य।
समापन सत्रक अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉ. आर. के. मिश्र कयलनि तथा विशिष्ट अतिथि ल.ना.मि.वि. केर कुलानुशासक डॉ. टी. एन. झा, क्रीडा पदाधिकारी डॉ. अजयनाथ झा छलाह। संचालन डॉ. अरुण कुमार सिंह कयलनि तथा धन्यवाद ज्ञापन एवं समदाउन गायन डॉ. अशोक कुमार मेहता द्वारा भावविह््वलताक संग कय संगोष्ठीक समापन भेल।
३. पद्य
शकुनतला
सिनेह सॅ सींचल . .. ड़ूमरिक फूल. . . .
स्वप्नमय जीनगी के. . . छाहरि मे टहलैत. . .
गुनैत. . . मृग शावकक पाछॉ दौगैत .. . . . .ठिठकैत. . .
कलि कलि. . .कुसुम .कुसुम के
अपन सिनेहक ताग सॅ गॉथैत. . . बांधैत. . . .
सजाबैत. . .संभारैत. . .औचक एक दिन. . . . .
अनचिन्हार सन. . . . धून लागल जाङक मास
सब किछु झलफल. . . कत्तौ किछु नै स्पष्ट. . . .
आ’ ओहि अस्पष्ट सन. . नदी के तल पृष्ट मे
एक गोट मनोहर. . . बलिष्ट . .. आहृलादकारी. . . जोद्वा. क’
बिंब. . . .उभरि .. . . .. वेगवान वायु क’ संपर्क सॅ. . .
असंख्य पतिबिंब मे परिवर्तित होईत. . .
क्षणांश .. . मे तिरोहित भ’ उठल.. . .मुदा ओ एक क्षण
. . . . .कएक दिन . . . मास. . . धरि. . . मुस्कैत. . .पैघ .पैघ मादक
ऑखि सॅ .. .. .
प्रेमक हकार. . पठबैत. . . पकृति पुरूष.क’ ताक झॉक . .
ऋषिकन्या के बेकल करैत .. . .
ऑखि ऊपर उठाक’ . . . .रहस्यक अवलोकन करय लेल. . .
. . चहु दिस हेरैत. . .कमलाक्षी .... . . ..सन्न. . . . ।
अपन सोझा ठाढ .. . विशाल चुंबकक़ . .पभाव सॅ . .. धकधक करैत हिय के संभारब मे असमर्थ. . .. माथक अवगुंठन. . .कनि नीचा तीरैत. . . .पफुल्लित ... . सरोरूद .. . .मुखमंडल के झॅपबा के कम मे उठेलक हाथ . ।..
झट सॅ ओहि मृणालसन. . . हाथ के थामए लेल . ... .बढि गेल छल उष्ण .. .शोणित सॅ पवाहित . . मजगुत .. पौरूष हाथ .. .
धङफङी मे नजरि स ॅनजरि मिललै. . . आ’ बिजुरि चमैक .. .ठनका सन खसि पङल रहै माथ । . .
ई साक्षात. . . स्वर्गक अपसरा. . . जौं होईत हमर सहचरा. . .
अनेकानेक द्वन्द्व क’ शिकार मे .. . फिरीशान . .फिरीशान . ..
ओहि सुन मसान . ..घाटक .. .कात मे. . . प्रेमक पथम वल्लरि जनिमते .. . पफुल्लित भ’ उठल . .. तीर तरकस कामदेवक .. . खेल खेलाङी विधाता . .. लेखनहार सेहो स्वयं ।
ई ज्वर. . .बढैत. . . .चढैत .. . .दिमाग के करय लै गस्त .. . कएल अपन सबटा अजगुत. . .पॉख़ि . .पशस्त. .।
स्वछंद विचरैत आगि .. .
खिच्चा पकृति .. .के. ..करबा लेल तबाहि
जोहि रहल छल बाट. . .
आगंतुकक ठाठ. . ..
छल सॅ भरल . . .अपन सिनेहक’
पथम निशान. . . .. सौपैत स्वर्ण मुद्रिका. . . ..
यश. . . कीर्ति. . . सुनामक़ . .ध्वजा फहराबैत. . . .
फेर अयबाक बोल भरोस दैत. . . .
कएक दिवसक अन्तराल . . . .गाछ तर . . . बान्हल .. . अश्व प’. . . . आरोही. . .ओहि . . . घन घोर जंगल मे जाईत रहला. . . . जखन दूर धरि. . . ओकर पीठ हेरैत. . . .निहारैत .. . कुमुदनी. . . .
पीपनी खसेनाय बिसरि गेल अपन .. . .।
ई सब एतेक शीघ. . . .
अनायास .. .
कोना भ’ गेल .. . .षङयंत पकृति केर. ..। .
ओ कोमल स्पर्श. . . .
पानि मे ऊब डूब .. करैत. .
एकटा. . . रस लोलुप भमर ..
दोसर कॉच कली. . . . .
अहि ज्वर भाटा मे डूबए लेल मात कलि. . .
उङि चलल . .. रसपान करि. . .सुआरथी जीव .. .
अपन देश .. . अपन गली. . .।
ऑखि मे चमकैत .. .अतीतक’ मोहकता .. . .
ओ सुन्नर चितवन. . . ओ मादक चपलता .. . .
ठिठकल सन घर मे. . . .बिसरल सन रस्ता. . . ।
सखि बृन्द बेहाल .. .देखि कुसुम गुमसुम .. .
हेरायल हेरायल चालि .. . .
क्षण मात लेल. . .जे नहि कहियो स्थिर. . विदयुतलता. . .
आखर सॅ पहिने हॅसी निकसै ठोर सॅ. . .
नव तरू. सन. . ड़ोलैत ओ भामिनी .. .
आय हठात .. . किएक . . .एना गुम .. . .
फराक .फराक बैसल .. .
एसगर ताकि रहल अछि उदास. . . .
गुलाबक खिलल फूल प’ .. .
म्ॉडराति . . . गुनगुनाति .. . चमकैत कृष्ण वर्णी छलिया .. .
के बेतहास .. . ।
छिटकल छिटकल सब सॅ. . .
नहि जायत अछि संगे नहाय .. . .
नदी. . . वा फूल लोढय .. . फूलवारि .. .
सदिखन ऑखि मे नोर .. .
भेल भाव विभोर. . .
मुसैक उठैत अछि कोने.ा पहर. . .
तोङैत डारि. . .दोसरे क्षण. . .
घरक पछुआति . ..मालिनी केर .. . जलधार मे
फूलके खोंटि . .खोंटि क’ करैत पवाहित .. .
हेरैत अछि . . .शांत .. .नील. . .आसमान .. .
हिमालयक कोरा मे .. .पकृतिक झोरा सॅ. .
निकासैत अछि पुष्पदल .. . भ’ भ’ क
विहृवल. . . .
कखनो क’ विहुॅसि क’ बजैत अछि स्वगत. . .
ई वियोग घङी. . .अपनहु के .. . केहेन लागैत होयत कांत. ..
एक प्राण आ दू काया . ..
के रचल ई माया .. . ।
एतेक दिवस बीत रहल
.. .. लेलथि कत्त. . .खोज खबरि. . .।
हे नदी . .. . माते . . . साक्षी अहीं. . . . ओही गंधर्व परिणय के. . .
एतेक विलंब तखन किएक भेल .. .
बहै छन्हि .. . दूनू ऑखि हर हर. . . .
सोझा राखल. . . समिधा के जारैन. . .
तोङैत अनेरे. . .बनाबैत. . बाढनि .. . .
कखनो बैसल कखनो ठाढ .. .
तखने याचक आयल द्वार. . . .
देखि घरक फूजल केवाङ. . .
पाषाणी. . . मुस्कैत .. . छवि के निहारैत. . .
चलला भिक्षुक़ .. चुट्टा झमकारैत .. .
एहेन ओहेन नै ओ. . .ऋषि दुर्वासा. . .
जिनक शब्द मात छल गङा.सा .. . .
कि बिसरि जाए ओ जिनक यादि
मे छै डूबल. .
टटा रहल छी हम कएक सांझक भूखल .. . .
दौगल सखी. . . .ई की कहल हे भिखारी . .. .
नहि अछि सुध मे हम्मर कुमारि. . . .
मुदा ताबैत .. .ओ वाक मुॅह सॅ निकसि. गेल .. .
उध्र्वगामी हाथ .. .क्षण मात लेल ठहरि गेल. .
ई की केलन्हि . . . विधाता हम्मर कंठ स्वर सॅ. . . कोना
बॉचव आब हम अहि कलंक सॅ. .
कमंडल सॅ चुरू भरि जल ल’ क’
फेंकलन्हि सकुन प’ अभिमंत्रित करि क’
इतिहास. क पन्ना प’ रहब अहॉ छापल ..
पतापी पुतक जननी कहायब. .. .
एखन त’ भोगय पङत हम्मर सराप .. . .
किछु बॉचल अछि अहू के
ओही जनमक पाप ..।
सखी सब तखन. . . विलखिक .. . आशम मे दौगल. . .
देशाटन सॅ आयल कण्व सॅ कहल छल .. .
“हे तात .. . अपनेक . . .परोक्षक .. खिस्सा. . .
सकल आशम के बिलटा रहल अछि .. . .
गुमसुम .. .सूकू केर. . .प्राण आब बचाऊ. . .
आ’ दुर्वासा क’ सराप सॅ एकरा हटाऊ ।
चहुॅ दिस अंधार भ’ चमकैत बिजुरि संग .. .उल्कापात भेल होय. . .सून .. . . चान्ह आबि गेलन्हि .. . .
धम्म सॅ कुशासन प बैसि
माथ हाथ. धेने ऋषि .. .
कर्णकुटीर मे .. . ई केहेन पलयंकारी .. ..संदेश .. .
सौर मंडल मे .. . चक .चक करैत चन्दम ासन मुखवाली शकुन के .. . अम्लान पंकजक ई हाल. . .
जेना मुठ्ठी भरि छौर रगङि देने होय कियो .. .
विरहाकुल. . .विवस पिता. . के. . सहजहीं मे देखाय पङि गेलन्हि . .. भविष्यत शेष .. . .
आगामी संकट सॅ सहमि क’कानि .. . .वा .. .दूरस्थ भवितव्य सॅ .. .मुदित मुस्काबी . .
नहि जानि पओला . . ऋषि विशेष. . . . .।
सखा मीत गण आबि सूझेलकैन्ह बाट .. .
हतोत्साह किएक गुरूवर .. . . .
अहू नदी के . . . अवस्स हेतय कोनो नै कोनो घाट. .. .
बाल्यकाल मे पिता आ’ यौवन मे पति भवन .. .
आब हम सब आन .. . .ओ अप्पन .. . .
चलैत चलूू करए लेल उपाय .. . .
करब नै ताधरि विराम .. .
विदा करब .. . सजा धजा क’ .. . पुष्पक महफा . ..
तरू वल्लरिक झालरि . ..
शीघ गमन करैत .. .सखा बंधु .. .
कुल गौरवक परिचय दैत .. .
षोङषोमंत्रोपचार सॅ देवी के पूजन अर्चन करैत. . .
स्नेहिल .. सकुन के स ंग चलबा लेल उताहुल भेला त’
.. . . मुदा आगॉ पाछॉ. . . जङि. चेतनक हाल विचित .. .
श्यामा. . . कजरी .. . धनि .. . चतुरंगि .. .गोला .. गौ . . . बाछा .. बाछी. . .रंभैत. . .रंभैत. . .
ध लेलक़ . .पछोर .. .
आन पशु पाखी .. .
मेष .. . वृषभ .. . मृग .. . तोता .. .मैना .. . सकुन पाखीक’ झूण्ड .. . संरक्षित भेल छल जेकर सानिध्य मे . . .
शिशु सकुन. . .
खंजन. . . कचबचिया .. .
सूझै नै किछु .. .देखाय नै पङै बटिया .. .
बिलखैत .. .बिसुरैत .. . छाती पीटैत .. .दाय . .. पितियानि ..
पीसी माय .. . .सखी सम्पदाय .. . .
कोढ फाटय वला बिछोह सुनि .. .
गाछ बिरीछक जङि डोलायमान .. .
अपन लता गुल्म सॅ .. . डारि नीचा करि .. .
छेकए लगलै. . .महाभागक बाट ..
.क़ि . . .सून करि क’ अहि आशमके. . . .कतए नेने जाय छी सौभाग्य. .
पाछॉ मुङि तकने छलहि .. . .
मृगनैनी अश्रुपूरित ऑखि सॅ. . . . .
छुटि रहल अछि .. .
ई माटि .. . ई पानि. . . ई गाम .. .ई धाम .. .
ई लोकवेद .. ई पशु पखेरू. . . ई सखी समाज़ . .
कतए सुनब. . .ई स्वर. . .ई साज .. . .
फटि रहल छलन्हि. . .हुनको हिय .. .
अहि विदागरी क’ मर्मान्तक कष्ट सॅ. . .
कानि रहल छलीह. . .असंख्य नोर ..
थमि गेलन्हि पएर .. .कएक क्षणक लेल. .
मुदा मचबए लगला .. .पुरूखगण सोर .. . .
आ’ नहुॅ नहुॅ करितो. . . अङियातए आयल लोक .. .
आपस भेल. . .हृदय मे भरि क’ शोक .. .
कतेक सून ई आशम . ..जतए कल कल बहैत. . .
धार सन. . .
सबहक़ . दुख सुख़ . .क’ चिठ्ठा लिखैत. . .
हॅसैत. . गलबहियॉ दैत. . .ऑखिक तारा .. .सकुन .. .
नैहर तजि .. .आय सासुर चलि जाय रहल छली. . .
दूर देश. . .जतय कियो अप्पन नै. . .मात . .नेहक पतीक पति. . .आ’ हुनक प्रारब्ध .. . .।
मुदा दौगल चलल भाग्य. . हुनका सॅ पहिने.. . ..
आ’ रचल सब टा. . कुचक. . . .बिन ककरो कहने .. .
दोख काल. . ओही माछ के देल. . .
आंगुर मे गस्सल मुद्रिका जे गीड लेल .. .
तखन अहि प्रेमक मात एक जीबैत निशानी. . .
श्वॉस लैत गर्भ मे. . . .एक कोमल सन प्राणी. . . . ।
एतय राजा के गौरव फराक़ . . .
बहराय धाखे नै किनको मुॅह सॅ वाक़ . .
ऋषि के निवेदन प’ तमैक ओ उठल छल. . .
के. . . ई. .. .दुष्पचार लेल. . .खिस्सा गढैत अछि . .
जौं हमरे अछि ई गर्भस्थ . प्राणी. . .
हेतै . .त’ अवस्स कोनो हमरो निशानी. . .
चेन्हासि. . . चिहॅुकि .. कुंतल .. . आंगुर निहारै छथि. . .
नहिं बॉचल अछि .. .आब कोनो पमाण .. .
देखल नहिं प्रिया के तिरछियो नजरि सॅ
तिरस्कार कयल सबके वचन सॅ
एकांतके भावुक .. .रसिक ई सखा. . . .
समस्त जन के सोझॉ बनल बघनखा .. . .
सहस्तों नौह सॅ मुॅह नोईच रहल अछि. . .
असंख्य खापङिक’ कारिख़ . .हमरा मुॅह प’ पोईत रहल अछि. . . बहैत बरसाती नदी बनल धार दार नोर .. .
केहेन मिथ्या. . .. . . कपट .. . छल. . .कत्तेक फुईस ई सोर .. . . . दुनु हाथ सॅ पोछैत अप्पन नोर. . . . .
देखैत अछि .. .उचुकिक’ राजा के झॉकि .. .
दया .. . प्रेम. . विह्वलता तुरंते छटि गेल. . .
आ’ खंजन नयन मे .. . .विद्रोहक लुत्त्ती .. .भडकि गेल. . . .
विश्वामित आ’ मेनका के शोणित फन फन करैत .. .
करय लागल किल्लोल. . .
हन हन रणचंडी .. सन .. .
हुंकारय लेल. . .
भरल दरबार प’ नजरि एकटा फेरैत. . .
क्रोध सॅ कॉपैत .. . महाराज के हेरैत .. . .
जोर .जोर आबैत जाईत श्वॉस के रोकैत. ..
उठौने छल अप्पन दहिन हाथक आंगुर. . .
करैत सिंहासनदिस ईसारा .. .
कनि काल लेल सभासद की. . . बहैत बयार धरि चुप्प. .
कोटि कोटि ऑखि उठल एक संग़ .
फडकि रहल छल हुनक बाम अंग़ .
एतेक पैघ छल. . .
भेलै नहि आस्था आ’ विश्वासक जीत. .
आ’ अछि कनियो नहि ई पाखंडी भयभीत. . .
कनि काल . बिलमैत. . .कहल विचारि. . .
हमनै कत्तौ सॅ . . .कनियो अबला नारि .. .
करमक गति स्वीकार अछि हमरा. . .
मुदा जाय छी हम सब सॅ आब कटि क . .
नै भिक्षा हमर जीवन के संभारत. . .
नै ककरो निठुरता जीवन के उजाडत. . .
अपने की त्यागब .. हमहीं अहॉ के तजै छी ..
आ
जाईत जा. ईत ई भाषा भखैत छी. . . .
जे ढोंग परिणय. . .के करि क’ जरौलक चिता प’ .. . .नहि .
करथिन्ह माफ ओकरा कहियो विधाता .. .
तडपतै. . .माछ सन रौंद सॅ धिपल बौल मे..
सिनेहक छॉह लेल ओ रेगिस्तान मे भटकतै .. .
चपल वेग सॅ ओ चंचल चलल छल .. .
हिय मे कत्तेको के हूक सन उठल छल. .
ई लचकैत कॉच करची सन काया .. .
ई जननी के ताप . .. . कि अदृष्टक’ माया. . ..
मानस पिता नोर ढर ढर बहौला . .. मुदा मानिनी
अपन पण सॅ हटल नै .. .
अनचिन्हार बाट प’ उठल जे पग छल .. .
ओ साहस. . .निश्चय ..... . . कर्मठता सॅ भरल छल. . . .
बनल नै बिरिहिन . नै .. .. साधु संन्यासिन . .
जनम द’ कुम्मर के रहल जंगल वासिन .. .
सिंहासन . ..त नहि छल . ..परंच खटिया .. .पटिया .. .
बैसि राजरानी ओ अडा जमौलक़ . .
हुनक रूप आ’ गुण सॅ वशीभूत. . .सिनेहक भरल पात ल’
लोक दौगल. .
पिता के सिखाओल ओ धर्मगत वाणी. . .
ओ क्षात कर्मक सुृदृढ रस्ता .. . . . .
अघोषित . ओ रानी .. . बसल सबहक हिय मे
आ’ कण कण के आदर सॅ पुष्पित . ओ जीवन. . .
गूॅजल जखन ओत्त पथम किलकारी. . . .त’ हर्षित विधाता .. .
पफुल्लित नर नारि. . .
बजौलक बधैया के ढोलक .. .मॅजीरा. . .
संगहि बजौलक .. .लोटा . ..आ’ थारी .. . .
इएह आब संगी. . . .नाता मीत. . .गोतिया. . .
हिनके सानिध्य मे पलैत बाल शासक़ . . .
गोर. . .भुर्राक़ . .पुष्ट ओ बालक़ . .
स्फूर्ति. . ..अजब. . .तेज सॅ ओ भरल छल. . . .
करैत मल्ल जुद्व . . . .संगी बनवासी नेना संग़ . .
सबके करैत क्षण मे चीत्त ओ चलैत छल .. . .
सूतल सिंह शावक के दुलारैत मलारैत. . .
उठल शावकक संग दौड लगबैत रहैत छल. . .
गिनती सिखल. . .सिंहनी के दॉत गिन गिन. . .
मतारी के सुनबै. . .निरदोष बालक़ . .
नै अश्व के .. . . सेर के आब नाथब .. .
आ’ माता हुलसि क’ गरा सॅ लगाबैत .. .
पठाबैथ फेर सॅ युद्व के गुर सीखा क’ .. .
कोना सैन्य .. . बढत .. . न्याय करब त’ कोना .. .
केहेन कूटनीति सॅ .. . रिपु हेते पराजित . ..
पाठ पढि जननी सॅ आबैथ. . ..
संहतिया प’ आजमाबैत . .. .
वनवासी गरब सॅ निहारैत. . . .
रानी के पूत . . .सिंह के पछाडैत. . . .
चट्टान् ासन महिषि. ठाढ पाछॉ. . .
नै चिन्ता फिकिर . . . . .नै भयगस्त काया . ..
विचार मे घोरैत. . ..अमिय के पियाला .. .
आ’ काया मे ढारैत पौष्टिक निवाला. . . .
भरत नाम्नी ओ जे राज बनल छल. . .
ओ शकुन के जीवन के धन धन कयल छल. .
.. . . .. . .. .खिस्सा बाद के जे रहल होय. . .
रहल अनभिज्ञ .. सत्य सॅ जग सदिखन. . .
राखि देने छल. .दोष हरय लेल .पुरूषस्य चलित्तर के .. . .
दुर्वासा. . .वा .. .माछक’ गप .. . .
सुनल हेता .. . राज़ा. .भरतक डंका. . अजस्त. . .
. . .
. .बल. . . .शौर्यक .. . .साहस के खिस्सा जानै कएक सहस्त. . . .
एतेक . टा सामाज्य. . मुदा. . कत्तो नहि उत्तराधिकारि .. .
ऊपर सॅ आसन्न वृधावस्था. . ..
चिंता नीत बढाबै. . .छल .. .
मंति .परिषदक सलाह मानि .. .
ओही जंगल दिस कूच केलथि. . .लिखल. .जतए .. पात .. पात. .प’ वीर. . . राजकुवरक नाम. . . . .
देखल जे आनंदकारी .. .रूप. . .गुण . ..सॅ भरल देह. . . मात .. .
पिता के नाम सुनि .. .क़ रेज औचक धडकि गेल. . .
आंखिक सोझा .. .व्यतीत .. .करय लागल किल्लोल. . .
ओ पाखीक गीत. . . .पकृति. . .ओ कुंतल . .हास्य स्मित .. .
बरखों पहिनुका सूखल घाव. ...मे . .. टीस मारल असंख्य .. . .
ई. . .की कयल. . विधाता .. . राखि .. .हमरे कान्ह प’ तीर. . .
हमरे. . .. तनुज .. .हमर अंश ई. . . आय ठाढ़ . .कत्तेक गंभीर .. . .
मात. . .शकुन. . . चेन्ह सकैत अछि. . .हमर पवित . .. सिन्ोह. . .
बौआबैत .. .अतीत मे.. .. . . चलला .. . .बालकक पाछॉ .. .
भयौन वन .पदेश . . .. वर्जित . ..जतय .. .भास्करक पवेश .. .
दहाडैत .. .चहुॅदिस .. . भौल .. .हाथी. . . बब्बर सेर. . . .
ओकरे संग दौगैत बाल्य भरत .. . .धेने सम्राटक हाथ .. .
.. . . पदमासन मे बैसल . . .साधना लीन. . .
लग मे होईत सोर .. औंचक मे देलि ऑखि फोलि. . .
पत्यक्ष ठाढ . ..क’ल’ जोडने शासक ..
पुतक पाछॉ. . . ऑखि मे भरल. . प्रायश्चितक भाव .. .
पाकल केश .. . झूकल छाती .. .आगॉ के दू दॉत टूटल. . .
मन मे कनियो कोनो भाव नै उपजल. . .
ओ ओहिना स्थिर. . . .
माता के हाथक ईसारा .. . .दैत कुसासन .. .
भरतक संग . . .गहण कयल. . .नृपनंदन. . .
चकित .भाव सॅ नहि हेर सकला. ..चहुकात .. .
सकुन के मुख मंडल . . . एकदम सपाट. . .
काल .. दुबकि क’ लागल छल कोनटा .. .
ई सबल नारि . . .फाटत की नहि प्रियतम . .समक्ष ..
त्रिया चरितक अ’ड मे खेलत खेल कोनटा. . . .
कनतै .. .खींझतै. . . .छिडियेतै. . . .तिरस्कार .. .
आरोप .. .पत्यारोप. . . .
मुदा . . .नहिं किछु एहेन सन .. .
अकूत. .धैर्य. . . .सहज स्वर .. .कनियो नहि तिक्त. . .
कनियो नहिं लोहछल. . .
स्वर फूटल छल सहज सुमंगल. . . .
चिन्ह गेलौ. . राजन. . .हम अपन सिनेहक बंधन. . .
नहि चाही हमरा कोनो चेन्हासी ..
नहि राज मुद्रिका. . .नहि कोनो कंगन. . . .
पथम प्रेम के उपजल फसिल. .
अछि उपस्थित अहीं के समीप. . .
बॉहू .. ...बल. . ..बुद्वि मे अहूॅ सॅ बीस. .
कहि रहल अछि लोक चहू दिस. ..
स्वीकार्य होयत त’ अपने के सौभाग्य .. .
ओकरो गौरव .. .पिता के हाथ. . .
रहतै माथ .. . त’ दिग्दिगंत. . .
हेतै स्तुति .. .बजतै .. .घडीघंट
भेल समाप्त. . .उत्तरदायित्व हमर .. .
भावी सम्राट के गढब के. . .पोषब के. ।. .गहण करू हमर नमन. . .
हम आ ब परम स्वतंत. . .
स्नेहसिक्त हाथ भरत प’ फेरौलीह. .
आ’ राजा के चरण मे माथ झूकाक’
पस्थान अपन मातृकुल लै भेली . .. .।
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