भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल अखनो ५ जुलाई २००४ क पोस्ट'भालसरिक गाछ'- केर रूपमे इंटरनेटपर मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितिक रूपमे विद्यमान अछि जे विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,आ http://www.videha.co.in/ पर ई प्रकाशित होइत अछि।
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Tuesday, January 13, 2009
विदेह १ दिसम्बर २००८ वर्ष १ मास १२ अंक २३-part iii
बालानां कृते
1.प्रकाश झा- बाल कवित 2. बालकथा- गजेन्द्र ठाकुर 3. देवीजी: ज्योति झा चौधरी
1.प्रकाश झा, सुपरिचित रंगकर्मी। राष्ट्रीय स्तरक सांस्कृतिक संस्था सभक संग कार्यक अनुभव। शोध आलेख (लोकनाट्य एवं रंगमंच) आऽ कथा लेखन। राष्ट्रीय जूनियर फेलोशिप, भारत सरकार प्राप्त। राजधानी दिल्लीमे मैथिली लोक रंग महोत्सवक शुरुआत। मैथिली लोककला आऽ संस्कृतिक प्रलेखन आऽ विश्व फलकपर विस्तारक लेल प्रतिबद्ध। अपन कर्मठ संगीक संग मैलोरंगक संस्थापक, निदेशक। मैलोरंग पत्रिकाक सम्पादन। संप्रति राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्लीक रंगमंचीय शोध पत्रिका रंग-प्रसंगक सहयोगी संपादकक रूपमे कार्यरत।
( मिथिलामे सभस’ उपेक्षित अछि मिथिलाक भविष्य ; यानी मिथिलाक बच्चा । मैथिली भाषामे बाल-बुदरुक लेल किछु गीतमय रचना अखन तक नहि भेल अछि जकरा बच्चा रटिक’ हरदम गावे-गुनगुनावे जाहिसँ बच्चा मस्तीमे रहै आ ओकर मानसिक विकास दृढ़ हुऎ । एहि ठाम प्रस्तुत अछि बौआ-बच्चाक लेल किछु बाल कविता । )
१. प्रकाश झा
बाल-बुदरुकक लेल कविता
बाल कवित :
1. फूलडाली में फूल छै,
पूजा हेतैन देवान के।
गेंदा, गुलाब, कनैल छै,
माला बनतैन भगवान के।
2. लाल लाल गुलाब छै,
अड़हुल सेहो लाल ।
तीरा सेहो लाल छै ,
माधुरियो होए छै लाल ।
3. सुन्दर फूल कनैल के,
पीयर ओकर रंग ।
फर तोड़ि क’ खेलै छै ,
बच्चा बुच्ची ओकर संग ।
2. बालकथा- गजेन्द्र ठाकुर
१.गरीबन बाबा
कमला कातक उधरा गाममे तीनटा संगी रहथि। पहिने गामे-गामे अखराहा रहए, ओतए ई तीनू संगी कुश्ती लड़थि आऽ पहलमानी करथि। बरहम ठाकुर रहथि ब्राह्मण, घासी रहथि यादव आऽ गरीबन रहथि धोबि। अखराहा लग कमला माइक पीड़ी छल। एक बेर गरीबनक पएर ओहि पीड़ीमे लागि गेलन्हि, जाहिसँ कमला मैय्या तमसा गेलीह आऽ इन्द्रक दरबारसँ एकटा बाघिन अनलन्हि आऽ ओकरासँ अखराहामे गरीबनक युद्ध भेल। गरीबन मारल गेलाह। गरीबनकेँ कमला धारमे फेंकि देल गेलन्हि आऽ हुनकर लहाश एकटा धोबिया घाटपर कपड़ा साफ करैत एकटा धोबि लग पहुँचल। हुनका कपड़ा साफ करएमे दिक्कत भेलन्हि से ओऽ लहाशकेँ सहटारि कए दोसर दिस बहा देलन्हि।
चित्र ज्योति झा चौधरी
एम्हर गरीबनक कनियाँ गरीबनक मुइलाक समाचार सुनि दुखित मोने आर्तनाद कए भगवानकेँ सुमिरलन्हि। आब भगवानक कृपासँ गरीबनक आत्मा एक गोटेक शरीरमे पैसि गेल आऽ ओऽ भगता खेलाए लागल। भगता कहलन्हि जे एक गोटे धोबि हुनकर अपमान केलन्हि से ओऽ शाप दैत छथिन्ह जे सभ धोबि मिलि हुनकर लहाशकेँ कमला धारसँ निकालि कए दाह-संस्कार करथि नहि तँ धोबि सभक भट्ठीमे कपड़ा जरि जाएत। सभ गोटे ई सुनि धारमे कूदि लहाशकेँ निकालि दाह संस्कार केलन्हि। तकर बादसँ गरीबन बाबा भट्ठीक कपड़ाक रक्षा करैत आएल छथि।
२.लालमैनबाबा
चित्र ज्योति झा चौधरी
नौहट्टामे दू टा संगी रहथि मनसाराम आऽ लालमैन बाबा। दुनू गोटे चमार जातिक रहथि आऽ संगे-संगे महीस चरबथि। ओहि समयमे नौहट्टामे बड्ड पैघ जंगल रहए, ओतहि एक दिन लालमैनक महीसकेँ बाघिनिया घेरि लेलकन्हि। लालमैन महीसकेँ बचबएमे बाघिनसँ लड़ए तँ लगलाह मुदा स्त्रीजातिक बाघिनपर अपन सम्पूर्ण शक्तिक प्रयोग नहि केलन्हि आऽ मारल गेलाह। मनसारामकेँ ओऽ मरैत-मरैत कहलन्हि जे मुइलाक बाद हुनकर दाह संस्कार नीकसँ कएल जाइन्हि। मुदा मनसाराम गामपर ककरो नहि ई गप कहलन्हि। एहिसँ लालमैन बाबाकेँ बड्ड तामस चढ़लन्हि आऽ ओऽ मनसारामकेँ बका कऽ मारि देलन्हि। फेर सभ गोटे मिलि कए लालमैन बबाक दाह संस्कार कएलन्हि आऽ हुनकर भगता मानल गेल, एखनो ओऽ भगताक देहमे पैसि मनता पूरा करैत छथि।
3. देवीजी: ज्योति झा चौधरी
देवीजी :
देवीजी राजेन्द्र प्रसाद जन्मदिवस
परीक्षाक समाप्ति भेलापर सब बच्च सब बहुत निश्चिन्त छल।लेकिन देवीजी परिणाम घोषित हुअ तक के समय के व्यर्थ नहिं बिताबऽ चाहैत रहैथ।ताहि पर सऽ बिहारके महान स्वतंत्रता सेनानी एवम् देशके प्रथम राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के जन्मदिवस छल ३ दिसम्बर कऽ।तैं ओ बच्चा सबके विद्यालय बजेली।
चित्र ज्योति झा चौधरी
देवीजी सबके बतेलखिन जे डॉ राजेन्द्र प्रसादके बच्चेसऽ धार्मिक एकताक ज्ञान भेटल छलैन।माय हुनका रामायण पढ़िकऽ सुनाबै छलखिन आ पिता मौलवी लग पठा फारसी सिखाबई छलखिन।बारह साल तक गणतंत्र भारतके प्रथम राष्ट्रपतिक पदके सम्मानित केलाक बाद ओ स्वेच्छा सऽ २८ फरवरी १९६३मे पद सऽ इस्तिफा दऽ देलैथ।ओ अति विलक्षण बुद्धिक स्वामी छलाह आ गॉंधीजीक विचारसऽ प्रेरित भऽ अपन वकालत छोड़ि स्वतंत्रता संग्राममे कुदि गेलाह।
धार्मिक एकताक बात उठल तऽ सब बच्चा सब अपन-अपन धर्मक विषेशता पर तथा अपन पाबनिके मनाबक ढ़ंग पर अपन विचार व्यक्त केलक।अहि तरहे सामुदायिक एकता पर विचारविमर्श कऽ सब अहि महान नेताके श्रद्धांजली देलक।
बच्चा लोकनि द्वारा स्मरणीय श्लोक
१.प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त्त (सूर्योदयक एक घंटा पहिने) सर्वप्रथम अपन दुनू हाथ देखबाक चाही, आ’ ई श्लोक बजबाक चाही।
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्॥
करक आगाँ लक्ष्मी बसैत छथि, करक मध्यमे सरस्वती, करक मूलमे ब्रह्मा स्थित छथि। भोरमे ताहि द्वारे करक दर्शन करबाक थीक।
२.संध्या काल दीप लेसबाक काल-
दीपमूले स्थितो ब्रह्मा दीपमध्ये जनार्दनः।
दीपाग्रे शङ्करः प्रोक्त्तः सन्ध्याज्योतिर्नमोऽस्तुते॥
दीपक मूल भागमे ब्रह्मा, दीपक मध्यभागमे जनार्दन (विष्णु) आऽ दीपक अग्र भागमे शङ्कर स्थित छथि। हे संध्याज्योति! अहाँकेँ नमस्कार।
३.सुतबाक काल-
रामं स्कन्दं हनूमन्तं वैनतेयं वृकोदरम्।
शयने यः स्मरेन्नित्यं दुःस्वप्नस्तस्य नश्यति॥
जे सभ दिन सुतबासँ पहिने राम, कुमारस्वामी, हनूमान्, गरुड़ आऽ भीमक स्मरण करैत छथि, हुनकर दुःस्वप्न नष्ट भऽ जाइत छन्हि।
४. नहेबाक समय-
गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरू॥
हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु आऽ कावेरी धार। एहि जलमे अपन सान्निध्य दिअ।
५.उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षं तत् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः॥
समुद्रक उत्तरमे आऽ हिमालयक दक्षिणमे भारत अछि आऽ ओतुका सन्तति भारती कहबैत छथि।
६.अहल्या द्रौपदी सीता तारा मण्डोदरी तथा।
पञ्चकं ना स्मरेन्नित्यं महापातकनाशकम्॥
जे सभ दिन अहल्या, द्रौपदी, सीता, तारा आऽ मण्दोदरी, एहि पाँच साध्वी-स्त्रीक स्मरण करैत छथि, हुनकर सभ पाप नष्ट भऽ जाइत छन्हि।
७.अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरञ्जीविनः॥
अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनूमान्, विभीषण, कृपाचार्य आऽ परशुराम- ई सात टा चिरञ्जीवी कहबैत छथि।
८.साते भवतु सुप्रीता देवी शिखर वासिनी
उग्रेन तपसा लब्धो यया पशुपतिः पतिः।
सिद्धिः साध्ये सतामस्तु प्रसादान्तस्य धूर्जटेः
जाह्नवीफेनलेखेव यन्यूधि शशिनः कला॥
९. बालोऽहं जगदानन्द न मे बाला सरस्वती।
अपूर्णे पंचमे वर्षे वर्णयामि जगत्त्रयम् ॥
पञ्जी डाटाबेस-(डिजिटल इमेजिंग / मिथिलाक्षरसँ देवनागरी लिप्यांतरण/ संकलन/ सम्पादन-गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा एवं पञ्जीकार विद्यानन्द झा द्वारा)
जय गणेशाय नम:
(1)
प्रथ पत्र पन्जीन लिखते: अथ सरिसब ग्राम: देवादित्यण रतनाकपत्य् छादन प्रजाकरापत्यन बनौली रम समेत निविकर सन्तुति केशव पत्यक दनाद गंगश्वनरा पत्या गौरि शौरि कुलपति बधवाम् महिपाणि सन्तिित खांगुड़ गयड़ा समेत ग्रहेश्वशरापत्यप जोंकी गणेश्व रा पत्यन सकुरी सोने सन्तति कटमा ओ सकुरी भवदित्यौ पत्या सतैढ़ रघुनाथापत्यु उल्लूग कौशिक उल्लूा गिरीश्वजरापत्यस सतैढ़ वास्तुस सुत ऋषि सवेढ़ सम्प्रनति फरकीया शिवादित्याीपत्यि रवाल मतहनी हरादित्याघपत्य् बलिवास श्री करापत्यश ननौरे शुचिकरा पत्य जगन्नाथ पूर हल्लैरश्विर रूद्र पुर पैक टोल केवब बागे वसुन्धार नरघोघ रामदेवापत्य सिंडोला काम देवापत्य़ डीगरी गढपति सन्तिकत गौर वोड़ा दाश नजिबाक ग्राम भासे सन्तिल वनिआ रातु दिगल्धन कान्हम सन्तिलत गोविन्द श्राड़ाम सोय सन्तितति नाटस सुपन वालू देहथि नारायण पुराइ ब्रहमपुर मिश्र रामापत्यत अचौही शुचिकरा पल लिया ब्रह्म पुर छीतू पारू पीलखा शिवाई महु लिया जहरौली ईवश्वसर नारू नोटड़ श्री धरापत्यू दिमन्दररा एते जजिवाल गान अय स्वािन्दल पल ठ हराइ सन्तति भखराइन सोमेश्वौरा पत्य बुल्लडन कधुंवा समेत ठ. अनन्तु हरि लखनौर भोगीश्वार पत्यव गोपल सन्तिवत बथई हरड़ी गढाघरा पल्टाख पौराम रतनाकरापत्य हलधर ते तरिआ हरिड़ी खाडबसा ठ; इबे सन्तअति भौर लाखू महिमकति बेहर यमुगाम योगीश्वयरापत्य् सोन्द़पुर सरपना कुरहनी वासी श्रीर स्पष्टधता शुभद्रका पत्या देशुआल झाम सन्ति्त हैयाश गुरदी सोन करमे वास्तुग लागू हिस् देउरी गोपालपत्या गढ़ देने सन्ति् चतुआरी पक्षधरा पल तेतरिआ दिन करायल्पठ प्रोराग बधरी बिहारी अगय गोरदी साधु सन्तिग बधयी लक्षमीमति सन्ति त सरसा गणेश्वररा पत्यन गुलदी हल्ले श्वतर पत्य केलारी जीवेश्वगर पत्या आलय
(2) ''अ''
पोमकंठ सरपरब रबि सन्त ति गौर ब्रह्मपुर जयकर सन्त ति सजनी भासे डीह देवेश्वतरापत्यु देशुआल पक्षीश्वपरा पत्यल यमुगाम गिरीश्वतर मत्यं देशुआल विन्येग श्वरर पत्य वैकुण्ठ पुर शितिकंठसन्तलति खुली। रतनेश्व्र परन गुलदी अथ गंगोली ग्राम महामहो सुपट सन्तिगत गोम कटमा होरे सन्तदति बिसपी हारू सन्तित देशुआल हरि सन्तित डुमरा दिवाकरापत्यक दिगुन्धत गौरीश्व्र सन्त ति जगनाथा पत्य धर्मपुर कुमर गंगोली वासी कमल पानि वैगनी 93 ग्राम डालू सन्तति सकुरी गयन सन्ति् खरसौनी एते गंगोली ग्राम ग्राम पबौली ग्राम रवि सन्तिगत बिरौलि उदयकर सन्ति सपता देशुआल महिपति सन्ततति कोशीपार डुमराही हरियाणि सन्तिसत गोधनपुर लक्ष्मीमदत्तापत्य् गोनोली नारू सन्तिि मतौनी डहुआ रूद सन्तति बछौनी रूद सुत पाठक भीम मीरगोआ जागू सन्त ति रथपुरा विशो सन्त्ति चणौर बासु गौरि सन्तति महरैल केशव गोविन्दानपत्य राजे दामोदरापत्य राजे शिवदत्ता पत्य बढ्यिाना गोगे सन्तिपति सहुड़ी यशोधरापत्यग मेयाम दामू सन्तति सम्माह पुण्यादकरपत्य पैकटोल पनिहथ उँदयी सन्तेति धेनु मधुकर तनाकर प्रजा कर दियाकर पत्यत जगति एबे पर्वमललीगा्रम अथ सोदपुर ग्राम:-ग्रहेश्वयरापत्या धउल :दे्रवश्पतरापत्यत विरपुर धीरेश्वयरापत्यए सुन्दमर विश्व्श्रारपत्यि माधव टसौली रामापत्यग रमौली बाटू बड़साम रूचि बासुदेव कुसौली यताधरापत्यय पचही गयनापत्यप: रोहाड़ बहेड़ा रति हरि टाटी वास्तु् सन्तुति तेतरिहार रूपे सन्तरति सिमर वाड़ बसाडनापत्या कन्हौतली कामेश्वयर सुरेश्विर राम
(3)
नाथापस: भौआल कान्हारपत्यन सुखैत त्रिपुरे अकडीहा रतिनाथा पत्य डालू कटका बाटू हलधर केडटगामा सुधावरा पत्य गौर म म रविनाथ सुत मामतुर जीवानापत्य् दिगुन्धत म म उठ भवनाथ प्र अयाचीयुत ममडा शंकर मटो महादेव महो मासे महोदारी सन्तिड सरिसन अपरा भवनाथ प्र अचाचीसुत शम्भुडनाथ रूद्रनाथापत्यठ बालि महामही देवताधापत्य दिगानुन्धह महो रघुनाधापात्यप रैयाम जोर सन्तनति विठौली मिसरौली गोपीनाथा पत्यथ मानी, जगौर म स उ जीनेश्वतर सुत गणपति हरिपति महिया लोकनाथापत्यप माझियाम खोरि। हरदन्तत माधदापत्यग राहड़ सुहगरि देवे सन्त,ति मयि एते साद पुर ग्रामा जुथ गंगोरग्राम बीनू बालू कुरूम भैआल केशवापत्यझ भुहियारी पोनद सनाथ सन्ताति विरनी वासी भारे सन्तेति महिन्द्र पुर विटू फदि बेकक
अय पल्ली ग्राम:-हलधर सन्तीति = बनाइनि।। मह यहां उँमापति समौलि, वारी, जरहरिया।। रूपनाथ सन्त ति गिरपति = समौलि। पशुपति = समौलि।। महाप्रबंधक।। रघुनाथापत्यत: दड़मपुरा नरहरि, रघुपति सन्त ति = समोलि।। देवधरापत्यत = कछरा, देउरी।। गांगु सन्ततति=दोउरी।। दिवाकरापत्यु=देउरी, सकुरी, मोहरी=कटैया घोटक रवि सन्त ति=कटैया।। ग्रहेश्वरापत्य : कछरा।। रामकरापत्यो=भालय।। जितिवरापत्यय राजेसतिश्वदरापत्यम=सिम्मुेनाम ।। कान्हासपत्यह= पड़ौतिन।। विरममिश्रापत्यत=ततैल।। रामदत्त सुत केशव सन्तयति=कान्हत=हाटी।। महार्ड सन्तिति=अतयी।। वंशधरा पत्यु=अलय।।गोविन्दाय पत्यथ=रैयम।। कीखे सन्तति राम सन्ताति वाटू सन्त ति=नंगवाल मिमाकरापत्यय= पर्जुआरि हिताई सन्तरति विरूपाक्षा पल कैसुता =बैकुंठपुर।। हारू सन्त्ति= नैकंधा।। कविराज
(4) ''आ''
सन्तिसत=मछैटा।। सिंहश्ेवरापत्यह=ननौर।। मित्रकरापत्य =ननौर-राजखड़, पाली ।। जयकरापत्य =पिण्डाजघर, क रहता, रनाहास पानी कछरा।। माधका।। पत्यग गौरीश्व्रापत्या अहियारी, दूपामारी।। गणपति गांगु सन्तिनत=अहियारी।।यशु, डगरू सन्तैति=कुरूम।। बागू सन्त।ति=रोहाल, कटैया।। गोविन्दा।। पत्य हचलू सुत दिवाकरा पत्यस=सुदई षनिहथ।। होराइ सन्तीति=अडि़यारी।। रूद्रश्वूरा पत्य।=भड़गामा। बाटू सन्तितत=सन्दसाही, परली पाली, विशानन्दय पत्यन=ब्रहमपुर थेतनि सन्ति=त= जलकौर पाली।। चन्दौरत पाली दुर्गादित्या पत्या=भड़गामा।।बाटू सन्त्ति=सन्दयसाही, पाली पाली।। विशानन्द् पत्य ब्रहमपुर।। थेतनि सन्तितत=जलकौर पाली।। चन्दौित पाली दुर्गादित्य पल =महिषी देवादित्यटपत्यत= बिहार महिषी समेत।। रतनू प्रजना दित्यन पपत्यत महिषी।। रतनाकरापल=यशी।।ततो जलकौर पाली।। चन्दौयत पाली दुर्गादित्यवपल=महिषी देवादित्सद पत्यी= बिहारा महिषी समेत।। रतनू प्र तनादित्यष पत्रूस=महिषी।। रतनाकरा पत=याशी।। ततो धोधनि सन्ततति=याशी।। दिशो, झीकर शुचिकए पल=पुरोठी।। जीवे सन्तमति=मोनी।।बाद ऋतति आठी ससुधारापत्य। मागु सन्तधति=मोनी भवदन्ता।पत्यस=पुरोही (100/105) शुभकर। पत्यर=जमदौली।। पौथू सन्तोति=परसौनी, जरहटिया सकुरी।। कसमाकर सन्तगति जमदौसी ।।यहा धरा पत्यो =सकुरी।। जीवधर वशीधरापत्यह=सकुरी।। बुद्धिघर। पत्य=ततैस।। कान्हा।पत्यत=अलय, सकुरी।। इन सन्ताति सकुरी।। मुरारी सन्तयति समापत्यर=महिन्द्र वाड़ विशो सन्तति रूद्रवश्वयरपत्य। कोलहट्टा गणेश्वयर नन्दीाश्वयर पत्य =महिन्द्र वाड़ गोविन्दाीपत्यत=हरिपुर।।विरश्वसर नरसिंहापत्य्=रादी।। श्रीधरापत्यि बेहउँठ राढ़ी।। गुणीश्वयर पत्यर। कोउलाव।। ग्रहेश्वरापत्या चहुँटा।। शोपालापत्यह=समैया हरिपाणि सन्तरति=समैया।। बाहरे सन्तसति होरेश्वतर मतिश्वार मंगरौनी।। बाट सन्तेति=कटउना ।।जसू, रातू सन्तनति=अकुरी।। गणपति सन्तिति भगवसन्त ति=पचाढ़ी।। गुणाकरा पत्यि बरेहता सोन्द।वाड़।। पुरदित्यात पत्ये=मृगस्थउनी एते पल्लीप ग्राम
(5) हरड़ी।।धनेश्व र-मझियाम, कनईल, लोटना समेत।। लाखू सन्तवति-कनइल।। चाण सन्त।ति रतिश्वदर छामू।। रामकर कृष्णािकर थुगाम बाहरी।। भोड़ो सन्तनति शंकर गूढ़-दिवड़ा।। इबे-जरहटिया ।।देवे सन्तमति-रहड़ा।। गोढ़े-रहड़ा।। गोन्दकन चाण-।। पुरोहित गोपाल सन्ति।त माह वरूआड़ सुपे संखवाड।। श्रीकर पेकटोल गौरीश्विर -तेकुना।।भगव -पुरामनिहरा।। चक्रेश्वनर सन्त ति-दुहुड़ा कटरा। देहरि ततैत।। सोम-तेतेल सान्हि सन्तिक गोधनपुर।। देवे सन्तदति-कादिक पूर। (ताइ-तत्रेव ।। ।। गोना एकराढ़ी-थितिकएपत्यद-आड़ावासी-मझियाम समेत।। बुधौरा सकरादी, दूबा-सबुराढ़ी अन्हापर बरगामा समेत।। एके सेकराढ़ी ग्राम।। अथ ढरिहरा ग्राम:-त्रिपुरारि सन्तेति-सिंहाश्रम।। हरिकर बुद्धिकर सपनादि विजनपुर।। यशस्पाति सन्तकति गणपति गड़ैली गुणपति सन्त्ति-पठोड़ी)।। विद्यापति = पुडरीक=मछली। केशव-अमरावती। शिरू-कुरूम सोने सन्तुति औजाल।। शिव-यमुग्राम ।। गुणाकर पद्यकर मधुकरपट्टो प्रजाकररापत्या कुसुमाक 9उगाम ।। मित्रकरापत्यव=जरहरिआ।। प्रसाद गौरीश्वारपत्या-भाडड़ सन्ह समेत।। दिवाकरापत्यर= असई। दिनकरापत्रूक सोनतौला।। रतिशर्म्माय वस -सकुरी।। इन्द्ररपति= हरिनगर। आग्नेाय।। झोंटपाली दरिहर सिमसिक कोइला विश्वरनाआपत्यत-महिसान-कोइलख समेज।। दिघुपति-तत्रैव।। होरे उराढ़ वासी।। गांगू-कघरा।। रघुपति सेठय कठरा।। कान्ह = कटैया।। जादू सरहरा वाही कृष्ण पति-गुणीश्विर=फूलमती।। सुन्द र-गांगू=तत्रैव।। मतीश्व रापत्यद= सुन्दार असई समेत।। सुरपति=गोलहटी, अलय समेत।। गिरीश्वबरापत्यम-उडिसम।। पण्डोहलि दरिहरा=हरिकर सन्तंति सिहौली शंक मरनामक गोढ़े-नवहथ।। कान्हाव पत्यह=आसो-चिलकौरि।। भादू सन्तति=ततैल, तेतरिआ, सिमार
(6) ''उ''
कनसम।। गोढि़ सन्त'ति=बढि़याम। सुपन सन्तिति=गांगू मिट्टी।। विशो=तत्रैव।। हिक सावे=दीघीया।। धीरेवश्वतर सन्तमति=तारडीह जलकौर=तरिहोश। मिश्र कान्हा=पत्यु= मतडना।। गंगेश्विर सन्तलति मिश्र दुर्गादित्यापत्यश=चदुआल।। देवधरापत्या।। अग्निहोत्रिक महामहोहरि सन्तिति= नेतवाड़ ।। नारू सुत रूचि=मठुआल।।विभाकारापत्यव=सिंधिया।। प्रभाकर सुत जुधे= पटसा।। नोने-जगवाल।। नारू सुत बाटू प्रभृति=अन्दोाली।। गोढि सन्तरति= धनकौलि मिश्र हरि सुत चण्डेंश्वभर= चंटुगामा।। नारायण=उने।। मिस मतिकर= बघोली।। धामू सन्तति= पोजारी।। शूलपाणि=रतौली नीलकंठ=पोखरिया रूपन=रतौली।।खांतर=बड़गाम।। बासू सन्तमति=बाली मुनि विरश्वूरपत्यक दिवाकर=राजनपूरा।। रविकर=छत्रनध राजनपुरा, सीसब समेत।। गुणाकर सिढि़बाला।। हरिकर=जरहटिया, ततैत समेत।। समेत।। ब्रहमेश्वरपत्यक रजनाकरापत्य। पभ्रारी।। विश्वजरूपसन्तरति=पनिहारी।। शूलपाणिभ्राता नीलकंठ= बोथरिया।। रूपन सुत भोग गिरी=रतोली।। यवेश्विर= जरहरिया=ब्रहमेश्विर तत्रैव।।एते दरिहए ग्राक।। 112 पथ माण्डार ग्राम:-गढ़ माण्डनर कामेश्वीरापत्य =बथया।। महत्तक जोर सन्तकति= बघांत।। सुइ भवादित्रूुया पत्यथ= कनैल, बुठौली समेत।।दिवाकरापत्य्= जोंकी, मढिझमना।। हरदत्त सन्त्ति सनतिया।। गुणाकर, जयकर खनतिया।। माधवापत्यप=अरडि़या।। रति,डालू-भौखाल, दोलमान पुर।। बेगुडीहा।। खांतू। ठाकुर, सरवाइ, कउटू सन्तयति=भौआल।। गदाई=दोलमानपुर=केशवापत्यप=असमा।।कानहापत्य।=आसमा।। सूपे, विभू= कटमा विभू, भानुकर दिलरवा।। कविराज शुभंकराएल = कटमा।। वागीश्व।रापत्यु=महिषी, गांगे।।रूपधरा पत्यय=मड़रौनी।। रविदन्ता=पत्यि विशो= देउरी।।
(7)
हरिकर=विजहरा।।खांत=जरहटिया।। हरि=मडरौना।। हौरे= केउंट गामा।। सुधाकर=वारी।। शुभंकर=सकुरी।। पशुपति सन्तूति गुणपति=ओकी।। (18/09) शिवपति इन्द्रहपति=रजौर। कृष्णएपति=पतौनी।।रघुपति=जगौरा।।प्रजापति=अमरावती।। छीतर= जगौर।। आड़नि सन्तकति कुलपतिक कटैया।। नशपति =दहुला।। रविपति=कटका।।महादेव=सिर खडि़या (श्रीखंड)।। रतिपति (18/03) =सिहौलि)। दूबे=दुबौली।। पौखू= बिठुआला।। धनयात्यांक =सरहद।। विधूपति=पतनुका।। सुरपति, रतन=कनखम।। सोम=बेहद।। भवे, महेश= कटैया ।। गुणीश्वलर=कटाई ।। पीताम्ब।रा पत्यय= कटाई, जमुआल।। देवनाथ शीरू=जरहरिया, मकुरी।। लक्षमीकांतापत्यद= त्रिपुरौली।। हरिकान्ता।पत्य। दहिला।। उमाकन्ता। पत्यन ब्रहम्पुरर सुगन्धा सन्तपति=कनसी।। हमेश्वररातस्यम मझौली।। गुणे मिश्रा पत्यप=थुबे, खरका ।। सोरि मिआपत्यत=ब्रहमपुर।। गयन मिश्रा पत्यय, वीरमियापत्य = वारी, सकुरी।। हरिशर्मापटन सुधाकरादि= मृगस्थ ली छेद मिश्रायटन=अन्दौुली।। सुरेश्व्रापत्श्= ग्रहेश्वरापत्य्=कटउना।।हरि मिश्रा पत्यव=कटउना।। ऋषि मिश्रायत्म = बेलउजा।। यति मिश्रा पत्य = कल्डौना ।। कीर्ति मिश्राा ममीश्व=रपत्य = गोआरी।।गिरीश्वयर पट=मिथरौली।। हरे मिश्रा पत्यय= खपरा ।। बाढंमिथापत्यत=टखौली।। हेसन, नरदेव= लेखटिया।। शिवाई सन्त्ति=वत्ययास, धमपुरा।।
सर्वानन्दत= दलवय, सकुरी।। दलवय स्थित=असगन्धी ।। चन्द्ररकरायस=केवड़ा।। कुलधर, रमरायस= दिपेती, बेतावड़ी।। चोचू मोचू= पीहारपुर गोआरी समेज गोपाल सज्जौन= ब्रहमपुर, जगतपुर।। मित्रकरापत्यच, रूपनापत्ये= महिषी, सकुड़ी ।। सुधमय सन्त=ति= अपोरवारि, जहरौली।। रतिधरशुमे= कमपोरकी तरौनी ।। ही सन्तितति= निकासी, मुगाम।। एते माण्डहर ग्राम:
(8) ''ऊ''
अथ बलियास ग्राम:-।। भिखे, चुन्जीप, नितिकारपत्यर= चुन्नीप।। दूबे सकुरी ।। सुरानन्द।=बैकक वासी।। रति सन्ततति=खढ़का।। शिवादित्याग पत्यौ मुराजपुर, ओगही, यमुधरि।। शुभंरापत्यि=ततैत, कमरौली 11 नन्दी सन्तकति= भौजाल, अलप, सतलखा।। सुधारकरापत्य=जरहरिमा।। राम सझपिप्त =जादू धरौरा।। केशव=यमसम।। शक्ति श्रीधर=सकुरी मटि समेत ।। मद्ध सन्तनति नारायण सिमरी, जालए, कड़का।। महन्थि सतृति माडर शिरू सप्त।ति=रूद्रादित्याीपत्यु=विसौली।। रूचि सप्तदति उदयकरापत्या नरसाम।। एते बलियास ग्राम:।।
अथ सतलखा ग्राम: गुणाकर=डोक्ट रवासी ।। विभूसप्ति।त भाष्कमरापत्या= सतौषिा दिवाकरापत्यू= सतौलि।। चन्द्र।श्विर पत्यय= कमोली।। शंकरापत्या=सतसरवा लोहरा पत्य , नन्दीतश्वारापत्यप, यवेश्वौरा पत्य्=कछरा।। अथ एकहरा ग्राम:-श्रीकर=तोड़बय।। जादू सन्तीति= सरहद ।। शुभेसन्त ति= मैनी।।सोने सन्त्ति=मण्डयनपुरा लक्षमीकरापत्यप=संग्राम।। रूद सन्तापित=आसी।। धाम=नरोध,जमालपुर।। गढकू=कसरउढ़।। बाटू= सिंधाड़ी।। थिते=खड़का ।। मिते=कन्हौाली।। गणपति पतउना।। जाने= ओड़ा।। कोचे=रूचौलि।। शुचिकरापत्य। मुराजपुर।। चित्रश्विरपत्य =नरौंछ।। एते एकहरा ग्राम।। अथ विल्पलचंक (बेलउँच) ग्राम: धर्मदित्याकपत्यु=सिसौनी ।। रामदत्त हरदत्त नोना दित्या सन्त्ति= रतिपाढ़।। सुधे सन्तीति= सुदई।। शिरू=द्वारम।। गयादित्यापत्यय= ओगही।।महादिस कर्म्मतपुर बछौनी समेत।। जीवादित्यर=उजान।। रूद्रदित्य=दीप सुदई।। सर्वादित= तडि़याड़ी।। देवादिल= ब्रह्मापुर।। स्तीनादित्य्= काको।। मिचादियात्म्का काको वासू=देड़ारिया प्रजादित्यद हरिगयन=कन्हो।ली।। शुपे=कोलहट्टा।। रूकमादित्यि=ओझौली।। केन्द्रस सकुरी।। महथू= सकुरी।। चौबे सन्तरति= सतसरना
(9)
अथहरिअम ग्राम -लाख सन्तदति=रखबारी।। केशव-दामू=मंगरौना।। मांगू-नरसिंह=शिवां।। हारू (18/09=शिवा।। (27/05 नरहरिसन्त्ति ज्वचतिरराजपुर चाण दिन कटमा।। परम लाख= आहिल।। रति गुणे=कटमा।। माधव सुत सन्तदति=अच्छी। ।। अते हरिजन ग्रामा अप संकर ग्राम कविराज लक्ष्मीरपाणि=नीमा।। सुरेशपल, दामोदरापत्या=पटनिया गंगोली।। रवि शर्मा वंग लक्ष्मीी शर्मा ब्रहमापुर।। पतरू, शीरू= पटनियॉं पोरबरौनी और सकुरी ।। जागे सन्तकति= रतनपुरा।। महाई सन्त ति=परिहार।। देवतन्ताषपत्य =पीलरवाड़ा।। इविन्द ता पत्य = बहेड़ा।। पॉंरबूसन्त।ति=सिरखंडिया (श्री खंड) ।। सुपन, मारू सन्तषति= नरधोध।। हराई, शुचिकर, प्रतीकएपल= अकुसी।। हरिप्रश्नत= पोराम।। दोमोदर पत्यस=बेहरा।। उँमापति सनतति= ततैत।। खंड तक वाल गामा ।। अथ धोसोत ग्राम रति कानह=पचही।। रूचिकरापत्य्= नगवाड़।।रूद्र सन्तति=यमुथरि।। रूद सन्ततति= गन्ध राइनि।। गणपति सन्ततति=धनिसमा।। कृष्णधपति सन्तीति= खगरी।। पृथ्वी धारापत्य्- सकुरी।। रूद्र चन्द्र =डीह।।एते धोसोत ग्राम:
अथ करन्वल ग्राम इन्द्रीनाथ पल कोई लख।। शोरि नाथा पत्यत=दीघही।। रामशम्पदतित्यि= प्ररनापुर।। रतिकरापत्य।= मफियाना बुद्धिक रैव।। बुद्धि का सन्त्की कष्का् पत्यख ककरोड़।। हचलू सन्तघति=कनपोखरि।। गणेश्वयरापत्यर=केडरहम।। लान्हीर सन्ताबते=गोंढिं=शैतत्लए वायी।। सदु=रूचि अन्तकनि हरस्तापत्यर=धनकौलिनिक्तन परन बछांत ।। नोनं सन्तेति=बेला।। लान्हि सन्तडति मुरदी।। सादू सन्ति।=ककरौड़।। मांगू स्तु्ति=सोन, कोलखू, मछेवा समेत।। मधुकरादोलमानुा गिरीश्व्र सन्तहति नरसिहं नडुआर श्री वत्सद सन्तिति=बेस्ट़।। सदु केशव=सिरखंडि़या (श्रीखंड)।। वराह सनतति=तरोजी।। रामाध्य्रीश= तरौनी कान्हर श्रीधर=तरौनी।। रघुदन्त। रूचिस्तस रूचौलि।। नदुपाध्याटद
(10) ''इ''
माधवापत्यु=सझौरा।। सटु रामापत्यय= झंझारपुर।। गुणीश्व)रपत्यत=झंझारपुर।। गुणीश्वयरपत्यत=झंझापुर।। सतु भवेश्वहरापत्या= हरवंशापात्य् मुजौनिआ।। शिवशापत्यू=रोहड़।। धूर्त्तराज म प पु गोनू सन्तोति=पिण्डोपखडि़।। एते करम्बुहा ग्राम:।। अथ बूधवाल ग्राम: रविकरापत्यश=खड़रटन सुरसर समेत ।। सुए सन्तजति=ब्रहमापुर।। राम चाण=मझियाम।। ढोढ़े=बेलसाम।।उगरू= सतलखा कान्हापपत्र= वेतसाम दूबे हरिकर=हरिना।। दामोदर= सकुरी।।राम दिनू= सुन्दुर पाल।। गंगादित्य। विकम सेतरी।। सदु भानुसुत गणेश्व रपत्यह=परिणाम ।। गुणीश्वेरापत्यि जजान।। कोने=पीलखा।।गंगेश्वूर=मलिछाम।।रूचिकर रतिकर=गंगौरा।। महेश्वुर फरहरा।। गौरीश्वपर=मदिनपुर।। विशो सुधकर=डुमरी ।। सूर्यकर सन्तिोत=सिउरी।। ग्रहेश्वमर=महिषी ।। भोगीश्वगर=चिलकौलि बालू बोधाराम।। उदयकर आड़ी।। पौथे धरम= मुठौली।। कान्हारपत्यो=बुधवाल।। जगन्पाहपत्यन=सिंधिया।। एके कुछ वात ग्राम।। अथ सकौना ग्राम-वाटन सन्तडति सिधियाना हरिश्वुर पत्यौ=दिवड़ा।। सोमेश्व=रापत्यन=बघांत।।बाबू सन्तिति डीहा।। रति गोपाल दिनयति=तरौनी।। रूद सन्तित=जगन्नावथपुर।। गणे महिपति=सरिरम।। शुचिनाथपत्यर परसा।। गुणे मासे ततैल।। एते सकौना ग्राम: अथ निसउँत ग्राम: पणित सुपाइ सन्तमति=तरनी तरौनी।। रघुपति=पतउना।। जीडसर सजाति कुआ।। इतितिसॉं अथफनन्दएह ग्राम: श्रीकरापत्य्= बथैया।। कुसुमाकर, मधुकर, किठो सन्तीन्ति विठो प्रहनपुर।।हाठू=चाण।। बसौनी=ब्रहमपुर 11 सुखानन्दश गुणे=सिसौंजी गांगू=सकुरी।।सदु गोंढि़=खनाम।। मतीश्वसर, पौखू=चोपता शंकर=शंकर=रवयरा।। महेश्विर=डीहा सोम गोम माधव केशव= भटगामा।। विशेश्वगरसहा सिंहवाड़, सिन्हु वार 11लक्ष्मीत सेवे =सकुरी।। भवाईरूद=बोरबाड़ी, भदुआल, दरिअरा, सिमरवाड़ मुजौना समेत अनन्हसह राम:
(11) अथ अलय ग्राम।। प्रलय, उसरौली, बोड़वाड़ी, सुसैला, गोधोण्डीवच।। शंकरापत्यि=गोधनपुर समेत।। श्रीकरापत्यस=उजरा।। हेतू सन्ति1त=सुखेत मिश्र (मिमांशक) हरि देवधरापत्यड=सिंधिया।। बासू सन्त ति: जरहटिया बाढ़ वाली। रविशर्म्मप=जरहटिया।। धारू सन्तिति=बेहरा।। शिरू=धमडिहा, कादेपूरा गोविन्द सन्तिध बेहद।। म. म. उ. गदाघर=उमरौली।। परम बुद्धिकर=बैगनी।। रतनघर सन्तिति भवदत्त= भटपूरा।। शिवदत्त=अजवन्ताे।। मिश्रा राम वाड सुधार मात्यब उसरौली।। लक्ष्मीचधएपत्यब हलधर सन्तौति यमुगम।।शशिधर, रघु, जाटू=अलयी।।यवेश्व्र=अलयी।। गंगाधरापत्यय=यमुगाम।। लाख मूड़ी गणेश्वतर=परम गढ़।। सिधू=वाड़वन।। दो दण्डश अल्प यी लोआमबाती गसाई= डीह।। रूद= खड़हर।। रमाई=राजे वासी विश्वेाश्वीर मतिश्वरर उसरौली।। वेद सन्तयति=मलंगिया नान्य्पुर अलई, सिमरी, रोहुआ समेत गंगुआल बाथ राजपुर वासी।। किचिधरापत्यई=सकुरी जयकरापत्यख= कड़रायिनि।। सुधाकरापत्य कड़रायिनि, मुराजपुर।। गोनन-कटमा गंगोली बेकक समेत। कोठों कतमा।। साठ विशाही दोलमानपूर।। रूद्र=गंगोली।। कुशल गुणिया= जरगाना जालय समेत एते बभनियाम ग्राम:।।
अथ खौआल ग्राम: श्रीकरापत्यत=महनौरा।। रतिकर सुधाकरपत्यव=महुआ।। चन्द्र कर पत्यग= महुआ।।रूचिकरपत्यि=महुआ मतिनुपुर।। स्थितिकारासं महिन्द्राग दिवाकरापत्यय=कोबोली।।हरिकरापत्य -महुआ।।आदावन=परसौनी।।बाधे ढोढ़े सन्तिमत=सोहुआ।। वेणी सन्तमति रोहुआ।। उमापति सन्त्ति=नाहस ।। विश्वहनाथस अहित।। बुद्धिनाथ रूचिनापात्यु=खड़ीक।। रघुनाथापत्ये=द्वारम।। विष्णु सन्ति।त=द्वाछगम।। नोने जगनाथापत्यि=बुसवन।। राम मुरारी शुक्र सन्तिुत= पण्डोथली।।
(12) ''ई''
बाटू सन्तमति=ब्रहनपुर तिरहर मोडु।। साधुकरापत्यन=दडि़मा।। हरानन्दत, सन्तपति=अहियाई।। भवादित्यािपत्य =नाहस देशुआल।। पॉंखू=बेहटा।। भवे सन्तबति धर्मकरापत्यध=देशुआल।।डालू सन्तहति=दडि़मा।। दामोदरा पत्यत= तरहट ब्रहमपुर।। राजनापत्य्=ययुआल।। प्रितिकरा पत्य =पचाडीह (पचाढ़ी।। पतौना खौआल दिवाकरापल = घुघुआ।। भवादित्यादपत्यि=ककरोड़ स्वंरगरैठा समेत।। बैद्यनाथ प्रजाकारक रघुनाथ कामदेव-मौनी, परसौनी।।गोपालायह कृष्णा पत्यन =कुर्मार, खेलई।। शशिघरापत्य नरसिंहपत्यव= बोढ़वाड़ी कोकडी, छतौनिया।। दामोदरपत्यद=कोकडीह ।। नयादित्याा पत्य =बेजौली।। दूरि सन्तरति जयदित्या।पत्यि सुखेत, सर्दसीमा।। शुचिकरापत्या=दिगुन्धी।। आड़ू सन्तयति रघुनाथ पत्यत= मुराजपुरब्रहपुर।। जीवश्ेवरपत्यय= दिगुम्धद।। भवेसन्तित= मिट्टी, सतैढ़, बेहर।। इबे=सन्तति=ब्रहमपुर।।हेलु सन्त्ति =सतैढ़ रविकर सन्तति तत्रैव प्रसाद मधुकर सन्तति बेहदा।। दिवाकरापत्यर पिथनपुरा।। गंगेश्वर पत्यक=कुरमा, लोहपुर।। लम्बो दर सन्ततति=कुरमा।। नादू सन्ततति= पिथनपूा।। राजपण्डित सह कुरूमा रामकर सन्तति मिट्ठी खंगरैठा गनाम।। आड़नि सन्ति्त=सौराठ।। मनि गहाई, के उँदू सन्तसति=सिम्बतरवाड़।। एते खैआल ग्राम:।
अथ संकराढी ग्राम:-महामहोकारू सन्तिम भगद्धर गोविन्दद सकुरी।। प्रितिकर=कादिगामा।। शुमे सन्ततति=अलय महाम्होा हरिहापत्यत= सुन्दकरे गोपालपुर।। जयादित्यार पत्सई=मतुनी सरावय।। परमेश्विर=नेयाम।। सदु सुपे हरडी।। रामधरापत्यत= अलय ।। हरिशर्मा सन्तदति=सिधन मुरहदीन रे कोरा संकखढ़ी-होरे-चांड़ी-परहट।। सोम-गोम=शक्रिरायपुर।। हरिश्व्र=सकराढ़ी वासी।। जीवेश्व र 1 पत्यद=बेला अधगाठ।। शयन इरिकादि
(13)
नोने विभू सिंधिया=गढ़ बेलउँच=सुपन भकुनौली।। कौशिक=कुसौली 11 लक्षमीपाणि=सुशरी।। पॉंपू=देयरही।। एते बेलउँच ग्राम: अथन नरउन ग्राम: बेलमोहन नाउन ज्य टाधरातल=मदनपुर।। रातूसनतति=कडियन।।। गर्ब्बेीश्वुरापत्ये:सिंधिया ।। डालू सन्तिव रूचिकर: मलिछाम।। चन्द्रगकर टुने सन्तमति =सुलहनी।। विशोसन्तिन= त्रिपुरौली।। हेनसन्त्र।ति भखरौली।। दिवाकर पता: सुरसर, कवयी।। दिनकरापत्यन=पुड़े।। खांतू कोने=वत्ससवाल।। शक्रिरायपुर नाउन=दामोदरपत्य।=जरहटिया। मुरारी=तेघरा।। योगीश्वररापत्य =अवेश्विरा पत्यर नयगामा भरवरौलीसमेत।। एते नाउन गाम:।। अथ पनिचोभ ग्राम:-मधुकरापत्यम=तरौनी, झाौआ, पदमपुर।। शिवपति, गुणेश्वतरापत्यव=सुलहनी।। विशो हातू सन्तनति= असौली भवेश्वरापत्यन मैलाम।। जौन सन्तिक=आहिता।। पशु आदितू= डीह आहिल।। बाबू पाठकादि= मैलाम, कटउना विसपी समेत।। कामेश्वोरापस पौनी, सकियाल। देहरि सन्तति= कनौती, तरौनी लान्ह सन्त ति=उल्लूर।। जगन्नााथपत्यप हरदत्त= खड़का, बगड़ा बयना समेत।। आउनिसुत पदमादितपत्यल= मंगनी, सिररूडि़या, महालठी, लोही, चकरस्ट्, कर्नमान तरकीस समेत ।। हरिनाथपत्यद मखनाहा कमोली।। चण्डेेश्वार पत्यु हरिवंश सुत रतनाक रायपत्यग=बथैया ।। चक्रेश्व र= कुरमा।। बाटू सन्तरति=चक्रहद, सिउली बाठी।। विरपुर पनिचोम= रातू सन्तिह= सुन्दतवान।। हारू सन्तरति करियन।। वास्तुु सन्त ति=मिट्टी।। महेश्वनरापत्य।= देशुआल।। दिनकर मधुकरापत्यु=जरहरिया ।। रामेश्वहर सन्त्र ति चन्द्र करापत्य्=अलदाश।। विर सन्तति केशवापत्यत = भरौर, शहजादपुर, वलिया समेत।। वासुदेव सन्तपति ददरी।। सोने सन्त।ति= ब्रहमौलि।। धराई सन्तति=अमरावती = रात सन्तति= करहिया, उसरौली आदित्य डीह।। हरिश्वेरापत्य =डीहा।।सोमेश्वतर=बधांतडीह।। रधु: रामपुर डीटा रवि गोपाल=तरौनी।। हरिशर्मापत्य,= महुआ।। बाटनापत्यह=तरौनी, बैगनी।। रूचिशर्म्मार= जगन्ना थ, मटिराम।। शुचिनाथा यत्यर= ततैल ।। शीशधर= ब्रहमापुर नेहरा, भवनापापत्या पुरसौली।। देवादित्यारपत्य।=पुरूषौली।। ऐते पनिचोभ ग्राम:।। अथ कुजौली ग्राम:-गोपाल सन्ति त= यशोधर= बेहटा।। सुपन, नाँथू लक्ष्मी कर=मरबहरौलीं।।जीवे, जोर= मलंगिया।। मेधाकर=वनकुजौली।। रातू सिम्मुानाम कन्धिराइन।। सुरपति।। गणपति=दिगउन्धा।। दिगउन्धम।। लक्ष्मी् पति महिन्द्र बाड़।। चण्डेगवर हरि=दिगउन्दी साने-लोड़ाक, महारनी।। विष्णु।कर=परसौनी।। रूपन कनधरानि।। सोम=लोआम।। राजूसन्तहति सुधाकर= सरावय।। लक्ष्मी।कर सुत प्रजाकर अमृतकर=बजौली।
(14) ''14''
अथ गोत्र पन्जीक लिखाते।।:-शाण्डिल्येप दिघोष: सरिसन, महुआ, पर्वपल्ली (पबौली) खगुबला, गंगोली, समुगाम, करियन, मोहारी, सझुआल, भंडार:।। पण्डो:ली जतजवाल, दहिमत, तिलई, माहब, सिम्मुलनाम सिहांश्रम, ससारव: (सोठारपुर) स्तरलित कड़रिया, अल्लातरि, होईया, समेत तल्हानपुर, परिसरा, परसंड, वीर नाम, उन्तहमपु कोदरिया, धतिमन, बरेबा मधवाल, गंगोरश्रय, भटौरा, बुधौरा ब्रहमपुरा कोइगार, केरहिवार, गंगुआलश्चस, धोसियाम, छतौनी, मिगुआल ननौती, तपनपुरश्वापइति शक्ति अथ वत्सम गोत्र:-पल्लील (पाली) हरिअम्बत, तिसुरी, राउढ़ टंकबाल धुसौत, जजुआल, पहद्दी जल्लरकी (जलाय) मन्दतवाल, कोइयार, केरहिवार, ननौर, उढ़ार प्रथि करमाहा बुधवाल, भड़ार लाही, सोइनि सकौना फनन्दबह, मोहरी, बढ़वाल तिसउँत वह आली पण्डोशलि, बहेरादी, बरैवा, भण्डाारिसम, बमनियाम, उचित, तमनपुरा, बिढुआ नरवाल, चित्रपल्ली , जरहटिया, रतवाल, ब्रहमपुरा सरौनी।। एते वता गोत्रा अपकार्यक गोत्र-दानशौर्य प्रतापैक्ष प्रसिद्ध यत्र पर्थिका ओडनिसा सर्वत: श्रेष्ठाम स्वतस्व र्ध्म् प्रर्तिका ओइनि, खौआला संकराढ़ी, जगति, दरिहरा, माण्ड्र बलियास, पचाउट, कटाई, सतलखा पण्डुसआ, मानिद्व मेरन्दीट मडुआल सकल पकलिया बुधयल, पिमूया मौरि जनक मूलहरी महा काशमे छादनश्च, थरिया, दोस्तीर, मरेहा, कुसुमालंच, नरवाल, नगुरदहश्रय ।। एते काश्यलय शोत्रा।।
(15)
अथ पराशरं गोत्र:-नरउन सुरगन सकुरी सुइरी पिहवाल, नदाम महेशरि सकरहोन सोइनि तिलै करेवा का का पिभाएते पत्रशर गोत्रा अथ कात्या यन गोत्र: कुर्जीली, ननोत, जल्लसकी, व्रतिगामध्यत।। एते कात्यावयन गोत्रा:।। अध सावर्ण गोत्र: सोन्द्पुर पनिचोभ करेवा नन्दोतर मेरन्दीत।। अय अलाम्बु्काक्ष गोत्र:वस्मामम्प्रसलाम्बुवकाक्ष कटज्ञई ब्रहमपुरा आदि। ।।अथ कौशि गोत्रे-निखति अथ कृष्णासत्रय गोत्र लोहना बुसवन सान्द्रन पोदोनी च ।। अथ गौतम गोत्र:-ब्रहमपुरा उचितमपुर कोइयां चादि गौतमो।। अथ भादद्वाज गोत्र: एक हरा बेलउल (विस्वदपंचक) देयामश्रयापि कलिगाम मूतहरी गोढ़ार गोधोलिन्दा एते भारद्वाज गोया अथ मोडल्यह गोत्र: कौशिल्ये- पुनश्चण को थुआ विष्णुनव़द्धि वाल ।। एते वशिष्ठ गोत्रा:। अद कौण्ड़ल्यन गोत्र:-एक द्रयर्यूपश ल्युर पाउन रूपी गोत्राजन्य एते कौण्डिल्यो गोत्र।। अथ परसातंडी गोत्रे=कटाई।।
16 ''ऐ''
17
विशाद कुसुम तुष्टाव पुण्ड री कोप विष्टार धवल वसन वेषा मालती वद्ध केशा।। राशिघर कर वर्णा शुभ्रजा तुड़ वस्त्रु जयति जीत समस्ताक भाखी वेणु हस्ता्।। सरस्वपती महामायै विद्याकमल लोचिनी। विश्व रूप विशालाक्षि विधान्दे्रि परमेश्व री।। एक दन्ति महावुद्धि सर्वाजोगणनाय: सर्वसिद्ध करादेवों गौरीपुत्र विमानन गंगोली सँ बीजी गंगाधर: ए सुतो वीर (110511040) नारायणों। तत्र नारायण सुत: (111811021) ए सुतो हाले शॉंई कौ।। थरिया संकान्हध दौ।। खण्ड बला गा्रमोपार्यक: साउँक: शकर्षण परनामा ए सुता भद्रेश्वार दामोदर 1105/06।। बैकुण्ठं नील कंठ श्री कंठ ध्याकनकंठा ।। तत्र 1109/010 दामोदर एकमावासी बैकुण्ठय सन्ताति पाठक वासी।। नीलकंठ संतित संसारगुरदी वासी।। श्री कंठ संतति गुरदी, हरड़ी सरपरब, और वासिन्यल:।। श्री कंठ सुता ध्या नकंठा।। तत्र 1109/01 दामोदर एकमावासी बैकुण्ठ सन्ति।त पाठक वासी नीलकंठ संतति संसार गुरदी वासी।। श्री कंठ संतति गुरदी, हरड़ी सरपरक और वासिन्यं:।। श्रीकंठ सुता श्यामकंठ हरिकंठ नित्याीन्दि गंगेश्वसर देवानन्दि हरदत्त हरिकेशा: तत्रादयो पन्चाज्ये्ष्ठ सकराढ़ी में डालू सुत दौपतौनाखामासॅ गणपित छोणा। अन्यों पतऔना खौआल सँ गणपरति दो।। तत्र गंगेश्वसर सुता हल्लें वर चक्रेवश्रर पक्षीवरा: सँ सुत दो सँ छो तल्लेम श्वोरों गुरदीवासी।। चक्रश्वलरों हड़री वासी।। ए सुतो पदमनाम: डीह भण्डरिसम सँ शोरि दौ।। तत्र पदमनाम सुतो पुरूषोतम: गढ़ बेल उँच अभिन्नोद हौ
18
पुरूषोत्तम सुतो ज्ञानपति: मांडबेस्टद स हरिकर सुत बाटू दो।। ज्ञान पति सुतो उँमापति सुरपति एकमा बलियास सँ आडनिसुत बाढ़ दौ।। एकमा बब्यिास सँ बीजी वरणीधर। एक सुता पदमनाम श्री निधि श्री (1115/0411) नाया:।।
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भारत आऽ नेपालक मैथिली भाषा-वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली
मैथिलीक मानक लेखन-शैली
१.मैथिली अकादमी, पटना आऽ २.नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली।
१.मैथिली अकादमी, पटना द्वारा निर्धारित मैथिली लेखन-शैली
1. जे शब्द मैथिली-साहित्यक प्राचीन कालसँ आइ धरि जाहि वर्त्तनीमे प्रचलित अछि, से सामान्यतः ताहि वर्त्तनीमे लिखल जाय- उदाहरणार्थ-
ग्राह्य
एखन
ठाम
जकर,तकर
तनिकर
अछि
अग्राह्य
अखन,अखनि,एखेन,अखनी
ठिमा,ठिना,ठमा
जेकर, तेकर
तिनकर।(वैकल्पिक रूपेँ ग्राह्य)
ऐछ, अहि, ए।
2. निम्नलिखित तीन प्रकारक रूप वैक्लपिकतया अपनाओल जाय:भ गेल, भय गेल वा भए गेल। जा रहल अछि, जाय रहल अछि, जाए रहल अछि। कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।
3. प्राचीन मैथिलीक ‘न्ह’ ध्वनिक स्थानमे ‘न’ लिखल जाय सकैत अछि यथा कहलनि वा कहलन्हि।
4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय लिखल जाय जत’ स्पष्टतः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृश उच्चारण इष्ट हो। यथा- देखैत, छलैक, बौआ, छौक इत्यादि।
5. मैथिलीक निम्नलिखित शब्द एहि रूपे प्रयुक्त होयत:जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैह तथा दैह।
6. ह्र्स्व इकारांत शब्दमे ‘इ’ के लुप्त करब सामान्यतः अग्राह्य थिक। यथा- ग्राह्य देखि आबह, मालिनि गेलि (मनुष्य मात्रमे)।
7. स्वतंत्र ह्रस्व ‘ए’ वा ‘य’ प्राचीन मैथिलीक उद्धरण आदिमे तँ यथावत राखल जाय, किंतु आधुनिक प्रयोगमे वैकल्पिक रूपेँ ‘ए’ वा ‘य’ लिखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इत्यादि।
8. उच्चारणमे दू स्वरक बीच जे ‘य’ ध्वनि स्वतः आबि जाइत अछि तकरा लेखमे स्थान वैकल्पिक रूपेँ देल जाय। यथा- धीआ, अढ़ैआ, विआह, वा धीया, अढ़ैया, बियाह।
9. सानुनासिक स्वतंत्र स्वरक स्थान यथासंभव ‘ञ’ लिखल जाय वा सानुनासिक स्वर। यथा:- मैञा, कनिञा, किरतनिञा वा मैआँ, कनिआँ, किरतनिआँ।
10. कारकक विभक्त्तिक निम्नलिखित रूप ग्राह्य:-हाथकेँ, हाथसँ, हाथेँ, हाथक, हाथमे। ’मे’ मे अनुस्वार सर्वथा त्याज्य थिक। ‘क’ क वैकल्पिक रूप ‘केर’ राखल जा सकैत अछि।
11. पूर्वकालिक क्रियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अव्यय वैकल्पिक रूपेँ लगाओल जा सकैत अछि। यथा:- देखि कय वा देखि कए।
12. माँग, भाँग आदिक स्थानमे माङ, भाङ इत्यादि लिखल जाय।
13. अर्द्ध ‘न’ ओ अर्द्ध ‘म’ क बदला अनुसार नहि लिखल जाय, किंतु छापाक सुविधार्थ अर्द्ध ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदला अनुस्वारो लिखल जा सकैत अछि। यथा:- अङ्क, वा अंक, अञ्चल वा अंचल, कण्ठ वा कंठ।
14. हलंत चिह्न नियमतः लगाओल जाय, किंतु विभक्तिक संग अकारांत प्रयोग कएल जाय। यथा:- श्रीमान्, किंतु श्रीमानक।
15. सभ एकल कारक चिह्न शब्दमे सटा क’ लिखल जाय, हटा क’ नहि, संयुक्त विभक्तिक हेतु फराक लिखल जाय, यथा घर परक।
16. अनुनासिककेँ चन्द्रबिन्दु द्वारा व्यक्त कयल जाय। परंतु मुद्रणक सुविधार्थ हि समान जटिल मात्रा पर अनुस्वारक प्रयोग चन्द्रबिन्दुक बदला कयल जा सकैत अछि। यथा- हिँ केर बदला हिं।
17. पूर्ण विराम पासीसँ ( । ) सूचित कयल जाय।
18. समस्त पद सटा क’ लिखल जाय, वा हाइफेनसँ जोड़ि क’ , हटा क’ नहि।
19. लिअ तथा दिअ शब्दमे बिकारी (ऽ) नहि लगाओल जाय।
20. अंक देवनागरी रूपमे राखल जाय।
21.किछु ध्वनिक लेल नवीन चिन्ह बनबाओल जाय। जा' ई नहि बनल अछि ताबत एहि दुनू ध्वनिक बदला पूर्ववत् अय/ आय/ अए/ आए/ आओ/ अओ लिखल जाय। आकि ऎ वा ऒ सँ व्यक्त कएल जाय।
ह./- गोविन्द झा ११/८/७६ श्रीकान्त ठाकुर ११/८/७६ सुरेन्द्र झा "सुमन" ११/०८/७६
२.नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली
मैथिलीमे उच्चारण तथा लेखन
१.पञ्चमाक्षर आ अनुस्वार: पञ्चमाक्षरान्तर्गत ङ, ञ, ण, न एवं म अबैत अछि। संस्कृत भाषाक अनुसार शब्दक अन्तमे जाहि वर्गक अक्षर रहैत अछि ओही वर्गक पञ्चमाक्षर अबैत अछि। जेना-
अङ्क (क वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ङ् आएल अछि।)
पञ्च (च वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ञ् आएल अछि।)
खण्ड (ट वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ण् आएल अछि।)
सन्धि (त वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे न् आएल अछि।)
खम्भ (प वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे म् आएल अछि।)
उपर्युक्त बात मैथिलीमे कम देखल जाइत अछि। पञ्चमाक्षरक बदलामे अधिकांश जगहपर अनुस्वारक प्रयोग देखल जाइछ। जेना- अंक, पंच, खंड, संधि, खंभ आदि। व्याकरणविद पण्डित गोविन्द झाक कहब छनि जे कवर्ग, चवर्ग आ टवर्गसँ पूर्व अनुस्वार लिखल जाए तथा तवर्ग आ पवर्गसँ पूर्व पञ्चमाक्षरे लिखल जाए। जेना- अंक, चंचल, अंडा, अन्त तथा कम्पन। मुदा हिन्दीक निकट रहल आधुनिक लेखक एहि बातकेँ नहि मानैत छथि। ओलोकनि अन्त आ कम्पनक जगहपर सेहो अंत आ कंपन लिखैत देखल जाइत छथि।
नवीन पद्धति किछु सुविधाजनक अवश्य छैक। किएक तँ एहिमे समय आ स्थानक बचत होइत छैक। मुदा कतोकबेर हस्तलेखन वा मुद्रणमे अनुस्वारक छोटसन बिन्दु स्पष्ट नहि भेलासँ अर्थक अनर्थ होइत सेहो देखल जाइत अछि। अनुस्वारक प्रयोगमे उच्चारण-दोषक सम्भावना सेहो ततबए देखल जाइत अछि। एतदर्थ कसँ लऽकऽ पवर्गधरि पञ्चमाक्षरेक प्रयोग करब उचित अछि। यसँ लऽकऽ ज्ञधरिक अक्षरक सङ्ग अनुस्वारक प्रयोग करबामे कतहु कोनो विवाद नहि देखल जाइछ।
२.ढ आ ढ़ : ढ़क उच्चारण “र् ह”जकाँ होइत अछि। अतः जतऽ “र् ह”क उच्चारण हो ओतऽ मात्र ढ़ लिखल जाए। आनठाम खालि ढ लिखल जएबाक चाही। जेना-
ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ, ढङ्ग, ढेरी, ढाकनि, ढाठ आदि।
ढ़ = पढ़ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब, बुढ़बा, साँढ़, गाढ़, रीढ़, चाँढ़, सीढ़ी, पीढ़ी आदि।
उपर्युक्त शब्दसभकेँ देखलासँ ई स्पष्ट होइत अछि जे साधारणतया शब्दक शुरूमे ढ आ मध्य तथा अन्तमे ढ़ अबैत अछि। इएह नियम ड आ ड़क सन्दर्भ सेहो लागू होइत अछि।
३.व आ ब : मैथिलीमे “व”क उच्चारण ब कएल जाइत अछि, मुदा ओकरा ब रूपमे नहि लिखल जएबाक चाही। जेना- उच्चारण : बैद्यनाथ, बिद्या, नब, देबता, बिष्णु, बंश, बन्दना आदि। एहिसभक स्थानपर क्रमशः वैद्यनाथ, विद्या, नव, देवता, विष्णु, वंश, वन्दना लिखबाक चाही। सामान्यतया व उच्चारणक लेल ओ प्रयोग कएल जाइत अछि। जेना- ओकील, ओजह आदि।
४.य आ ज : कतहु-कतहु “य”क उच्चारण “ज”जकाँ करैत देखल जाइत अछि, मुदा ओकरा ज नहि लिखबाक चाही। उच्चारणमे यज्ञ, जदि, जमुना, जुग, जाबत, जोगी, जदु, जम आदि कहल जाएवला शब्दसभकेँ क्रमशः यज्ञ, यदि, यमुना, युग, याबत, योगी, यदु, यम लिखबाक चाही।
५.ए आ य : मैथिलीक वर्तनीमे ए आ य दुनू लिखल जाइत अछि।
प्राचीन वर्तनी- कएल, जाए, होएत, माए, भाए, गाए आदि।
नवीन वर्तनी- कयल, जाय, होयत, माय, भाय, गाय आदि।
सामान्यतया शब्दक शुरूमे ए मात्र अबैत अछि। जेना एहि, एना, एकर, एहन आदि। एहि शब्दसभक स्थानपर यहि, यना, यकर, यहन आदिक प्रयोग नहि करबाक चाही। यद्यपि मैथिलीभाषी थारूसहित किछु जातिमे शब्दक आरम्भोमे “ए”केँ य कहि उच्चारण कएल जाइत अछि।
ए आ “य”क प्रयोगक प्रयोगक सन्दर्भमे प्राचीने पद्धतिक अनुसरण करब उपयुक्त मानि एहि पुस्तकमे ओकरे प्रयोग कएल गेल अछि। किएक तँ दुनूक लेखनमे कोनो सहजता आ दुरूहताक बात नहि अछि। आ मैथिलीक सर्वसाधारणक उच्चारण-शैली यक अपेक्षा एसँ बेसी निकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आदि कतिपय शब्दकेँ कैल, हैब आदि रूपमे कतहु-कतहु लिखल जाएब सेहो “ए”क प्रयोगकेँ बेसी समीचीन प्रमाणित करैत अछि।
६.हि, हु तथा एकार, ओकार : मैथिलीक प्राचीन लेखन-परम्परामे कोनो बातपर बल दैत काल शब्दक पाछाँ हि, हु लगाओल जाइत छैक। जेना- हुनकहि, अपनहु, ओकरहु, तत्कालहि, चोट्टहि, आनहु आदि। मुदा आधुनिक लेखनमे हिक स्थानपर एकार एवं हुक स्थानपर ओकारक प्रयोग करैत देखल जाइत अछि। जेना- हुनके, अपनो, तत्काले, चोट्टे, आनो आदि।
७.ष तथा ख : मैथिली भाषामे अधिकांशतः षक उच्चारण ख होइत अछि। जेना- षड्यन्त्र (खड़यन्त्र), षोडशी (खोड़शी), षट्कोण (खटकोण), वृषेश (वृखेश), सन्तोष (सन्तोख) आदि।
८.ध्वनि-लोप : निम्नलिखित अवस्थामे शब्दसँ ध्वनि-लोप भऽ जाइत अछि:
(क)क्रियान्वयी प्रत्यय अयमे य वा ए लुप्त भऽ जाइत अछि। ओहिमेसँ पहिने अक उच्चारण दीर्घ भऽ जाइत अछि। ओकर आगाँ लोप-सूचक चिह्न वा विकारी (’ / ऽ) लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय) पड़तौक।
अपूर्ण रूप : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।
पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।
(ख)पूर्वकालिक कृत आय (आए) प्रत्ययमे य (ए) लुप्त भऽ जाइछ, मुदा लोप-सूचक विकारी नहि लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।
अपूर्ण रूप : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।
(ग)स्त्री प्रत्यय इक उच्चारण क्रियापद, संज्ञा, ओ विशेषण तीनूमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : दोसरि मालिनि चलि गेलि।
अपूर्ण रूप : दोसर मालिन चलि गेल।
(घ)वर्तमान कृदन्तक अन्तिम त लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : पढ़ैत अछि, बजैत अछि, गबैत अछि।
अपूर्ण रूप : पढ़ै अछि, बजै अछि, गबै अछि।
(ङ)क्रियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप: छियौक, छियैक, छहीक, छौक, छैक, अबितैक, होइक।
अपूर्ण रूप : छियौ, छियै, छही, छौ, छै, अबितै, होइ।
(च)क्रियापदीय प्रत्यय न्ह, हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : छन्हि, कहलन्हि, कहलहुँ, गेलह, नहि।
अपूर्ण रूप : छनि, कहलनि, कहलौँ, गेलऽ, नइ, नञि, नै।
९.ध्वनि स्थानान्तरण : कोनो-कोनो स्वर-ध्वनि अपना जगहसँ हटिकऽ दोसरठाम चलि जाइत अछि। खास कऽ ह्रस्व इ आ उक सम्बन्धमे ई बात लागू होइत अछि। मैथिलीकरण भऽ गेल शब्दक मध्य वा अन्तमे जँ ह्रस्व इ वा उ आबए तँ ओकर ध्वनि स्थानान्तरित भऽ एक अक्षर आगाँ आबि जाइत अछि। जेना- शनि (शइन), पानि (पाइन), दालि ( दाइल), माटि (माइट), काछु (काउछ), मासु(माउस) आदि। मुदा तत्सम शब्दसभमे ई नियम लागू नहि होइत अछि। जेना- रश्मिकेँ रइश्म आ सुधांशुकेँ सुधाउंस नहि कहल जा सकैत अछि।
१०.हलन्त(्)क प्रयोग : मैथिली भाषामे सामान्यतया हलन्त (्)क आवश्यकता नहि होइत अछि। कारण जे शब्दक अन्तमे अ उच्चारण नहि होइत अछि। मुदा संस्कृत भाषासँ जहिनाक तहिना मैथिलीमे आएल (तत्सम) शब्दसभमे हलन्त प्रयोग कएल जाइत अछि। एहि पोथीमे सामान्यतया सम्पूर्ण शब्दकेँ मैथिली भाषासम्बन्धी नियमअनुसार हलन्तविहीन राखल गेल अछि। मुदा व्याकरणसम्बन्धी प्रयोजनक लेल अत्यावश्यक स्थानपर कतहु-कतहु हलन्त देल गेल अछि। प्रस्तुत पोथीमे मथिली लेखनक प्राचीन आ नवीन दुनू शैलीक सरल आ समीचीन पक्षसभकेँ समेटिकऽ वर्ण-विन्यास कएल गेल अछि। स्थान आ समयमे बचतक सङ्गहि हस्त-लेखन तथा तकनिकी दृष्टिसँ सेहो सरल होबऽवला हिसाबसँ वर्ण-विन्यास मिलाओल गेल अछि। वर्तमान समयमे मैथिली मातृभाषीपर्यन्तकेँ आन भाषाक माध्यमसँ मैथिलीक ज्ञान लेबऽ पड़िरहल परिप्रेक्ष्यमे लेखनमे सहजता तथा एकरूपतापर ध्यान देल गेल अछि। तखन मैथिली भाषाक मूल विशेषतासभ कुण्ठित नहि होइक, ताहूदिस लेखक-मण्डल सचेत अछि। प्रसिद्ध भाषाशास्त्री डा. रामावतार यादवक कहब छनि जे सरलताक अनुसन्धानमे एहन अवस्था किन्नहु ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाक विशेषता छाँहमे पडि जाए। हमसभ हुनक धारणाकेँ पूर्ण रूपसँ सङ्ग लऽ चलबाक प्रयास कएलहुँ अछि।
पोथीक वर्णविन्यास कक्षा ९ क पोथीसँ किछु मात्रामे भिन्न अछि। निरन्तर अध्ययन, अनुसन्धान आ विश्लेषणक कारणे ई सुधारात्मक भिन्नता आएल अछि। भविष्यमे आनहु पोथीकेँ परिमार्जित करैत मैथिली पाठ्यपुस्तकक वर्णविन्यासमे पूर्णरूपेण एकरूपता अनबाक हमरासभक प्रयत्न रहत।
कक्षा १० मैथिली लेखन तथा परिमार्जन महेन्द्र मलंगिया/ धीरेन्द्र प्रेमर्षि संयोजन- गणेशप्रसाद भट्टराई
प्रकाशक शिक्षा तथा खेलकूद मन्त्रालय, पाठ्यक्रम विकास केन्द्र,सानोठिमी, भक्तपुर
सर्वाधिकार पाठ्यक्रम विकास केन्द्र एवं जनक शिक्षा सामग्री केन्द्र, सानोठिमी, भक्तपुर।
पहिल संस्करण २०५८ बैशाख (२००२ ई.)
योगदान: शिवप्रसाद सत्याल, जगन्नाथ अवा, गोरखबहादुर सिंह, गणेशप्रसाद भट्टराई, डा. रामावतार यादव, डा. राजेन्द्र विमल, डा. रामदयाल राकेश, धर्मेन्द्र विह्वल, रूपा धीरू, नीरज कर्ण, रमेश रञ्जन
भाषा सम्पादन- नीरज कर्ण, रूपा झा
आब १.मैथिली अकादमी, पटना आऽ २.नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैलीक अध्ययनक उपरान्त निम्न बिन्दु सभपर मनन कए निर्णय करू।
ग्राह्य/अग्राह्य
1. होयबला/होबयबला/होमयबला/ हेब’बला, हेम’बलाहोयबाक/होएबाक
2. आ’/आऽ आ
3. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कय लेने/ल’/लऽ/लय/लए
4. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए गेल
5. कर’ गेलाह/करऽ गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह
6. लिअ/दिअ लिय’,दिय’,लिअ’,दिय’
7. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करै बला/क’र’ बला
8. बला वला
9. आङ्ल आंग्ल
10. प्रायः प्रायह
11. दुःख दुख
12. चलि गेल चल गेल/चैल गेल
13. देलखिन्ह देलकिन्ह, देलखिन
14. देखलन्हि देखलनि/ देखलैन्ह
15. छथिन्ह/ छलन्हि छथिन/ छलैन/ छलनि
16. चलैत/दैत चलति/दैति
17. एखनो अखनो
18. बढ़न्हि बढन्हि
19. ओ’/ओऽ(सर्वनाम) ओ
20. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ
21. फाँगि/फाङ्गि फाइंग/फाइङ
22. जे जे’/जेऽ
23. ना-नुकुर ना-नुकर
24. केलन्हि/कएलन्हि/कयलन्हि
25. तखन तँ तखनतँ
26. जा’ रहल/जाय रहल/जाए रहल
27. निकलय/निकलए लागल बहराय/बहराए लागल निकल’/बहरै लागल
28. ओतय/जतय जत’/ओत’/जतए/ओतए
29. की फूड़ल जे कि फूड़ल जे
30. जे जे’/जेऽ
31. कूदि/यादि(मोन पारब) कूइद/याइद/कूद/याद
32. इहो/ओहो
33. हँसए/हँसय हँस’
34. नौ आकि दस/नौ किंवा दस/नौ वा दस
35. सासु-ससुर सास-ससुर
36. छह/सात छ/छः/सात
37. की की’/कीऽ(दीर्घीकारान्तमे वर्जित)
38. जबाब जवाब
39. करएताह/करयताह करेताह
40. दलान दिशि दलान दिश
41. गेलाह गएलाह/गयलाह
42. किछु आर किछु और
43. जाइत छल जाति छल/जैत छल
44. पहुँचि/भेटि जाइत छल पहुँच/भेट जाइत छल
45. जबान(युवा)/जवान(फौजी)
46. लय/लए क’/कऽ
47. ल’/लऽ कय/कए
48. एखन/अखने अखन/एखने
49. अहींकेँ अहीँकेँ
50. गहींर गहीँर
51. धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए
52. जेकाँ जेँकाँ/जकाँ
53. तहिना तेहिना
54. एकर अकर
55. बहिनउ बहनोइ
56. बहिन बहिनि
57. बहिनि-बहिनोइ बहिन-बहनउ
58. नहि/नै
59. करबा’/करबाय/करबाए
60. त’/त ऽ तय/तए
61. भाय भै
62. भाँय
63. यावत जावत
64. माय मै
65. देन्हि/दएन्हि/दयन्हि दन्हि/दैन्हि
66. द’/द ऽ/दए
67. ओ (संयोजक) ओऽ (सर्वनाम)
68. तका’ कए तकाय तकाए
69. पैरे (on foot) पएरे
70. ताहुमे ताहूमे
71. पुत्रीक
72. बजा कय/ कए
73. बननाय
74. कोला
75. दिनुका दिनका
76. ततहिसँ
77. गरबओलन्हि गरबेलन्हि
78. बालु बालू
79. चेन्ह चिन्ह(अशुद्ध)
80. जे जे’
81. से/ के से’/के’
82. एखुनका अखनुका
83. भुमिहार भूमिहार
84. सुगर सूगर
85. झठहाक झटहाक
86. छूबि
87. करइयो/ओ करैयो
88. पुबारि पुबाइ
89. झगड़ा-झाँटी झगड़ा-झाँटि
90. पएरे-पएरे पैरे-पैरे
91. खेलएबाक खेलेबाक
92. खेलाएबाक
93. लगा’
94. होए- हो
95. बुझल बूझल
96. बूझल (संबोधन अर्थमे)
97. यैह यएह
98. तातिल
99. अयनाय- अयनाइ
100. निन्न- निन्द
101. बिनु बिन
102. जाए जाइ
103. जाइ(in different sense)-last word of sentence
104. छत पर आबि जाइ
105. ने
106. खेलाए (play) –खेलाइ
107. शिकाइत- शिकायत
108. ढप- ढ़प
109. पढ़- पढ
110. कनिए/ कनिये कनिञे
111. राकस- राकश
112. होए/ होय होइ
113. अउरदा- औरदा
114. बुझेलन्हि (different meaning- got understand)
115. बुझएलन्हि/ बुझयलन्हि (understood himself)
116. चलि- चल
117. खधाइ- खधाय
118. मोन पाड़लखिन्ह मोन पारलखिन्ह
119. कैक- कएक- कइएक
120. लग ल’ग
121. जरेनाइ
122. जरओनाइ- जरएनाइ/जरयनाइ
123. होइत
124. गड़बेलन्हि/ गड़बओलन्हि
125. चिखैत- (to test)चिखइत
126. करइयो(willing to do) करैयो
127. जेकरा- जकरा
128. तकरा- तेकरा
129. बिदेसर स्थानेमे/ बिदेसरे स्थानमे
130. करबयलहुँ/ करबएलहुँ/करबेलहुँ
131. हारिक (उच्चारण हाइरक)
132. ओजन वजन
133. आधे भाग/ आध-भागे
134. पिचा’/ पिचाय/पिचाए
135. नञ/ ने
136. बच्चा नञ (ने) पिचा जाय
137. तखन ने (नञ) कहैत अछि।
138. कतेक गोटे/ कताक गोटे
139. कमाइ- धमाइ कमाई- धमाई
140. लग ल’ग
141. खेलाइ (for playing)
142. छथिन्ह छथिन
143. होइत होइ
144. क्यो कियो
145. केश (hair)
146. केस (court-case)
147. बननाइ/ बननाय/ बननाए
148. जरेनाइ
149. कुरसी कुर्सी
150. चरचा चर्चा
151. कर्म करम
152. डुबाबय/ डुमाबय
153. एखुनका/ अखुनका
154. लय (वाक्यक अतिम शब्द)- ल’
155. कएलक केलक
156. गरमी गर्मी
157. बरदी वर्दी
158. सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ
159. एनाइ-गेनाइ
160. तेनाने घेरलन्हि
161. नञ
162. डरो ड’रो
163. कतहु- कहीं
164. उमरिगर- उमरगर
165. भरिगर
166. धोल/धोअल धोएल
167. गप/गप्प
168. के के’
169. दरबज्जा/ दरबजा
170. ठाम
171. धरि तक
172. घूरि लौटि
173. थोरबेक
174. बड्ड
175. तोँ/ तूँ
176. तोँहि( पद्यमे ग्राह्य)
177. तोँही/तोँहि
178. करबाइए करबाइये
179. एकेटा
180. करितथि करतथि
181. पहुँचि पहुँच
182. राखलन्हि रखलन्हि
183. लगलन्हि लागलन्हि
184. सुनि (उच्चारण सुइन)
185. अछि (उच्चारण अइछ)
186. एलथि गेलथि
187. बितओने बितेने
188. करबओलन्हि/ करेलखिन्ह
189. करएलन्हि
190. आकि कि
191. पहुँचि पहुँच
192. जराय/ जराए जरा’ (आगि लगा)
193. से से’
194. हाँ मे हाँ (हाँमे हाँ विभक्त्तिमे हटा कए)
195. फेल फैल
196. फइल(spacious) फैल
197. होयतन्हि/ होएतन्हि हेतन्हि
198. हाथ मटिआयब/ हाथ मटियाबय
199. फेका फेंका
200. देखाए देखा’
201. देखाय देखा’
202. सत्तरि सत्तर
203. साहेब साहब
.VIDEHA FOR NON RESIDENTS
.1.Original Maithili Poem by Sh. Ramlochan Thakur translated into English by GAJENDRA THAKUR and Original Maithili Poem by Sh. Krishnamohan Jha translated into English by GAJENDRA THAKUR
.2.THE COMET- English translation of Gajendra Thakur's Maithili Novel Sahasrabadhani translated by Jyoti.
Ramlochan Thakur (1949- ) Senior Poet, theatre artist ,editor and critic of Maithili language. "Itihashanta" and "Deshak nam chhal son chrai", "Apoorva", "Mati Panik Geet"(collection of poems), "Betal Katha"(Satire), "Maithili Lok Katha (Folk Literature), "Ankhi Munane Aankhi Kholane" (Essays).
Gajendra Thakur (b. 1971) is the editor of Maithili ejournal “Videha” that can be viewed at http://www.videha.co.in/ . His poem, story, novel, research articles, epic – all in Maithili language are lying scattered and is in print in single volume by the title “KurukShetram.” He can be reached at his email: ggajendra@airtelmail.in
Original Maithili Poem by Sh. Ramlochan Thakur translated into English by GAJENDRA THAKUR
To younger brother/ its your work
While eating
May be sour in taste
These medicines
The result always good
Tell the diseased
Explain the fact
Its your work.
Sh. Krishnamohan Jha (1968- ), "Ekta Herayal Duniya", collection of poems in Maithili, "Samay Ko Chirkar" collection of poems in Hindi. For Hindi poems "Kanhaiya Smriti Samman" in 1998 and "Hemant Smriti Kavita Samman" in 2003.
Gajendra Thakur (b. 1971) is the editor of Maithili ejournal “Videha” that can be viewed at http://www.videha.co.in/ . His poem, story, novel, research articles, epic – all in Maithili language are lying scattered and is in print in single volume by the title “KurukShetram.” He can be reached at his email: ggajendra@airtelmail.in
Original Maithili Poem by Sh. Krishnamohan Jha translated into English by GAJENDRA THAKUR
To both
Women see Fish
Fish sees women
I’m watching you both.
English Translation of Gajendra Thakur's (Gajendra Thakur (b. 1971) is the editor of Maithili ejournal “Videha” that can be viewed at http://www.videha.co.in/ . His poem, story, novel, research articles, epic – all in Maithili language are lying scattered and is in print in single volume by the title “KurukShetram.” He can be reached at his email: ggajendra@airtelmail.in )Maithili Novel Sahasrabadhani by Smt. Jyoti Jha Chaudhary
Jyoti Jha Chaudhary, Date of Birth: December 30 1978,Place of Birth- Belhvar (Madhubani District), Education: Swami Vivekananda Middle School, Tisco Sakchi Girls High School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU, ICWAI (COST ACCOUNTANCY); Residence- LONDON, UK; Father- Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur; Mother- Smt. Sudha Jha- Shivipatti. Jyoti received editor's choice award from www.poetry.com and her poems were featured in front page of www.poetrysoup.com for some period.She learnt Mithila Painting under Ms. Shveta Jha, Basera Institute, Jamshedpur and Fine Arts from Toolika, Sakchi, Jamshedpur (India). Her Mithila Paintings have been displayed by Ealing Art Group at Ealing Broadway, London.
SahasraBarhani:The Comet
translated by Jyoti
The drama of Danveer Dadhichi was started on the scheduled date. We had reached school before the opening time. On a corner of corridor a bed sheet was hung to make the screen of the stage. The rope couldn’t be tied properly so it was decided that screen would be pulled up and down manually. After that artists started dressing up. Dressing up was very easy. They put dhoti and gamacha on and put powder on face as a make up. Additionally, some other accessories were worn too. The teacher responsible for directing the drama had suddenly remembered some urgent work and had not attended school that day. The elder boys of the village came to know that artists are students of primary school so they started teasing them by passing comments. I warned the artists that they would destroy our drama but younger brother resisted that he would manage even if he was in drama dress he would not mind fighting when it was needed. He shouted that he would take the drama dress off and start reacting if people would keep on doing so but that threatening couldn’t stop the excited boys. Then younger brother had declared that the drama would not be played any more on that day. To teach the lesson to the disturbing elements he ran towards them with a stick. And very soon the environment was filled with the noise of fighting and defending voices. By drama that was to be played by us and was to be directed by me came to an end without completion. I was crossed with the younger brother for a while and he used to say that he just lost my temper but he also insisted that it was not his fault but the environment made by those naughty boys made him to do so. Time passed and my anger was cooled down too. I too lost the enthusiasm of doing Ramleela and other drama.
I never read any subject repeatedly except Maths and Science. Nor did my teacher suggest me to do so. If any student was caught reading History and other subjects twice or thrice then he was given the name of that subject. Whenever such students were seen reading Maths then they had to listen to the comment passed by the teachers that Math was not History so he shouldn’t try it to learn by heart. During rainy days making umbrella from the mat and murmuring countdown while running towards home; in holidays while playing Kabaddi if Master Saheb was seen passing by on cycle then greeting him by continuing game- Kabaddi kabaddi master sahib pranaam kabaddi kabaddi etc. are memories to be treasured. And in one of such incidents I was caught by the opposition team as I breathed in order to greet Master Sahib which was against the rule. That Mater Sahib of Koilakh was so happy that he talked about that incident in the school.
(continued)
(c)२००८. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम नहि अछि ततय संपादकाधीन। विदेह (पाक्षिक) संपादक- गजेन्द्र ठाकुर। एतय प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक लोकनिक लगमे रहतन्हि, मात्र एकर प्रथम प्रकाशनक/ आर्काइवक/ अंग्रेजी-संस्कृत अनुवादक ई-प्रकाशन/ आर्काइवक अधिकार एहि ई पत्रिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौलिक आऽ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) ggajendra@yahoo.co.in आकि ggajendra@videha.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकैत छथि। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ’ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आऽ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर द्वारा मासक 1 आ’ 15 तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।(c) 2008 सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ' आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ' संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि। रचनाक अनुवाद आ' पुनः प्रकाशन किंवा आर्काइवक उपयोगक अधिकार किनबाक हेतु ggajendra@videha.co.in पर संपर्क करू। एहि साइटकेँ प्रीति झा ठाकुर, मधूलिका चौधरी आ' रश्मि प्रिया द्वारा डिजाइन कएल गेल। सिद्धिरस्तु
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"भालसरिक गाछ" Post edited multiple times to incorporate all Yahoo Geocities "भालसरिक गाछ" materials from 2000 onwards as...
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जेठक दुपहरि बारहो कलासँ उगिलि उगिलि भीषण ज्वाला आकाश चढ़ल दिनकर त्रिभुवन डाहथि जरि जरि पछबा प्रचण्ड बिरड़ो उदण्ड सन सन सन सन...
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खंजनि चलली बगढड़ाक चालि, अपनो चालि बिसरली अपन वस्तुलक परित्याकग क’ आनक अनुकरण कयलापर अपनो व्यिवहार बिसरि गेलापर व्यंपग्यय। खइनी अछि दुइ मो...
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7. रचना प्रस्तुतिक शास्त्रीय समीक्षा।
अपन टीका-टिप्पणीमे रचना आ रचनाकार/ प्रस्तुतकर्ताक नाम अवश्य लिखी, से आग्रह, जाहिसँ हुनका लोकनिकेँ त्वरित संदेश प्रेषण कएल जा सकय। अहाँ अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।
"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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