भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c)२०००-२०२३. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। Editor: Gajendra Thakur

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Tuesday, January 14, 2014

'विदेह' १४२ म अंक १५ नवम्बर २०१३ (वर्ष ६ मास ७१ अंक १४२) PART VI

. पद्य










कामिनी कामायनी

संग दिअ सदिखन अहिना

संग दिअ सदिखन अहिना ॥
आहाँ कहैत छी जी लेबै त /
बिसरि जायब ओही गड़ैत क्षण के ।
अगिन ,पहाड़ ,खोह ,खधिया,/
बड़,पीपर ,ताड़ , आ पिच्छड़ी/
चढ़ल जतय स ,पिछड़ि गेलहू फेर /
नित दिवसक अपमान भेटल बस /
भरि पायल संसार स मन त /
पड़ा रहल छल स्वास अगाड़ी/
तड़फ़ैत खसल जल बिन मच्छरी/
जरैत रौद /सुलगैत धरती /
खलिए पएर,होश से गुम छल/
करी ने सकल विश्राम कनिकबो /
चलबा लेल उध्यत सदिखन /
चलईत जिमहर नेने मोसाफ़ीर /
कठपुतरी छल ,जानै कक्कर/
मूक, बधिर सन ,बढ़ैत चलै छल /
तजि रहल छल ,संग जे तन के /
बांधी रहल ओकरा मन बलजोरी /
किन्तु एक क्षण एहेनो आयल /
लागल डेग बढ़त नहि एको /
चट्टान लग खसल पड़ल /
दूर ठाढ़ दरिया मुसकायल /
गरा सुखि अवरुद्ध पडल छल /
अयलहू अहा सनेस नेने कीछु/
कहलहू अमृत रस अछि पी लू /बिसरि जाऊ पाछा के बाट सब /
आगा के क्षण हसी का जीबू/

संग देब हम क्षण क्षण अहा के /
तखन हमर हिम्मत छल घूरल/
देव दूत संग सुख सब पाओल /
अहिना चलै चलाबू नैया/
गाबी हम झुमरि जी भरि के ।।
  


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दुखन प्रसाद यादव
छीनाझपटी

मारि‍-काटि‍ बढ़ि‍ रहल दि‍न-दि‍न छीनाझपटी जारी
बुढ़ि‍या-जुअनकीकेँ की कहूँ बुच्‍चीओक दि‍न छै भारी।
की कहि‍यौ दाइ मन होइए नै जीबी मरि‍ जाइ
कि‍यो ने बँचतै आइ टोल-पड़ोसीया सभ भुताह छै आइ।
बरहम देवक कठघारा टुटल दबाइ-उबाइ भेल चाेरी
मोहम्मदोक कठघारा टुटल लूटल मशीन-ति‍जोरी।
मोटर साइकि‍ल घरसँ उठै छै शि‍क्षक पि‍टाइ खाइए
बैंक-ति‍जोरी माल-खजाना थाना आइ लूटाइए।
सरकारोक हाल छै खसता केकरा के देखैए
ओसामा बीन लाखो-हजारो बन्‍दुक छतियबैए।
रक्षक-भक्षक आइ लगैए केना कऽ जीबै दइया
अन्ना-केजरीवाल की करता सभसँ पैघ रूपैआ।
नेता-मंत्री सभ भ्रष्‍ट छै सभ भऽ गेलै चोरे
सुपर बौस तँ सुपर चोर अछि‍ जेकर सभठाॅ सोरे।
चौदह-चौबीस नौजवान सभ दि‍शाहीन भऽ गेल अछि‍
बकरी-पठरू खा खा सभ कोइ साँढ़ भऽ ढेकरैत अछि‍।
शि‍क्षि‍काक अपहरण होइत अछि‍ रेप सरेआम भारी
बुच्‍चि‍या-बुचनी लूटल जाइत अछि‍ देखत के लचारी।
पुलि‍स-आॅफि‍सर सभ देखैए छै वि‍डम्‍बना भारी।
सभकेँ अपन लि‍अए पड़त अपन जि‍म्‍मेदारी
की कहि‍यौ भाय चन्‍द्रशेखर लक्ष्‍मीवाइ बनही आइ।




अजादी सबहक जान छै

जन्‍मसि‍द्ध अधि‍कार हमर अजादी सबहक जान छै
लोकतंत्रक धरोहरि‍ छै ति‍लकक पैगाम छै।
सोनाक चि‍ड़ि‍याँ छल भारत वि‍देशोक नजरि‍ गड़ल
फूटा-फूटा कऽ हमरा लूटलक गुप्‍तक बगि‍या उजड़ल।
पाँच सए बरख यवनक शासनसँ सभठाम कोहराम मचल
दू सए बरख फिंरगी हमरा लूटि‍-लूटि‍ बरबाद केलक।
सोना-चानी कच्‍चा मालसँ भरल खजाना खाली छै
ओकरा पाटैमे अखनि‍ धरि‍ देखि‍यौ तँ तंगहाली छै।
अठारह सए संतावनमे सि‍पाही वि‍द्रोह भेलै
बेरहम अंग्रेज कहूँ की कनेको ऐसँ झुकलै।
गाँधीबाबा आन्‍दोलन सत्‍याग्रह देशमे जब पजरल
शहर-गाम आ चौराहा सभठाम सबहक भृकुटी तनल।
भीतर आन्‍दोलन बाहर नेता जीक फौजक तान छै
अंग्रेज भारत छोड़ूनेहरूचाचाक पैगाम छै।
चन्‍द्रशेखर, खुद्दीराम बोस, पीर अली शहीद भेलै
जालि‍याबाला बागमे शहीद खूनक नदी बहि‍ गेलै।
मजरूल हक जय प्रकाश, लोहि‍या जीक योगदान छै
राजेन्‍द्र बाबू, मोतीलाल, बाबा साहैबक प्रति‍दान छै।
पनरह अगस्‍त उन्नैस सए सैतालीस भारत अजाद भेलै
लालकि‍लासँ नेहरू चाचाक शांति‍क संदेश भेलै।
जाति‍-पाति‍-मजहबसँ उठि‍ कऽ हमरा सभ एकजूट रही
फूट-टूटसँ देश बँचा कऽ भारतकेँ मजगूत करी।
डाक्‍टर कलाम, जगदीश चन्‍द्र, भाभाक तँ बस काम छै
बढ़ू खूब आ देश बँचाबू महा शक्‍ति‍ए हमर मुकाम छै।




बि‍हार अछि‍ सि‍रमौर धरा केर

बि‍हार अछि‍ सि‍रमौर धरा केर महि‍मा एकर महान छै
गौतम वर्द्धमान महावीर वि‍देहक जे धाम छै।
लोकतंत्रक जन्‍मभूमि‍ लि‍च्‍छवीकेँ हम सभ मानै छी
जनप्रि‍य सि‍रमौर कवि‍ वि‍द्यापति‍केँ हम जानै छी।
नालन्‍दा केरि‍ वर्णनमे यात्रीक फहि‍यानक नाम छै
गौतम वर्द्धमान महावीर वि‍देहक जे धाम छै।
मण्‍डन मि‍श्र भारती जीकेँ देश-वि‍देशमे चर्चा छै
प्रथम राष्‍ट्रपति‍ राजेन्‍द्र बाबू कहू केकर नै अर्चा छै।
स्‍वतंत्रताक आन्‍दोलनमे बि‍हारक बड़ जोगदान छै
गौतम वर्द्धमान महावीर वि‍देहक जे धाम छै।
अंग्रेजक सि‍रदर्द वीर कुंमरक नै केतौ जोड़ा अछि‍
योगेन्‍द्र शुक्‍ल बटुकेश्वर दत्त माए भारतीक तोड़ा अछि‍।
खुद्दी राम बोस शदीह पीर अली वीर सपूतक गाम छै
गौतम वर्द्धमान महावीर वि‍देहक जे धाम छै।
राजकुमार लोकनायक जेपी लालू नि‍ति‍शक गाम छै
अनुग्रक श्रीकृष्‍ण कर्पूरी बाबू जगजीवन राम छै।
अब्‍दूल बारी मजरूल हक वि‍धान चन्‍द्रक पैगाम छै
गौतम वर्द्धमान महावीर वि‍देहक जे धाम छै।
सच्‍चि‍द्दा नन्‍द चन्‍दा झा ललि‍त बाबूक बि‍हार अछि‍
बी.पी.मण्‍डल सूरज बाबू भोगेन्‍द्र बाबू प्रयाग अछि‍।
यात्री दि‍नकर रेणुजीकेँ हम सभ दि‍नसँ जानै छी
हरि‍मोहन मणि‍पद्म जगदीश मण्‍डलकेँ पहचानै छी
प्रभाकार डी.पी.यादव जुगनु जकाँ करैत प्रचार छै
गौतम वर्द्धमान महावीर वि‍देहक जे धाम छै।

दुखन प्रसाद यादव
सम्‍पर्क-
गाम-पोस्‍ट, धबही, भाया- नरहि‍या
थाना- लोकही, जि‍ला- मधुबनी
पि‍न- ८४७१०८ (बि‍हार)

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सुबोध कुमार ठाकुर, चाकरी- सी.., हैंठा-बाली (मधुबनी)
केकरा सँ कहबै
रससँ भरल मन,
पानिसँ भरल मेघ भेल कारी रंग,
बरसत कहिया,
हमरो मनक आस पुरत कहिया?
नै प्यासले रहल,
आ नै प्यासे मरल,
अर्द्ध-फुलाएल रहल मनक बगिया,
हमर प्यास मिझाएत कहिया?
रंग-बिरंगक सपनासँ अछि सजल नैना,
केकरासँ कहबै एतेक बियाना,
के पढ़त हमर मनक सेहन्ता भरल पतिया,
केकरासँ कहबै एतेक बतिया
                       

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ओम प्रकाश
गजल
आइ किछु मोन पडलै फेरसँ किए
भाव मोनक ससरलै फेरसँ किए

टाल लागल लहासक खरिहानमे
गाम ककरो उजडलै फेरसँ किए

आँखि खोलू, किए छी आन्हर बनल
नोर देशक झहरलै फेरसँ किए

चान शोभा बनै छै गगनक सदति
चान नीचा उतरलै फेरसँ किए

"ओम" जिनगी अन्हारक जीबै छलै
प्राण-बाती पजरलै फेरसँ किए
- ओम प्रकाश
(दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ)-(ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ)-(दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ)
(फाइलातुन-फऊलुन-मुस्तफइलुन) - १ बेर प्रत्येक पाँतिमे
कहियो तँ हमर घरमे चान एतै
नेनाक ठोर बिसरल गान गेतै

निर्जीव भेल बस्ती सगर सूतल
सुतनाइ यैह सबहक जान लेतै

मानक गुमान धरले रहत एतय
नोरक लपटिसँ झरकिकऽ मान जेतै

सुर ताल मिलत जखने सभक ऐठाँ
क्रान्तिक बिगुलसँ गुंजित तान हेतै

हक अपन "ओम" छीनत ताल ठोकिकऽ
छोडब किया, कियो की दान देतै
- ओम प्रकाश

(दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ)-(ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ)-(ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ)
(मुस्तफइलुन-मफाईलुन-फऊलुन)- प्रत्येक पाँतिमे एक बेर
 
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गंगेश गुंजन
नेता जी बकवास करै छथि

जीहे टा ओ पेटक पाछू
यथा जमीनो नाश करै छथि

कहता हरदम काज बहुत छनि
किछुओ टा ने खास करै छथि

जेहने नेता तेहने जनता
पाँच बर्ख अवकाश करै छथि

भोटजोगाडू राजनीति में
सब कर्मक अभ्यास करै छथि 

अज्ञानी पब्लिक सुनि रहले
नेता जी बकवास करै छथि 

लोक ठकयला जाही ठक सँ
तकरे फेर विश्वास करै छथि

झरकल जनजीवन अकाल मे
नेताजी मधुमास करै छथि

लोकक हृदयक हरियर धरती
सपना सँ आकाश करै छथि

नव गुलामीक बेधल गुंजन
मुक्तिक फेर प्रयास करै छथि






 
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राजदेव मण्‍डल

स्‍वरमे बास

एक दि‍न आएल रही अपने काम
सुनने रही अहाँक नाम
कल्‍पि‍त छल जे मनमे रूप
दरस भेल छल अधि‍क अनूप
मनमे उठैत रहल आह
परबशताक बेड़ीमे कटैत काह
जाए पड़ल दूर संग रहल छाह
पुन: एलौं, नै छेलौं बेपरबाह
केतौ ने चलि‍ रहल पता
अहाँ केतए भऽ गेलौं नि‍पत्ता।
लोक कहैत अछि‍-
अहाँ उड़ि‍ गेलौं आसमानमे
डूमि‍ गेलौं शून्‍यक महागाणमे
खोजि‍ रहल छी बेर-बेर आबि‍
बेचैन छी दरस नै पाबि‍
ताकि‍ रहल छी मेघ बनि‍ अकासमे
अहाँ नि‍श्चय हएब अहीठाम आस-पासमे
जे स्‍वर हएत लग-पास
ओहीमे हएत अहाँक बास
अहाँ नै भेटब कि‍न्‍तु भेटत अवाज
जे खोलि‍ देत अहाँ सभटा राज।

डायरीक पन्ना-

बनेलौं एकटा महल
जइमे छुच्‍छे पैसा गहल।
खन-खन पैसाक खनक
शान्‍ति‍ उड़ि‍ गेल सुनि‍ते झनक
परेम कि‍अए दुख सहत
ओ कि‍एक असगरे रहत
दुनू भागि‍ गेल
हमर सुतल आँखि‍ जागि‍ गेल
मात्र पैसा खन-खना रहल अछि‍
हमरा पाछू गनगना रहल अछि‍।
राति‍-दि‍न केने परेशान
अकच्‍छ भऽ गेल हमर कान
सुतलोमे सुनैत छी वएह तान
जगलोमे ि‍नकलए जान
तँए हम भागि‍ रहल छी
कि‍न्‍तु, कहाँ जागि‍ रहल छी?




डायरीक पन्ना-

एकर की होएत जाँच
ई तँ पूरा-पूरी छै साँच
तँए ने भेल बेपरवाह
नै चाही कोनो गवाह।
यौ सुनि‍ लि‍अ राज
ऐसँ नै चलत काज
केहनो अछि‍ बात
अहाँक चाही संग-साथ
लगा देत कोनो लाथ
कि‍न्‍तु, नै बनत बात
केतबो होएत साँच
लगि‍ जाएत नाच
जनबाक लेल
करबे करत जाँच
केतबो चि‍चि‍याएब
नि‍कलैत रहत आह
साँचोक लेल
दि‍अ पड़त गवाह।




डायरीक पन्ना-

हमर इति‍हास अछि‍ हमरे पास
जइमे देखि‍ सकै छी
हम अपन धरती
आ अपन अकास
अपन सि‍रजन आ अपन नाश।
पूर्वजक कएल काज
छीनल आ छि‍नाएल ताज
राखब गि‍न-गि‍न
बरख, मास आ दि‍न
नीक अधलाह जे केने छी काम
से नै अछि‍ दोसरठाम
सभटा हमर भूत
बनि‍-बनि‍ दूत
अछि‍ हमरे पास
हमर इति‍हास।




डायरीक पन्ना-

केतेक गोट केलक सुधारैक प्रयास
अन्‍तमे टूटि‍ गेल सबहक आस
केते उपाए लगबैत रहल पल-पल
सभ भऽ गेल अन्‍तमे असफल
हारि‍ कऽ हमरा छोड़ि‍ देलक
ऐ काजसँ मुँह मोड़ि‍ लेलक
हुअए लगल चारूभरसँ आघात
ठोकरसँ भऽ गेलौं कात
बि‍लटि‍ गेल सभ राज-काज
हँसैत अछि‍ आब सकल समाज।
आबो जँ नै करब सुधार
डूमि‍ जाएत घर-पलि‍बार
सोचैले भेलौं नाचार
समए कहैए आब करू वि‍चार
सोचै छी जँ ऐ दि‍स
लाजसँ झूकि‍ जाइत अछि‍ शीश
नै छै दोसर कोनो आधार
स्‍वयं कऽ सकै छी अपन सुधार।




डायरीक पन्ना-

जेतए केतौ गेलौं कोनो नि‍मि‍त्त
होइत रहल हमरे जीत
केलौं चढ़ाइ देर-सवेर
जीतते रहलौं बेर-बेर
हमरा सोझा सभ गेल हारि‍
संबन्‍धी सभकेँ देलौं तारि‍
सबहक गाड़ल खुट्टाकेँ देलि‍ऐ उखाड़ि‍
हमर धक्का के लेत सम्‍हारि‍
नामक डंका बजए लगल
हमरे बातपर सभ चलए लगल
ठमकि‍ गेलौं अपने लग आबि‍
कोनो थाह नै रहल छी पाबि‍
हमरा सामने सभ गले हारि‍
हम गेलौं अपनेसँ हारि‍।





डायरीक पन्ना-

कुरसीक पौआ पीठमे गड़ल
हम छी बेकूफ जकाँ पड़ल
कहि‍या ई पीठपर सँ हटत
कहि‍या ई भार घटत
अपन दुख केकरा कहब
आब केते कष्‍ट सहब
जानवर सन कुरसीक खुर
केने जाइत अछि‍ पीठमे भूर
हटा दि‍अ नि‍साँस लेब
आबो नै खड़ा हुअए देब
उठि‍ आब हम ठाढ़ हएब
समैकेँ एना नै गमाएब
ठाढ़ होइते कुरसी टुटत
भऽ सकैए माथो फूटत
भीतरसँ उठि‍ रहल रोष
हमरा नै देब पाछू दोष
आब नै हम सुतले रहब
नै एना झुकल रहब।




डायरीक पन्ना-

केतेक खोजलौं श्रेष्‍ट मीत
जे करत हरपल हि‍त
पुरान छुटैत रहल
नव-नव भेटैत रहल नि‍त।
सभ अपने स्‍वार्थे परेशान
गबैत रहैए अपने गान
अपनेमे जँ एतेक डुमत
केतएसँ रखते प्रीतक मान।
कि‍न्‍तु, आइ भेटल हमर श्रेष्‍ट मीत
जे हमरे भीतर गबै छल गीत।




डायरीक पन्ना-

रहै छल जे संग-साथ
करै छेलौं ओकरासँ बात।
चोटाह छै ई राह
ई गाछी छै बड़ भुताह।
पूरा डरा गेल छल लोक
बाट चढ़ि‍ते धऽ लइ छेलै शोग
हम छेलौं पूरा नि‍डर
लोककेँ भऽ गेल छेलै डर
अन्‍हार होइते काँपै थर-थर
सबेरे भागि‍ जाइत छल घर।
भऽ गेल छै आइ अबेर
अन्‍हरि‍या लेने छै रस्‍ता घेर
भरल मेनमे वि‍कार
बनि‍ नव-नव अकार
आगू शब्‍द गन-गन
राति‍ भेल सन-सन
लोककेँ डरबैत छेलौं
आइ हमहूँ डरा गेलौं
बीच बाटमे भुतही गाछी
आइ हमहूँ घेरा गेलौं।





डायरीक पन्ना-

हि‍ल-मि‍ल फेर फुलवाड़ी
लगा दि‍यौ यौ
रंग-रंग बि‍रंगक पुष्‍प सजा दि‍यौ यौ
एक-एक गाछक अपन इति‍हास छै
एक-एक फूलक अपन सुवास छै
सुगंधसँ चारूभर गमका दि‍यौ यौ
हि‍ल-मि‍ल......

सभमे एक जान छै
एक तान छै
सभमे एक मान छै
सभमे एक गान छै
सूखलकेँ जलसँ पटा दि‍यौ यौ
हि‍ल-मि‍ल......

सभमे एक उल्लास छै
सभमे रस छै आ रसाभास छै
मौलाइलकेँ फेरसँ हरि‍आ दि‍यौ यौ
पवन संगे पुष्‍पकेँ नचा दि‍यौ यौ
हि‍ल-मि‍ल......





केतए छी हम

सैकड़ा नहि‍ हजारक हजार
भरल छै भूतसँ बजार
कीनैत-बेचैत मनुखक मासु-हाड़
कि‍छु चि‍चि‍आइत कि‍छु खसौने घाड़
कि‍छु अछि‍ शान्‍त कि‍छु करए तकरार
कि‍छु हँसैत आ कि‍छु कनैत जार-जार
दाँत-मुँह चमकाबैत
तुरंते भऽ जाइत अछि‍ पार।
हम नुकाएल छी ओहीठाम
जेतए सभ कि‍छुक लगि‍ रहल दाम
नोंचि नेने अछि‍ ओ सभ
हमरा देहक मासु-हाड़
अंग-अंग छोड़ा कऽ
कऽ देने अछि‍ तार-तार
नेने हाथमे हाड़
हँसैत अछि‍ बेसम्‍हार
हम देखै सभ कि‍च्‍छो
कानै छी जार-जार।




अजगर

ससरैत अछि‍ सर-सर
हमरे दि‍स ई अजगर
नेने हमरे देहक नाप
मुँह बौने अजगर साँप
भुखाएल छै तन
कामनासँ भरल मन
एकरा के रोकि‍ सकत
के बीचमे टोकि‍ सकत
तीव्र छै गति‍
चढ़ल छै कुमति
बँचैले चलए पड़त चाल
नै तँ नि‍श्चय धऽ लेत ई काल
करए पड़त कोनो उपचार
नै तँ हमरा घोंटि मारत ढेकार
मुँहसँ नै फुटए बकार
बढ़ा लेलौं अपन देहक अकार
गि‍रत हमरा तँ फटतै पेट
मुइल बापसँ हेतै भेँट।




अकासमे ठाढ़ पंछी

अकासमे उड़ैत पंछी अँटकि गेल अछि
जेना मतिभ्रम भेलासँ ओ भटकि गेल अछि‍
चला रहल अछि पाँखि
एकटक तकैत आँखि
जोर लगौने बढ़बाक लेल
मंजि‍लपर चढ़बाक लेल
ने आगू बढ़ैत अछि‍ ने पाछू
भऽ गेल अछि‍ थीर
बन्‍हा गेल सभ शक्‍ति‍
लगि गेल केहेन पीर
कहि रहल ओकर मति
जे हम बढ़ि‍ रहल छी अपने गति‍।
एकटक तकैत आँखि आ मन
आकि‍ हमहूँ बनि गेलौं ओकरे सन?




बीआ केर पता

सोचैत-सोचैत फाटए हीया
केतए भेटत ऐ गाछक बीआ।
ई अनचि‍न्ह गाछ
हमरा सोझहा करए नाच
देखि कऽ मन करए जाँच
नै भेटत बीआ
तँ नस्‍ल भऽ जाएत नास
टूटि‍ जाएत मनक आस
तकैत-तकैत भेल छी नि‍राश
बि‍तल जाइत बरख आ मास
ओकरे भऽ सकैत अछि‍ पता
जेकरासँ छै असली नाता
वएह कहि‍ सकैत अछि‍
असली अता-पता।





कटैत गाछ

हड़हड़ाइत कटि‍ कऽ गि‍रैत गाछ
चि‍चि‍याइत बजल जे छल साँच।
हम तँ करैत रहलौं सुकरम
कहि‍यो नै केलौं कुकरम
करैत रहलौं उपकार
जइसँ अहाँक सपना हुअए सकार
अहाँ करैत रहलौं उपभोग
हम करैत रहलौं
फल-फूल आदि‍सँ सहयोग
हम केलौं न्‍याय
अहाँ केलौं अन्‍याय
हम केलौं पोषण
अहाँ केलौं शोषण
टुटैत कटैत सहैत अति‍याचार
चुपचाप अहींक लेल तैयार
सतत कर्मरत रहलौं हम
कहि‍यो नै केलौं घमण्‍ड
तैयो अहाँ सभ मि‍लजुलि‍ कऽ
देलौं हमरा प्राणदण्‍ड
हम केहेन छी उदण्‍ड
दोखी नै छी तैयो दण्‍ड।




नमन

हे बसुन्‍धरे शत् शत् नमन
अहाँक आँगन
उपजै सुमन
जइसँ उड़ैत सुगन्‍ध
भऽ ि‍नर्बन्‍ध
गमकि‍ रहल दि‍ग-दि‍गन्‍त
हे बसुन्‍धरे शत् शत् नमन।

अहींक चमनक छी हम कण
अहींक कृपासँ बनल अछि‍ तन
धीरज, शक्‍ति‍ दि‍अ हमरा मन
अहींक समरपि‍त अछि‍ ई तन
हे बसुन्‍धरे शत् शत् नमन।


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सन्दीप कुमार साफी
कविता
बैशाखमे दलानपर
आउ यौ यार, खेलाइ छी तास
बैस कऽ अखन करब की
चलू करै छी टेम पास
बेर झुकतै तँ
जाएब करैले घास
चण्डाल सन रौद लगैए
चारि बाजऽ जा रहल अछि
लगैए अखन एक बाजल अछि
महींस खोलब ओइ बेरमे
पोखरि लऽ जाएब नहाबैले
सुतलोमे गरमसँ नीक नै लागए
खाटोमे उड़ीस करैए
कछर-मछरसँ नीन्द नै अबैए
पुरबा हवा सेहो पेट फुलाबए
घामसँ देखू गंजी भीज गेल
कौआ डाढ़िपर लोल बबैए
मेना जामुनपर झगड़ा करैए
बगड़ा दलानपर ची-चू-ची-चू
गीत सुनाबए
एहन गरम नै देखलौं कहियो
रातिकेँ मच्छड़
दिनकेँ माँछी तंग करैए
आउ यौ यार खेलाइ छी तास

सेवा
मन होइए करितौं
बेटाक बियाह
पुतहु लेल हिक गरल अछि
काज करैत काल आब देह थाकि गेल
भानस करैक
शक्ति नै अछि
बेटी भेली, अप्पन सासुर गेली
असगर अंगनामे नीक नै लगैए
होइत पुतहु तँ
एक हाथ सेवा करितए
मुदा एगो बातक डर लगैए
पुतहुक चर्चा देख टोलमे
अही सेवासँ चित्त हराइए
पढ़ल-लिखल कनियाँ सभ गेल
आदर सत्कार सभ बिसरि गेल
आठ बजेमे, सुति कऽ उठए
चुल्हा अंगना सभ, अहिना पड़ल-
के करए ससुर-भैंसुरक परदा
रीत-रेवाजक उड़ाबए गरदा
एकर देखसी करए, सभ कनियाँ
 नै लागए ननदि, साउसकेँ बढ़ियाँ
 पढ़ल लिखलसँ घास-छिलनी नीक
मन होइए करितौं बेटाक बिआह
पुतहु लेल हिक गरल अछि।

वर बिकाय लगनमे
वरक रेट नै पुछू यौ बाबू
मारा माँछक जेना दाम बढ़ैए
कनीको पढ़ल-लिखल रहल तँ
बेटाबला अप्पन मोँछ सीटैए
लड़कीबलाक खेत बिकाइए
देखू जमाना ताल ठोकैए
दुल्हाक डिमाण्ड अछि,
पाइ सन करीजमा
लिखल-पढ़लमे सभसँ तेज
पँचमामे पाँच बेर
अठमामे आठ बेर
दसमामे दस बेर लड़का फेल
एहनो लड़का लगनमे बिक गेल
वरक रेट नै पुछू यौ बाबू
मारा माँछ जेना दाम बढ़ैए।

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भालचन्द्र झा
आजुक बेटी
कराटेक किलासमे 
एखने-एखने किछु नब गुर सिखलक अछि साइत।
अकास दिस पएर उठा कऽ जखन  किक् मारैत छैक,
तँ करेज मुँहमे आबि जाइत अछि।
जे कहीं अकासमे भूर ने भऽ जाइ।
परम्पराकेँ गोदड़ी बना कऽ
सनातन धर्मक रक्षा करएबला  अकास,
आब जर्जर भऽ गेल छैक।
नब जमानाक कराटेसँ-
मजगूत बनल पएरक छोटछिनो अगातसँ,
कऽ सकैत अछि ओकर नोकसान।
भने जर्जरे
मुदा आइयो  तनल अछि कतेको लोकनिक छप्पर बनि कऽ।
 आश्रित सभक क्रोधसँ-
आबि सकैत छैक बुइकम्प।
मौला सकैत अछि हुनका लोकनिक क्रोधसँ,
नव अंकुरक डिम्भी।
सेकल जा सकैत अछि कतेको राजनैतिक रोटी-
महिला सशक्तिकरणक नामपर।
बेटा-बेटीक सनातनवाद-
हिला सकैत अछि तथाकथित समाजिक अवधारणाकेँ।
तैओ-
ओकर  तरहक आबेसकेँ देखि कऽ
आश्वस्त होइत छी हम, मोनक कुनू कोन्हमे।
जे आब  नपुंसक फुफकारसँ,
छोटकारा पाबक गुर सीखि लेलक अछि ओ।
कराटेक किलासमे
(भालचन्द्र झा, २००८)


 
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विदेह नूतन अंक मिथिला कला संगीत
.  ज्योति झा चौधरी २. राजनाथ मिश्र (चित्रमय मिथिला) .  उमेश मण्डल (मिथिलाक वनस्पति/ मिथिलाक जीव-जन्तु/ मिथिलाक जिनगी)
.
ज्योति झा चौधरी



.
राजनाथ मिश्र
चित्रमय मिथिला (https://sites.google.com/a/videha.com/videha-paintings-photos/ )

.
उमेश मण्डल

मिथिलाक वनस्पति/ मिथिलाक जीव जन्तु/ मिथिलाक जिनगी  (https://sites.google.com/a/videha.com/videha-paintings-photos/ )


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विदेह नूतन अंक गद्य-पद्य भारती  

. मोहनदास (दीर्घकथा):लेखक: उदय प्रकाश (मूल हिन्दीसँ मैथिलीमे अनुवाद विनीत उत्पल)
.छिन्नमस्ता- प्रभा खेतानक हिन्दी उपन्यासक सुशीला झा द्वारा मैथिली अनुवाद
.कनकमणि दीक्षित (मूल नेपालीसँ मैथिली अनुवाद श्रीमती रूपा धीरू आ श्री धीरेन्द्र प्रेमर्षि)
 .तुकाराम रामा शेटक कोंकणी उपन्यासक मैथिली अनुवाद डॉ. शम्भु कुमार सिंह द्वारा
पाखलो

 

बालानां कृते

 
अमित मिश्र
 

हाथी गेलै भोज खाए

एक जंगलमे पण्डीत हाथी
खाली सदिखन पेटक भाथी
एक बेर बकरी केलकै व्रत
भोजनमे एलै हाथी मस्त
भोजनमे आलूक परौठा
खा रहलै चाटि-चाटि औंठा
आँटा खतम आलू निंघटल
पेट एखन आधो नै भरल
घामे-पसीने बकरी कानै
खाली पेट तँ भोजन जानै
अन्तमे बकरी केलक प्रणाम
धन्य प्रभु !आब दियौ विराम
हाथी बाजल "हम नै मानबौ"
और खेबौ, घरो लऽ जेबौ
कानै बकरी, हाथी बजा कऽ
खाइ छै हाथी सूँढ़ नचा कऽ
 
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बच्चा लोकनि द्वारा स्मरणीय श्लोक
.प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त्त (सूर्योदयक एक घंटा पहिने) सर्वप्रथम अपन दुनू हाथ देखबाक चाही, ई श्लोक बजबाक चाही।
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्॥
करक आगाँ लक्ष्मी बसैत छथि, करक मध्यमे सरस्वती, करक मूलमे ब्रह्मा स्थित छथि। भोरमे ताहि द्वारे करक दर्शन करबाक थीक।
.संध्या काल दीप लेसबाक काल-
दीपमूले स्थितो ब्रह्मा दीपमध्ये जनार्दनः।
दीपाग्रे शङ्करः प्रोक्त्तः सन्ध्याज्योतिर्नमोऽस्तुते॥
दीपक मूल भागमे ब्रह्मा, दीपक मध्यभागमे जनार्दन (विष्णु) आऽ दीपक अग्र भागमे शङ्कर स्थित छथि। हे संध्याज्योति! अहाँकेँ नमस्कार।
.सुतबाक काल-
रामं स्कन्दं हनूमन्तं वैनतेयं वृकोदरम्।
शयने यः स्मरेन्नित्यं दुःस्वप्नस्तस्य नश्यति॥
जे सभ दिन सुतबासँ पहिने राम, कुमारस्वामी, हनूमान्, गरुड आऽ भीमक स्मरण करैत छथि, हुनकर दुःस्वप्न नष्ट भऽ जाइत छन्हि।
. नहेबाक समय-
गङ्गे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरू॥
हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु आऽ कावेरी  धार। एहि जलमे अपन सान्निध्य दिअ।
.उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षं तत् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः॥
समुद्रक उत्तरमे आऽ हिमालयक दक्षिणमे भारत अछि आऽ ओतुका सन्तति भारती कहबैत छथि।
.अहल्या द्रौपदी सीता तारा मण्डोदरी तथा।
पञ्चकं ना स्मरेन्नित्यं महापातकनाशकम्॥
जे सभ दिन अहल्या, द्रौपदी, सीता, तारा आऽ मण्दोदरी, एहि पाँच साध्वी-स्त्रीक स्मरण करैत छथि, हुनकर सभ पाप नष्ट भऽ जाइत छन्हि।
.अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरञ्जीविनः॥
अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनूमान्, विभीषण, कृपाचार्य आऽ परशुराम- ई सात टा चिरञ्जीवी कहबैत छथि।
.साते भवतु सुप्रीता देवी शिखर वासिनी
उग्रेन तपसा लब्धो यया पशुपतिः पतिः।
सिद्धिः साध्ये सतामस्तु प्रसादान्तस्य धूर्जटेः
जाह्नवीफेनलेखेव यन्यूधि शशिनः कला॥
. बालोऽहं जगदानन्द न मे बाला सरस्वती।
अपूर्णे पंचमे वर्षे वर्णयामि जगत्त्रयम् ॥
१०. दूर्वाक्षत मंत्र(शुक्ल यजुर्वेद अध्याय २२, मंत्र २२)
आ ब्रह्मन्नित्यस्य प्रजापतिर्ॠषिः। लिंभोक्त्ता देवताः। स्वराडुत्कृतिश्छन्दः। षड्जः स्वरः॥
आ ब्रह्म॑न् ब्राह्म॒णो ब्र॑ह्मवर्च॒सी जा॑यता॒मा रा॒ष्ट्रे रा॑ज॒न्यः शुरे॑ऽइषव्यो॒ऽतिव्या॒धी म॑हार॒थो जा॑यतां॒ दोग्ध्रीं धे॒नुर्वोढा॑न॒ड्वाना॒शुः सप्तिः॒ पुर॑न्धि॒र्योवा॑ जि॒ष्णू र॑थे॒ष्ठाः स॒भेयो॒ युवास्य यज॑मानस्य वी॒रो जा॒यतां निका॒मे-नि॑कामे नः प॒र्जन्यों वर्षतु॒ फल॑वत्यो न॒ऽओष॑धयः पच्यन्तां योगेक्ष॒मो नः॑ कल्पताम्॥२२॥
मन्त्रार्थाः सिद्धयः सन्तु पूर्णाः सन्तु मनोरथाः। शत्रूणां बुद्धिनाशोऽस्तु मित्राणामुदयस्तव।
ॐ दीर्घायुर्भव। ॐ सौभाग्यवती भव।
हे भगवान्। अपन देशमे सुयोग्य आसर्वज्ञ विद्यार्थी उत्पन्न होथि, शुत्रुकेँ नाश कएनिहार सैनिक उत्पन्न होथि। अपन देशक गाय खूब दूध दय बाली, बरद भार वहन करएमे सक्षम होथि आघोड़ा त्वरित रूपेँ दौगय बला होए। स्त्रीगण नगरक नेतृत्व करबामे सक्षम होथि आयुवक सभामे ओजपूर्ण भाषण देबयबला आ नेतृत्व देबामे सक्षम होथि। अपन देशमे जखन आवश्यक होय वर्षा होए आ औषधिक-बूटी सर्वदा परिपक्व होइत रहए। एवं क्रमे सभ तरहेँ हमरा सभक कल्याण होए। शत्रुक बुद्धिक नाश होए आमित्रक उदय होए॥
मनुष्यकें कोन वस्तुक इच्छा करबाक चाही तकर वर्णन एहि मंत्रमे कएल गेल अछि।
एहिमे वाचकलुप्तोपमालड़्कार अछि।
अन्वय-
ब्रह्म॑न् - विद्या आदि गुणसँ परिपूर्ण ब्रह्म
रा॒ष्ट्रे - देशमे
ब्र॑ह्मवर्च॒सी-ब्रह्म विद्याक तेजसँ युक्त्त
आ जा॑यतां॒- उत्पन्न होए
रा॑ज॒न्यः-राजा
शुरे॑ऽबिना डर बला
इषव्यो॒- बाण चलेबामे निपुण
ऽतिव्या॒धी-शत्रुकेँ तारण दय बला
म॑हार॒थो-पैघ रथ बला वीर
दोग्ध्रीं-कामना(दूध पूर्ण करए बाली)
धे॒नुर्वोढा॑न॒ड्वाना॒शुः धे॒नु-गौ वा वाणी र्वोढा॑न॒ड्वा- पैघ बरद ना॒शुः-आशुः-त्वरित
सप्तिः॒-घोड़ा
पुर॑न्धि॒र्योवा॑- पुर॑न्धि॒- व्यवहारकेँ धारण करए बाली र्योवा॑-स्त्री
जि॒ष्णू-शत्रुकेँ जीतए बला
र॑थे॒ष्ठाः-रथ पर स्थिर
स॒भेयो॒-उत्तम सभामे
युवास्य-युवा जेहन
यज॑मानस्य-राजाक राज्यमे
वी॒रो-शत्रुकेँ पराजित करएबला
निका॒मे-नि॑कामे-निश्चययुक्त्त कार्यमे
नः-हमर सभक
प॒र्जन्यों-मेघ
वर्षतु॒-वर्षा होए
फल॑वत्यो-उत्तम फल बला
ओष॑धयः-औषधिः
पच्यन्तां- पाकए
योगेक्ष॒मो-अलभ्य लभ्य करेबाक हेतु कएल गेल योगक रक्षा
नः॑-हमरा सभक हेतु
कल्पताम्-समर्थ होए
ग्रिफिथक अनुवाद- हे ब्रह्मण, हमर राज्यमे ब्राह्मण नीक धार्मिक विद्या बला, राजन्य-वीर,तीरंदाज, दूध दए बाली गाय, दौगय बला जन्तु, उद्यमी नारी होथि। पार्जन्य आवश्यकता पडला पर वर्षा देथि, फल देय बला गाछ पाकए, हम सभ संपत्ति अर्जित/संरक्षित करी।

 विदेह नूतन अंक भाषापाक रचना-लेखन  
इंग्लिश-मैथिली-कोष / मैथिली-इंग्लिश-कोष  प्रोजेक्टकेँ आगू बढ़ाऊ, अपन सुझाव आ योगदान ई-मेल द्वारा ggajendra@videha.com पर पठाऊ।

१.भारत आ नेपालक मैथिली भाषा-वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली .मैथिलीमे भाषा सम्पादन पाठ्यक्रम

.नेपाल भारतक मैथिली भाषा-वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक शैली

१.१. नेपालक मैथिली भाषा वैज्ञानिक लोकनि द्वारा बनाओल मानक
  उच्चारण आ लेखन शैली
(भाषाशास्त्री डा. रामावतार यादवक धारणाकेँ पूर्ण रूपसँ सङ्ग लऽ निर्धारित)
मैथिलीमे उच्चारण तथा लेखन

१.पञ्चमाक्षर आ अनुस्वार: पञ्चमाक्षरान्तर्गत ङ, , , न एवं म अबैत अछि। संस्कृत भाषाक अनुसार शब्दक अन्तमे जाहि वर्गक अक्षर रहैत अछि ओही वर्गक पञ्चमाक्षर अबैत अछि। जेना-
अङ्क (क वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ङ् आएल अछि।)
पञ्च (च वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ञ् आएल अछि।)
खण्ड (ट वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे ण् आएल अछि।)
सन्धि (त वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे न् आएल अछि।)
खम्भ (प वर्गक रहबाक कारणे अन्तमे म् आएल अछि।)
उपर्युक्त बात मैथिलीमे कम देखल जाइत अछि। पञ्चमाक्षरक बदलामे अधिकांश जगहपर अनुस्वारक प्रयोग देखल जाइछ। जेना- अंक, पंच, खंड, संधि, खंभ आदि। व्याकरणविद पण्डित गोविन्द झाक कहब छनि जे कवर्ग, चवर्ग आ टवर्गसँ पूर्व अनुस्वार लिखल जाए तथा तवर्ग आ पवर्गसँ पूर्व पञ्चमाक्षरे लिखल जाए। जेना- अंक, चंचल, अंडा, अन्त तथा कम्पन। मुदा हिन्दीक निकट रहल आधुनिक लेखक एहि बातकेँ नहि मानैत छथि। ओ लोकनि अन्त आ कम्पनक जगहपर सेहो अंत आ कंपन लिखैत देखल जाइत छथि।
नवीन पद्धति किछु सुविधाजनक अवश्य छैक। किएक तँ एहिमे समय आ स्थानक बचत होइत छैक। मुदा कतोक बेर हस्तलेखन वा मुद्रणमे अनुस्वारक छोट सन बिन्दु स्पष्ट नहि भेलासँ अर्थक अनर्थ होइत सेहो देखल जाइत अछि। अनुस्वारक प्रयोगमे उच्चारण-दोषक सम्भावना सेहो ततबए देखल जाइत अछि। एतदर्थ कसँ लऽ कऽ पवर्ग धरि पञ्चमाक्षरेक प्रयोग करब उचित अछि। यसँ लऽ कऽ ज्ञ धरिक अक्षरक सङ्ग अनुस्वारक प्रयोग करबामे कतहु कोनो विवाद नहि देखल जाइछ।

२.ढ आ ढ : ढक उच्चारण र् हजकाँ होइत अछि। अतः जतऽ र् हक उच्चारण हो ओतऽ मात्र ढ लिखल जाए। आन ठाम खाली ढ लिखल जएबाक चाही। जेना-
ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ, ढङ्ग, ढेरी, ढाकनि, ढाठ आदि।
ढ = पढ़ाइ, बढब, गढब, मढब, बुढबा, साँढ, गाढ, रीढ, चाँढ, सीढी, पीढी आदि।
उपर्युक्त शब्द सभकेँ देखलासँ ई स्पष्ट होइत अछि जे साधारणतया शब्दक शुरूमे ढ आ मध्य तथा अन्तमे ढ अबैत अछि। इएह नियम ड आ डक सन्दर्भ सेहो लागू होइत अछि।

३.व आ ब : मैथिलीमे क उच्चारण ब कएल जाइत अछि, मुदा ओकरा ब रूपमे नहि लिखल जएबाक चाही। जेना- उच्चारण : बैद्यनाथ, बिद्या, नब, देबता, बिष्णु, बंश, बन्दना आदि। एहि सभक स्थानपर क्रमशः वैद्यनाथ, विद्या, नव, देवता, विष्णु, वंश, वन्दना लिखबाक चाही। सामान्यतया व उच्चारणक लेल ओ प्रयोग कएल जाइत अछि। जेना- ओकील, ओजह आदि।

४.य आ ज : कतहु-कतहु क उच्चारण जकाँ करैत देखल जाइत अछि, मुदा ओकरा ज नहि लिखबाक चाही। उच्चारणमे यज्ञ, जदि, जमुना, जुग, जाबत, जोगी, जदु, जम आदि कहल जाएबला शब्द सभकेँ क्रमशः यज्ञ, यदि, यमुना, युग, यावत, योगी, यदु, यम लिखबाक चाही।

५.ए आ य : मैथिलीक वर्तनीमे ए आ य दुनू लिखल जाइत अछि।
प्राचीन वर्तनी- कएल, जाए, होएत, माए, भाए, गाए आदि।
नवीन वर्तनी- कयल, जाय, होयत, माय, भाय, गाय आदि।
सामान्यतया शब्दक शुरूमे ए मात्र अबैत अछि। जेना एहि, एना, एकर, एहन आदि। एहि शब्द सभक स्थानपर यहि, यना, यकर, यहन आदिक प्रयोग नहि करबाक चाही। यद्यपि मैथिलीभाषी थारू सहित किछु जातिमे शब्दक आरम्भोमे केँ य कहि उच्चारण कएल जाइत अछि।
ए आ क प्रयोगक सन्दर्भमे प्राचीने पद्धतिक अनुसरण करब उपयुक्त मानि एहि पुस्तकमे ओकरे प्रयोग कएल गेल अछि। किएक तँ दुनूक लेखनमे कोनो सहजता आ दुरूहताक बात नहि अछि। आ मैथिलीक सर्वसाधारणक उच्चारण-शैली यक अपेक्षा एसँ बेसी निकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आदि कतिपय शब्दकेँ कैल, हैब आदि रूपमे कतहु-कतहु लिखल जाएब सेहो क प्रयोगकेँ बेसी समीचीन प्रमाणित करैत अछि।

६.हि, हु तथा एकार, ओकार : मैथिलीक प्राचीन लेखन-परम्परामे कोनो बातपर बल दैत काल शब्दक पाछाँ हि, हु लगाओल जाइत छैक। जेना- हुनकहि, अपनहु, ओकरहु, तत्कालहि, चोट्टहि, आनहु आदि। मुदा आधुनिक लेखनमे हिक स्थानपर एकार एवं हुक स्थानपर ओकारक प्रयोग करैत देखल जाइत अछि। जेना- हुनके, अपनो, तत्काले, चोट्टे, आनो आदि।

७.ष तथा ख : मैथिली भाषामे अधिकांशतः षक उच्चारण ख होइत अछि। जेना- षड्यन्त्र (खडयन्त्र), षोडशी (खोडशी), षट्कोण (खटकोण), वृषेश (वृखेश), सन्तोष (सन्तोख) आदि।

८.ध्वनि-लोप : निम्नलिखित अवस्थामे शब्दसँ ध्वनि-लोप भऽ जाइत अछि:
(क) क्रियान्वयी प्रत्यय अयमे य वा ए लुप्त भऽ जाइत अछि। ओहिमे सँ पहिने अक उच्चारण दीर्घ भऽ जाइत अछि। ओकर आगाँ लोप-सूचक चिह्न वा विकारी (’ / ऽ) लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : पढए (पढय) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय) पडतौक।
अपूर्ण रूप : पढगेलाह, लेल, उठपडतौक।
पढऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पडतौक।
(ख) पूर्वकालिक कृत आय (आए) प्रत्ययमे य (ए) लुप्त भऽ जाइछ, मुदा लोप-सूचक विकारी नहि लगाओल जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।
अपूर्ण रूप : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।
(ग) स्त्री प्रत्यय इक उच्चारण क्रियापद, संज्ञा, ओ विशेषण तीनूमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : दोसरि मालिनि चलि गेलि।
अपूर्ण रूप : दोसर मालिन चलि गेल।
(घ) वर्तमान कृदन्तक अन्तिम त लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप : पढैत अछि, बजैत अछि, गबैत अछि।
अपूर्ण रूप : पढै अछि, बजै अछि, गबै अछि।
(ङ) क्रियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लुप्त भऽ जाइत अछि। जेना-
पूर्ण रूप: छियौक, छियैक, छहीक, छौक, छैक, अबितैक, होइक।
अपूर्ण रूप : छियौ, छियै, छही, छौ, छै, अबितै, होइ।
(च) क्रियापदीय प्रत्यय न्ह, हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-
पूर्ण रूप : छन्हि, कहलन्हि, कहलहुँ, गेलह, नहि।
अपूर्ण रूप : छनि, कहलनि, कहलौँ, गेलऽ, नइ, नञि, नै।

९.ध्वनि स्थानान्तरण : कोनो-कोनो स्वर-ध्वनि अपना जगहसँ हटि कऽ दोसर ठाम चलि जाइत अछि। खास कऽ ह्रस्व इ आ उक सम्बन्धमे ई बात लागू होइत अछि। मैथिलीकरण भऽ गेल शब्दक मध्य वा अन्तमे जँ ह्रस्व इ वा उ आबए तँ ओकर ध्वनि स्थानान्तरित भऽ एक अक्षर आगाँ आबि जाइत अछि। जेना- शनि (शइन), पानि (पाइन), दालि ( दाइल), माटि (माइट), काछु (काउछ), मासु (माउस) आदि। मुदा तत्सम शब्द सभमे ई निअम लागू नहि होइत अछि। जेना- रश्मिकेँ रइश्म आ सुधांशुकेँ सुधाउंस नहि कहल जा सकैत अछि।

१०.हलन्त(्)क प्रयोग : मैथिली भाषामे सामान्यतया हलन्त (्)क आवश्यकता नहि होइत अछि। कारण जे शब्दक अन्तमे अ उच्चारण नहि होइत अछि। मुदा संस्कृत भाषासँ जहिनाक तहिना मैथिलीमे आएल (तत्सम) शब्द सभमे हलन्त प्रयोग कएल जाइत अछि। एहि पोथीमे सामान्यतया सम्पूर्ण शब्दकेँ मैथिली भाषा सम्बन्धी निअम अनुसार हलन्तविहीन राखल गेल अछि। मुदा व्याकरण सम्बन्धी प्रयोजनक लेल अत्यावश्यक स्थानपर कतहु-कतहु हलन्त देल गेल अछि। प्रस्तुत पोथीमे मथिली लेखनक प्राचीन आ नवीन दुनू शैलीक सरल आ समीचीन पक्ष सभकेँ समेटि कऽ वर्ण-विन्यास कएल गेल अछि। स्थान आ समयमे बचतक सङ्गहि हस्त-लेखन तथा तकनीकी दृष्टिसँ सेहो सरल होबऽबला हिसाबसँ वर्ण-विन्यास मिलाओल गेल अछि। वर्तमान समयमे मैथिली मातृभाषी पर्यन्तकेँ आन भाषाक माध्यमसँ मैथिलीक ज्ञान लेबऽ पडि रहल परिप्रेक्ष्यमे लेखनमे सहजता तथा एकरूपतापर ध्यान देल गेल अछि। तखन मैथिली भाषाक मूल विशेषता सभ कुण्ठित नहि होइक, ताहू दिस लेखक-मण्डल सचेत अछि। प्रसिद्ध भाषाशास्त्री डा. रामावतार यादवक कहब छनि जे सरलताक अनुसन्धानमे एहन अवस्था किन्नहु ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाक विशेषता छाँहमे पडि जाए।
-(भाषाशास्त्री डा. रामावतार यादवक धारणाकेँ पूर्ण रूपसँ सङ्ग लऽ निर्धारित)

१.२. मैथिली अकादमी, पटना द्वारा निर्धारित मैथिली लेखन-शैली

१. जे शब्द मैथिली-साहित्यक प्राचीन कालसँ आइ धरि जाहि वर्त्तनीमे प्रचलित अछि
, से सामान्यतः ताहि वर्त्तनीमे लिखल जाय- उदाहरणार्थ-

ग्राह्य

एखन
ठाम
जकर, तकर
तनिकर
अछि

अग्राह्य
अखन, अखनि, एखेन, अखनी
ठिमा, ठिना, ठमा
जेकर, तेकर
तिनकर। (वैकल्पिक रूपेँ ग्राह्य)
ऐछ, अहि, ए।

२. निम्नलिखित तीन प्रकारक रूप वैकल्पिकतया अपनाओल जाय: भऽ गेल, भय गेल वा भए गेल। जा रहल अछि, जाय रहल अछि, जाए रहल अछि। करगेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।

३. प्राचीन मैथिलीक न्हध्वनिक स्थानमे लिखल जाय सकैत अछि यथा कहलनि वा कहलन्हि।

४. तथा ततय लिखल जाय जतस्पष्टतः अइतथा अउसदृश उच्चारण इष्ट हो। यथा- देखैत, छलैक, बौआ, छौक इत्यादि।

५. मैथिलीक निम्नलिखित शब्द एहि रूपे प्रयुक्त होयत: जैह, सैह, इएह, ओऐह, लैह तथा दैह।

६. ह्र्स्व इकारांत शब्दमे के लुप्त करब सामान्यतः अग्राह्य थिक। यथा- ग्राह्य देखि आबह, मालिनि गेलि (मनुष्य मात्रमे)।

७. स्वतंत्र ह्रस्व वा प्राचीन मैथिलीक उद्धरण आदिमे तँ यथावत राखल जाय, किंतु आधुनिक प्रयोगमे वैकल्पिक रूपेँ वा लिखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इत्यादि।

८. उच्चारणमे दू स्वरक बीच जे ध्वनि स्वतः आबि जाइत अछि तकरा लेखमे स्थान वैकल्पिक रूपेँ देल जाय। यथा- धीआ, अढैआ, विआह, वा धीया, अढैया, बियाह।

९. सानुनासिक स्वतंत्र स्वरक स्थान यथासंभव लिखल जाय वा सानुनासिक स्वर। यथा:- मैञा, कनिञा, किरतनिञा वा मैआँ, कनिआँ, किरतनिआँ।

१०. कारकक विभक्त्तिक निम्नलिखित रूप ग्राह्य:- हाथकेँ, हाथसँ, हाथेँ, हाथक, हाथमे। मेमे अनुस्वार सर्वथा त्याज्य थिक। क वैकल्पिक रूप केरराखल जा सकैत अछि।

११. पूर्वकालिक क्रियापदक बाद कयवा कएअव्यय वैकल्पिक रूपेँ लगाओल जा सकैत अछि। यथा:- देखि कय वा देखि कए।

१२. माँग, भाँग आदिक स्थानमे माङ, भाङ इत्यादि लिखल जाय।

१३. अर्द्ध ओ अर्द्ध क बदला अनुसार नहि लिखल जाय, किंतु छापाक सुविधार्थ अर्द्ध ’ , ‘’, तथा क बदला अनुस्वारो लिखल जा सकैत अछि। यथा:- अङ्क, वा अंक, अञ्चल वा अंचल, कण्ठ वा कंठ।

१४. हलंत चिह्न निअमतः लगाओल जाय, किंतु विभक्तिक संग अकारांत प्रयोग कएल जाय। यथा:- श्रीमान्, किंतु श्रीमानक।

१५. सभ एकल कारक चिह्न शब्दमे सटा कलिखल जाय, हटा कनहि, संयुक्त विभक्तिक हेतु फराक लिखल जाय, यथा घर परक।

१६. अनुनासिककेँ चन्द्रबिन्दु द्वारा व्यक्त कयल जाय। परंतु मुद्रणक सुविधार्थ हि समान जटिल मात्रापर अनुस्वारक प्रयोग चन्द्रबिन्दुक बदला कयल जा सकैत अछि। यथा- हिँ केर बदला हिं।

१७. पूर्ण विराम पासीसँ ( । ) सूचित कयल जाय।

१८. समस्त पद सटा कलिखल जाय, वा हाइफेनसँ जोडि क’ ,  हटा कनहि।

१९. लिअ तथा दिअ शब्दमे बिकारी (ऽ) नहि लगाओल जाय।

२०. अंक देवनागरी रूपमे राखल जाय।

२१.किछु ध्वनिक लेल नवीन चिन्ह बनबाओल जाय। जा
' ई नहि बनल अछि ताबत एहि दुनू ध्वनिक बदला पूर्ववत् अय/ आय/ अए/ आए/ आओ/ अओ लिखल जाय। आकि ऎ वा ऒ सँ व्यक्त कएल जाय।

ह./- गोविन्द झा ११/८/७६ श्रीकान्त ठाकुर ११/८/७६ सुरेन्द्र झा "सुमन" ११/०८/७६

  २. मैथिलीमे भाषा सम्पादन पाठ्यक्रम
२.१. उच्चारण निर्देश: (बोल्ड कएल रूप ग्राह्य):-   
दन्त न क उच्चारणमे दाँतमे जीह सटत- जेना बाजू नाम , मुदा ण क उच्चारणमे जीह मूर्धामे सटत (नै सटैए तँ उच्चारण दोष अछि)- जेना बाजू गणेश। तालव्य मे जीह तालुसँ , मे मूर्धासँ आ दन्त मे दाँतसँ सटत। निशाँ, सभ आ शोषण बाजि कऽ देखू। मैथिलीमे केँ वैदिक संस्कृत जकाँ सेहो उच्चरित कएल जाइत अछि, जेना वर्षा, दोष। य अनेको स्थानपर ज जकाँ उच्चरित होइत अछि आ ण ड जकाँ (यथा संयोग आ गणेश संजोग
गड़ेस उच्चरित होइत अछि)। मैथिलीमे व क उच्चारण ब, श क उच्चारण स आ य क उच्चारण ज सेहो होइत अछि।
ओहिना ह्रस्व इ बेशीकाल मैथिलीमे पहिने बाजल जाइत अछि कारण देवनागरीमे आ मिथिलाक्षरमे ह्रस्व इ अक्षरक पहिने लिखलो जाइत आ बाजलो जएबाक चाही। कारण जे हिन्दीमे एकर दोषपूर्ण उच्चारण होइत अछि (लिखल तँ पहिने जाइत अछि मुदा बाजल बादमे जाइत अछि), से शिक्षा पद्धतिक दोषक कारण हम सभ ओकर उच्चारण दोषपूर्ण ढंगसँ कऽ रहल छी।
अछि- अ इ छ  ऐछ (उच्चारण)
छथि- छ इ थ  – छैथ (उच्चारण)
पहुँचि- प हुँ इ च (उच्चारण)
आब अ आ इ ई ए ऐ ओ औ अं अः ऋ ऐ सभ लेल मात्रा सेहो अछि, मुदा ऐमे ई ऐ ओ औ अं अः ऋ केँ संयुक्ताक्षर रूपमे गलत रूपमे प्रयुक्त आ उच्चरित कएल जाइत अछि। जेना ऋ केँ री  रूपमे उच्चरित करब। आ देखियौ- ऐ लेल देखिऔ क प्रयोग अनुचित। मुदा देखिऐ लेल देखियै अनुचित। क् सँ ह् धरि अ सम्मिलित भेलासँ क सँ ह बनैत अछि, मुदा उच्चारण काल हलन्त युक्त शब्दक अन्तक उच्चारणक प्रवृत्ति बढल अछि, मुदा हम जखन मनोजमे ज् अन्तमे बजैत छी, तखनो पुरनका लोककेँ बजैत सुनबन्हि- मनोजऽ, वास्तवमे ओ अ युक्त ज् = ज बजै छथि।
फेर ज्ञ अछि ज् आ ञ क संयुक्त मुदा गलत उच्चारण होइत अछि- ग्य। ओहिना क्ष अछि क् आ ष क संयुक्त मुदा उच्चारण होइत अछि छ। फेर श् आ र क संयुक्त अछि श्र ( जेना श्रमिक) आ स् आ र क संयुक्त अछि स्र (जेना मिस्र)। त्र भेल त+र ।
उच्चारणक ऑडियो फाइल विदेह आर्काइव  http://www.videha.co.in/ पर उपलब्ध अछि। फेर केँ / सँ / पर पूर्व अक्षरसँ सटा कऽ लिखू मुदा तँ / कऽ हटा कऽ। ऐमे सँ मे पहिल सटा कऽ लिखू आ बादबला हटा कऽ। अंकक बाद टा लिखू सटा कऽ मुदा अन्य ठाम टा लिखू हटा कऽ– जेना
छहटा मुदा सभ टा। फेर ६अ म सातम लिखू- छठम सातम नै। घरबलामे बला मुदा घरवालीमे वाली प्रयुक्त करू।
रहए-
रहै मुदा सकैए (उच्चारण सकै-ए)।
मुदा कखनो काल रहए आ रहै मे अर्थ भिन्नता सेहो, जेना से कम्मो जगहमे पार्किंग करबाक अभ्यास रहै ओकरा। पुछलापर पता लागल जे ढुनढुन नाम्ना ई ड्राइवर कनाट प्लेसक पार्किंगमे काज करैत रहए
छलै, छलए मे सेहो ऐ तरहक भेल। छलए क उच्चारण छल-ए सेहो।
संयोगने- (उच्चारण संजोगने)
केँ/  कऽ
केर- (
केर क प्रयोग गद्यमे नै करू , पद्यमे कऽ सकै छी। )
क (जेना रामक)
–रामक आ संगे (उच्चारण राम के /  राम कऽ सेहो)
सँ- सऽ (उच्चारण)
चन्द्रबिन्दु आ अनुस्वार- अनुस्वारमे कंठ धरिक प्रयोग होइत अछि मुदा चन्द्रबिन्दुमे नै। चन्द्रबिन्दुमे कनेक एकारक सेहो उच्चारण होइत अछि- जेना रामसँ- (उच्चारण राम सऽ)  रामकेँ- (उच्चारण राम कऽ/ राम के सेहो)।

केँ जेना रामकेँ भेल हिन्दीक को (राम को)- राम को= रामकेँ
क जेना रामक भेल हिन्दीक का ( राम का) राम का= रामक
कऽ जेना जा कऽ भेल हिन्दीक कर ( जा कर) जा कर= जा कऽ
सँ भेल हिन्दीक से (राम से) राम से= रामसँ
सऽ , तऽ , , केर (गद्यमे) एे चारू शब्द सबहक प्रयोग अवांछित।
के दोसर अर्थेँ प्रयुक्त भऽ सकैए- जेना, के कहलक? विभक्ति क बदला एकर प्रयोग अवांछित।
नञि, नहि, नै, नइ, नँइ, नइँ, नइं ऐ सभक उच्चारण आ लेखन - नै

त्त्व क बदलामे त्व जेना महत्वपूर्ण (महत्त्वपूर्ण नै) जतए अर्थ बदलि जाए ओतहि मात्र तीन अक्षरक संयुक्ताक्षरक प्रयोग उचित। सम्पति- उच्चारण स म्प इ त (सम्पत्ति नै- कारण सही उच्चारण आसानीसँ सम्भव नै)। मुदा सर्वोत्तम (सर्वोतम नै)।
राष्ट्रिय (राष्ट्रीय नै)
सकैए/ सकै (अर्थ परिवर्तन)
पोछैले/ पोछै लेल/ पोछए लेल
पोछैए/ पोछए/ (अर्थ परिवर्तन) पोछए/ पोछै
ओ लोकनि ( हटा कऽ, ओ मे बिकारी नै)
ओइ/ ओहि
ओहिले/
ओहि लेल/ ओही लऽ
जएबेँ/ बैसबेँ
पँचभइयाँ
देखियौक/ (देखिऔक नै- तहिना अ मे ह्रस्व आ दीर्घक मात्राक प्रयोग अनुचित)
जकाँ / जेकाँ
तँइ/ तैँ/
होएत / हएत
नञि/ नहि/ नँइ/ नइँ/ नै
सौँसे/ सौंसे
बड /
बडी (झोराओल)
गाए (गाइ नहि), मुदा गाइक दूध (गाएक दूध नै।)
रहलेँ/ पहिरतैँ
हमहीं/ अहीं
सब - सभ
सबहक - सभहक
धरि - तक
गप- बात
बूझब - समझब
बुझलौं/ समझलौं/ बुझलहुँ - समझलहुँ
हमरा आर - हम सभ
आकि- आ कि
सकैछ/ करैछ (गद्यमे प्रयोगक आवश्यकता नै)
होइन/ होनि
जाइन (जानि नै, जेना देल जाइन) मुदा जानि-बूझि (अर्थ परिव्र्तन)
पइठ/ जाइठ
आउ/ जाउ/ आऊ/ जाऊ
मे, केँ, सँ, पर (शब्दसँ सटा कऽ) तँ कऽ धऽ दऽ (शब्दसँ हटा कऽ) मुदा दूटा वा बेसी विभक्ति संग रहलापर पहिल विभक्ति टाकेँ सटाऊ। जेना ऐमे सँ ।
एकटा , दूटा (मुदा कए टा)
बिकारीक प्रयोग शब्दक अन्तमे, बीचमे अनावश्यक रूपेँ नै। आकारान्त आ अन्तमे अ क बाद बिकारीक प्रयोग नै (जेना दिअ
, आ/ दिय’ , ’, आ नै )
अपोस्ट्रोफीक प्रयोग बिकारीक बदलामे करब अनुचित आ मात्र फॉन्टक तकनीकी न्यूनताक परिचायक)- ओना बिकारीक संस्कृत रूप ऽ अवग्रह कहल जाइत अछि आ वर्तनी आ उच्चारण दुनू ठाम एकर लोप रहैत अछि/ रहि सकैत अछि (उच्चारणमे लोप रहिते अछि)। मुदा अपोस्ट्रोफी सेहो अंग्रेजीमे पसेसिव केसमे होइत अछि आ फ्रेंचमे शब्दमे जतए एकर प्रयोग होइत अछि जेना raison d’etre एतए सेहो एकर उच्चारण रैजौन डेटर होइत अछि, माने अपोस्ट्रॉफी अवकाश नै दैत अछि वरन जोडैत अछि, से एकर प्रयोग बिकारीक बदला देनाइ तकनीकी रूपेँ सेहो अनुचित)।
अइमे, एहिमे/ ऐमे
जइमे, जाहिमे
एखन/ अखन/ अइखन

केँ (के नहि) मे (अनुस्वार रहित)
भऽ
मे
दऽ
तँ (तऽ, नै)
सँ ( सऽ स नै)
गाछ तर
गाछ लग
साँझ खन
जो (जो go, करै जो do)
 तै/तइ जेना- तै दुआरे/ तइमे/ तइले
जै/जइ जेना- जै कारण/ जइसँ/ जइले
ऐ/अइ जेना- ऐ कारण/ ऐसँ/ अइले/ मुदा एकर एकटा खास प्रयोग- लालति‍ कतेक दि‍नसँ कहैत रहैत अइ
लै/लइ जेना लैसँ/ लइले/ लै दुआरे
लहँ/ लौं

गेलौं/ लेलौं/ लेलँह/ गेलहुँ/ लेलहुँ/ लेलँ
जइ/ जाहि‍/ जै
जहि‍ठाम/ जाहि‍ठाम/ जइठाम/ जैठाम
एहि‍/ अहि‍/
अइ (वाक्यक अंतमे ग्राह्य) /
अइछ/ अछि‍/ ऐछ
तइ/ तहि‍/ तै/ ताहि‍
ओहि‍/ ओइ
सीखि‍/ सीख
जीवि‍/ जीवी/ जीब 
भलेहीं/ भलहि‍ं 
तैं/ तँइ/ तँए
जाएब/ जएब
लइ/ लै
छइ/ छै
नहि‍/ नै/ नइ
गइ/ गै 
छनि‍/ छन्‍हि ...
समए शब्‍दक संग जखन कोनो वि‍भक्‍ति‍ जुटै छै तखन समै जना समैपर इत्‍यादि‍। असगरमे हृदए आ वि‍भक्‍ति‍ जुटने हृदे जना हृदेसँ, हृदेमे इत्‍यादि‍।  
जइ/ जाहि‍/
जै
जहि‍ठाम/ जाहि‍ठाम/ जइठाम/ जैठाम
एहि‍/ अहि‍/ अइ/
अइछ/ अछि‍/ ऐछ
तइ/ तहि‍/ तै/ ताहि‍
ओहि‍/ ओइ
सीखि‍/ सीख
जीवि‍/ जीवी/
जीब 
भले/ भलेहीं/
भलहि‍ं 
तैं/ तँइ/ तँए
जाएब/ जएब
लइ/ लै
छइ/ छै
नहि‍/ नै/ नइ
गइ/
गै 
छनि‍/ छन्‍हि‍
चुकल अछि/ गेल गछि
२.२. मैथिलीमे भाषा सम्पादन पाठ्यक्रम
नीचाँक सूचीमे देल विकल्पमेसँ लैंगुएज एडीटर द्वारा कोन रूप चुनल जेबाक चाही:
बोल्ड कएल रूप ग्राह्य:  
१.होयबला/ होबयबला/ होमयबला/ हेब’बला, हेम’बला/ होयबाक/होबएबला /होएबाक
२. आ’/आऽ
३. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कय लेने/ल’/लऽ/लय/लए
४. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए
गेल
५. कर’ गेलाह/करऽ
गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह
६.
लिअ/दिअ लिय’,दिय’,लिअ’,दिय’/
७. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करैबला/क’र’ बला /
करैवाली
८. बला वला (पुरूष), वाली (स्‍त्री) ९
.
आङ्ल आंग्ल
१०. प्रायः प्रायह
११. दुःख दुख १
२. चलि गेल चल गेल/चैल गेल
१३. देलखिन्ह देलकिन्ह, देलखिन
१४.
देखलन्हि देखलनि/ देखलैन्ह
१५. छथिन्ह/ छलन्हि छथिन/ छलैन/ छलनि
१६. चलैत/दैत चलति/दैति
१७. एखनो
अखनो
१८.
बढ़नि‍ बढइन बढन्हि
१९. ओ’/ओऽ(सर्वनाम)
२०
. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ
२१. फाँगि/फाङ्गि फाइंग/फाइङ
२२.
जे जे’/जेऽ २३. ना-नुकुर ना-नुकर
२४. केलन्हि/केलनि‍/कयलन्हि
२५. तखनतँ/ तखन तँ
२६. जा
रहल/जाय रहल/जाए रहल
२७. निकलय/निकलए
लागल/ लगल बहराय/ बहराए लागल/ लगल निकल’/बहरै लागल
२८. ओतय/ जतय जत’/ ओत’/ जतए/ ओतए
२९.
की फूरल जे कि फूरल जे
३०. जे जे’/जेऽ
३१. कूदि / यादि(मोन पारब) कूइद/याइद/कूद/याद/
यादि (मोन)
३२. इहो/ ओहो
३३.
हँसए/ हँसय हँसऽ
३४. नौ आकि दस/नौ किंवा दस/ नौ वा दस
३५. सासु-ससुर सास-ससुर
३६. छह/ सात छ/छः/सात
३७.
की  की’/ कीऽ (दीर्घीकारान्तमे ऽ वर्जित)
३८. जबाब जवाब
३९. करएताह/ करेताह करयताह
४०. दलान दिशि दलान दिश/दलान दिस
४१
. गेलाह गएलाह/गयलाह
४२. किछु आर/ किछु और/ किछ आर
४३. जाइ छल/ जाइत छल जाति छल/जैत छल
४४. पहुँचि/ भेट जाइत छल/ भेट जाइ छलए पहुँच/ भेटि‍ जाइत छल
४५.
जबान (युवा)/ जवान(फौजी)
४६. लय/ लए ’/ कऽ/ लए कए / लऽ कऽ/ लऽ कए
४७. ल’/लऽ कय/
कए
४८. एखन / एखने / अखन / अखने
४९.
अहींकेँ अहीँकेँ
५०. गहींर गहीँर
५१.
धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए
५२. जेकाँ जेँकाँ/
जकाँ
५३. तहिना तेहिना
५४. एकर अकर
५५. बहिनउ बहनोइ
५६. बहिन बहिनि
५७. बहिन-बहिनोइ
बहिन-बहनउ
५८. नहि/ नै
५९. करबा / करबाय/ करबाए
६०. तँ/ त ऽ तय/तए
६१. भैयारी मे छोट-भाए/भै/, जेठ-भाय/भाइ,
६२. गि‍नतीमे दू भाइ/भाए/भाँइ  
६३. ई पोथी दू भाइक/ भाँइ/ भाए/ लेल। यावत जावत
६४. माय मै / माए मुदा माइक ममता
६५. देन्हि/ दइन दनि‍/ दएन्हि/ दयन्हि दन्हि/ दैन्हि
६६. द’/ दऽ/ दए
६७. (संयोजक) ओऽ (सर्वनाम)
६८. तका कए तकाय तकाए
६९. पैरे (on foot) पएरे  कएक/ कैक
७०.
ताहुमे/ ताहूमे
 ७१.
पुत्रीक
७२.
बजा कय/ कए / कऽ
७३. बननाय/बननाइ
७४. कोला
७५.
दिनुका दिनका
७६.
ततहिसँ
७७. गरबओलन्हि/ गरबौलनि‍/
  गरबेलन्हि/ गरबेलनि‍
७८. बालु बालू
७९.
चेन्ह चिन्ह(अशुद्ध)
८०. जे जे’
८१
. से/ के से’/के’
८२. एखुनका अखनुका
८३. भुमिहार भूमिहार
८४. सुग्गर
/ सुगरक/ सूगर
८५. झठहाक झटहाक ८६.
छूबि
८७. करइयो/ओ करैयो ने देलक /करियौ-करइयौ
८८. पुबारि
पुबाइ
८९. झगड़ा-झाँटी
झगड़ा-झाँटि
९०. पएरे-पएरे पैरे-पैरे
९१. खेलएबाक
९२. खेलेबाक
९३. लगा
९४. होए- होहोअए
९५. बुझल बूझल
९६.
बूझल (संबोधन अर्थमे)
९७. यैह यएह / इएह/ सैह/ सएह
९८. तातिल
९९. अयनाय- अयनाइ/ अएनाइ/ एनाइ
१००. निन्न- निन्द
१०१.
बिनु बिन
१०२. जाए जाइ
१०३.
जाइ (in different sense)-last word of sentence
१०४. छत पर आबि जाइ
१०५.
ने
१०६. खेलाए (play) –खेलाइ
१०७. शिकाइत- शिकायत
१०८.
ढप- ढ़प
१०९
. पढ़- पढ
११०. कनिए/ कनिये कनिञे
१११. राकस- राकश
११२. होए/ होय होइ
११३. अउरदा-
औरदा
११४. बुझेलन्हि (different meaning- got understand)
११५. बुझएलन्हि/बुझेलनि‍/ बुझयलन्हि (understood himself)
११६. चलि- चल/ चलि‍ गेल
११७. खधाइ- खधाय
११८.
मोन पाड़लखिन्ह/ मोन पाड़लखि‍न/ मोन पारलखिन्ह
११९. कैक- कएक- कइएक
१२०.
लग ल’ग 
१२१. जरेनाइ
१२२. जरौनाइ जरओनाइ- जरएनाइ/
जरेनाइ
१२३. होइत
१२४.
गरबेलन्हि/ गरबेलनि‍ गरबौलन्हि/ गरबौलनि‍
१२५.
चिखैत- (to test)चिखइत
१२६. करइयो (willing to do) करैयो
१२७. जेकरा- जकरा
१२८. तकरा- तेकरा
१२९.
बिदेसर स्थानेमे/ बिदेसरे स्थानमे
१३०. करबयलहुँ/ करबएलहुँ/ करबेलहुँ करबेलौं
१३१.
हारिक (उच्चारण हाइरक)
१३२. ओजन वजन आफसोच/ अफसोस कागत/ कागच/ कागज
१३३. आधे भाग/ आध-भागे
१३४. पिचा / पिचाय/पिचाए
१३५. नञ/ ने
१३६. बच्चा नञ
(ने) पिचा जाय
१३७. तखन ने (नञ) कहैत अछि। कहै/ सुनै/ देखै छल मुदा कहैत-कहैत/ सुनैत-सुनैत/ देखैत-देखैत
१३८.
कतेक गोटे/ कताक गोटे
१३९. कमाइ-धमाइ/ कमाई- धमाई
१४०
. लग ल’ग
१४१. खेलाइ (for playing)
१४२.
छथिन्ह/ छथिन
१४३.
होइत होइ
१४४. क्यो कियो / केओ
१४५.
केश (hair)
१४६.
केस (court-case)
१४७
. बननाइ/ बननाय/ बननाए
१४८. जरेनाइ
१४९. कुरसी कुर्सी
१५०. चरचा चर्चा
१५१. कर्म करम
१५२. डुबाबए/ डुबाबै/ डुमाबै डुमाबय/ डुमाबए
१५३. एखुनका/
अखुनका
१५४. लए/ लिअए (वाक्यक अंतिम शब्द)- लऽ
१५५. कएलक/
केलक
५६. गरमी गर्मी
१५७
. वरदी वर्दी
१५८. सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ
१५९. एनाइ-गेनाइ
१६०.
तेना ने घेरलन्हि/ तेना ने घेरलनि‍
१६१. नञि / नै
१६२.
डरो ड’रो
१६३. कतहु/ कतौ कहीं
१६४. उमरिगर-उमेरगर उमरगर
१६५. भरिगर
१६६. धोल/धोअल धोएल
१६७. गप/गप्प
१६८.
के के’
१६९. दरबज्जा/ दरबजा
१७०. ठाम
१७१.
धरि तक
१७२.
घूरि लौटि
१७३. थोरबेक
१७४. बड्ड
१७५. तोँ/ तू
१७६. तोँहि( पद्यमे ग्राह्य)
१७७. तोँही / तोँहि
१७८.
करबाइए करबाइये
१७९. एकेटा
१८०. करितथि /करतथि
 १८१.
पहुँचि/ पहुँच
१८२. राखलन्हि रखलन्हि/ रखलनि‍
१८३.
लगलन्हि/ लगलनि‍ लागलन्हि
१८४.
सुनि (उच्चारण सुइन)
१८५. अछि (उच्चारण अइछ)
१८६. एलथि गेलथि
१८७. बितओने/ बि‍तौने/
बितेने
१८८. करबओलन्हि/ करबौलनि‍/
करेलखिन्ह/ करेलखि‍न
१८९. करएलन्हि/ करेलनि‍
१९०.
आकि/ कि
१९१. पहुँचि/
पहुँच
१९२. बत्ती जराय/ जराए जरा (आगि लगा)
१९३.
से से’
१९४.
हाँ मे हाँ (हाँमे हाँ विभक्त्तिमे हटा कए)
१९५. फेल फैल
१९६. फइल(spacious) फैल
१९७. होयतन्हि/ होएतन्हि/ होएतनि‍/हेतनि‍/ हेतन्हि
१९८. हाथ मटिआएब/ हाथ मटियाबय/हाथ मटियाएब
१९९. फेका फेंका
२००. देखाए देखा
२०१. देखाबए
२०२. सत्तरि सत्तर
२०३.
साहेब साहब
२०४.गेलैन्ह/ गेलन्हि/ गेलनि‍
२०५. हेबाक/ होएबाक
२०६.केलो/ कएलहुँ/केलौं/ केलुँ
२०७. किछु न किछु/
किछु ने किछु
२०८.घुमेलहुँ/ घुमओलहुँ/ घुमेलौं
२०९. एलाक/ अएलाक
२१०. अः/ अह
२११.लय/
लए (अर्थ-परिवर्त्तन) २१२.कनीक/ कनेक
२१३.सबहक/ सभक
२१४.मिलाऽ/ मिला
२१५.कऽ/
२१६.जाऽ/
जा
२१७.आऽ/
२१८.भऽ /भ’ ( फॉन्टक कमीक द्योतक)
२१९.निअम/ नियम
२२०
.हेक्टेअर/ हेक्टेयर
२२१.पहिल अक्षर ढ/ बादक/ बीचक ढ़
२२२.तहिं/तहिँ/ तञि/ तैं
२२३.कहिं/ कहीं
२२४.तँइ/
तैं / तइँ
२२५.नँइ/ नइँ/  नञि/ नहि/नै
२२६.है/ हए / एलीहेँ/
२२७.छञि/ छै/ छैक /छइ
२२८.दृष्टिएँ/ दृष्टियेँ
२२९. (come)/ आऽ(conjunction)
२३०.
आ (conjunction)/ आऽ(come)
२३१.कुनो/ कोनो, कोना/केना
२३२.गेलैन्ह-गेलन्हि-गेलनि‍
२३३.हेबाक- होएबाक
२३४.केलौँ- कएलौँ-कएलहुँ/केलौं
२३५.किछु न किछ- किछु ने किछु
२३६.केहेन- केहन
२३७.आऽ (come)- (conjunction-and)/आ। आब'-आब' /आबह-आबह
२३८. हएत-हैत
२३९.घुमेलहुँ-घुमएलहुँ- घुमेलाें
२४०.एलाक- अएलाक
२४१.होनि- होइन/ होन्हि/
२४२.ओ-राम ओ श्यामक बीच(conjunction), ओऽ कहलक (he said)/
२४३.की हए/ कोसी अएली हए/ की है। की हइ
२४४.दृष्टिएँ/ दृष्टियेँ
२४५
.शामिल/ सामेल
२४६.तैँ / तँए/ तञि/ तहिं
२४७.जौं
/ ज्योँ/ जँ/
२४८.सभ/ सब
२४९.सभक/ सबहक
२५०.कहिं/ कहीं
२५१.कुनो/ कोनो/ कोनहुँ/
२५२.फारकती भऽ गेल/ भए गेल/ भय गेल
२५३.कोना/ केना/ कन्‍ना/कना
२५४.अः/ अह
२५५.जनै/ जनञ
२५६.गेलनि‍/
गेलाह (अर्थ परिवर्तन)
२५७.केलन्हि/ कएलन्हि/ केलनि‍/
२५८.लय/ लए/ लएह (अर्थ परिवर्तन)
२५९.कनीक/ कनेक/कनी-मनी
२६०.पठेलन्हि‍ पठेलनि‍/ पठेलइन/ पपठओलन्हि/ पठबौलनि‍/
२६१.निअम/ नियम
२६२.हेक्टेअर/ हेक्टेयर
२६३.पहिल अक्षर रहने ढ/ बीचमे रहने ढ
२६४.आकारान्तमे बिकारीक प्रयोग उचित नै/ अपोस्ट्रोफीक प्रयोग फान्टक तकनीकी न्यूनताक परिचायक ओकर बदला अवग्रह (बिकारी) क प्रयोग उचित
२६५.केर (पद्यमे ग्राह्य) / -/ कऽ/ के
२६६.छैन्हि- छन्हि
२६७.लगैए/ लगैये
२६८.होएत/ हएत
२६९.जाएत/ जएत/
२७०.आएत/ अएत/ आओत
२७१
.खाएत/ खएत/ खैत
२७२.पिअएबाक/ पिएबाक/पि‍येबाक
२७३.शुरु/ शुरुह
२७४.शुरुहे/ शुरुए
२७५.अएताह/अओताह/ एताह/ औताह
२७६.जाहि/ जाइ/ जइ/ जै/
२७७.जाइत/ जैतए/ जइतए
२७८.आएल/ अएल
२७९.कैक/ कएक
२८०.आयल/ अएल/ आएल
२८१. जाए/ जअए/ जए (लालति‍ जाए लगलीह।)
२८२. नुकएल/ नुकाएल
२८३. कठुआएल/ कठुअएल
२८४. ताहि/ तै/ तइ
२८५. गायब/ गाएब/ गएब
२८६. सकै/ सकए/ सकय
२८७.सेरा/सरा/ सराए (भात सरा गेल)
२८८.कहैत रही/देखैत रही/ कहैत छलौं/ कहै छलौं- अहिना चलैत/ पढैत
(पढै-पढैत अर्थ कखनो काल परिवर्तित) - आर बुझै/ बुझैत (बुझै/ बुझै छी, मुदा बुझैत-बुझैत)/ सकैत/ सकै। करैत/ करै। दै/ दैत। छैक/ छै। बचलै/ बचलैक। रखबा/ रखबाक । बिनु/ बिन। रातिक/ रातुक बुझै आ बुझैत केर अपन-अपन जगहपर प्रयोग समीचीन अछि‍। बुझैत-बुझैत आब बुझलि‍ऐ। हमहूँ बुझै छी।
२८९. दुआरे/ द्वारे
२९०.भेटि/ भेट/ भेँट
२९१.
खन/ खीन/  खुना (भोर खन/ भोर खीन)
२९२.तक/ धरि
२९३.गऽ/ गै (meaning different-जनबै गऽ)
२९४.सऽ/ सँ (मुदा दऽ, लऽ)
२९५.त्त्व,(तीन अक्षरक मेल बदला पुनरुक्तिक एक आ एकटा दोसरक उपयोग) आदिक बदला त्व आदि। महत्त्व/ महत्व/ कर्ता/ कर्त्ता आदिमे त्त संयुक्तक कोनो आवश्यकता मैथिलीमे नै अछि। वक्तव्य
२९६.बेसी/ बेशी
२९७.बाला/वाला बला/ वला (रहैबला)
२९८
.वाली/ (बदलैवाली)
२९९.वार्त्ता/ वार्ता
३००. अन्तर्राष्ट्रिय/ अन्तर्राष्ट्रीय
३०१. लेमए/ लेबए
३०२.लमछुरका, नमछुरका
३०२.लागै/ लगै (
भेटैत/ भेटै)
३०३.लागल/ लगल
३०४.हबा/ हवा
३०५.राखलक/ रखलक
३०६. (come)/ (and)
३०७. पश्चाताप/ पश्चात्ताप
३०८. ऽ केर व्यवहार शब्दक अन्तमे मात्र, यथासंभव बीचमे नै।
३०९.कहैत/ कहै
३१०.
रहए (छल)/ रहै (छलै) (meaning different)
३११.तागति/ ताकति
३१२.खराप/ खराब
३१३.बोइन/ बोनि/ बोइनि
३१४.जाठि/ जाइठ
३१५.कागज/ कागच/ कागत
३१६.गिरै (meaning different- swallow)/ गिरए (खसए)
३१७.राष्ट्रिय/ राष्ट्रीय
DATE-LIST (year- 2013-14)
(१४२१ फसली साल)
Marriage Days:
Nov.2013- 18, 20, 24, 25, 28, 29
Dec.2013- 1, 4, 6, 8, 12, 13
January 2014- 19, 20, 22, 23, 24, 26, 31.
Feb.2014- 3, 5, 6, 9, 10, 17, 19, 24, 26, 27.
March 2014- 2, 3, 5, 7, 9.
April 2014- 16, 17, 18, 20, 21, 23, 24.
May 2014- 1, 2, 8, 9, 11, 12, 18, 19, 21, 25, 26, 28, 29, 30.
June 2014- 4, 5, 8, 9, 13, 18, 22, 25.
July 2014- 2, 3, 4, 6, 7.
Upanayana Days:
February 2014- 2, 4, 9, 10.
March 2014- 3, 5, 11, 12.
April 2014- 4, 9, 10.
June 2014- 2, 8, 9.
Dviragaman Din:
November 2013- 18, 21, 22.
December 2013- 4, 6, 8, 9, 12, 13.
February 2014- 16, 17, 19, 20.
March 2014- 2, 3, 5, 9, 10, 12.
April 2014- 16, 17, 18, 20.
May 2014- 1, 2, 9, 11, 12.
Mundan Din:
November 2013- 20, 22.
December 2013- 9, 12, 13.
January 2014- 16, 17.
February 2014- 6, 10, 19, 20.
March 2014- 5, 12.
April 2014- 16.
May 2014- 12, 30.
June 2014- 2, 9, 30.

FESTIVALS OF MITHILA (2013-14)
Mauna Panchami-27 July
Madhushravani- 9 August
Nag Panchami- 11 August
Raksha Bandhan- 21 Aug
Krishnastami- 28 August
Kushi Amavasya / Somvari Vrat- 5 September
Hartalika Teej- 8 September
ChauthChandra-8 September
Vishwakarma Pooja- 17 September
Anant Caturdashi- 18 Sep
Pitri Paksha begins- 20 Sep
Jimootavahan Vrata/ Jitia-27 Sep
Matri Navami-28 Sep
Kalashsthapan- 5 October
Belnauti- 10 October
Patrika Pravesh- 11 October
Mahastami- 12 October
Maha Navami - 13 October
Vijaya Dashami- 14 October
Kojagara- 18 Oct
Dhanteras- 1 November
Diyabati, shyama pooja-3 November
Annakoota/ Govardhana Pooja-4 November
Bhratridwitiya/ Chitragupta Pooja- 5 November
Chhathi -8 November
Sama Poojaarambh- 9 November
Devotthan Ekadashi- 13 November
ravivratarambh- 17 November
Navanna parvan- 20 November
KartikPoornima- Sama Visarjan- 2 December
Vivaha Panchmi- 7 December
Makara/ Teela Sankranti-14 Jan
Naraknivaran chaturdashi- 29 January
Basant Panchami/ Saraswati Pooja- 4 February
Achla Saptmi- 6 February
Mahashivaratri-27 February
Holikadahan-Fagua-16 March
Holi- 17 March
Saptadora- 17 March
Varuni Trayodashi-28 March
Jurishital-15 April
Ram Navami- 8 April
Akshaya Tritiya-2 May
Janaki Navami- 8 May
Ravi Brat Ant- 11 May
Vat Savitri-barasait- 28 May
Ganga Dashhara-8 June
Harivasar Vrata- 9 July
Shree Guru Poornima-12 Jul
VIDEHA MAITHILI SAMSKRIT TUTOR
डॉ. अमर जी झा
भर्तृहरेः भाषाशास्त्राीय योगदानम्

संस्कृतवाघ्मये भाषातत्त्वचिन्तनं वैदिकालादेव भवति। ऋग्वेदस्य वाक्सूक्तेऽपि भाषायाः विविध्स्वरुपानां विवेचनमस्ति। अस्मिन क्रमे यास्कस्य निर्वचनम् पाणिनेः प्रकृति-प्रत्ययस्य विश्लेषणम, पतञ्जलेः च भाषातत्वनिदर्शनम् प्रशंसनीयं वर्त्तन्ते। भतृहरिणाः स्वकीयेषु ग्रन्थेषु शब्दतत्वस्य ब्रह्मस्वरूपस्य विवेचनं स्पष्टतया, प्रामाणिकतया, सूक्ष्मतया, वर्णिताः सन्ति। भतृहरिणाः वाक्यपदीये भाषायाः विवेचनक्रमे पञ्चमं शतेऽव शब्दब्रह्म एव परमतत्त्वरूपे स्थापितः। भतृहरिमते शब्दतत्त्वज्ञः अपवर्गमपि प्राप्तुं शक्यते। पाश्चात्यसंदर्भे विंशतितमे शते आध्ुनिकभाषाशास्त्रास्य जनकः सोस्यूरः भाषाशास्त्रास्य स्वतंत्रारूपे सामाजिकसत्ताविषयकमतानां प्रिितपाद्यन्ते। भतृहरिः द्वितीयकाण्डे अखण्डः, निरवयः वाक्यस्पफोटस्य सिद्धान्तस्य प्रतिपादनं कृतमऽस्ति। अस्मिनमतेः वाक्ये पदम्, पदे वर्णाः, वर्णे खण्डानाम् भेद केवलं भाषाशिक्षणार्थं भवति न तु वाक्यार्थबोध्नाय। नॉमचॉम्सकीमहोदयः अपि सिन्टेक्टिक स्ट्रक्चर्सग्रन्थे भाषाशास्त्रास्य मुख्यविवेच्यविषयरूपे वाक्यमेव मनुते। भर्तृहरिः वाचः चत्वारिरूपाणि परापश्यन्तिमध्यमावैखर्याश्च विश्लेषणं करोति, किन्तु पाश्चात्यविद्वांसः वाचः लांग ;लैंगुएजद्ध पेरॉल ;स्पफीचद्ध इति मध्यमा वैखरी पयर्न्तमेव सन्ति। भर्तृहरिमतेः सर्वेः सामाजिकव्यापाराः भाषाश्रिताः सन्ति अपि च भाषारहिता समाजे कोऽपि प्रत्ययस्यावधरणा न भवितुं शक्यते। सोस्यूरमहोदयः अपि भर्तृहरेः मते आध्ृत्य भाषायाः सामाजिकपक्षाणां महत्त्वं प्रतिपाद्यते। सोस्यूरमहोदयेन प्रतिपादितम् यत् ध्वनिसमूहेन वाक्यविन्यासेन वा अर्थग्रहणं, अर्थनिर्धरणं, शुद्धाशुद्धविचारणञ्च लोकव्यवहारश्रितमेव वर्त्तन्ते।
 
आचार्यभर्तृहरिणा अपि शब्दार्थमध्ये नित्याः सम्बन्धः स्वीकीर्यते। तन्मतानुसारं शब्दार्थसंबंध्ः रूढ़ं वर्त्तते। नित्यसम्बन्ध्ेनेव अर्थबोध्ः भवति अन्यथा तु शब्द केवलं ध्वनिसमूहः एव वर्त्तते।
 
परन्तु आध्ुनिकभाषाशास्त्राविचारकाः रूढं-यादृच्छिक मध्ये ;(Conventional Arbitrary)
  भेदं स्वीकीर्यते।
आचार्य भर्तृहरिमतेः सर्वं ज्ञानं शब्देन भासते। आध्ुनिकभाषाशास्त्रोऽपि संकेतक-संकेतितार्थ रूपे भर्तृहरेः अयं सिद्धान्तः एव आधररूपे वर्त्तते। तन्मतानुसारं शब्दः ध्वन्यात्मकः ;(Acoustic)
  अर्थश्च प्रत्ययात्मकः वर्त्तते।
चॉम्सकीमहोदयः अपि भाषातत्त्वनिरूपणसन्दर्भे अर्थतत्त्वस्य महत्त्वं मनुते।
 
आचार्यः भर्तृहरिः भाषाशिक्षणस्य स्वाभाविकप्रक्रियां निदर्शयति यत् अस्मिन संसारे सर्वे क्रियाकलापाः शब्दाश्रिताः वर्त्तन्ते। अयं संस्कारः बालके पूर्वाहितरूपे विद्यते। यतोहि अस्याभावे बालकः प्रथमतः वक्तुं केन प्रकारेण प्रयत्नं कर्तुं शक्यते यथा- वायोः उर्ध्वमुञ्चनं, करणविन्यासादि।
 
निष्कर्षतः भर्तृहरिकृतवाक्तत्वस्य सूक्ष्मविश्लेषणं अध्ुनाऽपि आधररूपे अनुकरणीयं वर्त्तते।

संदर्भ
1. ऋग्वेद, परोपकारिणी सभा, अजमेर 1990
2. वाक्यपदीय ;वृत्ति एवं पद्धति सहितद्ध, के.ए.एस. अय्यर, पूना, 1966
3.
Sanssure, F.D. : Course in General Linguistics
4. सं. कुमार पुष्पेन्द्रः भारतीय आचार्यों का योगदान, नाग प्रकाशन, दिल्ली, 1985
5. अय्यर, के.ए.एस., भर्तृहरि, हि.अ.- रामचन्द्र द्विवेदी, राजस्थान, हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, जयपुर, प्रथम संस्करण, 1981
 
1. उत त्वः पश्यन्न ददर्श वाचमुत त्वः शृण्वन्न शणोत्येनाम्।
उतो त्वस्मै तन्वं विस्रसे, जायेव पत्ये उशती सुवासाः।। ट्ट. 10/71/4
2.अनादिनिध्नं ब्रह्म शब्दतत्वं यदक्षरम्। वा.प. 1.1
3.तस्य प्रवृत्तितत्त्वज्ञस्तद् ब्रह्मामृतमश्नुते।। वा.प 1.123
4.Language has an individual Aspects and Social Aspects; Saussure, F.D., Course in General Linguistics, P. 9.
5.पदे न वर्णा विद्यन्ते वर्णेष्ववयवा न च।
वाक्यात् पदानामत्यन्तं प्रविवेको न कश्चन्।। वा.प. 1.73
6.सं. कुमार पुष्पेन्द्र, भारतीय आचार्यों का योगदान, पृ. 124
7.क. इतिकर्त्तव्यता लोके सर्वाः शब्दव्यपाश्रयाः। वा.प. 1.113
ख. न सोऽस्ति प्रत्ययो लोके यः शब्दानुगमादृते। वा.प. 1.115
8.सं. कुमार, पुष्पेन्द्र भारतीय आचार्यों का योगदन, पृ. 120
9.नित्याः शब्दार्थसंबंधः तत्राम्नाता महर्षिभिः।
10.विषयत्वामनापन्नैः शब्दैः नार्थः प्रतीयते।
न सत्तयैव तेऽर्थानम् अग्रहीता प्रकाशकाः।। वा.प. 1.56
11.न सोऽस्ति प्रत्ययो लोके यः शब्दानुगमादृते।
अनुबिद्धमिव ज्ञानं सर्वं शब्देन भासते।। वा.प. 1.113
12.कुमार, पुष्पेन्द्र, आचार्यों का योगदान, पृ. 127
13.इतिकर्त्तव्यता लोके सर्वा शब्दव्यापाश्रय।
या पूर्वाहित संस्कारो बालोऽपि प्रपद्यते।। वा.प. 1.115
आद्य करणविन्यासः प्राणस्योर्ध्वसमीरणम्।
स्थानानामभिधतश्च न विना शब्दभावनाम्।
 
 

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मैथिली साहित्य आन्दोलन

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