1. मार्कण्डेय प्रवासी- आइ राजनीति
कोठाक बाइजी-सन
अछि आइ राजनीति,
भाड़ाक ताइजी- सन-
अछि आइ राजनीति!
जनताक सड़क खा-पचा
ई प्रसन्न अछि,
खादीक बहिन-भाइजी-
सन आइ राजनीति!
भकसैछ दूधमे-
माँछक खीर पका ई,
नवकी बिलाइजी-सन
अछि आइ राजनीति!
बेटी पुलस्त्य ऋषि-कुलक
रहितो असुरा अछि,
रावणक माइजी-सन-
अछि आइ राजनीति!
टाका बिना दवाइ ई-
रोगीकेँ दैछ नहि,
डाक्टर दाइजी-सन-
अछि आइ राजनीति!
एखनो प्रवासी-
आयाची मिश्रेक साग छथि,
माखन-मलाइजी-सन-
अछि आइ राजनीति!
2.नारायणजी- निरर्थक
अंकुरि गेल अछि बीया
बढ़ैत अछि आकाश दिस
किछु कहबाक छैक ओकरा
दुनियामे, देखयबाक छैक रंग
पृथ्वीक तऽर दिस जे जाइत अच्हि
रसातलसँ पृथ्वी आनऽ जाइत अच्हि
गबैत अच्हि अपन च्हन्द आ प्राणराग
छहोछित भेल पड़ल अछि खोइया
अंकुरि गेलाक बाद
निरर्थक देखाइत अछि
निरर्थक देखल जयबाक चिन्तासँ मुक्त अछि
रखने अछि बीया सहेजि
markandya pravasi aa narayan ji dunu gotek kavitak prastuti bad nik.
ReplyDeletemarkandey pravasi aa narayanji dunu gotek rachna katek sal bad padhlahu
ReplyDeletekavita sabhak prastuti maarkaNDeya pravasee, naaraayaNajee ker nik lagal
ReplyDeletekavita sabh nik neek.
ReplyDeleteबहुत नीक प्रस्तुति
ReplyDeletenik prastuti
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