ISSN
2229-547X VIDEHA
'विदेह' ११४ म अंक १५ सितम्बर २०१२ (वर्ष ५ मास
५७ अंक ११४)
ऐ अंकमे
अछि:-
३.७.जगदानन्द झा 'मनु'
३.८.किशन कारीगर
विदेह
ई-पत्रिकाक सभटा पुरान अंक ( ब्रेल, तिरहुता आ देवनागरी मे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक
लेल नीचाँक लिंकपर उपलब्ध अछि। All the old issues of Videha e journal (
in Braille, Tirhuta and Devanagari versions ) are available for pdf download at
the following link.
ब्लॉग "लेआउट" पर "एड गाडजेट" मे "फीड"
सेलेक्ट कए "फीड यू.आर.एल." मे http://www.videha.co.in/index.xml टाइप केलासँ सेहो विदेह फीड प्राप्त कए सकैत छी। गूगल रीडरमे पढ़बा लेल http://reader.google.com/ पर जा कऽ Add a Subscription बटन क्लिक करू आ खाली स्थानमेhttp://www.videha.co.in/index.xml पेस्ट करू आ Add बटन दबाउ।
विदेह रेडियो:मैथिली
कथा-कविता आदिक पहिल पोडकास्ट साइट
मैथिली देवनागरी वा
मिथिलाक्षरमे नहि देखि/ लिखि पाबि रहल छी, (cannot see/write Maithili in Devanagari/ Mithilakshara
follow links below or contact at ggajendra@videha.com) तँ एहि
हेतु नीचाँक लिंक सभ पर जाउ। संगहि विदेहक स्तंभ मैथिली भाषापाक/ रचना लेखनक
नव-पुरान अंक पढ़ू।
http://devanaagarii.net/
http://kaulonline.com/uninagari/ (एतए बॉक्समे ऑनलाइन देवनागरी टाइप करू, बॉक्ससँ कॉपी
करू आ वर्ड डॉक्युमेन्टमे पेस्ट कए वर्ड फाइलकेँ सेव करू। विशेष जानकारीक लेल ggajendra@videha.com
पर सम्पर्क करू।)(Use Firefox 4.0 (from WWW.MOZILLA.COM )/
Opera/ Safari/ Internet Explorer 8.0/ Flock 2.0/ Google Chrome for best view of
'Videha' Maithili e-journal athttp://www.videha.co.in/ .)
Go to the link
below for download of old issues of VIDEHA Maithili e magazine in .pdf format
and Maithili Audio/ Video/ Book/ paintings/ photo files. विदेहक
पुरान अंक आ ऑडियो/ वीडियो/ पोथी/ चित्रकला/ फोटो सभक फाइल सभ (उच्चारण, बड़ सुख सार आ दूर्वाक्षत मंत्र सहित) डाउनलोड करबाक हेतु नीचाँक लिंक पर
जाउ।
भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी कवि, नाटककार आ
धर्मशास्त्री विद्यापतिक स्टाम्प। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन
कालहिसँ महान पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला
लोकनिक चित्र 'मिथिला रत्न' मे देखू।
गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे
मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि। मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे
पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र,
अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू 'मिथिलाक खोज'
मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना,
सम्पर्क, अन्वेषण संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ
न्यूज सर्विस आ मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट
सभक समग्र संकलनक लेल देखू "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"
ऐ
बेर मूल पुरस्कार(२०१२) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे
कोन मूल मैथिली पोथी उपयुक्त अछि ?
Thank you
for voting!
श्री राजदेव मण्डलक “अम्बरा” (कविता-संग्रह) 12.71%
श्री बेचन ठाकुरक “बेटीक अपमान आ छीनरदेवी”(दूटा नाटक) 10.77%
श्रीमती आशा मिश्रक “उचाट” (उपन्यास) 6.35%
श्रीमती पन्ना झाक “अनुभूति” (कथा संग्रह) 4.7%
श्री उदय नारायण सिंह “नचिकेता”क “नो
एण्ट्री:मा प्रविश (नाटक) 5.25%
श्री सुभाष चन्द्र यादवक “बनैत बिगड़ैत” (कथा-संग्रह) 4.97%
श्रीमती वीणा कर्ण- भावनाक अस्थिपंजर
(कविता संग्रह) 5.25%
श्रीमती शेफालिका वर्माक “किस्त-किस्त जीवन (आत्मकथा) 8.56%
श्रीमती विभा रानीक “भाग रौ आ बलचन्दा” (दूटा नाटक) 6.63%
श्री महाप्रकाश-संग समय के (कविता
संग्रह) 5.52%
श्री तारानन्द वियोगी- प्रलय रहस्य
(कविता-संग्रह) 4.97%
श्री महेन्द्र मलंगियाक “छुतहा घैल” (नाटक) 9.67%
श्रीमती नीता झाक “देश-काल” (कथा-संग्रह) 5.52%
श्री सियाराम झा "सरस"क थोड़े
आगि थोड़े पानि (गजल संग्रह) 7.18%
Other: 1.93%
ऐ बेर युवा पुरस्कार(२०१२)[साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क
लेल अहाँक नजरिमे कोन कोन लेखक उपयुक्त छथि ?
Thank you
for voting!
श्रीमती ज्योति सुनीत चौधरीक “अर्चिस” (कविता संग्रह) 27.71%
श्री विनीत उत्पलक “हम पुछैत छी” (कविता संग्रह) 7.83%
श्रीमती कामिनीक “समयसँ सम्वाद करैत”, (कविता संग्रह) 6.02%
श्री प्रवीण काश्यपक “विषदन्ती वरमाल कालक रति” (कविता संग्रह) 4.22%
श्री आशीष अनचिन्हारक "अनचिन्हार
आखर"(गजल संग्रह) 21.69%
श्री अरुणाभ सौरभक “एतबे टा नहि” (कविता संग्रह) 6.02%
श्री दिलीप कुमार झा
"लूटन"क जगले रहबै (कविता संग्रह) 7.23%
श्री आदि यायावरक “भोथर पेंसिलसँ लिखल” (कथा संग्रह) 6.02%
श्री उमेश मण्डलक “निश्तुकी” (कविता संग्रह) 11.45%
Other: 1.81%
ऐ बेर अनुवाद पुरस्कार (२०१३) [साहित्य अकादेमी,
दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे के उपयुक्त छथि?
Thank you
for voting!
श्री नरेश कुमार विकल
"ययाति" (मराठी उपन्यास श्री विष्णु सखाराम खाण्डेकर) 33.33%
श्री महेन्द्र नारायण राम
"कार्मेलीन" (कोंकणी उपन्यास श्री दामोदर मावजो) 12.04%
श्री देवेन्द्र झा
"अनुभव"(बांग्ला उपन्यास श्री दिव्येन्दु पालित) 12.04%
श्रीमती मेनका मल्लिक "देश आ
अन्य कविता सभ" (नेपालीक अनुवाद मूल- रेमिका थापा) 16.67%
श्री कृष्ण कुमार कश्यप आ श्रीमती
शशिबाला- मैथिली गीतगोविन्द ( जयदेव संस्कृत) 13.89%
श्री रामनारायण सिंह
"मलाहिन" (श्री तकषी शिवशंकर पिल्लैक मलयाली उपन्यास) 11.11%
Other: 0.93%
फेलो पुरस्कार-समग्र योगदान २०१२-१३ : समानान्तर साहित्य
अकादेमी,
दिल्ली
Thank you
for voting!
श्री राजनन्दन लाल दास 50%
श्री डॉ. अमरेन्द्र 28.72%
श्री चन्द्रभानु सिंह 19.15%
Other: 2.13%
1.संपादकीय
१
राजकमल चौधरी: मोनोग्राफ (सुभाष चन्द्र
यादव) जे साहित्य अकादेमी द्वारा रामदेव झा आ मोहन भारद्वाजक कृपासँ प्रकाशित नै भऽ
सकल।
dbb13891-a-96a2f0ab-s-sites.googlegroups.com
·
Gangesh Gunjan राजकमल जी
(विनिबंध)क प्रकरण कान मे पडल तं छल, से कतोक
वर्ख भ गेलै आब| मुदा
से एहन कुरूप छैक से अहींक एहि फेस
बुकिया समाद मे स्पष्ट भेलय| तें एकर
धन्यवाद अहीं कें दैत छी गजेन्द्र जी
|... ओना वास्तविक तं ई जे सम्पूर्ण
पढबा सं पहिने मोन "विरक्त" भ'
गेल | नै पढि भेल आगाँ ! नीक केलौहें नेट पर द'
क'| समकालीन आ आगत
पीढ़ी सेहो बुझओ ई कारी-कथा! हमरा सन लोकक विडम्बना देखू
जे पूरा प्रकरण अपन अनुज- मित्र- अग्रज
सं जुडल अछि| से एहन ऐतिहासिक दुर्घटना
भ' गेल अछि !
उत्तरदायी व्यक्तिगत हम कतहु सं नै | मुदा साहित्यिक पीढ़ीक
नैतिकता सं "अपराध बोध" सहबा
लेल अभिशप्त छी| उपाय ?
सस्नेह,
11 सितम्बर 2012 11:26 pm को, Gajendra Thakur <
Gajendra Thakur गंगेश गुंजन जीक हिम्मत प्रशंसनीय अछि। जँ
स्टेटस-को केर विरोध शुरूसँ भेल रहितै तँ परिस्थिति भिन्न रहितै, सए अछि उपाए।
२
साहित्य अकादेमीमे समन्वयक पद लेल कालाबाजारी (ब्लैक
मार्केटिंग)- एकटा रिपोर्ट
साहित्य अकादेमी दिल्लीक मैथिली समन्वयक चुनाव लेल जे संस्था सभ
निर्धारित अछि ओकर नाम अछि:- विद्यापति सेवा संस्थान, दरभंगा;
सचिव वैद्यनाथ चौधरी “बैजू” आ अध्यक्ष- पं. चन्द्रनाथ मिश्र अमर। अखिल भारतीय मैथिली साहित्य परिषद,
दरभंगा; सचिव डा. गणपति मिश्र , अध्यक्ष रहथि स्व. जयमन्त मिश्र। चेतना समिति, पटना,
सचिव श्री विवेकानन्द ठाकुर, अध्यक्ष श्रीमति
प्रमीला झा। राँटी मधुबनीक कोनो संस्था, सम्भवतः वर्तमान
अध्यक्ष श्री हेतुकर झा। किशोरीकान्त मिश्रक मिथिला सांस्कृतिक परिषद (जे संस्था विद्यापतिकेँ पाग पहिरा कऽ हुनका ब्राह्मण घोषित करबाक कुकृत्य
केलक), वर्तमान अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र नारायण झा आ सचिव
गंगाधर झा। पंचानन मिश्रक अखिल भारतीय मैथिली साहित्य समिति, इलाहाबाद; आ मैथिली लोक साहित्य परिषद, कोलकाता, सम्भवतः वर्तमान अध्यक्ष- अणिमा सिंह। ऐ मे
सँ किछु संस्थाक नाम आ वर्तमान अध्यक्ष आदिमे परिवर्तन सम्भव अछि।
ऐ मे सँ अधिकतर संस्था कागजी अछि वा साहित्यिक नै राजनैतिक अछि आ
जातिवाद, क्षेत्रवाद आ आनुवंशिक आधारपर संचालित अछि।
३
सरसठिक पछाति गामसँ लऽ
कऽ देश भरिमे दोरस हवा उठल। मुदा हवोक रूखिक सीमा तँ भिन्न-भिन्न अछि, कतौ रेत बला भूमिमे
अपनो रस चटबैत अछि, तँ कतौ समुद्रमे ज्वार उठबैत अछि, कतौ पहाड़सँ टकरा या तँ मेघे दिस उड़ि जाइत अछि वा पजरबाहि ताकि-ताकि
पड़ाइत अछि। कतौ समतल भूमिमे गाछ-विरीछ उखाड़ैत तँ कतौ सरोवरक हल्फी, तँ कतौ मन्द गतिक सुहावन हवा सेहो दैत अछि। अवसरक लाभ जेकरा जते
भेटैक चाहिये से नै भेटि पेलै। जँ से नै पेलक तँ औद्योगिक क्षेत्रक अपेक्षा
कृषि क्षेत्र किअए पछुआ गेल। भलहिं तमसाएलपर बाजि दिअए जे महाराष्ट्र कर्नाटक
औद्योगिक क्षेत्रमे अगुआ गेल आ बिहार पछुआ गेल, ई
तामसपर बाजल भेल। मुदा महाराष्ट्र वा कर्नाटकक उद्योगकेँ देखै छिऐ तँ ईहो देखए
पड़त जे ओइठाम जमीनपर जीनिहारक दशा की छै। की ई बात झूठ
जे बिहारक अपेक्षा ओइठामक किसानकेँ आत्महत्याक नौवत छन्हि। तँए देशक सभ राज्यक
अपन-अपन समस्या छै। अपना-अपना ढंगसँ देखए पड़तै। मुदा की ई उचित नै जे बिहारो स्वतंत्र भारतक अंग छी, एकरूपता हेबाक चाहिऐ। आइ बिहारे नै, आनो-आनो
राज्यकेँ बिहारोसँ बेसी समस्या छै जेकर समाधान जरूरी अछि। भलहिं बंगाल,
केरल जकाँ नै, मुदा आनो-आन राज्यमे
देखौंस तँ लगबे कएल। मिथिलांचलो ऐ दोरस हवासँ अलग नै रहल। पुरना दरभंगा जिलाक
मधुबनी सवडिवीजनमे, जे अखन जिला अछि, जमीनक भरपूर एकरूपता आएल, मुदा खेत तँ तखन
खेत जखन ओकरा भरपूर पानि भेटै। उचित बीआ, उचित खादक संग
मशीन नेने कुशल किसान सेहो भेटै। दस बर्ख पूर्वहिसँ कोसी नहर योजनाक पाछू प्रगतिशील
किसानो आ वुद्धिजीवियो उठि कऽ ठाढ़ रहलाह, मुदा कियो सुनिनिहार
नै। जँ सुनौलो गेल तँ काजक तेहेन रूप धेलक जे पचास बर्खोमे योजना नै पूर्ति भऽ सकल
अछि। धार-धुरक संग एहेन लापरवाही भेल जे मिथिलांचलक अधासँ बेसी जमीन माटिसँ
बालु बनि गेल अछि। ओना धार बहुतो अछि, जइमे किछु एहनो
अछि जे हजारो बर्खसँ अपन दिशा नै बदललक, मुदा
कोसी-कमला-बलानकेँ तँ भगैतो खेला-खेला, आ गीतो गाबि-गाबि
तते सुआगत होइत रहल अछि जे अधासँ बेसी जमीनकेँ कमजोर माने शक्तिहीन बना देलक
अछि। बालु केना उपजाउ भूमि बनत, छोट सवाल नै अछि।
राजनीतिक दशा एहेन जे मुँहपुरुखिआइयेक पाछू पड़ि सभ अपनेमे ओझराएल अछि। मिथिलांचलक
कोनो समस्या मिथिलेक नै अपितु देशक छी। समस्याक समाधान केना हएत तेहीमे सभ ओझरा-ओझरा
राजनीति कऽ रहला अछि। आठ बजे रातिकेँ सितारपर सुनताह जे “पवन प्रिय पावन मिथिला देश!”
जहिना बेरमा देशक अंग छी
तहिना तँ देशो बेरमाक अंग छिऐ। तँए देशक दाेरस हवा बेरमोमे बहल। साइकिलक
ओभर-वाइलिंग जकाँ गामक वाइलिंग शुरू भेल। एक संग रंग-बिरंगक हवाक प्रवेश भेल।
अड्डा बन्दी हुअए लागल। किछु लुत्ती गामोसँ उठैए तँ किछु बाहरोसँ पसहि-पसहि
आबए लागल।
अखन धरि गाममे जाति-सम्प्रदायक
हवा नै आएल छल। जहिया कहियो मारि-दंगा हुअए ओ या तँ आन गामसँ हुअए, वा एक-टोल दोसर
टोलक बीच। बीसो जातिसँ ऊपरबला गाम बेरमा। पावनि-तिहारमे गजपट होइते आएल अछि।
मुदा तैयो तँ चलिते रहलै। गजपटो केना ने होउ, अधासँ बेसी
स्त्रीगण भादवक रवि करिते छथि। मुदा पावनिक विधानो भिन्न-भिन्न। कियो
दुनू साँझ निखंड करै छथि, तँ कियो एक संझू। कियो
नोनेटा परहेज करै छथि, तँ कियो अन्न छोड़ि फलेटा सेवन
करै छथि। तहिना घड़ी पावनि। एक तँ सालक दू-तीन मास, साओन,
आसीन चैतमे होइए तँ दोसर बुधवारि,
सोमवारि आ शुक्रवारि सेहो होइए।
कबीर पंथक प्रवचनकर्ता आबि-आबि
माया-जालक निन्दा करैत आ सेवक सभकेँ चेतेबो करैत छथि। सेवको रंग-बिरंगक। तहूमे
बेरमामे आरो गजपट। एक दिस सए घरक ब्रह्मण बस्ती टोल, टोल ऐ दुआरे नै जे
गोठिया नै फुटझाड़ा अछि, मे एकोटा बैष्णव नै। ओना
समाजक पंथनिरपेक्षक खियालसँ नीके अछि। तहिना दोसर दिस दलितोक टोल अछि।
थाल-पानिसँ लऽ कऽ अकास धरिक शिकारी। बीचक जे जाति अछि ओ धार्मिक पंथ (साम्प्रदायिक)
सँ जुड़ल अछि। जातिक भीतर वैष्णव-साकठ केर बीच बिवाद चलैत अछि तँ एक जातिक
दोसराक बीच। कबीर पंथक बीच समझौता भेल। समझौता भेल जे श्राद्ध-कर्मक पछाति, सत्यनारायण पूजाक पछाति कबीर पंथी भनडारा सेहो हुअए, से हुअए लागल। एक दिस दोसर सम्प्रदायक विरोधमे बजबो करैत आ दोसर दिस
संग मिलि रहबो करैत अछि। तहियो कबीर पंथ मजगूज छल, अधिक
समर्थक अछि, आइयो अछि। तइ बीच एकटा घटना मंडल (धानुक)
जातिमे फँसल। द्वालख सुबे दासक प्रभाव, मंडलो-मुखियो
(धानुक-मलाह) आ बरैइयोमे रहनि। रमौतक चला-चलती गाममे कम। ननौरमे बुद्दी दास रमौतक
महंथ बनि गेलाह। दियादिक लाटसँ बेरमा आबि अपने दियादमे एक गोटेकेँ कंठी दऽ
सेवक बना लेलनि। दियाद सेवक बनि गेलनि। ओना सालमे एक बेर सुबेदास मास दिनक
लेल एबो करैत छलाह मुदा बीचमे जँ कतौ भनडारा भेल तँ दल दऽ बजाइयो लेल जाइत छलनि।
ननौरबलाक चेलाकेँ अपन चेला
(रमौतसँ कबीर पंथी) बना लेलनि। एक दिस बिनु वैष्णव (साकठ) केँ चेतैबतो तँ दोसर
दिस लुटो-पाट चलैत। सेवक लुटेलासँ ननौरबला वुद्दी दास फरमान जारी केलनि- “जहिना ओकर (घुरण
दासक सेवक) कानमे मंत्र देलिऐ आ ओ दोसर मंत्र लऽ लेलक तहिना कड़ूतेल टहका कऽ
ओकरा कानमे देबै आ ओइ संग लागल मंत्रो निकालि देबै।”
डंकापर चोट पड़ल।
द्वालखबला जबाब देलखिन जे हुनकर (वुद्दी दासक) पंथे कमजोर छन्हि। ओइसँ जीवकेँ
थोड़े गति-मुक्ति हेतै। पहिने वरदान कऽ लौथु। जँ से नै करताह तँ सेवकक कानमे
तेल ढारि देताह, से नै चलतनि। कसम-कस हुअए लागल। गामक दुआर-दरबज्जाक मुख्य मुद्दा
यएह बनि गेल। समाजक किछु लोक खुशी जे भने धानुक-धानुकक बीच लड़ाइ अछि तँ दोसर
दिस जाति-पातिपर चोट पड़ि गेल छल। कारण जे जहिना कम्युनिस्ट पार्टीक रैली, धाक छोड़ सड़कपर अनैत अछि, तहिना समाजक बीच
जे कबीर पंथ माननिहार छलाह, हुनका सबहक बीच
खेनाइ-पीनाइमे एकरूपता आबि गेल छलै। कबीर पंथीमे भनडाराक महत्वपूर्ण आधार छै।
जहिना जगन्नाथमे अँटका परसाद होइ छै तइ सदृश कबीर पंथक बीच एक-दोसराक बीच परसादीक
चलनि अछि।
कबीर पंथ-रमौत दुनू पंथक
तना-तनीमे गाम बटाए लागल। तीन-चारि टुकड़ीमे गाम बँटि गेल। कबीर पंथ (सम्प्रदाय)
सँ कमजोर संगठन रमौत सम्प्रदायक छल। एक गाम दू गाम कतेको गामक कबीर पंथबला सभ
मैदानमे उतरैक तैयारी करए लगलाह। बेरमाक बगलेक गाम जगदर अछि। ओना परोपट्टामे
जगदर-बेरमाक नाओंसँ जानल जाइत अछि। जगदर छोटेटा गाम अछि। भूमिहार ब्रह्मण आ
राजपूत बहुसंख्यक अछि। ओना बरही, यादव, तेली,
दुसाध, धुनिया, सोनार, मल्लाह सेहो अछि मुदा अल्पसंख्यक।
जगदरमे नथुनी सिंहक सरदारी छलनि, आ अस्सी प्रतिशत
भूमिहार हुनकर लठैत छलनि। जइसँ पचकोसीमे झगड़ा-झंझटिक कारोबार चलैत छलनि।
जगदरक नथुनी सिंह सेहो कबीर पंथी। ओ लोहिया पट्टीक राजपूते महात्माक सेवक। ओ
संख्यामे कम मुदा शक्तिशाली रहथि। सम्प्रदायक रूपमे जगदर कतेको टुकड़ीमे
बँटल। राजपूत कबीर पंथी दिस तँ भूमिहार राधा-कृष्ण सम्प्रदाय दिस, यादव-बरही, दुसाध कबीर पंथ दिस। तँ धुनियाँ
इस्लाम दिस। मल्लाह तँ सहजहि थाल-पानिमे रहनिहार छी तँए वैष्णव सम्प्रदायमे
किअए जाएत। कबीर पंथीक झंझटक हल्ला सूनि लोहियापट्टीबला महात्मा जगदरमे आबि
कऽ आसन लगा देलनि आ आन-आन सेवकान सभकेँ अबैले सेहो कहि देलखिन। महाभारत लड़ाइ
जकाँ बेरमाक धरती सन-सन करए लागल।
शास्त्रार्थक समए िनर्धारित
भेल। मेला जकाँ गाम भऽ गेल। परोपट्टाक आँखि बेरमा दिस टकटकी लगौने, मुदा उचित भेल,
सही भेल ननौरबला वुद्दी दास कनी पाछू हटि मारि-दंगासँ गामकेँ
बचा लेलनि।
जगदीश प्रसाद मण्डल जीक परिवार
आरो सतरंगी। एक दिस समाजक सभ पावनि, देवस्थानसँ जुड़ल तँ पिताजी सुबे दासक पिताक
सेवक (कबीर पंथमे जेकरा सेवक कहल जा छै ओकरे दोसर ठाम चेलाे कहल जाइ छै।) जगदीश
प्रसाद मण्डल जीक पिताजीपर कबीर पंथी विचारधाराक प्रभाव। मास-मास दिन दरबज्जापर
सतसंग-भजन चलिते रहैत छलन्हि। तेसर दिस जगदीश प्रसाद मण्डल जीक माए, समस्तीपुर जिलाक साहो-पटनिया बलाक सेवक। नहिरेसँ सीख भऽ आएल रहथि, हुनकर तेसरे सम्प्रदाय, गुरु वैष्णवो
बनबैत आ साकठो चेला मंत्र दऽ बनबैत, सालमे एक बेर
घुमैत-घामैत ऊहो आबि कऽ पान-सात दिन रहैत छलाह। ब्राह्मण छलाह, अपने हाथे भोजन बनबै छलाह।
बेरमा दुर्गास्थानमे बलि-प्रदान
नै हेबाक यएह कारण छल जे एक स्थानक समाज वैष्णव सम्प्रदायसँ जुड़ल तँ दोसर स्थानमे
नथुनी सिंहक वर्चस्व रहनि तँए से नै भेल।
जहिना चुल्हिपर चढ़ल
बर्तनमे चाउर-पानि देला पछाति मड़सटको, मड़बझुओ,
गुड़-खीरो खिचड़ियो आ सुन्दर भात सेहो बनैत अछि तहिना बरतन देल चाउर-पानि
जकाँ बेरमाक दुर्गा-पूजा एक संग कतेको वस्तु बनौलक। अखन धरि इलाकामे दुर्गा-पूजा
एक जातिक वा महनथानाक पूजा छल ओइपर चोट पड़ल। संग ईहो चोट पड़ल जे सभ जातिक
कुमारिक पहुँचक संग साँझ सेहो पहुँचौल (दीप लेसि साँझ देब) गेल। जेकर प्रचार
आनो-आन गाममे भेल। दोसर दिस बलि प्रदान नै हएब सेहो एकटा रंग पकड़लक। यएह परिस्थिति
बेरमा दुर्गापूजाकेँ राजनीतिक रूप पकड़ौलक।
दुनू स्थानक बीच एकटा
जबरदस्त खाधि बनौलक। एक स्थान छेहा समाजक बनल रहल तँ दोसर सत्तासँ जुड़ि गेल।
सत्तासँ जुड़ैक कारण भेल जे मधेपुरक मधेपुर ब्लौक प्रमुख। अट्ठाइस पंचायतक ब्लौक
मधेपुर। ओना मिला-जुला कऽ जातिक आधार नै राजनीतिक आधार ठाढ़ भेल। साैंसे
मधेपुरमे कते जातिक मुखिया छल। िसर्फ मुसलमान मुखिया हटल रहल। नै तँ सबहक
समर्थन रहनि। कारणो छल जे जाति कोनो किएक ने हुअए मुदा मुखियाक माने
कांग्रेसी छल। तइसँ आॅफिसो एकछाहा छल। दुनू हथियारक प्रयोग ओ सभ केलनि। जतए
जातिक गर लहनि ततए जातिक आ जतए से नै ततए राजनीतिक रंग चढ़बथि। जइसँ चन्दाक
रूप रोजगार दिस बढ़ल। ब्लौक ऑफिस उठि कऽ सेहो दुर्गा स्थान पहुँचए लागल। जइ
दिन मेला होइ तइ दिन या तँ कोनो नव योजनाक आवेदन लिअए पहुँच जाइत वा कोनो
बँटवारा करए। ओना दुर्गापूजाक पहिल लाभ गौंआँकेँ ई भेल जे किछु गोटे छोड़ि अधिकांश
परिवारमे वृद्धावस्था पेंशन भेटि गेल। ब्लौकक सभसँ छोट पंचायत बेरमा आ सभसँ
बेसी गोटेकेँ पहिल बेर वृद्धा पेंशन भेटल।
मुदा भीतरे-भीतर जबरदस्त
प्रतिक्रिया भेल। किछु गोटे बलिक प्रसाद दुआरे रूसि रहलाह तँ किछु गोटे फज्झति
सुनि गाम-गाम चर्चक मुद्दा बनल। गामक राजनीतिमे सेहो मोड़ आएल। मोड़ अबैक कारण
भेल जे गामक भीतर जे जातिक बनाबटि अछि ओहो कते रंगक अछि। ओना दुर्गापूजामे
बाह्मण बँटा गेल रहथि। दुनू स्थानकेँ हुनकर समर्थन रहनि। एक दिस पंडित व्याकरणाचार्य
उदित नारायण झा पंडित भेलाह तँ दोसर दिस वैदिक, व्याकरणाचार्य पंडित कामेश्वर झा
भेलाह। १९६२ ई.क मुखिया (पंचायत मुखिया) चुनावमे ब्राह्मणे मुखिया हारबो केलाह
आ जीतबो केलाह। बचनू मिश्र, जिनका अक्षरक बोध नै रहनि
मुदा इमानदारीसँ काज करैक चलैत गामे नै अंचलक नेताक श्रेणीमे छलाह। अपने तँ मुखिया
नै बनलाह मुदा अपन समर्थक मुखिया रहनि। हारला उत्तर राजनीतिमे पछार खेलनि।
सरसठिक चुनावमे काँग्रेसकेँ जबरदस्त धक्का लगल रहए। मधेपुर ब्लौकक नेता जानकी
बाबू (श्री जानकीनन्दन सिंह) छलाह, जे विधायक रहि
प्रतिनिधित्व कऽ चुकल छलाह। ओ टूटि कऽ महामाया बाबूक संग जनक्रान्ति दलमे
आबि चुकल छलाह। जे लाभ सोशलिस्ट पार्टीकेँ भेटल आ वासुदेव बाबू (श्री वासुदेव
प्रसाद महतो) एम.एल.ए. भेलाह।
जाितक बनाबटि- बेरमाक
ब्राह्मण पाँच खण्डमे विभाजित अछि। ओना चुनावक नाओंपर एक रहै छल मुदा सामाजिक
व्यवहारमे दूरी बनल छलनि। कम्युनिस्ट पार्टी जे १९६२ ई.मे पहिने बनल छल ओइमे
ब्राह्मण सभ टूटि कम्युनिस्ट पार्टी बनेने रहथि। पाँचो खण्डक अलग-अलग सामाजिकता
छलनि। कथो-कुटुमैती आ खानो-पीनमे दूरी छलनि। बरइ, कोइर, कियोटमे
एकरूपता छल। एकरूपता ई जे खेनाइ-पीनाइ, पावनि-तिहार
एकरंगाह छलनि। धानुक दू खण्डमे विभाजित छल, अखनो अछि।
दुनूक बीचक दूरी अधिक अछि। तेकर कारण अछि जे बहुत पहिनेसँ धानुक खबासियो करैत
आएल अछि आ किसानियो जिनगी बना जीबैत आएल अछि। तहिना मल्लाहो विभाजित अछि।
मुसहर परिवार जेरगर अछि मुदा ओकरामे सेहो फुटफाट होइते रहै छै। तेकर कारण होइ छै
जे कोनो भोज-काजमे सभकें सभ नै खुआ पबैत अछि जइसँ अपनामे विभाजित रहैए।
मधेपुर ब्लौकसँ लऽ कऽ गाम
धरिक चोटसँ बचनू मिश्र चोटा गेलाह। पुरना संगी सभ जे रहनि ओ सभ सन्यास लऽ
लेलनि। सिद्धान्तक नाओंपर अपन वोट अर्पित केने रहलाह। बचनू मिश्रक ब्रेन
प्रभावित भऽ गेलनि। जइसँ यत्र-कुत्र बाजए लगलाह। नतीजा भेलनि जे पोखरिमे
डुबा-डुबा एत्ते मुकियौलकनि जे पीठीमे जबरदस्त घा भऽ गेलनि। दरभंगामे ऑपरेशन
भेलनि तखन घा ठीक भेलन्हि।
सन् सैंतालीस...
भारतक स्वतंत्र त्रिवार्णिक झण्डा फहरा रहल छल।
मुदा कम्यूनिस्ट पार्टीक माननाइ छल जे भारत स्वतंत्र नै भेल अछि।
असली स्वतंत्रता भेटब बाँकी छै...
मिथिलाक एकटा गाम…
जन्म भेल रहए एकटा बच्चाक.. ओही बर्ख ...
ओइ स्वतंत्र वा
स्वतंत्र नै भारतमे...
पिताक मृत्यु...गरीबी.. केस मोकदमा...
वंचितक लेल संघर्षमे भेटलै स्वतंत्र भारतक वा स्वतंत्र नै भेल भारतक जेल....
आइ बेरमामे पाँच-दस बीघासँ पैघ जोत ककरो नै..
ओइ गाममे जीवित अछि
आइयो किसानी आत्मनिर्भर संस्कृति...
पुरोहितवादपर ब्राह्मणवादक एकछत्र राज्यक जतऽ भेल समाप्ति..
संघर्षक समाप्तिक बाद जिनकर लेखन मैथिली साहित्यमे आनि देलक पुनर्जागरण...
जगदीश प्रसाद मण्डल-
एकटा बायोग्राफी...गजेन्द्र ठाकुर द्वारा (अनुवर्तते...)
गजेन्द्र ठाकुर
ggajendra@videha.com
http://www.maithililekhaksangh.com/2010/07/blog-post_3709.html
१.अरविन्द श्रीवास्तव-‘मणिपद्मक काव्यकृतिक आलोचनात्मक अध्ययन’ पुस्तकक
लोकार्पण२.मुन्नी कामत- कतऽ जा रहल छी हम!/
नाटकः- शिक्षित बेटी
१
अरविन्द श्रीवास्तव
‘मणिपद्मक काव्यकृतिक आलोचनात्मक अध्ययन’ पुस्तकक
लोकार्पण
- मणिपद्म मैथिली साहित्यक पहिल जासूसी उपन्यासकार रहथि
- मणिपद्म मिथिला क्षेत्रक लोकदेवताकेँ पहिल बेर साहित्यिक
स्वरूप प्रदान केलनि
- मैथिलीक गंभीर कविक रूपमे सेहो स्मरण कएल जाइत छथि मणिपद्म
डा. ब्रजकिशोर वर्मा ‘मणिपद्म’ पौराणिक संस्कृतिक लोकगाथा अथवा कथाक रूपमे रचनाक संरचनामे अपन जीवनकालक
अधिकांश भाग लगेलनि। परिणामस्वरूप- लोरिक मनियार, दीनाभद्री,
राजा सलहेस, दुलरा दयाल, नैका बनिजारा, कुसुमा मालिन,
मल्लवंश, चुहरमल इत्यादि पात्र जे अनादि कालसँ लोक कंठमे
रचल-बसल रहथि, केँ साहित्यक रूप प्रदान कऽ लोक साहित्यकेँ
मैथिली साहित्य सागरक द्वारा आम जन धरि पहुँचेलनि। लोक गाथा हमर पौराणिक संस्कृतिक
आइक चिन्हासी छी। मैथिली साहित्य श्रृंगार तांत्रिक, आंचलिक
विषयकेँ आधार मानि ओ कतेको उपन्यासक रचना केलनि। दर्जनसँ ऊपर हिनकर कथा, नाटक, एकांकी, महाकाव्य,
मुक्तक काव्य आ निबंध सेहो छन्हि।
गत बुधवार १२ सितम्बर २०१२ केँ सहरसामे ‘मणिपद्मक
काव्यकृतिक आलोचनात्मक अध्ययन’ विषयक पुस्तकक लोकार्पण
साहित्य अकादमी सम्मानसँ पुरस्कृत साहित्यकार प्रो. मायानन्द मिश्र द्वारा भेल।
कार्यकमक अध्यक्षता मैथिली साहित्यकार डा. महेन्द्र झा केलनि। मुख्य अथिति डा.
राजाराम प्रसाद, विशिष्ट अतिथि डा. शैलेन्द्र कुमार झा,
डा. ललितेश मिश्रा, डा. विश्वनाथ विवेका,
डा. के. एस. ओझा, डा. रेणु सिंह आदि रहथि।
कार्यक्र्रमक शुभारंभ पुस्तकक लेखक डा. देवनारायण साह
द्वारा आगत अतिथियक स्वागत भाषणसँ भेल आ ओ स्वयं लिखित पुस्तक ‘मणिपद्मक
काव्यकृतिक आलोचनात्मक अध्ययन’ क महत्वपूर्ण बिन्दुपर प्रकाश
देलनि। साहित्य अकादमी पुरस्कारसँ पुरस्कृत विद्वान प्रो. मायानन्द मिश्र कहलनि जे
डा. मणिपद्म बहुविद् साहित्यकार रहथि। ओ बहुविलक्षण कथा, उपन्यास
आ काव्य लिखलनि जे लोकगाथापर आधारित रहए। मैथिली आ मिथिलाक संस्कृतिक विकासक लेल
संघर्षमे ओ योगदान दैत रहथि। एहेन साहित्यकारक समग्र रचनाक आलोचनत्मक अध्ययन लिखि डा. देवनारायण साह प्राध्यापक एम. एल.
टी. कालेज सहरसा श्रमपूर्वक कार्य कऽ एकरा चिरस्मरणीय बनेलनि। डा.महेन्द्र झा
कहलनि जे ई मात्र संयोग अछि जे साहित्य अकादमीसँ पुरस्कृत डा. मणिपद्मपर डा.
देवनारायण साह द्वारा लिखित पुस्तकक लोकापर्ण सेहो साहित्य अकादमीसँ पुरस्कृत साहित्यकार प्रो. मायानन्द मिश्रक हाथसँ
भेल। डा. शैलेन्द्र कुमार रचनाक गंभीरतापर प्रकाश दैत कहलनि जे आइक समएमे मैथिली
लेखन कला कम भेल अछि लेकिन डा. देवनारायण साह शोधार्थी छात्रक लेल उपयोगी पुस्तक
लिखि मैथिली साहित्य जगतकेँ नव आयाम देलनि अछि। डा. ललितेश मिश्र पुस्तकक ऐतिहासिक
पृष्ठभूमि दिस ध्यान केन्द्रित कऽ कहलनि जे मैथिलीमे जासूसी उपन्यास सर्वप्रथम
मणिपद्म लिखलनि।
ऐ अवसर पर डा. राजाराम प्रसाद, डा. रामनरेश सिंह, डा. कुलानन्द झा, डा. दीपक गुप्ता, डा. एस. के.
ओझा आ डा. रेणु सिंह लोकार्पित पुस्तककेँ समीचीन बतेलनि आ अपन विचार व्यक्त केलनि।
२
मुन्नी कामत
१
कतऽ जा
रहल छी हम!
कतऽ जा
रहल छी हम!
कतौै तपि रहल अछि,
कतौै गलि रहल अछि,
कतौै धँसि रहल अछि,
तँ, कतौ उठि रहल अछि आइ धरती!
तपा रहल अछि अकरा मनुखक बढ़ैत भूख, जे दिन-प्रतिदिन गाछ-वृक्ष
काटि अकरा छत्रहीन बनबैत अछि। समाजक कुरीति अकरा गला रहल अछि। अपन बेटी पर देख
अत्याचार ई बेबस भऽ धँसि रहल अछि। देख ई सभ विडम्बना मॉं धरती क्रोधसँ पहाड़ बनि
संकल्प करैत अछि कि सम्पूर्ण जहाँक अइ विशाल चोटीसँ झाँपि अकर सर्वनाश कैर दी।
मुदा ओ
कुछ नै करै लेल मजबूर अछि। जेना आइ धरती बेबस लाचार आ कड़ीसँ बानहल देखाइत अछि
ओहिना हमरा समाजमे नारीक स्थिति अछि। आइ भाइ जल्लाद बनल अछि आ बाप पापक रूप लेने अछि।
प्राचीन कालसँ जइ रिश्ताकेँ भगवानसँ पहिल जगह मिलल अछि
आइ ओकर
नामो लइ सँ घृणाक बोध होइए। आइ हमरा समाजमे सभसँ अधिक नजाइज सम्बन्ध गुरू आ
शिष्याक बीच अछि। हम एगो अरमान मनमे बसा अपन बच्चामे अच्छा संस्कार आ उच्च शिक्षाक
अभिलाषा लेने गुरू लग जाइ छी मुदा वएह गुरू हमर आत्मसम्मान केँ ठेस पहुँचाबैत हमर
बच्चाक साथ शोषण करैत अछि। भाइ शब्द अतेक पावन, अतेक पवित्र अछि कि सभ
बहिन भाइ शब्दकेँ सम्बोघित करैत ई सोचैत अछि कि ई हमर केवल भाई नइ कृष्णक रूप अछि
जे युग-युग तक हमर आबरू आ सम्मानक रक्षा करत। चाहे ओ चचेरा ममेरा फुफेरा भाइ किएक
नइ हुअए। पर वएह भाइ जब अपन बहिनक विश्वास तार-तार करैत ओकरा संगे बलात्काकार करैए
तँ ओकरा की नाम देल जाएत।
जन्म देनहार बाप जकरा पिता परमेश्वर कहल जाइत अछि वएह बाप अपन जनमल बेटी संग पाप
करैत अछि यएह समाजमे।
आखिर कतऽ खडा छी हम, कतऽ जाइले डेग बढ़ा रहल छी एक पलक लेल, सोचलेसँ अहि गंदा पैर सँ चलि हम अपन स्वच्छ आ पवित्र समाजक निर्माण कऽ
सकैत छी? केवल सादा कागज पर कलम दौड़ेनाइ सिखनेसँ संस्कार आ
सोच नइ बदलैत अछि। अपन जमीर आ अपन आत्माक अवाज सुनु आ कहू कि बेटी कलंकक पुरिया
अछि कि हमर समाज ओकरा कलंकित करैत अछि।
२
नाटकः- शिक्षित बेटी
प्रथम-दृश्य
दुलारी- माय..................बाबू...... देखियौ, हमर परिक्षाफल ऐल। जइमे हम सभसँ अघिक अंक सँ उतीर्ण भेलौं।
फूलदाय- एना किए चिकरैय छऽ। लगैए जेना कानक झिल्ली फाटि जएत। सभ काज राज
छोड़ि कऽ मुँह केँ अगोरने रहै छऽ किताबेमे। आब ई चिटठा लऽ कऽ डकरने फिरै छऽ। सभ
तोहर बापक सनकी छियौ जे तूँ एना उधियाइ छी। ला अनऽ, आइ अकरा
चुल्हामे झौकि दै छिऐ।
दुलारी- माय, ई एक टुकरा कागज नइ, हमर साल भरक मेहनत छिऐ, हम नइ देब।
फूलदाय- तूँ नइ देबही तँ आइ ई झारू तोरा पीिठ पर टुइट जेतौ।
(फूलदाय झारू लात घुसा दुलारी पर बरसाबैत भद्दा-भद्दा
गारि दैत आ हुनकर हाथसँ अंकपत्र लऽ कऽ खुण्डी-खण्डी कऽ दैत अछि।)
पटाक्षेप
दोसर
दृश्य
खट्ठर-दुलारी बेटा, दुलारी कतऽ छहक।
दुुलारी-अबै छी बाबू जी!
खट्ठर- आइ तँ तोहर परीक्षाफल अबैबाला छेलऽ, कि भेलऽ?
अच्छा जा तूँ अपन अंक-पत्र नेने आबऽ। हम तोरा लऽ एगो तोउफा आनलिअ, जकरा देख तूँ खुश भऽ जेबहक। हम तोरा लऽ कलम आनलिअ,
आब जल्दी जा कऽ हमर उपहार नेने आबऽ।
(दुलारी चुपचाप ओतै बैठ दुनू आँखि सँ नोर बहाबैत यऽ,
तखने फूलदायक प्रवेश।)
फूलदाय-अहींक दुलार अकरा बिगाड़ि कऽ राखि देलकैए। जेना पढ़ि-लिख कऽ हमरा कमा
कऽ खिऐत बड़का मसटरैन बनबै लऽ चलल, के करतै बियाह। कतौ बिएबहक तँ पहिले
चुल्हा लग घुसकेतऽ बेटीकेँ। कॉपी-कलम पकड़ा नै ओकिली करै लऽ लए जेतऽ, बुजलहक कि नै।
खट्ठर-बेटा, तोहर मायक तँ आदते छऽ बजै कऽ। छोड़ऽ, तूँ कहऽ की भेलऽ स्कूलमे।
(दुलारी
नोराइल आँखिसँ चुपचाप माय आ बाबू दिस निहारैत रहैए।)
फूलदाय-गइ सून,
दुआर पर गोबरक ढेर,ी जो उठाकऽ महार पर पाथने आ। आ अकर बात
सुनमे तँ अहिना कुहल जेमऽ। बर ऐल पढ़ै-लिखै बाली। देखै छियौ, आब
तोरा के पढ़बै छौ।
खट्ठर-अहॉं बताह छिऐ कि! अपनो जनमल आन लगैए अहाँकेँ। तँइ तँ तूँ निपुत्र
छी। डाइन कहाँकऽ। भगवान तोरा बाँझे रखितौ तँ नीक होइत।
पटाक्षेप
तेसर दृश्य
(किछु
दिन बाद दुलारीक शिक्षकक हुनकर घरपर आगमन।)
शिक्षक-खट्ठर................यौ
खट्ठर...... कतऽ छी यौ।
खट्ठर-मास्टर साहेब प्रणाम।
शिक्षक- प्रणाम-प्रणाम! लिअ, आइ हम अहाँ कऽ मुँह मीठ करै लऽ
एलौंए।
खट्ठर- की खुशीमे!
शिक्षक- किए, अहाँ कऽ नै बुजहल अछि जे अहाँक बेटी अहि
गामक संगे अपन जिलोक नाम रौशन केलक। आइ हमरा गर्व भऽ रहल अछि जे हम दुलारी जेकाँ
होनहार छात्राक शिक्षक छी।
खट्ठर-पर दुलारी तँ हमरा किछु नै कहलक। हम तँ ई बुझै छेलौं कि दुलारी बोड
परीक्षामे असफल भऽ गेल। दुलारी..........बेटा दुलारी........
दुलारी- जी बाबूजी!
खट्ठर-बेटा, हमरासँ अतेक खुशीक बात केना छुपा कऽ राखि
लेलौं।
दुलारी-बाबूजी, ऊ माय हमर अंकपत्रकेँ.. (कहैत दुलारी कानऽ लगैए।)
शिक्षक-दुलारी, आइ तूँ गर्वसँ हमरा सभक सर ऊँच कऽ देलऽ।
खट्ठर! दुुलारीकेँ सरकार १० हजार रूपैया आ इंटर कॉलेजमे दाखिला संगे दू सालक
पढ़ै-रहै आ खाए कऽ खर्चा सभ देत। आ हम शिक्षकगण स्कूलक तरफसँ ५ हजार रूपैया अहाँ केँ
देब जे अहाँ अपन बागमे अतेक सुन्दर फूल उगेलौं, पूरे समाजसँ
लड़ि अपन बेेटीकेँ आगू बढ़ेलौं। आब सभ अपन बेटीकेँ बेटा जेकाँ पढ़ैत।
पटाक्षेप
चौथा दृश्य
(अपन
पत्नीसँ)
खट्ठर-आब कहू
बेटी कमाकऽ देलक कि नै! हम एहन दीप जरेलौं जकर प्रकाश पुरे जिलाक लोक देखलक। कि
अहाँक मन अखनो अनहार यऽ?
फूलदाय-हमरा माफ कऽ दिअ दुलारी बाबु, हमरा सँ गलती भऽ गेल,
हम अनपढ़ नै। बुझलौं शिक्षाक की मोल होइए। जब हम घर सँ निकलै छेलौं
तँ लोग सभ ताना मारै छेल, कहै छेल,
बेटीकेँ बेटा जकाँ स्कूल भेजनेसँ देखबै, नाक कटैत। आइ जाइ छी
हम, वएह लोग केँ कहै लऽ कि देखियौ, हमर
बेटी नाक नै कटौलक बल्कि सर ऊँच केलक।
खट्ठर-अच्छा चलू, दुलारी आब दू साल पढ़ै लऽ पटना जएत, तकर तैयारी करू।
फूलदाय- हऽ दुलारी बाबु, जरूर।
पटाक्षेप
अंतिम
दृश्य
(दू सालक बाद।)
खट्ठर-बेटा, आब आगू कि करबहक? और
पढ़बहक!
दुलारी-बाबु आगाँ तँ पढ़ब मुदा अहि संगे हम एगो काम सेहो करब, अपन गाममे प्रोढ-शिक्षा अभियान शुुरू करब।
खट्ठर- ई की होइ छै!
दुलारी-बाबू जाबऽ तक जड़ि नै स्वच्छ हौत तँ निक डारि केना पनपत। जबतक नारी
शिक्षाक मोलक एहसास नै हएत तब तक कोय अपन बेटीकेँ नै पढ़ैैत। बाबू हम अपन गामक सभ
बेटीकेँ दुलारी बनैत देखऽ चाहै छी।
खट्ठर-हँ बेटी, अहिमे हम अहाँक संग छी।
अक्षर-अक्षर दीप जलत
कक्का-काकी,बाबा-दाय
सभ मिल कऽ पढ़त
तबे बेटा-बेटीक भेद मिटत
आ समान हक सँ दुनू आगू बढ़त।
१.पूनम मण्डल- मणिपद्म जयन्तीपर
दिल्लीमे मिथिलांगन द्वारा कवि गोष्ठी ९ सितम्बर २०१२ केँ सम्पन्न्स २.नवेंदु कुमार झा-नीतीशक सोंझा
मोदीक समर्पण/ ठंडाक मौसम मे गर्मायत बिहारक राजनीति/
३ अक्टूबरकँे राष्ट्रपतिक बिहार दौरा दरभंगा,
सेहो जेताह मुखर्जी/ जापान आ कनाडाक दौरा पर जयताह मोदी/
मैथिल ब्रहमणकँे किनार लगौैलक भाजपा कीर्ति कयलनि सोनिया सॅ भेंट/
बिहारमे निवेशक इच्छा जनौलक रैनबैक्सी/ मधुबनी
सहित तीन जगह पर बनत पीपा पूल/ पंचायत प्रतिनिधि
१
पूनम मण्डल
मणिपद्म जयन्तीपर दिल्लीमे
मिथिलांगन द्वारा कवि गोष्ठी ९ सितम्बर २०१२ केँ सम्पन्न
-मणिपद्म जयन्तीपर दिल्लीमे मिथिलांगन द्वारा कवि गोष्ठी ९ सितम्बर २०१२
केँ सम्पन्न
-कवि गोष्ठीक संचालन मानवर्धन कण्ठ केलनि।
-कुमार शैलेन्द्रक कविता पाठक दौरान दर्शक दीर्घासँ अभद्रतापूर्ण टोका-टोकी
भेल। शुरूमे कुमार शैलेन्द्र टिप्पणी केने रहथि जे महेन्द्र मलंगिया जी
कविता नै लिखै छथि। मंचपर कुमार शैलेन्द्रक टिप्पणी छल जे कविता नै
लिखिनिहार नीक नाटक नै लिखि सकैए। तकर बाद महेन्द्र मलंगियाजी बिनु कविता पढ़ने उठि कऽ चलि गेलाह। तकरे बदलामे कुमार
शैलेन्द्रक कविता पाठक दौरान दर्शक दीर्घासँ अभद्रतापूर्ण टोका-टोकी भेल। जातिवादी
रंगमंचक दू ग्रुपक बीच भऽ रहल ऐ घटनाक्रमक बाद संचालक शान्ति बनेबाक अपील केलन्हि।
तकर बाद टोका-टोकी केनिहार पाँचो व्यक्ति सेहो किछु
कालमे चलि गेला।
-रवीन्द्रनाथ ठाकुर, मुन्नाजी, विनीता
मल्लिक, मानवर्धन कण्ठ , कुमार
शैलेन्द्र, रमण कुमार सिंह आदि कविता पाठ केलन्हि।
·
Sanjay Choudhary जे कियो ई रिपोर्ट लिखने
छथि ओ सभागार मे उपस्थित नई छलाह । कार्यक्रम बहुत नीक वातावरण आ नीक माहौल मे
संपन्न भेल । कुमार शैलेंद्र जी महेंद्र मलंगिया जीक नामो तक नई लेलखिन्ह ।
रिपोर्ट लिख' बला सं अनुरोध जे आँखि मुईन क' झटहा नई फेकू ,
अहांक विश्वसनीयता समाप्त भ' जैत ।
·
Rawindra Das je kyo ehan reporting karet chi o chahait chi je maithil sab
jati ke larai me ojhraol rahathi aa ehin kaj ta bahuto lok ka rahal chathi kala
me pit ptrakarita ke kono jagah nai chaik o rajnitikik patrakarita karu aa
chadm nam sa nahi likhu
·
Rawindra Das मुदा एक टा काज ओ बखूबी क रहल अछि आ दिन प्रतिदिन क रहल
अछि . ओ काज अछि जातिवादिताक नाम पर झगरा केनाइ साहित्यकार सभ केर खुलेआम फसबूक आ
ब्लोगक माध्यम स गारि पढ्नाई
·
Poonam Mandal संजय चौधरी जी, कुमार शैलेन्द्र जी रवीन्द्र सुमनकेँ कहने
रहथिन्ह दुनूमे सँ कोनो एक गोटा सँ पुछि लेब, हमर समदिया
ओतए उपस्थित छल। अहाँ जातिवादी रंमंचसँ जुड़ल छी तेँ अहाँक छटपटाएब निश्चिते,
मिथिलांगन केँ जँ अपन प्रतिष्ठा बचेबाक छै तँ अहाँ सन लोकसँ दूरा
बनाबए पड़तै। मलंगिया जे मणिपद्मक विषयमे एकांकी संग्रह (साहित्य अकादेमी) मे जे
लिखने छथिन्म्हह से अहाँकेँ नै बुझल हएत। पढ़ू आ मलंगिया जीक चरित्रक विषयमे बुझू।
·
Poonam Mandal रवीन्द्र दास जी। आँखि मुनि लेलासँ जँ समाधान निकलितै
तँ दुनियाँमे कोनो समस्ये नै रहितै। काला आ साहित्यमे मैथिला ब्राह्मण आ कर्ण
कायस्थ जै तरहेँ जातिवादी राजनीति कऽ रहल छथि/ केने छथितकर विरोध पीत पत्रकारिता
छै। अहाँ आइ.डी. हमरा छद्म बुझा रहल अछि कारण जे अहाँ कॉपी-पेस्ट केने छी
(साहित्यकार सभ केर खुलेआम फसबूक आ ब्लोगक माध्यम स गारि पढ्नाई) आदि, से एकटा चोर का
"राड़ केँ सुख बलाय" केर लेखक "रोशन कुमार झा"क पोस्ट छिऐ। ओइ
चोरकेँ पहिनहिये समदियासँ बैन कऽ देल छै। ओकर कुकृत्य नीचाँक लिंकपर देल अछिhttp://esamaad.blogspot.in/2012/09/blog-post_502.html
·
Gajendra Thakur जातिवादी रंगमंच आ ओकर संगी साथी सभक निर्लज्जता आँखि
खोलएबला अछि।
Kumar Shailendra samadiya me chapal riport ekdam galat
anuchit aa bhramak achi.Ehan galat prachar nai karbaak chahi. malangiyajee
bimar rahathi o aayalo nahi rahathi. ham aa sanjay choudhry hunka ghar par
dekhi aayal rahi.Hamar kawitak khoob swagat bhel rahay karan o hamar doo masak
darbhanga prawas par kendrit rahay. Samadiya me chapal ripot pardhlak baad
hamra pahil khep e bujhba me aayel je videh sa jural lok sab katek grinit
abhiyan chala rahal achi.
Poonam Mandal जातिवादी रंगमंचसँ जुड़ल कुमार शैलेन्द्रक
झूठ घृणित, आ डरपोक
जातिवादी रंगमंच जे चोर रोशन कुमार झा (राड़के सुख बलाए केर लेखक)सन कॉपीराइट चोरक
संगी अछि, केर असली चेहरा अछि, जे
प्रोग्राम सभमे अभद्रता करैए, एक दोसरासँ लड़ैए मुदा विदेहक
विरुद्ध एक भऽ जाइए।
http://esamaad.blogspot.in/2012/09/blog-post_502.html
·
Gajendra Thakur कुमार शैलेन्द्र
आ आन जातिवादी रंगमंचकर्मीक ई पुरान आदति छन्हि, भोजपुरी-मैथिली अकादेमीक सेमीनार मे कुमार
शैलेन्द्र आ किछु आर गोटेक मंचेपर वाक युद्ध हम आँखिसँ देखने छी (प्रायः देवशंकर नवीन
संगे), मुदा अगिले सेमीनारमे माहान मलंगिया, महान देवशंकर, महान गुंजन, महान
सुभाष चन्द्र यादव आदिक जयघोष सेहो शैलेन्द्र लगेने रहथि, आ
तैपर मलंगियाजी देवशंकर नवीनकेँ कहने रहथिन्ह- की भऽ गेलै आइ कुमार शैलेन्द्रकेँ,
उलटा धार बहा रहल अछि।
·
Gajendra Thakur झूठपर टिकल
अछि जातिवादी रंगमंच। किछु वीडियो ऐ दुनू कार्यक्रमक विदेह वीडियोमे भेटि जाएत, भऽ सकैए नरम-गरम दुनू घटना भेटि जाए।
·
Gajendra Thakur रोशन कुमार झा नाम्ना जातिवादी चोरक संग
जातिवादी रंगमंच आ कुमार शैलेन्द्रक साँठ-गाँठ सोझाँ अछि। तखन ककर गप ठीक मानल जाए, झूठ आधारित जातिवादी रंगमंचक
वा सत्य आधारित समदियाक??
·
Poonam Mandal ऐ चोरक संगी
साथी (शंकरदेव झा, कुमार
शैलेन्द्र, अमलेन्दु शेखर पाठक आदि) सभक गपपर विश्वास कएल जा
सकैए?
·
Poonam Mandal अखनो जगदीश
प्रसाद मण्डलक रचना जातिवादी रंगमंचक सहयोगीक सह पर ई चोर रोशन झा ऊपरक देल लिंकपर
चोरेने अछि।
http://esamaad.blogspot.in/2012/09/blog-post_502.html
·
Sanjay Choudhary गजेंद्र ठाकुर
जी आ पूनम मंडल जी अहाँ सब गैर जातिवादी रंगमंच ल' क' दुनियाँ के सामने
कियेक नई अबई छी
·
Sanjay Choudhary अहाँ सब लग
जतेक गैर जातिवादी नाटक अछि हमरा पठा दिय आ संगहि जतेक गैर जातिवादी कलाकार सब छथि
तिनको कहियो जे हमरा सब संग आबि क' नाटक
करैथ तखने जातिवाद समाप्त हैत । अगर जातिवाद छैक त' ओकरा समाप्त
कर' के प्रयास हेबाक चाही ताही
लेल सब जाति के लोक सब के मंच पर आब' पड़तय । हमरा सब लग जे
कलाकार आ नाटक उपलब्ध रहैत अछि ओही सं काज चलब' पड़ेयै । अहाँ
सब गैर जातिवादी कलाकार हमरा खोजि क' दिय अपन गैर जातिवादी
कलाकार सब के कहियो जे हमरा सब संग मिल क' काज करत । दिल्ली
सन शहर मे नाटक केनाई बहुत जोखिम के काज छैक आरोप लगेनाई बहुत छोट गप होईत छैक अपन
रोजी रोटी छोड़ि क' नाटक मे लाग' पडैत
छैक । और अहाँ सब सबटा चीज के मटियामेट कर' मे लागल रहै छी ।
एना हल्ला मचब' सं नीक हैत जे एकटा विकल्प दियौ मैथिली
रंगमंच के जे गैर जातिवादी होईक । जातिवाद समाप्त भ' रहल छैक
मुदा अहाँ सब ओकरा हावा देब' मे लागल रहै छी । जखन देखू जातिवाद
शब्दक ढिंढोरा पिटैत रही छी । अगर सामर्थ अछि त' दिल्ली मे
एकटा गैर जातिवादी रंगमंच स्थापित करू हमहूँ ओही रंगमंच सं जुड़ि जैब ।
·
maithili-drama.blogspot.com
·
Gajendra Thakur संजय जी, उपरका
लिंकपर समानान्तर रंगमंच ( गैर जातिवादी समानान्तर रंगमंच) आ नाटक भेटि जाएत,
अहाँ केहेन रंगमंचसँ जुड़ल लोक छी जे अहाँकेँ ई बुझलो नै अछि?
ओना ई अहीं टाक नै सम्पूर्ण जातिवादी रंगमंचक समस्या अछि अहाँक ई
प्रश्न "अहाँ सब गैर जातिवादी रंगमंच ल' क' दुनियाँ के सामने कियेक नई अबई छी" कूपमंडूकताक द्योतक अछि वा जातिवादी
कट्टराक। अहाँ लग गएर ब्राह्मण-गएर कायस्थ किए नै आबि रहल अछि ओइपर सोचू, लोककेँ पठेबै तँ ओ जाएत? पहिने भरोसा कायम करू,
की भरोसा काएम कऽ सकल छी? दिल्ली सन शहर मे
नाटक केनाइ "विदेह समानान्तर रंगमंचक" मूल उद्देश्य नै छै, कारण विदेहसँ जुड़ल लोक भरि विश्वमे छथि, आ मिथिलामे
"विदेह समानान्तर रंगमंचक" होइत अछि, होइत रहत।
मैथिली रंगमंचकेँ विकल्प देल जा चुकल छै। जे जातिवादी शब्दावली अहाँक आ अहाँ सन
दोसर जातिवादी नाटककारक नाटकमे छन्हि तकर बाद अहाँ सोचियो केना लेलिऐ जे लोक अहाँ
सभक घृणाक रंगमंचसँ जुड़त? रोजी-रोटी छोड़ि कऽ समाजकेँ बँटबाक
काजमे लगनाइ जँ अहाँक प्रियोरिटी अछि तँ ओकरा (जातिवादी रंगमंचकेँ) जड़िसँ खतम
केनाइ हमर प्रियोरिटी अछि, आ से प्रियोरिटी हमरा सभक गामसँ
शुरू भेल अछि जतए नेटिव स्पीकर बसै छथि, फण्ड आधारित दिल्ली
नै। मराठी नाटक शोलापुर आ मुम्बै आ गुजराती नाटक अहमदाबाद आ भरूच निर्धारित करैत
अछि। अहाँकेँ कोना शक भऽ गेल जे मैथिली नाटक दिल्ली निर्धारित करत आ साम्प्रदायिक
नाटककार निर्धारित करता? हमरा सभक सामर्थ्य आस्ते-आस्ते अहाँ
लोकनिकेँ देखाइ पड़िये रहल अछि, पड़िते रहत, .. फूल्स पाराडाइजसँ हमरा लोकनिकेँ कोनो मतलब नै।
·
Gajendra Thakur आब ऐ रिपोर्टपर घुरी- जातिवादी रंगमंच आ ओकर संगी साथी सभक निर्लज्जता
आँखि खोलएबला अछि। गिरगिट सेहो हिनका लोकनिक रंग बदलबाक आ झूठ बजबाक क्षमता देखि
लजा जाएत।
·
Poonam Mandal संजय जी, पहिने तँ कुमार शैलेन्द्र, रवीन्द्र दास आदि जे झूठ बाजल छथि ओइ लेल ओ सभ माफी मंगथु, अहूँकेँ सभ गप बूझल छल मुदा अहाँ गपकेँ झाँपै-तोपैक प्रयास केलौं, किए? फेर कुमार शैलेन्द्र , अमलेन्दु
शेखर पाठक, रवीन्द्र दास आदि जै चोर रोशन कुमार झा (जकर
डायलोग रवीन्द्र दास कॉपी केने छथि) केँ जातिवादमे झोंकि जगदीश प्रसाद मण्डलक
रचनाक चोरिक बादो पाछासँ सह दऽ रहल छथिन्ह, तकरा लेल की सजा
छै? की एकर बादो अहाँ लोकनि सहयोगक आशा रखै छी?
२
नवेंदु कुमार झा- नीतीशक
सोंझा मोदीक समर्पण/ ठंडाक मौसम मे गर्मायत बिहारक
राजनीति/ ३ अक्टूबरकँे राष्ट्रपतिक बिहार दौरा दरभंगा, सेहो जेताह मुखर्जी/ जापान आ कनाडाक दौरा पर जयताह
मोदी/ मैथिल ब्रहमणकँे किनार लगौैलक भाजपा कीर्ति कयलनि
सोनिया सॅ भेंट/ बिहारमे निवेशक इच्छा जनौलक रैनबैक्सी/
मधुबनी सहित तीन जगह पर बनत पीपा पूल/ पंचायत
प्रतिनिधि
नीतीशक सोंझा मोदीक समर्पण
बिहारक उप मुख्यमंत्री
सुशील कुमार मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पीएमक मेटेरियल जना भाजनाक भीतर पीएम इन
वेटिंगक परेशानी बढ़ा पार्टीक भीतर नव रणनीतिक संकेत देलनि अछि। भाजपा मे कतेको
योग्य नेता छथि। मुदा मोदी के नीतीश कुमार मे पीएम मेटेरियल बुझि पड़ैत अछि तऽ ई
कोनो संयोग भाग नहि अछि। राजनीतिक जानकार एकरा पार्टीक भीतर गुजरातक मुख्यमंत्री
नरेन्द्र मोदीक बढ़ैत प्रभाव के धार के भोथर करबाक मोदी विरोधी खेमाक रणनीति मानैत
छथि। सुशील मोदीक एहि बयान बाद पार्टीक वरिष्ठ नेता आ बिहार मे भाजपा-जदयूक सरकार
प्रमुख रणनीतिकार अरूण जेटली द्वारा फोन सॅ नीतीश कुमार सॅ भेल गपसप सॅ एहि बात के
बल भेटि रहल अछि। हुनक बयान से प्रदेश भाजपा सुरक्षात्मक मुद्रा मे अछि आ कोनो
नेता एहि पर खुलिक किछु बजबा पर परहेज कऽ रहल छथि। कि एक तऽ बिहार भाजपा मे सुशील
कुमार मोदीक भर्सी सॅ सभ किछु होइतन अछि आ वर्तमान परिस्थिति मे नीतीश कुमारक
मार्ग दर्शन पर भाजपाक डेग उठैत अछि। एक तरहे प्रदेश मे भाजपा मोदीक आगा ठेहून
रोपने अछि तऽ मोदी नीतीश कुमारक चांगूर मे छथि। मोदी आ नीतीशक एहि कदम ताल सॅ
विपक्षी दल के एकरा मुद्दा हाथ लागि गल अछि आ ओ नीतीश कुमार पर निशाना लगा रहल
अछि।
लोक सभाक चुनाव मे एखन तीन वर्षक समय अछि मुदा जे राजनीतिक परिदृश्य
बनि रहल अछि ओहि मे चुनावक संभावना सेहो नजरि आबि रहल अछि तें एखने स ॅप्रधानमंत्रीक
पद पर अपन-अपन दावेदारी मजगूत करबाक रणनीति मे राजगक घटक दलक नेता लागि गेल अछि।
एहि मे राजगक प्रमुख घटक जदयूक वरिष्ठ नेता नीतीश कुमारक नाम पर लगातार चर्चा सॅ
हुनक दावेदारी दिन पर दिन मजगूत भऽ रहल अछि। आब तऽ एक तरहे भाजपाक भीतर सेहो नीतीश
कुमारक स्वीकार्यरता धीरे-धीरे बढ़ि रहल अछि। एहि सॅ पहिने भाजपाक मातृ संगठन
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघक वरिष्ठ नेता मोहन भागवत सेहो नीतीश कुमारक प्रसंशा कऽ
संघ परिवार हलचल बढ़ा देने छलाह।
सुशील कुमार मोदीक बयानक बाद रक्षात्मक भेल भाजपाक नेता सभ ओना तऽ
समर्थन आ विरोध सॅ बचि रहल छथि मुदा नीतीश कुमारक काजक प्रशंसा सॅ नहि चुकैत छथि।
पार्टी नेताक मानब अछि जे मोदीक बयान नीतीश कुमारक व्यक्तित्वक संदर्भ मे अछि आ
केन्द्र सरकारक भ्रष्टाचारक चर्चा सॅ लोक सभक ध्यान हटैबाक लेल एहि मामिला के बिना
कोनो कारण हवा देल जा रहल अछि। मुदा एहि बातक कोनो उतर पार्टी नेता लग नहि अछि जे
भाजपा मे नरेन्द्र मोदी, शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह सन् कुमशल मुख्यमंत्री मे पीएम मेटेरियल मोदी के किएक नहि
देखाई पड़ि रहल अछि। मोदी के गंभीर आ परिपक्व नेता मानल जाईत अछि आ हुनक बयान सेहो
महत्वपूर्ण होइत अछि। ओ कोनो बयानवीर नहि छथि जे सभ मामिला पर चर्चा मे रहबाक लेल
बयानबाजी करैत छथि। तें प्रधानमंत्री पदक संदर्भ मे सुशील मोदीक बयान पैघ राणनीतिक
रूप् मे देखल जा रहल अछि। मोदीक बयान पर नीतीश कुमारक प्रतिक्रिया जे ई संयोगमात्र
अछि ओहि रणनीति के मजगूत आधार दऽ रहल अछि। प्रदेश मे सक्रिय नीतीश विरोधी उपेन्द्र
कुशवाहा प्रधानमंत्रीक दावेदारक रूप् मे नीतीश कुमार के पूरा तरहें खारिज कऽ रहल
छथि तऽ राजदक वरिष्ठ नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी मानैत छथि जे मोदीक बयान पार्टीक
प्रति हुनक निष्ठाक प्रदर्शन आ एक तरहें जदयूक आगा भाजपाक समर्पण मानल जा सकैत
अछि। ओना लोक सभाक चुनाव मे देरी अछि आ वर्तमान परिस्थिति मे भाजपा आ कांग्रेस
दूनू मध्यावधि चुनाव सॅ बचऽ चाहैत अछि तथापि नीतीश आ सुशीलक कैमेस्ट्रीक मध्य
राजनीतिक मैथेमैटिक्स सोझराओल जा रहल अछि।
ठंडाक मौसम मे गर्मायत
बिहारक राजनीति
सितम्बर मास मे मौसम
ठंढाएलाक संगहि बिहार मे राजनीतिक पारा गर्म होयत। सŸाारूढ़ जदयूक संगहि
विपक्ष दिस सॅ यात्राक दौर प्रारंभ होयत। एक दिस सुशासनक गुणगान करैत प्रदेशवासीक
हक आ सम्मानक लेल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अधिकार यात्रा पर निकलताह तऽ प्रदेश मे
परिवर्तनक लड़ाईक लेल राष्ट्रीय जनता दलक सुप्रीमो लालू प्रसादक परिवर्तन यात्राक
चारिम चरण प्रारंभ होयत। कोइलाक कारिल लागल दाग के छोड़ैबाक लेल कांग्रेस सेहो
मैदान मे उतरत। केन्द्र सरकार पर लगातार भऽ रहल हमलाक उतर देबा आ अपन पक्ष राखल आ
नीतीश सरकारक असफलता के जनता धरि पहूचैबाक लेल कांग्रेस पोल खोल यात्रा प्रारंभ
करत तऽ नीतीश विरोधी आ बिहार नव निर्माण मंच सम्पर्क यात्रा के माध्यम सॅ नीतीश
सरकारक सुशासनक हवा निकालत। लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान सेहो जनसम्पर्क यात्राक
माध्यम सॅ अपन उपस्थिति दर्ज करा रहल छथि।
राजग सरकार के उखाड़ि फेंकबाक संकल्पक संग राजद परिवर्तन यात्राक चारिम
चरण 19 सितम्बर सॅ प्रारंभ होयत। एहि दरमियान राजद
सुप्रीमो लालू प्रसाद 19 सितम्बर के बेगूसराय सॅ यात्रा
प्रारंभ करताह आ 20 सितम्बर के खगड़िया, 21 सितम्बर के भागलपुर, 22 सितम्बर के मुंगेर आ 23 सितम्बर के लखीसरायक यात्राक क्रम मे जनसभाक माध्यम सॅ नीतीश सरकार पर
हमला कऽ बिहार मे परिवर्तनक लेल जनता के सजग करताह। यात्राक दरमियान रात्रि
विश्राम सेहो ओहि जिला मे होयत आ भिनसर दलक कार्यकर्ता सॅ भेंट करताह। हुनक यात्रा
मे विपक्षक नेता अब्दुलबारी सिद्दीकी, राष्ट्रीय महासचिव
रामकृपाल यादव, सांसद जगतानंद, विधान
परिषद मे विपक्षक नेता गुलाम गौस, विधानसभा मे पार्टीक
मुख्य सचेतक सम्राट चौधरी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आ सांसद
रघुवंश प्रसाद सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयप्रकाश
नारायण यादव, आ पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी संग रहताह।
दोसर दिस कांग्रेस सेहो अपन हेरायल राजनीतिक जमीनक खोजक लेल अभियान
चलाओत। पार्टी द्वारा पहिने के कोइला अवंटन मामिला पर विपक्ष द्वारा संसद के ठप्प
करबाक कार्रवाईक उतर देबाक लेल मैदान मे उतरत। कोलगेट कांड पर मचल बबालक पर विपक्ष
के उतर देब आ सरकारक पक्ष रखबाक लेल बिहार मे उद्योग आ वाणिज्य राज्य मंत्री
ज्योतिरादित्य सिंधिया के मैदाम मे उतारत। श्री सिधिया दू दिनक बिहार यात्रा पर
सितम्बर के प्रदेशक दौरा कयलनि। एकर बाद कांग्रेस केन्द्रीय योजना सभ मे बिहार मे
भऽ रहल भ्रष्टाचारक विरूद्ध पोल खोल राष्ट्रपिता महात्मा गांधीक प्रतिमा पर
माल्यार्पणक बाद ई अभियान प्रारंभ होयत। ओहि दिन नरकटियागंज आ रामनगर मे जन सभा
आयोजित कयल जायत। 22 सितम्बर के प0 चम्पारणक हरसिद्धी आ मोतीहारी नगर 23 सितम्बर
के मुजफ्फरपुरक मोतीपुर आ कुढ़नी आ 24 सितम्बर के बेगूसराय
जिला मुख्यालय मे जनसभा आयोजित कयल जयत।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमारक विरूद्ध लगातार अभियान चला रहल बिहार नव
निर्माण मोर्चा सेहो यात्राक एहि राजनीति मे कूदलक अछि। मोर्चा प्रदेश मे सम्पर्क
यात्रा आयोजित करबाक घोषणा कयलक अछि। ई यात्रा 9 सितम्बर
सॅ कैमूर जिला सॅ प्रारंभ होयत। कैमूर जिला मे तीन दिन यात्राक बाद ई यात्रा तीन
दिन धरि नवादा जिला मे चलत आ 22 से 28 सितम्बर धरि पूर्वी चम्पारण यात्रा होयत।
बिहार के विशेष राज्यक दर्जा देबाक लेल जनता दल यू लगातार आंदोलनक
माध्यम सॅ केन्द्र पर दबाव बना रहल अछि। एहि मांगक समर्थन मे दल 4 नवम्बर के पटना मे अधिकार रैली आयोजित कऽ रहल अछि। एहि रैली मे समर्थन
जुटैबाक लेल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अधिकार यात्रा पर निकलि रहल छथि। मुख्यमंत्री
एहि यात्राक लेल पटना सॅ बेतियाकक लेल 18 सितम्बर के विदा
हेताह। हुनक यात्रा औपचारिक रूप सॅ 19 सितम्बर सॅ बेतिया
सॅ प्रारंभ होयत। ओ 14 अक्टूबर धरि प्रतिदिन दू जिलाक
यात्रा कऽ जन सभा के संबोधित करताह। एहि दरमियान ओ यात्राक लेल सरकारी गाड़ी आ
सरकारी अतिथि शालाक उपयोग नहि करताह। दल द्वारा आयोजित यात्रा मे ओ दलक गाड़ी आ दल
द्वारा व्यवस्था कयल गेल जगह पर राशि विश्राम करताह।
सितम्बरक मास एक दिस मौसम बदललाक संगहि बिहारवासी गर्मी सॅ राहतक सांस
लेताह तऽ दोसर दिस बिहारक राजनीति मे गर्माहट आओत। सभ प्रमुख दल आ नेता प्रदेशक
यात्रा पर निकलि रहल छथि। ते स्वाभाविक अछि जे सभ जनता के अपना-अपना हिसाब सॅ अपन
पक्ष रखताह। जखन राजनीति करबाक अछि तऽ रणनीति बनाएल आवश्यक अछि। ओना एखन लोक सभा आ
विधान सभाक चुनाव मे देरी अछि मुदा राजनीतिक रणनीतिक बिना दल आ नेताक कोनो महत्व
नहि अछि। अधिकार, परिवर्तन, पोल-खोल
आ सम्पर्क सॅ जनता के कतेक प्रभावित कयलक ई तऽ जनादेशक परीक्षाक बादे पता चलत।
सम्पर्कक माध्यम सॅ पोल खोलि परिवर्तनक विपक्षक आशाक मध्य अधिकार देयैबाक सŸााधारी दलक संकल्प सॅ जनताक मूल समस्याक कतबा समाधान होयत ई तऽ भविष्यक
गर्त से अछि मुदा एहि मास मे जनता के टाइम पास करबाक लेल पूरा अवसर अछि। सŸााक वादा आ विपक्षक इरादाक संग जनता के ठंढाक मौसम मे सिहरनक संग
राजनीतिक गर्मी महसूस होएत।
---
3 अक्टूबर के
राष्ट्रपतिक बिहार दौरा दरभंगा सेहो जताह मुखर्जी
राष्ट्रपतिक प्रणव
मुखर्जीक 3 अक्टूबर के बिहारक दौरा करताह। श्री मुखर्जीक राष्ट्रपति बनलाक बाद
पहिल बेर भऽ रहल बिहार यात्राक दरमिया ओ पटनाक संगहि दरभंगा सेहो जयताह। 3 अक्टूबर के राष्ट्रपति विशेष जहाज सॅ दूपहर मे पटना पहूचताह। पटना
हवाई अड्डा पर हुनका गार्ड ऑफ ऑनर देल जायत। ओकर बाद ओ बिहार सरकारक कृषि रोड मैपक
लोकार्पण श्रीकृष्ण स्मारक भवन मे करताह। श्री मुखर्जीक सम्मान मे मुख्यमंत्री
आवास पर भोज आयोजित कएल गेल अछि। एहि मे सम्मिलित भेलाक बाद ओ दरभंगा विदा भऽ
जेताह। ओतए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालयक दीक्षांत समारोह मे भाग लेलाक बाद
पटना आपस आबि जयताह आ राजभवन मे रात्रि विश्राम करताह। हुनक सम्मान मे राजभवन मे
रात्रि भोज आयोजित कयल गेल अछि।
---
जापान आ कनाडाक दौरा पर
जयताह मोदी
प्रदेशक विŸा मंत्रीक
प्राधिकृत समितिक अध्यक्ष सह प्रदेशक उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदीक नेतृत्व मे
एकटा दल 13 सॅ 25 सितम्बर धरि
कनाडा आ जापानक टोरंटो, ओटावा, वैनकूवर
आ टोकियाक दौरा कऽ वस्तु आ सेवा कर प्रणालीक अध्ययन करत। एहि द लमे 12 प्रदेशक वित्त मंत्री आ 17 प्रदेशक वित्त
सचिव आ वाणिज्य कर आयुक्त सम्मिलित रहताह। एहि सॅ पहिने श्री मोदी वर्ल्ड इकोनोमिक
फोरम द्वारा 11-13 सितम्बर धरि चीन मे आयोजित भविष्यक
अर्थव्यवस्था विषयक सम्मेलन मे भाग लेताह आ व्याख्यान सेहो देताह।
---
मैथिल ब्रहमण के किनार
लगैलक भाजपा कीर्ति कयलनि सोनिया सॅ भेंट
कोयला आवंटनाक मामिला मे
संसदक मानसून सत्रक हंगामाक मध्य दरभंगाक भाजपा सांसद कीर्ति आजादक कांग्रेस
अध्यक्ष सोनिया गांधीक संग भेल भेट सॅ प्रदेश भाजपाक कान ठाढ़ भऽ गेल अछि। श्री
आजादक पिता स्व0 भागवत झा आजाद कांग्रेसक सम्मानित नेता छलाह आ प्रदेशक मुख्यमंत्रीक
रूप मे सेहो हुनका कांग्रेस अवसर देने छल। कीर्ति आजाद एहि भेटक बाद भने सफाई दऽ
रहल होथि मुदा एहि भेटक किछु नहि किछु राजनीतिक चालि मानक जा रहल अछि। ओना ओ
समाजवादी पार्टी आ तृणमुल कांगेसक अध्यक्ष सॅ सेहो भेट कएने छलाह। मुदा एहि पर
ककरो ध्यान नहि गेल छल। कांग्रेस अध्यक्ष सॅ भेटक बाद हुनक पार्टी बदलबाक चर्चा पर
ओ सफाई देलनि जे पार्टी कि किछु नेता हुनक विरूद्ध ई अफवाह पसारि रहल छथि।
दरअसल प्रदेशक राजनीति मे कतियाएल मैथिल ब्राहमण नेता अपन अस्तित्व
बचैबाक लेल संघर्ष कऽ रहल छथि। राजनीतिक हैसियत कम भेलाक कारण भाजपा सेहो एहि
समाजक उपेक्षा कऽ रहल अछि। पूर्व मे कांग्रेस-राजद गठबंधनक बाद ई समाज भाजपाक पक्ष
मे गोलबंद भेल आ लोक सभा आ विधान सभाक चुनाव मे राजगक सर्मािन मे आगा आयल। राजगक
घटक भाजपाक प्रति मैथिल ब्रहमणक विशेष रूप् झुकाव भेल। मुदा पार्टी एहि समाजक भेटल
समर्थन के समाजक मजबुरी बुझि एकर उपेक्षा कऽ रहल अछि तऽ एहि समाजक नेता सेहो आब
दबाव बन बऽ लगलाह अछि। भाजपाक प्रति भऽ रहल मोहभंग पर ओकर सहयोगी नजरि गड़ौने अछि आ
एहि दिस ओकरा सफलता सेहो भेटल। भाजपा मे उचकद वला नेता मानल जाय वला संजय झा के द
लमे सम्मिलित करा पार्टी के झटका सेहो देलक अछि। आब जदयूक नजरि बिहार विधान
परिषद्क सभापति ताराकान्त झा दिस अछि। हालहि मे श्री झा द्वारा शिक्षक नियोजनक चलि
रहल प्रक्रिया मे मैथिली शिक्षकक नियोजनक मांग उठाओल गेल छल आ एहि दिस सक्रिय भऽ
सरकार मैथिली शिक्षकक नियोजन घोषणा कऽ हुनक मिथिलांचल मे अपन पकड़ बनैबाक संकेत
देलक अछि। भाजपा जतय ताराकांत झा के सभापति रहैत विधान परिषद्क टिकट सॅ वंचित कयलक
ओतहि विधानसभाक उपाध्यक्षक प्रबल दावेदार विजय कुमार मिश्रा आ विनोद नारायण झा के
कतिया देलक। हालांकि विनोद नारायण झा के मंत्री स्तरक पदक लालीपॉप दऽ हुनक नाराजगी
कम करबाक प्रयास कयलक अछि।
बिहार विधानसभाक चुनावक दरमियान भाजपा पहिने टिकटक बॅटवारा मे मैथिल
ब्रहमण के कात लगा देलक आ आब सत्ता मे भागीदारीक बाट सेहो रोकि रहल अछि। एहि
स्थिति मे समाजक सक्रिय नेता मे असंतोष होयब स्वाभाविक अछि। कीर्ति आजादक सोनिया
गांधी सॅ भेल भेट के असंतोषक जड़ि रहल आगिक धुंआं मानल जा सकैत अछि। असल मे राजनीति
ताकतक पूछ होइत अछि। ओ चाहे समाजक ताकतओ अथवा अपन व्यक्तिगत ताकत आ हैसियत। सब सॅ
पैघ विडम्बना ई अछि जे मैथिल समाज एकजूट भऽ अपन राजनैतिक हैसियत नहि देखबैत अछि।
एहि समाज के एकठाम राखब आ बेंक के तराजु पर तौलब बरोबरि अछि। एहि स्थितिक लाभ
भाजपा पूरा तरहें उठा रहल अछि। संगठन आ सत्ता दूनू मे मैथिल ब्राहमणक उपेक्षा कऽ
आधारविहीन मैथिल ब्राहमण नेता के आगो आनि भाजपा अपन चेहरा बचा रहल अछि। (रिपोर्टमे व्यक्त विचार लेखकक छन्हि।– सम्पादक)
---
बिहार मे निवेशक इच्छा
जनौलक रैल बैक्सी
देशक प्रसिद्ध दवाई कम्पन
रैनबैक्सी लेबोरेट्रीज बिहार मे दवाईक कारखाना लगैबाक योजना बनौलक अछि। कम्पनी ई
निवेश जनेरिक दवाई बनैबाक लेल करत। कम्पनी एहि वास्ते सरकार सॅ किछु मदतिक इच्छा
जनौलक अछि। कम्पनीक वैश्विक दवाई कारोबारक अध्यक्ष राजीव गुलाटी जनौलनि अछि जे
प्रदेश मे पछिला किछु वर्ष मे तेजी सॅ विकास भेल अछि। देशभरि मे तेजी सॅ विकास कऽ
रहल बिहार मे पैघ अवसर अछि। ओ कहलनि जे कम्पनी जनेरिटक दवाईक बेसी सॅ बेसी प्रचार-प्रसार
करऽ चाहैत अछि। बिहार सरकारक जेनेरिक दवाईक बढ़ावा देबाक प्रयासक नीक परिणाम सोझा
आओत। एहि लेल सरकार सॅ जमीन आ बिजली सन जमीनी सुविधाक मदति भेटबाक आशा अछि। प्रदेश
मे सुपर स्पेशलिटि अस्पताल पर सरकारक जोरक विषय मे श्री गुलाटी कहलनि जे एखन
अस्पतालक लाभ समाजक उच्च वर्गक धरि सीमित रहैत अछि। सरकार के एखन जमीनक स्तर पर
स्वास्थ्य सेवा के बढ़ैबा पर काज करबाक चाही। प्रदेश पैघ आबादी एखनो गरीबी रेखा सॅ
नीचा अछि। एहि वर्ग के स्वास्थ्य सेवाक बेसी आवश्यकता अछि। ओ कहलनि जे देश भरि मे
एखन गोटेक बीस हजार सॅ बेसी दवाई कम्पनी अछि मुदा देश मे नीक आ सस्त दवाईक पैघ
आभाव अछि। एखनो पचास प्रतिशत आबादी धरि दवाई नहि पहूचि रहल अछि। तें राज्य सरकार
सभ के एहि दिस डेग उठैबाक चाही। ज्यों बिहार सरकार एहि दिस डेग उठौलक आ कम्पनीक
संग काज करबाक लेल तैयार भेल तऽ एहि मे कोनो परेशानी नहि होएत।
---
मधुबनी सहित तीन जगह पर
बनत पीपा पूल
पथ निर्माण विभाग प्रदेश
मे तीन जगह पर नव पीपा पूल बनैबाक निर्णय लेलक अछि। पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर
यादव जनतब देलनि अछि जे नव पीपा पूल मधुबनी, पटना आ बक्सर जिला मे बनाओल जायत। ओ जनौलनि
जे मधुबनी जिलाक मधेपुर प्रखंडक कमला नदी पर पूर्वी धार भीठ भगवानपुर मे आठ सेटक
नव पीपा पूल स्वीकृति देल गेल अछि। एहि पूलक निर्माण निर्माण पर 2.66 करोड़ टाका खर्च होयत। एकर सीधा लाभ पचास हजारक आबादी के होयत। ओ
जनौलनि जे पटना जिला मे ग्यासपुर (बख्तियारपुर) सॅ काला दियारा घाट पर तीस सेटक
पीपा पूलक लेल 8.10 करोड़ टाकाक स्वीकृति देल गेल अछि।
पचास हजारक आबादीक लाभ एहि पीपा पूल सॅ होयत। एकर अलावा बक्सर जिलाक ब्रहमपुर
प्रखंडक नैनीजोर गाम स्थित बिहार घाट सॅ उतरी दियारा धरि साठि सेटक नव पीपा पूलक
लेल 15.62 करोड़ टाका स्वीकृत कयल गेल अछि। एहि सॅ नैनीजोर
आ उतर प्रदेशक बलिया आपस मे जुड़ि जायत आ एकर दूरी 75
किलोमीटर सॅ घटि कऽ पांच किलोमीटर भऽ जायत। एहि सॅ उत्तर प्रदेश आ बिहार दूनू
क्षेत्रक किसान के लाभ होयत।
---
पंचायत प्रतिनिधि
पंचायत के सशक्त आ जवाबदेह
बनैबाक लेल पंचायतीराज संस्था सभक निर्वाचित प्रतिनिधि आ ओहि मे कार्यरतकर्मी सभक
चारि दिनक प्रशिक्षण कार्यक्रम सभ जिला आ प्रखंड मे अक्टूबर मास पहिल सप्ताह मे
होएत। एहि क्रम मे राज्य स्तरीय प्रशिक्षण समारोह 13 सितम्बर के पटना मे होयत जकर
उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करताह। पंचायतीराज आ ग्रामीण कार्य मंत्री डाक्टर
भीम सिंह जनतब देलनि अछि जे एहि समारोह मे प्रदेशक सभ पंचायत सॅ चूनल गेल 2000 निर्वाचित प्रतिनिधिक कार्यरत कर्मी भाग लेताह।
ऐ
रचनापर अपन मंतव्य ggajendra@videha.com
पर पठाउ।
शिवकुमार झा ‘टिल्लू’
मैथिली उपन्यास साहित्यक
विकासमे हरिमोहन झाक योगदान
मैथिली उपन्यास साहित्यक
इतिहास बेसी प्रचीन नै अछि। ऐ भाषाक पहिलुक मान्य उपन्यासकार जनसीदन छथि।
ओना तँ हरिमोहन झा बिम्व ओ शिल्पाच्छादित आवरणसँ युक्त कथाकारक रूपेँ
चर्चित छथि, किएक तँ चर्चरी सन हास्य ओ मर्मक समागम हिनक अन्य विधाक कृतिमे
नै भेटैछ, परंच साहित्यक जगतमे हिनक पदार्पण पाठकगणकेँ
जइ कृतिसँ झंकृत केलक ओ थिक सन् 1933 ई.मे हिनक लिखल उपन्यास कन्यादान ओ सन
1945 ई.मे हिनक दोसर उपन्यास- द्विरागमन।
जखन उपन्यास विधामे हरिमोहनक
पदार्पण भेलनि तँ ई विधा काँच छल। अखन धरि जनसीदनक िनर्दयी सासु, शशिकला, कलियुगी सन्यसी, पुनर्विवाह, द्विरागमन रहस्य जीवछ मिश्रक रामेश्वर,
पुण्यानंद झाक मिथिला दर्पण आ डाॅ. काँची नाथ झा किरणक चन्द्रग्रहण सन किछु
जनप्रिय आ साहित्योपयोगी उपन्यास सभ पाठक लग पसरल गेल छल। मुदा कोनो उपन्यासमे
ओ शक्ति वा आकर्षण नै छल जेकरा मैथिली पाठक पूर्णत: आत्मसात करथि। किएक तँ
पोथी कीनि कऽ पढ़बाक दृष्टिसँ जौं मूल्यांकन कएल जाए तँ मैथिलीकेँ आन भाषाक
पाठकसँ बेसी उदासीन मानल जाए। जइ भाषा साहित्यक प्रति पाठकमे ओ भक्ति-समागम
नै ओइ भाषामे हरिमोहन सन उपन्यासकारक पदार्पण अवश्य क्रांतिकारी मानल जाए किएक
तँ हिनक रचना शैलीमे ओ आकर्षण तँ अवश्य अछि जेकरा कारणें उदासीन पाठक वर्ग सेहो
पोथ्ज्ञी कीनि कऽ पढ़बाक लेल वाध्य भऽ जाइत छथि।
कथा बिम्वक आधारपर जौं िनर्णए
लेल जाए तँ कन्यादान कोनो विशेष कथाक वाचक नै। मिथिला समाजक एकटा विकट मुदा
सभसँ महत्वपूर्ण संस्कार विअाहकेँ केन्द्र बिन्दु बना कऽ लिखल गेल ऐ उपन्यासमे
कथानक बड़ कमजोर अछि। बेटी जन्म लैत देरी मायकेँ ओकर विआहक चिन्ता भऽ जाइत
छन्हि। तँए संभवत: वर भेटल नै मुदा कनियाँ माइक ओरिआओनसँ उपन्यासक आदि भेल।
बारह अध्यायमे विभक्त ऐ
उपन्यासकेँ कनियाँ माइक ओरिआओन, सभागाछीक दृश्य, तार
केना पढ़ल गेल, जहाज परक गप्प-सप्प, गोसाँओनिक गीत, मिस्टर सी.सी. मिश्रा जटिल
समस्या, गुप्प परामर्श, कौतुक,
कन्यादान, चतुर्थीक राति आदि
शीर्षकमे बॉटल गेल अछि। अंतिम शीर्षक प्रश्नवाचक किएक तँ दर्शनशास्त्रक ज्ञाता
हरिमोहन झा धरि एकटा प्रश्न छोड़ि उपन्यासक इति श्री कएलनि।
लालकका आ लालकाकीक कन्या
बुचिया उपन्यासक नायिका छथि जनिक बिआह चण्डीचरण मिश्रा सन मात्र कहबाक लेल
मैथिलसँ होइत अछि। सी.सी. मिश्रा अपन संस्कृतिसँ विलग वहसल एडभान्स लोक छथि।
जिनका अपन अर्द्धांगिनीसँ बहुत रास आश छन्हि। बुचियाक जेठ भाय रेवती रमण ई
जनैत छलाह, मुदा अपन बहिनक भविष्य उज्जलव करबाक लेल मिथ्याक डोरिमे लटकि
सी.सी. मिश्रासँ अपन बहिनक पाणिग्रहण तँ करबा लेलनि,
मुदा चतुर्थीक रातिमे नव विवाहित दंपति बिनु आत्मिक वरण केने विलग भऽ जाइत
छथि।
सी. सी. मिज्ञा जे
अपनाकेँ कखनो कान्ट तँ कखनो कालिदास सन वद्वत मानैत छथि सत्य जानि लेलाक बाद
बुचियाकेँ छोड़ि भागि गेलाह। कोबरघरमे रहि गेलीह कनैत बुचिया ओइ पत्रक संग जे
सी. सी. मिश्रा रेवती रमणक नाओंसँ लिखि छोड़ि गेलनि। पत्रमे अशिक्षित कन्याक
संग शिक्षित पुरुषक विष्ज्ञमताकेँ लिपित कएल गेल अछि। ऐ तरहेँ अंत करबाक
लेल हरिमोहन जीक बड़ आलोचना भेलनि तँए समाधान करैत द्विरागमन लिखबाक लेल उपन्यासकार
विवश भऽ गेलखिन।
हरिमोहनजी मिथिलाक
सामाजिक अवस्थापर प्रहार करैत बुचिया सन अशिक्षित नारीमे चेतना अनबाक प्रयास
तँ करैत छथि, मुदा ई बिसरि गेलखिन जे सी. सी. मिश्रा सन पात्र आ ओकर संवादक जे
रूप ऐ उपन्यसमे प्रस्तुत कएल गेल ओ “मैथिली”पर आधार मानल जाए। ओहेन पात्रकेँ नायक बनेबाक कोनो प्रयोजन नै जेकरा
मैथिली संस्कृतिसँ लेस मात्र सिनेह वा ऐठामक बेवस्थाक कोनो ज्ञान नै हुअए। हिनक
“ग्रेजुएट पुतोहु” कथाक नायािका
सेहो विदुषी आ एडभान्स महिला छथि परन्च हुनक संवाद सभठाम खँटी मैथिलीमे छन्हि।
सी.सी. मिश्रा अंग्रेजी आ हिन्दी मात्र बजैत छथि। मैथिली उपन्यासमे आन भाषक
एतेक बेसी प्रयोगसँ एकर अपन संस्कार केना बाँचत....? हरिमोहनक
सभसँ पैघ कमी ऐ उपन्यासक महतपर अवश्य ग्रहण लगा देलक।
किछु मैथिली साहित्यकारक
ई प्रवृत्ति रहल छन्हि जे जौं हिन्दीक प्रयोग कएल जाए तँ रचना आर सारगर्भित
मानल जाएत आ लोक योग्य बुझताह। हरिमोहन विषय मर्ममे झाँपल यथार्थक हृदैस्पर्शी
साहित्यकार छथि तँए हिनकासँ पाठक ई अपेक्षा तँ कथमपि नै रखलक। हास्य समागमसँ
युक्त कन्यादानक संवाद उच्च कोटिक अछि। सी. सी. मित्रा हिन्दू विश्वविद्यालयक
साहित्यक शोधार्थी तँ छथि मुदा कन्यादानमे हुनक स्थान एकटा पाश्चात्य संस्कृतिकेँ
जानय बला जोकरसँ बेसी नै। बुचिया तँ बुचिये छथि। मि. मिश्र जखन जिज्ञाशा
केलनि जे क्या तुम नर्सिग जानती हो...? बुचिया मनमे सोचलीह नरसिंह तँ गामक
कोतबालक नाम छैक, देखू तँ भला हमरा कोतबाल लगा कऽ गारि
पढ़ैत अछि....।
ऐ अज्ञ अवलाकेँ रेवती रमण
सन भाय केना सी. सी. मिश्रा सन “पाश्चात्य-जोकर”क हाथमे सौंपि
देबाक िनर्णए केलक। ऐ लेल रेवती रमण जीकेँ अपन अर्द्धांगिनी बड़गामवाली सन नारी
द्वारा मि. मिश्राक संग छल करबए पड़ैत छन्हि। ऐ तथ्यमे सत्यता झलकैत अछि।
हमरा सबहक समाजमे बड़का गामवाली सन नारीकेँ कतेक बालाक पैतराखनि बनए पड़ैत छन्हि।
एक अर्थमे ई उपन्यासक सबल
स्थिति सेहो मानल जाए जे सन् 1933 ई.मे जखन पुरुष वर्गक अधिकांश लोक हमरा सबहक
समाजमे अशिक्षित छलथि ओइ कालक नारीमे शिक्षा-विकासक एहेन कल्पना हरिमोहनसँ
पूर्व मैथिलीमे निश्चित नै भेल।
हिनक कथा वा उपन्यास किछु
हुअए एकटा बड़ सकारात्मक तथ्य भेटैछ जे हिनक कृतिक महिला पात्र सदिखन गतिशील
रहैत छथि, बैसि कऽ सोचैत नरीक चर्च बड़ कम ठाम देखएमे आएल। कन्यादानमे सेहो
लालकाकी झट दऽ आवेश रानीक पैरक कनगुरिया आंगुरकेँ दाबि देलखिन, मुनियाँ माय चमकि कऽ घैल उठेलक आ लालकाकी द्वपसि कऽ मोटरी खोलय
लगलीह सन क्रियाशील महिला समाजक दर्शन हरिमोहन झाक मैथिल संस्कृतिक आत्म
आवलोकनक संग-संग नारी चेतनाक दर्पण मानल जाए।
ठुनमुनकाकी आ लालकाकी दुनू
दिआदिनी खूब लड़ैत छथि। भोलानाथ झाक पत्नी ठुनमुनकाकी गर्भवती छथिन। लड़बाक
क्रममे गर्भ लगा कऽ शप्पत सेहो खाइत छथिन, मुदा बुचियाक बिआहक लेल ओरिआओनमे हुनक
सहभागिता कने कनियाँ मायसँ कम नै। एकटा “संयुक्त परिवारक” महत्वपूर्ण सक्ल पक्ष मानल जाए। लालकाकीक पुतोहु बड़कागामवाली शिक्षित
नारी छथि सदिखन किताबे संग लटपटाएल रहैवाली बड़कागाम वाली कनियाँ बिआहक लेल
चंगेरा नै साँठतीह। आ ने चूल्हिये लग बैसतीह, मुदा जखन
महीन काज अर्थात् सी. सी. मिश्राकेँ बिआहक पूर्व कनियाँसँ गप्प करेबाक लेल
नाटक करबाक आवश्यकता भेल तँ रेवती रमण हिनकेसँ कनियाँक अभिनय करेलनि।
ठकबा जे ऐ उपन्यासक अदना
पात्र अछि ओकर माथक मोटरीमे भोलानाथ झाक पनही सेहो बान्हल छन्हि। ई समाजक कटु
सत्रू केकरो पएरक पनही केकरो माथपर ई समन्वयवाद समाजक लेल कलंक किए नै मानल
जसए। तखन जौं वएह ठकबाक पुत्र जखन अधिकारी बनि भोलानाथ झाक संतानक संग बदला लैत
अछि तँ अग्र आसनपर बैसल लोक अकुला जाइत छथि। ओना एहेन बदलल परिस्थिति तँ हरिमोहनक
उपन्यासमे कथपति नै भेटत किएक तँ हरिमोहन झाक कृति ब्राह्मवादी समाजक वृत्तिचित्र
छन्हि। ऐमे समाजक कात लागल वर्गमे मुनियाँ माय सन पैनभरनी आ ठकवा सन खबास मात्र
अछि तँए हिनक उपन्यास सम्पूर्ण समाजक प्रतिनिधि कृति कथमपि नै भऽ सकल।
उपन्यासकार दलित वा
परदलितक मर्मक स्पर्श तँ नै केलनि मुदा ब्राह्मणेमे ऊँच-नीच आ उत्तर-दक्षिणसँ
क्षुब्ध अवश्य छथि। हरिमोहन जीक मातृक अवश्य भलमानुषक गाममे छन्हि मुदा
पैतृक भूमि कुमर बाजितपुर वैशली भदेसमे, तँए भदेसक मर्मसँ आकुल तँ अवश्य छथि।
सभागाछीक दृश्मे टुन्नी झा कनेक खखसि कऽ बजलाह-
“मानि लियऽ वरक
घऽर दक्षिणे भर छन्हि तऽ हर्ज की...? सेहो बेसी दूर
नहि- दलसिंह सराय सँ चौदह कोसपर घऽर छन्हि।” मूलक
चर्च भेलापर बिआहक अगुआ अर्थात सभागाछीक दलाल कहैत छथि जे मानि लिअ शुरगने छथि..., ऐ सभ कटु सत्यसँ प्रमाणित होइत अछि जे जखन ब्राह्मण-ब्रह्मणक मध्य
मौलिक विषमता तँ मिथिलामे समन्वयवाद केना आबय...?
गंभीर चिन्तनयोग्य विषयकेँ
हरिमोहन जी हास्यक माध्यमसँ चर्च कऽ उपन्यासकेँ लोकप्रिय तँ अवश्य बना देलनि
मुदा गंभीर चिन्तनकेँ हास्यक बोरिसँ लिप्त कएलासँ एकर उद्देश्य अवश्य लुप्त
भऽ गेल। एकरा सुयोग्य उपन्यासकारक अदूरदर्शिता मानल जाए।
किछु समालोचकक तर्क भऽ
सकैत छन्हि जे हरिमोहन जीक ऐ कृतिक उद्देश्य समाजक विकृतिकेँ नागट करबासँ
बेसी “हास्य
समागम” करबाक लेल छलनि, मुदा ऐ
तर्कसँ हम सहमति नै रखैत छी। कोनो हास्य जे समाजिक आ पारिवारिक समता आ शांतिकेँ
बाधित करए ओ समाजक लेल कखनो स्वीकारर्य नै भऽ सकैत अछि। कालीदासचरित्रसँ
प्रभावित सी. सी. मिश्रा बुच्चीदायकेँ “विधोत्तमा” बना कऽ स्वीकार करताह, ई परिस्थिति उपन्यासक
कमजोर पक्ष थिक। कहबी छैक- “बड़ो से ने कीजिए ब्याह-प्रति
और वैर” ऐ विस्मयकारी उपन्यासमे विषम परिस्थिति
जौं मात्र हास्य समागमक लेल अाएल तैयाे उचित नै। एक उपन्यासमे समस्या आ दोसरमे
जा कऽ ओकर निदान ई रचनाकारक कलात्मक कृति कखनो नै मानल जा सकैछ। मात्र हँसबाक
लेल झारखण्डीनाथ, बटुक आ तोतराह पंडित नमोनाथ झा सन
पात्रक उपस्थिति तँ प्रासंगिक मुदा हँसीक पात्र बना कऽ बुचियाकेँ कोवरमे कनैत
छोड़ि उपन्यासक अंत देखाएब नारी जातिक अपमानसँ बेसी किछु नै।
ऐ सभ कमजोर तथ्यसँ भरल
रहलाक बादो “कन्यादान” मैथिली साहित्यमे महत्वपूर्ण
स्थान रखैत अछि किएक तँ पाठकगण ऐ कृतिकेँ हिआसँ स्वीकार कऽ नेने छन्हि।
कन्यादानक लोकप्रियताक
मौलिक कारण थिक ग्राम्य जीवनक आधारभुत घटनाक चित्रणमे सहज मौलिकताक अनुपालन।
हास्य समागम तँ स्वाभाविक किएक तँ ई रचनाकारक प्रकृति ओ प्रवृित रहल छन्हि।
हास्यक क्रममे गंभीर दर्शन तँ हँसीमे उधिया गेल मुदा कोनो ठाम साहित्यिक
मर्यादा ओ अनुगासनपर ग्रहार नै देखए मे आएल। ई उपन्यासकारक प्रांजल आ प्रवीण
रचनाशीलताक द्योतक मानल जाए। जखन वर अर्थात् सी. सी. मिश्रा महिला
मंडलीक मध्य बिआहसँ पूर्व परीक्षण हेतु अबैत छथि तँ अपन नाओं सी. सी. मिश्रा
कहैत छथिन। क्षणेमे महिला मंडलीक एकटा बालिका सदस्याक चुटकी... तखन तँ बापक
नाओं बोतल मिश्रा हेतन्हि। अतिवादी प्रवृतिक लोक पर हास्यक माध्यमसँ
अनुशासित प्रहार गामक रीति-रिवाजक अतिक्रमणक प्रयासपर सहज रूपसँ कएल गेल। कनियाँ
माइक ओरिआओन अध्ययाय पूर्णत: सहज मैथिल नारी समूहक झलकि देखबैत अछि। ऐठाम ई
पूर्णत: मौलिक आ वास्तविक लगैछ। संवादक भाषा आ शैलीसँ स्पष्ट भऽ जाइछ जे हरिमोहनजी
अपन संस्कृति आ रीति-रिवाजकेँ आत्मसात केने छथि।
क्रमश......।
जगदीश प्रसाद मण्डल
किछु विहनि कथा
पटोटन
अद्राक पहिल बरखा। मास्टर
सहाएब आ बड़ाबाबू, दुनू गोटे एक्के मोटर साइकिलसँ गामसँ झंझारपुर जाइत रहथि। साते किलोमीटर
झंझारपुर तँए दुनू गोटे गामेसँ जाइ अबै छथि। थानाक बड़ाबाबू नै कोर्टक बड़ाबाबू
देवनन्दन आ हाइस्कूलक शिक्षक प्रेमनन्दन। ओना दुनू गोटे शहरूआसँ बेसी गमैइये
छथि मुदा तैयो कलप कएल कपड़ा पहीरि कऽ ऐबे-जेबे करै छथि।
पँचकोशीमे सिंहेश्वरक
नाओं एकटा नीक घरहटियाक रूपमे लोक जनैत। ओना नाउऍं तँ नाआें छी, तइमे तँ कमी नै
भेलनि अछि मुदा परदेशियाक कमाइ आ इन्दिरा आवासक चलैत काजमे कमी तँ भइये गेलनि
अछि। उमेर बेसी भेने मनमे खुशिये होइत रहै छन्हि जे भने काज कमि रहल अछि। एक
तँ परदेश भगने नव घरहटिया नै बनि रहल अछि, दोसर हमहीं
सभ जे पुरना पाँच गोटे छी सएह कते सम्हारब।
ब्रह्मपुर गाममे प्रवेश
करिते बुन्दाबुन्दी पानि शुरू भेल। बड़ाबाबू ड्रइवरी करैत आ मास्टर सहाएब
पाछूमे बैसल। बुन तँ गोटगर पड़ैत रहै मुदा कम-सम। बीत-डेढ़ बीतक दूरीपर बुन खसै
तँए कपड़ा सोखनहि चलि जाइत मुदा जते आगू बढ़ैत छलाह तते मानियो बेशिआएल जाइत।
बढ़ैत-बढ़ैत सिंहेश्वर घर लग अबिते अँटकि जाएब नीक बुझलनि। सड़केपर गाड़ी लगा
दुनू गाटे सिहेश्वरक दरबज्जापर पहुँचलाह। दरबज्जा कि मालक घर। अाधा घरमे माल
बन्हैत आधामे दरबज्जा बनौने। दरबज्जा कि एकटा चौकी मात्र। सिंहेश्वर अपने
दरबज्जेपर। चारसँ चुबैत बुन्नकेँ निहारि-निहारि देखैत जे रौदमे फाटि गेल अछि
आ कि कौआ खोदने अछि। मुदा लगले मन पड़ि गेलनि आद्रा आबि गेल, घर कहाँ छाड़लौं।
तखने दुनू गोटे पहुँचलाह। चौकीपर उठि सिंहेश्वर दुनू गोटेकेँ बाँहि पकड़ि
चौकीपर बैसबैत अपनो बैसलाह। तड़तड़ौआ बरखा शुरू भेल। कलप कएल कपड़ापर खढ़क चुबाटसँ
कपड़ा दुइर होइए। एक तँ बेचारेकेँ अपने मनमे दुख होइत हेकतनि जे केना साल खेपब
तइपरसँ हमहूँ भारी बना दिअनि ओ उचित नै। दागे लगत तँ कि हेतै, कोनो कि केरा-दारीमक दाग छी जे नै छूटत। मुदा बड़ाबाबूकेँ मुँहसँ बजा
गेलनि-
“अहाँक नाओं
पँचकोसीमे अछि सिंहेश्वर भाय, मुदा अपना घरक हालत एहेन
बनौने छी?”
बड़ाबाबूक विचारसँ सहमत
होइत सिंहेश्वर बाजल-
“बड़ाबाबू, गामसँ लोककेँ भगने गाममे काज बढ़ि गेल अछि,
मुदा काजक धुनि तेहेन पकड़ि लेलक जे ठेकाने ने रहल जे बरखा मास आबि गेल। आब
पानि छुटैए तँ नै छाड़ल हएत तँ पटोटनो तँ दइये देबै।”
मुसाइ पंडित
गाममे विख्यात मुसाइ
पंडित छथि। ओहन पंडित जिनकर बात मुसाइये पंडितक नाओंसँ विख्यात अछि।
मध्यम् जातिक मुसाइ पंडित, माए-माएक कोरपच्छु
बेटा भेने, दौजी फड़ जकाँ तीन सालमे माए आ सात सालमे पिताक
श्राद्ध केलनि। मुदा बाल-विवाहक शुभ फल भेटि गेल रहनि। पिताक श्राद्धसँ तीन
मास पहिने बिआह भऽ गेलनि। जँ कहीं तीन मास पछुऐतथि तँ सिमरिया गाड़ी जकाँ
मास नै कऽ पबितथि, मुदा भाग्य तँ भाग्य छी, से मुसाइ पंडितकेँ सुतरलनि। जेकरा माए-बाप रहै छै तेकरा तँ पोथी-पतरा
काज दइते छैक जे बिनु-भाइयो-बापबलाकेँ सुतरल। मुसाइ पंडित पिताक श्राद्धक तीन
दिन पछाति ससुरकेँ अरिआतए काल पुछलनि-
“बाबू, आब तँ यएह सभ ने माता-पिता भेला, हमरा कि
हएत? भाय-भौजाइक हालत अपनो गाममे देखिते हेथिन।”
जमाइक प्रश्न सुनि
कमलाकान्त गुम्म भऽ गेलाह। मने-मन विचारए लगलाह जे बेटी-जमाइक भार उठाएब भारी
होइ छै। फेर मन घुमलनि जे भगिनमान तँ कुलश्रेष्ठ होइए। मुदा लगले मन बदलि
गेेलनि। घी-जमाए भगिना,
जहिना घरमे सिदहामे नै रहने भूखक लहरि जोर पकड़ै छै तहिना
आगूक जिनगी मुसाइकेँ जोर मारलक। दोहरबैत बाजल-
“बाबू, किछु बजलखिन नै?”
कमलाकान्तक मन फेर बहटलनि।
पत्नीसँ पूछि लेब जरूरी अछि, मुदा से खोलि कऽ केना समधियौरमे जमाए लग बाजब।
बेटोकेँ तँ पूछि लेब अछि। मुदा पुतोहु बेरमे पुछबे ने केलौं आ बेटी-जमाए बेरमे
किअए पुछबै। मन बनिते बजलाह-
“दुनू भाय-भौजाइकेँ
बजबिऔ। आखिर माता-पिताक परोछ भेने तँ वएह सब ने माता-पिता भेलाह।”
मुसाइ दुनू भाँइकेँ पुछलक।
एक तँ ओहना लोकक घराड़ी घटल जाइ छै तइपर जँ बढ़ि जाए, ई के नै चाहत।
दुनू भाँइयो आ भौजाइओ मुसाइकेँ सासुर जाइक आदेश दऽ देलक। गाए-नेरूक मिलान तँ
ठेहुने-पानि दुहान।
कमलाकान्त संगे चलए कहि
पुछलखिन-
“कपड़ो-लत्ता लेब।”
मुसाइ- “हँ, हँ, जते सरधुआ कपड़ा अछि ओ जँ नै लऽ लेब तँ
ऐठाम मूसे-दिवार खा जाएत।”
एक तँ ओहिना मुसाइ सहलोल, तइपर सासुरक विद्यालय
पहुँचि गेल। सासुरँ जँ सारि-सरहोजिसँ गलथोथरिमे हािर जाएब तँ कोन डोराडोरिबला
भेलौं। जहिना विषुवत रेखाक समान दूरीपर दुनू दिशा समान मैसम होइत तहिना अन्हार-इजोतक
बीच सेहो होइत अछि।
पच्चीस बर्खक अवस्थामे
मुसाइ सासुरसँ मुसाइ पंडित भऽ दूटा धिया-पुता नेने गाम आबि गेलाह। जहिना फुटलो
खपटाक जरूरति समए पाब होइ छै तहिना मुसाइ पंडितक जरूरति गाममे आइ भेल।
मौसमी बेमारीक जानकारी दिअ
गाममे बहरबैया सभ औताह जखने सँ मुसाइ पंडित सुनलक तखनेसँ मटिया तेल देलहा कुत्ता
जकाँ मनमे उड़ी-बीड़ी लगि गेलनि।
जहिना समए िनर्धारित छल
तहिना कार्यक्रम शुरू भेल। अभ्यागती सुआगत सभकेँ भेलनि। बारहो मासक मौसमी
बेमारी आ ओइसँ पथ-परहेजक नीक जानकारी देलखिन। गाममे नव फल भेटल। बीचमे बैसल मुसाइ
पंडित सुनैपर कम धियान देने रहए। संगसोरमे जहिना लोक हरेलहो जगहपर गपे-गपमे
पहुँचि जाइत अछि तहिना मुसाइ पंडित सेहो पहुँचि गेलाह। हड़लनि ने फुड़लनि
उठि कऽ बीचमे ठाढ़ भऽ गेला। ठाढ़ होइते बैसिनिहारक आँखि पड़ै लगलनि। दुनू
हाथसँ शान्ति बना रखैक इशारा दैत बजलाह-
“अभ्यागत लोकनिक
विचार उत्तम अछि, सभकेँ अनुकरण करैक चाहियनि।”
अपन समर्थन पाबि बाहरी
लोकनि आरो अगिला बात सुनैले जिज्ञासा जगौलनि। मुदा जे पहिने बाजत ओ चोर
गाम-घरक खेलक मंत्र छै। तँए आँखि, कान तँ मुसाइ पंडित दिस सभ देलनि मुदा
मुँह घुमौनहि रहला। मुसाइ पंडित लेल धनि सन। कहिया लोक हमर बात सुनलक आ देखलक।
सुनह नै सुनह, मनक उदगार छी, बजबे
करब। मुदा सइयो आँखि भीष्म–पितामह जकाँ गड़ल देखि सम्हरैत
मुसाइ पंडित बजलाह-
“आम-जामुन इलाकाक
हाड़-पाँजर टुटब, किसानी ज्ञानमे साँप-कीड़ा काटब,
हाड़मे पैसल जाड़केँ सेहो तँ देखए पड़त?”
गौंआँ वक्ता बूझि जोरसँ
सभ थोपड़ी बजौलक मुदा थोपड़ी सुनि मुसाइ पंडित अकवकमे पड़ि गेलाह जे लोकक
थोपड़ीक अवाज की छल। हास हँसी आकि हँसी हास।
देखल दिन
मृत्युसँ छह मास पूर्व
मुनेसर काकाकेँ बेटा लग मन उबिएलनि तँ असगरे दिल्लीसँ गाम विदा भेलाह। परिवारसँ
समाज धरि सभकेँ अचरज लगलनि जे मनमे कि चढ़ि गेलनि जे असगरे एते साहस केलनि।
असगरे विदा होइक कारण भेलनि जे बेटाकेँ पाँच दिन समए नै, एक तँ ओहुना
बैंकमे कम छुट्टी होइ छै तइपर अपनो कारोवार ठाढ़ केने छथि। पुतोहु सहजे पुतोहुए
छन्हि, भरि दिन एयर-कंडीशनमे बैसि देख-विदेशक खेल
देखब आ साज-श्रृंगार छोड़ि दुनियाँमे किछु देखब ने करै छथि। मुदा मुनेसर काकाक
सहासक कारण ईहो भेलनि जे एकेटा गाड़ी िदल्लीसँ सकरी पहुँचा देतनि। सकरी तँ
ओहुना घरे-अंगना भेलनि।
गाम अबिते मुनेसर काका
देखलनि जे घर-अंगना तँ खंडहर भऽ गेल, कतए रहब। अंडी-बगहंडी, भाँग-धथुरसँ भरल अछि। जखने बोनाह भेल तखने साँप-छुछुनरिक संग बिढ़नी-पचैहिया
हेबे करत। बाप-पुरुखाक डीहक दशा देखि दुख भेलनि जे जखन घरे नै तखन मनुख केना
रहत। जखन मनुक्खे नै रहत तँ बाप-पुरूखाकेँ के चिन्हत। मने-मन विचार ऊपर-निच्चा
होइते रहनि कि एक गोरेकेँ रस्ता धेने जाइत देखलनि। ओना दस साल पहिने देखनहि
रहथि मुदा मनुष्योक बुनाबटि तँ अजीव अछि। जहिना बीस बर्खक अवस्था धरि बाढ़िक
आगमन रहैत अछि तहिना साठि बर्खक पछाति रौदियाहक।
दुनू सएह तँए पुछैक जरूरत
दुनूकेँ भेलनि। कमलेशकेँ ऐ लेल पुछैक जरूरत भेलै जे आन-गामक जँ रहितथि तँ रस्ते-रस्ते
एला, चलि
जइतथि। ठाढ़ भऽ निहारि किअए रहला अछि। जखन कि मुनेसर काकाकेँ जरूरी भेलनि
जे जखन पुस्तैनी गाम एलौं, परिवार चलि गेल तँ चलि गेल, समाजो अछि कि ओहो मेटा गेल। मोवाइल जकाँ नै भेल जे अगुआ कऽ किअए
फोन करब। पाइ चरचा होइ छै कि नै। ओइ सम्प्रदाय सदृश्य अछि कि नै जे अगुआ कऽ
जेकर नजरि पड़त ओ पहिने अभिवादन करत। मुदा भेल दोसरे, जहिना
पनचैतीमे एक संग अनेको बजनिहार बाजए लगैत वा मोवाइलेपर दुनू दिससँ दुनू परानी
बाजए लगैत, तहिना मुनेसरो काका आ कमलेशो एके बेर दुनू दिससँ
बाजल। आग्रह करैत कमलेश अपना ऐठाम तीन दिनक अभ्यागतीमे लऽ गेलनि।
गाम-समाजक कुशल-समाचारक
संग मुनेसर काकाक मनक जड़िमे अपन परिवार नचए लगलनि। कोन धरानी बाबू, एकटा साधारण पोस्ट
मास्टर रहि तीस बीघा खेत बनौलनि। दस गाम बीच एकटा पोस्ट आफिस मनिआडरक रूपैया
अगुआ-पछुआ, संग-संग जिनकर रूपैया दिअ जाथ दू-चारि आना
ओहो देबे करनि। आमदनी बढ़ने मुनेसरोकेँ पढ़ा-लिखा हाकिम बनौलनि। तेसर पीढ़ी
चलि रहल छन्हि। डंडी तराजू जकाँ परिवारकेँ तौल रहला अछि जे एक पीढ़ी (पिता)
समाजमे की सभ केलनि। बीचक की भेल आ आइ उजड़ि-उपटि गेल। जहिना चढ़ैत जुआनी जिनगी हेरा जाइ छै तहिना ने अबैत मृत्युकेँ रोग-भागक
सेहो भेटए लगै छै।
कमलेशक घर देखि मुनेसर
काका चीन्ह गेलखिन जे ई तँ संगीऐक घर छी। पुछलखिन-
“बाउ, परिवारमे के सभ छथि?”
कमलेश बजलाह-
“तीन पीढ़ीक सभ छथि।”
मुनेसर काकाकेँ आगू बकार
नै फुटलनि। जहिना तकितो आँखिमे ज्योति नै रहै छै तहिना भेलनि।
No comments:
Post a Comment
"विदेह" प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका http://www.videha.co.in/:-
सम्पादक/ लेखककेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, जेना:-
1. रचना/ प्रस्तुतिमे की तथ्यगत कमी अछि:- (स्पष्ट करैत लिखू)|
2. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो सम्पादकीय परिमार्जन आवश्यक अछि: (सङ्केत दिअ)|
3. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो भाषागत, तकनीकी वा टंकन सम्बन्धी अस्पष्टता अछि: (निर्दिष्ट करू कतए-कतए आ कोन पाँतीमे वा कोन ठाम)|
4. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो आर त्रुटि भेटल ।
5. रचना/ प्रस्तुतिपर अहाँक कोनो आर सुझाव ।
6. रचना/ प्रस्तुतिक उज्जवल पक्ष/ विशेषता|
7. रचना प्रस्तुतिक शास्त्रीय समीक्षा।
अपन टीका-टिप्पणीमे रचना आ रचनाकार/ प्रस्तुतकर्ताक नाम अवश्य लिखी, से आग्रह, जाहिसँ हुनका लोकनिकेँ त्वरित संदेश प्रेषण कएल जा सकय। अहाँ अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।
"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
मुदा ई तँ मात्र प्रारम्भ अछि।
अपन टीका-टिप्पणी एतए पोस्ट करू वा अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाऊ।