भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

रचनाकार अपन मौलिक आ अप्रकाशित रचना (जकर मौलिकताक संपूर्ण उत्तरदायित्व लेखक गणक मध्य छन्हि) editorial.staff.videha@gmail.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉर्मेटमे पठा सकै छथि। एतऽ प्रकाशित रचना सभक कॉपीराइट लेखक/संग्रहकर्त्ता लोकनिक लगमे रहतन्हि। सम्पादक 'विदेह' प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका ऐ ई-पत्रिकामे ई-प्रकाशित/ प्रथम प्रकाशित रचनाक प्रिंट-वेब आर्काइवक/ आर्काइवक अनुवादक आ मूल आ अनूदित आर्काइवक ई-प्रकाशन/ प्रिंट-प्रकाशनक अधिकार रखैत छथि। (The Editor, Videha holds the right for print-web archive/ right to translate those archives and/ or e-publish/ print-publish the original/ translated archive).

ऐ ई-पत्रिकामे कोनो रॊयल्टीक/ पारिश्रमिकक प्रावधान नै छै। तेँ रॉयल्टीक/ पारिश्रमिकक इच्छुक विदेहसँ नै जुड़थि, से आग्रह। रचनाक संग रचनाकार अपन संक्षिप्त परिचय आ अपन स्कैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौलिक अछि, आ पहिल प्रकाशनक हेतु विदेह (पाक्षिक) ई पत्रिकाकेँ देल जा रहल अछि। मेल प्राप्त होयबाक बाद यथासंभव शीघ्र ( सात दिनक भीतर) एकर प्रकाशनक अंकक सूचना देल जायत। एहि ई पत्रिकाकेँ मासक ०१ आ १५ तिथिकेँ ई प्रकाशित कएल जाइत अछि।

 

(c) २००-२०२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.htmlhttp://www.geocities.com/ggajendra  आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html  लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha  258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै।इंटरनेटपर मैथिलीक प्रथम उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि,जे http://www.videha.co.in/  पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

Monday, January 16, 2012

'विदेह' ९८ म अंक १५ जनवरी २०१२ (वर्ष ५ मास ४९ अंक ९८)- PART I

                     ISSN 2229-547X VIDEHA
'विदेह' ९८ म अंक १५ जनवरी २०१२ (वर्ष ५ मास ४९ अंक ९८)NEPALINDIA  
                                               
 वि  दे   विदेह Videha বিদেহ http://www.videha.co.in  विदेह प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine   नव अंक देखबाक लेल पृष्ठ सभकेँ रिफ्रेश कए देखू। Always refresh the pages for viewing new issue of VIDEHA. Read in your own script Roman(Eng)Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam Hindi
ऐ अंकमे अछि:-

१. संपादकीय संदेश


२. गद्य













३. पद्य















३.७..डॉ॰ शशिधर कुमर २.नवीन कुमार "आशा"




४. मिथिला कला-संगीत१.वनीता कुमारी २.राजनाथ मिश्र (चित्रमय मिथिला) . उमेश मण्डल (मिथिलाक वनस्पति/ मिथिलाक जीव-जन्तु/ मिथिलाक जिनगी)

 

५. गद्य-पद्य भारती: श्री काशीनाथ सिंहरेहनपर रग्घू”- (हिन्दीसँ मैथिली अनुवाद श्री विनीत उत्पल) असगर वजाहत- हम हिन्दू छी हिन्दी कथाक मैथिली रूपान्तरण विनीत उत्पल द्वारा-


 

६.बालानां कृते-डॉ॰ शशिधर कुमर विदेह - उड़ि ने सकी पर चिड़ै छी हम (भाग -‍१)

 

७. भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैथिली], [विदेहक मैथिली-अंग्रेजी आ अंग्रेजी मैथिली कोष (इंटरनेटपर पहिल बेर सर्च-डिक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सर्वर आधारित -Based on ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.]



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example

भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी कवि, नाटककार आ धर्मशास्त्री विद्यापतिक स्टाम्प। भारत आ नेपालक माटिमे पसरल मिथिलाक धरती प्राचीन कालहिसँ महान पुरुष ओ महिला लोकनिक कर्मभमि रहल अछि। मिथिलाक महान पुरुष ओ महिला लोकनिक चित्र 'मिथिला रत्न' मे देखू।


example

गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूर्त्ति, एहिमे मिथिलाक्षरमे (१२०० वर्ष पूर्वक) अभिलेख अंकित अछि। मिथिलाक भारत आ नेपालक माटिमे पसरल एहि तरहक अन्यान्य प्राचीन आ नव स्थापत्य, चित्र, अभिलेख आ मूर्त्तिकलाक़ हेतु देखू 'मिथिलाक खोज'



मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित सूचना, सम्पर्क, अन्वेषण संगहि विदेहक सर्च-इंजन आ न्यूज सर्विस आ मिथिला, मैथिल आ मैथिलीसँ सम्बन्धित वेबसाइट सभक समग्र संकलनक लेल देखू "विदेह सूचना संपर्क अन्वेषण"

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 ऐ बेर मूल पुरस्कार(२०१२) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन मूल मैथिली पोथी उपयुक्त अछि ?
श्री राजदेव मण्डलक अम्बरा” (कविता-संग्रह)  13.28%   
 
श्री बेचन ठाकुरक बेटीक अपमान आ छीनरदेवी”(दूटा नाटक)  9.38%   
 
श्रीमती आशा मिश्रक उचाट” (उपन्यास)  6.25%   
 
श्रीमती पन्ना झाक अनुभूति” (कथा संग्रह)  6.25%   
 
श्री उदय नारायण सिंह नचिकेतानो एण्ट्री:मा प्रविश (नाटक)  6.25%   
 
श्री सुभाष चन्द्र यादवक बनैत बिगड़ैत” (कथा-संग्रह)  6.25%   
 
श्रीमती वीणा कर्ण- भावनाक अस्थिपंजर (कविता संग्रह)  6.25%   
 
श्रीमती शेफालिका वर्माक किस्त-किस्त जीवन (आत्मकथा)  7.03%   
 
श्रीमती विभा रानीक भाग रौ आ बलचन्दा” (दूटा नाटक)  6.25%   
 
श्री महाप्रकाश-संग समय के (कविता संग्रह)  6.25%   
 
श्री तारानन्द वियोगी- प्रलय रहस्य (कविता-संग्रह)  6.25%   
 
श्री महेन्द्र मलंगियाक छुतहा घैल” (नाटक)  6.64%   
 
श्रीमती नीता झाक देश-काल” (कथा-संग्रह)  6.64%   
 
श्री सियाराम झा "सरस"क थोड़े आगि थोड़े पानि (गजल संग्रह)  7.03%   
 
Other:  0%   
 

ऐ बेर बाल साहित्य पुरस्कार(२०१२) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन मूल मैथिली पोथी उपयुक्त अछि ?

श्री जगदीश प्रसाद मण्डल जीक तरेगन”(बाल-प्रेरक कथा संग्रह)  57.89%   
 
श्री जीवकांत - खिखिरक बिअरि  23.68%   
 
श्री मुरलीधर झाक पिलपिलहा गाछ  18.42%   

ऐ बेर युवा पुरस्कार(२०१२)[साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे कोन कोन लेखक उपयुक्त छथि ?

श्रीमती ज्योति सुनीत चौधरीक अर्चिस” (कविता संग्रह)  25.71%   
 
श्री विनीत उत्पलक हम पुछैत छी” (कविता संग्रह)  7.14%   
 
श्रीमती कामिनीक समयसँ सम्वाद करैत”, (कविता संग्रह)  7.14%   
 
श्री प्रवीण काश्यपक विषदन्ती वरमाल कालक रति” (कविता संग्रह)  7.14%   
 
श्री आशीष अनचिन्हारक "अनचिन्हार आखर"(गजल संग्रह)  15.71%   
 
श्री अरुणाभ सौरभक एतबे टा नहि” (कविता संग्रह)  7.14%   
 
श्री दिलीप कुमार झा "लूटन"क जगले रहबै (कविता संग्रह)  8.57%   
 
श्री आदि यायावरक भोथर पेंसिलसँ लिखल” (कथा संग्रह)  7.14%   
 
श्री उमेश मण्डलक निश्तुकी” (कविता संग्रह)  12.86%   
 
Other:  1.43%   
 

ऐ बेर अनुवाद पुरस्कार (२०१३) [साहित्य अकादेमी, दिल्ली]क लेल अहाँक नजरिमे के उपयुक्त छथि?

श्री नरेश कुमार विकल "ययाति" (मराठी उपन्यास श्री विष्णु सखाराम खाण्डेकर)  32.26%   
 
श्री महेन्द्र नारायण राम "कार्मेलीन" (कोंकणी उपन्यास श्री दामोदर मावजो)  12.9%   
 
श्री देवेन्द्र झा "अनुभव"(बांग्ला उपन्यास श्री दिव्येन्दु पालित)  14.52%   
 
श्रीमती मेनका मल्लिक "देश आ अन्य कविता सभ" (नेपालीक अनुवाद मूल- रेमिका थापा)  12.9%   
 
श्री कृष्ण कुमार कश्यप आ श्रीमती शशिबाला- मैथिली गीतगोविन्द ( जयदेव संस्कृत)  12.9%   
 
श्री रामनारायण सिंह "मलाहिन" (श्री तकषी शिवशंकर पिल्लैक मलयाली उपन्यास)  14.52%   
 

फेलो पुरस्कार-समग्र योगदान २०१२-१३ : समानान्तर साहित्य अकादेमी, दिल्ली

श्री राजनन्दन लाल दास  52.38%   
 
श्री डॉ. अमरेन्द्र  21.43%   
 
श्री चन्द्रभानु सिंह  26.19%   
 
Other:  0%   

 

१. संपादकीय

विदेह साहित्य उत्सव २०१२ आ विदेह साहित्य सम्मान समारोह १४ जनवरी २०१२ केँ सम्पन्न भेल। विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी पुरस्कार देल गेल आ कवि सम्मेलन सम्पन्न भेल। लोकक स्वतः-स्फूर्त सहयोग आ सहभागिता विदेह मैथिली साहित्य आन्दोलनक सफलताक रूपमे मोन राखल जाएत।
विदेह सम्मान

विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी सम्मान

१.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी फेलो पुरस्कार २०१०-११ 
२०१० श्री गोविन्द झा (समग्र योगदान लेल)
२०११ श्री रमानन्द रेणु (समग्र योगदान लेल)
२.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी पुरस्कार २०११-१२ 

२०११ मूल पुरस्कार- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल (गामक जिनगी, कथा संग्रह)
२०११ बाल साहित्य पुरस्कार- ले.क. मायानाथ झा (जकर नारी चतुर होइ, कथा संग्रह)
२०११ युवा पुरस्कार- आनन्द कुमार झा (कलह, नाटक)
२०१२ अनुवाद पुरस्कार- श्री रामलोचन ठाकुर- (पद्मानदीक माझी, बांग्ला- मानिक बंद्योपाध्याय, उपन्यास बांग्लासँ मैथिली अनुवाद)


विदेह सम्मान

-मैथिली नाटक/ संगीत/ कला/ मूर्तिकला/ फिल्मक समानान्तर दुनियाँक अभिलेखन आ सम्मान सेहो हएत विदेह सम्मानक घोषणा द्वारा
-ई घोषणा दिसम्बरक अन्त वा जनवरी २०१२ मे हएत
-मैथिली नाटक/ संगीत/ कला/ मूर्तिकला/ फिल्मक समानान्तर दुनियाँक अभिलेखन आ सम्मान कएल जाएत

-विदेह नाट्य उत्सव २०१२ क अवसरपर प्रदान कएल जाएत ई सम्मान।

विदेह सम्मान

-अगस्त २०११ सँ सभ मास "ऐ मासक सभसँ नीक समदिया" सम्मानक घोषणा कएल जा रहल अछि
-समदिया- पूनम मंडल आ प्रियंका झाक मैथिली न्यूज पोर्टल। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक-सूचना-सम्पर्क-समाद पूनम मंडल आ प्रियंका झा।   - द्वारा "ऐ मासक सभसँ नीक समदिया"क घोषणा सभ मास भऽ रहल अछि
- सालक अन्तमे "सर्वश्रेष्ठ मैथिली पत्रकारिता" लेल ऐ १२  टा देल सम्मानमे सँ सर्वश्रेष्ठकेँ "विदेह पत्रकारिता सम्मान" देल जाएत। 
-अगस्त २०१२ मे हएत  "विदेह पत्रकारिता सम्मान"क घोषणा।

विदेह सम्मान

समदिया- पूनम मंडल आ प्रियंका झाक मैथिली न्यूज पोर्टल।विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक-सूचना-सम्पर्क-समाद पूनम मंडल आ प्रियंका झा।

अपन इलाकाक कोनो समाचार ऐ अन्तर्जाल (http://esamaad.blogspot.com/)पर देबा लेल , समाचार poonamberma@gmail.com वा priyanka.rachna.jha@gmail.com पर पठाउ वा एतए http://www.facebook.com/groups/samadiya/ फेसबुकपर राखू।"

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता (नेपाल देशक भाषा-साहित्य,  दर्शन, संस्कृति आ सामाजिक विज्ञानक क्षेत्रमे  सर्वोच्च सम्मान)

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता
श्री राम भरोस कापड़ि 'भ्रमर' (2010)
श्री राम दयाल राकेश (1999)
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव (1994)

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान मानद सदस्यता
स्व. सुन्दर झा शास्त्री

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान आजीवन सदस्यता
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव



फूलकुमारी महतो मेमोरियल ट्रष्ट काठमाण्डू, नेपालक सम्मान
फूलकुमारी महतो मैथिली साधना सम्मान २०६७ - मिथिला नाट्यकला परिषदकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ - सप्तरी राजविराजनिवासी श्रीमती मीना ठाकुरकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ -बुधनगर मोरङनिवासी दयानन्द दिग्पाल यदुवंशीकेँ



साहित्य अकादेमी  फेलो- भारत देशक सर्वोच्च साहित्य सम्मान (मैथिली)


           १९९४-नागार्जुन (स्व. श्री वैद्यनाथ मिश्र यात्री १९११-१९९८ ) , हिन्दी आ मैथिली कवि।


           २०१०- चन्द्रनाथ मिश्र अमर (१९२५- ) - मैथिली साहित्य लेल।



साहित्य अकादेमी भाषा सम्मान ( क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य आ गएर मान्यताप्राप्त भाषा लेल):-
           
           २०००- डॉ. जयकान्त मिश्र (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
           २००७- पं. डॉ. शशिनाथ झा (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
            पं. श्री उमारमण मिश्र




साहित्य अकादेमी पुरस्कार- मैथिली


१९६६- यशोधर झा (मिथिला वैभव, दर्शन)

१९६८- यात्री (पत्रहीन नग्न गाछ, पद्य)

१९६९- उपेन्द्रनाथ झा व्यास” (दू पत्र, उपन्यास)

१९७०- काशीकान्त मिश्र मधुप” (राधा विरह, महाकाव्य)

१९७१- सुरेन्द्र झा सुमन” (पयस्विनी, पद्य)

१९७३- ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म” (नैका बनिजारा, उपन्यास)

१९७५- गिरीन्द्र मोहन मिश्र (किछु देखल किछु सुनल, संस्मरण)

१९७६- वैद्यनाथ मल्लिक विधु” (सीतायन, महाकाव्य)

१९७७- राजेश्वर झा (अवहट्ठ: उद्भव ओ विकास, समालोचना)

१९७८- उपेन्द्र ठाकुर मोहन” (बाजि उठल मुरली, पद्य)

१९७९- तन्त्रनाथ झा (कृष्ण चरित, महाकाव्य)

१९८०- सुधांशु शेखर चौधरी (ई बतहा संसार, उपन्यास)

१९८१- मार्कण्डेय प्रवासी (अगस्त्यायिनी, महाकाव्य)

१९८२- लिली रे (मरीचिका, उपन्यास)

१९८३- चन्द्रनाथ मिश्र अमर” (मैथिली पत्रकारिताक इतिहास)

१९८४- आरसी प्रसाद सिंह (सूर्यमुखी, पद्य)

१९८५- हरिमोहन झा (जीवन यात्रा, आत्मकथा)

१९८६- सुभद्र झा (नातिक पत्रक उत्तर, निबन्ध)

१९८७- उमानाथ झा (अतीत, कथा)

१९८८- मायानन्द मिश्र (मंत्रपुत्र, उपन्यास)

१९८९- काञ्चीनाथ झा किरण” (पराशर, महाकाव्य)

१९९०- प्रभास कुमार चौधरी (प्रभासक कथा, कथा)

१९९१- रामदेव झा (पसिझैत पाथर, एकांकी)

१९९२- भीमनाथ झा (विविधा, निबन्ध)

१९९३- गोविन्द झा (सामाक पौती, कथा)

१९९४- गंगेश गुंजन (उचितवक्ता, कथा)

१९९५- जयमन्त मिश्र (कविता कुसुमांजलि, पद्य)

१९९६- राजमोहन झा (आइ काल्हि परसू, कथा संग्रह)

१९९७- कीर्ति नारायण मिश्र (ध्वस्त होइत शान्तिस्तूप, पद्य)

१९९८- जीवकान्त (तकै अछि चिड़ै, पद्य)

१९९९- साकेतानन्द (गणनायक, कथा)

२०००- रमानन्द रेणु (कतेक रास बात, पद्य)

२००१- बबुआजी झा अज्ञात” (प्रतिज्ञा पाण्डव, महाकाव्य)

२००२- सोमदेव (सहस्रमुखी चौक पर, पद्य)

२००३- नीरजा रेणु (ऋतम्भरा, कथा)

२००४- चन्द्रभानु सिंह (शकुन्तला, महाकाव्य)

२००५- विवेकानन्द ठाकुर (चानन घन गछिया, पद्य)

२००६- विभूति आनन्द (काठ, कथा)

२००७- प्रदीप बिहारी (सरोकार, कथा)

२००८- मत्रेश्वर झा (कतेक डारि पर, आत्मकथा)

२००९- स्व.मनमोहन झा (गंगापुत्र, कथासंग्रह)

२०१०-श्रीमति उषाकिरण खान (भामती, उपन्यास)



साहित्य अकादेमी मैथिली अनुवाद पुरस्कार


१९९२- शैलेन्द्र मोहन झा (शरतचन्द्र व्यक्ति आ कलाकार-सुबोधचन्द्र सेन, अंग्रेजी)

१९९३- गोविन्द झा (नेपाली साहित्यक इतिहास- कुमार प्रधान, अंग्रेजी)

१९९४- रामदेव झा (सगाइ- राजिन्दर सिंह बेदी, उर्दू)

१९९५- सुरेन्द्र झा सुमन” (रवीन्द्र नाटकावली- रवीन्द्रनाथ टैगोर, बांग्ला)

१९९६- फजलुर रहमान हासमी (अबुलकलाम आजाद- अब्दुलकवी देसनवी, उर्दू)

१९९७- नवीन चौधरी (माटि मंगल- शिवराम कारंत, कन्नड़)

१९९८- चन्द्रनाथ मिश्र अमर” (परशुरामक बीछल बेरायल कथा- राजशेखर बसु, बांग्ला)

१९९९- मुरारी मधुसूदन ठाकुर (आरोग्य निकेतन- ताराशंकर बंदोपाध्याय, बांग्ला)

२०००- डॉ. अमरेश पाठक, (तमस- भीष्म साहनी, हिन्दी)

२००१- सुरेश्वर झा (अन्तरिक्षमे विस्फोट- जयन्त विष्णु नार्लीकर, मराठी)

२००२- डॉ. प्रबोध नारायण सिंह (पतझड़क स्वर- कुर्तुल ऐन हैदर, उर्दू)

२००३- उपेन्द दोषी (कथा कहिनी- मनोज दास, उड़िया)

२००४- डॉ. प्रफुल्ल कुमार सिंह मौन” (प्रेमचन्द की कहानी-प्रेमचन्द, हिन्दी)

२००५- डॉ. योगानन्द झा (बिहारक लोककथा- पी.सी.राय चौधरी, अंग्रेजी)

२००६- राजनन्द झा (कालबेला- समरेश मजुमदार, बांग्ला)

२००७- अनन्त बिहारी लाल दास इन्दु” (युद्ध आ योद्धा-अगम सिंह गिरि, नेपाली)

२००८- ताराकान्त झा (संरचनावाद उत्तर-संरचनावाद एवं प्राच्य काव्यशास्त्र-गोपीचन्द नारंग, उर्दू)

२००९- भालचन्द्र झा (बीछल बेरायल मराठी एकाँकी-  सम्पादक सुधा जोशी आ रत्नाकर मतकरी, मराठी)

२०१०- डॉ. नित्यानन्द लाल दास ( "इग्नाइटेड माइण्ड्स" - मैथिलीमे "प्रज्वलित प्रज्ञा"- डॉ.ए.पी.जे. कलाम, अंग्रेजी)


साहित्य अकादेमी मैथिली बाल साहित्य पुरस्कार


२०१०-तारानन्द वियोगीकेँ पोथी "ई भेटल तँ की भेटल"  लेल
२०११- ले.क. मायानाथ झा "जकर नारी चतुर होइ" लेल

प्रबोध सम्मान


प्रबोध सम्मान 2004- श्रीमति लिली रे (1933- )

प्रबोध सम्मान 2005- श्री महेन्द्र मलंगिया (1946- )

प्रबोध सम्मान 2006- श्री गोविन्द झा (1923- )

प्रबोध सम्मान 2007- श्री मायानन्द मिश्र (1934- )

प्रबोध सम्मान 2008- श्री मोहन भारद्वाज (1943- )

प्रबोध सम्मान 2009- श्री राजमोहन झा (1934- )

प्रबोध सम्मान 2010- श्री जीवकान्त (1936- )

प्रबोध सम्मान 2011- श्री सोमदेव (1934- )

प्रबोध सम्मान 2012- श्री चन्द्रभानु सिंह (1922- )
                  श्री रामलोचन ठाकुर (1949- )

यात्री-चेतना पुरस्कार



२००० ई.- पं.सुरेन्द्र झा सुमन”, दरभंगा;

२००१ ई. - श्री सोमदेव, दरभंगा;

२००२ ई.- श्री महेन्द्र मलंगिया, मलंगिया;

२००३ ई.- श्री हंसराज, दरभंगा;

२००४ ई.- डॉ. श्रीमती शेफालिका वर्मा, पटना;

२००५ ई.-श्री उदय चन्द्र झा विनोद”, रहिका, मधुबनी;

२००६ ई.-श्री गोपालजी झा गोपेश, मेंहथ, मधुबनी;

२००७ ई.-श्री आनन्द मोहन झा, भारद्वाज, नवानी, मधुबनी;

२००८ ई.-श्री मंत्रेश्वर झा, लालगंज,मधुबनी

२००९ ई.-श्री प्रेमशंकर सिंह, जोगियारा, दरभंगा

२०१० ई.- डॉ. तारानन्द वियोगी, महिषी, सहरसा

२०११ ई.-  डॉ. राम भरोस कापड़ि भ्रमर (जनकपुर)


भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता

युवा पुरस्कार (२००९-१०) गौरीनाथ (अनलकांत) केँ मैथिली लेल।


भारतीय भाषा संस्थान (सी.आइ.आइ.एल.) , मैसूर रामलोचन ठाकुर:- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००३-०४ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) जा सकै छी, किन्तु किए जाउ- शक्ति चट्टोपाध्यायक बांग्ला कविता-संग्रहक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त  रमानन्द झा 'रमण':- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००४-०५ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) छओ बिगहा आठ कट्ठा- फकीर मोहन सेनापतिक ओड़िया उपन्यासक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त।

विदेह सम्मान

विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी सम्मान

१.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी फेलो पुरस्कार २०१०-११ 
२०१० श्री गोविन्द झा (समग्र योगदान लेल)
२०११ श्री रमानन्द रेणु (समग्र योगदान लेल)
२.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी पुरस्कार २०११-१२ 

२०११ मूल पुरस्कार- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल (गामक जिनगी, कथा संग्रह)
२०११ बाल साहित्य पुरस्कार- ले.क. मायानाथ झा (जकर नारी चतुर होइ, कथा संग्रह)
२०११ युवा पुरस्कार- आनन्द कुमार झा (कलह, नाटक)
२०१२ अनुवाद पुरस्कार- श्री रामलोचन ठाकुर- (पद्मानदीक माझी, बांग्ला- मानिक बंद्योपाध्याय, उपन्यास बांग्लासँ मैथिली अनुवाद)

अनचिन्हार आखर ( http://anchinharakharkolkata.blogspot.com ) द्वारा प्रायोजित "गजल कमला-कोसी-बगमती-महानंदा सम्मान" बर्ख 2011 लेल ओस्ताद सदरे आलम गौहर जीकेँ प्रदान कएल गेलैन्ह। एहि बेरुक मुख्यचयनकर्ता ओस्ताद सियाराम झा"सरस" छलखिन्ह।..

( विदेह ई पत्रिकाकेँ ५ जुलाइ २००४ सँ अखन धरि ११६ देशक १,५०२ ठामसँ ७२,०४३ गोटे द्वारा ३५,४५२ विभिन्न आइ.एस.पी. सँ ३,३६,७०७ बेर देखल गेल अछि; धन्यवाद पाठकगण। - गूगल एनेलेटिक्स डेटा। )
 

गजेन्द्र ठाकुर

ggajendra@videha.com
 
http://www.maithililekhaksangh.com/2010/07/blog-post_3709.html

 

२. गद्य










नवेंदु कुमार झा- बिहार सहित पांच प्रदेशकेँ अन्नक खरीद बढ़ैबाक निर्देश/ 21 फरवरी सॅ प्रारंभ होयत विधान मंडलक बजट सत्र/  मुख्यमंत्रीक स्वागतक तैयारी कऽ रहल छथि रांटी गामवासी/  बढ़ि रहल अछि बालिका शिक्षाक दर/ बिहार मे सभ वर्ष मनाओल जायत भूकम्प आ बाढ़ि सुरक्षा सप्ताह/ सम्पन्न भेल विद्यालयक स्थापना दिवस/

 बिहार सहित पांच प्रदेशकेँ अन्नक खरीद बढ़ैबाक निर्देश
 
 अन्नक मामिला मे पिछड़ल प्रदेश सभकेँ केन्द द्वारा निर्देश देल गेल अछि। ओ खाय वाला अन्नक खरीद बढ़ैबाक लेल कार्य योजना बना लैथि जइसॅ प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा कानूनकेँ देश भरि मे नीक ढंग सॅ लागू कयल जा सकय। ई विशेष निर्देश बिहार सहित पश्चिम बंगाल आ झारखंडक संग पांच प्रदेशकेँ देल गेल अछि। खाद्य मंत्रालय प्रस्तावित कानूनकेँ लागू करबाक लेल खाद्यन्न केँ उपलब्ध होएबाक शंका केँ दूर करबाक लेल गहूम आ चाउरक खरीद बढ़ाबऽ पर ध्यान केन्द्रित करबाक निर्णय लेलक अछि। ऐ योजनाक अंतर्गत प्रति वर्ष 6.1 करोड़ टन अन्न क आवश्यकताक अनुमान अछि। केन्द्रीय खाद्य मंत्री पी.सी. थॉमस बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, जम्मू कश्मीर आ असम केँ चिट्ठी लिखि कहलनि अछि जे ओ अन्नक उपज बढ़ैबाक कार्य योजना बनेबाक संगहि खाद्यन्नक खरीदक स्थिति मे सेहो सुधार करथि।
 
देश 63.5 प्रतिशत आबादी केँ सस्त अन्नक कानूनी अधिकार देबऽ वाला ऐ योजना केँ लागू करबाक जिम्मेवारी खाद्य मंत्रालयक होयत। प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक संसदक शीतकालीन सत्र मे लोक सभा मे प्रस्तुत कयल गेल छल जे एखन संसदक स्थायी समितिक सोझाँ अछि। सरकारक ऐ विधेयक केँ बजट सत्र मे पारित करेबाक आ एक जुलाई सॅ लागू करबाक लक्ष्य रखलक अछि। खाद्य मंत्री पांचों प्रदेशकेँ लिखल चिट्ठी मे कहलनि अछि जे एहन प्रदेश सभ केँ विकेन्द्रीकृत असूली प्रणाली केँ अपनैबाक चाही। ऐ प्रणालीक अंतर्गत राज्य सरकार अपन स्वयंक एजेन्सीक माध्यम सॅ अन्नक खरीद करैत अछि मुदा खर्च केन्द्र सरकार वहन करैत अछि। ओ कहलनि अछि जे प्रदेश मे जतेक संभावना अछि ओकर मोकाबला धानक खरीद उत्साहवर्द्धक नै अछि। राज्य पहिनहि सॅ विकेन्द्रीकृत खरीद प्रणालीक अंतर्गत अछि तें ई महत्वपूर्ण अछि जे अन्नक खरीदक लेल सभ आवश्यक उपाय कयल जयबाक चाही।
 
21 फरवरी सॅ प्रारंभ होयत विधान मंडलक बजट सत्र
 
बिहार विधान मंडलक बजट सत्र 21 फरवरी सॅ प्रारंभ होयत। चारि अप्रील धरि चलय वाला ऐ बजट सत्र मे सदनक 29 बैसक होयत। ई सत्र पैघ होयत आ ऐ मे सदस्य सभकेँ अपन बात रखबाक बेसी अवसर भेटत। ऐपर मंत्री परिषद्क बैसक मे निर्णय होयबाक संभावना अछि। सत्रक दरमियान वर्ष 2012-13क सम्पूर्ण बजट पारित कयल जायत। सूत्रक अनुसार कृषि कैबिनेट केँ अंतिम रूप देबा सॅ पहिने सदन मे चर्चा होयत। ऐसॅ पहिने 2 फरवरी केँ किसान समागम होयत जइ मे प्रदेश भरिक किसान सभ सॅ राय लेल जायत। बजट सत्र मे कृषि क्षेत्रक समस्या आ ओकर समाधानक लेल पक्ष आ विपक्षक सदस्य समग्र रूप सॅ अपन बात सदन मे रखताह। प्रदेश मे बिजलीक संकटक समाधानक लेल सौर ऊर्जा सॅ निजी नलकूप सभकेँ चालू करबाक प्रयास पर सेहो चर्चा होयत। विधान मंडलक बजट सत्र हंगामेदार होयबाक सेहो संभावना अछि। विपक्ष प्रदेशक कानून व्यवस्था सहित बिना बिजली कृषि क्षेत्रक विकासक समस्याक अलाबा धानक न्यूनतम समर्थन मूल्य नै भेटऽ पर सरकार केँ घेरबाक प्रयास करत।
 
 मुख्यमंत्रीक स्वागतक तैयारी कऽ रहल छथि रांटी गामवासी
 
 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपन सेवा यात्राक पहिल चरणक समाप्ति मिथिलांचलक हृदय स्थली मधुबनीक यात्राक संगहि होयत। श्री कुमार 16 सॅ 19 जनवरी धरि चारि दिनक सेवा यात्रा पर मधुबनी जिला मे रहताह। ऐ क्रम मे ओ मिथिला चित्रकलाक लेल विश्व प्रसिद्ध मधुबनी जिलाक रांटी गामक यात्रा करताह। ऐ दरमियान मुख्यमंत्री जिलाक विभिन्न क्षेत्रक यात्राक विकास योजनाक समीक्षा, जनता दरबार मे जनता सॅ भेट करबाक संगहि कतेको विकास योजनाक उद्घाटन आ शिलान्यास सेहो करताह। नीतीश कुमार रांटी गाम मे मिथिला चित्रकलाक विश्व प्रसिद्ध कलाकार 90 वर्षीय महासुन्दरी देवीक घर जा हुनका सॅ भेट करताह। मुख्यमंत्रीक रांटी गाम अयबाक समाद भेटलाक बाद सम्पूर्ण गामक लोक उत्साहित छथि। भेटल जनतबक अनुसार श्री कुमार 17 जनवरी केँ रांटी पहुँचताह। स्थानीय प्रशासन द्वारा महासुन्दरी देवी केँ मुख्यमंत्रीक आगमनक सूचना देलाक बाद ओ मुख्यमंत्री मैथिल परम्पराक अनुसार स्वागतक तैयारी कऽ रहल छथि। भेटल जनतबक अनुसार मिथिला चित्रकलाक प्रसिद्ध कलाकार हुनक स्वागत मे नास्ताक वास्ते मिथिलाक पारम्परिक भोजन दही चुड़ाक व्यवस्था कऽ रहल छथि हुनक विदाइ धोती, कुर्ता आ पाग दऽ करबाक योजना अछि। महासुन्दरी देवीक पुत्र बी.के. दास जनतब देलनि अछि जे रांटी गाम मिथिला चित्रकला आ सिक्की कलाक लेल विश्व प्रसिद्ध अछि मुदा गाम मे सड़क सुविधा नै अछि। ऐ गामक कलाकार केँ उचित बजार उपलब्ध करायब आ गाम मे सड़क सुविधा उपलब्ध करैबाक आग्रह मुख्यमंत्री सॅ कयल जायत।
 
 बढ़ि रहल अछि बालिका शिक्षाक दर
 
प्रदेश मे बालिका शिक्षाकेँ प्रोत्साहित करबाक लेल नीतीश सरकारक पोशाक आ साइकिल योजनाक असरि आब सोझाँ आबि रहल अछि। सरकारक प्रयासक कारण बिहार मे विद्यालय जाय वाला छात्राक संख्या बढ़ल अछि। मैट्रिक आ इन्टरमीडिएटक परीक्षा मे सम्मिलित होमय वाला छात्राक संख्या बढ़ल अछि। वर्ष 2011क मैट्रिक परीक्षा मे कुल 9,31993 परीक्षार्थी सम्मिलित भेल छलाह जइ मे 399470 छात्रा छलीह। वर्ष 2012क मैट्रिक परीक्षाक लेल 1134720 परीक्षार्थी पंजीयन करौलनि अछि जइ मे 502361 छात्रा आ 632359 छात्र छथि। ऐ तरहेँ वर्ष 2011क इंटरमीडिएटक परीक्षा मे कुल 701851 परीक्षार्थी सम्मिलित भेल छलाह जइ मे 283564 छात्रा छलीह। वर्ष 2012क इंटरमीडिएटक परीक्षाक लेल 807726 परीक्षार्थी पंजीयन करौलनि अछि जइ मे 325790 छात्रा आ 481936 छात्र छथि। वर्ष 2011क मैट्रिक परीक्षा मे 532523 आ इंटरमीडिएटक परीक्षा मे 4180287 छात्र सम्मिलित भेल छलाह। एहि मध्य सत्र 2011-12 क मैट्रिक परीक्षाक तैयारी मे बिहार विद्यालय परीक्षा समिति लागि गेल अछि। एहि वर्षक मैट्रिक परीक्षाक लेल 20 जनवरी सॅ फार्म भरबाक काज प्रारंभ होयत आ 30 जनवरी केँ समाप्त भऽ जायत। मैट्रिकक परीक्षा 22 फरवरी सॅ प्रारंभ होयत।
 
बिहार मे सभ वर्ष मनाओल जायत भूकम्प आ बाढ़ि सुरक्षा सप्ताह

बिहार मे आब सभ वर्ष भूकम्प आ बाढ़ि सुरक्षा सप्ताह मनाओल जायत। मुख्यमंत्री नीतीश कुमारक निर्देश पर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार ई निर्णय लेलक अछि। 15 जनवरी सॅ भूकम्प सुरक्षा सप्ताह आ जूनक पहिल सप्ताह मे बाढ़ि सुरक्षा सप्ताह आयोजित कयल जायत। भूकम्प सुरक्षा सप्ताहक अंतर्गत 15 जनवरी सॅ प्रदेशक विद्यालय, महाविद्यालय, थाना, पंचायत प्रखंड आ जिला मुख्यालय सभ मे कार्यक्रम आयोजित कऽ ऐ माध्यम सॅ जनता केँ भूकम्प सॅ सुरक्षाक उपायक जनतब देल जायत। उल्लेखनीय अछि जे बिहार मे 15 जनवरी 1934 मे विनाश करय वाला भूकम्प आयल छल जइ मे पैघ तबाही भेल छल। ओइ भूकम्प मे मिथिलांचल क कोसी क्षेत्र सॅ जोड़य वाला कोसी पर बनल निर्मली भपटियाही रेल लाइन ध्वस्त भऽ गेल छल आ मिथिलांचल दू भाग मे बटि गेल छल। केन्द्र मे अटल बिहारी वाजपेयीक शासन काल मे ऐ रेल लाइन केँ चालू करबाक लेल कोसी महासेतुक शिलान्यास कयल गेल छल जे आब बनि कऽ तैयार अछि आ 6 फरवरी केँ एकर उद्घाटन केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री सी.पी. जोशी करताह।
 
 सम्पन्न भेल विद्यालयक स्थापना दिवस

(मधुबनी) बच्चा दाई उच्च विद्यालय ननौर मधुबनीक चालीसम स्थापना दिवस सह स्वामी विवेकानन्द जयंती हर्षक संग मनाओल गेल। ऐ अवसर पर उपस्थित विद्वतजन विद्यालयक उपलब्धिक चर्चा करैत स्वामी विवेकानन्द केँ स्मरण करैत छात्र युवा सभक आह्वान कयलनि जे ओ स्वामी जीक आदर्श अनुसरण कऽ अपन बाट पर आगाँ बढ़ि अपन विद्यालय आ मातृभूमिक नाम करथि। कार्यक्रमक अध्यक्षता विद्यालयक प्रधानाचार्य भगवान झा कहलनि जखन कि कवि गंगाधर हर्ष मुख्य अतिथिक रूपमे अपन विचार रखलनि। ऐ अवसर पर विद्यालयक छात्र-छात्राक मध्य प्रतियोगिता आयोजित कयल गेल आ ऐमे विजय भेल प्रतिभागी केँ परस्कृत सेहो कयल गेल। कार्यक्रमक संचालन आकाशवाणी पटनाक मैथिली कंपेयर अखिलेश कुमार झा कयलनि। समारोह मे प्रदीप पुष्प आ कवि गंगाधर हर्षक काव्य पाठ सेहो भेल। कार्यक्रम मे प्रो. जयनंद मिश्र, प्रो. बासुकीनाथ झा, हरिनारायण मंडल, सरोजानंद ठाकुर, आकाशवाणी दरभंगा संवाददाता मणिकान्त झा आ कृष्ण मोहन सहित कतेको विद्वान उपस्थित भऽ अपन उद्बोधनक माध्यम सॅ छात्र-छात्रा सभक मार्गदर्शन कयलनि। धन्यवाद ज्ञापन नागेश्वर झा कयलनि।



 
ऐ रचनापर अपन मंतव्य ggajendra@videha.com पर पठाउ।
चन्द्रकिशोर, वरिष्ठ पत्रकार, वीरगंज, नेपाल


समयक साक्षी सुजीतक रिपोर्टर डायरी

नेपालीय मिथिला क्षेत्रक सक्रिय एवं सशक्त पत्रकार सुजीत कुमार झाक कथा संग्रह
चिड़ैकिछु मास पहिने पढने छलहुँ । एहि बीच में हुनकर पत्रकारिता सँ जुड़ल पुस्तक रिपोर्टर डायरी सेहो प्राप्त भेल । । एहिमे दूटा प्रक्रिया देखाई पड़ैया । पहिल सुजीतजी साहित्य आ पत्रकारिता दूनु मोर्चा पर ओतवे समर्पित आ सक्रिय देखाई पडैÞत छथि । हुनकामे पत्रकारिता आ साहित्य दूनुक प्रति स्वभाविक आकर्षण छन्हि, ओ दूनु क्षेत्रमे समान एवं सहज रुपमे आगा बढि रहल छथि । इएह हुनक विशेषता
छन्हि । बहुत कम लोक दूनु क्षेत्रमे समान रुप सँ न्याय करबाक स्थिति मे रहैत अछि । सुजीत जीक इएह विशेषता हुनका समकालिन आओर संगी सभ सँ फरक व्यक्तित्व दैत छन्हि । दोसर मैथिलीमे पुस्तक प्रकाशनक क्रम बढि रहल सेहो देखबैया ।
सुजीतजी जनकपुरक प्रतिष्ठित पत्रिका
मिथिला डटकमक सम्पादक छथि । पत्रकारितामे अखवार सँ लऽ कऽ रेडियो आ टेलिभिजनमे पर्यन्त एकसंग क्रियाशील रहैत छथि । ई पुस्तक हुनकर रिपोर्टर डायरीनाम सँ प्रकाशित स्तम्भ लेखन आ किछु फुटकर आलेख सभक संग्रह अछि । ओ स्तम्भकार के रुपमे सेहो परिचय बनौने छथि । ई निक गप्प छैक कि एकटा पत्रकार सम सामयिक विषय पर अप्पन अभिमत सेहो रखैत अछि । रिपोटिङ्ग सँ कनिक फरक स्तम्भ लेखनक शिल्प अछि । जे समसामयिक घटनाक तथ्य सँ परिचित नहि रहता से सटिक टिप्पणी सेहो नहि कऽ सकैत छथि । अपन परिवेशक बारेमे जिनका बढिया सँ बुझल छन्हि, ओहिमे रुचि छन्हि, सएह स्तम्भ मार्फत टिप्पणी कऽ सकैत छथि । सुजीतजीक नाम सँ ई विशेषता सेहो जुडि गेल अछि ।
हिनकर
रिपोर्टर डायरीक संकलन मे स्तम्भ लेख, राष्ट्रीय पत्रिका मे बहराएल आलेखसभ आ सम्पूर्ण मे सामयिक टिप्पणी रिपोर्ताज आ विश्लेषणक संग्रहक रुप में देखल जा सकैया । मिथिला डटकममैथिली दैनिक पत्रिकामे पत्रिकाके कलेवर अनुसार एहि स्तम्भक लेल निर्धारित स्थानक परिधि मे रहि कऽ अपन बात कहय पडैत छैक, मुदा ओतबे स्थान मे अपन बात सटिक सँ कहि सकब सुजीत जीक लेखकीय सामथ्र्य देखबैत अछि । कालगणना मे दिनक पुनरावृति होइत रहैत अछि, घटना सभ दोहराइत रहैत छैक, मुदा विषयक नव तरिका सँ उठान करब, संग संगे साथी भाइ सभक चर्चा सेहो करब आ लोक के अपन बात सुना देब, ई रिपोर्टर डायरीक विशेषता अछि ।
लेखक स्वयं सक्रिय पत्रकार छथि
, सम्पादक छथि, सदिखन सूचनाकेँ बाढी मे डुबल रहैत छथि, एहि सभमे सँ स्तम्भक लेल विषयवस्तुक छनोट करब, ओकरा पाठकीय रुप देब, ई कम चुनौतीपूर्ण काज नहि छैक । ताहि लऽ कऽ रिपोर्टर डायरीएकटा बढिया प्रयास मानल जा सकैया । तथ्य सभक पोखरी मे सँ विषयक छनौट करब आ सूचना सभक सार्थक प्रस्तुति करबाक जिम्मेवारी ई एकटा नयाँ जिम्मेवारी आ भूमिकामे सुजीत जीक सफलता सेहो देखबैया । तथ्य सभक सही तरिका सँ आ सही परिप्रेक्ष्य मे प्रस्तुत करवाक खुबी सेहो देखल जा सकैया । जर्मन समाज शास्त्री मैक्स वेबर एकटा पैघ परामर्श देने छथि । हुनका सँ पुछल गेल छलैक, कि कोनो मनुष्यक लेखन मूल्य निरपेक्ष भऽ सकैया ?’
ओ बजला
, ‘मनुष्य होएवाक अर्थे अछि कि मूल्य मान्यता सँ बान्हल रहब, हमसभ कहियो धरि मूल्य मान्यता सँ अलग नहि रहि सकैत छी ।
मुदा हमसभ अपन मूल्यक प्रति सचेत रहब
, तकरा लेल परिस्थितिक प्रष्टता सँ बुझब आ तथ्यक विकृत नहि होबए देब से चेष्टा तऽ कऽ सकैत छी ।रिपोर्टर डायरी बेवरक मान्यताक कसौटी पर सेहो देखय पडत ।
संस्कृत मे एकटा पंक्ति छैक
, ‘कस्मै देवाय हविषा विधेमई हवि, ई आहुति हम कोन देवताक अर्पित करु ? यानि हमर देवता कोन छथि ? एहि प्रश्नक जवाव महात्मा गान्धीक सूत्र सँ खोजल जा सकैया अर्थात ओ सदिखन अन्तिम मनुष्य (द लास्ट पर्सन)क बात कएलथि ।
ओ कहलन्हि
, ‘जहिया कहियो अहाँ संशय मे पड़ी तऽ ओही समयमे एकटा उपाय करु, गरीब सँ गरीब मनुष्यक चेहरा मोन पारु जकरा कहियो अहाँ देखने होइ आ अपने आप सँ प्रश्न पुछु कि जे कदम अहाँ उठाबय चाहैत छी ओही आदमीकेँ की लाभ पहँुचतै ? ओहि सँ ओकरा की भेटतैक ? एहि सँ ओकर जीवन आ भाग्यमे कोन सहायता भेटतैक ? अहाँ देखब की अहाँक संशय दुर भऽ जाएत ।अर्थात कोनो स्तम्भकारक प्रथम दायित्व आम पाठकक प्रति छैक । अहाँक लेखन सँ आम पाठककेँ की फाइदा पहुँचलै ? आम लोककेँ सरोकारक विषय समेटलै की नहि ? अहाँ ककरा स्तुतिमे लिखि रहल छी ? सुजीत जीक लेखन कार्य सेहो, आम पाठककेँ सरोकार केन्द्रित बुझना जाइछ ।
कुशल पत्रकारक पहिचान इएह छैक की ओ
समाचार सूंघाहुए । अंग्रेजी मे एकरा कहल जाइत छैक – ‘तय जबखभ ब लयकभ ायच तजभ लभधकपत्रकारकेँ समाचार सूंघा होएबाक चाही । पत्रकार जनैया ओकर पाठककेँ की सरोकार छैक, ओकरा कोन तरहे प्रस्तुत कएल जा सकैया ? सुजीतजी मिथिला डट कमक पाठक क स्वाद बुझैत छथि तएँ सरल भाषामे टिप्पणी सभ करैत छथि । एहि मे गम्भीर विषय सभ सेहो जुडल रहैत छैक, मुदा बडा रसगर अन्दाज मे ।
साहित्यिक धरातल सँ पत्रकारिता क्षेत्रमे नव उचाई प्राप्त कऽ रहल सुजीतजीक लेल साहित्यिक रचना हिनकर लेखकीय कौशलक चमत्कृत कऽ दैया कखनो काल ।
रिपोर्टर डायरी जनकपुरक मिठगर आम अछि
, स्वदगर माछ अछि, ग्रहण योग्य पाग अछि, निकगर पावनि तिहार अछि, पुरान मुदा आकर्षक जनकपुरक रेल अछि, सजा कऽ रखयबला न्योतक पत्र अछि, ई कहब अतिसयोक्ति नहि । एकर पन्नापन्नामे पछिलका तीन
÷चारि वर्षक जनकपुरक टटका इतिहास छिरियाएल अछि, जनकपुरक नवका इतिहास सजाओल भार अछि ई पुस्तक । सुजीतजीक उचाई ग्रहण करैत व्यक्तित्वके स्वीकार करही टा पडत, नवतुरिया जमातक रुपमे मात्रेटा मूल्यांकन करब कथमपि न्याय नहि । एकटा लोकप्रिय मैथिली दैनिक पत्रिकाकेँ नम्हर समय सँ सम्पादन कऽ कऽ आ ओ पत्रिकाक लोकप्रिय बनावि अपन सफलताक सामथ्र्य रेखा खिंच चुकल छथि आ स्तम्भ लेखन कऽ कऽ सेहो कीर्तिमान स्थापना कएलन्हि तएँ सुजीतजीक पत्रकारिताक चिडै फुनगी पर चढि रहल अछि ।
मैथिली दैनिक पत्र निकालब कम कठिन नहि । प्रायः मैथिली पत्र पत्रिका बसिया निकलैया ओहन परिप्रेक्ष्यमे एक भिनसरे जनकपुर बासीक हाथ
हाथ मे पहुँचब आ चाहक चुस्कीकँे संगे मैथिली पत्रिकाक आनन्द ग्रहण करेबाक चलन चलाबयकेँ पाछुक संघर्ष बुझब कम कठिन नहि । एकटा दोसर सन्दर्भ मे अकबर इलाहावादी कहने छथि
नही शेख साहिब की वह आदत
वजू की और मुनाजाते सहर की
मगर वो चाय पीकर हस्बेदस्तुर
तिलावत करते है वह
पाएनियरकी
अर्थात पत्रिका पढबाक सौख एतेक बढि गेल अछि कि बुजुर्ग लोकसभ सेहो प्रातः कालमे भजन
पूजा छोडि कऽ अखवारक पाठ करैत छथि, जनकपुरक सन्दर्भमे अकवर इलाहावादीक काव्योक्ति कनि सुधार कऽ कऽ कहल जाय तऽ, जानकी मन्दिरक दर्शन कऽ कऽ लौटनिहार जनक चौकक पत्रिका दोकानमे एक बेर पहुँचबेटा करैत छथि, वा घर पहँुचि कऽ मिथिला डटकम खोजैत छथि । ई कहल जा सकैया पछिलका समयमे जनकपुरमे मैथिली अखवार पढव रुचि विस्तार भऽ रहल छैक । मिथिला डटकम मे रिपोर्टर डायरीविगुलस्तम्भ तहत ई संकलनक बहुत रास सामग्री प्रस्तुत भऽ चुकल अछि ।
संचारमाध्यमक समाजक प्रति की दायित्व छैक
? संचारमाध्यमक कर्तव्यक सम्बन्ध मे पहिल प्रश्न ई पुछल जाइत छैक की मिडियाक कर्तव्य केवल जनमतक प्रकाशन
÷प्रसारण अछि की जनमतक मार्गदर्शन ? साँच पुछल जाए तऽ संचारमाध्यमक तीन प्रधान कर्तव्य अछि पहिला तऽ जनमतकँे प्रदर्शित करब, दोसर जनमत तैयार करब, तेसर जनमतक मार्गदर्शन करब । मिडियाक काज इतिहासकेँ बतवैत चलब सेहो अछि । छोटछोट बात सभ सेहो इतिहास बनवैया । स्वयं जनतामे, जनप्रतिनिधि सभमे, आ सरकारी संस्थासभमे घुसल बिसंगति सभक विरुद्ध जनमत तैयार कएनाई सेहो मिडियाक कर्तव्य अछि । मानहानिक कानून सँ बँचि कऽ जहाँधरि अभिव्यक्त कएनाइ सम्भव भऽ सकैया पत्रकारकेँ जएबाक चाही ।
सरकार आ मिडिया दूनुक काज जन
रंजन, राष्ट्र निर्माण, विश्व कल्याण अछि । लोकतन्त्रक पृष्ठभूमिमे जे दायित्व सरकारक छैक वएह प्रेसोकेँ छैक । प्रेसकेँ इहो कारण सरकार सँ बेसी जिम्मेवारी भऽ सकैया की सरकार तऽ बदलैत रहैत छैक, मुदा पे्रस तऽ निरन्तर सक्रिय रहैया ।
जेहन जनता होइत छैक तेहने सरकार बनैत छैक । ई सच्चाई प्रेस पर सेहो चरितार्थ होइया
, किएक कि नागरिकक नैतिक एवं मानसिक स्तरक अनुरुपहि ओहि देशक प्रेस रहैत अछि । मुदा ई बात ओहि देश मे पाओल जाइया जतय केँ व्यक्तिगत स्वतन्त्रताक आधार पर लोकतन्त्र स्थापित
अछि । जतय राजनीति वा अर्थनीति नियोजित रहैत अछि
, ओतय सरकार वा समाचार पत्र सेहो पूर्व नियोजित चलैत अछि । सार्वजनिक विषय पर सार्वजनिक रुप सँ चर्चा करए लेल प्रत्येक नागरिककेँ अवसर भेटबाक
चाही । ई चर्चा मात्र एकहि माध्यमकेँ द्वारा निर्भिकता पूर्वक भऽ सकैया ओ अछि संचारमाध्यम । ताहि लेल तऽ कहल गेल अछि कि संचारमाध्यमक स्वतन्त्रता केवल पत्रकारिता सँ जुडल लोकक लेल मात्रेटा सरोकारक विषय नहि छैक । अपन विचार प्रकट करबाक स्वतन्त्रता कोनो व्यक्तिक स्वतन्त्रता सँ जुडल विषय छैक । प्रत्येक व्यक्तिक संचार माध्यममे अपन मत प्रकाशित
प्रसारित करवाक स्वतन्त्रता होएबाक चाही मुदा ई अधिकार पूर्णतया निरपेक्ष नहि छैक । वास्तवमे सभ अधिकार सापेक्ष होइत छैक आ ओकरा प्राप्तिक लेल कतेको मर्यादा सभक पालना करय पडैत छैक । रिपोर्टर डायरी लिखनीहार सदैव अप्पन मर्यादाक लक्ष्मण रेखा बीच रहि कऽ कलम चलौने छथि ।
पत्रकारक लेल विश्वसनीयता सभ सँ पैघ पूँजी छैक । कोन बात कोन पत्रकार कहलकै
, ई सभ सँ बेसी महत्व रखैत अछि । विश्वसनियता कोनो लौटरी जकाँ नही प्राप्त भऽ जाइत छैक । ई रातारात होवयबाला चीजो नहि छैक । एकटा नम्हर समयमे पत्रकार विशेषक सम्बन्धमे एकटा छवि जनमानस मे उभरैत छैक तकरा लेल पत्रकारकेँ तऽ बहुत नम्हर परीक्षा सँ बहराय पडैत छैक । तखन जा कऽ विश्वसनियता प्राप्त होइत छैक । जे पत्रकार तथ्यक पाछु रहैया, विभिन्न तथ्य सभक आलोक मे सत्यक खोजी करैया आ ओकरा जनताके बीचमे प्रस्तुत करैया सएह पत्रकार जनताक अभिन्न मित्र कहबैया । लोकमित्रपत्रकार बनवाक लेल जनताक मन जीतय पडैत छैक । ई काज पूर्वाग्रही आ स्वार्थी लेखन सँ सम्भव नही छैक । एडी उठा कऽ कोनो नम्हर बनक कोशिश करे तऽ ओ टिकाउ नहि होइत छैक । दुनिया बहुत छोट छिन भऽ गेल छैक । अहाँके हातमे जौं कलम अछि तऽ जनताक हात मे मूल्यांकन करबाक स्वतन्त्रता छैक, मूल्यांकन करबाक अधिकारकेँ अहाँ हरण नहि कऽ सकैत छी ।
संकलित विषयवस्तुसभमे बहुत रास जनकपुर आ पासपडोसमे केन्द्रित अछि । एकर वावजुद एहि आलेखसभ मे जाहि विषयवस्तुक चर्च कएल गेल अछि
, ओहिमे किछु राष्ट्रिय अछि । जनकपुरमे उठि रहल लोक हिलोरक कम्पनक रेखाचित्र अछि, रिपोर्टर डायरी । एखनुका समयमे पत्रकार विशेष अप्पना क्षेत्रमे काज करैतकरैत, जौं ओकरा मे जिज्ञासु भाव छैक, विश्लेषण करवाक क्षमता छैक, समयकेँ चिन्हि सकैया तखन ओ अप्पना क्षेत्र विशेषक मामिलामे दक्षता सेहो प्राप्त करैया । एहन अवस्थामे एकटा निक रिपोर्टर आ सम्पादक अप्पन रुचीक विषयमे निपुणता प्राप्त करैया, जकर उपयोग पुस्तक लेखनमे सेहो करैया । एहि प्रवृतिक पदयात्री एखन सुजीतजी देखल गेला । रिपोर्टर डायरी प्रकाशन सँ जनकपुर आ मैथिली पत्रकारितामे एकटा नयाँ इतिहास जुड़त ।
लेखकक निजत्व देखय बला बहुत रास प्रसंगक बीच विभिन्न क्षेत्रक आ स्तरक लोकक मनोभाव पढल जा सकैया । एकटा पत्रकारकेँ कोन तरहे घटना सभ प्रभावित करैत छैक
, से देखल जा सकैया । महासंघक चुनाव आ सुनधाराक आनन्दशीर्षक लेखमे पत्रकारिता आ एकर संगठनमे पनपैत विसंगति सभक प्रति कठाक्ष करैत ओ लिखैत छथि, ‘काश हमहुँ सभ दारु पिवैत रहितहुँ, तऽ कतेक पिबतहुँ कतेक पिवतहुँ ...............
किए एतेक महंग भऽ रहल अछि पत्रकारक चुनाव
? सभ्य समाजक कल्पना करयवला कलमजीविसभ स्वयं विकृति बढावयमे तऽ नहि लागल अछि ।
ई संग्रह ओही समयमे प्रकाशित भऽ रहल अछि जखन मिथिला पैघ संक्रमण सँ गुजरि रहल अछि । कतेको समय एहन देखल गेल जखन राजनीतिक दल
, नागरिक समाज, गैससकर्मी, मिडिया आ राष्ट्रसेवक वर्गक भूमिका पर आओर पक्ष द्वारा अांगुर ठाढ़ कएल गेल । सभ क्षेत्र मे अप्पन भूमिका आ महत्व पर मन्थन होएबाक चाहि उपदेश आएल । सुजीतजी वार्तमानक जनकपुरिया पत्रकारिता मादे नेपालीय पत्रकारिताक विसंगति सभकेँ पूर्ण इमान्दारीक संग चित्रित कएने छथि, एहि सँ हुनकर उठान कएल गेल विषयवस्तुक विश्वसनियता बढाओत । केवल उपदेश देल सामग्री लोक नहि रुचिवैया, जौं अपना सँ जुडल आलोचना स्वयं कएल जाइया तखन लोकविश्वास बढैत छैक ।
सल्लाह आवि सकैया
, एहन लिखबाक चाहि, एहन रहितै तऽ नीक, ई छुटि गेल, संकलन बहरयवाक समय नहि भेल छलैक आदि । किछु लोक कहि सकैत छथि, एहि मे कोनो नव विषयवस्तु नहि छैक जे संकलन रुप मे निकालल जाय । मुदा हम जोड सँ कहब, सुजीतजी निक कऽ रहल छथि, निक कएलाह, जनकपुरिया पत्रिकारिताक एहि सँ निक खुराक भेटतै, मैथिली पत्रकारितामे नव इतिहास जुटतै । जखन किछु काज हेतै, तखन नहि विमर्श हेतैक, लेखा जोखा हेतैक, प्रभाव आ परिणामक आकलन कएल जेतैक । सु्जीतजी एकटा लकिर खिचलाह अछि, एहि सँ पैघ खिचि कऽ आगु बढी से नीक कि कहिकहि आत्मरति कएल जाए से निक । अहि प्रयासक बाद ऐहन प्रयासक क्रम बढे, निक समालोचना आवय से आवश्यक अछि, एहि सँ मैथिली आ पत्रकारिता दूनुकेँ लाभ पहुँचतै ।
किछु मामिला मे सुजीतजी आगा बढि गेला । नेपालमे नम्हर समय धरि मैथिली दैनिक पत्रक सम्पादन करबाक इतिहास बनौलन्हि । मिडिया सँ सम्बद्ध पुस्तक बहरौलन्हि । बहुत खुब । जनकपुर नगरक अप्पन विशिष्ट पहिचान छैक । एहि ठामक पत्रकारिताक अप्पन ऐतिहासिकता छैक
, एहि ठामक पत्रकारितामे प्रतिष्पर्धा सेहो बेसिगर छैक, एहि सभक बीच अप्पन मौलिक व्यक्तित्व आर्जन करब कम कठिन नहि । सुजीतजी निक दिशामे बढि रहल छथि, हिनकर पत्रकारिताक भविष्य सुदीर्घ छन्हि । आनो ठामक पत्रकारसभकेँ सेहो एहि मार्ग पर चलबाक लेल प्रेरित करतैक से हमर विश्वास अछि ।
पत्रकारिता जनभावनाक अभिव्यक्ति
, सद्भावक उद्भूति आ नैतिकताक पीठिका अछि । संस्कृति, सभ्यता आ स्वतन्त्रताक वाणीक संगहि ई जीवन मे अभूतपूर्व क्रान्तिक अग्रदुतिका सेहो छैक । एखन मिथिला मे प्रतिवद्ध आ जिम्मेवार पत्रकारिताक आवश्यकता अछि । एहि पुस्तकक बहाने जवावदेह पत्रकारिता पर बहस चलैक आ जनकपुर परिवृतक सरोकारसभ पर खुला एवं स्वस्थ विमर्श भऽ सकैया, एहि मे ई पुस्तकक प्रकाशनक सफलता अछि । अन्ततः हम इएह कहब , ‘सुजीतजीक पत्रकारिता आओर विश्वसनीय हुएँ आ प्रसिद्धिक फुनगी पर चढैत चलि जाइक ।

 
ऐ रचनापर अपन मंतव्य ggajendra@videha.com पर पठाउ।
जवाहरलाल कश्यप-
विहनि कथा
गिद्ध  
 बात बहुत छॊट छलै, ढॊराई कॆ महीस भीमनाथ बाबु कॆ जजात चरि गॆलै/ मुदा छॊट बात छॊट नहि रहि गॆलै भीमनाथ बाबु क्रॊध मॆ ढॊराई कॆ मारि बैसलखिन्ह / हुनकर खायल‍‍‍‍‍‍ पील मजबुत शरीरक एक मुक्का कमजॊर ढॊराई नहि सहि सकल आ मरि गॆल / खॆतक आरि पर ऒकर लाश राखल अछि आ समग्र समाज मॆ हल्ला भ गॆल/ समाज मॆ बहुत लॊक दुखी छल मुदा बहुत गिद्ध अप्पन अप्पन हिस्सा लॆल जॊर घटाव क रहल छल / हरिस्चन्द्र झा अप्पन हिस्सा ल कॊर्ट मॆ झुठ गवाही दॆबय लॆल तैयार छल /महावीर यादव जॆ एरिया कॆ दादा छल अप्पन हिस्सा ल ढॊराई कॆ घरक लॊक पर प्रॆसर बनबय लॆल तैयार छल जॆ कॆश नहि कर / मुखियाजी अप्पन हिस्सा ल पन्चायत मॆ कॆश कॆ रफा दफा करय लॆल तैयार छथि / दरॊगा रामप्रसाद बाबु अप्पन हिस्सा ल कॆश कमजॊर करय लॆल तैयार अछि / डाक्टर लक्छमी अप्पन हिस्सा ल पॊश्टमार्टम मॆ हॆराफॆरी करय लॆल तैयार अछि / वकील मॊहन बाबु अप्पन हिस्सा ल कॊर्ट मॆ दाव पॆन्च दॆखवय लॆल तैयार अछि / महामहिम जज महादॆव बाबु अप्पन हिस्सा ल भीमनाथ बाबु कॆ बचाबय लॆल तैयार छथि/ और बहुत रास गिद्ध अप्पन अप्पन हिस्सा लॆल जॊर तॊर क रहल छथि/


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जगदानन्द झा 'मनु'

                                                                                   चोनहा 
(धारावाहिक मैथिली कथा )

एक गोट एहन स्वाभिमानी किशोरक मर्म कथा,जए अपन माय-बाप कए कनिक लापरवाही कए कारण घोर अन्हार एवं अपार दर्दक दुनियाँ में चली गेल | मुदा अपन सहाश व् कुषार्ग वुधि कए द्वारा ओ ओहि घोर अन्हार एवं दर्दक छाया सँ बाहर निकैल,एक सुखद एवं प्रकाशमान जिवन में चरण बधेलक |        

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                                                                                  भाग १ 
ऋतू राज वशंत कए महिना नहि जाड ,नहि गर्मी,चारुकात बाड़ी-झाड़ी फूल सँ लदल | सेरसों कए पियर-पियर फूल सँ खिलाएल खेत,जेना कोनो  चतुर  कलाकार कए द्वारा बनायल गेल अनुपम कलाकृतिक सुन्नर नमूना हुए | गृहस्थक खेत-खडिहान गहुमक बोझ सँ भरल,मानु साक्षात् लक्ष्मी हँसि रहल छथि |

आँगन में रौद लगाबैक हेतु गहुमक बोझ खोइल-खोइल कs पसारल | भोरक मन-मोहक रौद,ताहि ऊपर छितरल | ओहि पर घरक स्त्रीगन एवं धिया-पुता सब विराजित अमृतमय रौदक आनन्द लैत,प्राकृतिक अमृत लुटैत |

ओहि  पसरल गहुमक डाँट पर करीब दस वर्षक मांशुम संजय अपन दुनु हाथे मांथ कैस कs  पकरने असहाय माथक पीरा सँ कराहैत छटपटायत | ओहि असहाय दर्द पर सँ ओकर माय रैह-रैह कs कहैत -
"जलखै कयले नs,कतेक बेड भs गेलौ |"

असहाय माथक दर्दक पीरा, कष्ट ओय पर सँ मायक रैह-रैह कs जलखैक आग्रहक कान में आबैत शव्द | संजय  कए इ शव्द सुनी आओर बेसी माथ पीरा सँ  फटय लगै | मुदा माय कए धनसन | हुनका जेना संजयक असहाय पिराक कोनो अनुमाने नहि | ओकर कष्ट पर किनको ध्यान नहि, किएक तs इ ओकर नित्यक कथा रहैक | जेना-जेना सूर्यक तेज बरहल जाई तेना-तेना ओकर माथ आओर अधिक पीरा सँ फाटल जाए,ओकर छटपतेनाइक  गति में वृद्धि भेल जाई |

कखनो ओकर बाबी कए नहि देखल जाएन तs एक चुरुक करुतेल माथ में होंसैत देथिन,ओई सँ ओकर माथक पीरा में तs कोनो अंतर नहि होय मुदा दुनु आँखिक कोर सँ नोरक धार बहए लगैक | सायद दर्द एवं पिराक अधिकता सँ अथवा बाबिक हाथक स्नेह स्पर्श सँ | दाँत सँ अपन ठोर कए कटैत जेना दर्द कए अंदर समेटक कोशिस में असफल, सबके रहितो अनाथ, स्नेहक आ दुलारक अनाथ |

जानलेबा दर्द, इ आई-काईल्ह ओकरा सब साल होई छैक | जए कहबै भैर दिन,भैर राइत सेहो नहि | भोरे रौदक तीब्रता कए संग-संग ओकर माथक   दर्द बढल जाई छै ,आ दुफहडिया कए बारह-एक बजे बाद जेना-जेना रौदक तेज कमल जाई छै तेना तेना ओकर दर्द कम भेल जाई छै | बेर खसैत-खसैत एकदम ठिक,फेर अगिला दिन | इ ओकर नित्यक क्रम,मुदा घर में कियोक कान-बाट दैबला नहि | उलटे कियो कहैत -
"हूँ पढैक दुवारे बहाना करैए |"
 कियो कहैत -
"काज करै दुवारे बहाना करैए |"
एनाहियों अपन मिथिलाक कनिआँ-दाई सब कए झगडा-निंदा पर बेसी ध्यान रहैत छैन, अपन बाल-बच्चा पर कम | 
पित्ता कए बाहर कमेनाइये सँ फुरसैत नहि,जए कतौ दखेथिन कि चेक करेथिन | फुरसैत कएकरा लग रहै छैक,ओहेन उईक्त रहबाक चाहि, धिया-पुता सँ स्नेह रहबा चाहि, अपन बच्चाक प्रति अपन कर्तव्य कए समझबा चाहि | खाली मारने-पीटने,खिसियोने बुझु अपन कर्तव्य कए इत्तीश्री भs गेल सए नहि  |
संजय कए ओहि कष्टकारी पीरा एवं दर्द कए सहैत दू वर्ष आओर व्यतीत भs गेल | दर्द कए अधिकता आ भयंकरता में दिनों-दिन वृधिये होएत रहलैक | परन्च ओकर बाबिक एक  चुरुक करुतेल कए आलावा कोनो आन उपचार नहि | 

संजय कए पिता पापी पेट भरै-लेल महानगर दिल्ली प्रवास कs लेला | किछ महिना बाद अपन छोट भाई अर्थात संजय कए पित्ती कए समाद देलखिन -"हमर स्त्री व् धिया-पुता कए नेने आऊ |"
संजय    कए बाल मोन बहुत प्रशन्न भेलैक | एक अपन बाबूजी लग जाएब दोसर दिल्ली,ओहू सब सँ बेसी खुसी रेल पर बैसक | ओहि सँ पाहिले कहियो रेल देखनेहों नहि | अपन दू वर्षीय छोट भाई कए कोरा में नेने आ समतुरिये माँझील 'अजुज' कए संग लेने भैर गाम खुसी सँ सबके नोतैत -''हम दिल्ली जाएब,हम दिल्ली जाएब |"

ओ शुभ दिन आएल,संजय तिनु भाँई,माय,पित्ती संगे दिल्ली आएल | नव लोक,नव जगह संजय कए बर नीक लगलैक | सबकए सब अपन-अपन में व्यस्त भs गेल | संजय कए पिता अपन नोकरी में माय घर आँगन कए काज में | संजय दुनु भाँई कए स्कुल में नाम लिखा गेलैक | 

दिल्लीक गर्मी में संजय कए माथक पीरा आओर बेसिए वृहद् रूप लय लेलकैक  | जतए गाम में वर्ष में एक बेर कष्टदायक पीरा होए छलैक एहिठाम  वर्ष में दू बेर होबए लगलै छ: छ: महिना पर | फरबरी-मार्च महिना में जार ख़त्म भेला पर गर्मीक आगमनक संगे, आ अक्तुबर-नवम्बर में गर्मी ख़त्म भेला बाद जाड़क आगमन कए संगे | एहिठाम एलाक दोसरे वर्ष में एहन भय गेलैक जए संजय कए घर सँ बाहर रौद में निकलैत डर लगैक | डर कि, रौद में जायते देरी माथ दर्द सँ फाटअ लगै | ओकर व्याकुलता व् व्यग्रता देखि माय-बाबु पुछथिन -
"कि होयछौ? मोन ठिक  छौ?"  
"बहुत जोर सँ माथ दुखाइये |" संजय एतबे कही कs रही जए |
माथ  दर्दक कोनो समान्य गोटी दय दएलौंह, तत्यकाल दर्द ठिक भय जए | संजय कए अपना बुईझ परैक जेना दर्द रूपी आइग में पैन पैर गेलै | मुदा दू-तिन दिन बाद ओहिना पहिलका क्रम शुरू, जए-जए रौद बरहल जाई तं-तं ओकर माथक दर्द बरहल जाई | संजय कए अत्यधिक पीरा एवं कष्ट सँ दुखी देख ओकर बाबूजी कैह्तथिन-
"काइल्ह चैल जाइहें, काका सँ दबाई लs लिंहें |'
ओकर  काका एकटा डाक्टर लग कम्पोंडरी करै छलखिन | तैं किएक अपने लय कs कोनो डाक्टर लग जाईतथिन, जए इ लगातार एतेक वर्ष सँ किएक माथक दर्द हैत छैक, कि कमी छैक,कि दिक्कत छैक, मुदा नहि;कि मायए कतौ सँ देखा ऐबतथिन मुदा नहि |

संजय अपन अनुज कए हाथ पकैर दुनु भाँई चैल जाएत काका लग | काका सेहो दुनु बच्चा कए देख बड खुस, बिस्कुट टॉफी किन कs दय देथिन, एक दू रुपया नगदो दय देथिन, वस बाल-मोन ताहि में खुस | संजय अपने तs काका सँ किछु कहियो नहि सकैन, अनुजे काका सँ कहैन- 
"काकायौ, भाईजी कए माथ बड दुखाईत रहैत छैन्ह |"
"हाँ,किएक "- माथ छुबैत काका कहथिन | माथ ऐ दुवारे छुबथिन कि बुखार-तुखार नहि होय,मुदा बुखार नहि रहै |
"कहिया सँ "- काका 
"सब दिन दुखाईत रहैए,बड तेज | भोरे जतेक रौद तेज भेल जाई छै ओतेक बेसी दुखाईये |"- एही बेर संजय अपने बाजल,धिया-पुता ऐ सँ बेसी कि कहतै | ओनाहूँ  संजय बाजै में बर कम खास कs बाप-पित्ती सँ तs आओर कम | लाजे वुझु या धाखे अथबा दरो कैह सकै छी | घर-अँगनाक वातावरण  कए असर धिया-पुताक मस्तिश्य पर पैरे जाएत छैक |
"बस" ! - काका अपने कोनो डिब्बा सँएक मुठ्ठी गोटी निकाइल कs दय देथिन | दू-तिन दिन दबाई खेला सँ दर्द बिलकुल ठिक | जतए आन-आन वर्ष  दू-अडहाई महिना दर्द रूपी राक्षशक सामना करए परै,ओतए ऐ बेर दस-पन्द्रह दिन कए तकलीफ कए बादे, दबाई खेने ठिक भय गेलै |

समय एलै-गेलै | फेर अगिला साल ओहे खिस्सा | पाहिले सँ बेसी बिकराल रुपे संजयक माथक दर्द शुरू ; मुदा किनको कोनो ध्यान नहि | फेर ओ अपन बाबूजी कए कहला उपरांत काका सँ दबाई लय अनलक | दू-चाईर दिन खेला वाद दर्द ठिक |
आब तs इहे नियम भs गेलै | समाय आबै- जाई, संजयो  कए असहाय, अपार पीरा लय कs माथक दर्द आबै,गोटी खए ठिक भs जाई | दिल्ली एला सेहो तिन वर्ष भs गेलै मुदा ओकर माथ दर्दक कोनो स्थाई इलाज नहि |

स्कुल में संजय पढाई में बड तेज, आब ओ वर्ग सात पास कय कs वर्ग आठ में प्रवेश केलक | पाँचमी सँ लगातार सब साल अपन वर्ग में पहिल या दोसर स्थान आने | ओकर अध्यापको सब ओकर खूब प्रसंशा करथिन | मुदा ओ कहियो स्कूलक खेल-कूद में भाग नहि लए,किएक तs स्कुल में अक्सर सब बेट-बाल खेलाई, मुदा ओकरा बेट-बाल कए खेल में बाल सुझबे नहि करै | तैं ओ कि खलेतै? कि बाल पकरतै ? ओकर खेलाई कए स्तर निम्न भs जाई तैं ओ खेलेबे नहि करे |
मुदा इ बात ओ नहि बुईझ पेलक या नहि अनुभब कs सकल जए ओकरा बहुत कम देखाई दै छैक | सब तs केहन बढियाँ खेलाई छै तs ओहे किएक नहि खेलए ? या  ओकरा नहि बाल देखाई दै छै तs किएक नहि? अनुभवों कोना हेतैक, इ बात माय-बाप या गारजनक अनुभब करै बला छै  नहि कि बच्चा कए, अगर बच्चा कए एतेक ज्ञान व् अनुभव भय गेलैक तs बच्चा,बच्चा किएक कहेलक |
एहि वर्ष जहिया सँ संजय वर्ग आठ में प्रवेश कएलक तहिया सँ तs ओकर आँखि दिन पर दिन आओर बेसिए कमजोर होबए लगलैयए |    
स्कुल में ओ सब सँ अगिला बेंच पर बैसैत छल मुदा आई आबई में किछु बिलम्ब भs गेलै तैं दोसर पंक्ति कए बेंच पर बैसअ परलै, मुदा ओहि ठाम सँ ओकरा ब्लैक बोर्ड पर लिखलाहा देखेबे नहि करै |   ओ अपन अध्यापक द्वारा देल गेल किछो सवाल नहि कs पेलक | आई ओकरा अपना अनुभब भेलै जए ओकर आँखि कमजोर छै, कमजोर नहि बड्ड कमजोर छै |

ओ अनुभव केलक जए आन-आन बच्चा पाँचम-छ्थम पंक्ति कए बैंच सँ बैसल सवाल कs रहल अछि मुदा ओकरा दोसरे पंक्ति सँ ब्लैक बोर्ड नहि देखा रहल छै | आई ओकरा ज्ञात भेलै जए ओकरा क्रिकेट कए बाल किएक नहि देखाई दय छै | आई ओ अनुभव केलक जए ओ बस पर किएक नहि चैढ सकै छै | किएक तs ओकरा बसक नम्बरे नहि सुझै | आई ओकरा अनुभव भेलै जए एहि साल वर्ग सात में पिछुलका साल सँ कम नम्बर किएक एलेक | इहे सब सोचैत-सोचैत ओकर मस्तिश्य में बिचारक मंथन होएत रहै | कखन घंटी खतम भेलै,कखन मास्टर साब चैल गेलखिन संजय कए किछो ज्ञात नहि |ओकर ध्यान तs तखन खुजलै जखन कि टिफिन कए घंटी बजलैह | 
सोचैत-सोचैत ओकर माथो बड्ड जोर-जोर सँ दुखे लगलै | दर्द कए अधिकता सँ ओकर दुनु आँखि सँ नोर कए धार बहए लगलै | कोनो-ना ओ अपना कए सम्हारैत मास्टर साब सँ छुट्टी लय कs घर चैल आएल |

घर अबिते स्कुल बैग एक कात फेक चौकी पर मुह नुका कs सुइत रहल, कखन ओ निन्द पैर गेल ओकरा कोनो ज्ञान नहि | घर में कियोक नहि |
बारह बजे माय कतौ सँ गप्प-सप्प कय कs एली तs संजय कए सुतल देखलि, निन्द सँ उठेलिह, ताबत ओकर दर्द आ मोन दुनु स्थीर भs गेल रहै, खेलक-पिलक, दिन बितगेलै |
साँझ खन पढै  लेल बैसल तs आई ओ अनुभब केलक जए  किताब पर ओ एतेक झुकि कs किएक पढैये | जतय कि आन-आन बच्चा  सब पलता माइर एकदम सोझ बैस कs पैढ़ रहल अछि | आब ओ पढत कि, ओकर मस्तिश्य किछ दोसरे सोचै में लागल छैक | आई ओकरा ज्ञात भs गेलै कि ओकर आँखि कमजोर छैक | आब ओ करत तs करत कि ? गुन-धुन, गुन-धुन करैत समाय व्यतीत केलक |

अगिला भिनसार संजय सब दिन जेकाँ सुति कs उठल | रैब दिन रहै, स्कुल बन्दे, बच्चा सब टेलीविजन देखै में लाइग गेल, संजय सेहो टेलीविजन देखय लागल | ओकरा बहुत लग सँ टी वि देखैक आदत छलै | इ ओकर मजबुरी रहैक, किएक तs दूर सँ ओकरा टी वि नहि देखाई | मुदा बच्चाक ज्ञान ओ अपने एही बात कए नहि बुझै आ आगुवए सँ टीवि देखए | माय-बाबु एहि बात कए किएक नहि ध्यान देथिन से तs आब ओहे सब जाँनथि | 

टी वि देखै काल में, किछु छन बाद अनुज आबि संजय कए आगु बैस रहलै | सायद संजय कए नीक सँ सुझहैत रहितै तs अपने पाछु बैस रहिते | मुदा  ओ बिवश छल, ओकरा पाछु भेला सँ टीवी सुझवे नहि करतै, तैं ओ अनुज सँ पछु होई लेल कहलकै | ओहो बच्चा, बच्चाक जिद्द नहि पाछु भेल दुनु बच्चा में झगडा भs गेलैक, एतवा में माय संजय कए कान ऐंठ कs एक चटकन मारैत कहलखिन्ह -
"इ चोनहा कहिं कए हरदम झगरे करैत रहत, छोट भाई छै आगुए बैस रहलै तs कि भय गेलै | पछुए भ जो |"
आब तs संजय कए दुनु आँखि सँ नोरक गंगा-यमुना बहए लगलै | ओकर कान मायक कोनो शव्द नहि सुनलकै,खाली ओकर कान में बेर-बेर "चोनहा"  शव्द गुजय लगलै | आ इ चोनहा ओकर प्राचीन नाम छैक, जखन-जखन ओकरा अपन मायक क्रोधक सामना करय परैक तखन-तखन ओकरा इ चोनहा शव्द सँ विभूषित कएल जाई | आन दिन कोनो बात नहि किएक तs ओ चोनहा शव्द सँ अनभिग्य छल  मुदा आई ओकरा चोनहा शव्दक ज्ञान भs गेल रहै, ओकरा कम सुझै छै तकर ज्ञान भs गेल रहै | ताहि लय कs इ चोनहा शव्द ओकर ह्रदय में शीसा जकाँ भोकए लगलै |

मायो ओकरा चोनहा कोनो करणे कहथिन्ह किएक तs आँखि कए अधिक कमजोर भेला कारणे संजय कए कोनो वस्तु कए देखैक हेतु, आँखि पर बेसि जोड़ देवय परैक ताहि अवस्था में ओकर आँखि कए दुनु पपनी सिकुरि कs अधिक समीप भs जाई | इ बात ओकर माय देखथिन्ह आ ताहि करणे ओकरा चोनहा नाम सँ अलंकृत कय देलखिन्ह | मुदा ओ इना अपन आँखि कए किएक करैयए, एही बात पर किएक ध्यान देथिन ? जखन माये कए अपन बच्चाक प्रति इ जिम्मेवारी तs आनक कि बात, जखन मलिए अपन लगाएल गाछ कए उखारत तs ओहि गाछक भविष्य कतय रहतै |
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आँगाक भाग -अगिला अंक में | पढनाई नहि विसरि,  संजय घोर कष्टकारी माथक दर्द सँ कोना छुटकारा पेलक? ओकर आँखिक कमजोरिक कि भेलै ? एक मांसुम किशोर, एक अनचिन्हार शहर में कोना,सफलता पेलक, व असफलताक गुमनामी कए अन्हार में हरा गेल ?



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"विदेह" मानुषिमिह संस्कृताम् :- मैथिली साहित्य आन्दोलनकेँ आगाँ बढ़ाऊ।- सम्पादक। http://www.videha.co.in/
पूर्वपीठिका : इंटरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ हम कएने रही 2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केर बाद, याहू जियोसिटीजपर 2000-2001 मे ढेर रास साइट मैथिलीमे बनेलहुँ, मुदा ओ सभ फ्री साइट छल से किछु दिनमे अपने डिलीट भऽ जाइत छल। ५ जुलाई २००४ केँ बनाओल “भालसरिक गाछ” जे http://gajendrathakur.blogspot.com/ पर एखनो उपलब्ध अछि, मैथिलीक इंटरनेटपर प्रथम उपस्थितिक रूपमे अखनो विद्यमान अछि। फेर आएल “विदेह” प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका http://www.videha.co.in/पर। “विदेह” देश-विदेशक मैथिलीभाषीक बीच विभिन्न कारणसँ लोकप्रिय भेल। “विदेह” मैथिलक लेल मैथिली साहित्यक नवीन आन्दोलनक प्रारम्भ कएने अछि। प्रिंट फॉर्ममे, ऑडियो-विजुअल आ सूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक द्वारा साहित्यक आदान-प्रदानक लेखकसँ पाठक धरि करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीक साहित्यकेँ सेहो सभ फॉरमपर प्रचार चाही, लोकसँ आ माटिसँ स्नेह चाही। “विदेह” एहि कुप्रचारकेँ तोड़ि देलक, जे मैथिलीमे लेखक आ पाठक एके छथि। कथा, महाकाव्य,नाटक, एकाङ्की आ उपन्यासक संग, कला-चित्रकला, संगीत, पाबनि-तिहार, मिथिलाक-तीर्थ,मिथिला-रत्न, मिथिलाक-खोज आ सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक समस्यापर सारगर्भित मनन। “विदेह” मे संस्कृत आ इंग्लिश कॉलम सेहो देल गेल, कारण ई ई-पत्रिका मैथिलक लेल अछि, मैथिली शिक्षाक प्रारम्भ कएल गेल संस्कृत शिक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-प्रबंधक संग पञ्जी आ मैथिली-इंग्लिश कोषक डेटाबेस देखिते-देखिते ठाढ़ भए गेल। इंटरनेट पर ई-प्रकाशित करबाक उद्देश्य छल एकटा एहन फॉरम केर स्थापना जाहिमे लेखक आ पाठकक बीच एकटा एहन माध्यम होए जे कतहुसँ चौबीसो घंटा आ सातो दिन उपलब्ध होअए। जाहिमे प्रकाशनक नियमितता होअए आ जाहिसँ वितरण केर समस्या आ भौगोलिक दूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे क्रांतिक फलस्वरूप एकटा नव पाठक आ लेखक वर्गक हेतु, पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरम प्रदान कएनाइ सेहो एकर उद्देश्य छ्ल। एहि हेतु दू टा काज भेल। नव अंकक संग पुरान अंक सेहो देल जा रहल अछि। विदेहक सभटा पुरान अंक pdf स्वरूपमे देवनागरी, मिथिलाक्षर आ ब्रेल, तीनू लिपिमे, डाउनलोड लेल उपलब्ध अछि आ जतए इंटरनेटक स्पीड कम छैक वा इंटरनेट महग छैक ओतहु ग्राहक बड्ड कम समयमे ‘विदेह’ केर पुरान अंकक फाइल डाउनलोड कए अपन कंप्युटरमे सुरक्षित राखि सकैत छथि आ अपना सुविधानुसारे एकरा पढ़ि सकैत छथि।
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