गजेन्द्र
ठाकुर
नाटक- गंगा
ब्रिज
गंगा ब्रिज
पात्र:
बच्चा १ जे अभियन्ता
बनैए
बच्चा २
अभियन्ताक मित्र (बादमे मुख्य अभियन्ता बनैए)
बच्चा ३ (जे
बादमे मजदूर बनैए)
मुख्यमंत्री
मीत
बाउ
लाला
दादा
बिलट
इन्जीनियरक
पत्नी
ठिकेदार
मजदूर
शिक्षक (वा
शिक्षिका)१
शिक्षक (वा
शिक्षिका)२
किछु
छात्र-छात्रा
ढोलहो देनहार
डंका बजेनहार
(दूटा लोक)
बतही माए
पैघ भाए
पल्लव एक
स्टेजक एक कात किछु मजदूर सभ खट-खुट कऽ गिट्टी पजेबा तोड़ि
रहल छथि लगैए जे गंगापुलक मरोम्मति भऽ रहल अछि, कारण किछु मजदूर जय माँ गंगे कहि मंचक नीचाँ प्रणाम सेहो कऽ रहल छथि।
स्टेजक दोसर कात दूटा लोक नीचाँ राखल नगाड़ा-ढोलपर चोट दऽ रहल अछि। तखने एकटा ढोलहो
देनहारक प्रवेश।
ढोलहो देनहार : गंगा ब्रिज। पवित्र गंगापर बनल
ऐ पुलक मरोम्मति लेल मजदूर चाही। स्त्री-पुरुष, बाल-वृद्ध सभ कियो आवेदन
दऽ सकै छथि। (ढोलहो दैत) सुनै जाउ, सुनै
जाउ।… गंगा ब्रिज। पवित्र गंगापर बनल ऐ पुलक मरोम्मति लेल
मजदूर चाही। स्त्री-पुरुष, बाल-वृद्ध सभ कियो आवेदन दऽ सकै
छथि।
एकटा लोक (डंका बजेनाइ छोड़ि काज
करैत मजदूर सभकेँ अकानैत ढोलहो देनहार लग अबैए , मुदा दोसर
लोक आस्ते आस्ते डंका बजबिते रहैत अछि): देखै छिऐ जे
काज तँ चलिये रहल छै, तखन फेर?
ढोलहो देनहार: (ओइ लोक दिस ध्यान
नै दैत कृत्रिम रूपसँ बजैत) एतबे मजदूरसँ काज नै चलतै। पूरा पुल हिल रहल छै।
(ढोलहो दैत) सुनै जाउ, सुनै जाउ।… गंगा ब्रिज। पवित्र गंगापर बनल ऐ पुलक मरोम्मति लेल मजदूर चाही।
स्त्री-पुरुष, बाल-वृद्ध सभ कियो आवेदन दऽ सकै छथि।
दोसर लोक (डंका बजेनाइ छोड़ि कऽ
ढोलहो देनहार लग अबैए): एतबे दिनमे कोना ई हाल भऽ गेलै। सुनै
छिऐ जतेक पाया ऐ पुलमे छै ततेक कताक करोड़ टाका एकरा बनबैमे खर्च भेल रहै।
ढोलहो देनहार: (अहू लोक दिस ध्यान
नै दैत कृत्रिम रूपसँ बजैत) काज ढंगसँ नै भेल रहै। सुनै जाउ, सुनै जाउ...। गंगापर बनल ऐ पुलक मरोम्मति लेल मजदूर चाही। स्त्री-पुरुष,
बाल-वृद्ध सभ कियो आवेदन दऽ सकै छथि। सुनै जाउ, सुनै जाउ।
एकटा लोक: (दर्शक दिस तकैत) देखै
छिऐ, जहिया बनिये रहल छलै, बनि कऽ तैयारो नै
भेल रहै, तहियेसँ ऐ पुलक मरोम्मति शुरू छै।
दोसर लोक: (ओइ लोकपर ध्यान नै
दैत दर्शक दिस तकैत) चिप्पीपर चिप्पी पड़ि रहल छै। उद्घाटनसँ
पहिनहिये सँ चिप्पी पड़नाइ शुरू भऽ गेल रहै।
ढोलहो देनहार: (दुनू
लोकपर ध्यान नै दैत आँखि मुनैत बजैत) सरकारी पुल छिऐ, चिप्पी नै पड़तै तँ इन्जीनियर आ ठिकेदारक घरपर छज्जा कोना पड़तै। सुनै जाउ,
सुनै जाउ...।
एकटा लोक: (ढोलहो बल दिस आब
मुँह करैत बजैए) हौ ढोलहोबला, से तँ बुझलिऐ, मुदा से ने कहऽ जे दुनियाँ मे आनो ठाम
पुल बनै छै, से ओतुक्का इन्जीनियर आ ठिकेदारक घरपर छज्जा पड़ै
छै आकि नै हौ।
ढोलहो देनहार: (ओइ
लोक दिस अचकचा कऽ तकैत) किजा ने गेलिऐ, मुदा सुनै छिऐ अंग्रेजबला पुल मजगूत होइ छलै। (दर्शक
दिस तकैत) सुनै जाउ, सुनै जाउ...।
दोसर लोक: (पहिल लोक दिस आब
मुँह करैत बजैए) हौ, अनेरक पाइ आबै छलै लूटिक तँ जे एकाध टा पुल अंग्रेज बनेलकै से मजगूते ने
हेतै हौ।
एकटा लोक: (दोसर लोक दिस आब
मुँह करैत बजैए) ई इन्जीनियर आ
ठिकेदार सभ लूटिमे अंग्रेजसँ कम नै छै, मुदा पुल मजगूत किए नै
बनबै छै हौ। ओइ बनबैमे अंग्रेज सन किए नै छै हौ।
दोसर लोक: (पहिल लोक दिस मुँह
करैत बजैए) मजगूत बना देतै
तँ फेर मरोम्मतिक ठेका कोना भेटतै हौ। (ढोलहो बल दिस आब
मुँह करैत बजैए) की हौ
ढोलहोबला..
ढोलहो देनहार: (दोसर लोकक गपपर
ध्यान नै दैत) किजा ने गेलिऐ। सुनै जाउ, सुनै जाउ...। गंगापर
बनल ऐ पुलक मरोम्मति लेल मजदूर चाही। स्त्री-पुरुष, बाल-वृद्ध
सभ कियो आवेदन दऽ सकै छथि। सुनै जाउ, सुनै जाउ।
(ढोलहो बला चलि जाइए।)
पहिल लोक:आब सरकारो की करतै,
लोके सभ गड़बड़ छै।
दोसर लोक:लोक ककरा कहै छिहीं,
हम आ तूँ।
पहिल लोक: नै रौ। इन्जीनियर आ
ठिकेदार।
दोसर लोक:धुर बूड़ि, आब अंग्रेजक सरकार थोड़बे छै।
पहिल लोक:तँ की अर्थ बदलि जेतै।
दोसर लोक:हँ रौ।
पहिल लोक:तँ इन्जीनियर आ ठिकेदार लोक नै भेलै।
दोसर लोक:नै।
पहिल लोक:तँ की भेलै।
दोसर लोक:ओ सभ भेलै सरकार।
पहिल लोक: धुत्, सरकार मनुक्ख
थोड़े होइ छै।
दोसर लोक:मनुक्खे होइ छै। राजो
महराजा सभ जखन मनुक्खे होइ छलै, अंग्रेजो सभ जखन मनुक्खे होइ
छलै तखन ई तँ स्वतंत्र भारतक सरकार छिऐ।
पहिल लोक:अच्छा, तखन पटना आ दिल्ली मे सरकार छै से की छिऐ रौ।
दोसर लोक:ओहो सरकारे छिऐ।
पहिल लोक:धुर्, ई इन्जीनियर तँ गामेक लोक छै। गामक लोक कतौ सरकार भेलै हँ, गाममे तँ जमीन्दारक अमला टा केँ लोक सरकार कहै छै।
दोसर लोक:आदति छै लोककेँ तेँ
जमीन्दारक अमलाकेँ अखनो सरकार कहै जाइ छै। किछु दिन बिततै, ओकरा
सभकेँ लोक सरकार नै कहतै।
पहिल लोक:तूँ तँ अन्तर्यामी बुझाइ छेँ। आर सभ की
हेतै रौ।
दोसर लोक:सरकार इन्जीनियरकेँ बहाल
केने छै, ठिकेदारसँ काज करबै छै, ई सभ
सरकार छिऐ। ई सभ जे चाहते सएह हेतै।
पहिल लोक:हमरा आ तोरासँ किछु नै
हेतै?
दोसर लोक:हम आ तूँ किछु लोककेँ
चुनबै। ई सभ ओकरा सभक कहलमे रहतै।
पहिल लोक:रौ, सरकारी कर्मचारीमे तँ गामक चौकीदारो छै, ऑफिसक
चपरासीयो छै। तँ ओहो सभ सरकार भऽ गेलै।
दोसर लोक:हँ रौ।
पहिल लोक:तखन अपने सभ खाली लोक
भेलिऐ। जे करतै यएह सभ करतै।
दोसर लोक:अपने सभ चुनबै, आ ओकरा सभक कहलमे ई सभ रहतै।
पहिल लोक:माने अपने सभक कहल मे रहतै (किछु ओकरा
बुझाइ नै छै, मुँहपर भाव अबै-छै जाइ छै।)
दोसर लोक:हँ, सएह ने भेलै।
पहिल लोक: (किछु ओकरा बुझाइ नै छै,
मुँहपर भाव अबै-छै जाइ छै।) देखा चाही सरकारक राज….
पाछाँसँ दू-दूटा तिरंगा झण्डा लेने बच्चा सभ अबैए। संगमे
दूटा शिक्षक छै। एकटा शिक्षक (बा शिक्षिका) आगाँ-आगाँ आ एकटा शिक्षक (बा शिक्षिका)
पाछाँ-पाछाँ चलि रहल छथि। सभ मजदूरकेँ एक-एकटा झण्डा दऽ देल जाइ छै। “ओइ
दुनू टा लोककेँ सेहो एक-एकटा झण्डा देल जाए”- ई गप शिक्षक
इशारामे कहै छथि, मुदा झण्डा घटि गेलै, से ओ दुनू खाली हाथ रहि जाइ छथि आ सभक मुँह ताकऽ लगै छथि।
मजदूरक सोझाँ ओ दुनू लोक ठाढ़ भऽ जाइए आ फेर डंके लग आबि ठाढ़
भऽ जाइए आ आश्चर्यसँ देखऽ लगैए।
त्रिवार्णिक झण्डा लऽ कऽ बाकी सभ गोटे मंचपर छितरा जाइ छथि
आ स्टेजपर ठाढ़ भऽ जाइ छथि। उल्लासक वातावरण सगरे पसरल अछि, दुनू लोककेँ छोड़ि सभक मुँहपर (मजदूर सभक सेहो) हँसी-प्रसन्नता आबि जाइ छै।
जखन सभ ठाढ़ भऽ जाइ छथि तखन दुनू शिक्षक (वा शिक्षिका) बच्चा
सभक आगाँ आ दर्शक सभक सोझाँ ठाढ़ भऽ जाइ छथि।
“१५ अगस्त” ई नारा दुनू
शिक्षक बाजै छथि आ “स्वतंत्रता दिवस” ई
सभ मिलि कऽ (दुनू लोक केँ छोड़ि कऽ) बाजै छथि।
शिक्षक (वा शिक्षिका) १: बौआ-बुच्ची। आइ
ई त्रिवार्णिक झण्डा हमरा सभक हाथमे फहरा रहल अछि। पहिने हम सभ दोसराक अधीन छलौं, पराधीन छलौं, ई झण्डा झुकल छल,
फहरा नै सकै छलौं। झण्डा फहराइत रहए ओइ लेल हमरा सभकेँ जोर लगाबैत रहऽ पड़त। (चारू
दिस हाथ पसारैत) ऐ इलाकामे आब खुशी पसरत। जमीन्दारक राज खतम भऽ गेल। सभ कियो
पढ़ि सकै छथि। झगड़ा-झाँटी, युद्ध, आब सभ
खतम भऽ गेल। हमरा सभक जीवनमे एकटा नवका भोर आएल अछि। नवका शिक्षा, नवका खेतीक चलनि हएत।
शिक्षक (वा शिक्षिका) २: बड़का चिमनीक
धुँआ आ बड़का-बड़का बान्ह। बिलैंतसँ आबैबला सभ समान चिमनीबला फैक्ट्रीमे तैयार हएत।
बड़का-बड़का बान्ह ओइ धारकेँ बान्हि-छेक कऽ सञ्जत कऽ देत। खूब उपजत खेत,
बर्खा बरखत इन्द्रक नै, हमरा सभक प्रतापसँ। खेते-खेत बहत धार,
हएत पटौनी। छोट-पैघक भेद मेटा जाएत।
शिक्षक (वा शिक्षिका) १: छोट-पैघक भेद
मेटा जाएत? बड़का चिमनीक धुँआ आ बड़का-बड़का बान्ह छोट-पैघक भेद मेटाएत?
शिक्षक (वा शिक्षिका) २: हँ। पटौनी हएत
खेते-खेत। बिलैंतसँ आबैबला सभ समान आब एतै चिमनीबला फैक्ट्रीमे तैयार हएत।
शिक्षक (वा शिक्षिका) १: बड़का बान्ह आ
बड़का फैक्ट्रीसँ ढेर रास समस्या सेहो आबै छै। ओकर निदान जरूरी छै। विकास एकभग्गू
भऽ जाएत।
शिक्षक (वा शिक्षिका) २: विकास एकभग्गू
कोना हएत?
शिक्षक (वा शिक्षिका) १: बड़का फैक्ट्री
सभ ठाम नै लागि सकत, कतौ-कतौ लागत, ओतऽ
बोनिहारक पड़ैन हएत। बड़का बान्ह बनलासँ ओकर भीतरक गामसँ सेहो लोकक पड़ैन हएत। बड़का
बान्ह जँ मजगूत नै हएत तँ ओ टूटत आ प्रलय आएत। बड़का फैक्ट्री आ बड़का बान्ह लोकक
जिनगीकेँ छहोछित कऽ देत।
शिक्षक (वा शिक्षिका) २:एक पीढ़ीकेँ तँ
बलिदान देबैए पड़त। बच्चा सभ, बाजै जाउ। अहाँ सभ देश लेल अपनाकेँ
समर्पण करब आकि नै।
शिक्षक (वा शिक्षिका) १: बच्चा सभ, बाजै जाउ, अहाँ सभ की बनऽ चाहै छी। समाजकेँ की देबऽ
चाहै छी।
बच्चा १: हम इन्जीनियर
बनब आ सड़क, पुल, नहर बनाएब। जइसँ लोकक दुःख दूर
हेतै।
बच्चा २: हमहूँ इन्जीनियर बनब।
बड़का-बड़का बान्ह, बड़का-बड़का चिमनीक धुँआ। धुँआ सुंघैमे हमरा बड्ड
नीक लागैए। कतेक नीक दिन आएत, बड़का-बड़का बान्ह, बड़का-बड़का चिमनी देश भरिमे पसरि जाएत।
बच्चा १: मुदा धुँआसँ खोँखी होइ छै। हमर माए खोँखी
करैत रहैए। हमरा धुँआसँ परहेज अछि।
बच्चा २:मुदा हमर माए तँ भनसाघर
जाइतो नै अछि। मुदा हम जाइ छी, चोरा-नुका कऽ, आ धुँआक गंध, बड़का देवार, ई सभ
हमरा बड्ड नीक लगैए।
(एकटा बच्चाक धरफड़ाइत प्रवेश)
बच्चा-३: हमर बकड़ी देखलिऐ यौ।
(सभ चुप्प भऽ ओकरा दिस देखऽ लागैए।)
बच्चा ३: (मुँहपर हाथ रखैत, कने हँसैत) पढ़ाइ होइ छै एतऽ यौ। जय भारत, जय भारत,
जय भारत.. हमर बकड़ी (पाछाँ दिस तकैत).. ओम्हर
देखै छी।
(बच्चा ३ क प्रस्थान)
शिक्षिका २: नीक गप। मुदा विकास केहन हुअए, ई सभ हमरा सभक हाथमे नै अछि। पटना आ दिल्लीमे ई निर्णय हएत जे हमरा सभ लेल
केहन विकास हेबाक चाही।
शिक्षिका १: नीक गप। नीक गप जे हमरा सभक विकास लेल
पटना आ दिल्लीमे सोचल जा रहल अछि। मुदा ओतऽ बैसि कऽ वा एकाध दिनक हलतलबीमे कएल
दौड़ासँ ओ सभ उचित निर्णय लऽ सकता? जे से, मुदा हम
सभ समाज लेल काज करी, से सतत ध्यान रहए। पूरा इमानदारीसँ, जान जी लगा कऽ ऐ देशक इतिहास हमरा सभकेँ बनेबाक अछि, से ध्यान रहए। आइ १५ अगस्त १९४७ केँ हम ई प्रण ली, वचन
दी।
सभ बच्चा: हम सभ वचन दै छी, हम सभ पूरा इमानदारीसँ जान जी लगा कऽ ऐ देशक नव इतिहास लिखब।
(“१५ अगस्त” ई नारा
दुनू शिक्षक बाजै छथि आ “स्वतंत्रता दिवस” ई सभ मिलि कऽ (दुनू लोक केँ छोड़ि कऽ) बाजै छथि,
दुनू लोक मंचक कोनमे कतिआएल सन ठाढ़ छथि। बच्चा आ
शिक्षक सभ मजदूर सभसँ झण्डा आपस लऽ लै छथि। मजदूर सभ फेर बैसि कऽ ठक-ठुक करऽ लगैए।
दुनू लोक ओतै हतप्रभ ठाढ़ रहैए। फेर पर्दाक पाछाँ कोनमे देखऽ लगैए जेना ककरो एबाक
प्रतीक्षा कऽ रहल हुअए। तखने दुनू हरबड़ा कऽ जाइए आ एकटा कुर्सी आनि कऽ राखैए। एकटा
४०-४५ बर्खक अभियन्ता मंचपर अबैए। अभियन्ता कनेक हाँफि रहल अछि, कुर्सी देखिते ओ धबसँ ओइ कुर्सीपर बैसि जाइए। फेर साँस स्थिर कऽ ठाढ़ होइए।
ठक-ठुक बन्द भऽ जाइ छै आ मजदूर सभ फ्रीज भऽ जाइए, ओ दुनू लोक
कोन दिस डंका लग चलि जाइए आ फ्रीज भऽ जाइए। अभियन्ता बाजऽ लगैए।)
अभियन्ता: (कुर्सीकेँ झमाड़ैत) एना। एना हिलि रहल
अछि ई, ई गंगा ब्रिज। सीमेन्ट, बालु, गिट्टीक कंक्रीटसँ बनल ई पुल कठपुलासँ बेशी हिलैए। जहिया आबै छी, मरोम्मतियेक काज चलैत रहै छै। वन-वे, एक दिस; एक्के दिसुका मात्र भऽ कऽ रहि गेल अछि ई। एक्के दिस पुल खुजल छै, दोसर दिस कोना चलत, अदहा पुलपर मरोम्मतिक काज भऽ रहल
अछि। (तखने ओ आभासी रूपमे हिलऽ लगैए आ ओकर बाजब थरथरा उठै छै।) ई पुल तँ
एत्ते हिलि रहल अछि जत्ते गामक कठपुलो नै हिलैए।
(तखने एकटा ठिकेदार अबैए।)
ठिकेदार (अभियन्तासँ): हइ
इन्जीनियर। तोहूँ वएह कऽ वएह रहि गेलेँ। बालुकेँ एना कऽ चालनिसँ चालू, ओना कऽ चालू, जेना ओ चाउर दालि हुअए मुदा हम सेहो
चाललौं। ठीक छै ठीक छै। तूँ कहै छलेँ जे रोटी बनेबा लेल जेना चालै छी तहिना पुल
बनेबा लेल चालू, तखने नीक रोटी सन नीक पुल बनत। ठीक छै ठीक
छै। फेर एतेक सीमेन्ट, एतेक बालु, एतेक..
हम कहने रही जे हम तोहर सभ गप मानब, मुदा तखन नेता, दोसर इन्जीनियर, गुण्डा, एकरा
सभकेँ कमीशन कतऽ सँ देबै? तोरा कहलासँ बालु चालऽ लगलौं आ
कमीशन बन्द कऽ देलिऐ। हमर तँ किछु नै भेल मुदा तोहर बदली भऽ गेलौ, तोहर दरमाहा बन्न भऽ गेलौ। बच्चा सभक नाम स्कूलसँ कटाबऽ पड़लौ, गाम पठाबऽ पड़लौ बच्चा सभकेँ। हम कहने रहियौ तोरा, जे
बालु चालब, एतेक सीमेन्ट, एतेक बालु, सभ निअमसँ देबै। हमरा की? इलाकाक पुल, सड़क… जतेक मजगूत रहतै ततेक ने नीक। हमरो लेल नीके।
मुदा हमरा बूझल छल जे तोहर बदली भऽ जेतौ। चीफ इन्जीनियर, नेताक
दहिना हाथ.. पहिने हमरे कहने रहए तोरा रोलरक नीचाँमे पिचड़ा कऽ दैले.. बइमान चीफ
इन्जीनियर। देख, पहिने हमरो होइ छल जे तोहूँ ओकरे सभ जेकाँ
छेँ, अपन रेट बढ़ाबैले ई सभ कऽ रहल छेँ। मुदा बादमे हम देखलौं
जे नै, तूँ अलग छेँ। मुदा हम की करू?
हम अपन बच्चाक नाम स्कूलसँ नै कटबा सकै छी। मुदा जौँ तोरा सन चीफ इन्जीनियर आबि
जाए.... कहियो से दिन आबए... तखन हम फेरसँ बालु चालब शुरू करब आ वएह चालल बालु,
एत्ते बालु एत्ते सीमेन्टमे मिलाएब। एत्ते बालु, एत्ते सीमेन्ट, सभटा ओहिना जेना अहाँ तूँ कहै छलेँ।
मुदा जखन तोरा सन कियो आबए तखने किने। ताधरि तँ...
(अभियन्ता आ ठिकेदारक प्रस्थान। लागल जेना फ्रीज लोककेँ
अभियन्ता आ ठिकेदारक गपक विषयमे बुझल नै भेलै जेना ई सभ आभाषी छल। दुनूटा लोक
फ्रीज स्थितिसँ घुरि असथिरसँ डंका बजबऽ लगैए आ तखन मजदूर सभ सेहो फ्रीज स्थितिसँ
आपस आबि जाइए आ फेरसँ ठकठुक करऽ लगैए। दुनू लोक डंकाक अबाज आस्ते-आस्ते तेज करऽ
लगैए आ फेर ठक-ठुकक अबाज मद्धिम पड़ि जाइए आ डंकाक अबाजक संग पर्दा खसैए।)
पल्लव दू
(इन्जीनियरिंग कॉलेजक दीक्षान्त समारोह, विद्यार्थी सभ ठाढ़ अछि आ शिक्षक (बा शिक्षिका) भाषण दऽ रहल छथि। अभियन्ता
आ अभियन्ताक मित्र सेहो विद्यार्थी सभ मध्य ठाढ़ अछि।दुनू लोक डंकाक संग कोनमे बैसल
अछि।)
शिक्षक/ शिक्षिका १: अहाँ सभक आइ ऐ
इन्जीनियरिंग कॉलेजमे अंतिम दिन अछि। एतुक्का जीवन आ असल जीवनमे बड्ड अन्तर छै। आब
अहाँ सभकेँ धूरा-गर्दामे जेबाक अछि। काज करबाक अछि। मोन लगा कऽ काज करबाक अछि।
एतेक काज करबाक अछि जे ई खेत सोना उपजाबऽ लागए। लोकक जीवनमे समृद्धि आबि जाए।
दिन-राति नै देखबाक अछि। यएह हमर दक्षिणा हएत। ऐ दीक्षान्त समारोहमे अहाँ सभसँ हम
यएह आग्रह करै छी।
हमर देश, हमर लोक बड्ड मुश्किलसँ स्वतंत्र भेल
अछि। मुदा ई स्वतंत्रता मानसिक रूपसँ आबि जाए तखन ने। आर्थिक रूपसँ हम दोसरासँ
स्वतंत्र भऽ जाइ, ककरो आगाँ हाथ नै पसारऽ पड़ए, बजबाक स्वतंत्रता तखने आबि सकत। अभियन्ता माने बनेनहार, सर्जक। सड़क बनेनहार, नहर बनेनहार, पुला बनेनहार। अभियन्ता माने जोड़ैबला। ई पुल लोककेँ लोकसँ जोड़त। सड़क सभ
बनत। लोकक जीवनमे गति आएत, दौगत जिनगी। नहरि, पोखरिसँ भरल इलाकामे सोना उपजत।
(विद्यार्थी सभक करतल ध्वनि।)
शिक्षक/ शिक्षिका २:अहाँ सभकेँ बड़का-बड़का
काज करबाक अछि। बड़का-बड़का बान्ह बनेबाक अछि। ओहीसँ विकास हेतै, ओहीसँ तेजीसँ विकास हेतै। सगरे विश्वमे अही तरहेँ विकास भेल छै।
भारतकेँ स्वतंत्रता भेटल छै, आ ई स्वतंत्रता तखने काएम रहि
सकत जखन तेजीसँ विकास हएत। आ तेजीसँ विकास हएत बड़का-बड़का फैक्ट्री आ बड़का-बड़का
बान्हसँ।
शिक्षक/ शिक्षिका १: ओना तँ हमरा
विकासक ओइ बड़का पथसँ मतभिन्नता अछि, कारण बड़का फैक्ट्रीमे
हमर लोक मजदूरे बनि कऽ ने रहि जाए, बड़का मजगूत पक्का बान्ह
बनबैमे जतेक पाइ चाही तत्ते ऐ देश लग छैहो नै, तखन बड़का
कच्ची बान्ह कतेक गामकेँ अपन पेटमे लेतै, ओतेक मजगूत नै रहतै,
टुटैत भंगैत रहतै, सदिखन ओकर मरोम्मतिये होइत
रहतै।
शिक्षक/ शिक्षिका २: मुदा मुजफ्फरपुरक
ऐ दीक्षान्त समारोहमे विकासक पथक दिशा नै तय कएल जा सकैए। ओ तँ दिल्ली आ पटनेमे तय
हएत। आब…(जोरसँ बजैत) ऐ
दीक्षान्त समारोहमे सभसँ बेशी नम्बर लऽ कऽ पास केनिहार छात्रकेँ हम बजबऽ चाहै
छियन्हि।
(अभियन्ताकेँ हाथक इशारासँ बजबैए आ मेडल पहिराबैए)।
(विद्यार्थी सभक करतल ध्वनि। शिक्षक/
शिक्षिकाक प्रस्थान।)
अभियन्ताक मित्र: दोस। अभियंत्रणक
पढ़ाइमे तँ तूँ बाजी मारि गेल छेँ। आब असल जिनगी शुरू हएत। देखी ओतऽ के बाजी मारैए।
अभियन्ता: अभियन्ताक जीत छै जे ओकर
बनाएल पुल कतेक मजगूत छै, ओकर बनाएल नहरि आ बान्ह पानिक निकासीमे
बाधा तँ नै दै छै। ओ लोकक जिनगी सुखी बना पाबैए आकि नै। काज समयसँ पूर्ण होइ छै
आकि नै। ओइ परीक्षामे ककरा कतेक नम्बर अबै छै तहीसँ ओकर जीत-हारि निर्धारित हेतै।
अभियन्ताक मित्र: बड़का काजमे कने-मने गलती
तँ होइते रहै छै, हेबे करतै। जे कहीं भाइ, हमरा तँ बड़का छहर, बड़का फैक्ट्री, बड़का चिमनी बड्ड नीक लगैए। धुँआक सुगन्ध तँ हमरा बच्चेसँ नीक लगैए,
तोरा तँ बुझले छौ।
अभियन्ता:आ हमर माएकेँ धुँआसँ
खोँखी होइ छै, हमरा धुँआ नीक नै लगैए। तोरा तँ बुझले छौ।
अभियन्ताक मित्र:देख भाइ, हमरा आ तोरामे की अन्तर अछि। हम तँ ओइ पथपर आगाँ बढ़ि जाएब जे दिल्ली बा
पटना हमरा लेल निर्धारित करत। मजगूत बड़का पक्का बान्ह बनाबैले कहत तँ से बनेबै,
कमजोर बड़का कच्चा बान्ह बनाबैले कहत तँ से बनेबै। जे उपरका हाकिम
कहत से करबै।
अभियन्ता: चाहे ओ नीक हुअए बा
खराप।
अभियन्ताक मित्र: ऊपरमे बैसल छै तँ कोनो
गुण छै तेँ नै बैसल छै। आ गुणी लोक अधला गप किए कहतै?
अभियन्ता:तखन एतऽ पढ़ि कऽ, ज्ञान अर्जित कऽ कऽ की फाएदा?
अभियन्ताक मित्र:छोड़ भाइ।
अभियन्ता:जीत आ हारिमे बड्ड कम
अन्तर होइ छै। जीत आ हारिक परिभाषामे सेहो बड्ड अन्तर छै। जे काज हम गलत बुझै छिऐ,
जे मार्ग हम गलत बुझै छिऐ ओइ काजकेँ हम कोना करब, ओइ मार्गपर हम कोना बढ़ब।
अभियन्ताक मित्र: भाइ, जेना जीत आ हारिक परिभाषा अलग होइ छै तहिना तँ सही आ गलत काज, सही आ गलत मार्गक सेहो अलग-अलग परिभाषा होइत हेतै।
अभियन्ता: होइत हेतै ककरो लेल,
सही तँ सही रहतै आ गलत गलते रहतै।
अभियन्ताक मित्र: देख भाइ। हम तँ सुखितगर
परिवारसँ छी, मुदा तूँ तँ साधारण परिवारसँ छेँ। हम तँ कमाइ-धमाइ
नै करब, गलत-सलत नै करब तैयो हमर परिवारकेँ फर्क नै पड़तै।
मुदा तोरापर तँ पूरा परिवार निर्भर छै, आस लगेने छौ।
अभियन्ता: भाइ, ई स्वतंत्रता तँ सभ लेल आएल छै। तोरा लागै छौ जे हम गरीब छी, आ कियो तेहनो छै जे हमरोसँ बेशी गरीब आ लचार अछि। किछु एहनो छै जे तोरासँ
बेशी धनीक आ सामर्थ्यवान छै।
अभियन्ताक मित्र: जेना..
अभियन्ता: ओ सभ जे सभ आदेश देतै आ
तूँ आँखि मूनि कऽ तकर बात मानबेँ।
अभियन्ताक मित्र:देखहीं।
आब पुरनका जमीन्दारी तँ गेलै। आब जे नबका देश सभ छै ओइमे ओही लोक सभक चलती हेतै जे
नवका व्यवस्थामे पैसि पेतै। जे नवका जमीन्दार चुनावमे जीत जेतै, से बचतै, बा जकर बच्चा नवका सरकारमे आगाँ जेतै से
बचतै। तकरे धन बचते, तकरे ऐश्वर्य काएम रहतै।
अभियन्ता: आ आगाँ बढ़ब माने?
अभियन्ताक मित्र: माने सत्ताक ऊपर,
सत्ताक सीढ़ीक ऊपर, जतेक ऊपर जे चढ़तै से ततेक
पैघ सत्ताबला हेतै। तोरा लग ई मौका आएल छौ आ हमरो लग आएल अछि। मुदा दुनूमे कनी
अन्तर सेहो छै। तोरा सत्ता प्राप्त करबाक छौ आ हमरा सत्ता बचेबाक अछि।
अभियन्ता:की ओइसँ तूँ तृप्त भऽ
जेमे।
अभियन्ताक मित्र:से आइ कोना कहियौ?
से तँ जिनगीक अन्त कालेमे कहल जा सकैए।
अभियन्ता:मुदा जिन्गीक अन्तकालमे
जँ तोरा बुझाउ जे ई सभ सत्ता भ्रम रहए, जे असल तृप्ति नै
भेटल, तखन?
अभियन्ताक मित्र: तखन तखने सोचबै? अखन तँ सएह सोचाएल अछि जे कहलियौ।
अभियन्ता: आ तहिया जँ घुरबाक मोन हेतौ तखन कोना
घुरबेँ?
अभियन्ताक मित्र: चल, पश्चाताप कऽ लेब तहिया। मुदा जँ से तोरा संग हौ? तखन
तूँ कोना घुरबेँ?
अभियन्ता:सही गलत केना भऽ जेतै भाइ।
अभियन्ताक वर्ग: यएह जिद ने तोरा
खा जाउ। आइ खुशीक मौका छै, आइ तूँ जीतल छेँ तेँ आइ तोरे गप सही,
मुदा आइये धरि।
(तखने दुनू लोक डंका बजबऽ लगैए। अभिन्ता, अभियन्ताक
मित्र संग सभ विद्यार्थी मंचसँ बहरा जाइए।)
(बच्चा ३ जे आब पैघ भऽ गेल अछि आ ठेला चलबैए, प्रवेश करैए।)
ठेलाबला: हमर ठेला कियो गुरका कऽ
लऽ गेल। (दुनू लोकसँ) ई भीड़ कतऽ गेलै हौ। पैघ पढ़ाइ बला कॉलेज छिऐ, की बदलतै पढ़ि कऽ, देखा चाही। (दुनू लोकसँ) ठेला
देखलहक हौ हमर। कियो लऽ गेल गुरका कऽ।
(प्रस्थान)
पहिल लोक: (दोसर लोकसँ) रौ,
ई कोन कॉलेज छै रौ।
दोसर लोक:सरकार बनबै छै ई कॉलेज।
पहिल लोक:सरकार बनबै छै?
दोसर लोक:हँ रौ सरकार बनबै छै।
पहिल लोक:मुदा ओ इन्जीनिअर तँ कहै
छलै जे ओ सरकार नै बनत। लोके रहत।
दोसर लोक:मुदा ओकर संगी की कहै छलै
से नै सुनलहीं।
पहिल लोक:सुनलिऐ, ओकरा तँ कनी बेसिये हरबड़ी छलै।
दोसर लोक:एहेन आनो स्कूल कॉलेज छै
रौ, सरकार बनाबैबला।
पहिल लोक:ठीके रौ।
दोसर लोक:हँ रौ ठीके।
पहिल लोक:ओतौ दू तरहक विद्यार्थे
तँ नै हेतै रौ?
दोसर लोक:सभ ठाम दू तरहक
विद्यार्थी रहै छै। एकटा जे सरकार बनि जाइ छै आ दोसर जे लोके बनल रहऽ चाहै छै।
पहिल लोक:आ से सरकारोमे रहै छै की?
आ लोकमे?
दोसर लोक:सरकारोमे लोक रहै छै आ
लोकोमे सरकार।
पहिल लोक: (ओकरा किछु नै फुराइ छै)
एक्के कॉलेज, एक्के स्कूल आ दू तरहक विद्यार्थी?
दोसर लोक: सभ स्कूल आ कॉलेजमे दू
तरहक मास्टर रहै छौ रौ बूड़ि। दू तरहक विचार घुरमैत रहै छै ओइ स्कूल कॉलेजमे।
तरा-उपड़ी..
पहिल लोक:विद्यार्थी सभकेँ तँ
घुरमा लागि जाइत हेतै रौ।
दोसर लोक:घर-पड़ोसी, सेहो तँ स्कूले छिऐ ने रौ बूड़ि। सेहो असरि करतै की नै।
पहिल लोक: (डंकापर एकटा चोट
दैए आ फेर सोच लगैए) असरि करतै? (फेर डंकापर एकटा चोट दैए) असरि करबे करतै।(सोचऽ लगैए) देखा चाही की होइ छै।
(दोसर लोक डंकापर एकटा चोट दैए। पहिल लोक
दोसर दिस ताकऽ लगैए। फेर एकटा चोट पहिल लोक दैए, फेर दोसर
लोक डंकापर चोट दैए। आ फेर दुनूक मुँहपर हँसी आ बेरा-बेरी डंकापर चोट दैत डंकाक
गति बढ़ऽ लगैए। पर्दा खसैत अछि।)
पल्लव तीन
(गामक दृश्य। अंगनामे अभियन्ताक बतही माए आ कनियाँ काकी बैसल
छथि, आ अभियन्ता ठाढ़ अछि।)
कनियाँ काकी: (अभियन्तासँ)
आबऽ बाउ, एतऽ बैसऽ।
बतही माए: आइ अहाँ ऐ गामक
पहिल इन्जीनियर बनि गेलौं। पिता रहितथि तँ कत्ते खुशी होइतथि।
कनियाँ काकी:की करबै कनियाँ, मुदा अहाँक बेटा अछि धरि बापे सन जिदियाह।
बतही माए: से तँ अछिये।
कनियाँ काकी:कियो कतबो भाङठ लगेलकै
मुदा पढ़ाइ पूरा केबे केलक।
बतही माए: गाममे एकटा
एम.एल.ए. भेबो कएल तँ सेहो चण्डाल भऽ गेल। नै जानि कोन अराड़ि ठाढ़ कऽ लेलक। एकटा
दसखत कऽ दितए तँ एतेक कष्ट जे हमर बाबूकेँ पढ़ाइमे भेल से नै होइतए।
कनियाँ काकी:खाली भोट कालमे मोन रहै
छै। तखन कतेक मीठ बोल भऽ जाइ छै यै।
बतही माए: आ बादमे लोककेँ
कहै छै, की होइ छह तोरे भोटसँ जीतल छी।
कनियाँ काकी: से एम.एल.ए.केँ हम सुना
एलियनि हेँ।
बतही माए:कहिया यै।
कनियाँ काकी: से नै बुझलिऐ। बेटाक
दुरागमनमे पीअर बच्चा एम.एल.ए.क अंगनामे ओलबा-दोलबा उठा दै गेलै जे कनियाँक कानबला
हरा गेलै। सिपहिया गेटे बन्न कऽ देलकै जे जावत कानबला नै भेटतै तावत कियो बाहर नै
जा सकैए। मार बाढ़नि।
बतही माए:देखू तँ।
कनियाँ काकी: आ सुनू ने। फेर कानबला
कनियाँक केशमे भेटलै, तखन गेट खोललकै। झाँट बाढ़नि गै दरबारकेँ।
मुदा टटीबाकेँ खूब सुनेलिऐ आ तइ लाथे अपन बाउक कागचपर जे पीअर बच्चा दसखत नै केलक
सेहो सुना देलिऐ।
बतही माए: हमरा बतहिया
कहऽ जाइ लागल अछि। आब बुझौ, बतहियेक बेटा ने इन्जीनियर भेलै।
अभियन्ता: जे भेलै से आब गुजरि गेलै। गामक लोक
पढ़ि जेतै से एम.एल.ए. केँ नै ने सोहेतै। के टहल टिकोरा करतै? लोक आगाँ नै बढ़ए, की ऐ लेल देश स्वतंत्र भेल छै?
बतही माए: सभ अपन-अपन काज
जतनसँ करए, जान-जी लगा कऽ करए।
कनियाँ काकी: की ई गप एम.एल.ए. लऽ नै
छै यै? बतहिया कहतै, देखू तँ..
अभियन्ता: काकी, माएकेँ लोक
बतहिया कहै छै तँ काल्हि हमरो लोक बतहा कहऽ लागत। तैँ डरि कऽ की हम कर्तव्यक पालन
नै करी, बेइमान बनि जाइ?
कनियाँ काकी: नै बच्चा, से तँ आब सभ बुझि गेल छै जे कतेक जिदियाह छह तूँ। जान-जी लगा कऽ काज करत,
से सभकेँ बुझल छै।
(नेपथ्यसँ अबाज- हाकिम आएल अछि कि?)
(पैघ भाए प्रवेश करैत अछि।)
पैघ भाए- बौआ, दलानपर लोक सभ
जुमल अछि। कनी बहार दिस ऐब।
अभियन्ता- अच्छा भाइ।
(माए आ कनियाँ काकीक प्रस्थान आ लोक सभक आगमन।)
दादा:(अभियन्तासँ) हाकिम,
आइ कहऽ तोरा की चाही? टोल, गाम, इलाकामे शोर भऽ गेलै। बड़का-बड़का लोक मुँह तकिते
रहि गेल। मुदा गामक, इलाकाक पहिल इन्जीनियर अपन गामेक भेल।
पहिने हाकिम सभ फिरंगी सभ होइ छलै, ई पीअर बच्चा, एम.एल.ए., ई सभ छोटका जमीन्दार छल, बड़का जमीन्दार सभ एकरा सन-सन जमीन्दारकेँ जखन मोन जोकही पोखरिमे भरि-भरि
राति ठाढ़ कऽ दै छलै। ई हमर हाकिमक कागचपर दसखत नै केलक! भोट
दऽ कऽ जितबै जाइ गेलिऐ, जे गामक, इलाकाक
कल्याण करत, मुदा केलक किछु नै। आब तँ पाँच साल ओकरो पुरि
जेतै, आब देखबै छिऐ। पटना विधानसभामे एक्को बेर नै बाजल
इलाकाक कल्याणक लेल।
लाला: हइ दादा, से नै कहक। एक
बेर बाजल रहए पटना विधासभामे ओ। (व्यंग्यसँ नकल करैत बजैत) हुजूर, हमर खेत नील गाय चरि जाइए, से ओकरा मारै लेल,
डरबै लेल बन्दूकक लाइसेंस देल जाए।
(सभ ठहक्का लगबैए।)
बाउ: हौ लाला। ओहो जमाना छलै, खतम भेलै। कहियो देहसँ बलगर लोकक चलती छलै, फेर
कुल-खानदानक चलती एलै। आब हाथसँ काज करैबलाक समए आएल छै। पढ़ाइ-लिखाइपर रोक लगेने
आब रोक लगतै हौ?
बिलट: हौ बाउ। ठीके
कहै छह। जे हवा बहल छै हौ से कियो रोकि देतै हौ।
बाउ: हौ बिलट।
प्रयास तँ केबे ने केलकै रोकबाक। मुदा हमर इन्जीनियर हाकिम बड्ड जिद्दी छै हौ। आइ
हमर भैयारी जिबैत रहितै तँ देखितहक शान। टोलकेँ माथपर उठा लैतै हौ। गर्द कऽ दैतै
हौ। मुदा बापक कमी कक्का सभ पूरा करतै हौ। रौ मीत, बाउ बच्चाक
दोकानपर जो आ कहिहैं चारि अढ़ैया चिन्नी दरबज्जापर पठाएत, जल्दी।
हमर नाम लिखबा दिहैं।
लाला: से नै हेतऽ, हम्मर नाम लिखबा दिहैं रौ।
दादा- नै रौ, हम्मर नाम।
बिलट- हे, बाउ बच्चा कोनो तोरा सभक
टोलक छिअ। हम्मर नाम लिखबा दिहैं रौ छौड़ा।
मीत- (एक हाथ मोड़ने) एक-एक अढ़ैया चारू गोटेक
नामपर लिखबा देबऽ।
(सभ हँसऽ लगैए।)
ढोलहो देनहार: नवका इन्जीनियर हाकिम आइसँ गामक
बाहरक धारक पुल बनाओत, छोटका पुल। ओकरा सड़कसँ जोड़ल जाएत। सभ
अपन-अपन खेतक माँटि जौँ सड़कपर काटि कऽ देबै तँ जे काज साल भरिमे हेबाक से एक मासमे
भऽ जाएत। सुनै जाउ, सुनै जाउ....। नवका इन्जीनियर हाकिम आइसँ
गामक बाहरक धारक पुल बनाओत, छोटका पुल।
(तखने मजदूर सभ कोदारि लऽ कऽ आबि जाइए,
चारिटा कोदारि एक गोटेक हाथमे बेशी छै, लाला,
दादा, बिलट आ बाउकेँ ओ एक-एकटा कोदारि दऽ दै छै।
सभ काल्पनिक रूपसँ माटि उखारऽ लगै जाइए। मीत सभकेँ देखैत इशारा दैत ढोलहो देनहारक
संग प्रस्थान करैए। अभियन्ता जेबीसँ इन्ची टेप निकालैए आ नाप-जोख करऽ लगैए।)
पल्लव चारि
(पटनामे मुख्यमंत्रीक कार्यालय। मुख्यमंत्री कुर्सीपर बैसल
छथि आ मुख्य अभियन्ता कल जोड़ि कऽ ठाढ़ छथि।)
मुख्यमंत्री- देशकेँ स्वतंत्र भेना कतेक साल
भऽ गेल मुदा पटनामे गंगा नदीपर एकोटा पुल नै बनल। बड्ड प्रयास केलापर ऐबेर एकरा
लेल फण्डक व्यवस्था भेल अछि। अहाँ संग बैसकी ऐ लेल बजाओल गेल अछि जे एकरा लेल जे
टेण्डर देल जाएत तकर छार-भार मुख्य अभियन्ते पर ने रहै छै। अखबारमे विज्ञापन दऽ
दियौ मुदा.. (मुख्य अभियन्ताकेँ बजबै छथि आ कानमे किछु फुसफुसा कऽ कहै छथि)
..बुझि गेलिऐ ने। अपन मोनमाफिक लोककेँ एकर ठेका भेटए। आ अहाँ संगे इन्जीनियरिंग
कॉलेजसँ कतेक रास विद्यार्थी बहरेला, हुनका सभकेँ आब नीक
अनुभव भऽ गेल छन्हि। ओइमे सँ ढङक अभियन्ता सभकेँ आनू जे अपन काज नीक जेकाँ जनैत
होथि।
मुख्य अभियन्ता: हँ, से तँ करैए पड़त। नै तँ ऐ ठिकेदार सभपर लगाम केना कसल हएत।
(मुख्य अभियन्ताक प्रस्थान।)
मुख्यमंत्री: (दर्शक दिस ताकि) ई गंगा ब्रिज
विकासक गति बढ़ा देत। लोक जे शिथिल भऽ बैसल अछि, आवाजाही करऽ लागत। लोकक
दिमाग आवाजाहीसँ खुजतै।
(नेपथ्यसँ तालीक गरगड़ाहटि)
बड्ड मोश्किलसँ स्वतंत्र भेल अछि लोक। मुदा ऐ स्वतंत्रता
लेल जतेक बलिदान देबऽ पड़ल अछि, ओइसँ बेशी बलिदान देमए पड़त ओकरा
बचेबा लेल। ई धार, ई पुल, सभ बलिदान
मंगैत अछि। (मंचक दोसर दिस हाथसँ संकेत करैत) ई गंगा, की बुझाइए बिनु बलिदाने ऐपर पुल बनि सकत? खून चाही
एकरा। की दऽ सकब अहाँ?
(नेपथ्यसँ- हम सभ खून देब, जतेक चाही खून देब।)
मुख्यमंत्री- यएह सुनऽ चाहै छलौं हम। यएह
देखऽ चाहै छी। हम अपन भविष्यक पीढ़ी लेल जतेक बलिदान देब, ततेक बेशी सुखी भविष्यक पीढ़ी हएत।
(मुख्य अभियन्ता अबैए। मुख्यमंत्री दर्शक दिससँ मुँह घुमा
कऽ ओकरा दिस मुँह कऽ लैए।)
मुख्य अभियन्ता: गप भऽ गेल अछि। ठिकेदार कमीशन
दै लेल तैयार अछि।
मुख्यमंत्री: आ लोक बलिदान दै लेल।
(दुनूक ठहक्का।)
मुख्य अभियन्ता: इन्जीनियरक लिस्ट तैयार कऽ रहल
छी। काज करैबला लोक चाही नै तँ ई ठिकेदरबा सभटा लूटि खाएत।
मुख्यमंत्री: कमीशन गछि कऽ कोनो खरीद लेने
अछि ठिकेदरबा। सवारी कसने रहए पड़त। नै तँ लोकक बलिदान खाली चलि जाएत।
(दुनूक ठहक्का)
पल्लव पाँच
(हैल्मेट पहीर कऽ अभियन्ता आ मुख्य अभियन्ताक प्रवेश, हेल्मेट पहिरने मजदूर सभक प्रस्थान।)
अभियन्ता: काजक प्रगतिसँ, काज करबाक तरीकासँ हम खुशी नै छी। नै तँ कोनो प्रकारक सुरक्षाक इन्तजाम अछि
आ ने समानक गुणवत्तापर कोनो ध्यान अछि। काज सेहो सभटा दू नम्बरक भऽ रहल अछि।
सुरक्षाक इन्तजाम रहितए तँ एतेक मजदूर धारमे खसि कऽ, खधाइमे
खसि कऽ मशीनपर खसि कऽ नै मरितए। घाइल मे सँ कतेको केँ बचाओल जा सकै छल। फर्स्ट-ऐड
धरिक व्यवस्था नै अछि। पछिला मास तीस टा मजदूर मरि गेल। एक सालमे तीन सए मजदूर मरि
गेल। मात्र दस गोटेक परिवारकेँ अनुकम्पाक अनुशंसा भेलै। दोसर सभक फाइल जे हम
बढ़ेलौं, तकर की भेलै।
मुख्य अभियन्ता:देखू,
अहाँ हमरा संगे पढ़ै छलौं। अहाँ काबिल इन्जीनियर छी मुदा अहाँ इन्जीनियरिंग धरि
अपनाकेँ सीमित किए नै राखै छी? अहाँ बिना बातक अनुकम्पा आ
अनुदानक मुद्दा किए उठा रहल छी। अहाँ बड़-बरनी फाइल बढ़ा देलिऐ, आब आगाँ की भेलै, किए भेलै, ओइसँ
अहाँकेँ की मतलब अछि?
अभियन्ता: माने? इन्जीनियरिंग
माने मजदूर जानक कोनो मोल नै। बोनिहारक जिनगी चलि गेलै मुदा ओकर परिवार? ओकर की हेतै? ओकर भोजन केना चलतै? ओकर बच्चाकेँ माए-बापक स्नेह कोना भेटतै? काल्हि तँ
दुनू बोनिहार-बोनिहारिन वर-कनियाँ पुलक पायासँ नीचाँ खसि कऽ मरि गेलै। ओकर बच्चाक
भार की सरकारपर नै छै। आ ओ पाइ सरकारक जेबीसँ जेतै, ओइमे अहाँकेँ
कोन नोकसान अछि।
मुख्य अभियन्ता: देखू। एतेक मृतकक संख्या जँ
सोझाँ एतै तँ हमरा आ मुख्यमंत्रीपर आरोप लागत। गधमिसान मचि जेतै। मजदूर सभ
ठाम-ठामक अछि, मुदा जँ समाचार बहरेतै तँ पूरा देशमे आगि लागि जेतै। विश्वमे
बदनामी हेतै। खूनी मोकदमा चलतै। नै हमहीं बचब, नहिये
मुख्यमंत्री बचता। अहाँक चलते ई सभ हेतै। अही दुआरे हम अहाँकेँ अनने रहौं ऐ
प्रोजेक्टमे? एतेक पैघ प्रोजेक्टमे दुइयो हजार बलि गंगा मैया
नै लेथिन्ह? मुदा ऐ प्रोजेक्टक समाप्तिक बाद जे सम्मान हमरा
भेटत ओइमे अहूँक हिस्सा रहत।
अभियन्ता: ओही हिस्सासँ डरा रहल छी हम। सम्मानक
हिस्साक संग ऐ बलिक बा हत्याक हिस्सा सेहो भेटत, ओकर हिस्सा नै
चाहै छी हम।
मुख्य अभियन्ता: अहाँ जे करऽ चाहै छी ओइसँ विकास
रुकत।
अभियन्ता: कोन विकास। कोन मोलपर हएत ई विकास। आ
कतेक दिनक लेल अछि ई विकास।
मुख्य अभियन्ता: दुनियाँमे सभ ठाम अहिना विकास
भेल छै।
अभियन्ता: तेँ ऐ पुलक मरोम्मति उद्घाटन भेलासँ
पहिनहियेसँ हेबऽ लागल छै। तेहेन मजगूत अछि ई विकास।
मुख्य अभियन्ता: (कने जोरसँ)
दुनियाँमे सभ ठाम अहिना विकास भेल छै।
अभियन्ता: तेँ लोक कहऽ लागल अछि जे अंग्रेजक पुल
ठाढ़े छै आ स्वतंत्र भारतक पुल बनैसँ पहिनहिये टूटि रहल छै!
मुख्य अभियन्ता: (जोरसँ) दुनियाँमे
सभ ठाम अहिना विकास भेल छै।
अभियन्ता: तखन तँ लोक बाजऽ
लागत जे अंग्रेजेक राज नीक रहै।
मुख्य अभियन्ता: बाजऽ दियौ।
अभियन्ता: लोक कहत जे सभटा
पाइ अभियन्ता खा गेलै।
मुख्य अभियन्ता: बाजऽ दियौ। अभियन्ता की अपन जेबीमे
राखत, एतै खर्चा करत। बरखा भारतेमे हेतै इंग्लैण्डमे नै।
अभियन्ता: इन्जीनियरिंगक
अलाबे अर्थशास्त्रक सेहो अहाँ अध्ययन केने छी । पोवर्टी एण्ड अनब्रिटिश रूल ऑफ
इण्डिया- दादाभाइ नौरोजी। ड्रेन ऑफ वेल्थक सिद्धान्त। दादाभाइ सोचनहियो नै हेता जे
स्वतंत्र भारतक अभियन्ता लेल ओ ई सिद्धान्त देने छथि।
मुख्य अभियन्ता: माने अहाँक अलाबे सभ गलत छै?
अभियन्ता: नै, हमरा तँ लगैए जे हमरा अलाबे सभ सही छै। मुदा तखन छोट-छोट चीजकेँ पैघ किए
बना रहल छी?
मुख्य अभियन्ता: अहाँ जकरा छोट गप कहै छी, बुझै छी, से छोट नै छै।
अभियन्ता: अहाँक हाथमे
शक्ति अछि। मुख्यमंत्री धरि अहाँक मुट्ठीमे छथि। बदली कऽ दिअ हमर।
मुख्य अभियन्ता: बदली नै कऽ सकै छी। लोक अहाँक
संग अछि। मजदूर अहाँक संग अछि। चुनाव आबैबला छै। मुख्यमंत्रीक आदेश छन्हि, अहाँक बदली हम नै कऽ सकै छी।
अभियन्ता: तखन?
मुख्य अभियन्ता: अहाँक कोनो गप हम नै मानि सकै
छी।
अभियन्ता: तखन?
मुख्य अभियन्ता: तखन देखै छी, बुझब तँ अहाँ नहिये।
पल्लव छह
(मुख्यमंत्री आ मुख्य अभियन्ता बैसल छथि)
मुख्य मंत्री: काजकेँ डिस्टर्ब कऽ रहल अछि।
प्रगतिक विरोधी अछि। एहेन लोक सभकेँ की कहू।
मुख्य अभियन्ता: बदली कऽ दियौ। चुनावमे देरी छै।
लोक बिसरि जाएत।
मुख्यमंत्री: लोक तँ बिसरि जाएत मुदा
विपक्षी पार्टी गप खोधत। एकरा तँ मोन होइए गोली मरबा दिऐ।
मुख्य अभियन्ता: एहेन गलती जुनि करब। भगत
सिंह बनि जाएत।
मुख्यमंत्री: कोना भगत सिंह बनि जाएत?
आब अंग्रेजक शासन थोड़बे छै। प्रगति विरोधी अछि ई इन्जीनियर।
आतंकवादी बना देबै।
मुख्य अभियन्ता: आतंकवादी नै बना सकै
छिऐ। सरकारी कर्मचारी छी, इन्जीनियर छी। पब्लिक थोड़बे छी जे आतंकवादी
बना देबै।
मुख्यमंत्री: करप्शन चार्जमे फँसा
दियौ। छापा मरबा दियौ।
मुख्य अभियन्ता: दू नम्बर पाइ लैते नै
अछि, छापामे खाट टा घरमे भेटत।
मुख्यमंत्री: कोनो तँ कमी हेतै। से
ताकू।
मुख्य अभियन्ता: जिदियाह अछि, यएह कमी छै।
मुख्यमंत्री: तखन मरबाइए दै छिऐ। कोनो
कमी नै छै तँ जीबि कऽ की करत?
मुख्य अभियन्ता: एहेन गलती जुनि करब।
महात्मा गाँधी बनि जाएत। जीजस क्राइस्ट बनि जाएत।
मुख्यमंत्री: कमी ताकू। अहाँ संगे तँ
ओ शुरूसँ पढ़ल अछि। ओकरा नै मारऽ चाहै छी तँ ओकरामे कमी ताकू। आ कमी नै ताकि सकै छी
मारि नै सकै छी तखन की करू। आत्महत्या करबा दियौ?
मुख्य अभियन्ता: आत्महत्या
करैबला जीब नै अछि ओ। जिदियाह अछि।
मुख्यमंत्री: तँ ओकरा मरबा कऽ
आत्महत्या केलक से हल्ला कऽ दियौ।
मुख्य अभियन्ता: ई गप कियो कियो
नै मानत। सभ यएह कहत जे हत्या भेलै।
मुख्यमंत्री: तखन?
मुख्य अभियन्ता: ओकरा मरऽ पड़तै। ओकर हत्या हेतै।
मुख्यमंत्री: आ से नै हत्या लगबाक
चाही आ नहिये आत्महत्या, तखन तँ ओकर बुढारी तक रुकऽ पड़त।
मुख्य अभियन्ता: (क्रूर हँसी हँसैत)
नहिये ओ हत्या हत्या लगतै आ नहिये आत्महत्या। ओ दुर्घटना
लगतै। दुर्घटना… ऐ स्वतंत्र देशमे पब्लिककेँ आतंकवादी बना
कऽ मारल जेतै आ ऐ तरहक लोककेँ दुर्घटनामे।
मुख्यमंत्री: (क्रूर हँसी हँसैत) धऽ दियौ तखन रोलरक निच्चाँमे। मुदा ई समुच्चा घटना एकदम दुर्घटना लगबाक
चाही, लोक जँ बुझि गेल जे मारल गेल छै तँ ठीके अनेरे ओ हीरो
बनि जाएत।
मुख्य अभियन्ता: बहुत दुख हएत हमरा ओकर
मृत्युसँ। हमरे संग पढ़ै छल। बड्ड काबिल इन्जीनियर छल।
(पर्दा)
पल्लव सात
(लाश राखल छै, दूटा बच्चा आ इन्जीनियरक
विधवा हिचुकि रहल अछि।)
बतही माए: छोड़ि गेल...हौ देब। बतहीक बेटा बतहा।
(लाश उघाड़ि कऽ देखैत बेहोश भऽ खसि पड़ैए।)
बाउ-भैयारी गेल। पहलमान कक्काक रहैत भातिज
पिचड़ा भेल पड़ल अछि। हौ भैयारी, की जवाब देबऽ तोरा हौ।
दादा- कहै जाइ छै जे दुर्घटना छिऐ।
दुर्घटनामे एना कऽ पिचड़ा होइ छै। रोलर तँ ओनाहियो अस्थिरसँ चलै छै।
लाला-आइ धरि सुनने छलहक रोलरसँ पिचा कऽ कियो
मरल होइ, रोलरसँ दुर्घटना होइ छै हौ।
बिलट-ककरा बले छाती फुलेबै हौ, ककरा कहबै संघर्ष करै लेल। के करतै मेहनति हौ, के
करतै कानूनक पालन।
मीत-के सत्य बजतै हौ, मुदा नै बजबै तँ हाकिम
की कहत हौ बिलट काका। नै संघर्ष करबै तँ हाकिम की कहतै हौ। नै मेहनति करबै तँ,
नै कानूनक पालन करबै तँ, तँ कोना फुलेबै हाकिमपर
छाती हौ।
पैघ भाए: केहेन चण्डाल
भऽ गेल। पैघ भाए जिबिते छै, आ छोटका छोड़ि गेल। बतहा.. चाटी उठबैले
चन्ना गाछी चलि जाइ छल।हौ, ई पृथ्वी छिऐ, एतऽ बाहरक शक्ति नै आबै छै। एतुक्के लोकक हाथमे छै नीक आ अधला। बेसी अधले
छै तँ अधले नै बनल भेलऽ? पृथ्वी, अकास
ओहिना ठाढ़ छै। ई अन्याय देखियो कऽ भूकम्प नै एलै, अन्हर
बिहाड़ि नै एलै। दुनियाँ अहिना चलैत रहतै। (जेना अन्हर-बिहाड़ि आएल छै, सभ हाथपर मुँह लऽ लैत अछि।)
(बच्चा ३ जे आब मजदूर बनि गेल अछि धरफड़ा कऽ प्रवेश करैत अछि।
आँखि कारी आ नोराएल आ कपड़ा लत्ता फाटल छै।)
मजदूर: नोकरी लेल गेलौं। ठेला चलबैत थाकि
गेलौं। नोकरी लेल ठकि-फुसिया कऽ लै जाइ गेल। भदोही। (भदोही नाम अबिते कूही भऽ जाइए, थरथड़ाइत कानैत स्वरमे बजैए) काज रुकिते लोहाक छड़सँ मारै छल। एक टाइम
खेनाइ। आँखिमे निन्न आएल आकि थापड़। स्वतंत्र देश। स्वतंत्र स्कूल। स्वतंत्र कॉलेज।
(पैघ भाएसँ) की भेलै हौ। मरि गेलै।
पैघ भाए: मारि देलकै।
मजदूर: मारि देलकै बा मरि गेलै, जान तँ निकलिये गेलै ने हौ। किए मारलकै?
पैघ भाए: गंगा पुल, बलि लेलकै ई गंगा पुल।
मजदूर: ढोलहो पीटै छलै, मजदूर चाही, मजदूर चाही। गंगा पुलक मजदूरे बनि जइतौं,
अनेरे भदोही गेलौं, से मोनमे हुअए मुदा आब तँ।
पैघ भाए: भने चलि गेलऽ
भदोही, नै तँ मजदूर सभक ढेर बलि चढ़ल छै। मरि जइतह। आ तकर विरोध ई
इन्जीनियर करितै आ ओहो पिचड़ा भऽ जइतै।
मजदूर: मुदा भदोही सँ जे हमरा सभकेँ छोड़ेलक?
पैघ भाए: ओहो पिचड़ा भऽ
गेल हेतै।
मजदूर: पिचड़ा भऽ गेल हेतै। जाए दैह, जाए दैह भदोही। जौं नै पिचड़ा भेल हेतै तँ बचेबै ओकरा।
(मजदूरक प्रस्थान। फेर आगमन।)
मजदूर: कनी पुल देखितिऐ। कनी पटना देखितिऐ।
जाए दैह, जाए दैह भदोही। जौं नै पिचड़ा भेल हेतै तँ बचेबै
ओकरा।
(पर्दा)
पल्लव आठ
(एक्के पोथीक ढेर रास प्रति लोकार्पण लेल राखल अछि। किताब
मुख्य अभियन्ता द्वारा लिखल छै आ मुख्य मंत्री एकरा रिलीज कऽ रहल छथि। कोनमे डंका
राखल अछि आ दुनू लोक ठाढ़ छथि।)
मुख्यमंत्री: हमरा खुशी अछि। (विश्राम) हमरा
खुशी अछि जे बत्तीस सालक सरकारी सेवाक उपरान्त “गंगा ब्रिज”, ई पोथी मुख्य अभियन्ता मात्र लिखि सकै छथि। कवर नीक, पन्ना नीक, छपाइ नीक। एक-एक पाँती निष्पक्ष। कोनो
इतिहासकार ऐपर आँखि मुनि कऽ विश्वास कऽ सकै छथि। लिखितम्,
लिखितकेँ काटि सकत? गंगा ब्रिजक जे मूल भावना छलै, माने लोककेँ लोकसँ जोड़नाइ, ओकरा मुख्य अभियन्ता पूरा
केलन्हि। आब नै हमहीं मंत्री छी, आ ईहो रिटायर भऽ गेल छथि।
मुदा गंगा ब्रिज ठाढ़ अछि, मुदा गंगामे आब पानिये कम भऽ गेल
अछि। ठीक छै, ई ब्रिज हिल रहल छै, जर्जर
भऽ गेल छै। मुदा आइबला तकनीक तखन कहाँ रहै। नबका मुख्यमंत्री अही गंगाब्रिजक बगलमे
दोसर गंगा ब्रिज बनेबाक घोषणा कऽ देलनि अछि। दुनियाँमे कोन चीज अजर-अमर छै।
ऐ पोथी “गंगा ब्रिज”क
लेखककेँ हम नीकसँ, व्यक्तिगत रूपेँ चिन्है छियन्हि। हमरे
मुख्यमंत्रित्व कालमे ई मुख्य अभियन्ता रहथि। अपन ईमानदारी लेल जानल जाइत रहथि।
(मुख्य अभियन्ता हाथ जोड़ि मुस्की दै छथि।)
हिनके निर्देशनमे ई पुला बनलै। ठीक छै,
ठाक छै। (विश्राम) ठीक छै जे ई पुला किछु दिनमे टूटि जेतै आ बगलेमे नव पुल ठाढ़ भऽ
जेतै। मुदा ओइ टुटल पुलकेँ ई पोथी “गंगा ब्रिज” इतिहासमे अमर कऽ देतै। ऐ पोथीमे हमरो चर्चा मुख्य अभियन्ता केने छथि
(मुस्की दैत) किछु बेशिये बड़ाइ कऽ देने छथि। मुदा हम तँ जनसेवक छी, जनताक सेवा लेल हम जे किछु केलौं तकर वर्णनक कोनो खगता नै छल, ओ तँ हमर कर्तव्य छल। (विश्राम)
फेरसँ मुख्य अभियन्ताकेँ अपन कर्मठ जीवन, ईमानदार चरित्र लेल एकबेर बधाइ दै छियन्हि।
मुख्य अभियन्ता: मुख्यमंत्री जी हमर मेन्टर
रहथि। हिनका लेल हमरा हृदैसँ श्रद्धा अछि। ऐ पोथीमे किछु किछु गोटे द्वारा कएल
किछु अशोभनीय घटनाकेँ छोड़ि देल गेल अछि। इतिहास घृणा पसारबाक माध्यम ने बनि जाए
तैँ। प्रकृतिमे बदलाव एलै, धार सुखा गेल छै, ई
सभ आ आर किछु चीज, जे तकनीकी मुद्दा छै, ऐ पुलपर असरि केलकै। नवका पुल जाधरि बनतै, ताधरि
पुरनका पुल चलिते रहतै। आ ई पोथी पुरनका पुलकेँ अमर कऽ देतै। ओकर पायासँ लऽ कऽ
अन्तिम पुल धरिक फोटो ब्लैक एण्ड ह्वाइट आ रंगीनमे ऐ पोथीमे छै। (विश्राम)
ईमानदारी तँ हेबाके चाही। (मुस्की दैत) मुख्यमंत्रीजी हमरा
अनेरे लज्जित कऽ रहल छथि। जँ ईमानदारी रहै तैँ ने ई पुल एतबो दिन टिकलै। ऐ पोथीमे
तीसे गोटेक नाम परिशिष्टमे देलाछि जे ऐ पुल निर्माणमे अपन बलि देलन्हि। हुनके
लोकनिक स्मृतिमे ई पोथी समर्पित अछि।
एकटा लोक: (डंकापर चोट दैत) आ …
(मजदूर धरफड़ा कऽ प्रवेश करैए।)
मजदूर: कतेकोकेँ मारि देल गेलै, तकर विवरण कतऽ भेटत।
मुख्य मंत्री: (मुस्की दैत) धन्यवाद,
धन्यवाद, धन्यवाद।
दोसर लोक: (डंकापर चोट दैत)
मनुक्खक बलि देनिहार लोकक बलि गंगा मैया मांगि रहल छथि, तेँ
ने सुखाएल जा रहल छथि।
मुख्य अभियन्ता: (मुस्की दैत) धन्यवाद, धन्यवाद, धन्यवाद।
(ढोलहो देनहारक प्रवेश)
ढोलहो देनहार: सुनू-सुनू, सुनै जाउ। गंगा ब्रिजपर मजदूरक जरूरी छै। एक दिसका रस्ता बन्न कऽ कए दोसर
दिसका रिपेयर चलि रहल छै।
मजदूर: (डंकापर चोट दैत) हौ,
जहियासँ ऐ पुलक उद्घाटन भेल छै तहियेसँ रिपेयरक ठक-ठुक शुरू भऽ गेल
छै।
ढोलहो देनहार: सुनै जाउ, सुनै जाउ।
(मजदूर सभ ठक-ठुक कऽ रहल अछि, कोनो आँकड़ पाथर
स्टेजक पाछाँ अन्हारमे फेकैत अछि। कोनो मजदूर जय गंगे बाजि उठैत अछि।)
दोसर लोक: (डंकापर चोट दैत) आ…
मजदूर: कियो भदोहीसँ मजदूरकेँ आजाद कऽ जाइ छै।
कियो गंगा पुलक सोझाँ पिचड़ा भऽ जाइ छै। यएह सभ असल जुल्मी छै। (हाक्रोश करैत) यएह
सभ असल जुल्मी छै हौ, असल जुल्मी। अरे ओइ इन्जीनियर सन लोक आबि
कऽ आशा दिया जाइ छै। नै तँ कहिया ने परिवर्तन आबि जइतै। लोक परिवर्तन आनि दैतै हौ।
(हाक्रोश करैत) असल जुल्मी छै इन्जीनियर सन लोक आबि कऽ आशा दिया जाइ छै।
मुख्य अभियन्ता: (मुस्की दैत) धन्यवाद, धन्यवाद, धन्यवाद।
मुख्य मंत्री: (मुस्की दैत) धन्यवाद,
धन्यवाद, धन्यवाद।
(पटाक्षेप।)
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