१. संपादकीय संदेश
२. गद्य
३. पद्य
४. मिथिला कला-संगीत१.वनीता कुमारी २.राजनाथ मिश्र (चित्रमय मिथिला) ३. उमेश मण्डल (मिथिलाक वनस्पति/ मिथिलाक जीव-जन्तु/ मिथिलाक जिनगी)
५. गद्य-पद्य भारती: श्री काशीनाथ सिंह “रेहनपर रग्घू”- (हिन्दीसँ मैथिली अनुवाद श्री विनीत उत्पल) असगर वजाहत- हम हिन्दू छी हिन्दी कथाक मैथिली रूपान्तरण विनीत उत्पल द्वारा-
६.बालानां कृते-डॉ॰ शशिधर कुमर “विदेह” - उड़ि ने सकी पर चिड़ै छी हम (भाग -१)
७. भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैथिली], [विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.]
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भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी कवि, नाटककार आ धर्मशास्त्री विद्यापतिक स्टाम्प। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन कालहिसँ महान पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला लोकनिक चित्र 'मिथिला रत्न' मे देखू।
गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि। मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र, अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू 'मिथिलाक खोज'
मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना, सम्पर्क, अन्वेषण संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ न्यूज सर्विस आ मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट सभक समग्र संकलनक लेल देखू "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"
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ऐ बेर मूल पुरस्कार(२०१२) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन मूल मैथिली पोथी उपयुक्त अछि ?
ऐ बेर बाल साहित्य पुरस्कार(२०१२) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन मूल मैथिली पोथी उपयुक्त अछि ?
ऐ बेर युवा पुरस्कार(२०१२)[साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन कोन लेखक उपयुक्त छथि ?
ऐ बेर अनुवाद पुरस्कार (२०१३) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे के उपयुक्त छथि?
फेलो पुरस्कार-समग्र योगदान २०१२-१३ : समानान्तर साहित्य अकादेमी, दिल्ली
१. संपादकीय
विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी सम्मान
१.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी फेलो पुरस्कार २०१०-११
२०१० श्री गोविन्द झा (समग्र योगदान लेल)
२०११ श्री रमानन्द रेणु (समग्र योगदान लेल)
२.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी पुरस्कार २०११-१२
२०११ मूल पुरस्कार- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल (गामक जिनगी, कथा संग्रह)
२०११ बाल साहित्य पुरस्कार- ले.क. मायानाथ झा (जकर नारी चतुर होइ, कथा संग्रह)
२०११ युवा पुरस्कार- आनन्द कुमार झा (कलह, नाटक)
२०१२ अनुवाद पुरस्कार- श्री रामलोचन ठाकुर- (पद्मानदीक माझी, बांग्ला- मानिक बंद्योपाध्याय, उपन्यास बांग्लासँ मैथिली अनुवाद)
-मैथिली नाटक/ संगीत/ कला/ मूर्तिकला/ फिल्मक समानान्तर दुनियाँक अभिलेखन आ सम्मान सेहो हएत विदेह सम्मानक घोषणा द्वारा
-ई घोषणा दिसम्बरक अन्त वा जनवरी २०१२ मे हएत
-मैथिली नाटक/ संगीत/ कला/ मूर्तिकला/ फिल्मक समानान्तर दुनियाँक अभिलेखन आ सम्मान कएल जाएत
-विदेह नाट्य उत्सव २०१२ क अवसरपर प्रदान कएल जाएत ई सम्मान।
विदेह सम्मान
-अगस्त २०११ सँ सभ मास "ऐ मासक सभसँ नीक समदिया" सम्मानक घोषणा कएल जा रहल अछि
-समदिया- पूनम मंडल आ प्रियंका झाक मैथिली न्यूज पोर्टल। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक-सूचना-सम्पर्क-समाद पूनम मंडल आ प्रियंका झा। - द्वारा "ऐ मासक सभसँ नीक समदिया"क घोषणा सभ मास भऽ रहल अछि
- सालक अन्तमे "सर्वश्रेष्ठ मैथिली पत्रकारिता" लेल ऐ १२ टा देल सम्मानमे सँ सर्वश्रेष्ठकेँ "विदेह पत्रकारिता सम्मान" देल जाएत।
-अगस्त २०१२ मे हएत "विदेह पत्रकारिता सम्मान"क घोषणा।
विदेह सम्मान
समदिया- पूनम मंडल आ प्रियंका झाक मैथिली न्यूज पोर्टल।विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक-सूचना-सम्पर्क-समाद पूनम मंडल आ प्रियंका झा।
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नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता (नेपाल देशक भाषा-साहित्य, दर्शन, संस्कृति आ सामाजिक विज्ञानक क्षेत्रमे सर्वोच्च सम्मान)
नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता
श्री राम भरोस कापड़ि 'भ्रमर' (2010)
श्री राम दयाल राकेश (1999)
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव (1994)
नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान मानद सदस्यता
स्व. सुन्दर झा शास्त्री
नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान आजीवन सदस्यता
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव
फूलकुमारी महतो मेमोरियल ट्रष्ट काठमाण्डू, नेपालक सम्मान
फूलकुमारी महतो मैथिली साधना सम्मान २०६७ - मिथिला नाट्यकला परिषदकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ - सप्तरी राजविराजनिवासी श्रीमती मीना ठाकुरकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ -बुधनगर मोरङनिवासी दयानन्द दिग्पाल यदुवंशीकेँ
साहित्य अकादेमी फेलो- भारत देशक सर्वोच्च साहित्य सम्मान (मैथिली)
१९९४-नागार्जुन (स्व. श्री वैद्यनाथ मिश्र “यात्री” १९११-१९९८ ) , हिन्दी आ मैथिली कवि।
२०१०- चन्द्रनाथ मिश्र अमर (१९२५- ) - मैथिली साहित्य लेल।
साहित्य अकादेमी भाषा सम्मान ( क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य आ गएर मान्यताप्राप्त भाषा लेल):-
२०००- डॉ. जयकान्त मिश्र (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
२००७- पं. डॉ. शशिनाथ झा (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
पं. श्री उमारमण मिश्र
साहित्य अकादेमी पुरस्कार- मैथिली
१९६६- यशोधर झा (मिथिला वैभव, दर्शन)
१९६८- यात्री (पत्रहीन नग्न गाछ, पद्य)
१९६९- उपेन्द्रनाथ झा “व्यास” (दू पत्र, उपन्यास)
१९७०- काशीकान्त मिश्र “मधुप” (राधा विरह, महाकाव्य)
१९७१- सुरेन्द्र झा “सुमन” (पयस्विनी, पद्य)
१९७३- ब्रजकिशोर वर्मा “मणिपद्म” (नैका बनिजारा, उपन्यास)
१९७५- गिरीन्द्र मोहन मिश्र (किछु देखल किछु सुनल, संस्मरण)
१९७६- वैद्यनाथ मल्लिक “विधु” (सीतायन, महाकाव्य)
१९७७- राजेश्वर झा (अवहट्ठ: उद्भव ओ विकास, समालोचना)
१९७८- उपेन्द्र ठाकुर “मोहन” (बाजि उठल मुरली, पद्य)
१९७९- तन्त्रनाथ झा (कृष्ण चरित, महाकाव्य)
१९८०- सुधांशु शेखर चौधरी (ई बतहा संसार, उपन्यास)
१९८१- मार्कण्डेय प्रवासी (अगस्त्यायिनी, महाकाव्य)
१९८२- लिली रे (मरीचिका, उपन्यास)
१९८३- चन्द्रनाथ मिश्र “अमर” (मैथिली पत्रकारिताक इतिहास)
१९८४- आरसी प्रसाद सिंह (सूर्यमुखी, पद्य)
१९८५- हरिमोहन झा (जीवन यात्रा, आत्मकथा)
१९८६- सुभद्र झा (नातिक पत्रक उत्तर, निबन्ध)
१९८७- उमानाथ झा (अतीत, कथा)
१९८८- मायानन्द मिश्र (मंत्रपुत्र, उपन्यास)
१९८९- काञ्चीनाथ झा “किरण” (पराशर, महाकाव्य)
१९९०- प्रभास कुमार चौधरी (प्रभासक कथा, कथा)
१९९१- रामदेव झा (पसिझैत पाथर, एकांकी)
१९९२- भीमनाथ झा (विविधा, निबन्ध)
१९९३- गोविन्द झा (सामाक पौती, कथा)
१९९४- गंगेश गुंजन (उचितवक्ता, कथा)
१९९५- जयमन्त मिश्र (कविता कुसुमांजलि, पद्य)
१९९६- राजमोहन झा (आइ काल्हि परसू, कथा संग्रह)
१९९७- कीर्ति नारायण मिश्र (ध्वस्त होइत शान्तिस्तूप, पद्य)
१९९८- जीवकान्त (तकै अछि चिड़ै, पद्य)
१९९९- साकेतानन्द (गणनायक, कथा)
२०००- रमानन्द रेणु (कतेक रास बात, पद्य)
२००१- बबुआजी झा “अज्ञात” (प्रतिज्ञा पाण्डव, महाकाव्य)
२००२- सोमदेव (सहस्रमुखी चौक पर, पद्य)
२००३- नीरजा रेणु (ऋतम्भरा, कथा)
२००४- चन्द्रभानु सिंह (शकुन्तला, महाकाव्य)
२००५- विवेकानन्द ठाकुर (चानन घन गछिया, पद्य)
२००६- विभूति आनन्द (काठ, कथा)
२००७- प्रदीप बिहारी (सरोकार, कथा)
२००८- मत्रेश्वर झा (कतेक डारि पर, आत्मकथा)
२००९- स्व.मनमोहन झा (गंगापुत्र, कथासंग्रह)
२०१०-श्रीमति उषाकिरण खान (भामती, उपन्यास)
साहित्य अकादेमी मैथिली अनुवाद पुरस्कार
१९९२- शैलेन्द्र मोहन झा (शरतचन्द्र व्यक्ति आ कलाकार-सुबोधचन्द्र सेन, अंग्रेजी)
१९९३- गोविन्द झा (नेपाली साहित्यक इतिहास- कुमार प्रधान, अंग्रेजी)
१९९४- रामदेव झा (सगाइ- राजिन्दर सिंह बेदी, उर्दू)
१९९५- सुरेन्द्र झा “सुमन” (रवीन्द्र नाटकावली- रवीन्द्रनाथ टैगोर, बांग्ला)
१९९६- फजलुर रहमान हासमी (अबुलकलाम आजाद- अब्दुलकवी देसनवी, उर्दू)
१९९७- नवीन चौधरी (माटि मंगल- शिवराम कारंत, कन्नड़)
१९९८- चन्द्रनाथ मिश्र “अमर” (परशुरामक बीछल बेरायल कथा- राजशेखर बसु, बांग्ला)
१९९९- मुरारी मधुसूदन ठाकुर (आरोग्य निकेतन- ताराशंकर बंदोपाध्याय, बांग्ला)
२०००- डॉ. अमरेश पाठक, (तमस- भीष्म साहनी, हिन्दी)
२००१- सुरेश्वर झा (अन्तरिक्षमे विस्फोट- जयन्त विष्णु नार्लीकर, मराठी)
२००२- डॉ. प्रबोध नारायण सिंह (पतझड़क स्वर- कुर्तुल ऐन हैदर, उर्दू)
२००३- उपेन्द दोषी (कथा कहिनी- मनोज दास, उड़िया)
२००४- डॉ. प्रफुल्ल कुमार सिंह “मौन” (प्रेमचन्द की कहानी-प्रेमचन्द, हिन्दी)
२००५- डॉ. योगानन्द झा (बिहारक लोककथा- पी.सी.राय चौधरी, अंग्रेजी)
२००६- राजनन्द झा (कालबेला- समरेश मजुमदार, बांग्ला)
२००७- अनन्त बिहारी लाल दास “इन्दु” (युद्ध आ योद्धा-अगम सिंह गिरि, नेपाली)
२००८- ताराकान्त झा (संरचनावाद उत्तर-संरचनावाद एवं प्राच्य काव्यशास्त्र-गोपीचन्द नारंग, उर्दू)
२००९- भालचन्द्र झा (बीछल बेरायल मराठी एकाँकी- सम्पादक सुधा जोशी आ रत्नाकर मतकरी, मराठी)
२०१०- डॉ. नित्यानन्द लाल दास ( "इग्नाइटेड माइण्ड्स" - मैथिलीमे "प्रज्वलित प्रज्ञा"- डॉ.ए.पी.जे. कलाम, अंग्रेजी)
साहित्य अकादेमी मैथिली बाल साहित्य पुरस्कार
२०१०-तारानन्द वियोगीकेँ पोथी "ई भेटल तँ की भेटल" लेल
२०११- ले.क. मायानाथ झा "जकर नारी चतुर होइ" लेल
प्रबोध सम्मान
प्रबोध सम्मान 2004- श्रीमति लिली रे (1933- )
प्रबोध सम्मान 2005- श्री महेन्द्र मलंगिया (1946- )
प्रबोध सम्मान 2006- श्री गोविन्द झा (1923- )
प्रबोध सम्मान 2007- श्री मायानन्द मिश्र (1934- )
प्रबोध सम्मान 2008- श्री मोहन भारद्वाज (1943- )
प्रबोध सम्मान 2009- श्री राजमोहन झा (1934- )
प्रबोध सम्मान 2010- श्री जीवकान्त (1936- )
प्रबोध सम्मान 2011- श्री सोमदेव (1934- )
प्रबोध सम्मान 2012- श्री चन्द्रभानु सिंह (1922- ) आ
श्री रामलोचन ठाकुर (1949- )
यात्री-चेतना पुरस्कार
२००० ई.- पं.सुरेन्द्र झा “सुमन”, दरभंगा;
२००१ ई. - श्री सोमदेव, दरभंगा;
२००२ ई.- श्री महेन्द्र मलंगिया, मलंगिया;
२००३ ई.- श्री हंसराज, दरभंगा;
२००४ ई.- डॉ. श्रीमती शेफालिका वर्मा, पटना;
२००५ ई.-श्री उदय चन्द्र झा “विनोद”, रहिका, मधुबनी;
२००६ ई.-श्री गोपालजी झा गोपेश, मेंहथ, मधुबनी;
२००७ ई.-श्री आनन्द मोहन झा, भारद्वाज, नवानी, मधुबनी;
२००८ ई.-श्री मंत्रेश्वर झा, लालगंज,मधुबनी
२००९ ई.-श्री प्रेमशंकर सिंह, जोगियारा, दरभंगा
२०१० ई.- डॉ. तारानन्द वियोगी, महिषी, सहरसा
२०११ ई.- डॉ. राम भरोस कापड़ि भ्रमर (जनकपुर)
भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता
युवा पुरस्कार (२००९-१०) गौरीनाथ (अनलकांत) केँ मैथिली लेल।
भारतीय भाषा संस्थान (सी.आइ.आइ.एल.) , मैसूर रामलोचन ठाकुर:- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००३-०४ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) जा सकै छी, किन्तु किए जाउ- शक्ति चट्टोपाध्यायक बांग्ला कविता-संग्रहक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त। रमानन्द झा 'रमण':- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००४-०५ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) छओ बिगहा आठ कट्ठा- फकीर मोहन सेनापतिक ओड़िया उपन्यासक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त।
विदेह सम्मान
विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी सम्मान
१.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी फेलो पुरस्कार २०१०-११
२०१० श्री गोविन्द झा (समग्र योगदान लेल)
२०११ श्री रमानन्द रेणु (समग्र योगदान लेल)
२.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी पुरस्कार २०११-१२
२०११ मूल पुरस्कार- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल (गामक जिनगी, कथा संग्रह)
२०११ बाल साहित्य पुरस्कार- ले.क. मायानाथ झा (जकर नारी चतुर होइ, कथा संग्रह)
२०११ युवा पुरस्कार- आनन्द कुमार झा (कलह, नाटक)
२०१२ अनुवाद पुरस्कार- श्री रामलोचन ठाकुर- (पद्मानदीक माझी, बांग्ला- मानिक बंद्योपाध्याय, उपन्यास बांग्लासँ मैथिली अनुवाद)
( विदेह ई पत्रिकाकेँ ५ जुलाइ २००४ सँ अखन धरि ११६ देशक १,५०२ ठामसँ ७२,०४३ गोटे द्वारा ३५,४५२ विभिन्न आइ.एस.पी. सँ ३,३६,७०७ बेर देखल गेल अछि; धन्यवाद पाठकगण। - गूगल एनेलेटिक्स डेटा। )
गजेन्द्र ठाकुर
ggajendra@videha.comhttp://www.maithililekhaksangh.com/2010/07/blog-post_3709.html
२. गद्य
बिहार मे आब सभ वर्ष भूकम्प आ बाढ़ि सुरक्षा सप्ताह मनाओल जायत। मुख्यमंत्री नीतीश कुमारक निर्देश पर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार ई निर्णय लेलक अछि। 15 जनवरी सॅ भूकम्प सुरक्षा सप्ताह आ जूनक पहिल सप्ताह मे बाढ़ि सुरक्षा सप्ताह आयोजित कयल जायत। भूकम्प सुरक्षा सप्ताहक अंतर्गत 15 जनवरी सॅ प्रदेशक विद्यालय, महाविद्यालय, थाना, पंचायत प्रखंड आ जिला मुख्यालय सभ मे कार्यक्रम आयोजित कऽ ऐ माध्यम सॅ जनता केँ भूकम्प सॅ सुरक्षाक उपायक जनतब देल जायत। उल्लेखनीय अछि जे बिहार मे 15 जनवरी 1934 मे विनाश करय वाला भूकम्प आयल छल जइ मे पैघ तबाही भेल छल। ओइ भूकम्प मे मिथिलांचल क कोसी क्षेत्र सॅ जोड़य वाला कोसी पर बनल निर्मली भपटियाही रेल लाइन ध्वस्त भऽ गेल छल आ मिथिलांचल दू भाग मे बटि गेल छल। केन्द्र मे अटल बिहारी वाजपेयीक शासन काल मे ऐ रेल लाइन केँ चालू करबाक लेल कोसी महासेतुक शिलान्यास कयल गेल छल जे आब बनि कऽ तैयार अछि आ 6 फरवरी केँ एकर उद्घाटन केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री सी.पी. जोशी करताह।
(मधुबनी) बच्चा दाई उच्च विद्यालय ननौर मधुबनीक चालीसम स्थापना दिवस सह स्वामी विवेकानन्द जयंती हर्षक संग मनाओल गेल। ऐ अवसर पर उपस्थित विद्वतजन विद्यालयक उपलब्धिक चर्चा करैत स्वामी विवेकानन्द केँ स्मरण करैत छात्र युवा सभक आह्वान कयलनि जे ओ स्वामी जीक आदर्श अनुसरण कऽ अपन बाट पर आगाँ बढ़ि अपन विद्यालय आ मातृभूमिक नाम करथि। कार्यक्रमक अध्यक्षता विद्यालयक प्रधानाचार्य भगवान झा कहलनि जखन कि कवि गंगाधर हर्ष मुख्य अतिथिक रूपमे अपन विचार रखलनि। ऐ अवसर पर विद्यालयक छात्र-छात्राक मध्य प्रतियोगिता आयोजित कयल गेल आ ऐमे विजय भेल प्रतिभागी केँ परस्कृत सेहो कयल गेल। कार्यक्रमक संचालन आकाशवाणी पटनाक मैथिली कंपेयर अखिलेश कुमार झा कयलनि। समारोह मे प्रदीप पुष्प आ कवि गंगाधर हर्षक काव्य पाठ सेहो भेल। कार्यक्रम मे प्रो. जयनंद मिश्र, प्रो. बासुकीनाथ झा, हरिनारायण मंडल, सरोजानंद ठाकुर, आकाशवाणी दरभंगा संवाददाता मणिकान्त झा आ कृष्ण मोहन सहित कतेको विद्वान उपस्थित भऽ अपन उद्बोधनक माध्यम सॅ छात्र-छात्रा सभक मार्गदर्शन कयलनि। धन्यवाद ज्ञापन नागेश्वर झा कयलनि।
समयक साक्षी सुजीतक रिपोर्टर डायरी
नेपालीय मिथिला क्षेत्रक सक्रिय एवं सशक्त पत्रकार सुजीत कुमार झाक कथा संग्रह ‘चिड़ै’ किछु मास पहिने पढने छलहुँ । एहि बीच में हुनकर पत्रकारिता सँ जुड़ल पुस्तक रिपोर्टर डायरी सेहो प्राप्त भेल । । एहिमे दूटा प्रक्रिया देखाई पड़ैया । पहिल सुजीतजी साहित्य आ पत्रकारिता दूनु मोर्चा पर ओतवे समर्पित आ सक्रिय देखाई पडैÞत छथि । हुनकामे पत्रकारिता आ साहित्य दूनुक प्रति स्वभाविक आकर्षण छन्हि, ओ दूनु क्षेत्रमे समान एवं सहज रुपमे आगा बढि रहल छथि । इएह हुनक विशेषता
छन्हि । बहुत कम लोक दूनु क्षेत्रमे समान रुप सँ न्याय करबाक स्थिति मे रहैत अछि । सुजीत जीक इएह विशेषता हुनका समकालिन आओर संगी सभ सँ फरक व्यक्तित्व दैत छन्हि । दोसर मैथिलीमे पुस्तक प्रकाशनक क्रम बढि रहल सेहो देखबैया ।
सुजीतजी जनकपुरक प्रतिष्ठित पत्रिका ‘मिथिला डटकम’क सम्पादक छथि । पत्रकारितामे अखवार सँ लऽ कऽ रेडियो आ टेलिभिजनमे पर्यन्त एकसंग क्रियाशील रहैत छथि । ई पुस्तक हुनकर ‘रिपोर्टर डायरी’ नाम सँ प्रकाशित स्तम्भ लेखन आ किछु फुटकर आलेख सभक संग्रह अछि । ओ स्तम्भकार के रुपमे सेहो परिचय बनौने छथि । ई निक गप्प छैक कि एकटा पत्रकार सम सामयिक विषय पर अप्पन अभिमत सेहो रखैत अछि । रिपोटिङ्ग सँ कनिक फरक स्तम्भ लेखनक शिल्प अछि । जे समसामयिक घटनाक तथ्य सँ परिचित नहि रहता से सटिक टिप्पणी सेहो नहि कऽ सकैत छथि । अपन परिवेशक बारेमे जिनका बढिया सँ बुझल छन्हि, ओहिमे रुचि छन्हि, सएह स्तम्भ मार्फत टिप्पणी कऽ सकैत छथि । सुजीतजीक नाम सँ ई विशेषता सेहो जुडि गेल अछि ।
हिनकर ‘रिपोर्टर डायरी’ क संकलन मे स्तम्भ लेख, राष्ट्रीय पत्रिका मे बहराएल आलेखसभ आ सम्पूर्ण मे सामयिक टिप्पणी – रिपोर्ताज आ विश्लेषणक संग्रहक रुप में देखल जा सकैया । ‘मिथिला डटकम’ मैथिली दैनिक पत्रिकामे पत्रिकाके कलेवर अनुसार एहि स्तम्भक लेल निर्धारित स्थानक परिधि मे रहि कऽ अपन बात कहय पडैत छैक, मुदा ओतबे स्थान मे अपन बात सटिक सँ कहि सकब सुजीत जीक लेखकीय सामथ्र्य देखबैत अछि । कालगणना मे दिनक पुनरावृति होइत रहैत अछि, घटना सभ दोहराइत रहैत छैक, मुदा विषयक नव तरिका सँ उठान करब, संग संगे साथी भाइ सभक चर्चा सेहो करब आ लोक के अपन बात सुना देब, ई रिपोर्टर डायरीक विशेषता अछि ।
लेखक स्वयं सक्रिय पत्रकार छथि, सम्पादक छथि, सदिखन सूचनाकेँ बाढी मे डुबल रहैत छथि, एहि सभमे सँ स्तम्भक लेल विषयवस्तुक छनोट करब, ओकरा पाठकीय रुप देब, ई कम चुनौतीपूर्ण काज नहि छैक । ताहि लऽ कऽ ‘रिपोर्टर डायरी’ एकटा बढिया प्रयास मानल जा सकैया । तथ्य सभक पोखरी मे सँ विषयक छनौट करब आ सूचना सभक सार्थक प्रस्तुति करबाक जिम्मेवारी – ई एकटा नयाँ जिम्मेवारी आ भूमिकामे सुजीत जीक सफलता सेहो देखबैया । तथ्य सभक सही तरिका सँ आ सही परिप्रेक्ष्य मे प्रस्तुत करवाक खुबी सेहो देखल जा सकैया । जर्मन समाज शास्त्री मैक्स वेबर एकटा पैघ परामर्श देने छथि । हुनका सँ पुछल गेल छलैक, ‘कि कोनो मनुष्यक लेखन मूल्य निरपेक्ष भऽ सकैया ?’
ओ बजला, ‘मनुष्य होएवाक अर्थे अछि कि मूल्य मान्यता सँ बान्हल रहब, हमसभ कहियो धरि मूल्य मान्यता सँ अलग नहि रहि सकैत छी ।’
मुदा हमसभ अपन मूल्यक प्रति सचेत रहब, तकरा लेल परिस्थितिक प्रष्टता सँ बुझब आ तथ्यक विकृत नहि होबए देब से चेष्टा तऽ कऽ सकैत छी ।’ रिपोर्टर डायरी बेवरक मान्यताक कसौटी पर सेहो देखय पडत ।
संस्कृत मे एकटा पंक्ति छैक, ‘कस्मै देवाय हविषा विधेम’ ई हवि, ई आहुति हम कोन देवताक अर्पित करु ? यानि हमर देवता कोन छथि ? एहि प्रश्नक जवाव महात्मा गान्धीक सूत्र सँ खोजल जा सकैया अर्थात ओ सदिखन अन्तिम मनुष्य (द लास्ट पर्सन)क बात कएलथि ।
ओ कहलन्हि, ‘जहिया कहियो अहाँ संशय मे पड़ी तऽ ओही समयमे एकटा उपाय करु, गरीब सँ गरीब मनुष्यक चेहरा मोन पारु जकरा कहियो अहाँ देखने होइ आ अपने आप सँ प्रश्न पुछु कि जे कदम अहाँ उठाबय चाहैत छी ओही आदमीकेँ की लाभ पहँुचतै ? ओहि सँ ओकरा की भेटतैक ? एहि सँ ओकर जीवन आ भाग्यमे कोन सहायता भेटतैक ? अहाँ देखब की अहाँक संशय दुर भऽ जाएत ।’ अर्थात कोनो स्तम्भकारक प्रथम दायित्व ‘आम पाठक’ क प्रति छैक । अहाँक लेखन सँ आम पाठककेँ की फाइदा पहुँचलै ? आम लोककेँ सरोकारक विषय समेटलै की नहि ? अहाँ ककरा स्तुतिमे लिखि रहल छी ? सुजीत जीक लेखन कार्य सेहो, आम पाठककेँ सरोकार केन्द्रित बुझना जाइछ ।
कुशल पत्रकारक पहिचान इएह छैक की ओ ‘समाचार सूंघा’ हुए । अंग्रेजी मे एकरा कहल जाइत छैक – ‘तय जबखभ ब लयकभ ायच तजभ लभधक’ पत्रकारकेँ समाचार सूंघा होएबाक चाही । पत्रकार जनैया ओकर पाठककेँ की सरोकार छैक, ओकरा कोन तरहे प्रस्तुत कएल जा सकैया ? सुजीतजी मिथिला डट कमक पाठक क स्वाद बुझैत छथि तएँ सरल भाषामे टिप्पणी सभ करैत छथि । एहि मे गम्भीर विषय सभ सेहो जुडल रहैत छैक, मुदा बडा रसगर अन्दाज मे ।
साहित्यिक धरातल सँ पत्रकारिता क्षेत्रमे नव उचाई प्राप्त कऽ रहल सुजीतजीक लेल साहित्यिक रचना हिनकर लेखकीय कौशलक चमत्कृत कऽ दैया कखनो काल ।
रिपोर्टर डायरी जनकपुरक मिठगर आम अछि, स्वदगर माछ अछि, ग्रहण योग्य पाग अछि, निकगर पावनि तिहार अछि, पुरान मुदा आकर्षक जनकपुरक रेल अछि, सजा कऽ रखयबला न्योतक पत्र अछि, ई कहब अतिसयोक्ति नहि । एकर पन्ना–पन्नामे पछिलका तीन÷चारि वर्षक जनकपुरक टटका इतिहास छिरियाएल अछि, जनकपुरक नवका इतिहास सजाओल भार अछि ई पुस्तक । सुजीतजीक उचाई ग्रहण करैत व्यक्तित्वके स्वीकार करही टा पडत, नवतुरिया जमातक रुपमे मात्रेटा मूल्यांकन करब कथमपि न्याय नहि । एकटा लोकप्रिय मैथिली दैनिक पत्रिकाकेँ नम्हर समय सँ सम्पादन कऽ कऽ आ ओ पत्रिकाक लोकप्रिय बनावि अपन सफलताक सामथ्र्य रेखा खिंच चुकल छथि आ स्तम्भ लेखन कऽ कऽ सेहो कीर्तिमान स्थापना कएलन्हि तएँ सुजीतजीक पत्रकारिताक चिडै फुनगी पर चढि रहल अछि ।
मैथिली दैनिक पत्र निकालब कम कठिन नहि । प्रायः मैथिली पत्र पत्रिका बसिया निकलैया ओहन परिप्रेक्ष्यमे एक भिनसरे जनकपुर बासीक हाथ–हाथ मे पहुँचब आ चाहक चुस्कीकँे संगे मैथिली पत्रिकाक आनन्द ग्रहण करेबाक चलन चलाबयकेँ पाछुक संघर्ष बुझब कम कठिन नहि । एकटा दोसर सन्दर्भ मे अकबर इलाहावादी कहने छथि –
नही शेख साहिब की वह आदत
वजू की और मुनाजाते सहर की
मगर वो चाय पीकर हस्बेदस्तुर
तिलावत करते है वह ‘पाएनियर’ की
अर्थात पत्रिका पढबाक सौख एतेक बढि गेल अछि कि बुजुर्ग लोकसभ सेहो प्रातः कालमे भजन – पूजा छोडि कऽ अखवारक पाठ करैत छथि, जनकपुरक सन्दर्भमे अकवर इलाहावादीक काव्योक्ति कनि सुधार कऽ कऽ कहल जाय तऽ, जानकी मन्दिरक दर्शन कऽ कऽ लौटनिहार जनक चौकक पत्रिका दोकानमे एक बेर पहुँचबेटा करैत छथि, वा घर पहँुचि कऽ मिथिला डटकम खोजैत छथि । ई कहल जा सकैया पछिलका समयमे जनकपुरमे मैथिली अखवार पढव रुचि विस्तार भऽ रहल छैक । मिथिला डटकम मे ‘रिपोर्टर डायरी’ आ ‘विगुल’ स्तम्भ तहत ई संकलनक बहुत रास सामग्री प्रस्तुत भऽ चुकल अछि ।
संचारमाध्यमक समाजक प्रति की दायित्व छैक ? संचारमाध्यमक कर्तव्यक सम्बन्ध मे पहिल प्रश्न ई पुछल जाइत छैक की मिडियाक कर्तव्य केवल जनमतक प्रकाशन÷प्रसारण अछि की जनमतक मार्गदर्शन ? साँच पुछल जाए तऽ संचारमाध्यमक तीन प्रधान कर्तव्य अछि – पहिला तऽ जनमतकँे प्रदर्शित करब, दोसर जनमत तैयार करब, तेसर जनमतक मार्गदर्शन करब । मिडियाक काज इतिहासकेँ बतवैत चलब सेहो अछि । छोट–छोट बात सभ सेहो इतिहास बनवैया । स्वयं जनतामे, जनप्रतिनिधि सभमे, आ सरकारी संस्थासभमे घुसल बिसंगति सभक विरुद्ध जनमत तैयार कएनाई सेहो मिडियाक कर्तव्य अछि । मानहानिक कानून सँ बँचि कऽ जहाँधरि अभिव्यक्त कएनाइ सम्भव भऽ सकैया पत्रकारकेँ जएबाक चाही ।
सरकार आ मिडिया दूनुक काज जन–रंजन, राष्ट्र निर्माण, विश्व कल्याण अछि । लोकतन्त्रक पृष्ठभूमिमे जे दायित्व सरकारक छैक वएह प्रेसोकेँ छैक । प्रेसकेँ इहो कारण सरकार सँ बेसी जिम्मेवारी भऽ सकैया की सरकार तऽ बदलैत रहैत छैक, मुदा पे्रस तऽ निरन्तर सक्रिय रहैया ।
जेहन जनता होइत छैक तेहने सरकार बनैत छैक । ई सच्चाई प्रेस पर सेहो चरितार्थ होइया, किएक कि नागरिकक नैतिक एवं मानसिक स्तरक अनुरुपहि ओहि देशक प्रेस रहैत अछि । मुदा ई बात ओहि देश मे पाओल जाइया जतय केँ व्यक्तिगत स्वतन्त्रताक आधार पर लोकतन्त्र स्थापित
अछि । जतय राजनीति वा अर्थनीति नियोजित रहैत अछि, ओतय सरकार वा समाचार पत्र सेहो पूर्व नियोजित चलैत अछि । सार्वजनिक विषय पर सार्वजनिक रुप सँ चर्चा करए लेल प्रत्येक नागरिककेँ अवसर भेटबाक
चाही । ई चर्चा मात्र एकहि माध्यमकेँ द्वारा निर्भिकता पूर्वक भऽ सकैया ओ अछि संचारमाध्यम । ताहि लेल तऽ कहल गेल अछि कि संचारमाध्यमक स्वतन्त्रता केवल पत्रकारिता सँ जुडल लोकक लेल मात्रेटा सरोकारक विषय नहि छैक । अपन विचार प्रकट करबाक स्वतन्त्रता कोनो व्यक्तिक स्वतन्त्रता सँ जुडल विषय छैक । प्रत्येक व्यक्तिक संचार माध्यममे अपन मत प्रकाशित– प्रसारित करवाक स्वतन्त्रता होएबाक चाही मुदा ई अधिकार पूर्णतया निरपेक्ष नहि छैक । वास्तवमे सभ अधिकार सापेक्ष होइत छैक आ ओकरा प्राप्तिक लेल कतेको मर्यादा सभक पालना करय पडैत छैक । रिपोर्टर डायरी लिखनीहार सदैव अप्पन मर्यादाक लक्ष्मण रेखा बीच रहि कऽ कलम चलौने छथि ।
पत्रकारक लेल विश्वसनीयता सभ सँ पैघ पूँजी छैक । कोन बात कोन पत्रकार कहलकै, ई सभ सँ बेसी महत्व रखैत अछि । विश्वसनियता कोनो लौटरी जकाँ नही प्राप्त भऽ जाइत छैक । ई रातारात होवयबाला चीजो नहि छैक । एकटा नम्हर समयमे पत्रकार विशेषक सम्बन्धमे एकटा छवि जनमानस मे उभरैत छैक तकरा लेल पत्रकारकेँ तऽ बहुत नम्हर परीक्षा सँ बहराय पडैत छैक । तखन जा कऽ विश्वसनियता प्राप्त होइत छैक । जे पत्रकार तथ्यक पाछु रहैया, विभिन्न तथ्य सभक आलोक मे सत्यक खोजी करैया आ ओकरा जनताके बीचमे प्रस्तुत करैया सएह पत्रकार जनताक अभिन्न मित्र कहबैया । ‘लोकमित्र’ पत्रकार बनवाक लेल जनताक मन जीतय पडैत छैक । ई काज पूर्वाग्रही आ स्वार्थी लेखन सँ सम्भव नही छैक । एडी उठा कऽ कोनो नम्हर बनक कोशिश करे तऽ ओ टिकाउ नहि होइत छैक । दुनिया बहुत छोट छिन भऽ गेल छैक । अहाँके हातमे जौं कलम अछि तऽ जनताक हात मे मूल्यांकन करबाक स्वतन्त्रता छैक, मूल्यांकन करबाक अधिकारकेँ अहाँ हरण नहि कऽ सकैत छी ।
संकलित विषयवस्तुसभमे बहुत रास जनकपुर आ पासपडोसमे केन्द्रित अछि । एकर वावजुद एहि आलेखसभ मे जाहि विषयवस्तुक चर्च कएल गेल अछि, ओहिमे किछु राष्ट्रिय अछि । जनकपुरमे उठि रहल लोक हिलोरक कम्पनक रेखाचित्र अछि, रिपोर्टर डायरी । एखनुका समयमे पत्रकार विशेष अप्पना क्षेत्रमे काज करैत–करैत, जौं ओकरा मे जिज्ञासु भाव छैक, विश्लेषण करवाक क्षमता छैक, समयकेँ चिन्हि सकैया तखन ओ अप्पना क्षेत्र विशेषक मामिलामे दक्षता सेहो प्राप्त करैया । एहन अवस्थामे एकटा निक रिपोर्टर आ सम्पादक अप्पन रुचीक विषयमे निपुणता प्राप्त करैया, जकर उपयोग पुस्तक लेखनमे सेहो करैया । एहि प्रवृतिक पदयात्री एखन सुजीतजी देखल गेला । रिपोर्टर डायरी प्रकाशन सँ जनकपुर आ मैथिली पत्रकारितामे एकटा नयाँ इतिहास जुड़त ।
लेखकक निजत्व देखय बला बहुत रास प्रसंगक बीच विभिन्न क्षेत्रक आ स्तरक लोकक मनोभाव पढल जा सकैया । एकटा पत्रकारकेँ कोन तरहे घटना सभ प्रभावित करैत छैक, से देखल जा सकैया । ‘महासंघक चुनाव आ सुनधाराक आनन्द’ शीर्षक लेखमे पत्रकारिता आ एकर संगठनमे पनपैत विसंगति सभक प्रति कठाक्ष करैत ओ लिखैत छथि, ‘काश हमहुँ सभ दारु पिवैत रहितहुँ, तऽ कतेक पिबतहुँ कतेक पिवतहुँ ............... ’
किए एतेक महंग भऽ रहल अछि पत्रकारक चुनाव ? सभ्य समाजक कल्पना करयवला कलमजीविसभ स्वयं विकृति बढावयमे तऽ नहि लागल अछि ।
ई संग्रह ओही समयमे प्रकाशित भऽ रहल अछि जखन मिथिला पैघ संक्रमण सँ गुजरि रहल अछि । कतेको समय एहन देखल गेल जखन राजनीतिक दल, नागरिक समाज, गैससकर्मी, मिडिया आ राष्ट्रसेवक वर्गक भूमिका पर आओर पक्ष द्वारा अांगुर ठाढ़ कएल गेल । सभ क्षेत्र मे अप्पन भूमिका आ महत्व पर मन्थन होएबाक चाहि उपदेश आएल । सुजीतजी वार्तमानक जनकपुरिया पत्रकारिता मादे नेपालीय पत्रकारिताक विसंगति सभकेँ पूर्ण इमान्दारीक संग चित्रित कएने छथि, एहि सँ हुनकर उठान कएल गेल विषयवस्तुक विश्वसनियता बढाओत । केवल उपदेश देल सामग्री लोक नहि रुचिवैया, जौं अपना सँ जुडल आलोचना स्वयं कएल जाइया तखन लोकविश्वास बढैत छैक ।
सल्लाह आवि सकैया, एहन लिखबाक चाहि, एहन रहितै तऽ नीक, ई छुटि गेल, संकलन बहरयवाक समय नहि भेल छलैक आदि । किछु लोक कहि सकैत छथि, एहि मे कोनो नव विषयवस्तु नहि छैक जे संकलन रुप मे निकालल जाय । मुदा हम जोड सँ कहब, सुजीतजी निक कऽ रहल छथि, निक कएलाह, जनकपुरिया पत्रिकारिताक एहि सँ निक खुराक भेटतै, मैथिली पत्रकारितामे नव इतिहास जुटतै । जखन किछु काज हेतै, तखन नहि विमर्श हेतैक, लेखा जोखा हेतैक, प्रभाव आ परिणामक आकलन कएल जेतैक । सु्जीतजी एकटा लकिर खिचलाह अछि, एहि सँ पैघ खिचि कऽ आगु बढी से नीक कि ‘ई – ओ’ कहि–कहि आत्मरति कएल जाए से निक । अहि प्रयासक बाद ऐहन प्रयासक क्रम बढे, निक समालोचना आवय से आवश्यक अछि, एहि सँ मैथिली आ पत्रकारिता दूनुकेँ लाभ पहुँचतै ।
किछु मामिला मे सुजीतजी आगा बढि गेला । नेपालमे नम्हर समय धरि मैथिली दैनिक पत्रक सम्पादन करबाक इतिहास बनौलन्हि । मिडिया सँ सम्बद्ध पुस्तक बहरौलन्हि । बहुत खुब । जनकपुर नगरक अप्पन विशिष्ट पहिचान छैक । एहि ठामक पत्रकारिताक अप्पन ऐतिहासिकता छैक, एहि ठामक पत्रकारितामे प्रतिष्पर्धा सेहो बेसिगर छैक, एहि सभक बीच अप्पन मौलिक व्यक्तित्व आर्जन करब कम कठिन नहि । सुजीतजी निक दिशामे बढि रहल छथि, हिनकर पत्रकारिताक भविष्य सुदीर्घ छन्हि । आनो ठामक पत्रकारसभकेँ सेहो एहि मार्ग पर चलबाक लेल प्रेरित करतैक से हमर विश्वास अछि ।
पत्रकारिता जनभावनाक अभिव्यक्ति, सद्भावक उद्भूति आ नैतिकताक पीठिका अछि । संस्कृति, सभ्यता आ स्वतन्त्रताक वाणीक संगहि ई जीवन मे अभूतपूर्व क्रान्तिक अग्रदुतिका सेहो छैक । एखन मिथिला मे प्रतिवद्ध आ जिम्मेवार पत्रकारिताक आवश्यकता अछि । एहि पुस्तकक बहाने जवावदेह पत्रकारिता पर बहस चलैक आ जनकपुर परिवृतक सरोकारसभ पर खुला एवं स्वस्थ विमर्श भऽ सकैया, एहि मे ई पुस्तकक प्रकाशनक सफलता अछि । अन्ततः हम इएह कहब , ‘सुजीतजीक पत्रकारिता आओर विश्वसनीय हुएँ आ प्रसिद्धिक फुनगी पर चढैत चलि जाइक । ’
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