बिसवासघात
बेचन ठाकुर
दोसर अंक
पहिल दृश्य
(लखन चिन्तित मुद्रामे बैस अपन भविसक सम्बन्धमे सोचि रहल छथि।)
लखन- रमललबा तँ बताह ऐछे। आब ओकर हाथ छूटि गेलैए। ओकर कोन ठेकान कखनि की करत की नै। हम आब ओकरासँ जीतबो नै करब। जौं जीततौं तँ काल्हिए देखा देने रहितिऐ जे कोन बाँसकेँ दाहा होइ छै। हगा-हगा, छेड़ा- छेड़ा नै भरबितौं तँ हमर नाओं लखना नै। मुदा से नै भेल। आब हमरा अपना कोनो उपए तकबाक चाही। जौं सोसराइर भागि जाइ छी तँ ई हो-हल्ला बूझि ऊहो सभ कुभेला करत। के कहलक राति-विराति मारिए दिअए आकि मरबाइए दिअए। नै ई उपए बढ़ियाँ नै। (किछु काल गुम्म भऽ) जौं सियारामसँ सटि जाइ छी तँ उ ओत्ते बलगर नै छै। ओकरो रमललबा पटकि देतै। छौड़ा आब बड्ड बलगर भऽ गेलैए। अच्छा, अंतिम उपए राम किशुन अछि। ओकरे ऐठाम डेली- खोङी लऽ चलि जाइ छी। उ तँ छौड़ाकेँ हग्गा-हग्गा भराएत। ओकरासँ तँ कोनो चीजमे नै जीतत। ओत्तै खूब खाएब-पीएब आ मोज- मस्तीसँ रहब। (अपन आवश्यक श्रमजाम लऽ लखन राम किशुन ऐठाम जा रहल अछि। राम किशुन ऐठाम पहुँच ओकरा सामने कानए लागल।) राम किशुन, हौ राम किशुन रमललबा मारि देलक हौ राम किशुन। कहुना बाँचि कऽ भागि एलिअ हौ राम किशुन। (राम किशुनो कानए लगै छथि।)
राम किशुन- की भेलह भैया? (लखन अबाक रहैए) की भेलऽ बाजह ने। गप बुझबै तहन ने कोनो उपए।
लखन- की कहिअ हौ राम किशुन। बाजैत लाज होइए हौ राम किशुन। लोक सुनत तँ की कहत हौ राम किशुन।
राम किशुन- बाजह, बाजह, हम छी ने।
लखन- (असथीर भऽ) रमललबा कहलक पाँचटा सौदा कागतपर औंठा निशान दइ लए। हम नै देलिऐ। तइले दुनू माइ-पूत पटकि कऽ हमरा छातीपर चढ़ि चक्कू देखा कऽ निशान लइए लेलक आ मारबो केलक केते से हमरा एक महिना होश नै हएत।
राम किशुन- हल्ला करबाक चाही ने?
लखन- हल्ला- गुल्ला तँ भेलै। मुदा कियो आएल नै। की संजोग छेलै भगवान जानए।
राम किशुन- अच्छा, घबड़ाबह नै। आब तू सही फैसला लेलह। हम केहेन पैरबीबला लोक छिऐ से बुझै छहक कीने।
लखन- तैं ने तोरा लग एलिअ।
राम किशुन- छौरा बड्ड उड़ह लगलह। एकरा पाँखि काटैक जोगार भऽ जैते तँ बढ़ियाँ होइतै। अच्छा, समए आबह दहक।
पटाक्षेप।
दोसर दृश्य
(लक्ष्मी मनहुस केने दलानपर बैसल छथि। तखने रामलालक प्रवेश)
रामलाल- माए, बाबू केतए छथुन से बुझलीहीन ?
लक्ष्मी- हँ हँ बुझलिऐ राम किशुन बौआ ऐठाम छथुन। तँए मनहुस अछि जे की करथुन की नै।
रामलाल- तोँ कोनो चिन्ता नै कर। उचित उचिते होइ छै। देरी भऽ सकैए मुदा उचित जीतबे करत। हम जाइ छियौ एगो पेटीशन एस.डी.ओ. साहैबकेँ आ एगो कलक्टर साहैबकेँ दऽ देबनि।
लक्ष्मी- ठीक छै जाह। मुदा एगो कहि दइ छिअ दरखासमे एक्कोटा अनुचित गप नै लिखिअ। नै तँ उनटे फँसि जेबह।
रामलाल- (माएक पएर छूबि प्रणाम कऽ) माए तूँ चलि जो। हम एस.डी.ओ. ऐठाम जा रहल छी। (लक्ष्मीक प्रस्थान। शीघ्र रामलाल दरखास लऽ एस.डी.ओ. रामभद्र लग पहुँचल। कार्यालयमे रामभद्र आ चपरासी बलदेव उपस्थित छथि।) सर, प्रणाम। (रामभद्र रामलाल दिस ताकि फेर अपन काजमे लगि जाइ छथि। रामलाल ठाढ़ रहैए। किछु काल पछाति रामभद्र रामलालकेँ पुछै छथि।)
रामभद्र- की बात?
रामलाल- सर, एगो दरखास देबाक अछि।
रामभद्र- लाउ दरखास। (रामभद्र रामलालसँ दरखास लऽ कऽ रखि लइ छथि। रामलालक प्रस्थान। पर्दा खसैए। रामलाल दरखास लऽ कऽ कलक्टर बीजेन्द्र लग जा रहल अछि। पर्दा उठैए। रामलाल बीजेन्द्र लग पहुँच जाइ अछि। कार्यालयमे बीजेन्द्र आ हुनक चपरासी मजलूम उपस्थित छथि।)
रामलाल- कलक्टर साहैब प्रणाम।
बीजेन्द्र- बाजू की बात?
रामलाल- एगो दरखास दइ ले चाहै छी।
बीजेन्द्र- लाउ, कोन दरखास अछि। (बीजेन्द्र दरखास पढ़ि कऽ रखि लइ छथि।) जाउ अहाँ।
पटाक्षेप।
तेसर दृश्य
(समाहरणालयक कार्यालयमे बीजेन्द्र आ मजलूम उपस्थित छथि। बीजेन्द्र अपन पैड पर किछु लिखि कऽ मजलूमकेँ देलनि।)
बीजेन्द्र- मजलूम, अखनि जे किछु देलौंह, ओकरा झंझारनगरक एस.डी.ओ.केँ जल्दी दऽ अबियनु।
मजलूम- जी साहैब, तुरन्त जा रहल छी। (मजलूमक प्रस्थान। पर्दा खसैए। मजलूम रामभद्र लग जाऽ रहल छथि। पर्दा उठैए। मजलूम रामभद्र लग पहुँच रहल छथि। पर्दा उठैए। मजलूम रामभद्र लग पहुँच गेल। अनुमंडल कार्यालयमे रामभद्र आ बलदेब उपस्थित छथि।)
मजलूम- (रामभद्रकेँ) सर, प्रणाम।
रामभद्र- की बात अछि?
मजलूम- हमरा कलक्टर साहैब पठेलनि। ई पत्र लेल जाउ। (रामभद्र उत्सुकतापूर्वक पत्र लेलनि।) सर, जाइक आज्ञा देल जाए।
रामभद्र- ठीक छै जाउ। (मजलूमक प्रस्थान। रामभद्र पत्र पढ़ि कऽ अपन पैडपर दोसर पत्र लिखलनि।) बलदेब, ई पत्र लऽ कऽ सोझहे थानापर चलि जाउ आ बाड़ा बाबूकेँ दऽ देबनि। जल्दी जाउ-आउ।
बलदेब- जे आज्ञा साहैब। जदी बड़ा बाबू नै हेथिन तहन।
रामभद्र- तहन छोटे बाबूकेँ दऽ देबनि।
बलदेब- ठीक छै सर, तुरन्त जा रहल छी।
(पत्र लऽ कऽ बलदेबक। पत्र लऽ कऽ। पर्दा खसैए। बलदेब थानापर जा रहल छथि। पर्दा उठैए। बलदेब थानापर पहुँचलथि। थानापर बड़ा बाबू ओम प्रकाश, छोटा बाबू पवन, हवलदार बिलट आ चौकीदार नदीम उपस्थित छथि।)
बलदेब- बड़ा बाबू प्रणाम।
ओम प्रकाश- का हो, का बात हइ?
बलदेब- बड़ा बाबू, एस.डी.ओ. साहैब एकटा पत्र देलनि। सएह दइ लए एलौं।
ओम प्रकाश- कहाँ हऽ पत्र? लाबह।
(बलदेब जेबीसँ पत्र निकालि ओम प्रकाशकेँ देलखिन।)
बलदेब- सर, आब हम जाइ।
ओम प्रकाश- जा।
(ओम प्रकाश पत्र पढ़ि डायरीमे रखलथि।)
पवन- का बड़ा बाबू, कोन पत्र बा?
ओम प्रकाश- राम किशुन के हियाँ इन्क्वाइरी करै कऽ हइ। एस.डी.ओ. साहैबक ऑडर हइ।
बिलट- राम किशुन के हियाँ कथीक इन्क्वाइरी बा?
ओम प्रकाश- दियादी विवादक इंक्वाइरी बा। चौकीदार, चौकीदार।
नदीम- जी बड़ा बाबू।
ओम प्रकाश- कल राम किशुनक हियाँ चलै कऽ हइ सबेरे-सबेरे।
नदीम- जी बड़ा बाबू, हम चौबीसो घंटा तैयार छी। जखनि आज्ञा होइ।
पटाक्षेप।
चारिम दृश्य
(राम किशुन अपना बरन्डापर बैस रामलालक सम्बन्धमे बीरूक संग
विचार-विमर्श करै छथि।)
राम किशुन- बीरू भाय, रमललबा तँ बड्ड हरमपनी करए लगलैए।
बीरू- से की?
राम किशुन- देखियौ, परसुखिन लखन भैयाकेँ छातीपर चढ़ि चक्कू देखा कऽ सादा कागतपर औंठा निशन लेलकै आ खूब मारबो- पीटबो केलकै। अखनि ओ भागि कऽ हमरे ऐठाम छथि।
बीरू- ई तँ बड्ड अनर्थ भेलै। छौरा बड्ड चढ़ि -बढ़ि गेल अछि। ओकरा बापसँ भेँट भेनाइ जरूरी छै।
(ओम प्रकाश, पवन, बिलट आ नदीमक प्रवेश। राम किशुन आ बीरू
हड़बड़ा कऽ ठाढ़ भऽ जाइ छथि।)
राम किशुन- प्रणाम बड़ा बाबू, प्रणाम छोटा बाबू। आउ, जाउ। पधारल जाए। (मुस्कीआइत) आइ एगो गरीबोक कुटिया तरि गेलै। आउ, आउ, पधारल जाए। (सभ कियो बैस जाइ छथि।) राम सेवक, राम सेवक।
राम सेवक- (अन्दरसँ) जी पप्पा।
राम किशुन- पाँच- सातटा चाह जल्दी लाउ।
राम सेवक- जी पप्पा।
राम किशुन- बड़ा बाबू, केम्हर-केम्हर घूमि रहल छिऐ?
ओम प्रकाश- तोरे हियाँ तँ ऐनी हऽ।
राम किशुन- (गंभीर भऽ मुस्काइत) की बात छिऐ बड़ा बाबू?
ओम प्रकाश- रामलाल के हऽ? उ एस.डी.ओ. साहैबकेँ पास पेटीशन देने हऽ। ओकरे इन्क्वाइरी बास्ते आएल बा। (राम सेवककेँ चाह लऽ कऽ प्रवेश।)
राम किशुन- पहिने अपने सभ चाह पीबयौ तहन इन्क्वाइरी हेबे करतै। (सभ कियो चाह पी रहल छथि। कनी काल पछाति सभ चाह पी कऽ कप रखि दइ छथि।)
पवन- का हो, बिलट आ नदीम, तोरे सभकेँ चाय कैसन लागल बा?
नदीम- छोटा बाबू, एहेन चाय तँ हम जिनगीमे कहियो नै पीने रही। मुहसँ नै छुटै छेलए। मन होइ छेलए जे कपोकेँ चाहेमे घोरि पी जाइ।
बिलट- सर, चाय तँ गाए-महिंसक दूधक नै रहनि। हमरा लागल बा मनुखक दूधक चाय बा।
पवन- हमरो ओएह बुझाएल बा।
ओम प्रकाश- एन.एच.बला पेमेन्ट लखनकेँ पूरा मिल गेल बा की नाही? (रामकिशुनसँ)
राम किशुन- बड़ा बाबू, हम की कहब लखन भैयासँ अपने पूछि लियौ।
ओम प्रकाश- लखन कहाँ हऽ? बजाबह।
रामकिशुन- रामसेवक बौआ, चाहक कप नेने जाउ आ लखन काकाकेँ पकड़ि कऽ असथीरे-असथीरे नेने आउ।
राम सेवक- जी पप्पा। (राम सेवकक प्रस्थान आ फेर लखनक संग प्रवेश)
राम किशुन- भैया बैसू। (लखन कुरसीपर बैसलथि।)
ओम प्रकाश- का हो लखन, एन.एच.बला पेमेन्ट भेटल बा?
लखन- हाकिम, पचास हजार भेटल।
(बड़ा बाबू डायरीपर नोट करै छथि।)
ओम प्रकाश- झूठ नै बोलिहऽ। पूरा पेमेन्ट पा गेल बा?
लखन- हाकिम, अस्सी हजारक नोटिस छेलै। ओइमे रामकिशुन हमरा पचास हजार टाका देलक।
ओम प्रकाश- रामकिशुन बाबू, और टकबा का होइल?
रामकिशुन- पेमेन्टक प्रक्रिया बड्ड नमहर छेलै। ओइ कारणे पेमेन्टमे बहुत बेसी समए लगितै। जल्दी पेमेन्टक कारणे किछु फाजिल खर्च लागल आ अबै- जाइक किराया सेहो लागल।
ओम प्रकाश- फाजिल खर्च कहाँ गेल बा?
राम किशुन- किछु इंजीनियर आ किछु भू-अर्जन पदाधिकारीकेँ जल्दी काज कराबैमे देल गेल।
ओम प्रकाश- रामलाल बा?
राम किशुन- लखन भैयाक बेटा छिऐ।
ओम प्रकाश- तनी रमललबाकेँ हियाँ बजाबह तँ?
राम किशुन- रामसेवक, रामलालकेँे बजेने आउ।
रामसेवक- जी पप्पा। (रामसेवक अन्दर जा कऽ रामलालकेँ बजा आनलक।)
ओम प्रकाश- का रामलाल, एन.एच.बला पेमेन्टक बारेमे का बात हई?
रामलाल- सर, एन.एच.बला पेमेन्ट भू-अर्जन कार्यालयसँ किछु भेल अछि आ हमरा बाबू जी लखनकेँ किछु भेटलनि।
ओम प्रकाश- भू-अर्जन कार्यालयसे केतना पेमेन्ट भेल बा और लखनकेँ केतना मिलल बा?
रामलाल- भू-अर्जन कार्यालयसँ आठ लाख पेमेन्ट भेल छै सर आ ओइमेसे मात्र पचास हजार हमरा बाबूकेँ रामकिशुन काका देलखिन। से किए? एकरे हमरा खेद अछि।
राम किशुन- बड़ा बाबू, ई केतेक बुधियार लड़का अछि जे अपन बापक छातीपर चढि चक्कू देखाए आ मारि-पीट कऽ पाँचटा सादा कागतपर औठा निशान लेलक।
ओम प्रकाश- तूँ ऐसन लड़का बा? (आश्चर्यसँ) अच्छा तूँ जा। कल थानापर आबह। (रामलालक प्रस्थान) ओ राम किशुन बाबू, कल थानापर भेँट करम तँ। विस्तार से गप हुएँ होई। तँ ठीक हई, तूँ लोग बैठह। हम सभ जा रहल बा। (बड़ा बाबूक समूहक प्रस्थान।)
पटाक्षेप।
पाँचम दृश्य
(थानापर ओम प्रकाश, पवन, बिलट, आ नदीम उपस्थित छथि। ओम प्रकाश डायरी उनटा कऽ देख रहल छथि। पवन पेपर पढ़ि रहल छथि। तखने रामलालक प्रवेश।)
रामलाल- प्रणाम बड़ा बाबू।
ओम प्रकाश- का रामलाल, एल्लह।
रामलाल- जी।
ओम प्रकाश- हो रामलाल, कुछ माल खर्च करबह?
रामलाल- सर, हम केतएसँ माल खर्च करबै। हम बड्ड गरीब आदमी छी सर।
ओम प्रकाश- अच्छा तनी छोटा बाबू से बात करह। (रामलाल कातमे जा कऽ पवनसँ गप करै छथि।)
पवन- तोरा बाबूकेँ जे पचास हजार भेटलह से का केलहू?
रामलाल- सर, माए जमीनबलाकेँ देलकै।
पवन- केतना बँचलह।
रामलाल- किछु नै सर।
पवन- संगमे केतना माल-पानी बा?
रामलाल- साफे नै सर।
पवन- अच्छा, बड़ा बाबूसँ बात करह। (रामलाल बड़ा बाबू लग जा चुपचाप ठाढ़ अछि।) बड़ा बाबू, ऐ लड़िकबाक पास किछु माल-पानी नै बा।
ओम प्रकाश- रे हे रामलाल, किछु माल खर्चा करी की ना करी। से बता न?
रामलाल- सर, हम बड्ड गरीब छी। हमरा बुत्ते नै हेतै।
ओम प्रकाश- हे रे तूँ बापकेँ मार-पीट कऽ और चक्कू देखा कऽ औंठा निशान ले लेलन हऽ और घर से भगा देलन हऽ?
रामलाल- सर, बाबू जी माएकेँ मारै छेलखिन। जखनि सहाज नै भेल तँ हम ओतएसँ हटि गेलिऐ। जखनि माए मरनासन अवस्थामे हल्ला केली तँ छोड़बै लए चक्कू देखेलिऐ सिरिफ और भविसमे एना नै करै लए औठा निशान लेलिऐ। सर, हम बाबूजीकेँ भगेलिऐ कहाँ, अपने भागि गेला काका ऐठाम।
ओम प्रकाश- बड़ी चौसठ लड़िका बा तूँ। ठीक हउ तू जो। (रामलाल प्रस्थान प्रणाम कऽ आ कनीएकाल पछाति राम किशुन आ बीरूक प्रवेश।)
राम किशुन- बड़ा बाबू, प्रणाम।
ओम प्रकाश- प्रणाम -प्रणाम। का हो राम किशुन, मामला बड़ी गड़बड़ बा। तूँ भी होशियारी कइने बा। रामलाल अभीए सभ बात बतिया कऽ गेलह हऽ। तूँ ही बताबह डायरी टाइट लिखी, की लूज।
राम किशुन- सर, डायरी लूजे रहए देबै।
ओम प्रकाश- लूज डायरीमे बढ़ियाँ माल खर्च पड़त।
राम किशुन- सर, गरीब आदमी छी। कम सममे सलटिया दियौ।
ओम प्रकाश- एक पेंटी से कम ना लगी।
बीरू- सर, तखनि गरीब केना जीतै। सर, एना धरीयौ जइसँ साँपो मरि जाए आ लाठीओ नै टुटए।
ओम प्रकाश- अच्छा तूँ ही बाजह केतना देबह?
बीरू- सर, पचास हजार लऽ लियौ।
ओम प्रकाश- अच्छा लाबह। (राम किशुन पचास हजार ओम प्रकाशकेँ देलखिन।) जा तूँ सभ जा। केस हल्का कऽ देबह। (किशुन आ बीरूक प्रस्थान। ओम प्रकाश डायरी लिखि एस.डी.ओ. साहैबक नामे पत्र लिखि रहल छथि।) ओ चौकीदार, तनी एन्नऽ आबह।
नदीम- जी सर।
ओम प्रकाश- ई पत्र ले लऽ एस.डी.ओ. साहैबकेँ दे आबह।
नदीम- जे आज्ञा सर। (ओम प्रकाशसँ पत्र लऽ एस.डी.ओ.केँ दिअए जाइए नदीम। तैबीच पर्दा खसैए। नदीम एस.डी.ओ. ऐठाम तुरन्त पहुँच जाइए। पर्दा उठैए। कार्यालयमे रामभद्र आ बलदेब उपस्थित छथि।) बलदेब भाय नमस्कार।
बलदेब- नमस्कार, नमस्कार नदीम भाय। कहऽ केन्ने-केन्ने एनाइ भेलै?
नदीम- थानाक बड़ा बाबूक पत्र एस.डी.ओ. साहैबकेँ देबाक छै। साहैब छथिन?
बलदेब- ‘हँ हँ, अन्दरमे छथिन, जाउ। (नदीम अन्दर पैसलथि।)
नदीम- साहैब, प्रणाम।
रामभद्र- की बात?
नदीम- थानाक बड़ा बाबूक एगो पत्र देलनि।
रामभद्र- लाउ। (पत्र लेलनि।) अहाँ जाउ। (नदीमक प्रस्थान। रामभद्र पत्र पढ़लनि। फेर ओ कलक्टरक नामे एगो पत्र लिखलनि।) बलदेब, ई प़त्र तूँ अपना लग रखि लए। काल्हि कलक्टर साहैब लग जैहऽ आ हुनक दऽ दिहक।
बलदेब- ठीक छै सर, सबेरे चलि जेबै।
पटाक्षेप।
छअम दृश्य
(कलक्टर साहैबक कार्यालयमे बीजेन्द्र आ मजलूम उपस्थित छथि। मजलूम ठाढ़ छथि आ बीजेन्द्र फाइल उनटा रहल छथि। बलदेबक प्रवेश।)
बलदेब- साहैब प्रणाम।
बीजेन्द्र- की बात?
बलदेब- झंझार नगरक एस.डी.ओ. साहैबक पत्र छन्हि।
बीजेन्द्र- लाउ। (पत्र लेलनि।) ठीक छै। (बीजेन्द्र पत्र पढ़लनि। फेर ओ झंझार नगरक थानाक बड़ा बाबू नामे पत्र लिखि बलदेबक हाथे पठा रहल छथि।) ई पत्र अपने नेने जाउ, अहाँक बगलमे स्थित थानाक बड़ा बाबूकेँ दऽ देबनि।
बलदेब- जे आज्ञा सर। (पत्र लऽ बलदेब प्रस्थान करै छथि। पर्दा खसैए। बलदेबकेँ थानापर पहुँचैत मातर पर्दा उठैए।) प्रणाम बड़ा बाबू, अपनेक नाओंसँ कलक्टर साहैबक एगो पत्र अछि।
(थानापर ओम प्रकाश आ नदीम अपस्थित छथि।)
ओम प्रकाश- लाबह पत्र।
(बलदेब ओम प्रकाशकेँ पत्र देलनि आ ओ पढ़ि बड़ आश्चर्यमे पड़ि गेला।) अच्छा रौवा, जाई। (बलदेबक प्रस्थान) बाप रे बा! आब राम किशुन ना बँची। कलक्टरो साहैब ऐ केसमे सीरियस बा। नवका कलक्टर बा। तोहूमे वन-टू टेनबला। के फँसी के नै। ओ नदीम, तनी राम किशुनक हियाँ चल जा आ ओकरा बजा कऽ अभी आनह।
नदीम- ठीक छै सर, तुरन्त जा रहल छी। किछु देबो करबनि।
ओम प्रकाश- ना ना, कुछ ना। जल्दी बजा आनह।
(नदीम अन्दर जा कऽ राम किशुनकेँ बजा आनलक।)
राम किशुन- (घबड़ाएल मुद्रामे)- प्रणाम बड़ा बाबू।
ओम प्रकाश- कलक्टर साहैब हमरा नामे एगो चिट्ठी भेजलन। उनकर कहब बा-राम
किशुनकेँ जल्दी एन.एच.बला पेमेन्टक सभ सबूतक साथ हमरा लग उपस्थित करी। ई चिट्ठी पढ़ लऽ। का लिखल बा?
(कलक्टर साहैबक चिट्ठी ओम प्रकाश राम किशुनकेँ देलनि। राम किशुन चिट्ठी पढ़ि गुम्म भऽ माथापर हाथ रखि लइ छथि। नदीम खैनी खा कऽ नीनमे मातल अछि।)
रामम किशुन- (गंभीर मने) सर, आब कोन उपए हेतै?
ओम प्रकाश- का, तोहर सबूत सभ मजबूत बा की नाही?
राम किशुन- सर, पूरा मजगूत नै छै।
ओम प्रकाश- तब काम ना बनी। कलक्टर बड़ी टाइट हऽ।
राम किशुन- सर, डी.एस.पी. साहैबक पैरबीसँ काज चलतै?
ओम प्रकाश- कम उम्मीद बा।
राम किशुन- एस. पी साहैबसँ।
ओम प्रकाश- प्रयास करह।
राम किशुन- ठीक छै सर, काल्हि डी. एस.पी. साहैब आ एस.पी. साहैबसँ भेँट करै छियनि।
(राम किशुनक प्रस्थान।)
पटाक्षेप।
सातम दृश्य
(डी.एस.पी. साहैब मनोहर अपने डेरापर पेपर पढ़ि रहल छथि।
तखने राम किशुनक प्रवेश।)
राम किशुन- प्रणाम डी.एस.पी. साहैब।
मनोहर- प्रणाम प्रणाम, आइ एते सबेरे?
राम किशुन- जी बड्ड आवश्यक गप छेलै।
मनोहर - की?
राम किशुन- कलक्टर साहैब लग हमर भातीज एन.एच.बला पेमेन्टक सम्बन्धमे हमरापर पेटीशन दऽ देलक। कलक्टर साहैब हमरासँ पेमेन्टक सभ सबूत मांगि देलथि। हमरा लग ओत्ते सबूत छै नै। ओकरे पैरबी अपने कऽ दैतिऐ जे ममला सलटिआ जइतए।
मनोहर- नवका कलक्टर छथिन। बड्ड टाइट छथिन। तैयो हम पूरा कोशिश करब। माल बड्ड खर्चा हएत।
राम किशुन- अपने लग बड्ड आशासँ एलौं हेन। केते धरि सलटिआ जेतै सर?
मनोहर- अहाँ अपन आदमी छी। तँए एक्को लाख तँ दिअ पड़त। ओइमे काज भऽ जाएत तँ अपनाकेँ सौभाग्यशाली बुझबै।
राम किशुन- ठीक छै सर। अपनेक जे आज्ञा।
(राम किशुन मनोहरकेँ एक लाख टाका अटैचीमे बन्न कऽ देलखिन।)
सर, मनसँ असीरवाद देबै।
मनोहर- अहाँ लए हम जान दऽ सकै छी।
राम किशुन- सर, एस. पी . साहैबकेँ भेँट कएल जाए, आकि नै?
मनोहर- ओ हमरासँ पैघ हाकिम छथिन। जदी हुनका भेँट करबनि तँ सोनामे सुगंध भऽ जाएत।
राम किशुन- ठीक छै सर। हुनकासँ अखने भेँट कऽ लइ छियनि। (राम किशुनक प्रस्थान। पर्दा खसैए। राम किशुन एस.पी. साहैब जीतेन्द्र ओइठाम पहुँचल आकि पर्दा उठल। ओइ समए जीतेन्द्र डेरापर छथि।) साहैब प्रणाम।
जीतेन्द्र- आइ की बात छिऐ यौ? ऐ समएमे देखै छी।
राम किशुन- सर, की बात रहतै। बिना कारणे टिटही नै लगै छै। हमर भातीज एन.एच.बला पेमेन्टक सम्बन्धमे कलक्टर साहैब लग हमरापर पेटीशन दऽ देने छै। कलक्टर साहैब ओइ सम्बन्धमे हमरासँ पक्का सबूत मांगि रहल छथि। हमरा लग पूरा सबूतक अभव छै। हम हुनका की जवाब देबनि। ओकरे पैरबी सर, अपने कऽ दैतिऐ।
जीतेन्द्र- अहाँ सुनैत हेबै जे कलक्टर साहैब बड्ड टाइट छथि। हुनका लग किनको पैरबी नै चलै छन्हि।
राम किशुन- सर, अपने अपेक्षित आदमी छी। तँए बड़ी आशासँ आएल छी। अपने चाहबै तँ भऽ सकै छै।
जीतेन्द्र- हमर हाथक तँ गप अछि नै। नै तँ ओत्ते नै कहए पड़िताए। खाइर मालपर कमालक कल्पना कएल जा सकैए।
राम किशुन- केते धरि फरिआ जेतै सर?
जीतेन्द्र- कम-सँ-कम एक लाख। ऊहोमे फरिआएत की नै कोनो गाइरेन्टी नै। ओना हम जी-जान लगाइए देब।
(राम किशुन, जीतेन्द्रकेँ एक लाख टाका देलनि।)
राम किशुन- अपनेपर हमरा पूरा आश अछि।
जीतेन्द्र- आब ऑफिसक समए भेल जा रहल अछि। अपने जैयौ। हम तैयार होइ लए जाइ छी।
राम किशुन- धन्यवाद सर। (प्रस्थान)
पटाक्षेप।
आठम दृश्य
(कलक्टर साहैब बीजेन्द्र कार्यालयमे फाइल उनटा रहल छथि आ मजलूम ठाढ़ छथि। मनोहर अपन कार्यालयसँ आ बीजेन्द्र अपन कार्यालयसँ जीतेन्द्रसँ फोनसँ गप करता। मनोहर बीजेन्द्रकेँ फोन केलनि।)
बीजेन्द्र- हेल्लो मनोहर, की बात?
मनोहर- सर, एकटा पैरबी छेलै।
बीजेन्द्र- किनकर पैरबी?
मनोहर- राम किशुनक पैरबी।
बीजेन्द्र- हुनका सबूतक लेल पैरबीक आवश्यकता भऽ गेलनि। (मुस्काइत) अच्छा, दालिमे किछु कारी लगि रहल अछि। लगि रहल अछि जे राम किशुन जुआएल दलाल अछि। ओ एन.एचकेँ बढ़ियाँ टोपी पहिरौने हएत आ केतेक मुँहदुब्बराकेँ माथा-हाथ दिएने हएत। मनोहर, अहाँ ऐ पैरबीक चक्करमे नै पड़ू। नै तँ केकर खेती केकर गाए, कोन पापी रोमए जाए।’ बला गप भऽ जाएत।
मनोहर- ठीक छै सर, अपनेक जे आज्ञा। (जीतेन्द्र बीजेन्द्रकेँ फोन केलनि।)
बीजेन्द्र- हेल्लो जीतेन्द्र, कहू, की हाल चाल?
जीतेन्द्र- सर, बड़ नीक।
बीजेन्द्र- कहू, किए फोन केलौं जीतेन्द्र?
जीतेन्द्र- सर, राम किशुन अप्पन आदमी छथिन।
बीजेन्द्र- बस करू, बूझि गेलौं। ओ तँ बड्ड पहुँचल फकीर छथि। दलालक सरदार छथि।
जीतेन्द्र- सर, अपने केना बुझलिऐ?
बीजेन्द्र- रामलालक पेटीशनसँ आ अहाँ पैरबीसँ। जीतेन्द्र एहेन आदमीकेँ पैरबीसँ अपनेक प्रतिष्ठा माटिमे मिल जाएत। तँए हमर रिक्वेस्ट, जे पदक गरिमा नष्ट नै करी।
जीतेन्द्र- सर, राम किशुनकेँ हम कहने छेलियनि जे कलक्टर साहैब लग किनको पैरबी नै चलै छन्हि। बेस, अपनेक सलाहक आदर करैत हम अपन पैरबी आपस लइ छी। धन्यवाद सर।
बीजेन्द्र- (माथ डोला कऽ आ मुस्कीआइत) हूँ ऽ ऽ ऽ ऽ, एन.एच.क करोड़क टाकाक घोटाला भऽ गेल। मुदा कार्यालयमे कोनो ट्रेस उपलब्ध नै अछि। बड्ड चलाकीसँ काज भेल अछि। धन्यवाद देबाक चाही भू-अजर्न कर्मचारीकेँ एन.एच.क कर्मचारीकेँ आ सम्बन्धित दलालकेँ। मुदा आब ओना असंभव। हम पूरा प्रयास करब, जे भेल से भेल आब ओना किन्नो नै हुअए। एकटा दलाल तँ पकड़ा गेल। (बीजेन्द्र ओम प्रकाशकेँ फोन करै छथि। ओम प्रकाश नेपथ्यमे रहै छथि।)
बीजेन्द्र- हेल्लो ओम प्रकाश।
ओम प्रकाश- हेल्लो साहैब, प्रणाम। जे आज्ञा सर।
बीजेन्द्र- राम किशुनकेँ गिरफ्तार कऽ हमरा कार्यालयमे उपस्थित करू। ओकरापर एन.एच केर केतेको पाइ घोटाला करैक आरोप अछि।
ओम प्रकाश- जे आज्ञा सर। हो छोटा बाबू, हवलदार और चौकीदार तनी चलह तँ राम किशुनकेँ हियाँ।
पवन- जी बड़ा बाबू, चली। (ओम प्रकाश, पवन, बिलट, आ नदीमक प्रस्थान राम किशुन ऐठाम। पर्दा खसैए आ फेर ओम प्रकाश अपन समूहक संग राम किशुन ऐठाम पहुँचै छथि। राम किशुन पेपर पढ़ैत रहैए।)
राम किशुन- प्रणाम बड़ा बाबू, प्रणाम छोटा बाबू।
ओेम प्रकाश- का हो राम किशुन बाबू, तोरापर बड़ी नमहर घोटालाक आरोप बा तोरा गिरफ्तारक ऑडर बा।
राम किशुन- ह ह ह ह, बड़ा बाबू, जखनि अहाँ छिऐ तँ हमरा कथीक डर। पहिने चाह-नश्ता कएल जाए तहन विशेष गप हेतै।राम सेवक, राम सेवक।
राम सेवक- (अंदरसँ) जी पापा। इएह एलौं।
राम किशुन- बड़ा बाबू एला हेन। पहिने पाँच-सात ठाम नश्ता नेने आउ।
राम सेवक- तुरन्त एलौं पापा। (स्टैण्डर्ड नश्ता लऽ कऽ राम सेवकक प्रवेश। राम किशुन छोड़ि चारू थाना स्टाफ नश्ता करै छथि।)
पवन- अपने राम किशुन बाबू, नश्ता करए न?
राम किशुन- छोटा बाबू, अपने सभ हमर गेस्ट छिऐ। अहाँ सभकेँ स्वागत केनाइ कर्त्तव्य छै पहिने। (सभ कियो नश्ता केलथि। राम सेवक पानि आनलक। सभ हाथ धोलथि। राम सेवक नश्ता प्लेट अन्दर लऽ गेल।) बौआ, बौआ, चाह बढ़ियाँसँ मम्मीकेँ कहियनु बनाबै लए। जल्दी नेने आउ चाह।
बिलट- राम किशुन बाबू, अपने ऐठामक चाह नामी होइते छै। (मसकाकऽ) की
मैडम लगहरि छथि?
राम किशुन- ह ह ह ह, आब की लगहरि रहती। जखनि लगहरि छेली तखनि हम अन्न कहाँ खाइ छेलौं चाहेपर रहै छेलौं।
बिलट- खीरो बनबै छेलिऐ दूधमे?
राम किशुन- खीर बड्ड कम बनै छेलए। मुदा छेनाक रसगुल्ला बरबरि बनै छेलए। उ तेतेक सुअदगर लागए जे हम हरिदम उहए खा कऽ रही।
ओम प्रकाश- छोटा बाबू, अब मजाक बन्न करह। काजक बात होइ। (राम सेवककेँ चाह लऽ कऽ प्रवेश। सभ कियो चाह पीबै छथि आ गप-सप्प करै छथि।) राम किशुन बाबू, कलक्टर साहैबकेँ का जवाब देब? तूँ ही बताबह।
राम किशुन- हम अहाँकेँ की बताएब। अहाँ लग अपने बड्ड जवाब रहैए। कोनो जवाब दऽ देबनि।
ओम प्रकाश- ठीक हई, जवाब दे देबह। लेकिन माल- पानी तँ खरचा करह।
राम किशुन- राम सेवक, अन्दर जाउ आ मम्मीसँ गोदरेजक ऊपरका हन्नामे राखल पाइ नेने आउ। (राम सेवक अन्दर जा कऽ पचास हजार टाका आनि पापाकेँ देलक।) बड़ा बाबू, गरीब आदमीकेँ जे संभव भेल से दऽ रहल छी। (पचास हजार टाका ओम प्रकाशकेँ देलनि।)
ओम प्रकाश- (टाका गिन कऽ)- कहाँ हऽ, पचो हऽ। ऐ से काम न चली। चार आदमी आएल बा, उ भी धियान रखह। कम-से-कम पचास और दऽ। (राम किशुन अपने अंदर जा कऽ बीस हजार टाका ओम प्रकाशकेँ देलनि।)
राम किशुन- (कर जोड़ि) बड़ा बाबू, क्षमा कएल जाए।
ओम प्रकाश- ठीक हऽ। तूँ अपन आदमी हऽ। का कहबह? हे हो राम किशुन बाबू, कलक्टर साहैबकेँ आॅडर बा। जरा बँच कऽ रहऽ छोटा बाबू, आब अपना सभ चलह। (थाना स्टाफक प्रस्थान)
पटाक्षेप।
नअम दृश्य
(राम किशुन बरण्डापर कुरसीपर बैस कऽ बीरूसँ रामलालक सम्बन्धमे विचार-विमर्श कए रहल छथि। राम किशुन चिन्तामग्न छथि।)
बीरू- राम किशुन भाय, बड्ड चिन्तामे देखै छी।
राम किशुन- अहाँकेँ की कहब। अहाँ सभटा बुझिते छी। खाली एगो गप नै बूझल हएत।
बीरू- एहेन कोन गप छिऐ?
राम किशुन- आइए कनी काल पहिने थानाक बड़ा बाबू सत्त्रि हजार लऽ गंेल आ तैयो
बचि कऽ रहै लए कहि गेला।
बीरू- की बात छेलै?
राम किशुन- कलक्टरक ऑर्डर छै जे राम किशुनकेँ गिरफ्तार कऽ ऑफिसमे उपस्थित करू। तँए थाना स्टाफ आएल छल। एक लाखसँ कममे बड़ा बाबू मानिते नै छेला। एना जे जखनि-तखनि रहत, तहन तँ ठूठ भऽ जाएब। सभटा कमेलहा-खटेलहा पानिमे चलि जाएत। तहन के पूछत? एकर कोन उपए हेतै, से किछु नै फुराइए।
बीरू- हेतै दोस, सभ किछुक उपए होइ छै। अबेर-सबेर भऽ सकै छै। हिम्मत नै हारू। मन छोट नै करू। छै उपए। (मुड़ी डोला कऽ)
राम किशुन- कहू कोन उपए? जल्दी कहू।
बीरू- जदी रमलालबाकेँ कोनो गर लगाए दैतिऐ तँ अहाँक कष्ट दूर भऽ जैतए।
राम किशुन- हमरो मनमे तँ सएह छेलए। मुदा अछि तँ उ भातिज।
बीरू- से अहाँक भातिज कहाँ बुझैए। ओकरो ने बुझक चाही जे उ कक्का छथि। एक्के हाथे थोपरी कहियो बाजि सकै छै?
राम किशुन- से तँ ठीके। उ हमरा दुश्मन बझैए। काए लाख हमरा नाश करौलक।
बीरू- बुझै छिऐ दोस, सोझ ओंगरीसँ घी नै निकलै छै। जाबे धरि रमललबाकेँ कोनो पकिया जोगार नै लगाएब ताबे धरि अहाँ चेनसँ नै रहि सकब। उ कबाबक हड्डी छी।
राम किशुन- अहीं बाजू दोस, कोन पकिया जोगार छै।
बीरू- मौत, ऐ दुनियाँसँ निपत्ता।
राम किशुन- ई काज तँ हमरा बुते नै हएत।
बीरू- अहाँ बुते नै हएत। हमरा बुते हएत ने। आ हमहूँ नै करब। दुनियाँ बड़ीटा छै। माल खर्च करबै आ घर बैसल कमाल देखबै।
राम किशुन- आ जौं फँसबै तब?
बीरू- अँए यौ, उक्खैरमे मुँह देबै तँ मुसराक डर करबै तँ काज बनतै। ओना हमरा ओत्ते काँच खेलाड़ी बुझै छी। केतए चलि जेतै से भगवानो बुझतै की नै, से नै कहि। तखने अहाँक कल्याण हएत। जहिना रईस जकाँ रहलौं तहिना रहब यौ। नै तँ उ छौरा भीखमंगा बना देत।
राम किशुन- तँ अहीं बाजू, की केना प्लान बनतै?
बीरू- जेते पाइ केस-फौदारीमे खर्च हएत, तइसँ बड्ड कम्मेमे एम्हर सभ काज भऽ जाएत जइमे जीत निश्चित। मुदा केस- फौदारीमे जीत अनिश्चित। पहिने हमरा ओइ छौड़ासँ मेल करए दिअ। बिसवास बढ़ि जाएत, तहन ने कोनो अगिला कार्यक्रम करब।
पटाक्षेप।
दसम दृश्य
(अपन दलानपर रामलाल आ झामलाल माए लक्ष्मीक संग बैस आपसी गप-सप्प करै छथि।)
रामलाल- माए तोरासँ बिन पुछने काल्हि हम मामा गाम बौआ झामलाल के आनए चलि गेल रहियौ। ई हमरासँ गलती भऽ गेलौ, माफ कऽ दे।
लक्ष्मी- पूछक तँ चाही जाइसँ पहिने मुदा आबो कहि देलह तँ कोनो तेहेन गलती नै भेलै। खाइर, तूँ की सोचि कऽ गेल छेलहक? केहेन सुन्दर ओत्तै छेलै। ओतए भरि पेट भोजन तँ भेटै छेलै।ेे
रामलाल- हम भरि दिन एम्हर ओम्हर रहै छेलौं। बाबू बगदले छथुन। गामपर तूँ असगरे रहै छेलेँ। से हमरा नीक नै लागै छल। झामलाल मामा गाममे बेसी काल महिंस चरबैमे लागल रहै छेलए। जै कारणे बी.ए.मे बढ़ियाँ रिजल्ट नै भेलै।
लक्ष्मी- से तँ ठीके कहै छह।
रामलाल- भूखल दुखल एतए आगू पढ़बो करत आ तोरा संग सेहो रहत। इएह सभ सोचि कऽ एकरा आनि लेलौं।
लक्ष्मी- ठीके सोचलहक बौआ। बुधियार लोकक काज ऐहन बोइ छै।
(बीरूक प्रवेश। देखतहि लक्ष्मी मुँह झाँपि प्रस्थान केली।)
रामलाल- प्रणाम काका, आइ केम्हर सुरूज उगलै।
बीरू- सुरूजक उगनाइ तँ निश्चित छै। मुदा अपन सबहक क्रियाकलाप अनिश्चित छै। कहियो नावपर गाड़ी आ कहियो गाड़ीएपर नाह रहै छै। की हाल-चाल छह।
रामलाल- अपने सबहक किरपासँ जे छै से नीके छै।
बीरू- एकरा नै चिन्हलिऐ।
रामलाल- हमरे छोट भाय छी झामलाल। मामा गाममे रहै छेलए। बौआ, काकाकेँ गोर लगहुन। (झामलाल बीरूकेँे गोर लगलक।)
बीरू- बड्ड सज्जन लगै छह बौआ। ई तोरा जकाँ नै हेतह। तूँ तँ बड़का नेता भऽ गेलह हेन।
रामलाल- काका, छुच्छाकेँ के पूच्छा?
बीरू- नै हौ, सुनै छिऐ आ देखबो करै छिऐ जे तूँ राम किशुन काकाकेँ नाकोदम कराए देने छहक। हरिदम थाना-पुलिस लगल रहै छन्हि।
रामलाल- नै काका, एगो कहबी छै जे ओतबे खाइ जे मोछमे नै लागए। काका, पर
हमर बाबू बिसवास केलकनि आ ओ अपन सुतारमे लगि गेलथि। की करबै, मजबूरी छल। काका, बड़ी काल गप-सप्प भेलै। हमरा ऐठाम चाहक जोगार नै छै। चलू दोकानेपर पीअल जाए।
बीरू- चलह। (रामलाल आ बीरू लालूक चाहक दोकानपर जाइ छथि। पर्दा खसैए। फेर पर्दा उठैए। दुनू आदमी चाहक दोकानपर पहुँच जाइए।) राम किशुनकेँ गद्देदारी नै करबाक चाही। आखिर दुनियाँ बिसवासेपर चलै छै।
रामलाल- लालू काका, दूगो चाह देब।
लालू- माने जे, मानेजे दुइएगो चाह। एते दिनपर एलेँ आ माने जे दुइएगो।
रामलाल- दुइए गोटे छी तँ कएगो?
लालू- माने जे, मानेजे चारिगो। माने जे एक आदमी दूगो आ माने जे एक आदमी दूगो।
बीरू- तूँ नै बुझै छिहीन लालू, बेसी चाह खराबी करै छै। सभकेँ नै पचै छै। दुइएटा दहीन।
लालू- माने जे मजाक केलिअ। माने जे दुइएटा लेबहक। माने जे दुइएटा चाह देबह, सएह नऽ।
बीरू- हँ, दुइएटा दहीन। एते कियो गप बनाबए।
लालू- माने जे तोरा दुइएगो चाह चाही। माने जे दुइएगो चाह तुरन्त दइ छिअ। माने जे शांत रहए। (लालू बीरू आ रामलालकेँे चाह देलनि। दुनू गोटे चाह पीबैक संग गप-सप्प करै छथि।)
बीरू- रामलाल, बाबूकेँ देखै छिअ राम किशुन काका ऐठाम बहुत दिनसँ। से किए?
रामलाल- की कहब काका, चलए ने आबए तँ अँगना टेंढ़। माए परिबारक नीक अधलाक सम्बन्धमे कहलकनि जे हमरा बुझने अहींक गलती लगैए। तैपर माएकेँ मारए लगलखिन। जौं नै छोड़ैबितियनि तँ जीब नै दैथिन। तही दुआरे ओ काका ऐठाम आबि रहए लगला। लगै छै जे काका नून पढाकऽ खिया देने छथिन।
लालू- माने जे चाह पीबेँ की गपे करबेँ।
रामलाल- काका भऽ गेल चाह पीअल।
लालू- माने जे ई धरमशाला नै छिऐ, दोकान छिऐ।
रामलाल- पाइ केते भेल काका? (चाहक कप रखि।)
लालू- माने जे बीसे टका।
रामलाल- काका, ऐ बीचमे दाम बड्ड बढ़ा देलिऐ की?
लालू- माने जे सभ चीजक रेट बढ़लै आ चाहकेँ ओहिना रहतै। माने जे हमरा जकाँ चाह के बनबै छै? माने जे ठोरमे ठोर सटि जाइ छै। माने जे हमरा लग पाइ बेसी लगबे करतौ।
बीरू- (चाहक कप रखि) रामलाल, तूँ- तूँ माएं- माएं नै करह। पाइ हमहीं दऽ दइ छिऐ।
रामलाल- नै काका, हमहीं दऽ दइ छियनि। अहाँ हमर गेस्ट छी।
बीरू- तोँ गरीब छह, बेरोजगार छह। हमहीं दऽ देबै तँ की भऽ जेतै?
रामलाल- काका, गरीब आ बेरोजगारकेँ इज्जत नै होइ छै की?
बीरू- हम तोरासँ श्रेष्ठ छी। हमरा रहैत तों पाइ देबहक से नीक नै हेतै।
लालू- माने जे जे पाइ देबह से दाए, ओत्ते हवा नै छोड़ह। माने जे पाइ दाए, दोकान खाली करह। (बीरू बीसगो टाका लालूकेँ देलनि आ दुनू आदमी गप-सप्प करैत दोकानसँ बहरेलथि।)
बीरू- आब जाइ छिअ रामलाल। आन दिन गप-सप्प हेतै।
रामलाल- ठीक छै काका प्रणाम।
बीरू- खुश रहऽ। (बीरूक प्रस्थान)
रामलाल- लालू काका, आब अवस्था भेलह। कनी बोलीमे लैस राखहक।
लालू- माने जे तू हमरा एते नै सीखा। माने जे हमरा आगूमे जनमल छेँ।
रामलाल- काका, जे कहलौं गलती केलौं। माफ करू। (हाथ जोड़ि)
लालू- माने जे जो, गुलछर्रा नै मार। (रामलालक प्रस्थान)
पटाक्षेप।
एगारहम दृश्य
(राम किशुन अपना बरण्डापर बैस पेपर पढ़ै छथि। तखने बीरूक प्रवेश।)
बीरू- नमस्कार दोस।
राम किशुन- नमस्कार नमस्कार। आउ बैसू। कहू, की कुशल?
बीरू- बड्ड नीक अछि। रामलाल ऐठाम गेल रही। भेँट भेल आ गपो-सपो भेल।
राम किशुन- की गप-सप्प भेल?
बीरू- कए रंगक गप-सप्प भेल। अहूँ सम्बन्धमे गप भेल। लखन भैयाक सम्बन्धमे गप भेल। लालूक चाहक दोकानपर आबि चाह पीलौं दुनू गोटे। पाइ हमहीं देलिऐ।
राम किशुन- हमरा सम्बन्धमे की गप-सप्प भेल।
बीरू- ओकर भाव छेलै जे जखनि काका हमरा भातिज नै बुझथिन दुश्मन बुझथिन तँ हम हुनका की बुझबनि? बरदासक तँ सीमा होइ छै। बाबू हुनकापर बिसवास केलखिन। मुदा ओ ओकर फैदा उठौलनि।
राम किशुन- आब ई सभ छोड़ू। अगिला योजना बताउ।
बीरू- हमर योजना इएह अछि जे अखने राजा ऐठाम चलू। नगद नारायण जेतेमे फाइनल हएत से कऽ लेब। अपने ओ समए देता। ओइ समैपर अहाँक काज बनि जाएत। सभ परेशानीसँ मुक्त भऽ जाएब।
राम किशुन- ठीक छै, कखनि जेबै।
बीरू- अखने चलू। परेशानीकेँ माथपर नै रखबाक चाही। जेतेक जल्दी भऽ सकए ओकर भगबैक प्रयास करबाक चाही।
राम किशुन- तहन चलू अखने।
बीरू- चलू। (दुनूक प्रस्थान राजा ओइठाम। पर्दा खसैए। फेर पर्दा उठैए। राजा अपन समूहम पाँच आदमी अछि। आन चारि आदमी सलीम मोस्तकीम, बौधु आ मनोज अछि। तीन गोटे दारू पी रहल अछि। एगो नटुआ चमेली नाच-गाबि कऽ दारू पीआ रहली अछि आ अपनो पी रहली अछि। पूरा मेहफिल मस्तीमे झूमि रहल अछि। गेटपर सलीम आ बौधु पेस्तौल तनने अछि। तखने आगू आगू बीरू आ पाछू- पाछू राम किशुन प्रवेश।)
बीरू- सरदार लग जेबाक अछि।
सलीम- सरदार, दूटा मोकीर अपने लग जाए चाहैए। की, आज्ञा होइ छै?
राजा- बाइ इज्जत नेने आउ। (सलीम आ बौधु दुनूक माथमे पेस्तौल सटा राजा लग आनैए।) ओ ऽ ऽ ऽ बीरू भाय। सलीम आ बौधु अपन ड्युटीपर जाउ। (दुनू अपन ड्यूटीपर लगि गेल।) आउ बीरू बाबू, बैसू। संगमे के छथि?
बीरू- हमरे दोस छथि राम किशुन।
राजा- अच्छा अच्छा, बैसै जाइ जाउ आ मेहफिलक आनन्द लिअ।
(सभ कियो मेहफिलमे दारू पीब कऽ मस्त अछि।)
राजा- (मस्तीमे) की बीरू भाय, केतए एलौं हेन?
बीरू- हमरे दोसकेँ एगो काज छेलै।
राजा- कोन काज, बाजू।
बीरू- हिनके एगो भातिज छै। उ हिनका नाकोदम कऽ देने अछि। सएह ओकर कोनो पकिया जोगार लए एलौं हेन।
राजा- अहाँ चाहै की छिऐ?
बीरू- ऐ दुनियाँसँ निपत्ता।
राजा- माल पूरा एगो लागत।
बीरू- किछु कम कऽ दैतियनि। दोस छथि तँए।
राजा- हम जे बाजि देलौं से पक्का। ओना और बेसी हेबाक चाही। मुदा दोस छथि तँए ओतबे। काज करेबाक अछि तँ बेना दियौ, नै तँ रस्ता नापू।
बीरू- की दोस, विचार छै ने?
राम किशुन- हँ हँ, विचार अछिए।
बीरू- तहन दियनु एक हजार एक बेना। (राम किशुन एक हजार एक टाका बीरूकेँ देलक आ उ राजाकेँ देलक।)
राजा- आ बाँकी निनानबे हजार टाका कहिया?
बीरू- काज भेला के बिहान भने।
राजा- मिस नै हेबाक चाही। नै तँ अहींपर बिसाएत।
बीरू- नै नै, मिस नै भऽ सकै छै।
राजा- ठीक छै।, काल्हि नअ बजे अहाँ अपन गामक एक गच्छा लग ओकरा लऽ कऽ आउ। हम सभ ओतए तैयार रहब।
बीरू- ठीक छै। हम अपने लऽ कऽ आएब समैपर।
राजा- आब अहाँ सभ जाउ। (बीरू आ राम किशुनक प्रस्थान।) की बहादुर सभ? तूँ सभ तैयार छेँ ने?
चारू गोटे- जी सरदार, हम सभ तैयार छी।
मोस्तकीम- सरदार, ऐ काजक लेल हम असगरे काफी छी। अहाँ सभ किए कष्ट करब?
बौधु- सरदार, हमरा आज्ञा दिअ, ओकरा हम असगरे घरेसँ उठा आनै छी।
मनोज- सरदार, एक बेर इशारा करियौ अपने, असगरे ओकरा सौंसे परिवारकेँ नै
उठा लेलैं तँ हमरा नाओंपर कुत्ता पोसि देब।
राजा- सलीम तूँ किछु नै बजलेँ। डर होइ छौ की?
सलीम- डर आ हमरा, डर हमरा अहींटाकेँ होइए। और ऐ दुनियाँमे कोनो माएक लाल नै अछि जेकरासँ हम डरब। अहाँ आज्ञा दियौ, हम असगरे सौसें गामकेँ देख लेबै।
राजा- ह ह ह ह ह...। हमरा चारू बहादुरपर नाज अछि। चारू बहादुर, जीबू जागू आ दुनियाँकेँ लुटू। वाह! वाह!
पटाक्षेप।
बारहम दृश्य
(लक्ष्मी अपन दलान बहारि रहल अछि। भिनसरे-भिनसरे बीरू रामलाल ऐठाम पहुँचल। रामलाल अन्दरमे सूतल अछि। बीरूकेँ देखैत मातर लक्ष्मी घोघ तानि अन्दर गेली।),
बीरू- (ठाढ़े ठाढ़) रामलाल, रामलाल। रामलाल छह हौ।
लक्ष्मी- (अन्दरसँ) रामलाल सुतले छन्हि। की कहै छथिन?
बीरू- कनी पठा दियनु, जरूरी गप अछि।
लक्ष्मी- बौआ, बौआ, रामलाल बौआ।
रामलाल- उँ। की कहै छिहीन?
लक्ष्मी- दूरापर बीरू काका बड़ी कालसँ ठाढ़ छथुन।
रामलाल- इएह एलौं काका।
बीरू- एते कियो लोक सुतए। आबह जल्दी आबह। (रामलाल बहाराएल)
रामलाल- की काका, आइ भोरे-भोरे? बैसल जाउ।
बीरू- हमरा संगे तोरा एकठाम जाइक छह। (बैस कऽ)
रामलाल- केतए काका?
बीरू- हौ एक आदमी हमर पाइ रखने अछि। कहै छिऐ तँ आइ-काल्हि, आइ -
कालि करैए। उनटे कहा- कही कऽ लइए।
रामलाल- के छिऐ काका?
बीरू- तूँ नै चिन्हबहक। तूँ नेता जकाँ लोक छह, कनी अपनेसँ कहितहक समझाए कऽ।
रामलाल- चलू, कहबनि।
बीरू- चलह, ओम्हरे चाहो पीअब। (दूनू गोटे प्रस्थान केलनि। पर्दा खसैए।)
रामलाल- केते पाइ लेनेए?
बीरू- लाखक लमसम बुझलहक। मोँछ तँ इएह-इएह रखने अछि। मुदा लाज कनिको नै। मोँछ छिऐ की कथीदुन छिऐ।
रामलाल- चलू ने, तेहेन बात कहबै जे छक्क दऽ लगतै। ठेहुनक कफ छूटि जेतै।
(पर्दा उठैए। लालूक चाह दोकान आबि गेल। दोकानपर गैंहकीक भीड़ अछि। दुनू आदमी दोकानपर बैसल)
बीरू- लालू दूगो चाह दिहेँ।
लालू- माने जे दुइएगो चाह लेबहक।
बीरू- हँ हँ दुइएटा दिहनि।
लालू- माने जे अरामसँ बैसह। माने जे दइ छिअ।
रामलाल- कनी जल्दी देबै काका।
लालू- माने जे बड्ड औगताएल छेँ। माने जे तूँ नै देखै छेँ जे दोकानपर भीड़ छै। माने जे बेसी औगताएल रहए तँ दोसर दोकान देखहीन।
बीरू- बड्ड बजै छेँ लालू। काजो बढ़ा।
लालू- माने जे आगिओ-पानि डरेतै। माने जे हम बैसल तँ नै छी। माने जे काजमे लगले छी। माने जे चाह बनि गेलह, लएह। (लालू दुनूकेँ चाह देलक। दुनू चाह पीब रहल अछि। गपो-सप्प होइए।)
बीरू- रामलाल, राम किशुन काका घमलह की नै? किछु और देलकह की नै?
रामलाल- किछु नै।
बीरू- नीक बात नै भेलै। हुनका एना नै करबाक चाही। तहूमे अपन समांगक संग। (दुनू गोटे चाह पीब कप रखि देलनि।) पाइ ले लालू।
लालू- माने जे लाबह पाइ। माने जे खुदरा दिहक। माने जे बेसी आदमी नमरीए
पनसौआ दइ छै।
बीरू- खुदरे छौ आइ। चिन्ता नै कर।
लालू- माने जे तँू बड्ड नीक लोक छह। माने जे लाबह। (बीरू लालूकेँ पाइ देलक।)
बीरू- चलह रामलाल। बड्ड देरी भऽ गेल एतए।
रामलाल- हँ हँ, चलू काका। (दुनूक प्रस्थान। पर्दा खसैए। दुनू रस्तामे गप-सप्प करैत जाए रहल अछि।)
बीरू- रामलाल, बाबू अपना ऐठाम एलखुन की नै।
रामलाल- नै तँ।
बीरू- ईहो बढ़ियाँ नै भेलै। राम किशुनकेँ चाही जे तोरा बाबूकेँ समझा-बुझा घर पठा दैतएथिन। के नै बुझै छै जे जत्तै दसटा बरतन रहै छै, ओते हरबरेबे करतै। काबिल आदमी जकाँ काज राम किशुन नै केलथि। ओना उ हमर दोसे छथि। मुदा कहै छियनि तँ कोनो काने- बात नै।
रामलाल- अहाँ तँ सभटा बुझिते छिऐ। (पर्दा उठैए। राजा, मोस्तकीम आ मनोज डकैतक भेसमे ठाढ़ छथि। तखने बीरू आ रामलाल पहुचल।)
बीरू- नमस्कार राजा भाय।
राजा- नमस्कार, नमस्कार बीरू भाय। इएह महानुभाव छथि की?
बीरू- हँ इएह छथि।
राजा- मोस्तकीम आ मनोज,श्रीमान्केँ कनी सेवा कऽ दियनु। बड़ी दूरसँ एला, थाकल हेताह। (दुनू गोटे रामलालकेँ थोपराए रहल अछि। बीरू आ राजा देखि रहल अछि।)
रामलाल- हम की केलौं अहाँ सभकेँ? एना किए थोपराए रहल छी?
मोेेेस्तकीम- बीरू भायसँ पूछ। मनोज,कनी रूकू एकर गप सुनू।
रामलाल- की बिगाड़लौं काका? एना किए करबै छी? पलोसी दऽ कऽ आनि लेलैं आ मारि खुआबै छी। नीक नै केलौं। खाइर चिह्न गेलौं अहाँकेँ, केते पानिमे छी। अहाँ सनक घटिया आदमीपर थूः थूः थूः। अहूँ सभ इएह काज करै छी। एहेन सुन्दर देह अछि। ऐ देहकेँ किए कलंकित करै छिऐ? ई देह जदी ईमनदारीसँ काज करितए तँ समाजमे नाओं होइतए। अहुँ सभपर थूः थूः थूः।
मनोज- मोस्तकीम, दुनियाँमे सभ बाबाजी भऽ जेतै तँ दुनियाँक रहस्य खतम भऽ जेतै। बीरू काकाकेँ छोड़ि अपने सभकेँ पढ़ाए रहल अछि।
रामलाल- पढ़ाएब की? अपने पढ़ल छी से। अहीं सभ पढ़ि-लिखि कऽ नाओं कए रहल छी।
मोस्तकीम- हमरा सभसँ दुनियाँ डरैए आ तोँ लबर-लबर करै छेँ, मुँह लगबै छेँ।
रामलाल- अहाँ सभपर थूः थूः थूः।
राजा- मोस्तकीम आ मनोज, गप-सप्प करैक समए नै छै काम तमाम कर। किछु आदमीकेँ आबैत देखाइए। (मनोज रामलालकेँ कसि कऽ पकड़ि लेलक। मोस्तकीम चक्कू पेटमे, छातीमे, जाँघमे बाहिमे आ पीठमे भोंकि देलक। रामलाल खसि पड़ल।)
रामलाल- आह! ओह! नीक नै केलौं काका। अहा! माए गै। बाप रौ! अहा! ओह!
पानि, पानि। (बेहोश भऽ गेल)
राजा- मनोज, ऐ काजमे बेसी समए नै लेबाक चाही। लेट भऽ रहल छै। दोसरो ठाँ जेबाक छै। जल्दी कर। चारि-पाँच आदमी आबि रहल छै।
(मनोज अपन चक्कूसँ रामलालक गरदनि काटि देलक।)
मनोज- सरदार काम तमाम भऽ गेल।
राजा- बीरू भाय, लग जा कऽ देखियौ। अहाँक काज बनल की नै बनल? (बीरू लग जा कऽ देखलक।)
बीरू- राजा भाय, काज बनि गेल। अहा! बेचारा बड्ड नीक छेलए। हमरा बड्ड माने छेलए।
राजा- भागै जाइ जाउ। आबि रहल-ए पाँच आदमी। (सभ कियो कारी कपड़ासँ झाँपि भागि रहल अछि।) बीरू भाय, बाँकी रकम लाउ।
बीरू- काल्हि आबै छी। (बुधन, घूरन, भूटन, पलटू आ चिनमाक प्रवेश। सभ कियो लाश देखि आश्चर्यमे पड़ल अछि।)
बुधन- घूरन, खतम छै। सुगबुगेबो नै करै छै। (घूरन कनीए लाश उघारैए)
घूरन- गरदनिए काटल छै तँ केना सुगबुगेतै?
भूटन- पलटू भैया, ई छिऐ के?
पलटू- हमरा लगैए जेना लखन भैयाक बेटा रहै।
चिनमा- पलटू, के रौ, रामलाल?
पलटू- हँ हँ, ठीके कहै छेँ रामलाल।
बुधन- कनी औरो उघारि कऽ देखै छिऐ तँ चिह्न जेबै।
घूरन- धूर मर्दे, फँसैके काज छौ। जुग-जमाना नै बुझै छीही।
भूटन- केकर खेती केकर गाए। कोन पापी रोमए जाए। अखने पुलिस एतौ तँ चलि जेमे खिचड़ी खाए लए।
पलटू- भाग रौ, ओएह पुलिसक गाड़ी अबै छै।
चिनमा- ठीके रौ, जल्दी भागि जो। अखनि पुलिस ओत्तै छै। जल्दी निकल। मुदा एना नै करबाक चाही। जे एना केलक, ओकरा नीक नै हेतै।
बुधन- कौआ सरापने बेँग मरै छै? चलै चल, जे होइ छै से नीके होइ छै। तूँ जेकरा खराप कहै छीही, तेकरा कोय नीको कहैत हेतै।
घूरन- पुलिस हैअए एलै। भागै जो। (बुधन, घूरन, भूटन, पलटू आ चिनमाक प्रस्थान। आ ओम प्रकाश पवन, बिलट आ नदीमक प्रवेश।)
ओम प्रकाश- नदीम, तनिएँ देखाइ हऽ लाश। पूरा उघारह तँ। (नदीम कारी कपड़ा हटा लाश पूरा उघारलक।) (गौरसँ देखि।) हमरा लागत हई, ई रमललबा हऽ। छोटा बाबू तोरा कैसन लागत हऽ?
पवन- बड़ा बाबू, तनी- तनी हमरो लागत हई। मुदा रमललबा कारी तँ नै बा?
बिलट- बड़ा बाबू, मुर्दाकेँ की करबै से, जल्दी करू। महँकि जाएत तँ उठा- बैसीमे दिक्कत हएत।
नदीम- बड़ा बाबू, कनी- कनी महँकबो करै छै। (नाक दाबि)
ओम प्रकाश- लाशके का होई, पोस्टमार्टम होई। चौकीदार लादह गड़ियामे।
नदीम- हमरा असगरे हेतै सर?
ओम प्रकाश- बड़ी कोढ़िया हऽ तूँ। कोशिश तँ करह। ना होई हम लोगन का करब हियाँ। (नदीम नाक दाबि कुथि- काथि कऽ मूर्दाकेँे गाड़ीमे लादलक।) देखए होई ना। कोनो काजके कोशिशमे ना चुकबाक चाही। पहिले ना ना कही, ओइसे हिम्मत कम हो जाई।
पवन- बड़ा बाबू, लेट हो रहल हऽ। फेर लाश पोस्टमार्टममे भी जाई ना। (सबहक प्रस्थान)
पटाक्षेप।
तेरहम दृश्य
(दलानपर बैस लक्ष्मी आ झामलाल आपसी गप-सप्प करै अछि। साँझक
समए अछि।)
लक्ष्मी- बौआ, दुपहरमे कोनो गप बुझबो केलहक?
झामलाल- (आश्चर्यसँ) नै माए, केतए की भेलै? हम घरमे किछु पढ़ै छेलौं।
लक्ष्मी- हमहूँ अँगनामे खेन्हरा सीऐ छेलौं। अँगनेसँ सुनलिऐ जे जुलुम भेलै, एगो छौराकेँ गरदनि काटि देलकै। डरसँ बहरेलौं नै।
झामलाल- माए गै, आइ भैयाकेँ नै देखै छिऐ?
लक्ष्मी- भैयाकेँ कोनो ठेकान नै। आइ एतए काल्हि ओतए। जेतइ धर तेतइ घर।
झामलाल- गेलखुन केतए?
लक्ष्मी- सुतिले छेलखुन तँ बीरू काका आएल छेलखिन। हुनके संगे सात-आठ बजे भिनसर निकललखुन।
झामलाल- (आश्चर्यसँ) केतए सात बजे भिनसर आ केतए छह बजे साँझ?
अखनि धरि किए नै एलखिन? हमरा शक होइए।
लक्ष्मी- कोनो शक नै। बुझै छहक, बीरू काका केहेन नीक लोक छथिन। हुनका संगे गेलखुन तँ कोन चीजक शक। हुनके कोनो काज हेतनि। हुनके ऐठाम हेथुन। हुनके ऐठाम खेने-पीने हेथुन।
झामलाल- नै गै, आइ काल्हि बापकेँ बेटापर बिसवास नै छै, पतिकेँ पत्नीपर बिसवास नै छै, गुरू के चेलापर बिसवास नै छै, केते कहबौ। आ बीरू काका तँ आन छथिन।
लक्ष्मी- नै बौआ से बात होइ नै छै हरिदम। जेकरासँ मन मिलै छै आ काज होइ छै, ओएह बिसबासी होइ छै। चाहे उ आन होइ वा अप्पन। भैयाकेँ हुनकापर बिसवास भेलह, तँए गेलखुन। ऐमे चिंता आ शक करबाक कोनो बाते नै।
झामलाल- तूँ तँ माए छिहीन, बुझिते हेबहीन।
लक्ष्मी- की बौआ?
झामलाल- केतेक गड़बर आदमी एतेक मधुर बजतौ जे लगतौ, ओकरा मुहसँ अमृत चुबै छै।
लक्ष्मी- से तँ होइ छै।
झामलाल- माए गै, हमरा मन होइए जे बीरू कक्काक घरपर देखतिऐ जे भैया की करै छथिन?
लक्ष्मी- जा देखहक। बड़ी काल भैयो गेलै।
झामलाल- जाइ छियौ माए। (झामलालक प्रस्थान। पर्दा खसैए। फेर पर्दा उठैए। झामलाल बीरू ऐठाम पहुँचल। बीरू घरेपर छथिं।)
झामलाल- काका, भैया कहाँ छथिन?
बीरू- (आश्चर्यसँ) हमरा ऐठाम कहाँ छथुन। उ तँ दसे बजे ऐ ठामसँ गेलखुन।
झामलाल- कहाँ एलखिन घरपर। केतए गेलखिन?
बीरू- हमरा लग बजै छेलखुन, कनी मामा गाम जेबै। बहुत दिन भऽ गेलै। भऽ सकैए; ओत्तै गेल हेथुन।
झामलाल- ठीक छै हम जाइ छी काका।
बीरू- जेबह किए । खा-पीअ आ रहऽ। साँझ भऽ गेलै। एतै रहि जा। काल्हि चलि जैहऽ। जुग-जमाना नीक नै छै। आइए ओइ पुल लग एगो छौराकेँ गरदनि काटि कऽ फेक देने छेलै दिनेमे। देखल नै जाइ छेलै।
झामलाल- जाइ छी काका, माए चिन्तामे हेती।
बीरू- नै मानबह तँ चलि जा जल्दी।
झामलाल- प्रणाम काका जाइ छी। (प्रस्थान) (पर्दा खसैए। झामलाल अपना ऐठाम जा रहलए। पर्दा उठैए। झामलाल अपना ऐठाम पहुँच गेल। लक्ष्मी चिन्तामे बैसल अछि।)
लक्ष्मी- की भेलह बौआ?
झामलाल- कहाँ छथुन भैया हुनका ऐठाम। कहलखिन दसे बजे गेलह। हम पुछलियनि- “घरपर कहाँ गेलखिन।” उ कहलनि- “मामा गाम गेल हेथुन।”
लक्ष्मी- (आश्चर्यसँ) मामा गाम गेल हेथुन। काल्हि भिनसरे चलि जैहऽ मामा गाम।
कहियहुन- खाली मेहमानीए टा हेतै की पेटोक जोगार हेतै।
झामलाल- ठीक है माए, काल्हि भोरे मामा गाम चलि जाएब। (प्यारसँ) माए गै, खर्चा-पानिमे दिक्कत होइ छौ तँ किछु विद्यार्थीकेँ टीशन पढ़ाबी।
लक्ष्मी- ई तँ बड्ड सुन्दर काज छै। ई काज के कहत नै करैले।
झामलाल- हमर विचार अछि जे पढ़ेबो करी, पढ़बो करी आ कनी-मनी घरोकेँ देखी।
लक्ष्मी- बड्ड बढ़ियाँ विचार छह।
पटाक्षेप।
चौदहम दृश्य
(लक्ष्मीक भाए आ झामलाल मामा लक्ष्मण अपन दलानपर कुट्टी काटि रहल छथि। तखने झामलाल प्रवेश।)
झामलाल- मामा गोर लगै छी।
लक्ष्मण- (प्रसन्न मने) जीबू, जागू आ खूब मलफै उड़ाउ।
झामलाल- मलफै की होइ छै मामा?
लक्ष्मण- नै बुझलहक भागीन, तोरे सनक छौड़ा सभ जखनि एम्हर-ओम्हर बौआइत रहैए निफीकीर भऽ कऽ तँ ओकरे मलफै उड़ेनाइ कहै छै। अच्छा, कहऽ केतए एलह आइ एते सबेर?
झामलाल- मामा, एलौं जे भैया कहाँ छथिन?
लक्ष्मण- (आश्चर्यसँ) भैया, भैया कहाँ एलखुन।
झामलाल- बीरू काका कहलखिन- “मामा गाम गेल हेथुन।”
लक्ष्मण- बीरू काका के छथिन?
झामलाल- हमर राम किशुन कक्काक दोस छथिन। गौवेँ छथिन। हुनके संग काल्हि सात बजे भिनसरे निकललथि। अखनि धरि नै भेटलथि। माएकेँ बड्ड चिन्ता भऽ गेल छै। तैमे काल्हि एगो मुर्दा हमरा घरसँ कनी दूर रस्ते कातमे गरदनि काटल भेटलै। पुलिस पोस्टमार्टम लए लऽ गेल।
लक्ष्मण- अच्छा भागीन, तूँ चलह हम आबै छी। माएकेँ कहि दिहक जे मामा ऐठाम भैया नै पहुँचल। (झामलाल अपन घरपर आबि रहल अछि। पर्दा खसैए। झामलाल अपन घरपर पहुँचल। लक्ष्मी चिन्तामग्न अछि। पर्दा उठैए।)
लक्ष्मी- (उदास मने) छेलखुन भैया?
झामलाल- कहाँ छेलखुन ओत्तौ। मामाकेँ सभ बात कहलियनि तँ ऊहो बड्ड आश्चर्यमे पड़ि कहलखिन- तूँ चलह हम आबै छी।
लक्ष्मी- हमरा किछु नै फुराइए। केतए गेलै नै गेलै। केकरो दिया समादो पठा दैतए जे फलनाठाम जाइ छी, सेहो नै
झामलाल- माए, हमरो आब बड्ड शक होइ छौ। (लक्ष्मणक प्रवेश)
लक्ष्मी- (कानि कऽ) बौआ लक्षण, बड़का बौआ काल्हिसँ निपत्ता अछि। केतए गेलै नै गेलै; किछु नै फुराइ अछि।
लक्ष्मण- चूप बहिन चूप। भगवानपर भरोस कर। जदी तोहर हेतौ तँ कोनो धरानीए आइ नै काल्हि तोरा लग एबे करतौ। चिन्ता नै कर। हमहूँ सभ प्रयास करै छिऐ। बहिन, बीरू के छथिन?
लक्ष्मी- ओहए तँ सभटा केलक। (कानए लगैए)
लक्ष्मण- कान नै बहिन। चूप रह। बीरू की केलकै?
लक्ष्मी- कालि साते बजे भिनसर बौआकेँ संगे लऽ गेलै। काल्हिसँ अखनि धरि आएल नै। छोटका बौआके हुनक ऐठाम पठेलियनि तँ कहलखिन- “दसे बजे गेलै।” आन दिन चारिए बजे-पाँचे बजे भोरे उठि कऽ बहराइ छल। साँझ तक घर आबि जाइ छेलए। मुदा काल्हि कोन कारण छेलै? (कानए लगैए)
लक्ष्मण- तूँ शांत रह, कान नै। कमजोर छेँ। मन खराप भऽ जेतौ। भागीन, चलह तँ तूँ हमरा संगे बीरू ऐठाम।
झामलाल- चलू मामा। (लक्ष्मण आ झामलाल बीरू ऐठाम जा रहल अछि। पर्दा खसैए। दुनू जने बीरू ऐठाम पहुँचल। पर्दा उठैए।) बीरू काका प्रणाम।
बीरू- प्रणाम प्रणाम बौआ। ई के छथि बौआ?
झामलाल- हमरे मामा छथि। अपनेसँ किछु गप करता।
बीरू- (हँसि कऽ) हमर सौभाग्य हएत। सार नहितन। ऐमे पुछैक कोन बात, निधोख बाजू।
लक्ष्मण- हमर भागीन रामलाल, अही लगसँ गाएब छै अखनि धरि घर नै पहुँचल। एकर की कारण?
बीरू- हमर संगे भोरे सात बजे काल्हिए आएल छेलए। लालू दोकानपर चाह पीलौं काका भातीजा। चाहे दोकानपर बैस कऽ किछु गप-सप्प केलौं। करीब दस बजे चाहे दोकानपर सँ उठि घरे दिस गेल। तैके बाद हमरा ओकरा कोनो भेँटो नै अछि।
लक्ष्मण- अँए यौ, जे कहियो नै से लोहिएमे। की कारण छेलै से ओकरा चाह पीऐ लए लऽ गेलिऐ?
बीरू- कोनो कारण नै छेलै। उ हमर गौआँ- समाज छल।
लक्ष्मण- रामलाल अहाँक गौआँ-समाज छल, अछि नै।
बीरू- उ ठीके छल हमर गौआँ-समाज।
लक्ष्मण- तहन हम अहाँपर केस करब।
बीरू- (घबड़ा कऽ) से जे करबाक हुअए से करू। उचितक विजय होइते छै। गलती नै रहतै तँ डर कत्थी के?
लक्ष्मण- हम एक बेर और कहि दइ छी जे अहाँ रामलालकेँ उपलब्ध कराए दियौ। नै तँ बेकारमे लफड़ामे पड़ब।
बीरू- हम केतएसँ उपलब्ध कराएब। जाउ अपने ताकियौ गऽ। हमर कएल रहत तहन ने।
लक्ष्मण- ठीक छै हम सभ जाइ छी। (लक्ष्मण आ झामलालक प्रस्थान)
बीरू- (चिन्तित मने) बड्ड तेज आदमी छेलए। बूझि गेल। खाइर, हमरापर कोनो आफत-आसमानी आएत तँ राम किशुन भायपर फेंकि देबनि। सम्हारि लेथिन ओ। ऐ सभमे फेरल छथिन।
पटाक्षेप।
पनरहम दृश्य
(लक्ष्मी अपन दलानपर बैस कऽ कानि रहली अछि।)
लक्ष्मी- बौआ रौ, बौआ। रामलाल रौ रामलाल। केतए चलि गेलेँ रौ बौआ। हम केतए छिछिआएब रौ बौआ। (लक्ष्मण आ झामलालक प्रवेश।)
लक्ष्मण- बहिन तूँ कान नै। हम दुनू मामा भागीन जेतए भेटतै, तेतएसँ ताकि आनब। सभटा बीरूआ चक्कर चालि छियौ। बहिन, पाहुन कनीओ सुधरलखुन की नै?
लक्ष्मी- उ की सुधरथुन। हुनका पेटबे की लोटबे छन्हि। हुनके दुआरे हमर बौआ केतए नै केतए चलि गेल। जा ने बौआ, पाहुन राम किशुन बौआ ऐठाम रहै छथुन। हुनको कहि दिहक आ राम किशुन बौआसँ ऐ सम्बन्धमे किछु विचार पुछियहक। चलि जा दुनू मामा- भागीने।
लक्ष्मण- ठीके कहलेँ, बहिन, हुनको सभकेँ जना देनाइ जरूरी छै। कहियो कहि देता एक्को बेर पुछलौं। ठीक छै। तूँ असथीरसँ रह। हम दुनू मामा- भागीने राम किशुन पाहुन ऐठाम जाइ छियौ। (दुनूक प्रस्थान। पर्दा खसैए। दुनू राम किशुन ऐठाम पहुँचलथि। पर्दा उठैए। राम किशुन पेपर पढ़ैत रहैए।)
लक्ष्मण- पाहुन प्रणाम।
राम किशुन- प्रणाम प्रणाम। सार नहितन। बहुत दिनपर देखलौं?
लक्ष्मण- की करबै पाहुन। सभटा ने देखए पड़ै छै। पहुलका जकाँ आब चलबै से हेतै। सभ किछुक समए होइ छै कीने। कहियौ, और सभ कुशल-मंगल छै कीने?
राम किशुन- सभ आनन्द आनन्द छै। बौआ, बौआ राम सेवक।
राम सेवक- (अन्दरसँ) जी पापा, इएह एलौं।
राम किशुन- मामा एलनि, पानि नेने आएब।
राम सेवक- जी पापा। (अन्दरेसँ)
राम किशुन- आइ हमर दूरा अपनेक आगमनसँ तरि गेल।
लक्ष्मण- एहेन कोनो बात नै छै। गरीब आदमी दबाल बरबरि होइ छै।
(राम सेवक पानि आनलक। फेर उ अन्दर गेल।)
राम किशुन- चरण पखारल जाउ। (लक्ष्मण पएर धोलनि।)
लक्ष्मण- पाहुन बड्ड जरूरी काजसँ एलौं। (चाह लऽ कऽ रामसेवकक प्रवेश।)
राम किशुन- चाह आबि गेल। पहिने चाह पीअल जाए। गप-सप्प हेबे करतै।
लक्ष्मण- एक पंथ दुइ काज हेतै। अहाँक भातिज रामलाल गाएब भऽ गेलै। उ केना भेटतै?
राम किशुन- (आश्चर्यसँ) ई बात तँ अहीं मुहेँ सुनै छिऐ। की भेलै, केना भेलै?
लक्ष्मण- कालि सात बजे भिनसर बीरू संगे निकलल आ अखनि धरि नै आएल। बीरूकेँ पुछलियनि तँ उ जवाब देलनि- “दसे बजे हमरा लगसँ गेल।” हमरा ऐमे कोनो राज लगैए। हम हुनकापर केस करबनि। ऐमे अपनेक की विचार? (चाह पीब कऽ कप रखै जाइ गेलथि।)
राम किशुन- अपने सबहक जे विचार हो, से कएल जाए। ऐमे हमर कोनो विचार नै। कारण ऐमे बड्ड लफड़ा होइ छै। दुनियाँ भ्रष्टाचारसँ जकड़ल अछि। जदी अपनेकेँ बेसी आर्थिक परेशानी हएत तँ हमरे कहब। तँए ऐमे हम एक्को रत्ती नै पड़ैलए चाहै छी। ओना रामलाल नेता जकाँ छौड़ा अछि, केतौ एम्हर-ओम्हर गेल हएत। ओकराे बड्ड फाइल रहै छै।
लक्ष्मण- अच्छा अपनामे विचार करै छिऐ। पाहुनकेँ नै देखै छियनि।
राम किशुन- अन्दरमे छथि। कनी तबियत खराप छन्हि।
लक्ष्मण- कनी भेँट करितियनि। बजाउ ने हुनका।
राम किशुन- राम सेवक, कनी बड़का पापाकेँ बजेने आउ।
राम सेवक- जाइ छी पापा। (राम सेवक अन्दर जा कऽ लखनकेँ बजाए आनलक। खोंखी करैत लखनक प्रवेश।)
लक्ष्मण- (लखनकेँ पएर छूबि प्रणाम कऽ) बड्ड तबियत खराप अछि की?
लखन- (खोंखी करैत) खोंखीए नै जान छोड़ैए। कहू, कुशल छेम छै कीने?
लक्ष्मण- सभ ठीक छै। खाली एक्केगो गड़बड़ छै।
लखन- की?
लक्ष्मण- रामलाल हेराए गेल। नै भेटैए।
लखन- नीक भेल। बेसी बुधियारकेँ अहिना हेबाक चाही। हमरा चक्कू देखबै छेलए।
लक्ष्मण- एना नै बजीयौ, बाप छिऐ अपने। लोक हँसता।
लखन- ओकरापर लोक नै हँसल हेथिन आ हमरापर हँसथिन।
लक्ष्मण- ओकरोपर लोक हँसल हेथिन। जदी नै तँ अहाँमे किछु कमी हएत। पाहुन, रामलालक सम्बन्धमे की केना सोचै छिऐ?
लखन- सोचैत रहू अहीं। हमरा किछु नै सोचबाक अछि। (खिसिया कऽ प्रस्थान)
लक्ष्मण- सुनलियनि पाहुन हुनकर टटाएल गप।
राम किशुन- सुनलिऐ, हार्दिक कष्ट हेतनि। अहाँकेँ जे जेना विचार होइए से करू।
लक्ष्मण- अपने मदति करबै कीने?
राम किशुन- देखल जेतै।
लक्ष्मण- ठीक छै, हम सभ जाइ छी। प्रणाम।
राम किशुन- प्रणाम प्रणाम। (लक्ष्मण आ झामलालक प्रस्थान)
पटाक्षेप।
सोलहम दृश्य
(राजा अपन दारू पार्टीमे मस्त अछि। राजाक संगमे मोस्तकीम आ मनोज अछि। सलीम आ बौधु गेटपर पेस्तौल तनने अछि। चमेली नाचि- गाबि सभकेँ मनोरंजन दऽ रहल अछि)
राजा- बीरू अखनि धरि माल लऽ कऽ नै आएल। सभ धुर्तइ घोंसारि देबै। भेल बिआह मोर करबे की?
चमेली- राजा साहैब, जी भरि कऽ मजा लिअ। (मस्तीमे)
राजा- डार्लिंग, अहाँ बेगैर हम एक क्षण नै जी सकै छी। अहाँ हमर जान छी आ मान छी।
चमेली- हमरो मन होइए हरिदम अहीं संग रही। हरिदम अहींक धियान लागल रहैए। (चमेली राजा, मोस्मकीम आ मनोजकेँ दारू पीअबैमे मस्त अछि। तखने बीरू आ राम किशुनक प्रवेश।)
बीरू- राजा बाबूक जय हो। अपनेकेँ बहुत-बहुत धन्यवाद। हमर दोस राम किशुनक रस्ताक काँट साफ कऽ देलौं
राम किशुन- हमहूँ अहाँकेँ हार्दिक बधाई दइ छी। कारण अहाँ हमरा शांति जीवन जीबैक बेवस्था लगा देलौं
राजा- ह ह ह... हमर काजे इएह अछि जे शरणागत आएल बेक्तीकेँ जीबैक जोगार केनाइ। खाली हमरा चाही माल। जेहेन माल तेहेन कमाल। डार्लिंग दुनू गेस्टकेँ मन मस्त करू। (चमेली बीरू आ राम किशुनकेँ दारू पीआ मन बुलंद करैए।)
राम किशुन- मांगू रानी, अहाँ की मंगै छी?
चमेली- जदी अहाँ हमरापर बड्ड प्रसन्न छी तँ अपन गरदनिक चेन दऽ दिअ।
राम किशुन- खोलि लिअ रानी। (चमेली राम किशुनक गरदनिसँ चेन खोलि लेली।)
चमेली- धन्यवाद राम किशुन बाबू।
राजा- राम किशुन बाबू, निनानबेर हजार टाका हमर उचित अछि। मुदा देरी केलौं, तेँ पूरा एक लाख डाउन करू।
बीरू- हमरो सभसँ बेसी लऽ लेबै। कनीए देरी भेलै ने। हम तँ अहाँक पकिया गैंहकी छी आ राम किशुन बाबू हमर दोसे छथि।
राजा- जे बाजि देलौं से दिहे पड़त। हम केकरो नै छिऐ। एहेन काजमे हम बापोकेँ नै छोड़बै।
बीरू- तहन बस करू। राम किशुन भायकेँ एक लाख टाका दिहे पड़तनि। दियनु भाय। (राम किशुन राजाकेँ एक लाख टाका देलनि।)
राजा- बीरू भाय, अपने दू हजार रखि लियौ। अहाँ जोगारीलाल छी।
बीरू- अपनेक जेहेन विचार।
राजा- जे बाजि देलौं से लऽ लिअ। अहाँसँ हम बड्ड कमाइ छी आ कमाएब।
बारू- लाउ। (राजा बीरूकेँ दू हजार टाका देलनि।) आब चलैक आज्ञा देल जाउ।
राजा- बेस, जा सकै छी। मुदा एगो बात बूझि लिअ जे हमर सबहक अता- पता किनको नै बतेबै। नै तँ ऐ दुनियाँसँ विदा लिअ पड़त। (बीरू आ राम किशुनक प्रस्थान।) डार्लिंग, ई सभ कमाइ अहीं लए भऽ रहल छै। सभटा अही लिअ। हमरा खाली मजा दिअ। (राजा सभटा पाइ चमेलीक देहपर छींट देलक। उ सभटा पाइ बीछि कऽ ब्लौजमे रखि लेली। चमेली राजाक मुँहमे प्रेमसँ दारू पीआ देलक।) धन्य छी चमेली, धन्य छी। ऐश एकरा कहै छै रानी। दुनियाँमे जे ऐश नै केलक से मनुख नै अछि धनचक्कर अछि। ओना धनो केकरो रजिस्ट्री नै होइ छै। चारि दिनक जिनगी फेर अनहरिया राति। (राजा चमेलीकेँ कोरामे बैसाए लइ छथि।)
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