भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

ऐ ई-पत्रिकामे कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

 

(c) २००-२०२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.htmlhttp://www.geocities.com/ggajendra  आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha  258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/  पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

Sunday, September 30, 2012

'विदेह' ११५ म अंक ०१ अक्टूबर २०१२ (वर्ष ५ मास ५८ अंक ११५)- PART I


                     ISSN 2229-547X VIDEHA
'विदेह' ११५ म अंक ०१ अक्टूबर २०१२ (वर्ष ५ मास ५८ अंक ११५)India Flag Nepal Flag

 

ऐ अंकमे अछि:-

१. संपादकीय संदेश


२. गद्य









३. पद्य









३.७.१.जगदानन्द झा मनु- किछु गजल २.बाल मुकुन्द पाठक- किछु गजल ३.पंकज चौधरी (नवलश्री)- किछु गजल

३.८.१.विनीत उत्पल- गजल २.अनिल मल्लिक- दूटा गजल ३.अविनाश झा अंशु ४.किशन कारीगर- पंडा आ दलाल- (हास्य कविता)





४. मिथिला कला-संगीत १. ज्योति झा चौधरी २.राजनाथ मिश्र (चित्रमय मिथिला) ३. उमेश मण्डल (मिथिलाक वनस्पति/ मिथिलाक जीव-जन्तु/ मिथिलाक जिनगी)

 

५. गद्य-पद्य भारती:मन्त्रद्रष्टा ऋष्यश्रृङ्ग- हरिशंकर श्रीवास्तवशलभ"- (हिन्दीसँ मैथिली अनुवाद विनीत उत्पल)


 

६.बालानां कृते-१.जगदीश प्रसाद मण्डल- बाल वि‍हनि‍ कथा- घटक काका २.शिव कुमार यादव- बाल कविता ३.जगदानन्द झा मनु- करुण हृदयक मालिक महाराज रणजीत सिंह

 

७. भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैथिली], [विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.]


विदेह ई-पत्रिकाक सभटा पुरान अंक ( ब्रेल, तिरहुता आ देवनागरी मे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक लेल नीचाँक लिंकपर उपलब्ध अछि। All the old issues of Videha e journal ( in Braille, Tirhuta and Devanagari versions ) are available for pdf download at the following link.

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ज्योतिरीश्वर पूर्व महाकवि विद्यापति। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन कालहिसँ महान पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला लोकनिक चित्र 'मिथिला रत्न' मे देखू।


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गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि। मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र, अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू 'मिथिलाक खोज'



मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना, सम्पर्क, अन्वेषण संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ न्यूज सर्विस आ मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट सभक समग्र संकलनक लेल देखू "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"

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ऐ बेर मूल पुरस्कार(२०१२) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन मूल मैथिली पोथी उपयुक्त अछि ?
Thank you for voting!
श्री राजदेव मण्डलक अम्बरा” (कविता-संग्रह)  12.67%   
 
श्री बेचन ठाकुरक बेटीक अपमान आ छीनरदेवी”(दूटा नाटक)  11.02%   
 
श्रीमती आशा मिश्रक उचाट” (उपन्यास)  6.34%   
 
श्रीमती पन्ना झाक अनुभूति” (कथा संग्रह)  4.68%   
 
श्री उदय नारायण सिंह नचिकेतानो एण्ट्री:मा प्रविश (नाटक)  5.23%   
 
श्री सुभाष चन्द्र यादवक बनैत बिगड़ैत” (कथा-संग्रह)  4.96%   
 
श्रीमती वीणा कर्ण- भावनाक अस्थिपंजर (कविता संग्रह)  5.23%   
 
श्रीमती शेफालिका वर्माक किस्त-किस्त जीवन (आत्मकथा)  8.54%   
 
श्रीमती विभा रानीक भाग रौ आ बलचन्दा” (दूटा नाटक)  6.61%   
 
श्री महाप्रकाश-संग समय के (कविता संग्रह)  5.51%   
 
श्री तारानन्द वियोगी- प्रलय रहस्य (कविता-संग्रह)  4.96%   
 
श्री महेन्द्र मलंगियाक छुतहा घैल” (नाटक)  9.64%   
 
श्रीमती नीता झाक देश-काल” (कथा-संग्रह)  5.51%   
 
श्री सियाराम झा "सरस"क थोड़े आगि थोड़े पानि (गजल संग्रह)  7.16%   
 
Other:  1.93%   
 
 

ऐ बेर युवा पुरस्कार(२०१२)[साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन कोन लेखक उपयुक्त छथि ?

Thank you for voting!
श्रीमती ज्योति सुनीत चौधरीक अर्चिस” (कविता संग्रह)  26.74%   
 
श्री विनीत उत्पलक हम पुछैत छी” (कविता संग्रह)  7.56%   
 
श्रीमती कामिनीक समयसँ सम्वाद करैत”, (कविता संग्रह)  5.81%   
 
श्री प्रवीण काश्यपक विषदन्ती वरमाल कालक रति” (कविता संग्रह)  4.07%   
 
श्री आशीष अनचिन्हारक "अनचिन्हार आखर"(गजल संग्रह)  23.26%   
 
श्री अरुणाभ सौरभक एतबे टा नहि” (कविता संग्रह)  5.81%   
 
श्री दिलीप कुमार झा "लूटन"क जगले रहबै (कविता संग्रह)  6.98%   
 
श्री आदि यायावरक भोथर पेंसिलसँ लिखल” (कथा संग्रह)  5.81%   
 
श्री उमेश मण्डलक निश्तुकी” (कविता संग्रह)  12.21%   
 
Other:  1.74%   
 
 
 
 

ऐ बेर अनुवाद पुरस्कार (२०१३) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे के उपयुक्त छथि?

Thank you for voting!
श्री नरेश कुमार विकल "ययाति" (मराठी उपन्यास श्री विष्णु सखाराम खाण्डेकर)  32.73%   
 
श्री महेन्द्र नारायण राम "कार्मेलीन" (कोंकणी उपन्यास श्री दामोदर मावजो)  11.82%   
 
श्री देवेन्द्र झा "अनुभव"(बांग्ला उपन्यास श्री दिव्येन्दु पालित)  11.82%   
 
श्रीमती मेनका मल्लिक "देश आ अन्य कविता सभ" (नेपालीक अनुवाद मूल- रेमिका थापा)  18.18%   
 
श्री कृष्ण कुमार कश्यप आ श्रीमती शशिबाला- मैथिली गीतगोविन्द ( जयदेव संस्कृत)  13.64%   
 
श्री रामनारायण सिंह "मलाहिन" (श्री तकषी शिवशंकर पिल्लैक मलयाली उपन्यास)  10.91%   
 
Other:  0.91%   
 

फेलो पुरस्कार-समग्र योगदान २०१२-१३ : समानान्तर साहित्य अकादेमी, दिल्ली

Thank you for voting!
श्री राजनन्दन लाल दास  48.96%   
 
श्री डॉ. अमरेन्द्र  30.21%   
 
श्री चन्द्रभानु सिंह  18.75%   
 
Other:  2.08%   
 

 

1.संपादकीय

-समन्वय २०१२: भारतीय लेखनक उत्सव:२-४ नवम्बर २०१२: (इण्डिया हैबीटेट सेन्टर भारतीय भाषा महोत्सव)
-एकर साइट अछि http://samanvayindianlanguagesfestival.org
-समन्वयक छथि सत्यानन्द निरूपम आ गिरिराज कराडू
-उत्सवक निदेशक छथि- राज लिबरहान
-उत्सवक एडवाइजरी बोर्डमे छथि-आलोक राय, के.सच्चिदानन्दन, लक्ष्मण गायकवाड, ओम थानवी, महमूद फारूकी, ममता सागर, रवि सिंह, सीतांशु यशचन्द्र, तेमशुला आओ।
-आयोजन कमेटीमे छथि- १.इण्डिया हैबीटेट सेन्टरक प्रोग्राम टीम, २.पारस नाथ, अनन्त नाथ।
-सहयोगी छथि, दिल्ली प्रेस आ प्रतिलिपि बुक्स।
-समन्वय २०११ मे मैथिलीक प्रतिनिधित्व केने रहथि- गंगेश गुंजन। http://samanvayindianlanguagesfestival.org/2011/gangesh-gunjan/

जगदीश प्रसाद मण्डल- एकटा बायोग्राफी...
दुर्गास्‍थान बनैसँ पूर्व छोट-पैघ अनेको स्‍थान छल, कोनो नै कोनो रूपमे अखनो अछि‍। बलदेव बाबू (सरि‍सब पाही) बेटाक उपलेखनामे एकटा शि‍वालय बड़की पोखरि‍क उत्तरवरि‍या महारपर बनौलनि‍। अखुनका हि‍साबसँ मंदि‍र छोटे मुदा जइ दि‍न बनौल गेल बहुत सुन्‍दर मंदि‍र रहै। ओना अठासीक भुमकममे खसि‍ पड़ल मुदा स्‍थान आरो चमकि‍ गेल। ओही मैदानमे दुर्गोपूजा होइए आ मुसलमानक दाहाक मेला सेहो लगैए। मेलामे अकसरहाँ बेपारि‍यो आ देखि‍नि‍हारो हि‍न्‍दुएक परि‍वार रहैत अछि‍। दोसर स्‍थान राधा-कृष्‍ण, राम-जानकी, हनुमान-महादेव सबहक सम्‍मि‍लि‍त स्‍थान अछि‍। एके स्‍थानपर रामो-जानकी आ राधो-कृष्‍ण छथि‍। स्‍थान बहुत पुरान अछि‍। बौधू दास स्‍थान बनौलनि‍। शुद्ध वैरागी छलाह। परि‍वार नै छलनि‍, मुदा स्‍थानकेँ स्‍थान बनौने रहथि‍। कमसँ-कम एक बेर अपनो सौंसे गाम घुमैत छलाह आ सभसँ हब-गब करै छलाह। लोको उपकैड़-उपकैड़ कहै छलनि‍ जे बाबा औझुका सि‍दहा हमरे दि‍ससँ रहतै। असकरे घुमैत छलाह। ओना ओ ठकुरबाड़ी बनौने छलाह, मुदा बि‍नु मुर्तिएक। लोकक दुख-दर्दकेँ हृदएसँ पकड़ैत छलाह। भखरौली (सुखेत) नील कोठीक सेहबाक (अंग्रेज बेपारी) अन्‍याय नै बरदास कऽ सौंसे बेरमा लोककेँ कहलखि‍न जे एकरा भगबैक अछि‍। तेपटा जमीन लऽ लऽ सभटा खेत मारने जाइए। डेढ़-हथ्‍थी  लऽ कऽ अपनो घुमै छलाह आ वएह नेने आगू भेलाह। भेबे नै केलाह, कऽ कऽ देखा देलखि‍न। ओही स्‍थानपर महावीर दास भेलाह। गरीब परि‍वारक महावीर दास कबीर पंथक सीख, स्‍थानपर आबि‍ गेलाह। बौधूओ दासक उमर नि‍च्‍चा मुँहेँ भेलनि‍। महावीर दासकेँ राखि‍ लेलनि‍। वैष्‍णव रहबे करथि‍। मुदा बौधू दासक प्रभाव रहबे करनि‍, जइसँ बहुत उमेरक पछाति‍ बि‍आह केलनि‍। साधारण परिवारसँ आएल महावीर दासक वि‍चार बहुत उदार छलनि‍। भूमि‍हार रहि‍तो सबहक परि‍वारमे कबीर पंथी परि‍वार बूझि‍ भात-रोटी सभ खाइ छलाह। वैदागि‍रीक ज्ञान भेलनि‍। वैदागि‍री खूब बढ़लनि‍। वएह आमदनी देखि‍ बि‍आहो करौल गेलनि‍ आ केबो केलनि‍। ताधरि‍ स्‍थानमे बीघा पाँचेक, समाजक दान कएल, जमीनो भऽ गेल छलनि‍। हफीम खाइ छलाह। मुदा स्‍वाभवसँ बहुत उदार छलाह। परोपट्टामे नाम कमेने छलाह। भगवानक दरवार (ठकुरवाड़ी) मे पैघसँ पैघ आ छोटसँ छोट जे कि‍यो संगीतज्ञ औताह जहाँ धरि‍ बनि‍ पड़त खुशीसँ वि‍दा करबनि‍। से भेबो कएल। परोपट्टाक दरवारी दास होथि‍ आकि‍ छठू दास, हि‍ताइ दास होथि‍ कि‍ लखन दास, जि‍नके ढोलकि‍या बम्‍बइमे नामी छथि‍, तहि‍ना नाटक-नौटंकी इत्‍यादि‍-इत्‍यादि‍। अपन स्‍वभाव वएह रहनि‍ जे जखन हफीमक नशा सि‍रचढ़ रहनि‍ तखन वि‍दा करथि‍। तेसर स्‍थान छी ब्रह्म स्‍थान। अखनो बीघासँ ऊपर जमीन स्थानमे अछि। पक्का माकन। अांगन बाड़ी केन्‍द्र, धर्मराज स्‍थान सभ सटले-सटल। जाधरि‍ पंडि‍त उपेन्‍द्र मि‍श्र, जे वेद, व्‍याकरण, साहि‍त्‍य आ ज्‍योति‍षक आचार्य छलाह, साले-साल काति‍क मासमे पनरह दि‍न भागवत करै छलाह। ओना ओ तते गंभीर आ संयमी छलाह जे एक शब्‍द फाजि‍ल नै बजैत छलाह जइसँ बनौआ पंडि‍तक बीच उपहासक पात्र बनल छलाह जे हुनका थोि‍थये ने छन्‍हि‍। अपन स्‍थान बूझि‍ गामेपर सँ चौकी नेने अबैत छलाह आ आसनक जे प्रक्रि‍या छै से करैत बैसि‍ जाइ छलाह। पहि‍ने दू-तीन दि‍न परचारे होइमे लागि‍ जाइ छल मुदा जेना-जेना परचार होइत जाइत छलै तेना-तेना सुननि‍हारोक आ भागवतकेँ आगू बढ़बैक ओरि‍यानो करैत जाइत छलाह।
एकटा महावीर जी स्‍थान, पोखरि‍क माहरपर अधसुखू कटहरक गाछ लग धूजा गाड़ि‍ स्‍थान स्‍थापि‍त भेल। पूजा शुरू भेल। एकटा अद्भुत भेल। अद्भुत ई भेल जे अधसुखू कटहरक गाछ पानि‍ पीब जोर केलक। गाछ लहलहा उठल। मझोलके गाछ, जेना डारि‍-पात सभमे फड़ैक शक्‍ति‍ आबि‍ गेलै। डेढ़ सएसँ अढ़ाइ सए तक फड़ हुअए लगलै। भलहिं तीन-चौथाइमे कोह नहि‍ये होइ, कमरि‍ये टा होइ। वएह कटहरक गाछ स्‍थानक प्रभावकेँ तेज केलक। इलाकामे समाचार पसरि‍ गेल। अष्‍टयाम कीर्तन (रामनवमी, चैत) शुरू भेल जइमे तीन मनसँ पाँच मनक बीच गहुम-चाउरक परसाद बनैत आ खर्च होइत छल। जे एक-एक मुट्ठी कऽ बाँटल जाइत छल। लकड़ीक मंडप बनल रहैत छल जत्तऽ वि‍सर्जनक पछाति‍ नगर कीर्तन होइत छल। नगर कीर्तनक अर्थ भेल चारि‍ गोटे मंडपकेँ उठा आगू-आगू सौंसे गाम घुमैत छलाह आ पाछू-पाछू कीर्तन-भजन होइत समाजो घुमैत छलाह। जि‍नका जे जुड़ैत छलनि‍ से चढ़ेबा चढ़बै छलाह। जइसँ साज-बाज कीनल जाइत छल। तहि‍ना मुसहर सभ सेहो आसीन मासमे पूजा करैत छलाह आ अखनो करैत छथि, मिरदंग-झालि‍ लऽ दस गोटे सौंसे गाम घूमि‍ चंदा करै छलथि/ छथि‍ जइसँ पूजाक खर्च चलै/ चलैए। तहि‍ना मुसलमानो सभ दाहा बनबै छथि‍ आ सौंसे गाम घुमै छथि‍। एहेन भायचारा चलि‍ आबि‍ रहल अछि‍। तहि‍ना सालमे दू स्‍थानपर दुर्गा पूजा, महावीर जी स्‍थानमे दर्जनो अष्‍टयाम, नवाह, तीन दि‍नक कबीर पंथक संत सम्‍मेलन दर्जनो साहि‍त्‍यि‍क गोष्‍ठी, दुआर-दरबज्‍जापर कीर्तन-भजन इत्‍यादि‍-इत्‍यादि‍ चलि‍ते रहैए। ततबे नै तीन-तीनटा महंथो, तीन सम्‍प्रदायक, आधा दर्जन कीर्तनो मंडली, जे रोजगार बनौने छथि‍, सभ चलि‍ रहल अछि‍। आखि‍र मि‍थि‍लाक समाज छि‍ऐ कि‍ने।
एक तँ ओहि‍ना सरसठि‍क चुनाव हवा बहौलक, तइपर बेरमाक भगवती (१९६९ स्‍थापि‍त) सेहो अपन दुआरि‍ खोलि‍ देलनि‍। गामक आयात ि‍नर्यात आन-आन समाजसँ बढ़ल। दुनू हवा चलल, एक दि‍स सभ जाति‍क बीच दुर्गापूजा एली तँ दोसर-दि‍स नव जवानक हृदैमे कि‍छु करैक उत्‍साह सेहो भरल। ओना समाज समुद्रोसँ नमहर अछि‍। तँए समाजक भीतर की सभ होइ छै, कहब कठि‍न अछि‍। मुदा कि‍छु जे देखबामे अबैए ओ छी स्‍त्रीगणक माध्‍यमसँ नैहर-सासुरक बीच पाइ-कौड़ी, गहना-जेबरक बन्‍हकी-छनकी। कोन गामक गहना कोन गाम गेल कहब कठि‍न। दोसर गामोक बीच महाजनी आ आनो-आनो गामक बीच। जमीन्‍दारीक रूआब तँ खनदानी रूआब बनैए, जँ से नै बनैए तँ अंग्रेज सेहबा चलि‍ गेल आ सहाएबक बीआ‍ छि‍टा गेल। मैनजन, महाजन, जमीन्‍दारक संग जाति‍ साम्‍प्रदायि‍क कते सूत्र लागि‍ गेल अछि, बेरमावासीकेँ ऋृण दैमे अगुआएल जाति‍क। खाली एकटा पछुआएल दाता, मुदा कारोबार छोट। बेपारीक शासनो जमीन्‍दारसँ भि‍न्न होइत। खैर जे होउ? श्राद्ध-कर्म आ बि‍आह कर्म रोकब पुरोहि‍त सभ घोषणा कऽ देलनि‍। गामक लोकक बीच समस्‍या ठाढ़ भेल जे आब की हएत? कबीर पंथी महात्‍मा सभकेँ रास्‍ता भेटलनि‍, घोड़-दौड़ शुरू केलनि‍। समाजमे उठैत आगि‍ ठमकल रहल। कबीर पंथी सभ तेहेन जे जएह घर बसबए चाहै छथि‍ तेहीमे आगि‍ लगबै छथि‍। गति‍-मुक्‍ति‍क वि‍चार तँ समाजमे दइ छथि‍न मुदा औझुका बात कहबे ने करै छथि‍न। आइ हम की छी, सबहक प्रश्न छी। कबीरक पाँति‍ छन्‍हि‍ जे साइ इतना दीजि‍ए....। मुदा कऽ कतएसँ दैथि‍ तइठाम कने झल भऽ जाइ छै। तहि‍ना मायाक बुनि‍यादसँ ऊपर उठि‍ वि‍चार रखै छथि‍ जइसँ झल अन्‍हार भऽ जाइ छै। अध्‍यात्‍म ओहन पद्धति‍ छि‍ऐ जे मनुष्‍यकेँ मनुष्‍य बनैक लूरि‍ दइ छै। खाली लुरि‍ये नै ओहन बुधि‍यो दइ छै जेकरा सुपर मैन कहै छि‍ऐ। कि‍नका ई अभि‍लाषा नै छन्‍हि‍ जे सुपरमैन बनी। मुदा, से कि‍अए ने भऽ पबैए। जंगलमे लाखो गाछ एक संग जीवन-यापन करैत हवो-वि‍हाड़ि‍क झोंक सहैए। एकैसम शताब्‍दीक मांग अछि‍ जे स्‍वतंत्र मनुख बनि‍ स्‍वतंत्र वि‍चरण कऽ सकी। जइठाम बाट-घाट सभ असुरक्षि‍त अछि‍ तइठाम दि‍ल्‍ली दूर नै तँ लग अछि‍। तखन जाए दि‍औ जेहो खेलक सेहो पचताएल जे नै खेलक सेहो पचताइए।
ओना १९६० ई.सँ जगदीश प्रसाद मण्डल खेतीसँ थोड़ बहुत जुड़ि‍ गेल रहथि। मि‍रचाइ, भट्टा, कोबी, अल्‍लू इत्‍यादि‍क लगसँ खेती शुरू केलनि। धान, मरूआ, रब्‍बी-राइक खेती जने हाथे हुअए लगलनि। भायकेँ खेतीसँ कम सरोकार। तहूमे अमानत पढ़ि‍ लेने रहथिन्ह‍। जमीनक खि‍स्‍सा-पि‍हानी ओहन जे महि‍नो भरि‍मे अन्‍त नै लैत रहए। मुदा अपनो जि‍नगीले तँ लोक कि‍छु सोचि‍ते अछि‍। नाच दि‍स झुकि गेलाह। मुदा गरीबक कलाकेँ उभाड़ब धीया-पुताक‍ खेल नै। खैर जे होउ।
भोगेन्‍द्र जी सम्‍पर्कमे एला पछाति‍ खेतीक प्रति‍ आरो जि‍ज्ञसा तेज भेलनि। तेज ऐ दुआरे भेलनि जे जर्मनी, जापानक खेतीक बात ओ मनमे बैसा देलखिन्ह‍। हि‍साब जोड़थि तँ दस कट्ठा खेत एक परि‍वारक (पाँच गोटे) लेल बेशि‍ये‍ बूझि पड़नि। तहूमे साइबेरि‍याक ओहन कि‍सान अछि‍ जे सालक छह मास, आठ मास ढकल बर्फ हटि‍ते धड़-फड़मे तेना कऽ खेती कऽ लइए जे बढ़ि‍या उपजा उपजा लइए। आइ भलहि‍ं मि‍थि‍लांचलक अदहासँ बेसी भाग बलुआ गेल अछि‍, माटि‍ ऊपर बालु भरि‍ गेल अछि‍। समस्‍या ओते भारी अछि‍ जे जहि‍ना बालु तरसँ ऊपर आबि‍ भूमि‍केँ मारि‍ देलक तहि‍ना ओकरो अटावेश करैत कि‍सानक हाथमे खेत आबए। बि‍हारक मूल पूँजी‍ खेत छी, जते खेती समृद्ध हएत तते राज्‍यो समृद्ध हएत।
एक तँ अपन हाथक पूँजी, खेत, दोसर जखन राजनीति‍सँ जुड़ि‍ गेलथि तखन तँ काजो बढ़ि‍ गेलनि। खेती ि‍दस ढंगसँ बढ़ैक कोशि‍श केलनि। पूसा मेलासँ खेतीक कि‍ताब कीनि‍-कीनि‍ अनए लगला। कि‍सानक जे कार्यक्रम होइ तइमे जाए लगला। राजनीति‍सँ जुड़ने कोट-कचहरी सेहो घुमए लगला। मधेपुर ब्‍लौकमे जुबेर सहाएब पी.ओ. रहथिन्ह‍। बहुत शरीफ लोक‍। अपनापन बहुत अधि‍क रहनि‍। हुनकासँ सम्‍पर्क भेलनि। ओ एग्रीकल्‍चर ग्रेजुएट। स्‍कूल-काओलेज जकाँ घंटो-घंटो खेतीक बात लोककेँ बुझबैत रहथि‍न। हुनका सम्‍पर्कसँ ई भेलनि जे जतए हुनकर कार्यक्रम होन्‍हि‍ जानकारी देथिन‍। एग्रीकल्‍चर महावि‍द्यालय- पूसो-ढोलीमे सालमे एक बेर नमहर आ छोट-मोट कार्यक्रम चलि‍ते रहैत छल।
१९६० ई.सँ पूर्व बेरमा गाममे ने एकोटा बोरि‍ंग रहए आ ने दमकल। सभसँ पहि‍ने (१९७१-७२) स्‍व. सत्‍य देव झा, जे पढ़ल-लि‍खल तँ नहि‍ये छलाह मुदा एवरेडी बैट्रीक कम्‍पनी कलकत्तामे नोकरी भऽ गेल रहनि‍, सेवा ि‍नवृत्त‍ भेल रहथि‍। बंगालक खेतीक जानकारी भइये गेल रहनि‍। सोचलनि‍ जे पाँच बीघा खेत कीनि‍ जँ बोरि‍ंग करा लेब तँ परबरि‍स चलि‍ जाएत। से करबो केलनि‍। वएह बोरि‍ंग पहि‍ल छी। खेतीक जानकारी भेने पानि‍क महत लोक बुझए लगै छै। राजनीति‍क पार्टी बनि‍ये गेल रहए। सरसठि‍क रौदीक पछाति‍ बोरि‍ंग-दमकलक योजना सेहो जनमल, मुदा सतमसुआ। बेरमा गाममे बी.डी.सी.क बैसार भेल। डी.एम. सेहो आएल रहथि‍। ब्‍लौकक सभ रहबे करथि‍। तोहफाक रूपमे डी.एम. सहाएब, ति‍हाइ सवसि‍डीक रूपमे बोरि‍ंग-दमकलक चर्चक संग कि‍सानक दशा-दि‍शाक चर्च सेहो केलनि‍। चारि‍ श्रेणीमे कि‍सानक बँटबाराक चर्च करैत सबहक लाभक चर्च केलनि‍। जगदीश प्रसाद मण्डल आ चारि गोटे माने पाँचटा कि‍सान वि‍चार केलनि जे अवसरक उपयोग करता। पूसा-ढोलीसँ लऽ कऽ जि‍ला-ब्‍लौकक बीच जे कि‍सान मेला वा गोष्‍ठी होइ तइ सभमे जाइत-अबैत रहथि, ओना पाँचो गोटे बोरि‍ंग गड़बैक वि‍चार केलनि मुदा दू गोटे नै गड़ौलनि‍। बोरि‍ंग गरौला पछाति‍ नव-नव धान, गहुम इत्‍यादि‍क बीआ सेहो आनए लगला। अखन (२०१२ ई.मे) जते धानक उपज नै भऽ रहल अछि‍ तइसँ बेसी आठम दशकमे हुअए लागल छल। सीता धान, जे मेहि‍यो होइत अछि‍ आ खाइयोमे नीक होइत अछि, सवा क्‍वीन्‍टल कट्ठा उपजए लागल। ि‍सर्फ धाने गहुम नै, आलू-कोबी, टमाटर इत्‍यादि‍क खेती सेहो जोड़ पकड़लक। जे गाम कर्जक तरमे दबल छल ओ अपना पएरपर ठाढ़ हुअए लागल। गामसँ जमीन्‍दारो सभ चलि‍ गेल रहथि‍। एक गोटे मात्र बँचल रहला, जि‍नका भाँजमे एक सय दस बीघा जमीन। जइपर पछाति‍ जबरदस लड़ाइ भेल। बी.डी.सी.क बैसारमे डी.एम. सहाएब सूदखोर महाजनक चर्च वि‍स्‍तारसँ केने रहथि‍। संग-संग ईहो कहि‍ देलखि‍न जे दोबरसँ फाजि‍ल जे महाजन लेताह हुनकापर कानूनी कारवाइ हेतनि‍। कर्जदार सभ नि‍चेन भऽ गेलाह जे जहि‍या हएत‍ तहि‍या ने देबै। नै रहने कतए सँ देबै। मुदा महाजनक आक्रमण भेल। पकड़ा-पकड़ी शुरू भेल।
खेतीक संग-संग गाममे आरो-आरो काज सभ हुअए लागल। गामक जते बान्‍हसड़क अछि‍ ओकरा नक्‍शासँ अनुमूल बनौल गेल। जइसँ गामक रूपे-रेखा बदलि‍ गेल। ई भेल जन-सहयोगसँ। पछाति‍ सरकारि‍यो योजना सभसँ माटि‍क काज, खरंजा इत्‍यादि‍ होइत रहल। अखन तँ सहजहि‍ गामक ओहन रूप बनि‍ गेल अछि‍ जे एकोटा परि‍वार नै अछि‍, जेकरा घरक आगू चरि‍पहि‍या सवारी नै जा सकैए। तहि‍ना प्रति‍ दू परि‍वारपर पानि‍ पीबैक साधन बनि‍ गेल अछि‍। तहि‍ना प्रति‍ आठ बीघापर बोरि‍ंग (प्राइवेट) अछि‍। ओना पछि‍मी कोसीक नहरि‍क दूटा शाखा सेहो उत्तरे-दछि‍ने, पूबो आ पछि‍मो बनि‍ रहल अछि‍। तइ संग स्‍टेट बोरि‍ंग सेहो गराएल अछि‍। मुदा चालू नै भेल अछि‍। तहि‍ना आबागमनक सुवि‍धा सेहो अछि‍ये। एक दि‍स रेलबे स्‍टेशन तीन कि‍लोमीटरपर अछि‍ तँ दाेसर दि‍स एन.एच. दू कि‍लोमीटरपर अछि‍। जहि‍ना वसंत ऋृतु अबि‍ते मेघमे ठेकल गाछसँ लऽ कऽ माटि‍मे ओंघराएल ध‍रतीमे नव पात, नव कलश, नव कोढ़ीक संग नव फूल दैत तहि‍ना समाजक फुलवाड़ीमे फूलक अंकुर दि‍अए लागल। रंग-बि‍रंगक समस्‍या (पोजीटि‍व-नि‍गेटि‍व दुनू) उठि‍-उठि‍ ठाढ़ हुअए लागल। जगदीश प्रसाद मण्डल सभ सेहो वि‍चार केलनि जे समाजक उत्‍थानमे जाति‍क कट्टरपन बाधा छी। ओना जँ जाति‍क बीच कथा-कुटुमैती होइत अछि‍ तँ ओ दू समाजक बीचक प्रश्न बनि‍ जाइत अछि‍। मुदा समाजक बीच जाति‍क छुआ-छुत बहुत नमहर खाधि‍ बनबैए। तँए महि‍नामे एकबेर बैसार करब आ ओ करब टोले-टोल घूमि‍-घूमि‍, ई सबहक विचार भेलनि। बैसारमे कोनो बेसी जोगारक प्रश्न नै, मुदा टोलबैयाक वि‍चारसँ, जँ ओ सभ खाइ-पीबैक बेवस्‍था करथि‍ तँ सेहो बढ़ि‍याँ, सभ खाएब, ई सबहक विचार भेलनि। अखनो धरि‍ खाइते छथि। सभ जाति‍क बरि‍आति‍यो आ भोजो-काजमे खाइते छथि। हँ ई बात जरूर अछि‍ जे अखनो ति‍तम्‍हा चलि‍ते रहल अछि‍, मुदा सभ जाति‍क सहयोग रहने कम पड़ि‍ जाइए। ई बहुत नीक कदम भेल। परोपट्टामे जेना पसाही लागि‍ गेल। ओना झंझारपुर ब्‍लौकमे कमलासँ पछि‍म नागेन्‍द्रजी (डाॅ. नागेन्‍द्र कुमार झा डाॅ. धीरेन्‍द्रक माि‍झल भाए), पूब फुलपरास ब्‍लौकमे कामेसर जी (श्री कामेश्वर राम) सेहो क्रान्‍ति‍क सूत्रपात केलनि‍। जमि‍ कऽ तीनू ब्‍लौकमे पार्टीक प्रभाव बढ़ल। तइ बीच नागेन्‍द्रजी पार्टी स्‍कूल चलौलनि‍। लग रहने तीनू दि‍न जगदीश प्रसाद मण्डल सभ भाग लेलनि। केन्‍द्रक नेता सबहक संग रहैक मौका भेटलनि। हुनको सबहक इच्‍छा भेलनि‍ जे बेरमोमे एहि‍ना हुअए। से भेबो कएल।
टोले-टोलक मीटि‍ंगमे टोलक समस्‍या मुख्‍य मुद्दा बनल रहैत छल जइसँ गामक अध्‍ययन अधि‍कसँ अधि‍क गोटेकेँ हुअए लगलनि‍। चौक-चौराहापर सि‍नेमा-सर्कशक गप-सप नै भऽ गामक समस्‍याक गप शुरू भेल। मुदा चालैन जकाँ रोगाएल समाज।
ओना आन गामसँ भि‍न्न बेरमाक बनाबटो अछि‍। तेकर मुख्‍य कारणमे एकटा ईहो कारण अछि‍ जे आइ धरि‍ गमकट्टा (धार)क पल्‍ला नै पड़ल। कहैले बहुत पहि‍नेसँ एकटा सुपैन (प्राचीन नाम सुपर्णा) धार अछि‍ मुदा अजेगर साँप जकाँ ई एकेठाम बैसल रहल। तहूमे तीनि‍ये मास धार रहैए बाकी मास मुर्दघट्टीसँ लऽ कऽ चारागाह बनल रहैए। गाममे अधिक बासभूमि रहने ऊँचगर जमीन पर्याप्‍त अछि‍। मझोलका कि‍सान बेसी रहने जमीनक छोट सीमांकन। मुदा पटबैक बेवस्‍था नै रहने बाड़ि‍ओ-झाड़ीमे मड़ूए-गम्‍हरिक खेती होइत छल। तरकारीक खेतीले ऊँचगर जमीन माने चौमास खाली बरि‍याति‍ऐक लेल होइए, बाकी मध्‍यमो जमीन (चौर छोड़ि‍), दू बेर (दू फसल) उपजैत अछि‍। कि‍छु बोरि‍ंग भइये गेल, चापाकल सेहो लोक लगौलक। तरकारी खेती जोर पकड़लक। कतेक परि‍वार उठि‍ कऽ ठाढ़ भऽ गेल। महाजनी सेहो बन्न भइये गेल रहए। जइसँ समस्‍या सेहो उठल रहए।           

सन् सैंतालीस...
भारतक स्वतंत्र त्रिवार्णिक झण्डा फहरा रहल छल।
मुदा कम्यूनिस्ट पार्टीक माननाइ छल जे भारत स्वतंत्र नै भेल अछि।
असली स्वतंत्रता भेटब बाँकी छै...
मिथिलाक एकटा गाम
जन्म भेल रहए एकटा बच्चाक.. ओही बर्ख ...
ओइ स्वतंत्र वा स्वतंत्र नै भेल भारतमे...
पिताक मृत्यु...गरीबी.. केस मोकदमा...
वंचितक लेल संघर्षमे भेटलै स्वतंत्र भारतक वा स्वतंत्र नै भेल भारतक जेल....
आइ बेरमामे पाँच-दस बीघासँ पैघ जोत ककरो नै..
ओइ गाममे जीवित अछि आइयो किसानी आत्मनिर्भर संस्कृति...
पुरोहितवादपर ब्राह्मणवादक एकछत्र राज्यक जतऽ भेल समाप्ति..
संघर्षक समाप्तिक बाद जिनकर लेखन मैथिली साहित्यमे आनि देलक पुनर्जागरण...

जगदीश प्रसाद मण्डल- एकटा बायोग्राफी...गजेन्द्र ठाकुर द्वारा (अनुवर्तते...)

 

ऐ रचनापर अपन मंतव्य ggajendra@videha.com  पर पठाउ।

 

गजेन्द्र ठाकुर

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२.गद्य







जितेन्द्र झा
राजेश्वर नेपालीक सातटा कृति विमोचित

पत्रकार तथा साहित्यकार राजेश्वर नेपाली लिखित ७ टा कृतिक एक्कहिबेर विमोचन कएल गेल अछि । राष्ट्रपति रामवरण यादव राष्ट्रपति भवन
, शीतल निवासमे आसिन १३ गते शनिदिन आयोजित कार्यक्रममे नेपाली लिखित पोथीसभक विमोचन कएलनि ।

पुस्तकसभ नेपाली
, मैथिली आ हिन्दी भाषामे अछि । जनकपुरमे रहि पत्रकारितामे सक्रिय नेपाली लिखित लोकतन्त्रको लालिमा आ विचारक्रान्ति नेपाली कविता संग्रह, गरिबको व्यथा नेपाली खण्डकाव्य, नव नेपाल हिन्दी कविता संग्रह, सोहागिन आ विचारक्रान्ति मैथिली कविता संग्रह आ क्रान्तिकारी सरयुग चौधरीको जीवनी विमोचित भेल । राष्ट्रपति रामवरण यादव राजेश्वर नेपालीक पत्रकारिता आ साहित्यिक योगदानके प्रशंसा कएने रहथि । नेपाली काँग्रेसक कृयाशील कार्यकर्ताक रुपमा प्रजातन्त्रक लेल संघर्ष करैत काल नेपालीक सँग बिताओल दिन राष्ट्रपति याद कएने रहथि ।

मिथिलाञ्चल क्षेत्रक विभूति
, शहिदके विषयमे पत्रिकामे लिखिकऽ जीवन्त रखबाक काज नेपालीक सराहनीय पक्ष रहल राष्ट्रपतिक कहब छलनि । साहित्य, पत्रकारिता आ राजनीति तीनू क्षेत्रमे नेपालीक दखल रहल कहैत राष्ट्रपति यादव हुनका बहुआयामिक व्यक्तित्वके संज्ञा देलनि । मिथिलाक पाबनि तिहार, ऐतिहासिक स्थल, आ विभिन्न महत्वपुर्ण राजनीतिक घटनाक विषयमे जानकारी लेबालेल नेपालीसँ सम्पर्क करैत छीराष्ट्रपति कहलनि ।

नेपालीक कृतिमे स्वच्छन्दतावादी चेतनाक प्रवाह भेल बात प्रा. कुलप्रसाद कोइराला कहलनि । डा.रामदयाल राकेश राजेश्वर नेपालीके पत्रकारक रुपमे मात्र नहि साहित्यकारके रुपमे सेहो सम्मान भेटबाक चाही ताहिपर जोड देने रहथि । प्राध्यापक कुलप्रसाद कोइराला विमोचित पुस्तकसभमे व्यावसायिक दृष्टिसँ किछु कमजोरी रहितो भाव बुझएबामे सफल रहल कहने रहथि । नेपाली लिखित मैथिली कृति अन्य भाषाक हुनके कृतिपर भारी पड़ल हुनक टिप्पणी छलनि । तहिना आशा सिन्हा
, पुरुषोत्तम दाहाल कृतिक विषयमे मन्तव्य व्यक्त कएने रहथि । रविन्द्र साह स्मृति प्रतिष्ठान, जनकपुरद्वारा आयोजित कार्यक्रममे वक्तासभ नेपालीक कृति सभमे समग्रमे सामाजिक चेतनाके उद्घाटित करबाक प्रयास भेल कहने रहथि ।
 
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कैलास दास
म्याराथन दौड़ आ जनकपुर

जनकपुरक रंगभूमी मैदानमे शनिदिन भेल म्याराथन दौड़ प्रतियोगिता एखन धरिक ऐतिहासिक आ प्रथम रहल अछि । आयोजकक अनुसार एहि प्रतियोगितामे २० देशक सहभागीक आमन्त्रण कएल गेल छल । मुदा १८ देशक खेलाडी सभक भीसा पास नहि भेलाक कारण भारत आ नेपालक ७५ जिल्लाक एहि प्रतियोगितामे मात्र सहभागी भऽ सकल ।
ओना जनकपुरक लेल बहुत पैघ प्रतियोगिता छल । आयोजकक अनुसार चारि महिना पहिले सँ एकर तैयारी भऽ रहल छल । मुदा शनिदिन प्रतियोगिताक सफलता भेटल । स्थानीयवासीसभ म्याराथनक खेलाडी सभकँे सडक पर दौड़ देखि कऽ ताली बजा स्वागत कएने छलथि ।
भोरे सँ नगरक सफाई सँगहि पुुलिस
, ट्राफिक आ एहिमे खटल स्वयं सेवक सभ व्यवस्थित करएमे जुटल छल ।
म्याराथन प्रतियोगिता तीन चरणमे बाटल गेल छल । फुल म्यराथन
, मिनी म्याराथन आ भेन्ट्रान्स म्याराथन । मिनी म्यराथनमे खास कऽ जनकपुरक स्कुल सभक धियापुता सभक सहभागीता छल । भेन्ट्रान्स प्रतियोगितामे ४० वर्ष उमेरक व्यक्ति सभक सहभागिता छल आ फुल म्याराथनमे नेपाल भारत सँ आएल खेलाडी सभक सहभागिता छल ।
फुल म्याराथन प्रतियोगिता ४२ किलोमिटरक धरि छल । जनकपुरक रंगभूमि मैदान सँ प्रारम्भ भेल दौड़ ढल्केवर पहुँच कऽ फेर सँ जनकपुर आएल छल । मिनी म्यराथन प्रतियोगिता जनकपुरक रिङ्ग रोड कायम कएने छल । ई दौड देखबाक लेल नगर भितर स्थानीयवासी सभक भीड छल तऽ जनकपुर ढल्केवर सडकखण्डमे पुलिस स्वयं सवेक मात्र नहि एहि क्षेत्रक ग्रामीण जनता सभ उत्साह पूर्वक सडकक कातमे ठाढ़ भऽ खेलाडी सभकेँ ताली बजा कऽ स्वगत कएने छल । बीच बीचमे खेलाडी सभक लेल पानिकँे सेहो व्यवस्था छल ।
फुल म्याराथनमे प्रथम होबएवलाकँे ५० हजार
, दोसर होबएवला २५ हजार आ तेसर होबएवला १० हजार पुरस्कार देल गेल अछि । तहिना मिनी म्याराथनमे प्रथम होबएवलाके १० हजार, दोसर होबएवलाके ५ हजार आ तेसर होबएवलाके ३ हजारक पुरस्कार देल गेल अछि । भेन्ट्रान्स म्याराथन विजेताक लेल प्रमाणपत्र देल गेल अछि ।
कोनो खेलाडीक लेल पुरस्कार सँ महत्वपूर्ण हुनक प्रतिभा पर देश आ समाज गौरवान्वित होइत अछि । शनिदिन भारत आ नेपाल बीच भेल खेलमे नेपाली खेलाडी मात्र विजयी भऽ सकल अछि । एहि सँ अनुमान लगाओल जा सकैया जे एखनो नेपालक मधेशमे भावी खेलाडी सभ अछि । मुदा हुनका सभक अवसर नहि भेटलाक कारण ओ सभ अपन प्रतिभा देखाबए सँ वञ्चित होइत आएल छथि ।
स्वास्थ्यए जीवन अछि आ स्वस्थ्य रहबाक लेल खेलकुदक विकास आवश्यक अछि । एकटा कहावत अछि जे जतए कला सँस्कृति आ खेलक विकास होइत अछि ओतए पूर्ण स्वास्थ्य वातावरणक विकास होइत अछि । तएँ कहल जाए तऽ म्याराथन प्रतियोगिता सँ एतुका धियापुताकँे मात्र नहि सम्पूर्ण नगरवासीक लेल गौरवक विषय छल । एहिमे सहयोग करएवला सभक धन्यवाद आवश्य देबहेटा पड़त ।
म्याराथन प्रतियोगिता जाहि रुप सँ व्यवस्थित होएवाक चाहि ओ तऽ नहि भेल मुदा आयोजकक प्रयासकँे सेहो धन्यवाद देबहे पड़त । शनिदिन ऐतिहासिक धरोहर रंगभूमि मैदानमे खेलाडी सभक उत्साह आ उमंग सँ खचाखच भडल छल । खास कऽ कहल जाए तऽ स्थानीय बालबालिका जखन दौड रहल छल ओकरा पाछू हुनक अभिभावक सेहो देखिकऽ बड खुशी व्यक्त करैत छल कि जीत मात्र सफलता नहि होइत अछि । कम्तिमे एहि प्रतियोगितामे भाग लेबाक लेल अवसर तऽ भेटल ।
मिनी म्याराथन प्रतियोगिताक सहभागी विद्यार्थी सभक अखन धरि किताब आ टिवीमे मात्र देखि कऽ कल्पना कएने होइतो मुदा शनिदिन जखन स्वयं सहभागी भेल तऽ हुनका सभक एकटा सिख भेटलन्हि जे हमहँु सभ आबएवला दिनमे जीतक सफलताक प्रयास करी ।
ई प्रतियोगिता सँ जनकपुर धार्मिक पर्यटकीय सँगहि खेलकुदक एकटा भूमि सेहो अछि सन्देश दऽ रहल अछि । ओना एहि प्रतियोगिताक सफलतामे साथ देने सम्पूर्ण युवा क्लव
, संघ संस्था सहितक व्यक्ति सभक धन्यवाद नहि एहि सँ पैघ काज करवाक उम्मिद रखवाक अपेक्षा करैत छी ।


 
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कामिनी कामायनी
कलंकित चान

ओ टूहटूह इजोरिया . . सम्पूर्ण आकाश पर पूर्ण चंद्रक एकाधिपत्य. .दूर दूर धरि ठहक्का मारैत चॉदनी।नीचाधरती पर शीतल अमृतक धार .. ।ओहि निरमल धार सॅ सींचल गाछ . बिरीछ .खरिहान. दलान . .. बाडी झाडी .. ।पूबरिया बाडी मे पतियानी लागल केरा के गाछ .. मे लटकल घौंद .. .नीचा आलू के फसील .. . ओही इजोरिया राति मे सब किछु एक दम फरिच्छ देखाए पडैत छल ।
शंभु बाबू के भरि भरि रात नीन्न नै होबैत छलैन्ह. . चारि दिन पहिनहि जेहल सॅ छुटि कआयल छलाह .. .अंगरेजक जमाना. . क्रांतिकारी सब के घातक अपराधी मानि लोमहर्षक यातना देल जाए. दुनु टांग बान्धि कटेबुल पर राखि ओ मोटका हंटरक मारि .. .. दनादन . .बेहोश सेहो नै रहै दे. . पानि पिया पिया कहोश मे आने . .पानियो भरि छांक नै पीबै दै .. घोंट भरि दैत गिलास झीक लैक़ . पानि पीयाबए बला .. हंटर बरसाबए बाला सब स्वदेशी .। .मात्र एक गोट. . ललका मूॅह वाला बिलाडि के ऑखि वाला . .अफसर अंगरेज़ ।. .. ओ प्रताडना ओ कष्ट .. सात दिन कोना एकांत वास .. ई सब हुनक दिमाग के भॅभोरि कराखि देने छल. .तओहि मे सुखद सुमंगल नीन्न कप्रवेश हो तकोना हो ।
ओ पीडादायी .. एकाकी जीवन सॅ बचबा लेल लोक पैलवार आसमाजक निर्माण कएने अछि. ।किएक तओ सामाजिक प्राणी अछि ।किछु मे तलागल रहैत अछि जा धरि धरती पर रहैत अछि। स्वराज्य कलेल लडय वला के उद्देश्य सेहो सएह छल नै कि अपन समाज पर अपन बनाओल कानून के मध्य जीवन यापन करब . .ई विदेशिया सब हक गुलामी आअत्याचार किएक सहब ।हॅ .. नीन्न नैं अबैन्ह तमोन दुनिया जहानकखोंचि खॉचि मे ओझरा जाएन्ह ।
ई भरिपोख इजोरिया के आनंद .. . .. ।अपन दलान पर ओ एसगरे नै सुतैत छलाह . .चारि टा खटिया आपॉच टा चौकी आओर बिछैल छलै. . सब पटोपट .. .नीन्न कजादूगरनी खाली हिनके लग नहिं आबि रहल छल ।मोन भेलैन्ह. . .बिछौन सॅ उठि करस्ता पर टहली. . आलस लगलैन्ह. . . ..मोन अपन खुरलुच्ची पन मे लागल. . नचबैत रहल बडी काल धरि. . ।जखन लग्घी लगलैन्ह. . तउठैए पडलैन्ह. . ।दलान कठीक सोझॉ रस्ता छलै आतकरा लगले हुनकर आ माझिल भायक खरिहान. .. . .सात भायक भैयारी मे बखरा बॉट हाले मे भेल रहे. . पहिने तसाझीए छलैथ सब कियो. . मेल जोल पूर्ववत ..बीच मे रस्ता खरिहान आदुनु कात सबहक पोखरा पाटन घर दुआरि. . .।बडका भायक घराडी . .पूबरीया बाडी के दहिन .. बाम कात भालसरिक . . आम लताम .कागजी नेबो अररनेबा क मध्य मे मुस्कैत कदंबक गाछ ठाढ़ । अहि टूह टूह इजोरिया मे सब किछु ओहिना चमकैत देखाय पडि रहल छल ।मौसम कनि सर्दियाय लागल छलै. . कनि कनि धुऑ धुऑ सन . .सेहो लगैक़ . मुदा ई धुॅआ सेहो पघिलल चानी सन लगैक।खरिहानक दॉया कात गोहाली. .एक कोठरी मे चारू गाय पागुर करैत दोसर मे बरद चारू. . मूॅह तकैत बैसल. . लग पास के चार सब पर सजमनि कदीमा भथुआ . के लत्ती छारल . ..सब टा मिल कबड सुन्नर दृश्य उपस्थित करैत छल . .।एकरे सब के निहारैत निहारैत औचक हुनक धियान. . कदंबक गाछ तरि ऊज्जर नूआ मे बुलैत स्त्री पर पडलैन्ह .. एक छन के लेल देह करोईयॉ रोईया ठाढ भगेलन्हि. . . . किंस्यात कोनो चुडैल. . पिशाचिन .. .ओहिना बाट पर ठाढ दम सधने ओ नाशै रोग हरै सब पीडा. . .सुमिरैत ओकरे परनजरि गडौने रहला ।नैं बड लाम नै बड छोट. . मध्यम कद काठी के . . .देखैत देखैत. . कदंबक गाछ तरि जाकए विलिन भगेलए. .।सब टा भूतक सुनलाहा खिस्सा मोन पडए लगलैन्ह।अहि टोल मे . .सैझला भायक पुतौह सोईरीए मे मूईल छलिह. .चिल्का जीबैत रहि गेल छल. . ।लोक कहै .. एहेन स्त्री के आत्मा अपन बच्चा पर लागल रहै छै. . ओ ओकरा पर झपट्टा मारए के फेराक मे राति भरि अहुरिया कटैत रहै छै . .।कियो कियो कदंबक गाछ तर अधरतिया मे कानब के स्वर सेहो सुनैक़. ।कियो . .बाडी मे .. पोखरिक महाड पर केश छिटकौने नचैत सेहो देखै. . मुदा नेने सॅ क्रान्तिकारी आदमी. .हुनका अहि सब पर कहियो विसबास नै भेलन्हि. . तखन ज्ञात जगत सॅ बेसी रहस्यमय अज्ञात लोक अछि. . । मुदा ओ तबीसीये.ा बरख पहिनुक्का खिस्सा अछि ।कनिए काल मे एक गोट लमगर पुरूख सेहो दृष्टिगोचर भेल रहे. .ओहो ओहि कदंबक गाछ तरि विलिन. . ओहि गाछक पिछुआति मे बडका गाछी छलै. . ।ओ चौंकला . .एहेन लीला तओ भूत परेतक कहियो नहिं सुनने छलैथि. . अहि गंभीर चिंता मे डूबल छलाह कि कखन नीन्न आबि दबोचलकैन्ह . नहिं पता ।बडका मोटका लोहा के हथकडी . . .हंटर. . आ ..लोम हर्षक चित्कार . कियो हुनक टांग झीक रहल छल. . ड़रौन स्वप्न सॅ घबडाकओ ऑखि खोलला. तफरिच्छ भगेल छलै. . खुभिया खबास. .आबि क हुनक पएर जॉति रहल छल .।
ओकरा संगे अपन खेत पथार गाछी देखैत . ..ओ रतुका प्रसंग उठौलाह . .मस्तिष्क मे बाध बोन के स्थान परवएह घुमि रहल छल ।खुभिया बड बुधियार. .एक एक आखर सोचि समझि कबाजए बला . .आज्ञाकारी सेहो . .हुनके समवयस्क .. .ओकर पूरा खानदान हुनके सबहक रैयत . .।रतुका प्रसंग पर ओहो अपन अकिल लगबैत चुडैल . .राकसक गप के समर्थन कएने छल ।
दुपहरिया मे ओ अपन दलान सॅ टहलैत बुलैत . . खरिहान. . पूबरिया बाडी के नांघैत. . कदंबक दिस गेला .. ओ तबडका कका के घरक पछुऔत छल . .दलान तहुनक दलान सॅ सोझे देखान्हि .. मुदा घर खरिहान क ऊत्तर बारी मे बनल गोहाली सॅ झॅपा जाए छलै. कदंबक गाछ दिस एकदम एकांत .. ऊम्हर राहडि सॅ भरल खेत. . इम्हर ओम्हर केरा के ढेर रास गाछ .. . . . नीचा जमीन एकदम साफ़ . .एकदम अड ।दिनों मे कियो नुकैल लोक के देख नहि सकैत छल .. .।आअहि गुनथुन मे सुरूज महाराज अपन सातों घोडा के हॉकैत हाफैत . .अपस्यात भेल . पच्छिम क्षितीज पर अस्त होयबाक ओरियौन करि रहल छला ।.अपन . सुवर्णमयी रश्मि के खिहारि खिहारि क पकडैत अन्ततः अस्तगामी भेला ।ताहि समय मे सूरूज डूबबा सॅ पहिनहीए घरक चार सॅ उठैत धॅू स्वच्छ आकास के मलीन करए लागै. . ई धूॅआ कतै पैघ संकेत छलै समाज मे . .।जांै केकरो घर सॅ एकोदिन धूॅआ नै निकलै. . पडोसिया स हजो पीसी तुरंत टोकि दै.थ . आय यै . .अहॉ के घर मे काल्हि चूल्हि नै जरल की . .।आ ओ गिरहस्थिन डब डब भरल ऑखि सॅ नीचा तकैत नहूॅ नहूॅ बाजि उठे कि कहै छथीन . .बहिन. . . घर मे एक टा दाना नै छै. . धिया पुत्ता सब के बाडी झाडी सॅ लताम तोडि कदेलियै. . .हिन्कर मोन खराप छन्हि . .केना की करीयै . .किछु नै फुरैत अछि. ।’ “ अ‍ॅ यै हमरा अछैत अहॉ उपास पडब . . .सुइद मूर लगा कदेब जहिया हैत. आय ई पसेरी भरि अन्न राखू .।तुरंत चूल्हि पजरि जाए ।
सांझे सकाले खा पीबी कपुरूष पात अपन अपन दलान धलैथ छलैथ .।स््रत्रीगण कराज तघरे अांगन टा मे. . .छहरि देबार कभीतर ओ सब शेरनी .बीर बंकाडा ..।मुदा जखने घर सॅ बाहरि के कोनो काज पडै. . तहोश हवास गुम. .तखन पॉच बरखक पुरूष बच्चा से हो हुनका सब पर भारी पडय लागै. . ।पुरूषक एतेक वर्चस्व एहै जे . .स्त्री की गाछ बिरीछ सेहो डरे थरथर कॉपै ।स्त्री आपुरूष के गिरहस्थी रूपी गाडी के दूनू पहिया मानल गेल अछि . तखन दूनू मे एतेक विभेद किएक़ . .शंभू बाबू स्त्री शिक्षा के पक्षधर छलाह .. . . .ओ राजा राम मोहन राय . .केशव चन्द्र सेन. . गॉधी. .नेहरू सॅ विशेष प्रभावित छलाह .हुनके सह पर सम्पूर्ण परोपट्टाके स्त्रीगण तकली :टकुआः आ चरखा पर सूत काटि कदैन्ह आओ मधुबनी जा कए खादी भराड मे जमा कदैथ. . ओही ठाम सॅ बांग .. :तूर : आनि कसेहो वएह देथ ।घर पैलवार के सबसॅ छोट भाय. .हुनकर गप गॉधी जी सुनने छलथि. . पंचकोशी के क्रान्तिकारी जुवक सब सुनै छल. .बहिन ..भौजाय. . भतीजी सब के चिठ्ठी पतरी लिखए जोगर पढाय वएह करौने छलथि .।
राति आयल ।फेर वएह उछन्नर .. नीन्न हुनक लग पास आबि के सब के बेसुध करि दै. . मुदा हिनका छकाबए लागैन्ह. . ।निशा रात्रि . .. चारहु कात. .सुन मसान . बाध बोन सॅ नढिया .गीदडि . .कूकूर क कानब. भौंकब ।वएह टूह टूह इजोरिया .. फेर सॅ आकाश देवी धरती परअपन अमृत घट ऊझीलबा लेल उत्सुक . . .शीतल बयार बहय लगलै. . ।आई कहबी जे अद्र्व रात्रि मे भूत प्रेत भ्रमण करैत रहै छै. . हुनका बड अनसोहॉत लागैन्ह . .।ई तब्रम्ह सॅ साक्षात्कार करबा कमुर्हूत अछि ।मोन अहिना बऊआबैत ढहनाबैत .. . .अ‍ॅखि के अपना संग नेने ओही कदंबक गाछ तरि स्थिर भेल ।रतौंधी बला बुढबा चौकीदरबा के स्वर से हो बन्न भगेल छलै।मुदा आय कोनो परि वा चुडैलएखन धरि नहिं आयल छल ।
हुनका भेलन्ह किंस्यात भ्रम भेल होयन्हि । . .एहेन पवित्र जगह मे .. कदंब .केरा .नेबो लग कतो ओहेन ओहेन अतृप्त आत्मा भटकै । आकाश मे पितडिया थारी जकॉ पूर्ण शशि अपन हास परिहास मे लागल छल .दुधिया चांदनी. .बरैक बरैक कओस बिन्दु के रूप धरि थारी सॅ खसैत रहल छल . .।आब हुनक धियान सबहक दलान .चार .. खपडैल . .कोठा खरिहान गाछ बिरीछ
सॅ ढनमनाइत. . .लग पास मे सूतल चारि टा खाट आपॉच टा चौकी पर सूतल पैघ भाय आबेटा भातीज सब सॅ निकसि विधु प
पडलन्हि कतेक सुन्नर . . जेकर सहोदर बिष हुए. जे खारा पानि सॅ उत्पन्न . .अशांत उद्विघ्न जननी के कोखि सॅ एहेन शीतल सुन्नर संतान के जन्म . .कुदरत वा ईश्वर. . अपरंपार हुनक लीला ।चरखा चलबैत झूकल बुढिया जेना इसारा सॅ हुनका दिस सोमरस फेंकलकैन्ह. . ओ लोकि कपीने छलाह. . .।टुन टुन. . छमछम . .अप्सरा . .नाचि रहल अछि. . इन्द्रक दरबार मे. . घूॅघरू आतबला के जुगलबन्दी. . वाह वाह .. अप्सरा जीत रहल अछि .. झन झनन . .झन .. नीन्नटूटि गेलन्हि. . परात भगेल छलै. . .बरदक गरा मे बान्हल छोट छोट घंटी बाजि रहल छल. .कत्तो कियो पराती गाबि रहल छल. .।खुभिया आय हर जोतय लेल बरदक सेवा मे अन्हारे सॅ लागि गेल छल ।नींमक ठारि नमा कदतमनि तोडला आओहो खुभिया संगे भमरा बाला खेत पहुॅचला
एतेक चाकर चौरस खेत अहि चऽऽर मे ककरो नैं छै भायजी ।खुभिया जहन कहलकै .. तओ गॅहिया कचारूकात हेरए लगला. . गौरव सॅ हुनक सीना आओर चौडा भगेल छल ।खेतक कनिए कात सॅ बडका नदी के धार बहै छलै .. ..मुदा ओहि दिस सॅ ओय खेतक लेल .. कोनो विघ्न नैं छलै. . माटि कटबा के कोनो भय फिलहाल तनहिए छल ।लहलह करैत धान अगहन्नी. . ।किछु आओर अपन खेत घुमए लेल दूर दराज मे देखाए पडि रहल छल ।पहिनुका जमाना .बॅटेदार सब सेहो ईमान बाला. . मालिकक घरक भले पॉच बरखक बच्चे किएक नै ठाढ होय. .. हुनका परोछ मे.. कटनी नै करै ।एक एक टा खेत सोना उपजै छलै सोना . .सबहक दलान पर पुआरक बडका बडका टाल .. . . किछु के बडका बडका बखारी सब दूरे सॅ झलकै. . अन्न पानि राखए लेल. . माटिक कोठी तघरे घर छईए छल ।छोट सॅ छोट जमीन बाला के साल भरि कफसल तनिकलिए जाए । जखन भूतही बलान मे बाडि आबै तै बरख ततबाही मचबे करैक ।ओना कृषि प्रधान समाज मे गामक सबलोकक पेट तभरिए जाए .. ओय समे के जाए छलै कमाबए लेल परदेस. . ताहू मे तिरहुतिया सब .. बड कम . .. ।हॅ आन आन जगह के लोग तताहू समय मे त्रिनिदाद. . मॉरिशस. . कत्तएकहॉ नै जाए .. आ जौं लोक गेलो हेताह तहुनक भत्र्सने भेल हेतन्हि तत्कालिन समाज मे. . ।किछु पंडित सब .. बंगाल चलि गेला. . किछु आगरा. काशी .जयपुर आदि आदि जगह .. मुदा तखन हुनक भॉति भॉतिक कपोल कल्पित खिस्सा जन साधारणक मनोरंजन सेहो करैक ।
धीरे धीरे अंधेरिया राति होमय लगलै .. आब दृष्टि ओतेक ताकतबर नहिं लगै .. चारहू कात घुप्प अन्हार. . सबहक दलान पर मद्विम करि कजरैत लालटेम . ..पन्दरह दिन धरि प्रकृति के लटारम अहिना चल्ौत रहल .. आकास मे चमकैत .. कोटि कोटि तरेगन. . .फेर इजोरिया आबए लेल जोर मारए लागल छलै. ।अध रतिया ककनिक टा के चान आबि धरती के छबि निहारए लागै । आय राति मे . . . .जखन ओ गायत्री जप करैत बैसल छलाह .. फेर देखैत छथि. . अहि बेर स्त्री के माथ पर नूआ नै बडका बडका झमटगर केश. . .ओ बडका कका के दलान दिस बढल मुदा फेर ओ कदंबक गाछ दिस मुडि गेल. .।कनिए काल मे .. एक गोट लमगर पुरूष . .बडका कका के दलान सॅ उतरि धड झुकौने ओहि कदंबक गाछ मे विलिन भगेल ।
अकस्मात हुनक मस्तिष्क मे कौंधलन्हि ई तकाशी थीक बडका कका के पूत. . . .मुदा ओ स्त्री . . .ओ . .. के .. . ्र.।आ अही प्रश्नक उत्तर प्राप्त केनाय हुनका लेल अंगे्रज के देश सॅ खदेडनाय सॅ बेशी आवश्यक बुझाय पडय लागल छलैन्ह ।एक मोन भेलैन्ह जे पएर दाबि कएकर पछोर धैल जाए . .. . मुदा दोसरे छन अपन छुद्र विचार पर हुनका ग्लानि भेलन्हि ।नीक बेजाए . .पाप पुण्यक तत्व मीमांसा मे पौडैत हुनका ओंघी धरि दबोचलकन्हि ।
कएक दिन धरि बडका बडका केस हुनक मोन के ऊनक बडका गुच्छा जकॉ ओझरेने रहलन्हि . .ककरा सॅ पूछि. . .कोना की सोचतै लोक़ . ।मुदा नहि रहल गेलन्हि तभोजन समाप्त केला के बाद आने माने सॅ ज्योतिषक खिस्सा सुनबैत बजलैथ स्त्री के बडका बडका केस. . डाढ सॅ नीचा . .ओकरा राजरानी बनबै छैक़ . ।अहि प्रसंग प. भॉति भॉति के मुॅह बिचकबैत. . हुनक . .गृहस्वामिनी बजलीह ऐंऽऽऽऽऽऽऽऽऽह अंगोरा . . .बडका कका जे बूढ मे छौडी बियाहि कअनने छलथि. . से तबरकेसा रानी अछि. . ड़ाढ सॅ नीचा नागीन जकॉ लहरैत मोटका जुट्टी. . .मुदा राजरानी के कोनो लच्छन तनहिं देखाय पडलै ककरो ।सोलहम बरख होईत होई त कका के सेहो सुरधाम पठा देलकन्हि ।एक टा मुसरी धरि के जनम नहिं दसकलै बेचारो. ..जीब रहल छथि सतवा पूत आपूतौहक नौडी बनि ।कत्तेक गंजन करै छन्हि .. सनतीया के माए. . ।बस . . .हुनका सूत्र वाक्य भेंट गेल छलैन्ह ।
जड काल नीक जकॉ सुरू भगेल छल. . मोफलर सॅ कान बन्हने. . मोटका चद्दरि ओढने . . बाध मे बूलैत काल खुभीया सॅ बजला. ऐं रौ. . . .हमरा टोल मे भूत आचुडैल कखेल कोना संभव छै .. . .. ई यज्ञ भूमि. . . हमर बाबा परबाबा कतेक रास यज्ञ .हवन पूजा पाठ केन्ो छलैथ एतय .. ।खुभिया गुमसुम . .माथ झुकौने धार क पानि मे उमकैत माछ सबके हेरैत रहल छल ।कनि काल बिलमि कबाजल भायजी . . .जौं अहॉ सराप नै दी आखराप . नै मानी तएक टा एकान्ति हमरो आहॉ सॅ करबा के लालसा छल ।’ ‘केहेन गप करए छ .. तोरा एहेन लोकके आय धरि कियो गारि वा सराप तकात जाओ कियो रे कारो करि कबाजल छ. . तू अपने एतेक बुद्वियार. . पैघ छोट के आदर करए वला . .एहेन विचार तोरा मन मे कोना एलो .. तू तहमर सबस बिसबासी लोक छ . ।बड गहीड सॉस खीचैत बाजल. . मुदा ई गप जौं तेसरा के कान मे जेतै. . तहमर सबहक जीबन परलय भ जेतै ।’ “नै नै. . हे ले. .हम अप्पन जनेऊ के सप्पत खाए छी ..तेसर कान मे तहमरा मुॅह सॅ नहिए जयतौ. . ।’ “भायजी. . हमर आंगन बाली बडका कका के घराडी पर काज करै छै .. . एक दिन बडकी काकी ओकरा सप्पत दपेट गिराबए के दबाय दोसरा गाम के एक टा बैद सॅ म्ांगबौलखिन्ह .. ।आई कहलखिन्ह जे जौ कियो जानत तहम जहर माहूर खा कमरि जाएब . .आई पाप तोरे माथ पर जेतौ .. तोहर बाल बच्चा परजेतौ. . ।हम तओहि दिन बुझि गेल रहिए .. .मुदा डरे हम की बजितौं . .कासी बाबू सेहो आबि कहमरा दूनू परानी के धमका कगेल छलखिन ।ओ ठक बक जकॉ कतेक काल धरि खुभिया के देखैत ठाढ रहि गेल छला. . ।सम्पूर्ण शरीर मे अजीब सनक प्रकंपन होमए लागल छल्ौन्ह. . .. ।असक्त भखेतक आरि पर बैस रहल छला।
बडका कका के ई चारिम विवाह छलैन्ह. . . दू टा स्त्री ततेसर आचारिम प्रसव काल मे वीर गति के प्राप्त कएने छलथि . .तेसर के बाप अपन बेटीके सासुर के मूॅहे नहि देखए देलखिन्ह .. तीनो नाति भगिनमान बनि कमातृके मे रहि गे ल छला ।
. .ई चारिम . .पचास बरखक वय मे. . . ओ एकर पुरकस जोर लगा कविरोध कएने छला . .तवृद्वजन हुनका दबाडि देने छलथि . . तौं त राति दिन गॉधी .. चर्चिल . .चाऊ करैत करैत अंगरेजी विद्या पढि अंगरेज भचुकल छ।आहि रे बा . .अहि मे हर्ज की. . . घोडा आपुरूष कहियो बूढ होय छै. . जखन समाज मे बहू विवाह प्रचलित छैक . चारू कात तुरूकक राज . .ओही कुकर्मी सबहक हाथ सॅ अपन स्त्री सब के बचेनाय . .अपन जाति बचेनाय हमर सबहक कत्र्तव्य थीक . .तअहि मे अहींके किएक दोष बूझि पडैत अछि. . सबसॅ बेसी अक्कीलगर अहीं छी।निरधनक बेटी के एक टा आश्रय भेट जेतै. . ।हॅ आश्रय तअवश्य भेट गेल रहै. . भरि जीवनक लेल. . भले बारह बरखक कन्या पचास बरखक बर. .।छल . .छदम . .व्यभिचार . .शोषण. . स्त्री के जीवन के जोंक जकॉ ग्रसित कएने अछि ।नारी मुक्ति के लेल ओ किछु नहि कए सकला .।
किछु काल क बाद हुनक नजरि ऊपर आकास मे अटकल . .जतए ओए दिन बडका चान छल . .अखन दिवाकर महाराज स्थापित छैथ।मुॅह सॅ निकलि गेलन्हि. “ .कमजोर चान कलंकित अछि कि प्रचंड शक्तिमान भानु .. ।। इति।।
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पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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