𑒑𑒖𑒹𑒢𑓂𑒠𑓂𑒩 𑒚𑒰𑒏𑒳𑒩
𑒮𑒳𑒖𑒲𑒞𑒏 𑒖𑒱𑒠𑓂𑒠𑒲𑒮𑒳𑒖𑒲𑒞𑒏 𑒢𑒫 𑒏𑒟𑒰 𑒮𑓀𑒑𑓂𑒩𑒯 𑒮𑒧𑓂𑒫𑒹𑒠𑒢𑒰𑒧𑒹 𑒑𑒯𑒲𑓀𑒩𑒡𑒩𑒱 𑒅𑒞𑒩𑒪 𑒁𑒕𑒱 । 𑒂𑒠𑒩𑓂𑒬 𑒏𑒟𑒰𑒧𑒹 𑒏𑒟𑒰𑒏𑒰𑒩 𑒮𑒳𑒖𑒲𑒞 𑒧𑒯𑒱𑒪𑒰 𑒮𑒴𑒞𑓂𑒩𑒡𑒰𑒩 𑒥𑒢𑒪 𑒕𑒟𑒱, 𑒬𑒻𑒪𑒲𑒏 𑒦𑒱𑒢𑓂𑒢𑒞𑒰𑒏 𑒮𑓀𑒑 𑒒𑒩 𑒥𑒪𑒰𑒮𑒿 𑒣𑒯𑒱𑒢𑒹 𑒢𑒯𑒰𑒋𑒪 𑒕𑒲 𑒞𑓄 𑒥𑒰𑒪𑓂𑒙𑒱𑒢 𑒧𑒰𑒿𑒖𑒱 𑒠𑒱𑒨 𑒢𑒯𑒱 𑒞𑓄 𑒒𑒩 𑒥𑒪𑒰𑒏𑒹 𑒅𑒧𑒹𑒩 𑒒𑒙𑒻𑒞 𑒕𑒻𑒏 । 𑒮𑒰𑒮𑒳𑒏 𑒧𑒳𑒿𑒯𑒮𑒿 𑒄 𑒑𑒣 𑒮𑒴𑒢𑒱 𑒦𑒻𑒩𑒯𑒫𑒰 𑒢𑒑𑒩𑒧𑒹 𑒣𑒪𑒪𑒱 𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒠𑒹𑒯𑒰𑒞𑒧𑒹 𑒥𑒱𑒨𑒰𑒯𑒪𑒱 𑒧𑒯𑒱𑒪𑒰 𑒏𑒟𑒰 𑒮𑒴𑒞𑓂𑒩𑒡𑒰𑒩 𑒁𑒣𑒢 𑒫𑒱𑒡𑒫𑒰 𑒮𑒰𑒮𑒳𑒏 𑒫𑒱𑒭𑒨𑒧𑒹 𑒮𑒼𑒔𑒻 𑒕𑒟𑒱 𑒖𑒹 𑒖𑒿 𑒥𑒰𑒪𑓂𑒙𑒱𑒢 𑒧𑒿𑒖𑒪𑒰𑒮𑒿 𑒣𑒞𑒱𑒏 𑒅𑒧𑒹𑒩 𑒥𑒜𑒞𑒻 𑒕𑒻 𑒞𑓄 𑒍 𑒏𑒱𑒋 𑒫𑒱𑒡𑒫𑒰 𑒦𑓄 𑒑𑒹𑒪𑒲 ! 𑒣𑒞𑒱 𑒁𑒩𑒳𑒝 𑒁𑒏𑒮–𑒞𑒱𑒏𑒮𑒧𑒹 𑒣𑒩𑒪 𑒁𑒕𑒱 । 𑒧𑒰𑒋 𑒂 𑒣𑒞𑓂𑒢𑒲 𑒠𑒳𑒢𑒴 𑒍𑒏𑒩𑒰 𑒔𑒰𑒯𑒲 । 𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒮𑒴𑒞𑓂𑒩𑒡𑒰𑒩 𑒒𑒩 𑒕𑒼𑒛𑓃𑒱 𑒋𑒪𑒲𑒯 । 𑒁𑒩𑒳𑒝 𑒏𑒯𑒻𑒞 𑒩𑒯𑒟𑒱 𑒖𑒹 𑒖𑒿 𑒯𑒳𑒢𑒏𑒰 𑒥𑒹𑒙𑒰 𑒯𑒋𑒞𑒻𑒢𑓂𑒯𑒱 𑒞𑓄 𑒍 𑒍𑒏𑒩 𑒢𑒰𑒧 𑒂𑒠𑒩𑓂𑒬 𑒩𑒐𑒞𑒰𑒯 ।
𑒖𑒱𑒠𑓂𑒠𑒲 𑒏𑒟𑒰𑒧𑒹 𑒬𑒰𑒩𑒠𑒰 𑒁𑒣𑒢 𑒢𑒵𑒞𑓂𑒨 𑒂 𑒁𑒦𑒱𑒢𑒨𑒏 𑒥𑒱𑒔𑓂𑒔𑒹𑒧𑒹 𑒕𑒼𑒛𑓃𑒪 𑒖𑒋𑒥𑒰𑒏 𑒥𑒰𑒞 𑒧𑒼𑒢𑒧𑒹 𑒩𑒐𑒢𑒹 𑒕𑒟𑒱 𑒂 𑒥𑒹𑒙𑒰 𑒖𑒨𑒢𑓂𑒞 𑒂 𑒥𑒹𑒙𑒲 𑒑𑒱𑒢𑓂𑒢𑒲𑒏 𑒢𑒵𑒞𑓂𑒨 𑒂 𑒁𑒦𑒱𑒢𑒨𑒏 𑒣𑓂𑒩𑒞𑒱 𑒮𑓂𑒢𑒹𑒯𑒧𑒹 𑒁𑒣𑒢 𑒅𑒠𑓂𑒠𑒹𑒬𑓂𑒨 𑒠𑒹𑒐𑒻 𑒕𑒟𑒱 । 𑒣𑒞𑒱 𑒫𑒱𑒩𑒼𑒡 𑒏𑒩𑒻 𑒕𑒟𑒱 । 𑒥𑒹𑒙𑒰 𑒞𑓄 𑒢𑒵𑒞𑓂𑒨 𑒂 𑒁𑒦𑒱𑒢𑒨 𑒕𑒼𑒛𑓃𑒱 𑒠𑒻𑒞 𑒁𑒕𑒱 𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒥𑒹𑒙𑒲 𑒯𑒳𑒢𑒏𑒩 𑒅𑒠𑓂𑒠𑒹𑒬𑓂𑒨𑒏𑒹𑒿 𑒣𑒴𑒩𑓂𑒝 𑒏𑒩𑒻𑒞 𑒠𑒹𑒐𑒰𑒃𑒞 𑒕𑒻𑒢𑓂𑒯𑒱 । 𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒞𑒐𑒢𑒹 𑒠𑒰𑒩𑒳, 𑒮𑒱𑒑𑒩𑒹𑒙 𑒂 𑒁𑒢𑒻𑒞𑒱𑒏 𑒮𑒧𑓂𑒥𑒢𑓂𑒡.. 𑒏𑒟𑒰𑒏 𑒣𑒴𑒩𑓂𑒫𑒰𑒩𑓂𑒡𑒹 𑒢𑒵𑒞𑓂𑒨 𑒂 𑒁𑒦𑒱𑒢𑒨𑒏 𑒣𑓂𑒩𑒞𑒱 𑒠𑒵𑒭𑓂𑒙𑒱𑒏𑒼𑒝 𑒅𑒞𑓂𑒞𑒩𑒰𑒩𑓂𑒡 𑒧𑒯𑒱𑒪𑒰 𑒮𑒬𑒏𑓂𑒞𑒱𑒏𑒩𑒝 𑒠𑒱𑒮 𑒖𑒰𑒃𑒞–𑒖𑒰𑒃𑒞 𑒏𑒞𑒾 𑒂𑒢 𑒚𑒰𑒧 𑒔𑒪𑒱 𑒖𑒰𑒃𑒞 𑒁𑒕𑒱 । 𑒥𑒹𑒙𑒰 𑒢𑒵𑒞𑓂𑒨 𑒂 𑒁𑒦𑒱𑒢𑒨 𑒕𑒼𑒛𑓃𑒱 𑒠𑒻𑒕𑒻𑒢𑓂𑒯𑒱 𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒬𑒰𑒩𑒠𑒰𑒏 𑒥𑒹𑒙𑒲 𑒢𑒻.. 𑒧𑒯𑒱𑒪𑒰𑒏 𑒂𑒏𑒰𑓀𑒏𑓂𑒭𑒰 𑒧𑒯𑒱𑒪𑒰 𑒠𑓂𑒫𑒰𑒩𑒰 𑒣𑒴𑒩𑓂𑒝 𑒯𑒼𑒃𑒞–𑒯𑒼𑒃𑒞 𑒁𑒢𑒔𑒼𑒏𑓂𑒏𑒹 𑒏𑒟𑓂𑒨 𑒂 𑒅𑒠𑓂𑒠𑒹𑒬𑓂𑒨 𑒦𑒮𑒱𑒨𑒰 𑒖𑒰𑒃𑒞 𑒁𑒕𑒱 ।
𑒣𑒴m𑒪 𑒤𑒳𑒪𑒰𑒃𑒋𑒏𑓄 𑒩𑒯𑒪𑒧𑒹 𑒮𑒹𑒯𑒼 𑒧𑒯𑒱𑒪𑒰 𑒮𑒴𑒞𑓂𑒩𑒡𑒰𑒩𑒏 𑒧𑒰𑒢𑒮𑒱𑒏 𑒫𑒱𑒬𑓂𑒪𑒹𑒭𑒝 𑒮𑒼𑒗𑒰𑒿 𑒂𑒋𑒪 𑒁𑒕𑒱 । 𑒏𑒢𑒹𑒏 𑒩𑓀𑒑 𑒠𑒥 𑒩𑒯𑒥𑒰𑒏 𑒏𑒰𑒩𑒝 𑒥𑒱𑒨𑒰𑒯𑒧𑒹 𑒠𑒱𑒏𑓂𑒏𑒞 𑒯𑒼𑒃 𑒕𑒻𑒢𑓂𑒯𑒱, 𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒤𑒹𑒩 𑒋𑒏𑒙𑒰 𑒮𑒳𑒢𑓂𑒢𑒩 𑒪𑒛𑓃𑒏𑒰 𑒦𑒹𑒙𑒻 𑒕𑒻𑒢𑓂𑒯𑒱 । 𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒍𑒞𑒾 𑒡𑒼𑒐𑒰.. 𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒍 𑒁𑒣𑒢𑒰𑒏𑒹𑒿 𑒮𑒧𑓂𑒯𑒰𑒩𑒱 𑒪𑒻 𑒕𑒟𑒱 𑒂 𑒏𑒱𑒕𑒳 𑒠𑒱𑒢𑒧𑒹 𑒮𑒦 𑒚𑒲𑒏 𑒦𑓄 𑒖𑒰𑒃𑒞 𑒁𑒕𑒱 ।
‘𑒏𑒹𑒯𑒢 𑒮𑒖𑒰𑒨’ 𑒏𑒟𑒰𑒧𑒹 𑒋𑒏𑒙𑒰 𑒣𑒩𑒱𑒫𑒰𑒩 𑒁𑒣𑒢 𑒑𑒼𑒠 𑒪𑒹𑒪 𑒥𑒹𑒙𑒲𑒏𑒹𑒿 𑒕𑒼𑒛𑓃𑒱 𑒠𑒻𑒞 𑒁𑒕𑒱, 𑒁𑒡𑒹𑒩 𑒅𑒧𑒹𑒩𑒧𑒹 𑒖𑒐𑒢 𑒍𑒏𑒩𑒰 𑒁𑒣𑒢 𑒥𑒔𑓂𑒔𑒰 𑒯𑒼𑒃 𑒕𑒻 𑒞𑒐𑒢 ! 𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒋𑒯𑒱 𑒏𑒟𑒰𑒧𑒹 𑒮𑒹𑒯𑒼 𑒏𑒟𑒰 𑒏𑒯𑒻𑒞–𑒏𑒯𑒻𑒞 𑒏𑒟𑒰𑒏𑒰𑒩 𑒩𑒱𑒞𑒹𑒬 𑒂 𑒔𑒧𑒹𑒪𑒲𑒏 𑒣𑓂𑒩𑒹𑒧𑒏𑒹𑒿 𑒤𑒩𑒱𑒕𑒰 𑒢𑒃𑒿 𑒣𑒥𑒻 𑒕𑒟𑒱 । 𑒔𑒧𑒹𑒪𑒲𑒏𑒹𑒿 𑒖𑒹 𑒧𑒰𑒞𑒰–𑒣𑒱𑒞𑒰 𑒑𑒼𑒠 𑒪𑒹𑒪𑒐𑒱𑒢𑓂𑒯 𑒮𑒹 𑒨𑒰𑒠𑒫 𑒩𑒯𑒟𑒱, 𑒄 𑒏𑒯𑒥𑒰𑒏 𑒂𑒫𑒬𑓂𑒨𑒏𑒞𑒰 𑒏𑒟𑒰𑒏𑒰𑒩𑒏𑒹𑒿 𑒢𑒃𑒿 𑒣𑒛𑓃𑒥𑒰𑒏 𑒔𑒰𑒯𑒲, 𑒏𑒰𑒩𑒝 𑒋𑒯𑒱 𑒏𑒟𑒰𑒧𑒹 𑒨𑒰𑒠𑒫𑒏 𑒪𑒼𑒏 𑒮𑓀𑒮𑓂𑒏𑒵𑒞𑒱𑒏 𑒏𑒼𑒢𑒼 𑒫𑒩𑓂𑒝 𑒢𑒻 𑒦𑒹𑒪 𑒕𑒻 । 𑒤𑒹𑒩 𑒏𑒟𑒰𑒏𑒰𑒩 𑒞𑒐𑒢𑒹 𑒣𑒹𑒙𑒧𑒹 𑒥𑒔𑓂𑒔𑒰 𑒦𑓄 𑒑𑒹𑒪 𑒏𑒯𑒱 𑒏𑒟𑒰𑒏𑒹𑒿 𑒏𑒣𑒔𑒱 𑒠𑒻𑒞 𑒕𑒟𑒱 । 𑒂𑒡𑒳𑒢𑒱𑒏 𑒏𑒟𑒰–𑒏𑒟𑒰𑒧𑒹 𑒏𑒟𑓂𑒨 𑒞𑓄 𑒯𑒼𑒃𑒞𑒹 𑒁𑒕𑒱, 𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒍𑒯𑒱 𑒮𑓀𑒑 𑒖𑒍𑓀 𑒞𑒯𑒣𑒩 𑒞𑒯 𑒮𑒧𑒮𑓂𑒨𑒰 𑒦𑒹𑒙𑒻𑒞 𑒁𑒕𑒱 𑒞𑓄 𑒞𑒏𑒩 𑒮𑒧𑒰𑒡𑒰𑒢 𑒪𑒹𑒪 𑒮𑒹𑒯𑒼 𑒏𑒟𑒰𑒏𑒰𑒩𑒏𑒹𑒿 𑒬𑒫𑓂𑒠𑒰𑒫𑒪𑒲, 𑒪𑒼𑒏𑒫𑓂𑒨𑒫𑒯𑒰𑒩 𑒂 𑒬𑒱𑒪𑓂𑒣𑒏 𑒮𑓀𑒑 𑒪𑒹𑒥𑓄 𑒣𑒛𑒻Þ𑒞 𑒕𑒻𑒢𑓂𑒯𑒱। 𑒮𑒧𑓂𑒫𑒹𑒠𑒢𑒰𑒏 𑒞𑒯𑒧𑒹 𑒏𑒟𑒰𑒏𑒰𑒩 𑒖𑒰𑒃 𑒞𑓄 𑒕𑒟𑒱, 𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒥𑒹𑒮𑒲 𑒚𑒰𑒧 𑒏𑒟𑓂𑒨 𑒏𑒯𑒱 𑒠𑒹𑒥𑒰𑒡𑒩𑒱 𑒮𑒱𑒧𑒱𑒞 𑒩𑒯𑒱 𑒑𑒹𑒪𑒰𑒮𑒿 𑒏𑒟𑒰 𑒏𑒰𑒿𑒔 𑒩𑒯𑒱 𑒑𑒹𑒪 𑒮𑒢 𑒥𑒴𑒗𑒱 𑒣𑒛𑒻Þ𑒞 𑒁𑒕𑒱 । 𑒂𑒬𑒰 𑒁𑒕𑒱 𑒂𑒑𑒰𑒿𑒏 𑒮𑓀𑒑𑓂𑒩𑒯𑒧𑒹 𑒏𑒟𑒰𑒏𑒰𑒩𑒏 𑒮𑒰𑒧𑒟𑓂𑒩𑓂𑒨 𑒂𑒍𑒩 𑒢𑒲𑒏 𑒖𑒏𑒰𑒿 𑒠𑒹𑒐𑒰𑒃 𑒣𑒛𑓃𑒞 ।
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पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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