भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

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Friday, May 08, 2009

वासुदेव सुनानी,

वासुदेव सुनानी,

ओड़िया कवि


ओड़ियासँ अंग्रेजी अनुवाद शैलेन राउत्रॉय आ अंग्रेजीसँ मैथिली गजेन्द्र ठाकुर द्वारा

अनुमति

हमरा अनुमति अछि श्रीमान!

 

हम कए ली विश्राम कनेक काल?

 

अहाँक आदेशानुसार

छाह केँ देने अछि बहारि,

बत्तू केँ देने छी खोआए,

अहाँक नालाकेँ कए देने छी साफ,

नहि रहत कोनो दुर्गन्ध आब।

 

हमर अछि ढोल बजबए बला मधुमाछी

युगसँ अहाँक मनोरंजनार्थ

आ हमर आँगुर स्थिरताक राखए आश

हम करी विश्राम थोड़बे काल?

 

हम करैत छी अनुभव पुरखाक स्वेद

हमर देव, हमर मृतात्मा।

 

ताहि लेल प्रिय श्रीमान्

घंटा भरिक विश्राम मात्र अभिवादन जकाँ

किएक तँ हमर दुर्गन्ध, स्वेदक आ किछु आन वस्तुक।

 हम करए छी प्रतीक्षा अहाँक नीक समय तृप्तिक

संगहि अपन कीट-संक्रमित जिनगीक समाप्तिक संकेतक।

 

प्रतीक्षा सेहि भरि दैत अछि थकान, श्रीमान् प्रियवर

विशेषकए लाख बरखक जहुँ ई होए।

 

से हम करए छी विश्राम थोड़ेक काल, श्रीमान्?

कारण हमरो सन् तुच्छकेँ बुझल छैक छोट-मोट विद्रोहक कला।


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