भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति
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Tuesday, July 22, 2008
विदेह वर्ष-1मास-2अंक-3 (01 फरबरी 2008) 1. शोध लेख. 3.मायानन्द मिश्रक इतिहास-बोध
3.मायानन्द मिश्रक इतिहास-बोध
श्री मायानान्द मिश्रक जन्म सहरसा जिलाक बनैनिया गाममे 17 अगस्त 1934 ई.केँ भेलन्हि। मैथिलीमे एम.ए. कएलाक बाद किछु दिन ई आकाशवानी पटनाक चौपाल सँ संबद्ध रहलाह । तकरा बाद सहरसा कॉलेजमे मैथिलीक व्याख्याता आ’ विभागाध्यक्ष रहलाह। पहिने मायानन्द जी कविता लिखलन्हि,पछाति जा कय हिनक प्रतिभा आलोचनात्मक निबंध, उपन्यास आ’ कथामे सेहो प्रकट भेलन्हि। भाङ्क लोटा, आगि मोम आ’ पाथर आओर चन्द्र-बिन्दु- हिनकर कथा संग्रह सभ छन्हि। बिहाड़ि पात पाथर , मंत्र-पुत्र ,खोता आ’ चिडै आ’ सूर्यास्त हिनकर उपन्यास सभ अछि॥ दिशांतर हिनकर कविता संग्रह अछि। एकर अतिरिक्त सोने की नैय्या माटी के लोग, प्रथमं शैल पुत्री च,मंत्रपुत्र, पुरोहित आ’ स्त्री-धन हिनकर हिन्दीक कृति अछि। मंत्रपुत्र हिन्दी आ’ मैथिली दुनू भाषामे प्रकाशित भेल आ’ एकर मैथिली संस्करणक हेतु हिनका साहित्य अकादमी पुरस्कारसँ सम्मानित कएल गेलन्हि। श्री मायानन्द मिश्र प्रबोध सम्मानसँ सेहो पुरस्कृत छथि। पहिने मायानन्द जी कोमल पदावलीक रचना करैत छलाह , पाछाँ जा’ कय प्रयोगवादी कविता सभ सेहो रचलन्हि।
प्रस्तुत प्रबंधमे मायानान्द जीक 1.प्रथमं शैल पुत्री च 2.मंत्रपुत्र 3.पुरोहित आ’ 4. स्त्री-धन एहि चारि ऐतिहासिक उपन्यास सभक आधार पर लेखक द्वारा लगभग दू दशकमे पूर्ण कएल गेल इतिहास यात्राक समीक्षा कएल गेल अछि। एहिमे प्रयुक्त पुस्तकमे मंत्रपुत्र मैथिलीमे अछि आ’ शेष तीनू उपन्यास हिन्दीमे ,तथापि यात्रा पूर्णताक दृष्ट्वा आ’ श्रृंखलाक तारतम्य आ’ समीक्षाक पूर्णताक हेतु चारू किताबक प्रयोग अनिवार्य छल।
कालक्रमक दृष्टिसँ प्रथमं शैल पुत्री च प्रथम अछि, एहिमे 1500 ई.पू.सँ पहिलुका इतिहासक आधार लेल गेल अछि। मंत्रपुत्रमे 1500 ई.पू. सँ 1200 ई.पू. धरिक इतिहास उपन्यासक आधार अछि। ई सभ आधार भारत युद्धक पहिलुका अछि। पुरोहितमे 1200 ई.पू.सँ 1000 ई.पू. धरिक इतिहास अछि- एकरा ब्राह्मण साहित्यक युगक इतिहास कहि सकैत छी। स्त्रीधनक आधार अछि सूत्र-स्मृतिकालीन मिथिला। मुदा रचना भेल मैथिली मंत्रपुत्रक पहिने - नवंबर 1986 मे। प्रथमं शैल पुत्री च एकर दूसालक बाद रचित भेल आ’ ताहिमे मायानन्द जी चारू किताबक रचनाक रूपरेखा देलन्हि, मुदा ई हिन्दीक संदर्भमे छल। एकर बाद सभटा किताब हिन्दी मे आएल। हिन्दी मंत्रपुत्र आयल जाहि कारण्सँ तेसर पुस्तक पुरोहित किछु देरीसँ 1999 मे प्रकाशित भेल। स्त्रीधन जे एहि श्रृंखलाक अंतिम पुस्तक अछि, पछिला साल 2007 ई. मे प्रकाशित भेल।प्रथमं शैल पुत्री च केर प्रस्तावनाक नाम कवच छल। मंत्रपुत्रक प्रस्तावनाक नाम ऋचालोक छल आ’ ई पुस्तकक अंतमे राखल गेल। कियेकतँ ई लेखकक प्रथम ऐतिहासिक रचना छल, प्रस्तावनाकेँ अंतमे राखि कय रहस्य आ’ रोमांचकेँ बनाओल राखल गेल । पुरोहितक प्रस्तावनाक नाम विनियोग छल आ’ एकरासँ पहिने दूर्वाक्षत मंत्र राखल गेल जे भारतक आ’ विश्वक प्रथम देश्भक्ति गीत अछि। मिथिलामे एकरा आशीर्वादक मंत्रक रूपमे प्रयोग कएल जाइत अछि। स्त्रीधनक प्रस्तावनाक नाम लेखक पृष्ठभूमि रखने छथि जे उपन्यासक एतिहासिक पृष्ठभूमि प्रदान करबाक कारण सर्वथा समीचीन अछि। मायानन्दक इतिहास-बोधक समीक्षा हम श्रुति, परम्परा, तर्क, श्रद्धा आ’ भाषा-विज्ञानक आधार पर कएने छी , पाश्चात्य विद्वान सभक उच्छिष्ट भोज सँ निर्मित भारतीय इतिहास-लेखन सँ बचि कय इतिहासक समीक्षा भेल अछि, आ’ मध्य एशिया आ’ यूरोपक कनियो प्रभाव समीक्षा पर नहीं पड़ल अछि।
1. प्रथमं शैल पुत्री च- कवच रूपी प्रस्तावनाक बाद ई पुस्तक 1. अग्ना 2. अग्न-शैला 3. शैला- कराली 4. कराली- महेष 5. महेष- पारवती 6. गणेष 7. हरकिसन 8. किसन 9. हरप्पा : मोअन गाँव 10. गणेष का श्रीगणेश 11. किश्न 12. महाजन 13. मंडल 14. किश्न मंडल 15. मंडल : मंडली 16. पतन: पुरंदर आ’ 17. उपसंहार : पलायन खंडमे विभक्त अछि।
1. अग्ना- 2000 हजार ई. पू. सँ आरम्भ होइत अछि ई उपन्यास। खोहमे रहय बला मनुष्यक विवरण शुरू होइत अछि- बा एकटा दलक सर्वाधिक बलिष्ठ मनुष्य अछि। पूर्वज बा सेहो बलिष्ठ छल। एतेक रास बच्चा सभक बा। एकटा छोट आ’ एकटा पैघ पाथरक आविष्कार कएने छलाह पूर्वज बा। अम् दलाग्राकेँ कहल जैत छल। बा भयंकर गंधवला पशुक नाम सेहो छल। हाथक महत्त्व बढ़ल आ’ बढ़ल वृक्षसँ दूरी। सर्पकेँ मारि कय खायल नहीं जाइत अछि, से गप पूर्वजसँ ज्ञात छल। प्राचीन देव वृक्ष, दोसर नाग देव आ’ तेसर नदी देव छलाह। अम् बासँ बा संतान उत्पन्न करैत आयल छलाह। नव कुठार आ’ नव काताक आविष्कार भेल। अः आः अग अग्ग केर देखि कय वन्य पशुकेँ भागैत देखि एकर जानकारी भेल। मानुषी हुनकर संख्या वृद्धि करैत छलि।प्रथम मानुषीक नाम पड़ल अग्ना। ओकर मानुष-मित्र छलाह अग्ग। अग्ना दलाग्रा बनि गेलीह आ’ हुनकर नेतृत्वमे दल उत्तर दिशि बढ़ल। फेर लेखक लिखैत छथि जे पृथ्वीक उत्पत्ति लगभग 200 कर्प्ड़ वर्ष पूर्व भेल जे सर्वथा समीचीन अछि। कर्मकाण्डमे एक स्थान पर वर्णन अछि- “ ब्राह्मणे द्वितीये परार्धे श्री स्वेतवाराह कल्पे वैवस्वत मन्वंतरे अष्ठाविंशतितमे कलियुगे प्रथम चरणे” आ’ एहि आधार पर गणना कएला उत्तर 1,97,29,49,032 वर्ष पृथ्वीक आयु अबैत अछि। रेडियोएक्टिव विधि द्वारा सेहो ईएह उत्तर अबैत अछि। यूरोपमे सत्रहम शाब्दी तक पृथ्वीक आयु 4000 वर्ष मानल जाइत रहल। ईरानक विद्वान 1200 वर्ष पहिने पृथ्वीक उत्पत्ति मनलैन्ह। ई दुनू दृष्टिकोण वैज्ञानिक दृष्टिकोणसँ हास्यास्पद अछि।
(अनुवर्तते)
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"भालसरिक गाछ" Post edited multiple times to incorporate all Yahoo Geocities "भालसरिक गाछ" materials from 2000 onwards as...
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जेठक दुपहरि बारहो कलासँ उगिलि उगिलि भीषण ज्वाला आकाश चढ़ल दिनकर त्रिभुवन डाहथि जरि जरि पछबा प्रचण्ड बिरड़ो उदण्ड सन सन सन सन...
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खंजनि चलली बगढड़ाक चालि, अपनो चालि बिसरली अपन वस्तुलक परित्याकग क’ आनक अनुकरण कयलापर अपनो व्यिवहार बिसरि गेलापर व्यंपग्यय। खइनी अछि दुइ मो...
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पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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