भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

ऐ ई-पत्रिकामे कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

 

(c) २००-२०२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.htmlhttp://www.geocities.com/ggajendra  आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha  258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/  पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

Thursday, May 14, 2009

'विदेह' ३२ म अंक १५ अप्रैल २००९ (वर्ष २ मास १६ अंक ३२)- part IV

इंग्लिश-मैथिली कोष/ मैथिली-इंग्लिश कोष प्रोजेक्टकेँ आगू बढ़ाऊ, अपन सुझाव आ योगदान ई-मेल द्वारा ggajendra@videha.com पर पठाऊ।
Input: (कोष्ठकमे देवनागरी, मिथिलाक्षर किंवा फोनेटिक-रोमनमे टाइप करू। Input in Devanagari, Mithilakshara or Phonetic-Roman.)
Language: (परिणाम देवनागरी, मिथिलाक्षर आ फोनेटिक-रोमन/ रोमनमे। Result in Devanagari, Mithilakshara and Phonetic-Roman/ Roman.)
विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.
१.पञ्जी डाटाबेस २.भारत आ नेपालक मैथिली भाषा-वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली
१.पञ्जी डाटाबेस-(डिजिटल इमेजिंग / मिथिलाक्षरसँ देवनागरी लिप्यांतरण/ संकलन/ सम्पादन-पञ्जीकार विद्यानन्द झा , नागेन्द्र कुमार झा एवं गजेन्द्र ठाकुर द्वारा)
जय गणेशाय नम: (1)
अथ पत्र पत्र्जी लिखते: अथ सरिसब ग्राम: देवादित्यज रत्नाकरापत्यव-छादन।। प्रज्ञाकरापत्यन-बनौली नम समेत।। नितिकर सन्तेति केशवापत्या-दनाद-गंगेश्वकरा पत्य- गौरि शौरि कुलपति-बधवास।। महिपाणि सन्तकति-खांगुड़ गयड़ा समेत।। ग्रहेश्वजरापत्यक-जोंकी।। गणेश्व रापत्यत-सकुरी।। सोने सन्‍‍तति-कटमा ओ सकुरी।। भवादित्यरपत्यर-सतैढ़।। रघुनाथापत्य्-उल्लू।।। कौशिक-उल्लूट।। गिरीश्वतरापत्य्-सतैढ़।। वास्तुथ सुत ऋषि-सतैढ़ सम्प्र ति-फरकीया शिवादित्यानपत्यि-रतवाल मतहनी।। हरादित्या्पत्या-बलिवास श्री करापत्यय-ननौरे।। शुचिकरापत्यद-जगन्ना थपूर हल्लैहश्वयर-रूद्रपुर पैकटोल।। केशब बागे बसुन्ध र-नरघोघ रामदेवापत्यद-सिंडोआ।। कामदेवापत्यल-डीगरी गढपाणि सन्त्ति-गौर वोड़ा।। अथ नजिबाक ग्राम भासे सन्तयति वलिया रातु-दिगउन्ध।।। कान्हा सन्तदति गोविन्द -भड़ाम।। सोम सन्तनति-नाहस।। सुपन वासू-देउथि।। नारायण पुराई-ब्रह्मपुर।। मिश्र रामापत्यन-अचौढ़ी।। शु‍चिकरा पत्य - बलिया ब्रह्मपुर।। छीतू पारू-पीलखा।। शिवाई-महूलिया जहरौली।। ईश्व।र नारू-नोहड़।। श्री धरापत्यर-दिमन्दररा-एते जजिवाल ग्राम-अय खण्ड्बल ग्राम ठ. हराई सन्‍‍तति-भखराइन।। सोमेश्वपरापत्यु-बुलवन कथुवा समेत।। ठ. अनन्तय हरि-लखनौर।। भोगीश्वसरापत्यस गोपाल सन्तपति-बथई-हरड़ी।। गढाघरापत्य -पौराम।। रत्नाकरापत्य--हलधर तेतरिया हरडी खण्डरबसा ।। ठ. दूबे सन्ततति भौर।। लाखूमौहिमति-बेहद यमुगाम।। योगीश्व रापत्यस-सोन्दूपुर सरपरब कुरहनी वासी द्वीट खण्डढबला।। शुभद्रत्तापत्य।-देशुआल।। झाझू सन्तरति-रैयाक गुरदी सोनकहमेरी।। वास्तुर, वागू, हिरू-देउरी गोपालापत्यश-गढ़।। देने सन्त ति-चनुआरी।। पक्षधरपल-तेतरिया।। दिनकरापत्यी-पोंसक, बथदी बिहारी-उभय गोरादी-साधु सन्रति-बथयी।। लक्ष्मीतपति सन्त्ति-खरसा गणेशवरापत्यब-गणेश्वयरापत्य।-गुलदी।। हल्लेतश्वतरापत्यी बेलारी।। जीवेश्व्रापत्यट-अलय।।

(2) ''अ''
सोमकंठ-सरपरब।। रबि सन्त ति-गौर ब्रह्मपुर।। जयकर सन्ताति-सजनी।। भासे-डीह ।। देवेश्व्रापत्य -देशुआल।। पक्षीश्वौरापत्य -यमुगाम।। गिरीश्व।रा-मत्यव-देशुआल विन्येेश श्व'रापत्यु-वैकुण्ठपपुर।। शितिकंठ सन्त।ति-खुट्टी ।। रत्ननेश्व।रापसगुलदी।। अथ गंगोलीग्राम-महामहो सुपट सन्तवति-गोम कटमा।। होरे सन्त ति-बिसपी।। हारू सन्तुति- देशुआल।। हरि सन्तरति-डुमरा।। दिवाकरापत्य्-दिगउन्धन।। गौरीश्वरर सन्त्ति जगनाथापत्यर-धर्मपुर।। कुमर-गंगोली वासी।। कमलपानि-वैगनी, वड़ग्राम।। डालू सन्‍‍तति-सकुरी।। गयन सन्तयति-खरसौनी ।। एते गंगोली ग्राम।। ग्राम अपथपबौली ग्राम-रवि सन्तीति-बिरौलि।। उदयकरसन्त ति-सपता देशुआल11 महिपति सन्त ति-कोशीपार डुमराही।। हरियाणि सन्ताति-गोधनपुर लक्ष्मीीदत्तापत्यअ-गोनोली ।। नारू सन्त ति भतौनी डहुआ।। रूद सन्‍‍तति-बछौनी।। रूद सुत पाठक भीम-भीरडोआ।। जागू सन्तनति-रयपुरा विशो सन्तदति-चणौर।। बासु गौरि सन्‍‍तति-महरैल।। केशव गोविन्दाूपत्य -राजे।। दामोदरापत्यस-राजे शिवदत्तापत्य।-बढि़याम।। गोगे सन्त।ति-सहुड़ी।। यशोधरापत्य -मेयाम।। दामू सन्त्ति-अम्माश।। पुण्यािकरपत्यय: पैकटोल पनिहथ उँदयी सन्त।ति-धेनु।। मधुकर रत्नाकर प्रभा कर दियाकरापत्यअ जगति एते पर्वपल्लीतग्राम।। अथ सोदपुर ग्राम-ग्रहेश्व रापत्यन-धउल।। रूद्रेश्वररापत्यम-विरपुर।। धीरेश्व‍रापत्यथ सुन्दथर विश्वेरखरापत्ये भवे माधव-हसौली।। रामापत्यद-रमौली।। बाटू-बड़साम।। रूचि बासुदेव-कुसौली यटाधरापत्य -पचही।। गयनापत्यद: रोहाड़ बहेड़ा।। रति हरि-टाटी बास्तु् सन्तयति-तेतरिहार।। रूपे सन्तयति-तिमरिवार।। बसाउनापत्य कन्हौबली।। कामेश्वूर सुरेश्वुर राम।।

(3) नाथापत्य)-भौआल।। कान्हाेपत्ये-सुखेत।। त्रिपुरे-अकडीहा रतिनाथापत्यह डालू-कटका।। बाटू सुत हलधर श्रीधर-केउँटगामा सुधाकरा पत्ये-गौर।। म. म. उ. जीवनाथापत्यर-दिगउथ।। म. म. उ. भवनाथ प्र. अयाचीसुत म.म.उ. शंकर मटो महादेव महो मासे महोदारो सन्त।ति सरिसन अपरा भवनाथ प्र. अचाचीसुत शम्भुमनाथ रूद्रनाथापत्यर- बालि।। महामहो देवनाथापत्यध-दिगउन्धथ।। महो रघुनाथापत्य्-रैयाम जोर सन्तनति-विठौली मिसरौली गोपीनाथापत्यथ- मानी, जगौर।। म. म. उ. जीनेश्वार सुत गणपति हरिपति-महिया लोकनाथापत्यय-माझियाम खोरि। हरदत्त काधदापत्यु शहड़ सुहथरि।। देवे सन्त ति-महिया।। एते सोदरपुर ग्राम।। अथ गंगोरग्राम—बीनू वासू कुरूम भौआल केशवापत्य।-अहियारी-पोनद।। सनाथ सन्तंति-विरनी वासी।। भोरे सन्तपति महिन्द्र पुर विठू कादि बेकक।।
अय पल्लीए ग्राम-हलधर सन्ततति-बनाइनि।। महामहो उँमापति समौलि, वारी, जरहरिया।। रूपनाथ सन्त ति गिरपति-समौलि।। पशुपति-समौलि।। महाप्रबंधक।। रघुनाथापत्यद: दड़मपुरा नरहरि, रघुपति सन्त्ति-समौलि।। देवधरापत्यब- कछरा, देउरी।। गांगु सन्त ति-दोउरी।। दिवाकरापत्यग-देउरी, सकुरी, मोहरी-कटैया घोटक रवि सन्तीति-कटैया।। ग्रहेश्वदरापत्यय: कछरा।। रामकरापत्यम-भालय।। जितिवरापत्य -राजेसतिश्व।रापत्य -सिम्भुानाम।। कान्हा्पत्या-पड़ौलि।। विरममिश्रापत्यर-ततैल।। रामदत्त सुत केशव सन्तयति-कान्हर-हाटी।। महाई सन्तिति-फूलदाहा माधवापत्य्-दिवड़ा।। इबे सन्तमति-बेहरा।। नरसिंहापत्य हरिपुर-मुरा‍री सन्तपति-मुराजपुर।। भोगीश्वतर राजेश्वबरापत्यस पुरे सन्त ति-अलयी।। वंशधरापत्यु-अलय।। गोविन्दा पत्यप-रैयम।। कीसे सन्त‍ति राम सन्तवति वाटू सन्तेति-नंगवाल।। प्रभाकरापत्यद-पर्जुआरि।। हिताई सन्त।ति-विस्यावक्षापत्यन नकेसुता-बैकुंठपुर।। हारू सन्तपति-नैकंधा।। कविराज

(4) ''आ'' सन्त4ति-मछैटा।। सिंहेश्विरापत्य -ननौर।। मित्रकरापत्य्-ननौर-राजखंड, पाली ।। जयकरापत्य -कुसमाल, पिण्डाारूछ, बारहता, रताहास पाली कछरा।। माधवा।। पत्यख गौरीश्व्रापत्यप अहियारी, टूपाभारी।। गणपति, गांगु सन्ताति-अहियारी ।। यशु, डगरू सन्तशति-कुरूम।। बागू सन्ततति-रोहाल, कटैया।। गोविन्दा् पत्या हचलू सुत दिवाकरा पत्य्-सुदई, षनिहथ।। होराइ सन्तगति-अडि़यारी।। रूद्रेश्वबरा पत्यन-भड़गामा। बाटू सन्त ति-सन्दशलाही, पाली पाली, विशानन्दय पत्य्-ब्रह्मपुर थेतनि सन्ताति-जलकौर पाली।। चन्दौनत पाली दुर्गादित्यी पत्यल-महिषी।। देवादित्य।पत्या-बिहार, महिषी समेत।। रतनू प्रoरत्नादित्यन पत्य -महिषी।। रत्नाकरापत्य--यशारी।। ततो धोधनि सन्तैति-यशरि।। विशो, श्रीकर, शुचिकरापत्यद-पुरोठी।। जीवे सन्तिति-मोनि।। बादन सन्त‍ती आसी।। सुधाधरापत्य। मांगुसन्त्ति-मोनी।। भवदत्तापत्यि-पुरोही।। शुभंकरा पत्यर-(100/05) जमदौली।। पौथू सन्तुति-परसौनी, जरहटिया, सकुरी।। कुसमाकर सन्त‍ति-जमदौली।। यटाघरा पत्यल-सकुरी।। जीवधर, वंशीधरापत्यभ-सकुरी।। बुद्धिधरा पत्यस-ततैल।। कान्हा0पत्यट-अलय, सकुरी।। इनसन्तिति सकुरी।। मुरारी सन्ततति रामापत्यध-महिन्द्र वाड।। विशो सन्तपति रूद्रेश्वनरापत्य -कोलहा।। गणेश्विर नन्दी‍श्वहरापत्यव-महिन्द्र वाड़।। हरिपुर।। विरेश्व्र नरसिंहापत्यन-रादी श्रीधरापत्या बेलउँच राढ़ी।। गुणीश्वदरापत्यप-कोइलखा।। ग्रहेश्व्रापत्यर चहुँटा।। गोपालापत्यय-समैया।। हरिपाणि सन्तलति-समैया।। बाछ सन्ततति होरेश्वलर मतिश्वडर मंगरौनी।। बाटू सन्ततति-कटउना।। जसू, सन्त ति-सकुरी।। गणपति सन्तरति भगवसन्त।ति-पचाढ़ी-गुणाकरापत्यत-बरेहता सोन्द-वाड़।। पुरादित्याव पत्यम-मृगस्थेली एते पल्लीा ग्राम

(5) हरड़ी।। धनेश्वार-मझियाम, कनईल, लोहना समेत।। लाखू सन्ततति-कनइल।। चाण सन्त)ति रतिश्वेर-छामू।। रामकर कृष्णाढकर थुगाम वासी।। भोगे सन्त।ति शंकर गूदे-दिवड़ा।। इबे-जरहरिया।। देवे सन्तयति-रहड़ा।। गोढ़े-रहड़ा।। गोन्द्न चाण-।। पुरोहित गोपाल सन्तिति मारू-वरूआड़ सुपे संखवाड।। श्रीकर-पेकटोल।। गौरीश्व स्तेरकुना।। मिश्र भगव-पुरामनिहरा।। चक्रेश्वेर सन्तगति-दहुड़ा करूहरा। देहरि ततैल।। सोम-ततैल।। सान्हि सन्‍‍तति गोधनपुर।। देवे सन्त्ति-कादिकापूर। (ताइ-तत्रेव ।। ।। गोना सकराढ़ी-थितिकरापत्यश-आङ्त्रावासी-मझियाम समेत।। बुधौरा सकरादी, दूबा-सकरादी अन्हािर बरगामा समेत।। एके सेकराढ़ी ग्राम।। अथ दरिहरा ग्राम-त्रिपुरारि सन्त।ति-सिंहाश्रम।। हरिकर बु‍द्धिकर रूपनादि विजनपुर।। यशस्परति सन्त-ति गणपति भड़ैली।। गुणपति सन्त-ति-पठोङत्री)।। विद्यापति-पुडरीक-मछदी। केशव-अमरावती। शिरू-कुरूम सोने सन्तहति भौजाल।। शिव-यमुगाम।। गुणाकर पद्मकर मधुकरपट्टो। प्रजाकररापत्यु-कुसुमाक-उड़गाम।। मित्रकरापत्यम-जरहि‍टआ।। प्रसाद गौरीश्वतरापत्यर-भरउड़ा सन्हावा समेत।। दिवाकरापत्यक-अलई।। दिनकरापत्यय सोनतौला।। रतिशर्म्मा।वस-सकुरी।। भवशर्म्मामपत्यप-ब्रह्मपुर।। यटाधर-ब्रह्मपुर।। शशिधरापत्यम-पनिहारी।। बागू गांगू तरहट।। गोविन्द् कान्हत-पचही।। नारू-यशराजपुर।। बाटू-ब्रह्मपुर।। इन्द्रिपति-आग्नेतय।। झोंटपाली दरिहरा सिमसिम कोइलख विश्वकनाथापत्य। महिसान कोइलख समेत।। विधुपति-तत्रैव।। होरे उराढ़ वासी।। गांगू-कछरा।। रघुपति सेघ कठरा।। कान्ह कटैया जादू सरहरावासी कृष्ण़पति गुणीश्व-र: फूलमति।। सुन्दतर गांगू-तंत्रैव।। मतीश्वदरापत्यर-सुन्पारअलई समेत।। सुरपति-गोलहरी, अलय समेत।। गिरीश्वकरापत्यन-उडिसम।। पण्डोैलि दरिहरा-हरिकर सन्तपति सिहौली।। शंकरपरनामक गोदे-नवहथ।। कान्हार पत्यट-नवहथ। आसो-चिलकौरि।। भाइ सन्तिति-ततैल, तेतरिया, सिमरि।।

(6) ''उ'' कनसम।। गोढि़ सन्त'ति-बढि़याम। सुपन सन्तहति-गांगू मिट्टी।। विशो-तत्रैव।। हिक सावे-दीघीया।। धीरेश्व'र सन्त।ति-तारडीह, जलकौर-दरिहोश। मिश्र कान्हाेपत्यि-मतउना।। गंगेश्वगर सन्तरति मिश्र दुर्गादित्यािपत्यर-चडुआल।। देवधरापत्यि।। अग्निहोत्रिक महामहोहरि सन्तशति-नेतवाड़।। नारू सुत रूचि-महुआल।। विभाकरापत्यग-सिंधिया।। प्रभाकर सुत जुधे-पटसा।। नोने-जगवाल।। नारू सुत बाटू प्रभृति-अन्दो्ली।। गोढि़ सन्तयति-धनकौलि मिश्र हरि सुत चण्डेनश्वडर-चंडगामा।। नारायण-उने।। मिश्र मतिकर-बघोली।। धामू सन्‍‍तति-पोजारी।। शूलपाणि-रतौली नीलकंठ-पोखरिया रूपन-रतौली।। खांतर-बड़गाम।। बासू सन्त ति-बाली मुनिप्रo विरश्वनरापत्यद दिवाकर-राजनपूरा।। रविकर-छत्रनछ राजनपुरा, सीसब समेत।। गुणाकर सिढि़बाला।। प्रसिढि़वाल।। हरिकर-जरहरिया, ततैल समेत।। ब्रह्मेश्व।रापत्य़ रत्नाकरापत्यर-पंत्र्चारी।। विश्वारूपसन्त ति-पनिहारी।। शूलपाणिभ्राता नीलकंठ-बोथरिया।। रूपन सुत भोग गिरी-रतोली।। यवेश्वडर-जरहरिया-ब्रहमेश्वबर तत्रैव।। एते दरिहरा ग्राम।। अपथ माण्डिर ग्राम-गढ़ माण्डरर कामेश्वारापत्यह-बथया।। महत्तक जोर सन्तरति-बघांत।। सुइ भवादित्प-त्यड-कनैल, मुठौली समेत।। दिवाकरापत्य - जोंकी, मढि झमना।। हरदत्त सन्त ति-खनतिया।। गुणाकर, जयकर-खनतिया।। माधवापत्यठ-अरडिया।। रति, डालू-भौआल, दोलमानपुर।। बेगुडीहा।। खांतू। ठाकुर, सरवाई, केउट्रै सन्ततति-भौआल।। गदाई-दोलमानपुर-केशवापत्यं-असमौ।। कानहापत्य,-आसमा।। सूपे, विभू-कटमा विभू, भानुकर पिलरवा।। कविराज शुभंकरापत्यप-कटमा।। वागीश्वउरापत्यस-महिषी, गांगे।। रूपधरा पत्यल=मङत्र्रौनी।। रविदत्तापत्यज विशो-देउरी।।

(7)
हरिकर-विजहरा।। खांत-जरहरिया।। हरि-मङरौना।। होरे-केउँट गामा।। सुधाकर-वारी।। शुभंकर-सकुरी।। पशुपति सन्त।ति गुणपति-ओकी।। (18/09) (18/09) शिवपति इन्द्रिपति-रजौर। कृष्णणपति-पतौनी।। रघुपति-(18/03) जगौरा।। प्रजापति-अमरावती।। छीतर- जगौर।। आड़नि सन्त्ति कुलपति कटैया।। नरपति-दहुला।। रविपति-कटका।। महादेव-सिर खडि़या (श्रीखंड)।। रतिपति-(18/03)-सिहौलि)। दूबे-दुबौली।। पौखू-बिठुआला।। धनपत्याड- सरहद।। विधूपति-पतनुका।। सुरपति, रतन-कनखम।। सोम-बेहद।। भवे, महेश-कटैया।। गुणीश्ववर-कटाई।। पीताम्ब/रा पत्यस-कटाई, जमुआल।। देवनाथा पत्यब मिश्र नन्दीड सन्त ति-बेहटा।। जीवेश्वुरापत्य0-ओंराम।। सिंगाई-ननौरा।। दुगाई-तेतरिहार।। नगाई-कोइलख।। बागीश्‍वरापत्यप-सकुरी।। रूचिकराव शीरू-जरहरिया, मकुरी।। लक्षमीकांतापत्यी-त्रिपुरौली।। हरिकान्ताुपत्या दहिला।। उमाकन्ता- पत्यर ब्रहम्पु्र सुगन्धै सन्ताति-कनसी।। महेश्वारापत्यह मझौली।। गुणे मिश्रापत्यन-थुबे, खरका ।। सोरि मिश्रापत्य्-ब्रहमपुर।। गयन मिश्रा पत्य।, वीरमिश्रापत्यि-वारी सकुरी।। हरिशर्म्माकपत्यि सुधाकरादि-मृगस्थुली थेछ मिश्रापत्यर-अन्दौयली।। सुरेश्वमरापत्यु। ग्रहेश्वहरापत्य -कटउना।।हरि मिश्रापत्यथ-कटउना।। ऋषि मिश्रापत्यश-बेलउँजा।। यति मिश्रापत्यि-कटउना ।। कीर्तू मिश्राद मतीश्व्रापत्यग-गोआरी।। गिरीश्व्रा पख-मिश्ररौली।। हरे मिश्रापत्यम-खपरा ।। बाछेमिआपत्य -हरखौली।। हेलन, नरदेव-लेखद्विया।। शिवाई सन्तमति-वलियास, धयपुरा।। सर्वानन्दा-दलवय, सकुरी।। दलवय स्थित-असगन्धील।। चन्द्रेकरापल-कोवड़ा।। कुलधर, रामकरापत्यप-दिपेती, बेतावड़ी।। चोचू मोचू-पीहारपुर गोआरी समेत गोपाल सज्ज-न-ब्रह्मपुर, जगतपुर।। मित्रकरापत्य्, रूपनापत्यड-महिषी, सकुड़ी ।। सुथवय सन्तरति-अपोरवारि, जहरौली।। रतिधरशुमे-कनपोरवरितरौनी।। हरि सन्त‍ति-निकासी, यमुगाम।। एते माण्डिर ग्राम:।।

(8) ''ऊ''
अथ बलियास ग्राम।। भिखे, चुन्नी।, नितिकारपत्या-चुन्नी।।। दूबे सकुरी ।। सुरानन्दु-बैकक वासी।। रति सन्तखति-खड़का।। शिवादित्याू पत्यप मुराजपुर, ओगही, यमुथरि।। शुभंकरापत्य -ततैल, कमरौली 11 नन्दी् सन्तपति-भौआल, अलय, सतलखा।। सुधाकरापत्य -जरहरिमा।। राम शम्भरपित्यू-जादू धरौरा।। केशव-यमसम।। शक्ति श्रीधर-सकुरी महिन्द्रिपुर समेत।। मद्ध सन्तीति नारायण सिमरी, जालए, कड़का।। महन्थध सन्तीति माडर शिरू सन्ततति-बिशाढ़ी।। रूद्रादित्यारपत्य।-विठौली।। रूचि सन्तरति उदयकरापत्य्-नरसाम।। एते वलियास ग्राम:।। अथ सतलखा ग्राम: गुणाकर-डोक्हिरवासी।। विभू सन्तदति भाष्कररापत्य।-सतौलि।। दिवाकरापत्यर-सतौलि।। चन्द्रे श्वारापत्यू-कत्रडोली।। शंकरापत्यय-सतलरवा लोहरा पत्य।, नन्दीरश्वारापत्यल, यवेश्ववरापत्यप-कछरा।। अथ एकहरा ग्राम:-श्रीकर-तोड़नय।। जाटू सन्ताति-सरहद।। शुभेसन्त्ति-मैनी।। सोने सन्तयति-मण्ड‍नपुरा लक्षमीकरापत्यग-संग्राम।। रूद सन्त।ति-आसी।। धाम-नरौंध, जमालपुर।। गढकू-कसरउढ़।। बाटू-सिंधाड़ी।। थिते-खड़का ।। मिते-कन्हौसली।। गणपति पतउना।। जाने-ओड़ा।। कोचे-रूचौलि।। शुचिकरापत्यत मुराजपुर।। चित्रेश्वतरपत्या-नरौंछ।। एते एकहरा ग्राम।। अथ विल्व्पंचक (बेलउँच) ग्राम: धर्मादित्यातपत्यि-सिसौनी ।। रामदत्त हरदत्त, नोना दित्याख सन्त।ति- रतिपाड़।। शुधे सन्तरति-सुदई।। शिरू-द्वारम।। गयादित्यासपत्यत-ओगही।। महादित्यग कर्म्म़पुर बछौनी समेत।। जीवादित्यश-उजान।। रूद्रादित्यत-दीप सुदई।। सर्वादित-तडि़याड़ी।। देवादिल-ब्रह्मपुर।। स्त्ना दित्य।-काको।। मिचादित्याुपत्यत नारू-काको वासू-देड़ारिया प्राणादित्य- पस हरि, गयन-कन्होदली।। शुपे-कोलहट्टा।। रूकमादित्यू-ओझौली।। केउँदू-सकुरी।। महथू-सकुरी।। चौबे सन्तयति-सतलखा।।

(9)
अथ हरिअम ग्राम-लाखू सन्त ति-रखवारी।। केशव-दामू-मंगरौना।। मांगू-नरसिंह-शिवां।। (18/09)-हारू शिवा।। (27/05) नरहरिसन्तनति-वलिराजपुर चाण दिनू-कटमा।। परमू लाखू-आहिल।। रति गुणे-कटमा।। माधव सुत सन्तनति-अच्छी। ।। एते हरिअम मूलग्रामा।। अथ टंकवासटाम् कविराज लक्ष्मी।पाणि-नीमा।। सुरेश्व्रापत्य।, दामोदरापत्यप-पटनिया गंगोली।। रवि शर्मा खंग लक्ष्मी् शर्म्भा्-ब्रहमपुर।। पतरू, शीरू-पटनियाँ पोरवरौनी भौर, सकुरी ।। जागे सन्त्ति-रतनपुरा।। महाई सन्तसति-परिहार।। देवदत्तापत्यट-पीलखवाड़।। रविदत्तापत्य।-बहेड़ा।। पाँखूसन्ताति-सिरखंडिया (श्रीखंड)।। सुपन, मारू सन्तवति-नरधोध।। हराई, शुचिकर, प्रीतकरापत्यं-अकुसी।। हरिप्रहन- पोराम।। दोमोदरपत्य -बेहरा।। उँमापति सन्तकति-ततैल।। एते तंकवाल ग्रामा:।। अथ घोसोतग्राम: रतिकान्ह्-पचही।। रूचिकरापत्ये-नगवाड़।। रूद सन्ततति-यमुथरि।। रूद सन्त ति-गन्धाराइनि।। गणपति सन्तरति-घनिसमा।। कृष्णूपति सन्ततति-खगरी।। पृथ्वीोध्रारपत्यप-सकुरी।। रूद्र चन्द्र -डीह।। एते घोसोत ग्रामा:।। अथ करम्परख ग्राम इन्द्रकनाथा पत्यग कोई लख।। शोरिनाथापत्यर-दीघही।। रामशर्म्मािपत्य्-ब्रह्मपुर।। रतिकरापत्य -मझियामा बुद्धिकरापत्या सन्त ति कान्हा।पत्य् ककरौड़ हचलू सन्तधति-कनपोखरि।1 गणेश्वारापत्यय-केडरहम।। लान्हीश सन्त्ति-गोढि़-सैतालवासी।। सदु-रूचि सन्तखति हरदत्तापत्यन-घनकौलि।। नितिपत्यम-बछांत।। नोने सन्ततति-वेला।। लान्हि सन्तुति मुरदी।। सादू सन्तरति-ककरौड़।। मांगू सन्ततति-सोन,कोलखू, मघेता समेत।। मधुकरापत्यद-दोलमानपुर।। सदुo रूचि सन्ततति हरदत्तापत्ये-धनकौलि।। नितिपत्यर-बछांत।। नोने सन्तरति-वेला।। लान्हि सन्ततति मुरदी।। सादू सन्तोति-ककरौड़।। मांगू सन्ततति-सोन, कोलखू, मघेता समेत।। मधुकरापत्य -दोलमानपुर।। सदुoगिरीश्वनर सन्तिति नरसिंह नडुआर।। श्रीवत्सश सन्तलति-बेहट।। सदुo केशव-सिरखंडि़या (श्रीखंड)।। वराह सन्तंति-तरौनी।। रामावत्य‍-तरौनी।। कान्हम, श्रीधर-तरौनी।। रघुदत्त रूचिदत्त-रूचौलि।। सदुपाध्याुय

(10) ''इ''
माधवापत्यु-मझौरा।। सदु. रामापत्यत-झंझारपुर।। गुणीश्वररापत्यु-झंझारपुर।। सदुo भवेशवरापत्यर-अनलपुर।। हरिवंशापत्यर मुजौनिया।। शिववंशापत्यश-रोहाड़।। धूर्त्तराज म.म.उ. गोनू सन्तहति-पिण्डोनखडि़।। एते करम्बयहा ग्राम:।। अथ बूधवाल ग्राम: रविकरापत्यय-खड़रख सुरसर समेत ।। सुये सन्ततति-ब्रहमपुर।। राम चाण-मझियाम।। ढोढ़े-बेलसाम।। उगरू-सतलखा।। कान्हायपत्यण-वेलसाम।। दूबे, हरिकर-हरिना।। दामोदर-सकुरी।। राम दिनू-सुन्दारवाल।। गंगादित्यो विकम सेतरी।। सदुo भानुसुत गणेश्वपरापत्यर-परिणाम ।। गुणीश्वगरापत्यस उजान।। कोने-पीलखा।। गंगेश्वशर-मलिछाम।। रूचिकर रतिकर-गंगौरा।। महेश्वखर-फरहरा।। गौरीश्वपर-मदिनपुर।। विशो सुधाकर-डुमरी।। सूर्यकर सन्तगति-सिडरी।। ग्रहेश्वफर-महिषी ।। भोगीश्वमर-चिलकौलि बासू बोधाराम।। उदयकर-आड़ी।। पौथे धरमू-मुठौली।। कान्हा पत्यय-बुधवाल।। जगन्नामथापत्य--सिंधिया।। एते वुधवाल ग्राम।। अथ सकौना ग्राम-वाटन सन्तजति- सिंधिया।। हरिश्वपरपत्य -दिवड़ा।। सोमेश्वारापत्य्-बघांत।। बाबू सन्ताति डीहा।। रति गोपाल दिनपति-तरौनी।। रूद सन्तयति-जगन्ना।थपुर।। गुणे-महिपति-सरिरम।। शुचिनाथपत्यि परसा।। गुणे मासे-ततैल।। एते सकौना ग्राम: अथ निसउँत ग्राम:- पण्डित सुपाई सन्तयति-तरौनी तरौनी।। रघुपति-पतउना।। जीउँसर सन्त।ति-कुआ।। इतितिसॉं अथफनन्दनह ग्राम: श्रीकरापत्यि-बथैया।। कुसुमाकर, मधुकर, किठो सन्ताति, विठो ब्रहनपुर।। हाठू-चाण।। बसौनी-ब्रह्मपुर ।। सुखानन्दथ गुणे-सिसौनी गांगू-सकुरी।। सदुo गोंढि़-खनाम।। मतीश्व र, पौखू-चोपता।। शंकर-खयरा।। महेश्वार-डीहा सोम गोम माधव केशव-भटगामा।। विरेश्ववरापत्यप सिंहवाड़, सिन्हु।वार।। लक्ष्मीू सेवे-सकुरी।। भवाईरूद-वोरवाड़ी, भटुआल, दरिहरा, सिमरवाड़, मुजौना समेत।। एतेफनन्दिह राम:।।




(11) अथ अलय ग्राम।। बाढ़ अप्रलय, उसरौली, बोड़वाड़ी, सुसैला, गोधोखीच।। शंकरापत्यव-गोधनपुर सिंधिया समेत।। श्रीकरापत्यव-उजरा।। हेतू सन्तीति-सुखेत सुखेत मिश्र (रमिमांशक) हरि देवधरापत्यी-सिंधिया।। बासू सन्त ति: जरहरिया बाढ़ वासी। रविशर्म्मव-जरहरिया।। धारू सन्ततति-बेहरा।। शिरू-धमडिहा, कादिपूरा गोविन्दी सन्तदति-बेहद।। म.म.उ. गदाघर-उमरौली।। परभू वुद्धिकर-बैगनी।। रत्नघर सन्ततति भवदत्त-भटपूरा।। शिवदत्त-अजन्ताा।। मिश्रा भिमांशका सुधाधरपत्यि उसरौली।। लक्ष्मी धरापत्यत हलधर सन्तशति-यमुगम।। शशिधर, रघु, जाटू-अलयी।। यवेश्वतर-अलयी।। गंगाधरापत्यद-यमुगाम।। मिश्र मिनशक लाखू भूड़ी गणेश्विर-परमगढ़।। सिधू-वाड़वन।। दोदण्ड् अल्यी् लोआमवासी।। जसाई-डीहा।। रूद-खड़हर।। रमाई-राजे वासी।। विश्वे।श्वीर मतिश्वरर-उसरौली।। वेद सन्तनति-मलंगिया नान्य।पुर अलई, सिमरी, रोहुआसमेत गंगुआल बाथ राजपुर वासी।। कितिधरापत्य।-सकुरी जयकरापत्यर-कड़रायिनि।। सुधाकरापत्ये कड़रायिनि, मुराजपुर।। गोनन-कटमा गंगोली बेकक समेत। कोठों कटमा।। साठू विशादी दोलमानपूर।। रूद्र-गंगोली।। कुशल गुणिया-भरगामानालय समेत एते बभनियाम ग्राम:।।
अथ खौआल ग्राम: श्रीकरापत्यश-महनौरा।। रतिकर सुधाकरापत्य्-महुआ।। चन्द्र करापत्यव: महुआ।। रूचिकरापत्यि-महुआ मतिनुपुर।। स्थितिकरापत्यर: महिन्द्रा दिवाकरापत्यर-कोवोली।। हरिकरापत्यत-महुआ।। आदावन-परसौनी।। बाछे दोढ़े सन्तमति-रोहुआ।। वेणी सन्तलति: रोहुआ।। उँमापति सन्तसति-नाहस ।। विश्वहनाथापत्यद अहिल।। बुद्धिनाथ रूचिनाथापत्यत-खड़ीक।। रघुनाथापत्यत-द्वारम।। विष्णु् सन्तथति: द्वारम।। नोने जगन्नाथथापत्यय-वुसवन।। राम मुरारी शुक सन्त।ति-पण्डो्ली।।

(12) ''ई'' बाटू सन्ततति-ब्रह्मपुर तिरहर मौडु।। साधुकरापत्यत-दडिमा।। हरानन्दत, सन्तदति-अहियारी।। भवादित्यातपत्यर-नाहस देशुआल।। पॉंखू-बेहटा।। भवे सन्त।ति धर्मकरापत्य -देशुआल।। डालू सन्ततति-दडिमा।। दामोदरा पत्ये-तरहट बह्मपुर।। राजनापत्य‍-यगुआल।। प्रितिकरापत्य -पचाडीह (पचाढ़ी।। पतौना खौआल दिवाकरापत्यर-घुघुआ।। भवादित्या।पत्यत-ककरौड़ खंगरैढा समेत।। बैद्यनाथ प्रजाकारक रघुनाथ कामदेव-मौनी, परसौनी।। गोपालापत्यर कृष्णादपत्यर-कुमरि, खेलई।। शशिधरापत्यर नरसिंहापत्यत-बोड़वाड़ी कोकडीह, छतौनिया।। दामोदरापत्य्-कोकडीह।। नयादित्यामपत्यव-बेजौली।। द्वारि सन्ताति जयादित्या पत्यण सुखेत, सर्वसीमा।। शुचिकरापत्यल-दिगउन्धव।। आड़ू सन्तयति रघुनाथापत्य,-मुराजपुर ब्रह्मपुर।। जीवेश्वयरापत्य।-दिगुम्धत।। भवेसन्तउति-मिट्टी, सतैढ़, बेहट।। दूबे-सन्तजति-ब्रह्मपुर।। हेलु सन्तनति-सतैढ़ रविकर सन्तभति तत्रैव।। प्रसाद मधुकर सन्त्ति बेहदा।। दिवाकरापत्य। पिथनपुरा।। गंगेश्व‍रापत्यु-कुरमा, लोहपुर।। लम्बोुदर सन्ततति-कुरमा।। नाइ सन्ततति-पिथनपूरा।। राजपण्डित सह कुरूमा।। रामकर सन्ततति मिट्ठी खंगरैठा, गनाम।। आङत्रनि सन्तनति-सौराठ।। मति गहाई, केउँदू सन्तखति-सिम्वतरवाड़।। एते खैआल ग्राम:।।
अथ संकराढी ग्राम:-महामहोकारू सन्ताति भगद्धर गोविन्दि सकुरी।। प्रितिकर-कादिगामा।। शुभे सन्ततति-अलय महामहो हरिहरापत्यग-सुन्द रौ गोपालपुर।। जयादित्यागपत्सम-मलुनी सरावय।। परमेश्वतर-नेयाम।। सदु सुपे-हरड़ी।। रामधरापत्यस-अलय।। हरिशर्म्मा सन्तमति-सिधलमुरहदी।। रेकोरा संकख्दीआ-होरे-चांड़ो-परहट।। सोम-गोम-शक्रिरायपुर।। हरिश्व‍र-सकराढ़ी वासी।। जीवेश्वकरापत्यय-बेला आधगाउ।। गयन द्वारिकादि।।


(13) नोने विभू सिंधिया-गढ़ बेलउँच-सुपन अकुनौली।। कौशिक-कुसौली।। लक्षमीपाणि-सुशरी।। पाँवू-देयरही।। एते बेलउँचग्राम: अथ नरउनग्राम: बेलमोहन नरउन यटाधरापत्यय-मदनपुर।। रातूसन्तवति-करियन।। गर्व्वेुश्वशरापत्यौ: सिंधिया।। डालू सन्तरति रूचिकर: मलिछाम।। चन्द्र्कर टुने सन्तलति-सुलहनी।। विशोसन्त्ति-त्रिपुरौली।। हेलूसन्तूति भखरौली।। दिवाकरा पत्य्: सुरसर, कवयी।। दिनकरापत्य्-पुड़े।। खांतू कोने-वत्सलवाल।। शक्रिरायपुर नाउन-दामोदरापत्यी-जरहरिया। मुरारी=तेघरा।। योगीश्व्रापत्यौ-ओझोलि करियाम।। जगद्धरापत्यर-वोडियाल।। चक्रेश्व रापत्यर-शक्रिरायपुर।। नोने सन्तसति-मलंगिया, करहिया, पंचरूखी।। होरे सन्तशति नयूगामा।। कामेश्वुरापत्य। चकौती भवेश्वारापत्यग-मैलाम।। जौन सन्तरति-आहिल।। यशु आदितू डीहाआहिल।। वावू पाठकादि-मेलाम, कटउना विसपी समेत।। कामेश्व।रापत्यत पौनी, सकियाल।। देहरिसन्तवति-कनौती, तरौनी, लान्हूवसन्त ति-उल्लूय।। जगन्नालथापत्या हरदत्त-खड़का, वगड़ा बयना समेत।। आङनिसुत पदमादित्यानपत्यस-मंगनी, सिरखडिया, महालठी, लोही, चकरहट, कर्नमान तनकीसमेत।। हरिनाथापत्यव मखनाहा, कत्र्जोली।। चण्डेिश्व रापत्य। हरिवंश सुत रत्नाकरायपत्यि-बथैया ।। चक्रेश्वंर-कुरमा।। बाटू सन्तहति-चक्रहद, सिडली बासी।। विरपुर पनिचोम-रातू सन्तथति-सुन्दररवाल।। हारू सन्तसति करियन।। वास्तु् सन्त ति-मिट्टी।। महेश्वारापत्यय-देशुआल।। दिनकर मधुकरापत्यस-जरहरिया ।। रामेश्वारसन्त्ति चन्द्र।करापत्‍य-अलदाश।। विर सन्‍‍तति केशवापत्यस-भरौर, शहजादपुर, वलिया समेत।। वासुदेव सन्तदति ददरी।। सोनेसन्ताति-ब्रहमौलि।। धराई सन्‍‍तति-अमरावती-रात सन्तवति-करीहया, उसरौली आदित्यनडीह।। हरिश्वलरापत्यि-डीहा।। सोमेश्व र-बधांतडीह।। रधु: रामपुर डीटा रवि गोपाल-तरौनी।। हरिशर्म्मा पत्यि-महुआ।। बाटनापत्य।-तरौनी, बैगनी।। रूचिशर्म्मा -जगन्ना।थ, भरिरभ।। शुचिनाथापत्य।-ततैल ।। शशिधर-ब्रह्मपुर निहरा, भवनाथापत्या पुरसौली।। देवादित्यािपत्यश-पुरूषौली।। ऐते पनिचोभ ग्राम:।। अथ कुजौली ग्राम:-गोपाल सन्त।ति-हरिश यशोधर-बेहटा।। सुपन, नाँथू पौथू लक्ष्मीीकर-भरवरौली।। जीवे, जोर-मलंगिया।। मेधाकर-वनकुजौली।। रातू सिम्मुपनाम कन्धँराइन।। सुरपति।। वड़सामा गणपति-दिगउन्ध ।। लक्ष्मीशपति-महिन्द्र वाड़।। चण्डेथश्व।रहरि-दिगउन्द साने-लोड़ाम, महोखरि।। विष्णु कर-परसौनी।। रूपन-कन्धिरानि।। सोम-लोआम।। राजूसन्त्ति सुधाकर-सरावय।। लक्ष्मीौकर सुत प्रज्ञाकर अमृतकर-वेजौली। देवादित्य्-दिखौडि।। चन्द्र।करापत्या-खयरा।। प्रितिकर-बेलहवाड़।। वेदग्डी।ह कुजौली।। विरेश्वयर-रूदनिग्राम।। भव बैकक, मल्द‍डीहा।। परान्ति सन्त ति-नेत्राम।। ऐते कुजौली।।

(14) ''14''
अथ गोत्र पत्र्जी लिखयते।।:-शाण्डिल्येर दिर्धोष: सरिसब, महुआ, पर्वपल्लीच (पबौली) खण्डोबला, गंगोली, यमुगाम, करियन, मोहरि, सझुआल, भंडार:।। पण्डो(ली जजिवाल, दहिमत, तिलई, माहव. सिम्मुसनाम सिहांश्रम, ससारव: (सोदरपुर) स्तनलित कड़रिया, अल्लातरि, होईया, समेत तल्हुनपुर, परिसरा, परसंडा, वीरनाम, उत्तमपु कोदरिया, धतिमन, बरेबा मधवाल, गंगोरश्रय, भटौरा, बुधौरा ब्रह्मपुरा कोइयार, केरहिवार, गंगुआलश्चा, धोसियाम, छतौनी, मिगुआल ननौती, तपनपुरश्रवा।। इति शाणि अथ वत्सा गोत्र:-पल्लील (पाली) हरिअम्बो, तिसुरी, राउढ़ टंकबाल धुसौत, जजुआल, पहद्दी जल्लनकी (जालय) मन्दपवाल, कोइयार, केरहिवार, ननौर, उढ़ार प्रथि करमाहाबुधवाल, भड़ार लाही, सोइनि सकौना, फनन्द ह, मोहरी, बढ़वाल तिसउँत वरूआली पण्डो़लि, बहेरादी, बरैवा, भण्डा रिसम, बभनियाम, उचित, तपनपुरा, बिढुका नरवाल, चित्रपल्लीप, जरहरिया, रतवाल, ब्रह्मपुरा सरौनी।। एते वत्‍स गोत्रा।। अथ काशयप गाम दानशौर्य्य प्रतापैश्र्च प्रसिद्धा यत्र पार्थिवा: ओइनिसा सर्वत: श्रेष्ठाौ स्वशस्वि धर्म प्रवर्तिका:।। ओइनि, खौआला संकराढ़ी, जगति, दरिहरा, माण्डयर बलियास, पचाउट, कटाई, सतलखा पण्डुओआ, मानिछा मेरन्दी् मडुआल: सकल पकलिया बुधवाल, पिमूया मौरि जनक मूलहरी महा काशयमे छादनश्च्, थरिया, दोस्तील, मरेहा, कुसुमालंच, नरवाल, नगुरदहश्रप ।। एते काश्य्प गोत्रा:।।


(15) अथ पराशरं गोत्र:-नरउन सुरगन सकुरी सुइरी पिहवाल, नदाम महेशरि सकरहोनश्र्च सोइनि तिलै करेवाचापि।। एतेपराशरगोत्र अथ कात्याुयन गोत्र: कुजौली, ननोत, जल्लशकी, वतिगामश्र्च।। एते कात्यातयन गोत्रा:।। अथ सावर्ण गोत्र: सोन्द पुर, पनिचोभ करेवा नन्दोमर मेरन्दीा।। अथ अलाम्वु्काक्ष गोत्र: वक्ष्याौम्प्र लाम्बु काक्ष कटाई, ब्रह्मपुरा चापि। ।। अथ कौशिक गोत्रे-निखूति अथ कृष्णा्त्रयगोत्र: लोहना बुसवन सान्द्र पोदोनी चo।। अथ गौतम गोत्र:-ब्रह्मपुरा उत्तिमपुर कोइयारं चापि गौतमो।। अथ भारद्वाल गोत्र: एकहरा बेलउँच (विल्वदपंचक) देयामश्रापि कलिगाम भूतहरी गोढ़ार गोधोलिचो।। एते भारद्वाज गोत्रा अथ मोद्त्रल्यर गोत्र: मौदगल्यैम एतवालो मालिछस्ताथा दीर्घोषोपि काप्य जल्लीाकी तत्र वर्त्तते।। एते मोद्गल्थो गोत्रा।। अथ वशिष्ठ‍ गोत्र: कौशिल्येघ पुनश्चर कोथुआ विष्णु वृद्धि वाल।। एते वशिष्ठो गोत्रा:।। अथ कौण्डिल्य गोत्र: एकहटयूविशल्युे पाउन स्पीथ गोत्राश्र्च।। एते कौण्डिल्योगोत्र।। अथ परसातंडी गोत्र-केटाई।।


16 ''ऐ''
17
विशद कुसुम तुष्टाऐ पुण्डयरी कोप विष्टाो धवल वसन वेषा मालतीवद्ध केशा।। शशिधर कर वर्णा शुभ्रजातुङत्रवस्था‍ जयतिजीतसमस्ताक भारती वेणु हस्ताव।। सरस्वकती महामायै विद्याकमल लोचिनी। विश्वारूप विशालाक्षि विद्यान्दे हि परमेश्व‍री।। एकदन्तव महावु‍द्धिः सर्वाजोगणनायक: सर्वसिद्धि करादेवों गौरीपुत्र विनायक गंगोलीसैबीजीगंगाधर: ए सुतो वीर (05/04) नारायणों। तत्र नारायणसुत: (181/02) शूलपाणि। ए सुतो हाले शॉंईकौ।। थरिया सॅकान्ह दौ।। खण्डतबला ग्रामोपार्यक:।। साइँक: शकर्षणा परनामा ए सुता भद्रेश्वकर दामोदर (05/06) बैकुण्ठ/ नीलकंठ श्रीकंठ ध्याननकंठा ।। तत्र (09/0/) दामोदर एकमावासी बैकुण्ठव सन्तडति पाठक वासी।। नीलकंठ संतति संसारगुरदी गसी।। श्रीकंठ संतति गुरदी, हरड़ी सरपरब, और वासिन्य :।। श्रीकंठसुता श्या्मकंठ हरिकंठ नित्या‍नन्दा गंगेश्वुर देवानन्द़हरदत्त हरिकेशा: तत्रायो पत्र्चज्येसष्ठा सकराढ़ीसै डालू सुत दौपतौनाखौआलसै गणपति द्दौणा अन्यो‍ पतऔना खौआल सै गणपति दौ।। तत्र गंगेश्वयर सुता हल्लेलश्व्र चक्रेश्वदर पक्षीश्वपरा: सै सुत दौ सै द्दौणा हल्लेरश्व रो गुरदीवासी।। चक्रेश्व रौ हड़री वासी।। ए सुतो पद्मनाम:।। डीहभण्डाारिसम सै शौरि दौ।। तत्र पद्मनाम सुतो पुरूषोत्तम: गढ़बेउँचसैअभिनन्दह दौ।।

18
पुरूषोत्तम सुतो ज्ञानपति: माउँबेहट सै हरिकर सुत बाटू दो।। ज्ञानपति सुतो उँमापति सुरपति एकमा बलियास सै आङनिसुत बाढ़ दौ।। एकमा वलियाससैबीजी धरणीधर। ए सुता पद्मनाम श्री निधि श्री नाथाः।। (15/04) पदमनाम सुतो शुक्लु हरिवंश (08/07) हरि शर्म्माणौ बरेबा सै पुरूषोत्तम दौ शुकलहरिवंश सुतो आङनिजगन्नाुथौ बाढ़ अपलयसै वर्द्धमान दौ।। आङनि जगन्नासथौ बाढ़ अपलयसै वर्द्धमान दौ।। आङनि सुतो बाढ़ूक: महुआसै जगन्ना।थ दौ।। बाढ़ सुता बरूआलीसै देहरि दौ वरूआली मराढ़सै बीजी दिवाकर: ए सुतो बाछ श्रीहर्ष:।। श्री हर्ष सन्त ति मराढ़वासी बाछ सन्‍‍तति बरूआली वासी।। बाछ सुतो।। ‘'आवस्थिक’’ चन्द्रनकर रत्नाकर (121/05) मधुकर साधुकर विरेश्व0र धीरेश्वार गिरीश्वजरा: धनौजसै जनार्दन दौ।। साधुकर सुतो धाम: पनिहारी दरिहरा सै गंगेश्व र दौ गंगेश्वजर दौ।। अपरौ देहरि: पनिचोभसै विध्नेकश्वछर दौ।। देहरि सुता दरिहरा सै गंगेश्वगर दौ।। ठ. सुरपति सुता दूबे ला (27) (34/08) महिपतिय: मंगरौनी माण्डगरसै पीताम्बौर सुत दामू दौ माण्डररसैवीजी त्रिनयनभट्ट: ए सुतो आदिभट्ट: ए सुतो उदयभट्ट: ए सुतो विजयभट्ट ए सुतो सुलोचनभट (सुनयनभट्ट) ए सुतो भट्ट ए सुतो धर्मजटीमिश्र ए सुतो धाराजटी मिश्र ए सुतोब्रह्मजरी मिश्र एसुतो त्रिपुरजटी मिश्र ए सुत विघुजयी मिश्र ए सुतो अजयसिंह: ए सुतो विजयसिंह: ए सुतो ए सुतो आदिवराह: ए सुतो महोवराह: ए सुतो दुर्योधन सिंह: ए सुतो सोढ़र जयसिंतर्काचार्यास्त्रु महास्त्र विद्या पारङ्त्रत महामहो पाध्या य: नरसिंह:।।




२.भारत आ नेपालक मैथिली भाषा-वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली
मैथिलीक मानक लेखन-शैली

1. नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक उच्चारण आ लेखन शैली आऽ 2.मैथिली अकादमी, पटना द्वारा निर्धारित मैथिली लेखन-शैली


1.नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक उच्चारण आ लेखन शैली

मैथिलीमे उच्चारण तथा लेखन

१.पञ्चमाक्षर आ अनुस्वार: पञ्चमाक्षरान्तर्गत ङ, ञ, ण, न एवं म अबैत अछि। संस्कृत भाषाक अनुसार शब्दक अन्तमे जाहि वर्गक अक्षर रहैत अछि ओही वर्गक पञ्चमाक्षर अबैत अछि। जेना-
अङ्क (क वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ङ् आएल अछि।)
पञ्च (च वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ञ् आएल अछि।)
खण्ड (ट वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ण् आएल अछि।)
सन्धि (त वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे न् आएल अछि।)
खम्भ (प वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे म् आएल अछि।)
उपर्युक्त बात मैथिलीमे कम देखल जाइत अछि। पञ्चमाक्षरक बदलामे अधिकांश जगहपर अनुस्वारक प्रयोग देखल जाइछ। जेना- अंक, पंच, खंड, संधि, खंभ आदि। व्याकरणविद पण्डित गोविन्द झाक कहब छनि जे कवर्ग, चवर्ग आ टवर्गसँ पूर्व अनुस्वार लिखल जाए तथा तवर्ग आ पवर्गसँ पूर्व पञ्चमाक्षरे लिखल जाए। जेना- अंक, चंचल, अंडा, अन्त तथा कम्पन। मुदा हिन्दीक निकट रहल आधुनिक लेखक एहि बातकेँ नहि मानैत छथि। ओलोकनि अन्त आ कम्पनक जगहपर सेहो अंत आ कंपन लिखैत देखल जाइत छथि।
नवीन पद्धति किछु सुविधाजनक अवश्य छैक। किएक तँ एहिमे समय आ स्थानक बचत होइत छैक। मुदा कतोकबेर हस्तलेखन वा मुद्रणमे अनुस्वारक छोटसन बिन्दु स्पष्ट नहि भेलासँ अर्थक अनर्थ होइत सेहो देखल जाइत अछि। अनुस्वारक प्रयोगमे उच्चारण-दोषक सम्भावना सेहो ततबए देखल जाइत अछि। एतदर्थ कसँ लऽकऽ पवर्गधरि पञ्चमाक्षरेक प्रयोग करब उचित अछि। यसँ लऽकऽ ज्ञधरिक अक्षरक सङ्ग अनुस्वारक प्रयोग करबामे कतहु कोनो विवाद नहि देखल जाइछ।

२.ढ आ ढ़ : ढ़क उच्चारण “र् ह”जकाँ होइत अछि। अतः जतऽ “र् ह”क उच्चारण हो ओतऽ मात्र ढ़ लिखल जाए। आनठाम खालि ढ लिखल जएबाक चाही। जेना-
ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ, ढङ्ग, ढेरी, ढाकनि, ढाठ आदि।
ढ़ = पढ़ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब, बुढ़बा, साँढ़, गाढ़, रीढ़, चाँढ़, सीढ़ी, पीढ़ी आदि।
उपर्युक्त शब्दसभकेँ देखलासँ ई स्पष्ट होइत अछि जे साधारणतया शब्दक शुरूमे ढ आ मध्य तथा अन्तमे ढ़ अबैत अछि। इएह नियम ड आ ड़क सन्दर्भ सेहो लागू होइत अछि।

३.व आ ब : मैथिलीमे “व”क उच्चारण ब कएल जाइत अछि, मुदा ओकरा ब रूपमे नहि लिखल जएबाक चाही। जेना- उच्चारण : बैद्यनाथ, बिद्या, नब, देबता, बिष्णु, बंश, बन्दना आदि। एहिसभक स्थानपर क्रमशः वैद्यनाथ, विद्या, नव, देवता, विष्णु, वंश, वन्दना लिखबाक चाही। सामान्यतया व उच्चारणक लेल ओ प्रयोग कएल जाइत अछि। जेना- ओकील, ओजह आदि।

४.य आ ज : कतहु-कतहु “य”क उच्चारण “ज”जकाँ करैत देखल जाइत अछि, मुदा ओकरा ज नहि लिखबाक चाही। उच्चारणमे यज्ञ, जदि, जमुना, जुग, जाबत, जोगी, जदु, जम आदि कहल जाएवला शब्दसभकेँ क्रमशः यज्ञ, यदि, यमुना, युग, याबत, योगी, यदु, यम लिखबाक चाही।

५.ए आ य : मैथिलीक वर्तनीमे ए आ य दुनू लिखल जाइत अछि।
प्राचीन वर्तनी- कएल, जाए, होएत, माए, भाए, गाए आदि।
नवीन वर्तनी- कयल, जाय, होयत, माय, भाय, गाय आदि।
सामान्यतया शब्दक शुरूमे ए मात्र अबैत अछि। जेना एहि, एना, एकर, एहन आदि। एहि शब्दसभक स्थानपर यहि, यना, यकर, यहन आदिक प्रयोग नहि करबाक चाही। यद्यपि मैथिलीभाषी थारूसहित किछु जातिमे शब्दक आरम्भोमे “ए”केँ य कहि उच्चारण कएल जाइत अछि।
ए आ “य”क प्रयोगक प्रयोगक सन्दर्भमे प्राचीने पद्धतिक अनुसरण करब उपयुक्त मानि एहि पुस्तकमे ओकरे प्रयोग कएल गेल अछि। किएक तँ दुनूक लेखनमे कोनो सहजता आ दुरूहताक बात नहि अछि। आ मैथिलीक सर्वसाधारणक उच्चारण-शैली यक अपेक्षा एसँ बेसी निकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आदि कतिपय शब्दकेँ कैल, हैब आदि रूपमे कतहु-कतहु लिखल जाएब सेहो “ए”क प्रयोगकेँ बेसी समीचीन प्रमाणित करैत अछि।

६.हि, हु तथा एकार, ओकार : मैथिलीक प्राचीन लेखन-परम्परामे कोनो बातपर बल दैत काल शब्दक पाछाँ हि, हु लगाओल जाइत छैक। जेना- हुनकहि, अपनहु, ओकरहु, तत्कालहि, चोट्टहि, आनहु आदि। मुदा आधुनिक लेखनमे हिक स्थानपर एकार एवं हुक स्थानपर ओकारक प्रयोग करैत देखल जाइत अछि। जेना- हुनके, अपनो, तत्काले, चोट्टे, आनो आदि।

७.ष तथा ख : मैथिली भाषामे अधिकांशतः षक उच्चारण ख होइत अछि। जेना- षड्यन्त्र (खड़यन्त्र), षोडशी (खोड़शी), षट्कोण (खटकोण), वृषेश (वृखेश), सन्तोष (सन्तोख) आदि।

८.ध्वनि-लोप : निम्नलिखित अवस्थामे शब्दसँ ध्वनि-लोप भऽ जाइत अछि:
(क)क्रियान्वयी प्रत्यय अयमे य वा ए लुप्त भऽ जाइत अछि। ओहिमेसँ पहिने अक उच्चारण दीर्घ भऽ जाइत अछि। ओकर आगाँ लोप-सूचक चिह्न वा विकारी (’ / ऽ) लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय) पड़तौक।
अपूर्ण रूप : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।
पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।
(ख)पूर्वकालिक कृत आय (आए) प्रत्ययमे य (ए) लुप्त भऽ जाइछ, मुदा लोप-सूचक विकारी नहि लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।
अपूर्ण रूप : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।
(ग)स्त्री प्रत्यय इक उच्चारण क्रियापद, संज्ञा, ओ विशेषण तीनूमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : दोसरि मालिनि चलि गेलि।
अपूर्ण रूप : दोसर मालिन चलि गेल।
(घ)वर्तमान कृदन्तक अन्तिम त लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : पढ़ैत अछि, बजैत अछि, गबैत अछि।
अपूर्ण रूप : पढ़ै अछि, बजै अछि, गबै अछि।
(ङ)क्रियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप: छियौक, छियैक, छहीक, छौक, छैक, अबितैक, होइक।
अपूर्ण रूप : छियौ, छियै, छही, छौ, छै, अबितै, होइ।
(च)क्रियापदीय प्रत्यय न्ह, हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : छन्हि, कहलन्हि, कहलहुँ, गेलह, नहि।
अपूर्ण रूप : छनि, कहलनि, कहलौँ, गेलऽ, नइ, नञि, नै।

९.ध्वनि स्थानान्तरण : कोनो-कोनो स्वर-ध्वनि अपना जगहसँ हटिकऽ दोसरठाम चलि जाइत अछि। खास कऽ ह्रस्व इ आ उक सम्बन्धमे ई बात लागू होइत अछि। मैथिलीकरण भऽ गेल शब्दक मध्य वा अन्तमे जँ ह्रस्व इ वा उ आबए तँ ओकर ध्वनि स्थानान्तरित भऽ एक अक्षर आगाँ आबि जाइत अछि। जेना- शनि (शइन), पानि (पाइन), दालि ( दाइल), माटि (माइट), काछु (काउछ), मासु(माउस) आदि। मुदा तत्सम शब्दसभमे ई नियम लागू नहि होइत अछि। जेना- रश्मिकेँ रइश्म आ सुधांशुकेँ सुधाउंस नहि कहल जा सकैत अछि।

१०.हलन्त(्)क प्रयोग : मैथिली भाषामे सामान्यतया हलन्त (्)क आवश्यकता नहि होइत अछि। कारण जे शब्दक अन्तमे अ उच्चारण नहि होइत अछि। मुदा संस्कृत भाषासँ जहिनाक तहिना मैथिलीमे आएल (तत्सम) शब्दसभमे हलन्त प्रयोग कएल जाइत अछि। एहि पोथीमे सामान्यतया सम्पूर्ण शब्दकेँ मैथिली भाषासम्बन्धी नियमअनुसार हलन्तविहीन राखल गेल अछि। मुदा व्याकरणसम्बन्धी प्रयोजनक लेल अत्यावश्यक स्थानपर कतहु-कतहु हलन्त देल गेल अछि। प्रस्तुत पोथीमे मथिली लेखनक प्राचीन आ नवीन दुनू शैलीक सरल आ समीचीन पक्षसभकेँ समेटिकऽ वर्ण-विन्यास कएल गेल अछि। स्थान आ समयमे बचतक सङ्गहि हस्त-लेखन तथा तकनिकी दृष्टिसँ सेहो सरल होबऽवला हिसाबसँ वर्ण-विन्यास मिलाओल गेल अछि। वर्तमान समयमे मैथिली मातृभाषीपर्यन्तकेँ आन भाषाक माध्यमसँ मैथिलीक ज्ञान लेबऽ पड़िरहल परिप्रेक्ष्यमे लेखनमे सहजता तथा एकरूपतापर ध्यान देल गेल अछि। तखन मैथिली भाषाक मूल विशेषतासभ कुण्ठित नहि होइक, ताहूदिस लेखक-मण्डल सचेत अछि। प्रसिद्ध भाषाशास्त्री डा. रामावतार यादवक कहब छनि जे सरलताक अनुसन्धानमे एहन अवस्था किन्नहु ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाक विशेषता छाँहमे पडि जाए। हमसभ हुनक धारणाकेँ पूर्ण रूपसँ सङ्ग लऽ चलबाक प्रयास कएलहुँ अछि।
पोथीक वर्णविन्यास कक्षा ९ क पोथीसँ किछु मात्रामे भिन्न अछि। निरन्तर अध्ययन, अनुसन्धान आ विश्लेषणक कारणे ई सुधारात्मक भिन्नता आएल अछि। भविष्यमे आनहु पोथीकेँ परिमार्जित करैत मैथिली पाठ्यपुस्तकक वर्णविन्यासमे पूर्णरूपेण एकरूपता अनबाक हमरासभक प्रयत्न रहत।

कक्षा १० मैथिली लेखन तथा परिमार्जन महेन्द्र मलंगिया/ धीरेन्द्र प्रेमर्षि संयोजन- गणेशप्रसाद भट्टराई
प्रकाशक शिक्षा तथा खेलकूद मन्त्रालय, पाठ्यक्रम विकास केन्द्र,सानोठिमी, भक्तपुर
सर्वाधिकार पाठ्यक्रम विकास केन्द्र एवं जनक शिक्षा सामग्री केन्द्र, सानोठिमी, भक्तपुर।
पहिल संस्करण २०५८ बैशाख (२००२ ई.)
योगदान: शिवप्रसाद सत्याल, जगन्नाथ अवा, गोरखबहादुर सिंह, गणेशप्रसाद भट्टराई, डा. रामावतार यादव, डा. राजेन्द्र विमल, डा. रामदयाल राकेश, धर्मेन्द्र विह्वल, रूपा धीरू, नीरज कर्ण, रमेश रञ्जन
भाषा सम्पादन- नीरज कर्ण, रूपा झा

2. मैथिली अकादमी, पटना द्वारा निर्धारित मैथिली लेखन-शैली

1. जे शब्द मैथिली-साहित्यक प्राचीन कालसँ आइ धरि जाहि वर्त्तनीमे प्रचलित अछि, से सामान्यतः ताहि वर्त्तनीमे लिखल जाय- उदाहरणार्थ-

ग्राह्य

एखन
ठाम
जकर,तकर
तनिकर
अछि

अग्राह्य
अखन,अखनि,एखेन,अखनी
ठिमा,ठिना,ठमा
जेकर, तेकर
तिनकर।(वैकल्पिक रूपेँ ग्राह्य)
ऐछ, अहि, ए।

2. निम्नलिखित तीन प्रकारक रूप वैक्लपिकतया अपनाओल जाय:भ गेल, भय गेल वा भए गेल। जा रहल अछि, जाय रहल अछि, जाए रहल अछि। कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।

3. प्राचीन मैथिलीक ‘न्ह’ ध्वनिक स्थानमे ‘न’ लिखल जाय सकैत अछि यथा कहलनि वा कहलन्हि।

4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय लिखल जाय जत’ स्पष्टतः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृश उच्चारण इष्ट हो। यथा- देखैत, छलैक, बौआ, छौक इत्यादि।

5. मैथिलीक निम्नलिखित शब्द एहि रूपे प्रयुक्त होयत:जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैह तथा दैह।

6. ह्र्स्व इकारांत शब्दमे ‘इ’ के लुप्त करब सामान्यतः अग्राह्य थिक। यथा- ग्राह्य देखि आबह, मालिनि गेलि (मनुष्य मात्रमे)।

7. स्वतंत्र ह्रस्व ‘ए’ वा ‘य’ प्राचीन मैथिलीक उद्धरण आदिमे तँ यथावत राखल जाय, किंतु आधुनिक प्रयोगमे वैकल्पिक रूपेँ ‘ए’ वा ‘य’ लिखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इत्यादि।

8. उच्चारणमे दू स्वरक बीच जे ‘य’ ध्वनि स्वतः आबि जाइत अछि तकरा लेखमे स्थान वैकल्पिक रूपेँ देल जाय। यथा- धीआ, अढ़ैआ, विआह, वा धीया, अढ़ैया, बियाह।

9. सानुनासिक स्वतंत्र स्वरक स्थान यथासंभव ‘ञ’ लिखल जाय वा सानुनासिक स्वर। यथा:- मैञा, कनिञा, किरतनिञा वा मैआँ, कनिआँ, किरतनिआँ।

10. कारकक विभक्त्तिक निम्नलिखित रूप ग्राह्य:-हाथकेँ, हाथसँ, हाथेँ, हाथक, हाथमे। ’मे’ मे अनुस्वार सर्वथा त्याज्य थिक। ‘क’ क वैकल्पिक रूप ‘केर’ राखल जा सकैत अछि।

11. पूर्वकालिक क्रियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अव्यय वैकल्पिक रूपेँ लगाओल जा सकैत अछि। यथा:- देखि कय वा देखि कए।

12. माँग, भाँग आदिक स्थानमे माङ, भाङ इत्यादि लिखल जाय।

13. अर्द्ध ‘न’ ओ अर्द्ध ‘म’ क बदला अनुसार नहि लिखल जाय, किंतु छापाक सुविधार्थ अर्द्ध ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदला अनुस्वारो लिखल जा सकैत अछि। यथा:- अङ्क, वा अंक, अञ्चल वा अंचल, कण्ठ वा कंठ।

14. हलंत चिह्न नियमतः लगाओल जाय, किंतु विभक्तिक संग अकारांत प्रयोग कएल जाय। यथा:- श्रीमान्, किंतु श्रीमानक।

15. सभ एकल कारक चिह्न शब्दमे सटा क’ लिखल जाय, हटा क’ नहि, संयुक्त विभक्तिक हेतु फराक लिखल जाय, यथा घर परक।

16. अनुनासिककेँ चन्द्रबिन्दु द्वारा व्यक्त कयल जाय। परंतु मुद्रणक सुविधार्थ हि समान जटिल मात्रा पर अनुस्वारक प्रयोग चन्द्रबिन्दुक बदला कयल जा सकैत अछि। यथा- हिँ केर बदला हिं।

17. पूर्ण विराम पासीसँ ( । ) सूचित कयल जाय।

18. समस्त पद सटा क’ लिखल जाय, वा हाइफेनसँ जोड़ि क’ , हटा क’ नहि।

19. लिअ तथा दिअ शब्दमे बिकारी (ऽ) नहि लगाओल जाय।

20. अंक देवनागरी रूपमे राखल जाय।

21.किछु ध्वनिक लेल नवीन चिन्ह बनबाओल जाय। जा' ई नहि बनल अछि ताबत एहि दुनू ध्वनिक बदला पूर्ववत् अय/ आय/ अए/ आए/ आओ/ अओ लिखल जाय। आकि ऎ वा ऒ सँ व्यक्त कएल जाय।

ह./- गोविन्द झा ११/८/७६ श्रीकान्त ठाकुर ११/८/७६ सुरेन्द्र झा "सुमन" ११/०८/७६



आब 1.नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली आऽ 2. मैथिली अकादमी, पटनाक मानक शैलीक अध्ययनक उपरान्त निम्न बिन्दु सभपर मनन कए निर्णय करू।

ग्राह्य / अग्राह्य


1.होयबला/ होबयबला/ होमयबला/ हेब’बला, हेम’बला/ होयबाक/ होएबाक
2. आ’/आऽ आ
3. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कय लेने/ल’/लऽ/लय/लए
4. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए गेल
5. कर’ गेलाह/करऽ गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह
6. लिअ/दिअ लिय’,दिय’,लिअ’,दिय’
7. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करै बला/क’र’ बला
8. बला वला
9. आङ्ल आंग्ल
10. प्रायः प्रायह
11. दुःख दुख
12. चलि गेल चल गेल/चैल गेल
13. देलखिन्ह देलकिन्ह, देलखिन
14. देखलन्हि देखलनि/ देखलैन्ह
15. छथिन्ह/ छलन्हि छथिन/ छलैन/ छलनि
16. चलैत/दैत चलति/दैति
17. एखनो अखनो
18. बढ़न्हि बढन्हि
19. ओ’/ओऽ(सर्वनाम) ओ
20. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ
21. फाँगि/फाङ्गि फाइंग/फाइङ
22. जे जे’/जेऽ
23. ना-नुकुर ना-नुकर
24. केलन्हि/कएलन्हि/कयलन्हि
25. तखन तँ तखनतँ
26. जा’ रहल/जाय रहल/जाए रहल
27. निकलय/निकलए लागल बहराय/बहराए लागल निकल’/बहरै लागल
28. ओतय/जतय जत’/ओत’/जतए/ओतए
29. की फूड़ल जे कि फूड़ल जे
30. जे जे’/जेऽ
31. कूदि/यादि(मोन पारब) कूइद/याइद/कूद/याद
32. इहो/ओहो
33. हँसए/हँसय हँस’
34. नौ आकि दस/नौ किंवा दस/नौ वा दस
35. सासु-ससुर सास-ससुर
36. छह/सात छ/छः/सात
37. की की’/कीऽ(दीर्घीकारान्तमे वर्जित)
38. जबाब जवाब
39. करएताह/करयताह करेताह
40. दलान दिशि दलान दिश
41. गेलाह गएलाह/गयलाह
42. किछु आर किछु और
43. जाइत छल जाति छल/जैत छल
44. पहुँचि/भेटि जाइत छल पहुँच/भेट जाइत छल
45. जबान(युवा)/जवान(फौजी)
46. लय/लए क’/कऽ
47. ल’/लऽ कय/कए
48. एखन/अखने अखन/एखने
49. अहींकेँ अहीँकेँ
50. गहींर गहीँर
51. धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए
52. जेकाँ जेँकाँ/जकाँ
53. तहिना तेहिना
54. एकर अकर
55. बहिनउ बहनोइ
56. बहिन बहिनि
57. बहिनि-बहिनोइ बहिन-बहनउ
58. नहि/नै
59. करबा’/करबाय/करबाए
60. त’/त ऽ तय/तए 61. भाय भै
62. भाँय
63. यावत जावत
64. माय मै
65. देन्हि/दएन्हि/दयन्हि दन्हि/दैन्हि
66. द’/द ऽ/दए
67. ओ (संयोजक) ओऽ (सर्वनाम)
68. तका’ कए तकाय तकाए
69. पैरे (on foot) पएरे
70. ताहुमे ताहूमे


71. पुत्रीक
72. बजा कय/ कए
73. बननाय
74. कोला
75. दिनुका दिनका
76. ततहिसँ
77. गरबओलन्हि गरबेलन्हि
78. बालु बालू
79. चेन्ह चिन्ह(अशुद्ध)
80. जे जे’
81. से/ के से’/के’
82. एखुनका अखनुका
83. भुमिहार भूमिहार
84. सुगर सूगर
85. झठहाक झटहाक
86. छूबि
87. करइयो/ओ करैयो
88. पुबारि पुबाइ
89. झगड़ा-झाँटी झगड़ा-झाँटि
90. पएरे-पएरे पैरे-पैरे
91. खेलएबाक खेलेबाक
92. खेलाएबाक
93. लगा’
94. होए- हो
95. बुझल बूझल
96. बूझल (संबोधन अर्थमे)
97. यैह यएह
98. तातिल
99. अयनाय- अयनाइ
100. निन्न- निन्द
101. बिनु बिन
102. जाए जाइ
103. जाइ(in different sense)-last word of sentence
104. छत पर आबि जाइ
105. ने
106. खेलाए (play) –खेलाइ
107. शिकाइत- शिकायत
108. ढप- ढ़प
109. पढ़- पढ
110. कनिए/ कनिये कनिञे
111. राकस- राकश
112. होए/ होय होइ
113. अउरदा- औरदा
114. बुझेलन्हि (different meaning- got understand)
115. बुझएलन्हि/ बुझयलन्हि (understood himself)
116. चलि- चल
117. खधाइ- खधाय
118. मोन पाड़लखिन्ह मोन पारलखिन्ह
119. कैक- कएक- कइएक
120. लग ल’ग
121. जरेनाइ
122. जरओनाइ- जरएनाइ/जरयनाइ
123. होइत
124. गड़बेलन्हि/ गड़बओलन्हि
125. चिखैत- (to test)चिखइत
126. करइयो(willing to do) करैयो
127. जेकरा- जकरा
128. तकरा- तेकरा
129. बिदेसर स्थानेमे/ बिदेसरे स्थानमे
130. करबयलहुँ/ करबएलहुँ/करबेलहुँ
131. हारिक (उच्चारण हाइरक)
132. ओजन वजन
133. आधे भाग/ आध-भागे
134. पिचा’/ पिचाय/पिचाए
135. नञ/ ने
136. बच्चा नञ (ने) पिचा जाय
137. तखन ने (नञ) कहैत अछि।
138. कतेक गोटे/ कताक गोटे
139. कमाइ- धमाइ कमाई- धमाई
140. लग ल’ग
141. खेलाइ (for playing)
142. छथिन्ह छथिन
143. होइत होइ
144. क्यो कियो
145. केश (hair)
146. केस (court-case)
147. बननाइ/ बननाय/ बननाए
148. जरेनाइ
149. कुरसी कुर्सी
150. चरचा चर्चा
151. कर्म करम
152. डुबाबय/ डुमाबय
153. एखुनका/ अखुनका
154. लय (वाक्यक अतिम शब्द)- ल’
155. कएलक केलक
156. गरमी गर्मी
157. बरदी वर्दी
158. सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ
159. एनाइ-गेनाइ
160. तेनाने घेरलन्हि
161. नञ
162. डरो ड’रो
163. कतहु- कहीं
164. उमरिगर- उमरगर
165. भरिगर
166. धोल/धोअल धोएल
167. गप/गप्प
168. के के’
169. दरबज्जा/ दरबजा
170. ठाम
171. धरि तक
172. घूरि लौटि
173. थोरबेक
174. बड्ड
175. तोँ/ तूँ
176. तोँहि( पद्यमे ग्राह्य)
177. तोँही/तोँहि
178. करबाइए करबाइये
179. एकेटा
180. करितथि करतथि

181. पहुँचि पहुँच
182. राखलन्हि रखलन्हि
183. लगलन्हि लागलन्हि
184. सुनि (उच्चारण सुइन)
185. अछि (उच्चारण अइछ)
186. एलथि गेलथि
187. बितओने बितेने
188. करबओलन्हि/ करेलखिन्ह
189. करएलन्हि
190. आकि कि
191. पहुँचि पहुँच
192. जराय/ जराए जरा’ (आगि लगा)
193. से से’
194. हाँ मे हाँ (हाँमे हाँ विभक्त्तिमे हटा कए)
195. फेल फैल
196. फइल(spacious) फैल
197. होयतन्हि/ होएतन्हि हेतन्हि
198. हाथ मटिआयब/ हाथ मटियाबय
199. फेका फेंका
200. देखाए देखा’
201. देखाय देखा’
202. सत्तरि सत्तर
203. साहेब साहब
204.गेलैन्ह/ गेलन्हि
205.हेबाक/ होएबाक
206.केलो/ कएलो
207. किछु न किछु/ किछु ने किछु
208.घुमेलहुँ/ घुमओलहुँ
209. एलाक/ अएलाक
210. अः/ अह
211.लय/ लए (अर्थ-परिवर्त्तन)
212.कनीक/ कनेक
213.सबहक/ सभक
214.मिलाऽ/ मिला
215.कऽ/ क
216.जाऽ/जा
217.आऽ/ आ
218.भऽ/भ’ (’ फॉन्टक कमीक द्योतक)219.निअम/ नियम
220.हेक्टेअर/ हेक्टेयर
221.पहिल अक्षर ढ/ बादक/बीचक ढ़
222.तहिं/तहिँ/ तञि/ तैं
223.कहिं/कहीं
224.तँइ/ तइँ
225.नँइ/नइँ/ नञि
226.है/ हइ
227.छञि/ छै/ छैक/छइ
228.दृष्टिएँ/ दृष्टियेँ
229.आ (come)/ आऽ(conjunction)
230. आ (conjunction)/ आऽ(come)
231.कुनो/ कोनो

https://www.blogger.com/comment.g?blogID=7905579&postID=513633139662640904


English Translation of Gajendra Thakur's (Gajendra Thakur (b. 1971) is the editor of Maithili ejournal “Videha” that can be viewed athttp://www.videha.co.in/ . His poem, story, novel, research articles, epic – all in Maithili language are lying scattered and is in print in single volume by the title“KurukShetram.” He can be reached at his email: ggajendra@airtelmail.in )Maithili Novel Sahasrabadhani translated into English by Smt. Jyoti Jha Chaudhary

Jyoti Jha Chaudhary, Date of Birth: December 30 1978,Place of Birth- Belhvar (Madhubani District), Education: Swami Vivekananda Middle School, Tisco Sakchi Girls High School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU, ICWAI (COST ACCOUNTANCY); Residence- LONDON, UK; Father- Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur; Mother- Smt. Sudha Jha- Shivipatti. Jyoti received editor's choice award from www.poetry.comand her poems were featured in front page of www.poetrysoup.com for some period.She learnt Mithila Painting under Ms. Shveta Jha, Basera Institute, Jamshedpur and Fine Arts from Toolika, Sakchi, Jamshedpur (India). Her Mithila Paintings have been displayed by Ealing Art Group at Ealing Broadway, London.



SahasraBarhani:The Comet translated by Jyoti



House was vacant. That was locked. Both brothers along with their mother started towards the village in that night of Shukla Paksha. Bus was stopped at the entrance of the Ganga Bridge. The list of names of dead workers was kept in the corner. Those were people who died while working in the Ganga Bridge Project. Aaruni got off the truck and saw the list. Uranw Jha and many workers, one Jha and rest were tribal adivasi people. Many were dead but Police used to throw the dead bodies into the river at night so only thirty names were listed there.
“People falling from the collapsing pillars, I spread the information to many people but no one took any action. I feel guilty as I couldn’t avail justice to those families.” Once Aaruni had read that part of Nand’s diary. He made his mind to search his father’s diary after returning from the village.
The truck moved forward. The Ganga Bridge was left behind. Ganga Bridge Colony came next, the witness of Aaruni’s childhood- school, home, playground, Ganga bridge godown. The stock was used to be smuggled from here many times. Sometimes those were caught by police. A big truck was caught one day. That truck had many wheels. People gathered there like it would be a fair. Kids were counting number of wheels- 14 or 16.
Aaruni had forgotten everything in race of his own life. Corruption, death of workers, father’s struggle everything was evoked suddenly.
“Everything has come to mind as a memory of father or this is a reminder of my father’s failure. Why did my father choose this name Aaruni for me?”
“Son! What did you say?” asked mother.
“Nothing, I just recalled the past by seeing that colony,” said Aaruni.
“Don’t see this colony.”
The memory of the Ganga Bridge colony had been an awful topic to be discussed while Nand was alive. Would that be continued for Aaruni as well? Aaruni’s mother was worried about that.
There was a long silence after that. The ice was broken when they reached village. The elder brother started crying to see the body of the younger.
“How can a younger brother leave the world before the elder one? You had never bother me for any reason while you were alive then why have you given me reason to cry?” bemoaned the elder brother.
The villagers started gathering. No body had cooked meal after hearing that terrifying news. No body knew who telephoned about that news and who received the news first.
(continued)
अपन टीका-टिप्पणी दिअ।SUBMIT YOUR COMMENTS



Gadgets powered by Google


महत्त्वपूर्ण सूचना (१):महत्त्वपूर्ण सूचना: श्रीमान् नचिकेताजीक नाटक "नो एंट्री: मा प्रविश" केर 'विदेह' मे ई-प्रकाशित रूप देखि कए एकर प्रिंट रूपमे प्रकाशनक लेल 'विदेह' केर समक्ष "श्रुति प्रकाशन" केर प्रस्ताव आयल छल। श्री नचिकेता जी एकर प्रिंट रूप करबाक स्वीकृति दए देलन्हि। प्रिंट रूप हार्डबाउन्ड (ISBN NO.978-81-907729-0-7 मूल्य रु.१२५/- यू.एस. डॉलर ४०) आ पेपरबैक (ISBN No.978-81-907729-1-4 मूल्य रु. ७५/- यूएस.डॉलर २५/-) मे श्रुति प्रकाशन, DISTRIBUTORS: AJAI ARTS, 4393/4A, Ist Floor,Ansari Road,DARYAGANJ. Delhi-110002 Ph.011-23288341, 09968170107.e-mail: shruti.publication@shruti-publication.com
द्वारा छापल गेल अछि। 'विदेह' द्वारा कएल गेल शोधक आधार पर १.मैथिली-अंग्रेजी शब्द कोश २.अंग्रेजी-मैथिली शब्द कोश श्रुति पब्लिकेशन द्वारा प्रिन्ट फॉर्ममे प्रकाशित करबाक आग्रह स्वीकार कए लेल गेल अछि। संप्रति मैथिली-अंग्रेजी शब्दकोश-खण्ड-I-XVI. लेखक-गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा एवं पञ्जीकार विद्यानन्द झा, दाम- रु.५००/- प्रति खण्ड । Combined ISBN No.978-81-907729-2-1 e-mail:shruti.publication@shruti-publication.com website: http://www.shruti-publication.com

महत्त्वपूर्ण सूचना:(२). पञ्जी-प्रबन्ध विदेह डाटाबेस मिथिलाक्षरसँ देवनागरी पाण्डुलिपि लिप्यान्तरण- श्रुति पब्लिकेशन द्वारा प्रिन्ट फॉर्ममे प्रकाशित करबाक आग्रह स्वीकार कए लेल गेल अछि। पुस्तक-प्राप्तिक विधिक आ पोथीक मूल्यक सूचना एहि पृष्ठ पर शीघ्र देल जायत। पञ्जी-प्रबन्ध (डिजिटल इमेजिंग आ मिथिलाक्षरसँ देवनागरी लिप्यांतरण)- तीनू पोथीक संकलन-सम्पादन-लिप्यांतरण गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा एवं पञ्जीकार विद्यानन्द झा द्वारा ।

महत्त्वपूर्ण सूचना:(३) 'विदेह' द्वारा धारावाहिक रूपे ई-प्रकाशित कएल जा' रहल गजेन्द्र ठाकुरक 'सहस्रबाढ़नि'(उपन्यास), 'गल्प-गुच्छ'(कथा संग्रह) , 'भालसरि' (पद्य संग्रह), 'बालानां कृते', 'एकाङ्की संग्रह', 'महाभारत' 'बुद्ध चरित' (महाकाव्य)आ 'यात्रा वृत्तांत' विदेहमे संपूर्ण ई-प्रकाशनक बाद प्रिंट फॉर्ममे। - कुरुक्षेत्रम्–अन्तर्मनक, खण्ड-१ आ २ (लेखकक छिड़िआयल पद्य, उपन्यास, गल्प-कथा, नाटक-एकाङ्की, बालानां कृते, महाकाव्य, शोध-निबन्ध आदिक समग्र संकलन)- गजेन्द्र ठाकुर

महत्त्वपूर्ण सूचना (४): "विदेह" केर २५म अंक १ जनवरी २००९, ई-प्रकाशित तँ होएबे करत, संगमे एकर प्रिंट संस्करण सेहो निकलत जाहिमे पुरान २४ अंकक चुनल रचना सम्मिलित कएल जाएत।

महत्त्वपूर्ण सूचना (५):सूचना: विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary. विदेहक भाषापाक- रचनालेखन स्तंभमे।
नव अंक देखबाक लेल पृष्ठ सभकेँ रिफ्रेश कए देखू। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA.

"मिथिला दर्शन"

मैथिली द्विमासिक पत्रिका

अपन सब्सक्रिप्शन (भा.रु.288/- दू साल माने 12 अंक लेल) "मिथिला
दर्शन"केँ देय डी.डी. द्वारा Mithila Darshan, A - 132, Lake Gardens,
Kolkata - 700 045 पतापर पठाऊ। डी.डी.क संग पत्र पठाऊ जाहिमे अपन पूर्ण
पता, टेलीफोन नं. आ ई-मेल संकेत अवश्य लिखू। प्रधान सम्पादक- नचिकेता।
कार्यकारी सम्पादक- रामलोचन ठाकुर। प्रतिष्ठाता
सम्पादक- प्रोफेसर प्रबोध नारायण सिंह आ डॉ. अणिमा सिंह। Coming
Soon:


http://www.mithiladarshan.com/

अंतिका प्रकाशन की नवीनतम पुस्तक
सजिल्द

मीडिया, समाज, राजनीति और इतिहास

डिज़ास्टर : मीडिया एण्ड पॉलिटिक्स: पुण्य प्रसून वाजपेयी 2008 मूल्य रु. 200.00
राजनीति मेरी जान : पुण्य प्रसून वाजपेयी प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु.300.00
पालकालीन संस्कृति : मंजु कुमारी प्रकाशन वर्ष2008 मूल्य रु. 225.00
स्त्री : संघर्ष और सृजन : श्रीधरम प्रकाशन वर्ष2008 मूल्य रु.200.00
अथ निषाद कथा : भवदेव पाण्डेय प्रकाशन वर्ष2007 मूल्य रु.180.00

उपन्यास

मोनालीसा हँस रही थी : अशोक भौमिक प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00


कहानी-संग्रह

रेल की बात : हरिमोहन झा प्रकाशन वर्ष 2008मूल्य रु.125.00
छछिया भर छाछ : महेश कटारे प्रकाशन वर्ष 2008मूल्य रु. 200.00
कोहरे में कंदील : अवधेश प्रीत प्रकाशन वर्ष 2008मूल्य रु. 200.00
शहर की आखिरी चिडिय़ा : प्रकाश कान्त प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00
पीले कागज़ की उजली इबारत : कैलाश बनवासी प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00
नाच के बाहर : गौरीनाथ प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00
आइस-पाइस : अशोक भौमिक प्रकाशन वर्ष 2008मूल्य रु. 180.00
कुछ भी तो रूमानी नहीं : मनीषा कुलश्रेष्ठ प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00
बडक़ू चाचा : सुनीता जैन प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 195.00
भेम का भेरू माँगता कुल्हाड़ी ईमान : सत्यनारायण पटेल प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 200.00


कविता-संग्रह



या : शैलेय प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 160.00
जीना चाहता हूँ : भोलानाथ कुशवाहा प्रकाशन वर्ष2008 मूल्य रु. 300.00
कब लौटेगा नदी के उस पार गया आदमी : भोलानाथ कुशवाहा प्रकाशन वर्ष 2007 मूल्य रु.225.00
लाल रिब्बन का फुलबा : सुनीता जैन प्रकाशन वर्ष2007 मूल्य रु.190.00
लूओं के बेहाल दिनों में : सुनीता जैन प्रकाशन वर्ष2008 मूल्य रु. 195.00
फैंटेसी : सुनीता जैन प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु.190.00
दु:खमय अराकचक्र : श्याम चैतन्य प्रकाशन वर्ष2008 मूल्य रु. 190.00
कुर्आन कविताएँ : मनोज कुमार श्रीवास्तव प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 150.00
मैथिली पोथी

विकास ओ अर्थतंत्र (विचार) : नरेन्द्र झा प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 250.00
संग समय के (कविता-संग्रह) : महाप्रकाश प्रकाशन वर्ष 2007 मूल्य रु. 100.00
एक टा हेरायल दुनिया (कविता-संग्रह) : कृष्णमोहन झा प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 60.00
दकचल देबाल (कथा-संग्रह) : बलराम प्रकाशन वर्ष2000 मूल्य रु. 40.00
सम्बन्ध (कथा-संग्रह) : मानेश्वर मनुज प्रकाशन वर्ष2007 मूल्य रु. 165.00
पुस्तक मंगवाने के लिए मनीआर्डर/ चेक/ ड्राफ्ट अंतिका प्रकाशन के नाम से भेजें। दिल्ली से बाहर के एट पार बैंकिंग (at par banking) चेक के अलावा अन्य चेक एक हजार से कम का न भेजें। रु.200/-से ज्यादा की पुस्तकों पर डाक खर्च हमारा वहन करेंगे। रु.300/- से रु.500/- तक की पुस्तकों पर 10%की छूट, रु.500/- से ऊपर रु.1000/- तक 15% और उससे ज्यादा की किताबों पर 20% की छूट व्यक्तिगत खरीद पर दी जाएगी ।
अंतिका, मैथिली त्रैमासिक, सम्पादक- अनलकांत
अंतिका प्रकाशन,सी-56/यूजीएफ-4, शालीमारगार्डन,एकसटेंशन-II,गाजियाबाद-201005 (उ.प्र.),फोन :0120-6475212,मोबाइल नं.9868380797,9891245023,
आजीवन सदस्यता शुल्क भा.रु.2100/- चेक/ ड्राफ्ट द्वारा “अंतिका प्रकाशन” क नाम सँ पठाऊ। दिल्लीक बाहरक चेक मे भा.रु. 30/- अतिरिक्त जोड़ू।
बया, हिन्दी छमाही पत्रिका, सम्पादक- गौरीनाथ
संपर्क- अंतिका प्रकाशन,सी-56/यूजीएफ-4,शालीमारगार्डन, एकसटेंशन-II,गाजियाबाद-201005 (उ.प्र.),फोन : 0120-6475212,मोबाइल नं.9868380797,9891245023,
आजीवन सदस्यता शुल्क रु.5000/- चेक/ ड्राफ्ट/ मनीआर्डर द्वारा “ अंतिका प्रकाशन ” के नाम भेजें। दिल्ली से बाहर के चेक में 30 रुपया अतिरिक्त जोड़ें। पेपरबैक संस्करण

उपन्यास

मोनालीसा हँस रही थी : अशोक भौमिक प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु.100.00

कहानी-संग्रह

रेल की बात : हरिमोहन झा प्रकाशन वर्ष2007 मूल्य रु. 70.00
छछिया भर छाछ : महेश कटारे प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 100.00
कोहरे में कंदील : अवधेश प्रीत प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 100.00
शहर की आखिरी चिडिय़ा : प्रकाश कान्त प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 100.00
पीले कागज़ की उजली इबारत : कैलाश बनवासी प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु.100.00
नाच के बाहर : गौरीनाथ प्रकाशन वर्ष2007 मूल्य रु. 100.00
आइस-पाइस : अशोक भौमिक प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु. 90.00
कुछ भी तो रूमानी नहीं : मनीषा कुलश्रेष्ठ प्रकाशन वर्ष 2008 मूल्य रु.100.00
भेम का भेरू माँगता कुल्हाड़ी ईमान : सत्यनारायण पटेल प्रकाशन वर्ष 2007मूल्य रु. 90.00

शीघ्र प्रकाश्य

आलोचना

इतिहास : संयोग और सार्थकता : सुरेन्द्र चौधरी
संपादक : उदयशंकर

हिंदी कहानी : रचना और परिस्थिति : सुरेन्द्र चौधरी
संपादक : उदयशंकर

साधारण की प्रतिज्ञा : अंधेरे से साक्षात्कार : सुरेन्द्र चौधरी
संपादक : उदयशंकर

बादल सरकार : जीवन और रंगमंच : अशोक भौमिक

बालकृष्ण भट्ïट और आधुनिक हिंदी आलोचना का आरंभ : अभिषेक रौशन

सामाजिक चिंतन

किसान और किसानी : अनिल चमडिय़ा

शिक्षक की डायरी : योगेन्द्र

उपन्यास

माइक्रोस्कोप : राजेन्द्र कुमार कनौजिया
पृथ्वीपुत्र : ललित अनुवाद : महाप्रकाश
मोड़ पर : धूमकेतु अनुवाद : स्वर्णा
मोलारूज़ : पियैर ला मूर अनुवाद : सुनीता जैन

कहानी-संग्रह

धूँधली यादें और सिसकते ज़ख्म : निसार अहमद
जगधर की प्रेम कथा : हरिओम

एक साथ हिन्दी, मैथिली में सक्रिय आपका प्रकाशन


अंतिका प्रकाशन
सी-56/यूजीएफ-4, शालीमार गार्डन,एकसटेंशन-II
गाजियाबाद-201005 (उ.प्र.)
फोन : 0120-6475212
मोबाइल नं.9868380797,
9891245023
ई-मेल: antika1999@yahoo.co.in,
antika.prakashan@antika-prakashan.com
http://www.antika-prakashan.com
(विज्ञापन)

श्रुति प्रकाशनसँ
१.पंचदेवोपासना-भूमि मिथिला- मौन
२.मैथिली भाषा-साहित्य (२०म शताब्दी)- प्रेमशंकर सिंह
३.गुंजन जीक राधा (गद्य-पद्य-ब्रजबुली मिश्रित)- गंगेश गुंजन
४.बनैत-बिगड़ैत (कथा-गल्प संग्रह)-सुभाषचन्द्र यादव
५.कुरुक्षेत्रम्–अन्तर्मनक, खण्ड-१ आ २ (लेखकक छिड़िआयल पद्य, उपन्यास, गल्प-कथा, नाटक-एकाङ्की, बालानां कृते, महाकाव्य, शोध-निबन्ध आदिक समग्र संकलन)- गजेन्द्र ठाकुर
६.विलम्बित कइक युगमे निबद्ध (पद्य-संग्रह)- पंकज पराशर
७.हम पुछैत छी (पद्य-संग्रह)- विनीत उत्पल
८. नो एण्ट्री: मा प्रविश- डॉ. उदय नारायण सिंह “नचिकेता”
९/१०/११ 'विदेह' द्वारा कएल गेल शोधक आधार पर१.मैथिली-अंग्रेजी शब्द कोश २.अंग्रेजी-मैथिली शब्द कोश श्रुति पब्लिकेशन द्वारा प्रिन्ट फॉर्ममे प्रकाशित करबाक आग्रह स्वीकार कए लेल गेल अछि। संप्रति मैथिली-अंग्रेजी शब्दकोश-खण्ड-I-XVI. लेखक-गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा एवं पञ्जीकार विद्यानन्द झा, दाम- रु.५००/- प्रति खण्ड । Combined ISBN No.978-81-907729-2-1 ३.पञ्जी-प्रबन्ध (डिजिटल इमेजिंग आ मिथिलाक्षरसँ देवनागरी लिप्यांतरण)- संकलन-सम्पादन-लिप्यांतरण गजेन्द्र ठाकुर , नागेन्द्र कुमार झा एवं पञ्जीकार विद्यानन्द झा द्वारा ।
श्रुति प्रकाशन, DISTRIBUTORS: AJAI ARTS, 4393/4A, Ist Floor,AnsariRoad,DARYAGANJ. Delhi-110002 Ph.011-23288341, 09968170107.Website: http://www.shruti-publication.com
e-mail: shruti.publication@shruti-publication.com
(विज्ञापन)
अपन टीका-टिप्पणी दिअ।

https://www.blogger.com/comment.g?blogID=7905579&postID=513633139662640904
संदेश
१.श्री प्रो. उदय नारायण सिंह "नचिकेता"- जे काज अहाँ कए रहल छी तकर चरचा एक दिन मैथिली भाषाक इतिहासमे होएत। आनन्द भए रहल अछि, ई जानि कए जे एतेक गोट मैथिल "विदेह" ई जर्नलकेँ पढ़ि रहल छथि।
२.श्री डॉ. गंगेश गुंजन- एहि विदेह-कर्ममे लागि रहल अहाँक सम्वेदनशील मन, मैथिलीक प्रति समर्पित मेहनतिक अमृत रंग, इतिहास मे एक टा विशिष्ट फराक अध्याय आरंभ करत, हमरा विश्वास अछि। अशेष शुभकामना आ बधाइक सङ्ग, सस्नेह|
३.श्री रामाश्रय झा "रामरंग"(आब स्वर्गीय)- "अपना" मिथिलासँ संबंधित...विषय वस्तुसँ अवगत भेलहुँ।...शेष सभ कुशल अछि।
४.श्री ब्रजेन्द्र त्रिपाठी, साहित्य अकादमी- इंटरनेट पर प्रथम मैथिली पाक्षिक पत्रिका "विदेह" केर लेल बाधाई आ शुभकामना स्वीकार करू।
५.श्री प्रफुल्लकुमार सिंह "मौन"- प्रथम मैथिली पाक्षिक पत्रिका "विदेह" क प्रकाशनक समाचार जानि कनेक चकित मुदा बेसी आह्लादित भेलहुँ। कालचक्रकेँ पकड़ि जाहि दूरदृष्टिक परिचय देलहुँ, ओहि लेल हमर मंगलकामना।
६.श्री डॉ. शिवप्रसाद यादव- ई जानि अपार हर्ष भए रहल अछि, जे नव सूचना-क्रान्तिक क्षेत्रमे मैथिली पत्रकारिताकेँ प्रवेश दिअएबाक साहसिक कदम उठाओल अछि। पत्रकारितामे एहि प्रकारक नव प्रयोगक हम स्वागत करैत छी, संगहि "विदेह"क सफलताक शुभकामना।
७.श्री आद्याचरण झा- कोनो पत्र-पत्रिकाक प्रकाशन- ताहूमे मैथिली पत्रिकाक प्रकाशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽ भविष्य कहत। ई हमर ८८ वर्षमे ७५ वर्षक अनुभव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर श्रद्धापूर्ण आहुति प्राप्त होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।
८.श्री विजय ठाकुर, मिशिगन विश्वविद्यालय- "विदेह" पत्रिकाक अंक देखलहुँ, सम्पूर्ण टीम बधाईक पात्र अछि। पत्रिकाक मंगल भविष्य हेतु हमर शुभकामना स्वीकार कएल जाओ।
९. श्री सुभाषचन्द्र यादव- ई-पत्रिका ’विदेह’ क बारेमे जानि प्रसन्नता भेल। ’विदेह’ निरन्तर पल्लवित-पुष्पित हो आ चतुर्दिक अपन सुगंध पसारय से कामना अछि।
१०.श्री मैथिलीपुत्र प्रदीप- ई-पत्रिका ’विदेह’ केर सफलताक भगवतीसँ कामना। हमर पूर्ण सहयोग रहत।
११.डॉ. श्री भीमनाथ झा- ’विदेह’ इन्टरनेट पर अछि तेँ ’विदेह’ नाम उचित आर कतेक रूपेँ एकर विवरण भए सकैत अछि। आइ-काल्हि मोनमे उद्वेग रहैत अछि, मुदा शीघ्र पूर्ण सहयोग देब।
१२.श्री रामभरोस कापड़ि भ्रमर, जनकपुरधाम- "विदेह" ऑनलाइन देखि रहल छी। मैथिलीकेँ अन्तर्राष्ट्रीय जगतमे पहुँचेलहुँ तकरा लेल हार्दिक बधाई। मिथिला रत्न सभक संकलन अपूर्व। नेपालोक सहयोग भेटत से विश्वास करी।
१३. श्री राजनन्दन लालदास- ’विदेह’ ई-पत्रिकाक माध्यमसँ बड़ नीक काज कए रहल छी, नातिक एहिठाम देखलहुँ। एकर वार्षिक अ‍ंक जखन प्रि‍ट निकालब तँ हमरा पठायब। कलकत्तामे बहुत गोटेकेँ हम साइटक पता लिखाए देने छियन्हि। मोन तँ होइत अछि जे दिल्ली आबि कए आशीर्वाद दैतहुँ, मुदा उमर आब बेशी भए गेल। शुभकामना देश-विदेशक मैथिलकेँ जोड़बाक लेल।
१४. डॉ. श्री प्रेमशंकर सिंह- अहाँ मैथिलीमे इंटरनेटपर पहिल पत्रिका "विदेह" प्रकाशित कए अपन अद्भुत मातृभाषानुरागक परिचय देल अछि, अहाँक निःस्वार्थ मातृभाषानुरागसँ प्रेरित छी, एकर निमित्त जे हमर सेवाक प्रयोजन हो, तँ सूचित करी। इंटरनेटपर आद्योपांत पत्रिका देखल, मन प्रफुल्लित भ' गेल।
विदेह

मैथिली साहित्य आन्दोलन

(c)२००८-०९. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतय लेखकक नाम नहि अछि ततय संपादकाधीन। विदेह (पाक्षिक) संपादक- गजेन्द्र ठाकुर। एतय प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक लोकनिक लगमे रहतन्हि, मात्र एकर प्रथम प्रकाशनक/ आर्काइवक/ अंग्रेजी-संस्कृत अनुवादक ई-प्रकाशन/ आर्काइवक अधिकार एहि ई पत्रिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) ggajendra@yahoo.co.in आकि ggajendra@videha.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकैत छथि। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ श्रीमति लक्ष्मी ठाकुर द्वारा मासक 1 आ 15 तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।
(c) 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ' संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि। रचनाक अनुवाद आ पुनः प्रकाशन किंवा आर्काइवक उपयोगक अधिकार किनबाक हेतु ggajendra@videha.com पर संपर्क करू। एहि साइटकेँ प्रीति झा ठाकुर, मधूलिका चौधरी आ रश्मि प्रिया द्वारा डिजाइन कएल गेल। सिद्धिरस्तु

No comments:

Post a Comment

"विदेह" प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका http://www.videha.co.in/:-
सम्पादक/ लेखककेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, जेना:-
1. रचना/ प्रस्तुतिमे की तथ्यगत कमी अछि:- (स्पष्ट करैत लिखू)|
2. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो सम्पादकीय परिमार्जन आवश्यक अछि: (सङ्केत दिअ)|
3. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो भाषागत, तकनीकी वा टंकन सम्बन्धी अस्पष्टता अछि: (निर्दिष्ट करू कतए-कतए आ कोन पाँतीमे वा कोन ठाम)|
4. रचना/ प्रस्तुतिमे की कोनो आर त्रुटि भेटल ।
5. रचना/ प्रस्तुतिपर अहाँक कोनो आर सुझाव ।
6. रचना/ प्रस्तुतिक उज्जवल पक्ष/ विशेषता|
7. रचना प्रस्तुतिक शास्त्रीय समीक्षा।

अपन टीका-टिप्पणीमे रचना आ रचनाकार/ प्रस्तुतकर्ताक नाम अवश्य लिखी, से आग्रह, जाहिसँ हुनका लोकनिकेँ त्वरित संदेश प्रेषण कएल जा सकय। अहाँ अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
मुदा ई तँ मात्र प्रारम्भ अछि।
अपन टीका-टिप्पणी एतए पोस्ट करू वा अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर पठाऊ।