भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

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Friday, January 01, 2010

'विदेह' ४९ म अंक ०१ जनबरी २०१० (वर्ष ३ मास २५ अंक ४९) PART VII

२. विभूति आनन्द-एक- दू- तीन- चारि- पाँच- छओ- सात- आठ- नओटा- कविता

परिचय


जन्म : 4.10.1955
स्थान : शिवनगर, मधुबनी
शिक्षा : पी.एच.डी., पटना विश्वविद्यालय, पटना
वृत्ति : दैनिक मिथिला मिहिरमे कार्यालय संवाददाता मैथिली अकादमी, पटनामे शोधसहायक,जिला स्कूल, मुंगेरमे +2 व्याख्याता
सम्प्रति : आर. एन कालेज, पण्डौलमे अध्यापन
गतिविधि : पूर्वमे विभिन्न राजनीतिक दल, भाषा आन्दोलन ओ रंगमंचसँ सम्बन्ध। तहिना मैथिलीभाषी छात्र संघ,भंगिमा, जानकी महोत्सव समिति, जखन-तखन आदि संस्थाक संस्थापक-सदस्य। 74क छात्र आन्दोलनमे जेल यात्रा
सम्मान : साहित्य अकादेमी पुरस्कार, 2006 दिनकर राष्ट्रीय सम्मान-2008
सम्पर्क : 09431857613


विभूति आनन्दक चास–बास

कवितासंग्रह : डेग, उपक्रम, पुनर्नवा होइत ओ छौंड़ी, नेहाइपर स्वप्न, उठा रहल घोघ तिमिर, झूमि रहल पाथर–मन
कथासंग्रह : प्रवेश, खापड़ि महक धान, काठ
उपन्यास : गाम सुनगैत, पराजित–अपराजित
नाटक : समय–संकेत, तित्तिरदाइ, हाली–हाली बरिसू, फ्रेममे बन्द एकटा उखरल फोटो
समीक्षा : श्री ललित आ हुनक कथायात्रा, स्मरणक संग, ललित, भाषा–टीका
संपादन : गीतनाद, विद्यापति पदावली, मैथिली कथा–साहित्य, अहुल, एकटा छला गोनू झा, कथा कहिनी, विद्यापतिक पदावली (सभटा पुस्तक)
संपादन : लालधूआँ, माटिपानि, भाखा, हालचाल, मैथिली अकादमी पत्रिका, दैनिक मिथिला मिहिर, दृष्टि, कूस, अंग मैथिली, समाद, भंगिमा, हाक, मनीषा, डगर, जनता।
सम्प्रति : जखन–तखन (सभटा पत्रिका) एकर अतिरिक्त ‘प्रो. हरिमोहन झा अभिनन्दनग्रंथ’ तथा ‘निखिल भारतीय मैथिली भाषी छल’,‘अरिपन’ ओ ‘प्रो. हरिमोहन झा अभिनन्दन समारोह’ स्मारिकाक संपादन सेहो
अनुवाद : मैथिल शहीद बैकुण्ठ शुक्ल (बंगला),
मूल : विभूति भूषण दास गुप्त तथा जीव विज्ञान (हिन्दी)
मूल : सुबोध बिहारी सहाय
यंत्रस्थ : एकटा रहए गप्पू (उपन्यास), ताला, एकटा उड़ल फुर्र! (कथासंग्रह), एकटा साम्यवादीक आत्मकथा (कवितासंग्रह), गामक चिट्ठी (स्तम्भ), हरिमोहन बाबूक रचना– संसार,
स्मरणक संग : भाग–दू (समीक्षा)
सम्प्रति : अनथक लेखन जारी....



एक- दू- तीन- चारि- पाँच- छओ- सात- आठ- नओटा- कविता

।। प्रतिपक्ष : एक ।।
जखन दिन भरिक उठापटकसँ
थाकल-हारल सन घुरैत छी डेरा
तँ मोन करैए, जे
कोनो क्लाैसिकल संगीत कानमे अबैत
हाथमे गरम-गरम चाह, आ
‘सूगर फ्री’ विस्कुाट हड़ारतिकेँ दूर करैत
गामघरक हवा-बसातकेँ, आकि
नगर-महानगरक चालि-कुचालिकेँ अकानैत
कनियाँक तनावरहित आकृतिकेँ निहारितहुँ
संतानक कुशल-क्षेमक मादे बातेऐतहुँ ।
जखन दिन भरिक उठापटकसँ
थाकल-हारल सन घुरैत छी डेरा
तँ मोन करैए, जे
कोनो बिसरल-बिछुरल सखाकेँ मोन पाडि़तहुँ !
1.आकि बीतल साल भरिक
सभसँ सुखद कोनो एकटा,
मात्र एकटा दिनकेँ हियासितहुँ !
आकि आगत सालक लेल
कोनो नीक सन एकटा,
मात्र एकटा सपना बुनितहुँ !
मुदा एहन सन कहाँ किछु भऽ पबैए!
अपन अनुकूल किछु नइ बुझाइए
ने खान-पान, ने इच्छा -आकांक्षा
ने सोच, ने अपसोच......!
लगैए जेना,
हम यंत्र-मानव बनल सन जीबऽ लागल छी
अपना अनुकुल किछु नहि होएबाक यंत्रणा
दिन-प्रतिदिन बढ़ले जाइए.....
ओ जे देखाबऽ चाहैए, सएह देखै छी
ओ जे खोआबऽ चाहैए, सएह खाइ छी
ओ जे सोचाबऽ चाहैए, सएह सोचै छी
हम बदलि रहल एहि चर्चासँ
खूबे चिंतित बुझा रहल छी बंधु !
जखन दिन भरिक उठापटकसँ
थाकल-हारल सन घुरैत छी डेरा,
तँ ई चिन्ताक आर-आर गाढ़ भऽ अबैए
आ तखन हम
एहि आरोपित जीवन-शिल्परसँ
खूबे परेशान भऽ उठैत छी !

।। प्रतिपक्ष: दू ।।

प्रश्नत ई नइ छै, जे हमर मोनक प्रतिपक्ष
अपन समस्तक ऊर्जाकेँ सुता देलक अछि निश्चे ष्ट्
आकि, कहियोक करजन्नीा सन आँखिमे
मोतियाबिन्दष प्रवेश कऽ गेलैए !
प्रश्नब इहो नइ छै जे एहि विलासी अन्हआड़मे
ओ मृतयुक कामना करऽ लागल अछि
2.आकि, विकलांगी नदीमे ठठबाक लेल
नग्न. भावसँ पडि़ रहल अछि !
प्रश्नु ई छे, जे जखन
चिनमार धरिमे प्रवेश कऽ गेल हो गर्म हवा
जादूगरी कला-कौशल
कऽ रहल हो अपन-अपन आरम्भिक प्रदर्शन,
आ जकर स्वाअदक लेराह वातावरणमे
भऽ रहल हो समटा जीवन-संदर्भ गडमड-
तखन की करबाक चाही?
तखन की करबाक चाही, जखन
पक्ष आ प्रतिपक्षक बीच
नहि रहि गेल हो कनियोंटा विभाजक रेखा!
जखन एक दिस कएल जा रहल हो
युद्धक जैविक उदघोष, आ दोसर दिस
ओही मुँहेँ कएल जा रहल हो
शान्तिक वैश्विक मंत्रोच्चाभर-
प्रश्नक ई छै जे तखन की करबाक चाही?
प्रश्नकक एहि जटिलताक बीच बाझल हम
ताकि रहल छी ठाम-ठामक जीवन
जीवनमे खिच्चाल-भाव, आ
ताहि खिच्चा -भावमे नव मानवीय उत्सु कता
बंघु
• हमर एहि अनुसंघानमे जरूरे अहाँक कर्त्तव्यउ रहत
• से विश्वानसि लेलहुँ अछि अपना अन्दतर सहजेँ ।
• ताबत सहि लिअऽ गर्म हवाक थापड़
• बेसी सीदित करए जँ दर्द
• तँ कैंसरक रोगी जकाँ तिल-तिल तकरा
• अपन मोनक हाथेँ सोहरबैत सहैत रहूँ, सहैत रहूँ.....
• इएह हाथ एक दिन बनत गऽ मुट्ठी आ
• मुट्ठीक संख्या मे जेना-जेना होइत जेतै बढ़ोत्तरी,
• तँ अनेरो संघीय गप-सप भऽ जेतै मजबूरी
• 3.संवादहीगनता नहि भेलैए दीर्घजीवी—
• कहियो नहि, कखनो नहि
• ताबत दू डेग पाछू आबि
• दू डेग आगू अएबाक करैत रहू दयनीय चेष्टार
• किएक तँ
• चक्रवातक एहि धाहीमे पड़ल प्रतिपक्ष लेल
• एखन जरूरी अछि- ‘वेट एण्डे वाच’!

• ।।मदारी युग ।।
• हमरा होइत रहैए, जे
• क्यो हमरा पोल्एप्रबाक चेष्टाब कऽ रहल अछि
• हम चीन्हि रहल छी ओकरा
• ओ हमर मित्र नहि अछि
• मुदा तैयो मित्र होएबाक घोषणा कऽ रहल अछि
• बाजार-भाव गर्म छै, जे
• हमरा दुनूमे मित्रता भऽ गेल अछि
• समादियाकेँ पठा-पठा, अथवा
• दूरभाषे पर उठा-उठा
• अपन चालिकेँ ओ ठोकि रहल अछि
• कखनो-कखनो
• अपन करतबसँ डेरा सेहो रहल अछि
• फँसएबाक सरनरिया-शिल्पि सेहो अपना रहल अछि
• नहि सहज, तँ असहजे भऽ भऽ कऽ
• ककरो अन्दरर पैसबाक ओकर ई कला
• बहुतोकेँ मोहविष्टक कऽ चुकल अछि
• तेँ अपन विजय-बाटपर रभसि सेहो रहल अछि
• एम्हअर हम बेस चौकऽ लागल छी
• ओकर अबरजात बढ़ले जा रहल अछि
• ओना, इहो ओकर अपन शिल्पी छै
• कहियो लगातार अबैत रहत
• तँ कहियो बाटे विसरि जाएत
• 4.कहियो-कहियो तँ अपन वाणीक माध्यिमे अबरजात बढ़ाओत
• आ से, तकर अनेक अर्थ लागत
• ओना ओ बुझा देत जे एहन सन किछु नइ छै
• मुदा तैयो तंग करबै
• तँ विराम-अर्धविराम-विस्मतय आदि संकेतक
• रहन-एहन प्रयोग कऽ कऽ बुझा देत, जे
• अहाँ चकित रहि जाएब! छकित सेहो भऽ जाएब
• आ एहना स्थितिमे जँ
• एक अहाँ मात्र गफ्फाक बीचसँ ससरि गेलिऐ
• तँ ओकरा लेल धन सन
• तकर एबजमे दोसर-तेसर अनेक भक्त
• ओकर वाकचातुरीक सोझाँ नतशिश भऽ जेतै
• आ ओ एक तरहेँ
• अहाँक, समर्थन-शिल्प मे अभिनन्दतन कऽ
• अहाँक बिखरल विरोधीकेँ सँगोरि लेत.....
• एहन सन नइ छै जे हम कमजोर भऽ रहल छी !
• शत्रु, मित्र नइ भऽ सकैए
• शत्रु वास्तैवमे एकटा जीन थिक
• जकर सभटा संबंध अनुबंध पर रहैत छी
• आ से हम नीक जकाँ बुझैत छी
• हम तँ संक्रमण-कालक सभसँ पैघ अस्त्र
• कविता द्वारा
• ओकर मन-मयूरक पएरपर नजरि देबऽ कहैत छी
• जकर रंगक संबंध ओकर मनक संग तँ ने जुड़ल छै,
• से सोचऽ कहैत छी
• हम विभिन्नै ढंगे साकांक्ष रहऽ कहैत छी
• मदारी-युगसँ सोझाँ-सोझी भऽ रहल छी !

• ।। नब पी‍ढ़ी।।
• ओ हमर उल्लातसित गामक बीतल वसंत छल
• जे हमर डेराक मेन गेट लग
• 5.थाकल-ठेहिआएल सन उदास, ठाढ़ छल
• अनायास ओकरापर नजरि पडि़ गेल
• भीतर आबऽ कहलिऐ
• मुदा जेना ओ किछु नइ सुनलक
• चीनीक रोगी सन लागल
• तथापि बड़ी काल धरि ठिकियबैत रहल
• आ हमरा अन्दार जेना किछु दरकैत रहल
• किछु काल बाद ओ भिझाएल हँसी हँसि देलक
• लागल जेना, ओकर अंदरक बीतल वसंतक
• आर किछु पखुरी झडि़ कऽ
• हमर मेन गेटक माटिपर आबि लेढ़ा गेल
• हमरा अंदरक विकराल होइत पीड़ा
• किछु सोचि नहि पाबि रहल छल
• अनुत्तरित छल पूर्वक सभटा हल कएल प्रश्नत
• हम ‘ई मेल’ फोललहुँ
• हम ‘नेट’मे ओझरएल हुँ
• हम ग्लोिबल चिंतनपर पुनर्चित न कएलहुँ.....
• एहि क्रममे बहुत किछु भेटल
• नवीनतम सेहो। संभावित सेहो
• मुदा ओ नइ भेटल, जे हमर डेराक
• मेन गेटपर लेढ़ाएल सन ठाढ़ छल, आ जे
• हमरासँ हमर नेनपनक हिसाब माँगि रहल छल
• हम एकरासँ लडि़ रहल छी लगातार
• लगभग दू-ढाइ दशकसँ तँ निश्चिते
• मुदा एहि दू-ढाइ दशकक अन्दचर फूटल
• नव पीढी लग
• कहाँ देखैत छी एहन सन कोनो पीड़ा!
• ओ तँ अपन मास्तिष्कसक ‘मैसेज बॉक्स.’सँ
• एहन सन भावकेँ प्राय: खाली कऽ निराशक्त अछि
• पुछबै किछु, तँ तेहन पूछि देत
• 6.जे हम महोमहो भऽ जाएब
• ओकरे दुनियाँमे बहि जाएब
• एखन स्थिति ई अछि, जे
• हम सम एक दोसरसँ आँखि चोरा सेहो रहल छी
• एक-दोसरकेँ देखिकऽ आँखि जुटा सेहो रहल छी!
• ।।अराडि़ जोतैए।।
• ई समय अतुकान्त। अछि
• एहनामे जँ हम तुकक गप करी
• तँ से समय-सापेक्ष नहि होएत
• एखन हम अनुवादमे जीबि रहल छी,
• जे शुद्ध अतुकान्ती अछि
• ओहिमे लय तँ छै, मुदा तुक नइ
• आजुक युगमे एकर, आकि एकरेटा अस्तित्वी अछि
• से, जहियासँ सिकुरि गेल अछि पृथ्वी्,
• 7.एकर अनिवार्यता ‘बेडरूम’ धरि आम भऽ गेल अछि
• सम सभक गप बुझि रहल अछि
• स्वाभद बुझि रहल अछि
• स्वार बुझि रहल अछि
• एहि स्वगर आ स्वाछदपर
• दलाल स्ट्रीुटक महिमा अछि
• सेंसेक्स्क उतार-चढ़ाव अछि
• नन्दीकग्राम अछि
• नासा आ सुनीता विलियम्सर अछि
• लाल मस्जिद आ बाढि़ अछि .....
• समटा नीक-अघलाह आइ
• एही सोचपर नृत्यढमान अछि
• तेँ आजुक समयमे किछु असंभव नहि अछि
• किछुओ लग-दूर नहि अछि
• सम किछु पारदर्शी, किछु अदर्शी नहि
• जेँ ई समय अतुकान्तर अछि
• तेँ कविता आ जीवनक भाषा एकाकार भऽ गेल अछि
• तेँ कैमराक लेंस धरि कविता लिखैत अछि
• विज्ञापनक भाषा कविता बजैत अछि
• सम्पूार्ण जीवने कवितामय भऽ गेल अछि
• जतऽ ओकर
• सर्वांगीण समस्याणपर विमर्श सम्भछव मेल अछि
• तेँ एहनामे जँ हमर सुचिता ओ संस्का्र
• संस्कृनति ओ आचारसँ
• कोनो अमूर्त्त भाव सनक परिचिति
• अपन अस्तित्वत लेल, अपन-अपन श्वे तपत्र
• जारी करैत जा रहल अछि लगातार
• ‘नेट’ धरिमे ‘फीड’ करैत जा रहल अछि
• अपन गौरवमय परम्प रा
• तँ हम की कऽ सकैत छी।
• 8.हमरा तँ लगैत अछि
• जे हमर ई परिचितिजन्य ढाल
• बुढ़बा साँढ़ जकाँ
• जीवनक गति ओ प्रवाहकेँ
• अहेर कऽ कऽ रोकि राखऽमे विश्वा स करैए
• समयक आदि-अन्ताकेँ
• अपन एही हुकहुकी छरपानमे जीबैत देखैए
• सुप्तह चेतनामे आएल सपना संग
• भ्रम पोसैत अराडि़ जोतैए

• ।।वस्तुसत:।।
• अजीब अछि ई महानगर
• हम एकरासँ जतबे परिचित होबऽ चाहैत छी
• ई ततबे अपरिचित बनि जाइए
• हम भिनसरे
• जाहि निर्जन बाट धऽ कऽ जाइत डेराइत रहैत छी
• घुरती खेप ओतऽ बाट नइ भेटैए !
• भऽ सकैए, मास दिन छओ मासपर जाइ
• तँ ओतऽ गोटेक अपार्टमेंट देखी
• खेलाइत-धुपाइत....मुस्कैैत-खिलखिलाइत.....
• हम अपइ अपन
• परिचित किराना पट्टीसँ राशन ली
• आ पुन: मास दिन बाद आबी, तँ
• किरानापट्टीक अपन ओहि परिचित परिसरपर
• मल्टीास्टोहरीज बिल्डिंग सनक बजार.....
• .... नहि नहि, ‘माँल’ देखी, आ
• जकर अन्दनर जाइते जेना हाँल ढुकि जाए !
• से,
• अपन अन्द,र उगि आएल
• एहि अनिश्चितताक पाँखि संग उडि़या जाइ
• आकि जकथक् रही-
• ई सोचब-गूनब बड़ भयाओन लगैए
• पहिल-पहिल जहिया एकर दर्शन भेल छल,
• हमरा अन्दचर तँ अदंक लऽ लेने रहए!
• सभ चेहरा व्य‍स्‍त
• सभ आँखि चौचंक
• सभ डेग अपस्याँित
• सभ इच्छाप अतृप्त
• अजीब तरहक भागमभाग......
• ओतहि अध्य यनरत अपन पुत्रसँ
• सड़क पार करबा लेल ठाढ़
• सहसा एक दिन पूछि बैसल रही
• एहि प्रकारक अस्थिरताक कारण?
• मुदा ओ तकर उत्तर नहि दऽ सकल छल
• ओकर नजरि
• ट्रैफिक-बत्तीपर टिकल रहलै....टिकल रहलै.....
• आकि सहसा हमरा छोडि़ आ हाथक संकेत दऽ
• बजबैत, सड़क पार कऽ गेल!
• सड़कक एहि पार हम
• सड़कक ओहि पार ओ
• बीचमे भागमभाग......अफरातफरी......
• अजीब अछि ई ठाम
• बेर-बेर अपरिचित बनि
• अबैत रहैए हमर समक्ष, आ हम
• ताहिमे हेराएल जारहल छी, हेराएल जा रहल छी.....
• से, वस्तुीत-अपरिचित ठाम नहि,
• हम भेल जा रहल छी
• हम भेल जा रहल छी....

• ।।अंतिम पीढि़क बयान।।
• मौसम कुहेसक सीरक ओढ़ा।।
• सूर्यकेँ सुतबा लेल विवश कएने अछि
• एकरे मारल बीच घुना रहल अछि
• अनेक टुस्साी नेंगरा रहल अछि
• तोतराइत सुनि रहल छी फूलकेँ सेहो
• 10.मौसमक मरखाह चाँगुरसँ डेराएल
• हमर आँखिमे बैसल विश्वाुस
• अपन डेरा रहल विश्वैसनीुयतासँ
• भयभीत भऽ रहल अछि
• विवश सूर्य सूतल अछि, आ
• सात समुद्र पारसँ रंग-रंगक पेय
• रंग-रंगक स्व प्न आ ओकर संसार
• ‘नेट’ द्वारा परसल जा रहल अछि
• हमर आँखिमे मोतियाबिन्दव फुला रहल अछि
• हम ओकरा संग रभसि रहल छी
• चुभकि रहल छी ओकरा संग
• सर्दिया रहल छी सर्वांग
• तथापि मुस्किया रहल छी अनवरत
• एहि विपरीत मौसममे तैयो
• हम प्रतिरोधक संग जीबि रहल छी
• हम मोन पाड़ैत छी—
• हथिया-नक्षत्रक पानिमे नहाइत कोना सिहरैत रही
• पाँतरक पीपरक गाछ तर घमाएल
• जेठक दुपहरियामे कोना सुस्ता इत रही
• फगुआमे कोना गबैत रही जोगीड़ा.......
• हम मोन पाड़ैत छी—
• जाड़क साँझक पजरैत घूर आ भोरक
• गाँती बन्हकने कटकटाइत दाँत।
• जूडि़शीतलमे उराही होइत पोखरि-इनार, आ
• आ थाल-पानिसँ जुड़ाइत अंग-अंग.......
• हम चिक्काम खेलैत मचकी झुलैत
• मोन पाड़ैत छी बाध-बोन, चर-चाँचर
• प्राती....सोहर....महराइ....लोरिकाइन....
• गबैत मोन पाड़ैत छी
• ओ सभटा हेराएल जीवन-शिल्प ....
• 11.हम मोन पाड़ैत छी—
• कनसारसँ अबैत लाबा-भूजाक सोन्ह.गर गंघ
• हम मोन पाड़ैत छी—
• मालजालक गरदनिमे बान्हडल घंटीक संगीत
• हम मोन पाड़ैत छी—
• पारिवारिक अटूट संबंध, आ
• सदाबहार सामाजिक सौहार्द्रक गान
• हम मोन पाड़ैत छी—
• मोन पाड़ैत रहैत छी जखन-तखन
• ओ सभटा खुशी, जे बेदखल कऽ देल गेल अछि
• हमर भावना, हमर परिचिति, हमर मौलिकतासँ....
• हम मौसमक एहि बदलल नेत संग
• एकरा प्रतिरोध मानि
• एहिना जीने जा रहल छी अनथक....अनवरत....
• हम एहि शताब्दीरक अंतिम एहन पीढ़ी छी
• जे प्रतिरोधक एहि शिल्पकक संग लडि़ रहल छी
• मुदा....मुदा सत्यं तँ ई अछि
• जे ताही अनुपातमे जल्दीत-जल्दी.
• अपन संतानसँ अनचिन्हादर भेल जा रहल छी....

• ।।एकटा साम्यअवादीक आत्म कथा।।
• अपन जन्माकथाक मादे एतबेटा बूझल अछि जे
• ओ बरोबरि हमर आँखिमे आँजन करैत रहै छलि
• कजरौटीसँ मांगि कऽ ओकर रंग
• हमर कपारक कातमे ठोप जकाँ लगबैत छलि
• भरिसक, अपन अन्दकर कोनो यात्राक सपना रोपैत
• हमरा नजरि-गुजरिसँ बचएबाक
• ओ एकटा भावुक सन प्रयास करैत रहै छलि
• हमु कने छेटगा भेल रही
• तँ ओ हमरा ठेहुनमे भरबाक लेल कूबत
• ’लड़े लड़े’ कऽ ध्वबनि संग चलब सिखौने छलि....
• बादमे तँ हम अपने चलऽ लागल रही....
• से, किछु समय घरितँ ओकर छाती धरकैत रहलै
• 12.‘लड़े लड़े’ कऽ ध्वकनिमे पराजयक कम्प.न बुझाइत रहलै
• मुदा बादमे तँ समटा डर-भय पड़ा गेलै
• आ ओ हमरा दिससँ निचैन भऽ गेलि....
• अहाँ बूझि गेल होएब
• जे ओ आन क्योल नहि, हमर माँ छलि!

• दोसर अध्यायय
• किछु समय बीतल,
• हम अपन जन्मतकथा बिसरि गेलहुँ
• जीवनकथा लिखबा लेल
• पाछू तकबाक पलखति नहि भेटल
• हमरा संग
• संगी-साथीक एकटा गोल बनि गेल छल,
• जकरा अन्दकरमे नहु-नहु सिहकैत बसात छलै....
• आँखिमे उजासस, कतहु कोनो खटास नहि
• किछु नव करबाक सिखबाक मात्र जिज्ञास.....
• हमर जीवनकथाक प्रेम-संबंधक ई केहन रूप छल,
• सहजेँ बूझि नहि पओलहुँ
• हम टूटल ताग सभकेँ जोड़ा लगलहुँ
• हम गुदरीकेँ सीबि-सीबि सुजनी बनबऽ लगलहुँ....
• ई तँ बादमे जाकऽ बुझल भेल जे हमरा
• अपन जीवन-संदर्भक प्रसंग भेटि गेल
• आ एकटा अनाम अपरिचित ऊर्जासँ जेना
• हमर मन-प्राण रोमाचित भऽ उठल
• अपन खानगी कहि दी
• जे ई हमर, सृजनसँ जुड़बाक समय छल !
• तेसर अध्याकय
• समय-सापेक्ष हम
• अपन उत्क-र्षक तमाम निष्कजर्षकेँ
• पूर्ण मानबासँ सभ दिन अस्वी कारैत
• कखनों कालकऽ पाछू सेहो ताकऽ लागल रही
• हम तकैत रही
• अपन किछु विशिष्ट स्वगप्न दर्शी संगी सभक
• पूर्वपरिचित पदचापकेँ,
• किएक तँ हम बीच सरोवरसँ
• काढि़कऽ अनने रही किछु रक्तकमल
• पीठपर पाँखि उगा
• जीवन-रफ्तारक तमाम हदसँ आगू बहरा जएबाक
• अकूत आकांक्षा छल हमरा अन्ददर....
• हमरा अन्दकर चिन्त्नक टटकापन
• वैश्विक जनाधारक संग, वर्त्तमान रहए
• चारूकात दिपदिपा रहल छल जीवनक समेकित सौन्द र्य
• बंघु!
• ई हमर गतिमान अवधिक शिखर-काल छल

• चारिम अध्यानय
• आइ एहि जन-अरण्यख मध्यल चलैत
• एसगर, नितांत एसगर लागि रहल छी हम
• मोन पडि़ रहल अछि
• अपन गाम सनक अछि
• अपन गाम सनक अनेक गाम
• ओकर हवा, ओकर नदी
• ओकर हँसी, ओकर रुदन,
• जतऽ अपन अनेक स्व प्नलदर्शी संगी संग
• मुखर हम, किछु बुनने रही
• आपसमे बहुत-बहुत यात्राकेँ गुनने रही
• आइ एहि जन-अरण्यह मध्य चलैत
• चलैत-चलैत चकुआइत-चौंकैत हम
• अजीब तरहक दहशतमे जीबि रहल छी
• 14.स्वेप्न-,
• कोनो दीयर सन उदास ताकि रहल अछि—
• कतऽ गेल ओ स्वउप्नहदर्शीक समूह ?
• कतऽ गेलै ओकर स्व‍र, ओकर सुभाव ?
• ठीके, काफी असोकर्यमे छी—
• एहि जन-अरण्यअ मध्यर चलैत
• तकैत रहै छी चतुर्दिक जखन-तखन
• चौंकैत-चकुआइत रहै छी जखन-तखन
• आ ओकर सभक
• पूर्व परिचित पदचापक
• अधीरतासँ प्रतीक्षा करैत रहै छी, ई सोचैत
• जे आखिर एहन कोन बिसंजोग भऽ गेलै
• जे विराट सामूहिकताक ओ सपना
• एना छहोछीत कोना भऽ गेलै।
• आजुक एहि वैश्विक बाजारमे हमरा लेल
• ई विचलन, ई विखण्डान
• चिताक ताप सन लागि रहल अछि
• आ हम खोजी नजरि लेने
• चकुआइत ताकि रहल छी बाट.....
• तेँ कहबामे कोनो हर्ज नहि
• जे दिशाहीनताक विरुद्ध
• ई हमर आत्मंाथनक काल थिक।

• पाँचम अध्यााय
• आइ हम अचम्मित छी, भयमीत सेहो
• किएक तँ आश्चतर्यजनक रूपसँ हम
• किछु तेहन चित्र देखबा लेल बाध्‍य भेलहुँ अछि
• जकर तेहम कोनो अपेक्षा नहि कएने रही—
• हम देखलहुँ जे हमर किछु अनन्य‍ संगी
• अपन-अपन हाथमे
• मल्टीखनैशनलक झालि लऽ लेलनि
• तँ किछु भगवा धारण कऽ लेलनि
• 15.क्योण-क्यो , छिट फुट
• लालबत्तीमे अपन-अपन रूप ताकऽ लगली
• तँ अधिकांश, एकटा कऽ चौकठि अँगेजि
• अपना-आपकेँ दादी-नानी बना लेलनि....
• आ सभ जेना एक-दोसरसँ अनचिन्हाठर भऽ गेलहुँ!
• की पौलहुँ, की गमौलहुँ, तकर हिसाब-बही जेना
• कमला-कोसी सन कोनो-कोनो नदीमे
• प्रवाहित भऽ गेल....दहा-भसिया गेल अंनत सागरमे....
• किछु जे तैयो अपनाकेँ चिन्हाहर राखि सकल,
• सेहो अपनेमे सहस्त्रँ दल भऽ गेल
• दलदलमे फँसैत चलि गेल, अथवा
• कोनो-कोनो राज्यल, आकि देशक संसद मध्यर,
• नहि तँ कोनो-कोनो कल-करखानाक व्यकवस्थाी संग
• व्य वस्थित जीवन जीबऽ लागल....

• वर्त्तमान अध्या्य
• ओना ई अध्याधय पूर्ण नहि गेल अछि
• तथापि जतऽ गामसँ
• नगर-महानगर लेल फुटै छै रस्ताि
• हम ठाढ़, अपन हेराएल-भुतिआएल
• संगी सभकेँ हियासि रहल छी, संगहि
• जे बाटक प्रतीक्षामे अछि,
• तकरो अपना दिस हकारि रहल छी...
• हियासबाक आ हकारबाक ई क्रम आविराम जारी अछि ....
• आ से,
• एहन विपरीत परिवेशमे सहसा
• हमरा अपन माँ मोन पड़ैए
• आ हम ओकरे जकाँ सौंस जारनिक अभावमे
• खुहरी जोडि-जोडि़
• पुन:पुन: आगि पजारबाक व्योंएत धरा रहल छी
• हम तमाम विपरीतक बीच पिरीत ताकि रहल छी
• वस्तुात:, ई तँ हमर उजरल खोंतामे
• भगजोगनी अनबाक काल थिक
• आ तेँ हम फेरसँ नेना बनि गेल छी
• आ हमरा एकटा माँक बेगरताक
• पुन:पुन: अनुभव भऽ रहल अछि ।

• ।।कुहेसक अन्हुड़।।
• इजोरिया रातिमे
• पसरल अछि अन्‍हार
• रजनीगंधाक गाछसँ
• बहरा रहल अछि दुर्गंध
• बाटपर
• चलि रहल अछि थाकल डेग
• बहुत दूरसँ प्राय:
• चलल छै कुहेसक अन्हेड़,
• जे छापि लेबऽ चाहैए जेना
• कुमुदिनीक खिलखिल हँसीकेँ
• हम एहि दूरीकेँ नापऽ चाहै छी—
• अपन विचारक घोषणापत्रसँ
• आ फेरसँ लिखऽ चाहै छी
• पुनर्जागरणक सपना
• आइ लोक सपना देखैए
• बहुत नीक-नीक सपना देखैए
• मुदा,
• तकरा ताही नीक ढंगे
• बिसरि सेहो जाइए
• हम सपनाकेँ
• बिसरऽ नहि चाहै छी
• हम अपन अततिक संग
• वर्त्तमानसँ लड़ैत
• फेरसँ
• भविष्यमक कविता लिखऽ चाहै छी
• हम अपन कविता मे
• निगुर्ण नहि, सोहर आ पराती गाबऽ चाहै छी

३. रमण कुमार सिंह


गुमशुदगी
रिपोर्ट
राजधानी
के एही रोशनी से
नहायल
सड़क पर
एक
दिन हमर बेटीक हंसी
पता
नै कते गुम भ गेलै
हमरा
गामक रामधन काका के
बुढ़ौती
के लाठी
एहि
महानगर भीड़ मे
हेरा
गेलै महामहिम जी

अपन हाल की कही
गाम
सं चलैत काल एगो उम्मीद
एगो
सपना ल के आयल छलहुं
हम
एहि महानगर मे
पता
नहि राति-दिन के भागम-भाग

हलतलबी मे उहो सपना हेरा गेल
हे
महामहिम जी,
सुनै
छीयै राजधानी के पुलिस
बड्ड
माहिर होय छै
हमरा
सन अदना लोक के त बातो नै सुनतै
कने
अहीं खोजबा दियअ ने
हमर
बेटी के हंसी
रामधन
काका के बुढ़ौती के लाठी

हमर ऊ सपना जे ल के आयल रही
हम
राजधानी मे...
४. मायानाथ झा-मातृगिरा
लेफ्टिनेंट कर्नल मायानाथ झा (सेवा निवृत), जन्म–तिथि–5.5.1946, शैक्षणिक योग्यता–स्नातक (1966) व्यवसाय–सेना डाक सेवामे बिभिन्न पद पर 19.09.1969 सँ 31.05.2006 धरि। अवकाश प्राप्तिक बाद लेखनोन्मुख कृति–जकर नारि चतुर होइ (कथा–संग्रह–मैथिलीमे), तब और अब कविता–संग्रह–हिन्दीमे), अनूठी सूक्तियाँ (संकलन), Unique Utterances (Collection), श्रद्धा–सुमन (कविता–संग्रह मैथिलीमे, प्रेसमे), जन्मस्थली–भराम, मधुबनी।

मातृगिरा

बनब केवल अंगरेजिया बाबू,
की राखब मातृगिराओक किछु ज्ञान?
कण्ठ खखारि हम पूछि रहल छी,
बनि मलेच्छ की बिसरब अपन पहिचान?
भऽ रहल अछि युग परिवर्त्तन,
बदलि रहल अछि आइ संसार।
उलझि अहाँ ध्रुबीकरणक जालमे,
बिसरल जाइत छी मिथिलाक व्य्वहार।
प्रगतिक डोरि पकडि़कऽ चलब,
बात तऽ नीक अवश्मेि थीक।
किन्तुक निरादर जननीभाषा केर,
से तऽ आखिर विडम्बाने थीक।
देश-विदेश की गेलहुँ अहाँ,
माइयेक बोलीकेँ बिसरलहुँ।
अपना संग-संग धीयो-पुताकेँ,
ओहिसँ विमुख कयलहुँ।
लिखबा-पढ़बाक तऽ कथे कोन,
बाजब तक छोड़ि देलहुँ।
रही जे निर्मम पितृ-मातृ लेल,
निज भाषाओ लेल निष्ठु र भेलहुँ।
घरक भाषामे गप्प -सप्प‍ करब,
आइ हेठीक बात बुझाइत अछि।
चारि आखर अंगरेजी बाजी तँ,
ताहिमे बड़प्पबन देखाइत अछि।
सपना भेलैक नेना-भुटकाकेँ,
दादी आओर नानी केर संग।
खिस्साे-पिहानी पाछुए रहलैक,
रंगि गेल ओ सब टी.वी.क रंग।
माय-बापकेँ फुर्सति नहि छन्हि,
पाइयेक पाछू छथि बताह।
फूहड़ आ घृणित विनोद दूरदर्शनक,
बच्चा सबकेँ केलक घताह।
की निष्णात विद्वान मैथिलीक,
अंगरेजियोक उपासकनहि छलाह?
घरमे सभ दिन बाजि मैथिली,
की ओ आ.ए.एस. नहि भेलाह?
एहन मनीषीक नाम नहि गनाएब,
मात्र इंगित हम करैत छी।
अपन भाषा केर महत्वकेँ बुझू,
सएहटा तऽ हम कहैत छी।
सब भाषा गरिमामय होइत अछि,
किंतु सर्वोपरि निज भाषा।
जँ पारंगत होयब ताहिमे,
सुदृढ़ होयत अभिलाषा।
भगवद् पूजा जेना करैत छी,
सब दिन किछु समय बचाय।
तहिना पूजू माँ मैथिलीकेँ,
दिअ एकर पुनि मान बढ़ाय।
नहि अछि थोड़ पाठ्य–सामग्री,
अछि भरल मैथिलियोक भण्डार।
भटकि गेल छी अहाँ मार्गसँ,
तैँ घटल अछि मोनक उद्गार।
केवल नाम पाबि अस्टम सूचीमे,
नहि होयत मथिलीक उद्धार।
अछि प्रयोजन प्रबल प्रयोगक,
तखनहि सम्भव एकर विस्तार।
जँ पण्डित हैब मातृगिरा केर,
आनहु शीश नबाओत।
जड़ियेकेँ जँ त्यागि देब तऽ,
के पुनि लाज बचाओत?
५. विनीत उत्पल
समाज

अंगरेजी मे एकटा फकरा अछि
अहां प्रेम कऽ सकैत छी
अहां घृणा कऽ सकैत छी
मुदा, अहां हमरा नकारि
नहि सकैत छी

ककरो छोट
कहबा स
कियो पैघ नहि भऽ
जाइत अछि

ककरो चोर
कहबा स
कियो हवलदार नहि भऽ
जाइत अछि

ककरो सऽ
संबंध बनबा सऽ
कियो संबंधि नहि
भऽ जाइत अछि

‘मां’ शब्द
बजलाह सऽ
कियो अपन मां
नहि भऽ जाइत अछि

ककरो सऽ
नहि बजलाह सऽ
कियो बौक नहि
भऽ जाइत अछि

ककरो निंदा
करला सऽ
कियो प्रशंसाक पात्र
नहि बनि जाइत अछि

ककरो मित्र
नहि बनबै छी तऽ
कियो दुश्मन नहि
बनि जाइत अछि

ई सभ गप
एकटा पहेली
नहि अछि
हकीकत अछि समाज कऽ

जतय समाज, संस्कृति, परंपरा आ कतेक
‘वाद’ कऽ नाम पर अपन दोष
नुकैबे लेल दोसर कऽ दोषी
ठहरायल जाइत अछि सदियो स।
• १. जीवकान्त -जन-जन याचक


• जीवकान्त
• कविता
• जन-जन याचक
• अगिते देखल सूर्य
• तरणिसँ माँगल थोड़ प्रकाश
• कहलनि-“मुट्ठी बान्हि ठाढ़ रह
• अपनहु करहि प्रयास’’
• मुट्ठी तँ भरि गेल
• खोलि कए देखी अति उत्सा ह
• जते हजीरिया तते अन्हसरिया
• दूनू धार प्रवाह
• माँगल धरतीसँ हम याचक
• अन्नल-फलक भंडार
• गाछ फड़ल बड़
• आगाँ देखी आधा खाली थार
• नदी देखि कए भेल खुशी तँ
• माँगल आँजुर पानि
• बैसक्खाँमे बालु उड़ाबए
• भादवमे नकमानि
• लत्ती-लत्ती बहुत हरियरी
• कोँढ़ी होइत फूल
• फूल-कुंजमे समय बिताबी
• तृष्णा लाल अढ़ूल
• हवा उड़ाबए खढ़क खण्डढकेँ
• तहिना भासल जादू
• बहुत डारिपर
• बहुत फूलकेँ सिहरन नहि बिसराइ

• कहल देशकेँ-
• दैह सुरक्षा, घूमी जंगल-झाड़
• घर-घुसनाकेँ नोति बजाबए
• सागर आर पहाड़
• रहलहुँ सभतरि निष्केण्टाक भए
• गड़ल ने कूशक काप
• बन्न कोठलीमे चेहाइत छी
• भरि घर सापे-साप
• देशो माँगइ-
• नित्यम करी हम सभ जन बाट प्रशस्तक
• बहिर भेल किछु, सुनि नहि पाबी
• अपन स्वा र्थमे मस्त
• कहियो माँगए धार-धरित्री
• कहियो गगनक छोर-
• किछु नहि सुनलहुँ
• जतबो सुनलहुँ
• देल ने हृदय कठोर

• श्री गणेशाय नम:
• कुल देवताभ्योम नम:, ग्राम देवताभ्योा नम:,
• सर्वोभ्योभ देवम्योि नम:, सर्वेभ्योो ब्राह्मणेभ्यो1 नम:,
• सर्वेभ्योभ गुरुवेभ्योर नम:।
• ऊँ शक्ति-ऊँ..........
• १. रघुनाथ मुखिया-किछु पद्य २.सच्चिदानन्द सौरभ-किछु पद्य




• रघुनाथ मुखिया
• नेनो बासा
• ग्राम+पो.–बलहा
• भाया–सुखपुर
• जिला–सुपौल
• पिन कोड–852130
• मो.–09472032749

• दूधक धार
• हम देखैत छी
• हमरा सोझाँमे
• दूध आ अन्नक लेल
• हमर दूधमुँहा नेना
• कोना छटपटा रहल अछि
• हमर कोढ़ ओहिखन फाटि जाइछ
• जखन
• ओ अपन आंगनक ड्योढ़ी दिस
• अपन तुरियाक
• दूध आ भातबला कटोरा
• दोड़िकेँ छीनऽ चाहैत अछि
• आ हमरा चिन्हबऽ लगैत अछि
• दूध आ भात
• ओकर रंग आ स्वाद
• ओहिखन मोन होइत अछि जे
• हमरा कानमे पसिझल पाथर
• किएक नञि भरि देल गेल
• वा
• ई गप्प सुनबासँ पहिनहि
• हमर प्राण–पखेरू किएक नहि उड़ि गेल?
• किएक तँ
• कलम क्रांति उठा सकैछ
• शांतिक समुद्र लहरा सकैछ
• बुद्धक लहाँस खसा सकैछ
• नव–नव सृष्टिक विनाश आ निर्माण कऽ सकैछ
• शोणितक धार बहा सकैछ
• मुदा शिशुक लेल
• दूधक धार जुटाएब
• ओ संभव अछि कलमसँ

• छाँहक–सुआद

• बेरोजगार लोक
• आ बिनु फरै–फुलाबै बला गाछ–बिरीछ
• दुनुमे की भेद आ की समानता
• मरि जाए बरू कटि जाए तँ बेजायै की।
• लोक–वेदक कहब छनि
• जे लोक नञि हरियर नोट कमाबऽ
• आ नञि काया पोसबाक लेल सुन्नर फऽर उपजाबऽ
• ओकर बेगरते कोन एहि संसारमे?
• हे देखु! तकनीकी शिक्षासँ परिपूर्ण
• डंकल अंकल आ चार्ल्स वॉवेजक उत्पाद
• नान्हिएटा गाछ जड़िसँ छीप धरि लदम–लद
• आ खाद पानिसँ कोना तोपल अछि
• आ हे एकबेर ओम्हरो देखू ओ....
• बऽड़, पीपर आ पाखरिक ढ़ुठिआइत गाछ–बिरीछकेँ
• जूरो शीतलमे एक ठोप भेटाइत हेतै की नहिए
• तखनो सदति टटाइत ठाढ़ अछि अनका लेल।
• आ हेओ बाबू, भैया, साहेब हजूर
• ओहि बऽड़, पीपर आ पाखरिक छाँहक सुआद तेँ
• जेठक दुपहरियामे
• बाट नपैते मोसाफिरे बुझैत हेतै, नञि?

• मनुक्खक सूखौंत

• ओ कंठ मोकि हँसाबैए
• मुक्कासँ कटहर पकाबैए।
• जुनि माँगू पानि मुखिया–सरपंचक दालानपर
• ओ देशी दारूक धार बहाबैए
• पंचायती राजक विकासपुत्र कहेबा लेल
• मनुक्खक सूखौंत बनाबैए। ओ कंठ....
• काल्हि कथीक पंचैती होएत
• तकर जोगार आइये लगाबैए
• जौं जोगार नञि लागल तँ
• निचेन बैसल मनुक्खपर अपन हुलाबैए। ओ कंठ....
• पंचैतीसँ पहिनहि
• जे दारू आ मनुक्खक साना पहुँचाबैए
• ओ आँखि मुनिकेँ सुति रहैत अछि
• आ सरपंच, एक तरफा फैसला सुनाबैए। ओ कंठ....
• सौ दिनक रोजगारक कार्ड
• दुइ–चारि टकामे बिकाबैए
• जे किओ नञि देलकै निशान
• ओकरा बीच्चे सड़कपर सदस्य सभ मुकियाबैए। ओ कंठ....
• तेखगर जनताक मुँह बन्न करबा लेल
• जोरगर लोकसँ पहरेदारी कराबैए
• कमीशनक मोट रकम केर वास्ते
• सड़कमे तीन नम्बरा ईंटा लगाबैए। ओ कंठ....
• मजाल अछि जे किओ करताह विरोध
• सोलहो पंच चमेटा देखाबैए
• जौं फूजल मुँह अहाँ केर
• बत्तीसे हाथक बीच कंठ धराबैए। ओ कंठ....

• जमल शोणित

• सुनै छियै जे
• हमरो गाममे जमींदार सभ रहै
• खूब पैघो नञि तखन रहै तँ जमींदारे
• ओ अपन सिपाही आ मुँह लगुआक संगे–संग
• अठबारा छोटकाक टोलपर घुमै लऽ आबै
• आ जाहि टोलपर आबै
• बुझू जे पूरा टोले डोलमाल
• ओ डोलमाल कोनो बाढ़ि आ भूकंपसँ नञि
• मालिकक छुछन्नरि चालिसँ होइत छल
• मालिक बेधड़क ककरो आँगन घुसि
• ककरो बौह, बेटी आकि पुतोहूएसँ
• कहैत रहै जे
• हे गे फलनाक बौह, फलनाक बेटी, फलनाक पुतोहू
• उघार, उघार, उघार
• *तोहर पएर बड्ड सुन्नर छौ
• तँ ओ कतेक सुन्नर हेतौ
• आ कनियो बिलमि गेलापर
• दुनुटा सिपहिया
• हुनक तनक वस्त्रकेँ उपर उठा दैत रहै
• आ मालिक अपन दुनु हाथसँ
• कोनो–कोनो अंगकेँ मीड़ैत
• निर्लज्जताक आँखिसँ निहारैत
• पतित मुँह लगुआक संग खिलखिलाइत
• आँगने–आँगने छिछियाबैत रहै
• आ टोलक–टोल
• पुरूखक शोणित जमल जाइत रहै।

• कालचक्र

• गोरकाक समयमे
• किछु लोक सभ
• परोसि दैत रहनि
• अपन घरक जनानी सभकेँ
• ओकर चानीक थारीमे।
• किएक तँ
• हुनक देह की थोड़बे घटि जाइत रहनि?
• मुदा बाढ़ि जाइत रहनि
• बिनु किछु बेचने
• हुनके बखारीमे सोन आ चानीक भार
• आ नमरि जाइत रहै हुनक श्वेत–पधार
• छिड़िया जाइत रहनि हुनक नाम
• चान–सूरजक इजौत जकाँ
• भारतसँ बिलायत धरि।
• आ ओकरा गेलाक बाद
• एतुक्का बोनिहारिन जनानी सभसँ
• ओसुली भेलै सूदिक–सूदि
• अल्हुआक कंदसँ
• खेत–पथारक करमी सागसँ
• मड़ूआ, कोंनी, साम, कोदो आ खुद्दीक रोटी सभसँ
• बदलल जाए लागल रहै
• बोनिहारिन जनानीक अंग प्रत्यंग।
• आ एखन पंचायत प्रतिनिधि
• किछु अदला–बदली करबाक लेल
• बी.पी.एल, अन्त्योदय, आवास आ पेंशन लाभसँ
• दहाबोर कऽ देबाक शर्त्तपर
• भिक्षू वेषमे हाथ जोड़ने
• देह तकैत आँखि निपोड़ने
• ठिठिआइत ठाढ़ अछि
• एकटा नव–योवना मसोमातक ड्योढ़ीपर।

• कोशीक आगमन

• कहैत छथिन
• जोतखी–पण्डित
• पोथी–पतरा उचारिकेँ
• एहिबेर
• भगवती एतीह मनुखपर।
• तखन
• हम कहलिअनि
• कोशीक बिपटल
• मशान बनल एहि भूमिपर
• हेराएल–भुथिआएल
• लच्छक–लच्छ
• अनचिन्हार लहासक
• हिसाब–किताब देबाक लेल
• आब ओ
• नञि औतीह मनुख दिस।
• किएक तँ
• हुनके बहिन कोशी
• हुनका संगे छऽल केने
• संहारिणीक रूप धेने
• गाम–गाम सुड्डाह करैत
• लच्छक–लच्छ लहास हेलबैत
• सवा मास पहिनहि
• कुशहासँ सवार भेल
• चल एलीह मनुखपर।
• आब ओ
• ओहि हाड़क–हार
• सजेबामे लागल रहतीह
• शोणितक नीसाँमे
• माँ तल आ बिसरल रहतीह
• आगाँमे कल जोड़ने ठाढ़ भेल
• त्रस्त अरदसुआ सभकेँ
• अगिला आवाहन धरि।
• एम्हर बगुला भगत सभ
• जान बकसि देबाक लेल
• गोहारिक आश्वासन दैत
• सहयोगक अक्षत छीट रहल अछि
• आ, धीरज धरबैत अछि जे
• आब अहाँ सभक फूल हासि जरूर हेतै
• अपन–अपन डालीमे
• पान–परसाद सजौने
• एहिना पाँच बर्ख धरि
• कऽल जोड़ने, चुपचाप ठाढ़ तँ रहू।

• एक सालमे तेरह महीना

• आउ, आउ बाउ बैसू
• बड्ड दुखी देखै छी
• किछु खगता अछि की?
• बाजू–बाजू लजाउ नञि
• एतऽ अबिते छैक खगल लोक सभ
• अहाँकेँ की अछि?
• बेटीक बिआह आकि बापक सराध
• बेटाक अछि मूरन
• वा, माथक आँखिक अछि अपरेशन
• भेंटि जाइत छैक
• तखन हँ अहाँकेँ
• किछु जत्था–जाल
• वा किछु माल–जाल
• अछि की नञि?
• हँ, हँ अछि अपनेक आड़िमे
• ब्रह्मोत्तरेमे बचल अछि पचकठबी
• तखन आब ऐ कागतपर
• दहक ओठाक निशान
• आ, ई लैह नओ सय टका
• एक सय टका
• मास भरिक सूदि काटि लेलिऽ
• आ हँ, सुनऽ
• एहिबेर जेठ नञि टपऽ दिहक
• आखाढ़ेमे मलेमास हेतै
• आ, तखन तेरह मासक साल हेतै।

• बिखाह चाङुर

• पड़ाइत जटायुक वंशजसँ
• भेट भेल छल शांत आ एकांतमे
• अपस्याँत भागल जाइत देखि
• हम टोकालिअनि
• एक क्षण बिलमलाह
• आ, ओ हमरा
• पड़ाइते–पड़ाइत कहि गेल
• हे महामानव!
• अपनेक नित–निर्मित बिखाह वायुमण्डलसँ
• हमर वंश उपटि गेल
• कतेको डीह–डाबर पर
• बैंगन–भाँटा रोपा गेलै
• हमर तँ प्राणे बाँचल अछि जे
• एहि अन्हरियोमे भागि रहल छी
• अपनेक छत्र छायासँ
• आ हिआसि रहल छी ओहेन ठाँ
• जतऽ अपनेक जातिक आवागमन नञि हो।
• ओना तँ हमरो मोन रहऽ
• मंगल आ चान
• मुदा ओत्तहुँ पहुँचि चुकल अछि अपनेक यान
• नदी फिरिये देने अछि यूरो गागरिन आ राकेश श्रीमन्
• आन कतेको हाँ मुति घिनेने अछि अपनेक श्वान।
• हमर तँ दुखक नञि ओर
• मुदा बचाँ सकब तँ बचाउ
• अहाँ अपन संतानकेँ
• अपन बिखाह चाङुरसँ

• ई नेना

• बाढ़िमे भसियाओल मायक लहासकेँ
• धारक कातमे तकैत नेना
• दस बर्खक बलात्कृत मुइल
• बहिनक मुँह तकैत नेना
• फेकल पातपर लुधकल कुकूरकेँ
• चल जयबाक बाट तकैत नेना
• आतंकवादी विस्फोटमे चिथड़ी भेल
• मजूर बापक खंड–पखंड देहकेँ तकैत नेना
• भायक कफनक लेल
• मनुक्खक हेंजमे हाथ पसारने नेना
• हम पुछै छी–ई नेनाकेँ छी?
• हम देखैछी–ई नेना अहुँ भऽ सकैत छी
• अहुँक नेना भऽ सकैए ई नेना।





• आइ पहिल बेर

• गामक गाम
• पथार खेनिहारक गलामे
• लागि गेल रहै डोरि
• आइ पहिल बेर।
• हटिया–बाजारक भीड़मे
• आगाँमे राखल हरियरी
• ओकरा अनसोहाँत लगैत रहै
• आइ पहिल बेर।
• ओ खस्सी हरियरी छोड़ि
• चमकाबैत छूरी आ गलाक डोरि पकड़ने
• लोककेँ निहारैत रहै
• आइ पहिल बेर।

• दादागिरी

• बेसी दौड़बे तँ
• दौनीक बरद जकाँ
• कराममे जोड़ि देबौ!
• हाथ–मुँहमे जाय लागलौ?
• आ भरेऽ लागलौ पेट?
• जाबी बान्हि देबौ, जाबी!!
• पाँखि बढ़ल जाइ छौ?
• लोकतंत्र चाही तोरा?
• संविधान लेबे संविधान?
• आ ने लुक्कासँ झरका देबौ, लुक्कासँ!
• ईह! नाचैए कोना छम–छम
• मुंगरीसँ घुट्ठी ससारि देबौ, घुट्ठी
• नञि तँ मोन ठंडा केने रह, ठंडा
• चिन्है नञि छिही हमरा?
• भकसी झोंका देबौ, भकसी।
• कलमुच टुकुर–टुकुर तकैत रह
• कानमे तूर–तेल देने सूतल रह
• जाधरि हम तोहर कंठ मोकि
• साँस नञि निकासि दियौ।

• राजमहल

• राजमहलक देबालसँ
• अबैत अछि कनबाक सिसकी
• बेवशक माँउस सड़बाक गन्ह
• आ टपकैत अछि बूँद–बूँद शोणित।
• एकर एक–एक गोट ईंटा
• ओहि शोषित–मजूरक हाड़ अछि
• आ गिलावा ओकर मॉउस
• जकर पसेनासँ पटाकऽ
• ओकर शोणितसँ रंगल गेल देबाल।
• एहि देबालक चमकि देखिकऽ
• सहजहि अंदाज लागि जाइत अछि जे
• केहन लाल टुह–टुह शोणित रहै
• ओहि दमित–शोषित देहमे
• जे साफ–साफ देखार पड़ैत अछि
• अहि अट्टालिकापर।
• जतय चारू भरक हरियरीमे
• देखार पड़ैत अछि
• ओकर श्रम–शोषणक मूक गबाही
• जे जनम भरि परिश्रम करैत
• खिन्न मनसँ
• पेट पकड़िकेँ बितेलनि राति।
• वैह नर–कंकाल प्राचीरक नेओसँ
• जकरा छातीपर ठाढ़ अछि ई राजमहल
• चित्कार करैत शोर पाड़ि रहल अछि जे
• आबो तँ हमरा आजाद कराउ
• एहि मोटक देबाल
• आ लोहाक जंगलासँ
• जनैत छी! की भेल रहै?
• हमर गलती तँ मात्र एतबे भरि रहै जे
• फकत दुनू साँझक रोटी माँगलिअनि
• तेँ हमरा पएरमे बेड़ी बान्हि कऽ
• उनटा लटका देल गेल अछि
• तहियासँ आइ धरि
• समयक आँच सहैत आएल छी
• अपन विद्रोही संततिक प्रतीक्षामे।
• किऐ तँ
• आइ फेरसँ हुनक संतति
• किछु ओहने करबाक लेल
• एहि प्राचीरकेँ देखिकऽ
• यशोगान करऽ लगलाह अछि जे
• ई हमरे पुरखा बनौने छलाह।

• २.सच्चिदानन्द ‘सौरभ’
• देखू नै....

• ओ जनानी....
• हमर भाउज थिकय
• से बूझल–ए अभकेँ
• तैयो, कनफुसकी देखि
• चोन्हराय छी, कियै, ऐना?
• देखनाइये–ए तँ देखू नै....
• सिनेमा हॉलमे
• पार्क आ होटलमे
• स्कूल–कॉलेजमे
• आ’ मंदिर परिसरमे
• देखू–देखू नै
• घरमे, बाहरमे....
• गाम आ शहरमे
• खेत–खरिहानमे....
• कोना–कोना होइत रहै–ए
• छौड़ा–छौड़ीमे कनफुसकी
• मुंसा–मौगीमे मशखरी
• आऽ नेना–भुटकामे मुँहदुशी
• ओना, हमरा बूझल–ए
• ई सभ अहाँकेँ नीके लागत
• कियै तँ, अहुँ....
• एहि युगक थिक
• बस हमही–टा अहाँकेँ
• सतयुगी बूझि पड़ै छी

• ग्राम+पो.–सुखपुर
• जिला–सुपौल

• भोरऽक आसमे
• सच्चिदानन्द ‘सौरभ’

• चारि दिनसँ कविजी!
• आधे पेट खाइत छथि
• दुइये पसेरी चाउर
• आऽ तीनिये पसेरी चिकसमे
• मास खपेबा लेल
• साँझे सँ ओ
• परतारैत रहै छथि
• धीया–पुताकेँ
• सूतय लेल
• आऽ घरनीसँ फूलि बाजि
• ताकतऽक बदला
• निन्नऽक गोली
• खा लैत छथि कविजी!
• भरिपोख सूतबा लेल
• मुदा, तैयो कविजी
• उठिये जाइत छथि
• भुरूकबासँ पहिने
• कविता लिखबा लेल
• कविता!
• जकरा हुनक घरनी
• सौतिन कहि
• गरियाबैत रहै छन्हि
• कविता!
• जकरा हुनक सम्बन्धी
• डाइन कहि
• लतियाबैत रहै छन्हि
• तकरे सृजनमे
• फरिच्छ धरि
• अपस्याँत रहै छथि कविजी
• सहज, सरस
• आऽ चोखगर–चोखगर
• शब्द
• हेरय लेल ओ....
• काटय छथि अहोछिया
• ठीक ओहिना
• जेना कमलऽक पंखुरी मध्य
• कैद भौंरा
• अतुल रस–पानसँ अफरिकेँ
• औनाइत रहै–ए
• भोरऽक आसमे..........

• सम्पर्क
• आशीष ट्यूशन सेंटर
• सतीश राज कैम्पस
• पानी टंकीकेँ समीप, सुपौल


• अन्हारऽक संग रहैत – रहैत
• सच्चिदानद ‘सौरभ’

• चहुँ दिस पसरल अछि
• घुप्प अन्हार
• अन्हारमे
• बाट हेरबा लेल
• दऽ रहल छी हथोरिया
• मुदा, नहि भेटय अछि
• बाट
• आऽ नहि भेटय अछि
• अन्हारऽक ओर–छोर
• कतबो नोचय छी
• अपन देह–हाथ
• वा पीटय छी कपार
• रहै छी सदिखन
• ओतय ठाढ़
• जतय अछि अन्हारऽक
• एक छत्र राज!
• बुझि पड़ै–ए
• हमर मोनऽक इजोत सेहो
• भेटाय लागल–ए
• हे अन्हार! अहाँ संग रहैत–रहैत
• हमर आत्मा सेहो
• भऽ गेल अछि आन्हर
• तखन नै ओकरा
• देखि नहि पड़ै–ए

• कर्ममार्ग

• आऽ अपस्याँत अछि ओ

• हेरबा लेल मुक्ति मार्ग!


• १. ई वर्ष-अजित मिश्र २. नव वर्ष ३. शिव कुमार झा-किछु पद्य


• १.अजित मिश्र
• ‘’ सूर्यक प्रकाश सन जीवनमे ज्योति बस ,
• चन्द्रमासन शीतल मन बाँटए ई वर्ष दस ।
• पग-पग पर भेटए जन , दिन-दिन बढ़बए यश ,
• कामना कण-कणमे, घोलए सुख-शान्ति रस ।। ‘’
• आगत नववर्षक शुभ – अवसर पर हमर अशेष शुभकामना ।
• अजीत – मैसूर ।

• २. विनीत ठाकुर, मिथिलेश्वर मौवाही – ६, धनुषा ( नेपाल )

नव वर्ष

नव वर्षक ललकी कीरीणियाँ
सुखक समाध लऽ पसरल दुनियाँ
सभ केउ सुखित भऽ जिबै–जागै
पूरे मिथिला मंगलमय लागै

होइनै ककरो आव जाइ–बेजाइ
मेहनतकें रोटीसँ नेना पोसाइ
सभकें घरमें जुरै रुचै अन्न
प्रशन्न मुद्रामें रमकै मोन

जे बुझे अपनाकें बलशाली देश
काज किछु एमकी करै विशेष
जलवायू प्रदूशन पर राखै ध्यान
पृथ्वीकें कम करै तापमान

• ३..शिव कुमार झा ‘‘टिल्लू‘‘,नाम ः शिव कुमार झा,पिताक नाम ः स्व0 काली कान्त झा ‘‘बूच‘‘,माताक नाम ः स्व0 चन्द्रकला देवी,जन्म तिथि ः 11-12-1973,शिक्षा ः स्नातक (प्रतिष्ठा),जन्म स्थान ः मातृक ः मालीपुर मोड़तर, जि0 - बेगूसराय,मूलग्राम ः ग्राम $ पत्रालय - करियन,जिला - समस्तीपुर,पिन: 848101,संप्रति ः प्रबंधक, संग्रहण,जे0 एम0 ए0 स्टोर्स लि0,मेन रोड, बिस्टुपुर
जमशेदपुर - 831 001, अन्य गतिविधि ः वर्ष 1996 सॅ वर्ष 2002 धरि विद्यापति परिषद समस्तीपुरक सांस्कृतिक ,गतिवधि एवं मैथिलीक प्रचार - प्रसार हेतु डाॅ0 नरेश कुमार विकल आ श्री उदय नारायण चैधरी (राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक) क नेतृत्व मे संलग्न


!! कंतक आवाहन !!

आजु मुदित मन बालारूण केर - करू मंगल गुणगान अय ।
जड़ उपवन मे सुमन फुलाओल यौवन महमह भान अय ।।
श्रैंगारिक वेला मे सपनहिं
प्रियतम छूलनि कपोल हमर ।
अर्द्ध निन्न मे चिहुॅकल जहिना,
सासु मरोडलि लोल हमर ।
अभिनव औता आजु सुनल दुरभाष मे अपने कान अय ।
जड़ ............................................................. ।।

झट उठि देखल धर्म मातृ केर,
आनन परिमल पुष्प बनल ।
पूत दर्शनक आश मे डूबलि,
मंजुल मुसकी पनकि रहल,
चलू रम्भा भंडार चढ़ाबू हेता भुखल अहॅक परान अय ।
जड़ ............................................................. ।।

असमंजस मे दुहु भैरवी,
मातृक लोचन सुधा भरल ।
वामा हम तऽ नेहक लुत्ती,
तनय अनल प्रेम धधकि रहल ।
जननी हृदय छोह सॅ आकुल स्वार्थहि हमर जहान अय ।
जड़ ............................................................. ।।

चरण छूबि नाथक माता केर,
कयलहुॅ चटपट स्नान हम ।
कुमकुम केसर जूही चमेली,
कुलदेवी गमगम अनुपम ।
देवकी नन्दन बंसी बजाबथु बोरि - बोरि द्राक्षा तान अय
जड़ ............................................................. ।।

संभवि अहाॅ ननदि नहि अनुजा,
बनि कम कयलहुॅ ताप हमर ।
नहि तऽ फॅसि विरहक संतापे,
पीवि लेतहुॅ कखनहुॅ जहर ।
आनव उपहारे मे अहीं लेल विज्ञ, धान्यवर चान अय
जड़ ............................................................. ।।


!! अतृप्त नयन !!
आकुल पड़ल विगलित नभ दिशि तकैत,
छलहुॅ रैनि केर निर्वांणक प्रतीक्षा करैत ।
कोना काटव एहि संतापी जामिनी केॅ,
ओ तऽ छलीह हमरे कटैत ।
झकझोड़ि देलक अन्र्तमन केॅ
नयना क पूछल अंतिम प्रश्न -
अहूॅ अहिना करब की ?

पददलित कयलक विष रहित फन केॅ ।
दुहू नैन नोर सॅ सरावोरि,
देलनि हमर आत्मा केॅ मडोरि ।
निःछल करूणामयी भऽ भाव विभोर
देखऽ लगलहुॅ अवलाक धधकैत ज्वार
सुनैत गेलहुॅ सुनैत गेलहुॅ ।
निरूत्तर हमर व्यथा क्षीण भऽ गेल -
मंच सॅ नेपथ्य भरिगर लागल
की सोचैत छलहुॅ ? वास्तविकता............
चाननक सेज पर पड़लि अर्धांगिनी
धान्य, रजक, कांचन, भरल..........
मुदा ! सदिखन खसैत् वेदना केर दामिनी ?
छल अपूर्ण यौवन अतृप्त नयन
हा ! तात कोना कएल वरन
एक गाही वयसक सुकन्या केर
कंतक वयस पचपन..... ।
गामक चुलबुली मोनालिसा
कुहरि रहलि कनक गृह मे -
असहाय तातक देल विपदा केॅ
भोगि रहलि जोगि रहलि ।
केना पार करती लछिमन रेखा -
अपन विंहुसल हिलोर केॅ
कतऽ करतीह प्रस्फुटित
हमरा सॅ कयलीह अपन पीड़ा प्रकट
पाषाणी नर कऽ देलनि जीवन विकट
बूढ़ कंतक डोलि गेल आसन
शंकाक अजगर तोड़ि देलक प्रीति स्तंभ
कठोर आदेश देलनि अपन दारा केॅ -
आजुक पश्चात् पर पुरूष सॅ गप्प
कथमपि नहि करब
नहि तऽ ?
हऽम अचंभित सुन्न शिथिल
कलंकित चरित्र लऽ कऽ
धूरि गेलहुॅ निःतरंग अपन पुरान पथ पर
काॅपि रहल दुहु पग ....
कोन अपराध कयलहुॅ
हऽम तऽ छलहुॅ पोछैत नोर ।
अतृप्त नयन सॅ झहरैत नोर ।।



!! कुरूक्षेत्र मे राधा !!

नवनीत अहाॅ पतवार बनू एहि करूस सरोवर जीवन केॅ,
ठिठुरल कदम्ब जमुना ठहरल सखी हॅसी उडाओल अर्पण केॅ ।।

आक्रांतित चहुॅ दिशि सुमन तरू,
विकल जड़ चेतन नभ धरती,
जल बुन्न बनल घन घनन घटा,
त्रासित राधा मन अछि परती ।
नवनीत............................................ ।।

सत् असत कर्म बीचि घूमि रहल,
सभ जनितो अहाॅ अनजान बनल,
भेंटत की जन संहारे सॅ,
अवला चित्कार आ नोर भरल ।
नवनीत............................................ ।।

शापित करती ओ हिन्द सती,
जनिक नाथ लुप्त भू आंचल सॅ,
स्ंागहि करूणित वृन्दा - मथुरा,
लेब पाप सभक युद्ध माॅचत जॅ,
नवनीत............................................ ।।

खोलू रण कर्मक डोरा डोरि,
डुबू पीयूष राधा - रस मे,
उत्ताप प्रेम तिल सुनगि रहल
नहि आब ई यौवन अछि वश मे
नवनीत............................................ ।।




!! हिंसक नानी !!

खापड़ि बेलना केर कहानी,
आब नहि दोहराबू अय नानी ।।

नाना बऽनल छथि सियार,
भक् छथि जेना हुलुक बिलार,
दंतक गणना घटि कऽ बीस
हुरथि गूड़ - चूड़ा केॅ पीस
गावथि दारा दरद जमानी ।
आब............................................ ।।

वरन् केर वर्ख भेल चालीस,
अर्पित अहॅक चरण मे शीश,
अहाॅ लेल लबलब दूध गिलास,
नोर पीबि अपन बुझावथि त्रास,
क्षमा करू ! छोड़ू आब गुमानी ।
आब............................................ ।।

अवकाश क बीति गेल दस साल,
पेंशन सॅ आनथि सेब रसाल,
भरि दिन पान अहाॅ केर गाल
ऊपर सॅ मचा रहल छी ताल,
चमेली सॅ भीजल अछि चानी
आब............................................ ।।

कतेक दिन सुनता पितृ उगाही,
संतति पूरि गेलनि दू गाही,
मामा मामी क बिहुॅसल ठोर,
माॅ छथि, चुप्प ! साधने नोर,
कोना बनि जेता आत्म बलिदानी
आब............................................ ।।

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5. रचना/ प्रस्तुतिपर अहाँक कोनो आर सुझाव ।
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7. रचना प्रस्तुतिक शास्त्रीय समीक्षा।

अपन टीका-टिप्पणीमे रचना आ रचनाकार/ प्रस्तुतकर्ताक नाम अवश्य लिखी, से आग्रह, जाहिसँ हुनका लोकनिकेँ त्वरित संदेश प्रेषण कएल जा सकय। अहाँ अपन सुझाव ई-पत्र द्वारा editorial.staff.videha@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

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