ISSN 2229-547X VIDEHA
‘विदेह' १३८ म अंक १५ सितम्बर २०१३ (वर्ष ६ मास ६९ अंक १३८)
ऐ अंकमे अछि:-
ऊँच-नीच- बेचन ठाकुर
विदेह मैथिली पोथी डाउनलोड साइट
VIDEHA
MAITHILI BOOKS FREE DOWNLOAD SITE
विदेह
ई-पत्रिकाक सभटा पुरान अंक ( ब्रेल, तिरहुता आ देवनागरी मे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक लेल नीचाँक लिंकपर उपलब्ध अछि। All the old issues of Videha e journal ( in Braille, Tirhuta and
Devanagari versions ) are available for pdf download at the following link.
ब्लॉग
"लेआउट" पर "एड गाडजेट" मे "फीड" सेलेक्ट कए "फीड यू.आर.एल." मे http://www.videha.co.in/index.xml टाइप केलासँ सेहो विदेह फीड प्राप्त कए सकैत छी। गूगल रीडरमे पढ़बा लेल http://reader.google.com/ पर जा कऽ Add a Subscription बटन क्लिक करू आ खाली स्थानमे http://www.videha.co.in/index.xml पेस्ट करू आ Add बटन दबाउ।
विदेह रेडियो:मैथिली कथा-कविता आदिक पहिल पोडकास्ट साइट
मैथिली देवनागरी वा मिथिलाक्षरमे नहि देखि/ लिखि पाबि रहल छी,
(cannot see/write Maithili in Devanagari/ Mithilakshara follow links below or
contact at ggajendra@videha.com) तँ एहि हेतु नीचाँक लिंक सभ पर जाउ। संगहि विदेहक स्तंभ मैथिली भाषापाक/ रचना लेखनक नव-पुरान
अंक पढ़ू।
http://devanaagarii.net/
http://kaulonline.com/uninagari/
(एतए
बॉक्समे ऑनलाइन देवनागरी टाइप करू, बॉक्ससँ कॉपी करू आ वर्ड डॉक्युमेन्टमे पेस्ट कए वर्ड फाइलकेँ सेव करू।
विशेष जानकारीक लेल ggajendra@videha.com पर सम्पर्क करू।)(Use
Firefox 4.0 (from WWW.MOZILLA.COM )/ Opera/ Safari/ Internet Explorer 8.0/ Flock 2.0/
Google Chrome for best view of 'Videha' Maithili e-journal at http://www.videha.co.in/
.)
Go to the link below for
download of old issues of VIDEHA Maithili e magazine in .pdf format and
Maithili Audio/ Video/ Book/ paintings/ photo files. विदेहक पुरान
अंक आ ऑडियो/ वीडियो/ पोथी/ चित्रकला/ फोटो सभक फाइल सभ (उच्चारण, बड़ सुख सार आ
दूर्वाक्षत मंत्र सहित)
डाउनलोड करबाक हेतु
नीचाँक लिंक पर जाउ।
VIDEHA ARCHIVE विदेह आर्काइव
ज्योतिरीश्वर पूर्व महाकवि विद्यापति। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती
प्राचीन कालहिसँ महान
पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला लोकनिक चित्र 'मिथिला रत्न' मे देखू।
गौरी-शंकरक
पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे
मिथिलाक्षरमे (१२००
वर्ष पूर्वक) अभिलेख
अंकित अछि। मिथिलाक
भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र, अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़
हेतु देखू 'मिथिलाक खोज'
मिथिला, मैथिल आ
मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना,
सम्पर्क, अन्वेषण
संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ न्यूज सर्विस
आ मिथिला, मैथिल आ
मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट सभक समग्र संकलनक लेल देखू "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"
विदेह जालवृत्तक
डिसकसन फोरमपर
जाउ।
"मैथिल आर मिथिला" (मैथिलीक
सभसँ लोकप्रिय जालवृत्त)
पर जाउ।
ऊँच-नीच
ऊँच-नीच
बेचन ठाकुर
ऊँच-नीच
नाटक
बेचन ठाकुर
पहिल अंक
पहिल दृश्य-
(स्थान- मंगल मल्लिकक घर। दरबज्जापर मंगल
अपन पत्नी परनीक संग परिवारक स्थितिक संबन्धमे विचार-विमर्श कऽ रहल छथि। दुनू गोटे पथिया बीनि रहल छथि।)
मंगल- गै, हमर बाउक जमाना आ हमर जमानामे बड़ फरक देखै छी। ओना कोनो बेसी दिन नै भेलै
मुइला हुनका। बड़ बेसी तँ पन्द्रह बर्ख भेल हेतनि। सएह ने?
मरनी- ईह, पनरहे बर्ख भेल हेतनि। बेसी भेल हेतनि। अँए हौ, सतासीमे बाढ़ि आएल रहै आ अठासीमे भुमकम। ओही भुमकममे ने पुरबरिया घरक भीत
खसलै आ ओहीमे दबाए गेलखिन। एकोबेर शबदबो ने केलखिन।
मंगल- तोरा बड़ मन रहै
छौ गै। ठीके कहै छेँ।
मरनी- मन नै रहत तँ।
अमरुख छी तइसँ की। ईहो घटना सभ लोक बिसरि जेतै। हरदम पी कऽ बुच्च रहै छह तँ की
मन रहतह। ओना आइ सुधरल देखै छिअ।
मंगल- की करबै। तूहीं
कह। जखनि सुगर चरबैले जाइ छिऐ तँ ओकरा संगे हरदम दौगते रहै छिऐ आ कए गाम बौआइ
छी से कोनो ठेकान नै। बड़ थाकि जाइ छी।
थकान मेटबैले पीऐ छी आकि कोनो सखे पीऐ छी। कहियो-कहियो तँ तहूँ जाइ छेँ। बुझिते हेबही कोन बाँसक दाहा होइ छै।
मरनी- से तँ ठीके बड़
भीर पड़ै छै। मुदा हम कहाँ पीऐ छी।
मंगल- तूँ मौगी छीही आ
हम मरद छी। हमरा ओहन संघत छै, तोरा नै छौ।
मरनी- ओहेन संघतमे किअए
रहै छह?
मंगल- तँ हरदम तोरे लग
रहियौ, लोक नीक कहत की?
मरनी- खराप संघतसँ
बढ़िया हरदम हमरे संगे रहह आ जे कहै छिअ से करह।
मंगल- (खिसिया कऽ) गै मौगी, हमर बहु भऽ कऽ हमरे सिखबै छेँ। गै
बाउक जमामामे घैलाक-घैला ताड़ी पीऐ छेलौं
दुनू बापूत। ओइ हिसाबसँ अखनि नोइसो बरबरि नै।
मरनी- (प्रसन्न मने) किअए खिसियाए गेलहक? हम कोनो अपनेले कहै छिअह।
मंगल- किअए ने खिसिएबौ? सुगर हम अपने ले चरबै छिऐ की?
मरनी- नै, से तँ पूरा परिवारले। कनी अपन देहो दिस तकहक, केहेन लगै छह पन्नीबला दारू पीऐत-पीऐत?
मंगल- केहेन लगै छै
तोरासँ नीके। तूहीं नै पीऐ छेँ तँ कहाँ मोटा कऽ हाथी भऽ गेलेँ?
मरनी- बेसी मोटेनाइ
सेहो खराप होइ छै। से बुझहक पहिने दुबरे-पातर रही मुदा नीरोग रही। ई नीक।
मंगल- तूहीं कह, केना नीरोग रहबै? (शान्त भऽ)
मरनी- अप्पन काजमे
लगल रहक। जे किछु कण-साग भगवान देथिन ओकरा
भरि मन खाहक। ताड़ी-दारू नै पीहक। बेसीसँ
बेसी साफ-सुथरा रहक। नीरोग रहबे करबह।
मंगल- एते दिन तँ नै
पुछलियौ। मुदा आइ पुछै छियौ- तूँ पढ़ल-लिखल छेँ की?
मरनी- नै हौ, अमरुखे छी।
मंगल- तँ एते केना
बुझै छिही?
मरनी- देखै छहक, हम जल्दी बेराम पड़ै छी। एक दिन सुगर चरबैले गेलौं तँ हाइ इसकूलपर एगो मुनसा
पाँच हाथक छेलै, उ भाषणमे यएह सभ कहै छेलै। कनी काल
ठाढ़ भऽ सुनलौं। बड़ नीक लगल। ओहिना करए लगलौं। बड़ फेदा बुझाइए। पाँच-छह बर्ख पहुलका गप छिऐ। जखनि सुगरपर धियान गेल तँ सुगर बड़ दूर चलि गेल
छल। दौग कऽ सुगर लग गेलौं। भाषण छूछि गेल।
मंगल- आरो जे किछु
कहबेँ से तँ मानि लेबौ। मुदा ताड़ी-दारू बिना रहल
नै हेतौ।
मरनी- से किअए, ताड़ी-दारू अमृत छिऐ?
मंगल- बानर जानए आदी
सुआद। तूँ नै पीऐ छेँ तँए बेसी फुराइ छौ। जखनि पीने रहै छी तखनि दुनियाँमे
हमरासँ नम्हर के रहै छै। कियो नै। बड़ मन लगै छै।
मरनी- बड़ मन लगै छह
तँ ओकरा तियागल नै हेतह तोरा?
मंगल- ऊँह, ओइ बिना हमरा रहल नै हेतौ। अन्न-पानि बिना रहियो
सकै छियौ।
मरनी- एगो करह, दारू साफे छोड़ि दहक आ साँझहे-साँझ एक फुच्ची
ताडीएटा पीअह। अपना सभ गरीब छी।
मंगल- हँ, बड़ बेसी तँ ई चलैबला छौ। अहूमे हमरा बड़ बरदास करए पड़त। खैर, ई करबौ।
मरनी- तब तोहर इज्जत
डोममे जरूर बढ़तह। फेर बौआ दुखनक पढ़ाइपर सेहो धियान देबहक किने। एक दिन रस्तामे
मास्टर कहै छेलखिन- अहाँक बौआ बड़ चन्सगर
अछि। एकरा मनसँ पढ़ाउ।
मंगल- से तँ ठीके कहै
छेँ। छौड़ा मनसँ पढ़त-लिखत तँ सरकारी नोकरी
अबस्स हेतै। अपना सभकेँ सरकार छूट देने छै। मुदा आइ-काल्हि पढ़ाइमे बड़ खरचा लगै छै। ओते खरचा कतएसँ अनबीही?
मरनी- हिम्मत नै हरह।
नै तँ सभटा काज चौपट भऽ जेतह। तोहर दारूक खरचासँ बौआ पढ़ि लेत। दर-दुनियाँमे एगो बेटा अछि। बेटीक कोनो चिन्ते नै। उ सभ अपन-अपन सोसराइरमे अछि। बौआकेँ पढ़ाबह। बड़ सख लगल अछि। बड़ लोककेँ पढ़ैत देखै
छिऐ।
मंगल- (मुस्की दैत) एगो बात कहिऔ दुखन माए?
मरनी- कहक ने।
मंगल- गै एक दिनका
भोज कोन आ एक दिनका राजा कोन। एगो टाका कोन, एगो बेटा कोन।
मरनी- से की?
मंगल- मन होइए एगो आरो
बेटा होइतए।
मरनी- चुपह-चुपह लोक सुनतह तँ की कहतह? आठ गो छैहे से बिसरि
गेलहक। खाली जनमेने होइ छै आकि ओकर पतिपालो करए पड़ै छै। बेटा-बेटी दुनूकेँ अपना-अपना जगहपर बड़ महत छै।
कियो केकराेसँ कम नै छै। तोरा तँ एगो बेटा छह। केकरो किच्छो नै रहै छै से। उ
केना रहै छै?
मंगल- से तँ ठीके कहै
छेँ। खैर, छोड़ बेटा-बेटीक लपौड़ी। छौड़ेकेँ मनसँ पढ़ाएब
आ बड़का हाकिम बनाएब।
मरनी- अाब बजलह एक
लाखक गप।
पटाक्षेप।
दोसर दृश्य
(स्थान- मंगलक घर। मंगल कोनियाँ बीनि रहल
छथि।)
मंगल- हमर सरबेटा
उपीमे बड़का हाकिम छै। इस.डी.ओ हँ हँ इस.डी.ओ। बिना पढ़ने भेल हेतै। सोसराइर जाइ छी तँ हुनकर मकान देखि कऽ चकबिदोर लगि
जाइए। हमरो बेटा पढ़ि-लिखि कऽ ओहने हाकिम
बनतै।
(दुखनक प्रवेश)
दुखन- बाउ, काल्हि फर्म भरेतै। काल्हिए अंतिम डेट छै। पाँच सए टाका लगतै।
मंगल- (आश्चर्यसँ) बाप रे बाप, पाँच सए टाका। पाँच सए टाका। दू-चारि दिन पछाति भरबीही तँ नै हेतै।
दुखन- हेतै तँ, मुदा फाइन लगतै। फाइन लऽ कऽ चारम दिन धरि फार्म भरेतै। एक सए टाका फाइन
लगतै। दुनू मिला कऽ छह सए लगतै।
मंगल- एते पाइ कहियो
नै लगल छल। मैट्रिकमे बड़ खरचा लगै छै बौआ। पेटकेँ देखबै की फारम भरइ देखबै। खैर, तूँ इसकूल जो। कनी माएकेँ पठा दिहनि।
(दुखनक प्रस्थान)
मत तँ होइए बेटाकेँ खूम पढ़ा-लिखा बड़का
हाकिम बनैबितौं। मुदा बिना मालक कमाल केना हेतै।
(मंगल माथपर हाथ लऽ कोनियाँ बिननाइ बन्न कऽ दइ छथि। मरनीक प्रवेश।)
मरनी- की कहलकह? (मंगल कनीकाल गुम्म रहै छथि।)
की कहलहक?
मंगल- की कहबौ, बौआकेँ फारम भरैमे छह सए टाका लगतै। से किछु नै फुराइए। की करबिही? कहिहनि ऐबेर छोड़ि
दइले। पौरु साल देखल जेतै।
मरनी- परियास करहक
ने। नै हेतै तँ बूझल जेतै। घरमे छिट्टा आ कोनियाँ छै ने, ओकरे बेचि कऽ दऽ देबै। छह गो छिट्टा छै आ पाँच गो कोनियाँ छै। एक-एको सएमे छिट्टा बिकतै आ तीसो-तीसोमे काेनियाँ
तँ छह सएसँ बेसीए भऽ जेतै।
मंगल- फेर खेबही की आ
बाँसबलाकेँ कथी देबही?
मरनी- कहुना कऽ दिन-गुदस कऽ लेबै आ बाँसबला मालिककेँ नेहोरा-विनती कऽ लेबै। कहबनि एना-एना बात भऽ गेलै
मािलक। उ अबस्स मानि जेथिन।
मंगल- तूँ बेसी बुझै
छिही। हुनका हम चिन्है छियनि। उ मक्खीचुसक
ओइध छथिन। ताड़ीओवालीकेँ अझुका ना कहने छेलिऐ। पचास टाका ओकरो भऽ गलै।
मरनी- हुनको कहिहक
एना एना भऽ गेलै। से कनी दिन थम्हू।
मंगल- बेस, कहबै। गै, कोनियाँ-पथियाक कोनो गिरहत भँजियाएल छौ की?
मरनी- एक दिन आहए
बाँसबला मािलक कहने छेलखिन किछु कोनियाँ-पथिया दइले। जाइ छिऐ हुनके दऽ देबनि।
मंगल- जो, मालिकसँ पटतौ की नै पटतौ।
मरनी- किअए नै पटतै।
अपने पसारी छथिन। नअ-छह कए कऽ दऽ देबनि।
मंगल- बाँसक पाइ काटि
लेथुन तब की करबिही?
मरनी- पएर-दारही पकड़बनि जे ऐबेर नै लेथुन। बौआकेँ फारम भरैले पाइ देबाक छै। कनी-मनी लगाइए कऽ देथुन सधाए देबनि।
मंगल- जो, झब दऽ जो। नै हेतौ तँ ओम्हरेसँ ओम्हरे हटिया चलि जइहेँ। आकि हमहूँ चलियौ?
मरनी- तूँ कथीले जेबह।
एक आदमीक काजमे दू आदमी किअए बरदेबह। फेर सुगरो चरबैले जाइक छह ने।
मंगल- हँ से तँ ठीके।
देरी नै कर झब दऽ जो।
मरनी- बेस, जाइ छिअ। (प्रस्थान)
मंगल- जइ दिनसँ दारू
पीनाइ छोड़ि देलौं तइ दिनसँ कोनो काजमे मन नै लगैए। कहुना-कहुना काज-उदम करै छी। लोक सभकेँ पीऐत देखै छिऐ
तँ मन चटपट करए लगैए। मुदा पढ़ाइक खातिर हम एते मजबूर छी। के की लऽ कऽ आएल आ की
लऽ कऽ जाएत। खेलहा-पीलहा ने संग जाएत आरो कथी। जदी
अपना लग पाइ रहितए तँ आइ कनी देखतीऐ दारू दिस। एक्कोटा कोनियाँ बीकि जैतै तँ
दारू जोग भऽ जैतै। ऐ बीचमे कोनो सार गौंहकी नै ने आएत। भगवानो हमराले अखनि बड़
दूर गेलखिन हेँ। कहिया एथीन कहिया नै। दारूबला सार तेहेन खच्चर अछि से एक्को
टाका उधारी नै देत।
(कोनियाँ लइले बुधनक प्रवेश।)
बुधन- (प्रसन्न भऽ) की हौ मंगल काका, एगो कोनियाँ लेबाक
छेलए। छै अपना लग?
मंगल- हाथेबला दऽ
देबह। कनीए रहि गेलै। बढ़ियाँसँ बीनि दइ छिअ।
बुधन- पाइ केते लेबहक?
मंगल- कोनो हाथी-घोड़ाक दाम लगतह? पचासे टाका दऽ दिहक।
बुधन- बड़ बेसी कहै
छहक। उहो दिन हटियापर ऐसँ नम्हर आ डिजेनगर बीस टाकामे बिकाइ छेलै। पाइ नै रहए
नै लेलौं। सोचलौं गामपर अपन डोमसँ लेब तँ सस्तामे हएत। मुदा तूँ बड़ महग कहै छहक।
मंगल- की करबै मालिक
महगाइ केते बढ़ि गेलै। बाँसो महगमे कीनए पड़ैए। फेर मेहनतो बड़ लगै छै। लाबह ने
जे देबहक से। तूँ हमर पसारी छिअ ने।
बुधन- (बीस टकही निकालि
कऽ) लैह, हम एतबे देबह।
मंगल- (बीस टाका लऽ कऽ
प्रसन्न मने) इहए एगो पन्नीओक पाइ नै? दसो गो आरो दहक मालिक।
बुधन- आ नै हेतह।
देबहक तँ दहक नै तँ जाइ छी हटिएपर कीनि लेब।
मंगल- से तँ नै हेतह
मालिक। हमरा तोरापर दाबी अछि। आब पाइ दहक की नै दहक। मुदा घूमि कऽ नै जाए देबह।
(गिड़गिड़ाइत) हे हे, कक्काकेँ अपना दिससँ खाइ पीऐले पाँचो टाका दहक मालिक।
बुधन- जा तूहीं जीतलह।
पाँच गो खाइ पीऐले दइ छिअह। (पँचटकही बुधन
मंगलकेँ देलखिन आ उ पाइ लऽ कोनियाँ हुनका देलनि। बुधनक प्रस्थान)
मंगल- (प्रसन्न मने) भगवान बड़ीटा छथिन। सबहक जोगार लगबै छथिन। आइ एगो पन्नी पीबेटा करबै। जे
हेतै से हेतै।
पटाक्षेप।
तेसर दृश्य-
(स्थान- चन्द्रेश झाक हबेली। अपन दलानपर
कुरसीपर बैस सिकरेट पीबै छथि। दलानपर चारि-पाँचटा कुरसी आ एगो टेबुल लगल छन्हि।)
चन्द्रश- (सिकरेट मीझा कऽ
रखि खिसियाइत) ओइ डोमीनियाँकेँ कहने छेलिऐ छिट्टा-कोनियाँ देबाक लेल। कहलक नेने आएब मािलक। से आइ धरि अबिते अछि। धान सभ
राइ-छित्ती होइत रहैए। गोबर-करसी जतए-ततए पड़ल अछि। सभटा बरसातेमे टूटि-टाटि गेल। आब ओइ डोमीनियाँकेँ देखबै तहन ओकरा सिखेबै जे कोन बाँसक दाहा होइ
छै।
(फेर ठुट्ठी बीड़ी लगा कऽ पीबए लगै छथि। तखने पाँचटा छिट्टा आ पाँचटा कोनियाँ
लऽ कऽ मरनीक प्रवेश। चन्द्रश बीड़ी मीझा कऽ रखि लइ छथि।)
मरनी- (दलानपर कोनियाँ-पथिया रखैत दूरेसँ) गोर लगै छी मािलक।
चन्द्रेश- (खिसिया कऽ की
गोर लगै छेँ। कहिया कहलियौ छिट्टा-कोनियाँ दऽ
जाइले से आइ एलेँहेँ। सभटा समान राइ-छित्ती भऽ जाएत
तँ लऽ कऽ की करब। जे तूकपर नै से कथीदुनपर।
मरनी- की करबै मालिक, दुखना बाउकेँ मन खराप भऽ गेल छेलै। तँए देरी भऽ गेलनि।
चन्द्रेश- हमरा सीखबै छेँ, हमरा ठकै छेँ। कही ने, दारू पीऐसँ
फुरसत नै भेलै।
मरनी- नै मालिक, आब कहाँ पीऐ छै दारू। खाली साँझेटामे एक बोतल ताड़ी पीबै छै। (चन्द्रेश हँसि दइ छथि।)
चन्द्रेश- बिलाइ केतौ
वैष्णो भेलैए। खैर, दारू छोड़ि देलकौ से तँ बड़ नीक केलकौ। ताड़ी ओतेक खतरनाक नै छै आ पाइओ कम
लगै छै। अच्छा होड़ ई गप-सप्प। कह कएगो
कोनियाँ आ कएगो पथिया छौ?
मरनी- पाँच गो कोनियाँ
आ पाँच गो पथिया छन्हि।
चन्द्रेश- सभटाकेँ कएगो
पाइ भेलौ?
मरनी- डेढ़ सए टके पथिया
आ पचास टके कोनियाँ जोड़ि देथुन।
चन्द्रेश- बड़ महग कहै छिही।
मरनी- की करबै मालिक, बाँस बड़ महग भऽ गेलै। हिनकेमे सँ बीस-पच्चीस टके कटै छेलियनि। मुदा अखनि इहए सौंसे नमरी लऽ लइ छथिन। तैपरसँ
मेहनतो बड़ लगै छै। से कोनो ई नै बुझै छथिन। देथुन ने दस टाका कमे।
चन्द्रेश- (ठुट्ठी सिकरेट
लगा कऽ पीऐत) हम मोलाइ-तोलाइ नै करै छिऐ। हम एक्के बेर कहै छिऐ। देबाक हेतौ तँ दिहेँ, नै तँ लऽ जइहेँ।
मरनी- कहियौ मालिक।
कनी सोचि कऽ कहथुन। हमहूँ अहीपर छी ने।
चन्द्रेश- पचास टके छिट्टा
आ बीस टके कोनियाँ। सभटा मिला कऽ सारहे तीन सए टाका भेलौ।
मरनी- बड़ कम्म भेलै
मालिक। हटियापर बेचबै तँ बड़ कम्म हेतै तँ आठ सए। ई साते सए दऽ देथुन।
चन्द्रेश- (खिसिया कऽ) कहलियौ ने हम एक्केबेर बजै छिऐ। देबाक छौ तँ दही नै तँ लऽ जो अपन कोनियाँ-पथिया।
मरनी- ओते नै खिसियाथुन।
एकबेर ईहो बजथुन।
चन्द्रेश- पचास टाका आरो
देबौ। देबाक छौ तँ दही नै तँ लऽ जो।
मरनी- बड़ आशासँ हिनका
आएल रहियनि जे मालिक किछु लगा कऽ देथिन। बेटाकेँ मैटरिकक फारम भरैक छै। मुदा
ई उचितोमे बड़ कम्म दइ छथिन।
चन्द्रेश- बेटा मैट्रिकक
फार्म भरतौ! (आश्चर्यसँ)
मरनी- हँ मालिक।
छौड़ा छह सए टाका मंगै छै। आखिरी छओ सए टाका दऽ देथुन।
चन्द्रेश- (खिसिया कऽ) भगलेँ की नै एतएसँ। कप्पार खाइले एलेँहेँ जो, लऽ जो, अपन बेचि लिहेँ। अखनि तुरन्त
भाग। नै तँ हमर नरसिंह तेज हेतौ तँ बापसँ भेँट कराए देबौ।
मरनी- कोनो हिनका
राजमे बसल छियनि जे हमरा बापसँ भेँट करेता। कोनो करजा नै मांगए आएल छियनि जे हमरा बापसँ भेँट करेता। कोनो एक-बरकेँ दू-बर नै मंगै छियनि जे एहेन कथा
कहता। अपन गिरहत जानि कऽ एते खेखनियाँ करै छेलियनि।
चन्द्रेश- तूँ करजा ना
लेलेँ तँ अखनि बाँसक एक सए टाका निकाल नै तँ एतएसँ ससरए नै देबौ। (िसकरेट लगा पीऐ छथि।)
मरनी- मालिककेँ एहेन
बुधि होइ छन्हि जे गरीब-लचारकेँ मजबूरीक
फेदा उठाबी। अखनि जाए दथु। इहए कोनियाँ-पथिया बेचि कऽ हिनका पाइ दऽ जेबनि। अखनि हम कतएसँ पाइ देबनि।
चन्देश- हम तँ किच्छो
नै बुझै छिऐ। हमरा पाइ चाही अक्खनि। नै तँ ससरि नै सकै छेँ।
(मरनी कोनियाँ-पथिया माथपर उठा जाए चाहैत मुदा
चन्द्रेश कुरसीपर सँ उठि बेंत देखबैए।)
एक्को डेग तँू ससरि कऽ देख लही। की दशा होइ छौ।
(मरनी डरसँ नै ससरि रहली अछि।)
मरनी- (कनैत-कनैत) नै पाइ छेलै तँ मुड़ीमचरूआ किअए
बाँस लेलकै। भुखले रहितौं तँ सुतले रहितौं। ओइले हमरा बेज्जति करैए। जेबै घरपर
सातो पुरखाकेँ उकटबै सरधुआकेँ। बज्जर खसौना ने हमरा एते बात-कथा सुनबैए।
चन्द्रेश- एतए गारि देबही तँ अखनि बेंतसँ ससारि देबौ। (मारैले उठलथि।)
(चन्द्रेशक एकलौती बेटी चन्द्रप्रभाक प्रेवेश। अबिते अपन पिताकेँ भरि पाँज
पकड़ि मरनीकेँ बँचौलनि।)
चन्द्रप्रभा- गै डोमिनियाँ, एते गारि किनको दुरापर किअए दइ छिही ई नीक
बात नै भेलौ। जो बाटमे गारि पढ़िहेँ जेते मन हेतौ तेते।
मरनी- हम अपन घरबलाकेँ
गारि दइ छिऐ। आनकेँ तँ नै दइ छिऐ।
चन्द्रप्रभा- से तँ हम अन्दरेसं
सुनलियौ। मुदा एतए गारि नै दही घरपर दिहनि। जो एतएसँ। तूँ सभ नै ने सुधरबेँ।
मरनी- हमरा सरधुआ खातिर
अहाँक बाबू हमरा नै जाए दइ छथि।
चन्द्रप्रभा- की भेलै से? कोनो कारण हेतै ने?
मरनी- की कारण रहतै।
इहए जे हमरा बेटाकेँ मैटरीकक फारम भरैक छै। छह सए टाका लगतै। कहलिऐ कोनियाँ-पथिया बेचि कऽ दऽ देबै। मालिको कहने छेलखिन दऽ जाइले। लऽ कऽ एलौं तँ मालिक
बड़ कम दाम लगौलखिन। हमरा पड़ता नै पड़ल। कहलियनि कनी आरो देथुन। अपन-अपन नफ्फा तँ नै चाहै छै। कम-सँ-कम बेटाक फारम भराइ छह सए देथुन। तहीपर खिसिया गेलखिन आ कहलखिन जे बाँसक
पाइ एक सए टाका अखनि राख तब जइहेँ।
चन्द्रप्रभा- दुखन अहींक बेटा छी?
मरनी- हँ, हमरे बेटा छी।
चन्द्रप्रभा- बड़ तेज अछि बेटा। खूब
मनसँ पढ़ाउ।
मरनी- गरीब बुते
पढ़ाएल हेतै? फारम भरैक पाइ नै जुमै छै।
चन्द्रप्रभा- (प्रसन्न मने) पापा, अहाँ डोमीनकेँ छह सए टाका दियनु आ
कोनियाँ-पथिया रखि लियनु। फारम भरैक सबाल
छै। ऐमे मदति करबाक चाही। अपने गामक मालिक छेएे।
चन्द्रेश- (खिसिया कऽ) जाउ, मम्मीसँ आनि कऽ दऽ दियनु।
(चन्द्रप्रभा अन्दर जा कऽ मम्मीसँ छह सए टाका आनि कऽ मरनीकेँ देली।)
चन्द्रप्रभा- डोमीन, कोनियाँ-पथिया अन्दर दऽ दियौ तहन जाएब।
मरनी- बेस, दऽ दइ छिऐ।
(मरनी कोनियाँ-पथिया अन्दर दऽ एली।)
जाइ छी बुच्ची।
चन्द्रप्रभा- बेस जाउ।
(मरनीक प्रस्थान)
(चन्द्रेश तामसे बिभाेर छथि। उ चन्द्रप्रभापर
आँखि लाल-पीअर कऽ रहल छथि।)
पापा, डोमीन चलि गेली। आब पुछै छी, एन किअए केकरो
हाथ उठा लइ छिऐ? उ जतए-ततए बजतै। अहींक प्रतिष्ठापर पड़त किने?
चन्द्रेश- (खिसिया कऽ) हमर प्रतिष्ठाकेँ अहाँ किअए सोचै छी? हमरासँ किनको
बेसी प्रतिष्ठा छन्हि ऐ परोपट्टामे?
चन्द्रप्रभा- पापा, ई घमंडक बात भेल। घमंड रावणोकेँ नै छोड़लकै।
चन्द्रश- (ठहक्का मारि कऽ) हा हा हा हा हा हा...। रावणक बात करै छेँ।
अखनि तूँ बच्चा छेँ। नै बुझबिही। ओकरामे बड़
रहस्य छेलै।
चन्द्रप्रभा- रहस्य किछु होन्हि
पापा। मुदा उ घमंडेक कारण मारल गेला।
चन्द्रेश- आइ जौं तूँ हमर
बेटी नै रहितेँ तँ तोरो बिना बेँत देने नै रहितियौ। मुदा करी तँ करी की? जुग जमाना नीक नै छै। एक्केटा छेँ तँए गम खा लइ छी।
चन्द्रप्रभा- (हिचुकैत) जुगे-जमानाकेँ देखैत हम कहलौं पापा।
चन्द्रेश- जुग जमाना हमरा
मुट्ठीमे छै मुट्ठीमे। जे चाहबै जखनि चाहबै से हेतै। कान खोलि कऽ सुनि लही आ तों अखनि हमरा सामनेसँ हटि जो। तोँ हमरा डोमीनियाँ
लग बड़ बेकूफ बनेलेँ।
(चन्द्रप्रभाक प्रस्थान)
केना-कोना पाइ बटज्ञेरलौं आ आइ पाइबला कहबै छी। से हमहींटा बुझै छी। चन्द्रप्रभा
मम्मी, चन्द्रप्रभा मम्मी, चन्द्रप्रभा मम्मी।
मनीषा- (अन्दरसँ) हइए एलौं। हइए एलौं।
(चन्द्रेशक पत्नी मनीषाक प्रवेश।)
की कहलौं।
चन्द्रेश- की कहब? अहाँक बेटी ओइ डोमीनियाँक कारणे हमरा बुरबक बना देलक। डाँटैले नै चाहलिऐ
मुदा डाँटए पड़ल।
मनीषा- हँ देखिलिऐ मन
बिधुआएल आ हिचुकैत। की भेलै से?
चन्द्रेश- की हेतै? ओइ कोनियाँ-पथियामे हमरा नै कम तँ दू सए टाका
बँचितए। से आबि कऽ पंचैती करए लगली। उ कतए जैइतै? जे कहितिऐ से करितै। मजबूर छेलै। ओकरा बेटाकेँ फारम भरैक छेलै, तइसँ अहाँ बेटीकेँ कोन मतलब? ओकर बेटा बड़ तेज छै, तइसँ अहाँ बेटीकेँ कोन मतलब? उ जे दू सए टाका बँचितै, से अपने सभकेँ ने नफ्फा होइतै।
मनीषा- खैर, छोड़ू ई गप-सप्प। धिया-पुता छैलै। उ सभ ओते नअ-छअ नै बुझै छै।
चन्द्रेश- अहाँ कहै छी धिया-पुता छै। मैट्रिकमे पढ़ैए आ धिए-पुता अछि।
मनीषा- माए-बापक नजरिमे उ केतबो नम्हर भऽ जाएत तँ धिए-पुता रहत।
चन्द्रेश- से तँ ठीके।
मुदा हम जे किछु बँचाएब ओकरेले ने बँचाएब। हमरा आन के छै? हम चाहै छी ओकरा पढ़ा-लिखा कऽ बड़का
डाक्टर बनाबी। बिना पाइए हएत? बून-बूनसँ तलाब भरै छै। हम एगो सिकरेट पाँच बेर पीऐ छी। लोक सभ देखि कऽ हँसैत
हएत। कपड़ा-लत्ता केहेन पहिरै छी से देखिते
छी। भगवान हमरा ओते नै देने छथि जे हम स्टैण्डर जिनगी जीबी। अहूँ सभकेँ ओते
नीक कपड़ा-लता नै दइ छी। खेनाइ-पीनाइ एकदम साधारण खाइ छी। किअए से बुझै छिऐ?
मनीषा- कहिऔ ने? हम ओते नै बुझै छिऐ।
चन्द्रेश- एक्केटा गप छै- बेटीकेँ बड़का डाक्टर बनेनाइ आ ओकर पाइक जोगार केनाइ। डाक्टर बना ओकर बिआह
जातिमे राजा घरमे करब। दुनियाँ देखत आ सुनत तँ सोचमे पड़ि जाएत। जतए-ततए र्चा हएत जे चन्द्रेश बाबू एतेक बड़का लोक छथि। बिना घेँट कटने वा पेट
कटने बेसी सम्पति नै भऽ सकै छै। से बूझि लियौ चन्द्रप्रभा मम्मी।
मनीषा- तँ ऽ ऽ एहनो नै
नीक जे सभ सरापिते रहए।
चन्द्रेश- कौआ सरापने बेग
नै मरै छै। अहां एकर चिन्ता नै करू। अपना-अपनाले सभ हरान छै। सालमे एकबेर बाबाधाम अबस्स जाइ छी। से केना? तँ सुलतानगंजमे उत्तरवाहिनी गंगामे स्नान कऽ गंजाजल भरि कामर सजा बोल-बम करैत-करैत पाँव-पैदल। ई बड़ पैघ पूण्यक काज छी। सभटा पाप बाबा हरै छथिन।
मनीषा- एकर माने ई भेल
चन्द्रप्रभा बाबू जे केतबो पाप करी आ कामर लऽ कऽ बाबाधाम पएरे चलि जाइ तँ बाबा
सभ पाप हरि पूण्य भरि देता।
चन्द्रेश- सएह बुझू। ई सभ
बात केतौ बजबै नै। हमर पत्नी छी तँए अपन दिलक बात कहि देलौं। मुदा डोमीनियाँकेँ
जे दू सए टाका बेसी लगि गेल। तइसँ हमरा कखनो-कखनो बड़ आहि अबैए। जाउ अहूँ नै सम्हारलौं।
(चिन्तित मुद्रामे बैस सौंसका सिकरेट धरा पीअए लगै छथि।)
पटाक्षेप।
चारिम दृश्य-
(स्थान- मंगलक घर। मंगल चंगेरा बीनै छथि।)
मंगल- कखनि गेल मौगी
कोनियाँ-पथिया लऽ कऽ। से अखनि धरि नै
आएल। लगैए हटिया चलि गेल हएत। सुगरोकेँ छोड़ि आएल छिऐ गाछीमे। उ कखनो एकठाम
रहै छै। हरदम हूल-हूल करैत रहैए। कनी जल्दी अबितै
तँ देखतिऐ केम्हर गेलै केम्हर नै। लोक सबहक बारी-झाड़ीमे चलि जाइ छै तँ उ सभ मारि की कहाँ बजए लगै छै।
(मंगलक पितियौत भाए रबीयाक प्रवेश।)
रबीया- भैया, भैया, तोहर सुगर कतए छौ?
मंगल- की भेलै से? बड़ हरबरी देखै छियौ।
रबीया- भैया रउ, पथिया बेचि कऽ अबैत रहिऐ ने तँ एगो डोमबाकेँ देखलिऐ बड़ रेशमे सुगर भगौने
जाइत। लागल जे तोरे सुगर छौ। हम तँ पउरे साल बेचि लेलौं। कनी पीऐओक मन छल, नै पीलौं दौगल एलौं। से देखतिही गऽ?
मंगल- कनी तूहूँ चल
तँ। दुखन दुखन दुखन।
दुखन- (अन्दरसँ) हँ बाउ, हएह एलौं।
मंगल- जल्दी आ। बड़
जरूरी छै।
(दुखनक प्रवेश)
दुखन- की बाउ?
मंगल- कनी तूँ एतै बैस
आ चंगेरा बीनल हेतौ तँ बीनि।
दुखन- नै हेतौ।
मंगल- कोशिश करही। कला कोनो बेकार नै होइ छै। हम जाइ छियौ सुगर
देखैले। चल रबीया दुनू भाँइ।
(मंगल आ रबीयाक प्रस्थान)
दुखन- हम तँ कहियो ई
काज केलिऐ नै। तँ हेतै केना? हमर खनदानी काज छी।
करबै तँ जल्दी सीखि जाएब। मुदा एक्के-दुइए दिन केने तँ नै सीखब। पढ़ाइमे पछुआ जाएब तँ सरजी मारता। देखल जेतै पछाति।
अखनि पढ़ाइपर धियान देबाक अछि।
(मरनीक प्रवेश।)
मरनी- (खिसिया कऽ) आ गेलौ कतए?
दुखन- सुगरमे गेलौ।
किअए खिसियाएल छेँ माए?
मरनी- तोरापर नै, ओकरपर। ओकर चालिपर।
दुखन- की भेलै से?
मरनी- की हेतै? तोहर बाप चन्द्रेश मालिकसँ उधारी एगो बाँस लऽ लेलकै। तइले हमरा घेर नेने
छेलए। तइपरसँ बेंतो देखबै छेलए। धनि ओकर बेटी कहाँदून तोरे किलासमे पढ़ै छै, से बँचेलक आ कोनियाँ-पथिया लऽ माएसँ
छह सए टाका आनि कऽ देलक। अच्दा तू इसकूल जो हम भनसा करैले जाइ छी।
(दुनूक प्रस्थान)
मंगल- (प्रवेश कऽ) हीर्र र र रऽ। हीर्र र र रऽ। हीर्र र र रऽ।
भैया, कहाँ केतौ देखै छिऐ। लगैए उहए सार
डोमबा लऽ गेलौ। सारकेँ चिन्हबो ने केलिऐ। पकड़बै सारकेँ तँ ओकरा माएसँ बिआह कऽ
लेबै।
मंगल- हमरो लगै छौ, आब सुगरसँ हाथ धुअ पड़त। उहए सार अही गाछीमे सँ हाँकि कऽ भागि गेलौ। आइ जे
सार भेट जइतै तँ अही कातीसँ भोंटी निकालि लैतिऐ।
रबीया- भैया राउ, चल ने सारकेँ देखिऐ कतए गेलै? भेटतै तँ ओकरा
माएसँ हम बिहा कऽ लेब आ बहिनसँ तूँ कऽ लिहेँ। दुनू सारहू ओतै रहि जाएब। नवका
सोसराइरमे मानो-दान खूम होइ छै।
मंगल- चोरबा सार पकड़ए
देतौ। गामेपर चल। आब संतोखे करए पड़त। चल केते दिनसँ किछु नै भेलै। आइ हेतै।
तोरो संगमे किछु माल-पानी हेबे करतौ आ किछु
हमरो संगमे छैहे। मन बड़ चट-पट करैए दारूले।
दारू पीना बहु दिन भऽ गेल।
रबीया- जे गति तोरो से
गति मोरो, रामा हौ रामा। चल भैरूा आइ हेतै भरि
मन दारू।
मंगल- आइ थाकलो बड़
छी। सार सुगरो नै भेटल आ हरानो बड़ भेलौं दुनू भाँइ। एगो आशा छेलए जे अग्गी-खग्गीमे सुगर बेचि कऽ काम करब, सेहो हरा गेल। खैर, चल, संतोखे गाछमे मेबा फड़ै छै। भगमान
बड़ीटा छै।
रबीया- छोड़ भैया, ई खिस्सा–पिहानी। दारूले मन बड़ चटपट करै छौ।
मंगल- चल। मुदा रबीया, एगो बात कहियौ?
रबीया- कही ने भैया।
मंगल- दुखना माए खिसियाएत
तँ। उ मनाही केनेए।
रबीया- एगो बात कह तँ
भैया। तूँ ओकर बहु आकि उ तोहर बहु?
मंगल- उ हमर बहु।
रबीया- तब उ तोरापर
शासन करतौ। जे जे कहतौ से से करबिही? धूर सार, ऐसँ बढ़ियाँ एक चुरुक पानिमे डूमि
कऽ मरि जो। हम अपना बहुकेँ जे कहबै जखनि कहबै से करतै। नै तँ हाथ-पएर बान्हि सटकासँ पाँती-पाँती दागि
देबै आ दगिते रहै छिऐ।
मंगल- तँए ने दुनू
परानीमे हरदम खटपट होइ रहै छौ। मिला कऽ चलबिही
तँ किच्छो अधला नै हेतौ। हमरा घरमे देखै छिही
कहियो हल्ला-गुल्ला। घरक लक्ष्मी बहु होइ छै।
उ भंगठतौ तँ बुझही लक्ष्मी बगदि गेलौ।
रबीया- ओकरापर चलब तँ उ
मुँहमे जाबीए लगा देत।
मंगल- नै, से केतौ करै। मिल-जूलि कऽ रहबिही तँ ऊहो बुझतै ई हमर घरबला छी आ परिवारले हरान रहै
छै।
रबीया- अच्छा चल भैया, आइएटा पीले। आन दिन नै पीहेँ।
मंगल- तँ, बजिहेँ नै भौजी लग। नै तँ उ हमरा फज्झति करत।
रबीया- नै बजबै, चल ने तूँ। हइए दारू दोकान आबिए गेलौ।
(पर्दा हटैए आ दारू दोकान देखाइए। काउन्टरपर शशिकांत बैसल छथि।)
जो भैया तूँहीं जो।
मंगल- तूँहीं जो
रबीया। पाइ ले।
रबीया- तूँहीं जो भैया।
पाइ लऽ ले। हमरापर सार खिसियाएल रहैए। एक-दिन कहा-कही भऽ रहए। बेसी पाइ लै छेलए।
मंगल- अच्छा ला, हमहीं जाइ छी।
(मंगल रबीयासँ पाइ लऽ कऽ दारू काउन्टरपर
दूगो पोलीथिन लेल पहुँचल। रबीया बाहर ठज्ञढ़ अछि।)
मालिक, दूगो पलोथीन दहक।
शशिकांत- की हौ मंगल, बहुत दिनपर एलह हेन?
मंगल- हम छोड़ि देलिअ
मालिक। साँझकेँ एक बोतल ताड़ीएटा पीऐ छी। आब बड़ परहेजमे रहै छिअ।
शशिकांत- एकबागि एना बदलि गेलहक? किछु भेलह से?
मंगल- नै, किच्छो भेल नै। हमर घरनी बड़ खिसिआइए। बेटा मैट्रिकमे पढ़ैए। ओकर पाइ नै
जुमैए। तहीले।
शशिकांत- ट्यूशन पढ़ै छह से केतौ?
मंगल- नै, टीशन कहाँ पढ़ै छै केतौ। किताब-कोपीमे बड़ पाइ
लगै छै हौ। अहू बीचमे फारम भराइ कहलक छ सए लगतै।
शशिकांत- बढ़ियाँ बात। खूम मनसँ
बेटाकेँ पढ़ाबह। तोरा सभकेँ आरक्षण छह। केतौ-ने-केतौ नोकरी भैए जेतह। ओना नोकरी भेटौ वा
नै भेटौ, अपना लेल पढ़नाइ सभकेँ परमावश्यक
छै।
रबीया- भैया, भैया रउ, जँ कटैले गेलेँ तँ सतुआइन केने एबेँ
की? जे तूकपर नै, से किदनिपर। नै होइ छौ तँ छोड़िए
दही।
मंगल- एतै केतौ लोक
पटपटाएल हेन? एहेन छौंक नीक नै।
रबीया- से तँ बुझिते
हेबही। आनबेँ तँ आन, नै तँ चललियौ।
(रबीया जाए लगैए।)
मंगल- रूक, रूक, रूक। हइए एलौं। मालिक दियौ। जल्दीसन
दियौ। बड़ी कालसँ ठाढ़ छी। लिअ पाइ।
शशिकांत- (पाइ लऽ कऽ) पाइ तँ कम्मे छह। आरो दहक।
मंगल- बढ़ि गेलै दाम
से।
शशिकांत- हँ, एगोपर पाँच टाका।
मंगल- किअए बढ़ा
देलहक?
शशिकांत- हम बढ़बै छिऐ से? सरकारे बढ़ा देलकै।
मंगल- सरकार बताह भऽ
गेलै। एते केतौ महगी होइ। गरीबहा नै जीअत। भने हम दारू छोड़ि देलौं। ताड़ीमे पाइओ
कम आ कोनो खरापीओ नै। अच्छा दैह मालिक, दस टाका दोसर दिन लऽ लिअह।
शशिकांत- रबीया, दस गो आरो दही। दाम बढ़ि गेलै।
रबीया- आ लऽ जो।
(मंगल रबीया लग जा कऽ दस टाका आनि शशिकांतकेँ दऽ दूटा पोलिथीन लऽ कऽ ओतै
पीऐले बैस गेल। दुनू पी रहल अछि।)
मंगल- की रबीया? आब संतोख भेलौ ने?
रबीया- हँ भैया आब मन
शांत भेलौ। आ तोरा?
मंगल- हम तँ बेसी दिनपर
पीऐ छी से केनादन लगैए।
रबीया- दू-चारि दिन पीबही ने, तँ फेर नीक लागए लगतौ।
मंगल- हमरा दारू नै
पीबाक अछि। हम ताड़ीएटा पीअब। ओना आइटा पी लै छी। हो हो, जल्दी हो। जल्दी सधा। गामपर काज बहुते छै।
(दुनू गोटे दारू सधेलक आ उठि कऽ विदा भेल)।
रबीया, लगै छौ हमरा लागि गेलौ।
रबीया- भैया, हमरो लगै छौ लागि गेलौ।
(दुनू झुमैत-झामैत जा रहल अछि।)
सार आइ दस रूपैया बेसी लऽ लिया। जाएगा
थानापर आ कहेगा पुलिसबाकेँ ई दारूबला गरीब सभसे बेसी पैसा किअए लऽ लेता है। अपने
सार बुझेगा केहेन महिरम होता है।
मंगल- हमरा तँ बहुक चिन्ता
लागल है। उ जे हमरा देखेगा दारू पीने तँ हमरा बढ़नीसँ झाँटेगा। बेकारमे पीया। उए
उए उए। उल्टीओ नै होता है। जे दारू निकलि जाएगा तँ निसाँ टूटि जाएगा। बहुसँ
बँचि जाएगा।
रबीया- भैया, तोरा बहुसँ एते डर होता है। ओहेन बहुकेँ गोली मारि देगा।
मंगल- बहु मरि जाएगा
तँ केकरा लऽके रहेगा?
रबीया- सार भैया, ईहो नै बुझता है। दुनियाँमे बहु का कोनो कमी हाय। जेकरेसँ चाहेगा तेकरेसँ बिआह
कऽ लेगा। मािर खाइले आ जेहल जाइले बेटा तैयारे है। लेकिन एकटा बात कान खोलि कऽ
सुनि लो भैया काल्हि पहिले अपने गोली मारि लेगा तब ओइ दारूबलाकेँ मारेगा।
सरबाकेँ जिन्दा नै छोड़ेगा।
मंगल- रबीया, एगो बात होगा हम कनियाँकेँ कहेगा जे रबीया जबरदस्ती हमरा पीया दिया। तैसँ
हम बँचि जाएगा।
रबीया- तु गारि काहे
देता है सार? (दुनू खिसिया जाइए।)
रबीया- अखनि घरपर
जाएगा तँ तोरा बहुकेँ लऽ रहेगा।
मंगल- हमरा से कहेगा
तँ हमहूँ कहेगा हम तोरा बहुकेँ लऽके रहेगा।
रबीया- लाज नै होता है
सार भावो लऽके रहेगा। एक्के थापर मारेगा न कि सब दारू निकलि जाएगा।
मंगल- हमरा छोट भऽके
मारेगा तँ हमहूँ नै छोड़ेगा। तोरा माए दूध पीयाया है आ हमरा नै पीयाया है। मारि
कऽ देखो।
(रबीया मंगलकेँ एक थापर लगबैत अछि। मंगलो एक थापर रबीयाकेँ लगौलक। दुनूमे
झगड़ा फँसि गेल। दुनू हाथपाइ कऽ रहल अछि। फेर दुनूमे उठा-पटक भऽ रहल अछि।)
रबीया- (छातीपर चढ़ि) सार भैया खून पी लेगा। आब बाजो कोन बाप काज देगा।
मंगल- हम तरमे है तै
दुआरे। नै तँ तोरा देखा देता। तैयो कहि देता है आइ नै काल्हि तोरो खून पी लेगा।
(मरनीक प्रेश। रबीया देखिते मातर
पड़ा जाइए। मंगल उठि कऽ बैसैए।
मरनी- की भेलै दुखन
बाउ? तँू दुनू भाँइ एना किअए केलह एना तँ कहियो नै करै छेलह।
मंगल- (कनी भँसिआइत) सुगर तकैले गेलौं दुनू भाँइ। ऊहो नै भेटल। कतए-कतए ने बौएलौं। कोनो था-पता नै। रस्तामे
रबीया नै मानलक दारू पीया देलक आ अपनो पीलक सार। निसाँमे गारि दिअ लगल। कहलिऐ
तँ मारि-पीट शुरू कऽ देलक।
मरनी- एकर माने तूँहू
दारू पीलह। जँ तूँ हमर कहल नै केलह तँ हमरा तोरा कोनो नाता नै। आब हम तोरा घरपर
घूमि कऽ नै जेबह। तोरे तकैले आएल छेलिअ। जाइ छिअ जतए मन हएत ततए।
(खिसिया कऽ पड़ाएल जा रहल अछि। पाछू-पाछू मंगल सेहो जा रहल अछि।)
मंगल- घूमि जो दुखन
माए घूमि जो। आब तोहर कहल करबै।
मरनी- से करितह तँ
इएह दशा होइतए। जा, हमरा-तोरा कोनो मतलब नै।
मंगल- हे हे एना नै
करही। केतौ भऽ कऽ नै रहब। दुगो रहितए तँ छोड़िओ दैतिऔ।
मरनी- जा, दोसर कऽ लिहह।
मंगल- से तँ नै हेतै।
तोरा बिना हम नै रहि सकै छियौ। हे हे दुखन माए घूमि जो। आब गलती नै हेतै।
(भरि-भरि पाँज कऽ मंगल मरनीकेँ पकड़ैए।
मुदा छुहलि-छुहलि भागि जाइए।)
बेटा दुखन केना पढ़तै? हमरा बुते नै हेतौ।
मरनी- तोहर बेटा छिअ।
जे मन हेतह से करिअ।
मंगल- हे हे तोरा
दुखनक सप्पत, घूमि जो।
(मरनी ठाढ़ भऽ जाइए।)
मरनी- तूँहू दुखनक सप्पत
खा जे एहेन गलती नै करब।
मंगल- हे हे एहेन सप्पत
खाइले नै कह। दर-दुनियाँमे एक्केगो बेटा छौ। कान
पकड़ि उठि-बैस दइ छियौ।
मरनी- बेसी नै पाँचे
बेर।
मंगल- से जाएबेर कहबेँ
ताए बेर।
मरनी- दुइए बेर।
(मंगल दूबेर कान पकड़ि उठि-बैस देलक। मरनी
लजाए गेली।)
मंगल- आब की कहै छेँ, कह।
मरनी- निसाँ टूटलह
पहिने?
मंगल- हँ आब ठीक छियौ।
मरनी- रबीया जे ओना
केलकह, से थानापर जइहह?
मंगल- नै जो। निसाँमे
दुनू भाँइ छेलिऐ तँए ओना भऽ गेलै। हमरे मदति करैले गेल छेलए। दिनक दोख छेलै भऽ
गेलै। बेसी धरबीही तँ बात बढ़ि जेतै। बरबरि झगड़ होइ रहतौ। से देखही एना कहाँ कहियौ होइ छेलै। कहियो देखिहेँ नीक मनमे
तँ बुझाए-समझाए दिहनि। अच्छा चल आब घर।
(आगू-आगू मरनी आ पाछू-पाछू मंगल जा रहल अछि।)
मरनी- एगो कहह जे चन्द्रेश
मालिककेँ बाँस उधारी किअए लेलहक जे उ हमरा ओते फज्झति केलक।
मंगल- उधारी दुआरे नै
केने हेतौ। कम-सँ-कम पाइमे मंगने हेतौ तूँ ओते कम नै केने हेबही।
तहीपर उकटा-पैंची केने हेतौ। तोरा पहिने कहने
छेलियौ उ कंजूशक ओइध छै। पथिया-कोनियां लेलकौ
की नै, से कह।
मरनी- लेलकै तँ, मुदा छअए सए टाका देलकै। ऊहो ओकर बेटी उ नै।
मंगल- खैर, छोड़। कहुना लेलकै ने। काजेसँ काज छै।
(अन्दरमे दुखन पढ़ि रहल छै। पर्दा उठै छै।)
दुखन- कतए जाइ गेल छेलही?
मरनी- बाए, सुगर हरा कऽ एलौ हेन। जेहो आश छल
सेहो चलि गेल। भगमानेकेँ गरीबहा देखल छै।
दुखन- पाइ दही ने इसकूल जेबै। सभ फारम भरि लेलकै। हमहींटा बँचल छी।
मंगल- दऽ दही, जल्दी चलि
जेतै।
(मरनी छह सए टाका दुखनकेँ देलक।)
मरनी- बौआ, ठीकसँ पाइ रखिहेँ, हराउ नै। भगमानक ना लऽ
कऽ फारम भरिहह। मास्टर साहैब सभकेँ गोर सेहो लागि लिहक।
दुखन- बेस।
(दुखन माता-पिताकेँ पएर छूबि गोर लागि स्कूल गेल। दुनू माथपर हाथ दऽ असीरवाद देलकनि।)
पटाक्षेप।
पाँचम दृश्य-
(चन्द्रेश झाक हबेली। चन्द्रेश मन्हुआएल बैसल छथि। कनीकाल पछाति ठुट्ठी सिकरेट
लगा कऽ पी रहल छथि।)
चन्द्रेश- ओह! बेकारे अपन डोमिनियाँक चक्करमे पड़लौं। आनसँ लइतौं तँ बेसी पाइ नै लगिताए।
तहूपर सँ हमर बेटी आरो छौंक देलक। मजबूर भऽ कऽ हमरा हमर दाममे कोनियाँ-पथिया दऽ कऽ जइताए। ओह! दू सए टाका चलि गेल
पानिमे। दू सए टाका कमाइमे केते भीड़ पैड़ै छै से हमहीं बुझै छी।
(माथपर हाथ रखि चिन्तामग्न भऽ जाइ छथि)
(चन्द्रप्रभाक प्रवेश।)
चन्द्रप्रभा- पापा, खेनाइ बनि गेल छै। चलू खा लिअ।
(चन्द्रेश किछु नै बजै छथि।)
चलू ने, खेनाइ सरा जाएत। हमरो इसकूल जेबाक अछि।
चन्द्रेश- जो ने, तोरा हम मनाह करै छथ्यौ। अपन खइहेँ आ जइहेँ तोरे राज छियौ तँ हमर कोन मोजर।
चन्द्रप्रभा- (आश्चर्यसँ) हमर राज छिऐ। नै बुझलौं पापा एकर माने।
चन्द्रेश- अखनि बच्चा
छेँ। तूँ नै बुझबिही। जो मम्मीकेँ पठा दिहनि।
(चन्द्रप्रभाक प्रस्थान)
एक्को रत्ती नै सोहाइए छौड़ी। कहैले केना आएल छेलए, पापा, खेनाइ खा लिअ। सरा जाएत। जेकराले
हम एते करै छी, से हमरापर शासन करत। हमर मालिक।
(मनीषाक प्रवेश)
मनीषा- की भेल? किअए नै गेलिऐ खाइले? मन बड़ उदास देखै छी।
(चन्द्रेश गुम्म छथि।)
किछु होइए? आकि बुच्ची किछु उझ्झट बात बाजि देलक?
चन्द्रेश- (खिसिया कऽ) ओइ दिनसँ हमरा अन्न-पानि नै नीक लगैए।
मनीषा- कइ दिनसँ?
चन्द्रेश- जइ दिनसँ
डोमीनियाँ दू सए टाका बेसी दऽ देलक।
मनीषा- उ गप अखनि धरि
धेनहिए छी। हम ओही दिन बिसरि गेलौं।
चन्द्रेश- गूड़क मारि
धाकरा जनै छै। बानर जानए आदी सुआद। अहाँकेँ कमाए पड़ितए तहन ने बुझितिऐ, कोन बाँसकेँ दाहा होइ छै।
मनीषा- धिया-पुता छै। जदी एकठा हुसिए गेलै तइले एते आमील पीने छी। ई बात आन कोइ सुनत तँ
कियो नीक नै कहत।
चन्द्रेश- लोक नीक कहै वा
अधला। अपने नीक तँ संसार नीक।
मनीषा- अच्छा जे भेलै
से भेलै आब नै हेतै। हम ओकरा बुझा-समझा देबै। अहाँ
चलू खाइले। ऊहो इसकूल जेतै। हमरो भुख लगल अछि। रातिमे नै खेलौं। मन नै नीक रहए।
चन्द्रेश- जाउ अहाँ सभ खाइ-पीऐ जाउ। हम बादमे खा लेब।
मनीषा- जदी अहाँ घरपर
छिऐ तँ से केना हेतै?
चन्द्रेश- जदी हमरा खाइक
मन नै होइ तहन?
मनीषा- गप-सपसँ मन बुझा जाइ छै ने। छोड़ू लटारम, चलू खाइले। बुच्ची आब गलती नै करतै। सएह ने?
चन्द्रेश- हँ सएह। अच्छा
चलू अबै छी। एक आदमी काल्हि पाइ दइले औझका टेम देने रहए।
मनीषा- कनी जल्दी एबै।
(मनीषाक प्रस्थान)
चन्द्रेश- भुखै हमरा जान
जाए रहल अछि। मुदा ऐ बीचमे जदी सीताराम पाइ दइले आबि जाएत तहन हमरा नै पाबि
घूमि जाएत ा फेर पाइमे आना-कानी करत। बड़ िलझरिया
छै। खाइ कालमे हम लेनी-देनी करिते नै छी।
(सीतारामक प्रवेश)
सीताराम- (कर जोड़ि) मालिक प्रणाम।)
चन्द्रेश- खुश रह। दनदनाइत
रह। अहिना हमरासँ लेन-देन करैत रह।
सीताराम- मालिक, तनी हियाब देथतिऐ। ती-तेना भेलै?
चन्द्रेश- (डायरी निकालि
देखि कऽ) दू हजार आठ सए अट्ठावन टाका सूदि-मुरि लगा कऽ भेलौ।
सीताराम- बाप ले बाप, बड भऽ देलै। ओते तेना भेले मालिक?
चन्द्रेश- आठ सए मुरि
छेलै। कही हँ।
सीताराम- थीके छेलै।
चन्द्रेश- दस टके चारि
अने सैकड़ सुदि छेलै। कही हँ।
सीताराम- छेलै, थीके छिऐ।
चन्द्रेश- पच्चीस महिना
तीन दिन भेलै। कही हँ।
सीताराम- (कनीकाल गुम्म
पड़ि) ओते नै भेल हेतै। थीकसँ देखियौ मािलक।
चन्द्रेश- देखले देखल छै।
ओना हम एकबेर फेर देख लइ छिऐ।
(डायरी देखि जोड़ि-जाड़ि कऽ) देखही सीताराम, लिखतनक आगू वक्तन कोनो काज नै करै छै। हमरा डायरीमे इहए लिखल छौ आ ईहो बूझि
लही हम गलती नै लिखबौ। केकरा संगे के एलै आ के जेतै।
सीताराम- तब हेतै। हम गरीब छी।
हमरा तेते थोड़ि देबै।
चन्द्रेश- छोड़ै-छाड़क ना नै ले। ओते लगबे करतौ। कनी तूँ अप्पन खैनी दही।
सीताराम- हमरो तहाँ थैनी हेतै।
तैयो देथै थिऐ।
(सीताराम खैनीक डिब्बी निकालि) तनी थेलै, लिअ।
चन्द्रेश- तूँहीं चुना।
तोहर हाथक बढ़ियाँ होइ छै।
सीताराम- थैनीओ बद महद भऽ देलै।
मालिक। एत ताका ते देबो नै तरै थै।
चन्द्रेश- चुना ने, कते गप छँटै छेँ।
(सीताराम डिब्बीसँ खैनी निकालि चुनबैए।)
सीताराम- लिअ मालिक थैनी। (दुनू आदमी खैनी खेलथि।)
चन्द्रेश- आब ला पाइ।
(सीताराम फाँढ़सँ तीन हजार टाका निकाललथि।)
तीनू हजरिया छै।
(तीनू हजार टाका सीताराम चन्द्रेशकेँ देलनि।)
कतएसँ आमदनी एलौ हेन। तीनू कड़करौए छौ।
सीताराम- मालिक, बेता डिल्लीसँ भेदलकै।
(मनीषाक प्रेवेश)
मनीषा- खाइक बेर नै
भेलै हेन। कखनि कहलिऐ हइए अबै छी से अबिते छी। भेलै ने बुच्चीओक इसकूल कामे भऽ
गेलै।
चन्द्रेश- की करिऐ, हमहूँ कोनो बैसल-सूतल छी? काजे करै छी ने? अही पाइले दुनियाँ बाप-बाप करै छै। चलू, तुरंत एलौं।
मनीषा- पेटमे रहै छै
तहने पाइओ नीक लगै छै।
चन्द्रेश- मुदा पाइ अबैत
रहै छै तँ भुखे हरा जाइ छै। ओना पेट तँ पेटे छै। जइले दुनियाँ हरान छै। अहाँ बढ़ू, हम अबै छी।
(मनीषाक प्रस्थान)
सीताराम- बड़ीकाल भऽ देलै मालिक।
घरपर ताजो छै।
चन्द्रेश- हइए ले सीताराम, अपना फिरता पाइ। (पाइ फिरौलनि।)
सीताराम- तेते फेरलिऐ मालिक?
चन्द्रेश- जे तोहर फिरतौ।
सीताराम- मालिक, गरीब आदमीपर किच्छो दया-माया नै?
चन्द्रेश- हम की दया करबौ।
दया तँ भगवान करै छथिन।
सीताराम- एगो खैनीक पुरिओक पाइ दियौ
मालिक।
चन्द्रेश- आब किछु नै
हेतौ। बेकारमे बकर-बकर बकै छेँ। उन्ैस पाइ छोड़िए
देने छियौ। उन्नीस पाइकेँ महत तूँ कम बुझै छिही।
बेसी जिद्द करबिही तँ एक टाका आरो दिअए पड़तौ।
कारण पाइ आब नै चलै छै।
सीताराम- तऽ ऽ ऽ, लइए लिअ एकटाका। किअए मन लागल रहत उन्नैस पाइले।
चन्द्रेश- हम तँ छोड़ि
देने छेलिओ मुदा तोरा मन छौ तँ ला।
सीताराम- लऽ लिअ मालिक।
(सीताराम एक टाका चन्द्रेशकेँ देलनि। ओ सहर्ष लऽ लेलनि। सीतारामक आँखिमे
नोर आबि गेल।)
धनि छी मालिक। धनि छी मालिक।
पटाक्षेप।
छअम दृश्य-
(स्थान- मंगलक घर मंगल पथिया बीनि रहल छथि।
मरनी कोनियाँ बीनि रहल छथि।)
मंगल- गइ दुखन माए, पहिने हम जे जनितौं, पढ़ाइमे एते
खरचा होइ छै तँ दुखनकेँ नै पढ़़ैबितौं।
मरनी- देखहक, पढ़ल-लिखलक जुग एलैए। सभ पढ़तै आ उ नै
पढ़तै तँ ऊहोले बौआ जिनगी भरि अबजश दैत रहत। कम-सँ-कम मैटृरिको करा दहक तेकर बाद छोड़ि दिहक।
ओना हमर विचार अछि जे जाधरि बौआ पढ़त ताधरि दुखो-तकलीफ काटि पएर पाछू नै करब। बेसी पढ़तै तँ आरो ना हेतह। पढ़ाइ सड़ैबला चीजो
नै छिऐ जे सड़ि जाएत।
मंगल- मैट्रिक
परीक्षा कहिया हेतै?
मरनी- एक दिन बौआ बजल
छेलै, अही बीचमे होइबला छै। से पाइक ओरियान करही। पुछलिऐ केते तँ कहलक दू सए।
मंगल- घरमे छौ ने पाइ?
मरनी- छै सारहे तीन
सए।
मंगल- आरो पाइ की केलही? ऐ बीचमे तँ बहुते कोनियाँ-पथिया बीकलौ?
मरनी- से हम कहाँ कहै
छी नै। छह सए बौआकेँ फारम भरैले देलिऐ आ तीन सए किराना दोकानबलाकेँ देलिऐ। पाइ
खाइबला खाइबला जीत तँ नै छै जे खा गेलिऐ।
मंगल- से हमरा तोरापर
बिसवास अछि। तोरा सनक घरवाली भगमान सभकेँ दै। तऽ ऽऽ ओहीमे सँ बौआकेँ दऽ दिहनि
आ डेढ़ सए टाका घर-बेद रहए दिहनि।
मरनी- नै, एक सए टाका चन्द्रेश मािलककेँ बाँसबला दऽ दहक आ पचास टाका ताड़ीवालीकेँ।
बेसी लझ्झर रखबहक तँ तुकपर समान नै भेटतह।
(दुखनक प्रवेश।)
दुखन- माए, आइए जेबै परीक्षा दइले। हमर एगो संगी डेरा भँजिया आएल छै। ऊहो आइए जाइ छै।
परीक्षा काल्हिसँ छिऐ।
मरनी- केते पाइ लेबही?
दुखन- दू सए दही।
मंगल- दही जे कहै छौ से। तूँ जो दुखन, अपन सामन सभ ओरियाले।
(मरनी अन्दरसँ साढ़े तीन सए टाका अनलथि। दुनू माइ-पूतक प्रस्थान।) (पीठेपर दुखन एगो झोरामे
सभ समान सैंत कऽ अनलक।)
मरनी- ले बौआ, दू सए टाका।
(दुखन दू सए टाका लेलक। माता-िपताकेँ पएर
छूबि प्रणाम करैए आ ओ दुनू आदमी असीरवाद दइए।)
बौआ, ठीकसँ जइहह। ठीसँ परीक्षा दिहक। उचक्का छौड़ा सभ संगे एम्हर-ओम्हर नै घूमिहह। मधमन्नीमे बड़ गाड़ी चलै छै। काते-काते अपन साइडसँ अबिहह-जइहह।
मंगल- माए ठीके कहै
छौ। ओरिया कऽ सभ काज करिहेँ आ अक्कर-अक्कर बौसु नै
खैइहेँ सधारनीए खेनाइ खैइहेँ।
दुखन- सहए करबै बाउ।
(दुखनक प्रस्थान।)
मरनी- हौ, दुखन बाउ, तूँ ई डेढ़ सए टाका लऽ लैह आ चन्द्रेश
मालिककेँ एक सए टाका आ ताड़ीवालीकेँ पचास टाका दऽ आबहक।
मंगल- ला दऽ अबै छिऐ।
(मंगल डेढ़ सए टाका लऽ प्रस्थान।)
तूँ अँगना जो। हम दइए अबै छिऐ।
(मरनीक प्रस्थान।)
(अन्दरमे चन्द्रेश अपन दलानपर बैसल छथि। पर्दा तुरंत हटैए आ फेर लगि जाइए।)
प्रणाम मािलक।
चन्द्रेश- अखनि जो। दू
चारि दिनक पछाति अबिहेँ। अखनि उधारी-पुधारी नै हेतौ। पछिला पाइ बाँकीए छौ।
मंगल- आइ बाँस लइले नै
एलौं हेन। पछिला पाइ दइले एलौं हेन।
चन्द्रेश- तहन तूँ बड़ नीक
लोक छेँ। गैंहकी एहने हेबाक चाही जे बिा तगेदे पाइ दऽ दिअए।
मंगल- अहाँ तँ ओइ दिन
कहाँदुन दुखन माएकेँ पाइले फझ्झति कऽ देलिऐ मालिक।
चन्द्रेश- ओइ दिन अपन-अपन नफ्फाक मारि रहै। ओना हमर बेटी तोरे कनियाँकेँ जीता देलकौ। हमरा हिसाबसँ
दू सए टाका बेसी लगि गेल। खैर, केतौ आनठाँ गेलै, अपने घरमे गेलै।
मंगल- मालिक, अहाँ हमरा घरकेँ अपन घर बुझलिऐ। तइसँ छाती सूप जकाँ भऽ गेल। पाइ लिअ मािलक।
(चन्द्रेश मंगलसँ एक सए टाका लेलनि।)
चन्द्रेश- मंगल, बड़ बेगरतापर तूँ ई पाइ देलेँ। काल्हिसँ हमरा बेटीकेँ मैट्रिकक परीक्षा छी।
ऐ बीचमे हाथ साफे खाली रहए। ओना बैंकसँ आनए पड़ितए। डेली एतै-जेतै, तइले पाइ चाही ने आ ओकरा संगोमे किछु
चाही। आजे किछु खाइ-पीऐक मन होइ।
मंगल- बेस मालिक, आब हम जाइ छी। ताड़ीवालीकेँ सेहो पाइ देबाक छै।
चन्द्रेश- आइ खाली पाइए
बाँटि रहल छेँ। की आइ-काल्हि बेसी आमदनी
भेलै हेन?
चन्द्रेश- नै मालिक। सिरिफ
सारहे तीन सएक कोनियाँ-पथिया हटियापर बिकलै।
ओइमे सँ दू सए टाका बेटाकेँ देलौं। उ आइ मैट्रिककेँ परीक्षा दइले मधमन्नी गेल। एक
सए अहाँकेँ देलौं आ पचास गो ताड़ीवालीकेँ देबै।
चन्द्रेश- आ घर-बेद?
मंगल- घर-बेद किच्छो नै। दुखन माए कहलक, बेसी लिझ्झर
रखबहक तँ तूकपर समान नै भेटतह।
चन्द्रेश- एकदम ठीक कहलकौ।
बड़ बुधियारि आ चालू-पूर्जा छौ। फेर बाँसक
खगता हेतौ तँ लऽ जइहेँ।
मंगल- बेस मालिक, जाइ छी, प्रणाम।
(पर्दा खसैए। चन्द्रेशक प्रस्थान। मंगल ताड़ीवाली शीला ओइठाम जा रहल अछि।
अन्दरमे शीला अपन ताड़ी दाेकान लगा उपस्थित अछि। तीनटा गैंहकी सेहो ताड़ी पी
रहल अछि। देबन, सुकराती आ छट्ठू गैंहकी अछि। पर्दा
उठैए।)
मंगल- की भौजी, की हाल-चाल?
शीला- ठीक छै। पछिला
पाइकेँ बिसरि गेलिऐ। केते दिन भऽ गेल। हमरो तँ महाजनकेँ दइक छै। अहाँ कोनो नै
बुझै छिऐ जे हमहूँ पैकारसँ ताड़ी लऽ कऽ बेचै छी। भैया हरदम ताशे-जुआमे हरान रहैए। कहुना-कहुना हम छह
आदमीक परिवार चलबै छी।
देबन- ठीके कहै छह
भाय। भौजी बड़ खगल छै। ई तँ इहए छै जे अपन मुहेँ-ठोरे ताड़ी बेचि कऽ परिवार चलबैए आ धियो-पुतोकेँ पढ़बैए।
मंगल- गरीब ने गरीबक
दुख बुझै छै। हम सभटा बुझै छी। तँए ने आइ पाइ दइले एलिऐ हेन।
सुकराती- भैया, तँ बेकारेमे एते बात सुनलहक।
मंगल- सुकराती, बात कोनो बेकार नै होइ छै। खाली ओकर अमल करबाक चाही। हम सएह करै छेलौं। भौजी, पछिला पचास टाका लिअ।
(शीला मंगलसँ पचास टाका लऽ कऽ रखलथि।)
शीला- अहाँ ठीके कहलिेऐ
मंगल बौआ, गरीब गरीबक दुख बुझै छै। उधारी लइले
कोनो बात नै छै। उधारी-नगद दुनियेँ छै। खाली
धियानमे रहए जे बेवस्था खराब नै होइ। पीबै-तीबै तँ पी लिअ, तब जाएब बौआ।
मंगल- अखनि नै पीअब
भौजी। हमर टेम नै भेलै हेन। साँझमे आएब।
छट्ठू- धू, मंगल भाय, तूहूँ केहेन लोक छह जे एकबेर आएल आ
एकबेर एब्ब गऽ। समैक महत दहक।
मंगल- हम तोरे जकाँ
थोरहे करै छी जे जखनि देखू तखनि ताड़ीए दोकानमे नै तँ दारू दोकानमे निश्चिते।
ओना पहिने हमहूँ तोरे जकाँ छेलौं। मुदा हमर मौगीक किरपा जे अखनि बड़ परहेजमे
छी। मन होइए जे साफे छोड़ि दिऐ। भौजी, हम जाइ छी। साँझमे आएब।
शीला- बेस जाउ। साँझमे
जरूर आएब।
(मंगलक प्रस्थान)
देबन- सुकराती भाय, एगो गप बुझलहक की?
सुकराती- नै भाय, की भेलै हेन कतए?
देबन- उ डिल्लीबला
गप।
सुकराती- ओहए ने, छौड़ा-छौड़ीबला। जइमे छौड़ी मरि गेल।
देबन- हँ हँ, ओहएबला।
सुकराती- उ गप तँ पुरान भऽ गेल।
भौजी, अहाँ ई गप बुझलिऐ की?
शीला- हँ, पोपरमे निकलल छेलै। सौंसे दुनियाँ अनघोल भऽ गेल रहै।
सुकराती- अहाँकेँ केहेन लगल?
शीला- केहेन लगत, बड़ खराप। ऐसँ घिनास्टेबला गप औरो की भऽ सकै छै। ऐसँ बढ़ियाँ तँ ई होइतै जे
उ छौड़ा सभ अपन माए-बहिन-बेटीक संग ओना-ओना करितए।
छट्ठू- भौजी, हम जे सरकार हरितऐ तँ ओइ सभटा छौड़ा आकि मरदाबाकेँ पकड़ि सौंसे देहक चमड़ी
घीच ओइमे भूसा भरि बीचला चौकपर टाँगि दैतिऐ जेतए उ सभ एहेन काम केलक। मुदा
एतुक्का निअमे-कानून हद छै। हमरा तँ मन होइए जे
हमर बश चलितै तँ सभ छौड़ा-मरदाबाकेँ मरबा
ओकर माए-बापकेँ सेहो मरबा दैतिऐ जे फेर
एहेन धिया-पुता नै जनिमितै।
पटाक्षेप।
दोसर अंक
पहिल दृश्य-
(स्थान- झिंगुरक चाह दोकान। बी.ए. पास झिंगुर नीक चाह दोकान चला रहल अछि।)
झिंगुर- बाप रे बा, महगाइ एते चरम सीमा पार केने जा रहल अछि जे चाहक दाम बढ़ा दी। हमहूँ की करबै? हमरो तँ समान महग कीनए पड़ै छै। मुदा हमहीं केना आगू बढ़ीऐ? कमपीटीशनक महौल छै। सोचि कऽ नै चलब, तरीकासँ नै चलब तँ फेंका सकै छी। ओना सौदा ठीक रहतै आ पाइ कनी बेसीओ लगतै तँ
गैंहकी एब्बे करतै। हमर दोकान गाम-घरक दोकान छी।
एतुक्का आदमीकेँ शहरक अपेक्षा कम आमदनी होइ छै। तही हिसाबसँ हमरा चलक चाही। की
करबै, एक्के टाका आइसँ बढ़बै छिऐ। मात्र चारिसँ
पाँच कऽ दइ छिऐ।
(संजीता, हरीश आ भोलूक प्रवेश)
संजीत- की हाल-चाल छै काका?
झिंगुर- बड़ खराप।
संजीत- से की? पहिने सभ दिन नीक कहै छेलौं।
झिंगुर- इहए जे चाहक दाम
चारिसँ पाँच भऽ गेल आइएसँ।
संजीत- ई कोन खराप बात
भेलै। महगाइ बढ़तै तँ सभ समानक दाम बढ़तै। ई तँ स्वभाविक छै।
हरीश- तूँ बेसी बुझै
छिही संजीत। तीस दिनमे एक साँझमे तीन टाका बेसी
लगतै आ दुनू साँझमे साठि टाका। एकरा तूँ कम बुझै छिही।
भोलू- बेसी बुझाइ छौ तँ
चाह साफे नै पी, हरीश। नीक समान कीनबिहिन तँ नीक
पाइ लगबे करतौ। हिनकर चाहक जोड़ा ऐ एरियामे केतौ छै, से कह तँ?
हरीश- से तँ नै छै आ
नै हेतै।
भोलू- तहन बकबास बन्न
कर। यौ झिंगुर काका, तीनटा चाह दियौ बढ़ियासँ।
झिंगुर- एकर चिन्ता
तूँ सभ नै करह। हमहूँ कोनो अमरुख नै छी।
(झिंगुर चाह बना रहल छथि।)
संजीत- हरीश, अपना सबहक रिजल्ट कहिया एतै?
हरीश- अही बीचमे
अबैबला छै। रिजल्टक पछाति तूँ की करबिहिन?
संजीत- परीक्षा तँ खूम
बढ़ियाँ गेल छै। चोरीओ बड़ चलै छेलै। लिख नै सकै छेलौं। जौं पास करब तँ पापा जेतए
कहथिन पढ़ैले तेतए पढ़ब। नै तँ हम दिल्ली भागि जाएब। आ तोहर की प्लानिंग छौ?
हरीश- हमर प्लानिंग
इहए छौ जे हम पढ़ाइ साफे छोड़ि देबौ। कारण हम फाइल हेब्बे करबौ। से किअए तँ
बुझलिहन हम चारि दिन एक्कोटा कोपीमे रौले नम्बर नै लिखलिऐ।
संजीत- से एना किअए
केलही?
हरीश- से कोनो जानि
कऽ केलिऐ। धोखासँ छूटि गेलै। परीक्षा दइले जाइ छेलिऐ तँ रस्तामे सभ दिन भाँग
खा लइ छेलिऐ। लगैए ओही दुआरे छूटि जाइ छेलै। की करबै भाँग हमर प्रिय अमल छी। ओइ
बिना हम काेनो काज नै कऽ सकै छी। नै हेतै तँ रिजल्टक बाद हमहूँ भाँगेक दोकान
खोलब। भाेलू भाय, तूँ किच्छो नै बजै छह।
भोलू- तँू सभ बजिते
छह तँ हम की बाजी?
संजीत- किच्छो तँ
बाजह अपन प्लानिंग?
भोलू- हम तँ गेल्ले
घर छिअह। तेते टाइट परीक्षा भेलै से जुनि पूछह। सभ चंठ गार्ड हमरे रूममे रहै
छेलए। पढ़ैमे हम गार्जनकेँ हम बड़ ठकलिऐ। हमर गार्जन पढ़ैक कोनो खर्चमे कोताही नै
केलखिन। हमहीं कनी एम्हर-ओम्हर बेसी करै
छेलिऐ। कोनो नै कोनो गरे हम सिलेमा बरबरि देखै छेलिऐ। परीक्षोमे सिलेमा मारि
दइ छेलिऐ।
संजीत- तहन तँ तीनू
गोटे एक्के रंग। चोर-चोर मसियौत भाय। नै
हेतै ने तँ तीनू गोटे रिजल्टक पछाति दिल्लीए भागि जाएब। नै तँ गामपर लोक सभ
बड़ खिदौंस करत। यौ झिंगुर काका, आइ अहाँक चाह, पाइ बढ़ने बज्जर नै तँ भऽ गेल?
झिंगुर- नै बौआ सभ, बज्जर नै भेल, तैयार अछि। आइ भीड़ नै छेलै आ
तोरासबहक गप सुनैमे नीक लगै छेलए। तँए अनठा कऽ सुनै देलौं। पहिने तूँ सभ चाह लैह।
तकर पछाति हमहूँ किछु अपन विचार देबह।
(झिंगुर चाह छानि कऽ तीनूकेँ देलक।
तीनू चाह पी रहल अछि।)
कहै जाइए बौआ सभ?
संजीत- हँ काका, अबस्स कहियौ।
झिंगुर- केते छौड़ा
सभकेँ देखै छिऐ कखनो ताश जोति देलक। नै पढ़ैक समए बुझै छै आ ने खेलै-कुदैक। अढ़मे जा-जा कऽ मोबाइलपर कनफुस्की
करैत रहै छै। गेल इसकूल आ रहल सिलेमा हाँलमे वा गाछी-बिरछीए बौआइत रहल। तूँहीं सभ कहह उ सभ जिनगीमे नीक रिजल्ट आँखि कहियो
देख सकत?
हरीश- अपने लगती कहबै
काका।
झिंगुर- हमरा आरो जकाँ
जौं तोरा सभकेँ परीक्षा करगर होइतौ तँ बड़का मुँगबा बट्टा खाजापर दूटा मुँगबा नंबर
अबितौ। सरकारक बेवस्थे तेहेन भऽ गेलै जे पढ़ुआकेँ कम नंबर आ एम्हर-ओम्हर करैबलाकेँ बेसी नम्बर अबै छै।
भोलू- तहन हमरा सभकेँ
बेसी नम्बर एबाक चाही?
झिंगुर- आबि सकै छौ।
कोनो भारी बात नै।
भोलू- काका, जदी हमरा सभ ऐबेर पासो कऽ गेलौं तँ अहाँकेँ रसगुल्लासँ दहाबोर कऽ देब। अहाँक
मुँहमे अमृत बसए।
झिंगुर- हमरा एहेन
रसगुल्ला नै चाही। हम तँ भगवानसँ मनेबै जे एहेन विद्यार्थी कम-सँ-कम ऐबेर जरूर फएल कऽ जाए।
संजीत- काका, एहेन असीरवाद देबै तँ हम सभ अहाँक देाकन छोड़ि देब।
झिंगुर- हम कोनो सिद्ध
पुरुख छी जे हमर असीरवाद काज करत। तखनि एते तँ अबस्स कहबौ जे तूँ सभ बड़
लापरवाही बरतलही तँ ओकर फल भेटक चाही आ ठोकर लगक
चाही। ठोकर लगने बुधि बढ़ै छै। बुधि बढ़ने सतर्कता अबै छै। आ सतक्रतासँ सफलता
भेटै छै।
हरीश- बात तँ ठीके कहै
छिऐ काका। अपनेक एकौटा बात कटैबला नै अछि।
(तीनू गोटा चाह पीब कऽ गिलास रखलक।)
झिंगुर- हम अपन अनुभव
कहै जाइ छियौ। खराप लगतौ तँ आपस कऽ दिहेँ। तूँ सभ बजै छेलही जे फएल भेलापर तीनू गोटा दिल्ली भागि जाएब। ई तँ
नीक बात नै भेलौ। जिनगी हारि-जीतक छिऐ। एक
दिन हारमे तँ दोसर दिन जीतो सकै छिऐ जदी मेहनति करबै तहन। ऊपरेमे अल्हुआ नै
फड़ै छै। देखही, असफलते सफलताक जननी छिऐ। असफलतासँ घबरेबाक नै चाही। बल्कि सफलता लेल अथक
प्रयास करक चाही। हमर बातपर तूँ सभ अमल करबेँ तँऽ ऽ जिनगी सफल रहतौ। आब छोड़ ई गप-सप्प। चाहक पाइ ला आ जाइ जो अपन-अपन काज कर।
(तीनू गोटे अपन-अपन चाहक पाइ झिंगुरकेँ देलक। तखने
पेपरबला गौरीक प्रवेश।)
गौरी- पेपर, पेपर, ऐ पेपर, आजुक टटका समाचार। मैट्रिकक रिजल्ट, रिजल्टक बौछार, रिजल्टक बौछार।
संजीत- यौ पेपरबला, एगो पेपर दिअ।
(गौरी पाइ लऽ कऽ पेपर देलक। संजीत पेपर लऽ माथसँ सटौलक। तीनू रिजल्ट देखैए।)
गौरी- पेपर, पेपर, ऐ पेपर, आजुक टटका समाचार। मैट्रिकक रिजल्ट, रिजल्टक बौछार, रिजल्टक बौछार।
(गौरीक प्रस्थान।)
संजीत- इसकूलक नाओं तँ
देखै छिऐ। हम अपन रौल नम्बर कहाँ देखै छिऐ। लगैए छूटि गेल हेतै।
हरीश- दोस, हम अपनो रौल नम्बर नै देखै छिऐ। पेन्डिंगोमे नै देखै छिऐ।
भोलू- दोस, लगैए लोटिया बुड़लौ। हमरो रौल नम्बर नै छै।
झिंगुर- की बौआ सभ, सम्हरलै की बुड़लै?
भोलू- तीनू गोटाक रौल
नम्बर नै छै आ इसकुलक नाओं छै। एकर की माने भेलै काका?
झिंगुर- एकर माने फेर
मैट्रिकक तैयारी केनाइ भेल। यानी सभ फएल। फेर मेहनति करै जाइ जाउ।
संजीत- की हरीश? की भोलू? मन नै होइ छौ जे माए-बापकेँ मुँह देखाबी। एम्हरे-सँ-एम्हरे चलै जाइ जेमे दिल्ली?
हरीश- एकबेर माएओकेँ
कहि देतिऐ।
संजीत- माए कहि सकै छौ
जे भागि जाे?
भोलू- धूर सार सभ, चलै चल एम्हरे-सँ-एम्हरे। मुदा भाड़ा कतएसँ अनबिही?
संजीत- सार दोस, ईहो नै बुझै छिही। अपना सबहक डेरा डाँरेपर
रहै छै। बड़ बेसी तँ टी.टी. पकड़ि लेतै तँ जहलेमे रहब आरो की?
भोलू- नै हेतै ने तँ
टी.टी.केँ गप-सप्प दैत गेँटपर जाएब आ मौका पाबि
चलती गाड़ीसँ बाहर ठेल देबै। लैत रहत सार, टकट आ टकटक पाइ। टकटक घूस लऽ लऽ सार सभ पेट नमरौने रहैए।
हरीश- आ जदी चिक्कन
जकाँ फँसि गेलेँ, ठेलैक मौका नै भेटौ, तहन की करबिही?
संजीत- ओते सोचबिही तऽऽऽ नै जाएल हेतौ। चलैक छौ तँ चल, देखल जेतै जे हेतै से हेतै। राम भरोसे हिन्दू होटल।
(एकटा ग्रामीण राम प्रवेशक प्रवेश।)
रामप्रवेश- (खूद) एहेन सुन्दर रिजल्ट बहु िदनपर भेलैए। दू सए विद्यार्थीमे तीन गो फेल। पास
भेलहामे मंगलाक बेटा इसकूलमे स्टूड फस्ट आ चन्द्रेश बाबूक बेटी स्टूड सकेण्ड।
एगो चाह दहक झिंगुर भाय।
(संजीत, हरीश आ भोलूक प्रस्थान।)
झिंगुर- दइ छिअ भाय।
कोन मंगला बेटा दऽ कहलहक?
रामप्रवेश- डोमबा मंगला। कहाँदुन
ओकर बेटा बड़ चन्सगर छै। सौंसे स्कूलमे सभकेँ पछारि देलक।
(झिंगुर रामप्रवेशकेँ चाह देलक। उ चाह पीबैए।)
झिंगुर- उ तीनू छौड़ा
बेकाबू छल। सभ दुर्गुणसँ भरल छल। तँए तीनू गेल रसातलमे। तीनू भने फाएल भऽ गेल।
रामप्रवेश- वएह तीनू छल फेलहा?
झिंगुर- हँ वएह छल।
रामप्रवेश- सौंसे स्कूलमे तीनेटा
फेल भेल। सेहो वएह तीनू करमजरूआ छल। देखियौ भाय, चन्द्रेश बाबूक बेटी सौंसे स्कूलमे नाओं केलक। ओहो बड़ चन्सगर छै।
झिंगुर- जौं ओकरा सभकेँ
मनसँ पढ़ाएल जाए तँ अबस्से नाओं करत।
(चाहक पाइ दऽ रामप्रवेशक प्रस्थान।)
चन्द्रेश बाबू तँ अपना बेटीकेँ पढ़ा सकै
छथि। मुदा मंगला बुते नै हेतै अपना बेटाकेँ पढ़ाएल।
पटाक्षेप।
दोसर दृश्य-
–
(स्थान- चन्देशक हबेली। मैट्रिकक रिजल्टक
खुशीक माहौल छै। चन्द्रेश आ मनीषा बेटी चन्द्रप्रभाक नीक रिजल्टक संबन्धमे
चर्चा करै छथि तथा ओकर अगिला पढ़ाइक संबन्धमे सोचै छथि।)
चन्द्रेश- चन्द्रप्रभा
मम्मी, हमरा आश नै छल जे हमर बेटी एते बढ़ियाँ
रिजल्ट आनि सकत। फस्ट डिवीजन आ अपन इसकुलमे स्टूड सकेण्ड। हमर पाइ रत्ती-रत्ती ओसला गेल। हम आइ बड़ खुख छी आ अहाँ?
मनीषा- हम अहाँसँ बेसी
खुश छी।
चन्द्रश- बजै ने भुकै छी
आ बड़ खुशी छी।
मनीषा- हम बजरंगबली तँ
नै छी जे छाती चीर कऽ देखा दिअ। एतबे बुझियौ जे बेटी माएकेँ होइ छै।
चन्द्रेश- एकर माने बेटा
बापकेँ होइ छै आ हमरा बेटा भेल नै तहिन बेटीक उपतनिमे मेहनति अछि सएह ने?
मनीषा- धूर जाउ, अहाँ जड़ि धऽ लेलिऐ।
चन्देश- अहाँ बाते सहए
बजलौं तँ धरबै नै।
मनीषा- धूर, अहाँसँ के जीतत। बेटी अहींकेँ छी।
चन्द्रेश- अदहा भेल, पूरा नै भेल। कहियौ बेटी दुनूकेँ छी।
मनीषा- बेटी दुनूकेँ
छी।
चन्द्रेश- हँ, अाब पूरा भेल। बेटीक रिजल्टक खुशीमे किछु कटाब।
मनीषा- खाली हमहींटा
कटेबै, अहाँ नै। अदहा अहूँकेँ लगत।
चन्द्रेश- कहियौ ने, अहाँकेँ पूरा लगत। कारण, अहूँ तँ हमरे
माथा-हाथ देब।
मनीषा- सभ गप तँ अहाँ
बुझिते छिऐ। की खाएब, बाजू?
चन्द्रेश- की बाजू, सभकेँ अपन-अपन पसीन होइ छन्हि। तइमे हमर
पसीन गरम-गरम पातर-पातर जिलेबी अछि। आ अहाँकेँ?
मनीषा- अहाँकेँ जे पसीन, से हमरा अहूँसँ बेसी पसीन।
चन्द्रेश- आ बुच्चीकेँ?
मनीषा- बुच्चीबला बात
हम केना कहौं? उ तँ उ ने बजतै।
चन्द्रेश- तहन बजबियौ
बुच्चीकेँ। पुछै छिऐ।
मनीषा- बुच्ची, बुच्ची, चन्द्रप्रभा, चन्द्रप्रभा। चन्द्रप्रभा।
मुस्कुराइत चन्द्रप्रभाक प्रवेश)
की मम्मी?
मनीषा- किअए नै बजै
छेलौं?
चन्द्रप्रभा- एगो हमर बहिना आबि
गेल छेली हमरा बधाइ दइले। हुनके संग गपमे लगल रही। नै सुनि सकलौं। सुनलौं तँ
दौगलौं। की मम्मी, हमरापर खिसिआएल छी की?
मनीषा- (मुस्कुराइत) खिसिआएल किअए रहब? खुश छी, बड़ खुश। तँइ बजेलौं, की खाएब? खाइमे अहाँकेँ कोन चीज पसीन अछि?
चन्द्रप्रभा- हमर मम्मी–पापाक खुशी हमर खुशी छी। ओइमे आगू खाइक सभ चीज तुच्छ अछि। पापा खिसिआएल
छथिन की?
मनीषा- से हमरासँ पुछै
छी, की पापासँ पुछबनि?
चन्द्रप्रभा- किअए नै पुछबनि
पापासँ। अबस्स पुछबनि। पापा, पापा। किअए नै
किछु बजै छी?
(प्रेमसँ दाढ़ी पकड़ि) पापा, पापा। हमरापर खिसिआएल छिऐ की?
चन्द्रेश- (मुस्कुराइत) दू सए टाका तूँ डोमीनियाँकेँ बेसी लगा देलेँ तइसँ हमरा तकलीफ छल। मुदा तोरा
रिजल्टसँ हम अपन तकलीफकेँ आइसँ बिसरि रहल छी आ तोरापर बड़ प्रसन्न छियौ। बाज
तूँ, रिजल्टक खुशीमे की खेमेँ?
चन्द्रप्रभा- पापा, अहाँ हमर लगतीकेँ माफ कऽ हमरापर प्रसन्न छी। ओइसँ पैघ औरो की भऽ सकैए? ओही प्रसन्नतासँ हमर मन गदगद अछि। आब हमरा किछु खेबाक इच्छा नै अछि।
चन्द्रेश- (प्रसन्न मने) हमर बेटी, आउ हमरा लग।
(चन्द्रप्रभा अपन पापा लग आबि गेली। प्रेमसँ चन्द्रेश चन्द्रप्रभाकेँ सहला
दुलार कऽ रहल छथि।)
मनीषा- (मुस्कुराइत) हे, एहेन बात जुनि बाजू जे हमर बेटी। नै तँ
फेर झग्गड़ भऽ जाएत। से बूझि लिअ।
चन्द्रेश- अहाँकेँ जे
करबाक हुअए से करू। मुदा हम अपन बेटीकेँ नै छोड़ब। ओइक बदलामे आ जुरमानामे हम
अहाँकेँ गरम-गरम आ पातर-पातर जिलेबी दऽ दइ छी।
मनीषा- सेहो जल्दी लाउ
ने। तहन माफ कऽ देब।
चन्द्रेश- तहिन जाउ, नेने आउ ओइ टेबुलपर पोलिथीनमे राखल हेतै झाँपि कऽ। रिजल्ट सुनिते मातर
आनने छेलौं।
मनीषा- हम नै जाएब।
अहींकेँ जाए पड़त। तखने मानब।
चन्देश- हे हे, गोर लागए दइ छी, नेने आउ।
मनीषा- जहन गोर लागि
लेलौं तँ जाइ छी। देखलौं गोर लगेलौं।
(चन््द्रप्रभा मुस्किया रहल अछि। मनीषा अन्दरसँ जिलेबीक पोलिथिन अनलनि।)
लिअ। आब कहू, के हारलै?
चन्द्रेश- बेटीकेँ पुछियौ, के हारल?
मनीषा- बेटी, उचित बजिहेँ, के हारल?
चन्द्रप्रभा- तूँ।
मनीषा- से केना?
चन्द्रप्रभा- पापा कहलखुन गोर लागए
दइ छी, नै की गोर लगै छी।
मनीषा- जो, तोहर पापा चलाको कम नै छथुन। हमरा कहियो उ जीतए देथुन। तहन जिलेबीओ कहुन
बाँटथिन।
चन्द्रेश- से हम बाँटिए
ने देब अपितु मुँहमे खुआ देब। ई भऽ सकैए।
(एक-दोसराक मुँहमे जिलेबी खुआ रहल छथि। अत्यंत
खुशीक माहौल अछि।)
बुच्ची, आब कहू अहाँक जिनगीक उदेस की अछि?
चन्द्रप्रभा- हमर जिनगीक उदेस अछि- डाक्टर बननाइ।
चन्देश- डाक्टर बनैक
कारण?
चन्द्रप्रभा- कारण इहए जे डाक्टरक
स्थान भगवानक ठीक निच्चाँ होइत अछि। ओ अस्सल समाजसेवक होइ छथि।
चन्द्रेश- बुच्ची, अहाँक उदेस नीक अछि। ओइमे विद्यार्थी आ अभिभावक दुनूकेँ तन-मन-धनक आवश्यकता छै। हम तन-मन-धन अबस्स लगाएब। मुदा अहाँ लगा पएब की
नै?
चन्द्रप्रभा- पापा, हम अपन कर्तव्यमे कखनो तिरोट नै करब। हम दाबा तँ नै कऽ सकै छी। मुदा बिसवास
दिया सकै छी जे अहाँक तन-मन-धनकेँ बेकार नै जाए देब। ई निश्चित छै जे काजक मुताबिक जदी मेहनति कएल जाए
तँ उ काज अबस्स सिद्ध हेतै।
चन्द्रेश- एक दिन सर किलसमे
बजै छेलखिन जे विशेष पढ़ाइक बेवस्था ग्रामीण क्षेत्रमे नै देखै छिऐ। अइले
बाहरे ठीक। जेना, दरभंगा, पटना, दिल्ली आदि। ऐमे अहाँक जेहेन विचार।
चन्द्रेश- दिल्ली दूर
छै। पटना लग छै। दरिभंगा अोहूसँ लग छै। हमर विचार दरिभंगा रहए दियौ। एतए हमरो
सभकेँ आन-जान रहत। एगो मोबाइल दऽ देब आ कोनो
तरहक असुविधा हएत तँ फोन करब, हम चलि आएब।
चन्द्रप्रभा- पापा, रहबै केतए?
चन्द्रेश- कतए रहब, लड़िकीक छात्रावासमे रहब। एक-पर-एक बेवस्था छै। हम चलि कऽ आइ.एस.सी.मे नाओं लिखा देब आ नीक छात्रपावासमे
रखबा देब। सएह ने?
चन्द्रप्रभा- हँ सएह।
चन्द्रेश- चन्द्रप्रभा
मम्मी, अहाँ गुम्म छी, किछु नै बाजि रहल छी। अहाँक की विचार? अहँू तँ बुच्चीक
माए छिऐ।
मनीषा- हमर विचार पुछै
छी तँ हम इहए कहब जे बुच्ची केतौ नै जेतै, गामेमे पढ़तै। पढ़ैबला केतौ पढ़ि सकैए। जुग-जमाना नीक नै छै। दोसर दर-दुनियाँमे
एक्केटा अछि। ऊहो चलि जाएत तँ नीक लगत?
चन्द्रेश- एगो कहबी छै, आप भला तो जग भला। हमर बेटी कोनो आन तरहक नै अछि। एकर लगन आ लक्षण नीक देखै
छिऐ। ई कोनो तरहक गड़बर-सड़बर नै कऽ सकैए।
एकरापर हमरा पूर्ण बिसवास अछि।
मनीषा- बुच्ची, कनी चाह बनेने आउ।
चन्द्रप्रभा- बेस, तुरन्त गेलौं-एलौं।
(चन्द्रप्रभाक प्रस्थान)
मनीषा- अखनि उ सभ
तरहेँ नीक लगैए। ओतए गेलाक पछाति ओकरा केहेन माहौल भेटतै केहेन नै। नीक भेटलै तँ
नीको भऽ सकैए आ जदी खराप भेटलै तहन की हेतै?
चन्द्रेश- खराब माहौलमे
देबे नै करबै। चिक्कन जकाँ बूझि-सूझि कऽ देबै।
मनीषा- अखनि उ कुमारि
छै, देखनुस छै। किछु भऽ सकैए किछु कऽ सकैए।
मने छिऐ। ऐ मनक कोनो ठेकान नै जे कखनि केहेन हएत।
चन्द्रेश- (खिसिया कऽ) एते कियो लोक सोचए। बेसी बुधिसँ वियाधि भऽ जाइ छै।
मनीषा- सएह बुझियौ ने।
हमहूँ सएह कहै छी।
चन्द्रेश- अहाँ इनारक बेंग
छी बेंग। बुझै छिऐ एतबेटा दुनियाँ छै। दुनियाँ बड़ीटा छै। किछु पबैले किछु
गमबए पड़ै छै। हम चाहै छी एकरा पढ़ा-लिखा कऽ एकटा
जगहपर पहुँचा नाओं करी आ जातिमे तेहेन घरमे बिआह करी जे लोक दंग रहि जाएत। कहै
छै नामी मरए नामले आ पेटू मरए पेटले।
मनीषा- नाम नीकोकेँ होइ
छै आ खरापोकेँ। जाउ अहाँकेँ अपना जे फुरैए से करू। हम किछु नै बाजब।
चन्द्रेश- (गंभीर मने) हमहूँ नइ बुझै छिऐ नीक-अधला। अधले नाओं
करैले हम एते परेशान छिऐ? से अहाँ नै बुझै छिऐ।
मनीषा- से हम बूझि कऽ
की करबै? अहाँक मन जे कहए से करू।
(चन्द्रप्रभाकेँ चाह लऽ कऽ प्रवेश। चन्द्रेश आ मनीषा चाह पीऐ छथि।)
चन्द्रेश- बुच्ची, अहाँक एडमिशन दरिभंगामे करा दइ छी। आतै बढ़ियाँसँ पढ़ब-लिखब आ अपन काजसँ मतलब रखब।
चन्द्रप्रभा- बेस पापा।
पटाक्षेप।
तेसर दृश्य-
(स्थान- मंगलक घर। मंगल, मरनी आ दुखन अगिला
पढ़ाइक संबन्धमे विचार कऽ रहल अछि। दुनू परानी भुइयाँपर बैसल अछि दुखन ठाढ़
अछि।)
मंगल- बौआ, तोहर रिजल्टसँ आइ हमर मन बड़ हरखित अछि। मुदा आब आगू पढ़बैक हिम्मत
एक्कोरती नै छौ।
(दुखनक आँखि नोरसँ ढबढबा जाइए।)
मनरी- मन तँ हमरो बड़
हरखित छह बौआ। मुदा अगिला पढ़ाइमे आरो खरचा लगतै। एतबेमे केना-केना पुरेलौं से तूँ जनिते छहक। हमर विचार अछि जे आब तूँ पढ़ाइ छोड़ि दहक।
बाउओ बूढ़ भेलह। आब ऊहो नै सकै छह। कमेबहक नै तँ हमहूँ सभ केना जीअब?
दुखन- (कानि कऽ) माए-बाबू छेँ। तूँ सभ जे कहबिही सएह करए पड़तै। मुदा, मुदा, मुदाऽऽऽ।
मंगल- मुदा की बाज ने?
दुखन- मुदा मुदा
मुदाऽऽऽ। मन होइए आरो पढ़ितौं।
मंगल- तूँहीं कह, हमरा बुते हेतै पुराएल। एगो आश छल सुग्गर सेहो हरा गेल। खतो-पथार नै अछि। देखैमे देखै छियौ माएकेँ एगो हौंसली आ दू कट्ठा बासडीह। ऐसँ भऽ
जेतौ तँ बेचि कऽ पढ़। तब रहबेँ केतए से सोचि ले।
(दुखन आरो कनए लगैए।)
दुखन- बाउ, नै हेतै तँ ताबे हौंसली बन्हक रखि नाओं लिखा लइ छी। ट्यूशन भँजियबै छी। भऽ
जेतै तँ ओही पाइसँ पढ़ब आ रसे-रसे हौंसली
छोड़ा लेब।
मरनी- आ जौं टीशन नै
हेतै तब हाथे तरक गेल आ लातो रहसँ चलि जाएत। नै हौंसली हम नै देबौ। हमरा माए-बापक इहएटा निशानी अछि। पइत छल, नाकमे छल औंठी
छल। सभटा बन्हकीमे बुड़ि गेल। आब एहेन काज नै करब।
दुखन- (कनैत) माए तूहूँ कठोर भऽ गेलेँ हमराले। कनी सेचही
माए। तूँ जे किछु बचेबेँ से हमरे हेतै। अखनि ओइसँ हमरा काज हेतै, जिनगी बनतै। ओइसँ तोरो सभकेँ ने सुख हेतौ।
(मरनी कनए लगैए।)
मरनी- पानिमे मछरी आ
नअ-नअ कुटिया बखरा। हौंसली बूड़त की रहत, से के जनैए?
दुखन- माए, जदी ऐ बेटाक प्रति कनियोँ ममता छौ तँ एकर गप आ जिद्दपर अमल करही। नै तँ ऐ
बेटासँ हाथ धोइले। हमरा जेतए मन हएत तेतए चलि जाएब आ ओतए पढ़ब धरि अबस्स।
(मरनी आरो कानए लगैए।)
माए, की कहै छेँ? हँ वा नै कह।
(मरनी हँ वा नै किछु नै कहि रहल अछि। खाली कानि रहल अछि।)
बाउ, अहाँ की कहै छी?
(मंगल गुम्म अछि।)
किअए ने किछु कहै छीही?
मंगल- (खिसिया कऽ) तोरा ओते जिद्द किअए लगल छौ? जे सकलियौ से
पढ़ेलियौ, आब अपन जोगार कर।
(दुखन आरो कनए लगैए)
दुखन- दुनू जने एक्के
रंग। खैर, अहाँ सभ अपन हौंसली रखू। हम चललाैं।
(दुखनक प्रस्थान)
मरनी- कनी देखहक ने, केतए गेलै?
मंगल- हम नै जेबै, तूहीं जो।
मरनी- जाहक ने। आखिर
बेटा छिअ ने?
मंगल- आ तोहर दुश्मन
छियौ।
मरनी- हमरा नै
गुदानतै।
मंगल- हमरो नै
गुदानतै। हम नै जेबौ।
मरनी- एहेन कठोर बाप
केतौ नै देखलौं।
मंगल- तोरे बड़ ममता
छेलौ तँ उ किअए भगलौ? बेटा चलि जाए तँ चलि जाए मुदा
हौंसली नै जाए। हे भगमान, एहेन कठोर माए केकरो नै
दिहक। बहु छी, की करितौं? हमरो कठोर बनए पड़ल।
मरनी- (अपने आप ऊपर
ताकि) हे भगमान, एहेन कठोर माए केकरो नै दिहक। हे भगमान, एहेन कठोर माए केकरो नै दिहक। हे भगमान, एहेन कठोर माए केकरो नै दिहक।
(कनैत-कनैत मरनी दुखनकेँ घुमाबए जाइए। फेर मंगल सेहो मरनीक पाछू-पाछू जाइए।)
बौआ, बौआ। केतए गेलेँ बौआ? बौआ रौ बौआ।
(गामक एकटा प्रतिष्ठित वेकती मणिकांत
दासक प्रवेश घुमैत-फिरैत।)
मालिक, हमरा बेटाकेँ भागल जाइत देखलिऐ?
मणिकांत- हँ, देखलिऐ एगो छौड़ा कनैत-कनैत भागल जाइ
छेलै। उ तोहर बेटा छेलै की नै, से हमरा नै बूझल
अछि। नम्हर छेलै। की भेलै से?
मंगल- केते दूर गेल
हेतै उ?
मणिकांत- कनियेँ दूर गेल हेतै।
भेलै की से?
मंगल- तूँ देखही गऽ। हम पीठेपर अबै छियौ। कनी मालिककेँ बता दइ छिऐ।
(मरनी झटकि कऽ जा रहल अछि। बौआ बौआ चििचआइए।)
मािलक की कहब। छौरा बड़ जिद्दी छै। अही
बीचमे मैट्रिक पास केलक हेन। हमरा कहैए, हम पढ़ब आबू। हम दुनू परानी कहै छिऐ, नै पढ़ाइमे बड़ खरचा लगै छै।
मणिकांत- तों सभ बुरबक छह जे
पढ़ैबला बेटाकेँ नै पढ़बए चाहै छह। लोक सभ बेटा-बेटीकेँ पढ़बैले हरान रहैए। हौ, सुनलिऐ ऐ हाइ
स्कूलमे एगो डोमक बेटा स्टूड फस्ट केलकै, ओहए छल की?
मंगल- हँ मालिक।
मणिकांत- तों सभ साफ खतम छह।
एहेन विद्यार्थीकेँ तों सभ पढ़ाइ मनाही करै छहक, जुलुम करै छहक। विद्यार्थी होनहार छह। तोरा सभकेँ सरकार आरक्षणो देने छह। जौं
पढ़ि-लिखि लेतह तँ केतौ-ने-केतौ अबस्स सरकारी नोकरी पाबि जेतह।
तों सभ तरि जेबह।
मंगल- मालिक, अगिला पढ़ाइमे बड़ पाइ लगतै। केतए से पुरबै? सुग्गरो हरा गेल। पहिने जकाँ कोनियोँ-पथिया नै बिकै छै। पसारिओ सभ हटियेपर जा कऽ कीनि लइ छै। हम केते डोमकेँ
मनाही करबै आ गारि-फझ्झति देबै जे हमरा
पसारी हाथे नै बेच, हमहीं देबै।
मणिकांत- से तँ ठीके कहै छह।
मुदा तूहूँ किअए नै टटियेपर चलि जाइ छह?
मंगल- मालिक, आब हटियोपर रस नै छै। छेलै हमरा बाउक समैमे रस। तब ने बाउ डेढ़ कट्ठा डीह
कीनलकै। मुदा आब हटियोपर तेते डोम अबै छै जे केतेकेँ बोहनिओपर आफत। अपन-अपन समान बेचैमे मारि कऽ लइ जाइए आ कमेमे बेच लइ जाइए।
मणिकांत- जा, बापबला जमीनो बेचि कऽ बेटाकेँ पढ़ाबह।
मंगल- से तँ हमर
घरनीकेँ एगो हौंसलीओ छै। बेटा कहै छेलै, हौंसली बन्हक रखि हमरा नाओं लिखा दैह। हम ट्यूशनो कऽ कऽ पढ़ब। ओकर माइए नै
गछलकै। बड़ जिद्द केलकै माएकेँ। मुदा नै गछलकै। तही दुआरे खिसिया कऽ भागि गेलै
आ कहलकै हमरा जेतए मन हएत तेतए चलि जाएब आ पढ़ब अबस्स।
मणिकांत- जा जा, चुपचाप चलि जा। बेटाकेँ पढ़ाबह। नशीबकेँ तेज छह जे एहेन होनहार बेटा भगवान
देलकह। हम जाइ छिअ। लेट भऽ रहलए।
(मणिकांतक प्रस्थान)
(अन्दरमे मरनी आ दुखनमे गप-सप भऽ रहल अछि।)
(मंचपर सँ मंगल अन्दरक गप-सपकेँ अकानि रहल अछि।)
मरनी- चल ने, चल ने। किअए ओते हरान करै छेँ। हमरा ओते दम नै अछि जे घीचल हएत आकि उठाएल
हएत। चकेठबा जे कहलकै पीठेपर अबै छी तूँ चल, से अबिते अछि। चल ने बौआ, चल ने। चल, जे जेना कहबीही से हम देबौ।
दुखन- से दैतही तँ एना हेबे करितौ? तोरा बेटा थोरहे प्रिय छौ, हौंसली प्रिय
छौ। जो, हम नै जेबौ। जो हौंसलीकेँ धोइ-धोइ चाट गऽ। तोरा बेटासँ कोन मतलब छौ? दुश्मन बेटाकेँ घरसँ भागिए गेनाइ नीक। सभकेँ शांति भेटतै।
(मरनी बोम पाड़ि कऽ कनए लगैए।)
मरनी- मुड़ीमचरूआ कखनि
कहलकै, चल अबै छी पीठेपर से अबिते छै। बड़
गपक्कड़ भऽ गेल हेन। चल ने, चल ने।
दुखन- हम नै जेबौ। नै
जेबौ। माएक हिरदे एहेन कठोर होइ छै? लोक सुनत तँ
हँसत।
(मरनी हिचकि-हिचकि कनए लगैए।)
मरनी- तूँ नै जेबेँ तँ
हमहूँ जेतए मन हएत तेतए चलि जाएब। मरि जाएब, कटि जाएब।
(मंगल रेसमे चलि दुनू माए-बेटा लग पहुॅचल।)
मंगल- चल ने बौआ। किअए
एना कनै-खीजै जाइ छेँ?
(पर्दा हटल। तीनू गोटे दर्शकक सोझा आएल।)
दुखन- बाउ, तूहूँ वएह छह, माएक पटलपर चलैबला। तूँ ताड़ी-दारूमे जेते पाइ देने हेबहक, ओइमे हमर पढ़ाइ
बढ़ियाँ जकाँ भऽ जेतै। तोहर बेटा छिअह। कहबह तँ तकलीफ हेतह। तँए मुँहमे ताला
लगेने छी।
मंगल- आब तोरे दुआरे
ताड़ीएटा पीऐ छी, दारू छोड़ि देलिेऐ।
दुखन- ऊहो दिन दुनू
भाँइ दारू पी कऽ उठा-पटक केलौं। ईहो जे किछु
बजलौं गलती भेल।
(हाथ जोड़ि कऽ)
बाउ गलती माफ करू।
मंगल- बौआ, हमरा मणिकांत मालिकसँ अखनि तोरे संबन्धमे बहुत रास गप भेल। बहुत ज्ञानबला
गप कहलखिन। हम सोचि लेलौं जे कोनो धरानी तोरा पढ़ेबाक छै। चाहे जे भऽ जाए।
हौंसली बिकौ, डीह बिकौ आकि हम दुनू परानी बिकी।
की गै, तोहर की विचार?
मंगल- हमरो इहए विचार
छह। आब हमहूँ इहए अबधारि लेलौं हेन।
मंगल- बौआ, गामपर चल। तूँ जे जेना कहबीही सएह हेतै।
बड़कीटा हाथी होइ छै, ऊहो कहियो चुकि जाइ
छै।
दुखन- माए-बाप छी। बेटाक कहलपर अमल करियौ। जदी गलती कहै छी आ करै छी तँ डाँटबे नै करू, पीटू। हम एक्को बेर किछु कहब तँ कए बापक बेटा नै।
मंगल- हमरा तोरापर बिसवास
अछि। तूँ अधला नै कऽ सकै छेँ। चल गामपर चल। तोहर पढ़ाइक सभ बेवस्था हेतै।
दुखन- चलू।
(सबहक प्रस्थान।)
पटाक्षेप।
No comments:
Post a Comment
"विदेह" प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका http://www.videha.co.in/:-
सम्पादक/ लेखककेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, जेना:-
1. रचना/ प्रस्तुतिमे की तथ्यगत कमी अछि:- (स्पष्ट करैत लिखू)|
2. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो सम्पादकीय परिमार्जन आवश्यक अछि: (सङ्केत दिअ)|
3. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो भाषागत, तकनीकी वा टंकन सम्बन्धी अस्पष्टता अछि: (निर्दिष्ट करू कतए-कतए आ कोन पाँतीमे वा कोन ठाम)|
4. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो आर त्रुटि भेटल ।
5. रचना/ प्रस्तुतिपर अहाँक कोनो आर सुझाव ।
6. रचना/ प्रस्तुतिक उज्जवल पक्ष/ विशेषता|
7. रचना प्रस्तुतिक शास्त्रीय समीक्षा।
अपन टीका-टिप्पणीमे रचना आ रचनाकार/ प्रस्तुतकर्ताक नाम अवश्य लिखी, से आग्रह, जाहिसँ हुनका लोकनिकेँ त्वरित संदेश प्रेषण कएल जा सकय। अहाँ अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।
"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
मुदा ई तँ मात्र प्रारम्भ अछि।
अपन टीका-टिप्पणी एतए पोस्ट करू वा अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाऊ।