हजल
1
कनिया हम्मर बड़
गुणवन्ती बुझा गेल हमरा
किएक कुमारहि
लोक मरैए जना गेल हमरा
शांती जहिए घरमे
पैसली तहिएसँ छी अशांत
क्रांति घरमे
मचल तेहन जे मेटा गेल हमरा
सासु लगै छनि
सौतिन ससुर लगनि चरबाह
गारि अलौकिक
हुनका मूँहक लजा गेल हमरा
संग गोतनीक
लड़थि भैंसुरक नहि परबाह
आबतऽ देखू दुनू
भाइयो बिच बझा गेल हमरा
रौ दैवा नहि
जनलौ किछुओ फँसलौ ब्याहक फाँस
"चंदन" रूपक माया फँसरी लटका
गेल हमरा
2
गुरूजी बैसलाह खोलि खटाल
चेलवा बनलनि गुरू घंटाल
घूर जरौलन्हि पोथी केर टाल
दूध बेचिकए भेलाह नेहाल
इसकुल जाऽकऽ भेलाह कंगाल
माल पोसिकऽ भेलाह मालामाल
पशुगणना कऽ फुटलनि भाल
पशुपालन सँ रुपैयाक टाल
घी-दूध पीबि भेलनि
देह लाल
आब अखाड़ा बिच ठोकथि ताल
गुरुआनिक गजबे रंगताल
ठोरक संग-संग रांगथि गाल
गुरुजी बैसलाह खोलि खटाल
ज्ञानक पूँजीओ गेलनि पताल
बाल गजल
1
चार पर छै कौआ बैसल
माँझ अँगना बौआ बैसल
घुट-घुट खाथि दूध-भात
माइक कोरा बौआ बैसल
राजा-रानी सुनथि
पिहानी
मइयाँ कोरा बौआ बैसल
ओ-ना-मा-सी सिखथि-पढ़थि
बाबाक कोरा बौआ बैसल
सुग्गा-मेना संग खेलै
छथि
"चंदन" अँगना बौआ बैसल
2
कुकरु-कू जखन मुरगा
बाजल
किरिण सुरूजक मूँहमेँ लागल
कौआ डकलक कोइली बाजल
आँखि मिड़ैत चुनमुन जागल
नहा-सोना’क कयलनि जलखै
इसकुल गेलथि घंटी बाजल
दीदीजी बड्ड नीक लगैत छन्हि
मास्टर जीक छड़ी लए भागल
कान पकड़ि कऽ उठक-बैठक
तैयो खेल पर मोन छै टाँगल
"चंदन" टन-टन घंटी बजलै
छुट्टी भेलइ घर दिस भागल
3
बेंग बजय छै टर-टर-टर्र
बगरा उड़य फर-फर-फर्र
झरना झहरे झर-झर-झर्र
बाँस बजय छै कर-कर-कर्र
मिल चलय छै घर-घर-घर्र
साँप ससरलै सर-सर-सर्र
चुनमा छाती धक-धक-धक्क
डरसँ कापय थर-थर-थर्र
पप्पा एलखिन भागि गेल डर
बात पदाबय चर-चर-चर्र
4
बुच्ची पहिरलक सोन गहना
बौआक डाँर झूले लाल फुदना
साजि-राजि दुनू गेल
मेला देखऽ
हाथमे पाइ छलै बारह अना
मुरही-कचरी आ बतासा-लड्डू
रंग-विरंगक कीनल
फुकना
झूलल झूला आ नाच देखलक
"चंदन" घुमल घर सोना-चना
5
साँझ पड़ल बैसि पिपर पर
चिड़ै करैछ पंचैती
सूगा-मैना ब्याह
रचाओत बगुला करैछ घटकैती
फुदकि-फुदकिकऽ फुद्दी
नाचय फेर हेतै वनभोज
कौआ पिजबैछ लोल कोइली गाबि रहल
छैक चैती
बगरा-परबा अपस्याँत
अछि इंतजाममे लागल
डकहर बैसल सोचि रहल केना
हेतै कुटमैती
पोरकी पिपही बजा रहल छै टिटही ढोल
पीटैए
मोर नचैछै ता-ता-थैया "चंदन" अद्भुत ई
कुटमैती
6
नवका कुर्ती नवके सलवार
पहिर कए बुच्ची भेल तैयार
ललका फीताक गुहलक जुट्टी
बाजे रुनझुन पायल झन्कार
हाथक बाला खन-खन-खनके
टम-टम चढिकऽ गेल
बजार
ढोलक-पिपही आ तमाशा-नाच
सूनल देखल हरख अपार
बाबाक हाथ पकड़ि कए बुच्ची
प्रमुदित घुमय हाट-बजार
7
मस्जिद जखने पड़ल अजान
कोइली ठनलक पराती गान
कौआ डकलक खेत खरिहान
बगुला खत्ता बिच करय स्नान
गर-गर दुध दुहैछ
बथान
टक-टक पड़रू लगौने
ध्यान
बाबा छथि बाड़ी बान्हथि मचान
बाबी अँगनामे लगाबथि पान
टुह-टुह लाल पूब
असमान
'चंदन' जलखैमे दूध मखान
8
दऽ रहल छी अपन शपथ नै कानू बौआ
लेबनचूस लऽ पप्पा औताह कुचरे कौआ
हम तऽ माय छी सत्ते, मुदा बेबस लाचारे
कीनि खेलौना देब कतऽसँ नहि अछि ढौआ
भरना लागल खेत महाजनक तगेदा
फेर केनाकऽ सख पुरौताह बाप कमौआ
अहीँ पुरायब सख सेहन्ता आस धेने छी
अहीँ जुड़ायब छाती बनिकऽ पूत कमौआ
कबुला,पाती,विनय,नेहोरा, करैछी भोला
बेलपात "चंदन" चढ़ायब खूब चढ़ौआ
वर्ण-१६
9
भैयाकेँ नबका बुशर्ट आ हमरा दीदीक फेरन
ओतऽ सौंसे गाम घूमै छौ हमरा अंगनोमे बेढ़न
चूल्हा-चेकी,बर्तन-बासन, आगाँसँ नै करबौ हम
हमरो चाही कापी-पिल्सिन, बेटाकेँ देलही जेहन
बौआ छुच्छे छाल्हि खेतौ हमरा नै दूधो परपइठ
जँ नै करबौ टहल तखन लगतौ मोन केहन
बहुत सहलियौ आब नै चलतौ तोहर दूनेती
हमरो चाही बखरा आब नै चलतौ कलछप्पन
गै माय युग बदलि गेलैए बेटी नै बेटासँ कम
"चंदन" गमकैत भविष्य रचबै हमहूँ अपन
वर्ण-१९
10
एकदिन हमरो हेतैक मकान
एकदिन हमरो हेतैक बथान
एकदिन हमहूँ कीनब समान
हमरो घर बनतै पू-पकवान
एकदिन हमहूँ बुलबइ चान
अंतरिक्षमे हेतै हमरो दलान
सभकियो अपने कियो नहि आन
हमहूँ बनबै गाँधी सन महान
विद्या-वैभवक लेल अनुसंधान
करय जे "चंदन" बनय महान
वर्ण-१३
11
चिक्का कबड्डी खेलबइ खेत पथारमे
हमर नाह चलतैक ओलती धारमे
इसकुलसँ जखन घुमबइ साँझमे
बाबा संगमे घुमबइ धारक पारमे
आमक गाछी खोपड़ी तर मचान पर
काका संगे हमहुँ बैसबै रखबारमे
गीजल-गाँथल हम नहि खेबौ बाटीमे
माय गै हमरो साँठिक’ दहीन थारमे
मुरही कचरी झिल्ली खेतै छैक सेहन्ता
"चंदन" तेँ छैक लोढ़हा लोढ़ैत नारमे
वर्ण-१५
12
माय गै हमरो कीनि दे ने चान एकटा
दे ने गुड़क पूरी फोका मखान एकटा
चमकै इजोरिया लागै छै कोजगरे छै
बाबा हमरो दीअ’ने खिल्ली पान एकटा
चकलेट-बिस्कुटो भऽ गेलै कत्ते महग
पप्पा हमहूँ करबइ दोकान एकटा
छोटको चच्चा केतऽ आब भऽ गेलै ब्याह गै
मैंया हमरो कनिया कऽ दे जुआन एकटा
चान पर घर हेतै तारा पर दलान
"चंदन" हमहूँ भरबै उड़ान एकटा
वर्ण-१५
13
पकड़िकऽ दाबा चलइ छै
खने ठेहुनियाँ भरइ छै
मधुर सनके बोली लागै
जखन माँ-पप्पा बजइ छै
चढ़िकऽ छाती पर कका’क
भभाकऽ लगले हँसइ छै
सुगा मैना जखन बाजय
सुनिकऽ थपड़ी पिटइ छै
मनोरथ सभटा पुरौतै
बइस के ‘चंदन’ गुनइ छै
वर्ण-१०
1222-2122
14
भोर भेलै शोर भेलै
काँचे निन्न खोर भेलै
माघ मास शीत जल
दहो-बहो नोर भेलै
काँट कंठमे गड़लै
भोग नहि झोर भेलै
भैंस भेलै पारी तरे
छाल्ही डाढ़ी घोर भेलै
थारी बाटी पिटैत छै
माय मोन घोर भेलै
वर्ण-८
15
ओम्हर गगन बिच मेघ जहिना उमकि रहल छै
एम्हर मगन मन बाल तहिना कुदकि रहल छै
धधकति छलै जे माटि कहियो अगिन-कुण्ड सन
पबिते अमिय’क बुन्न मह-मह गमकि रहल छै
खिलखिल दुबर लागय छलै पतझाड़ कालमे
खलखल हँसय छै आब फुनगी हुलकि रहल छै
दबकल छलय जे सालभरि बिल बीच बेंगबा
घुच्ची भरल जल पाबि जँह-तँह कुदकि रहल छै
टुक-टुक निहारय बइस "चंदन" कोर बेचनी
दाबाक कगनी पानि पर जे भसकि रहल छै
वर्ण-१९ -2212-2212-2212-12
रुबाइ
1
भासल सभटा सपना नोरक धारमे
कण्ठ दबायल जनु हमर गृमहारमे
बैसल छी एकात निज’हि परिवारमे
सोंगर खोँसि रहल छी टूटल चारमे
2
लोक भूखले पेट चिकरैछ बाट पर
छै ढ़करैत सरकार सूतल खाट पर
निन्न टुटैछै नेताक आब केवल
कोनो आम जनतासँ लागल चाट पर
3
अपन महीष कुरहरिए नाथब
सुगरे गूँह सँ चिपरी पाथब
छी स्वतंत्र देशक बासी तेँ
की बरछी सँ
माला गाँथब ?
4
बरू बिनु दबाइ चलि गेलै ओकर जान
श्राद्धमे मुदा करजा लऽ भेलै गौ-दान
खाय अधहे पेट कटलक जिनगी सकल
मरल तऽ सौजनी मारैत छै सुरकान
5
नोरसँ सिक्त आँचर आब निचोड़ि दिऔ
जँ आँगुर कियो देखबै कर तोड़ि दिऔ
त्यागू भय सीता मैयाक सपथ धरू
मिथिला राजक शत्रू मुण्ड मचोड़ि दिऔ
6
टूटल बान्ह बहलै गामक गाम फेर
गेल दहा जिनगी कतेको ठाम फेर
कागतक नाव सरकारो तत्पर छलै
मुदा, बाढि भासल कतेको जान फेर
7
दू टुक कहलौ दू फाँक भेल सम्बन्ध
चुप्पहि जँ रहलौ फोँका गेल सम्बन्ध
पस भरल टीसैत पसीझैत घाव सन
सत्यक शूल गाड़ि बहा देल सम्बन्ध
8
संध्या-वंदन,काठ सिरिखण्ड घसै छी
भोर-साँझ आरती घरिघण्ट पिटै छी
भाँग पीबि मस्तक तिरपुण्ड लेपै छी
रुचि-रुचि रोहु मूड़ा मुरिघण्ट चभै छी
9
देखू पियक्कर बताह जमानाके
सून्न मंदिर भरले ताड़ीखानाके
कनैत लोक हँसी किनबाले लुटबैछ
पेट काटि जोगाओल खजानाके ।
10
दूधसँ बेसी स्वाद लगैए ताड़ीमे
खेत बिकायल लागल हाथ घराड़ीमे
एखन तऽ अमृत लगैए चिखनासंग
बुझबै जखन लीवर सड़त बुढ़ारीमे
11
ताड़ी छानब छोड़ि छानू निज विचार
दारू ताकब त्यागि ताकू संस्कार
अप्पन घर जारि ‘भट्ठी’मे छी बैसल
नजरि उठा देखू जरल केहन कपार
12
सत्ते अहाँ कखनो मोन नहि पड़ैत छी,
किएकतऽ सदिखन मोनेमे रहैत छी
फूल बनि सदिखन हृदयमे गमकैत छी
अहीँक नेहक जोत सँ हम चमकैत छी
13
अहीँक प्रेमक छाह जीब' चाहै छी
अहीँक आँचरक हवा पीब' चाहै छी
अपन फाटल करेजा सीब' चाहै छी
अहीँक नैनक शराब पीब' चाहै छी
14
करेजक तहमे चौपैत रखलौं जकरा
खून अपन पिया पोसैत रहलौं जकरा
जुआनीक मद बौरायल सैह लगैछ
पड़ल एकात समाजमे बनलौं फकरा
15
सूर्यक प्रखर रश्मि सन चमकैत रहू
शरदक इजोरिया सन दमकैत रहू
कामिनी रातरानी सन गमकैत रहू
रुन-झून पायल पहिरि छमकैत रहू
16
अहाँक केशसँ झहरैत पानिक बुन्नी
अहाँक गालसँ ससरैत पानिक बुन्नी
अहाँक ठोरसँ टपकैत पानिक बुन्नी
हमरो देहसँ टघरैत पानिक बुन्नी
17
घोरनक छत्ता झारि पानि ढ़ारि देबौ
एकहि चाटमे धरती पर पारि देबौ
रै खचराहा खचरै सभ घोसारि देबौ
मैथिलीक अपमान करब बिसारि देबौ
18
जँ डेनधऽ चलबे संग तऽ तारि देबौ
नैतऽ कलमक मारि, गत्र ससारि देबौ
मिथिलाक विरोधी, मारि खेहारि देबौ
रचलाहा प्रपंच पर पानि ढ़ारि देबौ
19
महगीक आगिमे जरलै जनताक बटुआ
दिन-राति एक तीमन पीबैछी झोर पटुआ
सरकारके विरोधमे लगबैत छल जे नारा
खसल छै सड़क पर से लोक लटुआ-लटुआ
20
छाक भरिकऽ आइ पीबय दिअ हमरा
पोख भरिकऽ जिनगी जीबय दिअ हमरा
खोँचाह बातसँ लागल खोँच, फाटल,
गुदरी भेल जिनगी सीबय दिअ हमरा
21
सीता चरण नूपुर झनक झमकैत रहय
बारी अयाची फूल सदति गमकैत रहय
जनकक खेतक माटि माथ सजबैत रहय
मैथिल-मिथिला कीर्ति जगत पसरैत रहय
22
धिया सिया सन घर-घरमे जनमैत रहय
शंकर बनिकऽ पूत अंगनामे खेलैत रहय
उगना सन केर चाकर बाँहि पुरैत रहय
हरियर खेत-पथार सदति बिहुँसैत रहय
23
कल-कल कमला कोशी निर्मल बहैत रहय
छल-छल गंगाक निश्छल जल छलकैत रहय
बागमती गंडक धरती जी जुड़बैत रहय
माछ मखानक डाला नित सजबैत रहय
24
उज्जर परती हरिया गेलै जेना
दियादी झगड़ा फरिया गेलै जेना
लागल भीड़ छिरिया गेलै जेना
मोनक बात मरिया गेलै जेना
25
अनका कनिते देख भभाकऽ लोक हँसैए
अप्पन विपतिक बेला देखू केना कनैए
अनकर कान्ह कोदारि हल्लुक लगैछै जकरा
अपना हाथमे बेंट धरिते से लोक कुथैए
26
नाङट गरीब, माने हकन्न कनैए
फैशने चूर धनिको, नङटे नचैए
देखू नङटा, नङटेके देखि हँसैए
एकदोसरके देख संतोष धरैए
27
देखलौं माँझ अँगना ओगरैत सपना
देखलौं चौबटिया पर लोढैत सपना
देखलौं हाट ककरो मोलबैत सपना
ककरो झूठक दोबर तौलबैत सपना
28
नील नैन बिच साजल काजर करिया
रूप लगैए अनमन धवल इजोरिया
निश्चय अहाँ जनैत छी टोना-टापर
भेल बताह छै तेँ गामक नवतुरिया
29
कखनो बनि विपक्षी चित्कार करै छै
सत्ता हाथ लगितहि फुफकार भरै छै
नेता वोटक लेल कतबा रूप धरै छै
कत्तहु अनशन कत्तहु इफ्तार करै छै
30
दरकल करेजा केना सिबै हम कहू
ई नोर आँखिक केना पीबै हम कहू
पियासलि हम छी पिया बसथि विदेशमे
फेर साउन मास केना जीबै हम कहू ?
31
(एकटा बड़दक मुँह सँ...)
जँ हाँकब चुचकारि तऽकऽ देब तेखार
हाँकब जँ रेबाड़ि तऽ हैत चासो पहाड़
जँ बूझब समांग तखने बाँहि हम पुरब
जँ करबै अड़पेना तऽ खायब लथार
32
जीबै कतेक दिन एना चुप्पी साधि केर
तकबै कहिया दबाइ एहि बियाधि केर
चलबै कतेक दिन घुसकुनिया मारि केर
रहबै कतेक दिन पेटकुनिया लाधि केर
33
पावसक बूँद पाबि धरणी तृप्त भेल छै
कामानल जरिते तरुणी अतृप्त भेल छै
देह वस्त्र लेपटायल घामे सिक्त भेल छै
पिया अंकमे पड़ले मनुआ तृप्त भेल छै
कता
1
मन वीणासँ उठि रहल छैक करूण राग
माटि मिथिलाक किएक कऽ रहलै विलाप
सनल किएक शोणितसँ मैथिल भू-भाग
सुनऽमे नहि किए अबैछ कोकिल-अलाप ?
चंदन कुमार झा, पिता-श्री अरूण झा, माता-श्रीमती मीना देवी, जन्म-०५-०२-१९८५, ग्राम-सड़रा, मदनेश्वरस्थान, पोस्ट-मदना, थाना-बाबूबरही, जिला-मधुबनी। जन्म-स्थान-सिसवार (मामा गाममे) नाना- स्व. सुशील
झा (राजाजी), आरंभिक शिक्षा-मामा गाममे (१०वाँ धरि), आगाँक शिक्षा- अन्तर-स्नातक (वाणिज्य) एवं स्नातक (वाणिज्य) चंद्रधारी मिथिला
महाविद्यालय दरभंगासँ। वित्तीय-प्रबंधनमे डिप्लोमा (वेलिंगकर
इन्सटीच्युट आफ मैनेजमेन्ट,
मुम्बई)सँ। व्यवसायिक
जीवन- एकटा
बहुराष्ट्रीय कंपनीमे लेखा-विभागमे कार्यरत। परिवार-निम्न मध्यम वर्गीय कृषक परिवार। साहित्य लेखन-२००० ई. सँ। कएक गोट
कविता, लेख इत्यादि
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