कैलास दास-कम्प्यूटर २.
प्रमोद रंगीले- मच्छर राज ३.
शंभु सौरभ- गीत
कैलास दासकम्प्यूटर
हमर काम अनेक अछि
करैत नहि छी करबैै छी
सभ क्षेत्र मे हम अबै छी ।
हम कम्प्यूटर छी
हम नहि झुठ बजैत छी
बजबै तऽ पुछैत छी ।
करबै तऽ करैत छी ।
सभ क्षेत्र मे हम अबै छी ।
निरक्षर हम दोस्त नहि
नहि जनने हमरा लोक बुझैत नहि अछि
कामक हमर अन्त्य नहि अछि
हम कम्प्यूटर छी
हम हँसबए आ खेलबय छी
गेम फिल्म सभ देखबै छी ।
सभहक प्रोबल्म सोल्भ करैत छी
हम कम्प्यूटर छी
तेल, मोविल हमर आहार नहि
भाई वहिन आ साथीसँ सरोकार नहि
परिश्रम हमर बाट अछि
हमर नाम कम्प्युटर अछि
बिजुली पर हम चलैत छी
ओकरा बिना हम मरल छी
हम सभ क्षेत्रमे अबै छी
हम कम्प्यूटर छी
हमर जे स्नेह करैत अछि
ओकरा हम सभचिज दैत छी
जे हमरा सँ दूरी रखैत अछि
ओकरा हमहँु दूरे रखैत छी
प्रमोद रंगीलेजनकपुर शहर पर करू सभ गाेटे नाज
गुलाम बनू मच्छरक यएह अछि काज
खुन पिपासु केँ देखू केहन छै अन्दाज
सलाम ठोकू सभ गाेटे आबि गेल मच्छर राज
पर्यटन दिवस नै , मनाउ मच्छर दिवस
मच्छरसँ कटबैबला हाेउ विवश
सुनु मच्छर संगीत बन्द करू अावाज
सलाम ठोकू सभ गाेटे आबि गेल मच्छर राज
महलमे रहू या बनाउ झाेपडी
सहनशीलता नै अछि तँ फोड़ू खाेपड़ी
दिन भरिक टेन्सनकेँ अाउर बढाउ, जखन पड़ैए साँझ
सलाम ठाेकू सभ गाेटे आबि गेल मच्छर राज
ऐ शहरमे रहै कऽ अछि तँ ई सत्य जानि लिअ
ऐ दुखक निवारणा केउ नै करत, बात हमर मानि लिअ
हारि मानि कऽ, देवता जानि कऽ पहिराउ ताज
सलाम ठोकू सभ गाेटे अाबि गेल मच्छर राज
शंभु सौरभ, पता-गाम- भरवाड़ा, जिला- दरभंगा।
राजदेव मण्डल जीक दू गोट कविता २.
डॉ॰ शशिधर कुमर “विदेह”
राजदेव मण्डल जीक
क्रम संख्या
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लिखित शब्द
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अभिप्रेत उच्चारण
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१
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पानि
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पाइन, पइन, पैन
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२
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अछि
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अइछ
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३
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अग्निराशि
|
अग्निराशि
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४
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राति
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राइत
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५
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अन्हरिया
|
अन्हरिया, अन्हैरया
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६
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पुनमि
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पुनैम
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७
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गति
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गइत
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८
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अतिप्रबल
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अतिप्रबल, अइतप्रबल
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९
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दिशि
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दिशि, दिश
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१०
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जानि
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जाइन
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११
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कत’
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कते
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१२
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छाड़ि
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छोइड़
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१३
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सनि
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सइन, सन
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१४
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अतिशय
|
अतिशय, अइतशय
|
मुन्नी कामत- किछु कविता २.
रूबी झा- दूटा गजल
३.
शान्तिलक्ष्मी चौधरी-दुर्गापूजा ४.
नंद विलास राय
मुन्नी कामत
रूबी झाआंखि सँ दहs बहs नोर बहै छल ओ कहलेन धुर पानि रहल
आंखि हमर दुहु रंजित भेल केहन कठोर ओ नै जानि रहल
हुनका लेल छल सभ खेल तमाशा हम तरेगन गानि रहल
गुदरी सिबि सिबि दिवस हम काटी अजीर्ण नुआ देह में छारल
साग पात तोरिकs जे आनलौ नोरे सँ हम ओकरा छानि रहल
बारह बरख पर ओ एला एक घड़ी छाहों नहि भेटल हमरा
हरिबासर आ तीज सबटा केलौ कठिन ब्रत हम ठानि रहल
विदीर्ण भs गेल मोन कल्पित भेल काया नोर सँ पोखरि बनि गेल
निर्दयी छलीतs ओ ओरे सँ छथि कथी लेल रूबी अहाँ कानि रहल
सरल वार्णिक बहर वर्ण -२५
आश टूटल भाग फूटल
आंखि इनहोरे सँ शीतल
लेख भाग्यक जनु इहे छल
ठोढ़ कम्पित मोन तीतल
मलिन भेलै चान उज्जर
राहु गरसिकs सौंस बैसल
छन पलक के खिलल फूलो
मौलि गेलै पुष्प कोमल
पेट रूबी नूर बान्हल
पहर चारू कानि काटल
२१२२ -२१२२ सभ पांति में
३
आइ हम बड़ उदास छी
नै बुझी किए हतास छी
लागै किए चैती बतास छी
आंखिसँ निन्न गेल कतए
मुहं लगे सुखेल घास छी
घर में नै नै बाहर चैन
नै निकले उहे भरास छी
लागि अछि जगसँ विछुब्ध
रूबी नेने अहाँ सन्यास छी
सरल वार्णिक बहर वर्ण -१०
शान्तिलक्ष्मी चौधरीसिमसिम जाड़क हुलकी
ओ भोरे केँ सितायब
अधिराइते सँ भनभन
हिंग रसूनक बदही
सतसुइया केँ बान्हब
नजरि-गुजरिकेँ जन्तर
डायन-जोगिनके दागब
फुल चोरीके हो-हो
बुढ़ियाक फौती सरापब
भगजोगनीक रोसनी
आँखिफाड़ि अधकोढ़ी निहारब
लालटेनक भकचोन्ह
मिलिजुलि पार्थिब बनायब
नेनतुर के भुसभुस
ओ दादीक फटकारब
चिकैनि-गोबरौरके धवधव
घुरघुराक चालब
डेरहीक पिछड़ौन
नेनाक जहिंतहिं नहायब
दोहारा तीराक लाली
सिंगरहारक गमकब
थलकम्मल फुलडाली
कनेल-तरक हबगब
बेलपत्र काँटक सिबसिब
दुइभक मुरी खोटब
बेजन्त्री पत्ता केर गिनती
मुरिपत्ता केराक काटब
मायक फिसफिस गौरीमंत्र
बहिनदायक आरती गायब
बाबा केर सप्तसती श्लोक
हनुमानचलिसा एककंठेँ खेहारब
पानक बिचकी खिल्ली
कतरा सुपारीकेँ खोंसब
पिचकल मखाना पर किर्री
ओंकरल मुँगकेँ प्रसादब
कुमारिक नववस्त्रम
मुट्ठीमुट्ठी पान चिबायब
पायल के झुनमुन
नाक धरि सिनुर टघारब
ब्राह्मणक पीड़ही
क्षीर-भोजन खायब
दहुँदिश खीरक पत्ता
निलका-माँछी नाचब
बान्हल बरदक हुरब
कुकुर केँ दबारब
बिज्जीकेँ कनकटुआ
छागरकेँ नाँगरि मोचारब
खेसारिक छिम्मरि
घासबोझ पर घोलटब
लदहाक झुल्ला
पालो पर झुलब
नीलकंठकेँ ढ़ेंपा
बिढ़निकेँ मारब
रसचोभीक फुदफुद
टिकुलीकेँ शिकारब
लिय आबि गेलीहेँ मैया
धीयापुताकेँ खेलाअब
आउ आबैजाउ गाम
दुर्गापुजा मनायब
नंद विलास राय
डॉ॰ शशिधर कुमर
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