भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Saturday, September 15, 2012

'विदेह' ११३ म अंक ०१ सितम्बर २०१२ (वर्ष ५ मास ५७ अंक ११३) - PART XIV



 विदेह नूतन अंक भाषापाक रचना-लेखन  

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१.भारत आ नेपालक मैथिली भाषा-वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली  २.मैथिलीमे भाषा सम्पादन पाठ्यक्रम

१.नेपाल  भारतक मैथिली भाषा-वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली

१.१. नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक
  उच्चारण आ लेखन शैली
(भाषाशास्त्री डा. रामावतार यादवक धारणाकेँ पूर्ण रूपसँ सङ्ग लऽ निर्धारित)
मैथिलीमे उच्चारण तथा लेखन

१.पञ्चमाक्षर आ अनुस्वार: पञ्चमाक्षरान्तर्गत ङन एवं म अबैत अछि। संस्कृत भाषाक अनुसार शब्दक अन्तमे जाहि वर्गक अक्षर रहैत अछि ओही वर्गक पञ्चमाक्षर अबैत अछि। जेना-
अङ्क (क वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ङ् आएल अछि।)
पञ्च (च वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ञ् आएल अछि।)
खण्ड (ट वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ण् आएल अछि।)
सन्धि (त वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे न् आएल अछि।)
खम्भ (प वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे म् आएल अछि।)
उपर्युक्त बात मैथिलीमे कम देखल जाइत अछि। पञ्चमाक्षरक बदलामे अधिकांश जगहपर अनुस्वारक प्रयोग देखल जाइछ। जेना- अंकपंचखंडसंधिखंभ आदि। व्याकरणविद पण्डित गोविन्द झाक कहब छनि जे कवर्गचवर्ग आ टवर्गसँ पूर्व अनुस्वार लिखल जाए तथा तवर्ग आ पवर्गसँ पूर्व पञ्चमाक्षरे लिखल जाए। जेना- अंकचंचलअंडाअन्त तथा कम्पन। मुदा हिन्दीक निकट रहल आधुनिक लेखक एहि बातकेँ नहि मानैत छथि। ओ लोकनि अन्त आ कम्पनक जगहपर सेहो अंत आ कंपन लिखैत देखल जाइत छथि।
नवीन पद्धति किछु सुविधाजनक अवश्य छैक। किएक तँ एहिमे समय आ स्थानक बचत होइत छैक। मुदा कतोक बेर हस्तलेखन वा मुद्रणमे अनुस्वारक छोट सन बिन्दु स्पष्ट नहि भेलासँ अर्थक अनर्थ होइत सेहो देखल जाइत अछि। अनुस्वारक प्रयोगमे उच्चारण-दोषक सम्भावना सेहो ततबए देखल जाइत अछि। एतदर्थ कसँ लऽ कऽ पवर्ग धरि पञ्चमाक्षरेक प्रयोग करब उचित अछि। यसँ लऽ कऽ ज्ञ धरिक अक्षरक सङ्ग अनुस्वारक प्रयोग करबामे कतहु कोनो विवाद नहि देखल जाइछ।

२.ढ आ ढ़ : ढ़क उच्चारण र् हजकाँ होइत अछि। अतः जतऽ र् हक उच्चारण हो ओतऽ मात्र ढ़ लिखल जाए। आन ठाम खाली ढ लिखल जएबाक चाही। जेना-
ढ = ढाकीढेकीढीठढेउआढङ्गढेरीढाकनिढाठ आदि।
ढ़ = पढ़ाइबढ़बगढ़बमढ़बबुढ़बासाँढ़गाढ़रीढ़चाँढ़सीढ़ीपीढ़ी आदि।
उपर्युक्त शब्द सभकेँ देखलासँ ई स्पष्ट होइत अछि जे साधारणतया शब्दक शुरूमे ढ आ मध्य तथा अन्तमे ढ़ अबैत अछि। इएह नियम ड आ ड़क सन्दर्भ सेहो लागू होइत अछि।

३.व आ ब : मैथिलीमे क उच्चारण ब कएल जाइत अछिमुदा ओकरा ब रूपमे नहि लिखल जएबाक चाही। जेना- उच्चारण : बैद्यनाथबिद्यानबदेबताबिष्णुबंशबन्दना आदि। एहि सभक स्थानपर क्रमशः वैद्यनाथविद्यानवदेवताविष्णुवंशवन्दना लिखबाक चाही। सामान्यतया व उच्चारणक लेल ओ प्रयोग कएल जाइत अछि। जेना- ओकीलओजह आदि।

४.य आ ज : कतहु-कतहु क उच्चारण जकाँ करैत देखल जाइत अछिमुदा ओकरा ज नहि लिखबाक चाही। उच्चारणमे यज्ञजदिजमुनाजुगजाबतजोगीजदुजम आदि कहल जाएबला शब्द सभकेँ क्रमशः यज्ञयदियमुनायुगयावतयोगीयदुयम लिखबाक चाही।

५.ए आ य : मैथिलीक वर्तनीमे ए आ य दुनू लिखल जाइत अछि।
प्राचीन वर्तनी- कएलजाएहोएतमाएभाएगाए आदि।
नवीन वर्तनी- कयलजायहोयतमायभायगाय आदि।
सामान्यतया शब्दक शुरूमे ए मात्र अबैत अछि। जेना एहिएनाएकरएहन आदि। एहि शब्द सभक स्थानपर यहियनायकरयहन आदिक प्रयोग नहि करबाक चाही। यद्यपि मैथिलीभाषी थारू सहित किछु जातिमे शब्दक आरम्भोमे केँ य कहि उच्चारण कएल जाइत अछि।
ए आ क प्रयोगक सन्दर्भमे प्राचीने पद्धतिक अनुसरण करब उपयुक्त मानि एहि पुस्तकमे ओकरे प्रयोग कएल गेल अछि। किएक तँ दुनूक लेखनमे कोनो सहजता आ दुरूहताक बात नहि अछि। आ मैथिलीक सर्वसाधारणक उच्चारण-शैली यक अपेक्षा एसँ बेसी निकट छैक। खास कऽ कएलहएब आदि कतिपय शब्दकेँ कैलहैब आदि रूपमे कतहु-कतहु लिखल जाएब सेहो क प्रयोगकेँ बेसी समीचीन प्रमाणित करैत अछि।

६.हिहु तथा एकारओकार : मैथिलीक प्राचीन लेखन-परम्परामे कोनो बातपर बल दैत काल शब्दक पाछाँ हिहु लगाओल जाइत छैक। जेना- हुनकहिअपनहुओकरहुतत्कालहिचोट्टहिआनहु आदि। मुदा आधुनिक लेखनमे हिक स्थानपर एकार एवं हुक स्थानपर ओकारक प्रयोग करैत देखल जाइत अछि। जेना- हुनकेअपनोतत्कालेचोट्टेआनो आदि।

७.ष तथा ख : मैथिली भाषामे अधिकांशतः षक उच्चारण ख होइत अछि। जेना- षड्यन्त्र (खड़यन्त्र)षोडशी (खोड़शी)षट्कोण (खटकोण)वृषेश (वृखेश)सन्तोष (सन्तोख) आदि।

८.ध्वनि-लोप : निम्नलिखित अवस्थामे शब्दसँ ध्वनि-लोप भऽ जाइत अछि:
(क) क्रियान्वयी प्रत्यय अयमे य वा ए लुप्त भऽ जाइत अछि। ओहिमे सँ पहिने अक उच्चारण दीर्घ भऽ जाइत अछि। ओकर आगाँ लोप-सूचक चिह्न वा विकारी (’ / ऽ) लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : पढ़ए (पढ़य) गेलाहकए (कय) लेलउठए (उठय) पड़तौक।
अपूर्ण रूप : पढ़’ गेलाह’ लेलउठ’ पड़तौक।
पढ़ऽ गेलाहकऽ लेलउठऽ पड़तौक।
(ख) पूर्वकालिक कृत आय (आए) प्रत्ययमे य (ए) लुप्त भऽ जाइछमुदा लोप-सूचक विकारी नहि लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : खाए (य) गेलपठाय (ए) देबनहाए (य) अएलाह।
अपूर्ण रूप : खा गेलपठा देबनहा अएलाह।
(ग) स्त्री प्रत्यय इक उच्चारण क्रियापदसंज्ञाओ विशेषण तीनूमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : दोसरि मालिनि चलि गेलि।
अपूर्ण रूप : दोसर मालिन चलि गेल।
(घ) वर्तमान कृदन्तक अन्तिम त लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : पढ़ैत अछिबजैत अछिगबैत अछि।
अपूर्ण रूप : पढ़ै अछिबजै अछिगबै अछि।
(ङ) क्रियापदक अवसान इकउकऐक तथा हीकमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप: छियौकछियैकछहीकछौकछैकअबितैकहोइक।
अपूर्ण रूप : छियौछियैछहीछौछैअबितैहोइ।
(च) क्रियापदीय प्रत्यय न्हहु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : छन्हिकहलन्हिकहलहुँगेलहनहि।
अपूर्ण रूप : छनिकहलनिकहलौँगेलऽनइनञिनै।

९.ध्वनि स्थानान्तरण : कोनो-कोनो स्वर-ध्वनि अपना जगहसँ हटि कऽ दोसर ठाम चलि जाइत अछि। खास कऽ ह्रस्व इ आ उक सम्बन्धमे ई बात लागू होइत अछि। मैथिलीकरण भऽ गेल शब्दक मध्य वा अन्तमे जँ ह्रस्व इ वा उ आबए तँ ओकर ध्वनि स्थानान्तरित भऽ एक अक्षर आगाँ आबि जाइत अछि। जेना- शनि (शइन)पानि (पाइन)दालि ( दाइल)माटि (माइट)काछु (काउछ)मासु (माउस) आदि। मुदा तत्सम शब्द सभमे ई निअम लागू नहि होइत अछि। जेना- रश्मिकेँ रइश्म आ सुधांशुकेँ सुधाउंस नहि कहल जा सकैत अछि।

१०.हलन्त(्)क प्रयोग : मैथिली भाषामे सामान्यतया हलन्त (्)क आवश्यकता नहि होइत अछि। कारण जे शब्दक अन्तमे अ उच्चारण नहि होइत अछि। मुदा संस्कृत भाषासँ जहिनाक तहिना मैथिलीमे आएल (तत्सम) शब्द सभमे हलन्त प्रयोग कएल जाइत अछि। एहि पोथीमे सामान्यतया सम्पूर्ण शब्दकेँ मैथिली भाषा सम्बन्धी निअम अनुसार हलन्तविहीन राखल गेल अछि। मुदा व्याकरण सम्बन्धी प्रयोजनक लेल अत्यावश्यक स्थानपर कतहु-कतहु हलन्त देल गेल अछि। प्रस्तुत पोथीमे मथिली लेखनक प्राचीन आ नवीन दुनू शैलीक सरल आ समीचीन पक्ष सभकेँ समेटि कऽ वर्ण-विन्यास कएल गेल अछि। स्थान आ समयमे बचतक सङ्गहि हस्त-लेखन तथा तकनीकी दृष्टिसँ सेहो सरल होबऽबला हिसाबसँ वर्ण-विन्यास मिलाओल गेल अछि। वर्तमान समयमे मैथिली मातृभाषी पर्यन्तकेँ आन भाषाक माध्यमसँ मैथिलीक ज्ञान लेबऽ पड़ि रहल परिप्रेक्ष्यमे लेखनमे सहजता तथा एकरूपतापर ध्यान देल गेल अछि। तखन मैथिली भाषाक मूल विशेषता सभ कुण्ठित नहि होइकताहू दिस लेखक-मण्डल सचेत अछि। प्रसिद्ध भाषाशास्त्री डा. रामावतार यादवक कहब छनि जे सरलताक अनुसन्धानमे एहन अवस्था किन्नहु ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाक विशेषता छाँहमे पडि जाए।
-(भाषाशास्त्री डा. रामावतार यादवक धारणाकेँ पूर्ण रूपसँ सङ्ग लऽ निर्धारित)

१.२. मैथिली अकादमी, पटना द्वारा निर्धारित मैथिली लेखन-शैली

१. जे शब्द मैथिली-साहित्यक प्राचीन कालसँ आइ धरि जाहि वर्त्तनीमे प्रचलित अछि
, से सामान्यतः ताहि वर्त्तनीमे लिखल जाय- उदाहरणार्थ-

ग्राह्य 

एखन 
ठाम 
जकर
तकर 
तनिकर 
अछि 

अग्राह्य 
अखन
अखनिएखेनअखनी
ठिमा
ठिनाठमा
जेकर
तेकर
तिनकर। (वैकल्पिक रूपेँ ग्राह्य)
ऐछ
अहिए।

२. निम्नलिखित तीन प्रकारक रूप वैकल्पिकतया अपनाओल जाय: भऽ गेल
भय गेल वा भए गेल। जा रहल अछिजाय रहल अछिजाए रहल अछि। कर’ गेलाहवा करय गेलाह वा करए गेलाह।

३. प्राचीन मैथिलीक 
न्ह’ ध्वनिक स्थानमे ’ लिखल जाय सकैत अछि यथा कहलनि वा कहलन्हि।

४. 
’ तथा ’ ततय लिखल जाय जत’ स्पष्टतः अइ’ तथा अउ’ सदृश उच्चारण इष्ट हो। यथा- देखैतछलैकबौआछौक इत्यादि।

५. मैथिलीक निम्नलिखित शब्द एहि रूपे प्रयुक्त होयत: जैह
सैहइएहओऐहलैह तथा दैह।

६. ह्र्स्व इकारांत शब्दमे 
’ के लुप्त करब सामान्यतः अग्राह्य थिक। यथा- ग्राह्य देखि आबहमालिनि गेलि (मनुष्य मात्रमे)।

७. स्वतंत्र ह्रस्व 
’ वा ’ प्राचीन मैथिलीक उद्धरण आदिमे तँ यथावत राखल जायकिंतु आधुनिक प्रयोगमे वैकल्पिक रूपेँ ’ वा ’ लिखल जाय। यथा:- कयल वा कएलअयलाह वा अएलाहजाय वा जाए इत्यादि।

८. उच्चारणमे दू स्वरक बीच जे 
’ ध्वनि स्वतः आबि जाइत अछि तकरा लेखमे स्थान वैकल्पिक रूपेँ देल जाय। यथा- धीआअढ़ैआविआहवा धीयाअढ़ैया, बियाह।

९. सानुनासिक स्वतंत्र स्वरक स्थान यथासंभव 
’ लिखल जाय वा सानुनासिक स्वर। यथा:- मैञाकनिञाकिरतनिञा वा मैआँकनिआँकिरतनिआँ।

१०. कारकक विभक्त्तिक निम्नलिखित रूप ग्राह्य:- हाथकेँ
हाथसँहाथेँ, हाथकहाथमे। मे’ मे अनुस्वार सर्वथा त्याज्य थिक। ’ क वैकल्पिक रूप केर’ राखल जा सकैत अछि।

११. पूर्वकालिक क्रियापदक बाद 
कय’ वा कए’ अव्यय वैकल्पिक रूपेँ लगाओल जा सकैत अछि। यथा:- देखि कय वा देखि कए।

१२. माँग
भाँग आदिक स्थानमे माङभाङ इत्यादि लिखल जाय।

१३. अर्द्ध 
’ ओ अर्द्ध ’ क बदला अनुसार नहि लिखल जायकिंतु छापाक सुविधार्थ अर्द्ध ’ , ‘’, तथा ’ क बदला अनुस्वारो लिखल जा सकैत अछि। यथा:- अङ्कवा अंकअञ्चल वा अंचलकण्ठ वा कंठ।

१४. हलंत चिह्न निअमतः लगाओल जाय
किंतु विभक्तिक संग अकारांत प्रयोग कएल जाय। यथा:- श्रीमान्किंतु श्रीमानक।

१५. सभ एकल कारक चिह्न शब्दमे सटा क
’ लिखल जायहटा क’ नहिसंयुक्त विभक्तिक हेतु फराक लिखल जाययथा घर परक।

१६. अनुनासिककेँ चन्द्रबिन्दु द्वारा व्यक्त कयल जाय। परंतु मुद्रणक सुविधार्थ हि समान जटिल मात्रापर अनुस्वारक प्रयोग चन्द्रबिन्दुक बदला कयल जा सकैत अछि। यथा- हिँ केर बदला हिं। 

१७. पूर्ण विराम पासीसँ ( । ) सूचित कयल जाय।

१८. समस्त पद सटा क
’ लिखल जायवा हाइफेनसँ जोड़ि क’ ,  हटा क’ नहि।

१९. लिअ तथा दिअ शब्दमे बिकारी (ऽ) नहि लगाओल जाय।

२०. अंक देवनागरी रूपमे राखल जाय।

२१.किछु ध्वनिक लेल नवीन चिन्ह बनबाओल जाय। जा
ई नहि बनल अछि ताबत एहि दुनू ध्वनिक बदला पूर्ववत् अय/ आय/ अए/ आए/ आओ/ अओ लिखल जाय। आकि ऎ वा ऒ सँ व्यक्त कएल जाय।

ह./- गोविन्द झा ११/८/७६ श्रीकान्त ठाकुर ११/८/७६ सुरेन्द्र झा "सुमन" ११/०८/७६
  २. मैथिलीमे भाषा सम्पादन पाठ्यक्रम
२.१. उच्चारण निर्देश: (बोल्ड कएल रूप ग्राह्य):-   
दन्त न क उच्चारणमे दाँतमे जीह सटत- जेना बाजू नाम , मुदा ण क उच्चारणमे जीह मूर्धामे सटत (नै सटैए तँ उच्चारण दोष अछि)- जेना बाजू गणेश। तालव्य मे जीह तालुसँ , मे मूर्धासँ आ दन्त मे दाँतसँ सटत। निशाँ, सभ आ शोषण बाजि कऽ देखू। मैथिलीमे  केँ वैदिक संस्कृत जकाँ  सेहो उच्चरित कएल जाइत अछि, जेना वर्षा, दोष। य अनेको स्थानपर ज जकाँ उच्चरित होइत अछि आ ण ड़ जकाँ (यथा संयोग आ गणेश संजोग आ
गड़ेस उच्चरित होइत अछि)। मैथिलीमे व क उच्चारण ब, श क उच्चारण स आ य क उच्चारण ज सेहो होइत अछि।
ओहिना ह्रस्व इ बेशीकाल मैथिलीमे पहिने बाजल जाइत अछि कारण देवनागरीमे आ मिथिलाक्षरमे ह्रस्व इ अक्षरक पहिने लिखलो जाइत आ बाजलो जएबाक चाही। कारण जे हिन्दीमे एकर दोषपूर्ण उच्चारण होइत अछि (लिखल तँ पहिने जाइत अछि मुदा बाजल बादमे जाइत अछि), से शिक्षा पद्धतिक दोषक कारण हम सभ ओकर उच्चारण दोषपूर्ण ढंगसँ कऽ रहल छी।
अछि- अ इ छ  ऐछ (उच्चारण)
छथि- छ इ थ  – छैथ (उच्चारण)
पहुँचि- प हुँ इ च (उच्चारण)
आब अ आ इ ई ए ऐ ओ औ अं अः ऋ ऐ सभ लेल मात्रा सेहो अछि, मुदा ऐमे ई ऐ ओ औ अं अः ऋ केँ संयुक्ताक्षर रूपमे गलत रूपमे प्रयुक्त आ उच्चरित कएल जाइत अछि। जेना ऋ केँ री  रूपमे उच्चरित करब। आ देखियौ- ऐ लेल देखिऔ क प्रयोग अनुचित। मुदा देखिऐ लेल देखियै अनुचित। क् सँ ह् धरि अ सम्मिलित भेलासँ क सँ ह बनैत अछि, मुदा उच्चारण काल हलन्त युक्त शब्दक अन्तक उच्चारणक प्रवृत्ति बढ़ल अछि, मुदा हम जखन मनोजमे ज् अन्तमे बजैत छी, तखनो पुरनका लोककेँ बजैत सुनबन्हि- मनोजऽ, वास्तवमे ओ अ युक्त ज् = ज बजै छथि।
फेर ज्ञ अछि ज् आ ञ क संयुक्त मुदा गलत उच्चारण होइत अछि- ग्य। ओहिना क्ष अछि क् आ ष क संयुक्त मुदा उच्चारण होइत अछि छ। फेर श् आ र क संयुक्त अछि श्र ( जेना श्रमिक) आ स् आ र क संयुक्त अछि स्र (जेना मिस्र)। त्र भेल त+र ।
उच्चारणक ऑडियो फाइल विदेह आर्काइव  http://www.videha.co.in/ पर उपलब्ध अछि। फेर केँ / सँ / पर पूर्व अक्षरसँ सटा कऽ लिखू मुदा तँ कऽ हटा कऽ। ऐमे सँ मे पहिल सटा कऽ लिखू आ बादबला हटा कऽ। अंकक बाद टा लिखू सटा कऽ मुदा अन्य ठाम टा लिखू हटा कऽ– जेना
छहटा मुदा सभ टा। फेर ६अ म सातम लिखू- छठम सातम नै। घरबलामे बला मुदा घरवालीमे वाली प्रयुक्त करू।
रहए-
रहै मुदा सकैए (उच्चारण सकै-ए)।
मुदा कखनो काल रहए आ रहै मे अर्थ भिन्नता सेहो, जेना से कम्मो जगहमे पार्किंग करबाक अभ्यास रहै ओकरा। पुछलापर पता लागल जे ढुनढुन नाम्ना ई ड्राइवर कनाट प्लेसक पार्किंगमे काज करैत रहए
छलै, छलए मे सेहो ऐ तरहक भेल। छलए क उच्चारण छल-ए सेहो।
संयोगने- (उच्चारण संजोगने)
केँ/  कऽ
केर-  (
केर क प्रयोग गद्यमे नै करू पद्यमे कऽ सकै छी। )
क (जेना रामक)
–रामक आ संगे (उच्चारण राम के /  राम कऽ सेहो)
सँ- सऽ (उच्चारण)
चन्द्रबिन्दु आ अनुस्वार- अनुस्वारमे कंठ धरिक प्रयोग होइत अछि मुदा चन्द्रबिन्दुमे नै। चन्द्रबिन्दुमे कनेक एकारक सेहो उच्चारण होइत अछि- जेना रामसँ- (उच्चारण राम सऽ)  रामकेँ- (उच्चारण राम कऽ/ राम के सेहो)।

केँ जेना रामकेँ भेल हिन्दीक को (राम को)- राम को= रामकेँ
क जेना रामक भेल हिन्दीक का ( राम का) राम का= रामक
कऽ जेना जा कऽ भेल हिन्दीक कर ( जा कर) जा कर= जा कऽ
सँ भेल हिन्दीक से (राम से) राम से= रामसँ
सऽ तऽ त केर (गद्यमे) एे चारू शब्द सबहक प्रयोग अवांछित।
के दोसर अर्थेँ प्रयुक्त भऽ सकैए- जेनाके कहलक? विभक्ति क बदला एकर प्रयोग अवांछित।
नञि, नहि, नै, नइ, नँइ, नइँनइं ऐ सभक उच्चारण आ लेखन - नै

त्त्व क बदलामे त्व जेना महत्वपूर्ण (महत्त्वपूर्ण नै) जतए अर्थ बदलि जाए ओतहि मात्र तीन अक्षरक संयुक्ताक्षरक प्रयोग उचित। सम्पति- उच्चारण स म्प इ त (सम्पत्ति नै- कारण सही उच्चारण आसानीसँ सम्भव नै)। मुदा सर्वोत्तम (सर्वोतम नै)।
राष्ट्रिय (राष्ट्रीय नै)
सकैए/ सकै (अर्थ परिवर्तन)
पोछैले/ पोछै लेल/ पोछए लेल
पोछैए/ पोछए/ (अर्थ परिवर्तन) पोछए/ पोछै
ओ लोकनि ( हटा कऽ, ओ मे बिकारी नै)
ओइ/ ओहि
ओहिले/
ओहि लेल/ ओही लऽ
जएबेँ/ बैसबेँ
पँचभइयाँ
देखियौक/ (देखिऔक नै- तहिना अ मे ह्रस्व आ दीर्घक मात्राक प्रयोग अनुचित)
जकाँ / जेकाँ
तँइ/ तैँ/
होएत / हएत
नञिनहि/ नँइ/ नइँ/ नै
सौँसे/ सौंसे
बड़ /
बड़ी (झोराओल)
गाए (गाइ नहि)मुदा गाइक दूध (गाएक दूध नै।)
रहलेँ/ पहिरतैँ
हमहींअहीं
सब - सभ
सबहक - सभहक
धरि - तक
गप- बात
बूझब - समझब
बुझलौं/ समझलौं/ बुझलहुँ - समझलहुँ
हमरा आर हम सभ
आकि- आ कि
सकैछ/ करैछ (गद्यमे प्रयोगक आवश्यकता नै)
होइन/ होनि
जाइन (जानि नैजेना देल जाइन) मुदा जानि-बूझि (अर्थ परिव्र्तन)
पइठ/ जाइठ
आउ/ जाउ/ आऊ/ जाऊ
मे, केँसँपर (शब्दसँ सटा कऽ) तँ कऽ धऽ दऽ (शब्दसँ हटा कऽ) मुदा दूटा वा बेसी विभक्ति संग रहलापर पहिल विभक्ति टाकेँ सटाऊ। जेना ऐमे सँ ।
एकटा , दूटा (मुदा कए टा)
बिकारीक प्रयोग शब्दक अन्तमे, बीचमे अनावश्यक रूपेँ नै। आकारान्त आ अन्तमे अ क बाद बिकारीक प्रयोग नै (जेना दिअ
, आ/ दिय’ , ’, आ नै )
अपोस्ट्रोफीक प्रयोग बिकारीक बदलामे करब अनुचित आ मात्र फॉन्टक तकनीकी न्यूनताक परिचायक)- ओना बिकारीक संस्कृत रूप ऽ अवग्रह कहल जाइत अछि आ वर्तनी आ उच्चारण दुनू ठाम एकर लोप रहैत अछि/ रहि सकैत अछि (उच्चारणमे लोप रहिते अछि)। मुदा अपोस्ट्रोफी सेहो अंग्रेजीमे पसेसिव केसमे होइत अछि आ फ्रेंचमे शब्दमे जतए एकर प्रयोग होइत अछि जेना raison d’etre एतए सेहो एकर उच्चारण रैजौन डेटर होइत अछि, माने अपोस्ट्रॉफी अवकाश नै दैत अछि वरन जोड़ैत अछि, से एकर प्रयोग बिकारीक बदला देनाइ तकनीकी रूपेँ सेहो अनुचित)।
अइमे, एहिमे/ ऐमे
जइमे, जाहिमे
एखन/ अखन/ अइखन

केँ (के नहि) मे (अनुस्वार रहित)
भऽ
मे
दऽ
तँ (तऽ, त नै)
सँ ( सऽ स नै)
गाछ तर
गाछ लग
साँझ खन
जो (जो go, करै जो do)
 तै/तइ जेना- तै दुआरे/ तइमे/ तइले
जै/जइ जेना- जै कारण/ जइसँ/ जइले
ऐ/अइ जेना- ऐ कारण/ ऐसँ/ अइले/ मुदा एकर एकटा खास प्रयोग- लालति‍ कतेक दि‍नसँ कहैत रहैत अइ
लै/लइ जेना लैसँ/ लइले/ लै दुआरे
लहँ/ लौं

गेलौं/ लेलौं/ लेलँह/ गेलहुँ/ लेलहुँ/ लेलँ
जइजाहि‍/ जै
जहि‍ठाम/ जाहि‍ठाम/ जइठाम/ जैठाम
एहि‍/ अहि‍/
अइ (वाक्यक अंतमे ग्राह्य) / 
अइछ/ अछि‍/ ऐछ
तइतहि‍/ तै/ ताहि‍
ओहि‍/ ओइ
सीखि‍/ सीख
जीवि‍/ जीवी/ जीब 
भलेहीं/ भलहि‍ं 
तैं/ तँइ/ तँए
जाएबजएब
लइ/ लै
छइ/ छै
नहि‍/ नैनइ
गइ/ गै 
छनि‍/ छन्‍हि‍  ...
समए शब्‍दक संग जखन कोनो वि‍भक्‍ति‍ जुटै छै तखन समै जना समैपर इत्‍यादि‍। असगरमे हृदए आ वि‍भक्‍ति‍ जुटने हृदे जना हृदेसँ, हृदेमे इत्‍यादि‍।  
जइ/ जाहि‍/
जै
जहि‍ठाम/ जाहि‍ठाम/ जइठाम/ जैठाम
एहि‍/ अहि‍/ अइ/ 
अइछ/ अछि‍/ ऐछ
तइ/ तहि‍/ तै/ ताहि‍
ओहि‍/ ओइ
सीखि‍/ सीख
जीवि‍/ जीवी/
जीब 
भले/ भलेहीं/
भलहि‍ं 
तैं/ तँइ/ तँए
जाएब/ जएब
लइ/ लै
छइ/ छै
नहि‍/ नै/ नइ
गइ/
गै 
छनि‍छन्‍हि‍
चुकल अछि/ गेल गछि
२.२. मैथिलीमे भाषा सम्पादन पाठ्यक्रम
नीचाँक सूचीमे देल विकल्पमेसँ लैंगुएज एडीटर द्वारा कोन रूप चुनल जेबाक चाही:
बोल्ड कएल रूप ग्राह्य:  
१.होयबला/ होबयबला/ होमयबला/ हेब’बला, हेम’बला/ होयबाक/होबएबला /होएबाक
२. आ’/आऽ
३. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कय लेने/ल’/लऽ/लय/लए
४. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए
गेल
५. कर’ गेलाह/करऽ
गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह
६.
लिअ/दिअ लिय’,दिय’,लिअ’,दिय’/
७. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करैबला/क’र’ बला /
करैवाली
८. बला वला (पुरूष)वाली (स्‍त्री) ९
.
आङ्ल आंग्ल
१०. प्रायः प्रायह
११. दुःख दुख १
२. चलि गेल चल गेल/चैल गेल
१३. देलखिन्ह देलकिन्ह, देलखिन
१४.
देखलन्हि देखलनि/ देखलैन्ह
१५. छथिन्ह/ छलन्हि छथिन/ छलैन/ छलनि
१६. चलैत/दैत चलति/दैति
१७. एखनो
अखनो
१८.
बढ़नि‍ बढ़इन बढ़न्हि
१९. ओ’/ओऽ(सर्वनाम) 
२०
. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ
२१. फाँगि/फाङ्गि फाइंग/फाइङ
२२.
जे जे’/जेऽ २३. ना-नुकुर ना-नुकर
२४. केलन्हि/केलनि‍/कयलन्हि
२५. तखनतँ/ तखन तँ
२६. जा
रहल/जाय रहल/जाए रहल
२७. निकलय/निकलए
लागल/ लगल बहराय/ बहराए लागल/ लगल निकल’/बहरै लागल
२८. ओतय/ जतय जत’/ ओत’/ जतए/ ओतए
२९.
की फूरल जे कि फूरल जे
३०. जे जे’/जेऽ
३१. कूदि यादि(मोन पारब) कूइद/याइद/कूद/याद/
यादि (मोन)
३२. इहो/ ओहो
३३.
हँसए/ हँसय हँसऽ
३४. नौ आकि दस/नौ किंवा दस/ नौ वा दस
३५. सासु-ससुर सास-ससुर
३६. छह/ सात छ/छः/सात
३७.
की  की’/ कीऽ (दीर्घीकारान्तमे ऽ वर्जित)
३८. जबाब जवाब
३९. करएताह/ करेताह करयताह
४०. दलान दिशि दलान दिश/दलान दिस
४१
. गेलाह गएलाह/गयलाह
४२. किछु आर/ किछु और/ किछ आर
४३. जाइ छल/ जाइत छल जाति छल/जैत छल
४४. पहुँचि/ भेट जाइत छल/ भेट जाइ छलए पहुँच/ भेटि‍ जाइत छल
४५.
जबान (युवा)/ जवान(फौजी)
४६. लय/ लए ’/ कऽ/ लए कए / लऽ कऽलऽ कए
४७. ल’/लऽ कय/
कए
४८. एखन / एखने / अखन / अखने
४९.
अहींकेँ अहीँकेँ
५०. गहींर गहीँर
५१.
धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए
५२. जेकाँ जेँकाँ/
जकाँ
५३. तहिना तेहिना
५४. एकर अकर
५५. बहिनउ बहनोइ
५६. बहिन बहिनि
५७. बहिन-बहिनोइ
बहिन-बहनउ
५८. नहि/ नै
५९. करबा / करबाय/ करबाए
६०. तँ/ त ऽ तय/तए
६१. भैयारी मे छोट-भाए/भै/, जेठ-भाय/भाइ,
६२. गि‍नतीमे दू भाइ/भाए/भाँइ  
६३. ई पोथी दू भाइक/ भाँइ/ भाए/ लेल। यावत जावत
६४. माय मै / माए मुदा माइक ममता
६५. देन्हिदइन दनि‍/ दएन्हि/ दयन्हि दन्हि/ दैन्हि
६६. द’/ दऽदए
६७.  (संयोजक) ओऽ (सर्वनाम)
६८. तका कए तकाय तकाए
६९. पैरे (on foot) पएरे  कएक/ कैक
७०.
ताहुमे/ ताहूमे
 ७१.
पुत्रीक
७२.
बजा कय/ कए / कऽ
७३. बननाय/बननाइ
७४. कोला
७५.
दिनुका दिनका
७६.
ततहिसँ
७७. गरबओलन्हि/ गरबौलनि‍/
  गरबेलन्हि/ गरबेलनि‍
७८. बालु बालू
७९.
चेन्ह चिन्ह(अशुद्ध)
८०. जे जे’
८१
. से/ के से’/के’
८२. एखुनका अखनुका
८३. भुमिहार भूमिहार
८४. सुग्गर
/ सुगरक/ सूगर
८५. झठहाक झटहाक ८६.
छूबि
८७. करइयो/ओ करैयो ने देलक /करियौ-करइयौ
८८. पुबारि
पुबाइ
८९. झगड़ा-झाँटी
झगड़ा-झाँटि
९०. पएरे-पएरे पैरे-पैरे
९१. खेलएबाक
९२. खेलेबाक
९३. लगा
९४. होए- हो – होअए
९५. बुझल बूझल
९६.
बूझल (संबोधन अर्थमे)
९७. यैह यएह / इएह/ सैह/ सएह
९८. तातिल
९९. अयनाय- अयनाइ/ अएनाइ/ एनाइ
१००. निन्न- निन्द
१०१.
बिनु बिन
१०२. जाए जाइ
१०३.
जाइ (in different sense)-last word of sentence
१०४. छत पर आबि जाइ
१०५.
ने
१०६. खेलाए (play) –खेलाइ
१०७. शिकाइत- शिकायत
१०८.
ढप- ढ़प
१०९
. पढ़- पढ
११०कनिए/ कनिये कनिञे
१११. राकस- राकश
११२. होए/ होय होइ
११३. अउरदा-
औरदा
११४. बुझेलन्हि (different meaning- got understand)
११५. बुझएलन्हि/बुझेलनि‍/ बुझयलन्हि (understood himself)
११६. चलि- चल/ चलि‍ गेल
११७. खधाइ- खधाय
११८.
मोन पाड़लखिन्ह/ मोन पाड़लखि‍न/ मोन पारलखिन्ह
११९. कैक- कएक- कइएक
१२०.
लग ल’ग 
१२१. जरेनाइ
१२२. जरौनाइ जरओनाइ- जरएनाइ/
जरेनाइ
१२३. होइत
१२४.
गरबेलन्हि/ गरबेलनि‍ गरबौलन्हि/ गरबौलनि‍
१२५.
चिखैत- (to test)चिखइत
१२६. करइयो (willing to do) करैयो
१२७. जेकरा- जकरा
१२८. तकरा- तेकरा
१२९.
बिदेसर स्थानेमे/ बिदेसरे स्थानमे
१३०. करबयलहुँ/ करबएलहुँ/ करबेलहुँ करबेलौं
१३१.
हारिक (उच्चारण हाइरक)
१३२. ओजन वजन आफसोच/ अफसोस कागत/ कागच/ कागज
१३३. आधे भागआध-भागे
१३४. पिचा / पिचाय/पिचाए
१३५. नञ/ ने
१३६. बच्चा नञ
(ने) पिचा जाय
१३७. तखन ने (नञ) कहैत अछि। कहै/ सुनै/ देखै छल मुदा कहैत-कहैत/ सुनैत-सुनैत/ देखैत-देखैत
१३८.
कतेक गोटे/ कताक गोटे
१३९. कमाइ-धमाइ/ कमाई- धमाई
१४०
. लग ल’ग
१४१. खेलाइ (for playing)
१४२.
छथिन्ह/ छथिन
१४३.
होइत होइ
१४४. क्यो कियो / केओ
१४५.
केश (hair)
१४६.
केस (court-case)
१४७
. बननाइ/ बननाय/ बननाए
१४८. जरेनाइ
१४९. कुरसी कुर्सी
१५०. चरचा चर्चा
१५१. कर्म करम
१५२. डुबाबएडुबाबै/ डुमाबै डुमाबय/ डुमाबए
१५३. एखुनका/
अखुनका
१५४. लए/ लिअए (वाक्यक अंतिम शब्द)- लऽ
१५५. कएलक/
केलक
५६. गरमी गर्मी
१५७
. वरदी वर्दी
१५८. सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ
१५९. एनाइ-गेनाइ
१६०.
तेना ने घेरलन्हि/ तेना ने घेरलनि‍
१६१. नञि / नै
१६२.
डरो ड’रो
१६३. कतहु/ कतौ कहीं
१६४. उमरिगर-उमेरगर उमरगर
१६५. भरिगर
१६६. धोल/धोअल धोएल
१६७. गप/गप्प
१६८.
के के’
१६९. दरबज्जा/ दरबजा
१७०. ठाम
१७१.
धरि तक
१७२.
घूरि लौटि
१७३. थोरबेक
१७४. बड्ड
१७५. तोँतू
१७६. तोँहि( पद्यमे ग्राह्य)
१७७. तोँही / तोँहि
१७८.
करबाइए करबाइये
१७९. एकेटा
१८०. करितथि /करतथि
 १८१.
पहुँचि/ पहुँच
१८२. राखलन्हि रखलन्हि/ रखलनि‍
१८३.
लगलन्हि/ लगलनि‍ लागलन्हि
१८४.
सुनि (उच्चारण सुइन)
१८५. अछि (उच्चारण अइछ)
१८६. एलथि गेलथि
१८७. बितओने/ बि‍तौने/
बितेने
१८८. करबओलन्हि/ करबौलनि‍/
करेलखिन्ह/ करेलखि‍न
१८९. करएलन्हि/ करेलनि‍
१९०.
आकि/ कि
१९१. पहुँचि/
पहुँच
१९२. बत्ती जराय/ जराए जरा (आगि लगा)
१९३.
से से’
१९४.
हाँ मे हाँ (हाँमे हाँ विभक्त्तिमे हटा कए)
१९५. फेल फैल
१९६. फइल(spacious) फैल
१९७. होयतन्हि/ होएतन्हि/ होएतनि‍/हेतनि‍/ हेतन्हि
१९८. हाथ मटिआएब/ हाथ मटियाबय/हाथ मटियाएब
१९९. फेका फेंका
२००. देखाए देखा
२०१. देखाबए
२०२. सत्तरि सत्तर
२०३.
साहेब साहब
२०४.गेलैन्ह/ गेलन्हि/ गेलनि‍
२०५. हेबाकहोएबाक
२०६.केलो/ कएलहुँ/केलौं/ केलुँ
२०७. किछु न किछु/
किछु ने किछु
२०८.घुमेलहुँ/ घुमओलहुँ/ घुमेलौं
२०९. एलाक/ अएलाक
२१०. अः/ अह
२११.लय/
लए (अर्थ-परिवर्त्तन) २१२.कनीक/ कनेक
२१३.सबहक/ सभक
२१४.मिलाऽ/ मिला
२१५.कऽ/ 
२१६.जाऽ/
जा
२१७.आऽ/ 
२१८.भऽ /भ’ ( फॉन्टक कमीक द्योतक)
२१९.निअम/ नियम
२२०
.हेक्टेअर/ हेक्टेयर
२२१.पहिल अक्षर ढ/ बादक/ बीचक ढ़
२२२.तहिं/तहिँ/ तञि/ तैं
२२३.कहिं/ कहीं
२२४.तँइ/
तैं / तइँ
२२५.नँइ/ नइँ/  नञि/ नहि/नै
२२६.है/ हए / एलीहेँ/
२२७.छञि/ छै/ छैक /छइ
२२८.दृष्टिएँ/ दृष्टियेँ
२२९. (come)/ आऽ(conjunction)
२३०.
आ (conjunction)/ आऽ(come)
२३१.कुनोकोनो, कोना/केना
२३२.गेलैन्ह-गेलन्हि-गेलनि‍
२३३.हेबाक- होएबाक
२३४.केलौँ- कएलौँ-कएलहुँ/केलौं
२३५.किछु न किछ- किछु ने किछु
२३६.केहेन- केहन
२३७.आऽ (come)- (conjunction-and)/आ। आब'-आब' /आबह-आबह
२३८. हएत-हैत
२३९.घुमेलहुँ-घुमएलहुँ- घुमेलाें
२४०.एलाक- अएलाक
२४१.होनि- होइन/ होन्हि/
२४२.ओ-राम ओ श्यामक बीच(conjunction), ओऽ कहलक (he said)/
२४३.की हए/ कोसी अएली हए/ की है। की हइ
२४४.दृष्टिएँ/ दृष्टियेँ
२४५
.शामिल/ सामेल
२४६.तैँ / तँए/ तञि/ तहिं
२४७.जौं
/ ज्योँ/ जँ/
२४८.सभ/ सब
२४९.सभक/ सबहक
२५०.कहिं/ कहीं
२५१.कुनो/ कोनो/ कोनहुँ/
२५२.फारकती भऽ गेलभए गेल/ भय गेल
२५३.कोना/ केना/ कन्‍ना/कना
२५४.अः/ अह
२५५.जनै/ जनञ
२५६.गेलनि‍/
गेलाह (अर्थ परिवर्तन)
२५७.केलन्हि/ कएलन्हि/ केलनि‍/
२५८.लय/ लए/ लएह (अर्थ परिवर्तन)
२५९.कनीककनेक/कनी-मनी
२६०.पठेलन्हि‍ पठेलनि‍/ पठेलइन/ पपठओलन्हि/ पठबौलनि‍/
२६१.निअम/ नियम
२६२.हेक्टेअर/ हेक्टेयर
२६३.पहिल अक्षर रहने ढ/ बीचमे रहने ढ़
२६४.आकारान्तमे बिकारीक प्रयोग उचित नै/ अपोस्ट्रोफीक प्रयोग फान्टक तकनीकी न्यूनताक परिचायक ओकर बदला अवग्रह (बिकारी) क प्रयोग उचित
२६५.केर (पद्यमे ग्राह्य) / -/ कऽ/ के
२६६.छैन्हि- छन्हि
२६७.लगैए/ लगैये
२६८.होएत/ हएत
२६९.जाएत/ जएत/
२७०.आएत/ अएत/ आओत
२७१
.खाएत/ खएत/ खैत
२७२.पिअएबाक/ पिएबाक/पि‍येबाक
२७३.शुरुशुरुह
२७४.शुरुहेशुरुए
२७५.अएताह/अओताह/ एताह/ औताह
२७६.जाहि/ जाइ/ जइजै/
२७७.जाइत/ जैतए/ जइतए
२७८.आएल/ अएल
२७९.कैक/ कएक
२८०.आयल/ अएल/ आएल
२८१. जाए/ जअए/ जए (लालति‍ जाए लगलीह।)
२८२. नुकएल/ नुकाएल
२८३. कठुआएल/ कठुअएल
२८४. ताहि/ तै/ तइ
२८५. गायब/ गाएब/ गएब
२८६. सकैसकए/ सकय
२८७.सेरा/सरासराए (भात सरा गेल)
२८८.कहैत रही/देखैत रही/ कहैत छलौं/ कहै छलौं- अहिना चलैत/ पढ़ैत
(पढ़ै-पढ़ैत अर्थ कखनो काल परिवर्तित) - आर बुझै/ बुझैत (बुझै/ बुझै छी, मुदा बुझैत-बुझैत)/ सकैत/ सकै। करैत/ करै। दै/ दैत। छैक/ छै। बचलै/ बचलैक। रखबा/ रखबाक । बिनु/ बिन। रातिक/ रातुक बुझै आ बुझैत केर अपन-अपन जगहपर प्रयोग समीचीन अछि‍। बुझैत-बुझैत आब बुझलि‍ऐ। हमहूँ बुझै छी।
२८९. दुआरेद्वारे
२९०.भेटि/ भेट/ भेँट
२९१.
खन/ खीन/  खुना (भोर खन/ भोर खीन)
२९२.तक/ धरि
२९३.गऽगै (meaning different-जनबै गऽ)
२९४.सऽ/ सँ (मुदा दऽ, लऽ)
२९५.त्त्व,(तीन अक्षरक मेल बदला पुनरुक्तिक एक आ एकटा दोसरक उपयोग) आदिक बदला त्व आदि। महत्त्व/ महत्वकर्ता/ कर्त्ता आदिमे त्त संयुक्तक कोनो आवश्यकता मैथिलीमे नै अछि। वक्तव्य
२९६.बेसी/ बेशी
२९७.बाला/वाला बला/ वला (रहैबला)
२९८
.वाली/ (बदलैवाली)
२९९.वार्त्ता/ वार्ता
३००. अन्तर्राष्ट्रिय/ अन्तर्राष्ट्रीय
३०१. लेमएलेबए
३०२.लमछुरका, नमछुरका
३०२.लागैलगै (
भेटैत/ भेटै)
३०३.लागललगल
३०४.हबा/ हवा
३०५.राखलकरखलक
३०६. (come)/  (and)
३०७. पश्चाताप/ पश्चात्ताप
३०८. ऽ केर व्यवहार शब्दक अन्तमे मात्र, यथासंभव बीचमे नै।
३०९.कहैतकहै
३१०.
रहए (छल)/ रहै (छलै) (meaning different)
३११.तागतिताकति
३१२.खराप/ खराब
३१३.बोइन/ बोनि/ बोइनि
३१४.जाठि/ जाइठ
३१५.कागज/ कागच/ कागत
३१६.गिरै (meaning different- swallow)/ गिरए (खसए)
३१७.राष्ट्रिय/ राष्ट्रीय

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4. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो आर त्रुटि भेटल ।
5. रचना/ प्रस्तुतिपर अहाँक कोनो आर सुझाव ।
6. रचना/ प्रस्तुतिक उज्जवल पक्ष/ विशेषता|
7. रचना प्रस्तुतिक शास्त्रीय समीक्षा।

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"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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