संपादकीय
मान्यवर,
विदेहक नव अंक (वर्ष २ मास १३ अंक २५) ई पब्लिश भऽ गेल अछि। एहि हेतु लॉग ऑन करू http://www.videha.co.in ई अक प्रिंट फॉर्ममे सेहो अहाँक समक्ष अछि। इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हमारा कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर
2000-2001 मे ढेर रास साइट
मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे www.videha.com पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका www.videha.co.in पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि।कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होअए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी वा तिरहुता डाउनलोड कएल जा सकैत अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि। विदेह भाषापाक रचनालेखन स्तंभ में MS-SQL सर्वर आधारित मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेेजी-मैथिली सर्चेबल ऑनलाइन डिक्शनरी सेहो अछि।
संपादकीय
प्रिय पाठकगण,
विदेहक नव अंक ई पब्लिश भऽ गेल अछि। एहि हेतु लॉग ऑन करू http://www.videha.co.in |
एहि अंकसँ डॉ शम्भु कुमार सिंहक आलेख प्रतियोगी परेक्षार्थीक लेल शुरु कएल गेल अछि।
रंगकर्मी प्रमीला झा नाट्यवृत्ति एहि महत्वपूर्ण नाट्यवृत्तिक संचालनक भार मैलोरंग केँ देल गेल। प्रमीला झा मेमोरियल ट्रस्ट,घोंघौर आ ओकर प्रबंध न्यासी श्री श्रीनारायण झा द्वारा।
रंगकर्मी प्रमीला झा नाट्यवृत्तिक स्थापना प्रथम महिला बाल नाट्य निर्देशक प्रमीला झाक स्मृतिमे भेल अछि। प्रमीला जी जीवन पर्यंत भंगिमा, पटना संग जूड़ि बाल रंगकर्म के बढ़ावा दैत रहलीह। प्रमीलाजीक स्मृति मे स्थापित प्रमीला झा मेमोरियल ट्रस्ट, घोंघौर हुनकर बाल रंगमंच मे अविस्मरणीय योगदानक लेल एहि नाट्यवृत्तिक स्थापना केलक अछि। एकर मूल मे मैथिली रंगमंच पर महिला रंगकर्मीक प्रोत्साहन संग हुनकर सामाजिक सम्मान अछि। एहि नाट्यवृत्तिक संचालनक भार ट्रस्ट द्वारा लोक कलाक लेल समर्पित संस्था मैलोरंग के प्रदान कयल गेल अछि। वर्ष 2006 सँ नियमित रूप सँ ई नाट्यवृत्ति ज्योति वत्स (दिल्ली), रंजू झा (जनकपुर), स्वाति सिंह (पटना), प्रियंका झा (पटना), वंदना डे (सहरसा) के प्रदान कयल गेल छनि।
वर्ष 2008क लेल समूचा मिथिला (भारत+नेपाल) मे चालीस गणमान्य रंगकर्मी/संस्कृतिकर्मी केँ नामक अनुशंसाक लेल पत्र पठाओल गेल छलनि। ओही अनुशंसाक आधार पर प्रथम: मधुमिता श्रीवास्तव (मधुबनी), द्वितीय: वंदना ठाकुर (कोलकाता), तृतीय: नेहा वर्मा (दिल्ली), आ चतूर्थ : विजया लक्ष्मी शिवानी (पटना) अयलीह। किछु पारिवारिक कारण सँ वंदना जी एहि बेर वितरण समारोह मे अयबा सँ असमर्थ भ’ गेलीह तेँ ई क्रम बदलि गेल आ वंदना जीक स्थान अगिला बेरक लेल सुरक्षित राखल गेल अछि।
रंगकर्मी प्रमीला झा नाट्यवृत्ति-2008
तृतीय: विजया लक्ष्मी शिवानी : पटना
शिवानीक जन्म दरभंगाक रसियाड़ी गाम मे भेलनि। ई पछिला तीन साल सँ लगातार मैथिली रंगमंच सँ जुड़ल छथि। शिवानी अरिपन, भंगिमा सन चिर-परिचित रंग संस्था सँ जुड़ल छथि। एहि बीच अहाँ नदी गोंगियायल जाय, मिनाक्षी, घुघ्घू, आगि धधकि रहल अछि, से कोना हेतै ?, अलख निरंजन आदि महत्वपूर्ण नाटक मे अभिनय करैत अपन नीक छवि बनओलन्हि अछि। मनोज मनुज, कौशल किशोर दास आ अरविन्द अक्कू जीक निर्देशन मे काज करैत शिवानीक इच्छा छनि जे वरिष्ठ रंग निर्देशक कुणाल जीक निर्देशन मे सेहो नाटक करी। वरिष्ठ रंगकर्मी प्रेमलता मिश्र जी सन रंगकर्मी बनबाक हिनक मोन छनि। विजया लक्ष्मी शिवानीजीक कहब छनि जे-समकालीन समस्या मैथिली नाटक मे अएबाक चाही जकर एखन तक कमी अछि। पारिजात हरण हिनकर प्रिय नाटक छनि आ शिवानी नब तुरिया केँ कहए चाहैत छथि जे इमानदारी सँ रंगकर्म करबाक चाही।
द्वितीय: नेहा वर्मा: नई दिल्ली
नेहाक जन्म बेगूसरायक न्यू चाणक्य नगर मे भेलनि। ई बच्चे सँ रंगमंच सँ जूड़ल रहलीह अछि। नवतरंग, इप्टा, यात्रीक संग कार्य करैत एखन मैलोरंग दिल्ली सँ रंगकर्म कए रहल छथि। नेहा अनिल पतंग, परवेज़ यूशुफ, संतोष राणा, विजय सिंह पाल, अभिषेक, मनोज मधुकर आ प्रकाश झाक निर्देशन मे नाटक केलीह अछि। हिनका द्वारा कएल गेल प्रमुख नाटक अछि सामा-चकेवा, जट-जटिन, डोम कछ, गोरखधंधा, काठक लोक, कमल मुखी कनिया, एक छल राजा आदि। आगू लगातार मैथिली रंगमंच सँ जुड़ल रहबाक हिनकर इच्छा छनि। हिनकर प्रिय नाटककार आ निर्देशक महेन्द्र मलंगिया छथिन आ रंजू झा (जनकपुर) क अभिनय हिनका प्रभावित करैत छनि। काठक लोक प्रिय नाटक आ प्रगतिशील सोचक संग बेसी युवा केँ होएबाक कारण मैलोरंग नेहाक मनपसंद रंग संस्था छनि। अपन आत्मसमर्पण आ संस्कारक संग रंगकर्म सँ जुड़बाक हिनकर आग्रह छनि नबका कलाकारक लेल। नेहा सी. सी. आर. टी. द्वारा जूनियर स्कॉलर्शिप प्राप्त कएने छथि। एखन राष्ट्रीय कथक केन्द्र सँ कथक मे पोस्ट डिप्लोमाक संग खैरागढ़ विश्वविद्यालय सँ एम. ए. क’ रहल छथि।
प्रथम:
मधुमिता श्रीवास्तव: मधुबनी
मधुमिताक जन्म मधुबनीक सूरत गंज मुहल्लामे भेलनि। बचपने सँ हिनका नृत्य आकर्षित करैत छलनि। विगत दस साल सँ ई मैथिली रंगमंच पर सक्रिय छथि। मधुबनीक इप्टा संग रंगकर्म करैत अहाँ इप्टाक राज्य आ राष्ट्रीय स्तरक महोत्सव मे सेहो शिरकत कएने छी संगहि अहाँ सॉंग आ ड्रामा डिभीजन संग सेहो संबद्ध छी। मुकाभिनयक लेल अहाँ इंटर कॉलेज यूथ फेस्टीवल-03 मे तेसर आ वर्ष 06 मे लोक नृत्यक लेल पहील स्थान प्राप्त कएने छी। अहाँ ओकरा आङनक बारहमासा, ओरिजनल काम, टूटल तागक एकटा ओर, छुतहा घैल, गोनूक गबाह, दुलहा पागल भ’ गेलै, बिजलिया भौजी, बिरजू-बिलटू संग कतेको हिन्दीक नाटक कएने छी। मंचीय नाटक संग नुक्कड़ नाटक मे सेहो मधुमिता बढ़ि चढ़ि क’ भाग लैत रहलीह अछि। झिझिया, झड़नी, जट जटिन डोम कछ एहन कतेको लोक नृत्य, एकल अभिनय, फिल्म सिरियल आदि मे अभिनय क’चुकल मधुमिता नेहरू युवा केन्द्र, एस.एस.बी संग कतेको संस्था सँ सम्मानित कयल गेल छथि।
(आर्काइव- पछिला अंक सभक संपादकीय केर संक्षिप्त अंश)
एहि प्रथमांक केँ प्रस्तुत करैत हम हर्षित छी। एहि मे मिथिला पेंटिंग आ’ संस्कृत शिक्षासँ संबंधित समग्री समयाभावक कारणे नहि देल जा’ सकल। पाठक एहि संबंधित लेख ggajendra@yahoo.co.in केँ अटैचमेण्टकछथि।
01.01.2008
एहि दोसर अंककेँ प्रस्तुत करैत हम हर्षित छी। एहि मे 1. मिथिला पेंटिंग,
2. रचना लिखबासँ पहिने छन्द,संस्कृत-मैथिलीक ज्ञान आ’ अन्यान्य शिक्षा
3. संस्कृत शिक्षाक आ’ 4. ‘बालानाम् कृते’ नामसँ छोट बच्चा संबंधित सामग्री सम्मिलित कएल जा’ रहल अछि। जे मेल सभ प्राप्त भेल ताहि मे oldmani@umainc.com,iipkarna@yahoo.com,jyotiprakash.lal@gmail.comआ’bibhutithakur2000@yahoo.com केर मेल उत्साहवर्द्धक छल आ’ एहिमे किछु महत्त्वपूर्ण सुझाव सेहो प्राप्त भेल। ओहि आधार पर उपरोक्त लिखित चारि स्तंभक अतिरिक्त 5. पंजी-प्रबंध 6. संस्कृत आ’ मिथिला संस्कृत विश्वविद्यालयक प्रासंगिकता आ’ 7. Computers, softwares, interfacing of the old & new (restoring old photographs, songs on disks, tapes, etc) पर सामग्रीक प्रारम्भ कए देल गेल अछि।अगला अंकसँ संगीत-शिक्षाक आरंभ कएल जायत।पाठक एहि सभसँ संबंधित आ’ अन्यान्य रचना सभ ggajendra@yahoo.co.in केँ अटैचमेण्टक रूपमे .doc, .txt किंवा .pdf फॉर्मेटमे पठाए सकैत छथि। पछिला साल तीन महिना मीराम्बिका आ मदर इंटरनेशनलक शिक्षक-शिक्षिकाकेँ संस्कृत संभाषणक शिक्षा देबाक हेतु श्री अरविन्द आश्रम,नव देहली मे हमरा बजाओल गेल छल। ओहि क्रममे जे नोट बनओलहुँ तकरे संस्कृत शिक्षाक अंतर्गत हम दए रहल छी।
15.01.2008
विदेहक एहि अंककेँ प्रस्तुत करैत हम हर्षित छी।।एहि अंकसँ संगीत-शिक्षाक आरंभ कएल जा रहल अछि।
विकीपीडिया पर मैथिली पर लेख तँ छल मुदा मैथिलीमे लेख नहि छल,कारण मैथिलीक विकीपीडियाक स्वीकृति नहि भेटल छल। हम बहुत दिनसँ एहिमे लागल रही,आ’ सूचित करैत हर्षित छी जे 27.01.2008 केँ भाषाकेँ विकी शुरू करबाक हेतु स्वीकृति भेटल छैक, मुदा एहि हेतु कमसँ कम पाँच गोटे,विभिन्न जगहसँ एकर एडिटरक रूपमे नियमित रूपेँ कार्य करथि तखने योजनाकेँ पूर्ण स्वीकृति भेटतैक। नीचाँ लिखल लिंक पर जाय एडिट कए एहि प्रोजेक्टमे अहाँ सभ सहयोग करब, से आशा अछि। पछिला अंकमे देवनागरी कोना लिखू, एहि पर हम लेख लिखने रही। इंगलिश कीबोर्ड पर ओहि तरहेँ लिखने विकीमे सेहो मैथिली लिखि सकैत छी। एम. गेरार्डक माध्यमसँ श्री अंशुमन पाण्डेयक, जिनकर मैथिलीक युनीकोडमे स्थानक आवेदन लंबित अछि, अनुरोध भेटल छल, ओ’ सूचना मँगलन्हि जाहि सँ स्पष्ट रूपसँ बंगला लिपि आ’ मैथिली लिपिक मध्य अंतर ज्ञात भए सकए। ई सूचना हम एम. गेरार्डक माध्यमसँ हुनका पठा देलिअन्हि। विकीमे पूर्ण स्वीकृतिक हेतु एहि लिंक सभ पर राखल प्रोजेक्टकेँ आगॉं बढ़ाऊ।
http://meta.wikimedia.org/wiki/Requests_for_new_languages/Wikipedia_Maithili
http://incubator.wikimedia.org/wiki/Wp/mai
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अपनेक प्रतिक्रिया आ’ रचनाक प्रतीक्षा अछि।
01.02.2008
विश्वक कोन-कोनसँ ई-मेल प्राप्त भेल, आ’ हम आह्लादित भए गेल छी। ई पत्रिका बिना कोनो विलंबक सालक- साल चलैत रहत, से हम अपने लोकनिकेँ विश्वास दैत छी, आ’ ओ’ आबए बला काल सिद्ध करत।
चित्रक पौतीकेँ दू भाग कए देल गेल अछि, मिथिलाक खोजमे चित्रकलाक संग पुरातत्त्वक वस्तु सभक आ’ दर्शनीय स्थान सभक संकलन अछि। मिथिला रत्नमे ऐतिहासिक आ’ वर्त्तमान महापुरुषक चित्रक प्रदर्शनी अछि। एहि संकलनकेँ एहिना सहयोग दए बढ़ाऊ। मैथिलीमे एनीमेशनक घोर अभाव अछि, आ’ जौँ कही जे अछिये नहि, तँ झूठ नहि होएत। संगीत आ’ संस्कृत शिक्षा सेहो ध्वन्यात्मक सामग्रीक बिना अपूर्ण लगैत अछि। अहू दुनू दिश हमर प्रयास शीघ्रे जायत, अपने लोकनिसँ तकनीकी सहयोगक आशा करैत छी। हमर इच्छा अछि, जे बालानां कृतेमे देल गेल खिस्साकेँ एनीमेट करी।
एनीमेशन आ’ माइक्रोसॉफ्ट एस. क्यु. एल. डाटाबेसमे ज्योति नारायण लालजी,ब्रज कर्ण, मणि ठाकुर आ’ आन पाठक हमरा तकनीकी मदति करताह से हम आशा करैत छी। श्री गंगेश गुंजनक ईमेल आ’ मार्ग निर्देशन प्राप्त भेल, ओ’ अपन रचना पठएबाक आश्वासन सेहो देलन्हि अछि। विद्यानंद जी पञ्जीकार जी अपन निबंध पठओने छथि, से आब बुझना जाइत अछि जे रचनाक भरमार लागए बला अछि। सभटा रचना उच्चस्तरीय रहत आ’ पत्रिका पाक्षिक आधार पर नियमित चलैथ रहत से आशा करैत छी।
साइटक खोज सर्च इंजन पर आसानीसँ होअए ताहि हेतु किछु विशेष प्रयास कएल गेल अछि। एहि संबंधमे कोनो तकनीकी सुझाव जौँ अपनेक समक्ष होअए, तँ से आमंत्रित अछि।
अपनेक रचनाक आ’ प्रतिक्रियाक प्रतीक्षामे।
15.02.08
पछिला पक्षमे हम दरभंगा गेल छलहुँ, अपन भतीजीक विवाहमे। ओतए मिथिला रिसर्च इंस्टीट्युट आ’ संस्कृत विश्वविद्यालयक भ्रमण कएलहुँ। सर्वश्री भीमनाथ झा, मैथिलीपुत्र प्रदीप, रघुवीर मोची (अध्यक्ष, मैथिली अकादमी), विश्वनाथ झा(प्रतिकुलपति का. सि. दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय), देवनारायण यादव (अध्यक्ष, मिथिला रिसर्च इंस्टीट्युट) लोकनिक दर्शनक सुअवसर प्राप्त भेल। फेर बिदेश्वरस्थानसँ आँगा गौरीशंकर स्थान (हैंठी बाली) गेलहुँ, आ’ ओतय पालवंशक मूर्त्ति आ’ ओहि पर मिथिलाक्षरमे लिखल अभिलेखक चित्र खिंचलहुँ (फोटो मिथिलाक खोज स्तंभमे देखू)। ई मूर्ति भव्य अछि, आ’ 1500 वर्ष पूर्व मिथिलाक्षरक प्रभुता देखबैत अछि। एहि पर शोध लेख आँगाक कोनो अंकमे देल जायत। मिथिलाक इतिहासमे एहि स्थलकेँ आइसँ पहिने स्थान नहि देल जा’ सकल छल, आ’ ईहो तथ्य अछि जे इतिहासक विद्वान श्री डी.एन. झा एही गामक छथि, ओना हैठी बाली हमर मामा गाम सेहो छी।
01.03.08
विदेह द्वारा किछु पुरान अलभ्य किताबक डिजिटलाइजेशनक कॉर्पोरा सेहो शुरू कएल गेल अछि। पञ्जीक स्कैनिंग आ’ सर्च करबा योग्य डिक्शनरी जाहिमे पाठक नव-नव शब्द जोड़ि सकताह केर आधार किछु मनोयोगी विदेह कार्यकर्त्ता सभक द्वार शुरू भेल अछि। ई सभटा सभ केओ नि:शुल्क कए रहल छथि आ’ अपन मातृभाषाक आ’ मातृभूमिक अनुरागी होयबाक प्रमाण दए रहल छथि।
15.03.08
रचना लिखबासँ पहिने. स्तंभमे मैथिली अकादमी द्वारा निर्धारित भाषाक अंकन कएल गेल अछि,एहिमे विशेष वृद्धि कएल गेल अछि। श्री उदय नारायण सिंह नचिकेता, निदेशक, केन्द्रीय भाषा संस्थान, मैसूर केर मेल प्राप्त भेल आ' ओ' लिखलन्हि जे ओ' एकरा डॉ. श्री बी मल्लिकार्जुनकेँ अग्रसारित कए देलन्हि, जे केन्द्रीय भाषा संस्थान, मैसूरमे भाषा प्रौद्योगिकी विभागक अध्यक्ष छथि। श्री मल्लिकार्जुनजीक ई-मेल सेहो प्राप्त भेल आ' ओ' लिखलन्हि अछि, जे एकरा कमेटीक समक्ष राखल जायत। बी. मल्लिकार्जुन मैथिली स्टाइल मनुअल बनएबाक कार्यकेँ आगाँ बढ़ा रहल छथि।
प्रीति द्वारा कला आ' चित्रकला स्तंभ चित्रित कएल गेल अछि।
मिथिलाक रत्नमे साहित्यकारक अतिरिक्त खेलकूद आ’ अन्यान्य विधासँ संबंधित (संगीत, फिल्म, पत्रकारिता, इतिहास, संस्कृत आ’ अंग्रेजी, अर्थशास्त्री, डिप्लोमेट, राजनीतिज्ञ आदि) मिथिलाक विभूतिक चित्र प्रदर्शित अछि। वेबसाइट खोलला अनन्तर विद्यापतिक ‘बड़ सुखसार पाओल तुअ तीरे’क वाराणसीक गंगातट पर शहनाइ पर भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान द्वारा बजाओल, आ’ तबला पर किसन महाराज आ’ वायलिन पर श्रीमति एन. राजम द्वारा बजाओल संगीत बाजि उठैत अछि। संपर्क_खोज स्तंभ पर मिथिला आ’ मैथिलीक साइट सभक संकलन/लिंक देल गेल अछि।विदेहक अपन सर्च इंजिनसँ विदेहक नव-पुरान अंककेँ ताकल जा’ सकैत अछि। दोसर सर्च इंजिनसँ मैथिलीक विशेष संदर्भमे संपूर्ण वेबकेँ ताकि सकैत छी। पुरान किताब सभक डिजिटल इमेजिंग विदेह कॉर्पोराक अंतर्गत करबाओल जा’ रहल अछि। वेब सर्चेबल डिक्शनरी जाहिमे पाठक नव-नव शब्द जोडि सकताह केर कार्य सेहो आरंभ कएल गेल अछि। मैथिलीमे बालानांकृतेक एनीमेशन सेहो शुरू कए देल गेल अछि। पजीक मिथिलाक्षर आ’ देवनगरीक पत्रक सेहो स्कैनिग शुरू भ’ गेल अछि। ई सभ शीघ्र आर्काइवक अंतर्गत देल जायत। विदेहक पुरान अंक सामान्य pdf फॉर्मेटमे आर्काइवक अंतर्गत राखल गेल अछि। पाठक पाक्षिक पत्रिकाक pdf संस्करण डाउनलोड सेहो कए सकैत छथि। प्रथम पृष्ठ पर देवनागरी टाइप करबाक हेतु किछु सहयोगी लिंक देल गेल अछि। एहि तरहक लिंक पर ऑनलाइन टाइप क’ कॉपी क’ ई-मेल किंवा वर्ड दॉक्युमेंटमे पेस्ट क’ सकैत छी।
01.04.2008
एहि अंकमे नचिकेता अपन 25 सालक चुप्पी तोड़ि नो एंट्री: मा प्रविश नाटक मैथिलीक पाठकक समक्ष विदेह ई-पत्रिकाक माध्यमसँ पहुँचा रहल छथि। धारावाहिक रूँपे ई नाटक विदेहमे ई-प्रकाशित भ’ रहल अछि।
श्री गंगेश गुंजन जीक वैचारिक मंथन एहि बेर पाठकक समक्ष अछि। अगिला अंकसँ पाठक हुनकर कविताक वैचारिक रस ल’ सकताह। बालानां कृतेमे ज्योति पँजियारक लोकगाथा प्रस्तुत कएल गेल अछि।
15.04.2008
13 मई केँ एहि बेर जानकी नवमी अछि। एहि अवसर पर एहिसँ संबंधित निबंध देल जा' रहल अछि। एहि निबंधक लेखिका छथि श्रीमति नूतन झा।
बालानां कृतेमे दानवीर दधीचीक वैदिक स्वरूप प्रस्तुत कएल गेल अछि, अंतमे सूत्रधारसँ ईहो कहबएलहुँ जे कोना बादमे तथाकथित पंडित लोकनि ओहि कथाक बंटाधार कए देलन्हि।
मिथिला रत्नमे बैकग्राउन्ड संगीत सेहो अछि, आ' ई अछि विश्वक प्रथम राष्ट्रभक्त्ति गीत (शुक्ल यजुर्वेद अध्याय 22, मंत्र 22) जकरा मिथिलामे दूर्वाक्षत आशीश मंत्र सेहो कहल जाइत अछि।
'विदेह' ई पत्रिकाक प्रचार सर्च इंजिन द्वारा, गूगल आ' याहू ग्रुप द्वारा, वर्डप्रेस आ' ब्लॉगस्पॉटमे देलगेल ब्लॉग द्वारा, फेसबुक, आउटलूक, माय स्पेस, ओरकुट आ' चिट्ठाजगतक माध्यमसँ कएल गेल। मुदा जखन डाटा देखलहुँ तँ आधसँ बेशी पाठक सोझे http://www.videha.co.in पता टाइप कए एहि ई-पत्रिकाकेँ पढ़लन्हि।
01.05.2008
३ जूनकेँ एहि बेर वट सावित्री अछि। एहि अवसर पर एहिसँ संबंधित निबंध देल जा' रहल अछि। एहि निबंधक लेखिका छथि श्रीमति नूतन झा।
बालानां कृतेमे बगियाक गाछ शीर्षक लोककथाकेँ ज्योतिजीक चित्रसँ सुसज्जित कएल गेल अछि।
श्री गंगेश गुंजन जीक कविता पाठकक समक्ष अछि।
मिथिला रत्नमे बैकग्राउन्ड संगीत सेहो अछि, आ' ई अछि विश्वक प्रथम राष्ट्रभक्त्ति गीत (शुक्ल यजुर्वेद अध्याय २२, मंत्र २२) जकरा मिथिलामे दूर्वाक्षत आशीश मंत्र सेहो कहल जाइत अछि, एकर अर्थ विदेह आर्काइव स्तंभमे अभिनव रूपमे देल गेल अछि, आ' ग्रिफिथक देल अर्थसँ एकर भिन्नता देखाओल गेल अछि। मुख्य पृष्ठक बैकग्राउन्ड संगीत विद्यापतिक बड़ सुख सार तँ अछिये पहिनेसँ।
15.05.2008
नचिकेताजीक नाटक नो एंट्री: मा प्रविश दोसर कल्लोलक दोसर खेप ई-प्रकाशित भ’ रहल अछि। गंगेश गुंजन जीक कविता आ विस्मृत कवि रामजी चौधरीक अप्रकाशित पद्य सेहो ई-प्रकाशित भए रहल अछि।
एहिमे कोनो संदेह नहि जे २०म शताब्दीमे जतेक मिथिला विभूति भेलाह ओहिमे श्री रामाश्रय झा ’रामरंग’ सर्वोपरि छथि। विदेह हेतु हुनकर पठाओल संदेशक आधार पर हुनक जीवनी आ कृतिकेँ विदेहक संगीत शिक्षा स्तंभमे पाठकक समक्ष अनबामे हमरा सभ गर्व अनुभव कए रहल छी।
01.06.2008
गंगेश गुंजन जीक कथा आ विस्मृत कवि रामजी चौधरीक अप्रकाशित पद्य सेहो ई-प्रकाशित भए रहल अछि।
रवीन्द्रनाथ ठाकुर सेहो हैकू लिखलन्हि, मुदा मैथिलीमे जापानी पद्य विधाक आधार पर "विदेह" प्रस्तुत कए रहल अछि ई विधा।
15.06.2008
२७ जून २००८ केँ साहित्य अकादमी, नई दिल्लीक सभागारमे मैथिली कवि सम्मेलनमे अएबाक नोत विदितजी द्वारा भेटल, से ओतए साँझ छह बजे पहुँचलहुँ। हॉलक सभटा कुर्सी भरल छल, हम आ कैमरामेन दू गोटे छलहुँ।
नजरि घुमेलहुँ तँ एकटा कुर्सी खाली छल, से कैमरामेनकेँ विदा कए स्वयं कैमरा लए ओतए बैसि गेलहुँ।
अमरनाथ माइक पकड़ि घोषणा उद्घोषणा कए रहल छलाह, लागल जेना अशोक चक्रधर हिन्दी छोड़ि मैथिली बाजि रहल छथि। सभसँ पहिने संजीव तमन्ना जीकेँ काव्य-पाठक लेल बजाओल गेल। ओ “पीयर पोस्टकार्” शीर्षक कविताक पाठ कएलन्हि। ताहि पर उद्घोषक टीप देलखिन्ह जे एहि मोबाइलक युगमे पोस्टकार्डक एतेक चरचा पर डाक विभाग हुनका धन्यवाद देतन्हि। फेर उद्घोषणा भेल जे पंकज पराशरजी अपन कविताक पाठ करताह, मुदा ओ तावत धरि पहुँचल नहि छलाह, मुदा वीडियोमे बादमे देखलहुँ जे ओ आयल रहथि, मुदा प्रायः कतहु एम्हर-ओम्हर चलि गेल रहथि।
से रमण कुमार सिंहजी केँ बजाओल गेल। ओल्ड होममे वृद्ध आ एना किएक होइत छैक लोक शीर्षक पद्य सुनओलन्हि रमण जी।
फेर श्रीमति सुनीता झाकेँ ब्रजेन्द्र त्रिपाठी जीक विशेष अनुरोध पर बजाओल गेल।
ओ अपन कविता निवेदन मिथिला आ भारत देश महान पर सुनओलन्हि। संगे ईहो कहलीह जे ई प्रथम अवसर छन्हि हुनका लेल मंच पर पद्य पाठ करबाक।
फेर मंजर सुलेमान पढ़लन्हि, मोन पड़ैत अछि गाम, आ अविनाशजी पढ़लन्हि विद्यापति स्मृति
समारोहक उपलक्षमे दू टा कविता- ई हुनकर ब्लॉग पर सेहो बहुत दिनसँ अछि।
कामिनी कामायनीकेँ गाम मोन पड़लन्हि आ विस्थापित लोक सेहो।
बिलट पासवान ’विहंगम’ जी जौँ पुछू तँ सभसँ बेशी प्रभावी रहथि, कारण ओ देखि कए नहि पढ़लन्हि।
तावत पकज पराशर जी आबि गेल छलाह, आ ओ “समयकेँ अकानैत” जे हुनकर पहिल पद्य संग्रह छन्हि, सँ ”हम परिनाम निरासा’ शीर्षक पद्य पढ़लन्हि। हुनका एक बेर फेर आबय पड़लन्हि विहंगमजीक विशेष अनुरोध पर “महापात्र” शीर्षक रचना पढ़बाक लेल। ’विदेह’ केर एहि अंकसँ ’समय केँ अकानैत’ पोथीक समीक्षा/ परिचय देल जा रहल अछि।
धीरेन्द्र कुमार मिश्र महोदय एकटा पद्य पढ़लन्हि, दोसर पद्यक सस्वर पाठ करबाक अनुमति माँगि रहल छलाह, मुदा उद्घोषक जी समयाभावक कारणेँ से अनुमति नहि देलखिन्ह आ प्रभात झा, मध्य प्रदेशसँ राज्यसभा सांसद, मुख्य अतिथिकेँ पद्य पाठक लेल आमंत्रण देलन्हि। मुदा ओ तावत धरि पहुँचल नहि छलाह, बादमे जखन पहुँचलाह तँ कहलखिन्ह जे ओ कविता नहि लिखैत छथि, हिन्दी गद्य लिखैत छथि। हुनका एतए अएबाक छलन्हि दू टा किताबक लोकार्पण करबाक हेतु, मैथिलीमे “इतिहास” दर्शन- लेखिका वीणा ठाकुर आ हिन्दीमे के.बी. प्रसादक “दुर्योधन के रहते कहीं महाभारत रुका है” पद्य संग्रहक।
फेर देवशंकर नवीन जी अएलाह। ओ हिन्दी, मैथिली आ अन्य भाषाक कवि सम्मेलनक चर्च कएलन्हि आ कहलन्हि जे एतेक बेशी मात्रामे श्रोता-दर्शकक उपस्थिति विलक्षण अछि, कारण पहिने जे ओ विभिन्न प्रदेशमे एहि तरहक आयोजन कएने रहथि ओतए संस्था अपन दस टा लोककेँ बैसा कए कुरसी भड़ैत छल। प्रभात झा जाधरि पहुँचितथि तावत रमण कुमार सिंह आ अविनाश जीकेँ दोसर राउन्डक लेल बजाओल गेल।
फेर विदित जी पद्य पाठक लेल पहुँचलाह, मुदा यावत शुरू करितथि तावत प्रभात झाजी आबि गेलाह से ओ उतरि कए हुनकर स्वागत कएलन्हि। विदित जी मैथिलीमे दैनिक ’मैथिली समाद’ केर कोलकातासँ
ताराकान्त झा द्वारा अगस्तसँ शुरू कएल जएबाक शुभ सूचना सेहो देलन्हि आ पद्य पाठ सेहो कएलन्हि।
फेर प्रभात जी अपन संस्मरण सुनओलन्हि आ दुनू पुस्तकक लोपार्पण भेल।
चित्रकार सचिन्द्रनाथ झा द्वारा श्री प्रभात झा आ श्री विदित जीकेँ विद्यापतिक चित्र प्रदान कएल गेल, एहि चित्रमे बैकग्राउन्डमे मिथिला चित्रकलाक योग सेहो देल गेल छल। विदित जी प्रसन्न छलाह एहि सफल आयोजनसँ, जखन हम बधाइ देलियन्हि तँ कहलन्हि जे मैथिली आब रोड पर आयत, कोठलीमे नहि रहत।
01.07.2008
श्री मौन जी, मैथिलीपुत्र प्रदीप, श्री सुभाषचन्द्र यादव, श्री पालन झा आ श्री आद्याचरण झा जीक रचना सेहो ई-प्रकाशित कएल गेल अछि।
श्री मायानन्द जीक इन्टरव्यू लेलन्हि श्री डॉ. शिवप्रसाद यादव। तकर पहिल भाग सेहो प्रस्तुत अछि।
शेष स्थायी स्तंभ यथावत अछि।
15.07.2008
एहि अंकमे नचिकेताजीक नाटक नो एंट्री: मा प्रविश अन्तिम खेप ई-प्रकाशित भ’ रहल अछि। गंगेश गुंजन जीक पद्य आ विस्मृत कवि रामजी चौधरीक अप्रकाशित पद्य सेहो ई-प्रकाशित भए रहल अछि। श्री मौन जी, मैथिलीपुत्र प्रदीप, श्री पालन झा श्री पंकज पराशर आ परम श्रद्धेय श्री प्रेमशंकर सिंहजीक रचना सेहो ई-प्रकाशित कएल गेल अछि।
श्री मायानन्द जीक इन्टरव्यू लेलन्हि श्री डॉ. शिवप्रसाद यादव। तकर दोसर भाग सेहो प्रस्तुत अछि।
नेपाल १ टी.वीक मैथिली कार्यक्रमक विषयमे विवरण दए रहल छथि जितेन्द्रजी आ भक्ति-गीत प्रस्तुत कएने छथि जितमोहनजी।
ज्योतिजी पद्य, बालानांकृते केर देवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल चित्रकला आ सहस्रबाढ़निक अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत कएने छथि।
01.08.2008
एहि अंकसँ श्री गगेश गुंजन जीक गद्य-पद्य मिश्रित "राधा" जे कि मैथिली साहित्यक एकटा नव कीर्तिमान सिद्ध होएत शुरू भए रहल अछि, "विदेह" मे पहिल खेप पढ़ू। विस्मृत कवि रामजी चौधरीक अप्रकाशित पद्य सेहो ई-प्रकाशित भए रहल अछि। श्री मौन जी, श्री पंकज पराशर, श्री सुशान्त, प्रकाश, ज्योतिप्रकाश लाल, जितमोहन, विनीत उत्पल शैलेन्द्र मोहन झा आ परम श्रद्धेय श्री प्रेमशंकर सिंहजीक रचना सेहो ई-प्रकाशित कएल गेल अछि।एहि अंकमे नचिकेताजीक टटका लिखल कविता सेहो ई-प्रकाशित भए रहल अछि।
मैथिली रिपोर्ताजक नव विधाक प्रारम्भ कए रहल छथि पुण्यधाम जनकपुरधामक युवा पत्रकार श्री जितेन्द्र झा।
श्री हरिमोहन झाजीक सम्पूर्ण रचना संसारक अवलोकन सेहो शुरू भए रहल अछि।
ज्योतिजी पद्य, बालानांकृते केर देवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल चित्रकला आ सहस्रबाढ़निक अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत कएने छथि।
15.08.2008
मिथिलाक धरती बाढ़िक विभीषिकासँ आइ काल्हि जूझि रहल अछि। कुशेश्वरस्थान दिसुका क्षेत्र तँ बिन बाढ़िक बरखाक समयमये डूमल रहैत अछि। मुदा ई स्थिति १९७८-७९ केर बादक छी। पहिने ओ क्षेत्र पूर्ण रूपसँ उपजाऊ छल, मुदा भारतमे तटबन्धक अनियन्त्रित निर्माणक संग पानिक जमाव ओतए शुरू भए गेल। मुदा ओहि क्षेत्रक बाढ़िक कोनो समाचार कहियो नहि अबैत अछि, कहियो अबितो रहए तँ मात्र ई दुष्प्रचार जे ई सभटा पानि नेपालसँ छोड़ल गेल पानिक जमाव अछि। ओतुक्का लोक एहि नव संकटसँ लड़बाक कला सीखि गेलाह। हमरा मोन अछि ओ दृश्य जखन कुशेश्वरस्थानसँ महिषी उग्रतारास्थान जएबाक लेल हमरा बाढ़िक समयमे अएबाक लेल कहल गेल छल कारण ओहि समयमे नाओसँ गेनाइ सरल अछि, ई कहल गेल। रुख समयमे खत्ता, चभच्चामे नाओ नहि चलि पबैत अछि आ सड़कक हाल तँ पुछू जुनि। फसिलक स्वरूपमे परिवर्तन भेल, मत्स्य-पालन जेना तेना कए ई क्षेत्र जबरदस्तीक एकटा जीवन-कला सिखलक। कौशिकी महारानीक एहि बेरक प्रकोप ओहि दुष्प्रचारकेँ खतम कए पाओत आकि नहि से नहि जानि!
पहिने हमरा सभ ई देखी जे कोशी आ गंडकपर जे दू टा बैराज नेपालमे अछि ओकर नियन्त्रण ककरा लग अछि। ई नियन्त्रण अछि बिहार सरकारक जल संसाधन विभागक लग आ एतए बिहार सरकारक अभियन्तागणक नियन्त्रण छन्हि। पानि छोड़बाक निर्णय बिहार सरकारक जल संसाधन विभागक हाथमे अछि। नेपालक हाथमे पानि छोड़बाक अधिकार तखन आएत जखन ओतुक्का आन धार पर बान्ह/ छहर बनत, मुदा से ५० सालसँ ऊपर भेलाक बादो दुनू देशक बीचमे कोनो सहमतिक अछैत सम्भव नहि भए सकल। किएक?
सामयिक घटनाक्रम- कोशीपर भीमनगर बैरेज, कुशहा, नेपालमे अछि। १९५८ मे बनल एहि छहरक जीवन ३० बरख निर्धारित छल, जे १९८८ मे बीति गेल। दुनू देशक बीचमे कोनो सहमति किएक नहि बनि पाओल? छहरक बीचमे जे रेत जमा भए जाइत अछि, तकरा सभ साल हटाओल जाइत अछि। कारण ई नहि कएलासँ ओकर बीचमे ऊंचाई बढ़ैत जाएत, तखन सभ साल बान्धक ऊँचाई बढ़ाबए पड़त। एहि साल ई कार्य समयसँ किएक नहि शुरू भेल? फेर शुरू भेल बरखा, १८ अगस्तकेँ कोशी बान्धमे २ मीटर दरारि आबि गेल। १९८७ ई.क बाढ़ि हम आँखिसँ देखने छी। झंझारपुर बान्ध लग पानि झझा देलक, ओवरफ्लो भए गेल एक ठामसँ, आ आँखिक सोझाँ हम देखलहुँ जे कोना तकर बाद १ मीटरक कटाव किलोमीटरमे बदलि जाइत अछि। २७-२८ अगस्त २००८ धरि भीमनगर बैरेजक ई कटाव २ किलोमीटर भए चुकल अछि। आ ई करण भेल कोशीक अपन मुख्य धारसँ हटि कए एकटा नव धार पकड़बाक आ नेपालक मिथिलांचलक संग बिहारक मिथिलांचलकेँ तहस नहस करबाक। नासाक ८ अगस्त २००८ आ २४ अगस्त २००८ केर चित्र कौशिकीक नव आ पुरान धारक बीच २०० किलोमीटरक दूरी देखा रहल अछि। भीमनगर बैरेज आब एकटा कोशीक सहायक धारक ऊपर बनल बैरेज बनि गेल।
राष्ट्रीय आपदा: जाहि राज्यमे आपदा अबैत अछि, से केन्द्रसँ सहायताक आग्रह करैत अछि। केन्द्रीय मंत्रीक टीम ओहि राज्यक दौरा करैत अछि आ अपन रिपोर्ट दैत अछि जाहिपर केन्द्रीय मंत्रीक एकटा दोसर टीम निर्णय करैत अछि, आ ओ टीम निर्णय करैत अछि जे ई आपदा राष्ट्रीय आपदा अछि वा नहि। बिहारक राजनीतिज्ञ अपन पचास सालक विफलता बिसरि जखन एक दोसराक ऊपर आक्षेपमे लागल छलाह, मनमोहन सिंह मंत्रीक प्रधानक रूपमे दौरा कए एकरा राष्ट्रीय आपदा घोषित कएलन्हि। कारण ई लेवल-३ केर आपदा अछि आ ई सम्बन्धित राज्यक लेल असगरे, नहि तँ वित्तक लिहाजसँ आ नहिए राहतक व्यवस्थाक सक्षमताक हिसाबसँ, एहिसँ पार पाएब संभव अछि। आब राष्ट्रीय आकस्मिक आपदा कोषसँ सहायता देल जाऽ रहल अछि, किसानक ऋण-माफी सेहो सम्भव अछि।
उपाय की हो? कुशेश्व्रर स्थानक आपदा सभ-साल अबैछ, से सभ ओकरा बिसरिए जेकाँ गेलाह। मुदा आब की हो? दामोदर घाटीक आ मयूराक्षी परियोजना जेकाँ कार्य कोशी, कमला, भुतही बलान, गंडक, बूढ़ी गंडक आ बागमतीपर किएक सम्भव नहि भेल? विश्वेश्वरैय्याक वृन्दावन डैम किएक सफल अछि। नेपाल सरकारपर दोषारोपण कए हमरा सभ कहिया धरि जनताकेँ ठकैत रहब। एकर एकमात्र उपाए अछि बड़का यंत्रसँ कमला-बलान आदिक ऊपर जे माटिक बान्ध बान्हल गेल अछि तकरा तोड़ि कए हटाएब आ कच्चा नहरिक बदला पक्का नहरिक निर्माण। नेपाल सरकारसँ वार्ता आ त्वरित समाधान। आ जा धरि ई नहि होइत अछि तावत जे अल्पकालिक उपाय अछि, जेना बरखा आबएसँ पहिने बान्हक बीचक रेतकेँ हटाएब, बरखाक अएबाक बाट तकबाक बदला किछु पहिनहि बान्हक मरम्मतिक कार्य करब। आ एहि सभमे राजनीतिक महत्वाकांक्षाकेँ दूर राखब। कोशीकेँ पुरान पथपर अनबाक हेतु कैकटा बान्ह बनाबए पड़त आ ओ सभ एकर समाधान कहिओ नहि बनि सकत।
कमला धार
नहरिसँ लाभ हानि- एक तँ कच्ची नहरि आ ताहूपर मूलभूत डिजाइनक समस्या, एकटा उदाहरण पर्याप्त होएत जेना-तेना बनाओल परियोजना सभक। कमलाक धारसँ निकालल पछबारी कातक मुख्य नहरि जयनगरसँ उमराँव- पूर्वसँ पछबारी दिशामे अछि। मुदा ओतए धरतीक ढ़लान उत्तरसँ दक्षिण दिशामे अछि। बरखाक समयमे एकर परिणाम की होएत आकि की होइत अछि? ई बान्ह बनि जाइत अछि आ एकर उत्तरमे पानि थकमका जाइत अछि। सभ साल एहि नहर रूपी बान्हसँ पटौनी होए वा नहि एकर उतरबरिया कातक फसिल निश्चित रूपेण डुमबे टा करैत अछि। फलना बाबूक जमीन नहरिमे नञि चलि जाए से नहरिक दिशा बदलि देल जाइत अछि!
कमला नदीपर १९६० ई. मे जयनगरसँ झंझारपुर धरि छहरक निर्माण भेल आ एहिसँ सम्पूर्ण क्षेत्रक विनाशलीलाक प्रारम्भ सेहो भए गेल। झंझारपुरसँ आगाँक क्षेत्रक की हाल भेल से तँ हम कुशेश्वरक वर्णन कए दए चुकल छी। मधेपुर, घनश्यामपुर, सिंघिया एहि सभक खिस्सा कुशेश्वरसँ भिन्न नहि अछि। कमला-बलानक दुनू छहरक बीच जेना-जेना रेत भरैत गेल ताहि कारणेँ एहि तटबन्धक निर्माणक बीस सालक भीतर सभ किछु तहस-नहस भए गेल। कमला धार जे बलानमे पिपराघाटमे १९५४ मे मिलि गेलीह, हिमालयसँ बहि कए कोनो पैघ लक्कड़क अवरोधक कारण। आब हाल ई अछि जे दस घण्टामे पानिक जलस्तर एहि धारमे २ मीटरसँ बेशी तक बढ़ि जाइत अछि। १९६५ ई.सँ बान्ह/ छहरक बीचमे रेत एतेक भरि गेल जे एकर ऊँचाइ बढ़ेबाक आवश्यकता भए गेल आ ई माँग शुरू भए गेल जे बान्ह/ छहरकेँ तोड़ि देल जाए!
स्कूल कॊलेजमे छुट्टी गर्मी तातिलक बदलामे बाढ़िक समय देबामे कोन हर्ज अछि, ई निर्णय कोन तरहेँ कठिन अछि?
वरिष्ठ साहित्यकार वैकुण्ठ झाजीक पद्य सेहो अछि। कवि रामजी चौधरीक अप्रकाशित पद्य सेहो ई-प्रकाशित भए रहल अछि। श्री कैलाश कुमार मिश्र जीक "यायावरी", मित्रनाथ झा जीक पद्य, नूतन जीक चौठचन्द्र पूजापर लेख, श्याम सुन्दर शशि आ कुमार मनोज कश्यपक लघु-कथा आ श्री शम्भू कुमार सिहक आ अनलकान्त जीक कथा सेहो अछि। श्री शम्भू कुमार सिह जीक पद्य सेहो ई-प्रकाशित भऽ रहल अछि। बी.के कर्णक मिथिलाक विकासपर लेख, श्री ओमप्रकाश जीक लेख., श्री मौन जी, श्री पंकज पराशर, श्री सुशान्त, प्रकाश, जितमोहन, विनीत उत्पल शैलेन्द्र मोहन झा आ परम श्रद्धेय श्री प्रेमशंकर सिंहजीक रचना सेहो ई-प्रकाशित कएल गेल अछि।
मैथिली रिपोर्ताज लिखने छथि पुण्यधाम जनकपुरधामक युवा पत्रकार श्री जितेन्द्र झा संगमे ज्योतिजी सेहो लंदनसँ रिपोर्ताज पठेने छथि।
श्री हरिमोहन झाजीक सम्पूर्ण रचना संसारक अवलोकन सेहो आगाँ बढ़ल अछि।
ज्योतिजी पद्य, बालानांकृते केर देवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल चित्रकला आ सहस्रबाढ़निक अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत कएने छथि।
पोथी समीक्षा:
बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज- एहि नामसँ १० टा गीतक संग्रह लए श्री बिनीत ठाकुर- शिक्षक, प्रगति आदर्श ई. स्कूल, लगनखेल, ललितपुर प्रस्तुत भेल छथि। ई एहि शताब्दीक पहिल पोथी छी जे देवनागरीक संग मिथिलाक्षरमे सेहो आयल अछि, आ एकरा हम अंशुमन पाण्डेयकेँ पठा देलियन्हि, यूनीकोडक मैपिंगक लेल, कारण विनीतजी हमरा एहि पोथीकेँ ई-मेलसँ पठेबाक अनुमति देने छथि, ताहि लेल हुनका धन्यवाद।
“भरल नोरमे” शीर्षक पद्यमे की सुतलासँ भेटलै अछि ककरो अधिकार आ “गाम नगरमे”- लोकतंत्रमे अपन अधिकार लऽ कऽ रहत मधेसी, ई घोषणा छन्हि कविक तँ “कोरो आ पाढ़ि’मे गरीब छोड़िकऽ के बुझतै गरीबीके मारि- ई कहि कवि अपन आर्थिक चिन्तन सेहो सोझाँ रखैत छथि। चहुँदिश अमङ्गलमे जङ्गलक विनाशपर–मुश्किलेसँ सुनी चिड़ियाके चिहुं-चिहुं- कहि कवि अपन पर्यावरण चिन्तन सोझाँ रखैत छथि। “जे करथि घोटाला” मे भ्रष्टाचारपर आ “जाइतक टुकड़ी”मे जाति प्रथापर कवि निर्ममतासँ चोट करैत छथि तँ “बेटीक भाग्यविधान”मे कविक भावना उफानपर अछि। “कम्प्युटरक दुनिया” आ “अङ्गरेजिया” मे कवि सामयिकताकेँ नहि बिसरल छथि तँ अन्तिम पद्य “ताल मिसरी” मे वरक सासुर प्रेम कनेक व्यंग्यात्मक सुरमे कवि कहि अपन एहि क्षेत्रमे सेहो दक्ष होएबाक प्रमाण दैत छथि। ओना तँ कविक ई प्रथम प्रकाशित कृति छन्हि, मुदा कवि जाहि लए सँ कविता कएने छथि ओ अभूतपूर्व रूपेँ प्रशंसनीय अछि।
01.09.2008
कोशी:
कोशीक पानि माउन्ट एवेरेस्ट, कंचनजंघा आ गौरी-शंकर शिखर आ मकालू पर्वतश्रृंखलासँ अबैत अछि। नेपालमे सप्तकोशी, जाहिमे इन्द्रावती, सुनकोसी (भोट कोसी), तांबा कोसी, लिक्षु कोसी, दूध कोसी, अरुण कोसी आ तामर कोसी सम्मिलित अछि।
एहिमे इन्द्रावती, सुनकोसी, तांबा कोसी, लिक्षु कोसी आ दूध कोसी मिलि कए सुनकोसीक निर्माण करैत अछि आ ई मोटा-मोटी पच्छिमसँ पूर्व दिशामे बहैत अछि, एकर शाखा सभ मोटा-मोटी उत्तरसँ दक्षिण दिशामे बहैत अछि। ई पाँचू धार गौरी शंकर शिखर आ मकालू पर्वतश्रृंखलाक पानि अनैत अछि।
अरुणकोसी माउन्ट एवेरेस्ट (सगरमाथा) क्षेत्रसँ पानि ग्रहण करैत अछि। ई धार मोटा-मोटी उत्तर-दक्षिण दिशामे बहैत अछि।
तामर कोसी मोटा-मोटी पूबसँ पच्छिम दिशामे बहैत अछि आ अपन पानि कंचनजंघा पर्वत श्रृंखलासँ पबैत अछि।
आब ई तीनू शाखा सुनकोसी, अरुणकोसी आ तामरकोसी धनकुट्टा जिलाक त्रिवेणी स्थानपर मिलि सप्तकोसी बनि जाइत छथि। एतएसँ १० किलोमीटर बाद चतरा स्थान अबैत अछि जतए महाकोसी, सप्तकोसी वा कोसी मैदानी धरातलपर अबैत छथि। आब उत्तर दक्षिणमे चलैत प्रायः ५० किलोमीटर नेपालमे रहला उत्तर कोसी हनुमाननगर- भीमनगर लग भारतमे प्रवेश करैत छथि आ कनेक दक्षिण-पच्छिम रुखि केलाक बाद दक्षिण-पूर्व आ पच्छिम-पूर्व दिशा लैत अछि आ भारतमे लगभग १३० किमी. चललाक बाद कुरसेला लग गंगामे मिलि जाइत छथि। कोसीमे बागमती आ कमलाक धार सेहो सहरसा- दरभंगा- पूर्णिया जिलाक संगमपर मिलि जाइत अछि।
कोसीपर पहिल बान्ह १२म शताब्दीमे लक्ष्मण द्वितीय द्वारा बनाओल वीर-बाँध छल जकर अवशेष भीमनगरक दक्षिणमे एखनो अछि।
भीमनगर लग बैराजक निर्माणक संगे पूर्वी कोसी तटबन्ध सेहो बनि गेल आ पूर्वी कोसी नहरि सेहो।
कुँअर सेन आयोग १९६६ ई. मे कोसी नियन्त्रणक लेल भीमनगरसँ २३ किमी. नीचाँ डगमारा बैराजक योजनाक प्रस्ताव देलक जे वाद-विवाद आ राजनीतिमे ओझरा गेल। एहि बैराजसँ दू फायदा छल। एक तँ भीमनगर बैरेजक जीवन-कालावधि समाप्त भेलापर ई बैरेज काज अबितए, दोसर एहिसँ उत्तर-प्रदेशसँ असम धरि जल परिवहन विकसित भऽ जाइत जाहिसँ उत्तर बिहारकेँ बड़ फायदा होइतए। मुदा एहि बैरेज निर्माण लेल पाइ आवंटन केन्द्रीय सिंचाई मंत्री डॉ के.एल.राव नहि देलखिन्ह। पश्चिमी कोसी नहरि एकर विकल्प रूपमे जेना तेना मन्थर गति सँ शुरू भेल मुदा एखनो धरि ओहिमे काज भइये रहल अछि।
मुदा कोसी लेल ई नहि भऽ सकल। विचार आएल तँ योजना अस्वीकृत भए गेल। जतेक दिनमे कार्य पूरा हेबाक छल ततेक दिन विवाद होइत रहल, डगमारा बैराजक योजनाक बदलामे सस्ता योजनाकेँ स्वीकृति भेटल मुदा सेहो पूर्ण हेबाक बाटे ताकि रहल अछि!
विश्वेश्वरैय्या पड़ैत छथि मोन : हैदराबादसँ ८२ माइल दूर मूसी आ ईसी धारपर बान्ह बनाओल गेल आ नगरसँ ६.५ माइलक दूरीपर मूसी धारक उपधारा बनाओल गेल। संगहि धारक दुनू दिस नगरमे तटबन्ध बनाओल गेल। कृष्णराज सागर बान्हक हुनकर प्रस्तावित १३० फुट ऊँच बनेबाक योजना मैसूर राज्य द्वारा अंग्रेजकेँ पठाओल गेल तँ वायसराय हार्डिंज ओकरा घटा कए ८० फीट कए देलन्हि। विश्वेशरैय्या निचुलका भागक चौड़ाई बढ़ा कए ई कमी पूरा कए लेलन्हि। बीचेमे बाढ़ि आबि गेल तँ अतिरिक्त मजदूर लगा कए आ मलेरियाग्रस्त आ आन रोगग्रस्त मजदूरक इलाज लए डॉक्टर बहाली कए, रातिमे वाशिंगटन लैम्प लगा कए आ व्यक्तिगत निगरानी द्वारा केलन्हि। देशभक्त तेहन छलाह जे सीमेन्ट आयात नहि कएलन्हि वरन् वालु, कैल्सियम पाथर आ पाकल ईटाक बुकनी मिला कए निर्मित सुरखीसँ एहि बान्हक निर्माण कएलन्हि। बान्ह निर्माणसँ पहिनहि द्विस्तरीय नहरिक निर्माण कए लेल गेल।
दिल्ली अछि दूर एखनो! प्रधानमंत्री आपदा कोष आ मुख्यमंत्री आपदा कोषक अतिरिक्त स्वयंसेवी संगठन सभक कोषमे सेहो दिल्लीवासी अपन अनुदान दए सकैत छथि। मुदा दीर्घ सूत्री काज होएत निम्न बिन्दुपर दिल्लीमे केन्द्र सरकारपर दवाब बनाएब।
१. स्कूल कॊलेजमे गर्मी तातिलक बदलामे बाढ़िक समय छुट्टी देबामे कोन हर्ज अछि, ई निर्णय कोन तरहेँ कठिन अछि? सी.बी एस.ई आ आइ.सी.एस.ई. तँ छोड़ू बिहार बोर्ड धरि ई नहि कए सकल। दिल्लीवासी सी.बी एस.ई आ आइ.सी.एस.ई.सँ एहि तरहक कार्यान्वयन कराबी तँ लाजे बिहार बोर्ड ओकरा लागू कए देत।
२. भारतमे डगमारा बैराजक योजनाक प्रारम्भ कएल जाए कारण भीमनगर बैरेज अपन जीवन-कालावधि पूर्ण कए लेने अछि। एहिमे फन्ड रेलवे आ सड़क दुनू मंत्रालयसँ लेल जाए कारण एहिपर रेल आ सड़क सेहो बनि सकैछ/ आ बनबाक चाही।
३. बैरेज बनबाक कालवधियेमे पक्की नहरि धरातलक स्लोपक अनुसारे बनाओल जाए।
४. कच्ची बान्ह सभकेँ तोड़ि कए हटा देल जाए आ पक्की बान्हकेँ मोटोरेबल बनाओल जाए, बान्हक दुनू कात पर्याप्त गाछ-वृक्ष लगाओल जाए।
५. बिहारमे सड़क परियोजना जेना स्वप्नक सत्य होए जेना देखि परि रहल अछि, तहिना सभ विघ्न-बाधा हटा कए युद्ध-स्तरपर काज एहि सभपर कार्य शुरू कएल जाए।
उपरोक्त बिन्दु सभपर दिल्लीमे लॉबी बना कए केन्द्र सरकारपर/ मंत्रालयपर दवाब बनाएब तखने बिहार अपन नव छवि बना सकत। १२म शताब्दीमे शुरू कएल बान्ह तखने पूर्ण होएत आ धारसभ मनुक्खक सेविका बनि सकत।
श्री रामभरोस कापड़ि भ्रमरजीक कोसी बाढ़िपर निबन्ध आ कोसीक बाढ़िपर स्व. राजकमल द्वारा लिखित कथा अपराजिता देल गेल अच्हि।
श्री गंगेश गुंजन जीक गद्य-पद्य मिश्रित "राधा" जे कि मैथिली साहित्यक एकटा नव कीर्तिमान सिद्ध होएत, केर दोसर खेप पढ़ू संगमे हुनकर विचार-टिप्पणी सेहो। कवि रामजी चौधरीक अप्रकाशित पद्य सेहो ई-प्रकाशित भए रहल अछि। श्री कैलाश कुमार मिश्र जीक "यायावरी", अंकुर झा जीक पद्य, श्याम सुन्दर शशिक रिपोर्ताज आ कुमार मनोज कश्यपक लघु-कथा आ श्री शम्भू कुमार सिहक कथा-निबन्ध सेहो अछि। बी.के कर्णक मिथिलाक विकासपर लेख, श्री पंकज पराशर, जितमोहन, विनीत उत्पल, नवेन्दु कुमार झा आ परम श्रद्धेय श्री प्रेमशंकर सिंहजीक रचना सेहो ई-प्रकाशित कएल गेल अछि। गुँजन जीक गजल आ' विचार टिप्पणी सेहो अछि।
श्री राजकमल चौधरीक रचनाक विवेचन कए रहल छथि श्री देवशंकर नवीन जी। उदाहरण आ नो एण्ट्री: मा प्रविश पर समीक्षा देल गेल अछि।
ज्योतिजी पद्य, बालानांकृते केर देवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल चित्रकला आ सहस्रबाढ़निक अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत कएने छथि।
गोपेशजी स्वर्गीय भए गेलाह हुनकर संस्मरण हम लिखने छी पद्य स्तंभमे, संगमे देने छी हुनकर एकटा पद्य सेहो।
15.09.2008
श्री गंगेश गुंजन जीक गद्य-पद्य मिश्रित "राधा" जे कि मैथिली साहित्यक एकटा नव कीर्तिमान सिद्ध होएत, केर दोसर खेप पढ़ू संगमे हुनकर विचार-टिप्पणी सेहो। सुभाष चन्द्र यादव जीक कथा, कुमार मनोज कश्यपक लघु-कथा, महेश मिश्र "विभूति"-श्री पंकज पराशर- विनीत उत्पल- श्यामल जीक पद्य आ प्रेमशंकर सिंह, मौनजी, जितमोहन, ओमप्रकाश, शक्ति-शेखर, नूतन झा जीक रचना सेहो ई-प्रकाशित कएल गेल अछि।
श्री राजकमल चौधरीक रचनाक विवेचन कए रहल छथि श्री देवशंकर नवीन जी।
ज्योतिजी पद्य, बालानांकृते केर देवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल चित्रकला आ सहस्रबाढ़निक अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत कएने छथि।
01.10.2008
जीन मेरी गुस्ताव ली क्लाजियो (1940-)केँ एहि सालक साहित्यक ८ लाख १५ हजार पौंडक साहित्यक नोबल पुरस्कारसँ सम्मानित कएल जएबाक घोषणा भेल अछि। मानवतापर राज कए रहल सभ्यतासँ नीचाँ आ आगू जाऽ कए देखबाक प्रवृत्ति छन्हि क्लाजियोक। न्यू-डिपार्चर्स, पोएटिक एडवेंचर आ सेंसुअल एक्सटेसीक लेखक छथि क्लाजियो।
ली क्लाजियो मूलतः फ्रांसीसी भाषाक उपन्यासकार छथि, ओना हिनकर पिता अंग्रेज आ माता फ्रांसीसी छथिन्ह, दुनू गोटे मारीशससँ सम्बन्धित। आ क्लाजियो नाइजीरियाक समुद्री यात्रासँ नेनपनहिमे साहित्यिक जीवनक प्रारम्भ कएलन्हि। १९६३ ई. मे हिनकर पहिल उपन्यास प्रकाशित भेल जे आधुनिक समाजक प्रति एक तरहक विद्रोह छल। फ्रेंच लेखक सभमे क्लाजियो स्वीकृत नहि भऽ सकलाह आ एखन ओ न्यू मेक्सिकोमे रहैत छथि।
थर्ड वर्ल्डक नजरिसँ देखब हिनकर रचनाक एकटा विशिष्टता छन्हि। मारीशसक उपन्यासकार अभिमन्यु उनुथक आ ताहि क्रममे रामायणक चरचा सेहो क्लाजियो करैत छथि।
हिनकर पहिल उपन्यास ले-प्रोसेस-वर्बल- द इनटेरोगेशन (जांचक पूछताछ) १९६३ ई. मे आयल जे अस्तित्ववादक बादक समयक उपन्यास छल। दिन-प्रतिदिनक भाषणबाजीक बदला सत्यताकेँ देखबय बला शक्ति ओ शब्द सभकेँ देलन्हि। फेर आयल हुनकर दू टा कथा संग्रह ला-फीवर आ ला-देल्यूज, एहि दुनू संग्रहमे पाश्चात्य नगरक समस्या आ ओतुक्का डरक यथार्थ चित्रण भेल अछि।
टेरा-अमाटामे हुनकर पारस्थितिकी-तंत्रसँ जुड़ाव स्पष्ट अछि तँ डेजर्टसँ ओ उपन्यासकारक रूपमे स्थापित होइत छथि, एहिमे ओ उत्तर अफ्रीकाक लुप्त होइत संस्कृतिक चित्रण करैत छथि। क्लाजियो दार्शनिक लेख सेहो लिखने छथि आ बच्चा लोकनिक लेल लुलाबी सेहो। अमेरिकी साहित्य जाहि प्रकारेँ अनुवादसँ दूर आ अपनामे मग्न भऽ गेल अछि सएह कारण अछि फिलिप रॉथक एहि रेसमे हाइपक रूपमे शामिल होएबाक बावजूद पाछू छूटि जएबाक। अर्थशास्त्रमे अमेरिकाक मोनोपोलीक विपरीतक ई साहित्यक क्षेत्रक घटनाक्रम अछि।
एहि अंकमे:
श्री गंगेश गुंजन जीक गद्य-पद्य मिश्रित "राधा" जे कि मैथिली साहित्यक एकटा नव कीर्तिमान सिद्ध होएत, केर पाँचम खेप पढ़ू संगमे हुनकर विचार-टिप्पणी सेहो। सुभाष चन्द्र यादव आ विभा रानी जीक कथा, महेश मिश्र "विभूति"-श्री पंकज पराशर- विनीत उत्पल- श्यामल जीक पद्य आ प्रेमशंकर सिंह, मौनजी, जितमोहन, प्रकाश झा, ओमप्रकाश जीक रचना सेहो ई-प्रकाशित कएल गेल अछि।
श्री राजकमल चौधरीक रचनाक विवेचन कए रहल छथि श्री देवशंकर नवीन जी। सुभाषचन्द्र यादव जी पर श्री महाप्रकाश लिखि रहल छथि। जितेन्द्र झा, नवेन्दु आ प्रीतिक रिपोर्ताज छन्हि तँ युवा प्रतिभा अंशुमालाक विषयमे लिखने छथि जितेन्द्र।
ज्योतिजी पद्य, बालानांकृते केर देवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल चित्रकला आ सहस्रबाढ़निक अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत कएने छथि।
मधुप जीक "घसल अठन्नी" आ तारानन्द वियोगी जीक "मूलभूत" केर अग्रेजी अनुवाद सेहो प्रस्तुत कएल गेल अछि।
15.10.2008
पहिल कीर्तिनारायण मिश्र सम्मान कवि हरेकृष्ण झाकेँ ११.११.२००८ केँ विद्यापति पर्वक अवसरपर देल जएतन्हि। एहि बेरक यात्री चेतना पुरस्कार श्री मन्त्रेश्वर झाकेँ भेटलन्हि।
कीर्तिनारायण मिश्रक जन्म १७ जुलाई १९३७ ई. केँ ग्राम शोकहारा (बरौनी), जिला बेगूसरायमे भेलन्हि। हुनकर प्रकाशित कृति अछि सीमान्त, हम स्तवन नहि लिखब (कविता संग्रह)। आखर पत्रिकाक लब्धप्रतिष्ठ सम्पादक।
मंत्रेश्वर झा-जन्म ६ जनवरी १९४४ ई.ग्राम-लालगंज, जिला-मधुबनीमे। प्रकाशित कृति: खाधि, अन्चिनहार गाम, बहसल रातिक इजोत (कविता संग्रह); एक बटे दू (कथा संग्रह), ओझा लेखे गाम बताह (ललित निबन्ध)। मैथिली कथा संग्रहक हिन्दी अनुवाद “कुंडली” नामसँ प्रकाशित। दि फूल्स पैराडाइज (अंग्रेजीमे ललित निबन्ध), कतेक डारि पर।
हरेकृष्ण झा, जन्म १० जुलाई १९५० ई. गाम- कोइलखमे। अभियंत्रणक अध्ययण छोड़ि मार्क्सवादी राजनीतिमे सक्रिय। अनेक कविता आ आलोचनात्मक निबन्ध प्रकाशित। अनुवाद एवं विकास विषयक शोध कार्यमे रुचि। स्वतंत्र लेखन। प्रकृति एवं जीवनक तादात्म्य बोधक अग्रणी कवि। एना कतेक दिन (कविता संग्रह)।
बुकर पुरस्कार: आस्ट्रेलियन पिता आ भारतीय माताक सन्तान ३३ वर्षीय बैचेलर श्री अरविन्द अडिग ऑक्सफोर्डसँ शिक्षा प्राप्त कएने छथि आ सम्प्रति मुम्बईमे रहैत छथि। हिनकर पहिल अंग्रेजी उपन्यास छन्हि द ह्वाइट टाइगर जाहि पर ब्रिटेन, आयरलैण्ड आ कॉमनवेल्थ देशक वासी केँ देल जा रहल अंग्रेजी भाषाक उपन्यासक ५०,००० पौन्डक “मैन बुकर” पुरस्कार भेटलन्हि अछि आ बेन ओकेरीक बाद ई पुरस्कार प्राप्त केनिहार ई सभसँ कम उम्र केर लेखक छथि।
द ह्वाइट टाइगर- ई उपन्यास हार्पर कॉलिन्स-रैन्डम हाउस द्वारा प्रकाशित भेल आ प्रकाश आ अन्हारक दू तरहक भारतक ई वर्णन करैत अछि। एकटा फर्मक मालिक बलराम जे शुरूमे गयासँ आयल बलराम हलवाई छलाह चीनी प्रधानमंत्री वेन जिआबाओक भारत आगमनपर अपन अनुत्तरित सात पत्र (हरिमोहन झाक पाँच पत्र आ ब्यासजीक दू पत्र जकाँ) केर माध्यमसँ अपन खिस्सा कहैत छथि। ओ एकटा रिक्शा चालकक बेटा छथि जे चाहक दोकानपर किछु दिन काज केलाक बाद दिल्लीमे एकटा धनिकक ड्राइवर बनैत छथि। फेर ओकरा मारि कए उद्योगपति बनि जाइत छथि।
ड्राइवर सभ गप मालिकक सुनैत रहैत अछि, कलकत्ताक रिक्शाबला सभक खिस्सा सेहो अडिग सुनलन्हि आ दिल्लीक ड्राइवर लोकनिक सेहो आ खिस्साक प्लॊट बना लेलन्हि।
समालोचनाक स्थिति: हिन्दीक अखबार सभ ई पुरस्कार प्राप्त भेलाक बादो एहि पुस्तकक समीक्षा एकटा चीप टी.वी. सीरियलक पटकथाक रूपमे कएलन्हि। मैथिलीक समालोचनाक तँ गपे छोड़ू, अंग्रेजीक अखबार सभ मुदा नीक समीक्षा कएलक।
दिल्लीक चिड़ियाघरमे एकटा ह्वाइट टाइगर छैक गेनेटिक म्युटेशनक परिणाम जे एक पीढ़ीमे एक बेर अबैत छैक नहियो अबैत छैक। बलराम हलवाईक खिस्सा सेहो ह्वाइट टाइगर जकाँ विरल भेटत बेशी तँ कमाइ-खाइमे जिनगी बिता दैत छथि। एकर हार्डबाउन्ड किताब २०,००० कॉपी बिका चुकल अछि। पेन्गुइन इण्डिया जे ई किताब छपबासँ इन्कार कएने छल कहलक जे क्रॉसवर्ड पुरस्कारसँ किताबक बिक्रीमे १००० कॉपीक वृद्धि होइत छैक, बुकर भेटलापर १०,००० कॉपी बेशी बिकाइत छैक आ साहित्य अकादमी भेटलापर अंग्रेजी किताब १० कॉपी बेशी बिकाइत अछि!
श्री गंगेश गुंजन जीक गद्य-पद्य मिश्रित "राधा" जे कि मैथिली साहित्यक एकटा नव कीर्तिमान सिद्ध होएत, केर छठम खेप पढ़ू। सुभाष चन्द्र यादव आ भ्रमर जीक कथा, महेश मिश्र "विभूति"-श्री पंकज पराशर- विनीत उत्पल- श्यामल जीक पद्य आ प्रेमशंकर सिंह जीक शोध लेख अछि।, जितमोहन, रामलोचन ठाकुर, निमिष झा, राजेन्द्र विमल, रेवतीरमण लाल, दिगम्बर झा "दिनमणि", रूपा धीरू, ज्योति, विद्यानन्द झा, नवीननाथ झा, विनीत उत्पल, वृषेश चन्द्र लाल, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, विभूति, महेन्द्र मलंगिया, कुमार मनोज कश्यप, कृपानन्द झा. रामभरोस कापड़ि रोशन जनकपुरी, पंकज पराशर, वैकुण्ठ झा, प्रकाश झा आ हिमांशु चौधरी जीक रचनासँ सुशोभित ई अंक अछि।
श्री राजकमल चौधरीक रचनाक विवेचन कए रहल छथि श्री देवशंकर नवीन जी।
ज्योतिजी पद्य, बालानांकृते केर देवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल चित्रकला आ सहस्रबाढ़निक अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत कएने छथि।
शिवशंकर श्रीनिवास केर मैथिली कथाक अग्रेजी अनुवाद सेहो प्रस्तुत कएल गेल अछि।
भारतक विश्वनाथन आनन्द वर्ल्ड चेस प्रतियोगिता जितलन्हि तँ भारत अपन चन्द्रयान-१ यात्रा सेहो शुरु कएलक। मुदा संगमे असमक बम विस्फोट, उड़ीसाक नन बलात्कार आ मालेगाँव विस्फोट मोरक पएर सिद्ध भेल।
01.11.2008
४०म ज्ञानपीठ पुरस्कार समारोह ६ नवम्बर २००८: संसदक लाइब्रेरीक बालयोगी ऑडिटोरियममे कश्मीरी कवि श्री रहमान राहीकेँ प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह द्वारा प्रदान कएल जाएबला ४०म ज्ञानपीठ पुरस्कार समारोहक आमंत्रण पाबि ओतए नियत समयसँ सायं छह बजे हम पहुँचलहुँ। अपन प्रतिष्ठाक अनुरूप प्रधानमंत्री निर्धारित समय ६.३० सायं पदार्पण कएलन्हि। स्टेजपर श्री रवीन्द्र कालिया, निदेशक भारतीय ज्ञानपीठ, रहमान राही, डॉ. मनमोहन सिंह, सीताकान्त महापात्र, पुरस्कार चयन समितिक अध्यक्ष आ अखिलेश जैन, प्रबन्ध ट्रस्टी रहथि। दर्शकमे श्री टी.एन.चतुर्वेदी, अशोक वाजपेयी, आलोक पी. जैन आ ब्रजेन्द्र त्रिपाठी रहथि। ब्रजेन्द्रजी हमरा संग बैसल रहथि। स्व. साहू शान्ति प्रसाद जैन आ स्व. श्रीमति रमाजैन, एहि पुरस्कारक प्रारम्भ कएने रहथि आ हुनकर दुनू गोटेक फोटो पाछाँमे लागल रहन्हि। आइ काल्हि ४०म सालक महत्व एहि कारणसँ बढ़ि गेल अछि कारण ५०म वर्षगाँठक इन्तजारमे बहुत गोटे आयु बेशी भेने जीवित नहि रहैत छथि। सरला माहेश्वरी माइक पकड़ि कार्यक्रमक शुरुआतसँ पहिने अनिता जैनकेँ निराला रचित सरस्वती वन्दना गएबाक लेल अनुरोध कएलन्हि आ ओ मंचक दोसर भागमे महर्षि अगस्त्यक या कुन्देन्दुसँ शुरु कए निरालाक रचना शास्त्रीय पद्धतिमे गओलन्हि। फेर फूलसँ प्रधान मंत्रीक स्वागत प्रबन्ध न्यासी अखिलेश जैन द्वारा भेल, फेर रवीन्द्र कालिया फूलसँ रहमान राहीक स्वागत कएलन्हि। फेर श्री सीताकान्त महापात्र अंग्रेजीमे उद्गार व्यक्त करैत कहलन्हि जे राहीकेँ सम्मानित कए भारतीय ज्ञानपीठ अपनाकेँ सम्मानित कएलक अछि। फेर प्रधानमंत्री द्वारा राहीकेँ शॉल ओढ़ा कए आ १०३५ ई.क राजा भोजक सरस्वतीक प्रतिमाक कांस्य अनुकृति जाहिमे ज्ञानपीठ द्वारा प्रभामण्डल जोड़ल गेल (मूल प्रतिमा लंदनक ब्रिटिश म्यूजियममे अछि) आ प्रशस्ति पत्र आ ५ लाख टाकाक ड्राफ्ट दए सम्मानित कएल गेल। राही उद्गार व्यक्य कएलन्हि आ महान जवाहरलाल नेहरूक जाहि पदपर छलाह ओहि पदपर आसीन मनमोहन सिंहसँ पुरस्कार प्राप्त कए विशेष प्रसन्नता प्रकट कएलन्हि। फेर रवीन्द्र कालिया धन्यवाद ज्ञापन कएलन्हि। राहीक प्रतिनिधि कविताक ज्ञानपीठ द्वारा कएल हिन्दी अनुवाद राही द्वारा प्रधान मंत्रीकेँ देल गेल।
अब्दुल रहमान राहीक जन्म ६ मई १९२५ ई.केँ भेल। हुनकर पहिल कविता संग्रहकेँ साहित्य अकादमी पुरस्कार देल गेल। भारत सरकारक पद्म श्री आ मानव संसाधन विकास मंत्रालयक एमिरेट्स फेलोशिप हिनका भेटल छन्हि। हिनकर कविता संग्रहमे सनवुन्य साज, सुबहुक सोदा, कलाम-ए-राही प्रमुख अछि। हिनकर आलोचना आ निबन्धक पोथी अछि, कहवट आदि।
प्रस्तुत अछि हिनकर कविता “परछाइयाँ” (कश्मीरीसँ अंग्रेजी एस.एल. सन्धु, अंग्रेजीसँ मैथिली गजेन्द्र ठाकुर)
छाह सभ
अपन नियतिसँ वाद आ अमरताक आशा आब छोड़ि दिअ,
यदि जुटा ली किछु क्षण, तँ भेर भऽ जाऊ ताहिमे।
बस्तीक जाहि पथमे चलैत रहलहुँ, ओ धँसि गेल घनगर बोनमे,
जेना हमर आस्थाक कवच भेल भेद्य केलक शंकासभ।
आँखि खुजिते हमर स्वप्नकेँ लागल आँखि
सभटा बासन्ती युवा छाती झरकि कए भऽ गेल सुनसान।
देखू तँ देखायत आस-पड़ोसमे लावण्यमयी मेला,
हाथमे आएत मात्र एकाध विचार, आऽ
असगर एकटा कौआ उजाड़मे।
कखनो हमर इच्छा रहए चान-तरेगन गढ़बाक,
आब माथ भुका रहल छी अपन कोनो नामकरण तँ करी।
सभटा विश्वास घाटीक मौलायल हरियरी सन,
सभटा चैतन्य खिसियायल साँप सन।
सभटा देवता हमर अपन छाह छथि,
सभटा दानव हमर अहं केर कनिया-पुतड़ा सन।
सभा भवन भरल बुझू बानरक खोँ-खोँ सँ,
सन्तक पहिरनक लेल ताकू बोने-बोन।
केहन अछि नाओक खेबनाई, कतए तँ अछि किनार!
देशांस भोथलेलक नाओकेँ अन्हारमे।
हे रौ नटुआ, नाच निर्वस्त्र चारू कात ओकर,
राही तँ आगि-खाएबला बताह अछि।
समारोह एक घण्टामे खतम भेल आ घुरैत रही तँ एफ.एम.पर समाचार भेटल जे सचिन तेन्दुलकर अपन टेस्ट जीवनक ४०म शतक दिनमे पूर्ण कएलन्हि।
भीमसेन जोशीकेँ भारत रत्न पुरस्कार देल गेल। आ चन्द्रायण-१ चन्द्रमाक १०० किलोमीटरक वृत्ताकार कक्षामे स्थापित भऽ गेल जतए ओ २ वर्ष धरि रहत।
15.11.2008
ई अंकक समर्पण गर्वक-संग ओहि 16 बलिदानीक नाम जे मुम्बईमे देशक सम्मानक रक्षार्थ अपन प्राणक बलिदान देलन्हि।
१. एन.एस.जी. मेजर सन्दीप उन्नीकृष्णन्
२. ए.टी.एस.चीफ हेमंत कड़कड़े
३. अशोक कामटे
४. इंस्पेक्टर विजय सालस्कर
५. एन.एस.जी हवलदार गजेन्द्र सिंह "बिष्ट"
६. इंस्पेक्टर शशांक शिन्दे
७. इंस्पेक्टर ए.आर. चिटले
८. सब इंस्पेक्टर प्रकाश मोरे
९. कांस्टेबल विजय खांडेकर
१०. ए.एस.आइ.वी. अबाले
११. बाउ साब दुर्गुरे
१२. नानासाहब भोसले
१३. कांसटेबल जयवंत पाटिल
१४. कांसटेबल शेघोष पाटिल
१५. अम्बादास रामचन्द्र पवार
१६. एस.सी.चौधरी
01.12.2008
विदेहक नव अंक (अंक २४, दिनांक १५ दिसम्बर २००८) ई पब्लिश भऽ गेल अछि। एहि हेतु लॉग ऑन करू http://www.videha.co.in |
४१म आ ४२म ज्ञानपीठ पुरस्कारक घोषणा- हिन्दीक नवीन कविता आन्दोलनक सशक्त कवि श्री कुँवर नारायणकेँ ४१म ज्ञानपीठ पुरस्कार (२००५) आ कोंकणीक श्री रवीन्द्र केलेकर आ संस्कृतक श्री सत्यव्रत शास्त्रीकेँ संयुक्त रूपसँ ४२म ज्ञापीठ पुरस्कार (२००६) देबाक घोषणा भेल अछि।
श्री कुँवर नारायणक जन्म १९२७ ई. मे भेलन्हि। अज्ञेय द्वारा सम्पादित "तीसरा सप्तक"क सशक्त कवि कुँवर नारायणकेँ एहिसँ पहिने साहित्य अकादमी पुरस्कार भेटि चुकल छन्हि।
श्री रवीन्द्र केलेकरक जन्म १९२५ ई. मे भेलन्हि, हिनकर कोंकणी भाषा मण्डलक निर्माणमे प्रमुख भूमिका रहल छन्हि।
श्री सत्यव्रत शास्त्री संस्कृतमे तीन गोट महाकाव्यक रचना कएने छथि। रवीन्द्र केलेकर आ सत्यव्रत शास्त्रीकेँ सेहो साहित्य अकादमी पुरस्कार भेटि चुकल छन्हि।
संगहि "विदेह" केँ एखन धरि (१ जनवरी २००८ सँ ३० दिसम्बर २००८) ७० देशक ६७३ ठामसँ १,३६,८७४ बेर देखल गेल अछि (गूगल एनेलेटिक्स डाटा)- धन्यवाद पाठकगण।
15.12.2008
अपनेक रचना आ प्रतिक्रियाक प्रतीक्षामे। वरिष्ठ रचनाकार अपन रचना हस्तलिखित रूपमे सेहो नीचाँ लिखल पता पर पठा सकैत छथि।
गजेन्द्र ठाकुर
फोन- 9811382078
गजेन्द्र ठाकुर
संदेश
१. श्री प्रो. उदय नारायण सिंह "नचिकेता"- जे काज अहाँ कए रहल छी तकर चरचा एक दिन मैथिली भाषाक इतिहासमे होएत। आनन्द भए रहल अछि, ई जानि कए जे एतेक गोट मैथिल "विदेह" ई जर्नलकेँ पढ़ि रहल छथि।
२. श्री डॉ. गंगेश गुंजन- एहि विदेह-कर्ममे लागि रहल अहाँक सम्वेदनशील मन, मैथिलीक प्रति समर्पित मेहनतिक अमृत रंग, इतिहास मे एक टा विशिष्ट फराक अध्याय आरंभ करत, हमरा विश्वास अछि। अशेष शुभकामना आ बधाइक सङ्ग, सस्नेह|
३. श्री रामाश्रय झा "रामरंग"- "अपना" मिथिलासँ संबंधित...विषय वस्तुसँ अवगत भेलहुँ।...शेष सभ कुशल अछि।
४. श्री ब्रजेन्द्र त्रिपाठी, साहित्य अकादमी- इंटरनेट पर प्रथम मैथिली पाक्षिक पत्रिका "विदेह" केर लेल बधाई आ शुभकामना स्वीकार करू।
५. श्री प्रफुल्लकुमार सिंह "मौन"- प्रथम मैथिली पाक्षिक पत्रिका "विदेह" क प्रकाशनक समाचार जानि कनेक चकित मुदा बेसी आह्लादित भेलहुँ। कालचक्रकेँ पकड़ि जाहि दूरदृष्टिक परिचय देलहुँ, ओहि लेल हमर मंगलकामना।
६. श्री डॉ. शिवप्रसाद यादव- ई जानि अपार हर्ष भए रहल अछि, जे नव सूचना-क्रान्तिक क्षेत्रमे मैथिली पत्रकारिताकेँ प्रवेश दिअएबाक साहसिक कदम उठाओल अछि। पत्रकारितामे एहि प्रकारक नव प्रयोगक हम स्वागत करैत छी, संगहि "विदेह"क सफलताक शुभकामना।
७. श्री आद्याचरण झा- कोनो पत्र-पत्रिकाक प्रकाशन- ताहूमे मैथिली पत्रिकाक प्रकाशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽ भविष्य कहत। ई हमर ८८ वर्षमे ७५ वर्षक अनुभव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर श्रद्धापूर्ण आहूति प्राप्त होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।
८. श्री विजय ठाकुर, मिशिगन विश्वविद्यालय- "विदेह" पत्रिकाक अंक देखलहुँ, सम्पूर्ण टीम बधाईक पात्र अछि। पत्रिकाक मंगल भविष्य हेतु हमर शुभकामना स्वीकार कएल जाओ।
९. श्री सुभाषचन्द्र यादव- ई-पत्रिका ’विदेह’ क विषयमे जानि प्रसन्नता भेल। ’विदेह’ निरन्तर पल्लवित-पुष्पित हो आ चतुर्दिक अपन सुगंध पसारए से कामना अछि।
१०. श्री मैथिलीपुत्र प्रदीप- ई-पत्रिका ’विदेह’ केर सफलताक भगवतीसँ कामना। हमर पूर्ण सहयोग रहत।
११. डॉ. श्री भीमनाथ झा- ’विदेह’ इन्टरनेट पर अछि तेँ ’विदेह’ नाम उचित आर कतेक रूपेँ एकर विवरण भए सकैत अछि। आइ-काल्हि मोनमे उद्वेग रहैत अछि, मुदा शीघ्र पूर्ण सहयोग देब।
१२. श्री रामभरोस कापड़ि भ्रमर, जनकपुरधाम- "विदेह" ऑनलाइन देखि रहल छी। मैथिलीकेँ अन्तर्राष्ट्रीय जगतमे पहुँचेलहुँ तकरा लेल हार्दिक बधाई। मिथिला रत्न सभक संकलन अपूर्व। नेपालोक सहयोग भेटत से विश्वास करी।
१३. श्री राजनन्दन लालदास- ’विदेह’ ई-पत्रिकाक माध्यमसँ बड़ नीक काज कए रहल छी, नातिक एहिठाम देखलहुँ। एकर वार्षिक अंक जखन प्रिट निकालब तँ हमरा पठाएब। कलकत्तामे बहुत गोटेकेँ हम साइटक पता लिखाए देने छियन्हि। मोन तँ होइत अछि जे दिल्ली आबि कए आशीर्वाद दितहुँ, मुदा उमर आब बेशी भए गेल। शुभकामना देश-विदेशक मैथिलकेँ जोड़बाक लेल।
१४. डॉ. श्री प्रेमशंकर सिंह- अहाँ मैथिलीमे इंटरनेटपर पहिल पत्रिका "विदेह" प्रकाशित कए अपन अद्भुत मातृभाषानुरागक परिचय देल अछि, अहाँक निःस्वार्थ मातृभाषानुरागसँ प्रेरित छी, एकर निमित्त जे हमर सेवाक प्रयोजन हो, तँ सूचित करी। इंटरनेटपर आद्योपांत पत्रिका देखल, मन प्रफुल्लित भ' गेल।
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(c) विदेह संदेह संस्करण-श्रुित प्रकाशन
महत्त्वपूर्ण सूचना (१): महत्त्वपूर्ण सूचना: श्रीमान् नचिकेताजीक नाटक "नो एंट्री: मा प्रविश" केर 'विदेह' मे ई-प्रकाशित रूप देखि कए एकर प्रिंट रूपमे प्रकाशनक लेल 'विदेह' केर समक्ष "श्रुति प्रकाशन" केर प्रस्ताव आयल छल। श्री नचिकेता जी एकर प्रिंट रूप करबाक स्वीकृति दए देलन्हि। प्रिंट रूप हार्डबाउन्ड (ISBN No.978-81-907729-0-7 मूल्य रु.१२५/- यू.एस. डॉलर ४०) आ पेपरबैक (ISBN No. 78-81-907729-1-4 मूल्य रु. ७५/- यूएस.डॉलर २५/-) मे श्रुति प्रकाशन, 8/21, न्यू राजेन्द्र नगर, नई दिल्ली-110060 द्वारा छापल गेल अछि। e-mail: shruti.publication@shruti-publication.com website: http://www.shruti-publication.com
महत्त्वपूर्ण सूचना: २) 'विदेह' द्वारा धारावाहिक रूपे ई-प्रकाशित कएल जा' रहल गजेन्द्र ठाकुरक 'सहस्रबाढ़नि' उपन्यास), 'गल्प-गुच्छ' कथा संग्रह), 'भालसरि' (पद्य संग्रह), 'बालानां कृते', 'एकाङ्की संग्रह', 'महाभारत' 'बुद्ध चरित' (महाकाव्य), शोध लेख आ 'यात्रा वृत्तांत' विदेहमे संपूर्ण ई-प्रकाशनक बाद प्रिंट फॉर्ममे “कुरुक्षेत्रम् : अन्तर्मनक” मसँ श्रुति प्रकाशन, 8/21, न्यू राजेन्द्र नगर, नई दिल्ली-110060 द्वारा छापल जा रहल अछि। e-mail: shruti.publication@shruti-publication.com website: http://www.shruti-publication.com. संग मे पकज पराशर आ विनीत उत्पलक पद्य संग्रह, आ मौनजी आ प्रेमशंकर सिंह जीक निबन्ध संग्रह सेहो विदेह डाटाबेशक आधारपर श्रुति प्रकाशन, 8/21, न्यू राजेन्द्र नगर, नई दिल्ली-110060 द्वारा छापल जा रहल अछि।) 'विदेह' द्वारा कएल गेल शोधक आधार पर १. मैथिली-अंग्रेजी शब्द कोश २. अंग्रेजी-मैथिली शब्द कोश आ ३. मिथिलाक्षरसँ देवनागरी पाण्डुलिपि लिप्यान्तरण-पञ्जी-प्रबन्ध डाटाबेश श्रुति पब्लिकेशन द्वारा प्रिन्ट फॉर्ममे छापल जा रहल अछि- सकलन, डिजिटल इमेजिंग आ लिप्यांतरण- विद्यानन्द झा “पञ्जीकार, नागेन्द्र कुमार झा आ गजेन्द्र ठाकुर।
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