१. संपादकीय संदेश
२. गद्य
३. पद्य
३.८.१.विनीत उत्पल- गजल २.अनिल मल्लिक- दूटा गजल ३.अविनाश झा अंशु ४.किशन कारीगर- पंडा आ दलाल- (हास्य कविता)
४. मिथिला कला-संगीत १. ज्योति झा चौधरी २.राजनाथ मिश्र (चित्रमय मिथिला) ३. उमेश मण्डल (मिथिलाक वनस्पति/ मिथिलाक जीव-जन्तु/ मिथिलाक
जिनगी)
५. गद्य-पद्य भारती:मन्त्रद्रष्टा ऋष्यश्रृङ्ग- हरिशंकर
श्रीवास्तव “शलभ"- (हिन्दीसँ मैथिली अनुवाद विनीत उत्पल)
६.बालानां कृते-१.जगदीश प्रसाद मण्डल- बाल विहनि कथा- घटक काका
२.शिव कुमार यादव- बाल
कविता ३.जगदानन्द झा मनु- करुण हृदयक मालिक महाराज रणजीत सिंह
७. भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैथिली], [विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी
मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server
Maithili-English and English-Maithili Dictionary.]
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VIDEHA ARCHIVE विदेह आर्काइव
ज्योतिरीश्वर पूर्व महाकवि विद्यापति। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन कालहिसँ महान पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला लोकनिक चित्र 'मिथिला रत्न' मे देखू।
गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि। मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र, अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू 'मिथिलाक खोज'
मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना, सम्पर्क, अन्वेषण संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ न्यूज सर्विस आ मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट सभक समग्र संकलनक लेल देखू "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"
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ऐ बेर मूल पुरस्कार(२०१२) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन मूल मैथिली पोथी उपयुक्त अछि ?
ऐ बेर युवा पुरस्कार(२०१२)[साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क
लेल अहाँक नजरिमे कोन कोन लेखक उपयुक्त छथि ?
ऐ बेर अनुवाद पुरस्कार (२०१३) [साहित्य अकादेमी,
दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे के उपयुक्त छथि?
फेलो पुरस्कार-समग्र योगदान २०१२-१३ : समानान्तर साहित्य
अकादेमी,
दिल्ली
1.संपादकीय
भारतक स्वतंत्र त्रिवार्णिक झण्डा फहरा रहल छल।
मुदा कम्यूनिस्ट पार्टीक माननाइ छल जे भारत स्वतंत्र नै भेल अछि।
असली स्वतंत्रता भेटब बाँकी छै...
मिथिलाक एकटा गाम…
जन्म भेल रहए एकटा बच्चाक.. ओही बर्ख ...
ओइ स्वतंत्र वा स्वतंत्र नै भेल भारतमे...
पिताक मृत्यु...गरीबी.. केस मोकदमा...
वंचितक लेल संघर्षमे भेटलै स्वतंत्र भारतक वा स्वतंत्र नै भेल भारतक जेल....
आइ बेरमामे पाँच-दस बीघासँ पैघ जोत ककरो नै..
ओइ गाममे जीवित अछि आइयो किसानी आत्मनिर्भर संस्कृति...
पुरोहितवादपर ब्राह्मणवादक एकछत्र राज्यक जतऽ भेल समाप्ति..
संघर्षक समाप्तिक बाद जिनकर लेखन मैथिली साहित्यमे आनि देलक पुनर्जागरण...
जगदीश प्रसाद मण्डल- एकटा बायोग्राफी...गजेन्द्र ठाकुर द्वारा (अनुवर्तते...)
गजेन्द्र ठाकुर
ggajendra@videha.comhttp://www.maithililekhaksangh.com/2010/07/blog-post_3709.html
२.गद्य
पत्रकार तथा साहित्यकार राजेश्वर नेपाली लिखित ७ टा कृतिक एक्कहिबेर विमोचन कएल गेल अछि । राष्ट्रपति रामवरण यादव राष्ट्रपति भवन, शीतल निवासमे आसिन १३ गते शनिदिन आयोजित कार्यक्रममे नेपाली लिखित पोथीसभक विमोचन कएलनि ।
पुस्तकसभ नेपाली, मैथिली आ हिन्दी भाषामे अछि । जनकपुरमे रहि पत्रकारितामे सक्रिय नेपाली लिखित लोकतन्त्रको लालिमा आ विचारक्रान्ति नेपाली कविता संग्रह, गरिबको व्यथा नेपाली खण्डकाव्य, नव नेपाल हिन्दी कविता संग्रह, सोहागिन आ विचारक्रान्ति मैथिली कविता संग्रह आ क्रान्तिकारी सरयुग चौधरीको जीवनी विमोचित भेल । राष्ट्रपति रामवरण यादव राजेश्वर नेपालीक पत्रकारिता आ साहित्यिक योगदानके प्रशंसा कएने रहथि । नेपाली काँग्रेसक कृयाशील कार्यकर्ताक रुपमा प्रजातन्त्रक लेल संघर्ष करैत काल नेपालीक सँग बिताओल दिन राष्ट्रपति याद कएने रहथि ।
मिथिलाञ्चल क्षेत्रक विभूति, शहिदके विषयमे पत्रिकामे लिखिकऽ जीवन्त रखबाक काज नेपालीक सराहनीय पक्ष रहल राष्ट्रपतिक कहब छलनि । साहित्य, पत्रकारिता आ राजनीति तीनू क्षेत्रमे नेपालीक दखल रहल कहैत राष्ट्रपति यादव हुनका बहुआयामिक व्यक्तित्वके संज्ञा देलनि । “मिथिलाक पाबनि तिहार, ऐतिहासिक स्थल, आ विभिन्न महत्वपुर्ण राजनीतिक घटनाक विषयमे जानकारी लेबालेल नेपालीसँ सम्पर्क करैत छी” राष्ट्रपति कहलनि ।
नेपालीक कृतिमे स्वच्छन्दतावादी चेतनाक प्रवाह भेल बात प्रा. कुलप्रसाद कोइराला कहलनि । डा.रामदयाल राकेश राजेश्वर नेपालीके पत्रकारक रुपमे मात्र नहि साहित्यकारके रुपमे सेहो सम्मान भेटबाक चाही ताहिपर जोड देने रहथि । प्राध्यापक कुलप्रसाद कोइराला विमोचित पुस्तकसभमे व्यावसायिक दृष्टिसँ किछु कमजोरी रहितो भाव बुझएबामे सफल रहल कहने रहथि । नेपाली लिखित मैथिली कृति अन्य भाषाक हुनके कृतिपर भारी पड़ल हुनक टिप्पणी छलनि । तहिना आशा सिन्हा, पुरुषोत्तम दाहाल कृतिक विषयमे मन्तव्य व्यक्त कएने रहथि । रविन्द्र साह स्मृति प्रतिष्ठान, जनकपुरद्वारा आयोजित कार्यक्रममे वक्तासभ नेपालीक कृति सभमे समग्रमे सामाजिक चेतनाके उद्घाटित करबाक प्रयास भेल कहने रहथि ।
म्याराथन दौड़ आ जनकपुर
जनकपुरक रंगभूमी मैदानमे शनिदिन भेल म्याराथन दौड़ प्रतियोगिता एखन धरिक ऐतिहासिक आ प्रथम रहल अछि । आयोजकक अनुसार एहि प्रतियोगितामे २० देशक सहभागीक आमन्त्रण कएल गेल छल । मुदा १८ देशक खेलाडी सभक भीसा पास नहि भेलाक कारण भारत आ नेपालक ७५ जिल्लाक एहि प्रतियोगितामे मात्र सहभागी भऽ सकल ।
ओना जनकपुरक लेल बहुत पैघ प्रतियोगिता छल । आयोजकक अनुसार चारि महिना पहिले सँ एकर तैयारी भऽ रहल छल । मुदा शनिदिन प्रतियोगिताक सफलता भेटल । स्थानीयवासीसभ म्याराथनक खेलाडी सभकँे सडक पर दौड़ देखि कऽ ताली बजा स्वागत कएने छलथि ।
भोरे सँ नगरक सफाई सँगहि पुुलिस, ट्राफिक आ एहिमे खटल स्वयं सेवक सभ व्यवस्थित करएमे जुटल छल ।
म्याराथन प्रतियोगिता तीन चरणमे बाटल गेल छल । फुल म्यराथन, मिनी म्याराथन आ भेन्ट्रान्स म्याराथन । मिनी म्यराथनमे खास कऽ जनकपुरक स्कुल सभक धियापुता सभक सहभागीता छल । भेन्ट्रान्स प्रतियोगितामे ४० वर्ष उमेरक व्यक्ति सभक सहभागिता छल आ फुल म्याराथनमे नेपाल भारत सँ आएल खेलाडी सभक सहभागिता छल ।
फुल म्याराथन प्रतियोगिता ४२ किलोमिटरक धरि छल । जनकपुरक रंगभूमि मैदान सँ प्रारम्भ भेल दौड़ ढल्केवर पहुँच कऽ फेर सँ जनकपुर आएल छल । मिनी म्यराथन प्रतियोगिता जनकपुरक रिङ्ग रोड कायम कएने छल । ई दौड देखबाक लेल नगर भितर स्थानीयवासी सभक भीड छल तऽ जनकपुर ढल्केवर सडकखण्डमे पुलिस स्वयं सवेक मात्र नहि एहि क्षेत्रक ग्रामीण जनता सभ उत्साह पूर्वक सडकक कातमे ठाढ़ भऽ खेलाडी सभकेँ ताली बजा कऽ स्वगत कएने छल । बीच बीचमे खेलाडी सभक लेल पानिकँे सेहो व्यवस्था छल ।
फुल म्याराथनमे प्रथम होबएवलाकँे ५० हजार, दोसर होबएवला २५ हजार आ तेसर होबएवला १० हजार पुरस्कार देल गेल अछि । तहिना मिनी म्याराथनमे प्रथम होबएवलाके १० हजार, दोसर होबएवलाके ५ हजार आ तेसर होबएवलाके ३ हजारक पुरस्कार देल गेल अछि । भेन्ट्रान्स म्याराथन विजेताक लेल प्रमाणपत्र देल गेल अछि ।
कोनो खेलाडीक लेल पुरस्कार सँ महत्वपूर्ण हुनक प्रतिभा पर देश आ समाज गौरवान्वित होइत अछि । शनिदिन भारत आ नेपाल बीच भेल खेलमे नेपाली खेलाडी मात्र विजयी भऽ सकल अछि । एहि सँ अनुमान लगाओल जा सकैया जे एखनो नेपालक मधेशमे भावी खेलाडी सभ अछि । मुदा हुनका सभक अवसर नहि भेटलाक कारण ओ सभ अपन प्रतिभा देखाबए सँ वञ्चित होइत आएल छथि ।
स्वास्थ्यए जीवन अछि आ स्वस्थ्य रहबाक लेल खेलकुदक विकास आवश्यक अछि । एकटा कहावत अछि जे जतए कला सँस्कृति आ खेलक विकास होइत अछि ओतए पूर्ण स्वास्थ्य वातावरणक विकास होइत अछि । तएँ कहल जाए तऽ म्याराथन प्रतियोगिता सँ एतुका धियापुताकँे मात्र नहि सम्पूर्ण नगरवासीक लेल गौरवक विषय छल । एहिमे सहयोग करएवला सभक धन्यवाद आवश्य देबहेटा पड़त ।
म्याराथन प्रतियोगिता जाहि रुप सँ व्यवस्थित होएवाक चाहि ओ तऽ नहि भेल मुदा आयोजकक प्रयासकँे सेहो धन्यवाद देबहे पड़त । शनिदिन ऐतिहासिक धरोहर रंगभूमि मैदानमे खेलाडी सभक उत्साह आ उमंग सँ खचाखच भडल छल । खास कऽ कहल जाए तऽ स्थानीय बालबालिका जखन दौड रहल छल ओकरा पाछू हुनक अभिभावक सेहो देखिकऽ बड खुशी व्यक्त करैत छल कि जीत मात्र सफलता नहि होइत अछि । कम्तिमे एहि प्रतियोगितामे भाग लेबाक लेल अवसर तऽ भेटल ।
मिनी म्याराथन प्रतियोगिताक सहभागी विद्यार्थी सभक अखन धरि किताब आ टिवीमे मात्र देखि कऽ कल्पना कएने होइतो मुदा शनिदिन जखन स्वयं सहभागी भेल तऽ हुनका सभक एकटा सिख भेटलन्हि जे हमहँु सभ आबएवला दिनमे जीतक सफलताक प्रयास करी ।
ई प्रतियोगिता सँ जनकपुर धार्मिक पर्यटकीय सँगहि खेलकुदक एकटा भूमि सेहो अछि सन्देश दऽ रहल अछि । ओना एहि प्रतियोगिताक सफलतामे साथ देने सम्पूर्ण युवा क्लव, संघ संस्था सहितक व्यक्ति सभक धन्यवाद नहि एहि सँ पैघ काज करवाक उम्मिद रखवाक अपेक्षा करैत छी ।
ऐ रचनापर अपन मंतव्य ggajendra@videha.com पर पठाउ।
ओ टूहटूह इजोरिया . . सम्पूर्ण आकाश पर पूर्ण चंद्रक एकाधिपत्य. .दूर दूर धरि ठहक्का मारैत चॉदनी।नीचाधरती पर शीतल अमृतक धार .. ।ओहि निरमल धार सॅ सींचल गाछ . बिरीछ .खरिहान. दलान . .. बाडी झाडी .. ।पूबरिया बाडी मे पतियानी लागल केरा के गाछ .. मे लटकल घौंद .. .नीचा आलू के फसील .. . ओही इजोरिया राति मे सब किछु एक दम फरिच्छ देखाए पडैत छल ।
शंभु बाबू के भरि भरि रात नीन्न नै होबैत छलैन्ह. . चारि दिन पहिनहि जेहल सॅ छुटि क’ आयल छलाह .. .अंगरेजक जमाना. . क्रांतिकारी सब के घातक अपराधी मानि लोमहर्षक यातना देल जाए. दुनु टांग बान्धि क’ टेबुल पर राखि ओ मोटका हंटरक मारि .. .. दनादन . .बेहोश सेहो नै रहै दे. . पानि पिया पिया क’ होश मे आने . .पानियो भरि छांक नै पीबै दै .. घोंट भरि दैत गिलास झीक लैक़ . पानि पीयाबए बला .. हंटर बरसाबए बाला सब स्वदेशी .। .मात्र एक गोट. . ललका मूॅह वाला बिलाडि के ऑखि वाला . .अफसर अंगरेज़ ।. .. ओ प्रताडना ओ कष्ट .. सात दिन कोना एकांत वास .. ई सब हुनक दिमाग के भॅभोरि क’ राखि देने छल. .त’ ओहि मे सुखद सुमंगल नीन्न क’ प्रवेश हो त’ कोना हो ।
ओ पीडादायी .. एकाकी जीवन सॅ बचबा लेल लोक पैलवार आ’ समाजक निर्माण कएने अछि. ।किएक त’ ओ सामाजिक प्राणी अछि ।किछु मे त’ लागल रहैत अछि जा धरि धरती पर रहैत अछि। स्वराज्य क’लेल लडय वला के उद्देश्य सेहो सएह छल नै कि अपन समाज पर अपन बनाओल कानून के मध्य जीवन यापन करब . .ई विदेशिया सब हक गुलामी आ’ अत्याचार किएक सहब ।हॅ .. नीन्न नैं अबैन्ह त’ मोन दुनिया जहानक’ खोंचि खॉचि मे ओझरा जाएन्ह ।
ई भरिपोख इजोरिया के आनंद .. . .. ।अपन दलान पर ओ एसगरे नै सुतैत छलाह . .चारि टा खटिया आ’ पॉच टा चौकी आओर बिछैल छलै. . सब पटोपट .. .नीन्न क’ जादूगरनी खाली हिनके लग नहिं आबि रहल छल ।मोन भेलैन्ह. . .बिछौन सॅ उठि क’ रस्ता पर टहली. . आलस लगलैन्ह. . . ..मोन अपन खुरलुच्ची पन मे लागल. . नचबैत रहल बडी काल धरि. . ।जखन लग्घी लगलैन्ह. . त’ उठैए पडलैन्ह. . ।दलान क’ ठीक सोझॉ रस्ता छलै आ’ तकरा लगले हुनकर आ माझिल भायक खरिहान. .. . .सात भायक भैयारी मे बखरा बॉट हाले मे भेल रहे. . पहिने त’ साझीए छलैथ सब कियो. . मेल जोल पूर्ववत ..बीच मे रस्ता खरिहान आ’ दुनु कात सबहक पोखरा पाटन घर दुआरि. . .।बडका भायक घराडी . .पूबरीया बाडी के दहिन .. बाम कात भालसरिक . . आम लताम .कागजी नेबो अररनेबा क मध्य मे मुस्कैत कदंबक गाछ ठाढ़ । अहि टूह टूह इजोरिया मे सब किछु ओहिना चमकैत देखाय पडि रहल छल ।मौसम कनि सर्दियाय लागल छलै. . कनि कनि धुऑ धुऑ सन . .सेहो लगैक़ . मुदा ई धुॅआ सेहो पघिलल चानी सन लगैक।खरिहानक दॉया कात गोहाली. .एक कोठरी मे चारू गाय पागुर करैत दोसर मे बरद चारू. . मूॅह तकैत बैसल. . लग पास के चार सब पर सजमनि कदीमा भथुआ . के लत्ती छारल . ..सब टा मिल क’ बड सुन्नर दृश्य उपस्थित करैत छल . .।एकरे सब के निहारैत निहारैत औचक हुनक धियान. . कदंबक गाछ तरि ऊज्जर नूआ मे बुलैत स्त्री पर पडलैन्ह .. एक छन के लेल देह क’ रोईयॉ रोईया ठाढ भ’ गेलन्हि. . . . किंस्यात कोनो चुडैल. . पिशाचिन .. .ओहिना बाट पर ठाढ दम सधने ओ नाशै रोग हरै सब पीडा. . .सुमिरैत ओकरे परनजरि गडौने रहला ।नैं बड लाम नै बड छोट. . मध्यम कद काठी के . . .देखैत देखैत. . कदंबक गाछ तरि जाकए विलिन भ’ गेलए. .।सब टा भूतक सुनलाहा खिस्सा मोन पडए लगलैन्ह।अहि टोल मे . .सैझला भायक पुतौह सोईरीए मे मूईल छलिह. .चिल्का जीबैत रहि गेल छल. . ।लोक कहै .. एहेन स्त्री के आत्मा अपन बच्चा पर लागल रहै छै. . ओ ओकरा पर झपट्टा मारए के फेराक मे राति भरि अहुरिया कटैत रहै छै . .।कियो कियो कदंबक गाछ तर अधरतिया मे कानब के स्वर सेहो सुनैक़. ।कियो . .बाडी मे .. पोखरिक महाड पर केश छिटकौने नचैत सेहो देखै. . मुदा नेने सॅ क्रान्तिकारी आदमी. .हुनका अहि सब पर कहियो विसबास नै भेलन्हि. . तखन ज्ञात जगत सॅ बेसी रहस्यमय अज्ञात लोक अछि. . । मुदा ओ त’ बीसीये.ा बरख पहिनुक्का खिस्सा अछि ।कनिए काल मे एक गोट लमगर पुरूख सेहो दृष्टिगोचर भेल रहे. .ओहो ओहि कदंबक गाछ तरि विलिन. . ओहि गाछक पिछुआति मे बडका गाछी छलै. . ।ओ चौंकला . .एहेन लीला त’ ओ भूत परेतक कहियो नहिं सुनने छलैथि. . अहि गंभीर चिंता मे डूबल छलाह कि कखन नीन्न आबि दबोचलकैन्ह . नहिं पता ।बडका मोटका लोहा के हथकडी . . .हंटर. . आ ..लोम हर्षक चित्कार . कियो हुनक टांग झीक रहल छल. . ड़रौन स्वप्न सॅ घबडाक’ ओ ऑखि खोलला. त’ फरिच्छ भ’ गेल छलै. . खुभिया खबास. .आबि क हुनक पएर जॉति रहल छल .।
ओकरा संगे अपन खेत पथार गाछी देखैत . ..ओ रतुका प्रसंग उठौलाह . .मस्तिष्क मे बाध बोन के स्थान परवएह घुमि रहल छल ।खुभिया बड बुधियार. .एक एक आखर सोचि समझि क’ बाजए बला . .आज्ञाकारी सेहो . .हुनके समवयस्क .. .ओकर पूरा खानदान हुनके सबहक रैयत . .।रतुका प्रसंग पर ओहो अपन अकिल लगबैत चुडैल . .राकसक गप के समर्थन कएने छल ।
दुपहरिया मे ओ अपन दलान सॅ टहलैत बुलैत . . खरिहान. . पूबरिया बाडी के नांघैत. . कदंबक दिस गेला .. ओ त’ बडका कका के घरक पछुऔत छल . .दलान त’ हुनक दलान सॅ सोझे देखान्हि .. मुदा घर खरिहान क ऊत्तर बारी मे बनल गोहाली सॅ झॅपा जाए छलै. कदंबक गाछ दिस एकदम एकांत .. ऊम्हर राहडि सॅ भरल खेत. . इम्हर ओम्हर केरा के ढेर रास गाछ .. . . . नीचा जमीन एकदम साफ़ . .एकदम अ’ड ।दिनों मे कियो नुकैल लोक के देख नहि सकैत छल .. .।आ’ अहि गुनथुन मे सुरूज महाराज अपन सातों घोडा के हॉकैत हाफैत . .अपस्यात भेल . पच्छिम क्षितीज पर अस्त होयबाक ओरियौन करि रहल छला ।.अपन . सुवर्णमयी रश्मि के खिहारि खिहारि क पकडैत अन्ततः अस्तगामी भेला ।ताहि समय मे सूरूज डूबबा सॅ पहिनहीए घरक चार सॅ उठैत धॅू स्वच्छ आकास के मलीन करए लागै. . ई धूॅआ कतै पैघ संकेत छलै समाज मे . .।जांै केकरो घर सॅ एकोदिन धूॅआ नै निकलै. . पडोसिया स हजो पीसी तुरंत टोकि दै.थ . “आय यै . .अहॉ के घर मे काल्हि चूल्हि नै जरल की . .।’ आ ओ गिरहस्थिन डब डब भरल ऑखि सॅ नीचा तकैत नहूॅ नहूॅ बाजि उठे ‘कि कहै छथीन . .बहिन. . . घर मे एक टा दाना नै छै. . धिया पुत्ता सब के बाडी झाडी सॅ लताम तोडि क’ द’ देलियै. . .हिन्कर मोन खराप छन्हि . .केना की करीयै . .किछु नै फुरैत अछि. ।’ “ अॅ यै हमरा अछैत अहॉ उपास पडब . . .सुइद मूर लगा क’ द’ देब जहिया हैत. आय ई पसेरी भरि अन्न राखू .।’ आ’ तुरंत चूल्हि पजरि जाए ।
सांझे सकाले खा पीबी क’ पुरूष पात अपन अपन दलान ध’ लैथ छलैथ .।स््रत्रीगण क’ राज त’ घरे अांगन टा मे. . .छहरि देबार क’भीतर ओ सब शेरनी .बीर बंकाडा ..।मुदा जखने घर सॅ बाहरि के कोनो काज पडै. . त’ होश हवास गुम. .तखन पॉच बरखक पुरूष बच्चा से हो हुनका सब पर भारी पडय लागै. . ।पुरूषक एतेक वर्चस्व एहै जे . .स्त्री की गाछ बिरीछ सेहो डरे थरथर कॉपै ।स्त्री आ’ पुरूष के गिरहस्थी रूपी गाडी के दूनू पहिया मानल गेल अछि . तखन दूनू मे एतेक विभेद किएक़ . .शंभू बाबू स्त्री शिक्षा के पक्षधर छलाह .. . . .ओ राजा राम मोहन राय . .केशव चन्द्र सेन. . गॉधी. .नेहरू सॅ विशेष प्रभावित छलाह .हुनके सह पर सम्पूर्ण परोपट्टाके स्त्रीगण तकली :टकुआः आ चरखा पर सूत काटि क’ दैन्ह आ’ ओ मधुबनी जा कए खादी भराड मे जमा क’ दैथ. . ओही ठाम सॅ बांग .. :तूर : आनि क’ सेहो वएह देथ ।घर पैलवार के सबसॅ छोट भाय. .हुनकर गप गॉधी जी सुनने छलथि. . पंचकोशी के क्रान्तिकारी जुवक सब सुनै छल. .बहिन ..भौजाय. . भतीजी सब के चिठ्ठी पतरी लिखए जोगर पढाय वएह करौने छलथि .।
राति आयल ।फेर वएह उछन्नर .. नीन्न हुनक लग पास आबि के सब के बेसुध करि दै. . मुदा हिनका छकाबए लागैन्ह. . ।निशा रात्रि . .. चारहु कात. .सुन मसान . बाध बोन सॅ नढिया .गीदडि . .कूकूर क कानब. भौंकब ।वएह टूह टूह इजोरिया .. फेर सॅ आकाश देवी धरती परअपन अमृत घट ऊझीलबा लेल उत्सुक . . .शीतल बयार बहय लगलै. . ।आ’ ई कहबी जे अद्र्व रात्रि मे भूत प्रेत भ्रमण करैत रहै छै. . हुनका बड अनसोहॉत लागैन्ह . .।ई त’ ब्रम्ह सॅ साक्षात्कार करबा क’ मुर्हूत अछि ।मोन अहिना बऊआबैत ढहनाबैत .. . .अॅखि के अपना संग नेने ओही कदंबक गाछ तरि स्थिर भेल ।रतौंधी बला बुढबा चौकीदरबा के स्वर से हो बन्न भ’ गेल छलै।मुदा आय कोनो परि वा चुडैलएखन धरि नहिं आयल छल ।
आ’ हुनका भेलन्ह किंस्यात भ्रम भेल होयन्हि । . .एहेन पवित्र जगह मे .. कदंब .केरा .नेबो लग कतो ओहेन ओहेन अतृप्त आत्मा भटकै । आकाश मे पितडिया थारी जकॉ पूर्ण शशि अपन हास परिहास मे लागल छल .दुधिया चांदनी. .बरैक बरैक क’ ओस बिन्दु के रूप धरि थारी सॅ खसैत रहल छल . .।आब हुनक धियान सबहक दलान .चार .. खपडैल . .कोठा खरिहान गाछ बिरीछ
सॅ ढनमनाइत. . .लग पास मे सूतल चारि टा खाट आ’ पॉच टा चौकी पर सूतल पैघ भाय आ’ बेटा भातीज सब सॅ निकसि विधु प
पडलन्हि कतेक सुन्नर . . जेकर सहोदर बिष हुए. जे खारा पानि सॅ उत्पन्न . .अशांत उद्विघ्न जननी के कोखि सॅ एहेन शीतल सुन्नर संतान के जन्म . .कुदरत वा ईश्वर. . अपरंपार हुनक लीला ।चरखा चलबैत झूकल बुढिया जेना इसारा सॅ हुनका दिस सोमरस फेंकलकैन्ह. . ओ लोकि क’ पीने छलाह. . .।टुन टुन. . छमछम . .अप्सरा . .नाचि रहल अछि. . इन्द्रक दरबार मे. . घूॅघरू आ’ तबला के जुगलबन्दी. . वाह वाह .. अप्सरा जीत रहल अछि .. झन झनन . .झन .. नीन्नटूटि गेलन्हि. . परात भ’ गेल छलै. . .बरदक गरा मे बान्हल छोट छोट घंटी बाजि रहल छल. .कत्तो कियो पराती गाबि रहल छल. .।खुभिया आय हर जोतय लेल बरदक सेवा मे अन्हारे सॅ लागि गेल छल ।नींमक ‘ठारि नमा क’ दतमनि तोडला आ’ ओहो खुभिया संगे भमरा बाला खेत पहुॅचला
“एतेक चाकर चौरस खेत अहि चऽऽर मे ककरो नैं छै भायजी ।’खुभिया जहन कहलकै .. त’ ओ गॅहिया क’ चारूकात हेरए लगला. . गौरव सॅ हुनक सीना आओर चौडा भ’ गेल छल ।खेतक कनिए कात सॅ बडका नदी के धार बहै छलै .. ..मुदा ओहि दिस सॅ ओय खेतक लेल .. कोनो विघ्न नैं छलै. . माटि कटबा के कोनो भय फिलहाल त’ नहिए छल ।लहलह करैत धान अगहन्नी. . ।किछु आओर अपन खेत घुमए लेल दूर दराज मे देखाए पडि रहल छल ।पहिनुका जमाना .बॅटेदार सब सेहो ईमान बाला. . मालिकक घरक भले पॉच बरखक बच्चे किएक नै ठाढ होय. .. हुनका परोछ मे.. कटनी नै करै ।एक एक टा खेत सोना उपजै छलै सोना . .सबहक दलान पर पुआरक बडका बडका टाल .. . . किछु के बडका बडका बखारी सब दूरे सॅ झलकै. . अन्न पानि राखए लेल. . माटिक कोठी त’ घरे घर छईए छल ।छोट सॅ छोट जमीन बाला के साल भरि क’ फसल त’ निकलिए जाए । जखन भूतही बलान मे बाडि आबै तै बरख त’ तबाही मचबे करैक ।ओना कृषि प्रधान समाज मे गामक सबलोकक पेट त’ भरिए जाए .. ओय समे के जाए छलै कमाबए लेल परदेस. . ताहू मे तिरहुतिया सब .. बड कम . .. ।हॅ आन आन जगह के लोग त’ ताहू समय मे त्रिनिदाद. . मॉरिशस. . कत्तएकहॉ नै जाए .. आ जौं लोक गेलो हेताह त’ हुनक भत्र्सने भेल हेतन्हि तत्कालिन समाज मे. . ।किछु पंडित सब .. बंगाल चलि गेला. . किछु आगरा. काशी .जयपुर आदि आदि जगह .. मुदा तखन हुनक भॉति भॉतिक कपोल कल्पित खिस्सा जन साधारणक मनोरंजन सेहो करैक ।
धीरे धीरे अंधेरिया राति होमय लगलै .. आब दृष्टि ओतेक ताकतबर नहिं लगै .. चारहू कात घुप्प अन्हार. . सबहक दलान पर मद्विम करि क’ जरैत लालटेम . ..पन्दरह दिन धरि प्रकृति के लटारम अहिना चल्ौत रहल .. आकास मे चमकैत .. कोटि कोटि तरेगन. . .फेर इजोरिया आबए लेल जोर मारए लागल छलै. ।अध रतिया क’ कनिक टा के चान आबि धरती के छबि निहारए लागै । आय राति मे . . . .जखन ओ गायत्री जप करैत बैसल छलाह .. फेर देखैत छथि. . अहि बेर स्त्री के माथ पर नूआ नै बडका बडका झमटगर केश. . .ओ बडका कका के दलान दिस बढल मुदा फेर ओ कदंबक गाछ दिस मुडि गेल. .।कनिए काल मे .. एक गोट लमगर पुरूष . .बडका कका के दलान सॅ उतरि धड झुकौने ओहि कदंबक गाछ मे विलिन भ’ गेल ।
अकस्मात हुनक मस्तिष्क मे कौंधलन्हि ई त’ काशी थीक बडका कका के पूत. . . .मुदा ओ स्त्री . . .ओ . .. के .. . ्र.।आ अही प्रश्नक उत्तर प्राप्त केनाय हुनका लेल अंगे्रज के देश सॅ खदेडनाय सॅ बेशी आवश्यक बुझाय पडय लागल छलैन्ह ।एक मोन भेलैन्ह जे पएर दाबि क’ एकर पछोर धैल जाए . .. . मुदा दोसरे छन अपन छुद्र विचार पर हुनका ग्लानि भेलन्हि ।नीक बेजाए . .पाप पुण्यक तत्व मीमांसा मे पौडैत हुनका ओंघी धरि दबोचलकन्हि ।
कएक दिन धरि बडका बडका केस हुनक मोन के ऊनक बडका गुच्छा जकॉ ओझरेने रहलन्हि . .ककरा सॅ पूछि. . .कोना की सोचतै लोक़ . ।मुदा नहि रहल गेलन्हि त’ भोजन समाप्त केला के बाद आने माने सॅ ज्योतिषक खिस्सा सुनबैत बजलैथ ‘स्त्री के बडका बडका केस. . डाढ सॅ नीचा . .ओकरा राजरानी बनबै छैक़ . ।’ अहि प्रसंग प. भॉति भॉति के मुॅह बिचकबैत. . हुनक . .गृहस्वामिनी बजलीह ‘ऐंऽऽऽऽऽऽऽऽऽह अंगोरा . . .बडका कका जे बूढ मे छौडी बियाहि क’ अनने छलथि. . से त’ बरकेसा रानी अछि. . ड़ाढ सॅ नीचा नागीन जकॉ लहरैत मोटका जुट्टी. . .मुदा राजरानी के कोनो लच्छन त’ नहिं देखाय पडलै ककरो ।सोलहम बरख होईत होई त कका के सेहो सुरधाम पठा देलकन्हि ।एक टा मुसरी धरि के जनम नहिं द’ सकलै बेचारो. ..जीब रहल छथि सतवा पूत आ’ पूतौहक नौडी बनि ।कत्तेक गंजन करै छन्हि .. सनतीया के माए. . ।’ बस . . .हुनका सूत्र वाक्य भेंट गेल छलैन्ह ।
जड काल नीक जकॉ सुरू भ’ गेल छल. . मोफलर सॅ कान बन्हने. . मोटका चद्दरि ओढने . . बाध मे बूलैत काल खुभीया सॅ बजला. “ ऐं रौ. . . .हमरा टोल मे भूत आ’ चुडैल क’ खेल कोना संभव छै .. . .. ई यज्ञ भूमि. . . हमर बाबा परबाबा कतेक रास यज्ञ .हवन पूजा पाठ केन्ो छलैथ एतय .. ।’ खुभिया गुमसुम . .माथ झुकौने धार क पानि मे उमकैत माछ सबके हेरैत रहल छल ।कनि काल बिलमि क’ बाजल ‘भायजी . . .जौं अहॉ सराप नै दी आ’ खराप . नै मानी त’ एक टा एकान्ति हमरो आहॉ सॅ करबा के लालसा छल ।’ ‘केहेन गप करए छ .. तोरा एहेन लोकके आय धरि कियो गारि वा सराप त’ कात जाओ कियो रे कारो करि क’ बाजल छ. . तू अपने एतेक बुद्वियार. . पैघ छोट के आदर करए वला . .एहेन विचार तोरा मन मे कोना एलो .. तू त’ हमर सबस बिसबासी लोक छ . ।’ बड गहीड सॉस खीचैत बाजल. . “मुदा ई गप जौं तेसरा के कान मे जेतै. . त’ हमर सबहक जीबन परलय भ जेतै ।’ “नै नै. . हे ले. .हम अप्पन जनेऊ के सप्पत खाए छी ..तेसर कान मे त’ हमरा मुॅह सॅ नहिए जयतौ. . ।’ “भायजी. . हमर आंगन बाली बडका कका के घराडी पर काज करै छै .. . एक दिन बडकी काकी ओकरा सप्पत द’ क’ पेट गिराबए के दबाय दोसरा गाम के एक टा बैद सॅ म्ांगबौलखिन्ह .. ।आ’ ई कहलखिन्ह जे जौ कियो जानत त’ हम जहर माहूर खा क’ त’ मरि जाएब . .आ’ ई पाप तोरे माथ पर जेतौ .. तोहर बाल बच्चा परजेतौ. . ।’हम त’ ओहि दिन बुझि गेल रहिए .. .मुदा डरे हम की बजितौं . .कासी बाबू सेहो आबि क’ हमरा दूनू परानी के धमका क’ गेल छलखिन ।’ ओ ठक बक जकॉ कतेक काल धरि खुभिया के देखैत ठाढ रहि गेल छला. . ।सम्पूर्ण शरीर मे अजीब सनक प्रकंपन होमए लागल छल्ौन्ह. . .. ।असक्त भ’ खेतक आरि पर बैस रहल छला।
बडका कका के ई चारिम विवाह छलैन्ह. . . दू टा स्त्री त’ तेसर आ’ चारिम प्रसव काल मे वीर गति के प्राप्त कएने छलथि . .तेसर के बाप अपन बेटीके सासुर के मूॅहे नहि देखए देलखिन्ह .. तीनो नाति भगिनमान बनि क’ मातृके मे रहि गे ल छला ।
. .ई चारिम . .पचास बरखक वय मे. . . ओ एकर पुरकस जोर लगा क’ विरोध कएने छला . .त’ वृद्वजन हुनका दबाडि देने छलथि . . ‘तौं त राति दिन गॉधी .. चर्चिल . .चाऊ करैत करैत अंगरेजी विद्या पढि अंगरेज भ’ चुकल छ।आहि रे बा . .अहि मे हर्ज की. . . घोडा आ’ पुरूष कहियो बूढ होय छै. . जखन समाज मे बहू विवाह प्रचलित छैक . चारू कात तुरूकक राज . .ओही कुकर्मी सबहक हाथ सॅ अपन स्त्री सब के बचेनाय . .अपन जाति बचेनाय हमर सबहक कत्र्तव्य थीक . .त’ अहि मे अहींके किएक दोष बूझि पडैत अछि. . सबसॅ बेसी अक्कीलगर अहीं छी।निरधनक बेटी के एक टा आश्रय भेट जेतै. . ।’ हॅ आश्रय त’ अवश्य भेट गेल रहै. . भरि जीवनक लेल. . भले बारह बरखक कन्या पचास बरखक बर. .।छल . .छदम . .व्यभिचार . .शोषण. . स्त्री के जीवन के जोंक जकॉ ग्रसित कएने अछि ।नारी मुक्ति के लेल ओ किछु नहि कए सकला .।
किछु काल क बाद हुनक नजरि ऊपर आकास मे अटकल . .जतए ओए दिन बडका चान छल . .अखन दिवाकर महाराज स्थापित छैथ।मुॅह सॅ निकलि गेलन्हि. “ .कमजोर चान कलंकित अछि कि प्रचंड शक्तिमान भानु .. ।’। इति।।
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