भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

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(c) २००-२०२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.htmlhttp://www.geocities.com/ggajendra  आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha  258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/  पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

Friday, October 21, 2022

गजेन्द्र ठाकुर उमेश पासवानक कविता संग्रह “वर्णित रस”

 𑒑𑒖𑒹𑒢𑓂𑒠𑓂𑒩 𑒚𑒰𑒏𑒳𑒩

𑒅𑒧𑒹𑒬 𑒣𑒰𑒮𑒫𑒰𑒢𑒏 𑒏𑒫𑒱𑒞𑒰 𑒮𑓀𑒑𑓂𑒩𑒯 “𑒫𑒩𑓂𑒝𑒱𑒞 𑒩𑒮”

𑒏𑒫𑒱𑒏𑒹𑒿 𑒨𑒳𑒫𑒰𑒣𑒩 𑒦𑒩𑒼𑒮 𑒕𑒢𑓂𑒯𑒱, 𑒂 𑒞𑒹𑒿 𑒨𑒳𑒫𑒰𑒏𑒹𑒿 𑒮𑒧𑓂𑒥𑒼𑒡𑒱𑒞𑒼 𑒏𑒩𑒻 𑒕𑒟𑒱 𑒂 𑒍𑒏𑒩 𑒂𑒯𑓂𑒫𑒰𑒢𑒼 𑒏𑒩𑒻 𑒕𑒟𑒱, 𑒖𑒹𑒢𑒰 “𑒯𑒧 𑒨𑒳𑒫𑒰” 𑒏𑒫𑒱𑒞𑒰𑒧𑒹 - 𑒖𑒰𑒞𑒱-𑒡𑒩𑓂𑒧/ 𑒧𑒖𑒯𑒥 𑒏𑒹𑒩 𑒢𑒰𑒧𑒣𑒩/ 𑒭𑒛𑒨𑓀𑒞𑓂𑒩 𑒩𑒔𑒻𑒋 𑒏𑒱𑒨𑒼/ 𑒯𑒧𑒩 𑒠𑒹𑒬𑒏𑒹𑒿/ 𑒦𑒲𑒞𑒩 𑒂𑒥𑒱 𑒏𑓄/ 𑒂𑒞𑓀𑒏𑒫𑒰𑒠𑒏/ 𑒑𑒰𑒕 𑒩𑒼𑒣𑒻𑒋 𑒏𑒱𑒨𑒼
𑒂 𑒞𑒏𑒩 𑒮𑒧𑓂𑒥𑒢𑓂𑒡 𑒯𑒳𑒢𑒏𑒩 “𑒖𑒲𑒞𑒏 𑒗𑒝𑓂𑒛𑒰” 𑒏𑒫𑒱𑒞𑒰𑒧𑒹 𑒦𑒹𑒙𑒞 𑒖𑒹𑒢𑒰:- 𑒖𑒩𑒻 𑒖𑒰𑒅/ 𑒫𑒞𑒢 𑒏𑒹𑒩 𑒠𑒳𑒬𑓂𑒧𑒢/ 𑒂𑒑𑒱 𑒮𑒳𑒢𑒑𑒰𑒋𑒪 𑒏𑒩𑒴।
𑒄 𑒖𑒹 𑒠𑒳𑒬𑓂𑒧𑒢 𑒁𑒕𑒱 𑒮𑒋𑒯 𑒤𑒯𑒩𑒥𑒰𑒥𑒃𑒋 𑒖𑒲𑒞𑒏 𑒗𑒝𑓂𑒛𑒰:- 𑒂𑒑𑒱 𑒮𑒳𑒢𑒑𑒰𑒋𑒪 𑒏𑒩𑒴/ 𑒖𑒲𑒞 𑒏𑒹𑒩 𑒗𑓀𑒛𑒰 𑒤𑒯𑒩𑒰𑒋𑒪 𑒏𑒩𑒴 𑒂 “𑒯𑒧 𑒨𑒳𑒫𑒰”𑒧𑒹 𑒮𑒹𑒯𑒼 𑒍 𑒏𑒯𑒻 𑒕𑒟𑒱:- 𑒂𑒞𑓀𑒏𑒫𑒰𑒠𑒏/ 𑒑𑒰𑒕 𑒩𑒼𑒣𑒻𑒋 𑒏𑒱𑒨𑒼/ 𑒦𑒰𑒩𑒞𑒫𑒰𑒮𑒲 𑒬𑒹𑒩 𑒕𑒲/ 𑒬𑒹𑒩𑒏𑒹𑒿 𑒧𑒰𑒠𑒧𑒹 𑒂𑒥𑒱 𑒏𑓄/ 𑒖𑒑𑒥𑒻𑒋 𑒏𑒱𑒨𑒼। 𑒏𑒰𑒩𑒝 𑒖𑒹 𑒠𑒹𑒬𑒏 𑒨𑒳𑒫𑒰 𑒕𑒟𑒱 𑒮𑒹:- 𑒯𑒧 𑒕𑒲 𑒑𑒼𑒪𑒲,/ 𑒯𑒧 𑒕𑒲 𑒥𑒰𑒩𑒴𑒠/ 𑒯𑒧𑒯𑒲 𑒐𑓀𑒖𑒩 𑒞𑒪𑒫𑒰𑒩 𑒕𑒲। 𑒞𑒐𑒢 𑒌 𑒑𑒼𑒪𑒲 𑒪𑒹𑒪 𑒣𑒹𑒮𑓂𑒞𑒾𑒪, 𑒥𑒰𑒩𑒳𑒠 𑒪𑒹𑒪 𑒂𑒑𑒱 𑒏𑒹 𑒕𑒟𑒱? 𑒍 𑒕𑒟𑒱 𑒨𑒳𑒫𑒰 𑒖𑒹 𑒕𑒟𑒱 𑒐𑓀𑒖𑒩 𑒂 𑒞𑒪𑒫𑒰𑒩।
𑒞𑒿 𑒏𑒲 𑒠𑒳𑒬𑓂𑒧𑒢𑒲 𑒂𑒡𑒰𑒩𑒱𑒞 𑒖𑒼𑒬 𑒕𑒢𑓂𑒯𑒱 𑒯𑒳𑒢𑒏𑒩 𑒏𑒫𑒱𑒞𑒰? 𑒢𑒻 𑒮𑒹 𑒢𑒻 𑒁𑒕𑒱- 𑒖𑒾𑓀 𑒠𑒼𑒮𑓂𑒞𑒲𑒏 𑒪𑒹𑒪 𑒯𑒰𑒟 𑒥𑒜𑓃𑒰𑒋𑒥/ 𑒞𑒿 𑒯𑒧𑒯𑒲 𑒤𑒴𑒪𑒏 𑒧𑒰𑒪𑒰/ 𑒑𑒪𑒰 𑒏𑒹𑒩 𑒯𑒰𑒩 𑒕𑒲। 𑒏𑒫𑒱𑒏𑒹𑒿 𑒙𑓀𑒑𑒒𑒱𑒔𑓂𑒔𑒰-𑒒𑒱𑒔𑓂𑒔𑒲𑒏 𑒐𑒹𑒪 𑒢𑒻 𑒣𑒮𑒱𑒢𑓂𑒢 𑒕𑒢𑓂𑒯𑒱। 𑒂 𑒏𑒫𑒱 𑒏𑒯𑒻 𑒕𑒟𑒱।
𑒆𑒣𑒩𑒮𑒿 𑒢𑒴𑒢𑒴 𑒥𑒾𑒂/ 𑒦𑒱𑒞𑒩𑒹-𑒦𑒱𑒞𑒩 𑒏𑒯𑒻𑒋 𑒥𑒏𑒪𑒹𑒪/ 𑒥𑒩𑓂𑒭𑒼𑒮𑒿 𑒠𑒹𑒐𑒱 𑒩𑒯𑒪 𑒕𑒲/ 𑒯𑒩 𑒞𑒩𑒯𑒮𑒿 𑒠𑒪𑒱𑒞𑒏 𑒅𑒣𑒹𑒏𑓂𑒭𑒰।
𑒥𑒰𑒜𑓃𑒱𑒏 𑒣𑓂𑒩𑒏𑒼𑒣 𑒏𑒫𑒱𑒏𑒹𑒿 𑒏𑒯𑒥𑒰𑒣𑒩 𑒫𑒱𑒫𑒬 𑒏𑒩𑒻 𑒕𑒢𑓂𑒯𑒱: 𑒏𑒹𑒢𑒰 𑒏𑓄 𑒌𑒥𑒹𑒩 𑒐𑒹𑒞𑒏 𑒂𑒛𑓃𑒱𑒣𑒩/ 𑒖𑒰 𑒏𑓄 𑒏𑒯𑒥/ 𑒮𑒹𑒩-𑒥𑒩𑒼𑒥𑒩𑒱/ 𑒅𑒐𑒻𑒩 𑒮𑒢 𑒥𑒲𑒙/ 𑒮𑒧𑒰𑒚 𑒮𑒢 𑒮𑒱𑒮। 𑒑𑒥𑒯𑒰 𑒮𑓀𑒏𑓂𑒩𑒰𑒢𑓂𑒞𑒱𑒣𑒩 𑒏𑒫𑒱𑒏𑒹𑒿 𑒏𑒯𑓄 𑒣𑒛𑓃𑒻 𑒕𑒢𑓂𑒯𑒱: 𑒏𑒹𑒢𑒰 𑒏𑓄 𑒑𑒳𑒖𑒩 𑒔𑒪𑒞/ 𑒅𑒣𑒖𑒰 𑒏𑓄 𑒏𑒰𑒮-𑒣𑒙𑒹𑒩। 𑒍 𑒏𑒼𑒮𑒲𑒏𑒹𑒿 𑒏𑒯𑒻 𑒕𑒟𑒱: 𑒏𑓄 𑒠𑒹𑒪𑒱𑒌 𑒧𑒱𑒟𑒱𑒪𑒰𑒏𑒹𑒿 𑒠𑒴-𑒦𑒰𑒑𑒧𑒹/ 𑒁𑒯𑒰𑒿 𑒣𑒴𑒥𑒧𑒹 𑒮𑒯𑒩𑒮𑒰-𑒮𑒳𑒣𑒾𑒪/ 𑒣𑒕𑒱𑒧𑒧𑒹 𑒧𑒡𑒳𑒥𑒢𑒲-𑒠𑒩𑒦𑓀𑒑𑒰/ 𑒥𑒱𑒔𑒧𑒹 𑒁𑒑𑒥𑒹 𑒥𑒰𑒪𑒳 𑒂 𑒡𑒴𑒪।
𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒤𑒹𑒩 𑒢𑒱𑒩𑓂𑒧𑒪𑓂𑒪𑒲𑒏 𑒣𑒳𑒪 𑒥𑒢𑒥𑒰𑒏 𑒔𑒩𑓂𑒔: 𑒏𑒯𑒴 𑒂𑒥 𑒏𑒞𑒹𑒏 𑒔𑒳𑒣 𑒩𑒯𑒥/ 𑒌𑒥𑒹𑒩 𑒯𑒧 𑒥𑒢𑒰 𑒠𑒹𑒪𑒾𑓀 𑒣𑒳𑒪।
𑒣𑒜𑓃𑒪-𑒪𑒱𑒐𑒪 𑒠𑒪𑒱𑒞𑒏 𑒮𑒰𑒧𑒰𑒢𑓂𑒨 𑒠𑒪𑒱𑒞𑒏 𑒣𑓂𑒩𑒞𑒱 𑒫𑓂𑒨𑒫𑒯𑒰𑒩𑒣𑒩 𑒖𑒞𑒹𑒏 𑒁𑒧𑓂𑒥𑒹𑒛𑒏𑒩 𑒠𑒳𑒐𑒲 𑒩𑒯𑒟𑒱 𑒞𑒞𑒥𑒹 𑒔𑒱𑒢𑓂𑒞𑒰 𑒅𑒧𑒹𑒬 𑒣𑒰𑒮𑒫𑒰𑒢𑒏𑒹𑒿 𑒮𑒹𑒯𑒼 𑒕𑒢𑓂𑒯𑒱: 𑒮𑓂𑒫𑒨𑓀 𑒠𑒪𑒱𑒞 𑒕𑒲/ 𑒠𑒪𑒱𑒞𑒏 𑒠𑒩𑒠 𑒖𑒢𑒻 𑒕𑒲/ 𑒏𑒱𑒕𑒳 𑒫𑓂𑒨𑒏𑓂𑒞𑒱𑒏 𑒏𑒱𑒩𑒠𑒰𑒢𑒲𑒮𑒿 𑒔𑒏𑒱𑒞 𑒕𑒲/ 𑒠𑒪𑒱𑒞 𑒦𑓄 𑒏𑓄 𑒍/ 𑒫𑓂𑒨𑒏𑓂𑒞𑒱 𑒁𑒣𑒢𑒼 𑒮𑒧𑒰𑒖𑒏𑒹𑒿 𑒥𑒱𑒮𑒩𑒱 𑒑𑒹𑒪/ 𑒁𑒣𑓂𑒣𑒢 𑒦𑒰𑒭𑒰-𑒦𑒹𑒭 𑒕𑒼𑒛𑓃𑒱 𑒏𑓄/ 𑒠𑒼𑒮𑒩𑒏 𑒩𑓀𑒑-𑒜𑓀𑒑𑒧𑒹 𑒜𑒪𑒱 𑒑𑒹𑒪।
𑒍 𑒮𑒧𑒰𑒖𑒮𑒿 𑒣𑒳𑒕𑒻 𑒕𑒟𑒱: 𑒯𑒧 𑒠𑒪𑒱𑒞 𑒕𑒲/ 𑒧𑒹𑒯𑒢𑒞𑒱-𑒧𑒖𑒠𑒳𑒩𑒲 𑒏𑒋 𑒏𑓄 𑒥𑒱𑒞𑒥𑒻 𑒕𑒲 𑒁𑒣𑒢 𑒖𑒲𑒫𑒢/ 𑒞𑒻𑒨𑒼 𑒖𑒩𑒻𑒞 𑒁𑒕𑒱।
𑒏𑒫𑒱 𑒖𑒑𑒠𑒲𑒬 𑒣𑓂𑒩𑒮𑒰𑒠 𑒧𑒝𑓂𑒛𑒪 𑒖𑒲 𑒮𑒿 𑒣𑓂𑒩𑒦𑒰𑒫𑒱𑒞 𑒕𑒟𑒱 𑒂 𑒮𑒹 𑒍 𑒋𑒏𑒙𑒰 𑒏𑒫𑒱𑒞𑒰𑒏 𑒧𑒰𑒡𑓂𑒨𑒧𑒹 𑒏𑒯𑒻 𑒕𑒟𑒱: 𑒯𑒧 𑒕𑒲 𑒮𑒹𑒫𑒏 𑒧𑒻𑒟𑒱𑒪/ 𑒖𑒑𑒠𑒲𑒬 𑒥𑒰𑒥𑒴𑒏 𑒔𑒹𑒪𑒰/ 𑒢𑒻 𑒯𑒧𑒩𑒰 𑒪𑒛𑓃𑒴 𑒐𑒱𑒨𑒾𑒪𑒢𑒱/ 𑒢𑒻 𑒠𑒹𑒪𑒟𑒱 𑒧𑒱𑒬𑓂𑒩𑒲𑒏 𑒜𑒹𑒪𑒰।
𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒯𑒰𑒮𑓂𑒨𑒮𑒿 𑒍 𑒠𑒴𑒩 𑒢𑒻 𑒑𑒹𑒪 𑒕𑒟𑒱:
𑒗𑒼𑒙𑒰 𑒗𑒼𑒙𑒾𑒥𑒪𑒱/ 𑒯𑒹𑒞𑒾 𑒢𑒙𑒱𑒢𑒱𑒨𑒰/ 𑒞𑒼𑒩𑒰 𑒮𑓀𑒑 𑒁𑒯𑒲 𑒥𑒹𑒩 𑒑𑒹।
𑒫𑒮𑒢𑓂𑒞𑒏 𑒂𑒑𑒧𑒢𑒮𑒿 𑒧𑒰𑒞𑓂𑒩 𑒤𑒴𑒪-𑒣𑒰𑒞 𑒢𑒻 𑒂𑒢-𑒂𑒢 𑒖𑒲𑒫𑒢𑒮𑒿 𑒮𑒧𑓂𑒥𑒢𑓂𑒡𑒱𑒞 𑒫𑒾𑒮𑓂𑒞𑒳𑒣𑒩 𑒡𑓂𑒨𑒰𑒢 𑒖𑒰𑒃 𑒕𑒢𑓂𑒯𑒱 𑒯𑒳𑒢𑒏𑒩: 𑒑𑒰𑒕-𑒫𑒵𑒏𑓂𑒭𑒧𑒹 𑒢𑒫 𑒏𑒢𑒼𑒖𑒩𑒱𑒏 𑒮𑓀𑒑 𑒧𑒼𑒖𑒩 𑒤𑒴𑒪 𑒱𑒢𑒏𑒪𑒻𑒞 𑒁𑒕𑒱/ 𑒐𑒹𑒞𑒧𑒹 𑒑𑒯𑒳𑒧-𑒐𑒹𑒮𑒰𑒩𑒲 𑒞𑒱𑒮𑒲-𑒧𑒮𑒳𑒩𑒲 𑒞𑒼𑒩𑒲𑒏 𑒤𑒴𑒪𑒮𑒿 𑒮𑒧𑒳𑒔𑓂𑒔𑒰𑒯 𑒥𑒰𑒡 𑒑𑒧𑒏𑒻𑒞 𑒁𑒕𑒱/ 𑒧𑒡𑒳𑒧𑒰𑒕𑒲 𑒪𑒑𑒾𑒢𑒹 𑒮𑒹𑒢𑒳𑒩𑒱𑒨𑒰 𑒂𑒧𑒏 𑒑𑒰𑒕𑒣𑒩 𑒕𑒞𑓂𑒞𑒰 𑒠𑒹𑒐𑒱 𑒏𑓄 𑒪𑒳𑒏𑓂𑒐𑒲 𑒛𑒩𑒻𑒞 𑒁𑒕𑒱/ 𑒁𑒩𑒯𑒳𑒪𑒏 𑒤𑒴𑒪 𑒔𑒴𑒮𑒱 𑒏𑓄 𑒤𑒳𑒪𑒔𑒼𑒦𑒲 𑒔𑒱𑒯𑒳𑒏𑒻𑒞 𑒁𑒕𑒱/ 𑒏𑒾𑒂 𑒂 𑒏𑒼𑒃𑒪𑒲𑒧𑒹 𑒦𑒹𑒪 𑒁𑒕𑒱 𑒏𑒢𑒰𑒃𑒩।
𑒣𑒰𑒢𑒱 𑒢𑒻 𑒔𑒪𑒥𑒰𑒏 𑒑𑒣 𑒢𑒻 𑒥𑒳𑒗𑒰𑒃 𑒕𑒢𑓂𑒯𑒱 𑒯𑒳𑒢𑒏𑒰: 𑒠𑒹𑒯𑒮𑒿 𑒠𑒹𑒯 𑒏𑒹𑒢𑒰 𑒕𑒳𑒥𑒰𑒃 𑒕𑒻/ 𑒏𑒱𑒋𑒏 𑒢𑒻 𑒔𑒪𑒻𑒋 𑒯𑒧𑒩 𑒕𑒳𑒁𑒪 𑒣𑒰𑒢𑒱 𑒨𑒾/ 𑒏𑒼𑒢 𑒖𑒳𑒪𑒳𑒧𑒏 𑒮𑒖𑒰 𑒯𑒧𑒩𑒰 𑒠𑓄 𑒩𑒯𑒪 𑒕𑒲/ 𑒏𑒱𑒁𑒋 𑒥𑒳𑒗𑒻 𑒕𑒲 𑒯𑒧𑒩𑒰 𑒁𑒣𑒧𑒰𑒢𑒲 𑒨𑒾।
𑒮𑒳𑒠𑒰𑒧𑒰 𑒂 𑒏𑒵𑒭𑓂𑒝𑒏 𑒠𑒼𑒮𑓂𑒞𑒲𑒏𑒹𑒿 𑒮𑒦 𑒁𑒪𑒑 𑒏𑓄 𑒠𑒹𑒪𑒏: 𑒠𑒳𑒢𑒴 𑒠𑒼𑒮𑒏𑒹𑒿 𑒁𑒪𑒑 𑒏𑓄 𑒠𑒹𑒪𑒏 𑒪𑒼𑒏/ 𑒁𑒣𑓂𑒣𑒢 𑒩𑒰𑒮𑓂𑒞𑒰𑒏 𑒠𑒱𑒫𑒰𑒩 𑒖𑒏𑒰𑒿/ 𑒯𑒿𑒮𑒻𑒞 𑒐𑒹𑒪𑒻𑒞...।
𑒂 𑒄 𑒠𑒬𑒰 𑒏𑒱𑒋 𑒦𑒹𑒪? :- 𑒮𑒯𑒪𑒾𑓀 𑒮𑒦 𑒏𑒱𑒕𑒳 𑒮𑒪𑒯𑒹𑒬𑒏 𑒮𑓀𑒞𑒰𑒢 𑒩𑒯𑒱𑒞𑒼/ 𑒖𑒯𑒱𑒨𑒰 𑒞𑒏 𑒔𑒳𑒣 𑒩𑒯𑒪𑒾𑓀 𑒯𑒧।
𑒂 𑒏𑒯𑒻 𑒕𑒟𑒱: 𑒏𑒞𑒹𑒏 𑒪𑒱𑒐𑒥 𑒠𑒪𑒱𑒞𑒏 𑒥𑒹𑒟𑒰/ 𑒮𑒪𑒯𑒹𑒬 𑒑𑒰𑒧𑒏 𑒮𑓀𑒠𑒹𑒬।

𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒏𑒲 𑒧𑒱𑒟𑒱𑒪𑒰𑒏 𑒦𑒰𑒭𑒰 𑒮𑓀𑒮𑓂𑒏𑒵𑒞𑒱 𑒏𑒏𑒩𑒼 𑒁𑒢𑒏𑒩 𑒕𑒲? 𑒢𑒻 𑒄 𑒞𑒿 𑒯𑒧𑒩 𑒕𑒲 𑒂 𑒞𑒻 𑒣𑒩 𑒑𑒩𑓂𑒫 𑒏𑒩𑒻 𑒕𑒟𑒱 𑒏𑒫𑒱:
𑒯𑒩𑒏 𑒣𑒰𑒕𑒰𑒿 𑒥𑒑𑒳𑒪𑒰 𑒒𑒳𑒧𑒻𑒋/ 𑒯𑒩𑒥𑒰𑒯𑒰 𑒖𑒼𑒩𑒮𑒿 𑒥𑒩𑒠𑒏𑒹𑒿 𑒥𑒰𑒥𑒴 𑒦𑒻𑒨𑒰 𑒏𑒯𑒱 𑒯𑒿𑒏𑒻𑒋।
𑒠𑒹𑒬𑒏 𑒫𑒱𑒏𑒰𑒮 𑒂 𑒢𑒹𑒞𑒰 𑒣𑒩 𑒯𑒳𑒢𑒏𑒰 𑒂𑒏𑓂𑒩𑒼𑒬 𑒕𑒢𑓂𑒯𑒱: 𑒌𑒚𑒰𑒧𑒏 𑒢𑒹𑒞𑒰 𑒕𑒻 𑒧𑒰𑒪𑒰-𑒧𑒰𑒪/ 𑒩𑒼𑒛-𑒮𑒛𑓃𑒏𑒏𑒹𑒿 𑒠𑒹𑒐𑒱𑒨𑒾 𑒞𑒿/
𑒏𑒠𑒥𑒰 𑒑𑒖𑒰𑒩 𑒮𑒢 𑒕𑒻 𑒟𑒰𑒪।
𑒂 𑒖𑒹 𑒥𑒛𑓃𑒏𑒰-𑒥𑒛𑓃𑒏𑒰 𑒩𑒰𑒭𑓂𑒙𑓂𑒩𑒲𑒨 𑒩𑒰𑒖𑒧𑒰𑒩𑓂𑒑 (𑒢𑒹𑒬𑒢𑒪 𑒯𑒰𑒃𑒫𑒹, 𑒋𑒢.𑒋𑒔.) 𑒕𑒻 𑒮𑒹 𑒞𑒏𑒩 𑒫𑒱𑒫𑒩𑒝 𑒏𑒱𑒕𑒳 𑒋𑒢𑒰 𑒕𑒻: 𑒧𑒾𑒞𑒏 𑒔𑒾𑒩𑒰𑒯𑒰 𑒥𑒢𑒪 𑒁𑒕𑒱 𑒋𑒢.𑒋𑒔 𑒦𑒳𑒞𑒯𑒰 𑒧𑒼𑒛𑓃।
𑒂 𑒪𑒼𑒏𑒏 𑒠𑒬𑒰-𑒠𑒱𑒬𑒰𑒣𑒩 𑒧𑒳𑒩𑓂𑒠𑒰 𑒮𑒹𑒯𑒼 𑒔𑒱𑒢𑓂𑒞𑒱𑒞 𑒁𑒕𑒱: 𑒑𑒰𑒩𑒪 𑒧𑒳𑒩𑓂𑒠𑒰 𑒕𑒙𑒣𑒙𑒰 𑒩𑒯𑒪 𑒁𑒕𑒱/ 𑒦𑒱𑒞𑒩𑒮𑒿 𑒁𑓀𑒑𑒳𑒩𑒲
𑒁𑒣𑓂𑒣𑒢 𑒅𑒚𑒰 𑒩𑒯𑒪 𑒁𑒕𑒱।
𑒢𑒰𑒩𑒲𑒏 𑒏𑒩𑓂𑒧𑒢𑒱𑒭𑓂𑒚 𑒮𑓂𑒫𑒦𑒰𑒫𑒣𑒩 𑒯𑒱𑒢𑒏𑒩 𑒪𑒹𑒐𑒢𑒲 𑒐𑒴𑒥 𑒔𑒪𑒪 𑒕𑒢𑓂𑒯𑒱: 𑒍𑒧𑒯𑒩 𑒥𑒱𑒂 𑒖𑒹 𑒅𑒐𑒰𑒩𑒻 𑒕𑒻 𑒧𑒯𑒱𑒪𑒰 𑒖𑒢/ 𑒏𑒼𑒃 𑒏𑒩𑒻 𑒕𑒻, 𑒮𑒰𑒮𑒳-𑒢𑒢𑒠𑒱𑒏 𑒢𑒱𑒢𑒰-𑒥𑒱𑒢𑒰/ 𑒏𑒼𑒃 𑒑𑒥𑒻 𑒕𑒻 𑒮𑒼𑒯𑒩-𑒮𑒧𑒠𑒰𑒻𑒢।
𑒏𑒫𑒱 𑒞𑒳𑒏𑒧𑒱𑒪𑒰𑒢𑒲𑒧𑒹 𑒮𑒹𑒯𑒼 𑒜𑒹𑒩 𑒩𑒰𑒮 𑒑𑒣 𑒏𑒯𑒱 𑒖𑒰𑒃 𑒕𑒟𑒱, 𑒣𑓀𑒖𑒰𑒥𑒧𑒹 𑒯𑒼𑒃𑒞 𑒧𑒖𑒠𑒴𑒩𑒏 𑒣𑒪𑒰𑒨𑒢𑒏 𑒔𑒩𑓂𑒔 𑒠𑒹𑒐𑒴:
𑒖𑒾𑓀 𑒁𑒐𑒰𑒩 𑒧𑒯𑒱𑒢𑒰𑒧𑒹 𑒥𑒳𑒜𑓃 𑒥𑒛𑓃𑒠/ 𑒣𑒖𑒩𑒰𑒧𑒹 𑒠𑒩𑒠/ 𑒣𑓀𑒖𑒰𑒥𑒧𑒹 𑒧𑒩𑒠 𑒁𑒕𑒱/ 𑒞𑒿 𑒮𑒧𑒗𑒴 𑒯𑒹 𑒑𑒹𑒪𑒯𑒹 𑒒𑒩 𑒕𑒲।
𑒍 𑒂𑒯𑓂𑒫𑒰𑒢 𑒏𑒩𑒻 𑒕𑒟𑒱: 𑒮𑒰𑒯𑒱𑒞𑓂𑒨𑒏 𑒠𑒪𑒱𑒠𑒩 𑒏𑒞𑒹𑒏 𑒖𑒳𑒪𑒳𑒧 𑒏𑒩𑒻𑒋 𑒯𑒧𑒩𑒰𑒣𑒩/ 𑒏𑒱𑒨𑒼 𑒞𑒿 𑒥𑒰𑒖𑒴/ 𑒏𑒱𑒨𑒼 𑒯𑒧𑒩𑒰 𑒠𑒱𑒮𑒮𑒿 𑒁𑒫𑒰𑒖 𑒅𑒚𑒰𑒅।
𑒂 𑒁𑒡𑒱𑒏𑒰𑒩 𑒞𑒿 𑒔𑒰𑒯𑒥𑒹 𑒏𑒩𑒲: 𑒁𑒣𑓂𑒣𑒢 𑒮𑒼𑒪𑓂𑒯𑒢𑒲 𑒥𑒪𑒰 𑒩𑒮𑒰 𑒂𑒥 𑒢𑒻 𑒮𑒳𑒢𑒥 𑒯𑒧/
𑒥𑒩𑓂𑒐𑒰 𑒞𑒼𑒛𑓃𑒱 𑒠𑒻𑒋 𑒥𑒰𑒢𑓂𑒯𑒏𑒹𑒿 𑒂 𑒥𑒢𑒰 𑒠𑒻𑒋 𑒑𑒰𑒧 𑒏𑒹𑒿 𑒏𑒼𑒮𑒲 𑒂 𑒏𑒧𑒪𑒰: 𑒪𑒡𑒢𑒹 𑒕𑒪 𑒮𑒞𑒯𑒱𑒨𑒰/ 𑒜𑒾𑒮𑒰𑒥𑒹𑓀𑒑 𑒏𑒱𑒛𑓃𑒲-𑒧𑒏𑒾𑒛𑓃𑒲
𑒏𑒩𑒻 𑒕𑒪 𑒮𑒼𑒩/ 𑒦𑒳𑒩𑒳𑒏𑒳𑒥𑒰 𑒏𑒢𑒲 𑒅𑒑𑒪 𑒕𑒪 𑒔𑒳𑒯-𑒔𑒳𑒯𑒱𑒨𑒰।
𑒞𑒿 𑒏𑒲 𑒏𑒯𑒪 𑒖𑒰𑒋 𑒌 “𑒫𑒩𑓂𑒝𑒱𑒞 𑒩𑒮” 𑒮𑒦𑒏𑒹𑒿। 𑒏𑒲 𑒏𑒫𑒱𑒏 𑒫𑒮𑒢𑓂𑒞 𑒧𑒰𑒞𑓂𑒩 𑒤𑒴𑒪-𑒣𑒰𑒞 𑒠𑒹𑒐𑒻𑒋 𑒖𑒹 𑒧𑒰𑒞𑓂𑒩 𑒮𑒳𑒑𑒢𑓂𑒡 𑒠𑒻𑒋, 𑒂𑒿𑒐𑒱𑒏𑒹𑒿 𑒮𑒳𑒐 𑒠𑒻𑒋, 𑒧𑒳𑒠𑒰 𑒖𑒩𑒪 𑒣𑒹𑒙𑒏𑒹𑒿 𑒮𑒹 𑒢𑒲𑒏 𑒪𑒑𑒞𑒻? 𑒞𑒹𑒿 𑒏𑒫𑒱𑒏 𑒫𑒩𑓂𑒝𑒱𑒞 𑒫𑒮𑒢𑓂𑒞𑒏 𑒩𑒮 𑒍 𑒤𑒪 𑒫𑒱𑒯𑒲𑒢 𑒮𑒳𑒢𑓂𑒠𑒩 𑒤𑒴𑒪 𑒢𑒻 𑒦𑓄 𑒮𑒏𑒻𑒋, 𑒂 𑒮𑒹 𑒢𑒯𑒱𑒨𑒹 𑒁𑒕𑒱। 𑒠𑒪𑒱𑒞 𑒫𑒱𑒧𑒩𑓂𑒬 𑒠𑒪𑒱𑒞 𑒠𑓂𑒫𑒰𑒩𑒰, 𑒂 𑒍𑒃 𑒠𑒪𑒱𑒞 𑒠𑓂𑒫𑒰𑒩𑒰 𑒖𑒹𑒏𑒩 𑒡𑒳𑒂𑒡𑒖𑒰 𑒕𑒻 𑒮𑒪𑒯𑒹𑒬 𑒮𑒢, 𑒢𑒻 𑒥𑒱𑒮𑒩𑒪 𑒁𑒕𑒱 𑒁𑒣𑒢 𑒮𑓀𑒮𑓂𑒏𑒵𑒞𑒱, 𑒥𑒼𑒪𑒲-𑒫𑒰𑒝𑒲, 𑒢𑒻 𑒥𑒱𑒮𑒩𑒪 𑒁𑒕𑒱 𑒮𑒼𑒯𑒩-𑒮𑒧𑒠𑒾𑒢। 𑒂 𑒮𑒹 𑒕𑒟𑒱 𑒅𑒧𑒹𑒬 𑒣𑒰𑒮𑒫𑒰𑒢। 𑒂 𑒖𑒹 𑒯𑒳𑒢𑒏𑒩 𑒫𑒮𑒢𑓂𑒞𑒏𑒹𑒿 𑒠𑒹𑒐𑒥𑒰𑒏, 𑒋𑒢.𑒋𑒔.𑒏 𑒔𑒾𑒩𑒰𑒯𑒰𑒏𑒹𑒿 𑒠𑒹𑒐𑒥𑒰𑒏 𑒠𑒵𑒭𑓂𑒙𑒱 𑒤𑒩𑒰𑒏 𑒁𑒕𑒱 𑒞𑒹𑒿 𑒯𑒳𑒢𑒏𑒩 𑒏𑒫𑒱𑒞𑒰 𑒮𑒹𑒯𑒼 𑒤𑒩𑒰𑒏 𑒁𑒕𑒱।

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"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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